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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

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आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
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ajaydas241

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UPDATE 212

चमनपुरा बाजार की सड़को पर आज बुढे जवाँ , औरतें बच्चे हर किसी नजर शालिनी की लचकदार कूल्हो पर जमी थी ,

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जांघो पर चुस्त ऐसी कसी कि पैंटी की लाईन चूतड पर उभर आये । दोनो जबरज्स्ट चुतड़ उसकी शार्ट कुर्ती मे आधे ढके आधे खुले हिल्होरे खा रहे थे ।
उपर सर पर दुपट्टा कर आगे से अपने उन्नत और बिना ब्रा वाली जोबनो को छिपाती हुई सडक पर चल रही थी ।
राहुल और अरुण दोनो आज शालिनी की इस हरकत से खुद कामोत्तेजित हो रहे थे जिस तरह से बजार के लोग घुर घुर के शालिनी के छ्लकते मोटे थन जैसे दूध और उसकी मतकति गाड़ निहार रहे थे ।
दोनो के लन्ड बेकाबू हो रहे थे उसमे ज्यादा बेकाबू तो अरुण था

बीते 15 मिंट पहले का उसका आधा अधूरा मजा उसे झलकियों के रूप मे उसके जहन मे घुम रहा था ,

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शालिनी कुछ देर के लिए राशन की दुकान पर चढ़ी और कुर्ती से झांकती उसकी मांसल जान्घे और गोल चुतड देख कर वो उस कामुक दृश्य मे डूब सा गया जब शालिनी ने उसे कमरे मे बुलाया था

कुछ देर पहले ....


हा मामी , बोलो ।
शालिनी बड़ी कातिल अदा से इठलाती हुई - अह मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहन के बाजार जाऊ इसीलिए तुम्हे बुलाया ।

अरुण के निगाहे शालिनी के कसे हुए जोबन पर थी जिसके निप्स उभरे हुए टाइट थे एकदम ।

शालीनी - वैसे मेरे उपर क्या अच्छा लगेगा , साडी या सूट

अरुण एक पल को अपनी मामी के जिस्म के उभार कटाव को कसी हुई चूड़ीदार सलवार और सीने पर चुस्त सूट मे सोच कर ही भीतर से सिहर उथा उसका लन्ड एकदम टाइट - आह्ह मामी आपको सूट ट्राई करना चाहिए वैसे
शालिनी - उम्म्ं निशा के सूट मुझे हो जाते है , देखती हु कोई मिल जाये , आना इधर देखना तो
ये बोल कर शालिनी आलमारी खोल कर आगे झुक कर कपडे उलटने लगी और नाइटी मे उसकी बड़ी गोल म्टोल गाड़ फैल कर अरुण के आगे ।

मामी के आकार लेते चुतड को देख कर अरुण का मुसल भी फुलने लगा , हथ बढा कर वो अपना लन्ड़ भींचने लगा ।
शालिनी जानबूझ पर अरुण के जजबातों से खेल रही थी और अरुण अब उसकी हिलती गाड़ देख कर अपने लोवर मे हाथ घुसा कर लन्ड को मीजने लगा ।

तभी आलमारी से कुछ कपड़ो के साथ कासमेटिक आईटेम भी फर्श से गिरने लगते है ।
शालिनी - अह बेटा जरा उठा कर देना तो
और जैसे ही अरुण फर्श पर बैठ कर समान बटोरने लगा तो मौका पाकर शालिनी झट से आधी नाइटी घुटने से उपर तक खिन्च ली और उसकी आधी जान्घे पीछे से नन्गी दिखने लगी

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जैसे अरुण ने नजरे उपर की शालिनी के बडे बड़े चुतड़ ने नाइटी उठा कर उसके रसिले लम्बे फाके नजर आने लगे ।

जिसे देख कर अरुण सुध बुद खो बैठा , उसके सुपाड़े मे जबरज्स्ट खुजली होने लगी , शालिनी के जिस्म से उठती मादक गंध उसे और भी पागल करने लगी,वो नशे मे उसकी ओर झुकने लगा

शालिनी अरुण के नथुने अपने नंगे चुतड़ की ओर बढ़ देख हल्की सी और अपनी नाइटी खिंच दी , जिससे उसके चुतड पूरे नंगे हो गये
बौखलाया अरुण अपनी मामी की नंगे कुल्हे जान्घे सहलाने लगा -आह्ह मामीईई कितनी सेक्सी हो आप उम्म्ंमममं अह्ह्ह्ह

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शालिनी अरुण की बेचैनी और उसके जोशीली स्पर्श से भीतर से हिल गयी , अरुण के नथुने उसके गाड़ के दरारो ने घुसे हुए थे और वो उसके चुतड फैला कर उन्हे सुँघ रहा था , शालिनी भी जोश मे अपने चुतड अरुण के चेहरे पर मलने लगी - आह्ह बेटा उम्म्ंम्ं लेह्ह चाट ले आह्ह यही देख कर ही तेरा खड़ा रह रहा है ना उम्म्ंम

अरुण शालिनी के नरम चुतड फैला कर दाँत लगाता है - हा मामी पागल हो गया हु इन्हे देख कर मन कर रहा है आमम्म उफ्फ्फ कितनी नरम गाड़ है आपकी मामी उम्म्ंम

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शालिनी उसके सर को पकड़ कर अपने चुतड के दरारो मे दरने लगी - आह्ह बाबू चाट और चाट ऊहह देख तेरा जोश देख कर मेरी बुर बह रही है

अरुण भी मामी की टाँगे फैला कर उसकी बुर मे नीचले छोर पर जीभ लपल्पाने लगा और गरदन लफा कत भीतर 2 इंच जीभ घुसा दी , शालिनी की बुर बिलबिला उठी और अरुण उसकी मलाई चुतड के छेद तक जीभ से फैलाता हुआ चाटने लगा - आह्ह मामी बड़ा नमकीन पानी है आपका उह्ह्ह और गाड़ पर लगा कर चाटने का मजा भी अलग है उम्म्ंम सीईई आह्ह

शालिनी की इस तरह से तारिफ किसी ने नही की थी वो और भी कामोत्तेजक होकर उसके सर को अपनी जांघो और चुतड़ मे दरती रही अगली बारी झडने तक , इस बार अरुण ने उसकी जान्घे उठा कर उसकी बुर को अच्छे से साफ किया और खड़ा हुआ

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उसका मुसल पुरा फनफनाया हुआ था लोवर मे जिसे शालीनी ने हाथ बढा कर लपक लिया आगे की ओर उसका लन्ड लोवर के उपर से खिन्चने लगी ।

अरुण आंखे बन्द कर मामी का स्पर्श पाकर मस्ती मे हवा मे उठने लगा , उसकी एडिया अकड़ने लगी आंखे उलटने लगी मानो मामी लोवर के उपर से ही अभी उस्का सारा जोश बहा के जायेंगी - आह्ह मामीईई कुछ करो ना ऊहह उम्म्ंम
शालीनी उसके लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गर्म कडक लन्ड का अह्सास कर भीतर से सिहर उठती है और अरुण के चेहरे के जोशीली भाव पढते हुए अन्दर ही हिलाने लगती है ,

अरुण - आह्ह मामी ऊहह और और ऊहह आयेगा आयेगा उम्म्ंम उह्ह्ह निकल जायेगा उम्म्ं

शालिनी तेजी से उसके लोवर मे हाथ डाल कर हिला रही थी
मगर तभी हाल मे राहुल की आवाज आती है और दोनो सजग हो जाते है , उस वक़्त तक अरुण का लन्ड लोवर मे भी अपना फब्बारा फोड चुका था ।

अरुण - आह्ह मामी देखो अन्दर ही निकल गया अब क्या ?
शालिनी मुस्कुरा कर उसके गाल काटती हुई - मेरी जान अभी तुने अपनी मामी का जल्वा देखा कहा है, तु बाहर जा मै तैयार होकर आती हु फिर देख कैसे दुबारा टाइट होता है ये हिहिहिह

इधर अरुण मुस्कुरा कर नाइटी के उपर से अपनी मामी की चुचिया मसल कर उसके गाल चूमकर झट से कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी राहुल की नजर उसपर गयी और वो उसे शालिनी के कमरे की ओर आता देख चुका था ।

वो लपक कर उसके पास पहुचा - अबे कहा से , उधर कहा गया था

राहुल का साफ साफ इशारा उसकी मा के कमरे की ओर था जिस पर अरुण बस बेशर्म भरी हसी से दाँत दिखा रहा और उसका एक हाथ अभी लोवर के उस हिस्से को पकड़े हुए था जहा से उसका लोवर लन्ड ने गीला कर रखा था ।

राहुल ने उसका हाथ झटक कर लोवर मे गिले हिस्से को देखकर भौचक्का होकर - क्या कर रहा था भाई

अरुण खिखी करता हुआ - वो मामी कपडे बदल रही थी तो देख कर रहा नही गया और हिहिहिही

उसकी बातें सुनकार राहुल का लन्ड टाइट हो गया और आंखे फ़ाड वो अरुण से - तो क्या तुने मा को पूरी नंगी देखा

अरुण - आह्ह हा भाई , क्या सेक्सी माल है मामी उनके नरम नरम चुतड़ उफ्फ्फ कैसे थिरक रहे थे आह्ह रहा नही गया मुझसे तो उफ्फ़

राहुल हसता हुआ - साले हरामी तु तो मुझसे भी तेज निकला हाहाहा

अरुण - भाई अब तो बाथरूम जाने दे , कपडे बदल कर बाजार भी चलना है ना

राहुल - तु भी चलेगा



"अरे भाई चल हो गया " , राहुल ने उसे झकझोरा तो दुकान की कुर्सी से उठ कर अरुण होश मे आया और देखा मामी उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रही थी ।

राहुल - कहा खोया रह रहा है तु
अरुण एक नजर अपनी मामी को देख कर - नही कही नही ,चल चलते है
शालिनी उसको देख कर बस मुस्कुरा कर आगे बढ गयी ।

राहुल उस्के जाते ही - बहिनचोद कबसे तु मा के चुतड ही घुर रहा था एकटक, साले क्या हो गया हौ तुझे

अरुण - भाई मुझे मामी की गाड फिर से चाटनी है
राहुल -फिर से
अरुण खुद को सतर्क करता हुआ - अरे फिर से नही सिर से , वो छोर होता है जहा से शुरु होती है कमर के पास वो

राहुल - अच्छा वो
अरुण - आह्ह हा भाई ,देख ना मामी क्या सेक्सी लूक दे रही है , बहिनचोद सबकी नजर उनके रसिले चुतड़ पर अटकी है सीईई

राहुल - हा भाई , पता नही आज मम्मी को क्या सुझा कि वो निशा की ड्रेस पहन कर बाजार निकल गयी , पहले तो कभी नही किया ।

अरुण - उफ्फ़ तभी तो इतनी कसी और चुस्त है ।
इधर ये दोनो शालिनी के मटकते चुतडो के पीछे चलते हुए वाबरे हो रहे थे वही दूसरी ओर जन्गीलाल की अपनी अलग बेचैनी थी ।
शालिनी कभी इस तरह से बाजार नही गयी थी जिसकी वजह से जंगीलाल के लिए चिंता का विषय हो गयी थी ।
उसे कुछ सूझ नही रहा था और जैसे ही ग्राहक हटे वो तुरंत अपने भैया रन्गीलाल को फोन घुमा दिया ।

फोन पर ...

रंगी - हा भाई बोलो क्या बात है ?
जंगी - भैया वो निशा की मा !
रन्गी - हा क्या हुआ उसे ?
जन्गी - अरे पता नही आज उसे क्या सुझी है जो कुर्ती लेगी मे बजार निकल गयी है ।
रंगी - हा इसमे क्या दिक्कत है वो तो पहले भी सूट नुमा कपडे पहनती है ना ?

जन्गी - अह भैया कैसे सम्झाऊ मै , आप खुद देख लो वो अभी आपके दुकान की ओर ही सब्जी मंडी के पास होगी , देख कर फोन करो ।
फोन कट हो गया ।
इधर रंगी की बेचैनी भी बढ़ गयी और वो दुकान के नौकर को बिठा कर सब्जी मंडी की ओर बढ़ गया ।

घूमते फिरते , इधर उधर भीड मे गरदन एडिया उठा कर नजर घुमाया मगर वो नजर नही आई और फिर वो 10 मिंट के बाद एक पान की दुकान पर पहुंचा और पान लगवाने लगा कि तभी उसकी नजर सड़क उस पार आंटा चक्की वाले दुकान पर गयी , जहा एक औरत दुकान से तेल की बोतल लेकर झोले मे डाल कर दो लड़कों से बात कर रही थी ।

रंगी एक नजर मे उसे पहचान गया और सडक पर उतरते ही उसकी नजर शालिनी की गुदाज रसिली जांघो पर गयी जिसकी चुस्त लेगी मे उसके पैंटी की शेप साफ साफ झलक रही थि ।
जैसे ही शालिनी आगे घर की ओर बढी रंगीलाल उसके आधे ढके थिरकते चुतड देख कर पागल गया , उसका लन्ड भरे बजार बगावत और उतरा , उसपे से जरदा वाला पान उसकी कामोत्तेजना और बढा रहा था ।
फटाफट उसने पान उगलना उचित सम्झा और जंगी को फोन घुमा दिया ।

फोन पर जन्गी बेचैनी से - हा भैया दिखी क्या वो ?
रंगी - हम्म दिखी अभी वो चक्की वाले के यहा
जन्गी - देखा ना भैया कैसे उसकी मनमानियां बढ़ रही है , क्या सोचेंगे मुहल्ले के लोग मेरे बारे मे ।

रंगी - ओहो तु तो सोचता बहुत है , अरे कौन सा अकेली घूम रही थी और कपडे इतने भी बुरे नही थे , हा बस थोड़े छोटे थे बस दो चार इंच की बात थी । मुझे नही लगता कि ये उसके कपडे होगे ।

जन्गी - नही भैया ये तो निशा के थे
रन्गी - ले बोल , भाई तुझे जब पता है कि उसे ऐसे सूट और आरामदायक कपडे पसन्द है तो लाकर देता क्यू नही, जब नही रहेगा कुछ तो वही पहनेगी ना

जन्गी को भी रन्गी की बात सही लगी
रंगी - फाल्तू का टेन्सन ना ले , उससे दिल खोल कर बातें कर , तुने भरम पाल लिया है वो निकाल अपने मन से ।

जंगी - जी भैया


इधर ये तीनो बाजार से घर की ओर वापस आने लगे तो मार्केट मे भीड़ ज्यादा होने की वजह से शालिनी ने मेन मार्केट से ना जाकर गली बदल दी और सब्बो के मुहल्ले से होकर घर के लिए सड़क पकड़ी ।
शालिनी का लगभाग ये हर बार बाजार से आते वक़्त का रूट हुआ करता था जब भी उसका झोला भारी हो जाता वो बाजार से हट कर इस शान्त गलियों से होकर घर के लिए जाती ।

इधर दोनो भाई भी समान लिये तेजी से चल रहे थे कि अचानक से अरुण के बढते कदम धीमे हुए और उसकी नजरे बगल की पतली गली से उसके सामने निकलती हुई महिला पर गयी जिसके भडकिले मोटे मोटे भारी चुतड की थिरकन देख कर अरुण की सासे अटक सी गयी ।

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इतने बड़े और बुलंद चुतड आज तक उसने नही देखे थे , और उनकी थिरकन उसके लन्ड फडका रही थी ।

इधर अरुण आंखे फाडे उस महिला की गाड़ निहार रहा था कि तभी शालिनी ने उस महिला को आवाज दी - अरे सब्बो की अम्मा रुकना ।

अरुण और राहुल दोनो रुक गये और शालिनी को तेजी से उस औरत के करीब जाता देख रहे थे कि अरुण से कुछ कदम आगे जाकर शालिनी एकदम से आगे की ओर झुकी कुछ उठाने के लिए और शार्ट कुर्ती उपर उठी जिससे उसके चुस्त लेगी मे कसे हुए मोटे मोटे गोल मटोल गुदाज चुतड साफ साफ नजर आने लगे ।

दोनो भाई बिच सडक पर शालिनी का ये नजारा देख कर हैरान हो गये और तभी शालिनी उठी और एक नोट उठा कर उस औरत को दिया ।
उस औरत ने शालिनी का धन्यवाद किया ।

अरुण राहुल से फुसफुसाया - ये तहलका कौन है भाई
राहुल हस कर - ये सब्बो की अम्मी है रुबीना

अरुण - तो अब ये सब्बो कौन है ?
राहुल हसने लगा - भाई ये दोनो मा बेटी रन्डीयां है , पैसे लेकर चुदाई करती है ।

अरुन - बहिनचोद तभी इसके चुतड इतने बड़े है ऊहह पुरा खड़ा हो गया , इसके लिए तो भाई घोड़े का लगेगा हिहिहिही

राहुल - जो भी लगे अपने को क्या ,
अरुण हस कर शालिनी की ओर इशारा कर - हा और क्या अपना माल वो है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ - साले हिहिहिही

अरुन- भाई आज भाई घाट की ओर चले क्या समान रख कर
राहुल - हा चल वैसे भी क्या ही काम है ।
अरुन - हा यार घूमना जरुरी भी है
राहुल - तेरा घूमना सब समझ रहा हु साले


फिर दोनो घर पर समान रख कर नदी की ओर निकल गये ।

इधर शाम ढल रही थी और अनुज दुकान पर खाली बैठा था , उस्के हाथ मे रिन्की की छोड़ी हुई पैंटी थी जिन्हे वो अपने हथेली मे मसल कर रिन्की की मुलायम बुर की कल्पना मे अपना लन्ड भी सहला रहा था ।

उसने घड़ी देखी और आज समय से पहले ही दुकान बढाने लगा इस आश मे कि शायद अमन के घर से होकर जाते हुए उसे रिन्की दिख जाये ।
अनुज फटाफट से दुकान बन्द कर निकल गया , मगर उसकी किस्मत इतनी अच्छी नही थी कि वो रिन्की को देख पाये ।
मायूस मुह लेकर वो आगे अपने घर की ओर बढ़ गया ।

घर का दरवाजा अनुज उदास मुह से खटखटाया और रागिनी ने दरवाजा खोला तो अनुज का उतरा मुह देख कर बड़ी फिकर मे उसके गाल सहलाने लगी - क्या हुआ मेरा बच्चा , ऐसे क्यू उदास है तु

अनुज उदास के साथ साथ थका भी था तो अपनी मा के छातियो मे खडे खड़े लुढकने लगा , रागिनी हसते हुए उसको सम्भालने लगी - धत्त , सीधा खड़ा हो ना , मै गिर जाउंगी
अनुज को अपनी मा के मुलायम चुचो की नरमी मे गजब सा सुकून मिल रहा था वो बच्चो जैसे जिद दिखा कर - मम्मा गोदी लो ना , थक गया हु बहुत ऊहह

रागिनी उसके चेहरे को प्यार से दुलारती हुई हसने लगी - खंबे जैसा हो गया है कैसे उठाऊ तुझे , चल अन्दर बदमाश कही का ।

रागिनी उसको हाल मे लेकर आई ।

रागिनी एक ग्लास पानी लाकर उसे देती है - ले पानी पी ले और अगर मन हो तो बुआ के कमरे मे आराम कर ले । खाना बन जायेगा तो मै जगा दूँगी

बुआ का नाम आते ही अनुज के सुस्त हुए जज्बात एकदम से फुरत हो गये और पानी गटक कर वो गेस्ट मे चला गया ।

दरवाजा खोलते ही उसकी नजर सामने करवट लेकर लेटी शिला बुआ पर गयी ,

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जिन्की कूल्हो से कुर्ती सरकी हुई और लेगी मे उनकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ साफ साफ दिख रही थी ।
जिसे देख कर अनुज का मुसल पल भर मे टनटना गया और धीरे से उसने दरवाजा बन्द कर चुपचाप बुआ के करीब गया ।

धीरे से बिस्तर पर लेट कर करवट होकर मुह अपनी बुआ की ओर कर दिया ।
उस्की नजरे अभी शिला की बड़ी मोटी फूली हुई गाड पर अटकी थी , उसका मुसल एकदम कसा टाइट था ।

सुबह के अनुभव और भैया से मिली हिम्मत से उसने जिगरा दिखाया और हौले से अपने कापते हुए हाथ शिला के उठे हुए कुल्हे पर रख दिया ।
क्या नरम नरम गुलगुले से अनुभव हुए अनुज को , उसका लन्ड और कसने लगा जैसे जैसे उसके हाथ अपनी बुआ के चुतड़ पर रेंगने लगे

बुआ के नरम नरम चुतड़ का अह्सास अनुज को भीतर से कामोत्तेजक किये जा रहा था , उसका लन्ड लोवर मे तम्बू बना कर अकड़ रहा था ।

उसके हाथ सरकते हुए बुआ के पेड़ू तक गये और शिला के जिस्म मे हल्की सी कुन्मुनाहट हुई ।
अनुज के हाथ जहा थे वही रुक गये कुछ सेकेंड तक उसकी सासे धौकनी की तरह धक धक होती रही फिर डर का साया मन से हल्का हल्का छटने लगा ।
अनुज ने एक बार फिर पहल शुरु की और उसकी उंगलिया अब शिला के चुत के ढलानो की ओर सरकने लगी , जिससे एक बार फिर शिला के जांघो मे चुनचुनाहट सी हुई और इस बार उसके अनुज का हाथ पक्ड कर उपर खिंच लिया - उम्म्ंम्ह्ह्ह अच्छे से सो ना लल्ला ।

एक पल को अनुज की फट कर चार हो गयी कि बुआ को कैसे पता।

मगर तभी उंगलिया को शिला के नरम नरम चुचियो का स्पर्श मिला और शिला अपने कुल्हे अनुज की ओर खीसकाती हुई उसके हाथ को अपने नरम नरम दूध पर रखती हुई - यहा पकड कर सो जा और परेशान ना कर मुझे ।

अनुज को यकीन नही हो रहा था कि ये सब उसके साथ हो रहा था , अब तो उसके बुआ की बड़ी सी गाड़ उसके लोवर मे बने बड़े से तम्बू के एकदम करीब थी , अनुज ने हल्का सा अपना कमर आगे किया और सुपाड़े की नुकीली टिप लोवर के निचे से शिला के नरम गाड़ मे इंच भर धंस गयी ।
इस नये कामोतेजि अनुभव से अनुज की सासे और तेज हो गयी ।
सुपाड़े पर एक अलग ही खुजली उठी रही थी , पुरे लन्ड मे गजब का जोश उठ रहा था और उसके पंजे शिला के चुचे को हाथ मे भर चुके थे ।

शिला भी हल्की नीद मे बस कुनमुना रही थी और अनुज के सुपाड़े की रगड़ उसके चुतड़ मे चुनचुनाहट पैदा कर उसके आराम मे खलल कर रही थी ।
इधर अनुज की हिम्मत बढ रही थी कि बुआ तो कुछ बोल नही रही तो फाय्दा ले और उसने अपना लोवर निचे कर अपना तना हुआ मोटा कडक भाले सा नुकीला सीधा लन्ड बाहर निकाला और हौले से शिला की गाड़ की दरारो मे चुबो दिया ।

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बहुत थोड़ी हरकत हुई शिला के देह मे मगर इस बार उसने कुछ नही कहा तो अनुज की हिम्मत बढी और उसने अपने गाड़ के पाटे टाइट कर अपने लन्ड को आगे ठेलते हुए शिला की गाड़ मे धकेलने लगा ।
अनुज के जिस्म से अब कामुकता की आंच उठने लगी थी , चेहरे पर खुमारी दिख रही थी , बुआ के नरम चुतड के दरारो मे लेगी के उपर से लण्ड घोप कर उसे जन्नत का मजा मिल रहा था और उसके मुह से सिसकियाँ उठने लगी थी , फुलते नथुने बजने लगे - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त उम्म्ंम


तभी शिला - उम्म्ंम क्या कर रहा है राज ऊहह बस कर ना बेटू
अनुज के अब कान खड़े हो गये और उस्का माथा ठनका और अब थोडा बहुत खेल समझ आने लगा

उसने जितना अपने भैया को आंका था वो उस्से कही आगे की चीज है , उसे यकिनन अब भीतर से मह्सूस होने लगा था कि उसका भैया बुआ की गाड़ चोद चुका होगा और उस ख्याल ने अनुज के लन्ड जोश का सागर भर दिया था , उसकी कामोत्तेजना चरम पर आ पहुची
उसका लन्ड अब बेकाबू होने लगा था और वो घुटने बल आकर बुआ के गाड पर लन्ड घिसने लगा - अह्ह्ह बुआआ उह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड है
गर्म कामोतेजक गुर्राती सिस्कियों के बीच बुदबुदाहट सी आवाज आ रही थी अनुज के मुह से और तभी उसकी नसे फड़फड़ाने लगी ।

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मुठ्ठियो मे जोर से भिच कर आंखे मुंद कर अनुज का सुपाडा फूट पड़ा और अनुज तेजी से अपना लन्ड बुआ के चुतड़ पर ही झाडने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं व्ह्ह्ह

शिला के कानो मे गुर्राती सिसकियों मे अनुज की आवाज आई और अपने चुतड़ पर गर्म चिपचिपाहट का अह्सास होते ही शिला चौक कर गरदन घुमा कर देखी - अनुज तु!!!

