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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

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आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

Tri2010

Well-Known Member
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UPDATE 212

चमनपुरा बाजार की सड़को पर आज बुढे जवाँ , औरतें बच्चे हर किसी नजर शालिनी की लचकदार कूल्हो पर जमी थी ,

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जांघो पर चुस्त ऐसी कसी कि पैंटी की लाईन चूतड पर उभर आये । दोनो जबरज्स्ट चुतड़ उसकी शार्ट कुर्ती मे आधे ढके आधे खुले हिल्होरे खा रहे थे ।
उपर सर पर दुपट्टा कर आगे से अपने उन्नत और बिना ब्रा वाली जोबनो को छिपाती हुई सडक पर चल रही थी ।
राहुल और अरुण दोनो आज शालिनी की इस हरकत से खुद कामोत्तेजित हो रहे थे जिस तरह से बजार के लोग घुर घुर के शालिनी के छ्लकते मोटे थन जैसे दूध और उसकी मतकति गाड़ निहार रहे थे ।
दोनो के लन्ड बेकाबू हो रहे थे उसमे ज्यादा बेकाबू तो अरुण था

बीते 15 मिंट पहले का उसका आधा अधूरा मजा उसे झलकियों के रूप मे उसके जहन मे घुम रहा था ,

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शालिनी कुछ देर के लिए राशन की दुकान पर चढ़ी और कुर्ती से झांकती उसकी मांसल जान्घे और गोल चुतड देख कर वो उस कामुक दृश्य मे डूब सा गया जब शालिनी ने उसे कमरे मे बुलाया था

कुछ देर पहले ....


हा मामी , बोलो ।
शालिनी बड़ी कातिल अदा से इठलाती हुई - अह मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहन के बाजार जाऊ इसीलिए तुम्हे बुलाया ।

अरुण के निगाहे शालिनी के कसे हुए जोबन पर थी जिसके निप्स उभरे हुए टाइट थे एकदम ।

शालीनी - वैसे मेरे उपर क्या अच्छा लगेगा , साडी या सूट

अरुण एक पल को अपनी मामी के जिस्म के उभार कटाव को कसी हुई चूड़ीदार सलवार और सीने पर चुस्त सूट मे सोच कर ही भीतर से सिहर उथा उसका लन्ड एकदम टाइट - आह्ह मामी आपको सूट ट्राई करना चाहिए वैसे
शालिनी - उम्म्ं निशा के सूट मुझे हो जाते है , देखती हु कोई मिल जाये , आना इधर देखना तो
ये बोल कर शालिनी आलमारी खोल कर आगे झुक कर कपडे उलटने लगी और नाइटी मे उसकी बड़ी गोल म्टोल गाड़ फैल कर अरुण के आगे ।

मामी के आकार लेते चुतड को देख कर अरुण का मुसल भी फुलने लगा , हथ बढा कर वो अपना लन्ड़ भींचने लगा ।
शालिनी जानबूझ पर अरुण के जजबातों से खेल रही थी और अरुण अब उसकी हिलती गाड़ देख कर अपने लोवर मे हाथ घुसा कर लन्ड को मीजने लगा ।
तभी आलमारी से कुछ कपड़ो के साथ कासमेटिक आईटेम भी फर्श से गिरने लगते है ।
शालिनी - अह बेटा जरा उठा कर देना तो
और जैसे ही अरुण फर्श पर बैठ कर समान बटोरने लगा तो मौका पाकर शालिनी झट से आधी नाइटी घुटने से उपर तक खिन्च ली और उसकी आधी जान्घे पीछे से नन्गी दिखने लगी

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जैसे अरुण ने नजरे उपर की शालिनी के बडे बड़े चुतड़ ने नाइटी उठा कर उसके रसिले लम्बे फाके नजर आने लगे ।

जिसे देख कर अरुण सुध बुद खो बैठा , उसके सुपाड़े मे जबरज्स्ट खुजली होने लगी , शालिनी के जिस्म से उठती मादक गंध उसे और भी पागल करने लगी,वो नशे मे उसकी ओर झुकने लगा
शालिनी अरुण के नथुने अपने नंगे चुतड़ की ओर बढ़ देख हल्की सी और अपनी नाइटी खिंच दी , जिससे उसके चुतड पूरे नंगे हो गये
बौखलाया अरुण अपनी मामी की नंगे कुल्हे जान्घे सहलाने लगा -आह्ह मामीईई कितनी सेक्सी हो आप उम्म्ंमममं अह्ह्ह्ह

