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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 172 ( C )
लेखक की जुबानी
एक ओर जहा निचे का माहौल इतना गर्म हो चुका था वही उपर सोनल के कमरे मे भी माहौल कम कामुक नही था ।
सोनल और अमन की दोपहर की अधूरी नानवेज चैट इतनी रात तक जारी थी ।
बेचैन अमन ने अपने मुसल को हिलाने का विडियो बना कर भेजा था जिसे देख कर सोनल और निशा की हालत और भी खराब हो रही थी दोनो की पनीयाई चुत ने अब उनकी जांघो मे बीच खुजली बढाने लगी थी ।
सोनल से चिपकी हुई निशा ने अपनी भारि सासो से सोनल के हाथ के मोबाइल मे चल रहे वीडियो को देख रही थी जिसमे अमन अपना 9 इंच का कैन जैसा मोटा लण्ड का सुपाडा खोलकर हिलाते हुए दिखा रहा था ।
दोनो बहने की गले की खुस्की बढने लगी और निशा ने कामुकतावश हाथ बढा कर सीधे सोनल की पनीयाई चुत को शोट्स के उपर से छूने लगी
सोनल निशा के मादक स्पर्श से आंखे बन्द कर सिहर उठी और अपने होठ भींच्ते हुए सिसकी - उह्ह्ह निशा क्या कर रही है उम्म्ं
निशा उसके कानो के पास जाकर मादक आवाज मे - देख ना कितना तगडा लण्ड है उह्ह्ह मन कर खा ही जाऊ , कैसे तू लेगी इसको अपनी इस नाजुक चुत मे उह्ह्ह्ह
सोनल एक ठंडीआह भरते हुए मुस्कुराई - उह्ह्ह मै ले लूंगी ना तु क्यू परेशान है उम्म्ंम
निशा ने उसकी चुत के फाको को दबोचते हुए पुछा - क्यू मुझे नही दिलाएगी उह्ह्ह
सोनल - उउहू ये बस मेरा है उह्ह्ह
निशा - लेकिन तु तो मेरी है ना तो तेरा सब कुछ मेरा ही है , क्यू है ना
निशा ने सोनल के शोट्स मे जांघो के पास अन्दर हाथ घुसाकर चुत को टटोलते हुए पुछा ।
निशा की कामुकता भरे स्पर्श से सोनल के हाथो से मोबाईल छिटक गया और वो तड़प उठी ।
निशा ने एक ऊँगली को उसकी चुत मे घुसाई और अपना सवाल दुहराया - बोल ना , है ना मेरा भी हक उसपे उम्म्ं
सोनल ने आंखे खोली और निशा की आंखे मे देखते हुए उसके होठ अपने होठ मे भर लिये और एक गहरा चुंबन लेके -अह्ह्ह हा मेरी जान , मेरा तो सब कुछ तेरा ही है ,
और अगले ही पल दोनो बहने अपनी काम क्रीड़ा मे मगन हो गयी ।
राज की जुबानी
ROUND 02
कमरे मे मौसी सोफे पर अपनी जान्घे फैलाये मादक सिसकिया ले रही थी और उनको दोनो तरफ से मैने और पापा ने जकड़ रखा था
मै और पापा दोनो मौसी की गदराई चर्बी से भरी मोटी मोटी चुचियो सहलाते हुए आगे झुक कर मौसी के कांख को चाट रहे थे ।
मै पूरी तरह से पापा को कॉपी करने मे लगा हुआ था , जब वो मौसी की आर्मपिट चाटते तो मै भी मौसी की आर्मपिट चाटने लगता और जब पापा मौसी की रसिली चुची को पकड कर मुह मे भर लेते तो मै भी उनकी चुची को थाम कर अच्छे से उन्के मुनन्के जैसे दानेदार निप्प्ल को चुबलाता
वही मौसी आहे भरती हुई अपने बदन को ऐठे जा रही थी ।
मौसी हमारे सर को बालो को नोचती हुई - ऊहह लल्ला उम्म्ं ज्माई बाबूउउह्ह और चुसो उमम्म सीईई
इधर मै बड़े चाव से मौसी के चुची को पकड कर चुबला रहा था वही पापा ने अपना हाथ निचे ले जाकर मौसी के जांघो को सहलाते हुए उनको खोलने लगे और अपनी हथेली मे मौसी के फुले हुए बुर की चर्बी को भर भर सहलाने लगे ।
इधर मौसी की सिसकिया तेज हो गयी और कुछ ही पल मे मौसी की चुत बजबजाने लगी और पापा ने तेजी से मौसी की जांघो को फैलाते हुए अपनी 2 उंगलिया बुर मे पेलने लगे
और तेज फचफच की आवाज के साथ मौसी चिल्लाते हुए अकड़ने लगी ।
मै अपना लण्ड पकड कर मस्लाता हुआ अलग हुआ वही पापा भी झटके से अलग होते हुए निचे बैठ कर मौसी की बहती चुत पर अपना मुह लगा सारी मलाई चाटने लगे
मौसी सिस्क्ते हुए उनके सर को पकड कर अपनी बहती बुर पर दबाने लगी ।
मौसी - उह्ह्ह जमाई बाबू अब पेल भी दो ना उम्म्ं कितनी बह रही है मेरी चुत उह्ह्ह पेलो ना
पापा ने भी फुरती दिखाई और उठ खड़े हुए मै भी सोफे से उठ गया
पापा ने मौसी को करवट करके लिटाया और उन्के पीछे जाकर उनकी जांघो को उठाते हुए लण्ड को उनकी चुत मे पेल दिया
सोफ़ा चौड़ा होने पर भी मौसी एक दम मुहाने पर अटकी हुई थी और पापा पीछे से मौसी की बुर गचागच पेले जा रहे थे ।
मै वही मौसी के पास खड़ा लण्ड मसल रहा था कि मौसी ने मुझे पास आने का इशारा किया । मै खुश हुआ और अपना लण्ड सीधा उन्के मुह मे दे दिया
वो पापा के झटके के साथ मेरे लण्ड को गले तक उतारे जा रही थी मै भी उन्के सर को पकडे तेजी से पापा के झटके के साथ ताल मिलाते हुए मुह मे सटासट पले जा रहा था ।
वही पापा मेरा जोश देख कर खुद भी और जोश मे आ गये और मौसी चुत के रस मे सना हुआ अपना लण्ड निकाल कर उसको मौसी की गाड़ मे घुसाते तेजी से मौसी की जांघ उठाकर पेलने लगे ।
कसी हुई गाड़ मे बड़ी मुस्किल से मौसी की जड़ो मे लण्ड जगह बनाने लगा और उनका चेहरा लाल पड़ने लगा
मैने भी कोई रहम नही दिखाया और तेजी उन्के सर को थामे मुह पेलाई जारी रखी , ज्ब्तक की मौसी ने मेरे जांघो को पिटना नही शुरु किया ,
मैने फौरन अपना 8 इन्च का आलू जैसे फुला हुआ लाल हुआ सुपाडा बाहर निकाला और मौसी हाफने लगी , उन्के मुह से लार बह रही थी और उनकी आंखे लाल होने लगी थी मैने अपना गीला लण्ड वापस से मौसी ने नथुनो के आस पास रगड़ने लगा ।
वही पापा लगातार मौसी के छेद बदल कर पेलाई किये जा रहे थे ।
जिस्से मौसी के गाड़ और चुत दोनो खुजली बढने के सिवा घट नही रही थी परेशां होकर मौसी बोल पडी - ऊहह जमाई कोई एक पेलो ना अच्छे से उह्ह्ह आप बस दोनो की खुजली बढा रहे हो
मौसी की बात सुनते ही मेरा दिमाग ठनका क्यो ना मौसी के दोनो छेदो को एक साथ भरा जाये और मैने हस्कर अपना लण्ड उन्के गालो पर घिसते हुए - मौसी चिंता ना करो अब आपके दोनो होलस की खुजली मिटेगी क्यू पापा
मेरी बात सुनते ही पापा चहक उठे और झट से उठ कर बैठ गये , मौसी थोडा असहज हुई
और असम्ज्स भरी नजरो से हमे देखने लगी
पापा ने सोफे पर एक कोना पकड़ा और जान्घे खोल कर लण्ड को सहलाते हुए उसे सीधा करते हुए - सोच क्या रही हो जीजी आओ ना मजा आयेगा
मौसी पापा ने सामने ऐसा दिखावा कर रही थी जैसे ये सब पहली बार हो रहा है जबकि वो मेरे और मौसा जी के साथ दोहरे लण्ड का मजा ले चुकी थी पहले ही ।
मै मुस्कराया और मौसी को आगे बढने का इशारा किया ।
मौसी ने जान्घे फेकते हुए पापा के लण्ड पर बैठ गयी और लण्ड को अपनी चुत की गहराई मे ले जाते हुए अपनी गाड़ फैलाते हुए पापा के उपर झुक गयी ।
मैने भी अपना मसलते हुए आगे बढा और सुपाड़े पर थुक ल्गाते हुए मौसी के गाड़ की सुराख पर अपना सुपाडा टिकाते हुए लंड को मौसी की गाड़ मे घुसेड़ दिया
मौसी सिसकी और मैने आहिस्ता आहिस्ता लंड़ पर जोर देते हुए उनकी गाड़ के सुराख को फैलाते हुए आधे से ज्यादा लण्ड गाड मे पेल दिया ।
हम दोनो का लण्ड मारे उत्तेज्ना के बहुत ही ज्यादा फुला हुआ था और मौसी की सासे भी अब फुलनी शुरु हो गयी थी , क्योकि पापा कहा रुकने वाले थे वो मौसी की लचीली चुत मे निचे से कमर उठा कर सटासट पेलना शुरु कर दिया
पापा के लण्ड की घिसावत मुझे भी अपने लंद की निचली नसो मे मह्सूस हो रही थी और मै भी जोश मे आकर मौसी की गाड़ थामते हुए लण्ड चलाने लगा ।
मौसी की हालत बहुत खराब थी वो दो लण्ड की चुदाई से एक नशे ने झुम रही थी , और मानो हमारे लण्ड ने उनकी खुजली और भड़का थी ।
वो चिल्लाने लगी - उह्ह्ह ज्माआई बाबू उह्ह्ह मजा आ गया ओह्ह्ह लल्ला तु भी कस कस के पेल ना उह्ह्ह काश ऐसे ही रोज रोज दो दो लण्ड मेरे चुत और गाड़ मे जाते ओह्ह्ब माअह मै तो पागल हो जाऊंगी
ओह्ह्ह अह्ह्ह और पेलो मुझे
मौसी चिल्ल्ल्ती हुई पापा के बालो को नोचने लगी । चुदाई की आवाज , और सिसकिया इत्नी तेज हो गयी कि किचन मे हमारे लिए ग्लूकोज़ पानी बनाने के लिए गयी मम्मी भी भागी भागी कमरे मे आ गयी
वो साम्ने मौसी की हालत देख कर हदस गयी, नजारा ही ऐसा था
मै मौसी के बालो को खींचे हुए कस कस के मौसी की गाड़ की गहराईयो मे हुमुच हुमुच कर अपना लण्ड उतार रहा था , वही निचे पापा मौसी के चुची मुह ने भर हुए अपनी कमर उछाल उछाल कर गचग्च ले पेल रहा थे और मौसी चिल्लाअये जा रही थी ।
मा की भी बेचैनी बढ गयी और वो अपनी मैकसी निकाल फेकि और भागकर हमारे बगल मे आ खड़ी हुई
मौसी ने जब मा को अपने पास देख तो मुस्कुराने लगी और हमारे तेज झटको मे हाफते हुए - ओह्ह्ह छोटी ऊहह तू रोज ऐसे ही मजे करती होगीहह उम्म्ं नाह्ह उन्म्ं बोल
मौसी की भुखी आन्खो ने झाक कर अपनी चुची उन्के मुह पर लगाती हुई मा बोली - उह्ह्ह जीजी सच कहू तो आज तक ऐसा इनदोनो ने मुझे नही चोदा ऊहह देखो कैसे भर भर लण्ड दे रहे है आपको उम्म्ंम सीईईई
मौसी ने मा के चुचो को चुस्कर मुह हटाते हुए - ऊहह सच मे छोटी उह्ह्ह माह्ह्ह आज मेरी दोनो छेड़ो का भोसडा बना देंगे ये लोग उह्ह्ह माअह्ह्ह बहुत मजा रहा हौ उम्म्ंम्ं
ये बोल कर मौसी वापस ने मा के चुचियॉ को चुबलाने लगी ।
मा उनसे अलग हुई और बगल के सोफे पर बैठते हुए अपनी चुत को छूने लगी - लेलो जीजी जितने मजे लेना है ,लेकिन अगला राउंड मे अकेले लूंगी उम्म्ं मुझे भी हफते भर से नही मिला ये सुख
पापा - परेशान ना हो मेरी राड़ अगला नम्बर तेरा ही है ओह्ह्ह उन्न्ं
पापा - बेटा, अब जरा मुझे भी जीजी की गाड़ लेने दे ना
मै हस कर खड़ा हुआ - हा क्यू नही पापा ,
फिर पापा ने मौसी को उलटा होने को इशारा किया
पोजिसन वही थी लेकिन बस बीच मे मौसी उल्टी हो गयी थी , इधर निचे से पापा ने मौसी की गाड़ मे लण्ड घुसाया और उपर से मैने चुत मे
कुछ ही पलो मे नॉनस्टॉप ध्क्क्म पेल चुदाई और चिखो की शुरुवात हो गयी ,
हम दोनो के लण्ड लय मे बारी बारी से मौसी की गाड़ और चुत मे अन्दर बाहर हो रहे थे और वही बगल मे मा अपनी जान्घे फैलाये हमे देख कर अपनी बुर मसले जा रही थी
और वो तेजी से अपनी बुर मे ऊँगली करके चिल्ल्लने लगी और कमर उठा कर फव्वारे छोडने लगी जिसे देख कर हम सब का जोश चौगुना हो गया
मै और पापा ने भी अपने लण्ड की नसो को कसा और तन कर हुमुच कर पेलाई करने लगे और आखिरी कुछ झटको के साथ ही पहले मै और फिर पापा भी झड़ने लगे ।
हमने एक बार फिर मौसी के छेदो को डबाडब भर दिया ।
और सुस्त होकर अलग थलग हो कर हाफने लगे ।
कुछ देर बाद मा ने हम सबको ग्लूकोज़ वाला ठंडा पानी दिया और हमने फिर से स्फूर्ति आई ।
फिर मौसी एक चित सो गई और मै भी पापा के साथ मा की दोहरी चुदाई का आखिरी राउंड करके सो गया ।
......******.......******.......******.......
आज की ये रात तो बीत गयी लेकिन आने वाला क्या नये सपने लेके आयेगा , इन बचे शादी के 6 दिनो मे क्या धमाके होंगे इनसब के लिए आप सब तैयार रहियेगा ।
एक बात के लिए माफी चाहूँगा : देर से अपडेट के लिए नही.... पहली बार कहानी मे फोरसम सेक्स सिन ऐड किया । तो हो सकता है TharkiPo भाई की तरह मजा नामिले लेकिन अब लिख दिया तो एडजस्ट कर लेना ।
बाकी अपडेट के लिए परेशान ना हो
सब समय से होगा
क्योकि कहानी के इस फेज मे मेरे बहुत सपने जुड़े है जिन्हे हकिकत करने के लिए मै भी बेताब हू ।
कहानी जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 172 ( C )
लेखक की जुबानी
एक ओर जहा निचे का माहौल इतना गर्म हो चुका था वही उपर सोनल के कमरे मे भी माहौल कम कामुक नही था ।
सोनल और अमन की दोपहर की अधूरी नानवेज चैट इतनी रात तक जारी थी ।
बेचैन अमन ने अपने मुसल को हिलाने का विडियो बना कर भेजा था जिसे देख कर सोनल और निशा की हालत और भी खराब हो रही थी दोनो की पनीयाई चुत ने अब उनकी जांघो मे बीच खुजली बढाने लगी थी ।
सोनल से चिपकी हुई निशा ने अपनी भारि सासो से सोनल के हाथ के मोबाइल मे चल रहे वीडियो को देख रही थी जिसमे अमन अपना 9 इंच का कैन जैसा मोटा लण्ड का सुपाडा खोलकर हिलाते हुए दिखा रहा था ।
दोनो बहने की गले की खुस्की बढने लगी और निशा ने कामुकतावश हाथ बढा कर सीधे सोनल की पनीयाई चुत को शोट्स के उपर से छूने लगी
सोनल निशा के मादक स्पर्श से आंखे बन्द कर सिहर उठी और अपने होठ भींच्ते हुए सिसकी - उह्ह्ह निशा क्या कर रही है उम्म्ं
निशा उसके कानो के पास जाकर मादक आवाज मे - देख ना कितना तगडा लण्ड है उह्ह्ह मन कर खा ही जाऊ , कैसे तू लेगी इसको अपनी इस नाजुक चुत मे उह्ह्ह्ह
सोनल एक ठंडीआह भरते हुए मुस्कुराई - उह्ह्ह मै ले लूंगी ना तु क्यू परेशान है उम्म्ंम
निशा ने उसकी चुत के फाको को दबोचते हुए पुछा - क्यू मुझे नही दिलाएगी उह्ह्ह
सोनल - उउहू ये बस मेरा है उह्ह्ह
निशा - लेकिन तु तो मेरी है ना तो तेरा सब कुछ मेरा ही है , क्यू है ना
निशा ने सोनल के शोट्स मे जांघो के पास अन्दर हाथ घुसाकर चुत को टटोलते हुए पुछा ।
निशा की कामुकता भरे स्पर्श से सोनल के हाथो से मोबाईल छिटक गया और वो तड़प उठी ।
निशा ने एक ऊँगली को उसकी चुत मे घुसाई और अपना सवाल दुहराया - बोल ना , है ना मेरा भी हक उसपे उम्म्ं
सोनल ने आंखे खोली और निशा की आंखे मे देखते हुए उसके होठ अपने होठ मे भर लिये और एक गहरा चुंबन लेके -अह्ह्ह हा मेरी जान , मेरा तो सब कुछ तेरा ही है ,
और अगले ही पल दोनो बहने अपनी काम क्रीड़ा मे मगन हो गयी ।
राज की जुबानी
ROUND 02
कमरे मे मौसी सोफे पर अपनी जान्घे फैलाये मादक सिसकिया ले रही थी और उनको दोनो तरफ से मैने और पापा ने जकड़ रखा था
मै और पापा दोनो मौसी की गदराई चर्बी से भरी मोटी मोटी चुचियो सहलाते हुए आगे झुक कर मौसी के कांख को चाट रहे थे ।
मै पूरी तरह से पापा को कॉपी करने मे लगा हुआ था , जब वो मौसी की आर्मपिट चाटते तो मै भी मौसी की आर्मपिट चाटने लगता और जब पापा मौसी की रसिली चुची को पकड कर मुह मे भर लेते तो मै भी उनकी चुची को थाम कर अच्छे से उन्के मुनन्के जैसे दानेदार निप्प्ल को चुबलाता
वही मौसी आहे भरती हुई अपने बदन को ऐठे जा रही थी ।
मौसी हमारे सर को बालो को नोचती हुई - ऊहह लल्ला उम्म्ं ज्माई बाबूउउह्ह और चुसो उमम्म सीईई
इधर मै बड़े चाव से मौसी के चुची को पकड कर चुबला रहा था वही पापा ने अपना हाथ निचे ले जाकर मौसी के जांघो को सहलाते हुए उनको खोलने लगे और अपनी हथेली मे मौसी के फुले हुए बुर की चर्बी को भर भर सहलाने लगे ।
इधर मौसी की सिसकिया तेज हो गयी और कुछ ही पल मे मौसी की चुत बजबजाने लगी और पापा ने तेजी से मौसी की जांघो को फैलाते हुए अपनी 2 उंगलिया बुर मे पेलने लगे
और तेज फचफच की आवाज के साथ मौसी चिल्लाते हुए अकड़ने लगी ।
मै अपना लण्ड पकड कर मस्लाता हुआ अलग हुआ वही पापा भी झटके से अलग होते हुए निचे बैठ कर मौसी की बहती चुत पर अपना मुह लगा सारी मलाई चाटने लगे
मौसी सिस्क्ते हुए उनके सर को पकड कर अपनी बहती बुर पर दबाने लगी ।
मौसी - उह्ह्ह जमाई बाबू अब पेल भी दो ना उम्म्ं कितनी बह रही है मेरी चुत उह्ह्ह पेलो ना
पापा ने भी फुरती दिखाई और उठ खड़े हुए मै भी सोफे से उठ गया
पापा ने मौसी को करवट करके लिटाया और उन्के पीछे जाकर उनकी जांघो को उठाते हुए लण्ड को उनकी चुत मे पेल दिया
सोफ़ा चौड़ा होने पर भी मौसी एक दम मुहाने पर अटकी हुई थी और पापा पीछे से मौसी की बुर गचागच पेले जा रहे थे ।
मै वही मौसी के पास खड़ा लण्ड मसल रहा था कि मौसी ने मुझे पास आने का इशारा किया । मै खुश हुआ और अपना लण्ड सीधा उन्के मुह मे दे दिया
वो पापा के झटके के साथ मेरे लण्ड को गले तक उतारे जा रही थी मै भी उन्के सर को पकडे तेजी से पापा के झटके के साथ ताल मिलाते हुए मुह मे सटासट पले जा रहा था ।
वही पापा मेरा जोश देख कर खुद भी और जोश मे आ गये और मौसी चुत के रस मे सना हुआ अपना लण्ड निकाल कर उसको मौसी की गाड़ मे घुसाते तेजी से मौसी की जांघ उठाकर पेलने लगे ।
कसी हुई गाड़ मे बड़ी मुस्किल से मौसी की जड़ो मे लण्ड जगह बनाने लगा और उनका चेहरा लाल पड़ने लगा
मैने भी कोई रहम नही दिखाया और तेजी उन्के सर को थामे मुह पेलाई जारी रखी , ज्ब्तक की मौसी ने मेरे जांघो को पिटना नही शुरु किया ,
मैने फौरन अपना 8 इन्च का आलू जैसे फुला हुआ लाल हुआ सुपाडा बाहर निकाला और मौसी हाफने लगी , उन्के मुह से लार बह रही थी और उनकी आंखे लाल होने लगी थी मैने अपना गीला लण्ड वापस से मौसी ने नथुनो के आस पास रगड़ने लगा ।
वही पापा लगातार मौसी के छेद बदल कर पेलाई किये जा रहे थे ।
जिस्से मौसी के गाड़ और चुत दोनो खुजली बढने के सिवा घट नही रही थी परेशां होकर मौसी बोल पडी - ऊहह जमाई कोई एक पेलो ना अच्छे से उह्ह्ह आप बस दोनो की खुजली बढा रहे हो
मौसी की बात सुनते ही मेरा दिमाग ठनका क्यो ना मौसी के दोनो छेदो को एक साथ भरा जाये और मैने हस्कर अपना लण्ड उन्के गालो पर घिसते हुए - मौसी चिंता ना करो अब आपके दोनो होलस की खुजली मिटेगी क्यू पापा
मेरी बात सुनते ही पापा चहक उठे और झट से उठ कर बैठ गये , मौसी थोडा असहज हुई
और असम्ज्स भरी नजरो से हमे देखने लगी
पापा ने सोफे पर एक कोना पकड़ा और जान्घे खोल कर लण्ड को सहलाते हुए उसे सीधा करते हुए - सोच क्या रही हो जीजी आओ ना मजा आयेगा
मौसी पापा ने सामने ऐसा दिखावा कर रही थी जैसे ये सब पहली बार हो रहा है जबकि वो मेरे और मौसा जी के साथ दोहरे लण्ड का मजा ले चुकी थी पहले ही ।
मै मुस्कराया और मौसी को आगे बढने का इशारा किया ।
मौसी ने जान्घे फेकते हुए पापा के लण्ड पर बैठ गयी और लण्ड को अपनी चुत की गहराई मे ले जाते हुए अपनी गाड़ फैलाते हुए पापा के उपर झुक गयी ।
मैने भी अपना मसलते हुए आगे बढा और सुपाड़े पर थुक ल्गाते हुए मौसी के गाड़ की सुराख पर अपना सुपाडा टिकाते हुए लंड को मौसी की गाड़ मे घुसेड़ दिया
मौसी सिसकी और मैने आहिस्ता आहिस्ता लंड़ पर जोर देते हुए उनकी गाड़ के सुराख को फैलाते हुए आधे से ज्यादा लण्ड गाड मे पेल दिया ।
हम दोनो का लण्ड मारे उत्तेज्ना के बहुत ही ज्यादा फुला हुआ था और मौसी की सासे भी अब फुलनी शुरु हो गयी थी , क्योकि पापा कहा रुकने वाले थे वो मौसी की लचीली चुत मे निचे से कमर उठा कर सटासट पेलना शुरु कर दिया
पापा के लण्ड की घिसावत मुझे भी अपने लंद की निचली नसो मे मह्सूस हो रही थी और मै भी जोश मे आकर मौसी की गाड़ थामते हुए लण्ड चलाने लगा ।
मौसी की हालत बहुत खराब थी वो दो लण्ड की चुदाई से एक नशे ने झुम रही थी , और मानो हमारे लण्ड ने उनकी खुजली और भड़का थी ।
वो चिल्लाने लगी - उह्ह्ह ज्माआई बाबू उह्ह्ह मजा आ गया ओह्ह्ह लल्ला तु भी कस कस के पेल ना उह्ह्ह काश ऐसे ही रोज रोज दो दो लण्ड मेरे चुत और गाड़ मे जाते ओह्ह्ब माअह मै तो पागल हो जाऊंगी
ओह्ह्ह अह्ह्ह और पेलो मुझे
मौसी चिल्ल्ल्ती हुई पापा के बालो को नोचने लगी । चुदाई की आवाज , और सिसकिया इत्नी तेज हो गयी कि किचन मे हमारे लिए ग्लूकोज़ पानी बनाने के लिए गयी मम्मी भी भागी भागी कमरे मे आ गयी
वो साम्ने मौसी की हालत देख कर हदस गयी, नजारा ही ऐसा था
मै मौसी के बालो को खींचे हुए कस कस के मौसी की गाड़ की गहराईयो मे हुमुच हुमुच कर अपना लण्ड उतार रहा था , वही निचे पापा मौसी के चुची मुह ने भर हुए अपनी कमर उछाल उछाल कर गचग्च ले पेल रहा थे और मौसी चिल्लाअये जा रही थी ।
मा की भी बेचैनी बढ गयी और वो अपनी मैकसी निकाल फेकि और भागकर हमारे बगल मे आ खड़ी हुई
मौसी ने जब मा को अपने पास देख तो मुस्कुराने लगी और हमारे तेज झटको मे हाफते हुए - ओह्ह्ह छोटी ऊहह तू रोज ऐसे ही मजे करती होगीहह उम्म्ं नाह्ह उन्म्ं बोल
मौसी की भुखी आन्खो ने झाक कर अपनी चुची उन्के मुह पर लगाती हुई मा बोली - उह्ह्ह जीजी सच कहू तो आज तक ऐसा इनदोनो ने मुझे नही चोदा ऊहह देखो कैसे भर भर लण्ड दे रहे है आपको उम्म्ंम सीईईई
मौसी ने मा के चुचो को चुस्कर मुह हटाते हुए - ऊहह सच मे छोटी उह्ह्ह माह्ह्ह आज मेरी दोनो छेड़ो का भोसडा बना देंगे ये लोग उह्ह्ह माअह्ह्ह बहुत मजा रहा हौ उम्म्ंम्ं
ये बोल कर मौसी वापस ने मा के चुचियॉ को चुबलाने लगी ।
मा उनसे अलग हुई और बगल के सोफे पर बैठते हुए अपनी चुत को छूने लगी - लेलो जीजी जितने मजे लेना है ,लेकिन अगला राउंड मे अकेले लूंगी उम्म्ं मुझे भी हफते भर से नही मिला ये सुख
पापा - परेशान ना हो मेरी राड़ अगला नम्बर तेरा ही है ओह्ह्ह उन्न्ं
पापा - बेटा, अब जरा मुझे भी जीजी की गाड़ लेने दे ना
मै हस कर खड़ा हुआ - हा क्यू नही पापा ,
फिर पापा ने मौसी को उलटा होने को इशारा किया
पोजिसन वही थी लेकिन बस बीच मे मौसी उल्टी हो गयी थी , इधर निचे से पापा ने मौसी की गाड़ मे लण्ड घुसाया और उपर से मैने चुत मे
कुछ ही पलो मे नॉनस्टॉप ध्क्क्म पेल चुदाई और चिखो की शुरुवात हो गयी ,
हम दोनो के लण्ड लय मे बारी बारी से मौसी की गाड़ और चुत मे अन्दर बाहर हो रहे थे और वही बगल मे मा अपनी जान्घे फैलाये हमे देख कर अपनी बुर मसले जा रही थी
और वो तेजी से अपनी बुर मे ऊँगली करके चिल्ल्लने लगी और कमर उठा कर फव्वारे छोडने लगी जिसे देख कर हम सब का जोश चौगुना हो गया
मै और पापा ने भी अपने लण्ड की नसो को कसा और तन कर हुमुच कर पेलाई करने लगे और आखिरी कुछ झटको के साथ ही पहले मै और फिर पापा भी झड़ने लगे ।
हमने एक बार फिर मौसी के छेदो को डबाडब भर दिया ।
और सुस्त होकर अलग थलग हो कर हाफने लगे ।
कुछ देर बाद मा ने हम सबको ग्लूकोज़ वाला ठंडा पानी दिया और हमने फिर से स्फूर्ति आई ।
फिर मौसी एक चित सो गई और मै भी पापा के साथ मा की दोहरी चुदाई का आखिरी राउंड करके सो गया ।
......******.......******.......******.......
