• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,215
20,150
174
सभी भाइयो और मेरे पाठको को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
💥💐💥
उम्मीद करता हूँ ये दीवालि आपके जिवन खुशियो से भरपूर और मस्त रही हो

एक अनुरोध है सभी से ये कहानी का अगला भाग नये साल यानी 2025 से ही शुरु हो पाना संभव है
तो मेरी दुसरी कहानी अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया को तब तक पढे

जब ये कहानी शुरु होगी
सभी को सूचित किया जायेगा

एक बार फिर सभी का धन्यवाद
 

zayn.390

New Member
70
272
68
ममता का कैरेक्टर सबसे मस्त लगा, ऊपर ऊपर से सबने मज़े लिये पर आज तक मुरारी के अलावा कोई चोद ना पाया, यथासंभव इस करैक्टर को ना ही छेड़े तो बेहतर होगा, अमन के घर में चुदाईवाले एपीसोड्स को पढ़ कर उतना मज़ा नहीं आता जितना KLPD वाले एपीसोड्स को पढ़ कर आता है.
 

Coolboiy

New Member
74
128
33
UPDATE 200

अमन के घर

ममता के कमरे का दरवाजा बंद था और कड़ी चढ़ी हुई थी ।
दरवाजे से लगे दिवाल से चिपका अमन खड़ा था और ममता घुटने के बल बैठी हुई थी अंडरवियर मे तने हुए मुसल को पम्प होता देख रही थी ।

लन्ड का कड़कपन और उभरी नसे अंडरवियर के उपर तक झलक रही थी ।

External-Link-the-best-blowjobs-gifs1
ममता ने हाथ आगे कर अमन के लन्ड को आड़ो सहित हाथ से सहलाया और अमन की सिसकी निकल गयि ।

ममता ने नजरे उठा कर अमन का भिन्चा हुआ चेहरा और फूलती छाती देखी और अंडरवियर के उपर से उसके सुपाड़े को चूमती हुई अंडरवियर निचे खिंचने लगी

oral-sex-001-5


अगले ही पल उसका मोटा 9 इंच वाला बियर की कैन जैसा लन्ड उछ्ल कर ममता के आगे था ,
आंखो के आगे अपने बेटे का झूलता मुसल देख कर ममता की निगाहे उसके लाल मोटे आलू जैसे सुपाड़े पर जम गयि

थुक गटक कर उसने लन्ड को दोनो हाथों मे भर कर पकड़ा और बचे हुए सुपाड़े से उसका घूंघट पीछे किये

4c028b4720daec2a012b44d5bcd3f35a

अमन के लन्ड का टोपा अब पुरा खुल गया , सुर्ख गुलाबी और कामोत्तेजक गन्ध से भरा , खरोच मार दो तो भलभला कर खुन ख्च्चर हो जाये ।
लन्ड के कड़कपन से उसने एक गर्मी उठ रही और नसे पूरी कसी हुई थी ।
ममता ने कोमल हाथ उसके सतह पर टहल रहे थे और अमन हवा मे उड़ने लगा था ।

ममता ने मुह खोलकर हल्की सी जीभ निकाली और सुपाडे के पी-होल पर टच किया और अमन का शरीर गिनगिना गया ।

सासे तेज हो गयी ममता ने मुह की लार को जीभ से अपने होठो पर घुमा कर उसे गिला किया और सुपाड़े को कुल्फी की तरह एक बार सुरका

गुलाबी सुपाडा एकदम से चिकना और चटक हो गया वही अमन के जिस्म मे कपकपी सी दौड़ गयी ।

इस बार ममता ने बडा सा मुह खोला और आधे से ज्यादा लण्ड मुह मे , लन्ड की उठती गर्मी को मुह मे सोख कर होठो ठंडी मुलायम स्पर्श से ममता ने अमन को मदहोश कर दिया

gifcandy-blowjob-60
लन्ड पर उसके होठ मानो ठंडी मलाई सी घिस रही थी और आड़ो को सहलाते ममता के हाथ अमन की हालत और खराब करने लगे थे

अमन कसमसाता अकड़ता सिसकता अपनी मा के सर को छूने लगा , उसकी एडिया हवा मे उठ गिर रही थी , शरीर मे कपकपी सी हो रही थी , होठ बुदबुदा रहे थे और लन्ड को अपनी मा के मुह मे घुसेड़ रहा था ।

ममता अमन के लन्ड को चुसती चुबलाती , आड़ो को टटोलती घुमाती , कभी जीभ सुपाड़े की गांठ पर नचाती तो कभी पी-होल पर कुरेदती