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शालिनी अरुण की बेचैनी और उसके जोशीली स्पर्श से भीतर से हिल गयी , अरुण के नथुने उसके गाड़ के दरारो ने घुसे हुए थे और वो उसके चुतड फैला कर उन्हे सुँघ रहा था , शालिनी भी जोश मे अपने चुतड अरुण के चेहरे पर मलने लगी - आह्ह बेटा उम्म्ंम्ं लेह्ह चाट ले आह्ह यही देख कर ही तेरा खड़ा रह रहा है ना उम्म्ंम

अरुण शालिनी के नरम चुतड फैला कर दाँत लगाता है - हा मामी पागल हो गया हु इन्हे देख कर मन कर रहा है आमम्म उफ्फ्फ कितनी नरम गाड़ है आपकी मामी उम्म्ंम

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शालिनी उसके सर को पकड़ कर अपने चुतड के दरारो मे दरने लगी - आह्ह बाबू चाट और चाट ऊहह देख तेरा जोश देख कर मेरी बुर बह रही है

अरुण भी मामी की टाँगे फैला कर उसकी बुर मे नीचले छोर पर जीभ लपल्पाने लगा और गरदन लफा कत भीतर 2 इंच जीभ घुसा दी , शालिनी की बुर बिलबिला उठी और अरुण उसकी मलाई चुतड के छेद तक जीभ से फैलाता हुआ चाटने लगा - आह्ह मामी बड़ा नमकीन पानी है आपका उह्ह्ह और गाड़ पर लगा कर चाटने का मजा भी अलग है उम्म्ंम सीईई आह्ह

शालिनी की इस तरह से तारिफ किसी ने नही की थी वो और भी कामोत्तेजक होकर उसके सर को अपनी जांघो और चुतड़ मे दरती रही अगली बारी झडने तक , इस बार अरुण ने उसकी जान्घे उठा कर उसकी बुर को अच्छे से साफ किया और खड़ा हुआ

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उसका मुसल पुरा फनफनाया हुआ था लोवर मे जिसे शालीनी ने हाथ बढा कर लपक लिया आगे की ओर उसका लन्ड लोवर के उपर से खिन्चने लगी ।

अरुण आंखे बन्द कर मामी का स्पर्श पाकर मस्ती मे हवा मे उठने लगा , उसकी एडिया अकड़ने लगी आंखे उलटने लगी मानो मामी लोवर के उपर से ही अभी उस्का सारा जोश बहा के जायेंगी - आह्ह मामीईई कुछ करो ना ऊहह उम्म्ंम
शालीनी उसके लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गर्म कडक लन्ड का अह्सास कर भीतर से सिहर उठती है और अरुण के चेहरे के जोशीली भाव पढते हुए अन्दर ही हिलाने लगती है ,

अरुण - आह्ह मामी ऊहह और और ऊहह आयेगा आयेगा उम्म्ंम उह्ह्ह निकल जायेगा उम्म्ं

शालिनी तेजी से उसके लोवर मे हाथ डाल कर हिला रही थी
मगर तभी हाल मे राहुल की आवाज आती है और दोनो सजग हो जाते है , उस वक़्त तक अरुण का लन्ड लोवर मे भी अपना फब्बारा फोड चुका था ।

अरुण - आह्ह मामी देखो अन्दर ही निकल गया अब क्या ?
शालिनी मुस्कुरा कर उसके गाल काटती हुई - मेरी जान अभी तुने अपनी मामी का जल्वा देखा कहा है, तु बाहर जा मै तैयार होकर आती हु फिर देख कैसे दुबारा टाइट होता है ये हिहिहिह

इधर अरुण मुस्कुरा कर नाइटी के उपर से अपनी मामी की चुचिया मसल कर उसके गाल चूमकर झट से कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी राहुल की नजर उसपर गयी और वो उसे शालिनी के कमरे की ओर आता देख चुका था ।

वो लपक कर उसके पास पहुचा - अबे कहा से , उधर कहा गया था

राहुल का साफ साफ इशारा उसकी मा के कमरे की ओर था जिस पर अरुण बस बेशर्म भरी हसी से दाँत दिखा रहा और उसका एक हाथ अभी लोवर के उस हिस्से को पकड़े हुए था जहा से उसका लोवर लन्ड ने गीला कर रखा था ।

राहुल ने उसका हाथ झटक कर लोवर मे गिले हिस्से को देखकर भौचक्का होकर - क्या कर रहा था भाई

अरुण खिखी करता हुआ - वो मामी कपडे बदल रही थी तो देख कर रहा नही गया और हिहिहिही

उसकी बातें सुनकार राहुल का लन्ड टाइट हो गया और आंखे फ़ाड वो अरुण से - तो क्या तुने मा को पूरी नंगी देखा