अनुज का जोश अगले ही फुरर हो गया , फनफनाता आग उगलता लन्ड हाथ मे आधा होने लगा ।

शिला अपने लेगी के उपर से चुतड़ पर गिरे उसे वीर्य को हथेली से पोछती हुई - ये क्या कर रहा था तु कमीने मेरे उपर । शर्म नही आई अपने मा समान बुआ के उपर ये सब गिराते हुए

अनुज डरा हुआ था उसकी फ़टी हुई थी जिस तरह से शिला भड़की हुई नजर आ रही थी , उसकी तेज आवाज से अनुज को डर था कि कही कोई बाहर से ना जाये ।

अनुज - आह्ह सो सॉरी सॉरी बुआ , वो मुझसे जोश जोश मे रहा नही गया , मै आपके ये बड़े बड़े चुतड देख कर परेशान हो गया था और फिर आपने राज भैया का नाम लिया तो मुझे ना जाने क्या हो गया और जोश मे आकर आपके उपर ही निकाल दिया ।

राज का नाम आते ही शिला की भी आवाज एकदम से शान्त हो गयी - मुझे लगा कि तु राज ही है इसीलिए मैने रोक नही ,

अनुज - तो क्या मेरी जगह राज भैया होते तो उनको नही डांटती क्या ?

शिला - अरे मेरा मतलब वो नही था , मैने सोचा कि
अनुज - हा हा , मुझसे कोई प्यार क्यू करेगा । सबका लाडला राज भैया ही है । मै तो छिप सा जाता उन्के आगे ना आपको भी वही प्यारे है ।

शिला अनुज को रुवास देख कर उसको अपने पास बिठाती हुई - अरे नही मेरे लाल , तुम दोनो मेरे लिए एक जैसे हो

वो तो राज हर बार मुझे ऐसे तंग किया करता है पीछे से चिपक कर तो मुझे लगा वही होगा । मुझे नही पता था तु भी इतना शरारती है हिहिही बदमाश कही का ।

अनुज शिला के सीने से चिपका हुआ मुस्कुरा रहा था - एक बात पूछू बुआ ।
शिला - हा बेटा बोल ना
अनुज - तो क्या राज भैया भी ऐसे आपके पिछवाड़े पर निकालते है ।

शिला मुस्कुरा कर - तु दोनो भाई बातें उगलवाने मे किसी से कम नही हो हिहिहिही ,
अनुज - बताओ ना बुआ प्लीज
शिला - हा भाई कभी कभी जोश जोश मे वो भी ऐसे ही मेरे कपडे भीगा देता था ।
अनुज थुक गटक कर - आपका मन नही हुआ बुआ कभी ...।
शिला उठ कर खड़ी हुई और कुर्ती निचे कर अपने चुतड ढकती हुई - कैसा मन मै समझी नही बेटा ।

अनुज भी खड़ा होकर हिचकता हिम्मत करता हुआ - कि कभी कपडो के निचे से मतलब पीछे से नंगी होकर गिरवा लू ।

शिला लाज से हस्ती हुई - धत्त बदमाश कही का , तु तो राज से भी ज्यादा शैतान है रे हिहिही

अनुज - बुआ सुनो ना
शिला अपने आलमारी से कपडे निकालने लगी - ह्म्म्ं बोल ना
अनुज का मुसल एक बार फिर से तन चुका था और अप्ना मुसल मसलते हुए शिला के पीछे खड़े होकर उसके मुलायम गाड को कुर्ती के उपर से सहलाता हुआ - बुआ मेरा मन करता है कि पीछे खोल कर गिराऊ

शिला चहकी और घूमती हुई हस कर - क्या बोल रहा है तु , हट पागल कही का ।

अनुज - बुआ प्लीज ना मान जाओ , आपकी गाड़ देख कर मुझसे रहा नही जाता । मन करता है बस हिला हिला कर उसको भर दू सफेद सफेद पुरा ।

अनुज की बातें सुन कर शिला के जिस्म भीतर से गिनगिना गया , उसकी बुर मचल उठी - तु चुप करेगा अब , मै नहाने जा रही हूँ ।

अनुज - बुआ प्लीज ना
शिला - नही कहा ना एक बार हट जाने दे मुझे

फिर शिला निकल गयी बाहर और अनुज भी बाहर हाल मे आया ।

अभी अनुज हाल मे दाखिल हो रहा था कि रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए घुस रही शिला को रज्जो के दरवाजे के बाहर ही जकड़ लिया - ऊहु शिला रानी कहा चली


शिला को पता था कि पीछे अनुज हाल मे आ गया है तो थोडा रज्जो के सामने झिझक रही थी - नहाने जा रही हु भाभी ,

रज्जो उसके मखमाली मोटे चुतड़ को सहलाती हुई - थोड़ी देर रुक जाती तो आपके भैया आपके पीछे साबुन लगा देते , आते होगे वो भी दुकान से।

शिला लजाती हुई हस कर - धत्त चुप करो , अनुज हाल मे ही है और वो छोटा नही रहा अब हिहिही
रज्जो ने एक नजर कनअखियो से हाल मे अनुज को बैठे हुए देखा और उसके लोवर मे उठे हुए तम्बू को निहार कर - क्या दिखा दिया बेचारे को तुमने जो बौराया घूम रहा है
शिला - धत्त भाभी तुम भी ना , अरे इधर आओ बताती हूँ ।
शिला उसको कमरे मे खिंच ले गयी ।

रज्जो - अरे क्या हुआ
शिला - ये अनुज भी कम नही है राज से , आज सुबह थोड़ी खुल कर क्या बात कर ली अभी शाम को मुझे सोते हुए दबोच लिया इसने और उसका वो बौराया सांढ़ मेरी खोली मे घुसने लगा था ।

रज्जो ताजुब से - हैं सच मे , वैसे क्या साइज़ होगी इसकी
शिला आंखे उठा कर - क्यू तुम्हे चाहिये क्या ?
रज्जो - अरे जवाँ कसे लन्ड की बात ही अलग है दीदी और अनुज के उम्र के लड़के का मजा इस्स्स्स

शिला हसती हुई - ऊहह तड़प तो देखो हिहिही तो आज रात राज की जगह इसे ही बुला लेते है , क्योकि राज तो आज आराम करने के मूड मे है ।

रज्जो - हा बताया उसने कैसे तुम और छोटी ने मिल कर निचोड़ा उसे हिहिहीही

शिला - अरे उसको छोड़ो और इस अनुज का सोचो आज रात के लिए क्या ख्याल है उम्म्ं

रज्जो - क्या ? नही नही , अरे रागिनी बिगड़ जायेगी वो तो उसकी नजर मे अभी बच्चा है भूल से जिक्र ना करना

शिला - ओह्ह ऐसा क्या , मगर वो तो अपनी धार तेज करता फिर रहा है आज कल हिहिही
रज्जो हसती हुई - तो फडवा लो चुपके से , बच्चे का मन भी बहाल जायेगा

शिला - धत्त क्या तुम भी भाभी
रज्जो - अरे चुपके चुपके मजे लेने मे क्या बुराई है हिहिही मै तो चली उसका खुन्टा टटोलने हिहिहिही


और रज्जो मुस्कुराती हुई हाल मे आई ।
अनुज की नजर अभी किचन मे काम कर रही रागिनी के कूल्हो पर जमी थी और रह रह के उस्के जहन मे ख्याल आ रहे थे कि क्या कभी वो अपनी मा को चोद पायेगा ।

उसके लिए उसकी मा दुनिया से अलग हट कर वो मनपसंद आईक्रीम के जैसे थी जिसे वो बड़े आराम से फुरसत से स्वाद ले ले कर खाना पसंद करता और यही कारण था कि हर जब कभी भी अनुज के दिल मे अपनी मा के लिए खलबली होती तो उसके साथ घर के बाकी नाते रिश्तेदारों की छवियां भी आती , उसकी मामी बुआ दीदी चाची ।
इतनी सारी चुतों को भी साथ हासिल करने की तलब उसमे उठने लगती और जहा चीजे आसान मालूम होती उधर वो भटक जाता ।
कभी कभी उसे शिला बुआ की ओर खुद से पहल कर अपनी किसमत आजमानी पडती तो कभी शालिनी चाची के जैसे किसमत खुद से मेहरबान हो जाती ।

खैर अनुज का जीवन के महज शुरुवाति दौर है , आने वाले समय मे सिखने को उसके पास बहुत कुछ सबक बाकी है
फिलहाल रज्जो अपनी तिरिया चारित्र की किताब से कुछ शब्द लेके जा रही है ।
देखते है आगे क्या होता है ।

जारी रहेगी
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UPDATE 205

राज के घर

उपर के कमरे मे अनुज बेड पर बैठा आहे भर रहा था क्योकि निशा उसके पैरो मे बैठी हुई उसका लन्ड चुस रही थी ।

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अनुज - आह्ह दिदीईई ऊहह कितने दिन बाद आज्ज्ज उह्ह्ह मजा रहा है उम्म

निशा उसके लन्ड को मुह मे भर कर चुबलाती हुई उसके जांघो को सहला रही थी और अनुज उस्के सर को पकड़े हुए अपनी गाड़ उठा कर लन्ड को गले तक ले जा रहा था - अह्ह्ह दिदीईई उह्ह्ह अफ्फ्च और चुसो

वही निचे राज के कमरे मे राज और उसके पापा छत पर डोलते पंखे को निहार रहे थे

करने को कुछ बातें नही थी और राज का दिमाग शिला बुआ की कहानियों मे उल्झा हुआ था , आज के कोटे की दो बार की चुदाई वो कर चुका था , मगर बुआ की रसदार कहानियो के बारे मे सोच कर उसका लन्ड अक्ड़ा हुआ था ।जिसे वो बार बार भींच रहा था ।

रन्गी - क्या हुआ बेटा किसे याद करके मिज रहा है हां

राज मुस्कुरा कर - अरे पापा बस बुआ के बारे मे सोच रहा हु , कितना मजा आया आज आपके साथ हिहिही

रंगी - हा भाई मजा तो आया , लेकिन आज रात पता नही क्यूँ नीद नही आ रही है ।

राज - मम्मी को बुलाऊ क्या हिहिही
रन्गी आहे भरता - काशस्स ऐसा हो पाता , ये औरते ना जाने क्या रस बातें करने मे पाती है जो लन्ड का त्याग कर देती है

राज हसता हुआ - हिहिही पापा ये तो मम्मी से ही पुछना पड़ेगा

रंगी करवट लेकर - सो जा बेटा , कल सुबह पुछ लेना

राज हसता हुआ वापस से शिला के घर की महाभारत सोचने लगता है ।
तभी दरवाजे पर फुसफुसाहट भरी दसत्क होती है ।

रंगी - अरे इतनी रात को कौन होगा
राज ह्स कर - आपके सवाल का जवाब
रंगी - मतलब
राज - अरे मम्मी है , खोलो जल्दी
रंगी खुश हुआ और जल्दी से दरवाजा खोलता है ।
सामने देखता है कि रागिनी एक चुन्नी ओढ़े पूरी की पूरी नंगी खडी थी और उसकी मोटी मोटी चुचिया उस जालीदार दुपट्टे से साफ साफ झलक रहो थी, और निचे से उसकी चुत के फाके भी दिखाई दे रहे थे ।

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दोनो बाप बेटे हैरत मे थे कि मम्मी इस हालत मे कैसे और क्यू ?
राज - मम्मी आप ऐसे यहा , बुआ और मौसी कहा है ?

रागिनी नाटक करती हुई - अरे आज तेरे बुआ को ना जाने क्या हो गया है हाय मेरी तो इज्जत लूट रही थी वो

रन्गी और राज चौक कर - क्या ?

रागिनी चेहरा बनाती हुई - हा राज के पापा आपकी बहन पगला गयि है मै तो किसी तरह अपनी इज्जत बचा के भागी लेकिन
राज - लेकिन क्या मम्मी
रागिनी - लेकिन वो , वो रज्जो दीदी के उपर

रंगी - क्या बक रही हो तुम , मुझे समझ नही आ रहा

रागिनी - आओ दिखाती हु आपको , आ राज तु भी

दोनो बाप बेटे हैरत मे रागिनी के पीछे उसके कमरे मे गये और सामने का नाजारा देख के दोनो बाप बेटे चौक गये ।

उन्हे समझ नही आ रहा था कि वो क्या रियेक्शन दे
हैरानी और अचरज से भरे चेहरे पर खुशी के भाव उभर रहे थे
सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था
शिला बुआ और रज्जो मौसी दोनो नंगी थी

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शिला रज्जो के उपर चढ़ी हुई उसकी मोटी मोटी थन जैसी चुचियों को मिजते हुए उसके होठ चुस रही थी और पीछे से दोनो का बड़ा बड़ा हाथीयो वाला पिछवाड़ा,भोसडीदार बुर के साथ खुला पड़ा ।

दोनो बाप बेटे चहक उठे और उछलते हुए बिना कोई देरी किये रंगी पीछे से तो राज आगे से टूट पड़ा

शिला रज्जो के होठ चुबला रही थी दोनो की कामुक सिसकिया और कुलर की हनहनाहट मे मानो उन्हे रागिनी की शरारत का पता ही नही चला कि कब वो अपने पति और बेटे को बुलाने पहुच गयी

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इधर राज झटपट अपना चढ़ढा निकालकर उन दोनो के सर के पास पहुचा और होठों का रसपान कर रही मौसी बुआ के होठों के बीच मे अपना कड़क तना हुआ मुसल सुपाडा की टोपी सरकाता हुआ घुसा दिया

अगले ही समूच मे दोनो की होठ गर्म हो गये और नथुनो मे राज के लाल सुपाड़े की मादक गंध भर गयी ।

कुछ मिली सेकेंड भर की हैरत हुई होगी दोनो को और सब भूल कर वो राज के सुपाड़े को आधा बाट कर चुबलाने लगी ।

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उनकी हैरानी तब बढ़ी जब पीछे से रंगी ने अपनी बहन की मोटी गाड़ के दरखतो को फैलाता हुआ जीभ की टिप सीधे ass होल पर लगा दी और वही दूसरे हाथ की दो उंगली रज्जो की चुत मे ।

मचल सी उठी दोनो इस दोहरे घात से और आंखे खोल कर रज्जो से सामने देखा तो राज आंखे बंद कर सिस्किया ले रहा था और सामने एक और मर्द था ।

रज्जो को समझते देर नही लगी कि ये बाप बेटे ही है और सारी शरारत रागिनी की है ।
उसका जोश आज चौगुना हो गया था उसने राज का लन्ड हाथ मे पकड़ लिया और उसको चूमने लगी,

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शिला रज्जो के होठ और राज लन्ड, रंगी के उसके गाड़ पर टूटने से छोड़ चुकी थी, उसकी भड़ास पर रज्जो की चुचियों पर निकल रही थी
उसकी नजर अपनी भौजाई रागिनी को भी खोज रही थी
लेकिन वो तो अपने पति अपने साजन के टांगो के बीच घुसी हुई लन्ड को गले मे घोट रही थी ।


शिला - आह्ह्ह तु बाप बेटे ने उह्ह्ह बहुत कुछ छिपा रखा है मुझसे उम्म्ंम

राज हस कर रज्जो के होठों पर अपने लन्ड को दरता हुआ - अह्ह्ह बुआ कहा कुछ छिपा रखा है उम्म्ं सब तो खोल दिया लो,तुम भी लो ना

ये बोल कर राज ने अपना लन्ड हस्ते हुए रज्जो से शिला की ओर घुमा दिया और शिला ने लपक कर उसको मुह मे ले लिया
वही पीछे रन्गी की हालत भी कम बुरी नही थी , रागिनी उसके आड़ो को टटोल टटोल कर उसके लन्ड को चुस रही थी, उसके जिस्म को सहला रही थी और रन्गी अपनी बहन और साली के गाड़ और चुत के गंध से पागल हुआ जा रहा था

रज्जो के छेद से शिला की गहरी सुराख तक , चाट चाट कर उसकी जीभ चख्ट गयी थी , चार चार छेद सामने रहते हुए उसे अपने लन्ड की फड़कन अपनी बीवी के मुह मे शान्त करनी पड रही थी,
रन्गी से रहा नही गया तो उसने हरकत की , रागिनी समझ गयि और उसने लन्ड छोड़ दिया
अगले ही पल की देरी मे रंगी खड़ा हुआ और रज्जो की चुत मलता हुआ थोड़ा सा उसकी बुर मे सुपाड़े को घुसाया अगले ही पल उसको शिला की गाड़ के मुहाने पर दे दिया

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दोनो बुरी तरह मचल उठी और सिसकिया उठने लगी
हचक के रन्गी ने पुरा का पुरा लन्ड शिला की गाड़ मे घुसेडा , चिकनी तो पहले से थी और लन्ड को चिकना रागिनी ने किया था , थोड़ी बहुत चिकनाई रज्जो की बजब्जाती बुर से लेके आधा लन्ड शिला की गाड़ मे भरा कसा अक्ड़ा हुआ पुरा

आंखे भींच कर दर्द भरी अकड़न से शिला ने आह्ह भरी - अह्ह्ह मयाअह्ह्ह

रज्जो ने भी देरी नही की और उसके रसिले गदराये जोबन को पकडा और इंच भर लंबे कड़े कड़े निप्प्ल अपने होठों से लगाते हुए , सिरिंज की तरह चुसने लगी
शिला के लिए तो दोनो तरफ मस्ती ही मस्ती थी
वही बेड के दूसरी ओर भी मस्ती कम नही थी , रागिनी की टाँगे फैली हुई थी और राज की थूथ उसके बुर मे
मांसल मोटी मोटी जांघो के बीच अपना मुह दिया हुआ राज अपनी मा के चुत के रस को चुस रहा था,
लपलपाती जीभ उसके चिकने बुर के फाको पर एक मिठास पैदा कर रही थी

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रागिनी उसके बाल नोचते हुए उसके मुह को जोरो से अपनी चुत पर दिये हुए - अह्ह्ह लल्ला चाट उह्ह्ह आह्ह कितना दिन हो गया ऊहह उम्म्ं

शिला - अह्ह्ह भौजी तुम भी कम नही निकली उम्म्ं अकेले अकेले कुवारे बेटे की सील तोड़ दी

रागिनी सिस्क कर - अकेली कहा दीदी ,तुम तो थी ना उस रात , तुमने ही आदत दिलवाई और तुम्हारे भैया पक्के बहिनचोद ये कहा मानने वाले थे ।

" इनकी बहिन बीवी बाजार मे रान्ड बनके घूमे इन्हे तो मजा आता है ,अह्जह्ह्ब लल्ला उह्ह्ह फ़ाड दिया रेह्ह ऊहह " , रागिनी अपनी बात पूरी कर रही थी तब तक राज अपना लन्ड हचाक से आधे बुर के उतार दिया ।

रंगी पूरे जोश मे उसकी गाड़ मार रहा था और लन्ड को भितर तक ले जा रहा था
मगर शिला के सवाल कहा कम होने वाले थे अगला सवाल उसने रज्जो पर दागा - और तुम भौजी आह्ह बहिनचोद तुम भी कम नही निकली , भतिजे का लन्ड गटक गयी और बताया भी नही ।

रज्जो नीचे लेटी हुई उसके चुचे मसलती हुई - खड़ा लन्ड मेरी कमजोरि है शिला अह्ह्ह उम्म्ंम जमाई जी आराम से

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रंगी ने छेद बदला और रज्जो की बुर मे लन्ड घुसेड़ दिया
हचक हचक के लन्ड देने लगा और शिला की गाड़ नोचता हुआ उसपे थपेड लगाई

शिला - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह अराम्म्म्ं से उह्ह्ह्ह

" कसम से दीदी आज आपकी गाड़ बहुत सेक्सी लग रही है , जी कर रहा है खा जाउ" , रंगी उसके गाड़ को सहलाता हुआ मसलता है


अगले ही पल शिला अपने घुटने से एड़ियो के बल होकर अपनी गाड़ चुत सहित रंगी के आगे परोसती हुई - आह्ह भैयया लो ना , खाओ ना अपनी प्यारी बहना की गाड़ अह्ह्ह उम्म्ंम

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नथुनो मे शिला के गाड़ की मादक गन्ध पाते ही उसने दोनो हाथो से उसे पकड कर अपना मुह उसमे दे दिया और रसाती चुत के सिरे चाटता हुआ जीभ से गाड़ को कुरेदने लगा ,
इस दौरान रज्जो निचे उसके करारे झटके खाती हुई शिला के लटके हुए मोटे मोटे खरबूजे हथेलियो मे भरने लगी

शिला और रज्जो दोनो सिस्क रहे थे आहे भर रहे थे और दोनो के बिच आई कॉन्टैक्ट भि बना हुआ था और देर ना करते हुए शिला ने अपनी गाड़ उकुडू होकर रज्जो के मुह पर रख दी

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शिला की भोसडी दार चुत के फाके होठों मे भर का चुबलाती हुई कस कस के निचोड रही थी और शिला की चिखे तेज हो रही थी, वो झड़ रही थी इधर रन्गी और राज हचक ह्चक के लन्ड दोनो बहनो को बुर मे दिये जा रहे थे

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रागिनी - आह्ह बेटा अह्ह्ह रुकना मत ऊहह आयेगा मेरा ऊहह उह ऐसे ही ऐसे उह्ह्ह
राज - हा मा लोह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क आह्ह कितना मजा आ रहा है उह्ह्ह्ह येस्स्स

राज पेल मम्मी को रहा था उसकी नजरे रज्जो मौसी पर थी जो अपनी गाड़ उठा उठा कर झड़ रही थी ।

इधर राज और रन्गी की आंखे टकराई और दोनो मुस्कराए , राज की गुजारिश रन्गी समझ गया और रज्जो के आगे से हट गया ,

राज अपनी मा को छोड़ कर रज्जो के जांघो के बीच आ कर उसकी चुत चाटते हुए जान्घे उठा कर गाड़ के सुराख पर मुह दे दिया

उधर रन्गी ने शिला को खिंच कर उसकी गाड़ उठा कर उसके बुर मे उठ रही खुजलाहट पर अपना मुह लगा दिया
इधर रागिनी ने भी काफी सुस्त चुकी थी उसकी नजर भाईबहनो की जोड़ी पर गयी और वो बेड से उठ कर उधर बढ़ गयी

वही उपर के कमरे मे अनुज की आज कुछ अलग ट्राई करने का मौका मिला ,

निशा घोड़ी बनी हुई थी और तेल की शिशी अनुज के हाथ मे थी , वो निशा की गाड़ की सुराख को पीछे 4 मिंट से उन्ग्की घुसा घुसा कर नरम कर रहा था ,

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निशा के गाड़ की गर्मी और कसावट से उसकी उत्तेजना तेज तो थी लेकिन एक अजीब सी गिनगिनाहट सी हो रही थी उसे , मानो गु ना लग जाए

वही निशा अपनी गाड़ उठाये इस धीमे गति वाली उंगली पेलाई से मस्त हो चुकी थी उसकी बुर लार टपका रही थी , उन्मुक्ता ने उसने अनुज को कहा - भाई डाल ना उह्ह्ह्ह प्लिज्ज्ज

अनुज के लिए हैरत की बात थी कि निशा की गाड़ वो खोल रहा था , ये दूसरी बार था कि उसने किसी की गाड़ के छेद पर सुपाड़े को टिकाया था ,
उसे यकीन था उसका ये प्रयास निशा के लिए दर्दकारी होने वाला था , उसने लन्ड को भिडाया और कसकर दबाते हुए पचक के आवाज के साथ सुपाडा निशा की गाड़ मे

निशा ने अपने जिस्म को ऐठा और गहरि गहरि सास लेती हुई गाड़ के सुराख को फैलाता , अनुज को ढील मह्सूस होते ही उसने कमर को झटका और आधा लन्ड उसकी गाड़ को चीरता भीतर घुस गया - अह्ह्ह उह्ह्ह बहिनचोद कितना टाइट है रे तेरा अह्ह्ह उह्ह्ब

अनुज फ़िकर से - निकाल लू दीदी
निशा ने ना मे गरदन झटका और गहरि सास लेती हुई - रुका क्यू है भोस्डी के पेल ना

निशा की डांट अनुज के लिए सबक सी थी और वो पूरे जोश मे उसके कुल्हे थामता हुआ करारे झटके से ह्चक हच्क के लन्ड को अन्दर बाहर करने लगा
जलद ही निशा की गाड़ गर्म हो गयी और उसका दर्द मजे मे बदलने लगा वो अपनी एक हाथ से अपनी बुर सहलाती हुई -आह्ह भाई ऐसे ही उह्ह्ह फक्क मीई और डाल आह्ह कितना कड़ा लन्ड है रे तेरा उह्ह्ह उम्म्ं मजा आ गया

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निशा की तारिफ से अनुज का जोश बढ़ने लगा और वो कस कस के लन्ड उसकी गाड़ मे देने लगा - आह्ह दीदी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है, राहुल भैया से खुलवाया है क्या आपने इसको

निशा को हसी आई और उसने हा मे सर हिला अब वो क्या बताती कि ये छेद उसने अपने बाप को सौपी थी
इधर इनका अपना चल रहा था

वही निचे रागिनी और रंगी दोनो मिल कर शिला को निचोड रहे थे

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रन्गी शिला की गाड़ के छेद पर मुह दिये हुआ था तो रागिनी उसकी बुर के फाको को चुबला रही थी
इस दोहरे प्रहार से शिला बुरी तरह छ्टपटा रही थी - अह्ह्ह उह्ह्ह भैयाअह्ह्ह घुसा दो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह डाल दो ऊहह

रागिनी उसकी बुर रगड़ती हुई - क्या चाहिये किसमे चाहिये साफ साफ बोलो दीदी

शिला - तेरे भतार का लन्ड चाहिये साली रन्डी
रागिनी खिलखिलाई और रन्गी को देख कर - तो मेरे रन्डीबाज साजन देदो जो माग रही थी तुम्हारि माल

रन्गी ने भी देरी नही कि और लन्ड को सेट कर गाड़ के सुराख को भेदता हुआ गचागच के अंदर

उधर हचर ह्चर उसकी पेलाई चालू थी इधर राज भी अपनी मौसी को घोड़ी बना कर कर लण्ड उसकी गाड़ मे दे चुका था
राज - आह्ह मौसी हर बार मजा आता है उह्ह्ह कितना गर्म और कसा है