आज की ये रात तो बीत गयी लेकिन आने वाला क्या नये सपने लेके आयेगा , इन बचे शादी के 6 दिनो मे क्या धमाके होंगे इनसब के लिए आप सब तैयार रहियेगा ।
एक बात के लिए माफी चाहूँगा : देर से अपडेट के लिए नही.... पहली बार कहानी मे फोरसम सेक्स सिन ऐड किया । तो हो सकता है TharkiPo भाई की तरह मजा नामिले लेकिन अब लिख दिया तो एडजस्ट कर लेना ।
बाकी अपडेट के लिए परेशान ना हो
सब समय से होगा
क्योकि कहानी के इस फेज मे मेरे बहुत सपने जुड़े है जिन्हे हकिकत करने के लिए मै भी बेताब हू ।
कहानी जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 173
लेखक की जुबानी
रात तो बीत गयी लेकिन चढ़ती सुबह और अंगड़ाई लेती कमर ने सबसे पहले अनुज को जगाया ।
अपने पावो को फैलाते हुए एक जम्हाई के साथ बड़ा सा मुह खोलते हुए पुरे जिस्म की नसो के साथ साथ लण्ड की नसो को भी स्ट्रेच करते हुए अनुज ने उठ कर बैठ गया ।
कुछ पल का धुन्धलापन रहा और वो आंख मिजते हुए गरदन घुमा कर दिवाल घड़ी पर नजर घुमाया तो सुबह 6 बज रहे थे ।
एक और उबासी से बड़ा सा मुह फैलाते हुए उठ खड़ा हुआ और आगे बढते हुए अपना तना हुआ लण्ड अंडरवियर मे हाथ डाल कर पकडते हुए उसको उपर लास्टीक मे दबा दिया , ताकी कही कमरे से बाहर निकलने पर दीदी या घर की कोई अन्य सद्स्य से ऐसे ही तने तम्बू मे सामना ना हो जाये ।
ज्महाई लेते और अपनी नसे खोलता हुआ अनुज जीने से होकर उपर छत पर जाने लगा ,
लेकिन आज जीने का दरवाजा उसे ही खोलना पड़ा जिससे उसे भनक पड़ गयी कि अभी घर मे उसके सिवा कोई नही जगा है । यहा तक कि उसकी सोनल दीदी भी नही , जो कि वो घर मे सबसे पहले उठने की आदी थी ।
दरवाजा खोल कर अनुज ने अधखुली आंखो से लालिमा भरे सूरज को देखा और हलके हल्के रोशनी अपनी पूरी आंख फैलाई कि सामने अरगन पर उसके मौसी की लहराती ब्रा पैंटी पर नजर गयी और बीती रात की सारी दासता उसके सामने आ गयी ।
पुरा लण्ड झटके भर मे फौलादी हो गया , इतना कि सुपाडे ने लास्टीक फैला कर बाहर की झाकने लगा था ।
एक गहरी आह भरते हुए अनुज ने अपने लण्ड के कुनमुनाते मुहाने को दबाया और पाखाने मे घुस गया ।
गाड़ से सरकती टट्टी और टुल्लू से बालटी मे पानी भरने की आवाज को अनदेखा करके अनुज अपनी रज्जो मौसी के ख्यालो मे गुम था ।
लण्ड अरमान सजोते सजोते उसकी आन्ते खाली हो चुकी थी , चुतड पर लगा मल सुखने लगा था और करीब 20 मिन्ट से भी अधिक का समय बीत गया था ।
मगर मजाल है लण्ड की कसावट और अनुज के सपनो की उड़ान मे कोई गिरावट दर्ज हो पाती , लेकिन तभी किसी ने दरवाजा पीटा
और अनुज हड़बड़ाया , तुरन्त अपना पिछवाडा चमकाकर अपना कच्छा चढाते हुए बाहर निकला ।
सामने उसकी सोनल दिदी खड़ी थी ।
सोनल हस्ती हुई - कितने दिन से रोक के रखा था जो इतना टाईम लगा रहा था
अनुज स्वभाव से ही शर्मिला था और अपनी दीदी से बहुत ही लजाता था । सोनल भी इस बात का बखूबी फायदा लेती थी और अपने छोटे भाई को थोडा बहुत छेड़ती ही रहती ।
मुस्कुराकर अनुज बाहर लगे बेसिन पर हाथ धुलने लगा और सोनल पाखाने घुस गयी ।
अनुज ने अपना ब्रश निकाला और घुमाने लगा और फिर बाथरूम मे जाकर नहाने के लिए दरवाजा बन्द कर दिया ।
दरवाजा बन्द होते ही बाथरूम की अरगन पर उसे उसकी सोनल दीदी के कपडे टंगे मिले जिन्हे लेकर वो उपर नहाने के लिए आई थी ।
तौलिया लोवर टीशर्त छोड कर अनुज का ध्यान उसकी दीदी की ब्लैक ब्रा और लाल पैंटी सेट ने खींचा ।
जो एकदम कोरी थी , शायद एक भी बार ना पहनी गयी हो ऐसा अनुज को लगा ।
एतना अच्छा आया मौका अनुज कैसे जाने देता , और उसने वो मखमाली अह्सास अपने हाथो मे भरते हुए अपने नथुनो को उन्के करीब ले गया ।
ताजा नयू रेडीमेट पैंटी मे भी अनुज ने अपनी बहन के चुत की गन्ध तालाशने लगा और अपना मुसल सहलाते हुए सिस्क पड़ा ।
तभी बाहर से सोनल की आवाज आई कि जलदी से नहा कर वो बाहर आये ,
बहन की आवाज सुन्कर अनुज हड़बड़ाया और पैंटी छोड कर नहाने बैठ गया और फटाफट नहाते हुए बाहर निकल गया ।
निचे कमरे मे आकर उसने अपने कपडे पहने और दरवाजा बन्द करके कुछ पुरानी सेक्स कहानीया खोलने जिसमे रिशतेदारों से चुदाई के तरीके बताये थे ।
इधर अनुज अपनी तैयारी मे लगा रहा और 8बजे के करीब वो अपना मुसल शान्त कर निचे हाल मे आया ।
किचन मे सोनल और निशा नाश्ता बनाने मे लगी थी ।
उसके पापा रंगीलाल और राज हाल मे बैठे आज की तैयारियो के बारे मे बाते कर रहे थे ।
लेकिन अनुज की निगाहे तो बस उसकी मौसी को खोज रही थी ।
तभी राज के कमरे से रज्जो अपने बालो को मे तौलिया लपेटे एक काटन मैकसी मे बाहर आई
तरोताजा जिस्म और शैम्पू की भीनी खुस्बु हाल मे फैल गयी ।
रज्जो ने अपने सीने पर कोई दुपट्टा नही ले रखा था ।
रज्जो ने आते ही पहले रंगीलाल को देखा और मुस्कुराई , जिसे देख कर अनुज को अजीब सा लगा और कल रात वाली बहस याद आने लगी ।फिर उसके लण्ड ने सर उठाना शुरु कर दिया ।
"अरे जीजी आईये बैठीये" , अनुज के बाप ने उसकी मौसी को अपने पास मे बैठने का न्योता दिया ।
रज्जो अनुज के सामने से इथलाती हुई अपनी बड़ी सी गाड़ ठिक उसके मुह के सामने से हिलाते हुए आगे गयी और उसके पापा के पास अपनी चर्बीदार गाड़ फैला कर बैठ गयी ।
इधर उनका हाल चाल और बाते चल रही थी कि अनुज का मन हुआ वो भी अपनी मौसी के करीब बैठे , लेकिन कैसे कुछ बात तो हो
तभी अनुज का दिमाग ठनका और वो उठ कर अपनी मौसी के पास बैठते बहुत ही बेफिक्रे ढंग से उनका बाजू थामते हुए - मौसी आप अकेले क्यू आ गयी , भाभी को क्यू नही लाई ?
अनुज के इस सवाल पर उसके भैया ने भी साथ दिया ।
राज - हा मौसी आप अकेले क्यू ?
रज्जो - अरे बहु अगर आ जाती तो वहा बाप पेटो की भूख कौन शान्त करता , उन्हे बनाता खिलात कौन
अनुज रज्जो के बाहो मे हाथ घुसा कर उल्टे पंजे से अपनी मौसी की गुदाज चुचियो को मैक्सि के उपर से छुते हुए उसके चर्बीदार कन्घे पर अपना सर लगाकर - अरे तो सारे लोग चले आते ना
रज्जो हस कर अपना कन्धा उचकाकर - हमम हम्म्म जैसे तुम लोग बड़ा आ गये थे एक साथ घर छोड कर
अब अनुज के पास दाँत दिखा कर हसने के अलावा कोई उपाय नही था और वो मन ही मन खुश था कि उसको थोड़ी कामयाबी तो हाथ लगी , उल्टे हाथ ही सही लेकिन उसने मौसी के मोटी नरम चुचियो के स्पर्श तो पा लिये ।
कुछ देर तक ऐसी ही बाते चलती रही और अनुज नास्ते तक अपनी मौसी की चर्बीदार कूल्हो के स्पर्श के साथ साथ हौले हौले से रज्जो की चुची को उल्टे हाथ से घिसता रहा ।
रज्जो को पहले तो ये सब सामान्य लगा लेकिन जब बातो ही बातो मे अनुज ने उंगलियाँ भी फिरानी शुरु कर दी तो रज्जो समझ गयी कि उसके लाडके भतीजे को उसकी चुचियो की नरमी भा गयी और बिना कोई प्रतिक्रिया के चुपचाप मुस्कुराकर उस पल के मजे लेने लगी ।
राज की जुबानी
सुबह के नास्ते के बाद सारे लोग अपने अपने कामो मे लग गये ।
मेरे उपर काम का बोझ बढ़ गया ।
कारण था कल से घर मे 24 घन्टे का अखंड पाठ होना था , जिसकी मनती मा ने पहले ही ले रखी थी । जब गृह प्रवेश होना था ।
समानो की लिस्ट से लेके आने वाले मेहमानो की व्यव्स्था भी देखनी थी ।
फिर उसके अगले दिन भोज भी होना था जिसमे क्षेत्र ज्वार के 400-500 लोग खाने आने वाले थे ।
खैर फ़ुरसत के पल तो अब शायद ही मुझे मिल पाते लेकिन मैने मेरे पापा से सिख रखा था ।
कि कोई भी काम बोझ समझ कर नही उनमे छिपी मस्तीयो को खोज कर करो , फिर काम काम नही खेल लगेगा ।
फिर क्या था , मैने मम्मी से पर्ची ली और निकल गया ।
सबसे पहले मैने किराने के समान के लिए लिस्ट वहा नोट करवाइ और उहे घर पहचाने को बोल दिया
फिर पंसारी के यहा से पूजा की सामाग्री ली ।
और इतनी भागा दौडी मे मुझे 11 बज गये ।
फिर अगला काम था मेरे बाजार वाले घर की गली मे , एक चाचा के यहा से कुछ कपडे लेने था दुसरा मुझे चंदू से मिलना था क्योकि मुझे उसके घर में मेहमानो के लिए व्यव्स्था करनी थी । जिसमे मेहनत बहुत होनी थी ।
इस लिए मैने सोचा क्यू ना पहले चंदू की थोडी खोज खबर लू फिर चाचा के यहा ज्यादा समय नही लगेगा ।
फिर मै बिना कोई देरी के मस्त होकर उसके घर मे घुसा , ना कोई आवाज ना ठकठक
सरपट जीने की सीढिया फांदता उपर हाल मे आ गया ।
गरदन घुमाया तो कोई नजर नही आया और रजनी दिदी का कमरा अन्दर से बन्द था ।
मै समझ गया कि मा बेटे अपने धुन मे ताल से ताल मिला रहे होगे
समय तो था नही लेकिन हवस ने मेरे लण्ड की बेताबी बढा दी , सोचा क्यू ना एक बार दरवाजा खोला जाये
जैसे ही मै दरवाजे के करीब पहुंच कर उसका हैंडल पकदता कि पीछे से आकर चंपा ने मेरे हाथ रोक लिये
मै चौक कर देखा तो वो खड़ी मुस्करा रही थी
चंपा ने ना मे गरदन हिलाती हुई - उहु , पापा है अन्दर
पापा शब्द सुनकर मेरे कान खडे हो गये और सामने चंपा खिलखिला रही थी ।
मै दबी आवाज मे - चंदू कहा है ?
चंपा मुस्कुरा कर इठलाती हुई - वो तो बाबूसाहब के यहा है
मैने चम्पा के व्य्व्हार को नोटिस किया और फिर उस्के कपडो पर नजर मारी तो वो समान्य दिनो जैसे ही कप्डे मे थी टीशर्त और स्कर्ट मे ।
मै समझ रहा था कि अगर मै उससे कुछ कहू तो वो बिल्कुल भी मना नही करेगी लेकिन कम्बख्त मुझे समय ही कहा था ।
मै हस कर - वो कब आयेगा
चंपा - जब पापा जायेंगे अभी तब
मै - उससे बात करनी थी जरा काम था
तभी चंपा ने मुस्कुराई और अपने गाड़ उछालते हुए अपने कमरे मे गयी ।
उसकी हिलती हुई गाड़ देख कर आखिर मेरा मन डोल ही गया और मैने कस कर अपने लण्ड को भींच उसके कमरे मे लपक गया
मेरे आने का अह्सास चंपा को हुआ तो वो भी मेरी ओर पलटी
फिर क्या अगले ही मेरे होठ उसके होठो से लिपट गये और मेरे हाथ उसके चर्बीदार गाड़ को भर भर के स्कर्ट के उपर से मसलने लगे ।
वो जोरो से मेरे होठ को चुस रही थी और मैने उसकी गाड मसलकर महसुस की उसके आज पैंटी नही पहन रखी है , फिर क्या
मैने उसका स्कर्ट उठाने मे देरी नही की और उसके नंगी गाड़ की हाथो मे लेके फैलाने लगा ।
कितने दिनो बाद ये मौका आया था कि चम्पा की चर्बीदार गाड मेरे हाथ मे थी ।
हाथो मे भरके मसलने के बाद ही कुछ ही देर मे मुझे अपने काम की सुझी और मेरा होश वापस आया ।
अगले ही पल मै चम्पा से अलग हो गया ।
चंपा उखड़ कर इशारे पुछने लगी कि क्या हुआ ?
मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको वापस से अपनी ओर खिंच कर उसके होठ चुमते हुए - सॉरी मेरी जान, यहा मै रिस्क नही ले सकता । समझ रही हो ना तुम
मेरा इशारा चंपा के मम्मी पापा की ओर था
चंपा - तो निचे चलते है ना
मै - समझो ना मेरी जान, मुझे काम भी तो बहुत है और दीदी की शादी मे टाईम नही मिल पा रहा है । सॉरी
चंपा मुस्कुराई - कोई बात नही ।
मै - तो बताओगी उस कमीने से बात कैसे होगी
चंपा ने हाथ मे अपना मोबाइल लिया और एक नम्बर डायल किया ,
तभी सामने से किसी ने कॉल उठाया
चंपा - हा मालती , वो जरा चंदू से बात करवाना
चंपा की बात सुनकर मेरी आंखे फैल गयी और अगले ही पल मालती की आवाज आई - हम्म्म लो बात करो दिदी है ।
मेरी हालत और खराब हो गयी कि मालती चंदू के पास कैसे ?
तभी चंदू की आवाज आई - हा दिदी बोलो
चंपा - लो राज बात करेगा तुमसे
मै - हा कहा है तु कमीने
चण्दू हस कर - तेरी भाभी की बाहो मे हिहिहिही
तभी मुझे मालती और चंदू की खिलखिलाहट भरी फुसफुसाहट आई
मै समझ गया कि इसने मालती को पटा ही लिया ।
मै हस के - अरे यार वो तेरे चौराहे वाले घर मे मेहमानो के लिए व्यवथा करनी है तु कब फ्री होगा ।
चंदू - बस पापा को आने दे फिर मै आ जाता हू
मै - ठिक है 1बजे तक आ उस वाले घर पर
चंदू - ठिक है ।
फिर फोन कट गया और मैने चंपा से विदाई मागी
वो मुस्कुरा एक और गहरा चुम्बन करके मुझे निचे तक छोडने आई और आखिर मे मैने वाप्स से एक बार उसके चुतडो को हथेली मे भरके दबोचा और निकल गया चाचा के यहा ।
लेखक की जुबानी
तैयारियाँ तो सब ओर हो रही थी और इन्ही तैयारियो के बीच राहुल की मा शालिनी ने भी अपनी खास तैयार कर रखी थी ।
सुबह नास्ते के बाद उसने अपने बेटे और पति दोनो को सरप्राइज देने के लिए वही छोटी वाली नाइटी पहनी जिसमे देखने की आस दोनो बाप बेटो को थी ।
लेकिन मौका पहले जन्गीलाल को ही मिला घड़ी मे सवा ग्यारह बज चुके थे और घर के हाल मे जन्गीलाल शालिनी को आगे झुकाये हुए ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था और वही राहुल इनसब से बेफिकर होकर दुकान पर बैठा हुआ ग्राहक से डील कर रहा था ।
ऐन मौके पर राज दुकान पर आ पहुचता है ।
राहुल उसे देख कर नम्स्ते करता हुआ बैठने के लिए बोलता है ।
राज - चाचा कहा है राहुल ?
राहुल मुस्कुरा कर - भैया वो अन्दर है , क्या हुआ
राज - ठिक है मै मिल लेता हुआ ,
इतने मे उठ कर भीतर जाने को होता कि राहुल के दिमाग की घंटी बज उठती है क्योकि वो भली भाति जान रहा था कि इन दिनो निशा के ना रहने के कारण घर का माहौल क्या है और कही उसका बाप हाल मे ही उसकी मा के मुह मे लण्ड पेल रहा हो ।
राहुल हिच्ककर खड़ा हुआ - अह रुको भैया वो सो रहे होगे मै जगा के लाता हू
और राज इससे पहले कुछ प्रतिक्रिया दिखाता उससे पहले ही राहुल लपक के गैलरी से भीतर चला गया । राज को थोडा अजीब तो लगा लेकिन उसने राहुल पर ध्यान ना देते हुए समान की लिस्ट पढने लगा ।
इधर मुहाने पर जाते ही राहुल ने सामने का नजारा देखा तो हैरान हो गया उसका बाप उसकी मा को झुकाये हुए उसकी गाड़ मे खुब हच्क ह्च्क के लण्ड दे रहा था ,
उसकी मा उस गुलाबी नाइटी मे सामने झुकी हुई झटके खा रही थी और आखिर कुछ झट्को के साथ उसके बाप ने उसकी मा को ऐसे ढकेला जैसे किसी रोड छाप रन्डी को चोद कर छोड देते है तड़पने के लिए
वही उसकी मा फर्श पर औंधे मुह झुके हुए हाफते हुए मुस्कुरा रही थी और उस्का बाप सोफे पर बैठा हाफ रहा था ।
जन्गीलाल - ऊहह जान मजा ही ला लिया तुमने तोह , एकदम रन्डी है तू
शालिनी हाफते हुए जन्गीलल के पाव के पास बैठ कर - अभी आपने देखा ही कहा है अपनी जान का रंडीपना , और देखना है उम्म
जन्गीलाल हाफ कर - क्यू नही मेरी रन्डी आ एक बार और हो जाये , देख लण्ड तो तैयार ही है
और अगले ही पल शालिनी ने जंगीलाल के लण्ड को पकड कर चुसना शुरु कर दिया ।
वही राहुल का ये सब देख कर हालत खराब हो गया और उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ।
इस लिये वो थोडा पीछे हुआ और अपने पापा को आवाज देने लगा
राहुल की आवाज सुनते ही जन्गीलाल उठ खड़ा हुआ - जान उठो उठो , तुम जल्दी से छिप जाओ ये कपडे बदल लो
शालिनी हस कर - ओहो आप भी ना अपना ही बेटा है उस्से क्या शर्माना
ये बोलकर शालिनी ने अपनी नाइटी सही की और सोफे के पास खड़ी हो गयी ।
इधर जन्गीलाल ने भी लण्ड को चढ़ढे मे घुसा दिया और बनियान पहन लिया
राहुल हाल मे आता हुआ - पापा वो राज भैया आये है , आपसे मिलने
फिर राहुल अपने पा पा के सामने ही अपनी मा को उस नाइटी मे देखता है जिसमे उसकी मा की चिकनी जान्घे साफ साफ दिख रही थी ।
राहुल समझ रहा था कि उसकी मा को फर्क नही पड रहा है लेकिन वो अपने बाप से थोडा असहज हो रहा था इसिलिए उसने इस माहौल को मजाक का रूप देते हुए हस कर बोला
राहुल - हिहिहिही कया मम्मी , निशा दिदी के बचपन वाली फ्रॉक क्यू पहनी हो आप
राहुल ही मासूमियत भरी बात सुनकर दोनो मिया बीवी हस दीये खास कर जंगीलाल , उसे और खुशी हुई कि उसके बेटे को ये सब अजीब नही लगा
इतने मे शालिनी बोल पड़ी- देखा मै ना कहती थी कि ये छोटा हुउह
जन्गीलाल अपनी बीवी का तुनकना रास आया और वो हस कर - अच्चा बाबा अगली बार बड़ा लाउन्गा तब तक यही पहनो
राहुल ने भी मौके का फाय्दा लेकर बोला - हिहिहिही हा मम्मी यही पहनो आप छोटी बच्ची जैसे दिख रहे हो हहह्शा
शालिनी - चुप कर बदमाश
जंगीलल - ठिक ही तो कह रहा वो , मेरी गुड़िया हिहिहिही
शालिनी तुनक कर - अच्छा गुड़िया के गुड्डा जी अब जाईये देखीये राज को क्या काम है ।
अपनी मा की बात सुनकर राहुल खिलखिला कर हस दिया और जन्गीलाल भी हस्कर उठते हुए राहुल से बोला - चल बेटा निकल ले , ये गुड़िया काटने वाली है ।
फिर दोनो बाप बेटे हस्ते हुए बाहर आ गये ।
इधर राज ने अपने चाचा से सारे कपडे लिये और बिल लेके घर के लिए निकल गया ।
जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मजेदार अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 174 (A)
लेखक की जुबानी
दोपहर के डेढ़ बजने को थे , चुकि राज चंदू के साथ उसके घर की साफ सफाई मे लगा हुआ था तो अनुज और उसके पापा के लिए खाना लेके राज की मा निकलने को हुई ।
अब ऐसे मे रज्जो अकेले क्या करती तो वो भी रागिनी के साथ निकल गयी मार्केट वाले घर के लिए ।
इधर अनुज दुकान में बैठा था , दोपहर के समय ग्राहकी कम थी और उसके बेचैनी भूख ने बढा दी थी ।
कुछ ही देर मे दुकान पर उसके मा के साथ उसकी मौसी ने दस्तक दी ।
खाने के टिफ़िन के साथ अपनी मौसी को देख अनुज का चेहरा चमक उठा ।
अनुज - क्या मा कित्ने देर से आ रहे हो , कबसे भूख लगी
रागिनी - अरे बेटा वो तेरा भैया समान लाया था वही देख रही थी उसी मे देर हो गई, ले तु खा ले । मै तेरे पापा को खाना देके आती हू
अनुज - अरे आप दुकान पर बैठोगे तब न खाऊंगा
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे लल्ला तु खा मै हू ना , जा छोटी तु खाना देके आ ।
अनुज अपनी मौसी की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और सोचा क्यू ना जल्दी जल्दी खा कर मौसी के साथ कुछ टाईम बिताया जाये ।
इधर अनुज अन्दर के कमरे मे खाने चला गया और रज्जो दुकान मे बैठ कर ऐसे ही समान देखने लगी ।
अनुज फटाफट 10 मिंट मे खा कर बाहर आ गया ।
उसने देखा कि उसकी मौसी लिपस्टिक वाला बॉक्स खोल कर देख रही थी ।
अनुज हौले से अपनी मौसी के पास गया , उसने अपने मौसी के जिस्म से आती भीनी भीनी परफ्युम की खुस्बु ली और एक गहरी सास लेते हुए बोला - क्या देख रहे हो मौसी ?
