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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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UPDATE 176B

लेखक की जुबानी

PHOOLPUR

फूलपूर की पुलिया पर बिचोबीच स्कूटी खड़ी थी , दोनो की निगाहे 6 फीट के संकरे और करिब डेढ़ दो किमी लम्बी उबड़-खाबड़ वाले खड़न्जे पर गयी ।
जो खाली सिवान से होकर गाव तक रहा था ।

आने जाने को एक्का दुक्का लोग ही थे कोई साइकिल से तो कोई पैदल ,
सामने से आ रही साइकिल के पहिये की उछलकूद और उस साइकिल सवार के बिगड़े हुए चेहरे के बेचैन भाव को देख कर दोनो समझ गये थे ये छोटा सफ़र बहुत परेशान करने वाला है

ऐसे मे कमलनाथ ने नैतिकता दिखाते हुए - ऐसा करिये आप चलिये मै पैदल आता हु ।

शिला - अरे देर हो जायेगी , आप बैठीये और ..

कमलनाथ शिला के बात पूरी होने का इन्तेजार कर रहा था

शिला हिचक कर -और मुझे पकड लिजिए , अब क्या ही कर सकते है ।

कमलनाथ दिल ध्क्क से हुआ और अगले ही पल वो प्रफुल्लित हो गया
फिर वो जानबुझ कर शिला से थोड़ी दुरी रखते हुए अपने एक हाथ को शिला के कन्धे पर रखा ।

इस स्पर्श से दोनो ही सिहर गये और शिला की सासे तेज हो गयी , उसने एक गहरी सास ली और एक्सीलरेटर घुघूवाते हुए धीरे धीरे पुलिया से निचे उतरने लगी ।
ढलान पर लुढ़कती स्कूटी का कोण उपर से दो तीन हच्के की उछाल मे ही कमलनाथ शिला के पीछे आ गया और उसने शिला के कन्धे को जोर से पकड लिया ।

शिला भी स्कूटी की हैंडिल ताने हुए धीरे धीरे उतारे जा रही थी मगर कमलनाथ की सख्त हथेली ने उसके कंधो को कचोटना शुरु कर दिया था ।
प्रतिक्रिया स्वरुप शिला दर्द के मारे अपने कन्धे उचकाते हुए सिस्ककर - आउउउच ,

शिला की कराह सुनते ही कमलनाथ ने अपने हाथ की पकड ढीली कर उसके कन्धे सहलाता हुआ - सॉरी सॉरी ,

शिला अपने कूल्हो पर स्पर्श हो रहे कमलनाथ के जांघो को मह्सूस करती हुई मुस्कुरा कर - कोई बात नही , आप निचे पकड लिजिए क्योकि आगे रास्ता ऐसे ही है

कमलनाथ ने अपने हाथ सरका कर शिला के कमर मे हाथ डाल कर जांघो से जस्ट उपर उसके गुदाज कमर को कुरती के उपर से हल्के हाथो से पकड लिया ।

कमलनाथ के स्पर्श से शिला कापने लगी और धीरे धीरे उबड़-खाबड़ रास्ते ने कमलनाथ के सीने को शिला के पीठ से लग्भग चिपका दिया था ।

पजामे मे कमलनाथ का लण्ड शिला के गुदाज गाड़ मे हल्का फुल्का टच हो रहा था , शिला को पहले थोडा खटका अगले ही पल एक जोर का हचका लगा

शिला उछली और कमलनाथ आगे की ओर खिसका , जैसे ही शिला निचे हुए वो डिरेक्ट कमलनाथ के आधे लण्ड पर बैठ गयी ।


लण्ड का कड़ापन अपने गुदाज गाड़ मे पाते ही शिला की सासे अटक गयी और वही कमलनाथ की धडकन भी एक पल को थम सी गयी कि अगर जरा सा भी आगे पीछे हुआ होता तो अब उसके लिन्ग मे फैक्चर हो गया होता , जितनी जोर से शिला के चुतड के लण्ड पर गिरे थे ।


अगले ही जब उसको सब नोर्मल लगने लगा तो उसको अपनी वर्तमान स्थिति का याद आया और ये सोचते ही उसका लण्ड ठुमका, जिसका आभास शिला को हुआ और वो चिहुक कर उसके लण्ड से उतरते हु आगे हो गयी ।

अब शिला सीट के मुहाने पर बड़ी मुश्किल से बैठी हुई थी , पीछे पुरा एक लोग को बैठने की जगह खाली थी ।

इधर कमलनाथ को जैसे ही शिला की स्थिती का ज्ञान हुआ - आप ठिक से बैठी है ना , दिक्कत तो नही


शिला थोडा लजाती हुई - अह नही ये हच्के से मै एकदम आगे आ गयी हुई जरा आप थोड़ा पीछे हो जाईये


कमलनाथ ने पीछे हैंडल पकड कर अपने चुतड खिस्काता हुआ - हा हा आ जाईये

शिला ने उसी अवस्था मे स्कूटी को थोडा सा रोककर अपने कुल्हे खसकाते हुए पीछे जाने लगी और जैसे ही उसको कमलनाथ के मुसल का तनाव अपने चर्बीदार गाड़ मे स्पर्श हुआ वो रुक गयी ।

सफर फिर से शुरु हो गया और कमलनाथ ने अपने ढीले हाथ वापस से शिला के कमर पर रख दिया , धीरे धीरे वो सरक कर उसकी जांघो तक जाने लगे ।

हवा से पहले ही शिला की कुर्ती जांघो से उतरी हुई थी और नरम जान्घो का स्पर्श अपनी उंगलियो पर पाते ही कमलनाथ सतर्क हुआ और थोडी देर तक उसने वैसे ही शिला के जांघो पर हाथ रहने दिया ।

शिला भी सिहर उठी थी , स्कूटी की खड़बड़ाहट से कमलनाथ की उंगलियाँ उसके मुलायम चर्बीदार जांघो पर सरक रही थी ।
उसपे से पीछे गाड़ मे उसका सुपाडा चुभा हुआ था ।

शिला के निप्प्ल तन चुके थे और चुत पनियाना शुरु हो चुकी थी ।


इधर कमलनाथ ने खराब रास्ते का फाय्दा लेते हुए अपनी उंगलिया जांघो के भीतरी भाग पर सरकाने लगा था ।

शिला पूरी तरह समझ रही थी कि ये सब संयोग नही था इसमे कमलनाथ की भरपुर मनसा छिपी हुई है

लेकिन वो कामयाब होने से रही , सामने फुलपुर गाव आ चुका था ।

शिला चहक कर - अरे गाव आ गया

शिला के इतना कहने की देरी थी कि कमलनाथ ने अपने हाथ वापस खिच लिये और मुस्कुरा कर - शुक्र है आ गया , नही तो ये रोड उफ्फ्फ


शिला - अरे भी खतम कहा हुआ है , गाव के बाहर बाहर से दुसरी ओर जाना है , वहा है हमारा बाग ।


कमलनाथ - अच्छा

फिर शिला ने स्कूटी चलाती हुई हार्न बजाती हुई बाहर ही बाहर गाव के दुसरे तरफ आ गई जहा एक तरफ बागिया थी ।

बाग मे आते ही शिला को मिट्टी वाली अच्छी सडक मिल गयी तो वो पेड़ो के बिच से स्कूटी नचाते हुए बाग के आखिरी छोर पर एक सिन्गल कमरे का मकान बना था उसी के सामने रोक दी ।

उस तरफ खेतो का पुरा सिवान था ।
बगल मे एक नदी बह रही थी ,,जिसके ढलानो मे गाव के बच्चे भैस गाय चराने आये हुए थे ।


कमलनाथ और शिला दोनो उतर गये ।

कमलनाथ- तो क्या ये अपना खुद का बाग है ?

शिला - हा और यहा से वो पेड़ तक खेत भी ह्मारे है , ये सब जमुना भैया देखते है ।
ये मकान भी वही बनवाये है


शिला ने अपने घर के बारे मे तारिफ जोडने लगी , मगर कमलनाथ तो उसके जिस्मो को निहारने मे मशरफ था


कमलनाथ गहरी सास लेते हुए - वैसे यहा बहुत सुकून है , वहा शहर मे इतनी भीड़ होती है और यहा कोई देखने वाला नही है हमे हाहहह्हा

शिला कमलनाथ का दोहरे अर्थ को समझ रही थी लेकिन उसने बात को घुमाते हुए - हा मै भी सालो बाद आयी हु , चलिये अब जिस काम के लिए आये है वो कर ले ।

कमलनाथ - हा हा क्यू नही

फिर शिला ने स्कूटी से एक प्लास्टिक बोरा निकाला और उसको लेके एक ओर बढ़ गयी ।

कमलनाथ भी शिला के पीछे पीछे चल दिया उसके हिल्कोरे मारते चुतडो को निहारते हुए ।

शिला ने इधर उधर देख कर सुखी लकड़ीया उठानी शुरु कर दी और कमलनाथ भी उसकी मदद करने लगा ।

दोनो अब परिवार के बारे मे बाते करने लगे ।
कमलनाथ ने शिला के अकेले आने का कारण पुछा तो उसने घर के काम और बेटियो के बाहर पढ़ाई करने की बात बताई ।

शिला- मै भी हल्दी वाले दिन आने वाली थी लेकिन भाभी ने जिद करके बुलाया

कमलनाथ - क्यू ?

शिला - दरअसल आज मेरे जन्मदिन की पार्टी होने वाली थी, ऑफ़िस स्टाफ भी काफी जिद किये थे लेकिन मै रुक ना सकी ।

कमलनाथ शौक होकर- तो क्या सच मे आज आपका बर्थडे है

शिला थोडा शर्मा कर - जी ,

कमलनाथ उसके हाथ से लकड़ी वाला बोरा लेता हुआ- अरे छोडिए आप इसे , आपने बताया भी नही इतना खास दिन है आपका ।

शिला हस कर - इसमे बताने जैसा क्या हैं ..

कमलनाथ कुछ खोज रहा था कि उस की नजर उस मकान के पास लगे गुढ़हल के पेड़ पर गयी जिस्पे गुलाबी वाले गुडहल लगे हुए थे ।

कमलनाथ- रुकिये जरा
फिर वो भागता हुआ पेड़ के पास गया और वहा से एक सुन्दर गुडहल का फुल पत्तियो डंठल सहित लेके भागता हुआ आया और शिला को देते हुए - हैप्पी बर्थडे


शिला शर्म से लाल हो गयी और हस्ते हुए उसके हाथो से गुडहल लेते हुए- जी बहुत बहुत थैंक्यू

कमलनाथ - बस थैंक्यू ? इतना सुखा सुखा

शिला कमलनाथ का इशारा समझ गयी थी और वो मुस्कारा कर लपक उसके गालो को चूमते हुए - थैंक्यू हिहिही बस खुश



कमलनाथ को उम्मीद नही थी कि शिला ऐसा कुछ कर देगी लेकिन वो खुश था और उसका लण्ड बेकाबू हुआ जा रहा था ।

कमलनाथ अपने गीले गालो को सहलाते हुए - मै तो सोचा आप केक वेक खिलाएंगी , लेकिन ये भी ठिक है हिहिहिही

कमलनाथ की बाते सुन्कर शिला शर्म से लाल पड़ गयी और हसने लगी
तभी कमलनाथ का मोबाईल बजा और रन्गीलाल ने फोन पर जल्दी आने को कहा ।


कमलनाथ - अरे आपके भैया का फोन था जल्दी आने को बोला है

शिला - अरे अभी हुआ कहा , दो पेड़ की ही बस लकड़ीया हुई है ना

कमलनाथ - ऐसा करिये आप उधर मकान के पास देखीये मै उस ओर देखता हु , जल्दी हो जायेगा

फिर दोनो अलग हुए और जल्दी जल्दी लकड़ीया बटोरनी शुरु कर दी ।

कमलनाथ ने फुर्ती दिखाई और वो अपने हिस्से की लकड़ी इकठ्ठा कर शिला की ओर घुमा मगर वो मकान के पास नही थी

वो उसी ओर बढता हुआ आगे गया तो देखा कि शिला ने लकड़ीया इकठ्ठा कर स्कूटी पर रखे हुए थी मगर वो खुद कही नजर नहीं आ रही थी

कमलनाथ आगे बढ कर इधर उधर नजर मारा और अचानक से उसको मकान की दिवाल से लग कर शिला अपनी गाड फैलाये हुए मूत रही थी ।

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कमलनाथ की आन्खे फैल गयी शिला की ये फैली हुई गाड़ देख कर , उसके गोरे गोरे चुतड मकान की छाव मे भी झलक रहे थे और चुतडो के बिच की फैली हुई दरार जो उसके भूरे सुराख तक जा रही थी ।
कमलनाथ अपना तनमनाया हुआ मुसल पकड कर उसको भींच रहा था

वही शिला उठी और अपने चुतडो पर पैंटी खिच कर चढाते हुए लेगी भी उपर कर की और अपना कुर्ती निचे करते हुए जैसे ही वो घूमी, सामने कमलनाथ अवाक होकर आन्खे फाडे उस्की ओर देखे जा रहा था ।
शिला का कलेजा धक करके रह गया और वो लाज के मारे सर निचे करती हुई आगे आई ।


कमलनाथ हड़बडी मे - सॉरी सॉरी वो आप दिखी नही तो मै आपको खोजता हुआ


शिला लाज से हस कर - छोडिए जाने दीजिये हम दोनो मे ना जाने ये कैसा सन्योग बना हुआ है कि हर बार .... हिहिहिह्ही


कमलनाथ भी शिला की बात पर हसता हुआ - हमम सही कह रही है आप , मगर इस बार संयोग पिछ्ली बार से ज्यादा ही बड़ा था

कमलनाथ की दोअर्थी बात सुनते ही शिला के कान खड़े हो गये और वो मुस्कुराती हुई - क्या !