अमन - ऊहह मम्मीई उम्म्ं आह्ह कितना मस्त चूस्ती हो आप उह्ह्ह फक्क्क और लोहह्ह ऑफ़ मम्मीई सक इट उह्ह्ह येस्स्स्स

20240501-162344
ममता को अमन के अन्ग्रेजी डायलोग भी खुब रिझा रहे थे और वो उसके लन्ड को मसल मसल कर खुब खुब चाट कर चिकना कर रही थी

5 मिंट 7 फिर 12 फिर 18
घड़ी की सुईया बदल रही थी मगर नही बदल रहा था तो वो था अमन के लन्ड का फौलादी पन
एकदम तना बास के खूँटे जैसे , इनच भर ना छोटा हुआ ना सिकुड़ा ।

ममता के हाथ और होठ दोनो दर्द से चूर, गाल की मासपेशियाँ भी थक कर चूर, अब उसे थोडा थोडा समझ आया कि क्यू बहू ने मना किया होगा । वरना भल इतने मोटे मुसल और हाथ भर बड़े लन्ड को देख कर किसको लालच ना आये ।

अमन - क्या हुआ मा
ममता - सॉरी बेटा, वो मै थक गयि
अमन - क्या ? तो इसका क्या ? ये ऐसे रहेगा क्या ?
ममता - अह बेटा कैसे होगा सही तेरा , तु ही बता अब
अमन का तो पुरा मन था कि खुल कर बोले कि मम्मी एक बार चुदवा लो लेकिन ममता ने पहले ही इस बात को लेके उसे मना कर चुकी थी।

अमन ने थोड़ी हिम्मत की और अपना मुसल हिलाते हुए - मम्मी वो आप दिखा दो ना घूम कर

ममता नासमझने का नाटक कर मुस्कुराती हुई - क्या दिखा दूँ
अमन - आह्ह मम्मी वो आपका , उसे देख कर निकल जायेगा
ममता - अरे बाबा उस्का नाम गाम है या नहीं
अमन अपनी मा को हस्ता देख कर मुस्कराया शर्माया - आपकी गाड़ दिखा दो ना

ममता - बस उस्से हो जायेगा तेरा
अमन - हा , शायद !
ममता मुस्कुरा कर वैसे ही अमन की ओर घूम गयी - ले निकाल ले

अमन छोटे ब्च्चे जैसे चिढ़ कर - अहा मम्मी प्लीज खोल के ना

ममता हसी और अपने सलवार का नाड़ा खोलती हुई - अच्छा तो ऐसे बोल ना खोल के दिखाओ

अमन की सासे चढने लगी और लन्ड पहले से ज्यादा कसने लगा
ममता ने सलवार खोलकर निचे घुटनो तक अटका दिया और आगे झूकते हुए अपना सूट गाड़ से उपर खिंच लिया ।

सामने का नजारा देख कर अमन की आंखे फैल गयी , लन्ड के मुह से भी लार टपकने लगी ।

20231217-145928
ममता के आगे झुकने से उसकी बड़ी सी गाड़ फैल गयी और मोटी फाको वाली बुर के भी दरशन अमन को होने लगे
वही बाहर हाल मे मुरारी भोला साथ मे बैठे थे और सामने मदन बैठा हुआ था ।

मुरारी भोला के साथ शादी के ही हिसाब कर रहा था और दो दिन बाद सोनल के मायके से जो मेहमान आने वाले थे उनकी चर्चा हो रही थी ।
अक्समात मुरारी ने नजर भर सामने बैठे मदन को उसके चेहरे की लाली और मुस्कुराते होठ देख कर मुरारी खीझ गया , मगर उसे समझ नही आया कि किस बात पर मुस्कुरा रहा है ।
तभी उसने मदन की गुपचुप निगाहो का पीछा किया तो पाया कि उसके ठिक पीछे जीने की सीढ़ी पर कुछ तो है जो वो देख रहा है चोरी चोरी

ssstwitter-com-1712636877394-1
वही उसके ठिक पीछे सीढियों पर ब्लाउज पेतिकोट मे बैठी संगीता धीरे धीरे अपनी पेतिकोट उपर कर अपनी बुर की धारियाँ मदन को दिखा रही थी ।
जिसे देख कर मदन के लन्ड कुरते के निचे फड़क रहे थे

ssstwitter-com-1712636877394-2
संगीता ने भरे घर मे जहा कोई भी आसानी से आ जा सकता था बिना डर के अपनी जान्घे फैला लर अपनी झाटो से भरी चुत के फाके दिखाते हुए मदन को इशारे से बुला रही थी जिससे मदन की बेचैनी और बढ़ गयी ।