अनुज के अचानक से बोलने से रज्जो चौकी फिर हस्ते हुए - अरे तु खा चुका
अनुज - हा वो भूख ज्यादा लगी थी ना , आप क्या खोज रहे हो
रज्जो लिपस्टिक का बॉक्स बन्द करके उसको उसकी जगह पर रखते हुए - वो मै बस ऐसे ही देख रही थी कि तेरी दुकान मे मेरे मतलब का कुछ है भी या नही ।
अनुज चहक कर - आप बोलो तो आपको क्या चाहिये , मेरे यहा तो सारे लेडिज समान मिलते है ।
रज्जो मुस्कुरा कर - सारे सामान मिलते है ।
अनुज - हा !
रज्जो कुछ सोच के - अच्छा तो जरा मुझे *** कम्पनी का लिपस्टिक दिखा
अनुज चहक कर दुकान मे एक ओर गया और वही अपनी मौसी को देख कर - कैसा चाहिये मौसी , डार्क सेट या लाईट
अनुज के सवाल से रज्जो मुस्कुराई और उसे सुबह का समय याद आया जब अनुज उसके चुचे टटोल रहा था, उसने बस परखने के लिए अनुज से मजाक शुरु किया ।
रज्जो - तु बता मेरे उपर कैसे अच्छा लगेगा
अपनी मौसी के सवाल से अनुज चौक गया और वो हिचकते हुए अपनी मौसी को एक नजर उपर से निचे देख कर जायजा लिया ।
हल्की गाजरी रंग साड़ी मे उसकी मौसी का अंग अंग खिल रहा था । अनुज थुक गटक कर अपने मौसी के होठो को देखा जिस्पे ब्राइट मरून मे शेड वाली लिपस्टिक लगी थी जो उन्के सावले स्किन टोन पर बहुत ही फ़ब रही थी ।
अनुज थोडा मुस्कुराया और शर्मा कर अपनी मौसी को दो तिन मैट शेड वाले ब्राउन और सेमी डार्क लिपस्टिक सजेस्ट किये
रज्जो ने सेमी डार्क पिन्क मैट वाली लिपस्टिक ट्राई की और सच मे उसके चेहरे पे बहुत ही खिल रहा था ।
रज्जो - अरे वाह तुने तो गजब के कलर बताये
अनुज हस कर - आपको पसंद आया ना
रज्जो खुश होकर अनुज के गाल चूमती हुई - बहुत ज्यादा
अनुज - आप चाहो तो और भी लेलो पप्पी इसका color नही छपता
रज्जो हसी - अच्छा सच मे ,, तुझे बहुत चाहिये चुम्मी तेरी भी शादी करवा दू उम्म्ं
अनुज शर्मा गया और रज्जो ने उसे अपने सीने से लगा लिया - मेरा प्यारा बच्चा
अनुज को उम्मीद ही नही थी कि ऐसे अनुभव भी उसको मिल सकते थे और वो अपने चेहरे को अपनी मौसी के सीने पर घिसने लगा ।
रज्जो हस्ती हुई - अब बस कर हम दुकान मे है कोई देख लेगा
अनुज चहका कर सीधा होकर - तो अन्दर चले मौसी
अनुज की बात सुन्कर रज्जो ने मुस्कुराहत भरी भौहे चढाई और अनुज को भी अह्सास हुआ कि वो क्या बोल गया ।
रज्जो उससे अलग होकर हस्ती हुई - तू बहुत शैतान हो गया आजकल हम्म्म
अनुज हड़बड़ाया - म म मै ? क्या मतलब !
रज्जो तुनक कर - खुब समझती हू मै , लग रहा है राज से पहले तेरी ही शादी करनी पड़ेगी
अनुज की सासे तेज हो गई उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे , थोडी सी मस्ती अब उसको भारी लगने लगी थी । उस्के हाथ पाव फूलने शुरु हो गये थे ।
अनुज डरा हुआ लेकिन हसने का दिखावा करता हुआ - क्या मौसी हिहिही भैया से पहले मै कैसे और अभी तो मै बहुत छोटा हू हिहिहिही
रज्जो उसके कान पकड कर - शैतान कही का , मुझे नही पता कितना बड़ा हो गया है तू
अनुज हसता हुआ - आह्ह मौसी छोडो ना , मैने क्या किया है अब आप ही तो मुझे हग की है ना
रज्जो कान छोडते हुए - और वो जो तु सुबह सब्के सामने मेरे दूध छू रहा था वो
अब अनुज की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी , उसके गले से थुक गटकना भी दुभर हो चुका था । शर्म और भय से उसका चेहरा लाल हो गया था ।
मगर कब तक रज्जो अपने लाड़ले को ऐसे देख पाती इससे पहले अनुज रोना शुरु कर देता वो खिलखिला कर हस दी ।
अनुज अपनी डबड्बाइ आंखो से अपनी मौसी को हस्ता देख रहा था
रज्जो - देखा पकड लिया ना मैने तुझे , उम्म्ं अब बोल क्यू छू रहा था सुबह मे
अनुज अपने आसू पोछ कर - वो मै आपका हाथ पकडे हुए था तो मुझे नरम नरम सा कुछ लगा । मुझे लगा आपका पेट है ।
इतना बोल कर अनुज सुबकने लगा , खुद को बचाने का उसको यही रास्ता सूझ रहा था ।
रज्जो ने अपने लाड़ले को रोता देख पिघल गयी और हसते हुए अपने आंचल से उसका चेहरा साफ करते हुए बोली - क्या तु भी बच्चो के जैसे रो रहा है , मै तो बस पुछ रही हू ना ।
अनुज शान्त होकर अपनी मौसी को देखा ।
रज्जो - अगर तुझे अच्छा लग रहा था तो बता देना चाहिए साफ साफ ,
अनुज - नही वो मुझे ...
रज्जो उसी बात को काटकर मुस्कुराती हुई - तो क्या तुझे अच्छा नही लग रहा था ।
अनुज अपनी मौसी की शरारती मुस्कान देख कर शर्माहत भरी हसी के साथ - हा वो वो हिहुहिही
रज्जो हस कर - मै जान रही थी तु एक नम्बर का शैतान है , बदमाश कही का ।
इधर इनकी बाते और बढती इससे पहले रागिनी खाना देकर वापस आ चुकी थी ।
रागिनी अनुज को देख कर - अरे अनुज क्या हुआ ? तेरी आंखे लाल क्यू है
अब तो अनुज की फिर फट गयी कि कही उसकी मौसी उसकी मा को सब बोल ना दे । वो जानता था कि उसकी मौसी का स्वभाव बहुत चंच्ल है और उन्हे ऐसी बाते कहने मे कोई भी हिचक नही होती है ।
लेकिन अचरज तो तब हुआ जब रज्जो ने मुस्कुराते हुए रागिनी को जवाब दिया - अह कुछ नही छोटी वो खाना खा रहा था सब्जी वाले हाथ से ही उनसे आंख मल ली थी तो जलन के मारे लाल हो गयी है ।
रागिनी अनुज के पास आकर अपनी साडी की पल्लू को मुह की भाप देते हुए बहुत फ़िकर मे अनुज की आंखो की सेकाई करते हुए - क्या तु भी ऐसे छू दिया , देख कितनी लाल हो गयी है ।
अनुज अपनी मा को परेशान देख कर खुद को बहुत कोष रहा था और वही जब उसने मौसी को मुस्कुराता देखा तो अचानक से उसके दिल की तरंगे हिल्कोरे मारने लगी और वो शर्मा कर मुस्कुरा दिया ।
रागिनी अनुज से अलग होती हुई - अरे जीजी अब आप आई हो तो चलो थोडा शालिनी से मिल लेते है और कल पूजन शुरु हो रहा है उसका न्योता भी दे आते है ।
रज्जो - हा चलो ,
फिर रागिनी और रज्जो दोनो बहने अपने भारी भारी कुल्हे हिलाती हुई जंगीलाल के घर की ओर चल दी ।
वही अनुज एक अलग ही उलझन मे अटक गया कि मौसी की मुस्कान का क्या हिसाब लगाये वो ?
धीरे धीरे सोशल मीडिया पर ऐक्टिव होने से अनुज का ज्ञान बढा तो था लेकिन उसके जहन मे कुछ भ्रम ने भी जगह बना ली ।
अब वो जितना कुछ अपने जीवन मे सिख समझ पाया तो वो उसी के हिसाब से अपनी मौसी को परखने मे खोया हुआ था ।
जम्गिलाल के घर के किचन मे ताबड़तोड़ धक्को की बरसात जारी थी , किचन की सिंक के पास बरतन खंगाल रही शालिनी अपनी गाड़ फैलाये हुए खडी थी और पीछे से राहुल उसकी झिनी सी नाइटी उठाये सटासट अपनी मा की बुर मे लण्ड पेले जा रहा था ।
वही दुकान मे ग्राहको से डील कर रहे जंगीलाल की निगाहे दो भारी भरकम कूल्हो पर गयी जो उसकी दुकान पर चढ़े आ रहे थे ।
दोनो औरतो को देखते ही जन्गीलाल का चेहरा खिल गया
जन्गीलाल - अरे भाभी आप ,
फिर जंगीलाल ने रज्जो को उपर से निचे देखते हुए अपनी थुक गटकते हुए हाथ जोड़ कर उसका स्वागत करते हुए उठ खड़ा हुआ - अरे भाभी जी नमस्ते आईये बैठीये
ये बोलकर जंगीलाल ने रागिनी और रज्जो को कुर्सियाँ दे दी बैठने के लिए
रागिनी - अरे देवर जी , परेशान क्यू है , हम अन्दर चले जाते है ना , आप ग्राहको को देखीये
अन्दर जाने की बात सुनते ही जन्गीलाल के कान खड़े हो गये और उसे ध्यान आया कि शालिनी अन्दर किन कपड़ो मे है , और अन्दर राहुल भी है ।
अगर इन्होने उसे ऐसे कपड़ो मे देख लिया तो ना जाने क्या क्या सोच लेंगी ।
जन्गीलाल ग्राहको को उनका समान थैली भरकर देता हुआ - अरे भाभी हो गया , आप तो मुझसे जरा भी बाते करना ही नही चाहती , सीधा निशा की मा के पास चली जाती है
रागिनी झेप कर हसती हुई - अच्छा बाबा यही हू कहिये
जंगीलाल - आप बस बैठीए मै राहुल को भेज कर ठंड़ा मगाता हू
रागिनी - अरे उसकी जरुरत नही है , हम लोग खाना खा के आये है
जन्गीलाल - अरे कैसे जरुरत नही है
" भाभी जी कितने दिनो बाद ह्मारे यहा आई है , खातिरदारि तो बनती है ना " , जन्गीलाल ने रज्जो की ओर इशारा करके कहा ।
फिर वो गैलरी मे मुह देके जोर से राहुल को आवाज दिया ।
वही राहुल ने जैसे ही अपने बाप की आवाज सुनी , मा बेटे ठिठक गये और दोनो झट से अलग हो गये ।
शालिनी हड़बड़ा कर - अह बेटा जा जल्दी से देख क्या बुला रहे है तेरे पापा
राहुल ने अपना लण्ड पैन्त मे भरा और उसको सेट करते हुए अपने शर्ट के बाजुओ से अपने चेहरे का पसिना पोछते हुए तेज कदमो से दुकान मे आ गया ।
जंगीलाल - बेटा जरा कल्लु के यहा दो थमसअप लेके आ तो
राहुल ने फिर अपनी बड़ी मा और उनकी दीदी को देखा तो झट से उन्के पैर छू कर नमस्ते किया और निकल गया
इधर जन्गीलाल जब तक दोनो के हाल चाल और तैयारियो के बारे मे बाते कर रहा था कि तभी राहुल ठंडा लेके आ भी गया ।
इधर राहुल ने दोनो को ठन्डा दिया और भितर जाने को हुआ कि जन्गीलाल ने राहुल को टोका
जन्गीलाल अपनी आंखे नचा कर हसने का दिखावा करता हुआ - अह बेटा वो तेरी मा को बता दे कि बड़ी मा और उनकी दिदी आई है
राहुल समझ गया और फटाक से किचन मे भागा और हाफते हुए - मम्मी मम्मी , वो बड़ी मम्मी और उनकी दीदी आई है , आप ये कपडा बदल लो जल्दी से ।
घर पर मेहमान आने का सुनते ही शालिनी की भी हालत खराब हुई वो तेजी से भागती हुई कमरे मे गयी और जल्दी से फुल नाइटी डाल कर वापस किचन मे आ गयी ।
इधर जब राहुल वापस कर गैलरी के पास से ही अपने पापा को इशारा किया कि काम हो गया तो जन्गीलाल ने चैन की सास ली और हस कर - अरे राहुल बेटा, अपनी बड़ी मम्मी को घर मे लेके जाओ , जाईये भाभी जी
फिर दोनो बहने बारी बारी से उठी और भितर जाने लगी ,
उसी समय जन्गीलाल की निगाहे रज्जो के मादक भारी भरकम कूल्हो पर गयी और अनायास उसके मुह से ये शब्द फुट पड़े - उफ्फ़ क्या गाड़ है यार ।
जिसे रज्जो की तेज कानो से सुन ही लिया और फौरन गरदन घुमा के जन्गीलाल की ओर मुह करके देखा तो जंगीलाल की फट गयी और अगले ही पल रज्जो मुस्कुराते हुए भितर चली गयी और जंगीलाल ने चैन की सास ली ।
इधर महिलाए भीतर गयी और राहुल चुपचाप बाहर आ गया । दुकान मे आते ही उसका सामना अपने पापा से हुआ , वो अभी भी थोडा शर्मा रहा था ।
वही जन्गीलाल ने अपने भोले बेटे से कन्फ़र्म करने के लिए पुछा- बेटा वो तेरी मा ने कपडे बदल लिए ना
राहुल नजरे नीची करके हल्का मुस्कुरा कर - जी पापा !
जन्गीलाल अपने बेटे की ऐसी प्रतिक्रिया से थोडा असहज हुआ और उसे लगा कि शायद उसका बेटा इतना भी नादान नही है । सब समझता है ।
जन्गीलाल - अच्छा सुन , ये बात किसी से कहना मत कि तेरी मा मे ऐसे कपडे पहने थे
राहुल हस कर - नही पापा क्या आप भी ,
फिर थोडी देर की चुप्पी रही और राहुल को पता नही क्या सुझा उसने पापा ऐसा सवाल किया कि जन्गीलाल की घिग्गी बध गयी ।
राहुल - पापा आपने इतना छोटा क्यू लिया मम्मी के लिए , ऐसा तो वो फिल्मो मे हीरोइन लोग पहनती है ना
जन्गीलाल ने कुछ देर चुप रहा और फिर हस कर - तेरी मा कौन सी हीरोइन से कम है हाअहहहा
राहुल भी शर्माकर मुस्कुरादिया और पुछ पड़ा - तो क्या आप मम्मी के और भी ऐसे ड्रेस लाते हो
जन्गीलाल - अह नही बेटा ये बस पहली बार था
राहुल - तो और अच्छे अच्छे कपडे लाओ ना मम्मी के लिए, देखो ना मम्मी घर मे कितना काम करती है ना कही घुमने जाती है बस ऐसे ही घर मे पड़ी रहती है ।
जन्गीलाल - हमम बेटा बात तो तेरी सही है लेकिन बेटा हमेशा तो तेरी मा को ऐसे कपडे नही ना पहना सकता ।
राहुल - क्यू ?
जन्गीलाल - अरे बेटा देखा ना आज कैसे मेहमान आ गये थे और फिर निशा भी तो रहती है ना ।
राहुल - तो क्यू ना रात मे मम्मी को पहनाया जाये , तब कोई नही होगा ना
जंगीलाल के जहन मे राहुल की बाते सुनकर एक अलग ही फैंटसी ने जनम ले लिया था , वो एक गहरी सोच मे घूम सा गया कि
क्या होगा जब उसकी बीवी अपने ही बेटे के सामने ब्रा पैंटी मे घुमेगी ?
और कितना मजा आयेगा जब मै मेरे बेटे के सामने ही उसकी मा को छेड़ने मे ?
और कही उसके सामने खड़ा करके चोद दू तो ?
आह्ह , ये सब सोच कर ही जन्गीलाल का लण्ड फौलादी हो गया था ।
इधर राहुल भी अपने बाप से ऐसे बाते करके मन ही मन कोरी कलपनाये बुन चुका था और उसका लण्ड सर उठाने लगा था ।
इधर थोडी देर बाद ही रागिनी और रज्जो दुकान मे वापस आ गयी ।
राहुल को अपने लण्ड का तनाव बर्दाश्त ना हुआ और वो उसको सेट करने अंदर चला गया ।
रागिनी - अच्छा देवर जी हम चलते नमस्कार ।
जंगीलाल को मजबुरन अपने जगह से उठना पड़ गया और हाथ जोड़ उन्हे विदा किया ।
पहले रागिनी जो दुकान से उतर चुकी थी और फिर रज्जो को नमस्ते करते हुए चोर नजरो से अपने चढ़ढे मे तने हुए लण्ड को निहारा कि अभी भी उभरा हुआ तो नही ना दिख रहा था ।
वही रज्जो ने जंगीलाल की हरकतो को देखा तो वो मुस्कुरा दी और विदा लेके निकल गयी ये सोचते हुए कि जन्गीलाल भी उसकी चुतडो का दीवाना हो गया और अगर किस्मत साथ दे गयी तो उसको अपनी बुर मे लेके मौका वो नही चूकेगी ।
वही जन्गीलाल थोडा शर्मीन्दा होकर अपना लण्ड सेट करके बैठ गया ।
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चौराहा वाले घर पर किचन का सारा काम निपटा कर सोनल और निशा घर के बाकी कमरो को सेट करने मे लगी थी
निशा गेस्ट रूम के बेड पर बिस्तर लगाने के बाद तकिया रखते हुए सोनल से बोली - दीदी क्यू ना कल जीजू को भी बुला ले ।
सोनल जो आलमारी के ड्रा साफ कर रही थी वो अचरज भरी नजरो से निशा को देखकर - तु पागल है क्या निशा , वो कैसे आयेगा ।
निशा - अरे दीदी कल पूजा होनी है तो जैसे बाकी मेहमान आयेंगे वो भी आ जायेंगे ।
सोनल निशा की बातो को सोचने लगती है और उसकी भी बेचैनी बढने लगती है क्योकि उसे अमन से मिले कितना समय हो गया था और फिर शादी से पहले मिलने का मौका कहा मिलता ।
सोनल बेचैन होकर निशा - लेकिन ये होगा कैसे , मतलब कौन बुलायेगा ।
निशा हस के - अरे राज है ना , वो बड़े पापा से बात कर लेगा
सोनल कुछ सोच कर - वो कुछ गलत ना सोचे
निशा सोनल की खिचाई करते हुए - ओहो देखो तो नवाबजादी के नखरे , सुबह शाम जिसका लण्ड लिये बिना चैन नही होता उससे कहने मे शर्म आ रही है
सोनल हस कर - अरे वो बात नही है , तु समझती नही है राज बहुत दुष्ट है मुझे बहुत तंग करता है अमन के नाम पर
निशा - ठिक है तो मै बोल दूँगी बस तुम जीजू को फोन करो ना
सोनल - अभी तो वो नहाने गया है ना , बोला है उसने
निशा भौहे चढा कर - आप कर रही हो या मै करु
इधर सोनल फोन लगाने को हो रही थी उधर अमन के कमरे मे उसकी मा उसके लिए कपडे निकाल रही थी
इसि दौरान अमन के मोबाइल की रिंग तेजी से बजनी शुरु हो गयी ,
अमन बाथरूम से फोन की रिंग सुन कर अपनी मा को आवाज देता है - मम्मी देखना जरा किसका फोन है
ममता बेड पर रखे हुए फोन पर की स्क्रिन को देखते हुए फोन हाथ मे ले लेती है और मोबाइल स्क्रीन पर my jaan नाम से काल आता देख मुस्कुरा देती है ।
इतने मे अमन की आवाज फिर से आती है - किसका है मा
ममता हस कर - ये कोई MY JAAN करके है , कौन है ये
अपनी मा के शब्द सुनते ही अमन हड़बड़ा कर - उठाना मत मम्मी मै आ रहा हू
और फिर अमन तेजी से अपने शरिर पर पानी डालते हुए फटाफट तौलिया लपेट कर भिगे जिस्म के साथ ही कमरे के बाहर आता है
लेकिन तबतक ममता फोन उठा चुकी थी और वही सोनल बिना कोई हैलो हाय किये सिधा फोन पर चुम्मीया देना शुरु कर देती और धीरे से बोलती है , आई मिस यू जान
अपनी बहु का रोमांटिक मूड समझ कर ममता की हसी छुट जाती है और वो अपने हसी को होठो से दबाते हुए फोन को अमन के हाथ थमाती है
अमन इशारे से अपनी मा को देख कर पुछता है कि क्या बोली वो ?
