UPDATE 201
राज के घरहम दोनो बहने बचपन से एक दुसरे की बहुत करीब थी , बड़ी बहन से जहा ये समाज एक मा की उम्मीद करता है वही मैने क्म्मो के लिए अच्छी सहेली बनना सही समझा , उसमे मेरा ही फायदा था ।
कम उम्र मे ही मैने मेरे शरीर मे बढ़त पा ली थी जिससे बाऊजी ने मुझ पर सीधे तौर पर तो नही मगर एक ना दिखने वाली दहलिज खिंच ही दी थी । शुरुवात मेरे इंटर पास करने के बाद हुई और मेरी आगे की पढ़ाई रोक दी गयी और वही कम्मो तब नौवीं मे थी तो उसकी पढ़ाई जारी रही ।
घर के काम निपटा कर मुझे बहुत खाली समय होता था , ना टीवी या किसी से मिलने जूलने बाहर जाना , बोरियत होने लगी थी और वही कम्मो 10वी पास कर बुटीक भी जोइन कर चुकी थी ।
कभी कभी उसको लेके बहुत चिढ़ सी होती थी मगर मेरे भाई बहन मेरे लिये सबसे अजीज थे ।
कम्मो ही मेरे समाज और मुहल्ले की न्यूज रिपोर्टर जैसी थी और उसकी बुटीक वाली कहानियां हमे और भी करीब ले आई । आये दिन वो मुझे बुटीक मे चल रही लड़कीयों भाभियो के अफेयर की बाते सुनाती और फिर रन्गी भईया अन्जाने मे मेरे संग मस्ती करते रहते थे ।
समय ने मेरी काम इच्छाओं को हवा दे दी और मै मेरे मामा के लड़के लखन के साथ बहक गयी ।
अगले 3 सालों मे मेरा जिस्म और निखर खिल गया वही कम्मो भी शादी लायाक हो गयी थी ।
अब दो दो बेटियों का बोझ बाऊजी पर आ गया था ।
ऐसे मे एक दिन तेरे फुफा का मेरे लिये रिश्ता आया ।
घर फोटो दिखाये गये और सबको पसंद थे और अगले हफते मेरे होने वाले ससुराल से लोग मेरे घर आ गये ।उस दिन जब मै चाय लेकर बाहर गयि तो मुझे नही पता था कि मेरे ससुर के साथ मुझे जो देखने जो आया है वो मेरा देवर था ।
चाय देते समय हम दोनो की नजरे टकराई उसकी नजर मेरे छातियों पर गयी और फिर घर मे वापस जाते हुए वो मेरे भारि भरकम कुल्हे की थिरकन निहारता रहा ।
मै तेजी से भागती हुई कमरे मे आई और मेरी सासे तेजी से उठ बैठ रही थी , पहली ही नजर मे मैने मेरे देवर को अपना पति मान लिया था ।राज - क्या सच मे , छोटे फुफा को
शिला - हा वो तो बाद मे पता चला कि दोनो जुड़वा है और जिसकी फोटो दिखाई गयी थी वो बड़ा भाई है और जो देखने आया था वो छोटा , बहुत बारीक अन्तर होता था अब , अब तो तेरे फूफा फैल गये है मेरी तरह हाहाहा और देवर जी वैसे ही है तो पहचानने मे दिक्कत नही होती ।राज - हीही फिर
शिला - मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था , कम्मो उसी समय बुटीक से वापस घर आ रही थी और घर मे घुसते हुए उसे मेरे ससुर ने देखा तो बाऊजी से बात की ।बाऊजी ने बताया कम्मो उनकी छोटी बेटी है और उसके लिए भी शादी का रिश्ता देखा जायेगा , पहले मेरी शादी हो जाये तबमगर मेरे ससुर को कम्मो भा गयी थी और उन्होने मेरे देवर के लिए कम्मो का हाथ माग लिया । बाऊजी ने समझाया कि अभी वो दो बेटिया एक साथ व्याहने के हालत मे नही है । मगर कम्मो की खुबसूरती पर मेरे ससुर ने लेन देन दहेज सब छोडने को तैयार हो गये ।राज - फिर
शिला - फिर हमारी शादी तय हो गयी । धिरे धिरे शादी के दिन करीब आने लगे और मेरी बेचैनी बढ़ने लगी , मै उदास होने लगी मैने पहली नजर मे जिसे पसंद किया वो मेरा देवर था ,वही कम्मो इस बात मे खुश थी कि शादी के बाद भी हम दोनो बहने साथ मे रहने वाली थी ।