अरुण - आह्ह हा भाई , क्या सेक्सी माल है मामी उनके नरम नरम चुतड़ उफ्फ्फ कैसे थिरक रहे थे आह्ह रहा नही गया मुझसे तो उफ्फ़

राहुल हसता हुआ - साले हरामी तु तो मुझसे भी तेज निकला हाहाहा

अरुण - भाई अब तो बाथरूम जाने दे , कपडे बदल कर बाजार भी चलना है ना

राहुल - तु भी चलेगा


"अरे भाई चल हो गया " , राहुल ने उसे झकझोरा तो दुकान की कुर्सी से उठ कर अरुण होश मे आया और देखा मामी उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रही थी ।

राहुल - कहा खोया रह रहा है तु
अरुण एक नजर अपनी मामी को देख कर - नही कही नही ,चल चलते है
शालिनी उसको देख कर बस मुस्कुरा कर आगे बढ गयी ।

राहुल उस्के जाते ही - बहिनचोद कबसे तु मा के चुतड ही घुर रहा था एकटक, साले क्या हो गया हौ तुझे

अरुण - भाई मुझे मामी की गाड फिर से चाटनी है
राहुल -फिर से
अरुण खुद को सतर्क करता हुआ - अरे फिर से नही सिर से , वो छोर होता है जहा से शुरु होती है कमर के पास वो

राहुल - अच्छा वो
अरुण - आह्ह हा भाई ,देख ना मामी क्या सेक्सी लूक दे रही है , बहिनचोद सबकी नजर उनके रसिले चुतड़ पर अटकी है सीईई

राहुल - हा भाई , पता नही आज मम्मी को क्या सुझा कि वो निशा की ड्रेस पहन कर बाजार निकल गयी , पहले तो कभी नही किया ।

अरुण - उफ्फ़ तभी तो इतनी कसी और चुस्त है ।
इधर ये दोनो शालिनी के मटकते चुतडो के पीछे चलते हुए वाबरे हो रहे थे वही दूसरी ओर जन्गीलाल की अपनी अलग बेचैनी थी ।
शालिनी कभी इस तरह से बाजार नही गयी थी जिसकी वजह से जंगीलाल के लिए चिंता का विषय हो गयी थी ।
उसे कुछ सूझ नही रहा था और जैसे ही ग्राहक हटे वो तुरंत अपने भैया रन्गीलाल को फोन घुमा दिया ।

फोन पर ...

रंगी - हा भाई बोलो क्या बात है ?
जंगी - भैया वो निशा की मा !
रन्गी - हा क्या हुआ उसे ?
जन्गी - अरे पता नही आज उसे क्या सुझी है जो कुर्ती लेगी मे बजार निकल गयी है ।
रंगी - हा इसमे क्या दिक्कत है वो तो पहले भी सूट नुमा कपडे पहनती है ना ?

जन्गी - अह भैया कैसे सम्झाऊ मै , आप खुद देख लो वो अभी आपके दुकान की ओर ही सब्जी मंडी के पास होगी , देख कर फोन करो ।
फोन कट हो गया ।
इधर रंगी की बेचैनी भी बढ़ गयी और वो दुकान के नौकर को बिठा कर सब्जी मंडी की ओर बढ़ गया ।

घूमते फिरते , इधर उधर भीड मे गरदन एडिया उठा कर नजर घुमाया मगर वो नजर नही आई और फिर वो 10 मिंट के बाद एक पान की दुकान पर पहुंचा और पान लगवाने लगा कि तभी उसकी नजर सड़क उस पार आंटा चक्की वाले दुकान पर गयी , जहा एक औरत दुकान से तेल की बोतल लेकर झोले मे डाल कर दो लड़कों से बात कर रही थी ।

रंगी एक नजर मे उसे पहचान गया और सडक पर उतरते ही उसकी नजर शालिनी की गुदाज रसिली जांघो पर गयी जिसकी चुस्त लेगी मे उसके पैंटी की शेप साफ साफ झलक रही थि ।
जैसे ही शालिनी आगे घर की ओर बढी रंगीलाल उसके आधे ढके थिरकते चुतड देख कर पागल गया , उसका लन्ड भरे बजार बगावत और उतरा , उसपे से जरदा वाला पान उसकी कामोत्तेजना और बढा रहा था ।
फटाफट उसने पान उगलना उचित सम्झा और जंगी को फोन घुमा दिया ।