कमलनाथ अब झेप सा गया कि क्या जवाब दे तभी

शिला हस कर - रज्जो भाभी सही कह रही थी मर्द लोग सच मे ऐसे ही होते है ।

शिला के मुह से रज्जो की बात सुन कर कमलनाथ आतुरता से - क्या ? क्या कहा रज्जो ने ?

शिला हस कर स्कूटी की ओर बढती हुई - जाने दीजिये और चलिये देर हो रही है ।

कमलनाथ - हा लेकिन आखिर ऐसा क्या करते है मर्द लोग भई हिहिहिही हम भी जाने

शिला नजरे झुकाये मुस्कुराते हुए नजरे उठाती हुई कमलनाथ को देख कर - क्यू आपको नही पता ?

कमलनाथ ने ना मे सर हिलाया

शिला हस कर - वही जो अभी आप घुर रहे थे , मर्द लोग मौका पाते ही वही नजरे गड़ा लेते है ।

कमलनाथ हस कर - अरे वो तो ...

शिला - क्या वो तो उम्म्ंम ... झुठ मत बोलिए । इत्ने शरीफ होते आप तो नजरे फेर नही लेते लेकिन आप तो ना उस दिन और ना ही आज ...।

शिला ये बोल कर शर्म से मुस्कराने लगी ।

कमलनाथ - हा हा सारा दोष तो हमी लोगो का है , आप लोग बड़ा दूध की धुली है , रिझाने का इतना सारा साधन लेके घूमती है और उपर से हमे ही दोषी कह रही है ।

शिला - कौन सा साधन हिहिहिही

कमलनाथ हस कर - यही जो है आपका , मतलब चलते फिरते इतना हिल्ता डूलता है कि किसी की भी नजर अटक जाये

शिला शर्म से लाल होकर - धत्त क्या आप भी चलिये बैठीये हिहिहिही


शिला ने वो बोरि आगे स्कूटी के खाली जगह पर रख दिया और दोनो बैठ कर निकल दिये ।

कमलनाथ इस बार पुरा का पुरा शिला से सट कर बैठा हुआ था उसका लण्ड शिला की गाड़ मे चुब रहा था । उसके हाथ शिला की जान्घो पर थे मगर इस बार कुर्ती के अंदर से ।


शिला समझ रही थी उसके एक चुंबन ने बहुत कुछ बदल दिया था , दोनो काफी ज्यादा खुल कर परिस्थतियो का मजा ले रहे थे ।
वो भी इस पल का मजा ले रही थी और कमलनाथ की उंगलिया अब उसके जान्घो को बड़ी बेफिकरि से सहला रही थी ।

हर हचके के साथ कमलनाथ एक हाथ से शिला का पेट पकड लेता था और उसको ज्यादा सम्भाल रहा था ।

धीरे धीरे वो हाथ भी दुपट्टे के निचे निचे चुचियो के करिब आ चुका था


शिला की सासे उखड़ रही थी और वो बहुत ज्यादा परेशान हो रही थी । उसे स्कूटी चलाने मे बहुत सम्स्या हो रही थी ।


कमलनाथ ने हाथ कभी कभी उसके छातियो को छू स्कते थे ऐसे ही उसने जोर का हार्न मारा और कमलनाथ का हाथ सरक गया ।

उसने सामने देखा तो कुछ दुर से एक साइकिल वाला आ रहा था ।

कमलनाथ समझ गया कि शिला ने उसे चेताया है , और जैसे ही साइकिल वाला निकल गया कमलनाथ के हाथ वापस उपर बढ़ने लगे ।


शिला मुस्कुरा उठी क्योकि वो दोनो अब मेन रोड पर गये थे ।

कमलनाथ ने अपने दोनो हाथ पीछे किये और सभ्यता दिखाते हुए पीछे भी हो गया ।

जल्द ही दोनो चमनपुरा चौराहे पर आ गये थे ।

स्कूटी खड़ी करके शिला ने उतर कर कमलनाथ को देखा और भी मुस्कुरा कर चली गयी ।

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वही कमलनाथ उसके हिचकोले खाते चुतडो की वही खड़ा निहारता रहा और फिर बोरी लेके उपर छत पर चला गया ।

इधर सारे लोग आ चुके थे
दोपहर के 11 वज रहे थे और हवन शुरु हो गया ।


इधर कमलनाथ और शिला की आंख मिचौली जारी रही और दोनो मुस्कुरा रहे थे ।
इनसब से अलग निचे के फलोर पर सिर्फ रज्जो अकेली थी और वही किचन मे भी लगी हुई थी ।

वही अनुज की आंखे हर जगह उसी को खोजे जा रही थी ,
अनुज के लिए ये बहुत सुन्दर मौका था कि जब सारे लोग व्यस्त थे और वो अपनी मौसी के साथ थोडी बहुत मस्ती कर पाये ।

अनुज छत पर अपनी मौसी को खोजा और ना मिलने पर वो निचे आया तो देखा कि रज्जो किचन मे अकेली काम कर रही है और निचे कोई भी नही है ।

ऐसे मे अनुज ने लपक कर पीछे से अपनी मौसी को हग कर लिया और अपना लण्ड उसकी बड़ी सी गाड़ के गालो पर चुबोते हुए- आह कबसे खोज रहा हु आपको मौसी मै ।

रज्जो को समझते देर नही लगी कि अनुज उसे आखिर क्यू खोजेगा तो वो मुस्कुरा कर -हमम जान रही हु तू क्यू खोज रहा है मुझे ।

अनुज रज्जो की पीठ से अपना मुह लगा कर हौले से उसके पेट को सहलाते हुए - चलो ना मौसी मेरे रूम मे , प्लीज


रज्जो- क्या तु भी , देख नही रहा इतने मेहमान है और तु ।

अनुज - प्लीज ना मौसी , प्लीज

इससे पहले रज्जो कुछ बोलती तभी सीढियो से किसी के आने ही आहट हुई और वो झट से अनुज से अलग हो गयी ।


वो मुहल्ले की औरते थी जो हवन के लिए आई हुई थी अब प्रासाद लेके वापस जा रही थी

रज्जो ने थोडा सख्त रवैया अपनाया - देख नही रहा लोग आ जा रहे है और मुझे निचे रुक्ना जरुरी है

मौसी की कड़ा रुख देख कर अनुज का चेहरा उतर गया और वो बाहर जाने लगा

रज्जो उसके उदास चेहरे को देख कर मुस्कुराती हुई - अच्छा सुन ।

अनुज वैसे ही मुह लटकाये रज्जो की ओर पीठ किये ही - हमम बोलो !

रज्जो - आज रात
को मत सो जाना , कल की तरह


रज्जो की बात सुनते ही अनुज का मुरझाए गाल खिल उठे और भाग कर रज्जो से लिपट गया ।

रज्जो उसके सर मे हाथ फिराते हुए - मै तो कल रात में भो तेरा इन्तजार कर रही थी ,मगर तु आया ही नही

अनुज - सॉरी मौसी वो मै सो गया था

रज्जो हस कर - ठिक है अब जा और आज सो गया तो मुझे मत कहना ।



राज की जुबानी

पूजा समाप्त हुई और
धीरे धीरे सारे लोग घर के लिए निकल गये थे और बस मुख्य रिश्तेदार ही रुके थे

तभी मौसा जी ने मुझे बताया कि आज शिला बुआ का जन्मदिन है और क्यू ना उसकी तैयारी की जाये ।

मैने मौसा को हामी तो भर दी लेकिन ना जाने क्यू मुझे उनका उत्साहीपना देख कर थोडा शक लग रहा था ।
क्योकि अब तक तो मै समझ ही चुका था मौसा को जो आदमी अपनी बहन चोदने के लिए अपनी बीवी को अपने जीजा के सामने परोस सकता है उसका ऐसे ही शिला बुआ के प्रति इतनी उत्साही भावना दिखाना समान्य बात होने से रही

मै समझ गया कि मौसा की नजर बुआ पर है मगर सोचने वाली बात है कि क्या बुआ का भी कुछ रुझान है या नही ।

खैर मै बहुत खुश था कि मेरी सेक्सी चुदक्क्ड बुआ का जन्मदिवस था ।


20230625-131604
मै भाग कर बुआ के पास गया और झुक कर उनकी कमर हाथ डाल कर पूरी ताकत से उठा कर हग करते हुए घूम गया और सबके सामने जोर से चिल्लाते हुए - हैप्पी बर्थडे बुआ


बुआ अचानक हुई हरकत से चौक गयी और चिल्लाती हुई मुझे निचे उतारने को कहने लगी और मै हस्ता हुआ उन्को निचे कर दिया
ऐसे मे उंहोने सबसे पहले तिरछे नय्नो से मौसा को मुसकराते हुए देखा ।

मै समझ गया कि कुछ ना कुछ दोनो के बीच मे खिचड़ी पक रही है जरुर ।

फिर क्या बारी बारी से सबने बुआ को विश किया ।

हर कोई बारी बारी से बुआ को विश करने लगा और इधर पापा ने चाचा को भी फोन करके सुचना दी

चाचा ने फोन बुआ को देने को कहा -
चाचा - हैप्पी बर्थडे दिदी
शिला हस कर - सारे लोग बस विश ही कर रहे हो किसी ने गिफ्ट नही दिया

चाचा - अरे दीदी आज आपको मै स्पेशल गिफ्ट दूँगा मेरी ओर से हिहिहिही

चाचा की बात सुनते ही बुआ के गाल लाल हो गये और मै भी समझ गया कि क्या गिफ्ट हो सकता था ।
इधर फिर पापा ने भी बुआ को रात मे गिफ्ट देने की बात कही जिसका मतलब मै और मम्मी साफ साफ समझ रहे थे ।

फिर क्या घर की बाकी महिलाओ ने मुझे घेर लिया कि मै बाजार से उनका गिफ्ट लेते आऊ

काफी चिल्लम-चिल्ली के बाद ये तय हुआ कि अभी खाना खा कर सारी महिला मंडली बाजार जायेगी और वही से जिसको बुआ को जो गिफ्ट देना है ले लेगी ।

ऐसे मे मौसा जी के चेहरे पर बेचैनी भरे भाव देखकर मै समझ गया कि वो भी कुछ ना कुछ बुआ को देना चाहते थे ,

मै - तब मौसा आप क्या दोगे बुआ को

मौसा - अरे बेटा देखते है बाजर मे क्या मिल सकता है ।

मै - हा हा आप भी चलियेगा ।


फिर क्या दो बजे तक सारे लोग खा पीकर तैयार होकर आ गये ।
जिसमे सोनल निशा , रीना भाभी , मौसी , चाची , मौसा , अनुज और राहुल थे ।

पापा मम्मी घर के कामो के लिए रुके थे वही शिला बुआ ने कल रात भर जागने और सुबह से भागा दौडी के कारण थोडा आराम करने के लिए रुक गयी ।

मै समझ गया कि पापा बुआ को गिफ्ट शायद इसी समय देने वाले थे ।


खैर हम सब निकल गये थे बाजार की ओर ।

जारी रहेगी
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 176 C

लेखक की जुबानी

SAROJA COMPLEX

सब लोग माल मे घुस कर इधर उधर अपने ग्रुप मे बटने लगे ।

सोनल-निशा-रीना
अनुज-राहुल
शालिनी-रज्जो
राज-कमलनाथ


सोनल निशा और रीना ने नये तौर तरीके पर चलते हुए कुछ मोर्डन सा गिफ्ट देने का काफी विचार किया तो रीना ने कास्मेटिक आइटेम देने का सुझाया तो सोनल ने भी हामी भर दी ।

निशा चहक कर - तो क्या देगी बुआ को , उनके नाप की पैंटी पुरे चमनपुरा मे नही मिलेगी हहाहहा

सोनल रीना के सामने थोडा झिझक कर हसती हुई
सोनल - चुप कर पागल ऐसा कुछ नही देने वाले हम लोग , हम लोग बुआ को मेकअप सेट देंगे क्यू भाभी !

रीना - हा बहिनी ठिक कह रही है आप

सोनल खीझ कर - उफ्फ़ ये बहिनी बहिनी , भाभी मै बच्ची थोड़ी हु मुझे मेरे नाम से बुलायिये ना

निशा हस कर - हा हा अब तु छोटी कहा है , तु तो अब सुहागरात की सेज पर सोने वाली है क्यू भाभी ?

रीना उतनी खुली थी अबतक यहा मगर निशा की शरारत भरी बाते उसके भीतर की चुलबुलाहट को बार बार सुई चुभो रही थी कि वो भी थोडा खुले और अपनी ननद रानी के मजे ले । आखिर ननद की शादी बार बार थोड़ी ना होनी थी ।


रीना हस कर - अच्छा तो इसीलिए बुरा लग रहा है आपको हिहिहिही

सोनल झेप कर - भाभी आप भी इसके साथ !!

रीना - अरे मेरी ननद रानी ऐसे उखड़ते नही , और इस पल भी मजा लेना चाहिए हिहिही सच कह रही हु मेरी शादी के टाईम भी मेरी भाभी सहेलिया बहने ऐसे ही खिचाई करती थी हिहिहिही और अब शादी के बाद कोई पुछता ही नही , इसीलिए कह रही कि इस वक़्त का मजा लो ।


सोनल मुह मे अपनी हसी दबाती हुई सहमती मे सर हिलाया

निशा - अरे भाभी मेरे रहते आपको उदास होने की जरुरत नही है हिहिहिही आप कहो तो मै मेरे तीनो भाईयो को आप पर छोड़ दू दिवानो के तरह घूमेंगे हिहिहिही


निशा की बात सुन कर रिना हसी और बोली - वो सब तो पहले से ही लट्टू है मै तो यहा नया शिकार खोज रही हु हिहिहिही

निशा ने रीना को आंख मारते हुर - तो मुझे भी साथ ले चलो शिकार पर भाभी

रीना हस कर - हा हा क्यू नही हिहिहिही पहले हथियार तो ले लिया जाये

सोनल - हथियार
रीना - अरे हम औरतो का हथियार ये जोबन ये रूप और सृंगार ही है ना हिहिह्ही

सोनल - धत्त भाभी हिहिहिही


शालिनी-रज्जो


रज्जो - क्या लू शालू बताओ यार ,

शालिनी हस कर - अरे दीदी मैने तो उनको बोल दिया है वो दिदी(शिला) के लिए दुकान से साड़ी लेते आयेंगे

रज्जो थोडा शरारत भरी मुस्कुराहट से - क्या ! सिर्फ साड़ी!