तो ममता मुस्कुरा कर अमन के गाल अपने पास करते हुए 7 8 चुम्मीये देते हुए धीरे से उसके कान मे बोली - आई मिस यू जान
फिर खिलखिलाहत भरी मुस्कान के साथ कमरे के बाहर चली गयी और अमन शर्म से भी भीग गया ।
फिर वो सोनल से बात करता है तो पता चलता है कि कल उसे आना है तो वो भी एक्साईटेड हो जाता है ।
फिर वो फोन काट कर वापस बाथरूम मे नहाने पहुच जाता है
नहाने के बाद अमन को बार बार अपनी मा की हरकते याद आने लगती है कि उसकी मा भी अब उसके मजे लेने लगी ।
इधर कुछ समय बाद राज जब चंदू के घर मे सारे बन्दोबसत कर लेता है तो अपने घर आ जाता है , उसे सोनल इंसिस्ट करती है वो पापा से बात करके कल के पूजा के लिए अमन और उसके परिवार वालो को बुलाये ।
राज इसके लिए मना नही करता है और वो अपने पापा से फोन पर बात करता है । तो रंगीलाल की बाहे भी खिल जाती है और उसे ममता से मिलने का एक बहाना भी मिल जाता है ।
जारी रहेगी ।
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 174 B
लेखक की जुबानी
* राहुल के घर
दोपहर की योजना के बाद से जंगीलाल की बेताबी बढ गयी थी , शाम को ग्राहकी कम होते ही वो निकल गया बाज़ार की ओर और राज के यहा ना जाके एक दुसरि पहचान वाली दुकान से उसने एक मोर्डन ब्रा पैंटी सेट शलिनी के नाप के लिये और वापस आ गया ।
दुकान पर आते ही राहुल ने सवाल किया - कहा गये थे पापा , मम्मी आवाज दे रही है मुझे
जन्गीलाल ने खाली दुकान देख के मुस्कुराता हुआ - वो मै जरा तेरी मा के लिए कपडे लेने गया था
राहुल को थोडा झटका लगा
कि उसका बाप इतनी जल्दी कैसे राजी हो गया
राहुल भी उत्सुकता दिखाते हुए - क्या लाये हो पापा
जंगीलाल खुशी जाहिर करते हुए झोला खोल कर - वो जो हेरोइन लोग पहनती है ना विदेशो मे , क्या बोलते है उसको बिकनी
अपने बाप की हवस भरी हसी और कपडे के बारे मे सुन्कर राहुल का लण्ड ठुमकने लगा
राहुल कुछ बोलता इतने मे शालिनी की आवाज आई गलियारे से - बेटा तेरे पापा आये कि नही अभी
जन्गीलाल हड़बड़ा कर - हा हा आया ,
फिर वो मुस्कुराता हुआ घर मे चला जाता है ।
वही राहुल अपना लण्ड मसल कर आज की रात की कल्पनाओ मे खो जाता है ।
** राज के घर
शाम के 7:30 बजे वक़्त हो चला था और हाल मे सामानो का ढेर लगा हुआ था । पूजा की तैयारियो को लेके रागिनी की चिंता देखी जा सकती थी ऐसे मे राज कहा अपनी जिम्मेदारियो से भागने वाला था वो भी मा के साथ लग कर सारा सेट करने मे लगा हुआ था ।
सोनल और निशा किचन मे लगी हुई थी ।
रंगीलाल अभी तक दुकान से वापस नही लौटा था ।
हाल मे बस अनुज और रज्जो बैठे हुए थे ।
अनुज के अरमान रह रह के अपनी मौसी को देख कर उबाल खा रहे थे और वही रज्जो कनअखियो से अपने छोटे भतीजे के आंखो की गुस्ताखियाँ और उसके चेहरे की बेचैनी पढे जा रही थी ।
रज्जो उठती हुई - छोटी जरा मै उपर छत नहा के आती हू
रागिनी - छत पर क्यू दिदी , यहा तो है ना बाथरूम
रज्जो ने तिरछी नजरो से अनुज को देखा और मुस्कुरा कर बोली - अरे यहा गर्मी बहुत है थोडा खुली हवा मे टहल लूंगी आराम हो जायेगा
रागिनी मुस्कुरा कर - ठिक है दिदी जाओ
फिर रज्जो ने तिरछी निगाहो से अनुज को देखा और बहुत मादक अदा से अपने हसिन कूल्हो को थिरकाते हुए राज के कमरे मे गयी और वहा से थोडी देर बाद अपने कपडे लेके बाहर निकली ।
अनुज तो जैसे अपनी मौसी की राह ही देख रहा था और रज्जो ने भी ये मह्सूस किया ।
फिर वो इतराते हुए अपने कुल्हे हिलाते हुए उपर जाने लगी और चार सीढि चढ़ते ही एक नजर पलट कर अनुज को देखा जो उसे ही निहारे जा रहा था ।
फिर मुस्कुरा कर छ्त पर चली गयी , अपनी मौसी का यू उसे रिझाना अनुज के तन बदन मे आग लगा चुका था , लण्ड पुरे शबाब पर था और उसने भी कुछ ही मिनटो मे अंगड़ाई लेते हुए उठा और उपर जाने लगा
रागिनी - कहा जा रहा है अनुज ,
अनुज हड़बड़ा कर - मम्मी कपडे बदल लू मै गर्मी हो रही है
रागिनी - ठिक लेकिन नहा ले तु भी फिर जा
अनुज अपनी मा की परमिशन पाते ही खुश हो गया और लपक कर छत पर भागा
तने लण्ड का सुपाडा उपर से मुठियाते हुए अनुज अपने कमरे से सिर्फ अंडरवियर मे कान्धे पर तौलिया लिये बाहर आया और तेज कदमो से जिने की ओर बढ़ गया ।
छत पर रज्जो अपने अनुभव के हिसाब से अपनी तैयारी शुरू कर चुकी थी
साडी ब्लाउज खोलकर सिर्फ ब्रा और पेतिकोट मे बैठी धुल रही थी ।
बाथरूम की रोशनी मे मौसी के चिकने कन्धे और नंगी पीठ देख कर अनुज का लण्ड ठुमका और वो धीरे धीरे तेज धडकते दिल के साथ बाथरूम के पास खड़ा होकर भितर झाकने लगा ।
निचे बैठी रज्जो की मोटी मोटी नरम हिलती चुचियो की घाटी अनुज को साफ दिख रही थी ।
रज्जो को जैसे ही भनक पड़ि की अनुज आ गया तो वो अंजान होकर गरदन घुमा कर अनुज को देखती है तो उसकी निगाहे अंडरवियर मे बने तम्बू पर जाती है ।
रज्जो मुस्कुराती हुई - अरे लल्ला तु यहा
अनुज - हा मौसी वो मुझे भी नहाना था
रज्जो वापस कपडे धुलती हुई - अच्छा रुक मै ये कपडे धुल लू फिर तू नहा लेना , फिर मै नहाउंगी
अनुज - नही आप नहा लो मै यही हू
रज्जो - हमम खुब समझ रही हू तेरी चालाकी मै , तुझे तो बस मुझे नहाते हुए देखना है
अनुज - न न नही मौसी मैने कब कहा
रज्जो कातिल मुस्कान के साथ गरदन घुमा कर उसके बगल मे खडे हुए अनुज के लन्ड़ की ओर इशारा करते हुर बोली - तो ये काहे सर उठाया है उम्म्ं
अनुज ने फौरन लपक कर अपना लण्ड पकड लिया और छिपते हुए - वो वो मौसी , बस ऐसे ही सुसु लगा है ना
ये बोल के अनुज लपक कर पाखाने मे घुस गया और लण्ड बाहर निकाल कर हाफने लगा
फिर वो गहरी गहरी सासे लेते हुए लण्ड के तनाव मे थोडी कमी ला पाया लेकिन अभी भी उसके लण्ड मे हल्का तनाव था ।
अनुज अपना लण्ड सेट करके बाहर आया तो देखा कि उसकी मौसी अरगन पर अपनी साडी फैला रही थी
रज्जो अनुज को देख कर उसके पास जाती हुई -हमम कर लिया सुसु
अनुज ने एक नजर अपने अंडरवियर पर मारा और अपने आधे सोये लण्ड को देख कर बहुत ही आत्मविश्वास से कहा - जी मौसी , देखो अब नही उठा है ये
रज्जो उसके पास खड़ी होकर अपना हाथ बढ़ाते हुए सीधा अनुज का लण्ड थाम कर उसको अंडरवियर के उपर से टटोलने लगति है और अनुज अपनी मौसी की इस हरकत से सिसिक पड़ता है - आह्ह मौसी क्या कर रही हो ।
और देखते ही देखते अनुज का लण्ड वापस से आकार लेने लगता है
रज्जो - देख रही हू तु कितना झुठ बोलता है
अनुज कसमसा कर - ऊहह मौसी ऐसे करोगी तो वो बड़ा ही होगा ना उम्म्ंम उह्ह्ह
रज्जो की हथेली मे अब अनुज का लण्ड भरने लगा था और रज्जो के गले की प्यास भी बढने लगी ।
रज्जो - चल झुठा ये मेरे छूने से नही तु जो मेरे दूधो को घुर रहा है इसकी वजह से है , समझा
अनुज अपनी निगाहे अपनी मौसी की रसभरी गुदाज चुचो से हटाकर नजरे फेरता हुआ - आह्ह नही मौसी वो तो आप ऐसे ही खुला रखे तो नजर चली जा रही है बार बार
रज्जो अनुज के आड़ो को मसलते हुए एक हाथ से अपने ब्रा की स्ट्रिप अपने कन्धे से सरकाती हुई - और अगर मै इन्हे पुरा खोल दू फिर तो तेरी नजर ही नही हटेगी ना ,,क्यू
ये बोलते हुए रज्जो ने अपनी ब्रा की एक तरफ की स्ट्रिप कन्धे से सरकाते हुए अपनी एक चुची को बाहर कर दिया
उसको देखते ही अनुज अकड़ गया और उसकी निगाहे अपनी मौसी की नंगी मोटी चुची के गहरे भूरे निप्प्ल पर अटक गयी जो रात की अन्धेरे मे बाथरूम की हल्की रोषनी मे और भी गहरे रंग मे दिख रहा था ।
मौसी के निप्प्ल का कड़कपन देख कर अनुज का लण्ड रज्जो की हथेली मे फडका और वो थुक गटकने लगा ।
उसकी जुबान ही नही रही हो जैसे वो बस रज्जो के रसिले चूचे निहार रहा था
रज्जो ने मौका देख कर एक कदम आगे बढाया और अपने चुचे अनुज के होठो के करीब ले गयी
अनुज ने जिज्ञासा वश नजरे उठा कर अपनी मौसी को देखा तो रज्जो हस कर - अब देख क्या रहा है , पी ना , यही चाहता था ना तू दोपहर मे उम्म्ं
अनुज अपनी मौसी की शरारती मुस्कान से शर्मा गया अपनी मौसी से चिपक कर हग कर लिया ।
रज्जो खिलखिला कर हसती हुई - अरे मेरे लल्ला को इतना पसंद था तो कह देता मै तो तुरंत खोल कर दे देती तुझे , ले पी मेरा बच्चा
फिर रज्जो अनुज के बालो को सहलाते हुए दुसरे हाथ से अपनी चुची पकड कर अनुज के होठो से स्पर्श कराती है और अनुज मुह खोलता हुआ लपक लेता है ।
रज्जो अनुज के सर को सहलाते हुए सिस्किया लेने लगती है और अनुज वैसे ही खड़े खड़े ही अपनी मौसी की चुची को मुह मे भर के चुबलाते हुए दुसरे हाथ दुसरी चुची को भी ब्रा के उपर से मसलने लगता है
रज्जो सिसक कर मुस्कुराती हुई - ऊहह उम्म बदमाश कही का , देखो तो दोनो ऐसे रगड़ रहा है जैसे रबर की गेंद
अनुज सर उठा कर - मौसी आपकी चुची ,अह मतलब दूध तो उससे भी नरम है
ये बोल कर अनुज खुद से ही रज्जो के ब्रा से दुसरी चुची खोल कर पीने लगता है और रज्जो सिस्क पड़ती है
रज्जो - ऊहह शैतान , तुझे तो सब पता है उम्म्ं सब तु ही पियेगा , अपनी मौसी को कुछ नही देगा क्या लल्ला
अनुज अलग होते हुए रज्जो का हाथ पकड कर बाथरूम मे लेके घुस गया और दरवाजा बन्द करके अपना अंडरवियर निकालते हुए - लो मौसी आप भी पी लो
रज्जो अनुज की हरकत पर मुस्कुराई और बाथरूम की फर्श पर घुटने के बल होती हुई अनुज का लण्ड थाम कर उसको मुठियाने लगी - तु बहुत शैतान है , कहा से सिखा रे ये सब ऊमम
अनुज अपनी मौसी के नरम हाथो का स्पर्श पाकर हवा मे उड़ने लगा और अगले ही पल रज्जो ने उसका सुपाडा मुह मे भर लिया ।
अनुज - ऊहह मौसी उम्म्ंम सीईई आह्ह औए चुसो उह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त चुस्ते हो अप उम्म्ंम मजा आ रहा है ओह्ह्ह
अनुज की सिसकिया रज्जो को उत्तेजित किये जा रही थी और वो ज्यादा से ज्यादा अनुज का लण्ड निगल रही थी
तभी अनुज ने अपने पैर उचकाये और चिल्ल्लाता हुआ - ओह्ह मौसी मै आ रहा हू ओह्ह्ह पी लो मेरा लण्ड ओह्ह मौसी पी लो , लोह्ह्ह पी लो आह्ह्ह मौसी
ये बोलते हुर अनुज रज्जो के सर को पकड कर लण्ड झटकने लगा और रज्जो का मुह अनुज के गाढ़े वीर्य से भर गया
जिस्से रज्जो सुरक गयी और फिर अनुज के लंड को अच्छे से साफ करते हुए उठ गयी ।
वही अनुज दिवाल से लग कर हाफने लगा और रज्जो शौवर चालू करके नहाने लगी
अनुज अपनी मौसी को पेतिकोट मे भीगता देख फिर से जोश मे आने लगा , रज्जो की गाड उस भिगे पेतिकोट मे साफ साफ दिखने लगी और धिरे से अनुज जाकर अपनी मौसी से पीछे से चिपक गया
रज्जो खिलखिला कर - आह्ह क्या तु भी , अभी मन नही भरा तेरा
अनुज अपने हाथ आगे ले जाकर अपनी मौसी की चुचिया मसलता हुआ लण्ड को उसकी गाड़ मे चुबोते हुए - उहू , इससे क्यू मन भरेगा ।
रज्जो कसमसाते हुए - ओहो लल्ला देर ना कर कोई आ जायेगा , चल जल्दी से नहा के निचे जाना है
अनुज अपना लण्ड रज्जो की गाड़ की दरारो मे गीले पेतिकोट के उपर से फसाने की कोसिस करता हुआ - लेकिन आपका नही हुआ ना मौसी
रज्जो कसमसा के - हा बेटा लेकिन देर हो जायेगी ना
अनुज अपनी मौसी के कुल्हे सहलाता हुआ - मै चाट दू मौसी उसको जल्दी हो जायेगा
रज्जो कसमसाइ - ऊहह बेटा जैसी तेरी मर्जी
ये बोलते ही अनुज फौरन निचे सरक गया और पेतिकोट उपर उठाने लगा तो रज्जो ने उसे उपर खिचकर उसकी मदद ही
अब अनुज के सामने उसकी मौसी की नंगी फैली हुई चरबीदार गाड़ थी और उसके भिगे हुए पाटे उह्ह्ह
अनुज ने अपने नथुनो से रज्जो के मोटे दरारो को सुघा और एक नशे मे मस्त हो गया ।
फिर उसने अपने दोनो हाथो से मौसी की फैली हुई गाड़ को थामते हुए उन्ही दरारो मे अपना नथुना रगड़ने लगा
रज्जो - ऊहह लल्ला वहा क्यू कर रहा हौ , इधर आगे आ ना
अनुज दोनो हाथो से अपनी मौसी के गाड के दोनो हिस्सो को फैलाकर दरारो को चौड़ा करते हुए अपनी मौसी की गाड़ की भरी छेद को देख के - मौसी मुझे आपकी गाड़ चाटनी है
ये बोलते ही अनुज ने अपना मुह रज्जो की गाड़ मे दे दिया और जीभ निकाल कर उसके गाड़ के सुराख को कुरेदना शुरु कर दिया
जिससे रज्जो की तडप और बढ गयी वो अपनी गाड़ और फैलाते हुए अनुज का सर पकड़ कर अपनी गाड मे दबाने लगी
अनुज की गीली नुकीली जीभ ने रज्जो के गाड़ के साथ साथ चुत को भी कुलबुलाने लगी
नतीजा रज्जो ने अनुज का सर छोड कर अपनी चुत को मलना शुरु कर दिया और कुछ ही पलो मे वो अकड़ने लगी और सीधी होकर खड़े खडे ही झड़ने लगी
फिर वो भी हाफ्ती हुई निचे बैठ गयी
जब उसकी सासे बराबर हुई तो देखा कि अनुज सामने खड़ा हस रहा था
रज्जो - शैतान कही का , अभी हस रहा है , चल नहा ले जल्दी से
फिर दोनो नहा कर निचे चले गये ।
वही निचे हाल मे रन्गीलाल आ चुका था , उसने जब रज्जो को तरोताजा देखा तो उसके बुझे हुए अरमानो को थोड़ी राहत मिली
क्योकि आज ममता के साथ समय बिताने का मौका जो नही मिला था । घर पर मुरारीलाल खुद उपस्थित था तो मज्बुन उसको न्योता देके वापस आना पडा ।
जल्द ही सारे लोग खाना खा कर अपने अपने कमरे मे सोने के लिए चले और रात फिर रज्जो रागिनी राज और रंगीलाल की धमाकेदार पारी चली ।
*** अमन का घर
दोपहर के वाक़ये के बाद अमन अपनी मा से थोडा लजा कर रह रहा था और डिनर के लिए भी वो अपना खाना लेके कमरे मे चला गया ।
ममता समझ रही थी कि आज उसने कुछ ज्यादा ही कर दिया बेचारे को शर्म आ रही है ।
रात के करीब 10 बजे वो रोज की तरह आज भी केसर बादाम वाला दूध लेके कमरे मे गयी ।
कमरे मे आज अमन सतर्क था क्योकि बीते कुछ पल उसकी मा के साथ अनुभव कुछ ठिक नही थे ।
इसलिए उसने सोनल को रुक कर फोन करने को बोला था क्योकि वो जानता था कि उसकी मा दूध लेके जरुर आयेगी ।
ममता के खुले दरवाजे पर ठक-ठक किया औद मुस्कुराते हुए - अन्दर आ जाऊ हीरो उम्म
अमन अपनी मा के द्वारा टांग खिचे जाने से फिर से झेप गया और हसते हुए - क्या मम्मी आप भी ना , मजे ले रहे हो
ममता चल कर कमरे मे अमन के पास आती हुई - अरे भाई तु शादी से पहले ही चुम्मीया ले रहा है और दे रहा है और मै मजे भी ना लू , ये कौन सी बात हुई भाई ।
अमन हस कर - तो क्या आपको जलन हो रही क्या , मुझे मिल रही है और आपको नही , हाहहहहा
ममता तुनक कर - जलन तो होगी ही ना , बचपन से अब तक सारी चुम्मीया सिर्फ़ मुझे मिलती थी, यहा तक कि तेरे पापा को भी तु नही देता था और अब
अमन हसता हुआ - अब क्या ?
ममता ताना मारती हुई - अरे अब तो जवाँ जवाँ हीरोइन जैसी बीवी मिल रही है तो उसी को देगा भाई तु चुम्मीया , मुझ बुढ़ी को क्यू पूछेगा ।
अमन हस के अपनी मा को अपनी ओर घुमाता हुआ - किसने कह दिया कि मेरी मा बुढ़ी हो गयी है , आप तो साउथ फिल्मो की हीरोइन हो हिहिहिही
अमन ने अपनी मा के चेहरे को थामा और बारी बारी से दोनो गालो को चुमते हुए - लो आपको भी दिया , अब खुश
ममता मुह फेर कर इतराती हुई - उसको 8 और मुझे सिर्फ 2 हुउह
अमन हस के अपनी मा को पीछे से हग करगा हुआ - उसके बाये गाल पर चुम्मियो की बौछार कर देता
ममता खिलखिला के हस पडती है - हिहिहिहिही बस कर बाबा कितनी देगा
अमन - जितना उसको दूँगा उसे एक ज्यादा ही , क्योकि मै आपसे भी बहुत प्यार करता हू मम्मी आई लव यू
ममता हस कर - हम्म्म बड़ा प्यार आ रहा है अपनी मा पे , शादी के बाद देखती हू कितना प्यार लुटाता है मुझपे ।
अमन वापस से ममता के गालो पर एक जोर की पप्पी लेता हूआ- हा देखना शादी के बाद तो सोनल के सामने भी आपको प्यार दूँगा ऐसे उम्माह ऐसे उम्म्माअह उउमाअह ऐसे हिहिहिही
ममता अपने गाल पोछते हुए - बस के भाई , ये दूध पी और सो जा
अमन - ओके मम्मी गुड नाइट , लव यू
ममता खिलखिला कर - चल सो जा , बडा आया लव यू बोलने वाला हिहिहिही
"बीवी के सामने मुझे प्यार करेगा हिहिही पागल कही का " , ममता खुद से बड़बड़ाती हुई निचे चली गयी ।
**** राहुल के घर
रात का खाना तैयार हो चुका था , शाम से ही जंगीलाल और शालिनी की कुछ बाते चल रही थी
शलिनी भी दिल ही दिल मे ये मोमेंट अनुभव करना चाहती थी लेकिन एक हिचक सी हो रही थी उसको ।
लेकिन जंगीलाल ने आखिरकर अपने कामूक स्पर्षो से और शालिनी के कुछ शर्तो पर उस को राजी कर ही लिया ।
फिर शालिनी उपर नहाने के लिए चली गयी ।
इधर जंगीलाल राहुल के साथ दुकान बढा कर फटाफट हाल मे आकर शालिनी के निचे आने का इन्तजार करने लगा ।
जंगीलाल ले दे राहुल को बस इतना ही कनविन्स कर रहा था कि उसकी मा उस ड्रेस मे हीरोइन लगेगी ।
लेकिन राहुल के हवस और प्लानिंग की भनक उसके बाप को भी नही थी ।
तभी जीने की सीढियो से पैरो की चाप की आहते आनी शुरु हो गयी
दोनो बाप बेटो का कलेजा कापने लगा और लण्ड अपने सर उठाने लगा ।
जल्द ही शालिनी शर्माहट भरी मुस्कान के साथ जीने की आखिरी सीढिया उतर रही थी और उसने अपना जिस्म एक तौलिये से लपेट कर ढक रखा था ।
शालिनी के गोरे चिट्टे जिस्म की चमक ने दोनो बाप बेटो की कामुकता को आग ही लगा दी , दोनो साथ मे उठ खडे हुए और थुक गटकते हुए शालिनी के हसिन जिस्म को निहारने लगे ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 174 C
लेखक की जुबानी
* राहुल के घर *
बीते लम्हे भाग 01
समय : दोपहर के करीब 2 बजे
किचन मे शालिनी अपनी टाँगे खोले गाड़ को बाहर की ओर फेके हुए खड़ी थी और निचे फर्श पर राहुल ने अपना मुह अपनी मा के गाड़ मे दे रखा था ।
शालिनी उसके सर को अपने गाड़ की दरारो मे दबाते हुए उसके नथनो पर भरसक अपनी चुत भी रगड़ रही थी - उह्ह्ह्ह बेटा उम्म्ंम और चुस अह्ह्ह तुम बाप बेटो ने मिल कर सच मे मुझे रंडी ही बना दिया है आह्ह सीईई और चाट उह्ह्ह
राहुल ने जब अपनी मा की ऐसी बात सुनी तो उसके जहन मे एक ही बात चलने लग कि क्या हो अगर पापा और मै दोनो मिल कर मम्मी को रन्डी के जैसे पेले तो
फिर वो वापस से अपनी मा की गाड़ फैलाये चाटने लगा और फिर खड़ा होकर अपने लण्ड पर थुक लगा कर सिधा गाड़ मे लण्ड डाल कर चोदने लगा ।
शालिनी - उह्ह्ह बेटा और पेल उम्म्ं मस्त चोदता है उम्म्ंम
राहुल अपनी मा की चर्बीदार गाड़ के पाटो को फैलाये सटासट लण्ड दिये जा रहा था - ओहहह मम्मी आप सच मे बहुत चुद्कद हो , मेरी रंडी हो उम्म्ं
शालिनी - आह्ह हा बेटा मै तो तुम दोनो की रन्ड़ि हू उम्म्ं और पेल मुझे उहहह अह्ह्ह
राहुल - मम्मी एक बात कहू ,
शालिनी - आह्ह हा बोल ना बेटा उह्ह्ग
राहुल अपने लण्ड को अब बहुत ही मादक तरीके से गाड़ की गहराई मे जाता हुआ - मम्मी मुझे आपको पापा के साथ चोदना है उम्म्ं चुदवा लो ना
शालिनी चुदासी होकर सिस्की लेती हुई चुप रही
राहुल- फिर आपके चुत और गाड़ दोनो मे लण्ड होगा उह्ह्ह कितना मजा अयेगा जब दोनो मिल कर आपको चोदनगे
शालिनी दो लण्ड एक साथ मिलने की कल्पना से ही झड़ने लगी और कापते स्वर ने - आह्ह्ह माह्ह उह्ह्ह ऊहह
राहुल अब और तेजी से लण्ड को सटासट गाड मे पेलने लगा - ओह्ह मम्मी बोलो ना ऊहह
शालिनी - हा बेटा चोद लेना ऊहह दोनो की रन्डी हू ना उह्ह्ह पेल मुझे रोक मत मेरा हो रहा है आह्ह अह्ह्ह और पेल
राहुल खुश होकर ताबड़तोड़ झटके लगाने लगा और इसी वक़्त उसके बाप की आवाज दोनो के कानो मे पडती और वो अकड़ जाते है ।
राहुल जल्दी से खड़े लण्ड पर च्ढ़्ढा उपर कर चला जाता है , क्योकि दुकान मे रागिनी और रज्जो आई होती है ।
इसी दौरान जब जन्गीलाल राहुल को इशारे मे भेजता है कि वो अपनी मा को कपडे बदलने के लिए ।
और कमरे मे शालिनी चली जाती है
राहुल शालिनी को हग करता हुआ - मम्मी ये होगा कैसे ?
शालिनी - क्या ?
राहुल - वही ! मै और पापा एक साथ
शालिनी हस के - धत बदमाश ,
राहुल - मम्मी प्लीज ना प्लीज
शालिनी - ये इत्ना आसान नही बेटा , लेकिन मै देखती हू
राहुल अपनी मा के गालो पर किस्स किया और बाहर चला और इधर शालिनी जानती थी कि जंगीलाल को कैसे काबू के लाना है ।
बीते लम्हे भाग 02
रज्जो - रागिनी के जाने के बाद जन्गीलल-राहुल मे जो बात हुई उसकी चर्चा करने के लिए कुछ समय बाद जन्गीलाल वापस कमरे मे गया ।
जन्गीलाल - शालिनी दरअसल मुझे राहुल को लेके कुछ बात करनी है
शालिनी - क्या हुआ जी !
जन्गीलाल - जान तुम्हे नही लगता कि राहुल ने जिस कपडे मे देखा उसे भनक लग गयी होगी कि हम लोग कर कर रहे थे ,
शालिनी मुस्कुरा कर - अरे तो क्या हुआ बेटा है मेरा , उसने तो कई बार मुझे नहाते हुए भी देखा है , इसमे क्या है । आप भी ना
जंगीलाल थोडा विचार करता हुआ - इतना भी बच्चा नही है वो 19 का हो गया है । इस उम्र मे क्या मुझे तो बहुत पहले से ही सेक्स के बारे मे जानकारी हो गई थी ।
शालिनी - तो आप कहना क्या चाहते है साफ साफ कहिये
जन्गीलाल - मुझे शक है शालिनी कि राहुल सब कुछ जान कर भी हमारे सामने भोलेपन का दिखावा कर रहा था आज
शालिनी हसकर - क्या जी आप भी , आपको तो खुश होना चाहिए कि आपका बेटा इतना समझदार ऐसी स्थिति मे भी अपने मा बाप को गलत ठहराने के बजाय खुद नासमझ बन गया ताकि हमे कोई असहजता ना हो और आप है कि
जंगीलाल - बात वो नही है शालिनी
शालिनी एक गहरी सास लेके - ह्म्म्ं बताईये क्या बात है ।
जंगीलाल - दरअसल अभी जब भाभी आई थी और मैने उसको बुलाया था , जब वो बाहर आया तो उसका लण्ड पूरी तरह तना हुआ था और वो उसको बार बार एडजस्ट कर रहा था ।
फिर जंगीलाल ने राहुल और उसके बिच हुई शालिनी के कपड़ो पर लेके बातचित को बताया कि कैसे राहुल अपनी मा को नये नये फैन्सी कपड़ो मे देखना चाहता है
अपने पति की बाते सुन कर शालिनी समझ गयी क्योकि उस समय बेचारे के लण्ड से माल ही नही निकल पाया था तो लण्ड खड़ा होना वाजिब था ।
शालिनी हस कर - तो आप कहना चाह रहे है कि मेरा बेटा मुझे उस रूप मे देख कर उत्तेजित हो गया था
जन्गीलाल - हमम शायद
शालिनी हस कर - अरे तो क्या हुआ , अब जिसकी इतनी सेक्सी मम्मी रहेगी उसके बेटे का लण्ड खड़ा ना हो तो बेकार है ऐसा सेक्सी होना हिहिहिही
जंगीलाल मुस्कुरा कर सीरियस भाव मे - मै मजाक नही कर रहा हू जान
शालिनी भौहे चढा कर मुस्कराने के स्वर मे - अच्छा जी , आप अपनी सेक्सी बेटी को दिन रात ठोको और मेरा बेटा मुझे देखे भी नही ,हुउह
जन्गीलाल शालिनी के जवाब पर झेप्कर हस पड़ा- अब मै !