फोन पर जन्गी बेचैनी से - हा भैया दिखी क्या वो ?
रंगी - हम्म दिखी अभी वो चक्की वाले के यहा
जन्गी - देखा ना भैया कैसे उसकी मनमानियां बढ़ रही है , क्या सोचेंगे मुहल्ले के लोग मेरे बारे मे ।

रंगी - ओहो तु तो सोचता बहुत है , अरे कौन सा अकेली घूम रही थी और कपडे इतने भी बुरे नही थे , हा बस थोड़े छोटे थे बस दो चार इंच की बात थी । मुझे नही लगता कि ये उसके कपडे होगे ।

जन्गी - नही भैया ये तो निशा के थे
रन्गी - ले बोल , भाई तुझे जब पता है कि उसे ऐसे सूट और आरामदायक कपडे पसन्द है तो लाकर देता क्यू नही, जब नही रहेगा कुछ तो वही पहनेगी ना

जन्गी को भी रन्गी की बात सही लगी
रंगी - फाल्तू का टेन्सन ना ले , उससे दिल खोल कर बातें कर , तुने भरम पाल लिया है वो निकाल अपने मन से ।

जंगी - जी भैया

इधर ये तीनो बाजार से घर की ओर वापस आने लगे तो मार्केट मे भीड़ ज्यादा होने की वजह से शालिनी ने मेन मार्केट से ना जाकर गली बदल दी और सब्बो के मुहल्ले से होकर घर के लिए सड़क पकड़ी ।
शालिनी का लगभाग ये हर बार बाजार से आते वक़्त का रूट हुआ करता था जब भी उसका झोला भारी हो जाता वो बाजार से हट कर इस शान्त गलियों से होकर घर के लिए जाती ।

इधर दोनो भाई भी समान लिये तेजी से चल रहे थे कि अचानक से अरुण के बढते कदम धीमे हुए और उसकी नजरे बगल की पतली गली से उसके सामने निकलती हुई महिला पर गयी जिसके भडकिले मोटे मोटे भारी चुतड की थिरकन देख कर अरुण की सासे अटक सी गयी ।

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इतने बड़े और बुलंद चुतड आज तक उसने नही देखे थे , और उनकी थिरकन उसके लन्ड फडका रही थी ।

इधर अरुण आंखे फाडे उस महिला की गाड़ निहार रहा था कि तभी शालिनी ने उस महिला को आवाज दी - अरे सब्बो की अम्मा रुकना ।

अरुण और राहुल दोनो रुक गये और शालिनी को तेजी से उस औरत के करीब जाता देख रहे थे कि अरुण से कुछ कदम आगे जाकर शालिनी एकदम से आगे की ओर झुकी कुछ उठाने के लिए और शार्ट कुर्ती उपर उठी जिससे उसके चुस्त लेगी मे कसे हुए मोटे मोटे गोल मटोल गुदाज चुतड साफ साफ नजर आने लगे ।

दोनो भाई बिच सडक पर शालिनी का ये नजारा देख कर हैरान हो गये और तभी शालिनी उठी और एक नोट उठा कर उस औरत को दिया ।
उस औरत ने शालिनी का धन्यवाद किया ।

अरुण राहुल से फुसफुसाया - ये तहलका कौन है भाई
राहुल हस कर - ये सब्बो की अम्मी है रुबीना

अरुण - तो अब ये सब्बो कौन है ?
राहुल हसने लगा - भाई ये दोनो मा बेटी रन्डीयां है , पैसे लेकर चुदाई करती है ।

अरुन - बहिनचोद तभी इसके चुतड इतने बड़े है ऊहह पुरा खड़ा हो गया , इसके लिए तो भाई घोड़े का लगेगा हिहिहिही

राहुल - जो भी लगे अपने को क्या ,
अरुण हस कर शालिनी की ओर इशारा कर - हा और क्या अपना माल वो है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ - साले हिहिहिही

अरुन- भाई आज भाई घाट की ओर चले क्या समान रख कर
राहुल - हा चल वैसे भी क्या ही काम है ।
अरुन - हा यार घूमना जरुरी भी है
राहुल - तेरा घूमना सब समझ रहा हु साले

फिर दोनो घर पर समान रख कर नदी की ओर निकल गये ।

इधर शाम ढल रही थी और अनुज दुकान पर खाली बैठा था , उस्के हाथ मे रिन्की की छोड़ी हुई पैंटी थी जिन्हे वो अपने हथेली मे मसल कर रिन्की की मुलायम बुर की कल्पना मे अपना लन्ड भी सहला रहा था ।