शालिनी - क्यू ? क्या हुआ ?

रज्जो हस कर - अरे ननद का जनमदिन है मेरा बस चले तो उनको सुहागरात के दुल्हन की तरह सजा कर नंदोई के पास भेज दू हिहिहिही

शालिनी - लेकिन दीदी यहा नंदोई जी है कहा हिहिहिही

रज्जो - अरे नंदोई ना सही इनके भैया लोग है ना , उनको भेज देंगे हिहिहिही

शालिनी - धत्त दीदी आप और रागिनी दीदी एक जैसे ही हो , वो भी दीदी(शिला) का खुब खिचाई करती है हिहिहिही

रज्जो हस कर - वो भौजाई ही क्या जो ननद के मजे ना ले , अरे मेरी ननद को मै उसके जन्मदिन पर नंगा ही कर दू हिहिहीही लेकिन वो गाव मे रहती है मनाती नही ना ये सब


शालिनी हस कर- तो आज दिदी(शिला) को ही कर दो वो भी एक हिसाब से आप्की ननद ही हुई ना

रज्जो - वो तो मै कर दू लेकिन फिर घर के सारे मर्द अपना खुन्टा इनकी चुतडो मे फसाने के लिए भागे भागे फिरेंगे और फिर हम लोगो कौन पुछेगा

शालिनी हस कर - तो फिर क्या किया जाये हिहिहिही

रज्जो हस कर - ऐसा करते है ब्रा-पैंटी का सेट ले लेते है , "जब दोनो छेद अपनी मर्यादा मे रहेंगे तो बाकियो के अरमान भी काबू मे रहेंगे " हिहिहिही

शालिनी हस कर - हिहिहिही चलिये फिर

फिर दोनो अंडरगार्मेंट्स सेक्सन की ओर बढ गयी ।


अनुज-राहुल


दोनो लेडिज सेक्सन मे शिला के लिए ड्रेस लेने पहुचे थे मगर वहा के महगे दाम से दोनो की आंखे चौधियायि हुई थी । अनुज की तो आदत सी थी कि वो महगे सामानो से कतराता था ।



राहुल - भाई समझ नही आ रहा है क्या लू बुआ के लिए

अनुज - भाई मेरे पास उतने पैसे है ना और यहा महगा है
दोनो बारी बारी से कपडे देख रहे थे और रेट स्लिप देख कर उनका चेहरा उतर जा रहा था ।।

तभी राहुल की नजर अंडरगार्मेंट्स सेक्सन मे टहल रही अपनी मा और रज्जो पर गयी

राहुल - अरे वो देख मम्मी और तेरी मौसी

अनुज फुर्तीली नजर से उस ओर देखा तो दोनो ब्रा की क़्वलिटी देख कर उसका साइज़ देख रही थी ।

राहुल - तो क्या ये लोग बुआ को ब्रा-पैंटी देंगी

अनुज - अरे नही बे , क्या पता खुद के लिए ले रही हो ।

राहुल - अरे तो वो सब तेरी दुकां पर है ना वो ही कम दाम मे

अनुज - हा लेकिन मौसी के साइज़ का नही होता है जल्दी , बड़े साइज़ के कम बिकते है और महगे होते है इसीलिए नही लाता हु मै ।


राहुल थुक गटक कर - वैसे तेरी मौसी का साइज़ क्या है ?

अनुज ने आंखे फैलाकर राहुल की भावना टटोलते हुए उसे देखा - क्या मतलब ?

राहुल हस कर - वही जो तुने सुना
अनुज - कुत्ता साला , अपनी मा को चोद चुका अब क्या मेरी मौसी को भी

राहुल बेशरमी से हस कर - नही यार , लेकिन तेरी मौसी के चुचे बहुत मोटे है हिहिहिही

अनुज को थोडा गुस्सा सा आया और वो मुट्ठी बना कर हाथ पीछे ले जाकर घमं से एक मुक्का राहुल की पीठ कर दिया और उसका सिना बाहर उठ आया

वो अटकी सासो और दर्द भरी कराह से हसता हुआ - सॉरी ना यार तु बुरा क्यू मानता है , वैसे ये लोग बुआ के लिए भी तो ले सकती है वो भी तो तेरे यहा मिलेगा नही ना क्योकि बुआ के भी चुतड तो ....


अनुज ने वापस से आंख दिखाई तो राहुल उससे थोडा दुर होकर - देख वो मेरी भी बुआ , समझा तो जो चाहू बोलू

अनुज समझ गया कि ये साला बकवास करता ही रहेगा इसीलिए उस्ने उसको इग्नोर किया और उसने सोचा क्यू ना मौसी को आज रात एक ब्रा-पैंटी गिफ्त कर दे । लेकिन राहुल के सामने वो खरीदेगा कैसे ।

अनुज - छोड ना ये बता तब लिया कया जाये यहा तो सब महगा है

राहुल - अरे तो राज भैया से लेले ना

अनुज राहुल का सर टिपता हुआ - अबे साले जब भैया से पैसा लूंगा तो वो उन्का गिफ्ट नही हो जायेगा


राहुल अपना सर सहलात हुआ - फिर क्या सोचा तुने
अनुज कुछ सोच कर अपनी जेब के पैसे और मौसी के ब्रा-पैंटी का खर्चा जोड घटा कर - बुआ के लिए चॉकलेट बॉक्स लूंगा मै , लेकिन उसके लिए भी पैसे कम पड़ रहे है यार

राहुल - अरे मै हु ना चल मिल कर देंगे

अनुज खुश हुआ और वो दोनो ग्रोसरि सेक्सन मे चले गये ।


राज-कमलनाथ


राज - तब मौसा कैसा रहा मौसी के बिना दो दिन

राज की शरारती तत्व से कमलनाथ मुसकरा उठा - दो दिन से सुखा सुखा गया बेटा और तेरा

राज मुस्कुरा कर - मौसी तो मेरे कमरे मे ही सोती थी ना तो हिहिहिहिही

कमलनाथ का लण्ड एकदम से राज की बाते सुन्कर टनं हो गया कि राज उसकी बीवी को दो रात जमकर पेला होगा

कमलनाथ - तो आज हम दोनो साथ मे ही

राज - मुश्किल है
कमलनाथ अचरज से - क्यू ?

राज - मौसी शायद बुआ के साथ सोये क्योकि वो अकेली है और आप मेरे साथ सोयेन्गे और उपर से आज बर्थडे भी मनाया जायेगा ना



कमलनाथ शिला के बारे मे सुन्कर थोडा गरम हुआ और फिर कुछ सोचते हुए - अच्छा ठिक है अब ये बता तेरी बुआ के लिए क्या गिफ्ट लिया जाये ।

राज कनअखियो से मुस्कुरा कर देखते हुए - आप क्या देना चाहते हो उनको

कमलनाथ मन मे - देना तो मै उसकी चर्बीदार गाड़ मे अपना लण्ड चाहता हु लेकिन क्या करू

राज - क्या हुआ मौसा

कमलनाथ - समझ नही आ रहा बेटा क्या दू
राज - वैसे बुआ मॉर्डन कपडे पहनती है तो मै सोच रहा हु उनको जीन्स देदू


शिला की फैली हुई गाड़ को जीन्स मे कसा हुआ सोचकर कमलनाथ पेंडुलम के जैसे झटके खाने लगा।

कमलनाथ थोडा झिझक भरे लहजे मे - लेकिन क्या तेरी बुआ के नाप का जीन्स मिल जायेगा

राज - क्यू !!

कमलनाथ - वो तेरी बुआ का ... मतलब वो थोडा हेल्थी है ना तो ?

राज हस कर - क्या मौसा आप भी, अरे मुझसे क्या झिझक रहे हो हिहिही खुल कर बोलो ना कि बुआ का पिछवाड़ा बड़ा है


कमलनाथ राज की बात पर इधर उधर देखा और धीमी आवाज मे - अरे मतलब वही , अब मै ऐसे बोलूंगा तो अच्छा नही ना लगेगा ।

राज- क्या मौसा उसमे क्या है , सब लोग जान रहे है देख रहे है तो उसमे छिपाकर क्या बोलना । बड़े है तो है

कमलनाथ हस कर - तू सच मे अलग ही है मतलब हिहिहीही चल फिर देखते है कुछ तेरी बुआ के लिए ।


समय बीता और इधर सारे लोग अपना अपना समान लेके इकठ्ठा हुए
बारी बारी से सारे लोग अपनी बिलिन्ग मे लगे हुए थे

ऐसे मे अनुज परेशान होने लगा कि क्या किया जाये कैसे वो ब्रा-पैंटी लेके आये और लेके आयेगा तो बिल कैसे करायेगा सब्के सामने ।

उपर से राहुल ने उससे चिपका हुआ था और अनुज का पुरा मन था कि आज की रात वो अपनी मौसी को अपने मनपसंद ब्रापैंटी मे देखे ।

जल्द ही सारे लोग घर के लिए निकल गये , अनुज का चेहरा बुझा बुझा सा था ।

रज्जो को एक दो बार खटका और उसने इशारे से पूछा तो अनुज ने ना मे सर हिलाया ।

फिर घर पहुच कर जब रज्जो ने अनुज से बात की तो उसने सारी बात बड़ी मासूमियत से रज्जो के सामने रख दी तो रज्जो ने मुस्कुरा कर उसे बताया कि उसने अपने लिये भी एक नयी ब्रा-पैंटी सेट ली है और आज रात वही पहनने वाली है ।


अनुज चहक उठा और जब उसने कलर और डिजाइन के बारे मे पूछा तो रज्जो ने बड़े इतरा कर कहा क्यू तुझे नही पसन्द क्या कि मै भी तुझे सरप्राइज दू उम्म्ं

अनुज शर्मा गया और उसका लण्ड अकड़ गया ।


खैर सारे लोग वापस आने से चहल पहल बढ गयी थी और घर के बाहर सड़क पर खाने का स्टाल टेन्ट का काम शुरु हो चुका था ।


************************************

शाम का वक़्त हो चला था , शिला काफी खुश थी वो अपने चुतड हिलाती हुई मटकाती हुई अपने कपड़े लेके रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए जा रही थी क्योकि गेस्ट रूम मे बाथरूम नही था ।

जैसे ही वो रागिनी के दरवाजे पर पहुच कर उसको खोलवाने के लिए दरवाजा खटखट किया कि पीछे से किसी ने उसकी कलाई पकड ली और खिंच कर उसको राज के कमरे मे लेके घुस गया


शिला कसमसा कर -ऊहह ये क्या हरकत है ?

वो कमलनाथ था उसने शिला को पीछे से बाहो मे भरते हुए - आपको गिफ्ट देना था

शिला कमलनाथ के पकड से छूटने का प्रयास करने लगी और कमलनाथ कुर्ती के उपर से उसके मोटे मोटे चुचे मसलने लगा

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"उह्ह्ह क्या कर रहे है आप ,, आह्ह सीईई छोडिए ना उमम्मं "

कमलनाथ ने अपना लण्ड शिला के हाथ के करीब ले जाकर


एक बार छू लो इसको उह्ह्ज प्लीजअह्ह्ह्ह , कमलनाथ शिला के हाथ मे अपने लण्ड पर जबरजस्टि पकडवाने की कोसीस करता हुआ ।


"धत्त , नही भैया यही पर है उह्ह्ह छोडिए ना " , शिला कमलनाथ के पंजे से अपने कलाई छुड़ाती हुई हसती खिल्खिलाती हुई राज के रूम से हाल की ओर भागी ।

कमरे के बाहर आते ही शिला की नजर दरवाजे के बाहर खड़े उसके भाई रंगीलाल पर गयी

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जो पुरा नंगा होकर हाथो अपना लण्ड थामे हुए उसकी चमडी आगे पीछे कर रहा था ,,उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी ।

शिला समझ गयी कि उसने दरवाजा खटखटाया था और उसका भाई बाहर आ कर सब कुछ देख चुका है

शिला सकपका कर - भैया वो वो , मैने कुछ नही वो वो


शिला रन्गीलाल को जवाब देते हुए पीछे हट रही थी कि तभी

" ओह्ह जीजी आपके दूध तो सच मे बहुत नरम है उम्म्ंम्ं "

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शिला चौकी की उसका जिस्म एकाएक नंगा हो चुका था और उसके नरम नरम चुचो पर रागिनी अपने हाथो से रगड़ रही थी ।

रागिनी - देख क्या रहे हो जी , डालो ना लण्ड अपनी दिदी के भोसड़े मे । देख नही रहे कबसे खोल कर घूम रही है हिहिहिही


शिला को लगने लगा अब उसके भैया भाभी उसको बिना चोदे नही छोडने वाले थे और जब्से वो आई थी तब्से एक भी बार रन्गीलाल ने उसकी ओर देखा नही था और अब ऐसे नंगे घूमेगी तो कहा कोई छोडने वाला है ।

तभी एक ओर से रज्जो की आवाज आई - आहा , जमाई बाबू आज तो ये 10 इंच वाला मोटा लण्ड जायेगा जीजी के भोसड़े मे


शिला चौक कर रज्जो को अपने कमर मे वो नकली लण्ड हाथ मे झुलाते हुए देखा - भाभी(रज्जो) आप !!

