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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट
आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे
एक महत्वपूर्ण सूचना
इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।
फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।
मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद
चमनपुरा बाजार की सड़को पर आज बुढे जवाँ , औरतें बच्चे हर किसी नजर शालिनी की लचकदार कूल्हो पर जमी थी ,
जांघो पर चुस्त ऐसी कसी कि पैंटी की लाईन चूतड पर उभर आये । दोनो जबरज्स्ट चुतड़ उसकी शार्ट कुर्ती मे आधे ढके आधे खुले हिल्होरे खा रहे थे ।
उपर सर पर दुपट्टा कर आगे से अपने उन्नत और बिना ब्रा वाली जोबनो को छिपाती हुई सडक पर चल रही थी ।
राहुल और अरुण दोनो आज शालिनी की इस हरकत से खुद कामोत्तेजित हो रहे थे जिस तरह से बजार के लोग घुर घुर के शालिनी के छ्लकते मोटे थन जैसे दूध और उसकी मतकति गाड़ निहार रहे थे ।
दोनो के लन्ड बेकाबू हो रहे थे उसमे ज्यादा बेकाबू तो अरुण था
बीते 15 मिंट पहले का उसका आधा अधूरा मजा उसे झलकियों के रूप मे उसके जहन मे घुम रहा था ,
शालिनी कुछ देर के लिए राशन की दुकान पर चढ़ी और कुर्ती से झांकती उसकी मांसल जान्घे और गोल चुतड देख कर वो उस कामुक दृश्य मे डूब सा गया जब शालिनी ने उसे कमरे मे बुलाया था
कुछ देर पहले ....
हा मामी , बोलो ।
शालिनी बड़ी कातिल अदा से इठलाती हुई - अह मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहन के बाजार जाऊ इसीलिए तुम्हे बुलाया ।
अरुण के निगाहे शालिनी के कसे हुए जोबन पर थी जिसके निप्स उभरे हुए टाइट थे एकदम ।
अरुण एक पल को अपनी मामी के जिस्म के उभार कटाव को कसी हुई चूड़ीदार सलवार और सीने पर चुस्त सूट मे सोच कर ही भीतर से सिहर उथा उसका लन्ड एकदम टाइट - आह्ह मामी आपको सूट ट्राई करना चाहिए वैसे
शालिनी - उम्म्ं निशा के सूट मुझे हो जाते है , देखती हु कोई मिल जाये , आना इधर देखना तो
ये बोल कर शालिनी आलमारी खोल कर आगे झुक कर कपडे उलटने लगी और नाइटी मे उसकी बड़ी गोल म्टोल गाड़ फैल कर अरुण के आगे ।
मामी के आकार लेते चुतड को देख कर अरुण का मुसल भी फुलने लगा , हथ बढा कर वो अपना लन्ड़ भींचने लगा ।
शालिनी जानबूझ पर अरुण के जजबातों से खेल रही थी और अरुण अब उसकी हिलती गाड़ देख कर अपने लोवर मे हाथ घुसा कर लन्ड को मीजने लगा । तभी आलमारी से कुछ कपड़ो के साथ कासमेटिक आईटेम भी फर्श से गिरने लगते है ।
शालिनी - अह बेटा जरा उठा कर देना तो
और जैसे ही अरुण फर्श पर बैठ कर समान बटोरने लगा तो मौका पाकर शालिनी झट से आधी नाइटी घुटने से उपर तक खिन्च ली और उसकी आधी जान्घे पीछे से नन्गी दिखने लगी
जैसे अरुण ने नजरे उपर की शालिनी के बडे बड़े चुतड़ ने नाइटी उठा कर उसके रसिले लम्बे फाके नजर आने लगे ।
जिसे देख कर अरुण सुध बुद खो बैठा , उसके सुपाड़े मे जबरज्स्ट खुजली होने लगी , शालिनी के जिस्म से उठती मादक गंध उसे और भी पागल करने लगी,वो नशे मे उसकी ओर झुकने लगा शालिनी अरुण के नथुने अपने नंगे चुतड़ की ओर बढ़ देख हल्की सी और अपनी नाइटी खिंच दी , जिससे उसके चुतड पूरे नंगे हो गये
बौखलाया अरुण अपनी मामी की नंगे कुल्हे जान्घे सहलाने लगा -आह्ह मामीईई कितनी सेक्सी हो आप उम्म्ंमममं अह्ह्ह्ह
शालिनी अरुण की बेचैनी और उसके जोशीली स्पर्श से भीतर से हिल गयी , अरुण के नथुने उसके गाड़ के दरारो ने घुसे हुए थे और वो उसके चुतड फैला कर उन्हे सुँघ रहा था , शालिनी भी जोश मे अपने चुतड अरुण के चेहरे पर मलने लगी - आह्ह बेटा उम्म्ंम्ं लेह्ह चाट ले आह्ह यही देख कर ही तेरा खड़ा रह रहा है ना उम्म्ंम
अरुण शालिनी के नरम चुतड फैला कर दाँत लगाता है - हा मामी पागल हो गया हु इन्हे देख कर मन कर रहा है आमम्म उफ्फ्फ कितनी नरम गाड़ है आपकी मामी उम्म्ंम
शालिनी उसके सर को पकड़ कर अपने चुतड के दरारो मे दरने लगी - आह्ह बाबू चाट और चाट ऊहह देख तेरा जोश देख कर मेरी बुर बह रही है
अरुण भी मामी की टाँगे फैला कर उसकी बुर मे नीचले छोर पर जीभ लपल्पाने लगा और गरदन लफा कत भीतर 2 इंच जीभ घुसा दी , शालिनी की बुर बिलबिला उठी और अरुण उसकी मलाई चुतड के छेद तक जीभ से फैलाता हुआ चाटने लगा - आह्ह मामी बड़ा नमकीन पानी है आपका उह्ह्ह और गाड़ पर लगा कर चाटने का मजा भी अलग है उम्म्ंम सीईई आह्ह
शालिनी की इस तरह से तारिफ किसी ने नही की थी वो और भी कामोत्तेजक होकर उसके सर को अपनी जांघो और चुतड़ मे दरती रही अगली बारी झडने तक , इस बार अरुण ने उसकी जान्घे उठा कर उसकी बुर को अच्छे से साफ किया और खड़ा हुआ
उसका मुसल पुरा फनफनाया हुआ था लोवर मे जिसे शालीनी ने हाथ बढा कर लपक लिया आगे की ओर उसका लन्ड लोवर के उपर से खिन्चने लगी ।
अरुण आंखे बन्द कर मामी का स्पर्श पाकर मस्ती मे हवा मे उठने लगा , उसकी एडिया अकड़ने लगी आंखे उलटने लगी मानो मामी लोवर के उपर से ही अभी उस्का सारा जोश बहा के जायेंगी - आह्ह मामीईई कुछ करो ना ऊहह उम्म्ंम
शालीनी उसके लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गर्म कडक लन्ड का अह्सास कर भीतर से सिहर उठती है और अरुण के चेहरे के जोशीली भाव पढते हुए अन्दर ही हिलाने लगती है ,
अरुण - आह्ह मामी ऊहह और और ऊहह आयेगा आयेगा उम्म्ंम उह्ह्ह निकल जायेगा उम्म्ं
शालिनी तेजी से उसके लोवर मे हाथ डाल कर हिला रही थी
मगर तभी हाल मे राहुल की आवाज आती है और दोनो सजग हो जाते है , उस वक़्त तक अरुण का लन्ड लोवर मे भी अपना फब्बारा फोड चुका था ।
अरुण - आह्ह मामी देखो अन्दर ही निकल गया अब क्या ?
शालिनी मुस्कुरा कर उसके गाल काटती हुई - मेरी जान अभी तुने अपनी मामी का जल्वा देखा कहा है, तु बाहर जा मै तैयार होकर आती हु फिर देख कैसे दुबारा टाइट होता है ये हिहिहिह
इधर अरुण मुस्कुरा कर नाइटी के उपर से अपनी मामी की चुचिया मसल कर उसके गाल चूमकर झट से कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी राहुल की नजर उसपर गयी और वो उसे शालिनी के कमरे की ओर आता देख चुका था ।
वो लपक कर उसके पास पहुचा - अबे कहा से , उधर कहा गया था
राहुल का साफ साफ इशारा उसकी मा के कमरे की ओर था जिस पर अरुण बस बेशर्म भरी हसी से दाँत दिखा रहा और उसका एक हाथ अभी लोवर के उस हिस्से को पकड़े हुए था जहा से उसका लोवर लन्ड ने गीला कर रखा था ।
राहुल ने उसका हाथ झटक कर लोवर मे गिले हिस्से को देखकर भौचक्का होकर - क्या कर रहा था भाई
अरुण खिखी करता हुआ - वो मामी कपडे बदल रही थी तो देख कर रहा नही गया और हिहिहिही
उसकी बातें सुनकार राहुल का लन्ड टाइट हो गया और आंखे फ़ाड वो अरुण से - तो क्या तुने मा को पूरी नंगी देखा
अरुण - आह्ह हा भाई , क्या सेक्सी माल है मामी उनके नरम नरम चुतड़ उफ्फ्फ कैसे थिरक रहे थे आह्ह रहा नही गया मुझसे तो उफ्फ़
राहुल हसता हुआ - साले हरामी तु तो मुझसे भी तेज निकला हाहाहा
अरुण - भाई अब तो बाथरूम जाने दे , कपडे बदल कर बाजार भी चलना है ना
राहुल - तु भी चलेगा
"अरे भाई चल हो गया " , राहुल ने उसे झकझोरा तो दुकान की कुर्सी से उठ कर अरुण होश मे आया और देखा मामी उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रही थी ।
राहुल - कहा खोया रह रहा है तु
अरुण एक नजर अपनी मामी को देख कर - नही कही नही ,चल चलते है
शालिनी उसको देख कर बस मुस्कुरा कर आगे बढ गयी ।
राहुल उस्के जाते ही - बहिनचोद कबसे तु मा के चुतड ही घुर रहा था एकटक, साले क्या हो गया हौ तुझे
अरुण - भाई मुझे मामी की गाड फिर से चाटनी है
राहुल -फिर से
अरुण खुद को सतर्क करता हुआ - अरे फिर से नही सिर से , वो छोर होता है जहा से शुरु होती है कमर के पास वो
राहुल - अच्छा वो
अरुण - आह्ह हा भाई ,देख ना मामी क्या सेक्सी लूक दे रही है , बहिनचोद सबकी नजर उनके रसिले चुतड़ पर अटकी है सीईई
राहुल - हा भाई , पता नही आज मम्मी को क्या सुझा कि वो निशा की ड्रेस पहन कर बाजार निकल गयी , पहले तो कभी नही किया ।
अरुण - उफ्फ़ तभी तो इतनी कसी और चुस्त है ।
इधर ये दोनो शालिनी के मटकते चुतडो के पीछे चलते हुए वाबरे हो रहे थे वही दूसरी ओर जन्गीलाल की अपनी अलग बेचैनी थी ।
शालिनी कभी इस तरह से बाजार नही गयी थी जिसकी वजह से जंगीलाल के लिए चिंता का विषय हो गयी थी ।
उसे कुछ सूझ नही रहा था और जैसे ही ग्राहक हटे वो तुरंत अपने भैया रन्गीलाल को फोन घुमा दिया ।
फोन पर ...
रंगी - हा भाई बोलो क्या बात है ?
जंगी - भैया वो निशा की मा !
रन्गी - हा क्या हुआ उसे ?
जन्गी - अरे पता नही आज उसे क्या सुझी है जो कुर्ती लेगी मे बजार निकल गयी है ।
रंगी - हा इसमे क्या दिक्कत है वो तो पहले भी सूट नुमा कपडे पहनती है ना ?
जन्गी - अह भैया कैसे सम्झाऊ मै , आप खुद देख लो वो अभी आपके दुकान की ओर ही सब्जी मंडी के पास होगी , देख कर फोन करो ।
फोन कट हो गया ।
इधर रंगी की बेचैनी भी बढ़ गयी और वो दुकान के नौकर को बिठा कर सब्जी मंडी की ओर बढ़ गया ।
घूमते फिरते , इधर उधर भीड मे गरदन एडिया उठा कर नजर घुमाया मगर वो नजर नही आई और फिर वो 10 मिंट के बाद एक पान की दुकान पर पहुंचा और पान लगवाने लगा कि तभी उसकी नजर सड़क उस पार आंटा चक्की वाले दुकान पर गयी , जहा एक औरत दुकान से तेल की बोतल लेकर झोले मे डाल कर दो लड़कों से बात कर रही थी ।
रंगी एक नजर मे उसे पहचान गया और सडक पर उतरते ही उसकी नजर शालिनी की गुदाज रसिली जांघो पर गयी जिसकी चुस्त लेगी मे उसके पैंटी की शेप साफ साफ झलक रही थि ।
जैसे ही शालिनी आगे घर की ओर बढी रंगीलाल उसके आधे ढके थिरकते चुतड देख कर पागल गया , उसका लन्ड भरे बजार बगावत और उतरा , उसपे से जरदा वाला पान उसकी कामोत्तेजना और बढा रहा था ।
फटाफट उसने पान उगलना उचित सम्झा और जंगी को फोन घुमा दिया ।
फोन पर जन्गी बेचैनी से - हा भैया दिखी क्या वो ?
रंगी - हम्म दिखी अभी वो चक्की वाले के यहा
जन्गी - देखा ना भैया कैसे उसकी मनमानियां बढ़ रही है , क्या सोचेंगे मुहल्ले के लोग मेरे बारे मे ।
रंगी - ओहो तु तो सोचता बहुत है , अरे कौन सा अकेली घूम रही थी और कपडे इतने भी बुरे नही थे , हा बस थोड़े छोटे थे बस दो चार इंच की बात थी । मुझे नही लगता कि ये उसके कपडे होगे ।
जन्गी - नही भैया ये तो निशा के थे
रन्गी - ले बोल , भाई तुझे जब पता है कि उसे ऐसे सूट और आरामदायक कपडे पसन्द है तो लाकर देता क्यू नही, जब नही रहेगा कुछ तो वही पहनेगी ना
जन्गी को भी रन्गी की बात सही लगी
रंगी - फाल्तू का टेन्सन ना ले , उससे दिल खोल कर बातें कर , तुने भरम पाल लिया है वो निकाल अपने मन से ।
जंगी - जी भैया
इधर ये तीनो बाजार से घर की ओर वापस आने लगे तो मार्केट मे भीड़ ज्यादा होने की वजह से शालिनी ने मेन मार्केट से ना जाकर गली बदल दी और सब्बो के मुहल्ले से होकर घर के लिए सड़क पकड़ी ।
शालिनी का लगभाग ये हर बार बाजार से आते वक़्त का रूट हुआ करता था जब भी उसका झोला भारी हो जाता वो बाजार से हट कर इस शान्त गलियों से होकर घर के लिए जाती ।
इधर दोनो भाई भी समान लिये तेजी से चल रहे थे कि अचानक से अरुण के बढते कदम धीमे हुए और उसकी नजरे बगल की पतली गली से उसके सामने निकलती हुई महिला पर गयी जिसके भडकिले मोटे मोटे भारी चुतड की थिरकन देख कर अरुण की सासे अटक सी गयी ।
इतने बड़े और बुलंद चुतड आज तक उसने नही देखे थे , और उनकी थिरकन उसके लन्ड फडका रही थी ।
इधर अरुण आंखे फाडे उस महिला की गाड़ निहार रहा था कि तभी शालिनी ने उस महिला को आवाज दी - अरे सब्बो की अम्मा रुकना ।
अरुण और राहुल दोनो रुक गये और शालिनी को तेजी से उस औरत के करीब जाता देख रहे थे कि अरुण से कुछ कदम आगे जाकर शालिनी एकदम से आगे की ओर झुकी कुछ उठाने के लिए और शार्ट कुर्ती उपर उठी जिससे उसके चुस्त लेगी मे कसे हुए मोटे मोटे गोल मटोल गुदाज चुतड साफ साफ नजर आने लगे ।
दोनो भाई बिच सडक पर शालिनी का ये नजारा देख कर हैरान हो गये और तभी शालिनी उठी और एक नोट उठा कर उस औरत को दिया ।
उस औरत ने शालिनी का धन्यवाद किया ।
अरुण राहुल से फुसफुसाया - ये तहलका कौन है भाई
राहुल हस कर - ये सब्बो की अम्मी है रुबीना
अरुण - तो अब ये सब्बो कौन है ?
राहुल हसने लगा - भाई ये दोनो मा बेटी रन्डीयां है , पैसे लेकर चुदाई करती है ।
अरुन - बहिनचोद तभी इसके चुतड इतने बड़े है ऊहह पुरा खड़ा हो गया , इसके लिए तो भाई घोड़े का लगेगा हिहिहिही
राहुल - जो भी लगे अपने को क्या ,
अरुण हस कर शालिनी की ओर इशारा कर - हा और क्या अपना माल वो है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ - साले हिहिहिही
अरुन- भाई आज भाई घाट की ओर चले क्या समान रख कर
राहुल - हा चल वैसे भी क्या ही काम है ।
अरुन - हा यार घूमना जरुरी भी है
राहुल - तेरा घूमना सब समझ रहा हु साले
फिर दोनो घर पर समान रख कर नदी की ओर निकल गये ।
इधर शाम ढल रही थी और अनुज दुकान पर खाली बैठा था , उस्के हाथ मे रिन्की की छोड़ी हुई पैंटी थी जिन्हे वो अपने हथेली मे मसल कर रिन्की की मुलायम बुर की कल्पना मे अपना लन्ड भी सहला रहा था ।
उसने घड़ी देखी और आज समय से पहले ही दुकान बढाने लगा इस आश मे कि शायद अमन के घर से होकर जाते हुए उसे रिन्की दिख जाये ।
अनुज फटाफट से दुकान बन्द कर निकल गया , मगर उसकी किस्मत इतनी अच्छी नही थी कि वो रिन्की को देख पाये ।
मायूस मुह लेकर वो आगे अपने घर की ओर बढ़ गया ।
घर का दरवाजा अनुज उदास मुह से खटखटाया और रागिनी ने दरवाजा खोला तो अनुज का उतरा मुह देख कर बड़ी फिकर मे उसके गाल सहलाने लगी - क्या हुआ मेरा बच्चा , ऐसे क्यू उदास है तु
अनुज उदास के साथ साथ थका भी था तो अपनी मा के छातियो मे खडे खड़े लुढकने लगा , रागिनी हसते हुए उसको सम्भालने लगी - धत्त , सीधा खड़ा हो ना , मै गिर जाउंगी
अनुज को अपनी मा के मुलायम चुचो की नरमी मे गजब सा सुकून मिल रहा था वो बच्चो जैसे जिद दिखा कर - मम्मा गोदी लो ना , थक गया हु बहुत ऊहह
रागिनी उसके चेहरे को प्यार से दुलारती हुई हसने लगी - खंबे जैसा हो गया है कैसे उठाऊ तुझे , चल अन्दर बदमाश कही का ।
रागिनी उसको हाल मे लेकर आई ।
रागिनी एक ग्लास पानी लाकर उसे देती है - ले पानी पी ले और अगर मन हो तो बुआ के कमरे मे आराम कर ले । खाना बन जायेगा तो मै जगा दूँगी
बुआ का नाम आते ही अनुज के सुस्त हुए जज्बात एकदम से फुरत हो गये और पानी गटक कर वो गेस्ट मे चला गया ।
दरवाजा खोलते ही उसकी नजर सामने करवट लेकर लेटी शिला बुआ पर गयी ,
जिन्की कूल्हो से कुर्ती सरकी हुई और लेगी मे उनकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ साफ साफ दिख रही थी ।
जिसे देख कर अनुज का मुसल पल भर मे टनटना गया और धीरे से उसने दरवाजा बन्द कर चुपचाप बुआ के करीब गया । धीरे से बिस्तर पर लेट कर करवट होकर मुह अपनी बुआ की ओर कर दिया ।
उस्की नजरे अभी शिला की बड़ी मोटी फूली हुई गाड पर अटकी थी , उसका मुसल एकदम कसा टाइट था ।
सुबह के अनुभव और भैया से मिली हिम्मत से उसने जिगरा दिखाया और हौले से अपने कापते हुए हाथ शिला के उठे हुए कुल्हे पर रख दिया ।
क्या नरम नरम गुलगुले से अनुभव हुए अनुज को , उसका लन्ड और कसने लगा जैसे जैसे उसके हाथ अपनी बुआ के चुतड़ पर रेंगने लगे
। बुआ के नरम नरम चुतड़ का अह्सास अनुज को भीतर से कामोत्तेजक किये जा रहा था , उसका लन्ड लोवर मे तम्बू बना कर अकड़ रहा था ।
उसके हाथ सरकते हुए बुआ के पेड़ू तक गये और शिला के जिस्म मे हल्की सी कुन्मुनाहट हुई ।
अनुज के हाथ जहा थे वही रुक गये कुछ सेकेंड तक उसकी सासे धौकनी की तरह धक धक होती रही फिर डर का साया मन से हल्का हल्का छटने लगा ।
अनुज ने एक बार फिर पहल शुरु की और उसकी उंगलिया अब शिला के चुत के ढलानो की ओर सरकने लगी , जिससे एक बार फिर शिला के जांघो मे चुनचुनाहट सी हुई और इस बार उसके अनुज का हाथ पक्ड कर उपर खिंच लिया - उम्म्ंम्ह्ह्ह अच्छे से सो ना लल्ला ।
एक पल को अनुज की फट कर चार हो गयी कि बुआ को कैसे पता। मगर तभी उंगलिया को शिला के नरम नरम चुचियो का स्पर्श मिला और शिला अपने कुल्हे अनुज की ओर खीसकाती हुई उसके हाथ को अपने नरम नरम दूध पर रखती हुई - यहा पकड कर सो जा और परेशान ना कर मुझे ।
अनुज को यकीन नही हो रहा था कि ये सब उसके साथ हो रहा था , अब तो उसके बुआ की बड़ी सी गाड़ उसके लोवर मे बने बड़े से तम्बू के एकदम करीब थी , अनुज ने हल्का सा अपना कमर आगे किया और सुपाड़े की नुकीली टिप लोवर के निचे से शिला के नरम गाड़ मे इंच भर धंस गयी ।
इस नये कामोतेजि अनुभव से अनुज की सासे और तेज हो गयी ।
सुपाड़े पर एक अलग ही खुजली उठी रही थी , पुरे लन्ड मे गजब का जोश उठ रहा था और उसके पंजे शिला के चुचे को हाथ मे भर चुके थे ।
शिला भी हल्की नीद मे बस कुनमुना रही थी और अनुज के सुपाड़े की रगड़ उसके चुतड़ मे चुनचुनाहट पैदा कर उसके आराम मे खलल कर रही थी ।
इधर अनुज की हिम्मत बढ रही थी कि बुआ तो कुछ बोल नही रही तो फाय्दा ले और उसने अपना लोवर निचे कर अपना तना हुआ मोटा कडक भाले सा नुकीला सीधा लन्ड बाहर निकाला और हौले से शिला की गाड़ की दरारो मे चुबो दिया ।
बहुत थोड़ी हरकत हुई शिला के देह मे मगर इस बार उसने कुछ नही कहा तो अनुज की हिम्मत बढी और उसने अपने गाड़ के पाटे टाइट कर अपने लन्ड को आगे ठेलते हुए शिला की गाड़ मे धकेलने लगा ।
अनुज के जिस्म से अब कामुकता की आंच उठने लगी थी , चेहरे पर खुमारी दिख रही थी , बुआ के नरम चुतड के दरारो मे लेगी के उपर से लण्ड घोप कर उसे जन्नत का मजा मिल रहा था और उसके मुह से सिसकियाँ उठने लगी थी , फुलते नथुने बजने लगे - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त उम्म्ंम
तभी शिला - उम्म्ंम क्या कर रहा है राज ऊहह बस कर ना बेटू
अनुज के अब कान खड़े हो गये और उस्का माथा ठनका और अब थोडा बहुत खेल समझ आने लगा उसने जितना अपने भैया को आंका था वो उस्से कही आगे की चीज है , उसे यकिनन अब भीतर से मह्सूस होने लगा था कि उसका भैया बुआ की गाड़ चोद चुका होगा और उस ख्याल ने अनुज के लन्ड जोश का सागर भर दिया था , उसकी कामोत्तेजना चरम पर आ पहुची उसका लन्ड अब बेकाबू होने लगा था और वो घुटने बल आकर बुआ के गाड पर लन्ड घिसने लगा - अह्ह्ह बुआआ उह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड है
गर्म कामोतेजक गुर्राती सिस्कियों के बीच बुदबुदाहट सी आवाज आ रही थी अनुज के मुह से और तभी उसकी नसे फड़फड़ाने लगी ।
मुठ्ठियो मे जोर से भिच कर आंखे मुंद कर अनुज का सुपाडा फूट पड़ा और अनुज तेजी से अपना लन्ड बुआ के चुतड़ पर ही झाडने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं व्ह्ह्ह
शिला के कानो मे गुर्राती सिसकियों मे अनुज की आवाज आई और अपने चुतड़ पर गर्म चिपचिपाहट का अह्सास होते ही शिला चौक कर गरदन घुमा कर देखी - अनुज तु!!!