शालिनी - नही नही बोलो बोलो , मै भी सोच रही हू काफी समय से , जैसे आप अपनी बेटी के साथ मजे ले रहे है क्यू ना मै भी अपने बटे के साथ लू , तभी हिसाब बराबर होगा
शालिनी की बाते सुन कर जन्गीलाल का लण्ड इसीलिए कसने लगा क्योकि अब तक तो वो ये चाहता था कि वो अपने बेटे के सामने उसकी मा को चोदे , लेकिन क्या होगा जब उसका बेटा ही अपनी मा को चोदेगा
ये विचाए आते ही जन्गीलाल का लण्ड फौलादी हो गया । जिस्पे शालिनी की नजर पड़ गयी ।
शालिनी ने लपक कर लण्ड को पकडते हुए - ओहो देखो तो मुझे मेरे बेटे से चुदता देखने के लिए कितने बेताब हो रहे हो
जंगीलाल हस के - ऊहह जान तो तुमने सच मे तय कर लिया कि तुम राहुल से
शालिनी अपनी मतवाली आंखो से जंगीलाल के आंखो मे देखते हुए जोर से उसके आड़ो को चढ्ढे के उपर से भीचकर - क्यू आपको नही देखना मेरा रन्डीपना ,उह्ंम्ंं रंडी बनाये हो ना मुझे बोलो
जन्गीलाल शालिनी के स्पर्श और उसके मादक शब्दो से आंखे बन्द कर लिया औए गहरी सास लेते हुए - आह हा जान देखूँगा ना
शालिनी समझ गयी कि ये अब आंटे मे आ गया और वो इतरा कर उठ गयी उसे तड़पता छोड कर
जंगीलाल ने बौखलाये लण्ड की तडप मे उसकी कलाई पकड़ ली - कहा जा रही हो जान
शालिनी ने नशिली आँखो से जन्गीलाल को देख कर मुस्कुराती हुई - अपने बेटे के लिए चुत साफ करने जा रही , आज उसे एकदम चिकनी चुत परोसुन्गी
अपनी बीवी की बात सुनते ही जन्गीलाल के लण्ड का सुपाडा और फुल गया जिसे जंगीलाल ने भीचते हुए कहा - ठिक है लेकिन एक शर्त है
शालिनी इतरा कर - क्या
जन्गीलाल मुस्कुरा कर - तुम्हारी चुत की सफाई मै खुद करूंगा
अप्ने पति के मुह से ऐसी बात सुन कर शालिनी की चुत बजबजा गयी और सिहर उठी ।
फिर दोनो मिया बीवी बाथरूम मे गये जहा जन्गीलाल ने अपनी बीवी के चुत के बाल साफ करके चिकना किया और फिर अपनी एक फरमाईस रखी कि वो आज सेक्सी ब्रा पैंटी सेट लेके आयेगा । जिसे पहन कर ही वो राहुल के सामने जायेगी ।
शालिनी ने बिल्कुल भी इंकार नही किया ।
बैक टू प्रेजेंट
तेज धड़कते दिल , गलो से उतरती हवस की लार , मस्ती मे उभफानी सासे और फौलादी होते लण्ड
दोनो बाप बेटे एक सी स्थिति मे फटी आंखो से शालिनी के जिस्म को निहार रहे थे, चिकनी टांगो मे पानी की बुन्दे अभी भी झलक रही थी, भिगे बालो से पानी रिस रिस कर तौलियो का वजन बढ़ाते हुए गाठ को ढीला करने पर लगा हुआ था।
राहुल के लिये एकदम ये सब सरप्राइज़ की तरह था और उससे कही ज्यादा जंगीलाल को अपनी बिवी की इस हरकत से उत्तेजना हो रही थी कि उसने बिना ब्रा पैंटी के सिर्फ़ तौलिया लपेट कर निचे आ गयी ।
दोनो की स्तिथी देख कर शालिनी एक शर्माहत भरी मुस्कान के साथ - मै जरा कपडे पहन के आती हू ले जाना ही भुल गयी थी ।
शालिनी बात सुनते ही पहली बार दोनो बाप बेटे की तन्द्रा टूटी और वो दोनो अपनी स्थिति को देख कर थोडा असहज हुए
दोनो की निगाहे मिली और दोनो एक दुसरे के चढ़ढे मे बने तम्बू को देख कर एक दुसरे को मुस्कुरा कर देखा फिर उस मोमेंट को इग्नोर करने का दिखावा करने लगे ।
वही शालिनी इतरा कर कमरे की ओर घूम गयी ,और वापस से दोनो की नजरे शालिनी के मतकते चुतडो पर चली जो तौलिये की कसावट मे और भी मादक लग रहे थे ।
राहुल चमकती आँखो से बिना जन्गीलाक की ओर देखे बस अपनी मा के मतकते कूल्हो को देखता हुआ - पापा मम्मी तैयार होने जा रही है
जन्गीलाल ने राहुल को देखा तो उसकी निगाहे अपनी मा पर जमी हुई थी और वो मुस्करा दिया कि उस्का शक सही था ।उसका बेटा अपनी मा का दीवाना हो चुका है ।
जंगीलाल शरारत भरी मुस्कराहट के साथ - शश्स्स्स , चुपके से चलते है उसको भनक ना लगे
राहुल ने अपनी भोली हसी मे खिखियाया और लण्ड भीच कर दबे पाव शालिनी के कमरे की ओर बढ गया ।
दोनो के मुहसे हवस की लार टपक रही थी और दोनो स्वार्थ के समझौते मे आगे बढ रहे थे ।
जल्द ही वो शालीनी के कमरे के सामने थे ।
रूम मे शालिनी दरवाजे की ओर पीठ किये बेड के पास खडी थी और बेड पर जन्गीलाल द्वारा लाया गया बिकनी सेट पड़ा हुआ था ।
शालिनी जान रही थी कि अब तक दोनो बाप बेटे दरवाजे तक चुके होगे इसीलिए उसने बड़ी कामूकता के साथ हाथ आगे ले जाकर तौलिये की गाठ खोलकर दोनो बाहे फैलाकर तौलिया भी फैलाया
जिसे देख के दोनो की आंखे चमक गयी , दोनो मन ही मन कलपना कर रहे थे कि आगे से दृश्य कीतना सेक्सी होगा
और वो दोनो ने थुक गटक कर अपना लंड भीचते हुए मुस्करा कर एक दुसरे को निहारा और वापस कमरे मे देखने लग गये ।
वही शालिनी ने तौलिये से अपने उपरी जिस्म को पोछने लगी और फिर बार बारी से टाँगे उठा कर जांघ और चुत को भी पोछ रही थी ।
फिर उसने तौलिये को वापस कमर पर लपेटा और आगे झुक कर ब्रा लेके उसमे हाथ डाल कर पहन ली और दोनो डोरी बान्ध लिया , मगर उसकी उम्मीद से डोरी ढीली ही रही । और चुचे लटके ही थे ।
बार बार कोसिस के बाद भी जब शालिनी से नही हुआ तो उसने वैसा ही छोड दिया औए अब बारी पैंटी की थी
दोनो बाप बेटो की नजरे फिर से चमक उठी इस उम्मिद मे कि अब तो शलिनी को तौलिया हटाना ह पडेगा क्योकि पैंटी लास्टीक वाली नही थी उसको पहनने के बाद डोरी बान्धना था साइड साइड से ।
शालिनी जान रही थी इस वक़्त दोनो बाप बेटो की आंखे की उसकी चर्बीदार गाड़ के चिकने पाटे निहारने को आतुर ही होगे
इसलिये वो भी इतरा कर बिना तौलिया खोले ही पैंटी मे बारी बारी पाव डाल कर उपर चढाने लगी और आखिर जब पैंटी आधे चुतडो तक चढ़ गयी तो मजबूरी मे उसको बान्धने के लिए शालिनी को तौलिया खोलना पड़ा, इधर जैसे ही शालिनी ने तौलिया सरकाया
दोनो की आंखे फट रही गयी , वो दोनो शालिनी के उभरी हुई चर्बीदार अध नंगी गाड़ निहार रहे थे जिसपर शालिनी ने जल्द ही पैंटी चढा ली और डोरी बान्धते हुए दरवाजे की ओर घूमी तो उसकी हसी छुट गयी - तो आप बाईसकोप देख रहे है वहा खडे खड़े ये नही कि मेरी मदद कर दे ।
शालिनी की बात सुन कर जंगीलाल हस कर राहुल को देखा और कमरे मे जाने लगा तो राहुल भी कमरे मे आ गया
शालिनी - ये क्या लेके आये है जी देखिये कितना ढीला ढीला है
शालिनी ने अपनी ब्रा की डोरी पकड कर उपर निचे करके अपने चुचे हिलाती हुई बोली ।
तो जन्गीलाल हस के - अरे जान ये तो ऐसे ही होता है , गर्मियो मे आराम हो इसीलिए ।
राहुल बिना कुछ बोले अपनी के कामुक जिस्म को निहारे जा रहा था उसे यकीन नही हो रहा था वो अपने बाप के सामने अपनी मा को इस तरह देख पा रहा था
शालिनी इतरा कर मुस्कुराते हुए जंगीलाल को देखा और आईने मे खुद को निहारते हुए अपनी पैंटी को और उपर चढाने लगी , जिस्से पीछे राहुल और जन्गीलाल की निगाहे उसके चर्बीदार गुदाज गाडो पर गयी , जो पैंटी के उछलकूद कर रहे थे ।
मौका देखकर जन्गीलाल ने अपना हाथ आगे बढा के शालिनी के मोटी गाड़ पर हाथ घुमाते हुए - बहुत सेक्सी लग रही हो जान
शालिनी ने झलक कर आइने मे राहुल को अपना सुपाडा मुठियाते देखा और तुन्कते हुए अपनी बाहो से जन्गीलाल के सीने पर ध्क्का देते हुए - क्या आप भी , मजाक करते है
जन्गीलाल - मै सच कह रहा हू जान, यकीन ना हो तो राहुल से पुछ लो
ये बोल कर जंगीलाल ने शालिनी को पकड कर राहुल की ओर घुमाया - क्यू बेटा कैसी लग रही है तेरी मा
राहुल अपने चढ़ढे मे बने तम्बू से फौरन हाथ हटाकर शर्माहट भरी मुस्कान से - वही जो आप कह रहे हो पापा
जन्गीलाल हस कर - अरे तो शर्मा क्या रहा है खुल के बोल ना
राहुल हस कर - हा मममी पापा सही कह रहे है , आप बहुत सेक्सी लग रहे हो हिहिहिही
शालिनी - अपनी मम्मी को सेक्सी बोल रहा है , बदमाश कही का उम्म्ं
राहुल - अब पापा ने बोला तो मै भी बोल ही सकता हू ना ,
शालिनी - अच्छा तो जो तेरे पापा करेंगे वो तु भी करेगा , उम्म्ं !!
राहुल सवालिया नजरो से अपने पापा को देख्कर - क्यू मै नही कर सकता क्या ?
जन्गीलाल - क्यू नही कर सकता बेटा, तेरी मा पर जितना हक मेरा है उतना तेरा भी है , आखिर तू हमारा एकलौता बेटा है ।
जन्गीलाल की बाते सुन कर दोनो मा बेटे के सासे हैवी होने लगी थी । दोनो जान रहे थे कि अब जल्द ही वो पल आने वाला है ।
जंगीलाल ने आगे लपक कर शालिनी के गाल पर पप्पी कर ली और बोला - मैने ली ना पपपी आ तु भी ले
राहुल असहज होने का दिखावा करता हुआ - मै !!
जन्गीलाल - आ ना , तेरी मा कुछ नही बोलेगी , आ ।
राहुल आगे बढा और शालिनी के दुसरी ओर खड़ा होकर हल्के से अपनी मा के गालो को चूमा जिससे शालिनी सिहर गयी
जंगीलाल हस कर- क्या तू भी बच्चो जैसे ले रहा है , ऐसे ले ना
ये बोलकर जन्गीलाल शालिनी की ओर लपक कर उसके चर्बीदार गाड़ को हाथो मे भर के मसलते हुए उसके गाल पर जोर से चुम्मी की उसके गाल लाल हो गये और वो हिल गयी ।
राहुल ने थुक गटक कर अपनी मा के चेहरे को पकड कर उसके गालो पर होठ रख प्प्पी ली
इतने मे शालिनी खिलखिलाई और हस कमरे से बाहर भागती हुई - आप लोग तो मेरे पीछे ही पड़, हिहिहिजी
जन्गिलाल - अरे बेटा पकड तेरी मा को भाग रही है , आज इसकी खुब चुम्मीया लेंगे हम दोनो
इतना सुनते ही राहुल गदगद हो गया क्योकि वो अब समझ गया था कि उसके बाप का इशारा किस ओर था ।
फिर क्या राहुल अपनी मा की ओर लपका और हाल की ओर भागा ,
हाल उसने अपनी मा को पीछे से पकड रखा था और उसका लण्ड अपनी मा के गाड़ के गालो को चुबो रहा था , शालिनी छ्टपटा रही थी कि इतने मे जंगीलाल भी आ गया ।
जन्गीलाल - ओहो तु बस पकड कर खड़ा है ले ना चुम्मीया
राहुल - लेकिन कैसे ? मम्मी गाल घुमा ले रही है
जन्गीलाल - अरे तो क्या सिर्फ़ गाल पे ही चुम्मीया ली जाती है पागल
राहुल अचरज भरे स्वर मे - फिर !!
जन्गीलाल - तु भी ना बहुत भोला है , अरे तेरी मा के नाजुक बदन ने तुझे कुछ भी दिख रहा है जो चुमने लायाक ना हो ,
राहुल अपनी बाप की बात सुन कर थोडा लजा गया और वही जन्गीलाल निचे बैठ कर शालिनी की कमर को पकड कर उसके पेट को चुमने लगा
राहुल ने भी मौका देखकर अपनी मा के गरदन और कन्धे चूमने लगा ।
इधर जन्गीलाल शालिनी की एक जांघ उठा कर अपने कन्धे पर रख कर उसके रसिले चर्बीदार जनघो को भी चुमता हुआ चुत की ओर बढ़ रहा था वही राहुल ने अपनी मा की पीठ पर जीभ फिरानी शुरु कर दी थी ।
नतीजा शालिनी अपना सन्तुलन खोने लगी और सिस्कती हुई -आह्ह रुकिए ना जी मै गिर जाऊंगी उह्ह्ह सीईई उम्म्ंम
जन्गिलाल ने मौके की नजाकत को समझा और उठ कर खड़ा हुआ - बेटा हट जा पीछे से , तेरी मा को सोफे पर बैठ जाने दे ।
फिर राहुल हट कर सामने आ गया और अपना सुपाडा खुजाते हुए अपने बाप को देखने लगा , जो शालिनी को सोफे पर लिटा कर खुद फर्श पर बैठ कर उसके एक टांग को अपने कन्धे पर रख उसकी चिकनी चिकनी पिण्डलिया सहलाते हुए चुमने लगा ,
जिस्से शलिनी की सिसकिया और बढ गयी
जंगीलाल - आ बेटा तु भी ऐसे कर ,
राहुल खुश होकर अपने बाप के बगल मे बैठ गया और अपने बाप की नकल करता हुआ अपनी मा के नंगे पांव को चुमने लगा
शालिनी की बेचैनी अब और बढ़ने लगी , जिस्म का रोवा रोवा काप रहा था , चुचिया ब्रा मे फूलने लगी थी और उसकी चुत मे अलग ही आग मची हुई थी ।
दोनो बाप बेटे धीरे धीरे घुटने से आगे बढ कर शालिनी की जांघो तक आ चुके थे और वो उसकी पैंटी लाईन के पास अपनी जीभ बहुत ही कामुक ढंग से चला रहे थे ,
धीरे वो उपर पेट की ओर बढने लगे और शालिनी की चुत पूरी तरह से बजबजाइ हुई थी , उसकी पैंटी निचे से गीली हो चुकी थी ।
दोनो उसके पेट पर अपनी जीभ चलाते हुए नाभि को खोदना चालू कर चुके थे , इधर राहुल की स्पीड उसके बाप से तेज थी वो किनारे किनारे सफ़र बढाता हुआ अपनी मा के आर्मपिट तक जा पहुचा था और उसकी चिकनी मदहोश करने वाली कांख मे अपने नाथूने और होठ घुमा रहा था ।
जन्गीलाल ने भी जल्द ही राहुल की बराबरी की और वो भी शालिनी की बाजुओ को उठाये उसकी बगल मे मुह दे चुका था ।
शालिनी अपना पुरा जिस्म अक्ड़ाये हुए मादक सिसकिया ले रही थी ।
वही दोनो बाप बेटे एक लय मे कांख से उसके उपरी कंधो पर आ चुके थे और उनका लक्ष्य धीरे धीरे शालिनी की चुचियो की ओर बढना था ।
वो दोनो अपने प्रयास मे लगे थे और तभी वो क्षण आया कि जब राहुल के होठ अपनी मा के ब्रा के कप पर आकर रुक गये और वो अपनी मा के उभरेहुए सीने पर होठ रखे हुए ही अपने बाप को देखता है तो जंगीलाल उसको देखकर उसके सामने शालिनी ब्रा के कप को सरकाकर नंगी चुची के निप्प्ल को मुह मे भर लेता है
जिसे देख कर राहुल गनगना जाता है और वो भी वापस से अपने बाप के जैसे ही कप को खोलकर निप्प्ल को मुह मे भर कर चुबलाना शुरु कर देता है
शालिनी की सिसकिया अब चिखो का रूप ले रही थी क्योकि दोनो जोर जोर से उसके निप्प्ल अपने होठो से नोच रहे थे और उन्के हाथ मे चुचिया मस्ली जा रही थी ।
शालिनी अपनी गाड़ पटकती झड़ रही थी और दोनो के सर को अपने सीने पर दबाये जा रही थी
शालिनी - उह्ह्ह उम्म्ं सीईई निशा के पापा उह्ह्ह मुझे चाहिये उह्ह्ह
जन्गीलाल सर उठा कर - क्या चाहिये मेरी जान
शालिनी ने जन्गीलाल के तने हुए मुसल की ओर इशारा किया और राहुल के सर को अपनी चुची मे मल दिया ।
इतना कहने की देरी थी अगले ही पल जंगीलाल ने खड़ा होकर अपना मुसल निकाल कर शालिनी के साम्ने कर दिया और शालिनी ने भी देरी ना करते हुए सुपाड़े से चमडी निचे कर मुह मे लण्ड को आधा भर लिया ।
जन्गीलाल अपनी गाड़ उच्का कर सिस्क पड़ा और उसकी नजर अगले ही पल राहुल पर गयी जो उसकी ओर ही सर उठाए देख रहा था
जन्गीलाल अपने चेहरे को भीचते हुए - आह्ह बेटा तु चुस उसे अह्ह्ह ऊहह जान उम्म्ं और लो ना अन्दर
वही शालिनी गपागप अपने पति का लंड घोटे जा रही थी और राहुल अपनी मा की दोनो चुचिया पकड़कर मसल मसल कर बारी बारी से दोनो चुसे जा रहा था
वो जान रहा था अब रुकना ठिक नही , यही मौका है कि अब खुल कर खेला जाये
फिर क्या अगले ही राहुल भी शालिनी के सामने अपना मुसल निकाल कर मुठियाते हुए खड़ा था ।
राहुल ने थोडा झिझक भरे स्वर मे कुनमुना कर - मम्मी मेरा भी लो ना
राहुल की आवाज सुनते हुए दोनो मिया बीवी ने आखे खोली और देखा कि राहुल भी अपना मुसल हाथ मे लिये खड़ा हो उसको हिला रहा था
शालिनी ने मुह मे लण्ड भरे हुए आंखे उपर करके जन्गीलाल को देखा मानो इजाजत माग रही थी ,
जन्गीलाल ने आँखो से हामी भरी और शालिनी ने मुस्कुरा कर अपने पति का लण्ड छोडा और राहुल के लण्ड को थामते हुए बोली - तुझे भी चाहिये उम्म्ं
राहुल ने बड़ी मासूमियत से हा सर हिलाया और अगले ही पल उसकी आंखे उलटनी सुरु हो गयी , जैसे ही शालिनी के ठंडे होठो ने उसके तप्ते लण्ड की सतहो को चुबलाना शुरु किया
राहुल अपनी एडिया उचका कर - ऊहह मममीईई अह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्ंम्ं
शालिनी अब राहुल का लण्ड मुह मे भरना शुरु कर दिया , अपने सामने अपनी रंडी बीवी मे मुह मे अपने ही बेटे का लन्ड जाता देख जन्गिलाल के सुपाडा और भी फुलने लगा
वो तेजी से अपना लंड भिचता हुआ - आह्ह जान मै भी हू
शालिनी ने कनअखियो से अपने परेशान पति को देखा और लप्क कर दुसरे हाथ से लण्ड को पकड कर मुठियाने और अगले ही पल राहुल का लण्ड छोड जन्गीलाल का लण्ड मुह मे ले लिया ।
जन्गिलाल एक बार फिर गहरी आह भरि और अपना बनियान निकाल फेक , शालिनी के सर को पकड कर उसके मुह मे पेलने लगा
शालिनी का गल चोक होने लगा और अगले ही पल शालिनी लण्ड उगल दिया तो जंगीलल ने उसके सर को पकड कर अपना गीला लन्ड उसके होठो पर पटकने लगा जिसे शालिनी ने वाप्स मुह मे भर कर चुसने लगी , ये सब देख कर राहुल की हालत और खराब हो रही थी ।
अगले ही पल शालिनी ने फिर से राहुल के लण्ड पर मुह डाला तो राहुल ने भी अपने बाप की तरह अपनी मा के गले लण्ड को चोक किया और फिर बाहर निकाल कर उसके होठो पर घिसने लगा
जिसे देख कर जंगीलाल भी अपना लण्ड उसके गालो पर थपकाने लगा ।
शालिनी पूरी तरह से खुल चुकी थी और दोनो लण्ड को तेजी से मुठियाती हुई लार से गीला कर चुकी थी ।
वो हवस भरी नजरो से दोनो का लण्ड हिलाती हुई उन्के आंखो मे देखती है कि अब खेल आगे बढाया ।
इस पर जंगीलाल खुश होकर - बेटा तुने कभी बुर देखी है
राहुल थोडा झिझक और शर्म से ना मे सर हिलाया
जन्गीलाल मुस्कुरा कर - रुक आज मै तुझे तेरी मा के बुर दिखाऊँगा, उठ जा मेरी जान
शालिनी खुश हुई और इतरा कर खड़ी हुई
जंगीलाल ने उसे झटके से घुमाया और सोफे पर धकेला जिस्से शालिनी घुटने का टेक लेते हुए अपनी गाड़ फैला कर सोफे पर टिक गयी ।
जंगीलाल से शालिनी की गोरी चिकनी फैली हुई चर्बीदार गाड़ देख कर रहा नही गया और उसने जोर से एक थप्पड़ उसके चुतड पर रसीद दिये जिससे शालिनी काफ गयी और जन्गीलाल का पन्जा उसके गोरे चुतड पर छप गया ।
जिसे देख कर राहुल भी हिल गया । फिर जंगीलाल ने अपने हाथ से उसकी पैंटी की डोरी को उपर की ओर खीचा ताकी निचे पैन्ति पूरी तरह से चुत से चिपका जाये
जन्गीलाल - बेटा जरा निचे हाथ डाल कर छू, देख कैसे है तेरी मा की बुर
राहुल गहरी सासे लेते हुए कापते हुए हाथ से निचे अपनी मा की बुर टटोला जिससे शालिनी सिस्क पड़ि
जंगीलल उत्सुंकता वस - कैसा है
राहुल अपनी मा की चुत के फाको को अपनी उंगलियो से खोद्ता हुआ -बहुत नरम है पापा ये तो
जंगीलाल मुस्कुरा कर अगला सवाल दागा - पेलेगा अपनी मा को
इस सवाल ने मा बेटे दोनो के शरिर मे सिहरन पैदा के दी और थुक गटकते हुए राहुल ने हा मे गरदन हिलाया ।
जन्गीलाल - पता है कैसे पेलते है
राहुल ने थोडा हस कर शर्माते हुए हा मे फिर से सर हिलाया
जन्गीलाल सिहर कर एक गहरि आह भरते हुए अपना लण्ड मसल कर - पेल फिर !