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उधर कमरे से कमलनथ भी अपना मुसल सहलात हुआ बाहर आ चुका और वो भी उसकी ओर बढ रहा था

तभी सीढियो से राज तेजी से उतरता हुआ निचे आया और हस्ता हुआ - अरे बुआ बर्थडे पर अपने लाडले को भूल गयी


शिला चौक कर - अह राज तू , बेटा मै वो , वो वो

उसी समय दरवाजे से घर मे जन्गीलाल अपना मुसल मसलता हुआ एन्ट्री करता हुआ - क्या जीजी मेरे बिना ही सब सुरु कर दोगी , मै बोला था आपका गिफ्ट लेके आऊंगा

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शिला की हालत और खराब होने लगी उसकी सासे उखड़ने लगी , पांच पांच लण्ड एक साथ उसकी ओर बढ रहे थे और पीछे से रागिनी उसको पकड कर घुटने के बल कर चुकी थी

सारे लोग अपना लण्ड शिला के मूह पर रगड़ रहे थे और आहे भरते हुए तेजी से हिल रहे थे

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उसके तन बदन मे आग लगी हुई थी वो पसीना पसीना हुए जा रही थी , सारे लोग जहा तह उसके चेहरे गाल होठ कन्धे पर अपना मुसल रगड़ रहे थे और जोर जोर से हिला रहे थे

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तभी एक साथ सभी लंडो ने पिचकारी छोडी जो सीधा शिला के मुह पर जा लगी , इतनी तेज कि मानो बालटी भर वीर्य उसके मुह पर मार दिया ।


शिला चौक कर उठ कर बैठ गयी और उसकी सासे जोर से चल रही थी ।
उसने अपने को जान्चा और अपनी तेज धडकनें हाथो से रोकती हुई मुस्कुरा उठी कि ये सब तो एक सपना था ।

उसका पुरा जिस्म अभी भी काप रहा था , वो पसीने से पूरी तरह भीगी हुई थी ।

इतना कि सूती कुरती मे उसके ब्रा विजिबल हो गये थे । उसने दिवाल घड़ी मे समय देखा तो 6 बजने को थे और वो उठकर नहाने के लिए अपने कुछ कपडे लेके गेस्ट रूम से बाहर निकाली ।

हाल मे फूलपुर से राज की ताई और पंखुडी भाभी आ गयी थी , विमला और उसका परिवार भी आ चुका था ।
अड़ोस-पड़ोस की औरते भी भरने लगी थी क्योकि बाहर भोज शुरु हो चुका था ।

शिला को लगा उसने सोने मे बहुत देरी कर दी और अभी उसका नहाना बाकी है ऐसे मे उसे बड़ी शर्मीन्द्गी हो रही थी

लोगो के बीच से निकल कर वो रागीनी के दरवाजे पर पहुचने को थी कि सामने राज के कमरे से कमलनाथ नहा कर तैयार होकर बाहर निकल रहा था

दोनो की नजरे टकराई और कमलनाथ की निगाहे शिला के पसीने से सने जिस्म पर गयी ।
उसने शिला के ब्रा के उभारो को देखा और फिर एक नजर शिला के उभरे हुए कूल्हो पर मारा फिर मुस्कुराता हुआ - आप इस कमरे मे चले जायिये , अभी रन्गी भाईसाहब नहाने गये है ।


कमलनाथ की बात सुन कर शिला की नजर रागिनी के बन्द दरवाजे पर गयी और वो मुस्कुरा कर - जी thankyou!!

फिर वो मुस्कुराती हुई चुतड हिला कर राज के कमरे मे चली गयी और दरवाजा वैसे ही हल्का सा भीड़का दिया ।


कमलनाथ भी शिला से थोडा बात करके गदगद हुआ और बाहर निकल कर भोज की व्यव्स्था देखने लगा ।
जहा पहले ही राज अनुज राहुल , मनोज और चंदू ने सब कुछ सम्भाला हुआ था ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और मजेदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 177 A

लेखक की जुबानी

शादी-फंशन वाले घर मे ये आम बात होती है कि वहा का बाथरूम बहुत बिजी हो जाता है ऐसे मे सबसे ज्यादा सम्स्या घर की महिलाओ के लिए आ जाती है ।

अब निचे के दोनो कमरो मे तो बाथरूम अटैच थे मगर उपर सोनल और अनुज के कमरो मे नही थे ।

उनके लिए उपर की छत वाला बाथरूम सेट था ।
ऐसे मे जहा घर के बाकी मर्द और बच्चे नहा धो कर भोज के व्यस्त थे ऐसे मे छत पर 3 ननद-भौजाई थी जिनकी धीरे धीरे आपसी बोन्डीन्ग बहुत अच्छी होने लगी थी और एकदम सहेलियो के जैसे शरारते भी चालू थी ।

निशा - यार तेरे पास एक ही नाइटी है क्या

सोनल - हा क्यू ?

निशा - पहले मुझे जाने दे यार बाहर मस्त मस्त माल घूम रहे होगे

रीना हस के - भाइ फिर तो पहले मेरा नम्बर आना चाहिए ना हिहिहिही


मौका देख कर सोनल हस्ती हुई सबको धकेल कर बिस्तर से भागते हुए तौलिया और नाइटी लेके कमरे से बाहर आके - पहले तो मै जाऊंगी हिहिहिही

निशा उसकी ओर लपकी - कमीनी , रुक तुझे बताती हु मै ,

रीना - अरे जाने दो निशा आयेगी तो नहा कर यही ना , इसके कपडे गायब कर दो


निशा का दिमाग ठनका और उसने आलमारी से सोनल की सारी ब्रापैंटी निकाल कर एक झोले मे रखने लगी ।

रीना उसको देख कर हस रही थी ...

निशा- भाभी आप रुको मै इसको छिपा के आती हु हिहिहिही

रीना हस्ती हुई - अरे लेकिन कहा लेके जाओगी

निशा - अरे आप रुको ना मै आती हु हिहिह्ही

फिर निशा सरपट भागती हुई निचे आई और हाल मे आते ही उसके चेहरे की चंचलता शान्त हो गयी क्योकि सामने उसकी रन्जूताई और बाकी महिलाये थी , वो धीरे से सरकति हुई गेस्टरूम की ओर बढ़ी संजोग से शिला उसी समय नहाने के लिए गयी हुई थी ।
निशा ने इधर उधर अपनी फुर्तीली नजरे घुमाई और उसकी नजर शिला के बैग पर गयी जिसका लॉक खुला हुआ था ।

निशा जान रही थी कि सोनल हर जगह अपने अंडरगार्मेंट्स खोजने आयेगी , यहा इस बैग मे उसका ध्यान नही जाने वाला

निशा ने एक नजर बाहर हाल मे झाका और धीरे से झुक कर शिला का बैग खोला कर फैलाया ,, वहा पहले से ही उसकी बुआ के समान भरे पडे थे ।

निशा मन मे बड़बड़ाई - अगर ऐसे ही उपर रख दूँगी तो बुआ जान जायेगी और किसी से घर मे पुछ लिया तो बैंड बज जानी है , ऐसा करती हु इस चैन वाले डाल देती हु ।


निशा ने एक चैन वाला हिस्सा खोला तो उसमे पहले से ही रखा हुआ शिला के dildo की काली बेल्ट का पट्टा बाहर निकल आया

निशा को अजीब सा लगा और उसने उसको बाहर खिंच कर निकाला तो उसके साथ उछल कर 10 इंच का मोटा dildo भी फर्श कर गिर पड़ा

फर्श पर उछल कूद करते रबर वाले उस भयानक लण्ड को देख कर निशा तेज से चिहुकी , मगर बाहर की चहल पहल और डीजे के शोर मे उसकी चिख दब गयी ।

फौरन उसने खुद को सम्भाला और वो बड़े ध्यान से वो लण्ड उठा कर देखा तो उसे समझते देर नही लगी कि ये उसकी बुआ अपने अकेले के समय मे यूज़ करती है और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयि ।

उसने काफी दिनो पहले सोनल के साथ ऐसे ही एक dildo के साथ मजे करने का सोचा था मगर ये सब कहा मिलता है उसे जरा भी आईडिया नही था ।

फिल्हाल उसको उपर जाना था मगर अब तो वो बिल्कुल भी उस चैन वाले मे कपडे नही रख सकती थी इसीलिए उसने वो कपडे लेके राज के कमरे मे चली गयी और वहा दो बैग रखे थे उसने एक बैग को खोला और उसी मे घुसा कर फटाक से कमरे से बाहर आते हुए सरपट जीने से उपर छत पर चली गयी ।

उपर पहुचते ही निशा ने रीना को ओके वाला साइन दिखाया बोली - हो गया

रीना - अब
निशा हस कर - अब क्या ,इसके जोबने आज खुब हिलने वाले है हिहिहिही

रीना ने भी हस्ते हुए उसके ताली दी और फिर वो अपने कपडे लेके उपर नहाने चले गये ।

इधर सोनल हस्ती खिलखिलाती सिर्फ मैक्सि मे अपने कमरे मे आई और दरवाजा बंद करके अपनी नाइटी निकाल कर बेड पर फेक दी

फिर नंग बेधन्ग होकर गुनगुनाती हुई आलमारी मे अपनी ब्रा पैंटी खोजने लगी

जल्द ही उसके चहकते चेहरे के भाव बदलने शुरु हो गये , उसकी सासे तेज होंने लगी
हाथो की गति तेज हुई निगाहे यहा वहा जहा तहा मत ही पुछो कहा कहा , हर ओर नाचने लगी ।

बेचैन सोनल की चुचिया जो नहा कर तरोताजा और कड़क थी अब ये डर ने उनके रोए खडे कर दिये थे , अचानक से पंखे की ठन्ड्क बढने लगी थी

करीब 15 20 मिंट हो गये और सोनल पूरी तरह परेशान हो गयी

इधर दोनो ननद भौजाई निशा और रीना नहा कर निचे आ चुकी थी और उन्होने सोनल के दरवाजो को ठकठकाना शुरु कर दिया

लपक कर दरवाजा खोलने के लिए बढी और चटखनि तक हाथ जाते ही उसको अपनी खुली जवानी और तने हुए जोबनो का ख्याल आया ।

लपक कर उसने तौलिया लिया और झट से लपेट लिया ।

रीना - उम्म्ंहू ननद रानी अभी तक तैयार नही हुई , कुछ स्पेशल मेकअप तो नही ना कर रही थी ।


निशा खिलखिलाकर - हा हा आज तो ये अपने दिवानो पर बिजलिया गिरायेगी हिहिहिही

सोनल खीझ कर - चुप कर कमिनी और ये बता मेरे कपडे कहा रखे तुने

निशा कमरे मे दाखिल होती हुई बेड पर इशारा करते हुए हस्ती हुई - वो क्या है तेरा टॉप और स्कर्ट

सोनल झल्लाती हुई - देख निशा मजाक मत कर , मेरे अंडरगार्मेंट्स कहा है


रिना मजे लेते हुए - हाव सोनल मतलब तुम तबसे ऐसे ही हो , कुछ नही पहना

रीना की बाते सुनकर सोनल को शर्म आने लगी वो अपने तौलिये को हल्का हल्का खिंच कर अपनी चिकनी जान्घे ढकने लगी ।


निशा - अरे अरे आराम से कही निचे के च्क्कर मे उपर का ना खुल जाये

सोनल शर्म से लाल हुई जा रही थी और वो निशा पर बहुत ही ज्यादा गुस्सा थी

निशा - चलो भाभी हम लोग तैयार होकर बाल्किनी ने माल देखते है , इसको रहने दो ऐसे ही हिहिहिही

फिर कुछ देर बाद दोनो कमरे से निकल गयि और सोनल को मजबूरी मे टॉप स्कर्ट डाल कर बाहर आना पड़ा ।


इधर निचे कमलनाथ बाहर भोज का जायजा लेता हुआ सभी ओर देख सुन रहा था , सब लोग काम मे व्यस्त थे ।
एक तो यहा चमनपुरा मे पहली बार उसका आना हुआ था और यहा कोई उसके परिचय मे था नही ।
रंगीलाल और जन्गीलाल पूरी तरह से मेहमनो की आवभगत मे लगे थे , उनसे मेलजोल कर रहे थे ।

ऐसे मे कमलनाथ को बोरियत सी होने लगी थी कि आखिर वो कहा जाये किस्से बाते करे ।

उसने सोचा क्यू नही अन्दर कमरे मे ही बैठा जाए , तभी उसके जहन मे वापस से शिला का ख्याल आया और लण्ड झटके खाने लगा ।

उसने सोचा क्यू ना शिला को जीन्स अभी गिफ्ट करने के बहाने मे कमरे मे जाऊ और कया पता कुछ काम बन जाये ।

मगर कैसे ? हाल मे तो कितने सारे लोग है ? किसी न किसी ने तो शिला को राज के कमरे मे जाते देखा ही होगा ? अरे लेकिन जरुरि थोडी है कि सबको पता ही हो कि वो नहाने गयी है ।

चलो एक बार ट्राई करते है अगर दरवाजा खुला मिल गया तो बात बन जायेगी ।
फिर खुले दरवाजे से भीतर घुसने पर किसी को शक भी नही होगा
कमलनाथ ने धडकते दिल के साथ राज के कमरे की ओर बढ़ना शुरु कर दिया

उसने एक नजर हाल मे देखा तो महिलाए आपस मे बाते कर रही थी तो वो गरदन और नजर सीधी रख कर हाल पार करते हुए राज के कमरे के दरवाजे पर पहुच गया ।
गरदन घुमा कर एक बार उसने हाल की ओर देखा और हल्का सा उंगलियो से दरवाजे को पुस किया ।

उसका चेहरा खिल उठा क्योकि दरवाजा भिड्का हुआ था ।
अगले ही पल झटके के साथ कमलनाथ ने भीतर घुस कर दरवजा बन्द कर दिया ।


बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आ रही थी ।
कमलनाथ का कलेजा तेजी से धडक रहा था , शरिर मे एक सुरसुराहट सी हो रही थी और लण्ड पुरा उफान पर था जिसको कमलनाथ मे हथेली मे भर कर भींच रखा था ।