अनुज का जोश अगले ही फुरर हो गया , फनफनाता आग उगलता लन्ड हाथ मे आधा होने लगा ।
शिला अपने लेगी के उपर से चुतड़ पर गिरे उसे वीर्य को हथेली से पोछती हुई - ये क्या कर रहा था तु कमीने मेरे उपर । शर्म नही आई अपने मा समान बुआ के उपर ये सब गिराते हुए
अनुज डरा हुआ था उसकी फ़टी हुई थी जिस तरह से शिला भड़की हुई नजर आ रही थी , उसकी तेज आवाज से अनुज को डर था कि कही कोई बाहर से ना जाये ।
अनुज - आह्ह सो सॉरी सॉरी बुआ , वो मुझसे जोश जोश मे रहा नही गया , मै आपके ये बड़े बड़े चुतड देख कर परेशान हो गया था और फिर आपने राज भैया का नाम लिया तो मुझे ना जाने क्या हो गया और जोश मे आकर आपके उपर ही निकाल दिया ।
राज का नाम आते ही शिला की भी आवाज एकदम से शान्त हो गयी - मुझे लगा कि तु राज ही है इसीलिए मैने रोक नही ,
अनुज - तो क्या मेरी जगह राज भैया होते तो उनको नही डांटती क्या ?
शिला - अरे मेरा मतलब वो नही था , मैने सोचा कि
अनुज - हा हा , मुझसे कोई प्यार क्यू करेगा । सबका लाडला राज भैया ही है । मै तो छिप सा जाता उन्के आगे ना आपको भी वही प्यारे है ।
शिला अनुज को रुवास देख कर उसको अपने पास बिठाती हुई - अरे नही मेरे लाल , तुम दोनो मेरे लिए एक जैसे हो वो तो राज हर बार मुझे ऐसे तंग किया करता है पीछे से चिपक कर तो मुझे लगा वही होगा । मुझे नही पता था तु भी इतना शरारती है हिहिही बदमाश कही का ।
अनुज शिला के सीने से चिपका हुआ मुस्कुरा रहा था - एक बात पूछू बुआ ।
शिला - हा बेटा बोल ना
अनुज - तो क्या राज भैया भी ऐसे आपके पिछवाड़े पर निकालते है ।
शिला मुस्कुरा कर - तु दोनो भाई बातें उगलवाने मे किसी से कम नही हो हिहिहिही ,
अनुज - बताओ ना बुआ प्लीज
शिला - हा भाई कभी कभी जोश जोश मे वो भी ऐसे ही मेरे कपडे भीगा देता था ।
अनुज थुक गटक कर - आपका मन नही हुआ बुआ कभी ...।
शिला उठ कर खड़ी हुई और कुर्ती निचे कर अपने चुतड ढकती हुई - कैसा मन मै समझी नही बेटा ।
अनुज भी खड़ा होकर हिचकता हिम्मत करता हुआ - कि कभी कपडो के निचे से मतलब पीछे से नंगी होकर गिरवा लू ।
शिला लाज से हस्ती हुई - धत्त बदमाश कही का , तु तो राज से भी ज्यादा शैतान है रे हिहिही
अनुज - बुआ सुनो ना
शिला अपने आलमारी से कपडे निकालने लगी - ह्म्म्ं बोल ना
अनुज का मुसल एक बार फिर से तन चुका था और अप्ना मुसल मसलते हुए शिला के पीछे खड़े होकर उसके मुलायम गाड को कुर्ती के उपर से सहलाता हुआ - बुआ मेरा मन करता है कि पीछे खोल कर गिराऊ
शिला चहकी और घूमती हुई हस कर - क्या बोल रहा है तु , हट पागल कही का ।
अनुज - बुआ प्लीज ना मान जाओ , आपकी गाड़ देख कर मुझसे रहा नही जाता । मन करता है बस हिला हिला कर उसको भर दू सफेद सफेद पुरा ।
अनुज की बातें सुन कर शिला के जिस्म भीतर से गिनगिना गया , उसकी बुर मचल उठी - तु चुप करेगा अब , मै नहाने जा रही हूँ ।
अनुज - बुआ प्लीज ना
शिला - नही कहा ना एक बार हट जाने दे मुझे
फिर शिला निकल गयी बाहर और अनुज भी बाहर हाल मे आया । अभी अनुज हाल मे दाखिल हो रहा था कि रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए घुस रही शिला को रज्जो के दरवाजे के बाहर ही जकड़ लिया - ऊहु शिला रानी कहा चली
शिला को पता था कि पीछे अनुज हाल मे आ गया है तो थोडा रज्जो के सामने झिझक रही थी - नहाने जा रही हु भाभी ,
रज्जो उसके मखमाली मोटे चुतड़ को सहलाती हुई - थोड़ी देर रुक जाती तो आपके भैया आपके पीछे साबुन लगा देते , आते होगे वो भी दुकान से।
शिला लजाती हुई हस कर - धत्त चुप करो , अनुज हाल मे ही है और वो छोटा नही रहा अब हिहिही
रज्जो ने एक नजर कनअखियो से हाल मे अनुज को बैठे हुए देखा और उसके लोवर मे उठे हुए तम्बू को निहार कर - क्या दिखा दिया बेचारे को तुमने जो बौराया घूम रहा है
शिला - धत्त भाभी तुम भी ना , अरे इधर आओ बताती हूँ ।
शिला उसको कमरे मे खिंच ले गयी ।
रज्जो - अरे क्या हुआ
शिला - ये अनुज भी कम नही है राज से , आज सुबह थोड़ी खुल कर क्या बात कर ली अभी शाम को मुझे सोते हुए दबोच लिया इसने और उसका वो बौराया सांढ़ मेरी खोली मे घुसने लगा था ।
रज्जो ताजुब से - हैं सच मे , वैसे क्या साइज़ होगी इसकी
शिला आंखे उठा कर - क्यू तुम्हे चाहिये क्या ?
रज्जो - अरे जवाँ कसे लन्ड की बात ही अलग है दीदी और अनुज के उम्र के लड़के का मजा इस्स्स्स
शिला हसती हुई - ऊहह तड़प तो देखो हिहिही तो आज रात राज की जगह इसे ही बुला लेते है , क्योकि राज तो आज आराम करने के मूड मे है ।
रज्जो - हा बताया उसने कैसे तुम और छोटी ने मिल कर निचोड़ा उसे हिहिहीही
शिला - अरे उसको छोड़ो और इस अनुज का सोचो आज रात के लिए क्या ख्याल है उम्म्ं
रज्जो - क्या ? नही नही , अरे रागिनी बिगड़ जायेगी वो तो उसकी नजर मे अभी बच्चा है भूल से जिक्र ना करना
शिला - ओह्ह ऐसा क्या , मगर वो तो अपनी धार तेज करता फिर रहा है आज कल हिहिही
रज्जो हसती हुई - तो फडवा लो चुपके से , बच्चे का मन भी बहाल जायेगा
शिला - धत्त क्या तुम भी भाभी
रज्जो - अरे चुपके चुपके मजे लेने मे क्या बुराई है हिहिही मै तो चली उसका खुन्टा टटोलने हिहिहिही
और रज्जो मुस्कुराती हुई हाल मे आई ।
अनुज की नजर अभी किचन मे काम कर रही रागिनी के कूल्हो पर जमी थी और रह रह के उस्के जहन मे ख्याल आ रहे थे कि क्या कभी वो अपनी मा को चोद पायेगा ।
उसके लिए उसकी मा दुनिया से अलग हट कर वो मनपसंद आईक्रीम के जैसे थी जिसे वो बड़े आराम से फुरसत से स्वाद ले ले कर खाना पसंद करता और यही कारण था कि हर जब कभी भी अनुज के दिल मे अपनी मा के लिए खलबली होती तो उसके साथ घर के बाकी नाते रिश्तेदारों की छवियां भी आती , उसकी मामी बुआ दीदी चाची ।
इतनी सारी चुतों को भी साथ हासिल करने की तलब उसमे उठने लगती और जहा चीजे आसान मालूम होती उधर वो भटक जाता ।
कभी कभी उसे शिला बुआ की ओर खुद से पहल कर अपनी किसमत आजमानी पडती तो कभी शालिनी चाची के जैसे किसमत खुद से मेहरबान हो जाती ।
खैर अनुज का जीवन के महज शुरुवाति दौर है , आने वाले समय मे सिखने को उसके पास बहुत कुछ सबक बाकी है
फिलहाल रज्जो अपनी तिरिया चारित्र की किताब से कुछ शब्द लेके जा रही है ।
देखते है आगे क्या होता है ।
"भैया बताओ ना , क्या करुँ दो दिन बाद अगर बुआ चली गयी तो "
राज उसके सर पर टपली मारता हुआ - अबे दो दिन बाद से स्कूल भी जाना है उसके बारे मे सोच । इस बार दसवीं भी है तेरी उम्म्ं
राज आंखे चढाता हुआ - हफ्ते दस दिन से ना पढ़ाई ना कोचिंग ,
अनुज का मुह उतर सा गया तो राज उसका कन्धा थपथपा कर - अबे मुह मत उतार और इधर मौका नही मिला तो दसवी के बाद चले जाना बुआ के यहा घूम आना
अनुज चहक कर - अरे हा ये भी सही है
राज - हा तो अब से पढ़ाई मे ध्यान दे समझा
अनुज - जी भैया
इधर राज और अनुज की बातें चल रही थी कि इतने मे शिला वापस आ जाती है ।
शिला - हो गया बेटा खा लिया तु खाना
राज - जी बुआ
शिला - अनुज बेटा टिफ़िन ले ले , चल चलते है ।
अनुज खुश हुआ बुआ के साथ जाने का सोच कर मगर बीच मे राज ने उसके हाथ से टिफ़िन लेता हुआ - तु बैठ यही , मै चलता हू बुआ मा ने बुलाया है कुछ समान मगवाने है परसो के लिए ।
शिला - हा हा भाई उसकी तो लिस्ट भी बन गयी , चल चलते है ।
इधर अनुज मुह बना कर खीझ कर रहा गया और दुकान पर लग गया ।
राज शिला के साथ चौराहे वाले घर के लिए निकल जाता है ।
घर पहुचने पर एकदम से शान्ती होती है , राज कमरे चेक करता है तो उसकी मा रागिनी सो रही थी कमरे मे ।
राज उसको जगाने को होता है तो शिला उसको टोंकती हुई - अरे आराम करने दे ना बेचारी को , थक गयी होगी रात मे हिहिहिही
राज मुस्कुरा कर शिला की गाड़ कपडे के उपर से दबोचता हुआ - तो चलो ना आपको भी थका कर सुला दू
शिला खिलखिलाती हुई - ना बाबा ना , अभी अभी भैया ने दो बार उफ्फ्फ मै तो थकी हु पहले से ही
राज उसको हग करता हुआ गेस्ट रूम मे ले जाने लगा- तो चलो थकान दूर कर दू आपकी
शिला और राज गेस्ट मे आ गये ।
शिला - सच मे बेटा पूरा जिस्म का रोम रोम टुट रहा है, आह्ह मान जा ना
राज हसता हुआ - अरे आओ ना लेटो इधर हिहिही
शिला उसके बगल मे लेटती हुई - क्या बात है बोल ना
राज - अब बताओ आगे का
शिला - क्या बताऊ
राज - अरे वही जो कहानी कल छोड़ दी थी आप हिहिही कम्मो बुआ और दोनो फूफा वाली
शिला खिलखिलाती हुई - हिहिही अच्छा वो
राज उसको करीब कसता हुआ - हा बुआ आगे सुनाओ ना , छोटे फूफा ने क्म्मो बुआ से कैसे फस गये ।
शिला हसती हुई - मैने बताया था कि मेरी ननद के यहा से मेरे सास ससुर वापस आ गये थे ।
उस दिन के हम चारों पर तेरे बडे फूफा ने स्पस्ट तौर पर नियम लगा दिये थे ताकि घर मे अम्मा बाऊजी के सामने हमारे राज भूल से भी जाहिर ना हो ।
उसके बाद हम सब दिन मे बड़ी मर्यादा से रहने लगे , मगर मजा तो नियमोन को ताख पर रखने मे और चोरी छिपे मनमानीयां करने मे है ।
दिन मे तेरे फूफा जब भी मौका मिलता मुझे मसल देते , नहाने के बाद अकसर मै जब तैयार होती थी तो वो उस समय कमरे रुके होते थे , मेरी पेतिकोट चढा कर मेरी बुर पर अपना मुह रगड़ने के बाद चाय की चुस्की होती थी ऊनकी वही साझ ढलते हीर देवर जी मुझ पर टुट पडते ।
मगर दिन मे देवर जी और कम्मो को आपस मे बड़ी झिझक रहती थी ।
दोपहर मे जब कम्मो देवर जी के लिए अकसर खाना लेके कमरे मे जाती थी तो वो बिना के नजर उसे देखे खाना खाकर एक ओर करवट लेके लेट जाते ।
वही दूसरी ओर जब मै खाना लेकर तेरे फूफा के पास जाती थी , तो आते ही वो मुझे दबोच लेते थे और पहले मुझे भोग लगा कर ही खाने पर नजर जाती उनकी ।
धीरे धीरे बातें खुलनी शुरु हुई और पहले देवर को अह्सास हुआ कि तेरे फूफा अकसर मुझे दोपहर मे चोदते है मगर
एक दिन दुपहर मे कम्मो ने मुझे और तेरे फूफा को मस्ती करते देख लिया ।
उस दिन दुपहर को खाना खिलाने के बाद जब हम दोनो बहने बरतन खाली करने आई तो कम्मो का चेहरा उतरा हुआ था ।
मै - क्या बात है कम्मो
कम्मो - जीजी , मुझमे कोई कमी है क्या ?
मै उसकी भावुकता पर उसको सहारा देते हुए आंगन मे बिठाया - क्या बात है कम्मो तु ऐसा क्यूँ बोल रही है । देवर जी ने कुछ कहा क्या ?
कम्मो सिस्कती हुई - कुछ कहते ही तो नही है वो , अरे भले हमारा देह का रिश्ता नही है , मगर बात चीत भी नही करेंगे अब ।
कम्मो - ना जाने क्या नाराजगी है उनको हमसे , एक शब्द तक नही कहते है और मुझे लगता है किसी गाय के साथ रहती हु जिसे मेरी बोली समझ नही आती ।
मै हस्ती हुई - अरे गाय नही साढ़ बोल, पक्के साढ़ है देवर जी हिहिही
कम्मो रुआन्सी मगर हसती हुई - दीदी प्लीज मजाक नही , मुझे घुटन सी होती है कमरे मे ।
मै - अच्छा ठिक है मै आज रात बात करती हूँ उनसे
कम्मो खीझती हुई - आपका सही है दीदी रात और दिन दोनो सही कट रहे है आपके
मै मुस्कुरा कर - मै तो उलझ ही गयी हु कम्मो , तेरे जीजा मेरे पति है और मेरे देवर का मै प्यार हूँ । किसी को कैसे रोक सकती हूँ ।
उस रात खाने के बाद देवर जी कमरे मे आये और मैने मेरे नखरे शुरु किये , ना बात की और काफी देर तक जानबूझ कत कमरे मे इधर उधर फाल्तू के कामो मे उलझी हुई थी ।
वो समझ गये कि मै नाराज हु और वो मुझे पीछे से हग करते हुए बोली - क्या हुआ जान क्यू नाराज हो
मै भी तुनकी और उनकी पक्ड से खुद को छुड़ा कर बिस्तर पर चढ कर - हुह मुझे आपसे बात नही करनी कुछ भी
वो थोडे असहज हुए मगर उन्का स्पर्श पाकर मै बहुत देर तक खुद को रूठा रख ना पाई - आप तो बोलो ही मत, आपके पास तो जुबां होगी नही ना हुह
वो - अरे क्या हुआ बोलो ना
मै - माना कि आपको क्म्मो से लगाव नही है इसका मतलब आप उससे बातें नही करेंगे , पता है कितना रो रही थी वो ।
फिर उन्हे अपनी गलती का अह्सास हुआ ।
वो - माफ करना जानू , मेरा झिझक समझो मैने उससे शादी और रातें मै तुम्हारे साथ होता हु तो कैसे मै दिन मे नजरे मिला लूँ
मै - आसान तो हम सब के लिए भी नही है, मगर हमने एक दूसरे के लिए ही ये जीवन चुना है ना
वो देर तक इस बारें मे विचार किये और
फिर रात मे हमारे चुदाई के बाद मैने अपना पत्ता खोलना शुरु किया ।
मै - देखिये अब ना नुकुर मत करिये , आपने उससे शादी की है और उसे मनाना है तो उसके लिए इतना तो करना ही पड़ेगा ।
वो - अच्छा ठिक है बाबा मै लेके आऊंगा
अगले दिन वो बाजार से मेरे कहे अनुसार दो जोड़ी साड़ी लेके आये और उसके साथ हमारे नाप की ब्रा और कच्छीयां भी लेके आये ।
मगर वो रहे बुध्दु और एक नम्बर के फ्ट्टू ।
शाम को साड़ी तो ठिक दी मगर ब्रा पैंटी के सेट मे गच्चा खा गये । हड़बड़ी मे अंडरगारमेन्ट बदल गया और मेरी कच्छी कम्मो के बैग मे चली गयी ।
वही शाम को जब कम्मो को समान की थैली मिली तो वो खुश थी , उसने थैली ने एक पत्ते मे रखा हुआ मोगरे का गजरा देखा तो एकदम से खिल गयी ।
कम्मो के चेहरे की खुशी देख कर वो मुस्कुरा रहे थे और कम्मो वो गजरा लेके उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे देते हुए - लगा दीजिये ना
देवर की सासे उफनाने लगी जिस तरह से कम्मो ने अपनी कजरारी आंखे उठा कर उनसे
मिन्न्ते की तो सकपका गये - नही नही मै ये कैसे ?
कम्मो ने भी बात बनाई और उन्हे इमोशनली उल्झाती हुई - क्या कैसे नही , जिस हक से मेरे लिए लेके आये है पहना भी दीजिये ना
देवर जी बुरे फसे और फिर क्म्मो उनकी ओर पीठ करके बैठ गयी , उनकी डीप बैक वाली ब्लाउज से झांकती गोरी चिट्टी पीठ से वो नजरे चुरारे लगे और कापते हाथो से उन्होने उसके बालों मे गजरा लगाया ।
मै उस समय अपने कमरे मे थैली चेक कर रही थी और कच्छी का साइज़ देखते ही माथा पीट लिया और कमरे से निकल कर कम्मो के कमरे की ओर गयी ।
बिना कोई आहट किये धडाधड़ मै कमरे मे घुस गयी और दोनो सजग होकर खड़े हो गये ।
देवर जी - भाभी जी आप
मैने दोनो की हालत देखी और समझ गयी कि योजना सफल रही और मै भी हस्ती हुई - भाभी जी के सैंया , अभी अकल ठिकाने लगा दूँगी समझे
कम्मो मुह फेर कर हसने लगी ।
मै हाथ मे ली हुई कच्छी उनके पास फेकती हुई - ये क्या है , यही साइज़ है मेरा
वो हाथ मे कच्छी को फैलाते हुए - अरे क्या हुआ ? आया नही क्या आपको? मैने तो दुकानदार को सही साइज़ बोला था ।
मै तुनककर - तो जिसकी साइज़ की है उसे ही पहनाओ हुह
मै बाहर चली गयी और कम्मो खिलखिलाती हुई - आपको सच मे जीजी का साइज़ नही पता हिहिही
देवर जी - अरे नही मुझे लगता है कि गलती से उनकी वाली आपके थैली मे आ गयी होगी , देखियेगा जरा
कम्मो चौकती हुई - तो क्या आप मेरे लिये भी लेके आये है
देवर जी अब असहज होकर मुह फेरने लगे - अह हा , सोचा तुमसे इतने दिनो से जो बदसलुकी की है उसके लिए माफी मांग लूंगा ।
कम्मो हसने लगी ।
देवर - क्या हुआ हस क्यू रही हो ।
कम्मो - इसका फायदा क्या , देखेंगे तो आपके भैया ही ना इसमे हिहिहिही
वो लजाये और हसने लगे अगर कम्मो की ये बात ने उनका खुन्टा खड़का दिया ।
बड़ी हिम्म्त कर वो बोले - मै लाया तो पहले हक मेरा ही बनता है
कम्मो शर्मा गयी उनकी बातों से - ठिक है मेरे पति परमेश्वर जैसा कहे ।
अब तो मानो उनकी सासे मे बेचैनी सी छाने लगी थी - तो क्या अभी ?