उसने घड़ी देखी और आज समय से पहले ही दुकान बढाने लगा इस आश मे कि शायद अमन के घर से होकर जाते हुए उसे रिन्की दिख जाये ।
अनुज फटाफट से दुकान बन्द कर निकल गया , मगर उसकी किस्मत इतनी अच्छी नही थी कि वो रिन्की को देख पाये ।
मायूस मुह लेकर वो आगे अपने घर की ओर बढ़ गया ।

घर का दरवाजा अनुज उदास मुह से खटखटाया और रागिनी ने दरवाजा खोला तो अनुज का उतरा मुह देख कर बड़ी फिकर मे उसके गाल सहलाने लगी - क्या हुआ मेरा बच्चा , ऐसे क्यू उदास है तु

अनुज उदास के साथ साथ थका भी था तो अपनी मा के छातियो मे खडे खड़े लुढकने लगा , रागिनी हसते हुए उसको सम्भालने लगी - धत्त , सीधा खड़ा हो ना , मै गिर जाउंगी
अनुज को अपनी मा के मुलायम चुचो की नरमी मे गजब सा सुकून मिल रहा था वो बच्चो जैसे जिद दिखा कर - मम्मा गोदी लो ना , थक गया हु बहुत ऊहह

रागिनी उसके चेहरे को प्यार से दुलारती हुई हसने लगी - खंबे जैसा हो गया है कैसे उठाऊ तुझे , चल अन्दर बदमाश कही का ।

रागिनी उसको हाल मे लेकर आई ।

रागिनी एक ग्लास पानी लाकर उसे देती है - ले पानी पी ले और अगर मन हो तो बुआ के कमरे मे आराम कर ले । खाना बन जायेगा तो मै जगा दूँगी

बुआ का नाम आते ही अनुज के सुस्त हुए जज्बात एकदम से फुरत हो गये और पानी गटक कर वो गेस्ट मे चला गया ।

दरवाजा खोलते ही उसकी नजर सामने करवट लेकर लेटी शिला बुआ पर गयी ,

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जिन्की कूल्हो से कुर्ती सरकी हुई और लेगी मे उनकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ साफ साफ दिख रही थी ।
जिसे देख कर अनुज का मुसल पल भर मे टनटना गया और धीरे से उसने दरवाजा बन्द कर चुपचाप बुआ के करीब गया ।
धीरे से बिस्तर पर लेट कर करवट होकर मुह अपनी बुआ की ओर कर दिया ।
उस्की नजरे अभी शिला की बड़ी मोटी फूली हुई गाड पर अटकी थी , उसका मुसल एकदम कसा टाइट था ।

सुबह के अनुभव और भैया से मिली हिम्मत से उसने जिगरा दिखाया और हौले से अपने कापते हुए हाथ शिला के उठे हुए कुल्हे पर रख दिया ।
क्या नरम नरम गुलगुले से अनुभव हुए अनुज को , उसका लन्ड और कसने लगा जैसे जैसे उसके हाथ अपनी बुआ के चुतड़ पर रेंगने लगे

बुआ के नरम नरम चुतड़ का अह्सास अनुज को भीतर से कामोत्तेजक किये जा रहा था , उसका लन्ड लोवर मे तम्बू बना कर अकड़ रहा था ।

उसके हाथ सरकते हुए बुआ के पेड़ू तक गये और शिला के जिस्म मे हल्की सी कुन्मुनाहट हुई ।
अनुज के हाथ जहा थे वही रुक गये कुछ सेकेंड तक उसकी सासे धौकनी की तरह धक धक होती रही फिर डर का साया मन से हल्का हल्का छटने लगा ।
अनुज ने एक बार फिर पहल शुरु की और उसकी उंगलिया अब शिला के चुत के ढलानो की ओर सरकने लगी , जिससे एक बार फिर शिला के जांघो मे चुनचुनाहट सी हुई और इस बार उसके अनुज का हाथ पक्ड कर उपर खिंच लिया - उम्म्ंम्ह्ह्ह अच्छे से सो ना लल्ला ।

एक पल को अनुज की फट कर चार हो गयी कि बुआ को कैसे पता।
मगर तभी उंगलिया को शिला के नरम नरम चुचियो का स्पर्श मिला और शिला अपने कुल्हे अनुज की ओर खीसकाती हुई उसके हाथ को अपने नरम नरम दूध पर रखती हुई - यहा पकड कर सो जा और परेशान ना कर मुझे ।

अनुज को यकीन नही हो रहा था कि ये सब उसके साथ हो रहा था , अब तो उसके बुआ की बड़ी सी गाड़ उसके लोवर मे बने बड़े से तम्बू के एकदम करीब थी , अनुज ने हल्का सा अपना कमर आगे किया और सुपाड़े की नुकीली टिप लोवर के निचे से शिला के नरम गाड़ मे इंच भर धंस गयी ।
इस नये कामोतेजि अनुभव से अनुज की सासे और तेज हो गयी ।
सुपाड़े पर एक अलग ही खुजली उठी रही थी , पुरे लन्ड मे गजब का जोश उठ रहा था और उसके पंजे शिला के चुचे को हाथ मे भर चुके थे ।