मर्यादा मे सिमिटी मेरी जिंदगी ने मुझे मेरे हक मे एक बार भी बोलने का मौका नही दिया ।
शादी से पहले मेरे यहा से लोग मेरे ससुराल तिलक लेके कर गये और मेरे नाम का तिलक मेरे पति को चढाया गया और कम्मो का मेरे देवर के नाम ।
खुब रोई मै उस रात और कम्मो के लाख पूछने पर मै चुप रही ।
शादी हो गयी और हम बहने विदा होकर ससुराल चली गयी ।
और फिर सुहागरात परराज का लन्ड कसमसाया और वो उस्तुक होकर - क्या हुआ बुआ फिर
शिला मुस्कुराई - मै बहुत नरवस थी , उसपे से मेरे ससुराल मे आस पड़ोस की भाभियाँ , ननदे खुब मेरा मजाक बना रही थी । रसमे इतनी लेट चली कि बिस्तर तक आते आते रात के 11 बज गये फिर मेरी नन्दो ने मुझे और कम्मो को दूध का ग्लास लेके उपर भेज दिया । उपर सिर्फ दो कमरे थे जहा हमारे मे पति हमारा इनतेजार कर रहे थे ।जीने की सीढियां चढती हुई हम बहने आपस मे फुसफुसा रही थी , कम्मो को हसी आ रही थी ।
कम्मो - जीजी , यहा तो उल्टा है । बताओ दुध का ग्लास हमे थमा दिया बोलो हिहिही
मैने उसको डाँटा और चुप रहने को बोला ।कम्मो - जीजी , आप आज ही ट्राई करोगे क्या
मैने उसके शरारत भरे मजाक पर उसको घुरा तो वो इतरा कर - मै तो आज ही ट्राई करने वाली हु हिहिहिही
मुझे उसके उतावले व्यवहार से पल भर को खुशी तो मिल रही थी मगर , अपना पहली नजर का प्यार खो देने का गम भी था ।दोनो बहने अपने अपने कमरे मे पहुच गयी , मेरी तो हिम्मत भी नही हो रही थी कि मै उनको नजर उठा कर देखू ।
लाल जोड़े मे हाथ भर घूंट उसके पर स्वेटर ब्लाउज साल मे छिपा कर खुद को रखा हुआ था मैने ।घूँघट के पार से मुझे वो कमरे मे एक छोटे से लालटेन की रोशनी मे टहलते दिख रहे थे और मै बहुत सभल कर आगे बढ़ रही ,मै - जी दूध !
वो - अरे मै नही पिता , इसे क्यों लाई
मै - जी वो दीदी ने दिया था
वो हस्ते हुए दूध का ग्लास वही पास के टेबल पर रख कर अपने शर्ट की बाजू के बटन खोलने लगे । मेरे दिल मे हलचल सी मच गयी और उन्होने मुझे बैठने को कहा ।मै धीरे से पलन्ग पर बैठ गयी और उंगलियो के नाखून आपस मे लड़ाती हुई सोच रही थी कि ना जाने क्या होगा आगे ।वही वो अपना शर्ट निकाल कर बस एक उनी इनरवियर मे थे , निचे पतलून अभी भी कसी हुई थी । लालटेन की रौशनी में अभी तक उनका चेहरा स्पष्ट नही था ।
वो हसे और बोले - अरे बाबा आपको तो बहुत सर्दी लग रही है, अलाव मगवा दू क्या ?मै - जी नही ठिक हूँ मै
वो हसते हुए - अरे तो ये क्या लाद रखा है , उतार दीजिये यहा ठंडी नही है ।उनका हसना मुझे जरा भी नही भा रहा था और उसपे उन्का ये आग्रह मानो ऐसा था मै साल हटाने भर से ही नंगी मह्सूस करने लगी थी ।अभी अभी मेरे शरीर पर स्वेटर चढ़े हुए थे और जिस्म भारी लग रहा था ।
उन्होने हाथ आगे बढा कर मेरी हथेली पकड कर अपने हाथों के बिच रख लिया ।
कितना गर्म और मुलायम मह्सूस हो रहा था , मेरा जिस्म और भी कापने लगा । मेरी उंगलियाँ उनकी गर्म हथेलियो के बीच सिकुडने मुडने और ऐठने लगी ।वो मेरा हाथ थामे हुए बड़े प्यार से बोले - अच्छा सुनो एक बात पूछूमेरा कलेजा काप रहा था और मेरी जुबां को लकवा ही मार गया हो ऐसी हालत थी मेरी और मेरे मुह ने बस हुन्कारि भरी - हम्म्मवो मुस्कुरा कर - आपका नाम क्या है ?