इधर मदन का बार बार गरदन इधर उधर करना , जांघों पर जान्घे रख कर बैठने के तरीके मे बदलाव , इनसब से मुरारी का शक यकीन मे बदल रहा था कि जरुर उसके पीछे कुछ तो है इसको पता करने का एक ही तरीका था मुरारी झटके से उठा - जीजा तुम जरा बैठो मै फ्रेश होकर आता हु

इधर मुरारी के उठने से मदन की सासे अटक गयी और मुरारी सामने खड़ा था तो मदन जीने की सीढियों पर बैठी संगीता को आगाह भी नही कर सकता था ।

मगर इससे पहले कि मुरारी घूमता संगीता झट से अपना पेतिकोट गिरा कर सीढियों पर बिखरी हुई साडीया समेटती हुई जीने पर चढने लगी ।
वो मदन की आंखो से ओझल हो गयी तो मदन ने चैन की सास ली मगर मुरारी ने जैसे ही हाल ने बाथरूम की ओर घुमा उसकी तेज नजर से जीने से उपर ब्लाउज पेतिकोट मे अपनी बड़ी सी गाड़ हिलाते हुए संगीता को जाते देखा और उसका लन्ड फड़क उठा ।

मुरारी मन मे बड़बडाया - बहिनचोद ये लोग तो दिन दहाड़े खुल्लम खुला , और मै मेरी बीवी से भी कुछ बोलना हो तो झिझक होती है

मुरारी बड़बड़ाते हुए अपने कमरे के बाहर आया तो दरवाजा खटखटाया , दो बार कि खटखट फिर ये सोच कर आगे बाथरूम की ओर बढ़ गया शायद ममता आराम कर रही हो ।

इधर अमन अपना मुसल हाथ मे पकड़े अपनी मा की चुत और बड़ी सी चुतड़ को देख कर कामोत्तेजना से भरा हुआ था , वही ममता की भी चाह थी कि अमन आज आगे बढ़े, भले वो खुल कर अपने बेटे से दिल की बात नही कह सकती थी मगर 9 इंच के मोटे खूँटे को अपनी बुर की गहराई मे लेने ना मजा वो नही चूकना चाहती थी ,

ऐसे मे दरवाजे पर हुई दस्तक ने दोनो के ध्यान भन्ग किये
ममता और अमन दोनो ने सरपट और जल्दी से अपनी सलवार और पैंट उपर किये ।

ममता हड़बडा कर - तु यही बैठ जा , मै देखती हु ,

अमन की भी हालत खराब थी भले ही घर या समाज मे कोई भी मा बेटे के इस रिश्ते पर उंगली नही उठा सकता था मगर चोरी मन को भयभीत कर ही जाता है ।

ममता भी अपने चेहरे से पसीना पोछती हुई दरवाजा खोलती है और बाहर झाकती है ।
अमन - कौन है मम्मी
ममता - यहा तो कोई नही है
अमन ने राहत की सास ली और उठ कर अपनी मा के पीछे खड़ा होकर अपना मुसल पैंट के उपर से उसके चुतड पर चुभोता हुआ - तो बन्द करो ना मम्मी अब इसे ।

ये बोलकर अमन ने दरवाजे की कड़ी फिर से लगा दी और अपनी मा को पीछे से पकड कर हग कर लिया ।

ममता कसमसाई- ऊहह बेटा छोड़ ना
अमन अपना लन्ड अपनी मा के चुतड के दरारो मे घिसता हुआ - आह्ह मम्मी खोलो ना इसे

tumblr-n4i145-Jy-K31rntnuzo1-500
ममता अलग होकर दिवाल से लग गयि और उसके सामने अपना बियर की कैन जैसा 3 इंच मोटा लन्ड हाथ मे भर हिला रहा था , जिसे देख कर ममता की चुत बजबजा उठी थी और वो कमोतेजक होकर अपना सूट आगे से उठा कर ब्रा भी उपर कर ली और दोनो थन जैसी मोटी मोटी चुचिया हाथो मे भर कर अमन को दिखाती हुई - उह्ह्ह लेह्ह्ह बेटा निकाल लेह्ह ऊहह

20220524-221015


अमन सामने अपनी मा की नन्गी चुचिया और उनके कड़े निप्प्ल देख कर और भी जोश मे आ गया और अपना लन्ड जोर से मुठियाता हुआ आगे बढ़ कर अपना एक हाथ ममता की चुचियो पर रख दिया

