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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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Rachit Chaudhary

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बहुत ही कामुक और रोमांचकारी अपडेट था....
लास्ट तक सस्पेन्स बना रहा ।।।।


रचित भाई......
ज्यादा नंगा पन में मज़ा नहीं आता है।

पहली बार जब अपनी बहुये बेटी से
बाप या ससुर सेक्स करें तो फुल्ली
साड़ी ब्लाउज में घूंघट में ढके कपडों में
दिखाने पर ज्यादा मज़ा आएगा...


क्यूंकि बहु बेटी सेक्स स्टोरी में
मर्यादा,संस्कारी रूप फुल्ली कवर्ड क्लॉथ
मैं सबसे ज्यादा कमुकपन नजर आता है...


??????

GREAT UPDATE
Koshish karunga
 

Rakesh1999

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Mast update bhai.dono randiyo ki chut aur gaand maro bhai.mast kahani
 

Rachit Chaudhary

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Fiza Khan

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Update : 22

*****
दोस्तों माफी चाहता हूं बहुत प्रतीक्षा कराई update के लिए ।
पर याब एक वीक में 2 या 3 update जरूर आएंगे ।
तो चलिए बढ़ते हैं कहानी की तरफ ।

*****

शाम के 4:00 बज रहे थे आधा घंटा हो चुका था मार्केट से आए हुए ।
पूजा उपासना से बोली दीदी आप जो तैयारियां कर रही हो पापा जी को कम से कम पता तो होना चाहिए कि जिनकी किस्मत खुलने वाली है।

उपासना बोली - वह इतने भोले नहीं है वह समझ गए होंगे कि दोनों रंडियां चुदने को बेताब है ।

पूजा बोली फिर भी दीदी कोई इशारा तो कर ही देना चाहिए ।
तभी गेट पर किसी की आवाज सुनाई दी वह आवाज धर्मवीर की थी ।

धर्मवीर - लो बेटा कोल्ड ड्रिंक पी लो ।

उपासना ने रिप्लाई किया - पापा जी हम आ रहे हैं आप चलिए डाइनिंग हॉल में ।

इंतजार कर रहे थे धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना का।

मार्केट से आ कर उपासना और पूजा ने कपड़े चेंज कर लिए थे उन्होंने एक शॉर्ट कुर्ता पहना था और नीचे कसी हुई लेकिन पहनी हुई थी । कुर्ता उनके चूतड़ों पर आकर खत्म हो जाता था कहने का मतलब सीधा और साफ है कि कुर्ता उनकी चौड़ी चौड़ी गांड को छुपाने में नाकामयाब था और उनकी भरी हुई मोटी मोटी जांघे उस लेगिंग में लंड पर जलवे बिखेरने के लिए काफी थी।



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तभी दोनों डाइनिंग हॉल में आ गई और आकर खड़ी हो गई ।

सोमनाथ ने चार गिलास में कोल्ड ड्रिंक डाली ।

धर्मवीर के हाथ में बियर की बॉटल देखकर पूजा ने चौक ते हुए कहा- पापा जी आप ड्रिंक करेंगे क्या ?

धर्मवीर धीमी आवाज में बोला- यही एक रास्ता है तुम जैसी रंडियों को बेशर्म बनाने का ।

पूजा - क्या कहा पापा जी ?

पूजा ने यह बात कुछ इस तरह कही जैसे उसे कुछ सुनाई ना दिया हो जबकि सच यह था की पूजा और उपासना दोनों यह सुन लिया था और उन्हें साफ-साफ सुनाई दिया था ।

धर्मवीर एक साथ बोला- मैं यह कह रहा था की हल्की हल्की बीयर पी लेते हैं यदि तुम दोनों को कोई एतराज ना हो तो ।

पूजा और उपासना सुन चुकी थी और वह भी समझ रही थी कि सही ही तो कहा है वरना हमारी तो शर्म खत्म ही नहीं होगी ।

यह सोचते हुए उपासना बोली पापा जी हमें क्या एतराज हो सकता है यदि आप चाहते हैं तो ड्रिंक कर सकते हैं , और वैसे भी तो एक ही बोतल है एक बोतल में तुम दो दो लोग हो आप कर लीजिए ड्रिंक ।

तभी सोमनाथ बोला नहीं बेटा हम ऐसे अपनी शरीफ बेटियों के सामने ड्रिंक नहीं कर सकते सिर्फ एक शर्त पर कर सकते हैं कि यदि तुम भी इसमें से थोड़ा-थोड़ा पियो तो ।

पूजा बोली - इसमें ड्रिंक वाली क्या बात है पापा जी एक ही बीयर तो है आप पी लीजिए ।

धर्मवीर बोला- तभी तो हम कह रहे हैं पूजा की एक ही तो बीयर है चारों लोग पी लेते हैं ।

पूजा बोली- जैसा आप ठीक समझें पापा जी ।

ग्रीन सिग्नल मिल चुका था धर्मवीर और सोमनाथ को।
सोमनाथ ने एक बीयर को चार गिलास में किया। चार गिलास में दोस्तों आधा आधा गिलास ही भर पाया पाया था उस एक बोतल में ।
और चारों ने चियर्स करके आधा आधा गिलास पी लिया ।
आधे आधे गिलास बीयर में किसी को कुछ भी नहीं होने वाला था आप भी समझ सकते हैं दोस्तों कि आधे गिलास बीयर में नशा नाम की कोई चीज ही नहीं हो सकती लेकिन यह बात वह चारों भी अच्छी तरह समझ रहे थे ।

पूरे होशो हवास में चारों लोग बैठे थे लेकिन बहाना बनाते हुए धर्मवीर ने कहा- क्या बात है सोमनाथ जी इतने दिन हो गए मैंने कोई नशा नहीं किया है आज तो पता नहीं मुझे यह पियर चढ़ने लगी है । मुझे कोई होश नहीं है कि मैं कहां हूं और क्या बोल रहा हूं ।

सोमनाथ बोला ऐसी ही कुछ हालत मेरी भी है समधी जी ।

जबकि सच्चाई ये थी दोस्तों दोनों को कुछ भी नहीं था उनको सिर्फ बहाना चाहिए था नशे का जो कि उन्हें मिल चुका था। अपने पूरे होश हवास हवास में धर्मवीर और सोमनाथ बैठे हुए थे लेकिन बहाना नशे का बनाए हुए थे ।

पूजा और उपासना भी पूरे होशो हवास में सामने बैठी थी लेकिन लेकिन तभी पूजा बोली - दीदी मेरी आंखों में में नशा चढ़ने लगा है मुझे भी नहीं पता मैं कहां हूं अगर मेरे मुंह से कुछ गलत निकल जाए तो मुझे माफ करना यह सोच कर कि मैं नशे में हूँ ।

पूजा अच्छी तरह समझ रही थी और उपासना भी कि यह सब नशा एक बहाना है ।

धर्मवीर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा - सोमनाथ जी आज वह गुंडे मार्केट में हमारी बेटियों को क्या कह रहे थे ।

पूजा और उपासना समझ चुकी थी कि बात किस तरफ टर्न हो रही है लेकिन दोनों चुप बैठी रही ।

सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो नशे में कुछ भी याद नहीं है बस इतना ही याद है कि वह हमारी बेटियों को कोई अश्लील शब्द बोल रहे थे ।

धर्मवीर बोला - हां मैंने सुना था हमारी बेटियों को रंडियां बोल रहे थे ।

अब तो पूजा और उपासना के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात थी लेकिन उन्होंने भी नशे का बहाना करते हुए कहा उपासना बोली - कौन कह रहा था पापा जी हमें तो कुछ याद नहीं है ।

सोमनाथ बोला - धर्मवीर जी क्या आपको लगता है कि हमारी बेटियां रंडियों की तरह दिखती है ।

यह सुनकर उपासना और पूजा शर्म से लाल हो गई लेकिन अपनी शर्म को छुपाते हुए और नशे का बहाना करते हुए बोली- ऐसा कैसे हो सकता है पापा जी हम तो बड़ी शरीफ है ।

धर्मवीर बोला - यही तो मैं सोच रहा हूं ऐसा कैसे हो सकता है चलो तुम दोनों एक काम करो खड़ी होकर दिखाओ ।

उपासना पूजा खड़ी हो गई लेकिन नशे का बहाना करते हुए पूजा अपने पैर लड़खड़ा कर रखने लगी ।

यह मौका अच्छा था धर्मवीर के लिए धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी हमारे घोड़ी तो तो लंगड़ाने लगी ।

सुनकर पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - यह घोड़ी लंगड़ाने वाली चीज नहीं है ।

सोमनाथ बोला - हमारी शरीफ बेटियां तो मुझे कहीं से भी रंडियों जैसी नहीं दिखी । आपको कुछ दिखा क्या संधीजी ।

धर्मवीर बोला मुझे भी कुछ ऐसा खास नहीं दिखा बस इनकी छातियां थोड़ा बाहर को निकली हुई है ।

सोमनाथ पूजा और उपासना से बोला- अपना पिछवाड़ा हमारी तरफ करो।

यह सुनकर तो लजा गयी दोनों शर्मोहया कूट कूटकर भरी हुई थी दोने में ।
फिर पूजा और उपासना अपना पिछवाड़ा सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ घुमा दिया ।

दोनों के मोटे-मोटे फैले फैले कूल्हों को देख कर धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी मुझे तो लग रहा है कि उन गुंडों ने इनका पिछवाड़ा देख कर ही रंडियां कहा होगा ।

उपासना अपनी गांड को बाहर की तरफ निकालती हुई बोली - पापा जी हमारा पिछवाड़ा रंडियों जैसा है क्या ?


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दोनों का कलेजा मुंह को आ गया जब उपासना की गदरायी हुई जांघे और गांड मुंह खोल कर कर उनका स्वागत कर रही थी।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटा रंडियों जैसा क्यों होगा तुम्हारा तो रंडियों से भी अच्छा है ।

पूजा भोलेपन का नाटक करते हुए करते हुए बोली- रंडियों का पिछवाड़ा कैसा होता है पापा जी ।

धर्मवीर बोला - बेटा कूल्हे थोड़ा बाहर की तरफ निकले हुए होते हैं उनका पिछवाड़ा चलते वक्त मटकता है ऐसा होता है रंडियों का पिछवाड़ा।

यह सुनकर उपासना बड़े कामुक अंदाज में बोली - तो फिर हमारा पिछवाड़ा रंडियों से भी अच्छा कैसे हैं पापा जी ।

यह सुनकर सोमनाथ ने जवाब दिया - बेटी तुम्हारा पिछवाड़ा तो रंडियों से भी ज्यादा निकला हुआ है तुम्हारे कूल्हों का फैलाव गजब है और उसके नीचे नीचे मोटी मोटी जांघे तो रंडियों को पीछे छोड़ देती है।

पूजा - तो इसका मतलब हम रंडियों से भी अच्छी है पापाजी ।

धर्मवीर - तुमसे कोई अच्छा कैसे हो सकता है फिर वो चाहे रंडियां हों या कोई और ।

उपासना भोली बनते हुए - पापाजी ये रंडियां क्या करती हैं वैसे ?
उपासना ने यह बात अपनी आंखें नचाते हुए कही ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को ये लगे कि उपासना नशे में है ।

यह सवाल सुनकर तो धर्मवीर और सोमनाथ दोनों चुप हो गए उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नही सूझ रहा था ।
फिर कुछ देर सोचने के बाद सोमनाथ बोला ।

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सोमनाथ - बेटी रंडियां बैड पर लेटती है ।

पूजा - बैड पर लेटती है ये कैसा काम हुआ पापाजी ।

धर्मवीर - अरे पूजा जी सोमनाथ का कहने का मतलब है कि रंडियां मर्दों के नीचे लेटती हैं बदले में लोग उन्हें पैसे देते है।

उपासना भोलेपन का नाटक करते हुए - अच्छा पापाजी सिर्फ लेटने के पैसे । ऐसे तो हम भी लेट जाती है लो बैड पर हमें भी पैसे दो।

ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ खींचते हुए बैड पर चढ़ गई । बैड पर दोनों लेट गयी । उनकी मोटी मोटी चुचियाँ बड़ी ही कयामत लग रही थी ।

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उपासना - लेटिये पापाजी हमारे ऊपर और फिर हमें ढेर सारे पैसे दीजिये ।

धर्मवीर ओर सोमनाथ के लिए ये एक सुनहरा मौका था । लेकिन सोमनाथ की फट भी रही थी क्योंकि उसे याद था जब उपासना ने उसकी छाती में लात मारकर उसके चंगुल से निकल गयी थी ।दोनों को कदम फूंक फूंककर रखने थे ।

सोमनाथ - बेटी हम कैसे लेट सकते है तूम्हारे ऊपर ?

पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - अब तुझे ये भी हम सिखाएंगी की लेटा कैसे जाता है ।

अपनी छोटी बेटी के मुह से ऐसी भाषा सुनकर सोमनाथ को यकीन ही नही हुआ पर धर्मवीर ने बात संभालते हुए कहा - सोमनाथ जी इन दोनों को नशा हो गया है बियर पीने से , शायद पहली बार पी है इसलिए ।

सोमनाथ - चलो तो समधी जी लेटते है इन घोड़ियों के ऊपर ।

पूजा - घोड़ियों के ऊपर नही रंडियों के ऊपर बोलो ।

सोमनाथ और धर्मवीर जैसे ही बैड के पास आये तो उनके होश उड़ गए । और होश उड़ने लाजमी भी थे जब ऐसी गदरायी घोड़ियां बैड पर सामने पड़ी हो और अपनी चुदाई का निमंत्रण दे रही हो तो अच्छे अच्छो के होश उड़ जाते है ।

सोमनाथ उपासना के ऊपर लेटने लगा और धर्मवीर पूजा के ऊपर ।

उपासना ने अपनी आंखें बंद करली । सोमनाथ और धर्मवीर इस वक्त स्वर्ग जैसा आनंद अनुभव कर रहे थे । सोमनाथ ने उपासना के कंधों को अपने हाथों से पकड़ लिया और धीरे धीरे अपना चेहरा उपासना के चेहरे के पास लाने लगा ।

उपासना की आंखे बंद हो चली थी थी थी सोमनाथ का चेहरा धीरे-धीरे उपासना के चेहरे की तरफ की तरफ बढ़ चुका था ।
उधर उपासना की दिल की धड़कन तेज हो चली थी ।

उपासना ने मन ही मन सोचा - क्या मैं भी इतनी गिरी हुई हूं कि अपनी हवस मिटाने के लिए अपने बाप के नीचे लेटी हुई हूं और अपने आप को रंडी कह रही हूं जबकि मेरे ससुर भी इसी कमरे में है । ऐसा कैसे हो सकता है क्या मैं अपनी मर्यादा भूल चुकी हूं ।
इसी उधेड़बुन में लेटी हुई की उपासना ने जैसे ही सोमनाथ की सांसे अपने होठों पर महसूस हुई उसकी छातियों ऊपर नीचे होना शुरू हो गए।

वही हाल पूजा का भी था पूजा भी धर्मवीर की सांसो को अपने होंटो पर महसूस कर रही थी ।

कमरे का दृश्य बड़ा ही लुभावना और मनमोहक का का देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दो गदरायी हुई घोड़ियां बेड पर पड़ी हुई है उनकी भारी गांड बेड के गद्दे में धंसी हुई है ।दोनों रांडो के ऊपर हट्टे कट्टे तगड़े तंदुरुस्त मर्द चढ़े हुए हैं ।

तभी अचानक उपासना को अपनी चूत पर कुछ चुभता सा महसूस हुआ इतनी अनजान नहीं थी उपासना वह समझ चुकी थी कि है उसके बाप का लोड़ा है जो उसकी चुडक्कड़ बेटी के भोसड़ी पर टिका हुआ सोमनाथ ने देर ना करते हुए उपासना के होठों पर अपने होंठ रख दिए।
जैसे ही सोमनाथ के उपासना के होठों से मिले वैसे ही उपासना ने अपनी आंखें खोल दी और आंखें कुछ इस तरह खुली जैसे सोमनाथ की आंखों को घूर रही हो।
अपने होठों को अपनी बेटी के होठों से मिलाकर सोमनाथ उन आंखों में झांकने लगा ।

उपासना के होंठ किसी शरबत के प्याले से कम नहीं लग रहे थे सोमनाथ को। सोमनाथ आउट ऑफ कंट्रोल होता चला गया और धीरे-धीरे उसके होंठ को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगा , चूसने क्या लगा था था चबाने लगा था ।

दूसरी तरफ धर्मवीर पूजा को तड़पाना चाहता था वह अपने होठों को पूजा के होंठो के पास नहीं ला रहा था और पूजा से यह देखा नहीं गया उसने धर्मवीर का सर पकड़ा और खुद उसके होठों को पीने लगी ।

तकरीबन 5 मिनट तक चले इस सीन में में दोनों बहनों के हैं बहनों के होंठ इतनी बुरी तरह से चूसे गए थे की हल्के हल्के लाल भी पड़ चुके थे उन शरबत के प्यालो को जी भर कर चूसने के बाद धर्मवीर और सोमनाथ ने अपना चेहरा हटाया और दोनों ने उनके गालों को अपने मुंह में भर लिया।

उपासना और पूजा की चूत भी पानी छोड़ने लगेगी चूतों से बहता पानी और तनी हुए चूचियां एक चुदाई की गुहार लगा रही थी लेकिन उपासना के मन में कुछ और ही था ।

सोमनाथ के हाथ उपासना की मोटी मोटी जांघों को सहलाने लगा और जांघो पर चलाते चलाते चलाते हाथ उपासना की चुचियों पर आ गए दूसरी तरफ धर्मवीर के हाथ भी पूजा के पेट से होते हुए बिल्कुल उसकी चूत पर पहुंचे। उसकी चूत पर हाथ रखते ही धर्मवीर समझ गया की पूजा की चूत पर घने बाल हैं यह महसूस करते ही वह रोमांचित हो उठा उत्तेजित हो उठा और उत्तेजना के इस सफर पर चलते हुए उसने पूजा की चूत को मुट्ठी में भर लिया।

अपनी चूत को इस तरह सहलाते देखकर पूजा सिसक उठी दोनों ही बहने मादक रंडियों की तरह सिसियाने लगी थी ।


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तभी उपासना बोली - पापा जी रंडियां ऐसा काम करती हैं क्या ।

यह सुनकर सोमनाथ चुप हो गया लेकिन धर्मवीर बोला - हां बहू रंडियां यही काम करती हैं ।

उपासना बोली यह काम तो गलत है पापा जी और यह कहते हुए उसने सोमनाथ को अपने ऊपर से उठा दिया और खुद भी बैड से खड़ी हो गई।

सोमनाथ का मन हुआ कि उपासना को बेड पर पटक कर चोद ही दें लेकिन उसने सोचा कि बना बनाया खेल कहीं बिगड़ ना जाए इसी डर से वह चुप खड़ा हो गया ।

धर्मवीर ने कहा जैसा तुम ठीक समझो बेटी वह तो तुम पूछ रही थी इसलिए हम तुमको बता रहे थे लगता है । तुम्हारा नशा ढीला हो गया है ऐसा कहकर सोमनाथ और धर्मवीर कमरे से निकलकर अपने कमरे में चले गए।

पूजा पूरी मस्ती में थी और अचानक उपासना के इस बर्ताव से वह झल्लाप पड़ी ।

पूजा - अब क्या हुआ दीदी , आप पहले शुरुआत करती ही क्यों हो । मुझे तो कुछ समझ नही आता ।

उपासना मुस्कुराती हुई - देखो तो कितनी जल्दी है लंड लेने की मेरी शरीफ बहन को । अरे ऐसा मैने इसलिए किया क्योंकि चुदने का प्रोग्राम तो आज रात का है ।

फिर दोनों नहाने के लिए चली गयी जाते जाते उपासना ने पूजा से कहा - अपने जंगल को काटना मत । बड़ा मस्त लग रहा है तेरा फैला हुआ जंगल ।

यह सुनकर पूजा शर्म से लजा गयी ।

उधर कुछ मिनट बीत जाने के बाद धर्मवीर को अपने मोबाइल पर एक संदेश रिसीव हुआ ।
धर्मवीर ने अपना मोबाइल उठाया देखा तो मैसेज उपासना का था।
उपासना ने लिखा था - पापा जी क्या यह ठीक रहेगा जिस लाइन पर हम लोग चल रहे हैं क्या यह लाइन ठीक है, आखिर आप चाहते क्या हैं।

इस पर कुछ देर सोचने के बाद धर्मवीर ने रिप्लाई दिया - इसमें जब दोनों तरफ से रजामंदी है तो फिर हर्ज ही क्या है ।
दोनों तरफ से रजामंदी का मतलब उपासना साफ-साफ समझ रही थी वह जान गई थी कि यह सोमनाथ और उसको लेकर कही गई बात है फिर उपासना ने रिप्लाई किया ।

उपासना - तो फिर आगे का क्या सोचा है ।

धर्मवीर ने मैसेज का रिप्लाई करते हुए कहा - बहु जब भी तुम्हारे पापा तुम्हारे नजदीक आते हैं तुम कोई ना कोई बहाना करके निकल जाती हो ।
मैं समझ रहा हूं कि तुम्हारी मर्यादा तुम्हें खींच कर ले जाती है और रही बात आगे की तो इसका फैसला तुम ही कर सकती हो क्योंकि यह सब तुम्हारे ही हाथ में है ।

इस पर उपासना ने रिप्लाई किया- ठीक है तो आज रात को 10:00 बजे हॉल में आ जाइएगा, लेकिन पापा जी को इस बारे में कुछ मत बताना उनके लिए यह सरप्राइस ही रहने देना ।

यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर खुशी से झूम उठा क्योंकि वह समझ गया था कि पूजा आज उसकी टांगों के नीचे आने से नहीं बच सकती ।
उधर उपासना भी एक्साइटमेंट में कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी पूजा और उपासना दोनों नहा कर निकली नहाने के बाद उन्होंने दोनों हाथों में चूड़ियां पहनी , पैरों में झनकारो वाली पायल पहनी जिससे कि चलते वक्त छन छन की आवाज आये।

फिर कुछ समय बाद उपासना ने दो लॉन्ग स्कर्ट यानी घागरी टाइप में पहनने के लिए ड्रेस निकाली लेकिन यह चुन्नी के कपड़े की बनी हुई ट्रांसपेरेंट घघरी थी, जिसमें से उनकी टांगे साफ साफ दिखाई दे रही थी, अंदर ब्लैक कलर का निक्कर निकाला उपासना ने ।