मै अचरज से घुघट के पीछे हसी और सोचा कैसा सवाल है बिना नाम जाने ही शादी कर लिया क्या ?
मै - क्यू आपको नही पता ?
वो - तुम ही बता दो ना
मै - "शीला"
वो - वाह बहुत ही सुन्दर नाम है , इसका मतलब जानती हो ।
मै - जी , जी नही
वो हसे और बोले - शीला का अर्थ होता है अच्छे आचरण/चारित्र वालीएक पल को मेरे नाम का अर्थ सुन कर मुझे लखन का ख्याल आया और मै घूँघट के भीतर हस दी - जी
वो - अच्छा सच मे आपको सर्दी ज्यादा लग रही है क्या ?मै - क्यू आपको नही लगती ?
वो हसे - लगती है लेकिन आपके जितना नही, कितने स्वेटर पहनी है अन्दर देखूँ तोऔर वो हाथ बढा कर मेरे साड़ी के पल्लू के पास स्वेतर के कालर उठा कर निचे देखने लगे और दिखा उनको मेरे 36D वाली छातियों की पर कसी हुऊ डीजाईन ब्लाउज के डीप गले की कढाई ।
वो इतने फुरत थे जबतक मै घूमती तबतक वो मेरे गोरे जोबन की लकीरे निहार चुके थे ।वो - ओह्ह एक ही है क्या ?
मेरी सासे तेज चल रही थी , माथे पर पसीना आने लगा था और थुक गतककर मैने मेरे आंचल से अपनी छातीया ढ़कते हुए - जी एक ही है ।वो हसे और खसक कर मेरे करीब आकर - अच्छा इधर तो देखो एक बार
मै उनकी ओर घूमी और वो डिबिया मे एक नथुनी लाये थे मेरे लिए ।मै - ये किस लिये
वो - ये आपकी मुह देखाई का तोहफा होगा , अगर आप हमे अपना हसिन चेहरा देखने दे तोमुझे उनकी फिल्मी बातों से हसी और मै बोली - जी नही आप मुझे खरिद नही सकते ।और मुह फेर लिया वो हस कर - अरे नाराज ना हो , ये तो बस ये रस्म है । अम्मा ने कहा बहू को दे देना तो ले आया नही आपके लिए मेरा सब कुछ कुरबांमै शान्त रही , ना जाने क्यू मुझे उनकी बातें सुनकर अजीब सी नाराजगी हो रही थी , आज तक इतने प्यार भरी बाते मेरे साथ किसी ने नही की थी मगर मै उन्के प्यार को ओछे नजर से ही देख रही थी ।उन्होने मेरे चेहरे की ठूढ्ढी पर उंगली रख कर उसे अपनी ओर किया ,ये दुसरा स्पर्श था उनका मेरे शरीर पर और मै फिर से सिहर गयी ।उन्होने मेरे घूँघट को पकड़कर उपर किया और मै आंखे बन्द कर निचे चेहरा कर लिया ।कुछ देर की चुप्पी सी थी कमरे काफी देर शान्त होने पर मुझे लगा कही वो चले तो नही गये और आंखे खोली तो बुद्धू निचे पैर के पास बैठ कर हाथ मे लालटेन उठाए हुए मुझे निहार रहे थे ।
उनकी इस अदा पर मै लाज से मुस्कुरा कर मुह फेर ली और वो हसते हुए उपर आकर बैठ गये - ये हु ना बात , अब खिली है आपमेरी सासे अभी भी तेज चल रही थी क्योकि अभी अभी जो चेहरा मैने देखा उसे देख कर मै फिर से बेचैन हो उठी थी
बड़ी हिम्मत कर मै सीधी बैठी और कनअखियों से एक बार उन्हे देखा और मेरी आंखे फैल गयी, होठ सुखने लगे , पैर कापने लगे ।
आखिर ये कैसे हो सकता है ?