मुलायम कडक निप्प्ल का हथेली मे स्पर्श पाकर अमन का जोश चौगुना हो गया और वो हाथो मे भर कर अपनी मा की चुचिया मिजते हुए अपना लन्ड मुठियाने लगा वही अमन के स्पर्श से ममता का जिस्म गिनगिना गया और उसके पैर कापने लगे

इस्से पहले कि वो आगे बढ़ते दरवाजे पर एक बार फिर दसत्क हो जाती है और दोनो हड़बड़ा कर अपने कपड़े ठिक करते है और अमन लपक कर बाथरूम मे घुस जाता है
वही ममता कमरे का दरवाजा खोलती है ।

मुरारी झटके से कमरे मे आता है ।
ममता घबरा रही थी कि कही वो बाथरूम की ओर ना चला जाये - क्या हुआ जी क्या खोज रहे है

मुरारी - अह वो एक डायरी थी ना शादी के हिसाब वाली , कहा है ?

ममता परेशान थी और वो चाहती थी कि मुरारी जल्दी से जल्दी निकल जाये इसीलिए वो खुद वो डायरी अपने ड्रा से निकाल कर दे देती है और मुरारी बाहर निकलते हुए - तुम खाली हो गया अमन की मा !

ममता - हा कहिये ?
मुरारी - वो टेन्ट वाले काशी भाई आए हिसाब लेने जरा चाय बना दोगी ।

ममता - हा हा क्यो नही चलिये
फिर ममता ने कमरे का दरवाजा भिड़का कर अपने लाडले के लिए अफसोस जताती हुई चली गयी ।

वही कुछ देर बाद अमन खीझ हुआ कमरे से बाहर , उसकी कामोत्तेजना अभी भी शान्त नही हुई थी । उसका लन्ड पैंट मे साफ उभरा हुआ नजर आ रहा था ।
ऐसे हालत मे वो निचे रुकने से बेहतर उपर कमरे मे जाने का सोच रहा था और दबे पाव चुप चाप जीने से होकर उपर निकल लिया और जैसे ही अपने कमरे की ओर बढ रहा था कि किसी ने लपक कर उसकी कलाई पकडी ।

" आहा , देवर जी किधर "



राज के घर

कमरे मे एक चुप सन्नाटा पसरा हुआ था ।
निशा और रज्जो एक दुसरे के सामने उस परिस्थिति के लिए अंजान होकर भौचक्के होने का नाटक कर रहे थे ।

और सबसे पहली सफाई निशा ने दी , झट से उसने अपने सीने से चुन्नी खीची और फर्श पर हिल रहे उस डिलडो पर फेककर उसे ढकते हुए - ये कहा से गिरा मौसी ।

रज्जो को निशा की चालाकी पर हसी मगर भीतर चल रही बेताबी को थामती हुई - वो यही आलमारी मे कपड़े से गिरा है , किसका है ये ?

निशा हड़बडाई- प पता नही , मेरा नही है मौसी सच्ची ?

रज्जो हस्ते हुए होठो के साथ - धत्त तेरा कैसे होगा रे , देखी नही इतना मोटा बड़ा
रज्जो का जवाब और उस को मुस्कुराता देख निशा थोडी सहज हुई
रज्जो - कही सोनल का तो नही था ,

निशा चौक कर - क्या !! नही नही मौसी , मै उसे अच्छे से जानती हु और ये सब भला वो कहा से लायेगी । वो तो कही बाहर आती जाती भी नही थी ।

रज्जो - हम्म्म , फिर और कौन था इस कमरे मे

निशा थोड़ा हिचक कर लड़खड़ाती जुबां मे - वो रीना भाभी भी तो थी ना यहा ।

रज्जो - क्या , बहू ? नही नही वो कैसे ?

निशा - हा हो सकता है मौसी मुझे प्कका यकीन है ये वही लेके आई है निचे से

रज्जो - निचे से , मतलब ये किसी और का है ?
निशा - हा मौसी शायद मै जान्ती हु ये किसका है !!

रज्जो - किसका ?
निशा - शायद शिला बुआ का ?
रज्जो - शिला दीदी !!