रज्जो - आह्ह लल्ला तो ले ले ना मजे ऊहह देख ना कैसे तेरी छिनार बुआ हचक के ले रही थी तेरे पापा से

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राज - आह्ह सच मे मौसी पहली ये मजा मिल रहा है , सबसे मिल कर चुदाई करने का उह्ह्ह
ये बोल कर राज ने हाथ बढा कर अपनी मा के गाड़ को सहलाने लगा जो आगे झुकी हुई शिला के बुर के फाके चुबला रही

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रंगी हचक कर शिला की गाड़ मे लन्ड भर रहा था सामने शिला रागिनी के सर को पकड़े हुए ऐठ रही थी उस्का जिस्म अकड़ रहा था , उसके भैया भाभी ने मिलकर उसके दोनो छेद पर टूट पड़े थे , रन्गी के तेज करारे झटकों से शिला की मोटी मोटी चुचिया खुब हिल रही थी और हर बार जब सुपाडा उसकी गाड़ को चीरता हुआ भीतर घुसता उसके चेहरे भीच जाते
दर्द और सिसकी भरी गालियां देते हुए शिला झड रही थी और रागिनी उसकी बुर मल कर उसे सहला रही थी - आह्ह्ह भैयाआ जल रहा है उह्ह्ह कितना तप रहा है आपका लन्ड उह्ह्ह माह्ह्ह ऊहह

शिला की बात सूनते ही रागिनी ने मुह मे घुली हुई उसके चुत की रस मे अपनी लार मिलाते हुए रंगी के लन्ड के तने पर थुका और जल्द ही वो शिला की गाड़ मे लन्ड के साथ घुस गया
शिला को भीतर उठ रही तपिस मे एक गाड़ की दिवारों मे कही ठंडक सी मह्सूस हुई ये अहसास उसे और उत्तेजित कर गया
वही बगल मे हचर हचर अपनी मौसी को घोड़ी बना कर पेलता हुआ राज अपनी मा की हरकत देख कर पागल होने लगा ।
उसकी नजर बुआ की गाड़ मे निकल रही थी सफेद मलाई थी जो उसके बाप के लन्ड पर लिभ्डी हुई थी और उसकी बुर पहले से चिकनी थी ।

राज - पापा बदली करें
रंगी मुस्कुराया और लन्ड बाहर करता हुआ - आजा बेटा, मै भी जरा रज्जो जीजी के मुलायम गाड़ का रस लेलू

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" तुम एक नम्बर के बहिनचोद हो अपनी रन्डीइह्ह्ह अह्ह्ह आराम से जमाई बाबू उह्ह्ह उह्ह्ह क्या हुआ आज उफ्फ्फ कितना फूला है ये जैसे लग रहा है मोटा बास ही डाल दिया उह्ह्ह " रज्जो अपनी गाड़ मे रंगी का लन्ड लेते हुए बोली
वही राज ने भी उसी पोजीशन मे सीधा शिला की गाड़ मे लन्ड उतार दिया - आह्ह बुआ ऊहह कितना कसा है आपका गाड़ उह्ह्ह कितना गर्म है हहह
रागिनी की खुमारि अब बढ़ने लगी थी उसे भी लन्ड की चाह उठने लगी वो राज के लन्ड के तने पर जीभ लगाते हुए अपनी बुर सहला रही थी और उसकी गाड़ अब रन्गी के आगे हिल रही थी

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रंगी अपनी बीवी की मोटी गाड़ हिलाती हुई देख कर और उसे अपनी बुर टटोलता देख कर उसे छूने से खुद को रोक ना सका और उसकी बुर के सिरे छूते हुए रज्जो की गाड़ मारने लगा
राज अपनी मा की बेताबी देख कर अपना लन्ड बाहर निकाला जिसे रागिनी ने लपक कर अपने मुह मे भर लिया

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ये नजारा देख कर राज और रन्गी दोनो की सासे गरमाने लगी, शिला के गाड़ के लन्ड निकाल के रागिनी उसे ऐसे चुस रही थी जैसे सारी मलाई टोपे मे भी लिभडी हो और राज का लन्ड और भी कसने
लगा
रागिनी ने अपने हाथ से लन्ड पक्ड कर शिला की गाड मे घुसाते हुए उसकी बुर सहलाने लगी - अब चोद बेटा, तेरी बुआ एक नमबर की रन्डी है क्यू दीदी
शिला राज के लन्ड की मोटाई मे इजाफे से और भी तडप उठी उसकी सिस्क्किया और तेज हो गयी- हाआ मेरी रन्डी, साली साड़ पैदा किया है तेरे भोस्डे मे तो 4 4 दूँगी

रागिनी जोश मे उठी और शिला के पेट पर पैर फेक कर बैठती हुऊ उस्की दोनो छातियां नोचती हुई उसके होठ से अपने होठ जोड़ लिये - अच्छा कहा से लाओगी चार चार लन्ड उम्म्ंम लग रहा है आज कल खुब ले रही हो उम्म्ं ससुराल मे , ये बोलते हुए रागिनी ने शिला को आंख मारी ।

शिला ने उसे आंख दिखाई और रंगी के पास होने का इशारा किया
रागिनी धीरे से उसको चूमते हुए उसके कान मे बोली - अरे अपने दोनो भैया को बता दो ना उस बारे मे ,फिर दोनो मायके मे दो दो लन्ड के मजे ले पाओगी और तुम्हारि वो बड़ी फाकों वाली मस्टराईन (कामिनी) उसको भी मिलेगा

राज और रंगी भी अब झडे तब झडे की हालत मे थे

पहले राज - अह्ह्हबुआआ ऊहह मम्मीई मेरा आयेगाआ

शिला ने लजाते हस्ते हुए उसे उठाया और रागिनी भी भाग कर राज के पास आ गयी
इधर रंगी अपना ओवर लोड लन्ड रज्जो की गाड मे भर चुका था तो रज्जो भी उठ कर राज के पास आ गयी

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राज ने लन्ड के आगे तीनो जीभ निकाले हुए उसे टोपे से छूट रही पिचकारी का रस लेने लगी
और रन्गी वही बगल मे खड़ा होकर अपना लन्ड हिलाकर फिर से तैयार करने लगा ।
इधर जहा इनकी पिचकारी छूट रही वही उपर अनुज ने भी निशा की गाड़ पर अपना लन्ड झाड़ कर एक राउंड और उसकी चुदाई की ।
फिर दोनो सो गये मगर निचे का शो लम्बा चलने वाला था ।
रागिनी और रज्जो ने मिल कर ना सिर्फ शिला को दोहरे लन्ड मजा दिलाया बल्कि खुद भी इसका मजा लिया ।

और फिर सारे लोग एक साथ ही सो गये बहुत सारे सपने के साथ कि अगली सुबह उन्हे कैसे हकिकत किया जाये ।

THE NEXT MORING

अमन के घर

सुबह 7 बज रहे थे , हाल मे एक ट्रॉली बैग के साथ बैठा हुआ था और चाय की चुस्कियां चल रही थी और साथ देने के लिए मुरारी बैठा था ।
मदन बाथरूम गया हुआ था

रीना किचन मे थी ।
अमन सोनल अभी उपर ही थे वही ममता अपने कमरे से फ्रेश होकर मुह धूल कर अपने दुपट्टे से अपना चेहरा पोछती हुई हाल मे दाखिल होती हुई मुरारी के पीछे सोफे से लग कर खड़ी हो जाती है
ममता और भोला की नजरे आपस मे टकराती है , ममता भोला का उतरा हुआ चेहरा देख कर चुपके से एक हाथ से कान पकड़ कर सॉरी फुसफुसाती है ।
भोला के भी अपने नखरे थे अपनी नाराजगी थी और वो नाराज होता भी क्यूँ ना रात मे 2 घन्टे तक ममता के लिए बाल्किनी के चक्कर काटने के बाद उसे बीवी भी चोदने को नही मिली क्योकि वो तो सो चुकी थी । अब उसे सूखा सूखा ही जाना पड़ रहा था , मजबूर तो ममता भी थी , कारण था मुरारी ।
अपने बेटे से बातें कर और जवानी के दिन की रसदार बाते ताजा होने से उसका उतावलापन उसे रोक ना सका और उसने ममता को उपर जाने ही नही दिया ।
दो बार हचक कर पेलाई की और जब ममता उपर गयी तो भोला के कमरे का दरवाजा बन्द हो गया था ।

कुछ ही देर मे ही भोला अपने सफर के लिए निकल चुका था और रीना अमन के कमरे का दरवाजा खटखटा रही होती है ।
देर रात की जगाई और सुबह की अन्गडाई के साथ सोनल ने दरवाजे पर खटखट की आवाज सुनी और लपक कर अपने कपडे लेकर बाथरूम मे घुस गयी ।
इधर अमन अपने अंडरबियर मे उबासी लेता हुआ कमरे का दरवाजा खोला तो सामने रिना नहा धो कर तैयार खड़ी थी ।

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रीना की नजर जैसे ही अमन के बॉक्सर पर गयि उसने हाथ आगे बढा कर आड़ो सहित उसके लन्ड को हाथ मे भरते हुए सीसकी और कमरे का जायजा लेते हुए बोली - अह्ह्ह बहिनचोद सुबह सुबह कितना कड़ा है तेरा ।

अमन कसमसाया और बाथरूम की ओर देखता हुआ फुसफुसाकर - अह्ह्ह भाभीई क्या करती हो , सोनल बाथरूम मे है

रीना ने एक नजर गैलरी मे देखा और फिर उसका हाथ पकड़ कर खिंचती हुई अपने कमरे की ओर ले जाने लगी

अमन को अजीब लगा और उसे डर भी लग रहा था वो भुनभुनाता हुआ - कहा ले जा रही हो भाभीई कोई देख लेगा ऐसे
रीना उसको चुप रहने का इशारा कर धीरे से अपने कमरे की खिडकी से भीतर झ्काया - उधर देखो तुम्हारा माल
अमन ने जैसे ही कमरे मे देखा उसका लन्ड और भी फड़क उठा ।
सामने कमरे मे रिन्की आईने के आगे खड़ी थी ,

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उसके जिस्म पर एक कुर्ती थी और निचे से सिर्फ पैंटी । वो अपने बाल संवार रही थी ।
उसकी चिकनी टांग और पैंटी मे कसे हुए चुतड देख कर वो हिल गया ।

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रीना ने हाथ आगे बढा कर उसका लन्ड दबोचा और उसके कान मे बोली - क्यू है ना एक दम कड़क, बोल लेगा इसकी एकदम सील पैक है
अमन का लन्ड अब रीना के हाथ मे फूलने लगा था उसकी सासे चढने लगी थी

उधर कमरे मे रिन्की अपनी चुतड पर लैगी चढा रही थी , पीछे से कुर्ती उठी हुई थी और नरम नरम चर्बीदार गाड़ खिल कर उसमे कस गयी थी ।

अमन थुक गटक कर उसकी नरम नरम फुल्के जैसी गोल गोल चुतड निहार रहा था जो चलने पर और भी गद्दर दिख रहे थे , उन्हे देख कर अमन का मन हो रहा था कि अभी नोच खाये ।
तभी रिन्की कमरे से बाहर होने को आई और दुलारी अमन स्टोर रूम मे सरक गये ।

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वो कपडे लेकर जीने से उपर जाने लगी तो अमन वापस स्टोर रूम से निकला और रिन्की को जीने से उपर जाते देखा तो कुर्ती के निचे से हिल्कोरे खाती उसकी गाड़ साफ साफ झलक रही थी ।
जिन्हे देख कर अमन और बेचैन हो उठा ।

दुलारी - क्यू देवर जी , उड़ गये ना होश
अमन अपना मुसल मसल कर - आह्ह भाभी मै तो इसे अभी बच्ची समझ रहा था ये तो पूरा पका आम है

दुलारी उसके करीब आकर उसके नन्गे जिस्म को सहलाती हुई - अरे मेरे राजा , असल मलाईवाला खजाना देखोगे तो पागल हो जाओगे ।

अमन उससे अलग होकर - अभी नही भाभी प्लीज मुझे नहाने जाना है ,

दुलारी ने मुह बनाया क्योकि सुबह सुबह अमन का लन्ड छू कर उसका मूड हो गया था , वही अमन अपने कमरे मे जाता है और कमरे का दरवाजा बन्द कर बाथरूम मे घुस जाता है
जहा सोनल सॉवर के निचे खड़ी अपने जिस्म को भिगो रही थी
अमन अपना अंडरवियर निकाल कर अपना कड़ा कसा हुआ मुसल बाहर निकाला ,

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लन्ड की कसावट और उसे खूँटे सा तना देख कर सोनल उसे पक्डते हुए अमन के होठ से अपने होठ जोड़ लेती है ।
मगर अमन का मूड कुछ और ही होता है उसकी नजर सोनल की मखमाली चर्बीदार गाड़ पर थी , वो उसे घुमाते हुए दिवाल से लगा देता है और थुक लेकर सुपाडे को चिकना कर उसकी चुत पर टिकाता है ।
गर्म सुपाड़े का स्पर्श पाकर सोनल अपनी जान्घे खोल कर गाड़ फैलाती है और अमन पोजिसन सेट कर लन्ड को कच्च से उसकी कसी हुई बुर मे घुसेड़ देता है
सोनल के लिए ये पहल अनुभव था खड़े खड़े लन्ड़ लेने का , अमन का लन्ड उसके बुर की चिपकी हुई दिवारो को छीलती हुई भीतर घुस रही थी - अह्ह्ह बेबी उह्ह्ह अराम्म से सोना उह्ह्ह मम्मीईआह्ह फ्क्क्क्क उह्ह्ह

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अमन उसको पीछे से पक्ड कर उसके नंगी चुचियों को मसलने लगा और उसका लन्ड सोनल की बुर मे हचर हचर अन्दर बाहर हो रहा हौ
सोनल - आह्ह मेरे राजा क्या हुआ है आपको उह्ह्ह उम्म्ं फक्क मीईई अह्ह्ह

अमन उसको आगे झुका कर उसकी गाड़ पकड कर मसलता हुआ तेजी से पेलने लगता है , सोनल की चिखे बाथरूम गुजने लगती है और अगले ही पल वो अपना लन्ड निकालकर निचे बैठता हुआ सोनल के गाड़ के छेद पर अपना मुह दे देता है

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उसकी उन्ग्लिया सोनल की बुर को टटोल रही थी और सोनल अमन की इस हरकत से पागल हो गयी , वो भलभल कर झडने लगी - आह्ह बेबी आ रहा है डोंट स्टॉप डोंट उह्ह्ह येस्स्स बेबी स्क स्क्क्क ऊहह ऊहह उम्म्ं येअह्ह्ह आई लव उह्ह्ह लव ऊहह माय सेक्सी अह्ह्ह आह्ह

सोनल तेजी से झडे जा रही थी और अमन उसकी गाड़ बुर चाट रहा था ।
सोनल के सुस्त होते ही वो भी खड़ा हुआ और शॉवर के निचे सोनल ने उसके होठ एक बार फिर से अपने गिरफत मे ले लिये ।

जारी रहेगी ।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है बेचारा भोला काफी देर तक ममता का इंतजार किया बिना लिए ही सोना और घर जाना पड़ा दुलारी को भी कुछ नहीं मिला रिंकी की जवानी दिखा कर अमन का खड़ा कर दिया लेकिन दुलारी की चूदाई नहीं हो पाई हां सोनल के मजे हो गए बाथरूम में खड़े खड़े चूदाई
 

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UPDATE 206

राहुल के घर

सुबह के सारे काम निपटा कर शालिनी नहा रही थी , वही कमरे मे अरुण अपने बैग से कपडे निकाल रहा था कि राहुल से पहले वो बाथरूम मे जाये इस आश मे कि नहा कर तरो ताजा हुई मामी का कुछ सेक्सी सा देखने को मिल जाये

इससे पहले अरुण अपनी तैयारी करता राहुल अपना कपडा निकाल कर बिना तौलिया लिये ही भाग कर बाथरूम मे चला गया

अरुण अपने कपडे लेकर मुह लटकाया हाल मे सोफे पर बैठ गया और मोबाइल चलाने लगा ।
तभी उसके कानो मे कहकहाने और हसी ठिठौली की आवाजें सुनाई दी ।
वो बार बार गलियारे मे झाक तो रहा था मगर उसकी हिम्मत नही हो रही थी कि एक बार बाथरूम की ओर किसी बहाने से चला जाये

इधर बाथरूम मे

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" हेईई बदमाश कही का, क्या कर र्हा है हिहिहिही रुक बताती हु " शालिनी अपने जिस्म पर पड़ रही पानी के पाइप की बौछार रोकने की कोसिस करती है ।
मगर राहुल खिलखिलाता हुआ पानी की बौछार से अपनी मा के जिस्म को भिगो रहा था ।
शालिनी के जिस्म पर लिपटी हुई साड़ी पानी से तर बतर हो गयी थी, उसके गोरे मोटे चुचे साडी के बाहर साफ साफ झलक रहे थे

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अपने निप्प्ल पर पड़ रही पानी की चोट से बचने के लिए शालिनी घूम जाती है तो राहुल पानी की धार उसके कुल्हे चुतड और जांघो पर देने लगता है और खिलखिलाता है ।
शालिनी - अब बस बेटा देख पूरी भीग गयी है
राहुल उसके करीब आके - सच मम्मी ऐसे आप बहुत सेक्सी लग रहे हो , चलो ना करते है प्लीज

शालिनी हड़बडाइ- क्या ! पागल है तु । अरुण बाहर होगा
और शालिनी बिना एक पल गवाये तेजी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर जाती है ।
गीली चप्पल की चप्प चप्प भरी आहट से हाल मे बैठे अरुण का ध्यान वापस गलियारे की ओर जाता है और वो घूम कर देखता है तो उसका लन्ड फड़फडा उठता है ।

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सामने उसकी मामी भीगी हुई साडी मे तेजी से कमरे की ओर जा रही थी और उस भीगी हुई साडी मे भी उनकी गुलाबी पैंटी साफ साफ झलक रही थी । जिसे देख कर अरुण खुद को रोक नही सका और दबे पाव बड़ी सावधानी से बाथरूम पार कर शालिनि के कमरे की ओर बढ गया ।
धीरे से उसने कमरे मे झाका तो उसकी सासे उफनाने लगी ।
थुक गटक कर भीतर का नजारा देखते हुए वो अपना मुसल मसलता है - अह्ह्ह मामीईई कीतनी सेक्सी हो आप उम्म्ंम , क्या गाड़ है यार ऊहह

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सामने शालिनी फर्श पर अपनी साडी उतार चुकी थी और उसके जिस्म पर अब पैंटी ही बची थी ।
पूरा जिस्म पोछ कर वो एक तौलिया लपेट कर आलमारी की ओर बढ गयि और वही बाथरूम से राहुल की आवाज आई ।

अरुण लपक कर बाथरूम की ओर गया - क्या हुआ
राहुल नहा चुका था - अबे भाई तौलिया रह गया , जरा देना तो

अरुण - हा हा लाता हु रुको
अरुण कमरे मे देखता है तो उसे कही कोई तौलिया नजर नही आता है तो वाप्स राहुल को बतता है

राहुल - अरे यार मम्मी से पुछना तो ,

शालिनी के पास जाने का सोचते ही अरुण का लन्ड एक बार फिर से फड़क उठा - ह हा जा रहा हु भाई ।
अरुण लपक कर अपनी मामी के कमरे की ओर गया और कमरे मे झाका तो देखा कि शालिनी बिस्तर के बगल मे आईने के सामने खडी होकर बाल सवार रही है अभी भी वो तौलिये मे ही थी ।

अरुण के लिए ये मौका सही था और उसके पास जायज मौका भी था वो कमरे मे दाखिल हुआ - मामी वो मै ..

शालिनी अचानक से कमरे मे अरुण की आवाज सुनकर चौकी और पलट कर उसको देखा कि अरुण बेधड़क उसकी ओर आ रहा है , वही अरुण ने जरा भी ध्यान नही दिया कि फर्श पर गीली साड़ी भी फैली हुई
अनजाने मे उसका पैर साडी पर पड़ा और वो पीछे की ओर फीसलने को हुआ
शालिनी ने फुर्ती दिखाई और हाथ बढ़ा कर उसका टीशर्ट पक्ड कर उसे अपनी ओर खिंचा

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दोनो का सन्तुलन बिगड़ा और पहले शालिनी बिस्तर पर गिरी और उसके उपर अरुण
हच्च से अरुण का सीना अपनी मामी के नरम नरम छातियों से जा लगा ।

शालिनी - अह्ह्ह
अरुण शालिनी के उपर था और वो बस खो सा ही गया इतने करीब से अपनी खुबसूरत मामी का चेहरा देख कर , उसपे से उसके मुलायम तरोताजा बदन पर पड़े रहने से वो और भी मस्त हो गया ।

शालिनी - अरे उठो , अरुण बेटा उठो ना अब
अरुण हड़बड़ा कर - सॉरी मामी , मेरा मतलब थैंकयू आपने मुझे बचाया नही तो मेरा सर ही फट जाता अभी

शालिनी खडी होती हुई - क्या तुम भी , शुभ शुभ बोलो और तुम यहा मेरे कमरे मे क्या करने आये थे ।

अरुण - वो मै आपसे आपका तौलिया लेने आया था

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शालिनी चौकी और अपने छातियों पर कसे हुए तौलियों के बीच से दिख रही घाटियो को हाथ से छिपाती हुई - क्क क्या , क्या बोल रहे हो तुम

अरुण - अरे मामी वो राहुल कबसे तौलिया माग रहा है , इसीलिए आया

शालिनी - ओह्ह ऐसे , अच्छा रुको देती हु , जरा तुम उधर ...

अरुण पीछे घूम गया मगर उसकी तीरछी नजर आईने पर जमी हुई थी जिसमे से शालिनी की झलक आ रही थी ।

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जब वो तौलिये के उपर से ब्रा पहनने की कोसिस कर रही थी और फिर उसने तौलिया निकाल दिया ।
मामी को ब्रा पैंटी मे देख कर अरुण का लन्ड और भी कसने लगा ।

शालिनी - हम्म्म ये लो
अरुण फुर्ती से घूमा और शालिनी को देखता कि वो वैसे ही ब्रा पैंटी मे बिना किसी झिझक कर उसके आगे खड़ी थी और वो उसके दुधिया संगमरमरी बदन को निहार रहा था , उसका लन्ड तम्बू बनाये हुआ था ।
शालिनी उसकी नजर भाप कर थोड़ा असहज हुई - क्या हुआ , अब जाओ जल्दी और आराम से गिरना मत

अरुण भौचक्का हालात मे कमरे से बाहर आ गया और वही शालिनी खुद पर इतराते हुए आईने मे देख कर बड़बड़ाई- ये आजकल के जवाँ बच्चो को हो क्या गया है हिहिही वैसे शालिनी देवी तुम भी कम सेक्सी थोड़ी ना हो तुम्हारा ये अवतार देख कर तो बूढ़े भी बेहाल हो जाये अरुण बेचारा तो अभी बच्चा है हिहिही

खुद ही मुह मियाँ मिठ्ठू होकर शालिनी अपने कपडे पहन कर तैयार होने लगी और वही राहुल के जाने के बाद अरुण शालिनी के नाम की मूठ लगा कर नहाकर कमरे मे चला गया ।



राज के घर

रात की दोहरी चुदाई की थकान ने सभी लोग को देर उठाया मगर अनुज की सुबह अभी भी लेट थी ।

हाल मे सब सुबह के नास्ते के लिए बैठे थे । जल्द ही रन्गी और राज नासता खतम कर अपने अपने दुकान के लिए निकल लिये ।
इधर रज्जो की बीती रात वाली खलबली फिर से बढ़ने लगी जब उसने किचन मे निशा को देखा ।
अब वो निशा को अकेले मे बात करने का सोचने लगी , इधर रागिनी नहाने के लिए निकलते हुए रज्जो से बोलते हुए गयि कि अनुज को उठा कर नास्ता करने को कह दे ।

रज्जो के लिए यही सही मौका था निशा से अकेले मे बात करने का और उसने शिला जो कि मोबाईल मे कुछ कर रही थी उसको जाकर बोली - अह दीदी जरा तुम अनुज को जगा दोगी , नासता लेट हो जायेगा ।
शिला मोबाईल चलाते हुए उठी- अह हा क्यू नही
फिर शिला मोबाइल चलाते हुए ही सीढियों से उपर जाने लगी ।

मौका पाते ही रज्जो लपक कर किचन मे गयि , वही निशा को रज्जो की पूरी गतिविधि पर नजर थी और उसे ये भी भान था कि रज्जो उस्से कल रात की बात जानने के लिए कितनी आतुर हुई जा रही होगी ।

निशा मुस्कुरा कर सब्जी काटती हुई - क्या हुआ मौसी परेशान लग रहे हो ।

रज्जो उसके पास जाकर धीमी आवाज मे - मौसी की बच्ची , कल क्या बोल कर गयि तु ।
निशा हस कर - किस बारे मे ?
रज्जो - अच्छा तो तुझे नही पता किस बारें मे ।
निशा - नही ?
रज्जो खीझ कर - अरे वो मैने पूछा था तो तूने बताया था वो


निशा - क्या मौसी , साफ साफ बोलो ना
रज्जो भीतर की भुन्नाहट को घोंटती हुई - अरे मैने पूछा था तुने किसका लिया है तो तुने बोला मौसा जी का , वो

निशा हस कर - हा सही तो कहा था मैने हिहिही

रज्जो चौकी - मतलब रमन के पापा का ? सच मे ?
निशा ने हा मे सर हिलाते हुए- और एक बात बताऊ मौसी इधर आओ

रज्जो उसके करीब गयी ।
निशा उसके कान- सच कहू तो उनका इतना मोटा था मै डर गयि थी , कही मेरी फाड़ ना डालें लेकिन उफ्फ्फ वो रग्डाई सीईई सच मे मौसी कितनी किसमत वाली हो आप

रज्जो को यकीन हो गया कि निशा की बातों मे सच्चाई तो है मगर उसके लिए हैरानी की बात थी कि आखिर एक 20 साल की लड़की कैसे 48 साल के आदमी से , ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था ।

रज्जो - लेकिन तु और रमन के पापा , कब कैसे ?