इतनी देर से जिसे मै अपना पति समझ रही थी वो मेरा देवर था !!राज - क्या ??? छोटे फूफा लेकिन कैसे ?
राहुल के घर
इधर जंगी अपने भाई के यहा मिलने गया हुआ था और वही दुकान मे दुपहर के खाली समय मे अरुण और राहुल एक साथ बैठे हुए लोवर मे अपनी नुनिया मिज रहे थे छीप छीप करराहुल - ओह्ह भाई क्या बवाल चीज़ है भाई ये साइट , बहिनचोद इत्नी सारी देसी माल
अरुण - भाई ये तो कुछ भी नही है जितना एक्सप्लोर करेगा उतनी बेस्ट आयेगी ।राहुल - भाई मजे है यार तेरे तो
अरुण - वो तो है
तभी दुकान मे जंगी आता है और उसे देख कर दोनो मोबाइल बन्द कर उठ जाते है और अपने लोवर मे बने तम्बू छिपाते हुए अन्दर चले जाते है ।
राहुल अरुण का मोबाइल हाथ मे लेके चलाता हुआ अपने कमरे की ओर बढ रहा था उसका सारा ध्यान मोबाइल पर था और वही अरुण को पेसाब लगती है ।
वो राहुल को बोलकर बाथरूम की ओर बढ़ जाता है और जल्दी जल्दी अपना पैंट खोने की कोसिस करता हुआ जैसे ही जीने के करीब पहूचता है उसकी नजर सामने बाथरूम मे अपनी साड़ी उठा कर गाड़ फैला कर बैठी हुई शालिनी पर जाती है ।
गोरी चिकनी गोल गोल फैले हुए चुतड और तेज सिटीदार धार की आवाज सूनते ही अरुण ठिठक कर खड़ा गया ।
उसका मुह खुला रह गया औए जैसे ही शालिनी को आभास हुआ कि कोई आया इस तरफ को गरदन घुमा कर देखती है तबतक अरुण फुर्ती से जीने की सीढि की ओर सरक लेता है ।
उसकी सासे धकधक हो रही थी और थुक गटक कर जीने की ओट से एक बार फिर से बाथरूम की ओर झाकता है तो वहा शालिनी बाथरूम मे पानी डाल रही थी और अरुण दबे पाव कमरे मे आ जाता है ।राहुल मोबाईल मे व्यस्त था और मस्ती मे - क्या हुआ हो गये फ्रेशअरुण- न नही यार वो बाथरूम नही मिला ना
राहुल - अरे यार यही सीढ़ी के पास वाला ही तो है
अरुण - अच्छा ठिक है आता हु
अरुण एक बार फिर बाथरूम की ओर बढ़ता है और इस बार शालिनी उसे अपने कमरे की ओर जाती दिखी ।
बिना उसकी नजर मे आये अरुन लपक कर बाथरूम मे मूतने चला जाता है ।
और शालिनी भी सुबह की दोहरी ठुकाई और काम काज से थकी हुई सोने चली जाती है ।
अमन के घर
"ऊहु , देवर जी किधर " , दुलारी ने लपक कर अमन की कलाई पकड़ी और उसे रोक दिया ।अमन अपनी कलाई छुड़ाते हुए - क्या भाभी छोड़ो ना प्लीजअमन के चेहरे पर उखड़ापन साफ झलक रहा था , जिसपे उसका मजा लेती हुई - अरे छोड़ दूंगी लेकिन कहा हो इतनी जल्दी मे , दो पल हमारे साथ भी बिताओ बाबू उम्म्ंअमन मुह बनाने लगा ऐसे मे दुलारि की नजर अमन के पैंट मे तने हुए खूँटे पर गयी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी - ओहो समझ गयी , लग रहा है देवरानी जी ने बहुत जोर से याद किया है हिहिहिहअमन - मतलब
दुलारी हाथ बढाकर अमन का खुन्टा पैंट के उपर से दबोचती हुई - मतलब साफ है , बाजा बजाने जा रहो क्यूअमन झेप कर उसका हाथ हटाता हुआ अपना मुसल सेट करने लगा - क्या भाभीई आप भी , आपको और काम नही है ।दुलारी हस कर - है ना