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निक्कर इसलिए निकाला क्योंकि घघरी ज्यादा पारदर्शी थी और उसमें से साफ साफ दिखाई देता था। ऊपर के लिए उसने एक डिजाइनर ब्लैक कलर की चोली निकाली जो कि उनकी मोटी मोटी चुचियों को ढकने के लिए काफी छोटी थी।

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दोनों ने चेहरे पर मेकअप किया और पैरों में हाई हील की सैंडल पहनली।

रात के 9:30 बज चुके थे आधा घंटा रह चुका था एक चुदाई समारोह होने में , चुदाई समारोह नहीं दोस्तों इसे नंगा नाच कहें तो बेहतर होगा क्योंकि दोनों रंडियां धर्मवीर और सोमनाथ के लौड़ो पर नाचने वाली थी ।

10:00 बजने में अब में अब केवल 15 मिनट बाकी है अब तक सारी तैयारी हो चुकी थी ।
उपासना और पूजा ने बेड शीट चेंज कर दी थी और मोटे मोटे दो तकिए बेड पर रख दिए थे और बेडशीट पर कुछ गुलाब के फूल भी चारों तरफ फैला दिए थे।

और बाहर कॉल में आकर दोनों इंतजार करने लगी आपस में बात करते हुए टाइम निकल गया और अब केवल 5 मिनट बचे थे ।


दूसरी तरफ तो धर्मवीर ने सोमनाथ को कुछ नहीं बताया ।
जब 9:55 बजे तब धर्मवीर कमबख्त बोला - चलो थोड़ी देर बच्चों के साथ बात कर ली जाए ।

फिर सोते हैं ऐसा कहकर धर्मवीर सोमनाथ के साथ नीचे हॉल की तरफ आने लगा ।

उधर उपासना और पूजा भी अपनी बातों में मस्त थीं ।

पूजा उपासना से कह रही थी- दीदी आपने यह ड्रेस कोड कहां से चुना है मुझे तो लगता है इस ड्रेस कोड में कुछ छुपा ही नहीं है देखो तो हमारी टांगे बिल्कुल साफ दिख रहे हैं ।

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उपासना - इसीलिए तो यह ड्रेस चुना है ताकि देख कर तुझे कोई भी कह सकें यह लड़की लंड मांग रही है देख तो तेरी गांड कितनी बेपर्दा दिख रही है।

पूजा - दीदी पहना तो आपने भी यही ड्रेस है और गांड तो आपकी भी बेपर्दा है और रही बात लंड मांगने की तो आपको देख कर हर कोई यही कहेगा की मुह से लेकर गांड तक हर छेद में लंड चाहिए इस कुतिया को।

उपासना पूजा के कंधे पर हाथ मारते हुए हंसते हुए बोली- देख तो अपनी बड़ी बहन को कुत्तिया बोल रही है तुझे पता है जब तू चलती है तो किसी मस्तानी हथिनी की तरह तेरी भारी गांड गांड ऐसे हिचकोले लेती है जैसे रात भर लंड खाकर उठी हो।

तभी दरवाजे पर आहट हुई उपासना समझ गई कि वह दोनों आ चुके हैं उपासना ने जल्दी से पूजा को उठाया और किचन की तरफ भागी ।
दोनों किचन में जाकर खड़ी हो गई ।

धर्मवीर और सोमनाथ आकर कुर्सियों पर बैठ गए ।

धर्मवीर ने आवाज लगाई- उपासना बहू कहां पर हो तुम दोनों ।


लेकिन अंदर उपासना को जब याद आया कि उसने चुन्नी तो ली नहीं है सर ढकने के लिए तो उसने धर्मवीर को मैसेज किया कि हमारे कमरे से दुपट्टा लाकर दे दीजिए ।

धर्मवीर ने दुपट्टा ले जाकर किचन के खिड़की से अंदर फेंक दिया और सोमनाथ की तरफ आते हुए बोले - हमारी बहू भी कितना पर्दा करती है ऐसी संस्कारी बहु भगवान सबको दे ।

सोमनाथ की समझ में यह कुछ नहीं आ रहा था ।
सोमनाथ जानता था कि कितना पर्दा करती है उपासना अपने ससुर से।

तभी दोनों की नजर किचन की तरफ से आती हुई उपासना और पूजा पर गई।
दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि दृश्य ही कुछ ऐसा था उपासना और पूजा के हाथ में एक गिलास दूध था दोनों ने अपना मुंह ढक रखा था दुपट्टे से लेकिन उनकी पारदर्शी ड्रेस में से उनकी टांगे साफ दिख रही थी अपनी मोटी मोटी जांघो का प्रदर्शन करते हुए दोनों बड़ी की मादक चाल चलते हुए सोमनाथ की तरफ बढ़ रही थी ।

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धर्मवीर को सब पता था लेकिन सोमनाथ इस सबसे बेखबर बस मुंह फाड़े उनकी तरफ देखा जा रहा था ।

उपासना ने सोमनाथ की तरफ और पूजा धर्मवीर की तरफ़ जाकर दोनों ने दूध का गिलास धर्मवीर और सोमनाथ को पकड़ा दिया।

चुपचाप सारा दूध पीने के बाद सोमनाथ बोला - बेटी इसकी क्या जरूरत थी। अभी अभी तो हमने खाना खाया था ।

तभी पूजा बोली- पापा जी दूध पीने से ताकत आती है ।

इस पर धर्मवीर बोला - ताकत तो हममें पहले से ही बहुत है ।

उपासना बोली - ताकत तो हमारे अंदर भी है पापा जी और आपसे दो कदम कदम आगे हैं आप की बहु बेटियां ।

इस बात का का मतलब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों समझ चुके लेकिन फिर भी धर्मवीर बोला- हमसे ज्यादा कैसे हो सकती है बहू।

पूजा बोली अभी फैसला हो जाएगा किस में ज्यादा ताकत है यदि आपमें ज्यादा ताकत है तो हमें उठा कर दिखाओ ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ की बांछें खिल गई और दोनों कुर्सी से खड़े होते हुए बोले इसमें क्या बड़ी बात है लो अभी उठा लेते हैं ।

धर्मवीर पूजा को अपनी गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ा और सोमनाथ उपासना को अपनी गोद में उठाने के लिए ।

उपासना और पूजा दोनों की मोटी मोटी जांघो और कमर में हाथ डालते हुए दोनों को किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा लिया । वैसे भी दोनों देखने में ही सांड जैसे लगते थे।


दोनों की भारी भारी गांड उनकी बाजुओं में थी और पूजा और उपासना अपने चेहरे को ढके हुए उन दोनों को देख नहीं पा रही थी लेकिन अंदर ही अंदर दोनों मुस्कुरा पड़ीं ।

जब दोनों ने दोनों घोड़ियों को गोद में उठा लिया तो शरमाते हुए पूजा ने कहा- पापा जी हमें बेडरूम में छोड़ आइए अगर आपने उठा ही लिया है तो।



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इतना सुनकर धर्मवीर बोला- हां हां क्यों नहीं हम तुम्हें तुम्हारे बेड पर छोड़ आते हैं ,
और दोनों उनके कमरों की तरफ बढ़ने लगे कमरे में बेड पर फैले हुए गुलाब के फूल देखकर सोमनाथ बोला - बेटी यह गुलाब के फूल क्यों बिछाए हैं तुमने ।

गोद में बैठी हुई उपासना बोली - पापा जी ऐसे ही बस कोई खास वजह नहीं थी।

दोनों को बेड पर पटक दिया धर्मवीर और सोमनाथ ने।

अब धर्मवीर और सोमनाथ भी बेड पर ही बैठ गए अपने पैर नीचे करके।
.......Be continue


******
आज के लिए इतना ही लिख पाया दोस्तो ।
और हां एक दो लोगों ने कहा था कि ये कहानी चुराई हुई है तो दोस्तों अगर ऐसा है तो प्लीज ओरिजनल लेखक से मुझे मिलवाये । अगर ये कहानी आप लोगो को कही और दिखे और उसके लेखक का नाम रचित नही है तो प्लीज मुझे लिंक जरूर send करें । क्योकि अच्छा नही लगता जब कोई मेहनत पर पानी फेर दे क्योंकि बहुत मेहनत और टाइम खर्च कर रहा हूँ मैं इस कहानी को लिखने में ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद ।

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Amazing so hot update ..
I want next
 

Rachit Chaudhary

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पूजा उपासना से बोली दीदी आप जो तैयारियां कर रही हो पापा जी को कम से कम पता तो होना चाहिए कि जिनकी किस्मत खुलने वाली है।

उपासना बोली - वह इतने भोले नहीं है वह समझ गए होंगे कि दोनों रंडियां चुदने को बेताब है ।

पूजा बोली फिर भी दीदी कोई इशारा तो कर ही देना चाहिए ।
तभी गेट पर किसी की आवाज सुनाई दी वह आवाज धर्मवीर की थी ।

धर्मवीर - लो बेटा कोल्ड ड्रिंक पी लो ।

उपासना ने रिप्लाई किया - पापा जी हम आ रहे हैं आप चलिए डाइनिंग हॉल में ।

इंतजार कर रहे थे धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना का।

मार्केट से आ कर उपासना और पूजा ने कपड़े चेंज कर लिए थे उन्होंने एक शॉर्ट कुर्ता पहना था और नीचे कसी हुई लेकिन पहनी हुई थी । कुर्ता उनके चूतड़ों पर आकर खत्म हो जाता था कहने का मतलब सीधा और साफ है कि कुर्ता उनकी चौड़ी चौड़ी गांड को छुपाने में नाकामयाब था और उनकी भरी हुई मोटी मोटी जांघे उस लेगिंग में लंड पर जलवे बिखेरने के लिए काफी थी।



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तभी दोनों डाइनिंग हॉल में आ गई और आकर खड़ी हो गई ।

सोमनाथ ने चार गिलास में कोल्ड ड्रिंक डाली ।

धर्मवीर के हाथ में बियर की बॉटल देखकर पूजा ने चौक ते हुए कहा- पापा जी आप ड्रिंक करेंगे क्या ?

धर्मवीर धीमी आवाज में बोला- यही एक रास्ता है तुम जैसी रंडियों को बेशर्म बनाने का ।

पूजा - क्या कहा पापा जी ?