निशा - अरे वो तो मेरे पीछे ही पड़ गये थे , कोई जवाँ लड़का क्या पड़ेगा मौसी , हमेशा उनकी आंखे मेरी चोली मे जोबनो को ताड़तो रहती । पजामे मे उनका खुन्टा ये बांस जैसा तम्बू बनाये हुए
रज्जो आन्खे फाडे उसे सुने जा रही थी ।
निशा - फिर वो हल्दी वाली रात जब बगल वाले कमरे मे मै बिस्तर लगाने गयि तब मौसा जी मेरे साथ , हमने बहुत मेहनत की और बाहर आते समय मेरी चुन्नी वही रह गयि । मौसा जी खुद उसे लेने कमरे मे गये लेकिन जब कुछ देर तक नही लौटे तो मै भी कमरे मे गयि तो पता है क्या देखा

रज्जो हैरत से - क्या ?
निशा ने अब फेकना शुरु किया - मौसा जी मेरी चुन्नी सूंघ रहे थे उसे अपने मुसल पर रगड़ रहे थे , मैने देखा मौसी उसको ... ये बेलन भर मोटा और लम्बा इस्स्स । वो मेरी चुन्नी अपने मोटे काले हथियार पर लपेट पर मुठ्ठि मार रहे थे ।

रज्जो उस पल के बारे मे कल्पना कर कामरस मे रसने लगी थी - फिर
निशा - मै देखी उनकी दिवानगी मेरे लिये , क्या कोई आशिक़ मुझसे प्यार करता ,मुझपे मरता , उफ्फ़ मौसी सच कहू उस पल से ना जाने मुझपे क्या मदहोशि छाने लगी और मै उनके लिए पागल होने लगी और फिर

रज्जो तेज धडकते सीने के साथ - फिर क्या , बोल ना
निशा - मै उनके आगे आ गयि , वो शर्मिन्दा थे मेरे अचानक आ जाने से , उनके रस से लिभ्डाया मेरा दुपट्टा अभी भी उनके हाथ मे था ।
मै झट से दरवाजा बन्द किया और बोली - ये क्या कर रहे थे कोई देख लेता तो । उन्हे यकीन ही नही हुआ कि मै ऐसा कुछ बोल सकती हु । वो बोले सॉरी मै बोली कोई बात नही ,वो मेरा चेहरा निहार रहे थे और मै उनका वो , वो मेरे सीने की घाटी देख रहे थे और मै उनका लाल टमाटर जैसा मोटा सुपाडा देख कर ललचा रही थी । डर भी था और एक तलब भी फिर उन्होने ने ही मेरा हाथ वहा रखा हिहीही मै गिनगिनाई और उसको कस के हाथ मे भर लिया एकदम कडक और गर्म ।

रज्जो थुक गटक कर - फिर
निशा - फिर उन्होने मुझसे चुसवाया और फिर हिहिहिही

रज्जो - क्या सच मे उसी दिन ही पहली बार मे ही
निशा - मै कहा कोई मौका छोड़ने वाली थी और इतना तंदुरुस्त हथियार इस्स्स

रज्जो कुछ देर चुप रही तो निशा मुस्कुरा कर बोली - एक बात पूछू मौसी सच सच ब्ताओगी

रज्जो - क्या बोल ना
निशा - क्या मौसा जी ने कभी आपको पीछे से किया है ?
रज्जो खिलखिलाई - कभी ! हिहिही ये पूछ कब नही अरे एक बार तो इतने जोश मे थे कि दो दिन तक मुझे बहू से मालिश करवानी पड़ी थी सूज गयि थी पीछे

निशा - क्या सच मे ? और रिना भाभी को क्या बोली फिर आप ?

रज्जो हस कर - अरे बोलना क्या था , वो समझ गयि और वैसे तु सही कह रही थी ये तेरे मौसा है ही एक नम्बर के ठरकी हिहिही

निशा - मौसी एक बात कहूं मानोगे
रज्जो - क्या बोल ना
निशा - जरा अपनी गाड़ दिखाओ ना , देखू चुदने के बाद कैसा दिखता है ।

रज्जो लजाई - क्या तु भी धत्त
निशा - प्लीज प्लीज ना मौसी
रज्जो को निशा का साथ पसंद आ रहा था और वो निशा के साथ कुछ सपने सजो चुकी थी ।

रज्जो बाहर झाकते हुए - अरे यहा कैसे कोई आ जायेगा
निशा - अरे कोई नही आयेगा , बुआ उपर गयि है और बडी मम्मी नहा रही है बस हम दोनो ही है , प्लीज ना मौसी प्लीज
[रज्जो थोडा हिचकते हुए अपनी नाइटी उठाई और निशा के आगे घूम गयि
रज्जो की फैली हुई गोरी नंगी बड़ी सी गद्देदार चुतड़ देख कर निशा की आंखे फैल गयि , मोटे मोटे तरबूज जैसे बड़े बड़े चुतड और गहरी लम्बी दरारें ।
निशा उसके चुतड़ छूने लगी उसे अपने हथेलियों मे गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी - अह मौसी कितनी बड़ी है उफ्फ़ सो सॉफ़्ट यार हिहिही

रज्जो के जिस्म मे सनसनी सी फैल गयि जब निशा ने उसके चुतड सहलाए - हो गया देख ली ना , अब हट

निशा उसके तरबूज जैसे चुतड़ के फाके अलग करती हुई गाड़ की सुराख देखती हुई - अभी असली खजाना देखना बाकी है मौसी , ओहो बड़ा अन्दर है ये तो हिहिही
जैसे जैसे निशा उसके चुतड फैला रही थी रज्जो अपने गाड़ सख्त कर रही थी - उम्म्ंम छोड ना अब , देख ली ना

निशा रज्जो की खुली हुई गाड़ की भूरी सुराख देख कर उसके मुह मे मिस्री घुलने लगी मानो और उसने जीभ निकालकर उसकी गीली टिप को गाड़ के सुराख पर टच किया ।
रज्जो पूरी तरह से गिनगिना गयि ,उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निशा ऐसा कुछ कर जायेगी

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रज्जो कसमसाइ और हाथ पीछे कर निशा का सर हटाने लगी तो निशा ने जोर देकर अपना मुह उसकी गाड़ मे दिया ।
रज्जो सामने डायनिंग टेबल के सहारे झुक गयि और सिस्कने लगी , उसकी बुर बजबजाने लगी , निशा की नरम लपल्पाती जीभ उसके गाड़ को ऐसे चाट रही थी मानो कोई रबड़ी लगी हो ।
रज्जो को डर था कि कही कोई आ ना जाये और वो घूमकर उसको हटाना चाहती थी मगर निशा ने उसकी मोटी जांघ उठा कर सीधा उसकी रसाती बुर पर टूट पड़ी , पतले पतले होठों से उसके मोटे फाको वाली भोसडी मे मुह दे दिया था

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उसने बजबजाई मलाई और बुर की गंध ने निशा को और भी उत्तेजना दिये जा रही थी ।
रज्जो से अब खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था , वो भी अब नशे मे आ चुकी थी ,
रज्जो - अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम मैह्ह ओह्ह्ह बेटा मै गिर जाउंगी ऐसे अह्ह्ह आराम से ओह्ह

निशा ने अपना सर हटाया और पैर सीधा कर खड़ी हुई
निशा ने रज्जो की ओर देख कर अपने होठो के पास लगे हुए मलाई को उंगलियों मे लेके होठ से चुबलाने लगी
रज्जो ने उस पल निशा की आंखो मे एक आग सी देखी , सेक्स के लिए निशा की दिवानगी देखी उसकी भूरी आंखे बहुत ही आकर्षक थे और रज्जो जो आज तक खुद को हर मामले मे किसी से कम नही समझती थी उसने निशा के भीतर खुद की झलक देखी ।
निशा रज्जो को निश्ब्द देख कर उसका हाथ पक्ड पर उसे टेबल की ओर घुमाया और लिटा दिया ।
रज्जो के भीतर अभी भी डर लेकिन निशा निडर थी , उसने वापस ने रज्जो की नाईटी उठाई और एक बार फिर उसकी गाड़ मे अपना मुह दे दिया
रज्जो - आह्ह निशाअह्ह तु सच मे उह्ह्ह माह्ह उफ्फ़

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निशा उसके गाड़ के छेद पर अपनी जीभ फिराती हुई उसके रस छोड़ती बुर के फाके सहला रही थी
रज्जो उसका सर पक्ड कर अपनी चुतड़ मे रगडे हुए थी ।

अचानक से निशा की नजर टेबल पर रखी हुई सब्ज़ियों की डलिया पर गयि और उसे हरे हरे मोटे हाथ भर के खीरे को देख कर निशा के होठ खिल गये ।
निशा उठी और उसने वो खिरा ले लिया
रज्जो - ये किस लिये
निशा मुस्कुराई और उसे धूलने लगी , फिर उस गीले खीरे को चाटने लगी ।

रज्जो - आह्ह क्या कर रही है कोई आ जायेगा
निशा उसकी गाड़ पकड़ कर खिन्चती हुई अपने करीब कर - श्श्श्स चुप रहो
निशा ने एक बार फिर से जीभ से उसकी गाड़ को चाटा और फिर खीरे का मोटा सिरा उसके मोटे सुराख पर लगा दिया ।
रज्जो कसमसाइ मगर निशा हिचकी नही उसने एक हाथ रज्जो के गाड़ को थामा और दुसरे हाथ से खीरे को पेंचकस के जैसे घुमाते हुए आधे से ज्यादा खिरा भीतर गाड़ मे घुसा दिया

रज्जो अपनी गाड़ की मांसपेसियों मे ट्विस्ट मह्सूस कर मचल उठी - आह्ह कामिनी बहिनचोद अपनी अम्मा का भोसडा समझ रखा है क्या

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निशा हसी और उसके फैले हुए गाड़ के छेद पर थुकती हुई हौले हौले खीरे को अन्दर बाहर करने लगी - क्यू मौसी ऐसे ही लेते है ना मौसा उम्म्ं

रज्जो - अह्ह्ह बहिनचोद फाड़ दिया रे ऊहह साली रन्डी मोटा वाला डाल दिया ऊहह माह्ह्ह
निशा उसकी बुर को सहलती हुई - क्यू मौसी मजा नही आ रहा है

रज्जो ने निशा की शरारत भरी आंखे देखी और उसका गुस्सा अब मुस्कुराहत मे बदलने लगा थ - दर्द हो रहा है, ताला खोल रही थी क्या घुमा कर
निशा हस कर - चेक कर रही थी मौसा जी ने सील सही से तोड़ा था ना

निशा के अगले ही पल खिरे को और गहराई मे ले गयि जिस्से रज्जो की आंखे उलटने लगी

रज्जो - आह्ह ऊहह अब रोक मत फाड़ दे ह्ह चोद ना ऊहह माह्ह्ह बहुत मोटा है
निशा - मोटी तो तुम्हारी गाड़ है मौसी ऊहह कितनी कसी हुई है और ये बुर उम्मममं

निशा ने खीरे को उसके चुतड मे गाड़े हुए उसकी बुर पर अपनी थूथ दरने लगी
रज्जो पागल हो गयि और झडने लगी
निशा बिना रुके जूस वाले मसिन के तरह खीरे को गाड़ मे दबा रही थी और निचे से रज्जो की बुर जूस निकाल रही थी ।

तभी रागिनी के कमरे का दरवाजा खुला
हड़बड़ा मची
रज्जो झटपट निचे उतरी और मैकसी निचे कर दिया ।
खीरा उसकी गाड़ मे फसा हुआ था ।
दोनो काम करने का बहाना करने लगे ।
रागिनी - क्या क्या तैयार हो गया है

निशा - सब हो गया है बड़ी मा , बस रोटी बनानी है ।

रागिनी - अच्छा ठिक है और जीजी तुम आओ बात करनी है कुछ

रज्जो - क्या हुआ छोटी
रागिनी - अरे परसो जाना है ना सोनल के ससुराल तो उसकी लिस्ट तैयार करनी है आओ बैठो ना

बैठने का नाम सुनकर रज्जो ने निशा की ओर देखा जो होठ दबा कर हस रही थी , रज्जो ने मन ही मन गाली दी और बड़ी सावधानी से सोफे पर बैठी मगर खीरे 2 इंच और भीतर सरक गया जिससे रज्जो उछल पड़ी ।

रागिनी - क्या हुआ जीजी कुछ चुबा क्या
रज्जो निशा को किचन मे मुस्कुराता देखा दर्द उठते अपने कुल्हे को सहला कर - आह्ह हा शायद , तु बोल ना

फिर रागिनी रज्जो को परसो के लिए क्या क्या तैयारी करनी है इसपे बात करने लगी ।
वही उपर के हाल मे सोफे पर शिला मोबाइल पर ही बिजी होकर अपने ऑनलाईन आशिक़ auntylover69 से प्राइवेट चैट्स कर रही थी । उसे ध्यान ही नही रहा कि वो किस लिये ऊपर आई थी
जैसे ही बाते खतम हुई और उसने देखा कि वो कहा तो अपना माथा पीट लिया ।

शिला - हे भगवान , भाभी ने मुझे किस लिये भेजा और मै हिहिही
शिला बडबडाती हुई अनुज के कमरे का दरवाजा खटखटाया मगर वो कोई आवाज नही दिया , फिर उसने दरवाजा धकेला तो खुल गया ।
मगर सामने का नजारा देख कर वो ठिठक कर रह गयि , उसकी सासे अटक गयि और फिर एक हसी सी उसके चेहरे पर आ गयि ।

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सामने अनुज पुरा नंगा होकर सोया हुआ था और उसका लन्ड भी खुला पड़ा था जो सासें ले रहा था ।
शिला - उफ्फ़ ये इस उम्र के लड़के सब के सब एक जैसे , इसमे और अरुण मे कोई अन्तर नही । बदमाश कही का देखो कैसे सोया है और दरवाजा भी नही लगाया था हिहिही

शिला उसके करीब गयि और उसने अनुज के मासूम चेहरे को देखा और फिर उसकी नजर बीते भर के सोये हुए लन्ड पर गयि और घूंघट से झाक रही उसके लाल सुपाडे की झलक देख कर शिला का जिस्म सिहर उठा ।

तभी उसकी नजर लन्ड की चमड़ी पर लगे हुए सफेद पानी के दाग पर गयि जो सूखी हुई थी हल्की पपड़ीदार ।शिला पास गयि आगे झुक कर उसने अपने नाक ने सुँघा तो समझ गयि कि क्या है ।

शिला ने हैरत से अनुज को देखा और थुक गटक कर वापस से झुक कर उसके सुपाडे के करीब अपने नथुनो को ले गयि, सुबह सुबह नवजवाँ लन्ड की मादक गन्ध ने शिला के निप्प्ल कड़े कर दिये ।
उसने अनुज को हल्के से हिलाया और हल्की आवाज दी मगर उसने कोई जवाब नही दिया ।
तभी उसकी नजर खुले दरवाजे पर गयि उसने लपक कर दरवाजा बन्द किया और वापस आ गयि ।
उसकी सांसे तेज हो गयि थी उसने धीरे से हाथ आगे कर अपनी उंगलियों से अनुज का लन्ड छुआ और उसकी नजरे बराबर अनुज के चेहरे पर जमी थी ।

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गर्म नरम और कसा हुआ हल्की उभरी हुई नसो को अपनी उंगलियों के पोर से मह्सूस करती थी उसने उसके लटके हुए आड़ो को हाथ मे लिया , हल्का सा ही वजन था ऊनमे और चमडी बहुत लचीली थी ,
उसने हथेली मे अनुज का गर्म तपता लन्ड भर लिया और अनुज के जिस्म मे हल्की सी हरकत हुई ।
शिला ने फौरन छोड़ दिया और उसे हिला कर जागाने लगी ।

अनुज ने आंखे मिज कर अंगड़ाई ली और साथ ही उसके लन्ड ने ही देखते ही देखते वो टावर के जैसे उपर सर उठाए, पुरा बाहर लाल एकदम ।

अनुज को ना अपने देह का ध्यान ना परवाह , कमरे की रोशनी मे पलके झपका कर उसने घड़ी की ओर देखा तो साढ़े 9 बजने जा रहे थे ।

शिला - घड़ी क्या देख रहा है , साढ़े 9 बज रहे है । कितना सोता है तु
अनुज - आह्ह बुआ वो मै
तभी उसकी नजर अपने नंगे जिस्म पर गयि और उसने लपककर चादर खिंच ली ।

शिला खिलखिला कर - अब क्या छिपा रहा है , सब देख चुकी मै

अनुज - बुआ यार बक्क कितनी गंदी हो आप , ऐसे कैसे आ गये मेरे कमरे मे

शिला - शुक्र कर मै आ गयि , नही तो तेरी मा आ रही जगाने फिर ये तेरे गोरे चुतड लाल करती पहले फिर जगाती तुझे ।

अनुज उखड़ कर - क्यू मारती मुझे भला , रात मे गर्मी लग रही थी तो सो गया ऐसे ही कौन सा मेरे कमरे मे कुलर है हुह

शिला - हा हा देखा मैने आजकल कैसे गर्मी निकाल रहा है तु
अनुज सकपकाया - मतलब
शिला उसकी चादर खिंचती हुई - मतलब इधर आ बताती हु

अनुज खुद को बचाता हुआ - बुआ आप ये क्या कर रहे हो , प्लीज ना प्लीज
शिला ने जोर लगा कर उसे वाप्स नन्गा कर दिया और उसके खड़े हुए लन्ड की ओर दिखा कर - खुद देख , सब गन्दा पानी लगा हुआ है वहा

अनुज झेप जाता है और अपना लन्ड छिपाने लगता है ।
अनुज उखड़ कर - वो मै थोड़ी ना करता हु बुआ , रात मे हो जाता है तो मै क्या करू

शिला चौक कर - तो क्या तुझे स्वपनदोष होता है
अनुज अजीब सा मुह बना कर - अब ये क्या होता है ?
शिला - अरे वो तुम लोग क्या कहते हो नाइटफाल, वो होता है क्या

अनुज ने सोचा ये तो उसे एक बना बनाया बहाना मिल ही गया है तो इसी पर आगे बढ़ कर छुटकारा ले लेते है - ह्म्म्ं लेकिन प्लिज मम्मी से मत कहना आप प्लीज

शिला थोडा चिंतित होकर - लेकिन तुझे ये कबसे हो रहा है ,

अनुज - यही कोई 3 महीने हुए होंगे
शिला - कोई लड़की पसन्द है क्या , सपना देखता है उसका , सोचता है उसके बारे मे

अनुज - मै समझा नही ?
शिला उसके पास आकर - अरे बेटा ऐसे समझ , मान ले तुने किसी सुन्दर सी लड़की पसंद कर ली और तुझे उसके देह से लगाव हो गया ।

शिला की बात सुनते ही अनुज का लन्ड फनफनाने लगा - बुआ मुझे अब भी समझ नही आ रहा है, मै क्यू किसी अंजान लड़की को पसन्द करुँगा ।
शिला ने एक नजर उसके लन्ड की ओर देख कर - अच्छा तु सोच मै हु वो लड़की, ठिक है मुझे तो जानता है ना

अनुज हसता हुआ - आप कहा से लड़की हो हिहिही
शिला - अरे औरत तो हूँ ना , मान ले तुने मुझे और मै तुझे पसंद आ गयि

अनुज ने हा सर हिलाया शिला -अब बता तुझे मुझसे क्या अच्छा लगता है ।

अनुज - आप तो बहुत प्यारे हो बुआ
शिला - अरे बुआ-ऊआ नही , मै एक खुबसूरत जवाँ लडकी हु अब बता तुझे मुझमे क्या सुन्दर दिखता है ।

अनुज - आपकी वो
शिला - क्या ?
अनुज शर्माने लगता है ।
शिला - अरे बोल ना शर्मा मत
अनुज - आपकी गाड़
शिला हस कर -धत्त बदमाश कही का , अच्छा अब मान तुझे मेरा पिछवाडा भा गया और मान ले तुने कही से मुझे नंगी देख लिया और वो तस्विरे तेरे दिमाग बैठ गयि और तुझे बार बार मेरा ही ख्याल आ रहा है और जब यही ख्याल सपने मे आयेन्गे तो तेरा वो निकल जाता है ।

अनुज - अच्छा ऐसा कुछ होता है क्या ?
शिला - हा और भी बहुत सारे रिजन है,लेकिन ये मुख्य होता है । अब बता तुने हाल ही मे किसी को ऐसे देखा या पसन्द किया हो जिसके सपने आते हो ।

अनुज - पता नही बुआ , मै तो सबके सपने देखता हु , आप मम्मी भैया पापा दीदी मेरे दोस्त सबके

शिला - अरे मेरा मतलब वो वाले सपने , गन्दे वाले

अनुज - वो जिसमे रिश्तेदार भूत बन कर आते है कभी कभी , एक बार मैने दीदी को देखा था चुड़ैल बनके नाच रही थी हिहिही

शिला ने अपना माथा पीट लिया और अनुज हस दिया ।
शिला - अरे मेरे लाल गंदे सपने जिसमे कोई औरत बिना कपडे के आयेगी और तेरे साथ मजे करेगी वैसा

अनुज - अच्छा ऐसा होता है क्या ? तो क्या अगर मै आपके बारे मे सोचूं तो आप भी मेरे सपने मे बिना कपड़ो के आओगे

शिला हस दी और लजा कर - चुप कर बदमाश कही का । फाल्तू का मै तेरे च्क्कर मे उलझ गयि , एक नम्बर का ड्रामेबाज है

अनुज - अरे बताओ ना बुआ
शिला - मुझे क्या पता , लेकिन तु क्यू मेरे बारे सोचेगा

अनुज - अभी आपने ही तो कहा सोचने को
शिला - वो तो मै तुझे ...उफ्फ़ ये लड़का भी ना ।

शिला ने एक गहरि सास ली और बोली - अच्छा सुन और समझने की कोसिस कर

अनुज ने हा मे सर हिलाया
शिला - जब हम नींद मे होते है तो हमारा दिमाग हमे ऐसे भ्रमित करता है कि हमे असली नकली का फर्क नही समझ आ आता । सपने मे जो हम देखते है वो ह्मारे दिमाग की कल्पना होती है और जब सपने हम ऐसे कोई गंदी चीजे देखते है तो शरिर को लगाया है वो असल मे हो रहा है और उसी समय तेरा वो पानी निकाल देता है । समझा इसीलिए पुछ रही थी कि कोई पसंद है क्या बुद्धु कही का हिहिहिही

अनुज - ओह्ह ऐसे , अच्छा मान लो आपने किसी का सपना देखा तो क्या आपका भी पानी निकल जाता होगा

शिला अनुज के सवाल के चौकी और झेप कर अपनी हसी होठो मे दबाने लगि
अनुज - अरे बोलो ना , आप हस क्यू रहे हो
शिला - पहले तु ये कपडे पहन हम बाद मे इस पर बातें करेंगे ठिक

अनुज बिस्तर से अपनी बनियान लोवर लेकर खड़ा हुआ और लोवर पहनने के बाद भी उसमे बडा सा तम्बू बना हुआ था

शिला की नजरे उसपे पड़ती है और वो मुस्कुराने लगती है ।

अनुज - आप मुस्कुरा क्यू रहे हो ,
शिला हसती हुई - अरे ये ऐसे ही टेन्ट बना कर बाहर जायेगा , किसी ने देख लिया तो

अनुज - हा तो ये सब नेचुरल होता है ना
शिला उसका कान मरोड कर - नेचुरल के बच्चे छोटा कर इसे फिर बाहर जा ,

अनुज - अरे ये अपने आप छोटा बडा होता है , मै नही करता इसे
शिला - अरे इसको हाथ मे पक्ड कर दबा कर रख छोटा हो जायेगा , ऐसे

शिला ने लपक कर हाथ बढा कर सीधा लोवर के उपर से उसका लन्ड पक्ड लिया और हाथ मे जोर से भींचने लगी ।
अनुज सिस्का - आह्ह बुआआ ऊहह दर्द हो रहा है छोड़ो
शिला ने देखा अनुज का लन्ड और भी कडक और टाइट हो गया - ये तो और बड़ा लग रहा है
अनुज मुह बनाता हुआ - तो , आपने ही किया इसे ऐसा ?

शिला चौक कर - क्या मैने ?
अनुज अपने हाथ बान्ध कर मुह फेर कर तूनकते हुए - हा आप ही छोटा करो इसे अब हुह

शिला हसती हुई - ऐसा कर उपर बाथरूम मे भाग कर जा और सुसु कर ले सही हो जायेगा

अनुज - फिर हस रहे हो आप
शिला - अभी जा नही तो मार पड़ेगी , जा अब बदमाश कही , छोटा कर दो हिहिही

शिला हस कर कमरे से बाहर निकलती हुई - जल्दी जा यहा कोई नही है अभी ।

अनुज शिला के जाने के बाद मुस्कुराने लगा कि मस्त लपेटा उसने बुआ को और हसता हुआ नहाने चला गया ।

जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है रज्जो ने निशा और कमलनाथ के बीच हुई चूदाई के बारे में पूछा तो निशा ने बता दिया साथ ही निशा ने रज्जो से उसकी गान्ड दिखाने के लिए बोला निशा ने खीरा रज्जो की गांड़ में डाल दिया तभी रागिनी ने उसे बुला कर बैठने को कहा बैठने पर रज्जो की हालत खराब हो गई वही शीला ने अनुज का सब कुछ देख लिया है लगता है शिला अनुज को जल्दी ही मिलने वाली है
 

Sanju@

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UPDATE 207

अमन के घर

दस बजने को हो रहे थे और मुरारी अमन को इशारे से अपने पास बुलाता है ।
पापा के बुलाने पर अमन चुपचाप उनके साथ बाहर निकल गया और बगल के अनाज वाले गोदाम मे चला जाता है ।

अमन चौकी पर बैठता हुआ - पापा यहा क्यूँ बुलाया

मुरारी- अरे तुझसे जो बातें करनी है उसके लिये यही जगह ठिक है , वो लाया है ?