शिला भी हल्की नीद मे बस कुनमुना रही थी और अनुज के सुपाड़े की रगड़ उसके चुतड़ मे चुनचुनाहट पैदा कर उसके आराम मे खलल कर रही थी ।
इधर अनुज की हिम्मत बढ रही थी कि बुआ तो कुछ बोल नही रही तो फाय्दा ले और उसने अपना लोवर निचे कर अपना तना हुआ मोटा कडक भाले सा नुकीला सीधा लन्ड बाहर निकाला और हौले से शिला की गाड़ की दरारो मे चुबो दिया ।

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बहुत थोड़ी हरकत हुई शिला के देह मे मगर इस बार उसने कुछ नही कहा तो अनुज की हिम्मत बढी और उसने अपने गाड़ के पाटे टाइट कर अपने लन्ड को आगे ठेलते हुए शिला की गाड़ मे धकेलने लगा ।
अनुज के जिस्म से अब कामुकता की आंच उठने लगी थी , चेहरे पर खुमारी दिख रही थी , बुआ के नरम चुतड के दरारो मे लेगी के उपर से लण्ड घोप कर उसे जन्नत का मजा मिल रहा था और उसके मुह से सिसकियाँ उठने लगी थी , फुलते नथुने बजने लगे - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त उम्म्ंम


तभी शिला - उम्म्ंम क्या कर रहा है राज ऊहह बस कर ना बेटू
अनुज के अब कान खड़े हो गये और उस्का माथा ठनका और अब थोडा बहुत खेल समझ आने लगा
उसने जितना अपने भैया को आंका था वो उस्से कही आगे की चीज है , उसे यकिनन अब भीतर से मह्सूस होने लगा था कि उसका भैया बुआ की गाड़ चोद चुका होगा और उस ख्याल ने अनुज के लन्ड जोश का सागर भर दिया था , उसकी कामोत्तेजना चरम पर आ पहुची
उसका लन्ड अब बेकाबू होने लगा था और वो घुटने बल आकर बुआ के गाड पर लन्ड घिसने लगा - अह्ह्ह बुआआ उह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड है
गर्म कामोतेजक गुर्राती सिस्कियों के बीच बुदबुदाहट सी आवाज आ रही थी अनुज के मुह से और तभी उसकी नसे फड़फड़ाने लगी ।

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मुठ्ठियो मे जोर से भिच कर आंखे मुंद कर अनुज का सुपाडा फूट पड़ा और अनुज तेजी से अपना लन्ड बुआ के चुतड़ पर ही झाडने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं व्ह्ह्ह

शिला के कानो मे गुर्राती सिसकियों मे अनुज की आवाज आई और अपने चुतड़ पर गर्म चिपचिपाहट का अह्सास होते ही शिला चौक कर गरदन घुमा कर देखी - अनुज तु!!!

अनुज का जोश अगले ही फुरर हो गया , फनफनाता आग उगलता लन्ड हाथ मे आधा होने लगा ।

शिला अपने लेगी के उपर से चुतड़ पर गिरे उसे वीर्य को हथेली से पोछती हुई - ये क्या कर रहा था तु कमीने मेरे उपर । शर्म नही आई अपने मा समान बुआ के उपर ये सब गिराते हुए

अनुज डरा हुआ था उसकी फ़टी हुई थी जिस तरह से शिला भड़की हुई नजर आ रही थी , उसकी तेज आवाज से अनुज को डर था कि कही कोई बाहर से ना जाये ।

अनुज - आह्ह सो सॉरी सॉरी बुआ , वो मुझसे जोश जोश मे रहा नही गया , मै आपके ये बड़े बड़े चुतड देख कर परेशान हो गया था और फिर आपने राज भैया का नाम लिया तो मुझे ना जाने क्या हो गया और जोश मे आकर आपके उपर ही निकाल दिया ।

राज का नाम आते ही शिला की भी आवाज एकदम से शान्त हो गयी - मुझे लगा कि तु राज ही है इसीलिए मैने रोक नही ,

अनुज - तो क्या मेरी जगह राज भैया होते तो उनको नही डांटती क्या ?