पूजा ने यह बात कुछ इस तरह कही जैसे उसे कुछ सुनाई ना दिया हो जबकि सच यह था की पूजा और उपासना दोनों यह सुन लिया था और उन्हें साफ-साफ सुनाई दिया था ।

धर्मवीर एक साथ बोला- मैं यह कह रहा था की हल्की हल्की बीयर पी लेते हैं यदि तुम दोनों को कोई एतराज ना हो तो ।

पूजा और उपासना सुन चुकी थी और वह भी समझ रही थी कि सही ही तो कहा है वरना हमारी तो शर्म खत्म ही नहीं होगी ।

यह सोचते हुए उपासना बोली पापा जी हमें क्या एतराज हो सकता है यदि आप चाहते हैं तो ड्रिंक कर सकते हैं , और वैसे भी तो एक ही बोतल है एक बोतल में तुम दो दो लोग हो आप कर लीजिए ड्रिंक ।

तभी सोमनाथ बोला नहीं बेटा हम ऐसे अपनी शरीफ बेटियों के सामने ड्रिंक नहीं कर सकते सिर्फ एक शर्त पर कर सकते हैं कि यदि तुम भी इसमें से थोड़ा-थोड़ा पियो तो ।

पूजा बोली - इसमें ड्रिंक वाली क्या बात है पापा जी एक ही बीयर तो है आप पी लीजिए ।

धर्मवीर बोला- तभी तो हम कह रहे हैं पूजा की एक ही तो बीयर है चारों लोग पी लेते हैं ।

पूजा बोली- जैसा आप ठीक समझें पापा जी ।

ग्रीन सिग्नल मिल चुका था धर्मवीर और सोमनाथ को।
सोमनाथ ने एक बीयर को चार गिलास में किया। चार गिलास में दोस्तों आधा आधा गिलास ही भर पाया पाया था उस एक बोतल में ।
और चारों ने चियर्स करके आधा आधा गिलास पी लिया ।
आधे आधे गिलास बीयर में किसी को कुछ भी नहीं होने वाला था आप भी समझ सकते हैं दोस्तों कि आधे गिलास बीयर में नशा नाम की कोई चीज ही नहीं हो सकती लेकिन यह बात वह चारों भी अच्छी तरह समझ रहे थे ।

पूरे होशो हवास में चारों लोग बैठे थे लेकिन बहाना बनाते हुए धर्मवीर ने कहा- क्या बात है सोमनाथ जी इतने दिन हो गए मैंने कोई नशा नहीं किया है आज तो पता नहीं मुझे यह पियर चढ़ने लगी है । मुझे कोई होश नहीं है कि मैं कहां हूं और क्या बोल रहा हूं ।

सोमनाथ बोला ऐसी ही कुछ हालत मेरी भी है समधी जी ।

जबकि सच्चाई ये थी दोस्तों दोनों को कुछ भी नहीं था उनको सिर्फ बहाना चाहिए था नशे का जो कि उन्हें मिल चुका था। अपने पूरे होश हवास हवास में धर्मवीर और सोमनाथ बैठे हुए थे लेकिन बहाना नशे का बनाए हुए थे ।

पूजा और उपासना भी पूरे होशो हवास में सामने बैठी थी लेकिन लेकिन तभी पूजा बोली - दीदी मेरी आंखों में में नशा चढ़ने लगा है मुझे भी नहीं पता मैं कहां हूं अगर मेरे मुंह से कुछ गलत निकल जाए तो मुझे माफ करना यह सोच कर कि मैं नशे में हूँ ।

पूजा अच्छी तरह समझ रही थी और उपासना भी कि यह सब नशा एक बहाना है ।

धर्मवीर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा - सोमनाथ जी आज वह गुंडे मार्केट में हमारी बेटियों को क्या कह रहे थे ।

पूजा और उपासना समझ चुकी थी कि बात किस तरफ टर्न हो रही है लेकिन दोनों चुप बैठी रही ।

सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो नशे में कुछ भी याद नहीं है बस इतना ही याद है कि वह हमारी बेटियों को कोई अश्लील शब्द बोल रहे थे ।

धर्मवीर बोला - हां मैंने सुना था हमारी बेटियों को रंडियां बोल रहे थे ।

अब तो पूजा और उपासना के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात थी लेकिन उन्होंने भी नशे का बहाना करते हुए कहा उपासना बोली - कौन कह रहा था पापा जी हमें तो कुछ याद नहीं है ।

सोमनाथ बोला - धर्मवीर जी क्या आपको लगता है कि हमारी बेटियां रंडियों की तरह दिखती है ।

यह सुनकर उपासना और पूजा शर्म से लाल हो गई लेकिन अपनी शर्म को छुपाते हुए और नशे का बहाना करते हुए बोली- ऐसा कैसे हो सकता है पापा जी हम तो बड़ी शरीफ है ।

धर्मवीर बोला - यही तो मैं सोच रहा हूं ऐसा कैसे हो सकता है चलो तुम दोनों एक काम करो खड़ी होकर दिखाओ ।

उपासना पूजा खड़ी हो गई लेकिन नशे का बहाना करते हुए पूजा अपने पैर लड़खड़ा कर रखने लगी ।

यह मौका अच्छा था धर्मवीर के लिए धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी हमारे घोड़ी तो तो लंगड़ाने लगी ।

सुनकर पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - यह घोड़ी लंगड़ाने वाली चीज नहीं है ।

सोमनाथ बोला - हमारी शरीफ बेटियां तो मुझे कहीं से भी रंडियों जैसी नहीं दिखी । आपको कुछ दिखा क्या संधीजी ।

धर्मवीर बोला मुझे भी कुछ ऐसा खास नहीं दिखा बस इनकी छातियां थोड़ा बाहर को निकली हुई है ।

सोमनाथ पूजा और उपासना से बोला- अपना पिछवाड़ा हमारी तरफ करो।

यह सुनकर तो लजा गयी दोनों शर्मोहया कूट कूटकर भरी हुई थी दोने में ।
फिर पूजा और उपासना अपना पिछवाड़ा सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ घुमा दिया ।

दोनों के मोटे-मोटे फैले फैले कूल्हों को देख कर धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी मुझे तो लग रहा है कि उन गुंडों ने इनका पिछवाड़ा देख कर ही रंडियां कहा होगा ।

उपासना अपनी गांड को बाहर की तरफ निकालती हुई बोली - पापा जी हमारा पिछवाड़ा रंडियों जैसा है क्या ?


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दोनों का कलेजा मुंह को आ गया जब उपासना की गदरायी हुई जांघे और गांड मुंह खोल कर कर उनका स्वागत कर रही थी।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटा रंडियों जैसा क्यों होगा तुम्हारा तो रंडियों से भी अच्छा है ।

पूजा भोलेपन का नाटक करते हुए करते हुए बोली- रंडियों का पिछवाड़ा कैसा होता है पापा जी ।

धर्मवीर बोला - बेटा कूल्हे थोड़ा बाहर की तरफ निकले हुए होते हैं उनका पिछवाड़ा चलते वक्त मटकता है ऐसा होता है रंडियों का पिछवाड़ा।

यह सुनकर उपासना बड़े कामुक अंदाज में बोली - तो फिर हमारा पिछवाड़ा रंडियों से भी अच्छा कैसे हैं पापा जी ।

यह सुनकर सोमनाथ ने जवाब दिया - बेटी तुम्हारा पिछवाड़ा तो रंडियों से भी ज्यादा निकला हुआ है तुम्हारे कूल्हों का फैलाव गजब है और उसके नीचे नीचे मोटी मोटी जांघे तो रंडियों को पीछे छोड़ देती है।

पूजा - तो इसका मतलब हम रंडियों से भी अच्छी है पापाजी ।

धर्मवीर - तुमसे कोई अच्छा कैसे हो सकता है फिर वो चाहे रंडियां हों या कोई और ।

उपासना भोली बनते हुए - पापाजी ये रंडियां क्या करती हैं वैसे ?
उपासना ने यह बात अपनी आंखें नचाते हुए कही ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को ये लगे कि उपासना नशे में है ।

यह सवाल सुनकर तो धर्मवीर और सोमनाथ दोनों चुप हो गए उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नही सूझ रहा था ।
फिर कुछ देर सोचने के बाद सोमनाथ बोला ।

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सोमनाथ - बेटी रंडियां बैड पर लेटती है ।

पूजा - बैड पर लेटती है ये कैसा काम हुआ पापाजी ।

धर्मवीर - अरे पूजा जी सोमनाथ का कहने का मतलब है कि रंडियां मर्दों के नीचे लेटती हैं बदले में लोग उन्हें पैसे देते है।

उपासना भोलेपन का नाटक करते हुए - अच्छा पापाजी सिर्फ लेटने के पैसे । ऐसे तो हम भी लेट जाती है लो बैड पर हमें भी पैसे दो।

ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ खींचते हुए बैड पर चढ़ गई । बैड पर दोनों लेट गयी । उनकी मोटी मोटी चुचियाँ बड़ी ही कयामत लग रही थी ।

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उपासना - लेटिये पापाजी हमारे ऊपर और फिर हमें ढेर सारे पैसे दीजिये ।

धर्मवीर ओर सोमनाथ के लिए ये एक सुनहरा मौका था । लेकिन सोमनाथ की फट भी रही थी क्योंकि उसे याद था जब उपासना ने उसकी छाती में लात मारकर उसके चंगुल से निकल गयी थी ।दोनों को कदम फूंक फूंककर रखने थे ।

सोमनाथ - बेटी हम कैसे लेट सकते है तूम्हारे ऊपर ?

पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - अब तुझे ये भी हम सिखाएंगी की लेटा कैसे जाता है ।

अपनी छोटी बेटी के मुह से ऐसी भाषा सुनकर सोमनाथ को यकीन ही नही हुआ पर धर्मवीर ने बात संभालते हुए कहा - सोमनाथ जी इन दोनों को नशा हो गया है बियर पीने से , शायद पहली बार पी है इसलिए ।

सोमनाथ - चलो तो समधी जी लेटते है इन घोड़ियों के ऊपर ।

पूजा - घोड़ियों के ऊपर नही रंडियों के ऊपर बोलो ।

सोमनाथ और धर्मवीर जैसे ही बैड के पास आये तो उनके होश उड़ गए । और होश उड़ने लाजमी भी थे जब ऐसी गदरायी घोड़ियां बैड पर सामने पड़ी हो और अपनी चुदाई का निमंत्रण दे रही हो तो अच्छे अच्छो के होश उड़ जाते है ।

सोमनाथ उपासना के ऊपर लेटने लगा और धर्मवीर पूजा के ऊपर ।

उपासना ने अपनी आंखें बंद करली । सोमनाथ और धर्मवीर इस वक्त स्वर्ग जैसा आनंद अनुभव कर रहे थे । सोमनाथ ने उपासना के कंधों को अपने हाथों से पकड़ लिया और धीरे धीरे अपना चेहरा उपासना के चेहरे के पास लाने लगा ।

उपासना की आंखे बंद हो चली थी थी थी सोमनाथ का चेहरा धीरे-धीरे उपासना के चेहरे की तरफ की तरफ बढ़ चुका था ।
उधर उपासना की दिल की धड़कन तेज हो चली थी ।

उपासना ने मन ही मन सोचा - क्या मैं भी इतनी गिरी हुई हूं कि अपनी हवस मिटाने के लिए अपने बाप के नीचे लेटी हुई हूं और अपने आप को रंडी कह रही हूं जबकि मेरे ससुर भी इसी कमरे में है । ऐसा कैसे हो सकता है क्या मैं अपनी मर्यादा भूल चुकी हूं ।
इसी उधेड़बुन में लेटी हुई की उपासना ने जैसे ही सोमनाथ की सांसे अपने होठों पर महसूस हुई उसकी छातियों ऊपर नीचे होना शुरू हो गए।

वही हाल पूजा का भी था पूजा भी धर्मवीर की सांसो को अपने होंटो पर महसूस कर रही थी ।

कमरे का दृश्य बड़ा ही लुभावना और मनमोहक का का देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दो गदरायी हुई घोड़ियां बेड पर पड़ी हुई है उनकी भारी गांड बेड के गद्दे में धंसी हुई है ।दोनों रांडो के ऊपर हट्टे कट्टे तगड़े तंदुरुस्त मर्द चढ़े हुए हैं ।