रज्जो कुछ सोच कर बैठी और निशा का दुपट्टा हटा कर वो 10 इंच वाला बड़ा सा डील्डो हाथ मे लेते हुए - हम्म हो सकता है , तेरी बुआ वैसे भी कम छिनार नही है ,वो तो हाथी का खुन्टा भी घोट जाये

निशा खिलखिला कर शर्मा कर हसी - क्या मौसी आप भी हिहिहिही

रज्जो - अरे देखा नही , कैसे कुल्हे हिलते है उसके ।

निशा हस कर - कुल्हे तो आपके भी एकदम वैसे ही हिलते है मौसी हिहिहिही कही ये आपका ही तो नही

रज्जो मुस्कुरा कर - धत्त इतना मोटा मेरे मे जायेगा ही नही

निशा थोडा हिम्मत कर - एक बार कोसिस करके देखो मौसी क्या पता चला ही जाये हिहिहिही

इससे पहले रज्जो निशा को जवाब देती रागिनी रज्जो को आवाज देते हुए कमरे मे आने लगी और शिला ने झट से उसे निशा के दुपट्टे मे लपेट कर कपड़ो मे छिपा दिया ।
रज्जो - चुप रहना इस बारे मे छोटी को कुछ मत कहना अभी ।

रागिनी कमरे मे आती हुई - जीजी इधर का हो गया क्या ?

रागिनी कमरे मे आई और उसकी नजर रज्जो और निशा पर गयी जो कपडे फ़ोल्ड कर पैक कर रहे थे और तभी रागिनी की निगाहे निशा के खुले सीने पर गयी ।

images-2
पहली बार रागिनी ने निशा को बिना दुपट्टे को इस तरह से देखा उसकी मोटी रसदार गोरी चुचियो की गहरी घाटीयो को हिलता देख रागिनी को ताज्जुब हुआ कि निशा ने हालही मे कुछ ज्यादा तेजी से विकास किया है , मगर उसने इस बात को बहुत तवज्जो नही दी और उनके साथ काम मे लग गयि ।



वही निचे गेस्ट रूम का दरवाजा भीतर से बन्द था और शिला के मुह पर चुप्पी थी ।
राज उसके पास बैठा हुआ उसके जांघो को सहला कर उसे हौसला दे रहा था ।

राज - क्या सोच रही है आप
शिला - वही सोच रही हु बेटा कि अनजाने मे हमारी ही की गयी गलतीयों की सजा अरुण को देते आये है हम ।

राज - बुआ वो चीज़ें तो सुधर जायेगी लेकिन छोटी बुआ और दोनो फूफा एक साथ कैसे ? मुझे उस रात यकीन ही नही हुआ ।

शिला चुप्पी साधे हुए - हम्म्म
राज - बहुत सारे सवाल आ रहे है बुआ , छोटी बुआ का दोनो फूफा से और फिर आपने कहा था कि आपके दो पति है । प्लीज बुआ बताओ ना क्या बात है क्या सच मे आपकी दो शादी हुई है ।

शिला थोड़ी झेपी और मुस्कुराई जिसपे राज उससे चिपक कर - अब तो बताओ ना प्लीज प्लीज

राज उसको लेके बिस्तर पर लेट ही गया ,
बुआ खिलखिलाकर - अच्छा ठिक है बाबा बताती हु लेकिन पहले मुझसे दो वादा कर

राज - दो वादे ?
शिला - हम्म दो !!
राज - मुझे सब मन्जुर है
शिला - अरे पहले सुन तो
राज - हम्म बोलो
शिला - पहला ये कि इस बारे मे किसी से भी बात नही करेगा यहा तक कि अपने पापा से भी नही ।
राज - अच्छा ठिक है और दूसरा
शिला - और प्लीज अरुण को लेके हमारी मदद करेगा वादा कर
राज शिला को कसकर पकड़ता हुआ - पक्का वाला वादा बुआ अब बताओ हिहिहिही

शिला - तो पहले क्या जानना है तुझे , कम्मो के बारे मे या मेरी शादी , वैसे दोनो जुड़ी हुई है ।

राज - उम्म्ंम्म एकदम शुरु से हिहिहिही मजा आयेगा
शिला उसके गाल खिन्चती हुई हसी - बदमाश कही का , चल सुन




इधर शिला राज को अपनी कहानी सुनाने जा रही थी तो वही जन्गीलाल अपनी आपबीटी और दुखड़ा लेके अपने बड़े भाई रंगीलाल के पास पहुच गया था ।


दुकान पर ग्राहको से डील कर रहे रंगी ने जब अपने छोटे भाई का उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसने बबलू को भेज कर दो फालुदा मगाने को कहा और ग्राहको को निपटाने तक जन्गी को केबिन मे बैठने को कहा ।

जंगी केबिन मे चला गया
10 मिंट बाद रन्गी उसके पास आता है खुद फालुदा लिये ।

जंगी को ग्लास थमाता हुआ - लो पीयो इसे
जंगी परेशान होकर हाथ मे गिलास पकड कर - भैया वो मै ...