"ऐसे ही " , राहुल ने अपनी पैंटी की ओर इशारे से कहा ।
जंगीलाल - हा उसको साइड करके डाल ना
भले ही इतना सब हो चुका हो लेकिन राहुल को अभी भी अपने बाप से झिझक हो रहा था और उसने अपनी मा की पैंटी खिच कर उसकी गाड़ पर चढाई और सुपाड़े पर थुक लगाते हुए अगले ही पल लण्ड को अपनी मा की बुर मे उतार दिया
शालिनी - उह्ह्ह बेटाआह्ह उम्म्ं सीईईई ओह्ह्ह्ह
जंगीलाल - अब रुका क्यू पेल कस कस के
अपने बाप की आज्ञा पाते ही राहुल ने अपनी मा के कूल्हो को थामते हुए कस कस कर पेलना शुरु कर दिया वही शालिनी की चिखे निकल रही थी वो राहुल का नाम ले ले के चिल्ल्ल रही थी
जन्गीलाल अपना लण्ड हिलाते हुए शालिनी के पास जाकर - क्यू मेरी जान मजा आ रहा है ना बेटे से चुद कर उम्म्ं
शालिनी- आह्ह हा मेरे राजा ऊहह बहुत और पेल बेटा ओह्ह्ह उझ्ह्ह्ह उम्म्ंम सीईई
जंगीलाल - औए तुझे राहुल, कैसा लग रहा है अपनी को बुर मे घुसके
राहुल हाफते हुए - बहुत मजा रहा है पापा , बहुत कसी हुई बुर है मम्मी तुम्हारी अह्ह्ह अह्ह्ह
जंगीलाल - चोद चोद बेटा उससे ज्यादा कसी हुई तो गाड़ है तेरी मा की , एकदम रन्डी है और पेल और
राहुल - हा पापा मम्मी की गाड़ भी बहुत मस्त है बड़ी बड़ी उह्ह्ह इसको भी मै पेलुँगा अह्ह्ह मम्मी उह्ह्ह मेरा आयेगा उह्ह्ज
जंगीलाल - झड़ जा बेटा अपनी मा की बुर मे , भर दे उस्को हा और पेल
अगले कुछ भी पल मे राहुल अपनी मा के चुत की गहराईयो मे झटके खा रहा था और फिर वो हाफ्ता हुआ सोफे पर बैठ गया
वही जन्गीलाल ने उसी पोजीशन मे मोर्चा सभाला और शालिनी की गाड़ मे लण्ड भरना शुरु कर दिया ।
शालिनी - अह्ह्ह राजाआह्ह और पेलो मुझे चोदो अपनी रंडी को उह्ह्व माअह्ह और और और
जंगीलाल कस कस के लण्ड शालीनी की गाड मे उतारता हुआ - ले साली चुदक्कड़ और ले उह्ह्ह और ले अह्ह्ह मै तेरी गाड़ भर दूंगा अह्ह्ह आह्ह लेज्झ्ह
कुछ ही देर मे जन्गिलाल ने भी शालिनी की गाड़ मे अपना माल भर दिया और वो भी थक कर सोफे पर बैठ गया ।
थोडी देर सुस्ताने के बाद शालिनी ने अपनी ब्रा और पैंटी थिक करते हुए खाना खाने का सुझाव दिया ।
फिर दोनो बाप बेटे अपना अपना लण्ड चढ़ढे मे डाल कर खाने का इन्तजार करते हुए बाते करने लगे।
बातो ही बातो मे जन्गीलाल ने राहुल से सेक्स को लेके पूछा तो उसने ब्ताया कि वो ये सब इंटरनेट से सिखा था और फिये उसने अपने बाप के मोबाइल के हार्डकोर थ्रीस्म की एक वीडियो दिखाई जिसमे एक ही औरत को दोनो आदमी एक साथ उसकी चुत और गाड़ मे पेल रहे थे और साथ मे ही उसके मुह मे झड़ रहे थे ।
जिसे देख कर जंगीलाल ने तय किया कि यही तरीका डिनर के बाद वो आजमायेगा
तभी शालिनी खाने की थाली लेके आती है और जैसे ही थाली देने के लिए झुकती है तो उसकी एक चूची ढीली ब्रा के कप से निप्प्ल सहित बाहर लटक जाती है ।
जिसे राहुल बड़ी बेशरमी से लपक कर हाथो मे भर लेता है तो शालिनी उससे अलग होकर वापस उसे ब्रा मे भरते हुए - धत्त बदमाश , चल खाना खा
राहुल हस कर - मम्मी आप भी आओ ना हमारे साथ
ये बोल कर राहुल ने अपने पापा और खुद के बिच सोफे मे जगह बना दी और फिर जब जन्गीलाल भी इंसिस्ट करता है तो शालिनी मान जाती है और दोनो के बिच बैठ जाती है ।
फिर दोनो बाप बेटे बारी बारी से शालिनी के गालो को चुमते हुए तो कभी उसके चुचे छुते हुए उसको खाना खिलाते है ।
और जल्द ही अगली ताबड़तोड़ चुदाई की पहल हो जाती है जो सुबह 4 बजे तक चलती है ।
जारी रहेगी
बहुत ही बेहतरीन और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 175 A
लेखक की जुबानी
अगले दिन की तैयारी मे राज का परिवार जुटा हुआ था ।
किसी भी सद्स्य को फ़ुरसत नही थी ।
पाठ 11 बजे से शुरु होना था जिसकी व्यव्स्था उपर की छत पर टेन्ट स्टाल लगवा कर की गयी थी ।
शकुन्तला ,विमला , रंजू , रजनी और शालिनी सबका परिवार आ चुका था ।
राज के नाना पूजन मे ना आकर हल्दी मे आने वाले थे क्योकि राज के मामी के मायके मे शादी थी तो वो बच्चो सहित वहा निकल गयी थी ।
इधर शिला भी अकेले ही शादी तक की अपनी तैयारिया पूरी करके राज के यहा पहुच चुकी थी ।
रागिनी और रंगीलाल दोनो पूजन मे बैठ चुके थे और इधर मेहमानो की खातिरदारि चालू थी ।
घर मे औरते जहा तहा भरी हुई थी , हर तरह गरदाई मालदार औरतो के कुल्हे मटक रहे थे ।
कुछ हसी मजाक तो कुछ शादी की बाते ।
कही ननद भौजाई की चुटकी भी चल रही थी ।
ऐसे मे कमलनाथ अपनी बहु को लेके राज के घर के आँगन मे प्रवेश करता है ।
फैली हुई आंखो से वो ट्राली बैग खीसकाता हुआ गैलरी से हाल की ओर बढ रहा था ।
हाल मे शिला जो अभी अभी आई थी उसकी आवभगत मे रज्जो लगी हुई थी ।
सारे टेम्पोररी मेहमानो को पानी पिला कर उपर छत पर भेज दिया जा रहा था लेकिन खास मेहमान जो रुकने वाले थे उनकी जिम्मेदारि रागिनी ने रज्जो को दे रखी थी कि वही सब व्यवस्था देखे ।
इधर कमलनाथ की निगाहे जैसे ही शिला पर गयी उसकी आंखे चमक उठी
साधारण कुर्ती leggings मे भी शिला का जिस्म भरा हुआ था , चर्बीदार चुतड कुर्सी पर फैले हुए थे और गदराई मुलायम मोटी जान्घे कसी हुई लेगी मे झलक रही थी ।
पल भर को कमलनाथ की नजर शिला की मोटी आंखो से टकराई और दोनो( शिला और कमलनाथ) के शारिर मे एक तरंग सी उठ गयी ।
दोनो के बीच एक सम्मोहन सा उठा , वो दोनो एक संसय मे पड़ गये कि कही तो उंहोने एक दुसरे को देखा है , लेकिन किसी के जहन मे सफाई नही दिख रही थी । बस एक धुंधलापन था ।
इससे पहले कि उनकी आंख मिचौली आगे बढती कि रज्जो की आवाज कमलनाथ के कानो मे पड़ती है ।
रज्जो - अरे आप लोग तो बड़ी जल्दी आ गये , आह्ह खुश रह बहु ।
रज्जो ने रीना को आशीर्वाद देते हुए कहा और फिर शिला से बोली - जीजी यही है हमारी बहु , बहु ये राज की बड़ी बुआ है ।
राज की बड़ी बुआ का सम्बोधन सुनते ही कमलनाथ की आंखे चमक उठी , और सारी धुन्ध्ली यादे आइने के जैसे साफ हो गयी । उसके चेहरे पे शिला से जुडी कुछ अतीत के अनुभव की यादे मुस्कराहट का रूप ले चुकी थी । वही हाल शिला का था जब उसे पता चला कि वो शक्स असल मे रागिनी का जीजा है ।
फिर रीना ने आगे बढ़कर शिला के पैर छुए तो शिला ने अपने पर्श से कुछ नेग निकाल कर उसको आशिष दिया ।
इधर कमलनाथ ने भी आंखो ही आंखो मे शिला को देखते हुए मुस्कुराकर नम्स्ते किया ।
शिला ने भी गुपचुप से मुस्कान के साथ नम्स्ते किया ।
इस पर रज्जो हस कर बोली -और जीजी इन्हे तो आप जानती ही होगी , ये हमारे
कमलनाथ हस के - अरे क्यू नही जानेगी , भूल गयी जब हमारी साली साहिबा की बिहाने आई थी तो क्या क्या ड्रामा हुआ था । हाहाहहाहा
कमलनाथ की बाते सुन कर शिला शर्म से झेप जाती है और हस कर - आपको अभी भी याद है वो सब
कमलनाथ ने शरारती मुस्कान के साथ व्यंगात्मक भाव मे - वो याद भूले नही भूली जाती है , अभी भी सब कुछ आंखो के सामने चल रहा है ।
शिला शरम से लाल हो गयी और मुस्कुराने लगी जिसे देख कर रज्जो को कुछ शक हुआ आखिर ऐसा क्या माजरा है भाई कि शिला के गाल टमाटर से लाल हुए जा रहे है ।
मगर रीना की वजह से उसने फिल्हाल के लिए सवाल टाल दिया और फिर रज्जो ने शिला को गेस्टरूम मे शिफ्ट कर दिया और कमलनाथ को राज के कमरे मे ।
वही रीना के लिए उपर सोनल के कमरे मे व्यव्स्था हो गयी ।
एक ओर जहा सारे लोग हसी खुशी मे मस्त होकर घुल मिल रहे थे वही इनसब से अलग निशा और सोनल की बेताबी अभी बढ़ रही थी ।
कारण था अभी तक अमन नही आया था ।
अमन के घर
सुबह के 9 बज रहे थे और लाड साहब अपने पजामे मे तम्बू बनाये बिस्तर पर बेधडक सोए हुए थे , कारण था देर रात तक सोनल से कामुक बाते ।
इधर ममता तैयार हो कर नासता बना चुकी थी और कई बार निचे से आवाज दे चुकी थी लेकिन नवाब साहब के अपने ही नखरे थे ।
हारकर ममता उपर अमन के कमरे की ओर बढ गयी और जैसे ही कमरे का दरवाजा खोल कर सामने देखा तो अपना माथा पीट लिया
सामने अमन का लण्ड छ्त की ओर मुह किये अंडरवियर मे तना हुआ था और अमन गहरी निद मे
लण्ड की कसावट देखकर ममता को खुशी हुई कि उसकी रात वाली खुराक से अमन मजबूत हो रहा है और सुहागरात पर बहु की चिख निकालेगा
अगले ही वो खुद अपनी कल्पना से शर्मा गयी कि वो क्या क्या सोच रही है ।
फिर वो भितर गयी और अमन की ओर झुक कर उसे हिला कर जगाने लगी जिससे सूट मे भरी हुई उसकी 42 की चुचिया भी अमन के चेहरे के महज कुछ इंच भर दुर हिल रही थी ।
और अमन की निद जैसे ही खुली उसके सामने उसकी मा की खरबजे जैसी गोरी गोरी चुचिया सूट मे लटक रही थी ,
जिसकी गहरी घाटिया देख कर अमन की आंखे फैल गयी ।
अमन के चेहरे के भाव देख कर ममता समझ गयी कि उससे दुपट्टा लेना रह गया और वो झटके से उठकर अपना सूट सही करते हुए - उठ जा बेटा, 9 बज रहे है । चलना नही है क्या बहु के घर
सोनल के यहा जाने की बात सुनते ही अमन झटके से बेड पर ही उठ खड़ा हुआ इस बात से बेफिकर कि वो सिर्फ़ बनियान और अंडरवियर मे है
और उस्का 9 इंच का कैन जैसा लण्ड अंडरवियर को भेदने के मूड मे है , जिसे उसकी मा फटी आन्खो से निहारे जा रही थी ।
अमन ने लपक कर तौलिया लिया और लपेटने लगा ।
फिर ममता ने थोडा नजरे फेरे और अटकते हुए स्वर मे - जा जल्दी नहा ले
ये बोलकर मूसकराके अपने कुल्हे हिलाती हुई तेजी से कमरे से बाहर आ गयी ।
अमन मन ही मन खुद को कोसा कि आज फिर उसे अपनी मा के सामने शर्मिंदा होना पड़ा ।
खैर कुछ ही देर बाद अमन तैयार होकर निचे आया और नास्ते की टेबल पर बैठ गया ।
ममता को अब हसी आ रही थी उपर कमरे मे अमन की स्थिति को देख कर और वो जब भी अमन के पास जाती मुस्कराहट अपने आप उसके चेहरे पर आ जाती ।
जिससे तंग आकर अमन ने मुह ब्नाते हुए - मम्मी प्लीज आप वो वाला दुध मुझे मत दिया करो
ममता हस कर - क्यू !
अमन उसकी ओर देख कर बेबसी मे उतरे हुए चेहरे से - आपको नही पता क्या मै क्यू मना कर रहा हु ।
ममता हस कर - मुझे कैसे पता चलेगा भाई, तुझे क्या तकलिफ है ।
अमन उखड़ा हुआ चेहरा लेके - वो मुझे दिक्कत होती है , वो जल्दी छोटा नही होता
ममता हस कर - क्या वो वो लगा रखा है
अमन झिझक कर - कुछ नही ।
ममता मुस्करा कर अपने लाडले के पास गयी और उसके सर पर हाथ फेरते हुए - अच्छा तो तु अभी उपर कमरे मे जो हुआ उस्की वजह से परेशान है उम्म्ंम
अमन ने निराश स्वर मे - हम्म्म्म
ममता - तो इसमे परेशान क्यू हो रहा है , वो तो नोर्मल है ना
अमन नजरे उठा कर - लेकिन वो आपके सामने ।
ममता - अरे तो मै तेरी मा हु ना , अब क्या मुझसे भी शर्मायेगा । भूल मत हल्दी मे तुझे और भी औरतो के सामने नंगा होना पड़ेगा
अमन आंखे फैला कर - नंगा ! मतलब पुरा ?
ममता उसकी बाते सुन्कर हस कर मजे लेते हुए - और क्या हल्दी तो पूरी बदन पर लगेगी ना
अमन - नही नही मै नही लगवाउन्गा प्लीज मम्मी ,मुझे शर्म आयेगी और कैसे कोई औ उसे छुयेगा ।
ममता अमन की बेवकूफ़ीयाना सवाल पर हस कर - चल ठिक है उसको ढक लेना तू मै अकेले मे उसको हल्दी लगा दूँगी ।
अकेले मे लण्ड पर हल्दी लगाने की बात सुन कर अमन का लण्ड ठुमक उठा कि क्या सच मे उसकी मा उसके लण्ड को पकड कर सहलाएगी । उसको हल्दी लगायेगी ।
छीईईई ये मै क्या सोच रहा हु , पता नही क्या हो रहा है मुझे । मै मम्मी की ओर खिच क्यू रहा हु ।
इधर अमन अपने ख्वाब मे खोया था कि ममता ने हसी मे एक और टोंट मारा उसे - आज हल्दी नही भाई , आज हमे पूजा मे जाना है ,जल्दी कर हिहिहिही
फिर ममता अपने कमरे की ओर अपने कुल्हे हिलाती हुई जाने लगी , जिसे देख कर पहली बार अमन के मुह से अपने मा के थिरकते कूल्हो के लिए आकर्षण हुआ ।
फिर जल्द ही दोनो सोनल के यहा निकल गये ।
राज के घर
इधर अमन ने निकलते ही सोनल को मैसेज कर दिया ।
खबर बाते ही सोनल की बेचैनी बढ गयी ।
उसने निशा को बताया तो निशा का दिल भी खिल उठा और दोनो फौरन निचे की ओर सरक लिये ।
संयोग से हाल मे रज्जो और शिला आपस मे बाते कर रही थी ।
कमलनाथ राज के कमरे मे तो रीना उपर सोनल के रूम मे फ्रेश होने के लिए जा चुके थे ।
लेकिन सोनल और निशा के निचे आते ही वो चुप हो गयी ।
दोनो बहने अपनी बुआ को देख चहक उठी क्योकि उन्हे निचे रूकने का एक कारण मिल गया था ।
करीब 15 मिंट तक ऐसे ही बाते चल रही थी कि रज्जो ने टोका - तो उपर कुछ काम नही है क्या जो निचे आ गई हम्म्म
निशा चहक कर - अरे मौसी उपर धूप बहुत है ना , कही दीदी का ये गोरा रंग काला पड गया तो जीजू वापस ना भाग जाये हिहिहिहिही
शिला हस कर - तु बड़ी शैतान है , सोनल से पहले तो तेरी ही शादी करवानी चाहिये थी ।
इसपर रज्जो हस कर निशा के गाल खिच कर - हा और क्या । देखो तो इसके गाल बड़े मुलायम हो गये
निशा ने मस्ती मे रज्जो की ओर देख कर - सिर्फ़ गाल ही मौसी , हिहिहिहिही
रज्जो निशा के इशारे को समझ गयी कि वो दोहरे अर्थ मे मजाक कर रही है ।
रज्जो हस के - हा और क्या ? कौन सा तेरे जोबन अभी से नरम हो जाएंगे हिहिही क्यू जीजी
शिला हस कर - हा जीजी अभी तो इनकी उम्र है गाल छोड कर अब टाइट ही मिलेगा और हमारा तो सब कुछ पिचक गया है हिहिहिहिही
इन तीनो की मस्ती मे बेचारी सोनल शर्म से लाल हुई जा रही थी ।
वही रज्जो की अनुभवी निगाहे निशा को ताड़ चुकी थी ।
वो समझ गयी थी निशा ने एक से ज्यादा लण्ड घोंट चुकी है , तभी वो इत्ना खुल गई है ।
रज्जो को खुशी हुई कि यहा उसके मेल जोल वाली मिल ही गयी , भले ही कम उम्र की क्यू ना हो ।
इधर इनकी बाते चल रही होती है कि हाल मे अमन अपनी मा के साथ दस्तक देता है ।
अपनी सास को देखते ही सोनल सतर्क हो जाती है और सबसे पहले आगे जाकर अपनी सासु मा के पाव छू कर आशीर्वाद लेती हुई अमन को देख कर स्माइल करती है ।
अमन भी मुस्कि मार कर निशा को देखता है तो निशा उसे आंख मार कर हस्ती हुई - हाय जीजू हिहिहिही
रज्जो हस के - हमम अब समझी क्यू तबसे तुम लोग गोल म्टोल बाते करके यही जमा हो
निशा हस कर रज्जो की बाजू पकड के थोडा शर्मा कर - हिहिहिही चुप रहो ना मौसी
फिर रज्जो ने दोनो का स्वागत किया ।
किचन मे सोनल अपनी सास के लिये पानी का इन्तेजाम कर रही थी वही निशा की बेचैनी बढ रही थी उससे रहा नही गया और वो उसको खिच कर - आओ जीजू उपर चलते है
रज्जो - हेई शैतान की बच्ची , दामाद बाबू को पानी तो पी लेने दे
निशा बड़ा सा मुह बना कर बुआ से - आ बुआ देखो मौसी आपके भाई को शैतान बुला रही है हिहिहिही चलो जीजू
रज्जो हस कर - बदमाश कही की , निचे लेके आ जल्दी
निशा - ओहो मौसी , जीजू यही पास से तो आरहे है । बोलो जीजू आपको पानी पीना है ! नही ना ।
अमन हस कर ना मे सर हिलात है
तो निशा हस कर - देखा नही पिना है ।
फिर निशा तेजी से अमन को पकड कर उपर आई और झटके से सोनल के कमरे का दरवाजा धकेला लेकिन वो अंदर स्व ब्नद था
निशा ने दो बार और कोसिस की तो भड़भड की आवाज पर कमरे से रीना मे आवाज दी , कि रुको अभी खोल रही हु ।
निशा को लगा कोई मेहमान होगा तो वो अमन को लेके बाल्किनी और फिर स्पेयर रूम मे घुस गयी
जिसमे पहले से ही सोनल की शादी के समान भरे हुए थे
अमन - यहा क्यू लाई हो निशा
निशा ने बिना कुछ बोले अमन के होठ चुसने लगी और जल्द ही अमन ने भी उसकी गाड़ को पकड कर मसलना शुरु कर दिया ।
निशा के जोशिले स्वभाव से अमन का लण्ड तन गया और उसने निशा को घुमा कर सूट के उपर से उसकी चुचिया मिजने लगा
तभी दरवाजे पर ठक-ठक हुई और दोनो अलग हुए
दरवाजा खुला तो सामने सोनल का गुस्से से लाल चेहरा सामने था ।
निशा ने फौरन अपने बाल सही किये और अमन का हाथ सोनल को देती हुई - लो दीदी अब मिल लो अकेले मे , और नही छिपा सकती है जीजू को हिहिही
निशा की बाते सुन कर सोनल हस दी और उस्का गुस्सा फुरर हो गया
अगले ही पल निशा कमरे के बाहर थी और सोनल भीतर
एक बार फिर होठो से होठ चिपके हुए थे और अमन के हाथ मे इस बार सोनल की चरबीदार गाड़ थी ।
जल्द ही पोजीशन बदला और अमन ने सोनल की चुचिया मिजनी शुरु कर दी ।
सोनल की सिसकिया बाहर आने लगी तो निशा मे दरवाजे को ठोक कर हसते हुए - आज ही सुहागरात मना लोगे क्या जीजू हिहिहिही कम शोर करो यार
निशा की बात सुनकर दोनो हस दिये और वापस से एक दुसरे को सहलाने लगे ।
सोनल की दिली इच्छा थी कि आज कैसे भी करके अमन के लण्ड का स्वाद लेना ही है
इसीलिए उसने देर ना करते हुए निचे बैठ गयी और जल्दी जल्दी उसका पैंट खोलने लगी ।
अमन की सासे भी चढ़ रही थी और वो जल्दी से पैंट खोल के निचे कर दिया ।
अंडरवियर मे सास लेता हुआ 9इंच का मोटे ओख्ल जैसा लण्ड सोनल के आंखो के सामने था ।
सोनल से रहा नही गया और वो अमन की जांघो के हाथ डाल कर उसके लण्ड पर अपना मुह रगड़ने लगी और होठो से मुह मे भरने लगी ।
फिर उसने हौले से अमन का अंडरवियर खीचा और अमन का मोटा आलू जैसा सुपाड़े वाला लण्ड सोनल की आंखो के सामने तन कर आ गया ।
सोनल ने फटी आंखो से पहली बार अमन के लण्ड को देखा और हौले से उसको छुते हुए बड़ा सा मुह खोलते हुए आधा लण्ड मुह मे भर लिया
वही अमन एक ठंडी आह भरता हुआ सिस्क पड़ा
अमन की सिसकी सुन्कर बाहर खड़ी निशा की चुत कुलबुलाने लगी, वो समझ गयी कि सोनल ने अमन का मुसल घोट लिया है ।
अमन अपना मुह उपर किये आंखे बन्द कर सोनल के बालो को छूता हुआ आहे भर रहा था और वही सोनल ज्यादा से ज्यादा लण्ड गले मे उतार रही थी ।
ममता के केसरवाले दुध और बीते दिनो की रसभरी बातो ने अमन का संतुलन बिगड़ दिया और जल्द ही वो झड़ने लगा , जिसे सोनल अपने मुह मे लेने लगी
गाढी मलाई सी धार से सोनल का मुह भर गया , उसने बिना एक भी बूंद की बरबादी के सारा माल गटक गयी और वापस से अमन का लण्ड चाट कर साफ करते हुए खड़ी हुई ।
दोनो ने वापस अपने होठ जोड़े और अपने कपडे सही करके दरवाजा खोल कर बाहर आये ।
सामने निशा मुस्कुरा कर इन्तजार कर रही थी ।
अमन को थोडी शर्म आ रही थी इसीलिए वो बिना कुछ बोले सटक गया
वही निशा शरारती मुस्कान के साथ हस कर - हमम तो सील तोड दी जीजू की ह्ह्म्ंं
सोनल शर्मा कर - धत्त कमीनी
निशा - और तूने मुह क्यू फुला रखा था
सोनल हस कर - वो मुझे लगा कि कही तुने मुझसे पहले ही बाजी नही ना मार ली हिहिहिही
निशा तुनक कर - तुझे मेरे पर भरोसा नही है क्या ?
सोनल हस कर उसके गाल चुमती हुई - है ना मेरी जान, अब माफ भी कर दे
निशा - एक शर्त पर ,
सोनल - क्या ?
निशा हस के - मुझे भी जीजू का चुसना है ।
सोनल हस कर - अब क्या वो तो उपर चले गये
निशा हस कर - अभी नही
सोनल - फिर ?
निशा - शादी वाले दिन
निशा की बाते सुन्कर सोनल की इच्छा हुई अगर उस दिन भी मिल जाये तो मजा ही आ जाये
सोनल - अकेले अकेले ?