कम्मो हस्ती हुई उनको कमरे से बाहर करती हुई - धत नटखट , कल सुबह और दीदी से मत कहियेगा कुछ प्लीज
देवर जी भीतर से रोमांचित हो उठे और उस रात कम्मो की बातों का असर बिस्तर पर दिखा और हचक के पेलाई हुई मेरी अगली सुबह वो बेसबरे 6 बजे ही कमरे से निकल गये और कम्मो के कमरे के बाहर चक्कर काटने लगे वो तो तेरे फूफा की डान्ट ना पडे इसीलिए वापस आ गये ।
मै भी तब इनकी बेचैनी से परेशान हुई , मैने पुछा मगर लालची ने एक बार भी जिकर नही किया ।
और कुछ देर सुबह का नासता देकर कम्मो नहाने चली गयी ।
नहाने के बाद जब वो साडी मे लिपटी हुई कमरे दाखिल हुई तो देवर जी का कलेजा धकधक होने लगा ।
काफी देर तक देवर जी क्म्मो के पीठ पीछे उसका इन्जार करते हुए अपना मुसल मिसते रहे और सर्द की सुबह मे कम्मो ने साडी के उपर से स्वेटर डाल रखा था और आईने मे साज सृंगार कर रही थी ।
आईने मे ही उसने देवर जी तडपते फड़फ्ड़ाते देखा और बोली - जाईये ना नहा लिजिए , बाऊजी भी पुछ रहे थे आपको कि आप नीचे क्यू नही आये ।
देवर जी थोडा लजाये मुस्कराये- हा वो तुमने कहा था कि सुबह तुम दिखाओगे
कम्मो समझ गयी और लजाती हुई मुह फेर कर - क्या !! धत्त तबसे आप उसके लिये रुके हो ?
देवर जी खड़े होते है तो पजाने मे उनका तना हुआ खुन्टा साफ साफ आईने कम्मो देखती है और मुस्कुराती हुई - धत्त नही , आपके भैया उपर ही है । वो आ गये तो ?
देवर जी आगे बढ़े और कम्मो के पास आते हुए - अरे ऐसे कैसे आ जायेंगे , दिन मे वो कैसे आ सकते है ? कभी नही ?
कम्मो अपने बाजू से उन्के पन्जे हटाती हुई - नही नही , आप नही जानते हो , आपके भैया बड़े शरारती है वो बस मौका खोजते है ?
देवर जी का खुन्टा फडका - तो क्या भैया दिन मे भी आपके पास आते है ?
कम्मो ने देवर जी को सताया - हम्म्म अभी कल सुबह की ही बात है , इधर आप नहाने गये और वो लपक कर मेरे पास
देवर जी का गल सुखने लगा - क्या दिन मे ?
कम्मो - हा !
देवर जी - लेकिन क्या करने के लिए
कम्मो लजाती हुई - धत्त , आप भी ना जैसे आपको नही पता वो क्यूँ आयेंगे मेरे पास
देवर जी का खुन्टा अब पूरा तम्बू बना चुका था उसपे से वो उसको पक्ड कर बिच बिच ने सुपाडे पीछे की ओर हो रही खुजलाहट को शान्त कर रहे थे - अरे मै ध्यान दूँगा ना दरवाजे पर ही रहूंगा
क्म्मो अपनी मतवाली आंखो से उनकी बेचैन आंखो ने झाकती हुई कबूलवाति है - प्कका ना
वो सूखे गले मुह खोले हा मे सर हिलाते है और नीचे उनका हाथ पजामे के उपर से सुपाड़े को मिज रहा होता है ।
कम्मो इशारे से उनको दरवाजे के पास भेज देती है और उनकी ओर पीठ कर अपना स्वेटर उतार देती है ।
देवर जी की सासे चढने लगती है वो एक नजर बाहर मेरे कमरे की देखते तो दूसरी नजर मे लपक कर कम्मो को कमरे मे ।
कम्मो - प्कका कोई आ नही रहा है ना ?
देवर जी ने दरवाजे से बाहर झाका और फिर क्म्मो को जवाब देते हुए - नही नही कोई नही आ रहा है
कम्मो मुस्कुराई और देवर जी की तरफ घूम गयी
देवर जी की आंखे कम्मो के गोरे चीत्ते सीने और ब्रा ने भरी हुई उसकी मोटी चुचियां देख कर फैल गयी और खुन्टा एकदम फौलादी , वो जोर से उसको भिन्च कर सीसके ।
अभी भी उसका एक चुची साडी से ढकी हुई थी , जिसे बडी अदा से उसने अपने चुचे से हटाया और उस्का पुरा गोरा मुलायम सपाट पेट , गहरी नाभि और दोनो नारियल सी भरी भरी चुचियां देवर जी के आगे थी ।
देवर जी दरवाजे के पास से ही बेचैन होने लगे , सासे तेज हो रही थी मुह सुख रहा था । लन्ड मुह बा कर खड़ा था
फटी आंखो से सूखे होठों पर हथेली रगड़ कर मुछो पर आयी पसीने को साफ करते हुए मुह मे घुल रही मिश्री को गटक कर एक पल भर को वो दरवाजे के बाहर मेरे कमरे की ओर झाके और मौका पाते ही कम्मो ने अपनी जवानी को पर्दे मे कर लिया ।
देवर जी की हालत हाथ तो आया पर मुह नही लगा वाली हो गयी , हिहिही ।
उनके चेहरे की उड़ी हवाइयां देख कर कम्मो मुह फेर मुस्कुराने लगी - हो गया ना आपका अब जाईये ।
भीतर से तड़पते उफनाते मेरे जोशिले देवर जी की आग और भड़क रही थी , वो बेताबी वो खुमारी ने उनकी जबान लहजा हाव भाव सब कुछ मे बचपना सा उतर आया था , चाह कर भी मुह से दिल की बात जुबां तक नही ला पा रहे थे ।
हाथ गुजाईश को उठे और इशारा भी हुआ मगर कम्मो के पास भी इसबार पूरा मौका हाथ लगा था अपनी रुसवाई का बदला लेने का ।
तुनकमिजाजी और इठलाने वाले खेल मे तो वो पहले से ही ड्रामा क्वीन थी ।
"नही नही , वो नही "
" प्लीज ना कम्मो , आह मान जाओ ना प्लीज "
" नही आप जिद ना करिये , मै नही सकती हूँ मुझे आपके सामने लाज आयेगी "
" हा भैया के आगे तो नही आती लाज , मेरी बीवी होकर मुझसे ही लजाओगी " , देवर जी ने बड़ी रुसवाई मे अपना रुखापन दिखाया । मानो इस्से कम्मो का प्त्थर दिल जायेगा ऐसा उन्हे लगा ।
कम्मो ने भी सहेज सहेज कर ताने रखे हुए थे - अब तो आप एक मिंट भी नही रुकिये फिर , जाईये यहा से ।
कम्मो के बीगड़े तेवर से देवर जी के फट के चार हुई अरे कटे आम की आचार हुई , बिल्कुल कड़क कसैली और तीखी । हिहिहि
नाराज कम्मो ने पिघलती कुल्फी वाले बोल लिये देवर जी - आह्ह ऐसा क्यू कह रही कम्मो
कम्मो - क्यू ना कहूँ, आज से पहले कभी हक नही जताया आपने हुह
देवर जी उसके गुस्से से गुलाबी हुए चेहरे को पास देखते हुए उसके चेहरे को उपर किया और बोले - आज तक कभी इस खुबसूरत चेहरे को इतने करीब से और इतनी देर तक निहारा ही नही । तुम्हारी दीदी के गदराये जोबन और बड़े बड़े हिल्कोरे खाते मटकों ने मेरा मन मोह रखा था , पर अब लगता है कि इस खुबसूरत मुखड़े से हमने बड़ा रुखा सलूख किया ।
कम्मो उनकी रोमांटिक बातों से लाज से गुलाबी हुई जा रही थी और वो बोले - अब माफ भी कर दो ना मेरी कम्मो ।
कम्मो ने उन्हे कस कर उनसे लिपट गयी और उम्होने भी कम्मो को भर लिया बाहों मे अपनी ।
कम्मो रुआस होती हुई - कितना तडपाया आपने मुझे इस पल के लिए
देवर जी - अब रो मत पगली , मै तो तेरा ही हूँ, दिखा दे ना ?
कम्मो लजाई और आन्स पोछती हुई उनके सीने पर अपने प्यार भरे मुक्के मारती हुई - धत्त गन्दे !! आप भी आपके भैया जैसे ही हो ।
वो कम्मो को बाहों मे भरते हुए - आहा अभी कहा देखा मेरा प्यार , फिर भैया को भूल जाओगी हिहिही देखना , अब दिखा भी दो ना प्लीज
कम्मो - नही दिखा सकती समझो ना
देवर जी उसको अपनी बाहो ने आगे कर उसके चेहरे को निहारते हुए - अभी भी लाज आ रही है , तुम बस साडी उठा दो ना आंख बन्द करके ।
कम्मो - आप नही मानेन्गे ना
देवर जी ने ना मे सर हिलाया ।
कम्मो उनसे अलग होकर - जाईये दरवाजे पास खड़े हो जाईये
देवर जी हैरत से - क्या अब भी वहा खड़ा होना पड़ेगा?
कम्मो हसती - हा कही आपके भैया आ गये और हमे देख लिया तो !
देवर जी - तो क्या अब भी उनसे छिपना पड़ेगा
कम्मो - वो मै जानती बस आप दरवाजे पर नजर रखो
देवर जी मायूस होकर दरवाजे पर उसी जगह आ गये और एक बार देख कर कम्मो को इशारा किया और फिर क्म्मो
ने अपना एक पैर बिस्तर पर रखा और नीचे से साडी खिंचती हाथो मे समेटते हुए जांघो तक ले आई ।
देवर जी का खुन्टा एक बार फिर से पूरा टाइट , अगले ही पल कम्मो ने अपनी साडी पेतिकोट सहित अपने कूल्हो तक उठाई और पीछे से उसकी गोरी चिकनी गाड़ बिना पैंटी के देवर जी के आगे ।
वो आखे फाड़ कर वही खड़े खड़े हिल गये , जोश ने लन्ड को भींचते हुए कम्मो की मोटी गाड़ की दरारों को निहारते हुए कभी दरवाजे से बाहर तो कभी कमरे मे बौखलाये देखते रहे ।
देवर जी - अरे ये ये तो , वो वो कहा है , पहनी नही क्या ?
कम्मो साड़ी नीची कर ना मे सर हिलाती हुई लजाती हुई मुस्कुराई
देवर जी फटाक से उसके करीब आकर उसको बाहों मे भर लिया औए अबकी बार उनका सुपाडा सीधे कम्मो के जांघो पर साडी के उपर से ढेले की तरह चुब रहा था ।
कम्मो ने भी उनका कडकपन मह्सूस किया ।
देवर - वो क्यू नही पहना तुमने
कम्मो लजाती हुई - क्यू अच्छा नही लगा आपको
देवर जी ने हाथ बढा कर पीछे से उसके गाड़ को साडी के उपर से दबोचकर अपना मुसल उसकी चुत के करीब चुभोया - अह्ह्ह एक नम्बर है मेरी जान आह्ह , लेकिन पहना क्यूँ नही
कम्मो लजाती हुई उनके सीने ने खुद को छिपाती हुई - वो आपके की वजह से ?
देवर जी अचरज से - भैया की वजह ?
कम्मो - हा वो कल रात उन्होने कपडे की थैली देख ली और उनकी नजर जब उस कच्छी पर गयी तो वो जिद करने लगे कि पहनो पहनो
देवर जी का कलेजा बुरी तरह हाफ रहा था - फिर
कम्मो उन्के सीने पर हाथ फेरती हुई - मैने मना किया मगर वो नही माने और ये जान कर कि ये कपडे आप लाये हो मेरे किये उन्होने वही कच्छी पहना कर मुझे रात मे प्यार किया और भिगा कर उसे खराब कर दिया ।
देवर जी की कामोत्तेजना कम्मो की रात लीला सुन कर और भी जोश मे आ गयी थी - और ये उपर वाली वो भी पहनी थी क्या ?
कम्मो ना सर हिलाते हुए - हुहू मै छिपा दी थी जबतक उनकी नजर जाती , नही तो इसे भी खराब कर देते ।
देवर - लेकिन इसको कैसे खराब कर देते
कम्मो लजाती हुई - धत्त आपके भाइया बड़े वो है ,
देवर - कैसे है ?
कम्मो - वो एक रात गलती से मेरे मुह से निकल गया था कि उनका वो गरम गरम मुझे मेरे देह पर गिरना पसंद है
देवर जी का खुन्टा फडका - फिर ?
कम्मो - फिर क्या वो रोज सुबह सुबह मेरे ब्रा के दोनो कप मे अपने पानी गिरा कर मुझे पहनाते थे , ताकी पुरा दिन मै उनके रस से भीगी रहू ।
देवर जी अपने भैया के रसिकपने की कहानी सुनकर एक गहरि सास ली और अपना मुसल भींचते हुए - एक बात कहु कम्मो
कम्मो - कहिये ना
देवर जी - क्या आज तुम मेरे रस से भिगा पहनोगी ब्रा
कम्मो के तन बदन मे आग लग गयी और उसने कस कर उन्हे जकड लिया - आह्ह मेरे राजा , मै तो कबसे आपके रस मे नहाना चाहती हु
कम्मो ने हाथ आगे बढ़ा कर उनका मुसल पजामे के उपर से पकड लिया और देवर जी भी सिस्क पड़े
कम्मो - आह्ह मेरे राजा क्या कसा हुआ औजार है तुम्हारा उह्ह्ह जीजी सही कह रही थी उम्म्ंम
देवर जी - क्या तुम जीजी से अह मेरा मतल्व भाभी से ये सब बातें भी करती हो उह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारा स्पर्श मुझे पागल कर दे रहा है अह्ह्ह कम्मो
कम्मो उनके लन्ड और आड़ो मे मसलती हुई - हा मेरे राजा हम रसोई मे रोज अपनी रात की कहानी साझा करते हैं , सुननी क्या आपको उम्म्ंम
देवर जी आंखे उल्टी किये हुए कम्मो के कामुक स्पर्श और उसकी कामोत्तेजक बातें सुन कर मुह खोले बस हा मे सर हिलाया , जुबां से कुछ बोला भी नही जा रहा था बेचारे से , कम्मो का जादू ऐसा छाया था उनपे
कम्मो उनके पजामे ने उनका मोटा लन्ड बाहर निकाल लिया , ये बडा मोटा और गर्म - सुउउऊ अह्ह्ह ये तो कितना मोटा है अह्ह्ह मेरे राजाह्ह ऊहह कितना तप रहा है
देवर जी - तुम्हारी रसभरी गाड़ देख कर पागल हो गया है ये मेरी जान अह्ह्ह , कुछ करो ना उम्म्ंम
कम्मो उसको हाथ मे लेके उसको मुठियाने लगी और निचे बैठ गयी और दोनो हाथो मे भर कर उसने देवर जी मजबूत लौडा खोला और खडे खडे आधे से ज्यादा लण्ड मुह मे गटक गयी ।
देवर जी को बिल्कुल यकीन नही था कि कम्मो ऐसा कुछ कर जायेगी और वो छ्टपटाने लगे , कम्मो अपने रसिले नरम होठ उनके गर्म तपते लन्ड पर घिसने लगी , हाथ उनके आड़ो को सहलाने लगे ।
देवर जी एडिया उठाए हुए म्चल रहे थे सिस्क रहे थे, हाथ कम्मो के गाल छू रहे थे और उसकी चुचियो की गहरि सकरी घाटियां खुब हिल्कोरे खा रही थी । जिन्हे छूने को देवर जी बेताब थे ,
तभी क्म्मो ने अपना आंचल सीने से हटा दिया और भरी भरी छातियों का दिदार कराते हुए उसने उनका तपता लन्ड पर चुचियों के उपरी गुदाज हिस्से पर घिसते हुए दोनो छातियों की खाई मे सुपाड़े को रगड़ा
कम्मो के नरम चुचियों का स्पर्श देवर जी बर्दाश्त ना कर सके और जोश मे कस कर अपना लन्ड भींच लिया - आह्ह मेरी जान अब और नही रोक पाऊन्गा ,,खोलो जल्दी
कम्मो जल्दी जल्दी अपने कन्धे से ब्रा की स्ट्रिप सरकाती हुई ब्रा के कप खोलती है और देवर जी उसके गुलाबी कड़े निप्प्ल देख कर और पागल होने लगे
और घोड़े की तरह चिन्घाडते हुए जोर जोर से अपना लन्ड मुठियाने लगेऔर भलभला कर क्म्मो के निप्प्ल के करीब सुपाडा रख कर झडने लगे , बारी बारी उसके दोनो चुचियों पर उन्होने अपना माल गिराया और फिर कम्मो ने ब्रा उपर चढाती हुई दोनो हाथो से अपने दोनो ब्रा कप को निप्प्ल पर मसाज दिया ताकी देवर जी का रस उसके चुचियों पर अच्छे से फैल जाये और फिर उसने लपक कर देवर जी का लन्ड मुह मे लेके बचा खुचा भी साफ कर दिया ।
देवर जी हाफते हुए बैठ गये और कम्मो अपने कपडे पहनने लगी , देवर जी का खुन्टा मगर अभी कडक था ।
अपना पजामा पहन कर देवर जी ने उसको पीछे से फिर से दबोच लिया
कम्मो - आह्ह क्या करते है छोडिए ना , साडी खराव हो जायेगी ऊहह मुझे रसोई मे जाना है
देवर जी मुस्कुरा कर - तो क्या अभी जो हुआ वो भी अपनी जीजी को बतओगी
कम्मो लजाई - धत्त नहीईई जीजी मजा लेती है मेरा
देवर जी - अच्छा ऐसा क्या ? भी देखूँ आज क्या बातें होती है
कम्मो - धत्त नही प्लीज मत आना ,
देवर जी - अच्छा ठिक है बाबा नही आऊंगा , लेकिन दुपहर मे तो प्यार करने दोगी ना
कम्मो लजाती हुई उन्हे कोहनी से ठेलती हुई - चलो जाओ आप , नही तो बाऊजी की डांट मिलेगी हिहिही
फिर देवर जी नहाने निकल गये ।
राज अपना लन्ड भींचता हुआ - अह्ह्ह बुआ सच मे कम्मो बुआ की कहानी सून कर मेरी तो हालत खराब हो गयी हिहिही
शिला - अरे अभी तुने सुना ही कहा कुछ
राज - रुको ना बुआ पानी लाता हुआ गला सुखने लगा मेरा भी छोटे फूफा की तरह हिहिही
शिला - धत्त शैतान कही का ,
राज हस्ते हुए - वैसे बुआ एक बात पूछू, क्या फूफा आपकी ब्रा मे भी अपना रस भरते थे
शिला - तु दाँत मत दिखा , कुछ नही करने वाली ऐसा मै समझा
शिला - और किया था एक बार उन्होने ,, मुझे पुरा दिन गिनगिनाहट और खुजली होती रही तो आगे से मना कर दिया मैने
राज हसता हुआ पानी लेने के लिए निकल जाता है ।
वही उपर सोनल के कमरे मे निशा की मादक और दर्द भरी सिसकियां उठ रही थी ।
इधर एक ओर जहा अरुण और शालिनी के दिल के अरमान अपने परवान चढ़ने को हो रहे थे , वही दुकान मे बैठा राहुल की हालत अलग खराब हो रखी थी ।
बीते 20-25 मिंट से उसका लन्ड लोहे की पाइप सा टाइट और तना हुआ था । मन मे उलझे हुए सवालों के लहर उठ रहे थे और लन्ड की नसों मे कुछ कामोत्तेजक कल्पनाओ मे अलग ही तरंग अलग ही उर्जा दौडा रही थी चढ्ढे के उपर से जोर से अपने फुन्कार मारते हुए सुपाडे को भींचता हुआ उसने दुकान मे इधर उधर देखा फिर धीरे से अरुण की मोबाईल स्क्रीन को छिपाते हुए उसमे चल रही वीडियो देखता है और उसकी सासे फिर से कपकपाने लगती है ।
चेहरे की हवाईयां अलग उड़ी होती और मुह पर पसीना आने लगता है । कलेजा जोरो से धड़क रहा था कि तभी उसे गलियारे से किसी के आने की आहत हुई और वो मोबाईल छिपा कर जेब मे घुसाता है ।
सामने देखा तो उसके पापा थे और वो दुकान मे बैठ गये ।
राहुल - खाना खा लिये पापा
जंगी - अरे हा , तु भी जा खा ले जा
राहुल जेब मे हाथ डाले हुए मोबाईल और खड़े लन्ड को छिपाता हुआ झटपट गलियारे से घर मे चला गया । हाल मे आते ही उसने आस पास नजर घुमाया तो कोई नजर नही आया । ना शालिनी ना अरुण ।
राहुल जैसे ही अपनी मा को आवाज देने के लिए उसके कमरे की ओर बढा तो उसके कमरे से अरुण की आवाज आई - आ गया भाई , जरा मोबाइल देना ।
राहुल ने जैसे ही अरुण को देखा तो उसके जिज्ञासाओ का पारा एकदम से हाई हो गया ।
तेजी से लपकते हुए वो अपने कमरे मे दाखिल होता हुआ - अबे बहिनचोद साले क्या क्या छिपा रखा है तुने इसमे ।
अरुण की अचरज से आंखे फैली और कुछ डरभरी शंका से गाड़ सिकुड गयी , हड़बड़ा हुआ वो हसने की कोसिस करता हुआ - क्क्या छिपा रखा है कुछ तो नही, दिखा जरा ?
राहुल - साले तु इतना कमीना होगा मैने सोचा नही था , ये सब क्या है ?