रंगी ठंडे ठंडे फालुदे का सिप लेता हुआ - हम्म्म पीयो पहले फिर आराम से बताओ बात क्या है

चार घूंट भितर गटकने से जन्गी के शनायु कुछ शान्त हुए लेकिन भीतर की खलबली उसके चेहरे पर अभी भी जाहिर थी ।

रंगी गिलास रखता हुआ - हम्म बोलो अब क्या बात है

जंगी अपने भैया के सामने बैठा हुआ इधर उधर गरदन हिला रहा था , दिल की बात जुबा तक नही आ पा रही थी -भैया वो ..

रंगी - जंगी , जन्गीईई सुन कुछ भी बात हो चाहे मेरे बारे मे ही क्यू ना हो तु एक दोस्त की तरह मुझसे दिल खोल कर बोल ।

जंगी - अरे नही भैया आपके बारे मे नही वो शालिनी

रंगी - क्या हुआ !! कुछ तबीयत खराब है क्या , निशा की मा का ?

जंगी - नही भैया वो दरअसल कल रात से ही कमलनाथ भाई मेरे यहा रुके थे और हमने थोड़ी थोड़ी ड्रिंक कर ली थी तो आपके ससुर चौराहे वाले घर थे तो मैने उन्हे अपने घर ही रात रुकने को कहा था ।

रंगी - हा पता है मुझे , अरे मुझे शामिल किया होता तो ऐसा नही होता ना हाहाहा मेरे हिस्से की कमल भाई गटक गये तो कैसे हजम होगा हाहाहा

जन्गी के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान थी - बात वो नही है भैया
रंगी - हा हा तु बोल
जंगी - भैया वो रात मे शालिनी भी आई थी बा अनुज के साथ और आज सुबह

रन्गी - हा अनुज तो सुबह जल्दी आ गया था , कमल भाई और निशा की मा ही लेट आये थे

जंगी हिचक कर अपना कलेजा मजबूत करता हुआ - हा तो लेट होने का कारण नही जानना चाहोगे भैया

रन्गी हसता हुआ - क्या तु भी जंगी हाहाहा , ऐसी छोटी छोटी बातों के लिए क्या सोचना ।

रन्गी - अरे निशा की मा सुबह नासता पानी करवाने मे लगी थी , बताया था अनुज ने तो कोई बात नही मत सोच ये सब । ना मै गुस्सा हु और ना तेरी भाभी समझा

जंगी खीझ कर उठ खड़ा हुआ - ओह्ह भैया मै कैसे बताऊ अब आपको की बात कुछ और ही है

रंगी भी खड़ा हुआ - क्या बात है जंगी सच सच बता अब

जन्गी - भैया कमल भाई ने मेरे परिवार के साथ बहुत गलत किया है

रन्गी अचरज से - कमल भाई ने गलत किया है , मतलब क्या हुआ, कही रात नशे मे निशा की मा के साथ कुछ बदतमिजि तो नही किया ना

जंगी - नशे मे नही भैया खुले आम आज सुबह किचन मे वो शालिनी के साथ

रन्गी की उस्तुकता बढ़ी और साथ मे उसके लन्ड मे खल्बली होने लगी थी अनुमानित तौर पर जरुर चुदाई वाला ही सीन देखा होगा जंगी ने ।

रन्गी - क क्या हुआ किचन , तु साफ साफ बोल ना भाई । ऐसे उल्झा क्यू रहा है ।

जन्गी रन्गी का हाथ झटक कर बैठता हुआ - भैया वो कमल भाई शालिनी के साथ सम्भोग कर रहे थे ।

रंगी - क्या ?
जंगी - हा भैया ,
रन्गी ने अपनी लन्ड को चढ्ढे मे घुमा कर - और निशा की मा उसका व्यव्हार कैसा था उस समय ?

जंगी अपनी आंखो मे छ्लके हुए आसू को साफ करता हुआ - मतल्ब
रंगी- अरे मतलब निशा की मा कमल भाई का साथ दे रही थी या विरोध कर रही थी

जन्गी चुप हो गया
रंगी - बोल ना
जंगी - मुझे नही पता भैया , मै बहुत देर रुक ही नही पाया मुझसे देखा ही नही गया ।

रन्गी - अच्छा ये तो देखा ही होगा ना कि निशा की मा ने पूरे कपडे पहने थे या कुछ भी नही

जन्गी - शायद कुछ भी नही
रंगी - ओह मतलब निशा की मा भी कमल भाई के साथ थी ।

जंगी - क्या ? नही भैया शालिनी कैसे ?
रन्गी - देख भाई मै निशा की मा के चारित्र पर उंगली नही कर रहा हु लेकिन तु ही सोच ना कि अगर कमल भाई ने जबरदस्ती की होती तो वो जरुर शोर मचाती और सुबह जब दोनो साथ मे चौराहे वाले आये तो काफी घुले मिले दिख रहे थे ।