शिला - अरे मेरा मतलब वो नही था , मैने सोचा कि
अनुज - हा हा , मुझसे कोई प्यार क्यू करेगा । सबका लाडला राज भैया ही है । मै तो छिप सा जाता उन्के आगे ना आपको भी वही प्यारे है ।

शिला अनुज को रुवास देख कर उसको अपने पास बिठाती हुई - अरे नही मेरे लाल , तुम दोनो मेरे लिए एक जैसे हो
वो तो राज हर बार मुझे ऐसे तंग किया करता है पीछे से चिपक कर तो मुझे लगा वही होगा । मुझे नही पता था तु भी इतना शरारती है हिहिही बदमाश कही का ।

अनुज शिला के सीने से चिपका हुआ मुस्कुरा रहा था - एक बात पूछू बुआ ।
शिला - हा बेटा बोल ना
अनुज - तो क्या राज भैया भी ऐसे आपके पिछवाड़े पर निकालते है ।

शिला मुस्कुरा कर - तु दोनो भाई बातें उगलवाने मे किसी से कम नही हो हिहिहिही ,
अनुज - बताओ ना बुआ प्लीज
शिला - हा भाई कभी कभी जोश जोश मे वो भी ऐसे ही मेरे कपडे भीगा देता था ।
अनुज थुक गटक कर - आपका मन नही हुआ बुआ कभी ...।
शिला उठ कर खड़ी हुई और कुर्ती निचे कर अपने चुतड ढकती हुई - कैसा मन मै समझी नही बेटा ।

अनुज भी खड़ा होकर हिचकता हिम्मत करता हुआ - कि कभी कपडो के निचे से मतलब पीछे से नंगी होकर गिरवा लू ।

शिला लाज से हस्ती हुई - धत्त बदमाश कही का , तु तो राज से भी ज्यादा शैतान है रे हिहिही

अनुज - बुआ सुनो ना
शिला अपने आलमारी से कपडे निकालने लगी - ह्म्म्ं बोल ना
अनुज का मुसल एक बार फिर से तन चुका था और अप्ना मुसल मसलते हुए शिला के पीछे खड़े होकर उसके मुलायम गाड को कुर्ती के उपर से सहलाता हुआ - बुआ मेरा मन करता है कि पीछे खोल कर गिराऊ

शिला चहकी और घूमती हुई हस कर - क्या बोल रहा है तु , हट पागल कही का ।

अनुज - बुआ प्लीज ना मान जाओ , आपकी गाड़ देख कर मुझसे रहा नही जाता । मन करता है बस हिला हिला कर उसको भर दू सफेद सफेद पुरा ।

अनुज की बातें सुन कर शिला के जिस्म भीतर से गिनगिना गया , उसकी बुर मचल उठी - तु चुप करेगा अब , मै नहाने जा रही हूँ ।

अनुज - बुआ प्लीज ना
शिला - नही कहा ना एक बार हट जाने दे मुझे

फिर शिला निकल गयी बाहर और अनुज भी बाहर हाल मे आया ।
अभी अनुज हाल मे दाखिल हो रहा था कि रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए घुस रही शिला को रज्जो के दरवाजे के बाहर ही जकड़ लिया - ऊहु शिला रानी कहा चली


शिला को पता था कि पीछे अनुज हाल मे आ गया है तो थोडा रज्जो के सामने झिझक रही थी - नहाने जा रही हु भाभी ,

रज्जो उसके मखमाली मोटे चुतड़ को सहलाती हुई - थोड़ी देर रुक जाती तो आपके भैया आपके पीछे साबुन लगा देते , आते होगे वो भी दुकान से।

शिला लजाती हुई हस कर - धत्त चुप करो , अनुज हाल मे ही है और वो छोटा नही रहा अब हिहिही
रज्जो ने एक नजर कनअखियो से हाल मे अनुज को बैठे हुए देखा और उसके लोवर मे उठे हुए तम्बू को निहार कर - क्या दिखा दिया बेचारे को तुमने जो बौराया घूम रहा है
शिला - धत्त भाभी तुम भी ना , अरे इधर आओ बताती हूँ ।
शिला उसको कमरे मे खिंच ले गयी ।

रज्जो - अरे क्या हुआ
शिला - ये अनुज भी कम नही है राज से , आज सुबह थोड़ी खुल कर क्या बात कर ली अभी शाम को मुझे सोते हुए दबोच लिया इसने और उसका वो बौराया सांढ़ मेरी खोली मे घुसने लगा था ।

रज्जो ताजुब से - हैं सच मे , वैसे क्या साइज़ होगी इसकी
शिला आंखे उठा कर - क्यू तुम्हे चाहिये क्या ?
रज्जो - अरे जवाँ कसे लन्ड की बात ही अलग है दीदी और अनुज के उम्र के लड़के का मजा इस्स्स्स