राहुल ने मोबाइल स्क्रीन अरुण की ओर घुमाता हुआ एक वीडियो प्ले कर देता है ।
जिसमे उसकी मा क्म्मो सूट सलवार पहन कर कमरे मे झाडू लगा रही थी और आगे की ओर झुकने की वजह से बिना दुपट्टे के उसकी गहरे गले वाली सूट से उसकी मोटी मोटी लटकी हुई छातियां साफ साफ हिलती हुई नजर आ रही थी ।
राहुल के हाथ मे मोबाइल पर चल रहे वीडियो को देख कर अरुण की फट कर चार हो गयी , कापते हाथो से उसने राहुल के हाथ से मोबाईल झपटनी चाही , मगर राहुल इस मामले मे ज्यादा सतर्क निकला और गुर्राते हुए - अभी और भी है
अरुण राहुल का नाराज चेहरा देख कर थोडा हिचका - तो क्या तुमने सब देख लिया
राहुल - हा और ये क्या है
राहुल ने एक ओर तस्वीर दिखाई जिसमे अरुण ने अपनी मा कम्मो को ब्लाउज पेतिकोट मे तस्वीर निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई वो मै ,
राहुल - क्यू बोल ना बोल बोल
अरुण - तु मोबाईल इधर दे पहले
राहुल - नही पहले तु इस बारे मे मुझे सब बता फिर ? अरुण उलझा हुआ जवाब के बारे मे सोचने लगता है मगर राहुल की बकबक अभी भी जारी थी - साले तभी तु मुझे पोर्न वीडियो मे वो फैमिली सेक्स वाला ही ज्यादा दिखाता था क्यू ? तुझे तो यही सब पसन्द है ना ?
अरुण राहुल की असलियत ने अंजान था नही तो उसकी इतनी बकचोदी झेलता वो भन्नाते हुए बोला - हा तु बड़े सीधे हो , जैसे तुम उन वीडियो को देख कर हिलाया नही था ।
राहुल - अबे साले मुझे भी बड़ी उम्र की औरतें और गदराय जिस्म पसंद है इस्का मतलब तो क्या मै अपनी मा को ही अरुण - हा तो बस मुझे भी मेरी मा जैसी सेक्सी और गदराई औरतें पसन्द है ? तु तो ऐसे कह रहा है जैसे इन वीडियो जैसा कुछ तुने अपनी मा के साथ नही देखा होगा ।
राहुल सकपकाया - ये क्या बक रहा है तु
अरुण - चल चल अब मुझे मत सिखा , देखा है मैने तुझे मामी को निहारते हुए । बड़ा आया मुझे ज्ञान पेलने ।
राहुल चुप था
अरुण मोबाइल मे फ़ोल्डर फ़ाईल बैक करता हुआ - और असली चीज तो इसमे जो थी वो तो तुने देखी ही कहा ।
राहुल चौक कर - मतलब और भी था क्या कुछ ?
अरुण एक चतुराई भरी मुस्कुराहट देता है और मोबाइल जेब मे रखता हुआ - है तो तुझे इससे क्या , वो मेरे जैसे कमीने लड़के के लिए है , तु जा शराफती पेल जा
राहुल मुह बनाता हुआ दाँत दिखा कर - अबे भाव क्यू खा रहा है , दिखा ना अरुण - नही नही तु ज्ञान पेल ले ,
राहुल बत्तिसी दिखाता हुआ - अरे भाई वो तो मै बस ऐसे हिहिहिहिही , सच कहू तो तेरी बात सही ही है । ऐसे तैसे मै भी मम्मी को कभी कभी उस नजर से देख ही लेता हूँ उसमे कोई बुराई नही है
अरुण - अब आया ना लाईन पे
राहुल - लेकिन भाई अब तो दिखा दे , क्या माल छिपाया है ?
अरुण- हा हा दिखा दूँगा , पहले ये बता जो चीज़ के लिए तु मुझे बोल कर ले आया था उसका क्या हुआ ?
राहुल बत्तिसी दिखाता है कि तभी गलियारे से शालिनी गुजरती है और उसकी नजर राहुल के कमरे मे पडती है - अरे तु आ गया तो बोला क्यूँ नही , चल खाना खा ले ।
राहुल और अरुण दोनो की नजरें शालिनी नाइटी पर बाद उसके पहले उसके उभरे हुए चुचो के तने हुर निप्प्ल पर गयी और शालिनी ने भी ये देखा ।
मगर शालिनी चुपचाप निकल गयि ।
राहुल नजरे घुमा कर अरुण को देखा तो उससे नजरे टकराते ही हस दिया - क्या ? अबे पड़ जाती है नजर ? तो क्या आंखे फोड़ लूँ चल ना अब
अरुण हसने लगता है और दोनो हाल मे आकर बैठ जाते है , इधर शालिनी किचन मे राहुल के लिए थाली लगाती है ।
वही राहुल अरुण मे झपटा झपटी वाली अलग ही फुसफुसाहट चल रही थी
राहुल अरुण से मोबाइल देखने की जिद करता है मगर अरुण शालिनी के होने का इशारा करता है ।
राहुल धीमी आवाज मे - अरे भाई उसको टाईम लगेगा ना , दिखा दे ना एक बार
अरुण - भाई खुद देख ले ना क्या मस्त सीन है
राहुल - किधर ?
अरुन आंखो से इशारा कर उसको किचन मे झुकी हुई शालिनी के नाइटी मे फैले चुतड़ दिखाता है ।
तभी शालिनी सीधी खड़ी होती है और बिना पैंटी के नाइटी उसकी मोटे मोटे चुतडो के दरारो मे फस जाती है ।
अरुण - उफ्फ्फ
राहुल आंखे दिखा कर अरुण से भुनभुनाता है अरुण दान्त दिखाता हुआ - भाई देख ना , आज मामी ने अन्दर कुछ नही पहना है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ उसका गला पकड़ने लगता है और अरुण खिखी हसने लगता है ।
शालिनी - अरे अरे , क्या कर रहा है क्यू मार रहा है उसे
अरुण नाटक करता हुआ अपना गला पक्ड कर - आह्ह मामी देखो ना कैसे गला कस दिया था इसने मेरा
शालिनी खाने की थाली रखती हुई भाग कर अरुण के पास गयी और बगल मे बैठते हुए उसके गाल को सहलाती हुई अपने सीने से लगा लिया ।
अपनी मामी के गुदाज छातियों मे अपना अपने गाल घिसता हुआ अरुण मुस्कुराता हुआ अपने भौहे उचका कर राहुल को चिढाया और राहुल खिझ कर रह गया ।
इस दौरान शालिनी लगातार उसके सर को दुलारती हुई राहुल को डांटती रही ।
अमन के घर
अमन खाना खाकर अपने कमरे से निकला और जीने से होकर नीचे जा रहा था कि सामने दुलारी और रिन्की आपस मे बातें करते हुए हस्ते खिलखिलाते उपर आ रहे थे ।
अमन की नजर रिन्की के हाथ मे लटके कैरी बैगस पर गयी और मुस्कुरा कर - ओहो शॉपिंग , करो करो अकेले अकेले
रिन्की - हा जैसे मै कहती तो आप आ जाते
अमन रिन्की का रुखा जवाब सुनकर - अरे पूछा क्या एक भी बार और देखो तो भाभी कैसे बोल रही है ?
दुलारी- अरे देवर जी साफ साफ बोलो ना कि आप देखना चाहते हो कि मेरी बैल बुद्धि ननदीया क्या झोले भर लाई है
अमन हसता हुआ - नही नही मुझे नही देखना ,
दुलारी उस्का हाथ पक्ड कर खिंचती हुई - अरे आओ ना देवर जी , मस्त मस्त डिजाईनर कपडे लिये है इसने , पसन्द आये तो देवरानी को भी दिला देना उसमे से हिहिही
दुलारी ने हस्ते हुए रिन्की को आन्ख मारी और रिन्की शर्म से गढा गयी ।
तीनो साथ मे दुलारी के कमरे मे गये और हस्ते हुए दुलारी ने दरवाजा लगा दिया ।
सामने रिन्की अपने चुतड़ हिलाती हुई बाथरूम की ओर जाती हुई - भाभी मै अभी आई
दुलारी ने अमन की ओर देखा जिसकी नजर रिन्की की वाइट लेगी मे कसे हुए उसके उभरे हुए नरम नरम चुतड़ पर थी - बोल खायेगा उम्म
अमन अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - सच मे भाभी अब तो रहा नही जाता , वैसे क्या लाई है खरीद कर
दुलारी मुस्कुरा कर उसका खुन्टा लोवर के उपर से मसलती हुई - अह्ह्ह देवर जी सबर करो , असली खेल शुरु तो होने दो । तुम भी अपनी भौजाई को याद रखोगे
रिन्की इतने मे बाथरूम से आई ।
दुलारी - अरे देवर जी खड़े क्यू है आईये बैठ कर देखते है ना
रिन्की भी धीरे से मुस्कुराती हुई आई और लपक कर कैरी बैग का एक पैकेट झपटती हुई खिलखिलाई - इसको छोड़ कर सब दिखा दो हिहिही
अमन - अरे उसको क्यूँ छिपा रही है , दिखा ना ?
दुलारी- अरे असली माल तो उसी मे है इसमे तो ये सब कच्छी ब्रा है
ये बोलते हुए दुलारी ने झोले से रिन्की की ब्रा पैंटी वाली एक सेट बाहर निकाल दी ।
रिन्की मारे लाज के अमन से मुह छिपाती हुई मुस्कुरा रही थी और अमन की नजर रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी , बढिया क़्वालीटी के पैडेड ब्रा और लेस वाली मुलायम पैंटी , उसको स्पर्श करते ही अमन का लन्ड फड़फड़ाया ।
अमन को अपनी नयी पैंटी पर उंगलीयां फिरात देख रिन्की की चुत मे गुदगुदी उठने लगी , मानो अमन उसकी चुत के उपर अपनी उंगलियाँ फिरा रहा है ।
तभी अमन ने नजर उठा कर रिन्की को देखा और रिन्की लाज से मुस्कुराई
दुलारी - क्यू देवर जी है ना एक नम्बर आईटेम,
अमन - हा भाभी कपड़े का मैटेरियल बहुत सॉफ़्ट है , मुझे नही पता था कि चमनपुरा मे इतनी अच्छी क़्वालीटी के अंडरगारमेन्ट मिलते है । कहा से लिये
दुलारी हस्ती हुई - तुम्हारे ससुराल से हिहिहिही
अमन चौक कर - क्या सोनल की दुकान से , सच मे ?
दुलारी- हा और फिर हम लोग शॉपिंग कॉमप्लेक्स भी गये थे , वहा से इसके और अपने लिये नाइटी ली हमने फैंसी । वो भी पसंद आयेगा
अमन - हा हा दिखाओ ना
रिन्की हस्ती हुई पैकेट हाथ मे कसती हुई - ना ना भाभी हिहिही प्लीज
दुलारी- अरे दिखा ना , कपड़े ही तो है ना
दुलारी मे पैकेट छिना और उसने एक पिंक कलर की नाइटी निकाल कर खोलते हुए अमन के आगे फैला दी - हा देखो है ना अच्छी ?
अमन की नजर उस जालीदार ट्रांसपैरेन्स गुलाबी रंग की शार्ट नाईटी पर जम गयी , जिसके साथ एक पतली सी डोरी वाली थांग पैंटी थी । नजरे उठा कर उसने रिन्की को देखा - वाव यार , सो
दुलारी- सेक्सी ना ?
अमन - हा , अह ना आई मीन सो ब्यूटीफुल , लेकिन ये पहनने पर दिखेगी कैसी ? इसका कोई पैम्पलेट नही दिया है क्या ?
दुलारी- अरे भूल जाओ उस अंग्रेजन माडल को , हमारे पास अपनी घर की स्वीट ऐण्ड सेक्सी मॉडल है । अभी डेमो दे देगी हिहिही
दुलारी ने नजरे उथा कर रिन्की को देखा तो वो ना मे सर हिलाने लगी
दुलारी वो नाइटी लेके उठी और उसको पकड कर बाथरूम की ओर ले जाती हुई - अरे पगली इतना मस्त मौका है , छोड़ मत । देखा नही कैसे उसका खुन्टा बौराया हुआ है ।
रिन्की फुसफुफा कर - पर भाभी मुझे शर्म आ रही है ?
दुलारी- अरे जब वो ढीठ बना बैठा है तो तु काहे शर्म कर आ रही है , जा बदल के आ जा ।
दुलारी ने उसे बाथरूम के धकेला और हस्ती हुई अमन के पास - देखो देवर जी , अब कोई आना कानी ना हो ? मौका अच्छा है पकड़ के रगड़ देना ।
अमन चौक कर खड़ा हुआ और रिन्की के साथ आने वाले रोमांचक पल की झलकियां सोच कर अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - क्या अभीई ? जल्दी नही हो जायेगी भाभी ?
दुलारी की नजरे बस उसके उफनाते फड़फडाते लन्ड पर जमी थी और वो मौका पाते ही उसे बाहर निकाल कर दबोचती हुई - अह्ह्ह मेरे राजा , जल रही है वो पूरी भीतर से तेरे इस मुस्तैद मुसल के लिये , रगड़ कर फ़ाड डाल आज उह्ह्ह
अमन ने उसको अपनी बाहो मे भर कर उसके गरदन गाल को चूमता हुआ साडी के उपर से दुलारी के गाड़ मसलता है - अह्ह्ह भाभी कहो तो तुम दोनो की आज एक साथ ही उह्ह्ह उम्म
तभी बाथरूम के दरवाजे पर आहत हुई और दोनो अलग हुए और लजाती शर्माती नजरे नीची की हुई रिन्की अपने बालों को कान उल्झाती हुई कमरे मे दाखिल हुई
अमन की आंखे फैल गयी उस गुलाबी शार्ट नाइटी मे रिन्की के झलकते बदन को देख कर , उपर उसके भूरे भूरे निप्प्ल अपनी चोच उठाए सास ले रहे थे ।
गोरी चिकनी पतली टाँगे सुर्ख जाघो तक नंगी और कमर के पास नाइटी के आरपार झलकटी उसकी छोटी सी थांग जिसमे उसकी बुर बहुत मुस्कील से छिप पा रही थी ।
बुर के पास काले घुघराले बालों का गुच्छा अभी भी पैटी लाईन के किनारे किनरे झाड़ नुमा उभरा हुआ था ।
दुलारी- वाव यार , है ना देवर जी एकदम सेक्सी ?
अमन चौक कर - हा , हा भाभी बहुत प्यारा है और पीछे से दिखाओ ना
रिन्की ने दुलारी की देखा तो उसने घूमने का इशारा किया ,
पीछे घूमते ही अमन की नजर सीधे रिन्की की चिकने गोल मटोल चुतड पर गयी जिसकी सकरी दरारों मे थांग की स्ट्रिप चीरते हुए उपर लास्टीक मे जुड़ी थी ।
उसे देख कर अमन का लन्ड फड़फडाने लगा उसने जोर से अपना मुसल भिन्चा और तभी रिन्की ने एक और झटका अमन को दिया - आऊच्च्च्च सीईई मम्मीईई
ये बोलते हुए रिन्की आगे की ओर झुकी और अपने पैर को मसलने लगी ।
दुलारी- क्या हुआ ?
रिन्की सिस्कतो हुई उसी तरह झुकी हुई - आह्ह भाभी एक चींटी ने काटा उफ्फ्फ
वही अमन की नजर बस रिन्की के गोरे गोरे नंगे हुए गोल मटोल चुतड पर अटक गयी ।
दुलारी मुस्कुरा कर - अरे देवर जी अब आगे बढ़ो, अब तो चीटीयां भी उसके जिस्म पर रेंगने लगी ? रस टपकना शुरु हो गया है ?
अमन लगातार रिन्की को आगे झुके हुए अपना पैर सहलाते हुए देख रहा था और अपना मुसल मसल कर - क्या ऐसे सीधे ?
दुलारी- हा भाई जाओ ना बस
अमन आगे बढा और रिन्की के पास जाकर उसकी पीठ को सहलात हुआ - तु ठिक है ना , दिखा मुझे
रिन्की - अह्ह्ह भैया देखो लाल हो गया
अमन - इधर आ पैर इसपे रख
अमन ने रिन्की को पैर बिस्तर पर रखने को कहा औए रिन्की ने एक टांग उठा कर रखा ।
अमन निचे बैठ कर उसके घाव पर ठंडी फूंक मारने लगा और तभी उसकी नजर रिन्की के जांघो के बीच उसकी चुत के पास गयी , इतने करीब से उसने रिन्की की झाट भरी चुत देखी और वो ठहर सा गया ।
रिन्की को शरम आई और उसने नाइटी को निचे खिन्चते हुए खिलखिला कर - धत्त भैया कितने गन्दे हो आप , वहा कहा देख रहे हो ?
उसके निप्प्ल साफ साफ उभरे और कडक नजर आ रहे थे
अमन हसने लगा इसपे दुलारी ने मस्ती भरे मूड मे - अरे तेरी तिजोरी का ताला देख रहे है तेरे भैया , दिखा दे ना ?
रिन्की लजाती हुई बाथरूम की ओर बढ़ कर - धत्त भाभी तुम भी बहुत गन्दी हो , मै चंज करने जा रही हूं
दुलारी- अरे रुक ना
अमन भी हसता हुआ खड़ा हुआ ।
दुलारी- क्या यार सारा मजा खतम कर दिया , अरे सीधा चोच लगा कर पानी पिना था ना !
अमन - अरे कैसे करता भाभी वो रुकी ही नही ?
दुलारी- ह्म्म्ं इसकी अम्मा को घोड़े चोदे इसकी खबर लेती हु मै अभी ?
राज के घर
"उह्ह्ह मौसी अह्ह्ह आह्ह उम्म्ंम फ्क्क्क मीईई उम्म्ंम अह्ह्ह, सच मे बहुत मोटा है अह्ह्ह आह्ह "
रज्जो वो 10 इंच का मोटा dildo ट्विस्ट कर निशा की बुर मे घुसेड़ती हुई - आह्ह मेरी तो जान निकाल दी इसने अह्ह्ह पता नही कैसे वो भोस्डे वाली तेरी बुआ इसको पुरा घोन्ट जाती है आह्ह उह्ह्ह नोच मत आह्ह
निशा घोडी बन कर आगे झुक कर रज्जो की रसिली चुचिया हाथ मे पकड़े हुए मुह मे चुबला रही थी और रज्जो निचे उसकी बुर मे हचर ह्चर वो dildo घुसेड़ रही थी , निशा की बुर भलभला कर सफेद रंग छोड रही थी ।
निशा अपनी गाड़ उठा कर - आह्ह मौसी और और उह्ह्ह आ रहा है फिर से ऊहह ऊहह येह्ह्ह येश्ह्ह ऊहह फ्क्क्क फ्क्क्क फ्क्क उह्ह्ह्ह्हह्ह्ह
रज्जो निशा को झड़ते उस मोटे लन्ड पर खुद हुमुचते हुए देख कर हैरान थी , उसकी हथेली चुत के रस सन गयी थी , निशा के चेहरे पर चरमसुख की सन्तुस्टी के भाव थे । उसके हस्ते खिले हुए चेहरे पर एक गजब की कामुकता झलक रही थी , उसकी नशीली आंखे और मादक मे झुमते उसके जिस्म साफ बयां कर रहे थे कि निशा रज्जो की सोच से बहुत आगे की चीज है ।
रज्जो बस उसमे खो सी गयी ।
वही नीचे गेस्ट वाले कमरे मे एक कहानी का दुसरा दौर शुरू हो गया था । राज - फिर बुआ उस दुपहर हुआ क्या कुछ ?
शिला हसती हुई - हा हुआ ना
राज उस्तुकता और चहकपने से - क्या बताओ ना
शिला - सुन
देवर जी तो नहाने चले गये इधर कम्मो और मै निचे रसोई मे खाने की तैयारी करने लगे ।
हम तो रोज रात की बातें लगभाग साझा कर ही लेते , मगर उस दिन कम्मो के चेहरे पर गजब को रौनक थी ।
पुछने पर उसने सारी बातें उगल दी और इस शर्त पर कि वो तेरे फुफा से नही कहेंगी और दुपहर मे होने वाले घमासान की बात भी बताई ।
मैने भी उसे रसोइ से जल्दी छुट्टी दे दी उस रोज और तेरे फूफा को काम फुरमा कर बाजार के लिए भेज दिया ।
काम निपटा कर मै भी बेचैनी भी सासो से उपर गयी , जीने का दरवाजा बाहर से लगाया और चुपके से कम्मो के कमरे मे दरवाजे से कान लगाया ।
पलंग की चरमराह्ट और हाफती सासे सुन कर मेरे जोबन के दाने कड़क हो गये ।
मै भीतर से छटपटाता रही थी कि कहो से कुछ नजर आ जाये और मेरी नजर दरवाजे के कुंडी के पास बने सुराख पर गयी
दिल खुश हुआ और आंखे महिन कर भीतर नजर मारी तो देवर जी कम्मो को पूरी नन्गी किये घोडी बना कर उस्के कमर को थामे हचर ह्चर पेल रहे थे ।
उसकी मोटी मोटी चुचिया लटकी हुई खुब हिल रही थी और दोनो के भितर एक आग सी भरी थी ।
3 - 4 आसन बदल बदल कर जैसा देवर जी का स्वभाव था उन्होने क्म्मो को खुब हचक के पेला और उसके जिस्म पेट छातियों पर अपना माल गिराया ।
कम्मो के जिस्म रिसते उस गर्म नमकीन पिघलते लावे के स्वाद मेरे जीभ मे मह्सुस होने लगा और मेरी बुर बजब्जा कर रस छोड़ने लगी ।
फिर मै उठ कर अपने कमरे मे चली गयी , दिन ढला और रात हुई । देवर जी आये और मुझे खुब हचक कर पेला मगर लालची ने अपनी बीवी के हुकम नाफरमानी नही की । एक शब्द नही कहा , हो गया था मेरा देवर अपनी जोरू का गुलाम ।
अगली सुबह दोनो भाई अपने अपने कमरों मे नहा कर आने के बाद देवर जी कम्मो को दबोचा और भैया के पद चिन्हों पर चलते हुए उसने आज फिर कम्मो के ब्रा मे अपना माल गिराया ।
लेकिन आज तेरे फूफा पुरे फिराख मे थे जैसे ही देवर जी नहाने के लिए निचे गये वो लपक कर कम्मो के कमरे मे ।
मै भी मौका देखकर उनके पीछे ।
कमरे मे ना नुकुर वाला माहौल था तेरे फूफा कम्मो की चुचिया ब्लाउज के उपर से मिज रहे थे और लन्ड पुरा बाहर पिछवाड़े पर चुभो रहे थे ।
कम्मो - आह्ह आज नही , प्लीज ना
वो - तेरे कड़क जोबनो पर लन्ड रगड़ कर ही तो मुझे सुकून आता है
कम्मो - आप समझ नही रहे है आपके छोटे भैया आ जायेंगे , नहा कर कभी भी , मै कपड़ा कैसे उतार अभी
वो - मै नही जानता कम्मो मुझसे रहा नही जायेगा अह्ह्ह ले ले ना इसे भर ले
कम्मो - अच्छा थिक है मै ब्लाउज खोलती हुई आप पल्लू के निचे से गिरा देना
वो और भी उत्तेजित हुए और अपना लन्ड कम्मो के चुचियो मे हिलाने लगे , कम्मो ने बड़ी चालाकी से काम निपटाया मगर दोनो भाइयो के गाढ़े वीर्य से उसकी चोली पूरी गीली हो गयी ।
मै वहा से निकल गयी , मेरि जान्घे उस दृश्य को देख कर रिसने लगी थी ।
रसोई के टाईम मैने खुब मजे लिये उसके कि अब तो रोज उसके दोनो जोबन रसायेन्गे ।
कम्मो - आह्ह दिदी ऐसे तो मै परेशान रहूंगी पुरा दिन
मै - तो एक काम कर ना , तेरे जीजा को बता दे ना आज रात
कम्मो - क्या नही नही , मुझसे नही होगा
मै - अरे डरती क्यू है , तु कहे तो मै मदद करू
कम्मो - कैसे ?