तभी अचानक उपासना को अपनी चूत पर कुछ चुभता सा महसूस हुआ इतनी अनजान नहीं थी उपासना वह समझ चुकी थी कि है उसके बाप का लोड़ा है जो उसकी चुडक्कड़ बेटी के भोसड़ी पर टिका हुआ सोमनाथ ने देर ना करते हुए उपासना के होठों पर अपने होंठ रख दिए।
जैसे ही सोमनाथ के उपासना के होठों से मिले वैसे ही उपासना ने अपनी आंखें खोल दी और आंखें कुछ इस तरह खुली जैसे सोमनाथ की आंखों को घूर रही हो।
अपने होठों को अपनी बेटी के होठों से मिलाकर सोमनाथ उन आंखों में झांकने लगा ।

उपासना के होंठ किसी शरबत के प्याले से कम नहीं लग रहे थे सोमनाथ को। सोमनाथ आउट ऑफ कंट्रोल होता चला गया और धीरे-धीरे उसके होंठ को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगा , चूसने क्या लगा था था चबाने लगा था ।

दूसरी तरफ धर्मवीर पूजा को तड़पाना चाहता था वह अपने होठों को पूजा के होंठो के पास नहीं ला रहा था और पूजा से यह देखा नहीं गया उसने धर्मवीर का सर पकड़ा और खुद उसके होठों को पीने लगी ।

तकरीबन 5 मिनट तक चले इस सीन में में दोनों बहनों के हैं बहनों के होंठ इतनी बुरी तरह से चूसे गए थे की हल्के हल्के लाल भी पड़ चुके थे उन शरबत के प्यालो को जी भर कर चूसने के बाद धर्मवीर और सोमनाथ ने अपना चेहरा हटाया और दोनों ने उनके गालों को अपने मुंह में भर लिया।

उपासना और पूजा की चूत भी पानी छोड़ने लगेगी चूतों से बहता पानी और तनी हुए चूचियां एक चुदाई की गुहार लगा रही थी लेकिन उपासना के मन में कुछ और ही था ।

सोमनाथ के हाथ उपासना की मोटी मोटी जांघों को सहलाने लगा और जांघो पर चलाते चलाते चलाते हाथ उपासना की चुचियों पर आ गए दूसरी तरफ धर्मवीर के हाथ भी पूजा के पेट से होते हुए बिल्कुल उसकी चूत पर पहुंचे। उसकी चूत पर हाथ रखते ही धर्मवीर समझ गया की पूजा की चूत पर घने बाल हैं यह महसूस करते ही वह रोमांचित हो उठा उत्तेजित हो उठा और उत्तेजना के इस सफर पर चलते हुए उसने पूजा की चूत को मुट्ठी में भर लिया।

अपनी चूत को इस तरह सहलाते देखकर पूजा सिसक उठी दोनों ही बहने मादक रंडियों की तरह सिसियाने लगी थी ।


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तभी उपासना बोली - पापा जी रंडियां ऐसा काम करती हैं क्या ।

यह सुनकर सोमनाथ चुप हो गया लेकिन धर्मवीर बोला - हां बहू रंडियां यही काम करती हैं ।

उपासना बोली यह काम तो गलत है पापा जी और यह कहते हुए उसने सोमनाथ को अपने ऊपर से उठा दिया और खुद भी बैड से खड़ी हो गई।

सोमनाथ का मन हुआ कि उपासना को बेड पर पटक कर चोद ही दें लेकिन उसने सोचा कि बना बनाया खेल कहीं बिगड़ ना जाए इसी डर से वह चुप खड़ा हो गया ।

धर्मवीर ने कहा जैसा तुम ठीक समझो बेटी वह तो तुम पूछ रही थी इसलिए हम तुमको बता रहे थे लगता है । तुम्हारा नशा ढीला हो गया है ऐसा कहकर सोमनाथ और धर्मवीर कमरे से निकलकर अपने कमरे में चले गए।

पूजा पूरी मस्ती में थी और अचानक उपासना के इस बर्ताव से वह झल्लाप पड़ी ।

पूजा - अब क्या हुआ दीदी , आप पहले शुरुआत करती ही क्यों हो । मुझे तो कुछ समझ नही आता ।

उपासना मुस्कुराती हुई - देखो तो कितनी जल्दी है लंड लेने की मेरी शरीफ बहन को । अरे ऐसा मैने इसलिए किया क्योंकि चुदने का प्रोग्राम तो आज रात का है ।

फिर दोनों नहाने के लिए चली गयी जाते जाते उपासना ने पूजा से कहा - अपने जंगल को काटना मत । बड़ा मस्त लग रहा है तेरा फैला हुआ जंगल ।

यह सुनकर पूजा शर्म से लजा गयी ।

उधर कुछ मिनट बीत जाने के बाद धर्मवीर को अपने मोबाइल पर एक संदेश रिसीव हुआ ।
धर्मवीर ने अपना मोबाइल उठाया देखा तो मैसेज उपासना का था।
उपासना ने लिखा था - पापा जी क्या यह ठीक रहेगा जिस लाइन पर हम लोग चल रहे हैं क्या यह लाइन ठीक है, आखिर आप चाहते क्या हैं।

इस पर कुछ देर सोचने के बाद धर्मवीर ने रिप्लाई दिया - इसमें जब दोनों तरफ से रजामंदी है तो फिर हर्ज ही क्या है ।
दोनों तरफ से रजामंदी का मतलब उपासना साफ-साफ समझ रही थी वह जान गई थी कि यह सोमनाथ और उसको लेकर कही गई बात है फिर उपासना ने रिप्लाई किया ।

उपासना - तो फिर आगे का क्या सोचा है ।

धर्मवीर ने मैसेज का रिप्लाई करते हुए कहा - बहु जब भी तुम्हारे पापा तुम्हारे नजदीक आते हैं तुम कोई ना कोई बहाना करके निकल जाती हो ।
मैं समझ रहा हूं कि तुम्हारी मर्यादा तुम्हें खींच कर ले जाती है और रही बात आगे की तो इसका फैसला तुम ही कर सकती हो क्योंकि यह सब तुम्हारे ही हाथ में है ।

इस पर उपासना ने रिप्लाई किया- ठीक है तो आज रात को 10:00 बजे हॉल में आ जाइएगा, लेकिन पापा जी को इस बारे में कुछ मत बताना उनके लिए यह सरप्राइस ही रहने देना ।

यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर खुशी से झूम उठा क्योंकि वह समझ गया था कि पूजा आज उसकी टांगों के नीचे आने से नहीं बच सकती ।
उधर उपासना भी एक्साइटमेंट में कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी पूजा और उपासना दोनों नहा कर निकली नहाने के बाद उन्होंने दोनों हाथों में चूड़ियां पहनी , पैरों में झनकारो वाली पायल पहनी जिससे कि चलते वक्त छन छन की आवाज आये।

फिर कुछ समय बाद उपासना ने दो लॉन्ग स्कर्ट यानी घागरी टाइप में पहनने के लिए ड्रेस निकाली लेकिन यह चुन्नी के कपड़े की बनी हुई ट्रांसपेरेंट घघरी थी, जिसमें से उनकी टांगे साफ साफ दिखाई दे रही थी, अंदर ब्लैक कलर का निक्कर निकाला उपासना ने ।

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निक्कर इसलिए निकाला क्योंकि घघरी ज्यादा पारदर्शी थी और उसमें से साफ साफ दिखाई देता था। ऊपर के लिए उसने एक डिजाइनर ब्लैक कलर की चोली निकाली जो कि उनकी मोटी मोटी चुचियों को ढकने के लिए काफी छोटी थी।

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दोनों ने चेहरे पर मेकअप किया और पैरों में हाई हील की सैंडल पहनली।

रात के 9:30 बज चुके थे आधा घंटा रह चुका था एक चुदाई समारोह होने में , चुदाई समारोह नहीं दोस्तों इसे नंगा नाच कहें तो बेहतर होगा क्योंकि दोनों रंडियां धर्मवीर और सोमनाथ के लौड़ो पर नाचने वाली थी ।

10:00 बजने में अब में अब केवल 15 मिनट बाकी है अब तक सारी तैयारी हो चुकी थी ।
उपासना और पूजा ने बेड शीट चेंज कर दी थी और मोटे मोटे दो तकिए बेड पर रख दिए थे और बेडशीट पर कुछ गुलाब के फूल भी चारों तरफ फैला दिए थे।

और बाहर कॉल में आकर दोनों इंतजार करने लगी आपस में बात करते हुए टाइम निकल गया और अब केवल 5 मिनट बचे थे ।


दूसरी तरफ तो धर्मवीर ने सोमनाथ को कुछ नहीं बताया ।
जब 9:55 बजे तब धर्मवीर कमबख्त बोला - चलो थोड़ी देर बच्चों के साथ बात कर ली जाए ।

फिर सोते हैं ऐसा कहकर धर्मवीर सोमनाथ के साथ नीचे हॉल की तरफ आने लगा ।

उधर उपासना और पूजा भी अपनी बातों में मस्त थीं ।

पूजा उपासना से कह रही थी- दीदी आपने यह ड्रेस कोड कहां से चुना है मुझे तो लगता है इस ड्रेस कोड में कुछ छुपा ही नहीं है देखो तो हमारी टांगे बिल्कुल साफ दिख रहे हैं ।

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उपासना - इसीलिए तो यह ड्रेस चुना है ताकि देख कर तुझे कोई भी कह सकें यह लड़की लंड मांग रही है देख तो तेरी गांड कितनी बेपर्दा दिख रही है।

पूजा - दीदी पहना तो आपने भी यही ड्रेस है और गांड तो आपकी भी बेपर्दा है और रही बात लंड मांगने की तो आपको देख कर हर कोई यही कहेगा की मुह से लेकर गांड तक हर छेद में लंड चाहिए इस कुतिया को।

उपासना पूजा के कंधे पर हाथ मारते हुए हंसते हुए बोली- देख तो अपनी बड़ी बहन को कुत्तिया बोल रही है तुझे पता है जब तू चलती है तो किसी मस्तानी हथिनी की तरह तेरी भारी गांड गांड ऐसे हिचकोले लेती है जैसे रात भर लंड खाकर उठी हो।

तभी दरवाजे पर आहट हुई उपासना समझ गई कि वह दोनों आ चुके हैं उपासना ने जल्दी से पूजा को उठाया और किचन की तरफ भागी ।
दोनों किचन में जाकर खड़ी हो गई ।

धर्मवीर और सोमनाथ आकर कुर्सियों पर बैठ गए ।

धर्मवीर ने आवाज लगाई- उपासना बहू कहां पर हो तुम दोनों ।


लेकिन अंदर उपासना को जब याद आया कि उसने चुन्नी तो ली नहीं है सर ढकने के लिए तो उसने धर्मवीर को मैसेज किया कि हमारे कमरे से दुपट्टा लाकर दे दीजिए ।

धर्मवीर ने दुपट्टा ले जाकर किचन के खिड़की से अंदर फेंक दिया और सोमनाथ की तरफ आते हुए बोले - हमारी बहू भी कितना पर्दा करती है ऐसी संस्कारी बहु भगवान सबको दे ।

सोमनाथ की समझ में यह कुछ नहीं आ रहा था ।
सोमनाथ जानता था कि कितना पर्दा करती है उपासना अपने ससुर से।