अमन उखड़ कर - हा तो प्लीज करिये और मुझे जाने दीजिये
दुलारी- अरे कबसे लगी हु उस काम मे मगर कोई खरिद ही नही रजा हैअमन भौहे सिकोड़ कर - मतलब , कुछ बेचने जा रही है क्या आप
दुलारि खिलखिलाई - हा तुम्हारी बहन हाहाहहा
अमन हस पडता है - क्या भाभी आप भी
दुलारी - अरे सच कह रही अगर एक दो दिन मे सही भाव नही लगा तो फोकट मे बिक जायेगी उसकी जवानी , यकीन नही है ना आओ दिखाती हुदुलारी अमन को खिंच कर रिन्की के कमरे के पास ले गयी
और दरवाजे की ओट से भीतर का नजारा दिखाया
जिस्र देख कर अमन का हल्का फुल्का मुरझाता लन्ड एकदम से बास के खूँटे जैसा कड़क हो गया और पैंट के अन्दर फुलने लगा ।
कमरे मे रिन्की अपनी लेगी मे हाथ घुसाये हुए मोबाईल पर कुछ देख कर जोरो से अपनी बुर सहला रही थीदुलारी की नजर अमन के फौलादी लंड पर गयी तो उसका कलेजा मचल उठा और उसने भीतर का नजारा देख रहे अमन के पास खड़ी होकर उसके मजबूत बलिश्ट कन्धो को सहलाती हुई - देख रहे हो ना देवर जी अपनी बहना को , कैसे अपनी मुनिया घिस रही है अरे ऐसा रहा तो बाजार मे भाव तो गिरेगा ही नाअमन को सुध ही नही थी कि दुलारी क्या बोल रही थी बल्कि उसके जिस्म पर रंगते उसके हाथो का असर अमन को और भी कामोत्तेजक किये जा रहा था"उफ्फ्फ कितना मजबूत लोढ़ा है देवर जी आपका उम्म्ंम " दुलारि ने हाथ निचे ले जाकर पैंट के उपर से अमन का मोटा मुसल हाथ मे भरती हुई बोली ।अमन की सासे अटक गयी और थुक गटक कर उसने दुलारि की ओर देखा तो उसने लपक कर अमन को बीच गलियारे मे ही दिवाल से लगा कर उसके होठों पर झपट पड़ी और उसके हाथ अमन के मुसल को मसलने लगे ।दुलारी के हुए इस अचानक हमले से अमन हड़बडा गया उसे डर था कही सोनल या कोई और ना उन्हे देख ले ।
वो झट से हाथ आगे बढा कर स्टोर रूम के कमरे का दरवाजे की कुंडी छ्टकाई और दुलारी को लेके भीतर घुस गयाकड़ी लग गयी और अमन अपने होठ पोछता हुआ सामने दुलारी को हसता देख रहा था ।
अमन - ये सब क्या है भौजी
दुलारी- अरे भौजी है तुम्हारी, नही पुरा तो आधा हक होता है तुमपे , तुम तो पुरा का पुरा मेरी देवरानी को ही दे दे रहे हो ।दुलारी वापस से आगे बढ़ कर अमन का लन्ड हाथ मे भर ली और अमन की सासे चढने लगी - आह्ह भाभीई नही येह्ह्ह गलत है अह्ह्हदुलारि उसका मुसल सहलाती हुई उसके चेहरे के करीब आकर उसके पैंट खोलती हुई - गलत तो तुम कर रहे हो हुहअमन अपने पैंट की जीप खुलता मह्सूस करने पर उसके लन्ड की ऐठन और बढने लगी, साथ ही जिस्म मे कपकपी सी होने लगी - म मेरी क्या गलती है अब