निशा - हा तो साथ मे कैसे करेंगे पागल भुल गयी अपना प्लान
सोनल - लेकिन मुझसे भी मिलवाना पडेगा अकेले मे
निशा हस कर - हा देखूँगी हिहिहीही
फिर दोनो चहकती हुई उपर चली गयी ।
करीब दो बजे पूजा समाप्त हुई और पाठ शुरु हो गया । गवैया लोग अपना ताल तम्बुरा लेके व्यस्त थे ।
नजदीक के मेहमानो मे प्रासाद लेने के बाद घर की भिड़ को देखते हुए खसक लिये।
सबको कुछ पलो की राहत मिली और निचे हाल मे आकर थोड़ा बैठे ।
फिर रंगीलाल और रागिनी बारी बारी से सारे मेहमानो से मिले
रन्गीलाल ने अमन और उसकी मा को भी विदा किया ।
इधर किचन मे सिटिया लग रही थी तो जान मे जान आई कि चलो भूखा नही रहना पड़ेगा ।
किचन मे सोनल , निशा और रीना भाभी लगी हुई थी ।
जन्गीलाल और कमलनाथ ने उपर छत पर देख रेख के लिए रुके थे ।
काफी सालो बाद की मुलाकात हुई थी दोनो की तो उनकी बाते चल रही थी ।
ऐसे मे कमलनाथ ने अपनी मंशा जाहिर की क्या कही शराब का बन्दोबस्त हो सकता है ।
लालच जंगीलाल के जहन मे भी आया लेकिन उसने घर की जिम्मेवारी को ध्यान मे रख कर मना कर दिया और उसपे से घर मे पाठ चल रहा था ।
कमलनाथ ने भी जन्गीलाल के विचारो से सहमती दिखाई ।
तभी छ्त पर शिला कुर्ती मे अपने चुचे उछलते हुए उनकी ओर बढ रही थी ।
जंगीलाल - क्या हुआ दीदी
शिला - आईये आप लोग भी खाना खा लिजिए
कमलनाथ शिला के फैले हुए कुल्हे हो देख कर बहुत ही उत्तेजित हो गया था ।, बार बार उसे रागिनी की शादी के समय का वो पल याद आ रहा था जब उसने शिला की चर्बीदार नंगीगाड़ देखी थी ।
तब के समय और अब मे शिला के कुल्हे दुगने हो गये थे ।
जिससे कमलनाथ की लालासा और बढ रही थी ।
मगर शिला कम अनुभवी नही थी , मर्द की नजर और उसकी नियत परखने मे वो भी माहिर खिलाडन थी ।
कमलनाथ के आंखो की हवस भी गर्मी उसने अपने चौडे कूल्हो पर मह्सूस की और मुस्कुरा कर कमलनाथ को देखा फिर शर्म से लाल होकर घूम कर अपनी कुर्ती सीधी करती हुई निचे जाने लगी ।
वही कमलनाथ ने हचकोले खाते हुए शिला की चर्बीदार गाड़ देख कर थुक गटकने लगा ।
जंगीलाल - चलिये भाई साहब खाना खाते है
कमलनाथ - हा हा चालिये ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 175 B
लेखक की जुबानी
दिनभर की थकान और काम ने सभी के बदन तोड रखे थे ।
उसपे से शाम की बेला से ही अड़ोस-पड़ोस के बूढ़े बुजर्ग भी पाठ मे शामिल होने लगे ।
घर बन्द नही किया जा सकता था ।
ऐसे मे जंगीलाल और कमलनाथ ने जिम्मेदारी ली कि वो दोनो उपर की देख रेख कर लेंगे ।
फिर निचे के भी रज्जो और शिला ने कमर कस ली ।
बच्चो मे सारे लोग झपकीया खा रहे थे और रागिनी रन्गीलाल का भी पाठ खतम होने तक का उपवास था ।
इसीलिए उन्हे भी आराम करने की हिदायत मिली ।
रन्गीलाल और रागिनी अपने कमरे मे चले गये ।
राहुल को अनुज अपने कमरे मे लेके चला गया ।
सोनल निशा और रीना एक साथ हो लिये ।
राज जो कि अपनी बुआ के गोदी मे सर रख कर सोफे सोया हुआ था ।
शिला - उठ बेटा कमरे मे जाके आराम कर ले
राज कुनमुनाते हुए उठा और अपने कमरे मे चला गया , जहा कल रात की अधूरी निद और दिन की थकावट से परेशान शालिनी पहले ही सोइ हुई थी ।
निचे का हाल पुरा खाली हो गया था , कमलनाथ जंगीलाल को लेके उपर चला गया और उबासी लेते हुए रज्जो ने शिला को कहा - दीदी आप भी कमरे मे आराम कर लो थोडा ।
शिला - अरे नही जीजी आप थक गयी है आराम करिये आप , मै हु यही
रज्जो - अरे नही ऐसे अच्छा नही लगता हिहिही , चलिये आप भी चलिये कमरे मे , किसी को कुछ जरुरत होगी आवाज देगा
शिला हस कर - हिहिहिही हा भाभी चालिये
फिर दोनो गेस्टरूम मे जाके बिस्तर पर लेट गयी और रज्जो ने अंगड़ाई लेते हुए शिला के ससुराल की बाते छेड़ दी ।
फिर बाते होती ही गयी और रज्जो के जहन मे रह रह के वो बात कौंध रही थी कि आखिर क्या हुआ था रागिनी की शादी मे इन दोनो ( कमलनाथ और शिला ) के बिच
रज्जो -हमम जीजी ये सब छोडिए और ये बताईए
शिला - हा पुछो भाभी
रज्जो - वो कौन सी बात आप लोग कर रहे थे रागिनी की शादी के समय की , मै समझ नही पाई थी ।
शिला रज्जो की बाते सुनकर शर्म से लाल हो गयी और हसती हुई - क्या भाभी आप भी , छोडिए वो पुरानी बाते है हिहिहिही
रज्जो - क्या जीजी बताओ ना हिहिहिही
शिला हस कर - अरे वो सब जवानी के दिनो की बेवकूफ़ी थी और क्या हिहिहिही
रज्जो हस कर - फिर तो जरुर बताईये , ऐसे ही रात काटी जाये हिहिहिजी
शिला झेप कर - अरे भाभी हुआ यू था कि रन्गी भैया की शादी में मै भी गयी थी ही आपको पता है .
रज्जो ने हुन्कारि भरी
शिला - तो हुआ यू कि जुता चुराई की रस्म हो रही थी और आपने भैया के जूते छिपा दिये थे ।
रज्जो हस के - हा लेकिन बाद मे जूते मुझे मिले ही नही हिहिहिही
शिला हस कर - मिलते कैसे भाभी , आपसे मैने चुरा कर उसको जनमासय मे छिपा आई थी हिहिहिही
रज्जो हस कर - फिर
शिला हस कर -फिर क्या आपके वो (कमलनाथ) हिहिहिही , उन्हे कैसे भनक लग गयी थी और वो वहा से जूते गायब करने वाले थे ।
रज्जो हस कर - क्या ? रमन के पापा ने !!! हिहिही सच मे
शिला हस कर - हा भाभी , मैने उन्हे जनमासय मे जाते देखा तो मुझे शक हुआ कि वो मेरा ही पीछा करते आये थे । तो मैने उनको परेशान करने के लिए हिहिहिजी ऐसे ही एक शरारत कर दी थी ।
रज्जो हस कर - कैसी शरारत ।
शिला - वो जब जुता लेके वापस गये और मै जान रही थी उनकी निगाहे मुझपे ही होगी और मैने वापस से उन्के सामने जूते गायब किये
रज्जो हस कर -फिर से हिहिहिही
शिला हस कर - हा और मै जानती थी कि वो मेरे पीछे आयेंगे ही तो मैने उनको कभी घर के पीछे तो कभी जनमासय के पीछे कभी खेतो मे हिहिहिही ऐसे घुमाती रही ,,
रज्जो हस कर - फिर
शिला - मगर वही एक गड़बड़ हो गयी ,
रज्जो - क्या ?
शिला हस कर - वो मुझे जोरो की पेसाब लगी थी मैने देखा तो वो काफी दुर भी थे मुझसे तो और मैने वही पास के पेड़ की ओट मे अपना घाघरा उठाए पेसाब करने लगी , मुझे पता ही नही चला कि कब वो दौड़ कर मेरे पीछे खडे हो गये थे और मेरे नितम्बो को निहार रहे थे ।
रज्जो को अचरज हुआ कि शिला ने बिना कोई झिझक कर ऐसे खुल कर बाते कर रही थी और हसे जा रही थी जैसे गाड़ दिखाना उसके लिए आम बात हो । रज्जो समझ गयी कि ये भी कम नही है । और रागिनी जितना भी इसके बारे मे बता चुकी थी वो सब सच है ।
शिला हस कर - सच मे भाभी उसदिन मारे लाज के मै बारात मे वापस नही गयी और तबके बाद से आज भेट हुई तो इनको सब याद है हिहिहिहिहिही
रज्जो हस कर - ये मर्द जात होती ही ऐसी है जीजी , चुतड देखने मे तो ये आगे है हिहिहिही
शिला - हा भाभी सही कह रही हो
रज्जो थोडा रुक कर शिला को परखती हुई - और वैसे भी आपके नितंब कौन भुल पायेगा हिहिहिहिही इतना फैला हुआ जो है , हिहिहिही
शिला झेप कर हसती हुई - क्या भाभी आप भी , तब बहुत कम थे मेरे
रज्जो हस कर - मतलब शादी के बाद मेहमान जी(राज के फूफा) ने खुब खातिरदारि की है हिहिहिही
शिला - वो तो आपकी भी हुई दिख रही है भाभी हिहिहिही
रज्जो मस्ती करते हुए - हा क्यो नही , रमन पापा ने तो शादी के बाद शायद ही किसी दिन छोडा हो ।
शिला हस कर - लेकिन आप तो परसो आई है ना तो इधर दो दिन कैसे हिहिहिजी
रज्जो हस कर - अरे यहा तो काम मे उसकी कहा सुध , मगर अभी कुछ कुछ हो रहा है हिहिहिहिही
रज्जो की बाते सुन कर शिला की धडकनें भी तेज हो गयी और उसके जहन मे एक कल्पना उठ रही थी, मगर उसे डर था कही रज्जो उसे गलत ना समझ ले
शिला ने सोचा क्यू ना थोडा और खुला जाये - कहिये तो उपर जाके भेज दू उनको हिहिहिही
रज्जो हस कर - भुल गयी जीजी , उनको तो आज सिर्फ आपके नितंब याद आ रहे है हिहिहिही
शिला झटके से उठी और बोली - रुकिये मै भेज ही दे रही हु हिहिहिही
रज्जो लपक कर उठी और शिला को पकड कर अपनी ओर खिंच बिस्तर पर खिंच लिया ।
शिला हस्ते हुए बिसतर पर गिर गयी ।
शिला की छटपटा और छुटने की भसड मे रज्जो का पल्लू उसके चुचो से सरक गया और शिला की कुर्ती मे कसी हुई चुचिया उसके चुचो से रगड़ा गयी और दोनो इस स्पर्श से हिल गयी ।
अगले ही पल दोनो की नजरे एक दुसरे से टकराई और वो दोनो एक दुसरे की आंखो मे देखते हुए मुस्कुराने लगी ।
ऐसे मे शिला को थोड़ी सी शर्माहट हुई तो उसने रज्जो के उपर अपनी पकड ढीली करती हुई उठ कर बैठ गयी और अभी भी उसकी सासे तेजी से चल रही थी ।
दोनो ने मन ही मन एक दुसरे को भाप लिया था , मगर एक कसमकस थी कि क्या एक दम से यू खुलना ठिक रहेगा ?
शिला के दिल की बेचैनी उसे छिपे हुए अरमानो से और भी बढ़ रही थी ।
उसकी निगाहे बार बार अपने बैग पर जा रही थी जिसमे कुछ ऐसा था जिसके लिए उसे रज्जो जैसे ही खुले दिल वाली साथी की तालाश थी ।
रज्जो ने मुस्कुराते हुए बिसतर पे लेटे हुए ही शिला को उल्झा हुआ देखा ।
रज्जो - क्या हुआ जीजी हिहिहिही
शिला झेपकर शर्माती हुई -धत्त आप तो बड़ी वो है भाभी
रज्जो उठ कर शिला के पीछे बिसतर पर ही घुटने के बल खडे होकर उसके कन्धे पकडते हुए - वो मतलब , उम्म्ं ?
शिला हस कर - कुछ नही
रज्जो हस कर धीरे से अपने हाथ को शिला के गले पर फिराते हुए उसके मोटी मोटी चुचियो की दरारो मे घुसाती हुई - कही ऐसा तो नही कि जबसे ये मेरे जोबनो से स्पर्श हुए है आपको नंदोई जी ज्यादा याद आ रही है ।
अपनी कुर्ती के भीतर रज्जो के घुसते हाथ का स्पर्श पाते ही शिला चिहुकी और लपक कर हसते हुए उसने रज्जो के पन्जो को कुर्ती के उपर से पकड लिया
शिला - हेईई भाभी क्या कर रही है आप हिहिहिही धत्त निकालिये
रज्जो अपने पंजे की उंगलिया को घसीटते हुए इंच बाई इंच बढाते हुए शिला की ब्रा मे घुसा चुकी थी और जैसे ही उसने शिला के मून्क्के को छुआ तो शिला के जिस्म मे एक थरथराहट सी हुई और उसकी पकड रज्जो के हाथ पर ढीली पड़ गयी और मौका देखते ही रज्जो मे शिला की ब्रा मे पुरा पन्जा घुसाते हुए उसकी चुची के मुहाने को हथेली मे भर लिया और हल्का हल्का दबाते हुए - उफ्फ़ जीजी आपके दूध तो बडे मुलायम है
शिला एक गहरी सिसकी ली और खिलखिलाती हुई अपना एक हाथ पीछे ले जाकर उसने रज्जो के ब्लाउज के उपर से उसके चुचो को छुते हुए - अच्छा और आपके हिहिहिही
रज्जो शिला का स्पर्श पाते ही गनगना गयी और आंखे बन्द करते हुए उसने हाथो मे भर कर शिला के चुची को मसलने लगी , जिससे शिला की कामुक सिसकीया शुरु हो गयी और उसके सासे भी चढ़ने लगी
शिला - उम्म्ंम भाभी आराम से उह्ह्ह उम्म्ंम
शिला की प्रतिक्रिया सुनते ही रज्जो के होठ खिल उठे और उसने हौले से अपने होठो को शिला के गरदन पे रखते हुए दोनो हाथो मे भर कर उसकी चुचिय मिजने लगी ।
जिससे शिला की सासे और भी चढ़नी शुरु हो गयी और वो रज्जो के हाथो पर अपने हाथ रख अपनी चुचिया मिजवाने लगी ।
"ऊहह जीजी जरा ये निकालो ना" , रज्जो ने शिला की कुरती को उपर खिचते हुए कहा ।
और शिला ने मदहोशि मे अपने हाथ उपर कर दिए जिससे अगले ही पल रज्जो ने उसके जिस्म से कुर्ती खिच कर अलग कर चुकी थी ।
शिला का गोरा बदन हर जगह से चर्बी से भरा हुआ था , गुदाज पेट और 40 की ब्रा मे कसी हुई चुचिया उपर निचे हो रही थी ।
रज्जो ने अपने दोनो हाथ शिला के कन्धो से सरकाते हुए उसके पंजो को क्रॉस और हाथो को उसके अंडरआर्म की ओर ले जाकर फिर पेट को मसलते हुए उपर की ओर बढने लगी ।
वही शिला ने अपना पुरा जिस्म रज्जो पर ढीला छोड रखा था और गहरी सासे लिये जा रही थी ।
रज्जो के बढते हाथ वापस शिला की चुचिया ब्रा के उपर से जकड़ चुके थे और वो उन्हे पूरी ताकत से मसल रही थी ।
वही शिला धीरे धीरे रज्जो की गोदी मे सरकने लगी थी और रज्जो उसके ब्रा मे हाथ घुसा कर उसके निप्प्ल पर अपनी हथेली मसल रही थी ।
शिला ने खुद अपने हाथो से अपनी ब्रा की स्ट्रिप सरकाते हुए अपनी चुचिय नंगी कर दी जिससे रज्जो जोश मे आकर और कस कर उसकी चुचिय मिजने लगी , वही शिला के हाथ भी रज्जो के ब्लाऊज के हुक चटकाने लगे तो
रज्जो ने खुद से अपना ब्लाऊज और ब्रा खोलते हुए अपनी रसभरी मोटी चुचिया आजाद कर दी ।
जिसे देखते हुए शिला ने अपनी गरदन उचकाते हुए लपक कर एक चुची को मुह मे भर लिया , वही रज्जो वापस से उसकी चुचिया दबाने लगी ।
इधर शिला ने जैसे ही रज्जो के निप्प्ल पर अपने दात लगाये रज्जो सिसकी और उसने हस के शिला ने दोनो निप्प्ल मरोड दिये जिससे शिला पूरी तरह से अकड गयी ।
और अगले ही पल झटके से उठते हुए रज्जो को बिस्तर पर धकेलते हुए उसके उपर चढ़ गयी
उसकी चुचिया मिजते हुए सीधा अपने होठ उसके होठो से जोड लिये
रज्जो को उसके तपते मुलायम होठो का स्पर्श भा गया और उसने भी शिला के होठ अपने होठो से खिचने शुरु कर दिये ।
शिला गहरी गहरी सासे लेते हुए रज्जो के होठ बड़ी हवस मे चूसे जा रही थी और रज्जो के निप्प्ल भी खिचे जा रही थी वही रज्जो के हाथ शिला के लेगी और पैंटी मे घुस कर उसकी गाड़ मसलना शुरु कर चुके थे ।
कुछ ही पल मे शिला ने रज्जो के होठ से अपने होठ छुड़ाए और हाफ्ते हुए दोनो मुस्कुरा कर एक और गहरा चुंबन किया , फिर शिला अपने चुचे रज्जो के चुचो से रगड़ने लगी
दोनो के जिस्म मे एक बार फिर अकड़न होने लगी और उनकी गीली चुत एक बार फिर बजबजा गयी ।
धीरे धीरे वो कामुक गन्ध उन्के नथुनो तक जाने लगी और उम्की मादक आंखो मे वो वहसीपना छाने लगा ।
रज्जो ने अगले ही पल शिला को झटक कर निचे किया खुद खड़ी होकर जल्दी जल्दी अपनी साडी पेतिकोट निकाल फेकि और झुक कर उसने शिला की लेगी पैंटी के साथ खिचती हुई निकाल दी ।
शिला अपनी जान्घे मोड़े अपनी चुत का गीलापन पोछ रही थी और रज्जो ने मुस्कुरा कर शिला को देखा औए अगले ही पल उसका मुह शिला के भोस्ड़े मे जा चुका था ।
चुत के दाने पर रज्जो की जीभ की शरारत ने शिला को अकड़ने पर मजबूर के दिया और वो रज्जो के सर को पकडे हुए सिस्कने लगी - उह्ह्ह भाभीई उम्म्ंम सीई ओह्ह और चुसोहह अह्ह्ह सीई और घुसाओ उम्म्ंम और और उम्म्ंम
शिला की कामुक सिसकियाँ भरे संवाद सुनकर रज्जो ने उसके जान्घे उपर करते हुए उसके गाड़ के सुराख को भी कुरेदना शुरु कर दिया जिससे शिला और भी छ्टकने लगी ।
रज्जो की लपलपाती जीभ से शिला के चुत रस पर रस बहाये जा रही थी और रज्जो ने सब कुछ अच्छे से चाट कर उपर गयी और दोनो के बिच एक बार फिर से गहरा चुम्ब्ं होने लगा ,
दोनो के जिस्म आपस मे रगड़ खा रहे थे , रज्जो के चुत की बढ़ती कुलबुलाहट से उसने अपनी चुत को शिला के मुलायम जाघो पर घिसने लगी थी ।
ऐसे ही शिला ने रज्जो से - भाभी मुझे नही टेस्ट करवाओगी
रज्जो समझ गयी और वो खड़ी होकर 69 पोजीशन मे आते हुए शिला के मुह पर बैठ गयी ।
शिला ने रज्जो के रसाये बुर की खुसबू से एक बार फिर उत्तेजित होने लगी और उसने रज्जो की बडी सी गाड़ थामते हुए अपने होठ उसकी बुर मे दे दिया ।
शिला की नाचती जीभ और उसके होठो मे कैद अपने बुर के फाको को मह्सूस कर रज्जो ने जान्घे कसने लगी और वो अपनी चुत शिला ने ठुडी सं नाथनो पर दरने लगी
शिला ने वापस उसके गाड़ को थामकर उसके गर्म चुत मे भी जीभ डाल दिया जिससे रज्जो कापने लगी और आगे की झुकती हुई उसने भी शिला के जांघो को फैलाते हुए उसकी चुत पर जीभ चलाना शुरु कर दिया ।
पुरा कमरा तेज कामुक सिस्कियो से गूंज रहा था और चपड चपड चलती जीभ से दोनो के बुर तेजी से रस छोड रहे थे और कुछ पल मे रज्जो ने अपना सर उपर करते हुए अपनी जान्घे कसनी सुरु कर दी और शिला ने अपनी जीभ पुरा उसके बुर मे घुस कर अन्दर घुमाने लगी
और तेज रसो का सैलाब उसके बुर मे जाने लगा , रज्जो हाफते शिला के उपर ही वैसे ही पड़ि रही ।
दोनो ने गहरी सास ली और रज्जो उठ कर अलग हुई ।
रज्जो ने मुस्कुरा कर शिला को देखा तो वो हल्की फुल्की अभी भी शर्मा रही थी ,
रज्जो हस्ते हुए - कपडे पहन लोगि या मै पहना दू जीजी हाहहहा
शिला उठकर थोडा हिचकते हुए - अभी नही भाभी ,
रज्जो शरारती भाव से मुस्करा कर - अभी नही मतल्ब एक बार
शिला चहक के उठी और अपने बैग की बढती हुई - रुको ना भाभी मै कुछ दिखाती हु
रज्जो थोडा अचरज मे पड़ गयी कि क्या करने वाली है शिला ?
वही शिला ने अपना बैग खोला और एक ओर चैन खोलकर एक बड़ा सा 10 इंच का रबर का लण्ड निकाला
जिसे देखके रज्जो की आंखे फटी की फटी रह गयी ।
उस लण्ड की मोटाई और लम्बाई देख कर रज्जो की चुत पनियाने लगी और साथ ही उसके जहन मे शिला के भोस्ड़े की गहराई का अन्दाजा भी होने लगा ।
रज्जो - ये क्या है जीजी ।
शिला मुस्कुरा कर - भाभी इसे डील्डो कहते है ।
रज्जो उस नाम को सुन कर अचरज भाव से - डीलडो!!
शिला मुस्कुरा कर - भाभी ये मै तब यूज़ करती है जब वो नही होते है ,
रज्जो उस dildo को हाथ मे लेते हुए उसकी लम्बाई अपने बीते से मापती हुई - कितना होगा ये
शिला चहक कर - 10 इंच
शीला के मुह से 10 इंच सुनते ही रज्जो हिल गयी और थुक गटकते हुए - तो क्या ये आप पुरा
शिला हस के - धत्त नही , जितना ज्यादा जा सके हिहिहिही
रज्जो - फिर भी कितना जाता होगा
शिला रज्जो के पास जाकर उसके हाथ को पकड के वो dildo निचे अपने चुत के पास घिसती हुई उसके तने हुए निप्प्ल पर अपनी जीभ फिरा देती है , जिस्से रज्जो की आंखे बन्द हो जाती है और वो सिहर उठती है
शिला dildo को अपनी चुत पर रगड़वाते हुए - आप खुद इसको डाल के देखो ना भाभी कितना जायेगा मेरे अंदर
शिला का प्रस्ताव सुनते ही रज्जो ने बडी मदहोशि मे आंखे खोल कर मुस्कुरा कर शिला को देखा और उसके हाथ से लण्ड लेके - ह्म्म्ं चलो
शिला मुस्कुरा कर - भाभी ये भी है
रज्जो ने शिला के हाथ मे एक काली बेल्ट पर गयी जो दिखने मे अजीब लग रही थी
रज्जो - ये किस लिए !!
शिला ने मुस्कुरा कर - अभी बताती हु
फिर शिला ने वो बेल्ट रज्जो की जांघो मे डालते हुए कमर पर कस दिया और वो dildo लेके उसको भी कस दिया ।
रज्जो ने इतराते हुए उस नकली लण्ड को हथेली मे भरते हुए उसको शिला के चुत के मुहाने पर लगाते हुए उसके होठ को चुसने लगी ।
शिला भी लन्द को पकड कर असली लण्ड का फील लेते हुए उसको मसल रही थी और रज्जो के होठ चुबला रही थी ।
रज्जो शिला की चर्बीदार गाड़ के पाटो को फैलाते हुए - उम्म्ं जीजी मेरा लण्ड चुसो ना
ये बोलते बोलते रज्जो के चेहरे के भाव थोडा खिलखिला उठे , शिला ने भी मुस्कुराकर अदाये दिखाती बड़े कामुक भाव से सरकति हुई निचे गयी और लण्ड को पकड़कर रज्जो की आंखो मे देखते हुए मुह खोलते हुए सुपाडा भर लिया
रज्जो शिला की कामुक अदा देख कर सिहर गयी मानो उसके सच के लण्ड पर शिला ने अपने मुलायम तपते होठो का स्पर्श दिया ।
फिर शिला भर भर के वो लण्ड गिला करने लगी और रज्जो मीठी सिसकिया निकालती हुई अपनी चुचिया मिज रही थी ।
कुछ ही देर मे शिला उठ खड़ी हुई और अपनी चुत मसलते हुए रज्जो को इशारा किया अब उससे नही रहा जायेगा
रज्जो ने मुस्कुरा कर शिला को वापस बिसतर पर धकेला और खुद भी बिसतर पर चढ़ती हुई शिला के जांघो को फैलाते हुए वो लण्ड उसके फुले हुए चुत के मुहाने पर लगाया और हल्का सा जोर देते हुए आधे से ज्यादा लण्ड शिला के बुर मे घुसता चला गया ।
Dildo की मोटाई से शिला की चुत के साथ साथ आंख भी फटने लगी , वही रज्जो शिला के चेहरे के भाव को देखकर उसी अवस्था मे धक्के लगाने लगी और धीरे धीरे लण्ड 8 इंच की गहराई तक भीतर जा चुका था और शिला की चिखे निकलने लगी ।
रज्जो ने आगे हाथ बढाते हुए उसके गले पर हाथ रखा और तेज करारे झटके देते हुए आखिर बचे हुए हिस्से को पुरा का पुरा लण्ड उसकी चुत मे उतार चुकी थी
रज्जो हुम्च हुम्च कर लण्ड शिला की बुर मे पेले जा रही थी और शिला तेज अफनाती हुई सिसकिया लेते हुए चिख रही थी
शिला - आह्ह भाभी और पेलो ऊहह उम्म्ंम मजा आ रहा है
।रज्जो हुम्च हुम्च कर धक्के लगाते हुए - जीजी आपका बुर नही भोस्डा है कैसे पुरा 10 इंच का लण्ड घोंट गयी आप उह्ह्ह लो
शिला - उह्ह्ह सच मे भाभी आज से पहले मैने इतना भीतर इसको नही लिया था ऊहह और चोदो मुझे मजा आ रहा है भाभी उह्ह्ह
रज्जो - इस भोस्ड़े को देख कर लग रहा है इसमे तो एक साथ दो दो लण्ड भी समा जायेंगे ऊहह कितनी चुदासी हो आप जीजी ।
शिला - उह्ह्ह भाभी इह्ह बहुत अच्चा पेल रहे हो आप ऊहह और घुसाओ उम्म्ंम मा सीईई ओह्ह फ़क मी हार्ड यू बिच ऊहह फ़क मी फ़क मी
रज्जो शिला के मुह से गाली सुनते ही और कस कस के झटके लगाते हुए - साली रन्डी खुद इतना मोटा मुसल घोट रही है और मुझे बिच बोल रही है बहिनचोद ले औरले आज तेरी चुत का सच मे भोस्डा बना दूंगी मै
शिला - ऊहह हा ब्ना दो ना भाभी ऊहह फ़क मी हार्डरुह्ह्ह एस्स एस्स उह्ह्ह फ़क फ़क फ्क्क्क उम्म्ंम माअह्ह्ह भाभीईईई ओह्ह्ह
अगले ही पल मे शिला तेजी से अपनी गाड़ पटकने लगी और झड़ने लगी ।
रज्जो ने भी लण्ड को गहराई मे ले जाकर शिला को अच्छे से फील करवाया और वो भी हाफते हुए उसके उपर गिर गयी ।
थोडी देर बाद जब दोनो के दिल की धड़कन शान्त हुई तो उनके चेहरे पर हसी थी ।
रज्जो : जीजी तुम तो बड़ी छीपारुस्तम निकली हिहिही
शिला - कसर तो आपने भी नही छोड़ी भाभी हिहिहिही
रज्जो - इतना मुलायम भोसडा बार बार हाथ थोड़ी न आता है
शिला रज्जो की बात को पकडते हुए - उहू मतलब पहले भी किसी के चुत मे मुह मार चुकी है आप हिहिहिही
रज्जो - और आपके होठ जिस तरह से मेरे फाके चुबला रहे थे आपको तो ज्यादा अनुभव है लग रहा है मुझे ।
शिला शर्म से लाल होने लगी तो रज्जो वो dildo वापस शिला के बुर के मुहाने पर दबाती हुई - बोलो ना जीजी
शिला - अह्ह्ह भाभी क्या बोलू ?