तभी दोनों की नजर किचन की तरफ से आती हुई उपासना और पूजा पर गई।
दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि दृश्य ही कुछ ऐसा था उपासना और पूजा के हाथ में एक गिलास दूध था दोनों ने अपना मुंह ढक रखा था दुपट्टे से लेकिन उनकी पारदर्शी ड्रेस में से उनकी टांगे साफ दिख रही थी अपनी मोटी मोटी जांघो का प्रदर्शन करते हुए दोनों बड़ी की मादक चाल चलते हुए सोमनाथ की तरफ बढ़ रही थी ।

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धर्मवीर को सब पता था लेकिन सोमनाथ इस सबसे बेखबर बस मुंह फाड़े उनकी तरफ देखा जा रहा था ।

उपासना ने सोमनाथ की तरफ और पूजा धर्मवीर की तरफ़ जाकर दोनों ने दूध का गिलास धर्मवीर और सोमनाथ को पकड़ा दिया।

चुपचाप सारा दूध पीने के बाद सोमनाथ बोला - बेटी इसकी क्या जरूरत थी। अभी अभी तो हमने खाना खाया था ।

तभी पूजा बोली- पापा जी दूध पीने से ताकत आती है ।

इस पर धर्मवीर बोला - ताकत तो हममें पहले से ही बहुत है ।

उपासना बोली - ताकत तो हमारे अंदर भी है पापा जी और आपसे दो कदम कदम आगे हैं आप की बहु बेटियां ।

इस बात का का मतलब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों समझ चुके लेकिन फिर भी धर्मवीर बोला- हमसे ज्यादा कैसे हो सकती है बहू।

पूजा बोली अभी फैसला हो जाएगा किस में ज्यादा ताकत है यदि आपमें ज्यादा ताकत है तो हमें उठा कर दिखाओ ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ की बांछें खिल गई और दोनों कुर्सी से खड़े होते हुए बोले इसमें क्या बड़ी बात है लो अभी उठा लेते हैं ।

धर्मवीर पूजा को अपनी गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ा और सोमनाथ उपासना को अपनी गोद में उठाने के लिए ।

उपासना और पूजा दोनों की मोटी मोटी जांघो और कमर में हाथ डालते हुए दोनों को किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा लिया । वैसे भी दोनों देखने में ही सांड जैसे लगते थे।


दोनों की भारी भारी गांड उनकी बाजुओं में थी और पूजा और उपासना अपने चेहरे को ढके हुए उन दोनों को देख नहीं पा रही थी लेकिन अंदर ही अंदर दोनों मुस्कुरा पड़ीं ।

जब दोनों ने दोनों घोड़ियों को गोद में उठा लिया तो शरमाते हुए पूजा ने कहा- पापा जी हमें बेडरूम में छोड़ आइए अगर आपने उठा ही लिया है तो।



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इतना सुनकर धर्मवीर बोला- हां हां क्यों नहीं हम तुम्हें तुम्हारे बेड पर छोड़ आते हैं ,
और दोनों उनके कमरों की तरफ बढ़ने लगे कमरे में बेड पर फैले हुए गुलाब के फूल देखकर सोमनाथ बोला - बेटी यह गुलाब के फूल क्यों बिछाए हैं तुमने ।

गोद में बैठी हुई उपासना बोली - पापा जी ऐसे ही बस कोई खास वजह नहीं थी।

दोनों को बेड पर पटक दिया धर्मवीर और सोमनाथ ने।

अब धर्मवीर और सोमनाथ भी बेड पर ही बैठ गए अपने पैर नीचे करके।
.......Be continue


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आज के लिए इतना ही लिख पाया दोस्तो ।
और हां एक दो लोगों ने कहा था कि ये कहानी चुराई हुई है तो दोस्तों अगर ऐसा है तो प्लीज ओरिजनल लेखक से मुझे मिलवाये । अगर ये कहानी आप लोगो को कही और दिखे और उसके लेखक का नाम रचित नही है तो प्लीज मुझे लिंक जरूर send करें । क्योकि अच्छा नही लगता जब कोई मेहनत पर पानी फेर दे क्योंकि बहुत मेहनत और टाइम खर्च कर रहा हूँ मैं इस कहानी को लिखने में ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद ।

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Superb update
 

malikarman

Well-Known Member
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Update : 22

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दोस्तों माफी चाहता हूं बहुत प्रतीक्षा कराई update के लिए ।
पर याब एक वीक में 2 या 3 update जरूर आएंगे ।
तो चलिए बढ़ते हैं कहानी की तरफ ।

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शाम के 4:00 बज रहे थे आधा घंटा हो चुका था मार्केट से आए हुए ।
पूजा उपासना से बोली दीदी आप जो तैयारियां कर रही हो पापा जी को कम से कम पता तो होना चाहिए कि जिनकी किस्मत खुलने वाली है।

उपासना बोली - वह इतने भोले नहीं है वह समझ गए होंगे कि दोनों रंडियां चुदने को बेताब है ।

पूजा बोली फिर भी दीदी कोई इशारा तो कर ही देना चाहिए ।
तभी गेट पर किसी की आवाज सुनाई दी वह आवाज धर्मवीर की थी ।

धर्मवीर - लो बेटा कोल्ड ड्रिंक पी लो ।

उपासना ने रिप्लाई किया - पापा जी हम आ रहे हैं आप चलिए डाइनिंग हॉल में ।

इंतजार कर रहे थे धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना का।

मार्केट से आ कर उपासना और पूजा ने कपड़े चेंज कर लिए थे उन्होंने एक शॉर्ट कुर्ता पहना था और नीचे कसी हुई लेकिन पहनी हुई थी । कुर्ता उनके चूतड़ों पर आकर खत्म हो जाता था कहने का मतलब सीधा और साफ है कि कुर्ता उनकी चौड़ी चौड़ी गांड को छुपाने में नाकामयाब था और उनकी भरी हुई मोटी मोटी जांघे उस लेगिंग में लंड पर जलवे बिखेरने के लिए काफी थी।



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तभी दोनों डाइनिंग हॉल में आ गई और आकर खड़ी हो गई ।

सोमनाथ ने चार गिलास में कोल्ड ड्रिंक डाली ।

धर्मवीर के हाथ में बियर की बॉटल देखकर पूजा ने चौक ते हुए कहा- पापा जी आप ड्रिंक करेंगे क्या ?

धर्मवीर धीमी आवाज में बोला- यही एक रास्ता है तुम जैसी रंडियों को बेशर्म बनाने का ।

पूजा - क्या कहा पापा जी ?

पूजा ने यह बात कुछ इस तरह कही जैसे उसे कुछ सुनाई ना दिया हो जबकि सच यह था की पूजा और उपासना दोनों यह सुन लिया था और उन्हें साफ-साफ सुनाई दिया था ।

धर्मवीर एक साथ बोला- मैं यह कह रहा था की हल्की हल्की बीयर पी लेते हैं यदि तुम दोनों को कोई एतराज ना हो तो ।

पूजा और उपासना सुन चुकी थी और वह भी समझ रही थी कि सही ही तो कहा है वरना हमारी तो शर्म खत्म ही नहीं होगी ।

यह सोचते हुए उपासना बोली पापा जी हमें क्या एतराज हो सकता है यदि आप चाहते हैं तो ड्रिंक कर सकते हैं , और वैसे भी तो एक ही बोतल है एक बोतल में तुम दो दो लोग हो आप कर लीजिए ड्रिंक ।

तभी सोमनाथ बोला नहीं बेटा हम ऐसे अपनी शरीफ बेटियों के सामने ड्रिंक नहीं कर सकते सिर्फ एक शर्त पर कर सकते हैं कि यदि तुम भी इसमें से थोड़ा-थोड़ा पियो तो ।

पूजा बोली - इसमें ड्रिंक वाली क्या बात है पापा जी एक ही बीयर तो है आप पी लीजिए ।

धर्मवीर बोला- तभी तो हम कह रहे हैं पूजा की एक ही तो बीयर है चारों लोग पी लेते हैं ।

पूजा बोली- जैसा आप ठीक समझें पापा जी ।

ग्रीन सिग्नल मिल चुका था धर्मवीर और सोमनाथ को।
सोमनाथ ने एक बीयर को चार गिलास में किया। चार गिलास में दोस्तों आधा आधा गिलास ही भर पाया पाया था उस एक बोतल में ।
और चारों ने चियर्स करके आधा आधा गिलास पी लिया ।
आधे आधे गिलास बीयर में किसी को कुछ भी नहीं होने वाला था आप भी समझ सकते हैं दोस्तों कि आधे गिलास बीयर में नशा नाम की कोई चीज ही नहीं हो सकती लेकिन यह बात वह चारों भी अच्छी तरह समझ रहे थे ।

पूरे होशो हवास में चारों लोग बैठे थे लेकिन बहाना बनाते हुए धर्मवीर ने कहा- क्या बात है सोमनाथ जी इतने दिन हो गए मैंने कोई नशा नहीं किया है आज तो पता नहीं मुझे यह पियर चढ़ने लगी है । मुझे कोई होश नहीं है कि मैं कहां हूं और क्या बोल रहा हूं ।

सोमनाथ बोला ऐसी ही कुछ हालत मेरी भी है समधी जी ।

जबकि सच्चाई ये थी दोस्तों दोनों को कुछ भी नहीं था उनको सिर्फ बहाना चाहिए था नशे का जो कि उन्हें मिल चुका था। अपने पूरे होश हवास हवास में धर्मवीर और सोमनाथ बैठे हुए थे लेकिन बहाना नशे का बनाए हुए थे ।

पूजा और उपासना भी पूरे होशो हवास में सामने बैठी थी लेकिन लेकिन तभी पूजा बोली - दीदी मेरी आंखों में में नशा चढ़ने लगा है मुझे भी नहीं पता मैं कहां हूं अगर मेरे मुंह से कुछ गलत निकल जाए तो मुझे माफ करना यह सोच कर कि मैं नशे में हूँ ।

पूजा अच्छी तरह समझ रही थी और उपासना भी कि यह सब नशा एक बहाना है ।

धर्मवीर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा - सोमनाथ जी आज वह गुंडे मार्केट में हमारी बेटियों को क्या कह रहे थे ।

पूजा और उपासना समझ चुकी थी कि बात किस तरफ टर्न हो रही है लेकिन दोनों चुप बैठी रही ।

सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो नशे में कुछ भी याद नहीं है बस इतना ही याद है कि वह हमारी बेटियों को कोई अश्लील शब्द बोल रहे थे ।

धर्मवीर बोला - हां मैंने सुना था हमारी बेटियों को रंडियां बोल रहे थे ।

अब तो पूजा और उपासना के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात थी लेकिन उन्होंने भी नशे का बहाना करते हुए कहा उपासना बोली - कौन कह रहा था पापा जी हमें तो कुछ याद नहीं है ।

सोमनाथ बोला - धर्मवीर जी क्या आपको लगता है कि हमारी बेटियां रंडियों की तरह दिखती है ।

यह सुनकर उपासना और पूजा शर्म से लाल हो गई लेकिन अपनी शर्म को छुपाते हुए और नशे का बहाना करते हुए बोली- ऐसा कैसे हो सकता है पापा जी हम तो बड़ी शरीफ है ।

धर्मवीर बोला - यही तो मैं सोच रहा हूं ऐसा कैसे हो सकता है चलो तुम दोनों एक काम करो खड़ी होकर दिखाओ ।

उपासना पूजा खड़ी हो गई लेकिन नशे का बहाना करते हुए पूजा अपने पैर लड़खड़ा कर रखने लगी ।

यह मौका अच्छा था धर्मवीर के लिए धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी हमारे घोड़ी तो तो लंगड़ाने लगी ।

सुनकर पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - यह घोड़ी लंगड़ाने वाली चीज नहीं है ।

सोमनाथ बोला - हमारी शरीफ बेटियां तो मुझे कहीं से भी रंडियों जैसी नहीं दिखी । आपको कुछ दिखा क्या संधीजी ।

धर्मवीर बोला मुझे भी कुछ ऐसा खास नहीं दिखा बस इनकी छातियां थोड़ा बाहर को निकली हुई है ।

सोमनाथ पूजा और उपासना से बोला- अपना पिछवाड़ा हमारी तरफ करो।

यह सुनकर तो लजा गयी दोनों शर्मोहया कूट कूटकर भरी हुई थी दोने में ।
फिर पूजा और उपासना अपना पिछवाड़ा सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ घुमा दिया ।

दोनों के मोटे-मोटे फैले फैले कूल्हों को देख कर धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी मुझे तो लग रहा है कि उन गुंडों ने इनका पिछवाड़ा देख कर ही रंडियां कहा होगा ।

उपासना अपनी गांड को बाहर की तरफ निकालती हुई बोली - पापा जी हमारा पिछवाड़ा रंडियों जैसा है क्या ?