दुलारी अमन का लन्ड अंडरवियर के उपर से सहलाती हुई - अरे ऐसे घोड़े जैसे हथियार का क्या फायदा जब बहन को उंगली करनी पड़े अह्ह्ह क्या मोटा हथियार है बाबू उम्म्ंम्म्माआह्ह्हदुलारी ने जैसे ही अमन का मुसल चूमा वो सिस्क पड़ा- अह्ह्ह भाभीईईवही दुलारी ने बिना समय गवाये हाथ घुसा कर 9 इंच का फौलादी मोटा लन्ड बाहर निकाला - हाय दईयाआ इतना बडा उह्ह्ह रिन्की की तो फट जायेगी उह्ंम्ंंम उफ्फ्फदुलारी उस गर्म तपते कड़क फैलादी लन्ड को हाथो मे लेके सहला रही थि और अमन सातवे आसमान मे उड़ रहा था और देखते ही देखते सुपाडा मुह मे - उह्ह्ह भाभीईई इह्ह्ह्ह आह्ह मम्मीईई उम्म्ंम्ं फाआककककक ओह्ह्ह शिट्ट उम्म्ंम सक इट ओह्ह्ह उम्म्ं
दुलारी आधे लन्ड को मुह मे भरे हुए चुस रही थी , इतना बड़ा मोटा लन्ड पहले कभी नही लिया था , उसके जबड़े तक दुखने लगे और वो हाफ्ती हुई - आह्ह ये तो बहुत बड़ा है उफ्फ्फ
अमन अब इस नाटक से तंग आ गया था और वो खीझता हुआ दुलारी के बाल पकड कर अपना लन्ड उसके मुह पर पटकता हुआ - उह्ह्ह भाभीईई अब नाटक नही बहिनचोद सुबह से तरसा कर रखा है सबने लोह इसे चुसोहहह आधा नही पुरा लोह्ह्ह्ह उह्ह्ह स्क ईट उह्ह्ब माय सेक्सी भाभीई उम्म्ंम और लोह्ह
अमन जबरज्स्ती दुलारी के मुह मे लन्ड घुसाता हुआ पेलने लगा और दुलारि मुह खोल कर उसे घोटने लगी
अमन मारे जोश मे दुलारी के बाल पकड कर लन्ड को गले तक उतार रहा था
दुलारी के मुह आख नाक सब फुलने लगे तो झटके से अमन ने लन्ड बाहर खिंच लिया , लार से लिभ्डाया लन्ड चमकने लगा और दुलारी खासने लगी ।अमन उसके चेहरे को पकड कर उपर किया और एक किस करता हुआ उसे खड़ा किया
फिर घुमाते हुए उसकी मोटी मोटी चुचिया ब्लाउज के उपर से पकड कर मसलने लगा
दुलारी पागल होने लगी अपनी चुतड पर साडी के उपर से रगड़ खाते अमन के लन्ड की कसावट और उसके मजबुत हथेलीयो मे पिसते अपने जोबन से उसकी बुर मचल उठी
वो आगे झुक कर एक टेबल का सहारा लेके अपनी गाड़ को अमन के मुसल पर घिसने लगी जिससे अमन की आंखे भी उलटने लगीवो दुलारी की चुची छोड़ साडी के उपर से उसकी गाड़ खोदने लगा और साडी उठाकर उसकी चीकानी गाड़ को चुमने लगादुलारी एडिया उठाती अपने चुतड़ सख्त करती कसमसाने लगी और अमन उसकी गोरी मुलायम चर्बीदार गाड़ के मुह से काटने लगा ,पैंटी के उपर से उसकी बुर पर अमन के हाथ रेन्ग रहे थे और वो बजबजा कर रस छोड़ते हुए तडप सिस्क रही थी ।
जांघो ने अमन के पंजे को जकड रखा था उसमे भी वो अपनी उंगलियाँ दुलारि की बुर पर कुरेद रहा था ।
दुलारी- अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह देवर बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्हगाड़ के फाको मे अमन ने अपना नथुन फसा रखा था और कसी सकरी दरारो मे जीभ घुसेड़ कर दुलारि के बुर के नमकीन पानी का टेस्ट लेते हुए उसने उसकी चुतड को दोनो पंजो से फैलाते हुए गरदन लफा कर जीभ को बुर के होठो तक ले गयागर्म मीठे नमकीन पानी का स्वाद आते ही अमन के मुह मे मानो मिस्री घूलने लगी और जीभ की ओर से दुलारि के बुर के फाके चाटता हुआ उसके होठो मे भर लिया ।निचे उकुडू बैठे हुए जांघो के बीच जगह बनाते हुए गरदन पीठ नचाता ऐठता हुए अमन दुलारि के बुर के निचे आ चुका था