शिला हसती हुई - ऊहह तड़प तो देखो हिहिही तो आज रात राज की जगह इसे ही बुला लेते है , क्योकि राज तो आज आराम करने के मूड मे है ।

रज्जो - हा बताया उसने कैसे तुम और छोटी ने मिल कर निचोड़ा उसे हिहिहीही

शिला - अरे उसको छोड़ो और इस अनुज का सोचो आज रात के लिए क्या ख्याल है उम्म्ं

रज्जो - क्या ? नही नही , अरे रागिनी बिगड़ जायेगी वो तो उसकी नजर मे अभी बच्चा है भूल से जिक्र ना करना

शिला - ओह्ह ऐसा क्या , मगर वो तो अपनी धार तेज करता फिर रहा है आज कल हिहिही
रज्जो हसती हुई - तो फडवा लो चुपके से , बच्चे का मन भी बहाल जायेगा

शिला - धत्त क्या तुम भी भाभी
रज्जो - अरे चुपके चुपके मजे लेने मे क्या बुराई है हिहिही मै तो चली उसका खुन्टा टटोलने हिहिहिही


और रज्जो मुस्कुराती हुई हाल मे आई ।
अनुज की नजर अभी किचन मे काम कर रही रागिनी के कूल्हो पर जमी थी और रह रह के उस्के जहन मे ख्याल आ रहे थे कि क्या कभी वो अपनी मा को चोद पायेगा ।

उसके लिए उसकी मा दुनिया से अलग हट कर वो मनपसंद आईक्रीम के जैसे थी जिसे वो बड़े आराम से फुरसत से स्वाद ले ले कर खाना पसंद करता और यही कारण था कि हर जब कभी भी अनुज के दिल मे अपनी मा के लिए खलबली होती तो उसके साथ घर के बाकी नाते रिश्तेदारों की छवियां भी आती , उसकी मामी बुआ दीदी चाची ।
इतनी सारी चुतों को भी साथ हासिल करने की तलब उसमे उठने लगती और जहा चीजे आसान मालूम होती उधर वो भटक जाता ।
कभी कभी उसे शिला बुआ की ओर खुद से पहल कर अपनी किसमत आजमानी पडती तो कभी शालिनी चाची के जैसे किसमत खुद से मेहरबान हो जाती ।

खैर अनुज का जीवन के महज शुरुवाति दौर है , आने वाले समय मे सिखने को उसके पास बहुत कुछ सबक बाकी है
फिलहाल रज्जो अपनी तिरिया चारित्र की किताब से कुछ शब्द लेके जा रही है ।
देखते है आगे क्या होता है ।

जारी रहेगी
Awesome update and nice story
 

DREAMBOY40

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Superb bhai ji dil gardan gardan kar diya aap ke update ne kya kamuk or land khada kr dene wala update diya h maja aa gya agla update jaldi hi dena bhai

Jha salini apne jalwe se arun ke land ko baithne nhi de rahi h wahi rahul bhi isi umid me lga h ki use apni maa ki chut mil jaye dekhte h aage ki kiski kismat me salini gand or chut aati h

To yha anuj bhi bechara rinki ke khyal me khoya hua ghar aya to use apni bua ki gand ka maja lene ko nasib hua but sheela Uska khada land krke nhane chali gyi to rajjo mosi apni badi badi chuchiya or badi si gand or fulli hui chut le kr anuj maja lene or usko sheela ko chodne ka tarika btane aa rahi h
Thank you for your valuable support
Keep it up
 

DREAMBOY40

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Chalo Kam se Kam Kam anuj ka Naam toh Aya update mein Bhai ishi Tarah anuj aur ragini k Kuch moment create karo aur shila rajjo k madhyam se chudai k waqt anuj ka jikar karo ragini rangi k samne aur jaldi update dene mi koshir karon hope ki bohut jaldi anuj bhi apne pariwar k sath mil jaye
😁😁😁😁
Mungeri laal ke hasin sapne aur usko hakikat banane ki aash

Lamba rukna pdega abhi
Khair thnxx for your valuable support Keep it up
 
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DREAMBOY40

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है बेचारा भोला काफी देर तक ममता का इंतजार किया बिना लिए ही सोना और घर जाना पड़ा दुलारी को भी कुछ नहीं मिला रिंकी की जवानी दिखा कर अमन का खड़ा कर दिया लेकिन दुलारी की चूदाई नहीं हो पाई हां सोनल के मजे हो गए बाथरूम में खड़े खड़े चूदाई
Sukirya bhai
 
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