मै - बस तु देखती जा आज रात क्या होता है ?
मैने योजना बनाई और शाम होने से पहले तेरे फूफा को आज रात मेरे साथ रुकने की जिद कर दी ।
वो - ये कैसी बात कर रही है तु, मै छोटे को क्या बोलूंगा
मै - वो सब मै नही जानती , आपको आज मेरे पास रुकना है आज पूरी रात मै आपके इस मोटे लन्ड की सवारी करूंगी प्लीज वो बुरे फसे उन्हे समझ नही आ रहा था कि कैसे वो अपने छोटे भाइ को इस बात के लिए राजी करेंगे ।
बेचैन होकर रात के खाने का निवाला किसी तरह गटका उंहोने और फिर घर के बाहर अलाग सेंकते हुए उनके जहन मे बस देवर जी से बात करने की झिझक चल रही थी ।
धीरे धीरे करके मेरे सास ससुर अलाव के पास से उठ कर अपने कमरे मे चले गये, मै और कम्मो आंगन मे बरतन धूल रहे थे , अभी देवर जी भी उठ कर जाने को हुए कि दूर से ही मैने तेरे फूफा को घूरा और वो मेरा इशारा समझ गये ।
वो - आह्ह छोटे बैठ तुझसे कुछ बात करनी है देवर जी भी शंका के भाव से वापस बैठ गये - क्या हुआ भाइया , आप परेशान लग रहे है ?
वो - बात चिंता की भी है और नही भी , ये सब तेरे विवेक पर निर्भर करेगा ।
देवर जी - मुझ पर , मै समझा नही साफ साफ कहिये ना
वो - अह अब क्या बताऊ , तू तो जानता ही है कि मेरा कम्मो के साथ साथ शिला से भी शारीरिक रिश्ता रहा है
देवर जी के माथे पर बल पड़ने लगा , अलाव की बूझती मीठी आंच अब तेज मह्सूस होने लगी । देवर जी भी भीतर से एक सन्सय भरे उलझन से घिरने लगे - हा भईया पता है , मगर बात क्या है ?
वो - बात ये है छोटे कि भले ही अब शिला और मै साथ नही सोते मगर हमारी बीती सुहानी रातें हमे अक्सर दिन तडपा देती है , दिन मे जब भी हम आमने सामने होते है हम दोनो के जज्बात हम पर हावि होने लगते है । वो तेरी है ये सोच कर मै उसपे हक नही जताता हु और इस बात से वो उदास सी रहती है ।
देवर जी भी अपने भैया की बात सुन कर चिंतित हुए - तो फिर क्या सोचा है इस बारे मे आपने ? भाभी का यू उदास होना मुझे पसन्द नही आप तो जानते ही हो ।
वो - हा इसीलिए मुझे तेरी अनुज्ञा चाहिये
देवर जी - मेरी , किस लिये ?
वो - दरअसल आज शाम को शिला ने मुझसे रात उसके पास सोने का कहा है । अब मुझे समझ नही आ रहा है कि मै कैसे इस उलझन को सुल्झाऊ ?
देवर जी तेरे फूफा की बात सुन कर भीतर ही भीतर गदगद हो गये कि आज रात उन्हे क्म्मो के साथ सोने को मिलेगा - आप बड़े है भैया जो आपको उचित लगे वही करिये ।
वो - एक पल को मै शिला के पास चला भी जाऊ ,मगर क्म्मो उस्का क्या ? उस बेचारी को ये रात अकेले ही काटनी पड़ेगी क्योकि तु उसके करीब कभी हुआ ही नही ।
देवर जी मुह उतारने का नाटक किये और बोले - माफ किजियेगा भईया मगर मुझे उलझन रहती है कि कैसे मै उसको छुउन्गा , क्या वो मेरा साथ देगी बहुत डर भी रहता है वो थोडा खुश हुए और करीब होकर बोले - अह अब तुझे क्या बताऊ मै , सही मायने मे खुल कर कहूँ कम्मो जैसी गर्म औरत मैने नही देखी ।
देवर जी आंखे फ़ाड कर तेरे फूफा को निहार रहे थे - सच कह रहा हु , सुहागरात पर वो इतनी गर्म और जोशीली थी कि पुछ मत और सम्भोग के समय वो इतनी कामोत्तेजक हो जाती है , इतने गन्दे गंदे बोलती है कि मै पागल हो जाता हु उफ्फ़ सच कहू तो तु बस उसको सोते हुए स्पर्श करके पहल कर लेना , बाकी वो खुद कर देगी ।
देवर जी का खुन्टा टाइट था वो उसको मिजते हुए - क्या सच मे भैया ?
वो - हा और जा मेरी मंजूरी है तुझे आज उसे अपना दम दिखा दे
दो हसते हुए उपर चले गये और कुछ देर बाद दोनो कमरों मे ह्चर फचर पेलाई जारी थी ।
तेरे फूफा उस रात दुगने जोश से मुझे चोद रहे थे और मै भी पागल हो गयी थी - आह्ह मेरे राजा ऊहह और चोदो उम्म्ंं , तुम्हारे लन्ड के बिना मेरी चुत सोने का नाम नही लेती अह्ह्ह और ऊहह
वो मेरे बालों को खिंचते हुए मुझे घोडी बनाये मेरी चुत मे लन्ड घचाघच पेल रहे थे - आह्ह साली रन्डी छिनार मेरी चुदक्कड़ बीवी उह्ह्ह्ह दो दो लन्ड के मजे मिल रहे है अब तो तुझे अह्ह बोल ना
मै - आह्ह हा मेरे राजा , मै आपकी रंडी बीवी हु आह्ह कल रात मेरे देवर मे मुझे खुब हचक के चोदा आज मेरा पति चोद रहा है आह्ह माह्ह्ह
वो और जोश मे - आह्ह क्या वो सिर्फ तेरा देवर है , आअन्न बोल ना साली कुतिया आह्ह बोल ना
मै उन्के मजबूत करारे झटके खाती हुई - हा मेरे राजा मेरा बहनोई भी है , आह्ह मजा आता अपने बहनोई से बुर मे लन्ड लेके आह्ह उह्ह्ह आप भी अपनी साली को पेलते हो उम्म्ंम खुब हचक हचक के
वो - आह्ह सच मे मेरी साली बहुत चुदासी और गर्म है , साली बुर मे भर कर निचोड़ लेती है मेरा लन्ड अह्ह्ह उह्ह्ह
मैने भी अपने चुत के छल्ले को अपने मोटे मुसल पर कसा और उसको निचोडती हुई - ऐसे करती क्या मेरे राजा उह्ह्ह बोलो ना ऐसे करती है वो उम्म्ं
वो पागल होने लगे - आह्ह मेरी जान तुम दोनो बहने ही रन्डी हो आह्ह ऐसे ही ऊहह साली कुतिया अह्ह्ह लेह्ह्ह उह्ह्ह
मै - आह्ह मेरे चोदू राजा ऊहह पेलो मुझे ऊहह
उन्होने मुझे घुमाया और पीठ के बल लिटा कर मेरे उपर आ गये और लन्ड बुर मे घुसाते हुए - ओह्ह मेरी चुदक्कड़ ऊहह लेह्ह्ह और लेह्ह जी तो करता है कि तुम दोनो बहनो को एक साथ लिटा कर ऐसे ही ऐसे ही अह्ह्ह हचक हचक के चोदू उह्ह्ह
मै - आह्ह सच मे मेरे ऊहह मेरा जरा भी ख्याल नही है उम्म्ं
वो - तुझे क्या चाहिये मेरी जान बोल ना
मै - मुझे भी मेरे दोनो पतियों का लन्ड चाहिये एक साथ वो भीई उह्ह्ह आह्ह
वो मेरी बातें सुन कर पागल हो गये और जोश ने खुब कस कस लन्ड मेरी चुत मे भरने लगे - आह्ह बहिनचोद तु सच मे रन्डी है आह्ह
मै उनके लन्ड पर अपनी चुत का छल्ला एक बार फिर से कसा और वो मदहौस होने लगे - आह्ह बोलो ना मेरे राजा दिलाओगे ना मुझे दो लन्ड अह्ह्ह प्लीज अह्ह्ह
वो हाफने लगे और लन्ड बाहर खींचकर तेजी हिलाते मेरे पेट पर झडने लगे - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही , अपने भाई सामने तुझे पेलने मे मजा आयेगा अह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह उह्ह्ह आ रहा है मेराअह्ह्ह्ह उह्ह्ह
मै भी उस वक़्त झड रही थी उनके साथ , वही बगल के कमरे मे भी गर्म माहौल था ,
कम्मो देवर जी के मुसल पर सवार होकर - आह्ह मेरे राजा , ऊहह आज रात मे कैसे मना लिये अपने भैया को ?
देवर जी उसकी नंगी पीठ को छूते - मनाना क्या मैने हक से बोला कि मुझे मेरी बीवी क्म्मो के पास सोना है क्म्मो अपनी कमर को नचा कर लन्ड को बुर मे भरती हुई - धत्त झूठे , सच सच बोलो ना
देवर जी - सच कह रहा हु मेरी जान
कम्मो - अच्छा ऐसा क्या , कल मुझे उनके सामने चोद के दिखाओ तो जानू
देवर जी - क्या भैया के सामने, अरे ऐसे कैसे
कम्मो - क्यूँ, वो तो आपके सामने मुझपे हक जताते है और जब मन होता है पेल जाते है मुझे उम्म्ं
देवर जी कुछ जोशिले भी हो रहे थे तो कही झिझक भी थी ।
कम्मो अब लन्ड पर अपने कुल्हे उछालनते हुए हुमुचने लगी - आह्ह मेरे राजा मान जाओ ना , मुझे अच्छा लगेगा जब आप उनके सामने मुझे छुओगे मुझे मसलोगे
देवर जी मुस्कुरा कर कम्मो को बाहों मे भरते हुए - और अगर उन्का भी मूड हो गया तो
कम्मो - तो मै उनको भी मौका दे दूँगी लेकीन आपके
देवर जी का लन्ड फड़का - क्या मेरे सामने ही
कम्मो - क्यू देखा नही क्या कभी मुझे उनसे चुदते उम्म , जी तो करता आप दोनो का मुसल एक साथ लेलू उह्ह्ह अब तरसाओ मत मेरे राजा पेलो ना उह्ह्ह
देवर जी भैया के साथ क्म्मो को पेलने का सोच कर पागल गये और कुल्हे उठा कर निचे से तेजी से चोदने लगे ।
कम्मो - अह मेरे राजा ऐसे जी अह्ह्ह आप ऐसे चोदना मै उनका लन्ड चुसुंगी अह्ह्ह
देवर - आह्ह बहिनचोद , भैया सच कह रहे थे कि तु बहुत चुदासी है आह्ह मेरी जान लेह्ह्ह जो चाहिये सब दूँगा आह्ह मेरी जान ओह्ह्ह ओह्ह
कम्मो - आह्ह मेरे राजा और पेलो उन्म्म्ं उह्ह्ह हा ऐसे अहि उह्ह्ह
देवर जी पोजीशन बदला और कम्मो को करवत लिटा कर उसकी जान्घे चढा कर चुत मे पेलने लगे ।
कम्मो - उफ्फ्फ मेरे राजा आपके इन्ही अंदाज की दिवानी हु मै ,आह्ह मेरे राजा और चोदो ,नहला दो मेरी चुत को अपने रस से अह्ह्ह अह्ह्ह
देवर जी भी पागल होने लगे और लन्ड निकाल कर उसके गाड़ और चुत पर झडने लगे - आह्ह मेरी रन्डी ओह्ह कितनी गर्म है रे तुह्ह क़्ह्ह्ह लेह्ह्ह गर्म गर्म माल मेरा अह्ह्ह
कम्मो - ऊहह मेरे राजा फैला दो ना उह्ह्ज आह्ह ऐसे ही
देवर जी उसकी गाड़ और चुत के फाको पर अपना गाढ़ा सफेद बीर्य लिपने लगे , उंगलियो का स्पर्श पाकर कम्मो पागल होने लगी ।
पूरी चुत मलाई से सफेद होने लगी थी और देवर जी उंगलिया क्म्मो की बुर मे फचर फचर अन्दर बाहर हो रही थी , क्म्मो तेजी से झडते हुए सिस्क रही थी - आह्ह मेरे राज्ज्जा आह्ह मेरा आ रहा है रुकना मत ऊहह उफ्फ्फ आह्ह आह्ह उह्ह्ह
क्म्मो भी झड कर चूर हो गयि मगर जोशिले देवर जी ने एक राउंड और उसकी चुदाई की फिर दोनो सो गये
अगली सुबह हम चारों मे विचार बदल चुके थे ,रात मे चुदाई के दौरान उठे सपनो की कामुक झलक ने हमे भीतर से हिला कर रख दिया था ।
इधर नास्ते के समय देवर जी और तेरे फूफा की बातें हो रही थी ।
देवर जी ने तेरे फूफा को अपना रात का अनुभव साझा किया - सच मे भैया आपकी एक एक बात सही निकली कम्मो के बारें मे , वो कुछ अलग ही है ।
वो हसते हुए - फिर कितने राउंड
देवर जी - 3 बार , हर बार कुछ अलग ही जोश से वो मुझे निचोडती रही । सच मे भैया मजा आ गया
वो - हा भाई निचोड़ा तो तेरी भाभी ने भी कल रात मुझे उफ्फ़ ये दोनो बहने सच मे कितनी कामुक है
देवर जी - सच कह रहे है भईया और आपने नोटिस किया दोनो ने कभी हमसे सम्बन्ध बनाने से कभी इंकार नही किया , ऐसी आग तो सिर्फ
वो - रन्डीयों मे होती है ,
देवर जी - आह्ह सच कह दिया भैया आपने , दोनो की दोनो पक्की रान्ड है । देखा उनकी बातें करके ही हमारा ये हाल हो गया हाहाहा
वो - हा भाई सही कह रहे हो , पता है कल रात तो तेरी भाभी इतनी जोश मे थी कि अगर तु होता साथ मे तो वो तेरा लन्ड भी घोन्ट जाती
देवर जी - क्या सच मे , सेम ऐसा ही मैने भी अनुभव किया भैया , क्म्मो ने तो यहा तक कह डाला की हिम्मत है तो अपने भैया के सामने मुझपे हक जता कर दिखाओ
वो - हैं ? सच मे ? यार मेरा तो मन कर रहा है साली कम्मो की गाड़ अब खोल ही दूँ
देवर - हा भैया मै भी भाभी के चुतड को भेदना चाहता हु
वो - हा लेकिन अभी नही कर पायेगा तु
देवर जी - क्यू ?
वो - अरे शिला का महवारी शुरु हो गया है आज सुबह
देवर - अच्छा, फिर ?
वो - फिर क्या , क्म्मो को मिल कर दबोचते है फिर
देवर जी - सच मे , लेकिन कैसे ?
वो - वैसे ही जैसे वो चाहती है हाहहहहा
फिर बारी बारी से दोनो भाई नहाने चले गये । मेरे पिरियड शुरु हो गये थे तो रसोई से लेकर हर काम के लिए मेरी छुट्टी हो गयी थी और कम्मो का काम दुगना । मै छ्त पर अकेले आराम कर रही थी और वो रसोई मे काम कर रही थी ।
मौका देख के देवर जी को आंगन मे नजर रखने की ड्यूटी लगकर तेरे फुफा रसोई मे घुस गये और क्म्मो क्क दबोच लिया । रसोई के बाहर दिवाल से लग कर देवर जी झाक कर भीतर का नजारा देख रहे थे ।
तेरे फुफा ने क्म्मो को दबोच रखा था - आह्ह मेरी जान क्यू खफा खफा हो मुझसे , सुबह से देख रहा हु कम्मो इतराई और कसमसा कर उनसे दुर होने की कोशिश कर - आप तो बात मत करिये मुझसे , दीदी के लिए मुझे तनहा छोड दिया था हुउउह
वो मुस्कुरा के पीछे से उसके अपना खड़ा मुसल उसके चुतड़ मे चुभोते हुए - अकेले कहा मेरी जान, छोटे को भेजा था ना
कम्मो थोड़ी चुप हुई तो वो उसके रसिले मम्मे दबोचते हुए - और रात मे मैने तुम्हारी सिसकियाँ सुनी , कितनी जोश मे तुम उसके लन्ड की सवारी कर रही थी ।
कम्मो लाज के मारे मे झेप सी गयी , उसके तन बदन मे सिहरन पैदा होने लगी ये सोच कर कि कल रात वाली चोरी पकडी गयि - हा जब आप मेरा ख्याल नही रखोगे तो मुझे खुद का ख्याल रखना पडेगा ना , ले लूंगी मै भी किसी का लन्ड
कम्मो की ये बात सुनकर दोनो भाई के फौलादी मुसल फड़कने लगे , वो जोर से उसके चुचे मिजते हुए - आह्ह साली कितनी चुद्क्क्ड है रे तु ऊहह जी कर रहा है अभी चोद कर तेरे छातियो मे अपना रस भर दूँ
कम्मो - आह्ह मेरे राजा आराम से अम्मा बाऊजी बाहर ही है उह्ह्ह कोई आ जायेगा
तेरे फूफा कम्मो को पीछे से पकड़ कर मसल रहे थे और कामोत्तेजना मे उनकी जुबान फिसली - अह्ह्ह चिंता ना कर मेरी रान्ड, बाहर छोटे को खड़ा रखा है वो आंगन मे देख रहा है
कम्मो चौकी - क्या वो बाहर है ?
तेरे फुफा हसने लगे और रसोई के गेट के पास दिवाल से लग कर खड़े होकर पजामे के उपर से लन्ड मिजते हुए देवर जी की ओर इशारा किया ।
कम्मो और देवर जी की हवस भरी नजर मिली और कम्मो भीतर से हिल गयी उसकी चुत बुरी तरह बजबजा उठी , रात लिये हुए पति से वादे को इतनी जल्दी पूरी होने की उम्मीद नही थी और आने वाले रोमांच को लेके उस्का कलेजा धकधक हो रहा था ।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
राहुल को पता चल गया है कि अरुण अपनी मां को वीडियो देखता है वही अरुण अपनी मामी को प्यासी नजरों से देख रहा है वही शालिनी भी अरुण का लेने के चक्कर में है
अमन ने रिंकी का खजाना देख लिया है रिंकी अमन से जल्दी ही चुदने वाली है
" सच सच बताओ ना मौसी , ये चुतड़ सिर्फ मौसा जी ने अकेले नही चौडे किये होगे " , निशा रज्जो के कुल्हे सहलाती हुई बोली ।
रज्जो - तेरे भी जोबन खुब फूले हुए है , किस किस से मिजवाजा है पहले तु बता ?
निशा हसती हुई - अरे मौसी स्कूल मे , कालेज मे , होली मे मेले मे अब कहा कहा गिनाऊ हिहिही
रज्जो आन्खे बड़ी कर- तो क्या तु सबसे ?
निशा - अरे नही ना , इन जगहो मे अकसर मेरे तन को छू कर लड़के मेरे भीतर की आग भड़का जाते और मै रात अकेले कमरे मे हिहिही
रज्जो मुस्कुराती हुई - धत्त कामिनी
निशा - सच कह रही हु मौसी , देखती नही यहा कितना रोक टोक है।
रज्जो - अरे सोनल की तरह तेरा भी कोई यार दोस्त होगा ही , बता दे ना
निशा - एक यार तो आपके पति ही थे हिहिही , एक बार मे मुझे अपना दीवाना बना गये ।
रज्जो - अच्छा इतना मस्त लगा तुझे उनका लन्ड , तो चल ना कुछ रोज मेरे यहा रह कर फिर से ले लेना ।
निशा - अरे उस खुन्टे पर पहले ही दो दुधारू भैंस बांधी है मुझे कहा जगह मिलेगी ।
रज्जो अजीब भाव से - दो दो भैस मतल्ब
निशा हसती हुई -अरे एक आप और दूसरी रीना भाभी हिहिहिही
रज्जो सकपकाई - क्या बहू ? नही ये कैसे ? और तुझे इतना यकीन कैसे है ?
निशा शरारत भरी नजरो से खिलखिलाती हुई - शक तो आपको भी है ना मौसी , बोलो बोलो ? हिहिही
रज्जो - अह हा अब तेरे मौसा छुटा सांढ़ हुए है तो क्या करुँ उसपे से बहू कुछ ज्यादा ही सन्सकार लेके आयी है मायके से , इनसब मे सोचती हु कि कही रमन के साथ कुछ नाइन्साफी ना हो जाये बेचारा बहुत भोला है ।
रज्जो का परेशान चेहरा देख कर निशा - अरे वो भी बदला ले लेंगे और क्या ?
रज्जो - बदला कैसा इसमे ?
निशा हसने लगी ।
रज्जो - बोल ना
निशा अपनी हसी दबाती हुई - अरे जब उनके पापा उनकी बीवी रगड़ सकते है तो वो भी अपने पापा की बिवी रगड़ देंगे हिसाब बराबर क्यू ?