दुलारी अपनी साडी उठाए जान्घे फैलाये सिसक रही थी और अमन ने मौका पाकर उस्के जांघो के बिच से आगे की ओर आ गया और उसके रसदार मुलायम फाको वाली चिकनी बुर को च्पड़ च्पड़ चाटने लगा
टेबल का सहारा लिये झुकी दुलारि की हालत और खराब होने लगी - ऊहह देवर बाबू उह्ह्ह ओह्ह्ह मम्मीईई उफ्फ्फ खा जाओ मेरी बुर उम्म्ंम्ं और और इह्ह्ह्ह मम्मा ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह आह्ह
दुलारी के बुर की सफाई करने के बाद अमन उठा और उसके रसीले होठ चुसता हुआ उसकी गाड़ दबोचता उसे फर्श पर घोड़ी बना दिया ।दुलारी गाड़ फैला कर अपनी साडी समेटे हुए वही स्टोर रूम मे फर्श पर झुक गयी
उसकी चिनकी गाड़ और फाकेदार चुत देख कर अमन अपना मुसल रगड़ता हुआ पोजीशन पर आया और लन्ड के टोपे को दुलारी के बुर के फाकों मे फसाने लगादुलारी की कमर अकड़ने लगी और उसने भितर से खुद को मजबूत किया , और मादक सिसकियाँ लेती हुई हाथ की मुठ्ठि कसने लगी
अमन ने फाको मे जगह बनाते हुए उसके कुल्हे को पकड कर लन्ड को सेट करते हुए टोपे को दबा कर घुसेड़ दियादुलारि मचल उठी और उसने पूरी ताकत से अपनी चुत का छल्ले से अमन के आधे लन्ड पर कसते हुए रोक लिया
उस्का चेहरा भिन्चा हुआ था और मनमोहक दर्द उसकी कमर काप रही थी , अमन के हजार कोसिस पर भी उसका लन्ड आगे पीछे नही हो रहा और अचानक से दुलारी ने ढील दी हचाक से लन्ड 3 इंच और भीतरआईईईई माइयाआआ उह्ह्ह्ह बहिनचोद आरां से उह्ह्ह मम्मा उम्म्ं " , दुलारी जोर से चीखी
अमन खिलखिलाया और उसकी कमर को पकड कर लन्ड को एक सीध मे पेलने लगा
कुछ ही झटकों मे उसने दुलारी के भीतर जगह बना ली और दुलारी पागल होने लगी एक बार फिर अमन का टोपा उसकी चुत के दिवारोंपर घिसता रगड़ता चोट करता आगे पीछे हो रहा था ।अमन भी अब घोड़ो सा चिन्घाड रहा था , जो बेचैनी उसको लोहे सी तप रहे लन्ड के कड़कपन से था अबत्क अब उसपे आराम होने लगा
दुलारी की मुलायम बुर की ठंडक ने उसको हवा ने उड़ाने लगा था ।
अमन - ऊहह भाभी कितनी मुलायम बुर है आह्ह उह्ह्ह मजा आ रहा है उम्म्ं
दुलारी अपनी बुर अमन का बास जैसा 3 इंच मोटा खुन्टा मह्सूस कर - ऊहह देवर जी आपका भी लौडा खते से कम नही अह्ह्ह फाड़ ही डाला उह्ह्ह ऊहह और तेज्ज्ज सीईई ओह्ह्ह्ह मम्माआ उम्म्ंम चोद राजाअह्ह्ह ऊहहअमन उसके गाड़ को मसलता हुआ करारे झटके लगाने लगा - आह्ह भाभीई पहले क्यू नही कहा उम्म्ंम चोद चोद के कचूमर कर देता इसकी उह्ह्ह बहिनचो क्या गर्म बुर है उह्ह्हदुलारी- हा हा चोद लेना अपनी बहिनिय भी उह्ह्ह देखा नही कैसे बुर रगड़ रही थी
अमन रिन्की का सोच कर और भी जोश ने मे आ गया और कस कस के लण्ड उसकी बुर मे पेलने लगा
दुलारि - उह्ह्ह राजजा और हुमुच के ऊहह फाड़ दो उम्म्ं फिर ऐसे ही मेरी छिनार ननदीया के चुत फाड़ना उह्ह्ह अरे तुम नही फाड़ागे तो कही जाके फड़वा लेगी । बोलो लोगे उम्म्ंअमन चुप रहा और मुह भीच कर उसके गाड़ मसलता हुआ लंड़ पेल रहा था