रज्जो - अरे यही कि कितने भोसड़े चुस चुकी है आप अब्तक हिहिहिही
शिला हस कर - आपको लेके 3 हिहिहुही
रज्जो चहक कर - फिर पहली दो भोस्ड़ेवालिया कौन सी है उम्म्ं
शिला - वो भोस्ड़े वाली नही , बुरवाली है हिहिहीही
रज्जो - मतलब
शिला - दरअसल मेरे ही मुहल्ले ही एक लडकी है जिसकी शादी नही हुई है वो और एक उसकी सहेली
रज्जो - उम्म तो आपको कुवारि चुत के रस पसंद है
शिला हस कर - हमम और आपको
रज्जो - कभी नसीब हुआ तो नही , लेकिन देख रही हु आपके साथ रह के मुझे भी ट्राई करना पड़ेगा
रज्जो की बात सुनकर शिला ललचाई नजरों से उसको देख कर - तो क्या यहा है कोई ?
शिला की उत्तेजना देख कर रज्जो इतराई और मुस्कुराते हुए - है एक लेकिन कही आपको पसंद नही आई तो ,
शिला - अरे आप बताओ तब ना जानू
रज्जो हस कर - अरे वो है अपनी निशा ! हिहिहिही
शिला चौक कर - क्या ? निशा !! , लेकिन वो तो मेरी भतीजी है और वो भल क्यू तैयार होगी ।
रज्जो हस कर - तैयार तो ही जायेगी अगर आप हामी भरे तो ।
शिला हिचक भरे लहजे मे - मगर मै उसके सामने कैसे !
रज्जो - अच्छा जैसे मुझसे बड़ा खुल कर थी आप कुछ घन्टे पहले हिहिहिही अरे जीजी मुझे पक्का यकीन है निशा एक खेली खाई लड़की है , देखा नही उसके चुचे अभी से कितने भरे भरे है और उसकी गाड़ उसके मा के बराबर हो गयी है
शिला रज्जो की बातो से सहमत होती हुई मुस्कुरा कर - हमम ये बात तो है ,
रज्जो - चलिये छोडिए ये सब फ़िलहाल हम लोग तो इन्जाय करे , क्यू
शिला मुस्कुराकर - हा क्यू नही हिहिहिही
जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 176 A
राज की जुबानी
अगली सुबह तड़के 4 बजे ही मेरी निद खुल गयी क्योकि मै खुद मोबाइल पर अलार्म लगाया हुआ था ।
जलन भरी आंखो को मिजते हुए मैने मोबाइल को उठा कर बण्ड किया और जैसे ही उठ कर बैठा तो देखा शालिनी चाची मेरे बगल मे सोई हुई है ।
उनकी साडी का पल्लू उनके सीने से हट हुआ था , ब्लाऊज मे कसी हुई चुचिया सास की गति से उपर निचे हो रही थी ।
ब्रह्ममुहूर्त मे मेरा मुहूर्त बन गया था और लोवर मे लण्ड मे फुकार मारना शुरु कर दिया , बीता दिन पुरा खाली गया और आने वाले समय मे भी ऐसा मौका नही मिल पाता
निद आंखो से कोसो दुर भाग चुकी थी और हफ्तो बाद चाची के जिस्म को भोगने का सुख मै नही छोडने वाला था ।
करवट लेके मैने चाचि के ब्लाउज के हुक खोलने लगा और देखते ही देखते उनका ब्लाउज पुरा खुल गया था ।
निचे गाजरि कलर की ब्रा मे चाची की चुचिया फूली हुई सास ले रही थी ।
मैने हौले से ब्रा के उपर से चाची के चुचे को हाथ मे भरा
उफ्फ्फ वही कड़कपना ,
मैने वापस ब्रा के उपर से चुची पे हथेली घुमाई और एक बार फिर से हौले से दबाते हुए अपना मुह चाची के सीने पर रखते हुए उन्के गर्म तपते जिस्म को हलका सा चूमा ।
गहरी नीद मे चाची के तेज सासे उनकी चुचिया खुब फुल रही थी, मैने हौले से एक हाथ ब्रा मे घुसा कर उनकी एक चुची को बाहर निकालने की कोसिस की जो मुस्किल से निप्प्ल सहित आधी ही बाहर आ पाई , क्योकि चुचियॉ सच मे कसी हुई थी ।
तने हुए निप्प्ल के पोर्स देख कर मेरे सुखे मुह मे लार घुलने लगी और मैने अपना मुह आगे कर जीभ से हल्का सा चाची के निप्प्ल को चाटा ,
साथ ही कनअखियो से उनके शांत सोये चेहरे पर नजर मारी , कोई प्रतिक्रिया ना पाकर मैने अपने होठ खोलकर निप्पल को मुह मे भरते हुए चुसने लगा
जिससे चाची हल्की सी निद मे कुनमनाई और मै रुक गया फिर धीरे धीरे निप्प्ल को चाटने लगा ।
इधर मेरे हाथ निचे भी चाची की साडी को जांघो तक ला चुके थे और हाथ उनकी चिंकी जांघो की गहराई मे सहला रहे थे ।
थोड़ी देर चुची की चुसाई कर मैने वैसे ही उठ कर बैठ गया और अपना लोवर अंडरवियर निकाल कर लंड के मुहाने पर थुक ल्गाते हुए हल्का सा गीला करके चमडी नरम किया और चाची की साडी को उपर कमर तक कर दिया ।
सामने खुली जांघो मे फसी हुई चाची की ब्रा से मैचिंग पैंटी थी जिसमे कैद उसकी चिकनी चूत ने कुछ छटाक रस छोड़े हुए
मैने अपना लण्ड सहलाया और चाची की जपैंटी मे चूत ऊँगली घुसा कर उसको फैलाते हुए निचे सरकाने लगा पैरो का सीधा करना और घुटनो को बराबर रखना और बड़ी मुशकील से करीब पांच सात मिंट के प्र्यास के बाद मै उनकी पैंटी को एक पैर से निकाल पाया और हाथ थकने से मैने उसको दुसरे पैर से निकालने की जहमत नही की
सामने चाची की चिकनी बुर थी और मेरा सबर अब टुट रहा था मैने आगे आकर घुटने के बल अपना लण्ड का सुपाडा आगे किया और थोडा थुक लगाते हुए लण्ड को गीला करते हुए चाची के बुर के कसो हुए फाको को सुपाड़े से फैलाते हुए लण्ड को हौले से घुसेड़ दिया , जिससे चाची के चेहरे पर सिस्क भरी सिकन उठी मगर मै बेफिकर रहा और
हल्की खुस्ख चुत मे लन्ड धीरे धीरे जा रहा था , मैने और हल्का सा जोर बनाया और आगे की ओर झुकता हुआ लण्ड को गहराई मे लेके गया । फिर वही हल्का हल्का लण्ड चाची की बुर मे घीसने लगा
चाची की हल्की फुल्की कुनमुनाहट जारी थी और उनकी बढ़ती बेचैनी से अब चेहरे के भाव भी बदलने लगे थे ।
वही मेरे लण्ड की तपिस से चाची के चुत के दिवारो ने अपना सोमरस छोडना शुरु कर दिया था और धीरे धीरे मुझे चुत मे एक लसिलापन मह्सूस हुआ तो मैने लण्ड को और अच्छे से भर भर कर पेलना शुरु कर दिया
झटके तेज होते ही चाची चिहुक कर उठी मगर अभी तक आंखे नही खुली थी और वो अपने हाथ से मुझे धकेलने मे लगी और सुबह सुबह चुत की कसावट मे मेरा मोटा लण्ड जाने से उनकी छ्टपटाहट ज्यादा थी ।
चाची को जागते देख मैनें उन्की साडी के बाधनी को हाथ के पकड कर निचे से ध्क्को की गति और तेज कर दी जिस्से चाची रही सही नीद नही उड गयी ,
वो अफनाती सासो ने अपने चेहरे को भिचे हुए आंखे फ़ाड कर मुझे देख रही और मै मुस्कुराता हुआ - गुड मॉर्निंग चाची ,
चाची जल्द मुझे देख कर समझ गयी कि ये सब मेरी ही शरारट है और वो सिस्कते हुए - कमीने तु है , और ये सुबह सुबह अह्ह्ह माह्ह्ह उह्ह्ह उंम्ंम्ं
मै - ऊहह चाची मुझे पता होता कि रात मे आप मेरे साथ सोने वाली थी तो मै आपको वैसे ही नही सोने देता हिहिहिह
चाची - सोई तो मै तेरे से पहले ही यहा थी फिर
मै बत्तिसी दिखाते हुए - वो मै नीद मे था ना तब , और अभी जब उठा तो आपको देख कर कन्ट्रोल नही हुआ उह्ह्ह चाची मस्त बुर है आपकी उम्म्ंम कसी हुई है और चिकनी भी
चाची मेरी बाते सुन कर थोडा मुस्कुराई और झटके खाने के भाव से उनके चेहरे लगातार भीच रहे थे - ऊहह बेटा उह्ह्ह तुने तो सुबह सुबह ही आज्ज और घुसा अब उम्म्ंम मजा रहा है , तेरा मुसल तो बहुत टाइट जा रहा है उह्ह्ह
मै - आपकी चिकनी बुर देख कर ही हुआ है चाची उह्ह्ह लोह्ह मै आने वाला हु उह्ह्ह्ह
चाची - ला बेटा मुझे देदे उह्ह्ह ऊहह
मै भी झटके मे उठा और अपना लण्ड चाची के मुह पर निचोड़ने लगा और चाची मेरा सोमरस अपनी जीभ पर लेने लगी ।
उसके बाद हमने अपने कपडे ठिक किये और मै वाप्स बिस्तर पर गिर पड़ा
चाची - अरे मुआ अब क्या सो रहा है , चल देख घर मे तमाम काम है , रात मे उठी थी मै तो तेरे मौसा और चाचा उपर छ्त पर रात भर जागे थे , जा उनको आराम करने को भेज दे , मै भी तेरी मा और सबको को जगाती हु ।
फिर मै उखड़े मन से उठा क्योकि सुबह की आलस से आप सभी वाक़िफ है ही , इसीलिए सबसे पहले मुह धुला और फिर हाल के आया तो देखा तो शिला बुआ किचन मे सफाई कर रही थी ।
मै - गुड मॉर्निंग बुआ
बुआ मुस्कुरा कर - अरे उठ गया लल्ला,
मै - जी बुआ , उठ तो गया लेकिन चाय बना दोगी । अभी भी निद आ रही है ।
बुआ मे एक बॉटल से चाय निकालकर मुझे थम दिया
मै - अरे इतनी जलदी
बुआ - अरे वो गवैया लोगो को चाहिये था ना अभी थोडी देर पहले ही बनाइ हु
मै चाय चुस्की लेते हुए उपर निकल गया - थैंकयू बुआ ।
उपर छत पर देखा तो गवैया लोगो का प्रोग्राम जारी था , उनके कुछ साथ वही पान्डल मे सोये हुए तो कुछ आस पास मुहल्ले जो लोग आये थे वो भी यही छत पर चादर गम्छा ओढ़ कर सो गये थे क्योकि मौसा काफी ठन्ड्क भरा था । मस्त सनसनाती हवा भी चल रही थी ।
मैने आस पास नजर घुमाई लेकिन ना चाचा दिखे ना मौसा
फिर मुझे शक हुआ कि कही इन लोगो के बिच मे तो नही ना लुढक गये ।
मैने एक दो लोगो की चादर हटाइ तो चाचा मिल गये और मै हसपडा इस बात पर कि वो वापस से चादर खिंच कर करवट लेते हुए सो गये ।
मैने सोचा अब इनको क्या ही डिस्टर्ब कर ये यही मस्त है , मगर मौसा नही दिखे ।
तभी पाखाने का दरवाजा खुला और मौसा अपने पाजामे का नाड़ा बान्धते हुए बाहर निकले ।
मै चाय की चुस्की लेते हुए - गुड मॉर्निंग मौसा
मौसा मेरी चहक भरी आवाज सुन्कर कर हसते हुए - अरे बेटा गुड मॉर्निंग , लेकिन ये क्या भाई अकेले अकेले चाय की चुस्की उम्म्ं
मै मुस्कुरा कर - अरे मौसा वो बुआ ने दिया है , आप बोलो तो आपके लिए भी लेते आऊ
मौसा कुछ सोच कर - अरे नही मुझे अभी ब्रश करना है और मेरा बैग तो निचे ही है तो वही पी लूंगा , तु यहा देख तब तक
मै - ठिक है
फिर मौसा हाथ धुलकर निकल गये और यहा चाय की चुसकी ने मेरे पिछवाड़े मे लोहा भर दिया जिसका वजन कम करने मै भी पाखाने मे घुस गया ।
लेखक की जुबानी
इधर राज के जाने के बाद शालिनी भी बाथरूम से फ्रेश होकर निकाली और उसने किचन मे शिला को काम करते हुए देखा
शालिनी - क्या जीजी आप मुझे नही जगा पा रही थी , और खुद लग गयी ।
शिला - अरे तो उसमे क्या हो गया शालू
शालिनी हस कर - अच्छा ठिक है छोडिए मै ये सब साफ कर दूँगी आप जरा वो राज के मम्मी पापा को जगा दीजिये ना
शिला शालिनी को छेड़ने के भाव मे - क्यू तु जगा दे ना
शालिनी झेप कर - क्या जीजी आप भी , मै कैसे वो मेरे जेठ है ना तो मै कैसे उनको
शिला हस कर - अच्छा ठिक है भाई जगा देती हु
फिर शिला खुद रागिनी के कमरे मे गयी और उनको उठा कर बाहर आ गई ।
उसने देखा कि शालिनी ने किचन का जिम्मा ले ही लिया तो उसने भी झाडू उठाते हुए हाल की सफाई शुरु कर दी ।
ऐसे मे कमलनाथ के पैरो की चाप सीढियो से निचे की ओर आने लगी ।
जैसे ही कमलनाथ आखिर की सीढियो को पर आया तो देखा सामने शिला झुक कर हाल मे झाडू कर रही है और डीप नेक वाली उसकी कुर्ती से उसकी चुचिया झाक रही थी ।
शिला को सामने देखते ही कमलनाथ ने अपनी हथेली से अपनी अधजगी आंखो को रगड़ कर साफ कर किया और चेहरे पर हथेली रगड़ कर खुद को तरोताजा करता हुआ शिला के चेहरे को देखते हुए निचे उतरा इस ताक मे कि कब वो उसकी ओर नजर मारेगी ।
शिला ने भी सीढियो की आहट पर अपना सर उठा कर उपर देखा तो कमलनाथ उसे घूरता हुआ नजर आया ।
शिला को उसकी नजर भापते देरी नही और अगले ही पल वो झटके से खड़े होते हुए पास मे रखे सोफे से अपना दुपट्टा अपने सीने पर लेते हुए खडी हो गयी ।
इस दौरान कमलनाथ उस अनमोल खजाने को पर्दा होने तक ताकता ही रहा ।
फिर शिला को देख कर मुस्कुराता हुआ - वो रमन की मा कहा है ?
शिला नजरे चराते हुए मुस्कुरा कर गेस्ट रूम मे इशारा करके - जी वो कमरे मे सोई है ?
कमलनाथ समझ गया कि वो दिन की थकान और रात मे देर तक जागने की वजह से सो गयी हो गयी , इसीलिए वो सोचा रहने देते है
और खुद ही राज के कमरे की ओर बढने लगा कि अपना समान वो खुद ही निकाल लेगा
तभी शिला - क्या हुआ , कुछ चाहिये क्या ?
शिला के सवाल से कमलनाथ को हसी आई और वो मुस्कुरा कर शिला की ओर घूमते हुए - जी !!!
शिला कमलनाथ का मुस्कराता चेहरा देख कर झेप कर हस्ती हुई - मतलब कुछ जरुरत है आपको किसी चीज की ?
कमलनाथ - अरे नही वो मुझे मेरे बैग से कपडे तौलिया ब्रश लेना था , सोचा नहा ही लू
शिला उसकी ओर बढ कर - चलिये मै निकाल कर दे देती हु आईये
ये बोल्कर शिला अपने कुल्हे हिलाते हुए राज के कमरे मे घुस गयी और कमलनाथ का बैग उठाने के झुकी तो उसकी गाड़ ये फैल कर उभर गयी , जिसे देख कर कमलनाथ का लण्ड अकड़ गया ।
इधर शिला बैग उठाने के लिए जैसे ही झुकी उसे अपने पीछे खड़े कमलनाथा का ध्यान आया कि उसने ऐसे झुक कर गलती कर दी है , मगर अब क्या ही करती उसने झटके से वो बैग उठाया और उसको बिस्तर पर रखते हुए खोलने लगी।
बैग खोलने के बाद उसने कमलनाथ को उसका समान दिया और कमरे के बाथरूम की ओर इशारा करती हुई बोली - उसी मे चले जाईये
और खुद अपने कुल्हे हिलाते हुए बाहर निकल गयी ।
कमलनाथ अपना मुसल मसल कर रह गया ।
समय बीता और देखते ही देखते 9 बज गये थे ।
जंगीलाल शालिनी को लेके अपने घर नहाने धोने के लिए निकल गया था क्योकि कल जल्दबाजी मे वो लोग अपनी पैकिंग करनी भूल गये थे और जन्गीलाल को दुकान भी खोलनी थी ।
शादियो का सीजन था तो नुकसान हो रहा था । ऐसे मे वो अपने भैया से इजाजत लेके निकल गया कि शाम को भोज से पहले ही आ जायेगा और शालिनी ने भी दोपहर तक सारी पैकिंग करके आने का वादा करके निकल गयी ।
रन्गीलाल ने राज को चमनपुरा मे सभी पहचान वाले लोगो को रात मे भोज का निमंत्रण सूची लेके भेज दिया था ।
अनुज और राहुल चंदू के घर मे हलवाइयो के लिए रसोई का सारा समान पहुचवा रहे थे ।
ऐसे मे हाल मे रंगीलाल पंडित जी से पाठ समाप्ति पर हवन के लिए कुछ सामानो की सूची बना रहा था ।
कमलनाथ भी उसके साथ ही बैठा हुआ था ।
सारी सूची तैयार होने के बाद पंडित जी बताई एक समान के लिए रन्गीलाल चिंतित हो उठा ।
कमलनाथ - क्या हुआ भाई साहब
रन्गीलाल - अरे भाईसाहब, पंडित जी कहा है हवन के लिए खास गाव से पाच पेड़ो की लकड़ीया लानी है और मै घर से बाहर जा नही सकता । राज भी न्योता देने निकल गया है ।
कमलनाथ - अरे तो क्या हुआ मै हु ना , मै चला जा रहा हु
रन्गीलाल - अरे लेकिन आपने गाव कहा देखा है मेरा और उपर से गाव वाले घर पर ना जमुना भैया ( रंजू ताई के पति ) और ना ही कमलेश ( पंखुडी भाभी का पति ) है ।
रंगीलाल अपनी बात खतम करता उस्से पहले शिला टोकती हुई - अरे भैया मै चली जा रही हु ना , मैने तो सब देख रखा है ।
शिला की बात सुनते ही रंगीलाल खुश हुआ मगर संसय भाव से - मगर उतनी सारी लकड़िया दिदी तुम अकेले कैसे ?
कमलनाथ - अकेले कहा भाईसाहब मै चला जा रहा हु ना साथ मे ।
कमलनाथ की बाते सुन्कर कर शिला थोड़ी मुस्कुरा दी - हा भैया आप परेशान ना हो ।
रंगीलाल - ठिक है लेकिन आप लोग जाओगे कैसे ? इत्नी सुबह रिक्सा भी नही मिलेगा
शिला चहक कर - अरे वो बाहर किसी की स्कूटी खडी है ना
रन्गीलाल - किसकी ?
रागिनी - अरे वो गवैया लोग आये है ना उन्ही मे से किसी की है , रुकिये मै चाभी लाती हु ।
फिर रागिनी ने चाभी लेके आई और कमलनाथ को देते हुए - हमम जीजा जी लिजिए
इसपे रज्जो खिलखिलाकर हस पडीं- अरे इन्होने कभी साइकिल नही चलाया स्कूटी कैसे चलायेंगे ।
रागिनी ने भौहे सिकोड़ कर अचरज भरे भाव से कमलनाथ को देखने लगी ।
शिला चाभी लपकती हुई - अरे लाओ भाभी मुझे आती है हिहिही
कमलनाथ थोडा अचरज से - तो क्या मुझे पीछे बैठना पडेगा
रागिनी हस कर अपने जीजा का मजा लेते हुए - हा और क्या ? और कही डर लगे तो जीजी(शिला) को कस कर पकड भी लिजिएगा हिहिहिही
रागिनी ने एक ही तीर से दो शिकार कर दिये थे , पहला शिला का भौजाई के रूप मे दुसरा कमलनाथ का साली के रूप मे ।
रागिनी की बाते सुन कर रज्जो खिलखिला उठी और सबसे ज्यादा रंगीलाल और कमलनाथ को झेप सी हुई । मर्द आखिर औरतो के मजाक मे हार ही जाते है और कमलनाथ बिना कुछ बोले बाहर निकल गया ।
शिला भी हस्ती हुई निकल गयी ।
रागिनी - और आप क्या लजा रहे है चालिये बाकी का समान स्टोर से निकालना है ।
इधर शिला ने बड़े स्वाभिमान से स्कूटी स्टार्ट की और कमलनाथ के बैठने का इन्तजार करने लगी ।
वो सिसे मे कमलनाथ की असहजता की स्थिति को देखकर - अरे अब बैठ भी जाईये हिहिहिही , हमे जल्दी जाकर वापस भी आना है ।
शिला की बाते सुन्कर कर कमलनाथ उसके पीछे पैर फेक कर बैठ गया और शिला के फैले हुए चुत्ड़ो से थोडी दुरी बना कर बैठा रहा ।
शिला ने एक बार सीसे मे देखा और एक्सीलरेटर घुमाती हुई सुईईई से झटके मे स्कूटी को रवाना किया , जिससे कमलनाथ और शिला के बिच की दुरी महज कुछ इंच भर रह गयी ।
धीरे धीरे कमलनाथ और शिला आपस मे बाते करते हुए निकल गये । वही कमलनाथ की कामोत्तेजना अब बढनी शुरु हो गयी थी ।
चमनपुरा बस स्टैंड के सामने के ब्रेकर आया और शिला ने बिना रोके ही स्कूटी खिच दी उसी रफतार मे ।
नतीजा कमलनाथ का कुल्हा उछल कर शिला के पीछे आ गया और अब उसकी जान्घे शिला के गुदाज फैले हुए कूल्हो से स्पर्श हो रही थी ।
शिला ने भी ये मह्सूस किया मगर कोई प्रतिक्रिया नही दिखाई बस मुस्कुरा कर चमनपुरा टाउन के बाहर से होती हुई फुलपुर गाव की पुलिया पर स्कूटी घुमा दी ।
पुलिया पर चढाते ही शिला ने ब्रेक ल्गाया और कमलनाथ का सिना धक्क से शिला की पीठ मे जा लगा ।
शिला की हसी छूट गयी । दोनो ने सामने देखा तो गाव के टूटे हुए खड़न्जे वाली सड़क थी जो करीब डेढ़ किलोमीटर तक जाने वाली थी गाव पहुचने के लिए ।
दोनो मन ही मन खुद को तैयार कर रहे थे और समझ रहे थे कि अब तो बिना पकड़े सफर आगे नही बढ़ने वाला था ।
जारी रहेगी