वो दबे पाव बाथरूम के भिड़के हुए दरवाजे के पास गया और हल्की गैप के बीच से भीतर का नजारा देखा तो उसकी सासे अटक गयी म

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अन्दर शिला पूरी नंगी होकर शॉवर के निचे झुकी हुई अपने बालो मे शैम्पू को धूल रही थी और झुकने से उसकी 42 की चर्बीदार गाड़ के फाके फैले हुए थे । गीले भूरे सूराख बाथरूम की लाईट मे चटक और साफ दिख रहे थे ।

कमलनाथ शिला के तंदुरुस्त नरम नरम फुले फुले चुतड देखकर हिल गया था, उसका लण्ड अपनी कुछ कामरस की बुंदे भी छोड चुका था ।

कमलनाथ जोर से लण्ड की सतह को भिचे हुए सुपाड़े को फुला रखा था और गले सरकति थुक उसकी प्यास और बढा रही थी ।


कमलनाथ ने झटके के साथ खुद को दरवाजे से दुर किया और आंखे बन्द कर लण्ड थामे हुए गहरी सासे लेने लगा ।

उसका मन तो यही हो रहा था कि अभी जाये और घुस कर शिला को चोद दे । उसे इस बात का पुरा यकीन था कि शिला इस बात से कोई इंकार नही करने वाली थी ।

मगर ना जाने क्या था जो उसको निडर होने से रोक रहा था , कमलनाथ हिम्मत करके वापस से बाथरूम मे झाका

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शिला अब शॉवर के निचे सीधी खडी थी और पानी सीधा उसके सर के बालो मे गिर रहा था , शैम्पू की गाढ़ा झाग उसके पुरे जिस्म पर रिस रहा था, वो उसी झाग से अपने मोटे मोटे थन जैसे चुचे और कांख को रगड़ कर साफ कर रही थी और वही पीछे बालो से रिस्ता हुआ झाग उसकी पीठ से होकर उसके उठे हुए मोटे चरबीदार गाड़ की दरारो मे जा रहा था ।

कमलनाथ जोरो से लण्ड भीचते हुए यही सोच रहा था कि अभी जाकर वो झाग अपने उंगलियो मे लेके शिला के गाड़ की गहरी दरारो मे मल दे और निचे पुरा हाथ घुसा कर उसके फुले हुए भोसड़े को भी मले ,

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अभी कमलनाथ ये कलपना कर ही रहा था कि शिला ने हाथ खुद ब खुद अपने जिस्म को रगड़ते हुए चुतडो पर आ गये थे और वो अपनी उंगलियो से गाड़ के फाके फैला फैला कर वहा रगड़ने लगी । जिसे देख कर कमलनाथ का लण्ड बगावत कर बैठा उसकी सासे और भी चढ़ने लगी ।

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वही शिला ने थोडा अपने गाड़ को फैलाते हुए अपने हाथ आगे ले जाकर सामने से अपने जान्घे और भोस्ड़े पर साबुन लगा कर उसको मलने लगी थी ।

जिसे देख कर कमलनाथ की हालत अब झड़ा तब झड़ा वाली हो गयी थी ।

कमलनाथ भी खुद को रोकना चाह रहा था मगर ना उसके हाथ रुक रहे थे और ही लण्ड की फड़कती नसे ।
अगले ही कमलनाथ की आंखे मदहोशि मे उलटनी शुरु हो गयी और वो एड़ियो के बल हो गया , उसके अंडकोष ने वीर्य का एक बड़ा लहर सुपाड़े मे भेजा और अगले ही पल कमलनाथ तेज थरथराती सासो के साथ घलघ्ला कर झड़ने लगा ।

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गर्म गाढ़ा वीर्य उसके सुपाड़े से पेसाब की धार के जैसा बह रहा था और वो अपने सुपाड़े को मुठियाते हुए वही बाथरूम के दरवाजे की काठ को पकडे हुए अपनी सासे रोके तब झटके खाता रहा जब तक उसका लण्ड निचुड नही गया ।


जैसे ही उसके वीर्य की गति थमी और उखड़ती सासे बराबर हुई तो उसके दिमाग की नसो मे वापस से आक्सीजन दौडा और उसे अपनी स्थिति का ख्याल आया ।

उसने फौरन निचे देखा तो उसका पुरा पाजमा दायी जांघ की तरफ से गीला हो था और साफ साफ दिख रहा था ।

कमलनाथ समझ रहा था कि बिना बदले वो अब बाहर नही जा सकता था , वही शिला भी लगभग नहा चुकी थी ।

परिस्थिति कमलनाथ के लिए विकट हो चली थी , वो नही चाह रहा था कि शिला उसकी चोरी पकड़े, हालाकी भले उसने संजोगो का आज के दिन भरपुर फायदा था , मगर एक चोर वाली छवि उसे नही भा रही थी ।ऐसे मे उसने तय किया कि जल्द से जल्द बैग खोलकर कपडे बदल ले ।



वही उपर के छत पर बाल्किनी की रेलिंग पर अलग ही हसी ठिठोली मची थी ।
दो चंचल सहेलियो के ग्रुप मे जोइन होने का सुख रीना भी बखूबी उठा रही थी ।

बाल्किनी की लाईट ऑफ थी और सिर्फ निचे सड़क से टेन्ट वालो की लगाई लाईट ही आ रही थी , जिसमे उनके खुबसूरत खिलखिलाते चेहरे चटक और खुश दिख रहे थे ।

बिना एक दुसरे की ओर देखे , चमनपुरा के जवाँ छोकरो की हल्की खुली शर्ट से झांकती रोएंदार छाती देख उनके पुरुषार्थ का अंदाजा लगाया जा रहा था ।


" हे सोनल वो देख वो देख हिहिही , उसके बिना बेल्ट की जीन्स । ऐसा लग रहा है पिछवाड़े मे कुछ है ही नही " , निशा ने एक दुबले पतले बाँके छौने की ओर इशारा किया जो कि हाथ मे बफर की थाली लिये कभी मुह मे खाने का निवाला डाल रहा था तो कभी उसी हाथ से अप्नी सरकती जीन्स को कमर पर खिंच रहा था ।

तभी रीना ने उसकी ओर गौर किया और हसते हुए बोली - और वो जो उसकी खुली हुई चैन से उस्का फौलादी मुसल अपना मुहना फुलाये हुए उसपे नही नजर गयी , पक्का 7 इंच का होगा ।

रीना की बाते सुनकर सोनल और निशा खिलखिला उठी ।

स्वभाव बस निशा बेझिझ्क पुछ उठी - आपको बड़ा अंदाजा भाभी लिफाफे के भीतर लिखा पढ़ने का उम्म्ंम


रीना हस कर - अब इसमे क्या है कहो तो शर्त लगा लो । जिस तेजी से वो खा रहा है पक्का अभी मूतने जायेगा और फिर देख लेना ।

निशा और सोनल ने हस कर एक दुसरे की ओर देखा और उसका इन्तज़ार करने लगे , रिना के कहे अनुसार वो जल्दी से खाना खा कर प्लेट डाल हाथ मे गिलास लेके पानी पिते हुए टेन्ट की एक ओर बढ गया जहा कोई नही था , बस फेके हुए पत्तल पर आवारा कुत्ते अपना खुराख चाट रहे थे ।

संजोग से वो जगह घर से सट कर ही थी और उपर बाल्किनी ने निचे का नजारा साफ दिख रहा था ।

वो लड़का पानी पिते हुए वहू खड़ा होकर अप्ना लण्ड बाहर निकाल कर मूतने लगा और उसका तनमनाया लण्ड देख कर दोनो बहने चौक गयी कि रीना का अन्दाजा बिल्कुल ठिक था ।


निशा रीना की तारिफ मे - वाह भाभी वाह मान गये हिहिहिही अब जरा उन काका भी तो बताओ कितना वजन का पेल्हर(आड़) होगा उनका हिहिहिही


निशा की बात पर सब लोग खिलखिलाकर हस पडे ।

तभी किसी ने चट्ट से सोनल की हिलती गाड़ पर स्कर्ट के उपर से अपना पन्जा जड़ दिया , जिससे सोनल जो से चिहुकी ।


सोनल ने फौरन गरदन घुमा कर देखा तो पीछे उसकी पंखुडी भाभी खड़ी थी और वो समझ गयी अब उसकी खैर नही थी ।


पंखुडी उसके चुतडो को सहलाते हुए अनुमान लगा कर - ओहो सुहागरात तो अभी बहुत टाईम है मेरी लाडो, अभी से यू क्यू अपना ख्जाना खोले घूम रही हो ।


सोनल झटके से पंखुडी के हाथ हटा कर झल्ल्लाते हुए - भाभी क्या आप भी , धत्त ।

पंखुडी हस कर - अरे भाई मैने तो जीने के पास से ही स्कर्ट से पास हो रही लाईट मे तेरी चिकनी टाँगे देखी तो निचे की जमीन पर कुछ घास सी दिख रही थी , सोचा चेक कर लू मेरा अंदाजा सही है या नही ।
पंखुडी की बात सुनते ही सोनल ने अपने फैले हुए पैर साट लिये और उसे अपने जहन ने हल्के झाटो भरी चुत की छवि भी दिखाई दे गयी


निशा हस कर - अरे भाभी ना आपका और ना रीना भाभी का ,, आज तो आप दोनो का ही जलवा है


पंखुडी - मतलब

निशा हस कर - आप कपड़े के उपर से कच्छी पहनी है या नही पता कर लेती हो और रीना भाभी हिहिहिही

रीना निशा को ना मे सर हिला कर मना कर रही थी ।

पंखुडी जो कि पहली बार रीना से मिल रही थी वो उसके खुबसुरत चेहरे की शरारत भाप गयी ।

पंखुडी - अरे बोलने दो ना , हमसे क्या शर्माना

निशा ने फिर सारी कहानी बताई

पंखुडी - अरे निशा रानी एक बार तुम भी सुहाग की सेज पर लेट जाओ फिर तुम भी ये गुण सिख ही जाओगी ।

निशा - सिर्फ सोने से पता चल जायेगा भाभी या और भी कुछ करना पड़ेगा

निशा की बात पंखुडी ने सोनल की ओर देख कर उसको छेड़ने के इरादे से बोला - उसमे तो बहुत कुछ करना पडता है और जमीन थोड़ी चिनकी और नरम रहे तो और भी अच्छा ।


सोनल शर्म से लाल होकर फफक कर हस दी ।
निशा मजे लेते हुए - अच्छा तो भाभी ! आप भी सोनल की हैल्प करो ना उसकी जमीन चिकनी करने मे आपको तो अनुभव होगा ना


सोनल - कमीनी क्या बोल रही है तु
पंखुड़ि- हा सही तो कह रही है , ये साले लण्ड वालो के अलग ही नखरे होते है , खुद अपने पास झान्टो की मूँझ उगा कर रखेंगे और हमारे हल्के फुल्के नरम नरम घास भी इनकी जीभ मे चुबने लगती है ।

पंखुडी की बाते अभी पूरी होती कि तभी हाल से रज्जो की आवाज आई - अरे तुम लोगो को भूख नही लगी क्या ।


रज्जो की आवाज सुनाई देते ही सबकी हसी और बाते एकदम से चुप हो गयी कि कही मौसी सुन ना ले ।


सोनल - हा आ रहे है मौसी

रज्जो - हा जल्दी आओ
फिर रज्जो निकल गयी ।

निशा हस कर - चलो अब तो आज जमीन चिकनी होने से रही हिहिहिही बाद मे देखेंगे

पंखुडी - फिर तो ये जिम्मेदारि मै मेरी नयी देवरानी को दे दिये रही हु ,,क्यू देवरानी जी हो जायेगा ना

रीना शर्माहट भरी हसी से - हा हा क्यू नही ।

फिर सारे लोग खिलखिलाते हुए निचे आ गये ।


जारी रहेगी
गजब का शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 177 B

लेखक की जुबानी

बन्द कमरे मे कमलनाथ की छटपटाहट और बढ़ रही थी ।

वो जल्दी से अपना पाजामा निकाल कर वही बेड पर फेक दिया और भिगे सने अंडरवियर पहने हुए जल्दी जल्दी अपना बैग खोलने लगा ।

बैग खोलते ही सामने एक थैली थी , अचरज की बात थी कमलनाथ के लिए कि पैकिंग के समय तो ऐसा कुछ भी नही था उसकी बैग मे ।

उसने वो थैली उठाई और खोला तो उसमे सिर्फ और सिर्फ ब्रा पैंटी भरी हुई । ये वही थैली थी जो अभी अभी कुछ समय पहले निशा जल्दीबाजी मे कमलनाथ के बैग मे डाल कर फुरर हो गयी थी ।

कमलनाथ का ध्यान कुछ पलो के लिए ही सही मगर वो रंग बिरंगे ब्रा पैंटी ने खिंच लिया था ।

वो सब कुछ भूल कर उन्हे बाहर निकाल देखने लगा ।

कप की साइज़ पढ कर कमलनाथ को लगा जरुर ये रीना का है और गलती से ये उसकी बैग मे डाल दी होगी ।

इससे पहले कमलनाथ अपने हाथ मे ली हुई ब्रा को फ़ोल्ड कर वापस थैली मे डाल पाता कि बाथरूम का दरवजा खडका और शिला एक तौलिया लपेटे बाहर निकली

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सामने शिला दिखाई पड़ते ही कमलनाथ की निगाहे उसकी चिकनी गदराई जांघो मे अटक गयी और वो अपनी स्थिति से अंजान वैसे ही भिगे हुए अंडरवियर मे उभरे हुए लण्ड के साथ हाथो मे ब्रा को थामे खड़ा हो गया ।


शिला ने जैसे ही झटके भर की नजर मे सामने कमलनाथ को देखा तो अगले ही चंद पलो मे उसने एक एक करके लगातार कई प्रतिक्रियाए दे डाली ।