जंगी जो कि पहले से ही शालिनी की सच्चाई जान रहा था उसने अब रन्गी के सामने ये जाहिर करने लगा कि शायद उसकी बीवी भी कमल के साथ राजी होकर ही किया हो ।

जंगी - अह भैया वो दोनो जब घर से निकले थे तो भी बहुत खुश थे
रंगी - देखा , मतलब दोनो ने राजी खुशी मे किया है ।

जंगी - लेकिन भैया कमलनाथ भाई की वजह से मेरा घाटा हुआ ना

रंगी - कैसा घाटा
जन्गी - भैया उन्होने मेरी बीवी से कर लिया ना
रंगी हस कर - उस हिसाब से तो तुने भी कमल भाई की बीवी से किया है हिसाब बराबर फिट्टूस हाहहहा

जंगी थोड़ा मुस्कराया - लेकिन भैया मन नही मान रहा है ना
रन्गी - देख असल मे तुझे ये नही खल रहा है कि निशा की मा ने कमलभाई से सम्भोग किया , बल्कि तुझे इस बात का कष्ट जरुर होगा कि निशा की मा ने इस बारे मे छिपाया तुझसे ।

जंगी एक गहरी सास लेके - हम्म भैया ये भी है , अच्छा तो क्या इन दोनो का च्क्कर पहले से रहा होगा

रन्गी - हा हो भी सकता है , शादी के समय से ही दोनो एक ही घर मे थे और शायद वही चौराहे वाले घर मे ही इनकी आपस मे सांठ गांठ हुई हो और शायद कमलनाथ भाई जानबूझ कर ज्यादा ड्रिंक करके तेरे यहा रुक गये ताकि निशा की मा खाना लेके आये और भीड भस्ड़ से अलग इन्हे अकेले मे मौका मिल जाये ।

जंगी को रन्गी की सारी बातें उसके हुए अनुभवो के अनुसार तर्क संगत लग रही थी - हा भैया सही कह रहे हो क्योकि रात मे भी मुझे ऐसा ही कुछ अनुभव हुआ था

रन्गी जिज्ञासु होकर - क्या ?
जंगी थोड़ा गला साफ कर - भैया वैसे तो शालिनी मेरे साथ सम्भोग के लिए तैयार होती है मगर ना जाने क्यू मेरे कयी बार आग्रह करने के बाद भी उसने मना किया


रन्गी ताली देकर - देखाआआ !! यही वजह थी छोटे , उन दोनो की पहले ही सांठ गांठ थी इसीलिए तो वो मना कर रही थी ।

जंगी अपने भाई की कौतूहलता देख कर थोडा खुद पर लल्ल्जित था मगर उसे यकीन था कि अपने भैया से ये बाते शेयर कर उसने एकदम सही किया है ।

जन्गी - हा भैया और इसीलिए वो जानबूझ कर मेरे साथ ना सो कर अनुज के साथ राहुल वाले कमरे मे सोने चली गयी थी

रंगी सर हिलाता हुआ - हम्म् तो योजना बहुत तगडी थी दोनो की

जन्गी - हा भैया और मुझे लग रहा था कि वो बहुत ...।

जंगी बोलते बोलते रुक गया और थोडा असहज होने लगा ।
रंगी - क्या हुआ बोल ना
जंगी - भैया मुझे लग रहा था कि वो रात बहुत गर्म थी ।

जंगी की बात पर रन्गी का लन्ड थुमका ।
रंगी गल साफ कर थोडा असहज होकर - म अ मतल्ब

जंगी - अरे भैया वो रात मे जब कमल भाई खाने के लिए भी हिल डोल नही रहे थे तो उसका गुस्सा तेज था और जब मैने देर रात राहुल वाले कमरे मे गया , जैसे ही अपना औजार बाहर निकाला वो लेने को तैयार हो गयी ।

रन्गी - क्या ? वहा अनुज भी तो था ना सोया
जंगी - हा भैया मेरे बार बार कहने के बाद भी वो वही रही और मुझे उसे फर्श पर उतार कर करना पड़ा ।

रंगी का लन्ड अब कस चुका था और चढ्ढे पर उभार स्पष्ट दिखने लगा था
रन्गी ने जैसे ही उसको भिन्चा सामने बैठे जंगी की नजर अपने भैया के हरकतो पर गयी ।

रन्गी मुस्कुरा कर - अह ऐसी बातों मे साला ये परेशान हो जाता है
जंगी ने एक फीकी मुस्कान दी और बोला - भैया अब मै क्या करू , कुछ समझ नही आ रहा है । इसीलिए आपके पास आया हु ।