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दोनों का कलेजा मुंह को आ गया जब उपासना की गदरायी हुई जांघे और गांड मुंह खोल कर कर उनका स्वागत कर रही थी।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटा रंडियों जैसा क्यों होगा तुम्हारा तो रंडियों से भी अच्छा है ।

पूजा भोलेपन का नाटक करते हुए करते हुए बोली- रंडियों का पिछवाड़ा कैसा होता है पापा जी ।

धर्मवीर बोला - बेटा कूल्हे थोड़ा बाहर की तरफ निकले हुए होते हैं उनका पिछवाड़ा चलते वक्त मटकता है ऐसा होता है रंडियों का पिछवाड़ा।

यह सुनकर उपासना बड़े कामुक अंदाज में बोली - तो फिर हमारा पिछवाड़ा रंडियों से भी अच्छा कैसे हैं पापा जी ।

यह सुनकर सोमनाथ ने जवाब दिया - बेटी तुम्हारा पिछवाड़ा तो रंडियों से भी ज्यादा निकला हुआ है तुम्हारे कूल्हों का फैलाव गजब है और उसके नीचे नीचे मोटी मोटी जांघे तो रंडियों को पीछे छोड़ देती है।

पूजा - तो इसका मतलब हम रंडियों से भी अच्छी है पापाजी ।

धर्मवीर - तुमसे कोई अच्छा कैसे हो सकता है फिर वो चाहे रंडियां हों या कोई और ।

उपासना भोली बनते हुए - पापाजी ये रंडियां क्या करती हैं वैसे ?
उपासना ने यह बात अपनी आंखें नचाते हुए कही ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को ये लगे कि उपासना नशे में है ।

यह सवाल सुनकर तो धर्मवीर और सोमनाथ दोनों चुप हो गए उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नही सूझ रहा था ।
फिर कुछ देर सोचने के बाद सोमनाथ बोला ।

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सोमनाथ - बेटी रंडियां बैड पर लेटती है ।

पूजा - बैड पर लेटती है ये कैसा काम हुआ पापाजी ।

धर्मवीर - अरे पूजा जी सोमनाथ का कहने का मतलब है कि रंडियां मर्दों के नीचे लेटती हैं बदले में लोग उन्हें पैसे देते है।

उपासना भोलेपन का नाटक करते हुए - अच्छा पापाजी सिर्फ लेटने के पैसे । ऐसे तो हम भी लेट जाती है लो बैड पर हमें भी पैसे दो।

ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ खींचते हुए बैड पर चढ़ गई । बैड पर दोनों लेट गयी । उनकी मोटी मोटी चुचियाँ बड़ी ही कयामत लग रही थी ।

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उपासना - लेटिये पापाजी हमारे ऊपर और फिर हमें ढेर सारे पैसे दीजिये ।

धर्मवीर ओर सोमनाथ के लिए ये एक सुनहरा मौका था । लेकिन सोमनाथ की फट भी रही थी क्योंकि उसे याद था जब उपासना ने उसकी छाती में लात मारकर उसके चंगुल से निकल गयी थी ।दोनों को कदम फूंक फूंककर रखने थे ।

सोमनाथ - बेटी हम कैसे लेट सकते है तूम्हारे ऊपर ?

पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - अब तुझे ये भी हम सिखाएंगी की लेटा कैसे जाता है ।

अपनी छोटी बेटी के मुह से ऐसी भाषा सुनकर सोमनाथ को यकीन ही नही हुआ पर धर्मवीर ने बात संभालते हुए कहा - सोमनाथ जी इन दोनों को नशा हो गया है बियर पीने से , शायद पहली बार पी है इसलिए ।

सोमनाथ - चलो तो समधी जी लेटते है इन घोड़ियों के ऊपर ।

पूजा - घोड़ियों के ऊपर नही रंडियों के ऊपर बोलो ।

सोमनाथ और धर्मवीर जैसे ही बैड के पास आये तो उनके होश उड़ गए । और होश उड़ने लाजमी भी थे जब ऐसी गदरायी घोड़ियां बैड पर सामने पड़ी हो और अपनी चुदाई का निमंत्रण दे रही हो तो अच्छे अच्छो के होश उड़ जाते है ।

सोमनाथ उपासना के ऊपर लेटने लगा और धर्मवीर पूजा के ऊपर ।

उपासना ने अपनी आंखें बंद करली । सोमनाथ और धर्मवीर इस वक्त स्वर्ग जैसा आनंद अनुभव कर रहे थे । सोमनाथ ने उपासना के कंधों को अपने हाथों से पकड़ लिया और धीरे धीरे अपना चेहरा उपासना के चेहरे के पास लाने लगा ।

उपासना की आंखे बंद हो चली थी थी थी सोमनाथ का चेहरा धीरे-धीरे उपासना के चेहरे की तरफ की तरफ बढ़ चुका था ।
उधर उपासना की दिल की धड़कन तेज हो चली थी ।

उपासना ने मन ही मन सोचा - क्या मैं भी इतनी गिरी हुई हूं कि अपनी हवस मिटाने के लिए अपने बाप के नीचे लेटी हुई हूं और अपने आप को रंडी कह रही हूं जबकि मेरे ससुर भी इसी कमरे में है । ऐसा कैसे हो सकता है क्या मैं अपनी मर्यादा भूल चुकी हूं ।
इसी उधेड़बुन में लेटी हुई की उपासना ने जैसे ही सोमनाथ की सांसे अपने होठों पर महसूस हुई उसकी छातियों ऊपर नीचे होना शुरू हो गए।

वही हाल पूजा का भी था पूजा भी धर्मवीर की सांसो को अपने होंटो पर महसूस कर रही थी ।

कमरे का दृश्य बड़ा ही लुभावना और मनमोहक का का देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दो गदरायी हुई घोड़ियां बेड पर पड़ी हुई है उनकी भारी गांड बेड के गद्दे में धंसी हुई है ।दोनों रांडो के ऊपर हट्टे कट्टे तगड़े तंदुरुस्त मर्द चढ़े हुए हैं ।

तभी अचानक उपासना को अपनी चूत पर कुछ चुभता सा महसूस हुआ इतनी अनजान नहीं थी उपासना वह समझ चुकी थी कि है उसके बाप का लोड़ा है जो उसकी चुडक्कड़ बेटी के भोसड़ी पर टिका हुआ सोमनाथ ने देर ना करते हुए उपासना के होठों पर अपने होंठ रख दिए।
जैसे ही सोमनाथ के उपासना के होठों से मिले वैसे ही उपासना ने अपनी आंखें खोल दी और आंखें कुछ इस तरह खुली जैसे सोमनाथ की आंखों को घूर रही हो।
अपने होठों को अपनी बेटी के होठों से मिलाकर सोमनाथ उन आंखों में झांकने लगा ।

उपासना के होंठ किसी शरबत के प्याले से कम नहीं लग रहे थे सोमनाथ को। सोमनाथ आउट ऑफ कंट्रोल होता चला गया और धीरे-धीरे उसके होंठ को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगा , चूसने क्या लगा था था चबाने लगा था ।

दूसरी तरफ धर्मवीर पूजा को तड़पाना चाहता था वह अपने होठों को पूजा के होंठो के पास नहीं ला रहा था और पूजा से यह देखा नहीं गया उसने धर्मवीर का सर पकड़ा और खुद उसके होठों को पीने लगी ।

तकरीबन 5 मिनट तक चले इस सीन में में दोनों बहनों के हैं बहनों के होंठ इतनी बुरी तरह से चूसे गए थे की हल्के हल्के लाल भी पड़ चुके थे उन शरबत के प्यालो को जी भर कर चूसने के बाद धर्मवीर और सोमनाथ ने अपना चेहरा हटाया और दोनों ने उनके गालों को अपने मुंह में भर लिया।

उपासना और पूजा की चूत भी पानी छोड़ने लगेगी चूतों से बहता पानी और तनी हुए चूचियां एक चुदाई की गुहार लगा रही थी लेकिन उपासना के मन में कुछ और ही था ।

सोमनाथ के हाथ उपासना की मोटी मोटी जांघों को सहलाने लगा और जांघो पर चलाते चलाते चलाते हाथ उपासना की चुचियों पर आ गए दूसरी तरफ धर्मवीर के हाथ भी पूजा के पेट से होते हुए बिल्कुल उसकी चूत पर पहुंचे। उसकी चूत पर हाथ रखते ही धर्मवीर समझ गया की पूजा की चूत पर घने बाल हैं यह महसूस करते ही वह रोमांचित हो उठा उत्तेजित हो उठा और उत्तेजना के इस सफर पर चलते हुए उसने पूजा की चूत को मुट्ठी में भर लिया।

अपनी चूत को इस तरह सहलाते देखकर पूजा सिसक उठी दोनों ही बहने मादक रंडियों की तरह सिसियाने लगी थी ।


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तभी उपासना बोली - पापा जी रंडियां ऐसा काम करती हैं क्या ।

यह सुनकर सोमनाथ चुप हो गया लेकिन धर्मवीर बोला - हां बहू रंडियां यही काम करती हैं ।

उपासना बोली यह काम तो गलत है पापा जी और यह कहते हुए उसने सोमनाथ को अपने ऊपर से उठा दिया और खुद भी बैड से खड़ी हो गई।

सोमनाथ का मन हुआ कि उपासना को बेड पर पटक कर चोद ही दें लेकिन उसने सोचा कि बना बनाया खेल कहीं बिगड़ ना जाए इसी डर से वह चुप खड़ा हो गया ।

धर्मवीर ने कहा जैसा तुम ठीक समझो बेटी वह तो तुम पूछ रही थी इसलिए हम तुमको बता रहे थे लगता है । तुम्हारा नशा ढीला हो गया है ऐसा कहकर सोमनाथ और धर्मवीर कमरे से निकलकर अपने कमरे में चले गए।

पूजा पूरी मस्ती में थी और अचानक उपासना के इस बर्ताव से वह झल्लाप पड़ी ।

पूजा - अब क्या हुआ दीदी , आप पहले शुरुआत करती ही क्यों हो । मुझे तो कुछ समझ नही आता ।