कमरे मे किसी शक्स अचानक आ टपकने से शिला बुरी तरह से चौक गयी और वो चीख पड़ी ।
जैसे ही उसकी आंखो ने कमलनाथ का विस्मित चेहरा देखा उसकी आंखे और फैल गयि और आवाज गले मे अटक गयी ।
अगले ही पल उसने बन्द दरवाजे की चटखनि देखी और उसका कलेजा एक भय से काप उठा ।

वो शर्म और भय से जैसे ही वापस बाथरूम की ओर घूमने को थी कि उसकी नजर पहले कमलनाथ की टांगो और फिर उसके अंडरवियर पर गयी ।
जिसमे लण्ड पल पल फूलता जा रहा था ।

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शिला ने नजर फेर कर बाथरूम की ओर घूमी और अचानक से उसके जहन मे एक उलझन सी हुई और उसने वापस झटके से अपनी नजर कमलनाथ के अंडरवियर पर मारी
और आंखे महीन करती हुई कमलनाथ के अंडरवियर के दाई हो भिगे हुए हिस्से पर फोकस किया और वापस से शॉक हो गयी ।

उसने कमलनाथ को अब संसय भरी नजरो से देखा ।
अब कमलनाथ की हड़बड़ाहट शुरु हो गयी थी क्योकि जिस तरह ही स्थिति ने कमलनाथ हाथो मे ब्रा मे ब्रा पकड़े भिगे अंडरवियर मे बन्द कमरे मे खड़ा था ।

ऐसे मे कोई भी देख कर यही सोचता कि वो ब्रा को सून्घ कर या जिसकी ब्रा है उसकी याद मे मूठ मार रहा था ।


कमलनाथ तुरंत सफाई भर्र लहजे मे हकलाता हुआ - न न नही नही ऐसा कुछ नही है वो मै मै
कमलनाथ ने फौरन ब्रा झटक कर दूर किया और इधर उधर तौलिया खोजने लगा ।


शिला की उसकी हड़बड़ाहट और तिलमिलाहट से हसी छूटने जैसे थी ।

शिला ने मजे लेते हुए हस कर - हमम तो फिर ये कैसे हुआ ?

कमलनाथ झेप कर नजरे फेरने लगा और अटकता हुआ - वो तो मै आय तो ...

शिला - तो !!
कमलनाथ हस कर - तो आप नहा रही थी तो बस ।

शिला की आंखे फटी की फटी रह गयी और वो अचरज और एक हसी भरी प्रतिक्रिया के साथ मुस्कुरा कर - तो क्या आप ये मुझे देख कर!!


कमलनाथ उसी अवस्था मे शिला की ओर बढता हुआ - देखिये प्लीज आईम सॉरी , वो मै बाहर बोर हो रहा था और हर जगह औरते ही है इस घर मे । ले देके मुझे ये कमरा खुला दिखा और मुझे लगा आप नहा चुकी होगी तो मै सोचा क्यू ना यही आराम कर थोडा अकेले मे ।


कमलनाथ ने शिला जे पास खड़ा होकर उसको जल्दी जल्दी मे अपनी सारी बात समझाने की कोसिस मे लगा था ।

कमलनाथ का यू उसके करीब आ जाना वो भी जब वो सिर्फ तौलिये मे थी शिला के जिस्म की कपकपाहट बढने लगी ।
शिला के नथुने अब फुलने लगे थे , छातिया अब कसनी शुरु हो गयी थी और तेजी से उपर निचे होने लगी थी ।

मोटे मोटे दाने वाले निप्प्ल अब तौलिये मे उभर कर साफ दिखने शुरु ही गये थे।
कमलनाथ ने अपनी बात जारी रखि -और फिर बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आई । मैंने देखा कि आप ..?


शिला शरमाहत भरी उत्सुकता से -मैं क्या


कमलनाथ-आप शॉवर के नीचे खड़ी थी और साबुन लगा रही थी और उस दृश्य को देखकर किसी का ईमां डोल जाये तो


शिला तुनक कर -एक तो आप मुझे नहाते हुए देख रहे थे और अब ये बाते भी कर रहे है


शिला की हसी ने कमलनाथ को आगे बढ़ने का मौका दिया-वास्तव में , मैं उस समय अपने होश में नहीं था, मैं बस अटक गया था ।

शिला ने झिझक भरे स्वर में - कहा !
कमलनाथ समझ गया कि यह अवसर सही था और उसने अपने हाथ शिला के चुतडो पर रख कर सहलाते हुए - यहाँ !

शिला चिहुकी-सीउई उहजज आप क्या कर रहे हैं, हटीए ।

कमलनाथ ने लपक कर शिला की कलाई पकड़ी और धीरे से -शिला !!
कमलनाथ का स्पर्श और उसके मुह से अपने नाम का सम्बोधन पाकर शिला का रोम रोम थरथरा गया उसकी सासे तेज होने लगी , उसने कमलनाथ की मुठ्ठि मे अपनी कलाई कहने भर को घुमा कर छुड़ा रही थी ।

शिला - सीई आह्ह क्या कर रहे है आप छोडिए

कमलनाथ उसकी कलाई को खिन्च कर अपनी ओर करता हुआ - शिला , प्लीज एक बार !

शिला का दिल जोरो से धडक रहा था और उसको अपने सपने का सिन दिख रहा था जब कमलनाथ ऐसे ही उसकी कलाई पकड़े हुए उसमे लण्ड देना चाह रहा था ।

शिला चुत ये सब सोच कर कुलबुलाने लगी उसे उम्मीद नही थी कि ये सब इतना जल्दी शुरु हो जायेगा ।

शिला - क्या , मै समझी नही !
कमलनाथ - तुम नही समझ रही हो सच मे ?
शिला - आह्ह नही मै वो नही पकड सकती हु , प्लीज ये गलत होगा ।

कमलनाथ शिला की प्रतिक्रिया पर उसके हाथ और अपने लण्ड के बिच की दुरी देख कर समझ गया कि शिला क्या समझ कर बोल रही है ।

कमलनाथ - मै वो नही कह रहा हु ।
शिला - फिर ?

कमलनाथ - मै तुम्हारा ये देखना चाहता हु बस

शिला ने धडकते दिल के साथ - क्या !!
कमलनाथ ने आगे बढ़ा और तौलिये के उपर से उसकी चर्बीदार गाड़ को सहला कर - येहह

कमलनाथ का स्पर्श पाकर शिला सिहर उठी - लेकिन वो तो आप देख ही चुके है ना !!

कमलनाथ अपने पंजे सरकाता हुआ उसकी चिकनी जान्घो तक ले गया और उन गदराई जांघो के बिच अपनी उंगलिया फसा कर सहलात हुआ - एक बार और मन है , प्लीज शिला मान जाओ ना


शिला कपकपाहट भरी सासे लेते हुए - उम्म्ंम्ं बस वही ना और कुछ नही ना !
कमलनाथ मुस्कुरा कर उसी तरह उसकी जान्घे मसलता हुआ ना मे सर हिला कर - उहू ।
शिला ने कमलनाथ की उंगलिया अपने चुतड़ के किनारो पर मह्सूस करते हुए सिहरन भरी गहरी सास लेते हुए आगे बिस्तर की ओर बढ गयी ।

उसके पाव कांप रहे थे और धडकनें तेज थी , सुबह बाग की शरारतो से लेकर शाम तक के सपने की यादे ताज़ा हुई जा रही थी और अब ये कि उसने अभी अभी उसको देख कर मूठ मारी थी ।

ये बाते शिला को रोमांचित किये जा रही थी , उसकी चुत बुरी तरह से पनियाई हुई थी ।

अपनी चुत के फाके कचोटती हुई वो आगे बिस्तर के पास जाकर रुक गयी ।
उसके जहन मे अभी यही चल रहा था कि क्या उसे पूरी खोल कर नंगी हो जाना चाहिए या फिर चुतड की झलक ही दिखाये

इस उल्झन मे उसने गरदन फेर कर कमलनाथ की देखा तो वो सीधा तन कर खड़ा हुआ था और उसका एक हाथ उसके वीर्य से सने अंडरवियर वाले हिस्से पर उभरे हुए सुपाड़े को मिज रहा था ।


कमलनाथ का यू बेशरमी से अपना मुसल मसलना शिला को उत्तेजित कर गया मानो वो उसके साम्ने चुदने जा रही हो


शिला ने बेचैन होकर कमलनाथ के चेहरे पर नजर उठाई तो उसके आंखो वो तलब वो उफनाहट दिखी , जिसे देख कर शिला की सासे भी चढ़ने लगी ।

शिला समझ गयी कि अब ये खेल कैसे खेलना था ।
उसने कमलनाथ की बेताबी बढाते हुए बिना तौलिया खोले ऐसे ही एक पैर का घुटना उठा कर उपर बिस्तर रख दिया ।

जिससे तौलिया उसके उभरे हुए चुतडो पर कस गया ।
वही कमलनाथ शिला के आगे की ओर झुकने का इन्तजार कर रहा था
शिला ने शरारत भरी नजरो से गरदन घुमा कर कमलनाथ को मुस्कुरा कर देखा और दूसरा घुटना भी उपर कर बेड पर चढ़ गयी ।

इधर कमलनाथ की सासे तेज होने लगी और उसका लण्ड पूरी तरह से उफान पर आ गया था । वो तेजी से अपना सुपाडा मुठियाए जा रहा था ।

शिला अपनी अगली चाल पर हौले से अपने पंजो के पल आगे झुकी जिससे उसका तौलिया उपर की ओर हल्का सा खिंचा और निचे से उसके चुतडो के जांघो से लगे उभार दिखने शुरु हो गये ।

कमलनाथ की बेताबी और बढ़ गयी वो भी दो कदम आ गया ।

वही अगले ही पल शिला झटके के साथ अपने कोहनी के बल आगे झुकी और उसका तौलिया उपर चढ़ कर उसकी कमर तक आ गया और उसकी बड़ी सी चर्बीदार गुदाज गाड़ चुत की रसिली फाको के साथ कमलनाथ के सामने फैल गयि ।

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शिला की गदराई मोटी मोटी जान्घे और उपर मुलायम पहाड़ जैसे बड़े बड़े चुतड के गहरी भूरी दरारो से फान्को सहित झांकती शिला की रस छोडती चुत देख कर कमलनाथ पागल सा हो गया ।
वो फटी आखे और मुह बाए सुपाड़े को लेके एक एक कदम आगे चलता हुआ शिला की ओर बढ़ने लगा और शिला उसी अवस्था मे गरदन घुमा कर पीछे देख्ने की कोसिस मे थी ।

दोनो की सान्से तेज थी और कमरे की गर्मी बढ गयि थी ।
दोनो चुप थे और कमलनाथ शिला के करीब जाकर हौले से अपना हाथ उसकी नरम चुतडो पर घुमाकर उसके दरारो को फैलाता गाड़ की सुराख का मुआयना करता है ।

वही शिला कमलनाथ के स्पर्श से सिस्क पड़ती है और कमलनाथ के उसके चुतडो पर रेंगते पंजे उसको कामोत्तेजक किये जा रहे थे ।

कमलनाथ पूरी गाड़ को सहलाता हुआ अपना अंगूठा शिला के गाड़ की सुराख पर रख कर उसको मलता है और दुसरे हाथ से अपना मुसल मसल रहा होता है ।


वही शिला हल्का हल्का सिस्कते हुए कमलनाथ के अगले कदम की कल्पना किये जा रही थी , जिस तरह से वो उसके गाड़ की सुराख को कुरेद रहा था उसे पुरा यकीन था कि वो बिना अपना लण्ड घुसाये रहा नही जायेगा

मगर शिला घर के ऐसे माहोल मे जहा ढेर सारे मेहमान भरे हुए हो एक बण्ड कमरे मे पराये मर्द के साथ इतना व्क़त रुकना उचित नही लग रहा था और फिर अगर कही वो चुदने बैठ गयी तो ना जाने कित्ना और समय लग जाये ।

एक डर सा शिला के जहन मे छाने लगा था ऐसे उसने गरदन घुमा कर कमलनाथ से - हो गया !

कमलनाथ थुक कर शिला की ओर देखा और अपना मुसल भींचते हुए - क्यू क्या हुआ ?

शिला झुके हुए- देखीये घर मे बहुत लोग है हमे ज्यादा देर रुकना नहीं चाहिए, समझिये

कमलनाथ शिला की बात समझ गया और वो रिक्वेस्ट करने के भाव से - बस एक मिनट

शिला ने हुन्कारि भरी और सीधी हो गयी और वही कमलनाथ हल्का सा झुका और अपने नथुनो के शिला के गाड़ की सुराख पर ले जाकर उसकी खुस्बु लेने गया ।
उसके जिस्म मे एक अलग सी सिहरन हुई और वही शिला भी कमलनाथ की इस हरकत से गनगना गयी ।

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अगले ही कमलनाथ की नुकीली शिला के सास लेते गाड़ की सुराख पर थी , गीली नरम खुरदरी जीभ का स्पर्श पाते ही शिला ने अपने चुतडो को सख्त करने लगी और दरारो को भींचने लगी
तो कमलनाथ ने दोनो हाथो के उसके चुतडो को थामते हुए पुरा मुह उसकी गाड़ की दरारो मे दे दिया और भर भर थुक उसके गाड़ की छेद्पर ल्गा कर चाटने लगा ।

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शिला की सिसकिया और बेचैनी बढ़ गयी । वो अपने मुह पर हाथ रखे तेजी से अपनी चुत झाड़ रही थी , उसकी चुत का पानी उसकी जान्घ पर उल्टे ओर रिस रहाथा वही कमलनाथ अपनी जीभ होठ से उसकी गाड़ चाटना जारी रखा ।


जैसे ही शिला झड़ गयी वो अपने कोहनियो और घुटनो को घसीटतेहुए बिस्तर पर आगे बढ गयी
मुह का निवाला छीनता देख कमलनाथ भी उसकी ओर झपटा मगर शिला खिलाखिलाती हुई बिस्तर के दुसरी ओर उतर गयी और कमलनाथ उसके चेहरे की खुशी देख कर गदगद हो गया ।

वो बड़ी बेशरमी से शिला के सामने ही अपना 8 इंच का मोटा काले बैगन जैसा मुसल बाहर निकाला , जिसका गीला गुलाबी सुपाडा कमरे की रोशनी मे च्मक रहा था

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कमलनाथ अपने लण्ड के तने को शिला के सामने सहलाते बड़ी हवसित भरी नजरो से निहारते हुए मुस्करा रहा था ।


शिला एक पल को उसके लण्ड की कसावट और आलू जैसे मोटे गोल सुपाड़े को देख कर ठिठक कर रह गयी थी और फिर इतरा कर शर्म से - धत्त क्या करते है जी , अन्दर करिये और जाईये नहा लिजिए

कमलनाथ मुस्कुराया और अपना मुसल मस्लते हुए - जरा इधर आओ पहले

शिला चहकती हुई ना मे सर हिला के खिलखिलाई बेड से लपक कर अपनी पैंटी और बाकी कपडे अपनी ओर खिंच कर पैंटी को जल्दी जल्दी चढा ली ।

मगर तौलिया अभी भी उसकी जिस्म पर था और फिर उसने ब्रा उठाई साथ ही कमलनाथ को इशारे से बाथरूम मे जाने के लिए कहा ।


कमलनाथ ने भी थोड़ी शरारत की और मुस्कुरा कर - ठिक है लेकिन !!