अमन - क्या ?
मुरारी- अरे तेरा मोबाईल, कुछ डाउनलोड किया क्या ?
अमन समझ गया - अह नही पापा सॉरी वो रह गया ।

मुरारि थोडा उदास होकर - अच्छा, कोई बात नही लेकिन ये बता ये हनीमून पर तेरी साली जा रही है उसका क्या चक्कर है ।

अमन का गल सूखने लगा कि अब वो क्या जवाब दे - पता नही पापा, मम्मी से सोनल की कुछ बात हुई थी । मुझे तो समझ ही नही आ रहा है ।

मुरारी- मुझे भी तेरी मा का कुछ समझ नही आता , कल मैने इस बारे मे कुछ सवाल किया तो बिना मिर्च मसाले के ही मुझपे भडक गयि ।


अमन हस कर - हा तो आप ही नही कही ले जाते हो घुमाने उन्हे हिहिही

मुरारी- माना भाई गलती हुई है इस्का मतलब ये तो नही कि हर बात के लिए एक ही ताना दो
अमन - हिहिही
मुरारी- अब मुझे कुछ और नही सुनना , ये ले देख मुझे लगता है यही तेरी मा सही साइज़ है ।

मुरारी ने अपने कुर्ते की जेब से ममता की एक ब्रा निकाली और अमन को दिया

अमन उसे खोलता है और वापस से उसको हाथो मे छिपा कर दरवाजे खिड़की निहारता है कि कही उसे कोई देख तो नही रहा - पापा आप ये कहा से ?

मुरारी- अरे भाई चुरा कर लाया हु , मागने जाता तो इसके लिए भी चार बात दे देती मुझे कि शादी के साल भर बस मेरा ख्याल रखा उसके बाद भूल गये ।

अमन हसता हुआ ब्रा फैला कर उसके लेबल पढता हुआ - हा लेकिन वो कच्छी का साइज़ क्या है ?

मुरारी- वो कहा से लाऊ अब
अमन - अरे जहा से ये ली वहा कच्छी भी रही होगी ना
मुरारी- नही मिल सकती बेटा
अमन - क्यूँ?

मुरारी- दरअसल तेरी मा कच्छी पहनती ही नही है
अमन चौक कर - क्या ? सच मे ? लेकिन क्यू ?

मुरारी थोडा झेप कर थोडा शर्मा कर - वो मैने बताया था उसके साइज़ की यहा लोकल बाजार मे नही मिलती तो?
अमन - हा लेकिन जहा से ब्रा लेती है वहा तो मिलती होगी ना !

मुरारी के चेहरे पर अब हसी के छिपे हुए भाव उभर रहे थे
अमन को शन्का हुई - क्या बात है पापा बताओ साफ साफ

मुरारी थोड़ा असहज होकर हसता हुआ - अह अब क्या बताऊ बेटा, दरअसल उसके कच्छी ना पहनने की एक वजह मै भी हूँ

अमन - मतलब ?
मुरारी मुस्कुरा कर - मैने बताया था ना कि पहले हम गाव मे थे और तब हमारा खानदान बडा हुआ करता था , घर मे लोग भरे रह्ते थे और हमे अकेले मिलने का समय ही नही मिल पाता था , ज्यादातार तो रात मे भी मुझे बाहर सोना पड़ता था , घर के बाकी मर्दो के साथ ।

अमन - क्या शादी के बाद भी ?
मुरारी- हा बेटा और उस दुपहर की तेरी मा के मिलन से हम दोनो एक दुसरे के लिए तडपते रहते थे तो कभी भूसे वाले घर मे तो कभी अनाज वाले कमरे मे , रात मे कभी जीने के निचे तो कभी दुपहर को कमरे मे , जब कही हमे मौका मिलता हम प्यार करने मे लग जाते है । ऐसे मे कहा मै तेरी मा की कच्छी उतारता और कब हम सेक्स करते इसीलिए मैने तेरी मा की सारी कच्छीया चोरी करके छिपा देता था और वो वैसे ही रहती थी साडी के निचे


अमन हसता हुआ - हिहिहिही तो क्या आप लोग अभी ऐसे ही चोरी चोरी करते हो क्या जो मम्मी अब भी नही पहनती कच्छी ।

मुरारी - अरे नही बेटा, दरअसल ये सब गाव मे कई साल तक चला फिर जब तु बड़ा हुआ तो तेरी पढ़ाई का बोल कर हम इस नये कस्बे मे आ गये । मगर इन सालों मे तेरी मा की कच्छी पहनने आदत छूट गयि तो वो नही पहनती है ।

अमन - ओह्ह

मुरारी- देख ना बेटा इसके नाप से वो तेरी मा की कच्छी का साइज़ नही मिल जायेगा

अमन - मिल तो जायेगा लेकिन !

मुरारी- लेकिन क्या बेटा
अमन - अरे पापा ये सेट वाले आईटेम फैंसी बहुत आते है , पता नही मम्मी को पसंद आयेगा या नही

मुरारी- कैसे फैंसी एक दो दिखा ना जरा
अमन ने एक प्लस साइज़ थोंग पैंटी पहनी हुई मॉडल की तस्वीर दिखाई जिसकी बड़ी सी गाड़ पर बस पैंटी की लास्टीक दिख रही थी और बाकी पूरी गाड़ नन्गी थी ।

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मुरारी ने आखे फ़ाड पर उस बड़ी गाड़ वाली मॉडल को देखा तो उस्का लन्ड फड़फडाने लगा - इसने वो पीछे वाला कपड़ा कहा है

अमन मुस्कुरा कर - पापा वो बीच मे घुसा रहा है पीछे से

मुरारी ममता को इस तरह की पैंटी मे कल्प्ना कर गिनगिना गया उसके आंखो के सामने ममता की बड़ी सी मटके वाली गाड़ थिरकने लगी जिसकी दरारो मे पैंटी फसी हुई थी ।

अमन - इसीलिए कह रहा था पता नही मम्मी को पसंद आयेगा कि नही

मुरारी अपनी कल्प्ना से बाहर आकर जोश मे - नही बेटा तु कर दे यही वाला ।

अमन - लेकिन मम्मी अगर बोली तो
मुरारी- अरे तेरी मा को कैसे मनाना है मै जानता हूँ ।

अमन हस कर शरारत भरे लहजे मे - हिहिही कैसे ?

मुरारी हसता हुआ - धत्त बदमाश कही का हाहहहा ये बता कब तक आ जायेगा ।

अमन - अगर आज ऑर्डर कर दूंगा तो परसो तक आ जायेगा और इसमे ऑप्शन भी है कि 75 रुपया शिपिंग चार्ज देने पर 24 घन्टे मे ही डिलेवरी कर देगा ।

मुरारी- सिर्फ़ 75 ना , कर दे कर दे
अमन मुस्कुरा कर अपने बाप की खुशी देख रहा था और उसने ऑर्डर कर दिया ।

अमन - लेकिन पापा ये तो गलत है ना
मुरारी- क्या हुआ ?
अमन - आप मजे करने की प्लानिंग कर रहे हो मुझे सख्त लौंडा बना कर रखा हुआ है पता है कल रात तो मै बहक ही गया होता , वो तो आपसे वादा किया था तो !

मुरारी उत्सुक होकर आंखो मे चमक लिये - क्या हुआ कल रात

अमन - अब जाने दो ,
मुरारी- अरे बोल ना बेटा , बहू ने खुद से कुछ किया क्या ?

अमन - हम्म
मुरारी का लन्ड फड़का - क्या किया
अमन - रात मे सोते समय वो नहा कर आई थी और वो नाइटी मे थी अन्दर कुछ नही

मुरारी- अच्छा फिर
अमन - उसके दूध देख कर तो मै पागल ही हो गया था पापा , नुकीले और बाहर की ओर निकले हुए । बत्ती बुझा कर सोने का नाटक किया मगर ये सोने नही दे रहा था ।

अमन ने अपने लन्ड की ओर इशारा किया
मुरारी हस कर अपना सुपाडा भिन्चता हुआ - हाहाहा होता है ऐसा फिर

अमन - फिर रात मे वो मुझसे चिपक गयि , पैर उपर फेक कर मुझे जकड़ लिया

मुरारी- क्या सच में ? बहू इतनी तेज है !

अमन - पापा हमारी लव मैरिज है , आपकी तरह अरैंज वाली थोड़ी । हम तो पहले भी हग किस्स कर चुके है लेकिन कल रात ...

मुरारी थुक गटक कर - फिर क्या हुआ
अमन - पापा वो मेरे सीने पर हाथ रखे हुए थी मेरी बाजू उसके दूध के बीच मे थी , समझ सकते हो कितनी गुदगुदी होती है ।

मुरारी- हा बेटा बात तो तेरी सही है , कभी तेरी मा भी ऐसे सट जाती है मुझसे और उसके दूध कितने बड़े और मुलायम है मेरा तो रों रों खड़ा हो जाता है ।

अमन हस कर - सिर्फ़ रोम रोम ही क्या पापा हिहिही

मुरारि- चुप शैतान कही का , फिर आगे
अमन - अरे पापा मेरी तो हालत खराब थी उसपे से उसके पैर भी मेरे खूँटे पर रखा था

मुरारी चिंता जताते हुए - ओहो मेरे बच्चे कितना सहा तु उफ्फ़ मै होता तो पिघल जाता , अब क्या सोचा है तुने

अमन - आप बताओ मै क्या बोलूं , आप ही मेरे गुरु हो ना । आप जैसा कहोगे वही करूंगा

मुरारी को लगा उसने सच ने अमन के साथ ज्यादती कर दी है - अह बेटा मुझे लगता है कि तुझे अब बहू से मिलन कर लेना चाहिए

अमन चहक कर - सच पापा !!
मुरारी- हा बेटा, बहू भी बेचारी तड़पती होगी लेकिन सन्स्कार बस मुह नही खोलती होगी ।

अमन - हम्म शायद
मुरारी- अच्छा उसने कुछ इशारे किये या इस बारे मे बात की थी

अमन - किस बारें मे
मुरारी- अरे सेक्स और सुहागरात के बारे मे
अमन लजाता हुआ - नही पापा वो बहुत शर्मिली है और मै भी हिहिही

मुरारी- हा वो देख कर ही लग रहा है हाहाहा , लेकिन एक राज की बात बता रहा हु आज पहली बार होगा बहू का तो दो बार करना

अमन - दो बार क्यूँ
मुरारी- अरे पहली बार दर्द के लिए और दूसरी बार मजे के लिए , नही तो उसके जहन मे अगर दर्द बैठ गया तो आगे बहुत मुश्किल होगी ।

अमन - ओह्ह ऐसा क्या , थैंक यू पापा
मुरारी- हम्म चल अब चलते है

फिर दोनो बाप बेटे निकल जाते है घर की ओर


रंगी की दुकान

दोपहर का वक़्त हो चला था ।
जंगी खाली समय होने के कारण रन्गी के पास पहुच गया था ।

रंगी - अरे छोटे तु यहा , सब ठिक तो है
जंगी रन्गी को इशारा कर अन्दर केबिन मे चलने को कहता है ।
रंगी दुकान के नौकर को बोल कर केबिन मे चला गया

रन्गी - क्या हुआ भाई सब खैरियत तो है

जंगी - हा भैया सब ठिक है वो दोपहर मे ग्राहक थे नही तो सोचा आपसे मिल लूँ और आपको कुछ बताना भी था ।

रंगी अन्जादा लगा कर - क्या , निशा की मा के बारे मे कुछ बात है क्या

जंगी - हा भैया , वो कल रात जैसा आपने कहा था वैसा ही हुआ

रंगी - मतलब , क्या हुआ

जन्गी - भैया आपके कहे अनुसार मैने मेरे व्यव्हार मे कोई कमी नही रखी और उसके साथ सम्भोग किया और

रंगी का लन्ड कसने लगा था - फिर
जन्गी - भैया फिर मैने उसको अपनी बाहों मे भर कर सोनल बिटिया की शादी को लेके बातें छेड़ दी और शादी मे उसकी खूबसूरती को लेके थोड़ा बहुत उसे उकसाया ।

रंगी - अच्छा फिर
जंगी - मैने उससे कहा , पता है कमल भाई की नजर थी तेरे पर ,उस दिन बैकलेस डिजाईन वाले ब्लाउज मे उनकी नजरे तुझ पर थी ।

रंगी - ओह्ह फिर
जंगी - वो लजाई और

*********


शालिनी जंगी की बाहों मे चिपकी हुई - अच्छा तो आप मुझे छोड़ कर ये देख रहे थे कि कौन कौन मुझे देख रहा है , मै तो आपके लिए ही तैयार हुई थी ना हुह

जंगी - हा लेकिन जिसकी बीवी इतनी सेक्सी हो उसको चारों ओर नजर रखनी पड़ती है मेरी जान , वैसे कमल भाई कुछ ज्यादा ही देख रहे थे तुझे

शालिनी इतरा कर - हम्म पता है मुझे
जंगी - अच्छा सच मे , फिर तो तुने भी उन्हे रिझाने मे कोई कसर नही छोड़ी होगी क्यूँ

शालिनी - धत्त क्या आप भी , मै आपको ऐसी लगती हूँ , वो भरसक मेरे आगे पीछे लट्टू थे हिहिही और पता है आज सुबह क्या हुआ

जन्गी - क्या क्या बता ना
शालिनी - वो मै सुबह पोछा लगा रही थी वो दुकान मे से खैनी फाकते हुए आ रहे थे और मेरे चोली से झाकते मेरे दूध देख कर अटक से गये । हीही अब मुझसे उनके सामने पल्लू भी सही करता नही बन रहा था ।

जन्गी - क्यूँ
शालिनी - अरे मैने ऐसा दिखाया था कि मै उनको देख नही रही हूँ

जन्गी - बड़े ठरकी मिजाज के लगते है कमल भाई यार
शालिनी हसती शर्माती - हा वो तो है , तभी ना रज्जो जीजी के कुल्हे फूला रखे है

जंगी हस - क्या तु भी
शालिनी हस कर - अब बनो मत , मैने देखा है आपको कैसे निहारते हो आप उनका बड़ा सा पिछवाडा

जंगी शर्माता है तो शालिनी हसती हुई - वैसे अभी तो रज्जो दीदी यही है , लेकिन कुछ समय बाद आपको उनकी याद आये तो कहना , चल चलेंगे जानीपुर हिहिही कमल भाईसाहब भी बुला रहे थे हम सबको

जंगी - अच्छा तुझे बड़ा मन हो रहा है कमल भाई के यहा जाने का

शालिनी खिलखिला कर - क्यू जलन हो रही है आपको अब मेरे आशिकों से हिहिही


*******
रन्गी - हम्म्म मतलब मामला सीरियस है और कमल भाई का गहरा असर पड़ा है उसपे ।

जन्गी - भैया मै आपकी वजह से शान्त था नही तो मेरा मन भीतर से जल रहा था बस

रंगी - अरे छोटे शान्त हो जाता और ले पानी पी

तभी केबिन का दरवाजा खुला और सामने से आवाज आई - अरे सिर्फ पानी ही नही खाना भी आ गया है ।

रन्गी - अरे दीदी आप , आज बड़ा जल्दी खाना ले आई
शिला - हा आज जल्दी तैयार हो गया तो आ गयि और छोटे तु भी यहा ।

जन्गी का चेहरा अभी भी उतरा हुआ था वो फीकी मुस्कान के साथ - अह हा दिदी वो बस ऐसे ही कुछ काम से आया था । आप लोग खाना खाओ मै भी चलता हूँ ।

रंगी उसको रोकता है मगर जंगी खड़ा होने लगता है
जन्गी का उतरा हुआ चेहरा देख कर शिला ने इशारे से रन्गी से पूछा क्या हुआ ।
रन्गी ने हा मे सर हिला कर मामले की गम्भीरता के लिए अपनी हामी दी ।

रन्गी - मुझे लगता है हमे उपर चल कर बात करनी चाहिए
शिला - क्या बात है भैया , छोटे बोल ना
रंगी - दीदी चलिये उपर चलते है वही बात करना सही होगा , आओ जन्गी

शिला टिफ़िन लेके रन्गी के साथ आगे बढ़ गयि

उपर कमरे मे

रंगी - आओ दीदी बैठो , तुम भी बैठो जन्गी
रन्गी के पास जन्गी और उसके बगल मे शीला बैठा गयि - क्या हुआ भैया ये जन्गी को क्या दिक्कत है

रन्गी - अह दरअसल दीदी बात बहुत गम्भीर है जिसकी वजह से जंगी परेशान है

शिला जन्गी के कन्धे पर हाथ रख कर - क्या हुआ छोटे बोल ना , अपनी दिदी से छिपायेगा

शिला दुलार और मुलायम स्पर्श पाकर जन्गी का जिस्म सिहर उठा , उसके सख्त जजबात बर्फ के जैसे गलने लगे ।

रन्गी - मै बताता हु दिदी , हुआ यूँ कि
फिर रन्गी शालिनी और कमलनाथ के भी किचन मे हुए सम्भोग की बात बताती है ।
शिला के दिल मे शुरु से ही जन्गी के लिए एक सॉफ़्ट कोर्नर रहा था । वो उसके दुख सह नही पाती थी आज वो उसे अपना वही छोटा भाई नजर आता था जो बचपन मे हुआ करता था । एक मा के जैसे उसने पाला दुलारा था उसे ।

रन्गी की बातो से जन्गी की आंखे शर्मीन्दी भरी आसुओ से डबडबा गयि और उसके रुआंसा देख शिला का दिल पसीज उठा उसने सर पक्ड कर अपने छातियो से लगाते हुए - अरे तो इसमे बच्चो जैसे आस गिराने से क्या होगा , मर्द है तु

जन्गी - दीदी मुझे इसका बुरा नही लगा कि उसने किसी के साथ संबंध बनाया , बल्कि कल रात उसने मेरे साथ सम्भोग करते वक़्त उसे इस बात की जरा भी ग्लानि नही थी और ना उसने मुझसे इस बारे मे कुछ कहा । ये छीपा कर रखना मुझे अखर रहा है ।

शिला उसके चेहरे को दुलार उसके आसू पोछती हुई - ओहो अब ये सब बातें दिल पर ना लें , ये कमल भाईसाहब की नियत खराब है ये तो मुझे भी पता था , मगर शालिनी भी बहक जायेगी हुह

रन्गी और जन्गी शौक्ड होकर- क्या ?
रंगी - क्या कमल भाई ने आपके साथ भी कुछ बदतमिजि की
शिला चुप थी और दोनो भाई उसकी ओर निहारे जा रहे थे अपने सवाल के जवाब मे ।

शिला - अह नही भैया वो सब जो भी हुआ उसे बदतमिजि नही कह सकते , संयोग से हुआ था सब लेकिन मुझे कही ना कही लगता था कि उनकी नियत ठिक नही है ।

जंगी - दीदी साफ साफ बात बताओ क्या हुआ था
शिला - अह छोटे वो सबसे पहले पूजा वाले दिन हमे हवन के लिए लड़की लाने जाना था , और भैया आपने ही हमे भेजा था याद है ना

रंगी - हा हा , फिर
शिला - वो गाव की खड़न्जे वाली उबड़-खाबड़ सड़क तो जानते ही है आप और उसके स्कूटी चलाना

जंगी - ओह तो साला ये वहा फायदा उठा कर आपको यहा वहा छु रहा था

शिला - नही नही , वो बेचारे तो खुद परेशान थे
रंगी - फिर बात क्या थी दिदी
शिला - वो वहा लकड़िया बटोरते हुए मुझे पेसाब लगी थी और मै बिना बताये एक कोने मे चली गयि मुझे क्या पता वो मुझे खोजते चले आयेन्गे उधर ही

जंगी - क्या , उन्होने आपको वहा देखा , मतलब पीछे से

शिला नजरे झुकाये हुए - हा लेकिन मैने इसे संयोग समझ कर टाल दिया और फिर उसी रात मेरे जनमदिन पर जब लाईट भागी थी

रन्गी - हा हा
शिला - पहले किसी ने मेरे चुतड़ छुए , मुझे बहुत अजीब लगा और जब लाईट जली तो देखा वही मेरे पीछे खड़े थे ।

चुतड़ दबाने की बात पर जंगी का मुह सील गया क्योकि उस रात ये हरकत जंगी ने की थी ना कि कमलनाथ ने ।

रंगी - ओह्ह फिर
शिला - एक बार तो मै नहा रही थी राज के क्मरे मे तो वहा भी आ गये पता नही कैसे , पूछने पर बोले कि उनका बैग यही है रखा है और उस समय मै सिर्फ तौलिये मे थी

रंगी - अब पता नही दीदी जितना आप बता रही है , वो सब संजोगवश भी हो सकता है या फिर कमल भाई की होशियारी भी ।

जंगी भी थोड़ा थोड़ा रन्गी की बात से सहमत था क्योंकि शिला की गाड़ उसने ही दबोची थी - हा लेकिन मुझे शालिनी की बात खल रही है, उसने मुझ्से छिपाया क्यूँ

जन्गी के ड्रामे पर शिला खिझी और आंख दिखा कर - अच्छा तूने उसको जैसे सब बता रखा है

जन्गी शिला का इशारा समझ गया और चुप हो गया
रन्गी उत्सुकता दिखाते हुए - क्या दीदी अब इसने क्या छिपाया निशा की मा से ।

शिला मुस्कुराने लगी - बोल , बता दूँ
जन्गी ना मे सर हिलाने लगा ।
रंगी आंखे बड़ी कर - क्या बात है छोटे जो मुझसे छिपा रहा है ।

शिला हस कर - ये बड़ा छिपारुस्तम है , कमल भाईसाहब को ये गालियां दे रहा है और खुद की हरकतें नही दिखती इसे ।

रन्गी - मतलब क्या किया इसने

शिला - अरे भैया ये तो अपने दुकान मे आने वाली औरतों को भी ताडता है और बड़ा भोला बन रहा है हमारे आगे । अरे उस दिन शुक्र कर घर पर मै थी नही तो ना जाने क्या क्या हल्ला कर देती वो औरत ।

रन्गी - क्या भाई क्या है ये सब
जन्गी - भैया उस समय शालिनी मायके गयि हुई थी और मै परेशान था बहुत और वो औरत भी कम नही थी पहले उसने भी दाम कम करवाने के लिए खुब इशारे किये और जब पैसे देने की बारी आई तो बहसने लगी ।

रन्गी - हम्म इसी की सजा मिली है तुझे हाहाहा क्यू दीदी
जन्गी मुस्कुरा कर शिला को देखता हुआ - सजा तो उसी दिन दीदी ने मुझे दे दी थी ।

शिला लजाती हुई मुस्कुराती है ।
रंगी - अच्छा, फिर क्या सजा मिली थी तुझे
जंगी - बता दूँ दीदी
शिला आंखे दिखा कर हसती हुई - क्या बोले जा रहा है तु , हो गया अब तेरा मूड सही चल भाई मै चलती हूँ ।

शिला उठ कर जाने को हुई
तो जन्गी ने रन्गी को इशारा किया और उसने लपक कर शिला का हाथ पकडते हुए उसके पीछे खडा हो गया और उसके चुतड सहलाता - आह्ह दीदी वो सजा मुझे भी देते जाओ ना

शिला की आंखे फैल गयि और वो शौक्ड थी , तबतक जन्गी भी दूसरी ओर उसके बगल के खड़ा होकर उसके दुसरे चुतड़ को दबोचता हुआ - हम्म दीदी प्लीज ना

शिला का शरीर पूरा गनगना गया
वो आंख कर भीतर से काप रही थी और उसकी थन जैसी चुचिया कुर्ती के निचे कस चुसी थी , निप्प्ल उभर आये थे । लेगी के उपर से अपने चुतड पर रेंगते अपने दोनो भाइयों के पंजे मह्सूस कर उसने अपने गाड़ टाइट करने लगी ।

शिला - उम्म्ं भाइया तुम लोग ये क्या कर उउह्ह्ह्ह आह्ह
तभी रन्गी ने हाथ आगे बढा कर शिला की चुन्नी उसके गले से उतारता हुए उसकी छातीया मिजते हुए उसके कान गाल गरदन पर चुम्मिया करने लगा - उम्म्ंम दीदी , आज मैने भी एक औरत की छाती देखी है मुझे भी सजा दो ना दीदी ।

शिला पूरी पागल हो चुकी थी

जंगी अपने पन्जे उसकी लेगी के भीतर घुसा कर चुतडो का जायजा ले रहा था , शिला कसमसा रही थी ।
शिला - उह्ह्ह भैयाआ किसकी देख ली तुमने उम्म्ं भाभी से शिकायत करूंगी तुम्हारी अह्ह्ह सिह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रंगी उसके गरदन पर काटता हुआ शिला की कुर्ती के भीतर हाथ घुसा चुका था और ब्रा के उपर से दोनो चुचिया मिज रहा था

रंगी - कर दो ना दिदी जिसकी देखी थी उसकी ही दबा रहा है उम्म्ंम
शिला हसी - धत्त , अह्ह्ह सीई उह्ह्ह्ह जन्गीईईई औह्ह क्या कर रहा है उम्म्ं