रज्जो को कुछ सेकंड लगे निशा की बात समझने मे और जब वो सम्झी तो सामने निशा खिलखिला रही थी और हस्ती हुई उसके चुतड़ को दबोचती हुई - साली कुतिया , कुछ भी बकती है अब क्या मै मेरे बेटे का लन्ड ले लू ,
निशा हस्ती हुई - आह्ह आउच्च मौसी सच कहू तो अगर मै रमन भैया की जगह होती तो आप पर मेरा ईमान डोल जाता हिहिहिही
रज्जो - तो रुकी क्यू है ,जा तेरे पापा का खुन्टा ले ले , अब कबतक किसी की राह निहारेगि
निशा जोर की अंगड़ाई लेती हुई - आह्ह सोच रही हूँ इसी बारे मे हीहिहिहिही वैसे पापा का मुसल है दमदार
रज्जो आंखे फ़ाड कर निशा की बातें सुन रही थी कि कैसी बेशरमी से वो बतिया रही है उससे - तो क्या तुने नाप लिया क्या तेरे पापा का मुसल
निशा - अरे नापा क्या मैने तो सपने मे लिया भी है हिहिही
रज्जो - धत्त कमिनी , तू बहुत दुष्ट है रे । छीईई
निशा - बोल तो ऐसे रही हो जैसे आपने कभी देखा नही होगा नाना का लन्ड । वो तो धोती मे होते है हिहिहिही
रज्जो - हा देखा है कई बार देखा है लेकिन तेरी तरह मेरी नियत नही आई कभी बाऊजी पर
निशा हस्ती हुई - मगर नाना को मैने जरुर देखा है आपके ये थिरकते मोटे कुल्हे निहारते हुए हिहिहिही
रज्जो अब चुप हो गयि उसकी जुबां अटक सी गयी - क्या बोल रही है तु
निशा आन्खे नचा कर - आहा , चोरी पकड़ी गयी हिहिहीही तो आपके इन बड़े बड़े गोलो को फुलाने वाले नाना ही है
रज्जो को यकीन नही हो रहा था कि निशा इतनी तेज निकलेगी , हर बात चित के साथ रज्जो के मन की बातें वो यू समझ जाती , रज्जो भीतर से डरने लगी ।
निशा हस कर - वैसे आप टेन्सन ना लो , मै बड़ी मा को नही बताउन्गी हिहिहिही
रज्जो ने एक गहरि आह भरी - उफ्फ्फ तुने तो डरा दिया मुझे भाइ आह्ह सच कहू तो ये बात सिर्फ मेरे और बाऊजी के बीच थी , मगर ना जाने कैसे तु समझ गयी ।
निशा - हिहिहिही मर्द की नजर और उसके चेहरे के भाव पढने मे मै कभी नही चुकती मौसी , अब तो ब्ता दो कब से ले रही हो वो मोटा बांस उम्म्ं
रज्जो - 30 साल हो गये , यूँ कह मेरे पहले यार वही थे ।
निशा - क्या सच मे ? शादी से पहले ही
रज्जो - हम्म्म , मा के गुजर जाने के बाद हम दोनो को एक दुसरे की जरुरत थी और हमने एक दुसरे को खुद को सौप दिया ।
निशा - उफ्फ्फ मौसी आपकी बातें सुन कर मेरी चुत गीली हो रही है , कैसा लगता है पापा से चुदवा के उम्म्ं
रज्जो - सच कहु तो आज भी वो पहली बार वाला ही नशा उमड आता है और बाऊजी भी वही जोश से पेलते है आज भी
निशा - उफ्फ्फ मौसी इधर आओ उम्म्ंम्ं
निशा ने रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसको अपने करीब करती हुई उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिये और चुचिया मिजने लगी , रज्जो भी उसके चुतड़ फैलाते हुए किस्स करने लगी
राहुल - अरुण
" उफ्फ़ भाई , क्या मस्त मस्त गदराई आण्टियां है यार " , राहुल अपना लन्ड मसलते हुए अरुण के मोबाइल मे वीडियोज़ देख रहा था ।
अरुण - ये सब पैड पोर्नस्टार है , सेक्स साइट पर वीडियो बेचती है अपना , जैसे बोलोगे वैसे वीडियोज बना कर देंगी ।
राहुल - तो क्या इस आंटी को बोलू कि वो दो दो लन्ड से चुद कर दिखाये तो क्या वो मान जायेगी
अरुण - हा भाई , लेकिन पैसे बहुत लेती है सब उसमे तुम उनसे मनचाहा रोल प्ले भी करवा सकते हो ।
राहुल - रोल प्ले कैसा ?
अरुण - मतलब ये कि अगर तुम चाहते हो कि ये आंटी और इसके साथी से किसी फैमिली सेक्स के जैसे रोल प्ले करे तो वो करेंगे ।
राहुल - तो क्या भाई बहन , मा बेटा भी बन कर चुदाई करते है सब
अरुण - हा भाई जो कुछ तुम चाहो , तुम चाहो तो इस आंटी का नाम मामी के नाम पर रखवा कर भी वीडियो बना सकते हो , फिर तुम अपनी मा भी जिससे चाहो चुदवा लो हिहिहिही
राहुल का लन्ड ये सब गणित देख सोच कर बौखला गया - बहिनचोद कितना आगे निकल गये है लोग यार ,
राहुल - तो क्या तुने किसी को चोदा है इसमे से
अरुण - नही यार ये सब प्राइवेट मिलने नही आती है और जहा जाती है वहा बहुत पैसा लेती है । लाख लाख रूपये मे बातें होती है भाई
राहुल - क्या , बहिनचोद इतना पैसा कहा से आयेगा । इससे अच्छा अपनी अम्मा ना चोद लू मै
अरुण - वही तो मै भी बोल रहा हु हिहिहिही
राहुल - वैसे सच कहू तो मम्मी को सोच कर हिलाने का मजा ही अलग है क्यू
अरुण - हा यार , और मामी है भी कितनी सेक्सी सोचता हु बिना पैंटी के उनकी बुर कैसी दिखती होगी ।
राहुल - जन्नत है भाई , मुझसे पूछ
अरुण - तुने देखी है क्या ?
राहुल बत्तिसी दिखाने लगा। अरुण - बता ना कैसी है , लम्बी फाके वाली है क्या
राहुल ने हा मे सर हिलाया तो अरुण - उफ्फ्फ मुझे लगा ही था कल
राहुल - तुमे कब देखा
अरुण हस कर - अरे वो नही देखा बस पीछे से देखा जब वो बाथरूम मे पेसाब कर रही थी तो उठते समय बस लकीरे दिखी थी थोड़ी सी
राहुल उसके गले मे हाथ का फंदा बना कर कसता हुआ - साले हरामी है तु तो रे
अरुन हसता हुआ - हिहिही अब नजर पड गयी थी तो क्या करता भाई , राहुल - साले मादरचोद , हट भोसडी के
अरुण खिखी दाँत दिखाता हुआ - भाई कुछ कर ना , मामी ने तो मुझे पागल कर रखा है और तुने बोला भी तो था कि यहा कुछ इंतजाम करेगा ।
राहुल - अबे मम्मी को पटाना हलवा थोड़ी है , मै तो कितने टाईम से लगा हु तु ट्राई कर देख क्या कहती है
अरुण कुछ सोच कर - ठिक है लेकिन मुझे तेरी मदद लगेगी और अगर मामी मान गयी तो तेरा भी फाय्दा होगा ही
राहुल - हा भाई क्यू नही
राहुल बहुत चतुराइ से अरुण का प्लान समझने लगा । इधर इनकी योजना चल रही थी कि वही शाम के 4 बजने को हो रहे थे ।
रात के खाने के लिए शालिनी ने बाजार से सब्जी राशन लाने की लिस्ट बनाई और राहुल को खोजते हुए उसके कमरे तक आई
शालिनी ने दरवाजा खटखटाया और भीतर दोनो सतर्क हुए और लन्ड को पैंट मे ऐंठते मोडते राहुल ने दरवाजा खोला - हा मम्मी
शालिनी - क्या कर रहे थे तुम दोनो दरवाजा बन्द करके
अरुण - कुछ नही मामी , बस मूवी देख रहे थे
शालिनी ने कमरे का जायजा लिया और बोली - अच्छा सुन झोला लेले और पापा से पैसे ले ले , मै तैयार होकर आती हु हमे बाजार जाना है ।
राहुल - ठिक है राहुल उठ बाहर चला गया और शालिनी ने मुस्कुरा कर अरुण की ओर देखा ।
दोनो के जिस्म मे सरसराहट सी फैल गयी और दोनो बाथरूम के वो पल याद कर भीतर से कामोत्तेजित हो उठे शालिनी के निप्प्ल उसके नाइटी मे कड़क होकर उभर आये और अरुण की नजर उसपे अटक सी गयी । शालिनी ने इशारे से उसका ध्यान अपनी ओर किया अपने पीछे चलने का इशारा करती हुई कमरे की ओर बढ़ गयी ।
अरुण का मुसल बगावत पर आ गया , शालिनी के इशारे ने उसको सपनो की नयी दुनिया मे ला खड़ा किया । उत्सुकता कामुकता और बेताबी भरे मन से वो उछलता हुआ शालिनी के कमरे मे चला गया ।
शिला के किस्से
कम्मो की नजरे देवर जी से टकराई और आंखे बडी हो गयी ये देख कर कि देवर जी उसको और अपने भैया को एक साथ देख कर अपना मुसल मसल रहे है ।
वो कम्मो की साडी सरका कर ब्लाउज के उपर से उसकी छातियां मिजने लगे जिससे कम्मो को एक अलग ही खुमारी छाने लगी - उफ्फ्फ आराम से उम्म्ं
वो लगातार देवर जी को अपनी नशीली कामुक नजरो से निहारे जा रही थी , देवर जी के आगे उनके भैया से अपनी चुचिया मिजवा कर उसे एक अलग ही जोश आ रहा था उसपे से देवर जी उसे देख कर अपना मुसल रगड़ रहे थे ।
पीछे से तेरे फूफा का खुन्टा उसके चुतड़ मे साडी के उपर से घुसा जा रहा था ,
रसोई के अंदर बाहर दोनो ओर कामोत्तेजना पीक पर थी , एक ओर देवर जी जहा कम्मो को छूने को बेताब हो रहे थे वही कम्मो तेरे फुफा को कपड़े उतारने से मना कर रही थी ।
वो - अब मना मत कर कम्मो देख हम दोनो भितर से तप रहे है और आग हमे जला रही है ।
कम्मो मुस्कुराइ और उनकी ओर घूम कर उनका मुसल पजामे के उपर से जकडती हुई - आह्ह मेरे राजा रुको मै बुझाती हु तुम्हारी आग
ये बोल कर कम्मो सरकति हुई तेरे फुफा के पैरो मे चली गयी और पैजामा खिंच कर उनका काला मोटा फुन्कार मारता नाग बाहर निकाला , दिन के भरपूर उजाले मे तेरे पापा का लन्ड अपने भाई के आगे अलग हो जोश मे फूला हुआ था , चमडी खिंच कर कम्मो के सुपाडा खोला और फिर एक नजर दरवाजे पर देवर जी को देखा ।
देवर जी की सासे उफनाने लगी , उनकी बीवी उनके सामने उनके भैया का लन्ड चूसेगी ये देख कर ही उनके लन्ड मे ऊर्जा दुगनी हो गयी ।
पजामे के उपर से अपना मुसल भींचते उन्होने एक नजर अपने अम्मा बाऊजी के कमरे की मारा और जब दुबारा रसोई मे देखा तो कम्मो आधा लन्ड मुह मे भर चुकी थी ,
देवर जी रसोई के गेट का लक्ड़ा पकड कर एडिया ऊचका कर लन्ड के झटके से उड़ने लगे , जोर से उसे भींच कर भीतर कम्मो को भैया का लन्ड चुसते देखा ।
कम्मो बड़ी कामुक अदा से जीभ फिरा कर सुपाड़े की टिप चाट रही थी और नजरे तीरछी कर उसने देवर जी की ओर जो अपना मोटा लन्ड बाहर निकाल कर उसके सहला रहे थे
कम्मो ने तेरे पापा का मुसल हाथ मे पक्ड कर सहलाते हुए दुसरे हाथ से देवर जी को भी भीतर आने का इशारा किया
देवर जी बेचैन हो उठे उंहे डर कि ऐसे खुले मे कही अम्मा बाऊजी ना आ जाये मगर तेरे फूफा ने आने का इशारा किया तो वो भी लपक कर उनके बगल मे खडे हो गये ।
कम्मो ने हाथ बढा कर देवर जी का मुसल पकडा और उनकी आंखो मे देखा , देवर जी भीतर से गिनगिना उठे , उनका शरीर मे कपकपी सी उठने लगी और फिर कम्मो की नजरे तेरे फूफा से टकराइ और उन्होने प्यार से कम्मो के बाल सहलाए
अगले ही पल कम्मो ने मुह खोल कर देवर जी का लन्ड भी भर लिया और चुबलाने लगी - आह्ह कम्मो उम्म्ंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह क्या मस्त चुसती है तु उम्म्ंम
वो - आह्ह सच कह रहे हो भाई , कम्मो का कोई जवाब नही ऊहह ऐसे ही उम्म्ं कम्मो लन्ड बदल बदल कर चुसाई कर रही थी और दोनो भाई हवा मे उड़ने लगे ,
देवर जी -अह्ह्ह कम्मो मेरी जान य्ह्ह ऊहह आयेगाआ उह्ह्ह सीईई उम्म्ंम ओह्ह्ह खोल जल्दी उह्ह्ह
कम्मो देवर जी का इशारा समझ गयी और ब्लाउज खोलकर ब्रा सरकाती हुई आगे की और देवर जी अपना लन्ड मुठियाते हुए उसके एक चुचि के निप्प्ल पर अपना माल छोड़ने लगे , जिसे देख कर तेरे फुफा चौके और जोश मे वो भी अपना मुसल हिलाने लगे - अह्ह्ह कम्मो तु सच मे लाजवाब है रे अह्ह्ह लेह्ह्ह खोल मेरा भी लेह्ह ऊहह ऊहह
खुद तेरे फूफा ने दुसरी ओर की ब्रा के कप खिंच कर लन्ड को उसके चुची चुभो कर झाडने लगे
दोनो भाई कम्मो के चुचियो पर अपना रस निचोड रहे थे और कम्मो के निप्प्ल उनके गर्म लावे और भुने जा रहे थे ।
लन्ड झाड़ कर दोनो भाई खुद के कपड़े सेट करने लगे और वही कम्मो के ब्लाउज का बोझ अब और बढ गया , आधी आधी कटोरी भर के दोनो जोबनो दोनो भाइयो से रस से लिभ्डाये हुए थे जिन्हे कम्मो ने ब्रा मे कस कर ब्लाउज बन्द कर दिया ।
तेरे फुफा मारे जोश मे आगे झुक कर कम्मो के होठ चुस लिये और देवर जी मुस्कुराने लगे ।
जोश खतम हुआ तो तीनो को लाज आने लगी थी मगर तेरे फूफा ने आगे का प्रोग्राम सेट कर दिया । कुछ देर बाद कम्मो के ही कमरे मे ,
दोपहर के खाने के बाद घर-रसोई का काम निपटा कर कम्मो थक चुकी थी , मगर वो जानती थी उपर कमरे मे बैठे दो भूखे शेर उसे नोच खाने को बेताब थे ।
हुआ भी वही कम्मो के कमरे मे आते ही देवर जी के कड़ी लगा दी और तेरे फूफा ने अपनी लूंगी खोल कर अपना खड़ा लन्ड लेकर उसके सामने
कम्मो - आह्ह रहने देते है ना ,आज काम से थक गयी हु
तभी देवर जी ने उसको पीछे से दबोचा और उसकी चुचिया मिजते हुए - अह्ह्ह मेरी जान अभी तेरी थकावट हम दुर कर देते है
कम्मो देवर जी के बाहों मे कसमसाने लगी और तेरे फुफा आगे आकर उसके ब्लाउज का हुक चटकाने लगे तो देवर जी एक हाथ से निचे से कम्मो की साडी खोलने लगे
वो - अरे ये क्या , ब्रा निकाल दी तुमने
कम्मो उनके मजबूत पंजे अपने चुचो पर मह्सूस कर - अह्ह्ह वो ज्यादा गिला था आज और खुजली हो रही थी अह्ह्ह ऊहह
इधर देवर जी ने उसके पेतिकोट का नाड़ा खिन्च कर उसे नाइस गिरा दिया और पैंटी के उपर से चुत मलने लगे , कम्मो दोहरे हमले से पागल होने लगी
तेरे फुफा ने उसके खुले ब्लाउज से झाकते नारियल जैसे चुचे हाथ मे गारते हुए मुह पर लगा कर चुसने लगे ।
कम्मो - आह्ह सीई ऊहह मेरे राज्ज्जाह्ह आह्ह
देवर जी उसकी पैंटी मे हाथ घुसा कर उसकी बजब्जाती बुर को टटोलती हुए - कौन है तुम्हारा राजा बोलो ना
कम्मो देवर जी के सवाल से मुस्कुराई तो देवर जी ने उसकी बुर मे उंगली घुसा कर अपना सवाल दुहराया - बोल ना मेरी जान कौन है तेरा राजाह्ह्ह उम्म्ंम्ं मै या भैया
कम्मो - आप मेरे राजह्ह्ह उह्ह्ह और ये मेरे जेठ जी अह्ह्ग अह्ह्ह ऊहह आराम से उह्ह्ह
तेरे फुफा कम्मो के मुह से जेठ जी सुन कर जोश ने आ गये - आह्ह कम्मो सच मे क्या बोला है तुने आह्ह मजा आ गया
देवर जी भी आगे से उसकी वुर मसलते हुए - तो कैसा लगा था सुहागरात पर अपने जेठ से सील तुड़वा कर मेरी रानी उम्म्ं बोल ना , देवर जी की बातें सुनकर कम्मो के साथ साथ तेरे फूफा भी भीतर से जोश से भर गये और
वो - आह्ह कम्मो दिखा दे ना कैसे उस रात चुसा था मेरा , कितनी जोशीली हो गयी थी तु मेरा लन्ड देख कर , लेह्ह चुस मेरी रान्ड उह्ह्ह
तेरे फुफा ने अपना मोटा तनमनाया गर्म आंच फेकता लन्ड उसके होठो पर परोस दिया और कम्मो बिना कुछ बोले उसको गपक गयी
फिर देवर जी ने अपने कपडे उतारे और लन्ड आगे किया
कम्मो दोनो का मुसल पक्ड कर बारि बारि से चुस रही थी
देवर - आह्ह भैया सच कहा क्म्मो भीतर से किसी रन्डी से कम नही , कितनी चुदासी हो गयि हौ
कम्मो दोनो के सुपाड़े अपने थूथ पर रगड़ने लगी और फिर से लन्ड घोंट लगी ।
वो - अह्ह्ह देख देख छोटे ऐसे ऊहह ऐसे ही ले रही थी बहिनचोद साली उह्ह्ह
इसपे देवर जी हस पडे ।
वो - क्या हुआ हस क्यूँ रहा है
देवर जी - हाहाहा भैया इसे गाली देने का मतल्ब , इसकी बहिन भी चोद चुके हो और आपकी साली तो ये पहले से है हाहाहा
कम्मो - आह्ह मेरे राजाआ मेरे हाथ दुख रहे है , अब और नही
देवर जी मुस्कुराये - क्यू चुत तो नही दुख रही तेरी उम्म्ं
कम्मो ने मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाया और तेरे फू फा ने कम्मो को उठा कर टांग लिया और बिस्तर पर लिटा कर उसके उपर चढ कर उसकी रसिली चुचिया मिजते मसलते चुसते हुए निचे से अपना लन्ड उसकी बुर मे चुभोते हुए अपना पुरा बदन उसके जिस्म पर घिसने लगे और वही देवर अपना मुसल पकड़ कर मसलते हुए अपने भैया और बीवी की रासलीला देखने लगे ।
कम्मो कसमसाती सिस्कती रही और देखते ही देखते तेरे फुफा ने देवर जी के सामने ही क्म्मो की बुर मे अपना लन्ड उतार दिया ।
क्म्मो - आह्ह जेठ जी ऊहह सीई पेलो मुझे उह्ह्ह
वो उसकी बुर मे लन्ड रगड़ते हुए - क्या बोली फिर बोल उम्म्ं क्या हु मै मेरा अह्ह्ह बोल ना
कम्मो मुस्कुरा कर - आह्ह आउउच्च ऊहह आप मेरे जेठ जीईई अह्ह्ह उम्म्ंम और चोदो मेरे राजा अह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही उह्ह्ह
कम्मो की जोशीली और कमोतेजक बातें सुन कर देवर जी की हालत और खराब होने लगी वो अपना मुसल लेकर कम्मो के पास पहुचे और कम्मो ने हाथ बढा कर उसे लपक लिया और उनकी ओर देखती हुई - देखो मेरे राजा अपनी रान्ड बीवी को उह्ह्ह ऐसे ही चोद रहे थे उस रात मुझे अह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह उम्म्ंम और कस के उह्ह्ह
देवर जी जोश ने उसके करीब गये और अपना मुसल उसके मुह मे ठूस दिया और हचर ह्चर उसके गले मे उतारने लगे - आह्ह ले मादरचोद आवारा साली उह्ह्ह ले चुस मेरा भी आज हम भाई तेरी फाड़ कर रख देंगे उह्ह्ह लेह्ह
कम्मो उनका लन्ड घोंटते हुए निचे से तेरे फुफा का मुसल निचोडने लगी
अदल बदली कर पोजीशन बदल बदल कर दोनो भाइयों ने अपने कामरस से कम्मो को खूब नहलाया और देर शाम को तेरे फूफा मेरे पास आये ।
मानो वो भाप गये कि मैने उनकी चोरी पकड ली हो और फिर उम्होने सारी बात बताई , जिसे सुनकर महवारी मे मेरी चुत सफेद पानी छोडने लगी ।
मगर मेरी हालत इतनी भी सही नही थी कि उनके साथ कुछ कर पाती , रात भर वो मेरे साथ रहे और अगले 2 रोज बाद कम्मो का महिना भी आ गया ।
दोनो भाइ सुपाडे मे माल भरे अगले 3 रोज की रात किसी । अगली सुबह मेरी छुट्टी खतम हुई थी समझो , मैने सोचा था कि आज भी दोनो को बहाने से तरसा ही दू मगर कमबख़्त देवर जी की नजर ना जाने कैसे मेरी पूजा की थाली पर पड़ गयी और मेरा राज खुल गया और वो तेरे फुफा से भी ब्ता दिये ।
उस दुपहर मै खाने पीने का देख कर खाली हुई कि तेरे फुफ़ा ने मुझे दबोच लिया और खिन्च कर मेरे कमरे मे ले गये और जल्दी जल्दी मेरी साडी उठाते हुए चुत पर मुह लगा दिया ।