शिला - लेकिन क्या ?
कमलनाथ ने शरारत भरी मुसकान से - आप इसे नही पहनेंगी

शिला चौक के - क्यू भला ? आप समझ रहे हैं कि क्या बोल रहे है हिहिहिहिही

कमलनाथ - प्लीज ना शिला मान जाओ ना प्लीज

शिला ने हस कर ब्रा साइड मे रखते हुए - अच्छा ठिक है जाईये अब

कमलनाथ खुश हुआ और बाथरूम मे नहाने चला गया इधर शिला ने फटाफट से बिना ब्रा के उपर से कुर्ती डाल लिया और निचे से प्लाजो पहन कर राज के कमरे मे ही अपने बाल झाड़ कर स्वारने लगी ।

ऐसे मे कुछ पल बाद कमलनाथ नहा कर बाहर आया और उसकी निगाहे

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शिला के झलकति जांघो पर गयी जिसमे प्लाजो मे से उसकी गुलाबी पैंटी साफ साफ दिख रही थी ।
जिसे देखते ही कमलनाथ का लंड कसने लगा ।

मगर ना जाने क्यू उसे शिला का क्यू ढीला प्लाजो कुछ जम नही रहा था ।

वो वैसे ही अधनंगा जिस्म पर तौलिया लपेटे शिला से बोला - यही पहनोगी क्या ?

शिला ने चौक कर उसकी ओर देखा और फिर हस कर - हमम क्यू क्या हुआ ?

कमलनाथ - इतना ढीला क्यू ?

शिला इतराई और बोली - सुबह आपने ही बोला था कि आप लोग लटको झटको से परेशान हो जाते है हिहिहिही इसिलिए


कमलनाथ बिफरता हुआ - नही नही नही , बदलो इसको !!

शिला को अचरज हुआ कि कैसे कमलनाथ उसपे हक जमा रहा था और वो तुनक कर कमर पर हाथ रखती हुई - हमम तब फिर क्या पहनू उम्म्ं आप ही ब्ता दो ?

कमलनाथ थोडा शर्मा कर झिझक कर - वो लेगी नही है क्या इसपे पहनने के लिए

शिला उसकी बातो से झेप गयि और शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त मै नही कुछ बदलने वाली हुउह बडे आये फरमायिश करने

ये बोल शिला अपने समान लेके कमरे से बाहर निकल गयी और कमलनाथ भी मुस्कुरा कर रह गया ।

8 बजने को हो गये थे ।
बाहर के खा पी चुके थे तो रन्गीलाल की पहल पर ये आदेश हुआ कि घर के बाकी जन भी खाना खा ले और जो घर वापस जाने वाले थे वो भी खा कर जल्दी निकल जाये ।

फिर क्या पंखुडियां और उसकी सास , विमला की फैमिली , चंदू की फ़ैमिली , सारे लोग धीरे धीरे करके खाते पीते निकल गये ।
फिर बारी बारी से घर की बाकी महिलाओ और लोगो को भी खाने के लिए बोला गया ।

बाहर सारे लोग जुटे हुए थे , कोई खा रहा था कोई परोस रहा था ।

इधर शिला ने कमलनाथ की फरमाईस मान ली थी और बाहर आने से पहले उसने प्लाजो निकाल कर लेगी डाल लिया था जो उसके गुदाज जांघो मे चिपकी हुई थी । जिसे देख कर कमलनाथ बहुत खुश था और दोनो मे आंख मिचौली जारी थी ।

रागिनी - अरे रज्जो दीदी कहा है ?
रंगीलाल - अरे घर मे ही होगी , उनको इतना काम सौंप दी हो तुम क्या बताऊ मै ,जरा भी खाने पीने का ध्यान नही है

रागिनी चिंतित भाव मे - हमम कोई बात नही , पहले कोई खोज के लाओ वो भी साथ खाये खाना , कल से मै भी फ्री हो जाउन्गी ये पूजा पाठ ने उलझ कर रह गयी थी ।

जंगीलाल - रुकिये भाभी मै बुला के लाता हु

रंगीलाल - हा भाई जा जल्दी

फिर जंगीलाल लपक कर हाल मे गया और दो से तीन बार तेज आवाज मे भाभी भाभी चिल्लाया तो रागिनी के कमरे से रज्जो एक काटन मैस्की मे नहा कर बाहर निकाली

जिसमे उसके मोटे मोटे थन जैसे चुचे तने हुए हिल्कोरे खा रहे थे चलने पर ।

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जंगीलाल की आंखे सीधा रज्जो के चुचो मे अटक गयी और वो नजर हटा कर रज्जो के चेहरे पर करता हुआ - भाभी वो सारे लोग आपका खाने के लिए वेट कर रहे है चलिये ।

रज्जो - ओहो अभी तो मै नहा कर आई हु , और गर्मी मे वापस से कपडे पहनने का मूड नही है , ऐसे करिये बच्चो मे किसी से बोलके मेरा खाना यही भिजवा दीजिये ।


जंगीलाल - अच्छा ठिक है

फिर जंगीलाल बाहर आया तो रंगीलाल और बाकी सब ने पूछा क्या हुआ ।
अब जंगीलाल थोडा असहज हुआ कि क्या बोले ।
रंगीलाल अपने भाई को असहज होता देखा इशारे से पुछा क्या हुआ तो जन्गीलाल उसके पास जाकर - भैया वो भाभी ने कहा है कि खाना भीतर ही भिजवा दो


रंगीलाल अचरज से - क्यू ?
जंगीलाल झिझक कर हल्के स्वर मे - वो अभी ज्स्ट नहा कर आई है और मैकसी मे है तो बाहर नही आना चाहती है ऐसे कपडे मे ।

रंगीलाल - ओह ऐसी बात है ,ठिक है फिर उनका खाना लेते जा

जंगीलाल - जी भैया

फिर जंगीलाल ने दो प्लेट खाने से सजाइ और उसको लेके भीतर चला गया
वापस से हाल आने पर जन्गीलाल लो रज्जो नही दिखी तो उसे लगा कि वो रागिनी के कमरे मे ही होगी ।
इसीलिए बिना कोई आवाज दिये वो रागिनी के कमरे के भिड़के हुए दरवाजे को हल्का सा पाव धकेल कर खोला क्योकि उसके दोनो हाथ के प्लेट थे ।

जैसे ही दरवाजा चूँ की आवाज से पूरा खुला तो सामने का नजारा देख कर जन्गीलाल का लण्ड एक ही झटके मे तन कर पजामे मे तम्बू बना गया उसका मुह मे शौक्ड से खुला का खुला रह गया , आंखे फैल सी गयि ।

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सामने रज्जो कुलर के आगे अपनी मैकसी को चुचो तक उपर उठाये कुलर की ठंडी हवा सीधा अपनी चुत और जांघ पर ले रही थी । साफ दिख रहा था कि गर्मी से वो खासा परेशां है ।
उसके चर्बीदार भारी उभरे हुए चुतड पूरे नंगे थे ।


दरवाजा खुलने की आवाज और कमरे मे किसी के आने की आहट पर रज्जो भी चौकी और झटके से गरदन घुमा कर दरवाजे की ओर देखा तो उसका शरिर अकड़ गया ।

उसने झट से अपना मैक्सि निचे कर दिया और नजरे इधर ऊधर करने लगी ।
शिला की स्थिति मे बदलाव ने जन्गीलाल की चेतना वापस लाई और वो उस पल को इन्गोर करने की कोसिस करता हुआ रज्जो से नजरे चुरा कर वो खाने की प्लेट वही टेबल पर रखता हुआ - भाभी जी ये खा लिजिएगा ?


ये बोलकर जन्गीलाल झटके से कमरे से बाहर जाना चाहता था मगर जैसे ही रज्जो की नजर खाने के प्लेट पर गयी तो उसने जंगीलाल को रोका ।

रज्जो - सुनिये !!
जंगीलाल उसकी ओर पीठ किये हुए - जी भाभी !
रज्जो - अरे इतना सारा मै नही खा पाऊंगी , थोडा कम करा दीजिये ।

जन्गीलाल - अह भाभी आपको जितना खाना हो खा लिजिए बाकी छोड़ दिजियेगा

ये बोलकर जंगीलाल जैसे ही 2 कदम आगे बढ़ा
रज्जो - अच्छा सुनिये !!
जंगीलाल खीझ कर - जी भाभी !

रज्जो - प्लीज ये सब किसी से कहियेगा मत , वो मुझे गर्मी हो रही थी तो ...।

जंगीलाल - जी भाभी मै समझ गया , आप चिंता ना करे ।

ये बोल कर जंगीलाल आगे बढ कर जैसे ही दरवाजे तक पहुचा कि

रज्जो खुश कर - अच्छा सुनिये !!
जंगीलाल इस बार पूरी तरह से खिझा हुआ घूम कर - हम्म्म बोलिए !

रज्जो थोडा शर्मा कर मुस्कुराते हुए - कुछ नही थैंक्यू कहना था ।

जन्गीलाल अचरज से - थैंकयू , क्यू?

रज्जो - वो आप खा....

रज्जो बोलते हुए अचानक रुक गयी तो जन्गीलाल ने उसकी ओर देखा और उसकी नजरो का पीछा किया तो पाया कि रज्जो की नजर तो उसके टनटनाये लण्ड पर अटक गयी है और ऐसे मे रज्जो क्या सोचेगी उसके बारे मे ।

जंगीलाल ने फौरन उसपे अपना हाथ रख कर घूम गया - स स सॉरी भाभी जी वो वो

रज्जो मुस्कुरा कर - कोई बात नही हो जाता है ऐसा कभी कभी

जन्गीलाल शर्म से पानी पानी हो चुका था और दबे हुए लहजे मे - तो मै जाऊ भाभी

रज्जो हस कर - हमम ठिक है

फिर जंगीलाल तेजी से कमरे से बाहर निकल हाल मे अगया और पंखे निचे खड़े होकर अभी अभी जो हुआ सब उसके दिमाग घूमने लगा ।

आखीर मे रज्जो ने जिसतरह इस बात को हल्के फुल्के अंदाज मे लिया उस्से जन्गीलाल को अब अच्छा लग रहा था । कि इस बात को लेके रज्जो ने कोई ब्वाल नही किया उपर से वो उसके भाई की मेहमान थी तो उसे डर ज्यादा था

फिर वो अपना मुसल सेट करके बाहर खाना खाने आ गया ।


जारी रहेगी ।
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 177 C

लेखक की जुबानी

इधर सबका खाना पीना खतम हुआ और धीरे धीरे सारे लोग हाल मे जमा होने लगे ।
तमाम बाते और तैयारिया शुरु थी ।
बच्चो की टोली ने bday सेलीब्रेट करने की तैयारी चालू कर दी तो बड़े मर्द लोगो ने बाहर का काम निपटाना चालू कर दिया । टेन्ट बरतन हल्वाईयो को समान सहेज के लिए बोल दिया गया ।

इधर औरतो की टोली एक जुट थी तो हसी ठिठोली चालू थी ।
बीच बीच में जंगीलाल कभी कभी घर मे काम से आता तो हाल मे बैठी रज्जो से उसकी नजर टकरा जाती और दोनो के चेहरे के भाव लाज और हसी से लाल होने लगते थे ।

जंगीलाल को रज्जो का यू खुलना और मुस्कुराना उसकी ओर आकर्षित किये जा रहा था और अब वो मौका देख कर रज्जो से बात भी करना चाह रहा था ।

करीब 9 बजे वो मौका जन्गीलाल को मिला जब हल्वाईयो द्वारा बर्तन खाली कर खाने को रखने के लिए वापस घर मे आना पड़ा ।

जन्गीलाल रागिनी से - भाभी कुछ खाना बचा हुआ है उसका क्या करना है ।

रागिनी रज्जो से - अरे दीदी जरा देवर जी को उपर स्टोर रूम से 2 3 साफ भगोने दे दोगी ।

रागिनी की बात सुनते ही जंगीलाल के कान और लण्ड एक साथ फड़के । वो रज्जों की ओर देखा तो वो भी मुस्कुरा कर उठी ।

रज्जो - आईये चलिये ।

फिर रज्जो आगे आगे सीढियो से उपर जाने लगी और जन्गीलाल रज्जो के भारी चुतडो को दाये बाये हुए देखता हुआ उपर चलने लगा ।
उपर आने के बाद रज्जो स्टोर रूम की ओर बढ गयी ।
वहा दरवाजा खोला और घूम कर सोनल के कमरे के सामने गलियारे मे खडे जंगीलाल को आवाज दी - आईये

फिर जंगीलाल चुपचाप अपने तेज चलती सांसो को काबू करता हुआ रज्जो के पीछे स्टोर रूम मे घुस गया ।

जंगीलाल - यहा तो अन्धेरा है
रज्जो - रुकिये मै बत्ती जलाती हु
फिर रज्जो जंगीलाल की ओर घूमी और उसके सामने ही दाये बाये होने लगी


फिर हस कर - अरे साइड होईये स्विच आपके पीछे है

जंगीलाल फौरन हट गया - ओह्ह सॉरी
फिर रज्जो ने स्विच ऑन किया तो बत्ती नही जली ।

रज्जो - ओह्ह यहा की तो लाईट ही खराब है
जंगीलाल अपनी जेब से मोबाईल निकालकर उसकी फ्लैश लाईट जलात हुआ - रुकिये मेरे पास मोबाईल है ।


रज्जो - इधर दिखाईये कहा रखा है , कहा रखा है ..... अह हा मिल गया वो रहा उपर

जंगीलाल अचरज से - उपर !!
रज्जो उसको कमरे की ताख की ओर दिखाती है जिस्पे एल्मुनियम के 4 5 भगौने रखे हुए थे कुछ पीतल के भी बर्तन थे ।

जन्गीलाल - अरे इतना उपर मिलेगा कैसे ?