जंगी अब तक निचे बैठ कर शिला की लेगी उतार उसकी चुतड़ मे मुह दे दिया था ।

रन्गी ने शिला की कुर्ती उतारने लगा था और शिला ने हाथ उपर कर दिये ।
कुरती फेक कर रन्गी ने एक बार फिर उसकी चुचिया दोनो हाथो मे भर ली और उन्हे मिजते हुए - आह्ह दीदी सुबह सुबह देख कर इन्हे पागल हो गया था उह्ह्ह

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शिला जंगी की जीभ की हरकत से रंगी की बाहो मे छ्टपटाती हुई - ऊहह भैयाआ आह्ह आराम से आह्ह कब देख लिया मेरी छातियां उंम्म

रन्गी आगे झुक कर उसकी चुचिया नंगी करता हुआ मुह मे भर लिया और फिर बोला - आह्ह दीदी जब तुम चाय देने आयी थी

शिला के पैर हिलने लगे क्योकि जन्गी ने उसकी जांघो के बिच से उसकी बुर के फाको मे उंगलिया पेल दी और गाड़ चाटने लगा ।
शिला पीछे की ओर गाड़ फेके हुए सिस्क रही थी और आगे रन्गी उसको पकड़े हुए उसकी छातिया चुसते हुए मजे ले रहा था ।

शिला - आह्ह छोटे ऊहह ऐसे तो गिरा देगा मुझे उह्ह्ह

जंगी पीछे हुआ और खड़ा होकर शिला के बगल मे आ गया और उसने भी दूसरी ओर से उसकी चुची पकड कद मिजते हुए मुह मे भरने लगा

शिला - आह्ह तुम दोनो भाई कब से साथ मे उह्ह्ह मह्ह्ह आराम से छोटे अह्ह्ह


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जंगी दोनो हाथ से उसकी एक चुचि पक्ड कर उसका निप्प्ल मुह मे ले लिया
वही रन्गी एक हाथ से उसकी चुचिया मिजता हुआ उसके लिप्स को चुसने लगा ।

जंगी - आह्ह दिदी भैया से मै कुछ नही छिपाता उह्ह्ह और भैया ने भी मुझे बता दिया

शिला - ऊहह सिह्ह्ह उम्म्ं , तो मुझे भी बता देते पहले ना

रंगी उसको बिस्तर धकेल कर उसकी लेगी निकालता हुआ - अरे दीदी , इसमे अभी जल्दी मुह खोला है

जन्गी अपना पैंट उतार कर अपना लन्ड बाहर निकालने लगा - हा तो तुमने भी कहा बताया था पहले ।

शिला मुस्कुराई और घुटने के बल आकर बैठ गयी
सामने उसके दोनो भाई अपना मोटे मोटे लन्ड हाथ मे लेके हिला रहे थे ।
रन्गी मुस्कुरा कर - किसका लोगि दिदी पहले
जंगी - दिदी मुझसे ज्यादा प्यार करती है वो मेरा लेंगी क्यू दिदी
रन्गी - क्यू भाई मै बड़ा हूँ पहले मै
शिला - अरे मेरे भाइयो तुम्हारी दिदी तुम दोनो को बराबर प्यार करती है आओ

और शिला ने दोनो मुस्ल पक्ड कर उसके सुपादो को नयी अपने होठो लगाते हुए अपनी जीभ एक साथ दोनो के पी होल पर फिराई और दोनो की सासे अटक गयी ।


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दोनो भाई भितर से गीनगिना गये और उसने दोनो सुपाड़े अपनी थूथ पर रगड़ने लगी

नरम नरम स्पर्श उसपे से दोनो भाईयो को सुपाड़े की आपस मे रगड़ भी मह्सूस हो रही थी जिस्से दोनो को अजीब सा रोमांच महसुस हो रहा था और तभी शिला ने लपक कर जन्गी का लन्ड मुह मे भर चुसने लगी , दुसरे हाथ से रन्गी के लन्ड को हिला रही थी ।

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उसकी लटकी हुई नंगी चुचिया खुब हिल रही थी
लन्ड बदल कर वो रन्गी पर झपटी और उसका लन्ड गले तक लेते हुए जंगी के लन्ड को भींच रही थी

रन्गी - आह्ह जीजी ऊहह सच मे कमाल हो तुम उह्ह्ह ऊहह
जंगी - हा भैया दीदी के होठो का जवाब नही उह्ह्ह सीईई
शिला लन्ड बदल बदल कर चुस रही थी
जन्गी - जीजा हमारा किसमत वाला है भैया , उह्ह्ह दीदी इतना गदराया माल साला पहले वो पेल गया

रन्गी जिसे हकिकत मालूम थी - आह्ह नही भाई असली किसमत वाला वो नही कोई और था

शिला मुह से लन्ड निकाल कर - भैया क्या बोल रहे हो और कौन रहेगा
रन्गी उसको खड़ा किया और बिस्तर पर लिटाये हुए अपना लन्ड उसकी चुत पर लगाया और हचाक से आधा अंदर
शिला सिसकी और जन्गी अपना लन्ड लेके शिला के मुह की ओर पहुच गया - हा भैया कौन था वो

रन्गी शिला की चुत की गहराइयों मे लन्ड उतारता हुआ - अह्ह्ह अरे भूल गया , वो लखना , अपने मामा का लड़का

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जंगी अपना लन्ड शिला के मुह मे दिया हुआ था जो और फूलने लगा - आह्ह क्या सच मे दीदी
शिला ने मुह से लन्ड निकाला और रन्गी को मुस्कुरात देख आंखे दिखाई और लन्ड को हिलाते हुए बोली - हा जन्गीईई आह्ह मेरी चुत मे सबसे पहले लखन भैया ने ही उह्ह्ह्ह उम्म्ं भैया और तेज्ज उह्ह्ह मह्ह्ह ऐसे ही ऊहह कहा घुसा दिया उह्ह्ह ऊहह माह्ह

रन्गी - आह्ह दीदी आपकी गाड़ मे ही तो असली मजा है उह्ह्ह हहह सीई ऊहह कितनी कसी हुई गाड़ उम्म्ं

जंगी आगे लपक कर उसकी हिलती हुई चुचिया मसलता हुआ निप्प्ल मरोडने लगा - अह्ह्ह दीदी ये आपने सही नही किया , अपने छोटे भाई पर जरा भी तरस नही आया

शिला सिस्क कर- आह्ह कमीने छोड़ उसे अह्ह्ह सीई ऊहह दर्द करने लगा उह्ह्ह्ह भैयाअह्ह्ह ऊहह ,
जन्गी अब प्यार से उसके चुचे दुलारता हुआ - आह्ह बताओ ना दिदी

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शिला - अरे तरस ही खाया था तुझपे पागल, उह्ह्ह उम्म्ंम भाइयहा उह्ह्ह उह्ह्ह रुकना नही नही ऊहह उह्ह्ह फक्क फक्क मीई ओह्ह्ह ऊहह
शिला जोर जोर से अपनी बुर मे उंगलियाँ पेलने लगी और रन्गी हचक ह्चक के लन्ड उसकी गाड मे भरने लगा ।

शिला तेजी से झड रही थी और जंगी का लन्ड पकड़े हुए थी
जन्गी - आह्ह दीदी बताओ ना
शिला - आह्ह तब तु 7वीं मे भाई कहा से लेती तेरा
रन्गी ठहाका लेता हुआ हसने लगा और शिला भी मुस्कुराती हुई उठने लगी

रंगी ने पोजीशन बदली और सोफे पर पैर लटका बैठ गया और शिला आई और उसकी ओर पीठ करके उसका लन्ड गाड़ मे लेके बैठ गयी
रंगी के एक बार फिर निचे से उसकी जान्घे फैला कर तेज झटके देने शुरु कर दिये
ये जंगी के लिए खुला आमंत्रण था सामने शिला की रस छोड़ती बुर थी
जंगी ने लन्ड को मुठियाते हुए उस्की बुर के मुहाने लगा

शिला - अह्ह्ह बाबू आराम से डालना वअह्ह्ह उह्ह्ह जन्गीईई उम्मममं आह्ह मर गयि रेह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह अह्ह्ह

रन्गी - हो गया क्या सेट
जंगी - हा भैया

शिला - अह्ह्व बहिनचोद आराम से हहह उह्ह्ह भैयाअज उह्ह्ह

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जंगी हसता हुआ शिला की बुर मे लन्ड पेलने लगा - अह्ह्ह दिदी कितनी गर्मी है आपमे उह्ह्ह सीई उम्म्ंम

शिला पुरा जोश मे आ चुकी थी उसके दोनो छेड़ मे दो दो बड़े मोटे लन्ड भसड मचा रहे थे , और शिला चिखे जा रही थी
जन्गी आगे हाथ बढ़ा कर उसकी चुचिया मिजता हुआ - आह्ह दीदी बहुत मजा आ रहा है, ऊहह कितना मस्त सिन है , जीजा देखता तो पागल हो जाता

रन्गी - हा भाई आह्ह बहिनचोद को दिखा दे क्या कि हमारी दीदी को खुश कैसे रखा जाता है अह्ह्ह

जन्गी - हा भैया , इस बार जब दीदी घर जायेंगी तो प्कका उन्हे जीजा से शिकायत रहेगी

शिला सिस्कती हुई - काहे की शिकायत भाई अह्ह्ह उह्ह्ह पेलो ना उह्ह्ह और तेज उह्ह्ह

जंगी - वहा आपको कहा दो लन्ड मजा मिलेगा हहहाहा

रन्गी निचे से कमर उछालता हुआ - हा दीदी , आपको हमारी याद नही आयेगी उम्मममं

शिला - आह्ह बहुत ज्यादा आयेगी ऊहह अपने भाइयों को कौन भूला है भला अह्ह्ह और तुम जैसे बहिनचोद भाइयो को कौन भूलेगा अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह और उम्म्ं मजा आ रहा है

जन्गी - भैया एक बात कहू मुझे एक आईडिया आया

रन्गी - क्या बोल ना
जंगी - ऐसे नही पहले मुझे दीदी की गाड़ मे घुसाने दो

रंगी हसता हुआ - अरे तो ले ना , घूम जाओ दीदी

शिला के चुत और गाड़ के लन्ड निकले तो वो अपने दोनो छेद सहलाती हुई उठी और रन्गी का लन्ड चुत मे भर लिया और जंगी ने सुपाडा सेट कर खुली हुई गाड़ मे लन्ड हचाक से उतार दिया

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शिला - अह्ह्ह साले आराम से उह्ह्ह ऊहह
जंगी - आपकी गाड़ बहुत टाइट है दीदी , लगता है जीजा अच्छे से लेता नही उम्म्ंम

रन्गी - वो तू क्या बता रहा था
जंगी शिला की गाड़ मे पेलता हुआ -अह्ह्ह भैया बहुत मजेदार आईडिया है लेकिन दीदी की मदद लगेगी

शिला कसमसा कर दोनो के बीच पिसती हुई सिस्कती हुई - अह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क फ्क्क्क उह्ह्ह ऊहह तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगी मेरे भाई आह्ह उह्ह्ह बोल ना , ऐसा मजा कहा मिलेहा मुझे उह्ह्ह

रन्गी निचे से लन्ड शिला के भोस्ड़े मे उछलता हुआ - हा भाइ बोल ना

जंगी जोश मे आया और पूरी ताकत से लन्ड शिल की गाड़ मे भरने लगा - मै सोच रहा था भैया , क्यू ना क्म्मो को भी शामिल किया और फिर हम चारो भाई बहन एक साथ

रन्गी को कम्मो का नाम सुनते ही ससुर सा छा गया उसका लन्ड दुगने जोश से शिला की बुर मे चलने लगा - अह्ह्ह भाई क्या बात कही है उह्ह्ह दीदी उह्ंम्ंम्ं क्या ये हो सकता है अह्ह्ह करो ना कुछ औह्ह्ह अह्ह्ह अब मुझसे और नही रुका जायेगा अह्ह्ब दीदी आ रहा है मेरा

जन्गी - हा भैया कम्मो के बार मे सोच कर ही मै भी पागल हो रहा हु उह्ह्ह ऊहह आओ दीदी आ राहा है

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दोनो भाई ने लन्ड बाहर खिंच और खड़े होकर हिलाने लगा , शिला निचे बैठ कर मुह खोल कर उनकी पिचकारियां ले ने लगीझडने के बाद दोनो का लन्ड चुसा और खुद को साफ करने लगी

वही दोनो भाई सोफे पर बैठ कर खुद को शान्त करने लगे
सामने शिला अपने छातियों और चेहरे पर लगे रस को साफ कर चाट रही थी

रंगी - तोह दीदी क्या सोचा इस बारे मे
जंगी - हा दीदी करते है ना
शिला मुस्कुरा कर - मुझे कोई दिक्कत नही है, लेकिन कम्मो को मनाना आसान नही है ।


जंगी - इसीलिए तो हमे आपकी हैल्प चाहिये , आप ही उसे अच्छे से समझती है और इतने सालों से साथ रह रही है

रन्गी - हा दीदी जंगी सही कह रहा है , करों ना कुछ
शिला उठी - हुहू ना मतलब ना , मै इसमे कोई हेलप नही करने वाली , तुम दोनो ही राजी करो उसे

ये बोलकर शिला बाथरूम मे चली गयी ।
जंगी - भैया कुछ करो ना , बिना दीदी के ये काम न्ही हो पायेगा
रन्गी मुस्कुराकर उस्को इशारे से शान्त रहने का बोलता है
और इधर शिला बाथरूम मे जाकर मुह धूल कर वापस आई , अभी तक दोनो भाइ वैसे ही थे ।

शिला- अरे तुम लोग अभी तक ऐसे क्यूँ हो

रन्गी और जन्गी आपस मे मुस्कुरा कर अपना मोटे मोटे लन्ड को दुलारते हुए फिर से खड़ा करने लगे ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है
आज तो दोनो भाईयो ने शिला की जमकर चूदाई की शिला और जंगी के चूदाई के बारे में भी पता चल गया
 

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Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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UPDATE 212

चमनपुरा बाजार की सड़को पर आज बुढे जवाँ , औरतें बच्चे हर किसी नजर शालिनी की लचकदार कूल्हो पर जमी थी ,

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जांघो पर चुस्त ऐसी कसी कि पैंटी की लाईन चूतड पर उभर आये । दोनो जबरज्स्ट चुतड़ उसकी शार्ट कुर्ती मे आधे ढके आधे खुले हिल्होरे खा रहे थे ।
उपर सर पर दुपट्टा कर आगे से अपने उन्नत और बिना ब्रा वाली जोबनो को छिपाती हुई सडक पर चल रही थी ।
राहुल और अरुण दोनो आज शालिनी की इस हरकत से खुद कामोत्तेजित हो रहे थे जिस तरह से बजार के लोग घुर घुर के शालिनी के छ्लकते मोटे थन जैसे दूध और उसकी मतकति गाड़ निहार रहे थे ।
दोनो के लन्ड बेकाबू हो रहे थे उसमे ज्यादा बेकाबू तो अरुण था

बीते 15 मिंट पहले का उसका आधा अधूरा मजा उसे झलकियों के रूप मे उसके जहन मे घुम रहा था ,

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शालिनी कुछ देर के लिए राशन की दुकान पर चढ़ी और कुर्ती से झांकती उसकी मांसल जान्घे और गोल चुतड देख कर वो उस कामुक दृश्य मे डूब सा गया जब शालिनी ने उसे कमरे मे बुलाया था

कुछ देर पहले ....


हा मामी , बोलो ।
शालिनी बड़ी कातिल अदा से इठलाती हुई - अह मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहन के बाजार जाऊ इसीलिए तुम्हे बुलाया ।

अरुण के निगाहे शालिनी के कसे हुए जोबन पर थी जिसके निप्स उभरे हुए टाइट थे एकदम ।

शालीनी - वैसे मेरे उपर क्या अच्छा लगेगा , साडी या सूट

अरुण एक पल को अपनी मामी के जिस्म के उभार कटाव को कसी हुई चूड़ीदार सलवार और सीने पर चुस्त सूट मे सोच कर ही भीतर से सिहर उथा उसका लन्ड एकदम टाइट - आह्ह मामी आपको सूट ट्राई करना चाहिए वैसे
शालिनी - उम्म्ं निशा के सूट मुझे हो जाते है , देखती हु कोई मिल जाये , आना इधर देखना तो
ये बोल कर शालिनी आलमारी खोल कर आगे झुक कर कपडे उलटने लगी और नाइटी मे उसकी बड़ी गोल म्टोल गाड़ फैल कर अरुण के आगे ।

मामी के आकार लेते चुतड को देख कर अरुण का मुसल भी फुलने लगा , हथ बढा कर वो अपना लन्ड़ भींचने लगा ।
शालिनी जानबूझ पर अरुण के जजबातों से खेल रही थी और अरुण अब उसकी हिलती गाड़ देख कर अपने लोवर मे हाथ घुसा कर लन्ड को मीजने लगा ।

तभी आलमारी से कुछ कपड़ो के साथ कासमेटिक आईटेम भी फर्श से गिरने लगते है ।
शालिनी - अह बेटा जरा उठा कर देना तो
और जैसे ही अरुण फर्श पर बैठ कर समान बटोरने लगा तो मौका पाकर शालिनी झट से आधी नाइटी घुटने से उपर तक खिन्च ली और उसकी आधी जान्घे पीछे से नन्गी दिखने लगी

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जैसे अरुण ने नजरे उपर की शालिनी के बडे बड़े चुतड़ ने नाइटी उठा कर उसके रसिले लम्बे फाके नजर आने लगे ।

जिसे देख कर अरुण सुध बुद खो बैठा , उसके सुपाड़े मे जबरज्स्ट खुजली होने लगी , शालिनी के जिस्म से उठती मादक गंध उसे और भी पागल करने लगी,वो नशे मे उसकी ओर झुकने लगा

शालिनी अरुण के नथुने अपने नंगे चुतड़ की ओर बढ़ देख हल्की सी और अपनी नाइटी खिंच दी , जिससे उसके चुतड पूरे नंगे हो गये
बौखलाया अरुण अपनी मामी की नंगे कुल्हे जान्घे सहलाने लगा -आह्ह मामीईई कितनी सेक्सी हो आप उम्म्ंमममं अह्ह्ह्ह

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शालिनी अरुण की बेचैनी और उसके जोशीली स्पर्श से भीतर से हिल गयी , अरुण के नथुने उसके गाड़ के दरारो ने घुसे हुए थे और वो उसके चुतड फैला कर उन्हे सुँघ रहा था , शालिनी भी जोश मे अपने चुतड अरुण के चेहरे पर मलने लगी - आह्ह बेटा उम्म्ंम्ं लेह्ह चाट ले आह्ह यही देख कर ही तेरा खड़ा रह रहा है ना उम्म्ंम

अरुण शालिनी के नरम चुतड फैला कर दाँत लगाता है - हा मामी पागल हो गया हु इन्हे देख कर मन कर रहा है आमम्म उफ्फ्फ कितनी नरम गाड़ है आपकी मामी उम्म्ंम

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शालिनी उसके सर को पकड़ कर अपने चुतड के दरारो मे दरने लगी - आह्ह बाबू चाट और चाट ऊहह देख तेरा जोश देख कर मेरी बुर बह रही है

अरुण भी मामी की टाँगे फैला कर उसकी बुर मे नीचले छोर पर जीभ लपल्पाने लगा और गरदन लफा कत भीतर 2 इंच जीभ घुसा दी , शालिनी की बुर बिलबिला उठी और अरुण उसकी मलाई चुतड के छेद तक जीभ से फैलाता हुआ चाटने लगा - आह्ह मामी बड़ा नमकीन पानी है आपका उह्ह्ह और गाड़ पर लगा कर चाटने का मजा भी अलग है उम्म्ंम सीईई आह्ह

शालिनी की इस तरह से तारिफ किसी ने नही की थी वो और भी कामोत्तेजक होकर उसके सर को अपनी जांघो और चुतड़ मे दरती रही अगली बारी झडने तक , इस बार अरुण ने उसकी जान्घे उठा कर उसकी बुर को अच्छे से साफ किया और खड़ा हुआ

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उसका मुसल पुरा फनफनाया हुआ था लोवर मे जिसे शालीनी ने हाथ बढा कर लपक लिया आगे की ओर उसका लन्ड लोवर के उपर से खिन्चने लगी ।

अरुण आंखे बन्द कर मामी का स्पर्श पाकर मस्ती मे हवा मे उठने लगा , उसकी एडिया अकड़ने लगी आंखे उलटने लगी मानो मामी लोवर के उपर से ही अभी उस्का सारा जोश बहा के जायेंगी - आह्ह मामीईई कुछ करो ना ऊहह उम्म्ंम
शालीनी उसके लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गर्म कडक लन्ड का अह्सास कर भीतर से सिहर उठती है और अरुण के चेहरे के जोशीली भाव पढते हुए अन्दर ही हिलाने लगती है ,

अरुण - आह्ह मामी ऊहह और और ऊहह आयेगा आयेगा उम्म्ंम उह्ह्ह निकल जायेगा उम्म्ं

शालिनी तेजी से उसके लोवर मे हाथ डाल कर हिला रही थी
मगर तभी हाल मे राहुल की आवाज आती है और दोनो सजग हो जाते है , उस वक़्त तक अरुण का लन्ड लोवर मे भी अपना फब्बारा फोड चुका था ।

अरुण - आह्ह मामी देखो अन्दर ही निकल गया अब क्या ?
शालिनी मुस्कुरा कर उसके गाल काटती हुई - मेरी जान अभी तुने अपनी मामी का जल्वा देखा कहा है, तु बाहर जा मै तैयार होकर आती हु फिर देख कैसे दुबारा टाइट होता है ये हिहिहिह

इधर अरुण मुस्कुरा कर नाइटी के उपर से अपनी मामी की चुचिया मसल कर उसके गाल चूमकर झट से कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी राहुल की नजर उसपर गयी और वो उसे शालिनी के कमरे की ओर आता देख चुका था ।

वो लपक कर उसके पास पहुचा - अबे कहा से , उधर कहा गया था

राहुल का साफ साफ इशारा उसकी मा के कमरे की ओर था जिस पर अरुण बस बेशर्म भरी हसी से दाँत दिखा रहा और उसका एक हाथ अभी लोवर के उस हिस्से को पकड़े हुए था जहा से उसका लोवर लन्ड ने गीला कर रखा था ।

राहुल ने उसका हाथ झटक कर लोवर मे गिले हिस्से को देखकर भौचक्का होकर - क्या कर रहा था भाई

अरुण खिखी करता हुआ - वो मामी कपडे बदल रही थी तो देख कर रहा नही गया और हिहिहिही

उसकी बातें सुनकार राहुल का लन्ड टाइट हो गया और आंखे फ़ाड वो अरुण से - तो क्या तुने मा को पूरी नंगी देखा

अरुण - आह्ह हा भाई , क्या सेक्सी माल है मामी उनके नरम नरम चुतड़ उफ्फ्फ कैसे थिरक रहे थे आह्ह रहा नही गया मुझसे तो उफ्फ़

राहुल हसता हुआ - साले हरामी तु तो मुझसे भी तेज निकला हाहाहा

अरुण - भाई अब तो बाथरूम जाने दे , कपडे बदल कर बाजार भी चलना है ना

राहुल - तु भी चलेगा



"अरे भाई चल हो गया " , राहुल ने उसे झकझोरा तो दुकान की कुर्सी से उठ कर अरुण होश मे आया और देखा मामी उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रही थी ।

राहुल - कहा खोया रह रहा है तु
अरुण एक नजर अपनी मामी को देख कर - नही कही नही ,चल चलते है
शालिनी उसको देख कर बस मुस्कुरा कर आगे बढ गयी ।

राहुल उस्के जाते ही - बहिनचोद कबसे तु मा के चुतड ही घुर रहा था एकटक, साले क्या हो गया हौ तुझे

अरुण - भाई मुझे मामी की गाड फिर से चाटनी है
राहुल -फिर से
अरुण खुद को सतर्क करता हुआ - अरे फिर से नही सिर से , वो छोर होता है जहा से शुरु होती है कमर के पास वो

राहुल - अच्छा वो
अरुण - आह्ह हा भाई ,देख ना मामी क्या सेक्सी लूक दे रही है , बहिनचोद सबकी नजर उनके रसिले चुतड़ पर अटकी है सीईई

राहुल - हा भाई , पता नही आज मम्मी को क्या सुझा कि वो निशा की ड्रेस पहन कर बाजार निकल गयी , पहले तो कभी नही किया ।

अरुण - उफ्फ़ तभी तो इतनी कसी और चुस्त है ।
इधर ये दोनो शालिनी के मटकते चुतडो के पीछे चलते हुए वाबरे हो रहे थे वही दूसरी ओर जन्गीलाल की अपनी अलग बेचैनी थी ।
शालिनी कभी इस तरह से बाजार नही गयी थी जिसकी वजह से जंगीलाल के लिए चिंता का विषय हो गयी थी ।
उसे कुछ सूझ नही रहा था और जैसे ही ग्राहक हटे वो तुरंत अपने भैया रन्गीलाल को फोन घुमा दिया ।

फोन पर ...

रंगी - हा भाई बोलो क्या बात है ?
जंगी - भैया वो निशा की मा !
रन्गी - हा क्या हुआ उसे ?
जन्गी - अरे पता नही आज उसे क्या सुझी है जो कुर्ती लेगी मे बजार निकल गयी है ।
रंगी - हा इसमे क्या दिक्कत है वो तो पहले भी सूट नुमा कपडे पहनती है ना ?