रन्गी ने एक अंगड़ाई ली और कुछ सोच कर - देख भाई अब जो हो चुका है वो बदला नही जा सकता लेकिन हा इस बात के लिए तैयार रहा जा सकता है कि आगे वो कही बाहर ना भटके ।

जन्गी - मतल्व ?
रन्गी - अरे मेरे कहने का मतलब , औरतें के भीतर की बात कोई नही समझ पाया , पता नही कमल भाई की कौन सी बात पर निशा की मा रिझ गयी उसपे , उसकी कमजोर कड़ी को तुझे खोजना पड़ेगा ।आज को तो कमल भाई थे वो अपने रिश्ते मे है और यहा चमनपुरा से दूर के है । कल को कोई लोकल का भी आ गया तो , इस बारे मे विचार करना पडेगा ना ।

जंगी - क्या भैया आप तो डरा रहे हो मुझे
रंगी - अरे डर मत मै एक दो काम बताता हु तु वो करना फिर जैसी वो प्रतिक्रिया देगी बताना मुझे ।


जंगी - जैसे कि?
रन्गी - पहली चीज़ तो ये है कि उसे भनक ना लगे कि तु निशा की मा के बारे मे जानता है , जैसा पहले था वैसे ही रखना ।
जंगी - और फिर
रंगी - देख भाई अगर ये उस्का पहली बार हुआ होगा तो मेरा यकीन कर प्कका वो किसी ना किसी बहाने से तेरे से कमल भाई की चर्चा जरुर करेगी और उस समय तुझे उसकी बातों को गौर से सुनना समझना है ।

जंगी - अच्छा ठिक है और कुछ
रंगी - हा है ना
जन्गी - क्या ?
रंगी अपना मुसल मसलता हुआ - आज रात तेरा बदला मै ले लूंगा हाहाहा तु टेन्सन फ्रि रहना

जन्गी समझ गया कि रंगी रज्जो को पेलने की बात कर रहा था ।
जंगी मुस्कुरा कर - भैया एक बात कहू
रंगी - क्यू तुझे भी चाहिये क्या , बोल अभी फोन करके बुला दू उम्म्ं

जंगी हस कर - नही वो बात नहीं है
रंगी - हा फिर क्या बता , बोल ना छिपाता क्या है मेरे से ।
जन्गी - पता नही आपको पसंद आयेगा भी या नही
रन्गी उसका कन्धा ठोक कर - अरे बोल ना

जन्गी - भैया मै तो सोच रहा था 7 - 8 पहलवानो को बुला कर रज्जो भाभी का गैंग वाला करवा दू , बहिनचोद खुनन्स नही निकल रही है

रन्गी जोर से ठहाका लगाता हुआ - हाहाहाहा समझ रहा हु दिल की भड़ास भाई , लेकिन अपनी सेक्सी रज्जो ने क्या बिगाडा है हिहिहिही वो तो हमे खोल कर देती है सारे छेद फिर उससे क्यू खुन्नस निकालना

जन्गी - वो ना सही तो ये कमल भाई की कोई बहन ही कोई , साली की बुर और गाड़ मे 2-2 लन्ड घुसकर कर उसके मुह मे मूत दू फिर कही चैन मिले मुझे

रंगी हसता हुआ - शायद उसकी एक बहन है ,उम्म्ं कोई गाव था बड़ा युनिक नाम था उसका

जंगी - क्या , सोचो ना भैया साला आज ही फाड़ के आउन्गा बहिनचोद

रन्गी हसता हुआ - अरे तु शान्त हो जा , हा याद आया "
चोदमपुर "

" क्या ?
चोदमपुर !! , ये कैसा नाम है " , जंगी ने अचरज से पूछा ।

रन्गी हस कर - पता नही भाई वो तो तेरी भाभी गयि थी कमल भाई के लड़के की शादी ने उसने बताया था ।

जंगी - चोदमपुर हो या पेलमपुर , बहिनचोद मौका मिला तो मईया भी चोद दूँगा

रन्गी हसता हुआ उसकी पीठ थपथपा हुआ उसे दुकान मे लेकर आने लगा - हा हा भाई सब कर लेना तु, चल आजा पान खिलाता हु तुझे

जंगी अपनी भुन्नाहट बाहर दुकान मे आने पर शान्त करता हुआ रन्गी के साथ चला गया ।

जारी रहेगी
Ekda kadak, lgta h rangi bhi shalini ko pelna chahta hai
 
1,018
1,231
144
Bhai Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update Update
 
  • Like
Reactions: DREAMBOY40
Top