मै भी 5 रोज बाद उनकी गर्म लपलपाती जीभ का स्पर्श पाकर पागल सी हो गयि और वो लगातार मेरी बुर चाटे जा रहे थे मेरी तेज सिसकी सुनकर ना जाने कहा से देवर जी आ टपके दरवाजे पर कड़ी लगाते हुए - अरे भैया सारा रस अकेले चाट जाओ क्या , थोदा मेरे लिये छोड़ दो
वो - अरे छोटे तु आ , तेरी भाभी की चुत मस्त फूली और निखरि हुई है आ चख
देवर जी ने मुझे लिटा कर मेरी बुर पर टुट गये उधर तेरे फुफा मेरी आंचल से मेरे जोबन उघाड़ कर उनपर झपट पड़े
दोनो भाइयो मेरे जिस्म को मसल कर ने मेरी कामाग्नी को कई गुना कर दिया था मै गाड़ पटक कर देवर जी के मुह पर झड रही थी और तेरे फुफा मेरे चुचियो को बारि बारि मसल मसल कर लाल किये जा रहे थे
मै भी बौखलाई और दोनो के मुसल पर टूट पड़ी
देवर- आह्ह भाभीईई उहह्ह ऐसे ही चुसो उम्म्ंम
मैने आन्के महिन कर उन्हे देखा तो तेरे फुफा हसते हुए बोले - अब देखा जाये तो तुम भाभी ही हो उसकी हिहिही अह्ह्ह सीई आराम से मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही ओह्ह्ह्ह
देवर - आह्ह भैया भाभी के होठ मक्खन जैसे है उम्म्ंमौर चुत की मलाई के क्या ही कहने उम्म्ं
वो - आह्ह भाई सच कहा ये दोनो बहने मजेदार चीज है उह्ह्ह उह शिलू मेरी जान आह्ह ऐसे ही उम्म्ं और लेह्ह ऊहह तेरे चुसाई से मेरा मुसल इन 3 रोज मे मुरझा सा गया था अह्ह्ह
देवर जी - आह्ह सच कहा भैया उम्म्ं अगर ऐसे ही इन दोनो की महीने के 5 5 रोज छुट्टी होती रही तो हमारा क्या होगा
मै तुनक कर - तो जाके अपनी बहनिया से चुस्वा लेना हुह्व हमारी ती कोई फिकर ही नही
वो हसते हुए मुझे पिछे से दबोच कर मेरे चुचे मसलने लगे - आह्ह मेरी जान नाराज ना हो , हे छोटे माफी मांग
देवर जी - जी सॉरी ना भाभी
वो डांट कर - ऐसे नही
देवर जी अचरज से अपने भैया को निहारकर उनका इशारा समझने लगे ।
वो - अरे भाई निचे बैठ कर माफी मांग
देवर जी मुस्कुराये और एक बार फिर मेरी सुस्ताती बुर मे हड़कम्प मचा दिया ।
मेरे पाव कापने लगे और उसपे से तेरे फुफा का खुन्चा मेरी मोटी गाड़ की सकरी दरारे अलग भेद रहा था , निप्प्ल तो मानो उनकी हथेली मे छील से जायेंगे और देवर जी भी कम नही , जीभ घुसा कर मेरी बुर का जायदा लेने लगे
मै - आह्ह मेरे राजाह्ह ऊहह अब और नही आह्ह देदो ना इसे ऊहह डालो ना
फिर तेरे फुफा ने मुझे झुकाया और देवर जी ने आगे पहल कर घोडी बनाते हुए मेरी नंगी बड़ी गान्ड को सहलाते हुए अपना मुसल मेरी बुर मे लगाया और हचाक से उतार दिया
मै -आह्ह देवर जी आराम से ऊहह ऊहह आप्का ज्यादा मोटा है उह्ह्ह सीई
वो आगे आकर मेरे मुह मे अपना मुसल परोस चुके थे
दोनो भाईयो ने पूरी रात मेरी चुत का बाजा बजाया और सुबह उठ कर देवर जी अपने कमरे मे गये ।
राज - अच्छा तो क्या फिर आप चारो एक साथ भी कभी किये थे
शिला - धत्त बदमाश कही का
राज - क्या बुआ बताओ ना सब बता के यहा तो मत रुको
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई राज की मा दरवाजे पर थी ।
शिला ने दरवाजा खोला - क्या खुसफुसाहट हो रही थी बुआ भतिजा में
शिला दरवाजा पुरा खोलकर रागिनी को कमरे मे आता देख एक नजर राज को देखा और बोली - बस वही बची कुची कहानी सुना रही थी अपने भतिजे को
रागिनी - हम्म्म तो यानी कि इसे भी पता चल ही गया आपके दो पतियों का राज हिहिहिही
राज - क्या मम्मी आपको पता था तो बताया नही मुझे
रागिनी हस्ती हुई - कुछ बातें समय आने पर ही खुलनी चाहिये क्यू दीदी
शिला - हा हा और क्या , अब देखो अगर अभी इसकी पैंट नही खोली हमने तो फाड़ कर बाहर आ जायेगा
शिला ने राज के तनमनाये मुसल की ओर इशारा किया
रागिनी आगे बढ़ कर राज के पैंट खोलती हुई - दिदी तुम कड़ी लगाओ , इसको मै बाहर निकालती हु
फिर राज की मा ने राज के पैंट खोल कर उसका मोटा मुसल बाहर निकाला , राज मे मिज रगड़ कर लाल कर रखा था ।
रागिनी - उफ्फ़ देखो कैसा लाल कर रखा है , कबसे रगड़ रहा था रे
राज - आह्ह मम्मी , बुआ की कहानी ऐसी थी आह्ह उम्मममं अह्ह कितना ठंडा लग रहा ऊहह म्ममीईई शीईईई अह्ह्ह उम्म्ं
शिला - तु सुन ही ऐसे लाग से रहा था मुझे सुनाने मे मजा आया , लाओ भाभी मुझे भी दो ना उम्म्ंम्म्ं सीईईइरुउउऊपपपपप आह्ह क्या गर्म लन्ड आपके बेटे का भौजी उह्ह्ह
रागिनी - आपके भैया का खुन है , दमदार तो होगा ही उम्म्ंम
राज - आह्ह मम्मी खोलो ना तुम दोनो आज दोनो की गाड़ एक साथ मारनी है मुझे
रागिनी - सच क्या लल्ला आजा ना
शिला भी मुस्कुरा कर राज के लन्ड को छोडते हुए खड़ी हुई और रागिनी ने अपनी साडी पेतिकोट कमर तक चढाई और घोदी बन कर बिस्तर पर
शिला ने भी अपनी लेगी पैंटी एक साथ उतार कर बिस्तर पर
दो बड़े बड़े मोटे मोटे चुतड़ राज के आगे हिल रहे थे , उनकी सकरी दरारो मे झांकती भूरि सुराख देख कर राज को रहा नही गया और उसने अपनी मा के दरारों मे मुह दे दिया । उसका दुसरा पन्जा शिला के मोटे भारी भरकम चुतड को मसल रहा था उन्हे नोच रहा था
रागिनी - आह्ह लल्ला नीद ने मुझे सुस्त कर रखा था आह्ह तेरे स्पर्श ने मुझमे ताजगी भर दी ऊहह लल्ला घुसा से आह्ह
राज अपनी मा के गाड़ से आ रही मादक कामुक गन्ध के हटकर धेर सारा थुक सुपाडे पर लगाता हुआ हाथ से रागिनी की बजबजाई बुर से लेकर उसके गाड़ पर मलने लगा
रागिनी अपनी कमर अकड़ती ऐठती गाड़ फैला रही थी और राज ने उसके चुतड मे लन्ड सेट कर हचाक से पेल दिया
रगिनी - आह्ह लल्ला ऊहह भर दिया रे ह्ह अब रुक मत
रागिनी तेजी से अपनी बुर मसल रही थी और राज शिला की गाड़ मे उंगली से खोद रहा था
रागिनी का एक साथ से कुल्हा थामे वो हचर ह्चर उसकी गाड मे पेल रहा था - ऊहह माआ सीई कितना मजा आ रहा है उफ्फ्फ कितनी कसी हुई गाड है उह्ह्ह
शिला - आह्ह लल्ला मेरा भी ख्याल कर , बीती बाते याद दिला कर मुझे पागल कर दिया है तुने आह्ह घुसा ना
राज ने रागिनी को चोदते हुए मुह से थुक लेके शिला के गाड़ पर लगाने लगा शिला -आह्ह लल्ला ऊहह अब मत तरसा आजा बेटा उह्ह्ह्ह
राज ने भी लन्ड बाहर निकालते हुए शिला के थुलथुले चुतड पर पन्जा मारा - आह्ह बुआ बताया नही तुमने
शिला सिस्क कर - आह्ह अब क्या नही ब्ताया
राज - वही कि तुम चारो कभी मिल कर किये हो
रागिनी - अरे पुछ इतने सालों मे किसी दिन नागा हुआ है हाहहजा
राज - है? सच मे फिर तो बुआ आपके मजे ही मजे है
शिला ने अपनी गाड़ की कसी सुराखो मे राज का मोटा मुसल मह्सुस कर - आह्ह लल्ला उफ्फ्फ कितना तप रहा है रे उह्ह्ह
रागिनी - अरे जब दो दो साड का मुसल लेके नही बोली तो अब मेरे लाडके के खूँटे से क्यू गला फाड़ रही हो दिदी
राज - आह्ह बुआ आपकी कसी गाड़ का राज मेरी समझ के परे है , इतनी चुदी हो फिर भी अह्ह्ह जी कर रहा है फचर फचर पेल कर इसको भर दू अह्ह्ह सीईई
रागिनी - आज रात तेरी बुआ की खास खातिरदारी करना पापा के साथ , इनकी चुत और गाड़ ऐसी सुजा के भेज्वाउन्गी की अह्ह्ह उह्ह्ह लल्ला उम्म्ं
राज ने छेद बदल के मा के गाड़ मे घूसेड दिया और पेलते हुए -हा बोलो ना मम्मी अह्ह्ह
रागिनी - आह्ह लल्ल्ला तु आह्ह ऊहह आराम से उम्म्ंम
शिला - रुकना मत , आह्ह फाड़ दे साली के गाड़ उम्म्ं
राज - आह्ह बुआ और मुझसे रहा भी नही जायेगा आह्ह आह्ह ममीईई आ रहा है ओह्ह्ह येस्स्स उम्म्ंम निकल रहा है
राज भलभल कर रागिनी की गाड़ मे झड रहा था और रागिनी की बुर भी रस छोड़ रही थी ,
आखिरी झटको के साथ राज पीछे हटा तो रागिनी के गाड से उसका गाढ़ा सफेद रस बाहर रिसरहा था , मौका पाकर शिला उसके गाड़ की मलाई चाटने लगी
रगिनी - आह्ह दीदी उह्ह्ह आपकी जीभ से मेरी बुर फिर से कुलबुला रही है आह्ह
शिला - कहो तो तुम्हारे नंदोई को बुआ दू , छोटा वाला एक बार मे ही चुत की खाज मिटा देगा
रागिनी - अरे उस साढ़ कम नंदोई से तुम दोनो बहिनिया ही खुजली मिटाओ मेरा लल्ला काफी है मेरे लिये हिहिही
राज हाफता हुआ - फिर बुआ आज रात का क्या प्रोग्राम है , मै तो थक गया हु उफ्फ्फ
शिला - अरे तु थका है भैया थोड़ी वो तो आज रात भी हम तीनो को कहा छोड़ने वाले हिहिहिही
रागिनी - उम्म्ं वैसे कल रात मजा भी आया था , उफ्फ्फ
शिला - मजा तो आज भी आयेगा ही भाभी हिहिही
फिर थोड़ी देर बाद सब कमरे से निकल गये , इन सब के बीच राज की अपनी योजना थी , कल रात भले निशा ने अनुज के साथ अपनी कामाग्नि बुझा ली हो मगर सुबह सुबह ही उसने राज को कोसा था । राज ने सोचा क्यू ना उसे रात मे सरप्राईज दिया जाये ।
चमनपुरा बाजार की सड़को पर आज बुढे जवाँ , औरतें बच्चे हर किसी नजर शालिनी की लचकदार कूल्हो पर जमी थी ,
जांघो पर चुस्त ऐसी कसी कि पैंटी की लाईन चूतड पर उभर आये । दोनो जबरज्स्ट चुतड़ उसकी शार्ट कुर्ती मे आधे ढके आधे खुले हिल्होरे खा रहे थे ।
उपर सर पर दुपट्टा कर आगे से अपने उन्नत और बिना ब्रा वाली जोबनो को छिपाती हुई सडक पर चल रही थी ।
राहुल और अरुण दोनो आज शालिनी की इस हरकत से खुद कामोत्तेजित हो रहे थे जिस तरह से बजार के लोग घुर घुर के शालिनी के छ्लकते मोटे थन जैसे दूध और उसकी मतकति गाड़ निहार रहे थे ।
दोनो के लन्ड बेकाबू हो रहे थे उसमे ज्यादा बेकाबू तो अरुण था
बीते 15 मिंट पहले का उसका आधा अधूरा मजा उसे झलकियों के रूप मे उसके जहन मे घुम रहा था ,
शालिनी कुछ देर के लिए राशन की दुकान पर चढ़ी और कुर्ती से झांकती उसकी मांसल जान्घे और गोल चुतड देख कर वो उस कामुक दृश्य मे डूब सा गया जब शालिनी ने उसे कमरे मे बुलाया था
कुछ देर पहले ....
हा मामी , बोलो ।
शालिनी बड़ी कातिल अदा से इठलाती हुई - अह मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहन के बाजार जाऊ इसीलिए तुम्हे बुलाया ।
अरुण के निगाहे शालिनी के कसे हुए जोबन पर थी जिसके निप्स उभरे हुए टाइट थे एकदम ।
अरुण एक पल को अपनी मामी के जिस्म के उभार कटाव को कसी हुई चूड़ीदार सलवार और सीने पर चुस्त सूट मे सोच कर ही भीतर से सिहर उथा उसका लन्ड एकदम टाइट - आह्ह मामी आपको सूट ट्राई करना चाहिए वैसे
शालिनी - उम्म्ं निशा के सूट मुझे हो जाते है , देखती हु कोई मिल जाये , आना इधर देखना तो
ये बोल कर शालिनी आलमारी खोल कर आगे झुक कर कपडे उलटने लगी और नाइटी मे उसकी बड़ी गोल म्टोल गाड़ फैल कर अरुण के आगे ।
मामी के आकार लेते चुतड को देख कर अरुण का मुसल भी फुलने लगा , हथ बढा कर वो अपना लन्ड़ भींचने लगा ।
शालिनी जानबूझ पर अरुण के जजबातों से खेल रही थी और अरुण अब उसकी हिलती गाड़ देख कर अपने लोवर मे हाथ घुसा कर लन्ड को मीजने लगा । तभी आलमारी से कुछ कपड़ो के साथ कासमेटिक आईटेम भी फर्श से गिरने लगते है ।
शालिनी - अह बेटा जरा उठा कर देना तो
और जैसे ही अरुण फर्श पर बैठ कर समान बटोरने लगा तो मौका पाकर शालिनी झट से आधी नाइटी घुटने से उपर तक खिन्च ली और उसकी आधी जान्घे पीछे से नन्गी दिखने लगी
जैसे अरुण ने नजरे उपर की शालिनी के बडे बड़े चुतड़ ने नाइटी उठा कर उसके रसिले लम्बे फाके नजर आने लगे ।
जिसे देख कर अरुण सुध बुद खो बैठा , उसके सुपाड़े मे जबरज्स्ट खुजली होने लगी , शालिनी के जिस्म से उठती मादक गंध उसे और भी पागल करने लगी,वो नशे मे उसकी ओर झुकने लगा शालिनी अरुण के नथुने अपने नंगे चुतड़ की ओर बढ़ देख हल्की सी और अपनी नाइटी खिंच दी , जिससे उसके चुतड पूरे नंगे हो गये
बौखलाया अरुण अपनी मामी की नंगे कुल्हे जान्घे सहलाने लगा -आह्ह मामीईई कितनी सेक्सी हो आप उम्म्ंमममं अह्ह्ह्ह
शालिनी अरुण की बेचैनी और उसके जोशीली स्पर्श से भीतर से हिल गयी , अरुण के नथुने उसके गाड़ के दरारो ने घुसे हुए थे और वो उसके चुतड फैला कर उन्हे सुँघ रहा था , शालिनी भी जोश मे अपने चुतड अरुण के चेहरे पर मलने लगी - आह्ह बेटा उम्म्ंम्ं लेह्ह चाट ले आह्ह यही देख कर ही तेरा खड़ा रह रहा है ना उम्म्ंम
अरुण शालिनी के नरम चुतड फैला कर दाँत लगाता है - हा मामी पागल हो गया हु इन्हे देख कर मन कर रहा है आमम्म उफ्फ्फ कितनी नरम गाड़ है आपकी मामी उम्म्ंम
शालिनी उसके सर को पकड़ कर अपने चुतड के दरारो मे दरने लगी - आह्ह बाबू चाट और चाट ऊहह देख तेरा जोश देख कर मेरी बुर बह रही है
अरुण भी मामी की टाँगे फैला कर उसकी बुर मे नीचले छोर पर जीभ लपल्पाने लगा और गरदन लफा कत भीतर 2 इंच जीभ घुसा दी , शालिनी की बुर बिलबिला उठी और अरुण उसकी मलाई चुतड के छेद तक जीभ से फैलाता हुआ चाटने लगा - आह्ह मामी बड़ा नमकीन पानी है आपका उह्ह्ह और गाड़ पर लगा कर चाटने का मजा भी अलग है उम्म्ंम सीईई आह्ह
शालिनी की इस तरह से तारिफ किसी ने नही की थी वो और भी कामोत्तेजक होकर उसके सर को अपनी जांघो और चुतड़ मे दरती रही अगली बारी झडने तक , इस बार अरुण ने उसकी जान्घे उठा कर उसकी बुर को अच्छे से साफ किया और खड़ा हुआ
उसका मुसल पुरा फनफनाया हुआ था लोवर मे जिसे शालीनी ने हाथ बढा कर लपक लिया आगे की ओर उसका लन्ड लोवर के उपर से खिन्चने लगी ।
अरुण आंखे बन्द कर मामी का स्पर्श पाकर मस्ती मे हवा मे उठने लगा , उसकी एडिया अकड़ने लगी आंखे उलटने लगी मानो मामी लोवर के उपर से ही अभी उस्का सारा जोश बहा के जायेंगी - आह्ह मामीईई कुछ करो ना ऊहह उम्म्ंम
शालीनी उसके लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गर्म कडक लन्ड का अह्सास कर भीतर से सिहर उठती है और अरुण के चेहरे के जोशीली भाव पढते हुए अन्दर ही हिलाने लगती है ,
अरुण - आह्ह मामी ऊहह और और ऊहह आयेगा आयेगा उम्म्ंम उह्ह्ह निकल जायेगा उम्म्ं
शालिनी तेजी से उसके लोवर मे हाथ डाल कर हिला रही थी
मगर तभी हाल मे राहुल की आवाज आती है और दोनो सजग हो जाते है , उस वक़्त तक अरुण का लन्ड लोवर मे भी अपना फब्बारा फोड चुका था ।
अरुण - आह्ह मामी देखो अन्दर ही निकल गया अब क्या ?
शालिनी मुस्कुरा कर उसके गाल काटती हुई - मेरी जान अभी तुने अपनी मामी का जल्वा देखा कहा है, तु बाहर जा मै तैयार होकर आती हु फिर देख कैसे दुबारा टाइट होता है ये हिहिहिह
इधर अरुण मुस्कुरा कर नाइटी के उपर से अपनी मामी की चुचिया मसल कर उसके गाल चूमकर झट से कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी राहुल की नजर उसपर गयी और वो उसे शालिनी के कमरे की ओर आता देख चुका था ।
वो लपक कर उसके पास पहुचा - अबे कहा से , उधर कहा गया था
राहुल का साफ साफ इशारा उसकी मा के कमरे की ओर था जिस पर अरुण बस बेशर्म भरी हसी से दाँत दिखा रहा और उसका एक हाथ अभी लोवर के उस हिस्से को पकड़े हुए था जहा से उसका लोवर लन्ड ने गीला कर रखा था ।
राहुल ने उसका हाथ झटक कर लोवर मे गिले हिस्से को देखकर भौचक्का होकर - क्या कर रहा था भाई
अरुण खिखी करता हुआ - वो मामी कपडे बदल रही थी तो देख कर रहा नही गया और हिहिहिही
उसकी बातें सुनकार राहुल का लन्ड टाइट हो गया और आंखे फ़ाड वो अरुण से - तो क्या तुने मा को पूरी नंगी देखा
अरुण - आह्ह हा भाई , क्या सेक्सी माल है मामी उनके नरम नरम चुतड़ उफ्फ्फ कैसे थिरक रहे थे आह्ह रहा नही गया मुझसे तो उफ्फ़
राहुल हसता हुआ - साले हरामी तु तो मुझसे भी तेज निकला हाहाहा
अरुण - भाई अब तो बाथरूम जाने दे , कपडे बदल कर बाजार भी चलना है ना
राहुल - तु भी चलेगा
"अरे भाई चल हो गया " , राहुल ने उसे झकझोरा तो दुकान की कुर्सी से उठ कर अरुण होश मे आया और देखा मामी उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रही थी ।
राहुल - कहा खोया रह रहा है तु
अरुण एक नजर अपनी मामी को देख कर - नही कही नही ,चल चलते है
शालिनी उसको देख कर बस मुस्कुरा कर आगे बढ गयी ।
राहुल उस्के जाते ही - बहिनचोद कबसे तु मा के चुतड ही घुर रहा था एकटक, साले क्या हो गया हौ तुझे
अरुण - भाई मुझे मामी की गाड फिर से चाटनी है
राहुल -फिर से
अरुण खुद को सतर्क करता हुआ - अरे फिर से नही सिर से , वो छोर होता है जहा से शुरु होती है कमर के पास वो
राहुल - अच्छा वो
अरुण - आह्ह हा भाई ,देख ना मामी क्या सेक्सी लूक दे रही है , बहिनचोद सबकी नजर उनके रसिले चुतड़ पर अटकी है सीईई
राहुल - हा भाई , पता नही आज मम्मी को क्या सुझा कि वो निशा की ड्रेस पहन कर बाजार निकल गयी , पहले तो कभी नही किया ।
अरुण - उफ्फ़ तभी तो इतनी कसी और चुस्त है ।
इधर ये दोनो शालिनी के मटकते चुतडो के पीछे चलते हुए वाबरे हो रहे थे वही दूसरी ओर जन्गीलाल की अपनी अलग बेचैनी थी ।
शालिनी कभी इस तरह से बाजार नही गयी थी जिसकी वजह से जंगीलाल के लिए चिंता का विषय हो गयी थी ।
उसे कुछ सूझ नही रहा था और जैसे ही ग्राहक हटे वो तुरंत अपने भैया रन्गीलाल को फोन घुमा दिया ।
फोन पर ...