जन्गी - अह भैया कैसे सम्झाऊ मै , आप खुद देख लो वो अभी आपके दुकान की ओर ही सब्जी मंडी के पास होगी , देख कर फोन करो ।
फोन कट हो गया ।
इधर रंगी की बेचैनी भी बढ़ गयी और वो दुकान के नौकर को बिठा कर सब्जी मंडी की ओर बढ़ गया ।

घूमते फिरते , इधर उधर भीड मे गरदन एडिया उठा कर नजर घुमाया मगर वो नजर नही आई और फिर वो 10 मिंट के बाद एक पान की दुकान पर पहुंचा और पान लगवाने लगा कि तभी उसकी नजर सड़क उस पार आंटा चक्की वाले दुकान पर गयी , जहा एक औरत दुकान से तेल की बोतल लेकर झोले मे डाल कर दो लड़कों से बात कर रही थी ।

रंगी एक नजर मे उसे पहचान गया और सडक पर उतरते ही उसकी नजर शालिनी की गुदाज रसिली जांघो पर गयी जिसकी चुस्त लेगी मे उसके पैंटी की शेप साफ साफ झलक रही थि ।
जैसे ही शालिनी आगे घर की ओर बढी रंगीलाल उसके आधे ढके थिरकते चुतड देख कर पागल गया , उसका लन्ड भरे बजार बगावत और उतरा , उसपे से जरदा वाला पान उसकी कामोत्तेजना और बढा रहा था ।
फटाफट उसने पान उगलना उचित सम्झा और जंगी को फोन घुमा दिया ।

फोन पर जन्गी बेचैनी से - हा भैया दिखी क्या वो ?
रंगी - हम्म दिखी अभी वो चक्की वाले के यहा
जन्गी - देखा ना भैया कैसे उसकी मनमानियां बढ़ रही है , क्या सोचेंगे मुहल्ले के लोग मेरे बारे मे ।

रंगी - ओहो तु तो सोचता बहुत है , अरे कौन सा अकेली घूम रही थी और कपडे इतने भी बुरे नही थे , हा बस थोड़े छोटे थे बस दो चार इंच की बात थी । मुझे नही लगता कि ये उसके कपडे होगे ।

जन्गी - नही भैया ये तो निशा के थे
रन्गी - ले बोल , भाई तुझे जब पता है कि उसे ऐसे सूट और आरामदायक कपडे पसन्द है तो लाकर देता क्यू नही, जब नही रहेगा कुछ तो वही पहनेगी ना

जन्गी को भी रन्गी की बात सही लगी
रंगी - फाल्तू का टेन्सन ना ले , उससे दिल खोल कर बातें कर , तुने भरम पाल लिया है वो निकाल अपने मन से ।

जंगी - जी भैया


इधर ये तीनो बाजार से घर की ओर वापस आने लगे तो मार्केट मे भीड़ ज्यादा होने की वजह से शालिनी ने मेन मार्केट से ना जाकर गली बदल दी और सब्बो के मुहल्ले से होकर घर के लिए सड़क पकड़ी ।
शालिनी का लगभाग ये हर बार बाजार से आते वक़्त का रूट हुआ करता था जब भी उसका झोला भारी हो जाता वो बाजार से हट कर इस शान्त गलियों से होकर घर के लिए जाती ।

इधर दोनो भाई भी समान लिये तेजी से चल रहे थे कि अचानक से अरुण के बढते कदम धीमे हुए और उसकी नजरे बगल की पतली गली से उसके सामने निकलती हुई महिला पर गयी जिसके भडकिले मोटे मोटे भारी चुतड की थिरकन देख कर अरुण की सासे अटक सी गयी ।

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इतने बड़े और बुलंद चुतड आज तक उसने नही देखे थे , और उनकी थिरकन उसके लन्ड फडका रही थी ।

इधर अरुण आंखे फाडे उस महिला की गाड़ निहार रहा था कि तभी शालिनी ने उस महिला को आवाज दी - अरे सब्बो की अम्मा रुकना ।

अरुण और राहुल दोनो रुक गये और शालिनी को तेजी से उस औरत के करीब जाता देख रहे थे कि अरुण से कुछ कदम आगे जाकर शालिनी एकदम से आगे की ओर झुकी कुछ उठाने के लिए और शार्ट कुर्ती उपर उठी जिससे उसके चुस्त लेगी मे कसे हुए मोटे मोटे गोल मटोल गुदाज चुतड साफ साफ नजर आने लगे ।

दोनो भाई बिच सडक पर शालिनी का ये नजारा देख कर हैरान हो गये और तभी शालिनी उठी और एक नोट उठा कर उस औरत को दिया ।
उस औरत ने शालिनी का धन्यवाद किया ।

अरुण राहुल से फुसफुसाया - ये तहलका कौन है भाई
राहुल हस कर - ये सब्बो की अम्मी है रुबीना

अरुण - तो अब ये सब्बो कौन है ?
राहुल हसने लगा - भाई ये दोनो मा बेटी रन्डीयां है , पैसे लेकर चुदाई करती है ।

अरुन - बहिनचोद तभी इसके चुतड इतने बड़े है ऊहह पुरा खड़ा हो गया , इसके लिए तो भाई घोड़े का लगेगा हिहिहिही

राहुल - जो भी लगे अपने को क्या ,
अरुण हस कर शालिनी की ओर इशारा कर - हा और क्या अपना माल वो है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ - साले हिहिहिही

अरुन- भाई आज भाई घाट की ओर चले क्या समान रख कर
राहुल - हा चल वैसे भी क्या ही काम है ।
अरुन - हा यार घूमना जरुरी भी है
राहुल - तेरा घूमना सब समझ रहा हु साले


फिर दोनो घर पर समान रख कर नदी की ओर निकल गये ।

इधर शाम ढल रही थी और अनुज दुकान पर खाली बैठा था , उस्के हाथ मे रिन्की की छोड़ी हुई पैंटी थी जिन्हे वो अपने हथेली मे मसल कर रिन्की की मुलायम बुर की कल्पना मे अपना लन्ड भी सहला रहा था ।

उसने घड़ी देखी और आज समय से पहले ही दुकान बढाने लगा इस आश मे कि शायद अमन के घर से होकर जाते हुए उसे रिन्की दिख जाये ।
अनुज फटाफट से दुकान बन्द कर निकल गया , मगर उसकी किस्मत इतनी अच्छी नही थी कि वो रिन्की को देख पाये ।
मायूस मुह लेकर वो आगे अपने घर की ओर बढ़ गया ।

घर का दरवाजा अनुज उदास मुह से खटखटाया और रागिनी ने दरवाजा खोला तो अनुज का उतरा मुह देख कर बड़ी फिकर मे उसके गाल सहलाने लगी - क्या हुआ मेरा बच्चा , ऐसे क्यू उदास है तु

अनुज उदास के साथ साथ थका भी था तो अपनी मा के छातियो मे खडे खड़े लुढकने लगा , रागिनी हसते हुए उसको सम्भालने लगी - धत्त , सीधा खड़ा हो ना , मै गिर जाउंगी
अनुज को अपनी मा के मुलायम चुचो की नरमी मे गजब सा सुकून मिल रहा था वो बच्चो जैसे जिद दिखा कर - मम्मा गोदी लो ना , थक गया हु बहुत ऊहह

रागिनी उसके चेहरे को प्यार से दुलारती हुई हसने लगी - खंबे जैसा हो गया है कैसे उठाऊ तुझे , चल अन्दर बदमाश कही का ।

रागिनी उसको हाल मे लेकर आई ।

रागिनी एक ग्लास पानी लाकर उसे देती है - ले पानी पी ले और अगर मन हो तो बुआ के कमरे मे आराम कर ले । खाना बन जायेगा तो मै जगा दूँगी

बुआ का नाम आते ही अनुज के सुस्त हुए जज्बात एकदम से फुरत हो गये और पानी गटक कर वो गेस्ट मे चला गया ।

दरवाजा खोलते ही उसकी नजर सामने करवट लेकर लेटी शिला बुआ पर गयी ,

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जिन्की कूल्हो से कुर्ती सरकी हुई और लेगी मे उनकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ साफ साफ दिख रही थी ।
जिसे देख कर अनुज का मुसल पल भर मे टनटना गया और धीरे से उसने दरवाजा बन्द कर चुपचाप बुआ के करीब गया ।

धीरे से बिस्तर पर लेट कर करवट होकर मुह अपनी बुआ की ओर कर दिया ।
उस्की नजरे अभी शिला की बड़ी मोटी फूली हुई गाड पर अटकी थी , उसका मुसल एकदम कसा टाइट था ।

सुबह के अनुभव और भैया से मिली हिम्मत से उसने जिगरा दिखाया और हौले से अपने कापते हुए हाथ शिला के उठे हुए कुल्हे पर रख दिया ।
क्या नरम नरम गुलगुले से अनुभव हुए अनुज को , उसका लन्ड और कसने लगा जैसे जैसे उसके हाथ अपनी बुआ के चुतड़ पर रेंगने लगे

बुआ के नरम नरम चुतड़ का अह्सास अनुज को भीतर से कामोत्तेजक किये जा रहा था , उसका लन्ड लोवर मे तम्बू बना कर अकड़ रहा था ।

उसके हाथ सरकते हुए बुआ के पेड़ू तक गये और शिला के जिस्म मे हल्की सी कुन्मुनाहट हुई ।
अनुज के हाथ जहा थे वही रुक गये कुछ सेकेंड तक उसकी सासे धौकनी की तरह धक धक होती रही फिर डर का साया मन से हल्का हल्का छटने लगा ।
अनुज ने एक बार फिर पहल शुरु की और उसकी उंगलिया अब शिला के चुत के ढलानो की ओर सरकने लगी , जिससे एक बार फिर शिला के जांघो मे चुनचुनाहट सी हुई और इस बार उसके अनुज का हाथ पक्ड कर उपर खिंच लिया - उम्म्ंम्ह्ह्ह अच्छे से सो ना लल्ला ।

एक पल को अनुज की फट कर चार हो गयी कि बुआ को कैसे पता।

मगर तभी उंगलिया को शिला के नरम नरम चुचियो का स्पर्श मिला और शिला अपने कुल्हे अनुज की ओर खीसकाती हुई उसके हाथ को अपने नरम नरम दूध पर रखती हुई - यहा पकड कर सो जा और परेशान ना कर मुझे ।

अनुज को यकीन नही हो रहा था कि ये सब उसके साथ हो रहा था , अब तो उसके बुआ की बड़ी सी गाड़ उसके लोवर मे बने बड़े से तम्बू के एकदम करीब थी , अनुज ने हल्का सा अपना कमर आगे किया और सुपाड़े की नुकीली टिप लोवर के निचे से शिला के नरम गाड़ मे इंच भर धंस गयी ।
इस नये कामोतेजि अनुभव से अनुज की सासे और तेज हो गयी ।
सुपाड़े पर एक अलग ही खुजली उठी रही थी , पुरे लन्ड मे गजब का जोश उठ रहा था और उसके पंजे शिला के चुचे को हाथ मे भर चुके थे ।

शिला भी हल्की नीद मे बस कुनमुना रही थी और अनुज के सुपाड़े की रगड़ उसके चुतड़ मे चुनचुनाहट पैदा कर उसके आराम मे खलल कर रही थी ।
इधर अनुज की हिम्मत बढ रही थी कि बुआ तो कुछ बोल नही रही तो फाय्दा ले और उसने अपना लोवर निचे कर अपना तना हुआ मोटा कडक भाले सा नुकीला सीधा लन्ड बाहर निकाला और हौले से शिला की गाड़ की दरारो मे चुबो दिया ।

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बहुत थोड़ी हरकत हुई शिला के देह मे मगर इस बार उसने कुछ नही कहा तो अनुज की हिम्मत बढी और उसने अपने गाड़ के पाटे टाइट कर अपने लन्ड को आगे ठेलते हुए शिला की गाड़ मे धकेलने लगा ।
अनुज के जिस्म से अब कामुकता की आंच उठने लगी थी , चेहरे पर खुमारी दिख रही थी , बुआ के नरम चुतड के दरारो मे लेगी के उपर से लण्ड घोप कर उसे जन्नत का मजा मिल रहा था और उसके मुह से सिसकियाँ उठने लगी थी , फुलते नथुने बजने लगे - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त उम्म्ंम


तभी शिला - उम्म्ंम क्या कर रहा है राज ऊहह बस कर ना बेटू
अनुज के अब कान खड़े हो गये और उस्का माथा ठनका और अब थोडा बहुत खेल समझ आने लगा

उसने जितना अपने भैया को आंका था वो उस्से कही आगे की चीज है , उसे यकिनन अब भीतर से मह्सूस होने लगा था कि उसका भैया बुआ की गाड़ चोद चुका होगा और उस ख्याल ने अनुज के लन्ड जोश का सागर भर दिया था , उसकी कामोत्तेजना चरम पर आ पहुची
उसका लन्ड अब बेकाबू होने लगा था और वो घुटने बल आकर बुआ के गाड पर लन्ड घिसने लगा - अह्ह्ह बुआआ उह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड है
गर्म कामोतेजक गुर्राती सिस्कियों के बीच बुदबुदाहट सी आवाज आ रही थी अनुज के मुह से और तभी उसकी नसे फड़फड़ाने लगी ।

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मुठ्ठियो मे जोर से भिच कर आंखे मुंद कर अनुज का सुपाडा फूट पड़ा और अनुज तेजी से अपना लन्ड बुआ के चुतड़ पर ही झाडने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं व्ह्ह्ह

शिला के कानो मे गुर्राती सिसकियों मे अनुज की आवाज आई और अपने चुतड़ पर गर्म चिपचिपाहट का अह्सास होते ही शिला चौक कर गरदन घुमा कर देखी - अनुज तु!!!

अनुज का जोश अगले ही फुरर हो गया , फनफनाता आग उगलता लन्ड हाथ मे आधा होने लगा ।

शिला अपने लेगी के उपर से चुतड़ पर गिरे उसे वीर्य को हथेली से पोछती हुई - ये क्या कर रहा था तु कमीने मेरे उपर । शर्म नही आई अपने मा समान बुआ के उपर ये सब गिराते हुए

अनुज डरा हुआ था उसकी फ़टी हुई थी जिस तरह से शिला भड़की हुई नजर आ रही थी , उसकी तेज आवाज से अनुज को डर था कि कही कोई बाहर से ना जाये ।

अनुज - आह्ह सो सॉरी सॉरी बुआ , वो मुझसे जोश जोश मे रहा नही गया , मै आपके ये बड़े बड़े चुतड देख कर परेशान हो गया था और फिर आपने राज भैया का नाम लिया तो मुझे ना जाने क्या हो गया और जोश मे आकर आपके उपर ही निकाल दिया ।

राज का नाम आते ही शिला की भी आवाज एकदम से शान्त हो गयी - मुझे लगा कि तु राज ही है इसीलिए मैने रोक नही ,

अनुज - तो क्या मेरी जगह राज भैया होते तो उनको नही डांटती क्या ?

शिला - अरे मेरा मतलब वो नही था , मैने सोचा कि
अनुज - हा हा , मुझसे कोई प्यार क्यू करेगा । सबका लाडला राज भैया ही है । मै तो छिप सा जाता उन्के आगे ना आपको भी वही प्यारे है ।

शिला अनुज को रुवास देख कर उसको अपने पास बिठाती हुई - अरे नही मेरे लाल , तुम दोनो मेरे लिए एक जैसे हो

वो तो राज हर बार मुझे ऐसे तंग किया करता है पीछे से चिपक कर तो मुझे लगा वही होगा । मुझे नही पता था तु भी इतना शरारती है हिहिही बदमाश कही का ।

अनुज शिला के सीने से चिपका हुआ मुस्कुरा रहा था - एक बात पूछू बुआ ।
शिला - हा बेटा बोल ना
अनुज - तो क्या राज भैया भी ऐसे आपके पिछवाड़े पर निकालते है ।

शिला मुस्कुरा कर - तु दोनो भाई बातें उगलवाने मे किसी से कम नही हो हिहिहिही ,
अनुज - बताओ ना बुआ प्लीज
शिला - हा भाई कभी कभी जोश जोश मे वो भी ऐसे ही मेरे कपडे भीगा देता था ।
अनुज थुक गटक कर - आपका मन नही हुआ बुआ कभी ...।
शिला उठ कर खड़ी हुई और कुर्ती निचे कर अपने चुतड ढकती हुई - कैसा मन मै समझी नही बेटा ।

अनुज भी खड़ा होकर हिचकता हिम्मत करता हुआ - कि कभी कपडो के निचे से मतलब पीछे से नंगी होकर गिरवा लू ।

शिला लाज से हस्ती हुई - धत्त बदमाश कही का , तु तो राज से भी ज्यादा शैतान है रे हिहिही

अनुज - बुआ सुनो ना
शिला अपने आलमारी से कपडे निकालने लगी - ह्म्म्ं बोल ना
अनुज का मुसल एक बार फिर से तन चुका था और अप्ना मुसल मसलते हुए शिला के पीछे खड़े होकर उसके मुलायम गाड को कुर्ती के उपर से सहलाता हुआ - बुआ मेरा मन करता है कि पीछे खोल कर गिराऊ

शिला चहकी और घूमती हुई हस कर - क्या बोल रहा है तु , हट पागल कही का ।

अनुज - बुआ प्लीज ना मान जाओ , आपकी गाड़ देख कर मुझसे रहा नही जाता । मन करता है बस हिला हिला कर उसको भर दू सफेद सफेद पुरा ।

अनुज की बातें सुन कर शिला के जिस्म भीतर से गिनगिना गया , उसकी बुर मचल उठी - तु चुप करेगा अब , मै नहाने जा रही हूँ ।

अनुज - बुआ प्लीज ना
शिला - नही कहा ना एक बार हट जाने दे मुझे

फिर शिला निकल गयी बाहर और अनुज भी बाहर हाल मे आया ।

अभी अनुज हाल मे दाखिल हो रहा था कि रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए घुस रही शिला को रज्जो के दरवाजे के बाहर ही जकड़ लिया - ऊहु शिला रानी कहा चली


शिला को पता था कि पीछे अनुज हाल मे आ गया है तो थोडा रज्जो के सामने झिझक रही थी - नहाने जा रही हु भाभी ,

रज्जो उसके मखमाली मोटे चुतड़ को सहलाती हुई - थोड़ी देर रुक जाती तो आपके भैया आपके पीछे साबुन लगा देते , आते होगे वो भी दुकान से।

शिला लजाती हुई हस कर - धत्त चुप करो , अनुज हाल मे ही है और वो छोटा नही रहा अब हिहिही
रज्जो ने एक नजर कनअखियो से हाल मे अनुज को बैठे हुए देखा और उसके लोवर मे उठे हुए तम्बू को निहार कर - क्या दिखा दिया बेचारे को तुमने जो बौराया घूम रहा है
शिला - धत्त भाभी तुम भी ना , अरे इधर आओ बताती हूँ ।
शिला उसको कमरे मे खिंच ले गयी ।

रज्जो - अरे क्या हुआ
शिला - ये अनुज भी कम नही है राज से , आज सुबह थोड़ी खुल कर क्या बात कर ली अभी शाम को मुझे सोते हुए दबोच लिया इसने और उसका वो बौराया सांढ़ मेरी खोली मे घुसने लगा था ।

रज्जो ताजुब से - हैं सच मे , वैसे क्या साइज़ होगी इसकी
शिला आंखे उठा कर - क्यू तुम्हे चाहिये क्या ?
रज्जो - अरे जवाँ कसे लन्ड की बात ही अलग है दीदी और अनुज के उम्र के लड़के का मजा इस्स्स्स

शिला हसती हुई - ऊहह तड़प तो देखो हिहिही तो आज रात राज की जगह इसे ही बुला लेते है , क्योकि राज तो आज आराम करने के मूड मे है ।

रज्जो - हा बताया उसने कैसे तुम और छोटी ने मिल कर निचोड़ा उसे हिहिहीही

शिला - अरे उसको छोड़ो और इस अनुज का सोचो आज रात के लिए क्या ख्याल है उम्म्ं

रज्जो - क्या ? नही नही , अरे रागिनी बिगड़ जायेगी वो तो उसकी नजर मे अभी बच्चा है भूल से जिक्र ना करना

शिला - ओह्ह ऐसा क्या , मगर वो तो अपनी धार तेज करता फिर रहा है आज कल हिहिही
रज्जो हसती हुई - तो फडवा लो चुपके से , बच्चे का मन भी बहाल जायेगा

शिला - धत्त क्या तुम भी भाभी
रज्जो - अरे चुपके चुपके मजे लेने मे क्या बुराई है हिहिही मै तो चली उसका खुन्टा टटोलने हिहिहिही


और रज्जो मुस्कुराती हुई हाल मे आई ।
अनुज की नजर अभी किचन मे काम कर रही रागिनी के कूल्हो पर जमी थी और रह रह के उस्के जहन मे ख्याल आ रहे थे कि क्या कभी वो अपनी मा को चोद पायेगा ।

उसके लिए उसकी मा दुनिया से अलग हट कर वो मनपसंद आईक्रीम के जैसे थी जिसे वो बड़े आराम से फुरसत से स्वाद ले ले कर खाना पसंद करता और यही कारण था कि हर जब कभी भी अनुज के दिल मे अपनी मा के लिए खलबली होती तो उसके साथ घर के बाकी नाते रिश्तेदारों की छवियां भी आती , उसकी मामी बुआ दीदी चाची ।
इतनी सारी चुतों को भी साथ हासिल करने की तलब उसमे उठने लगती और जहा चीजे आसान मालूम होती उधर वो भटक जाता ।
कभी कभी उसे शिला बुआ की ओर खुद से पहल कर अपनी किसमत आजमानी पडती तो कभी शालिनी चाची के जैसे किसमत खुद से मेहरबान हो जाती ।

खैर अनुज का जीवन के महज शुरुवाति दौर है , आने वाले समय मे सिखने को उसके पास बहुत कुछ सबक बाकी है
फिलहाल रज्जो अपनी तिरिया चारित्र की किताब से कुछ शब्द लेके जा रही है ।
देखते है आगे क्या होता है ।

जारी रहेगी
Behtareen update bhai 👍🏻
 

Sanju@

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UPDATE 208


रिन्की और दुलारी

दोपहर मे काम निपटा कर दुलारी रिन्की को लेकर समान लेने के बहाने चमनपुरा बाजार निकल गयी ।

रिन्की - क्या भाभी , वो सब जरुरी है क्या लेना ?
दुलारि अपने सर पर पल्लू आगे करती हुई धीरे से बोली - अच्छा ये बता , ये दुकाने बाजारे इतनी सजी और जगमग कयू रहती है ।

रिन्की - अरे भाभी ताकी ग्राहक ज्यादा आये उन्के यहा
दुलारी- हा तो जब तेरी दुकान सजी रहेगी तभी तो तेरा माल आयेगा लेने

रिन्की लजाई - भक्क भाभी आप बस सपने दिखा रहे हो , भैया तो मुझे ताकते भी नही । नयी वाली भाभी को देखी कितनी सेक्सी है और मै दूबली पतली ऊहह

दुलारी- अरे मेरी लाडो, फिकर ना कर तेरे ये चुजे की चोंच देख कर ही तेरा माल बावरा हो जायेगा , आ इस गली मे चलते है ।

रिन्की - भाभी यहा कितनी दुकाने है और सब पर जेन्स लोग है कैसे लेंगे यहा ?