दुलारी झड़ चुकी थी और उसने उसको और कमोतेजित करने लगी - ऊहह बाबू लेलो ये इन्टर वाली की कुवारि बुर की गर्मी एक बार मे ही नल खाली कर देगी और तुम्हारा कड़क मुसल चुस के निचोड लेगीअमन पागल होगया था रिन्की की कल्पना करके , उसका सुपाडा लाल होकर जलने लगा था आड़ो से वीर्य नसो मे भर गया और उसने झटक से लन्ड बाहर निकालता हुआ - अह्ह्ह भाभीई जरुर लूंगा उसकी भी चुत फाड़ दन्गा अह्ह्ह उह्ह्हअमन की तेज धार वाली पिचकारी छुटने लगी और दुलारी की गाड़ से वो गाढी मलाई उसकी चुत पर रिसती हुई फर्श पर टपकने लगी और दुलारी एक तृप्ति भरी मुस्कन के साथ हाफती रही ।अमन वही बैठा हुआ हाफ रहा था , धीरे धीरे दोनो की कामोत्तेजना ठंडी पड़ने लगी और अमन को ख्याल आया कि अभी अभी क्या हो गया ये ।
उसने दुलारी भाभी को चोदा तो चोदा साथ ही अपनी छोटी बहन के नाम से झड़ रहा था ।
अमन का माथा खराब होने लगा उसे अफसोसा मह्सूस हो रहा था रिन्की के लिए ।दुलारी- क्या हुआ राजा काहे चेहरा उतरा है
अमन खड़े होकर अपना पैंट पहनता - भक्क भाभीई आप रिन्की को बीच मे क्यू लाई अभी कितनी छोटी है वोदुलारि तुनक कर - ऊहु देखो तो शरीफजाने दो अभी कुछ देर पहले उसकी बुर का भोसडा बनाने के नाम पर मेरा पिछवाडा गीला कर रहे थे और अबअमन - क्योकि आप ही उसका नाम ले रहे थे
दुलारी- सही तो कह रही हु मै,अभी ताजा ताज्स जवान हुई अगर उसकी आग नही बुझाइ लगाम नही लगाई तो आज नही तो कल बाहर मुह मारेगी जरुरअमन शान्त हो गया और उसके सामने रिन्की का चेहरा नाच रहा था
वही दुलारि - अब तुम देखो मै तो तुम्हारा फाय्दा सोच रही थी , तुम्हे एक और कसी हुई करारी कुरकरी ताजी बुर परोस देती, खैर मुझे क्याअमन कुछ सोच कर - वैसे इरादा बुरा नही है वो कौन सा मेरी सगी बहन है और
दुलारी इतराई - वही ना
अमन - लेकिन क्या वो तैयार होगी
दुलारी- अरे जब मेरे जैसी संस्कारी इस लन्ड की दिवानी हो गयी तो मेरी नन्दिया तो एक नम्बर की छिनार है , लपक कर ले लेगी इसे हिहिहिहीअमन भी उसकी बात पर हसने लगा और फिर दोनो चुपचाप मौका देख कर कमरे से बाहर आ गये ।जारी रहेगी
Jhakash update diya bhai ji aap ne
Maja aa gya ek trf jha bua apni suhagrat ki story suna rahi h wahi dusri trf aman ne bhi apni bhabhi ki chudai kr dali or rinki ko chodne k liye bhabhi ne usko mna liya h
Wahi yha rahul k ghar me bhi majedar sean arun ne apni anko se de liya ab dekhte h ki arun kya krta h or kya sochta h kyu ki ab to sab ko sonal ke ghar jana h na party k liyeDekhte h salini kiske nasib me ati h rahul k anuj k ya arun k yaa fir se arun ko kuch dekhne ko milega salini ka bhai aap se ek gujarsh h ki aap fir se regular update dena suru kr do na bhai