रंगी - हा भाई बोलो क्या बात है ?
जंगी - भैया वो निशा की मा !
रन्गी - हा क्या हुआ उसे ?
जन्गी - अरे पता नही आज उसे क्या सुझी है जो कुर्ती लेगी मे बजार निकल गयी है ।
रंगी - हा इसमे क्या दिक्कत है वो तो पहले भी सूट नुमा कपडे पहनती है ना ?
जन्गी - अह भैया कैसे सम्झाऊ मै , आप खुद देख लो वो अभी आपके दुकान की ओर ही सब्जी मंडी के पास होगी , देख कर फोन करो ।
फोन कट हो गया ।
इधर रंगी की बेचैनी भी बढ़ गयी और वो दुकान के नौकर को बिठा कर सब्जी मंडी की ओर बढ़ गया ।
घूमते फिरते , इधर उधर भीड मे गरदन एडिया उठा कर नजर घुमाया मगर वो नजर नही आई और फिर वो 10 मिंट के बाद एक पान की दुकान पर पहुंचा और पान लगवाने लगा कि तभी उसकी नजर सड़क उस पार आंटा चक्की वाले दुकान पर गयी , जहा एक औरत दुकान से तेल की बोतल लेकर झोले मे डाल कर दो लड़कों से बात कर रही थी ।
रंगी एक नजर मे उसे पहचान गया और सडक पर उतरते ही उसकी नजर शालिनी की गुदाज रसिली जांघो पर गयी जिसकी चुस्त लेगी मे उसके पैंटी की शेप साफ साफ झलक रही थि ।
जैसे ही शालिनी आगे घर की ओर बढी रंगीलाल उसके आधे ढके थिरकते चुतड देख कर पागल गया , उसका लन्ड भरे बजार बगावत और उतरा , उसपे से जरदा वाला पान उसकी कामोत्तेजना और बढा रहा था ।
फटाफट उसने पान उगलना उचित सम्झा और जंगी को फोन घुमा दिया ।
फोन पर जन्गी बेचैनी से - हा भैया दिखी क्या वो ?
रंगी - हम्म दिखी अभी वो चक्की वाले के यहा
जन्गी - देखा ना भैया कैसे उसकी मनमानियां बढ़ रही है , क्या सोचेंगे मुहल्ले के लोग मेरे बारे मे ।
रंगी - ओहो तु तो सोचता बहुत है , अरे कौन सा अकेली घूम रही थी और कपडे इतने भी बुरे नही थे , हा बस थोड़े छोटे थे बस दो चार इंच की बात थी । मुझे नही लगता कि ये उसके कपडे होगे ।
जन्गी - नही भैया ये तो निशा के थे
रन्गी - ले बोल , भाई तुझे जब पता है कि उसे ऐसे सूट और आरामदायक कपडे पसन्द है तो लाकर देता क्यू नही, जब नही रहेगा कुछ तो वही पहनेगी ना
जन्गी को भी रन्गी की बात सही लगी
रंगी - फाल्तू का टेन्सन ना ले , उससे दिल खोल कर बातें कर , तुने भरम पाल लिया है वो निकाल अपने मन से ।
जंगी - जी भैया
इधर ये तीनो बाजार से घर की ओर वापस आने लगे तो मार्केट मे भीड़ ज्यादा होने की वजह से शालिनी ने मेन मार्केट से ना जाकर गली बदल दी और सब्बो के मुहल्ले से होकर घर के लिए सड़क पकड़ी ।
शालिनी का लगभाग ये हर बार बाजार से आते वक़्त का रूट हुआ करता था जब भी उसका झोला भारी हो जाता वो बाजार से हट कर इस शान्त गलियों से होकर घर के लिए जाती ।
इधर दोनो भाई भी समान लिये तेजी से चल रहे थे कि अचानक से अरुण के बढते कदम धीमे हुए और उसकी नजरे बगल की पतली गली से उसके सामने निकलती हुई महिला पर गयी जिसके भडकिले मोटे मोटे भारी चुतड की थिरकन देख कर अरुण की सासे अटक सी गयी ।
इतने बड़े और बुलंद चुतड आज तक उसने नही देखे थे , और उनकी थिरकन उसके लन्ड फडका रही थी ।
इधर अरुण आंखे फाडे उस महिला की गाड़ निहार रहा था कि तभी शालिनी ने उस महिला को आवाज दी - अरे सब्बो की अम्मा रुकना ।
अरुण और राहुल दोनो रुक गये और शालिनी को तेजी से उस औरत के करीब जाता देख रहे थे कि अरुण से कुछ कदम आगे जाकर शालिनी एकदम से आगे की ओर झुकी कुछ उठाने के लिए और शार्ट कुर्ती उपर उठी जिससे उसके चुस्त लेगी मे कसे हुए मोटे मोटे गोल मटोल गुदाज चुतड साफ साफ नजर आने लगे ।
दोनो भाई बिच सडक पर शालिनी का ये नजारा देख कर हैरान हो गये और तभी शालिनी उठी और एक नोट उठा कर उस औरत को दिया ।
उस औरत ने शालिनी का धन्यवाद किया ।
अरुण राहुल से फुसफुसाया - ये तहलका कौन है भाई
राहुल हस कर - ये सब्बो की अम्मी है रुबीना
अरुण - तो अब ये सब्बो कौन है ?
राहुल हसने लगा - भाई ये दोनो मा बेटी रन्डीयां है , पैसे लेकर चुदाई करती है ।
अरुन - बहिनचोद तभी इसके चुतड इतने बड़े है ऊहह पुरा खड़ा हो गया , इसके लिए तो भाई घोड़े का लगेगा हिहिहिही
राहुल - जो भी लगे अपने को क्या ,
अरुण हस कर शालिनी की ओर इशारा कर - हा और क्या अपना माल वो है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ - साले हिहिहिही
अरुन- भाई आज भाई घाट की ओर चले क्या समान रख कर
राहुल - हा चल वैसे भी क्या ही काम है ।
अरुन - हा यार घूमना जरुरी भी है
राहुल - तेरा घूमना सब समझ रहा हु साले
फिर दोनो घर पर समान रख कर नदी की ओर निकल गये ।
इधर शाम ढल रही थी और अनुज दुकान पर खाली बैठा था , उस्के हाथ मे रिन्की की छोड़ी हुई पैंटी थी जिन्हे वो अपने हथेली मे मसल कर रिन्की की मुलायम बुर की कल्पना मे अपना लन्ड भी सहला रहा था ।
उसने घड़ी देखी और आज समय से पहले ही दुकान बढाने लगा इस आश मे कि शायद अमन के घर से होकर जाते हुए उसे रिन्की दिख जाये ।
अनुज फटाफट से दुकान बन्द कर निकल गया , मगर उसकी किस्मत इतनी अच्छी नही थी कि वो रिन्की को देख पाये ।
मायूस मुह लेकर वो आगे अपने घर की ओर बढ़ गया ।
घर का दरवाजा अनुज उदास मुह से खटखटाया और रागिनी ने दरवाजा खोला तो अनुज का उतरा मुह देख कर बड़ी फिकर मे उसके गाल सहलाने लगी - क्या हुआ मेरा बच्चा , ऐसे क्यू उदास है तु
अनुज उदास के साथ साथ थका भी था तो अपनी मा के छातियो मे खडे खड़े लुढकने लगा , रागिनी हसते हुए उसको सम्भालने लगी - धत्त , सीधा खड़ा हो ना , मै गिर जाउंगी
अनुज को अपनी मा के मुलायम चुचो की नरमी मे गजब सा सुकून मिल रहा था वो बच्चो जैसे जिद दिखा कर - मम्मा गोदी लो ना , थक गया हु बहुत ऊहह
रागिनी उसके चेहरे को प्यार से दुलारती हुई हसने लगी - खंबे जैसा हो गया है कैसे उठाऊ तुझे , चल अन्दर बदमाश कही का ।
रागिनी उसको हाल मे लेकर आई ।
रागिनी एक ग्लास पानी लाकर उसे देती है - ले पानी पी ले और अगर मन हो तो बुआ के कमरे मे आराम कर ले । खाना बन जायेगा तो मै जगा दूँगी
बुआ का नाम आते ही अनुज के सुस्त हुए जज्बात एकदम से फुरत हो गये और पानी गटक कर वो गेस्ट मे चला गया ।
दरवाजा खोलते ही उसकी नजर सामने करवट लेकर लेटी शिला बुआ पर गयी ,
जिन्की कूल्हो से कुर्ती सरकी हुई और लेगी मे उनकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ साफ साफ दिख रही थी ।
जिसे देख कर अनुज का मुसल पल भर मे टनटना गया और धीरे से उसने दरवाजा बन्द कर चुपचाप बुआ के करीब गया । धीरे से बिस्तर पर लेट कर करवट होकर मुह अपनी बुआ की ओर कर दिया ।
उस्की नजरे अभी शिला की बड़ी मोटी फूली हुई गाड पर अटकी थी , उसका मुसल एकदम कसा टाइट था ।
सुबह के अनुभव और भैया से मिली हिम्मत से उसने जिगरा दिखाया और हौले से अपने कापते हुए हाथ शिला के उठे हुए कुल्हे पर रख दिया ।
क्या नरम नरम गुलगुले से अनुभव हुए अनुज को , उसका लन्ड और कसने लगा जैसे जैसे उसके हाथ अपनी बुआ के चुतड़ पर रेंगने लगे
। बुआ के नरम नरम चुतड़ का अह्सास अनुज को भीतर से कामोत्तेजक किये जा रहा था , उसका लन्ड लोवर मे तम्बू बना कर अकड़ रहा था ।
उसके हाथ सरकते हुए बुआ के पेड़ू तक गये और शिला के जिस्म मे हल्की सी कुन्मुनाहट हुई ।
अनुज के हाथ जहा थे वही रुक गये कुछ सेकेंड तक उसकी सासे धौकनी की तरह धक धक होती रही फिर डर का साया मन से हल्का हल्का छटने लगा ।
अनुज ने एक बार फिर पहल शुरु की और उसकी उंगलिया अब शिला के चुत के ढलानो की ओर सरकने लगी , जिससे एक बार फिर शिला के जांघो मे चुनचुनाहट सी हुई और इस बार उसके अनुज का हाथ पक्ड कर उपर खिंच लिया - उम्म्ंम्ह्ह्ह अच्छे से सो ना लल्ला ।
एक पल को अनुज की फट कर चार हो गयी कि बुआ को कैसे पता। मगर तभी उंगलिया को शिला के नरम नरम चुचियो का स्पर्श मिला और शिला अपने कुल्हे अनुज की ओर खीसकाती हुई उसके हाथ को अपने नरम नरम दूध पर रखती हुई - यहा पकड कर सो जा और परेशान ना कर मुझे ।
अनुज को यकीन नही हो रहा था कि ये सब उसके साथ हो रहा था , अब तो उसके बुआ की बड़ी सी गाड़ उसके लोवर मे बने बड़े से तम्बू के एकदम करीब थी , अनुज ने हल्का सा अपना कमर आगे किया और सुपाड़े की नुकीली टिप लोवर के निचे से शिला के नरम गाड़ मे इंच भर धंस गयी ।
इस नये कामोतेजि अनुभव से अनुज की सासे और तेज हो गयी ।
सुपाड़े पर एक अलग ही खुजली उठी रही थी , पुरे लन्ड मे गजब का जोश उठ रहा था और उसके पंजे शिला के चुचे को हाथ मे भर चुके थे ।
शिला भी हल्की नीद मे बस कुनमुना रही थी और अनुज के सुपाड़े की रगड़ उसके चुतड़ मे चुनचुनाहट पैदा कर उसके आराम मे खलल कर रही थी ।
इधर अनुज की हिम्मत बढ रही थी कि बुआ तो कुछ बोल नही रही तो फाय्दा ले और उसने अपना लोवर निचे कर अपना तना हुआ मोटा कडक भाले सा नुकीला सीधा लन्ड बाहर निकाला और हौले से शिला की गाड़ की दरारो मे चुबो दिया ।
बहुत थोड़ी हरकत हुई शिला के देह मे मगर इस बार उसने कुछ नही कहा तो अनुज की हिम्मत बढी और उसने अपने गाड़ के पाटे टाइट कर अपने लन्ड को आगे ठेलते हुए शिला की गाड़ मे धकेलने लगा ।
अनुज के जिस्म से अब कामुकता की आंच उठने लगी थी , चेहरे पर खुमारी दिख रही थी , बुआ के नरम चुतड के दरारो मे लेगी के उपर से लण्ड घोप कर उसे जन्नत का मजा मिल रहा था और उसके मुह से सिसकियाँ उठने लगी थी , फुलते नथुने बजने लगे - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त उम्म्ंम
तभी शिला - उम्म्ंम क्या कर रहा है राज ऊहह बस कर ना बेटू
अनुज के अब कान खड़े हो गये और उस्का माथा ठनका और अब थोडा बहुत खेल समझ आने लगा उसने जितना अपने भैया को आंका था वो उस्से कही आगे की चीज है , उसे यकिनन अब भीतर से मह्सूस होने लगा था कि उसका भैया बुआ की गाड़ चोद चुका होगा और उस ख्याल ने अनुज के लन्ड जोश का सागर भर दिया था , उसकी कामोत्तेजना चरम पर आ पहुची उसका लन्ड अब बेकाबू होने लगा था और वो घुटने बल आकर बुआ के गाड पर लन्ड घिसने लगा - अह्ह्ह बुआआ उह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड है
गर्म कामोतेजक गुर्राती सिस्कियों के बीच बुदबुदाहट सी आवाज आ रही थी अनुज के मुह से और तभी उसकी नसे फड़फड़ाने लगी ।
मुठ्ठियो मे जोर से भिच कर आंखे मुंद कर अनुज का सुपाडा फूट पड़ा और अनुज तेजी से अपना लन्ड बुआ के चुतड़ पर ही झाडने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं व्ह्ह्ह
शिला के कानो मे गुर्राती सिसकियों मे अनुज की आवाज आई और अपने चुतड़ पर गर्म चिपचिपाहट का अह्सास होते ही शिला चौक कर गरदन घुमा कर देखी - अनुज तु!!!
अनुज का जोश अगले ही फुरर हो गया , फनफनाता आग उगलता लन्ड हाथ मे आधा होने लगा ।
शिला अपने लेगी के उपर से चुतड़ पर गिरे उसे वीर्य को हथेली से पोछती हुई - ये क्या कर रहा था तु कमीने मेरे उपर । शर्म नही आई अपने मा समान बुआ के उपर ये सब गिराते हुए
अनुज डरा हुआ था उसकी फ़टी हुई थी जिस तरह से शिला भड़की हुई नजर आ रही थी , उसकी तेज आवाज से अनुज को डर था कि कही कोई बाहर से ना जाये ।
अनुज - आह्ह सो सॉरी सॉरी बुआ , वो मुझसे जोश जोश मे रहा नही गया , मै आपके ये बड़े बड़े चुतड देख कर परेशान हो गया था और फिर आपने राज भैया का नाम लिया तो मुझे ना जाने क्या हो गया और जोश मे आकर आपके उपर ही निकाल दिया ।
राज का नाम आते ही शिला की भी आवाज एकदम से शान्त हो गयी - मुझे लगा कि तु राज ही है इसीलिए मैने रोक नही ,
अनुज - तो क्या मेरी जगह राज भैया होते तो उनको नही डांटती क्या ?
शिला - अरे मेरा मतलब वो नही था , मैने सोचा कि
अनुज - हा हा , मुझसे कोई प्यार क्यू करेगा । सबका लाडला राज भैया ही है । मै तो छिप सा जाता उन्के आगे ना आपको भी वही प्यारे है ।
शिला अनुज को रुवास देख कर उसको अपने पास बिठाती हुई - अरे नही मेरे लाल , तुम दोनो मेरे लिए एक जैसे हो वो तो राज हर बार मुझे ऐसे तंग किया करता है पीछे से चिपक कर तो मुझे लगा वही होगा । मुझे नही पता था तु भी इतना शरारती है हिहिही बदमाश कही का ।
अनुज शिला के सीने से चिपका हुआ मुस्कुरा रहा था - एक बात पूछू बुआ ।
शिला - हा बेटा बोल ना
अनुज - तो क्या राज भैया भी ऐसे आपके पिछवाड़े पर निकालते है ।
शिला मुस्कुरा कर - तु दोनो भाई बातें उगलवाने मे किसी से कम नही हो हिहिहिही ,
अनुज - बताओ ना बुआ प्लीज
शिला - हा भाई कभी कभी जोश जोश मे वो भी ऐसे ही मेरे कपडे भीगा देता था ।
अनुज थुक गटक कर - आपका मन नही हुआ बुआ कभी ...।
शिला उठ कर खड़ी हुई और कुर्ती निचे कर अपने चुतड ढकती हुई - कैसा मन मै समझी नही बेटा ।
अनुज भी खड़ा होकर हिचकता हिम्मत करता हुआ - कि कभी कपडो के निचे से मतलब पीछे से नंगी होकर गिरवा लू ।
शिला लाज से हस्ती हुई - धत्त बदमाश कही का , तु तो राज से भी ज्यादा शैतान है रे हिहिही
अनुज - बुआ सुनो ना
शिला अपने आलमारी से कपडे निकालने लगी - ह्म्म्ं बोल ना
अनुज का मुसल एक बार फिर से तन चुका था और अप्ना मुसल मसलते हुए शिला के पीछे खड़े होकर उसके मुलायम गाड को कुर्ती के उपर से सहलाता हुआ - बुआ मेरा मन करता है कि पीछे खोल कर गिराऊ
शिला चहकी और घूमती हुई हस कर - क्या बोल रहा है तु , हट पागल कही का ।
अनुज - बुआ प्लीज ना मान जाओ , आपकी गाड़ देख कर मुझसे रहा नही जाता । मन करता है बस हिला हिला कर उसको भर दू सफेद सफेद पुरा ।
अनुज की बातें सुन कर शिला के जिस्म भीतर से गिनगिना गया , उसकी बुर मचल उठी - तु चुप करेगा अब , मै नहाने जा रही हूँ ।
अनुज - बुआ प्लीज ना
शिला - नही कहा ना एक बार हट जाने दे मुझे
फिर शिला निकल गयी बाहर और अनुज भी बाहर हाल मे आया । अभी अनुज हाल मे दाखिल हो रहा था कि रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए घुस रही शिला को रज्जो के दरवाजे के बाहर ही जकड़ लिया - ऊहु शिला रानी कहा चली
शिला को पता था कि पीछे अनुज हाल मे आ गया है तो थोडा रज्जो के सामने झिझक रही थी - नहाने जा रही हु भाभी ,
रज्जो उसके मखमाली मोटे चुतड़ को सहलाती हुई - थोड़ी देर रुक जाती तो आपके भैया आपके पीछे साबुन लगा देते , आते होगे वो भी दुकान से।
शिला लजाती हुई हस कर - धत्त चुप करो , अनुज हाल मे ही है और वो छोटा नही रहा अब हिहिही
रज्जो ने एक नजर कनअखियो से हाल मे अनुज को बैठे हुए देखा और उसके लोवर मे उठे हुए तम्बू को निहार कर - क्या दिखा दिया बेचारे को तुमने जो बौराया घूम रहा है
शिला - धत्त भाभी तुम भी ना , अरे इधर आओ बताती हूँ ।
शिला उसको कमरे मे खिंच ले गयी ।
रज्जो - अरे क्या हुआ
शिला - ये अनुज भी कम नही है राज से , आज सुबह थोड़ी खुल कर क्या बात कर ली अभी शाम को मुझे सोते हुए दबोच लिया इसने और उसका वो बौराया सांढ़ मेरी खोली मे घुसने लगा था ।
रज्जो ताजुब से - हैं सच मे , वैसे क्या साइज़ होगी इसकी
शिला आंखे उठा कर - क्यू तुम्हे चाहिये क्या ?
रज्जो - अरे जवाँ कसे लन्ड की बात ही अलग है दीदी और अनुज के उम्र के लड़के का मजा इस्स्स्स
शिला हसती हुई - ऊहह तड़प तो देखो हिहिही तो आज रात राज की जगह इसे ही बुला लेते है , क्योकि राज तो आज आराम करने के मूड मे है ।
रज्जो - हा बताया उसने कैसे तुम और छोटी ने मिल कर निचोड़ा उसे हिहिहीही
शिला - अरे उसको छोड़ो और इस अनुज का सोचो आज रात के लिए क्या ख्याल है उम्म्ं
रज्जो - क्या ? नही नही , अरे रागिनी बिगड़ जायेगी वो तो उसकी नजर मे अभी बच्चा है भूल से जिक्र ना करना
शिला - ओह्ह ऐसा क्या , मगर वो तो अपनी धार तेज करता फिर रहा है आज कल हिहिही
रज्जो हसती हुई - तो फडवा लो चुपके से , बच्चे का मन भी बहाल जायेगा
शिला - धत्त क्या तुम भी भाभी
रज्जो - अरे चुपके चुपके मजे लेने मे क्या बुराई है हिहिही मै तो चली उसका खुन्टा टटोलने हिहिहिही
और रज्जो मुस्कुराती हुई हाल मे आई ।
अनुज की नजर अभी किचन मे काम कर रही रागिनी के कूल्हो पर जमी थी और रह रह के उस्के जहन मे ख्याल आ रहे थे कि क्या कभी वो अपनी मा को चोद पायेगा ।
उसके लिए उसकी मा दुनिया से अलग हट कर वो मनपसंद आईक्रीम के जैसे थी जिसे वो बड़े आराम से फुरसत से स्वाद ले ले कर खाना पसंद करता और यही कारण था कि हर जब कभी भी अनुज के दिल मे अपनी मा के लिए खलबली होती तो उसके साथ घर के बाकी नाते रिश्तेदारों की छवियां भी आती , उसकी मामी बुआ दीदी चाची ।
इतनी सारी चुतों को भी साथ हासिल करने की तलब उसमे उठने लगती और जहा चीजे आसान मालूम होती उधर वो भटक जाता ।
कभी कभी उसे शिला बुआ की ओर खुद से पहल कर अपनी किसमत आजमानी पडती तो कभी शालिनी चाची के जैसे किसमत खुद से मेहरबान हो जाती ।
खैर अनुज का जीवन के महज शुरुवाति दौर है , आने वाले समय मे सिखने को उसके पास बहुत कुछ सबक बाकी है
फिलहाल रज्जो अपनी तिरिया चारित्र की किताब से कुछ शब्द लेके जा रही है ।
देखते है आगे क्या होता है ।