दुलारी- तु चुपचाप चल , आगे देखते है

थोड़ी दूर बढ़ने पर रिन्की ठिठक कर खड़ी हो गयी , उसकी आंखे फैल गयी और गला सूखने लगा ।
दुलारी उसका हाथ पकड़ कर खिन्चती हुई - क्या हुआ चल ना

रिन्की ने आंखो से सामने एक दुकान पर इशारा किया , जिसपे अनुज बैठा हुआ था ।

दुलारी की आंखे चमक उठी - अरे ये तो वही है ना ? शादी वाला आशिक़

रिन्की खुश हुई और लजाती हुई धीमी अवाज मे - हा भाभी और वो नई भाभी का सगा भाई है ।

दुलारी - हा हा पता है, चल चलते है
रिन्की अपनी कलाई छुड़ाती हुई - क्या ! नही नही प्लीज भाभी

दुलारी- अरे समान मै लूंगी ना , तु बस बातें करना उससे चल

रिन्की असहज होकर दुलारी के साथ अनुज के दुकान पर चली गयी ।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और जैसे ही दुकान पर उसकी नजरे अनुज से टकराई वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर ली
अनुज और रिन्की दो शर्म से गाढ़ हुए जा रहे थे और दुलारी उन्हे देख कर मुस्कुरा रही थी ।

अनुज ने दुलारी को नमस्ते किया ।
दुलारी- ओहो पहचान रहे हो क्या आप हमे
अनुज मुस्कुरा कर एक नजर रिन्की को देखा और हा मे सर हिलाता हुआ - जी आप दीदी की शादी मे आई थी ना
दुलारी - फिर इनको भी पहचानते होगे

दुलारी ने रिन्की की ओर इशारा किया तो अनुज ने हा मे सर हिलाते हुए - जी इनको भी साथ मे देखा था ।

दुलारी- बस देखा था !
अनुज - हा वो मै , अच्छा आप लोग बैठिये मै कुछ मगाता हूँ , क्या लेंगी आप लोग

रिन्की - नही कुछ नही
दुलारी दुकान का स्टूल पकडती हुई - भई मेरी देवरानी का पीहर है तो मै तो खा पी कर ही जाउंगी हिहिहिही

अनुज रिन्की से - अरे बताईये ना

दुलारी ने रिन्की को छेड़ते हुए - अरे इसको लम्बी डंडे वाली मलाई कुल्फ़ी पसंद है , मिलती है क्या इधर

अनुज - हा यही मोड पर है वो घूमता रहता है और आप
दुलारी- अह , मुझे तो कुछ भी चलेगा जूस चाय कुछ भी

अनुज - बस दो मिंट आया
और अनुज दुकान से बाहर निकल गया ।

रिन्की हस्ती हुई - धत्त क्या भाभी वो क्या सोचेगा कि हम लोग खब्बू है और अपने लिये जूस तो मुझे मलाई कुल्फ़ी क्यूँ

दुलारी हसती हुई - बेटा खोज तो आज कल तु मलाई कुल्फी ही रही है हिहुहि क्यू

रिन्की - धत्त भाभी आप भी ना
कुछ ही देर मे अनुज जूस और कुल्फी लेके हाजिर हुआ और दोनो को दे दिया
दुलारी ने जूस का गिलास होठ से लगाया तो रिन्की ने रबड़ी लिभ्डी कुल्फ़ी के टिप को होठो से लगा कर सुरकने लगी ।

वो अनुज के सामने ऐसे पेश आने से लजा रही थी और अनुज से कनअंखियो से कुल्फी चुसते चाटते देख रहा था ।

अनुज - अच्छा अब बताओ क्या सेवा करू आपकी

दुलारी बुदबुदाइ - अरे इसको पटक के चोद दे बस
अनुज - जी
रिन्की ने मुस्कुरा कर दुलारि को देखते हुए कुल्फी का बाइट लिया ।
दुलारी जूस का गिलास रखती हुई - वो रिन्की के लिए जरा ब्रा पैंटी के सेट देखना था

दुलारी ने डायरेक्ट बोल दिया और रिन्की के गले कुल्फ़ी का टुकड़ा अटकते अटकते रह गया , वो खासने लगी ।

दुलारी और अनुज दोनो का ध्यान रिन्की की ओर गया ।
अनुज ने फिकर लपक कर पानी का बोतल उठाया और उसकी ओर बढाता हुआ - लिजिए पानी पी लिजिए

हाथ मे पानी का बोतल पकड़ते ही रिन्की और अनुज दोनो को शादी के रात वाली वो दासता याद आ गयि जब रिन्की ने बड़ी बेबाकी से अनुज के हाथ जूठा पानी पी लिया था ।

रिन्की ने कुल्फ़ी जूस के ग्लास मे रख कर पानी के बोतल से पानी पिया और बैठ गयी ।

दुलारी ने देखा अनुज की नजर अब भी रिन्की को देख रही है ।
दुलारी- दिखाईये ना

अनुज हड़बड़ाया - जी साइज क्या होगा

दुलारी- रिन्की क्या साइज़ है तेरा
रिन्की गले से थुक गटकती हुई धीरे से दुलारी के कान मे बोली - 30B
दुलारी- हा बाबू 30B देना और निचे का
रिन्की लजाती हस्ती हुई दुलारि का बाजू पकड़ कर उसपे लोटने सी लगी ।

दुलारी- अरे बोल ना
रिन्की - 32
दुलारी हस कर - निकाल दो बाबू 32 , और सुनो
अनुज - हा
दुलारी- जरा फैंसी मे दिखाना वो चला है ना डोरी वाला

रिन्की - क्या भाभी , नही जी वो सब मत दिखाना ।
दुलारी थोड़ा खुलती हुई - अरे अभी तो तेरे उमर है , अभी पहन ले नही तो शादी होने के बाद कहा ये सब नशिब होगा ।
रिन्की मुह बनाती हुई - जैसे आप बडा पहनते थे शादी से पहले

दुलारी- अरे मै पहन लेती , मगर मेरा साइज़ देखा है ना , वो थोडी ना थाम पायेगा

रिन्की अब तो लाज से हस्ती हुई दुलारी पर झोल ही गयी और अनुज भी दुलारी की फुहरपने पर शर्माता हुआ मुस्कुराने लगा ।

दुलारी- अच्छा ठिक है बढिया लेस वाली दिखाना
अनुज ने फटाफट दो तीन डब्बे निकाले और आगे परोस दिया ।

दुलारी खुले मन से पूरे काउंटर पर ब्रा पैंटी फैला कर उसकी क़्वालीटी और साइज़ देखने लगी ।
रिन्की और अनुज बस चोर नजरों से एक दुसरे को निहारते लजाते रहे ।
रिन्की - भाभी बस करो लेलो कोई एक और चलो

दुलारी - अरे ऐसे कैसे , पहले नाप तो ले , यहा कोई चंजीग रूम है क्या ?

अनुज थोडा असहज होकर एक नजर रिन्की को देखता है - वैसा तो कुछ नही है पर पीछे कमरा है चले जाओ ।

दुलारी ने दो जोड़ी ब्रा पैंटी दिये और उसको लेके कमरे मे चली गयी ।
बारि बारी से उसने चेक करवाया और कुछ देर बाद अकेले बाहर आ गयी ।

दुलारी दूकान मे आई और बोली - अच्छा और भी कोई रहता है क्या ?
अनुज - हा भैया भी , क्यूँ
दुलारी- वो कहा है ?
अनुज - वो अभी खाना खाने उपर गये है ।
दुलारी ने आस पास नजर घुमाई और फिर सड़क की आते जाते लोगो को देखा और फिर अनुज को देख कर आंखो से इशारे कर बोली - जाओ मै हु बाहर

अनुज चौका - क्या ?
दुलारी फुसफुसा कर - अरे धिरे बोलो और कमरे मे जाओ , मै हु इधर

अनुज सकपकाया उसकी धडकने तेज होने लगी , गला सुखने लगा - म मै समझा नही ,

दुलारी उसको पकड़ कर कमरे की ओर धकेलती हुई - ओहो सम्झाने का समय बाद में भी मिलेगा , अभी जाओ

अनुज दरवाजे से टकराता हुआ कमरे मे आया तो सामने रिन्की अपने समान्य कपड़ो मे खड़ी थी

अनुज अटकता हुआ - वो भाभी ने भेजा मुझे , क्या हुआ साइज़ सही है ना

रिन्की भी नजरे चुरा रही थी उसकी सासे धधक रही थी चेहरे पर फीकी मुस्कान थी और कलेजा काप रहा था - अह हा सब सही है और कलर भी ठिक है , एक सेट तो मैने पहन ही लिया हिहिही

अनुज उसके अजीब बरताव को मुह बना कर देख रहा था , देख रहा था कि उसकी उंगलियाँ बेचैनी मे एक दुसरे को कैसे तोड मरोड रही थी । देख रहा था हनहनाते पंखे की हवा मे उसके चेहरे नथुनो और सीने पर उभरा हुआ पसीना ।
उसके फड़कते होठ जो बेताब कुछ कहने को या कुछ करने को , हिलते पाव और चंचल निगाहो को , जो एक जगह ठहर नही रही थी ।

अनुज - अच्छा ठिक है मै जा रहा हु
रिन्की ने हिम्मत दिखाई और बोली - रुको
अनुज - हा कहो
रिन्की झिझक भरे लहजे मे - वो मै ये कह रही थी
अनुज उसके फूलते सीने को निहार रहा था और रिन्की उसकी नजर निहार रही थी ।
अनुज की नजरे एकाएक उससे टकराई और वो सहमा और थुक गटकता हुआ वो रिन्की की आंखो देख रहा था ।
रिन्की इधर उधर फिर से आंखे नचाने लगी और फिर अचानक से लपक कर अनुज पर झपटी और उसके होठ अपने होठ से दबोच लिये ।

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अनुज की आंखे फैल गयी , वो छुड़ाने को छ्टपटाया मगर रिन्की उसके गले मे अपने हाथ का पट्टा बना कर जकड रखा था और उसके होठ जबरजस्ती चुसे जा रही थी ।
अनुज पूरी ताकत से उससे अलग होकर हाफता हुआ - ये क्या था ?

रिन्की अनुज के माथे पर उभरी हुई नाराजगी से थोड़ा डरने लगी और थोड़ा शर्मिंदा थी - सॉरी , बट तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो

अनुज अपने लिप्स पर उन जगहो पर उन्गलियो से टैप कर रहा था जहा उसे रिन्की के दाँत मह्सूस हो रहे थे - तो तुम ये कह सकती थी, ये क्या तरीका हुआ बताने का ?


रिन्की तुनक कर मुह बनाती हुई - सुना था तुमने क्या उस रात और कितना डरते हो तुम

अनुज अपनी कमजोरी से बखूबी वाकिफ था मगर फिर उसके पास सवाल कई थे - हा लेकिन समय तो चाहिये होता है ना ऐसे किसी से दिल की बात कह दूँगा ।

रिन्की उदास होकर - तुम समय निहारते रहना और मै परसो अपने घर चली जाउन्गी ।

अनुज - क्या , लेकिन क्यू । मतलब जल्दी क्या है ?
रिन्की अनुज को बेचैन देख कर - तुम्हे भला उससे क्या ? मेहमान हु यहा घर थोड़ी है मेरा ।

रिन्की - और मै कौन सा तुमसे जनम जनम का साथ निभाने को कह रही थी , वो तो बस कुछ पल

अनुज अचरज भरी मुस्कुराहट- मतल्ब
रिन्की मुस्कुराई लजाई - मतलब तुम सब जानते हो ,हटो अब जाने दो तुम किसी काम के नही हुह

रिन्की आगे बढ़ने को हुई कि अनुज ने उसकी बाजू पकड़ अपनी ओर खीचा और उसके होठ के पास अपने होठ ले गया और उसको करीब से निहारते हुए उसकी आँखो की नाचती पुतलियों को देखता हुआ - अच्छा तो मै किसी काम का नही हूँ, रुको

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अनुज ने उसके होठ अपने होठ मे जोड़ लिये और दोनो एक दुसरे को चुसने लगे , रिन्की अनुज को अपनी बाहों ने भरने लगी और अनुज उसके चुतड़ मसलने लगा ।

तभी बाहर से आवाज आई - रिन्की घर से फोन आ रहा है चलो
दोनो अलग हुए अनुज संशय भरि नजरों से उसे देखता हुआ - रुक जाओ ना कुछ दिन

रिन्की उसकी आंखो मे निहारती हुई - परसो आओगे तब देखती हूँ

ये बोलकर वो उसके गाल चूम कर बाहर जाने को हुई कि अनुज की नजर फर्श पर बिखरी हुई रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी और वो लपक कर उठाता हुआ - अरे ये रह गया तुम्हारा ।

रिन्की शरारती मूड मे मुस्कुरा कर - रखो अपने पास मेरी याद दिलायेगा तुम्हे

अनुज शौक्ड भी हुआ और खुश भी और उसने चुपके से वो दोनो ब्रा पैंटी जेब मे डाल दी और बाहर आ गया ।

दुलारी के आगे अब भी दोनो मुस्कुरा शर्मा रहे थे
दुलारी ने कुछ नही कहा और फिर वो निकल गये घर के लिए


राहुल के घर

दुकान मे
शालिनी - अरे तेरे पापा कहा गये
राहुल - पता नही मम्मी , बोले अभी आता हूँ
शालिनी - अरे इनको रोज कुछ ना कुछ घटा रहता है बाजार घूमने निकल जाते है ।

इनसब के बीच अरुण की निगाहे अपनी मामी के गुदाज पेट की गहरि और कामुक नाभि पर जमी थी जो सीलिंग फैन की हवा से पल्लू के नीचे से झाक रही थी ।

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शालिनी की नजरे एकाएक अरुण की ओर गयी तो उसने उसकी नजर का पीछा कर पल्लू से पेट धकती हुई - आजाओ बाबू तुम खाना खा लो

अरुण ने एक नजर राहुल की ओर देखा तो राहुल ने जाने का इशारा किया ।
इधर अरुण उठने को हुआ तो शालिनी घूम कर गलियारे से हाल की जाने लगी ।
गलियारे से हाल मे दाखिल होते ही रोशनी उसका मोटा पीछवाडा और लचकदार कमर की थिरकन देख कर गलियारे के अन्धेरे मे अरुण ने अपना लन्ड भिन्चा और फिर किचन मे चला गया

शालिनी खाना परोस रही थी और अरुण सिंक मे हाथ धूल रहा था और उसकी नजर अपनी मामी के कुल्हे पर कसी हुई साड़ी पर थी जिसमे उसके चुतडो की गोलाई साफ साफ उभरी हुई थी ।

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मोटा पिछवाडा देख कर अरुण के ध्यान वो सीन याद आया जब उसने पल भर के लिए शालिनी को मूतते देखा था ।


शालिनी - हम्म लो बाबू खा लो
अरुण ने शालिनी के हाथ से थाली ली और हाल मे बैठ कर खाने लगा , उसकी नजर किचन मे ही जमी हुई थी ।

शालिनी को भी आभास था कि उसके चुतडो पर अरुण की नजर है उसने उसे सताने का सोचा
वो भी एक प्लेट मे खाना लेके आई और उसके पास मे बैठ कर खाने लगी ,

मामी के एकदम से करीब बैठने से अरुण को बेचैनी होने लगी , इधर शालिनी ने रेमोट से टीवी चालू कर दिया उसकी नजरें सिरियल पर थी और वो ये भी जान रही थी कि उसके भांजे की निगाहे रोटियाँ चबाते हुए उसके दूध के टैंकर भी निहार रहे है ।

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पल्लू पहले से ढीला रखा था , उसपे से ब्लाउज का लो कट गला जिसमे से झाकते हुए खरबूजे के जोड़े

इधर शालिनी खाना खतम करने को हुई थी और उठने जा रही थी कि उसकी साड़ी सोफे के एक बटन मे कही उलझी और उसका पल्लू पुरा का पुरा सीने से उतर गया ।

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भांजे के आगे अपना जोबन अपने जुठे हाथों से कैसे छिपाती साड़ी का पल्लू खिंचने मे हाथ से प्लेट सरक कर गिर गयी और दाल और बची हुई सब्जी फर्श पर दाग छोड़ती हुई पसर गयि अलग सो ।

शालिनी ने किसी तरह से अपनी साडी छुड़ाया और अपने भांजे से बिना को बात चीत किये सीने को ढकती मुस्कुराती हुई प्लेट उठा कर किचन मे चली गयी ।

हाथ मुह धूल कर वो झटपट बाथरूम की ओर गयी और वहा से एक बालटी लेके हाल मे दाखिल हुई

अबकी अपनी मामी को देख कर अरुण की आंखे बड़ी हो गयी ,
शालिनी अपनी साडी घुटनो तक उठा रखी थी , पल्लू घूम कर कमर मे फसा हुआ था । हाथ मे पोछे वाली बालटी लेके आ पहुची थी ।
अरुन मुह मे निवाला चबाता हुआ अपनी मामी की गोरी गोरी चिकनी पिंडलियों को निहारने लगा ।

शालिनी मुस्कुराते हुए बैठ गयी और बालटी से पोछा निकाल कर अरुण मे पास ही पोछा लगाने लगी ।

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घुटनो के बल आगे की ओर झुकी हुई शालिनी की चुचियों बलाऊज मे लतके हुए खुब हिल रही थी , मानो अब बाहर आ जाये मगर ब्रा मे उन्हे काफी हद तक अपने गिरफत मे ले रखा था ।

शालिनी ने अरुण की आंखो मे देखा और उसकी चोरी पकड कर मुस्कुरा दी - और कुछ चाहिये क्या बाबू

अरुण निवाला गटक कर ना मे सर हिलाया और

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शालिनी पोछा लगा कर उठी और बालटी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगी , अरुण ने शालिनी की घुटने तक उठी साडी मे थिरकते उसके मोटे मोटे चुतड़ देखे तो उसको रहा नही गया ।
वो लपक कर किचन मे थाली रख कर सिंक मे हाथ धुला और अपने लोवर मे पीछे की तरह हाथ रगड़ता साफ करता हुआ तेजी से बाथरूम की बढ़ गया ।बाथरूम से बालटी मे पानी भरने की आवाजें आ रही थी और कपड़े कचारने की भी ।
अरुन ने हल्का सा भीडके हुए दरवाजे से झाक कर देखा तो उसकी आंखे फैल गयि ।

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बाथरूम के उसकी मामी सिर्फ पेतिकोट मे बैठी हुई अपने जिस्म से उतारे हुए कपड़े धूल रही थी ।
दरवाजे का हैंडल पक्ड कर अरुण बाथरूम मे झाक रहा था और लोवर मे उसका लन्ड तना हुआ था ।
तभी दरवाजे के कब्जे मे हलचल हुई या फिर अरुण के हाथों का दबाव हैंडल पर ज्यादा हुआ और चोईईई की आवाज करता हुआ बाथरूम का दरवाजा भीतर की ओर खुल गया

सामने शालिनी चौक कर सरफ की गाज वाले हाथ से अपने खुले हुए चुचे छिपाती हुई - अरे बाबू तुम यहा

अरुन नजरे चुराने लगा - वो मामी मुझे बाथरूम यूज़ करना था तो सॉरी वो मै

शालिनी - अरे तो बेटा पाखाना बगल मे है ना
अरुण की नजरे शालिनी की मोटी मोटी पपीते जैसे चुचियों पर थी वो अटकता हुआ - नही वो मुझे पैर धूलना था और दाल मेरे पैर पर भी गिरी थी

अरुण ने पाव आगे कर कर जुठ के दाग दिखाया और शालिनी को असहज मह्सुस हुआ कि उसकी जुठन गिरने के बाद भी अरुण ने कोई शिकायत नही की ।

शालिनी ने सामने से कपड़े हटाये और उसको पैर आगे करने को बोला ।

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अरुण ने पैर आगे किये और शालिनी पानी डालती हुई उसके पैर धूलती हुई - वही देखो ना मेरी साडी भी खराब हो गयी और फिर यहा उपर ब्लाउज मे भी दाग लग गया था ।

शालिनी बड़बड़ा रही थी और अरुण की निगाहे उसकी मोटी मोटी झूलती थन जैसी छातियों पर थी ।

शालिनी - लो हो गया
अरुण - हा लेकिन मुझे अब लोवर भी बदलना पड़ेगा

शालिनी - क्यू क्या हुआ
अरुण - अरे देखो ना मामी यहा वहा छीटें गये हुए है

शालिनी - अरे हा , ला बेटा निकाल धूल देती हु इसे ,

अरुण मुस्कुरा कर लजा कर - अह नही नही बाद मे
शालिनी - अरे निकाल ना , क्यू जिद कर रहा है

अरुण हस कर - मामी वो मैने निचे कुछ पहना नही है

अरुन का जवाब सुनते ही शालिनी की नजर सीधा उसके लोवर मे बने तम्बू पर गयी और वो हसती हुई - क्यु

अरुण - मामी वो कच्छी मेरी बड़ी मामी के यहा छूट गयी है

शालिनी - अच्छा
अरुण - आप कहो तो निकाल दूँ
शालिनी ने उसका शरारती चेहरा देखा और हस्ती हुई खडी हुई और उसको बाथरूम से बाहर करती हुई - चलो हटो बदमाश कही के , जाओ कमरे से बदल कर लाओ ।

अरुण हसता हुआ बाहर आ गया और शालिनी ने दरवाजा भिड़का दिया ।
अरुण झट से कमरे मे गया और उसने अपनी लोवर निकाली और अपना लन्ड भींचता हुआ सिस्का - अह्ह्ह मामीईई क्या मस्त पपिते है आपके ऊहह हिहिही सच मे मामी हो तो ऐसी हो ।
अरुण का दिमाग नही चल पा रहा था कि वो क्या करे क्या नही , कैसे भी करके वो इस मोमोंट का फायदा लेना चाहता था ।

उसने लोवर निकाला और टीशर्ट मे बाहर आया और बाथरूम के बाहर जीने की अरगन से तौलिया खिंच कर लपेट कर वापस से बाथरूम के आगे पहुच गया
बिना किसी दस्तक के उसने फिर से दरवाजा खोल दिया और सामने शिला पूरी नंगी खड़ी जिस्म पर साबुन मल रही थी


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पुरा का पुरा नंगा जिस्म देख कर अरुण का मुह खुला रह गया आखे बड़ी हो गयी , लन्ड फौलादी हो गया
हाथ से लोवर निचे गिर पड़ा ।

शालिनी एक बार फिर चौकी और अपने चुत को ढ़कती हुई दोनो हाथ क्रॉस किये जिससे साबुन मे मिजी हुई चुचिया सेंटर मे आ गयि , सीधी और तनी हुई ।
गोरी मोटी गोल गोल चुचियों पर भूरे निप्प्ल उसकी खुबसूरती मे दो सितारे के जैसे थे ।

शालिनी - अरे देखा क्या रहा है पागल , जा ना
अरुन हड़ब्डा कर - अह हा हा जी मामी

अरुण नजरे फेरे वापस जा रहा था कि शालिनी ने उसे आवाज दी - अच्छा सुन , अब आ गया तो मेरी पीठ मल दे जरा

अरुण - जी ठिक है
ये बोलकर वो बाथरूम मे दाखिल हुआ
शालिनी उसकी ओर घूम गयी और 40 साइज़ की उसकी बड़ी सी गाड़ अरुण के आगे पूरी नंगी , साबुन के झाग मे झलकती हुई और कामुक लग रही थी ।
शालिनी ने साबुन की टिक्की थमाई और अरुन ने फीसलते हाथ से उसे पकडा और पीठ पर घुमाने लगा ,

मामी को ऐसे छूने की कल्पना तक नही की थी उसने और
शालिनी - हम्म्म जरा और निचे हा और थोड़ा

शालिनी ने अरुण के रेंगते हाथ को दिशा देते हुए कुल्हे तक ले आई थी , मगर अरुण की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो इसपे दाव खेलने का रिस्क उठाये ।

शालिनी उसके इरादे भरपुर जान रही थी , मगर वो भी खुद को रन्डी के जैसे पेश नही करना चाहती थी , तलब तो उसे भी और ये यकीन भी कि इसका लन्ड भी अनुज के जैसे ही कड़ा और मजबूत होगा ।
जवानी के दहलिज पर कदम रखने वाले किशोर छोरे के लन्ड की नसो कसावट आखिर तक ढीली नही पड़ती और अगले राउंड के लिए जल्दी तैयार भी हो जाता है ।

हाल ही उसने 3 जवाँ लन्ड का स्वाद ले चुकी थी उसमे अनुज के लन्ड ने उसकी दिलचसपी इंटर-हाईस्कूल के जवाँ लड़को मे बढा दी थी ।

लोवर मे बने तम्बू को याद कर शालिनी को यकीन था कि अरुण जरुर अनुज के टक्कर का ही होगा , मगर पहल हो कैसे ।
इधर अरुण के हाथ साबुन की तिकीया लिये उसके निचली कमर पर और नंगी चुतड की शुरुवात सीमा तक आ गये थे ,

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शालिनी के जिस्म मे कपकपाहट बढ रही थी उसके हाथ बड़ी कामुकता से अपनी छातीया कलाइयों से मिज रहे थे और एक मदहोशि सी चढ रही थी ।
बेसिन के आईने मे अरुण ने अपनी मामी की खुमारी देखी और शालिनी ने उसकी नजरे टकराई ।
शालिनी की आंखो मे उतरी बदहवासी को देख कर अरुण का कलेजा फडका , हिम्मत पर उसने हाथ आगे बढा का अपनी मामी की नंगे फुटबाल जैसे बडे बडे चुतड़ पर साबुन फिराया

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शालिनी सिस्क कर उसके सामने आंख बन्द कर ली और अरुण साबुन की तिकीया फर्श पर सरका दी और अपने चिकने पंजे को अपनी मामी की गाड़ पर घुमाने लगा , भांजे से स्पर्श से शालिनी सिहर उठी , उसने अपनी चुतड की दरार को कस लिया , जिस्म मे कपकपी सी होने लगी ।
अरुण बस अपनी मामी के चेहरे पर उभतरे हुए कामातुर भावों को पढते हुए अपने फिरात हुआ बीच वाली उंगली को गाड़ के सकरे दरारो के ढलानो पर ले गया ।

शालिनी का पुरा जिस्म गिनगिना गया और वही निचे उसके बुर के छोर के कुछ इंच की दुरी के पहले ही अरुण ने अपनी उंगली फ़ोल्ड कर शालिनी के गाड़ के फाकों मे घुसा दी , जिससे शालिनी उछल पड़ी- अह्ह्ह सुउउऊ

अरुण मुस्कुराया कि तभी हाल से एक तेज आवाज आई - निशा की मा कहा हो ?

ये आवाज अरुण के मामा जन्गी की थी ।
दोनो मामी भांजे की सासे अटक गयी अब क्या हो ,
मगर जवाब तो देना ही थी ।
आवाज की आवृति और तीव्रता से साफ मालूम हो रही थी कि जन्गी बाथरूम की ओर बढ़ रहा था ।

शालिनी ने मुह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया और बोली - अजी मै नहा रही हूँ

जन्गी - अच्छा अच्छा , जल्दी आओ और खाना लगा दो मै कपडे बदल रहा हूं

शालिनी ने हा मे जवाब दिया और जन्गी के कमरे मे जाने की आहट का इन्तजार किया

शालिनी हौले से दरवाजा खोल कर बाहर झाका और अरुण को फुसफुसा कर बाहर जाने का इशारा किया - जाओ जल्दी

फटी तो अरुण की भी थी इसीलिए वो फीके पडे चेहरे के साथ बाथरूम से निकलने लगा ।

शालिनी - अरे तौलिया तो देते जाओ
अरुण - नीचे कुछ नही है
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या तुम भी झट से भाग जाना कमरे मे , जल्दी लाओ नही तो तुम्हारे मामा आ जायेंगे

अरुण का गल सुखने लगा और हड़बडी मे उसने तौलिया निकाला और टीशर्ट खिन्च कर कभी पिछे चुतड़ छिपाता तो कभी आगे तना हुआ मुसल उसको ढ़कता हुआ , सरपट राहुल के कमरे मे भाग गया ।

जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
बेचारे अरुण का klpd हो गया
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Behatreen update mitra, Anuj bhi dheere dheere bada hone laga hai, aur use pata bhi lag raha hai ki chooton ka safar apani maa ki choot se hokar Jata hai,
Wohin Shalini ki jawani Jangi ke baal safed karwa kar maanegi, par Jangi ke baal kya Arun ka to pajama hi safed kar diya ,
Kamuk update bhai, aaage ka intezar der na karein,
Bahut bahut dhanywaad mitra
 
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