उपासना मुस्कुराती हुई - देखो तो कितनी जल्दी है लंड लेने की मेरी शरीफ बहन को । अरे ऐसा मैने इसलिए किया क्योंकि चुदने का प्रोग्राम तो आज रात का है ।

फिर दोनों नहाने के लिए चली गयी जाते जाते उपासना ने पूजा से कहा - अपने जंगल को काटना मत । बड़ा मस्त लग रहा है तेरा फैला हुआ जंगल ।

यह सुनकर पूजा शर्म से लजा गयी ।

उधर कुछ मिनट बीत जाने के बाद धर्मवीर को अपने मोबाइल पर एक संदेश रिसीव हुआ ।
धर्मवीर ने अपना मोबाइल उठाया देखा तो मैसेज उपासना का था।
उपासना ने लिखा था - पापा जी क्या यह ठीक रहेगा जिस लाइन पर हम लोग चल रहे हैं क्या यह लाइन ठीक है, आखिर आप चाहते क्या हैं।

इस पर कुछ देर सोचने के बाद धर्मवीर ने रिप्लाई दिया - इसमें जब दोनों तरफ से रजामंदी है तो फिर हर्ज ही क्या है ।
दोनों तरफ से रजामंदी का मतलब उपासना साफ-साफ समझ रही थी वह जान गई थी कि यह सोमनाथ और उसको लेकर कही गई बात है फिर उपासना ने रिप्लाई किया ।

उपासना - तो फिर आगे का क्या सोचा है ।

धर्मवीर ने मैसेज का रिप्लाई करते हुए कहा - बहु जब भी तुम्हारे पापा तुम्हारे नजदीक आते हैं तुम कोई ना कोई बहाना करके निकल जाती हो ।
मैं समझ रहा हूं कि तुम्हारी मर्यादा तुम्हें खींच कर ले जाती है और रही बात आगे की तो इसका फैसला तुम ही कर सकती हो क्योंकि यह सब तुम्हारे ही हाथ में है ।

इस पर उपासना ने रिप्लाई किया- ठीक है तो आज रात को 10:00 बजे हॉल में आ जाइएगा, लेकिन पापा जी को इस बारे में कुछ मत बताना उनके लिए यह सरप्राइस ही रहने देना ।

यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर खुशी से झूम उठा क्योंकि वह समझ गया था कि पूजा आज उसकी टांगों के नीचे आने से नहीं बच सकती ।
उधर उपासना भी एक्साइटमेंट में कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी पूजा और उपासना दोनों नहा कर निकली नहाने के बाद उन्होंने दोनों हाथों में चूड़ियां पहनी , पैरों में झनकारो वाली पायल पहनी जिससे कि चलते वक्त छन छन की आवाज आये।

फिर कुछ समय बाद उपासना ने दो लॉन्ग स्कर्ट यानी घागरी टाइप में पहनने के लिए ड्रेस निकाली लेकिन यह चुन्नी के कपड़े की बनी हुई ट्रांसपेरेंट घघरी थी, जिसमें से उनकी टांगे साफ साफ दिखाई दे रही थी, अंदर ब्लैक कलर का निक्कर निकाला उपासना ने ।

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निक्कर इसलिए निकाला क्योंकि घघरी ज्यादा पारदर्शी थी और उसमें से साफ साफ दिखाई देता था। ऊपर के लिए उसने एक डिजाइनर ब्लैक कलर की चोली निकाली जो कि उनकी मोटी मोटी चुचियों को ढकने के लिए काफी छोटी थी।

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दोनों ने चेहरे पर मेकअप किया और पैरों में हाई हील की सैंडल पहनली।

रात के 9:30 बज चुके थे आधा घंटा रह चुका था एक चुदाई समारोह होने में , चुदाई समारोह नहीं दोस्तों इसे नंगा नाच कहें तो बेहतर होगा क्योंकि दोनों रंडियां धर्मवीर और सोमनाथ के लौड़ो पर नाचने वाली थी ।

10:00 बजने में अब में अब केवल 15 मिनट बाकी है अब तक सारी तैयारी हो चुकी थी ।
उपासना और पूजा ने बेड शीट चेंज कर दी थी और मोटे मोटे दो तकिए बेड पर रख दिए थे और बेडशीट पर कुछ गुलाब के फूल भी चारों तरफ फैला दिए थे।

और बाहर कॉल में आकर दोनों इंतजार करने लगी आपस में बात करते हुए टाइम निकल गया और अब केवल 5 मिनट बचे थे ।


दूसरी तरफ तो धर्मवीर ने सोमनाथ को कुछ नहीं बताया ।
जब 9:55 बजे तब धर्मवीर कमबख्त बोला - चलो थोड़ी देर बच्चों के साथ बात कर ली जाए ।

फिर सोते हैं ऐसा कहकर धर्मवीर सोमनाथ के साथ नीचे हॉल की तरफ आने लगा ।

उधर उपासना और पूजा भी अपनी बातों में मस्त थीं ।

पूजा उपासना से कह रही थी- दीदी आपने यह ड्रेस कोड कहां से चुना है मुझे तो लगता है इस ड्रेस कोड में कुछ छुपा ही नहीं है देखो तो हमारी टांगे बिल्कुल साफ दिख रहे हैं ।

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उपासना - इसीलिए तो यह ड्रेस चुना है ताकि देख कर तुझे कोई भी कह सकें यह लड़की लंड मांग रही है देख तो तेरी गांड कितनी बेपर्दा दिख रही है।

पूजा - दीदी पहना तो आपने भी यही ड्रेस है और गांड तो आपकी भी बेपर्दा है और रही बात लंड मांगने की तो आपको देख कर हर कोई यही कहेगा की मुह से लेकर गांड तक हर छेद में लंड चाहिए इस कुतिया को।

उपासना पूजा के कंधे पर हाथ मारते हुए हंसते हुए बोली- देख तो अपनी बड़ी बहन को कुत्तिया बोल रही है तुझे पता है जब तू चलती है तो किसी मस्तानी हथिनी की तरह तेरी भारी गांड गांड ऐसे हिचकोले लेती है जैसे रात भर लंड खाकर उठी हो।

तभी दरवाजे पर आहट हुई उपासना समझ गई कि वह दोनों आ चुके हैं उपासना ने जल्दी से पूजा को उठाया और किचन की तरफ भागी ।
दोनों किचन में जाकर खड़ी हो गई ।

धर्मवीर और सोमनाथ आकर कुर्सियों पर बैठ गए ।

धर्मवीर ने आवाज लगाई- उपासना बहू कहां पर हो तुम दोनों ।


लेकिन अंदर उपासना को जब याद आया कि उसने चुन्नी तो ली नहीं है सर ढकने के लिए तो उसने धर्मवीर को मैसेज किया कि हमारे कमरे से दुपट्टा लाकर दे दीजिए ।

धर्मवीर ने दुपट्टा ले जाकर किचन के खिड़की से अंदर फेंक दिया और सोमनाथ की तरफ आते हुए बोले - हमारी बहू भी कितना पर्दा करती है ऐसी संस्कारी बहु भगवान सबको दे ।

सोमनाथ की समझ में यह कुछ नहीं आ रहा था ।
सोमनाथ जानता था कि कितना पर्दा करती है उपासना अपने ससुर से।

तभी दोनों की नजर किचन की तरफ से आती हुई उपासना और पूजा पर गई।
दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि दृश्य ही कुछ ऐसा था उपासना और पूजा के हाथ में एक गिलास दूध था दोनों ने अपना मुंह ढक रखा था दुपट्टे से लेकिन उनकी पारदर्शी ड्रेस में से उनकी टांगे साफ दिख रही थी अपनी मोटी मोटी जांघो का प्रदर्शन करते हुए दोनों बड़ी की मादक चाल चलते हुए सोमनाथ की तरफ बढ़ रही थी ।

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धर्मवीर को सब पता था लेकिन सोमनाथ इस सबसे बेखबर बस मुंह फाड़े उनकी तरफ देखा जा रहा था ।

उपासना ने सोमनाथ की तरफ और पूजा धर्मवीर की तरफ़ जाकर दोनों ने दूध का गिलास धर्मवीर और सोमनाथ को पकड़ा दिया।

चुपचाप सारा दूध पीने के बाद सोमनाथ बोला - बेटी इसकी क्या जरूरत थी। अभी अभी तो हमने खाना खाया था ।

तभी पूजा बोली- पापा जी दूध पीने से ताकत आती है ।

इस पर धर्मवीर बोला - ताकत तो हममें पहले से ही बहुत है ।

उपासना बोली - ताकत तो हमारे अंदर भी है पापा जी और आपसे दो कदम कदम आगे हैं आप की बहु बेटियां ।

इस बात का का मतलब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों समझ चुके लेकिन फिर भी धर्मवीर बोला- हमसे ज्यादा कैसे हो सकती है बहू।

पूजा बोली अभी फैसला हो जाएगा किस में ज्यादा ताकत है यदि आपमें ज्यादा ताकत है तो हमें उठा कर दिखाओ ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ की बांछें खिल गई और दोनों कुर्सी से खड़े होते हुए बोले इसमें क्या बड़ी बात है लो अभी उठा लेते हैं ।

धर्मवीर पूजा को अपनी गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ा और सोमनाथ उपासना को अपनी गोद में उठाने के लिए ।

उपासना और पूजा दोनों की मोटी मोटी जांघो और कमर में हाथ डालते हुए दोनों को किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा लिया । वैसे भी दोनों देखने में ही सांड जैसे लगते थे।


दोनों की भारी भारी गांड उनकी बाजुओं में थी और पूजा और उपासना अपने चेहरे को ढके हुए उन दोनों को देख नहीं पा रही थी लेकिन अंदर ही अंदर दोनों मुस्कुरा पड़ीं ।

जब दोनों ने दोनों घोड़ियों को गोद में उठा लिया तो शरमाते हुए पूजा ने कहा- पापा जी हमें बेडरूम में छोड़ आइए अगर आपने उठा ही लिया है तो।



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इतना सुनकर धर्मवीर बोला- हां हां क्यों नहीं हम तुम्हें तुम्हारे बेड पर छोड़ आते हैं ,
और दोनों उनके कमरों की तरफ बढ़ने लगे कमरे में बेड पर फैले हुए गुलाब के फूल देखकर सोमनाथ बोला - बेटी यह गुलाब के फूल क्यों बिछाए हैं तुमने ।

गोद में बैठी हुई उपासना बोली - पापा जी ऐसे ही बस कोई खास वजह नहीं थी।

दोनों को बेड पर पटक दिया धर्मवीर और सोमनाथ ने।

अब धर्मवीर और सोमनाथ भी बेड पर ही बैठ गए अपने पैर नीचे करके।
.......Be continue


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आज के लिए इतना ही लिख पाया दोस्तो ।
और हां एक दो लोगों ने कहा था कि ये कहानी चुराई हुई है तो दोस्तों अगर ऐसा है तो प्लीज ओरिजनल लेखक से मुझे मिलवाये । अगर ये कहानी आप लोगो को कही और दिखे और उसके लेखक का नाम रचित नही है तो प्लीज मुझे लिंक जरूर send करें । क्योकि अच्छा नही लगता जब कोई मेहनत पर पानी फेर दे क्योंकि बहुत मेहनत और टाइम खर्च कर रहा हूँ मैं इस कहानी को लिखने में ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद ।

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Super update
 
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