रज्जो ने आस पास कमरे मे मोबाइल घुमाया तो वही दिवाल से लगा अनाज रखने वाला बड़ा वाला टीने का ट्रंक दिखाई दिया ।

रज्जो उस अनाज वाले ट्रंक पर लाईट दिखाती हुई - ये क्या है इसपे चढ़ कर मिल जायेगा ।


जंगीलाल को समझ नही आ रहा था कि 4 फीट ऊचे इस गोल ट्रंक पर वो चढ़ेगा कैसे ?

रज्जो उसको चुप देख कर हस कर - क्या हुआ ?

जंगीलाल - उसपे मै चढुन्गा कैसे वो सोच रहा हु ।

रज्जो हस कर - अरे आसान है इसपे चढ़ना हिहिहिही हमारे यहा मतलब बाबूजी के यहा तो ऐसे काफी सारे ट्रंक थे तो मै तो चढ़ ही जाती थी ।

फिर रज्जो ने वो मोबाइल जन्गीलाल को थमाते हुए - लिजिए आप मोबाईल दिखाईये मै उपर चढ़ती हु

जंगीलाल - अरे लेकिन आप क्यू , रुकिये मै राज या किसी को बुला कर लाता हु


रज्जो हल्के फुल्के अंदाज मे- अरे आप परेशान ना होईये बस्स्स मोह्ह्बाआईइल आह्ह दिखाआइईईयेएह्ह्ह आह्ह देखा आ गयी ।

रज्जो ने झटके से निचे से एड़ियो के बल यू उछली और घुम्कर आधे चुतड के बल ट्रंक पर बैठ गयी , मगर जल्द ही उसका बैलेंस बिगड़ने को हुआ तो जन्गीलाल ने लपक कर उसको सपोर्ट दिया ।

जंगीलाल ने जोर लगा कर निचे से रज्जो के बाकी कुल्हे को उठा रहा था और रज्जो ने भी कोसिस करके अपने चुतड खीसकाती हुई सही से बैठ गयी ।

रज्जो हस कर - थैंक्यू हिहिहिही लग रहा है वजन अब कम करना पड़ेगा पहले जैसी फुर्ती नही रही

जंगीलाल हस कर - अरे नही आप सच मे फुरत है , मै तो उतना भी नही उछल पाऊ
रज्जो - आप जरा इधर आईये मुझे खड़ा होना है

फिर जंगीलाल ट्रंक के करीब हो गया और रज्जो ने आगे झुक कर उसका कन्धा पकड कर खड़ा होने लगी ,

ऐसी स्थिति ने उसकी बड़े गले वाली मैस्की मे से उसकी बड़ी बड़ी चुचियो के आधे से ज्यादा दरशन जंगीलाल को हो रहे थे और उसका लंड उफ्नाया जा रहा था ।

रज्जो ने जोर देकर झटके से उपर उठ गयी - उहू कितनी धूल है यहा , इसको तो धूलना पड़ेगा ।

रज्जो ने एक भगौना उथाया और बोली - हमम लिजिए पकड़ीए

जन्गीलाल के एक हाथ मे मोबाइल थी तो उसे समझ नही आ रहा था तो उसने वो मोबाईल उल्टी करके वही रज्जो के पैरो के पास ट्रंक पर ही रख दी ताकी कमरे मे रोषनी रहे और हाथ बढा कर वो भगौना लपक लिया ।


जैसे ही जंगीलाल ने वो भगौना निचे रखा और उपर उठने को हुआ उसकी नजर उपर खडी रज्जो के मैकसी मे गयी ।

पैरो के पास ट्रंक पर रखी मोबाइल से निकल रही लाईट ने रज्जो की मैस्की के भीतर उजाला कर रखा था ।

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उसके पपीते जैसे नायाब नंगे चुचे लटके हुए थे और उसकी प्रिंटेड पैंटी उसकी फूली हुई चुत कर कसी हुई थी । ये नजारा देख कर जंगीलाल का लण्ड बगावत पर आ गया ।
मगर ना चाहते हुए भी जन्गीलाल को उठना पड़ा क्योकि रज्जो दुसरा भगौना उतार चुकी थी ।
जंगीलाल ने वो भी लपका और वापस धीरे धीरे निचे बैठ गया ।
फिर से एक बार वो नायाब सेक्सी नजारा देख कर जंगीलाल के मुह और लण्ड दोनो की लार टपकने लगी ।
मगर रज्जो को इस बात भनक नही पड़ी क्योकि मोबाईल की लाईट का फोकस उसकी ओर था और जंगीलाल मोबाईल से निचे से ये सब नजारे देख रहा था ।

ऐसे करके उसने 3 बार इस नजारे का मजा लिया और फिर फोन उठा कर हाथ ले लिया ।

जंगीलाल - अब उतरेंगी कैसे

रज्जो - अरे हटिये मै कूद जाऊंगी

जन्गीलाल - अरे नही नही उचाई ज्यादा आपको चोट लग जायेगी , आप बैठ कर आराम से उतर जाईये

रज्जो - अरे कुछ नही होगा आप थोडा पीछे हटिये

जंगीलाल हस कर थोडा सा पीछे हुआ और रज्जो ने आगे झुक कर थोडा सा ट्रंक से जंप की , एक बार फिर रज्जो की हरकत से ट्रंक का बैलेंस बिगडा और रज्जो मुह के बल गिरने को हुई की जन्गीलाल उसकी ओर लप्का और निचे से उसको अपनी बाहो के भरता हुआ खुद फर्श पर गिर गया । रज्जो ध्म्म से उसके उपर गिरी ।

जंगीलाल की पीठ मे जोर की लगि मगर रज्जो ने मुलायम चुचो ने उसके सीने पर राहत जरुर की ।

रज्जो के चुचे पूरे पिचक से गये थे जन्गीलल के सीने पर रज्जो का घुटना जन्गीलाल के दोनो जांघो के बिच था जो कि उसके लण्ड को एक तरफ दबाए हुए था

जन्गीलाल की आअहह निकाली तो रज्जो ने अपना उपरि शरिर झटके से खिंचा मगर उसे अपने घुटने का ध्यान नही था ।

जंगीलाल सुसुवाते हुए गहरी सासे ले रहा था और रज्जो परेशान होकर - अरेरे रे ये सब मेरी वजह हुआ , आपको ज्यादा लगी तो नही ।

जन्गीलाल दर्द से पीड़ित होकर मुह बनाते हुए - पैर पैर !!

रज्जो परेशां होकर जल्दी जल्दी जन्गीलाल की टाँगे सहलाने लगी - अच्छा पैर मे लगी है।

जंगीलाल ना ने सर हिलाते हुए - भाभी अपना पैर हटाईए

रज्जो को अब अपने घुटने का याद आया और उसे समझ आ गया कि इतना दर्द मे क्यू है जंगीलाल ।
उसने झटके से अपने पाव खिंचे और बिना किसी झिझक कर अपने हाथो से जंगीलाल के आड़ो और खडे लण्ड को सहलाने लगी ।

रज्जो- ओह्ह यहा लगी है

जन्गीलाल फुर्ती दिखा कर रज्जो का हाथ अपने गुप्तागो से अलग करते हुए - सीई आह्ह भाभी आप येहहह उफ्फ्फ

रज्जो - अरे सहलाने से दर्द ठिक हो जाता है

जंगीलाल खड़ा हुआ और थोडा लंगड़ा कर चलता हुआ - अभी पेसाब कर लूंगा सही हो जायेगा ।

रज्जो - ठिक है आप उपर जाकर फ्रेश हो लिजिये मै ये बर्तन लेके आती हु धूलना भी है इनको

जंगीलाल ने एक भगौना उठाया - ठिक है इसको लेके मै चलता हु ।

फिर जंगीलाल अपने कुल्हे झटकता हुआ धीरे धीरे जीने से उपर जाने लगा और रज्जो को बहुत अफसोस हुआ कि उसकी बेवकूफ़ी की वजह से आज जन्गीलाल को गम्भिर चोट आ गयी ।

रज्जो मन ही मन भगवान से दुआ करने लगी कि कोई गम्भीर बात ना हो जाये नही कि वो अपनी बहन के यहा मुह दिखाने लायाक नही रहेगी ।
उसने भी दोनो भगौने एक मे किये और उन्हे लेके उपर छत पर चली गयी ।

छत पर जाने के बाद वो बर्तन लेके धूलने बैठ गयी और वही जन्गीलाल पेसाब करके अच्छे से लण्ड धूल कर थोडा छत पर टहलने लगा , जिससे उसका दर्द कुछ ही देर मे आराम हो गया ।

इधर रज्जो ने भी बर्तन धूल कर पानी निचुडने के लिए बाहर रख दिया और बाल्किनी की ओर टहल रहे जन्गीलाल का हालचाल लेने पहुच गयी ।

रज्जो - अब कैसा है दर्द
जन्गीलाल - अब ठिक है भाभी वो अचानक से पाव लगने से

रज्जो उखड़ कर - सब मेरी ही बेवकूफी है , मुझे जिद नही करनी चाहिए थी ।

जन्गीलाल रज्जो का उदास चेहरा देख कर मुस्कुराता हुआ - अरे कोई बात नही भाभी जी , वो तो ट्रंक हिल गया इसलिए आपका बैलेंस बिगड़ गया ।

रज्जो - हा सही कह रहे है क्योकि चढ़ते समय भी वो हिल रहा था ।

जंगीलाल - हमम कोई बात नही जो हुआ सो हुआ ,

रज्जो थोडा शर्म और झिझक ए - हमम ठिक है लेकिन आप अभी सोते समय थोडा गुनगुने तेल से मालिश कर लिजिएगा , वो क्या है की सूजन नही होगा और सॉरी प्लीज

जन्गीलाल - हा मगर यहा गुनगुना तेल कैसे , कोई पुछेगा तो ?

रज्जो - अच्छा ठिक है मै आपको लाके दे दूँगी , आप कहा सोने वाले है

जन्गीलाल - मै सोच रहा था यही छत पर सो जाऊ, अच्छी हवा चल रही है

रज्जो - ठिक है जब आप सोने जायियेगा तो मुझे ब्ता दीजियेगा मै तेल लेके आ जाऊंगी

रज्जो का तेल लेके आने का कहना जंगीलाल को उत्तेजित कर गया और जिस तरह से रज्जो खुल कर उस्से इनसब मूद्दो पर बेझिझ्क बाते कर रही थी उसे अच्छा लग रहा था ।

फिर दोनो ने भगौने लिये और निचे चले गये ।
इधर देखते ही देखते बच्चो ने सारी तैयारीया कर ली और करीब 10 बजने को थे ।

हाल मे ही सारी व्यव्स्था की गयी थी ।
एक उचे टेबल पर बड़ा सा केक सजाया हुआ था और कैंडल रखे हुए थे ।
साउंड पर गाने बज रहे थे ।

सारे लोग हाल मे सोफे पर तो इधर उधर बैठे हुए थे ।


रन्गीलाल - अरे भाई सब हो गया ना और सारे लोग भी है तो चलिये दीदी आईये केक काटते है ।

रागिनी - हा दीदी आईये

शिला उठी और वो चल कर टेबल तक आई ,

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वो इस समय बिना दुपट्टे के सिर्फ़ कुर्ती और लेगी मे थी । लेगी मे से भी उसकी पैंटी झलक रही थी । उसके चुचो पर उभरे हूए निप्प्ल के दाने लगभाग सभी ने मह्सूस किये थे ।
कमलनाथ भी जगह देख कर शिला के पीछे खड़ा हो गया , जबकि शिला के दाई ओर रन्गीलाल और बाईओर रज्जो मैकसी मे खडी थी । रज्जो के ठिक बगल मे जन्गीलाल खड़ा हो गया उसका जिस्म रज्जो के शरिर से स्पर्श हो रहा था ।
बाकी सारे लोग भी घेर कर खड़े हो गये । सब गरदन उठाए अपना ध्यान शिला पर रखे हुए थे और वही पीछे खड़ा कमलनाथ शिला की कुर्ती उठा कर उसकी चरबीदार गाड़ निचे से लेगी के उपर से सहला रहा था ।

अपने चुतडो पर पंजो का स्पर्श पाते ही शिला थोडा चिहुकी ।

रंगीलाल - क्या हुआ दीदी

शिला समझ गयी कि ये कमलनाथ ही है और वो मुस्करा कर - आह कुछ नही भैया
रंगीलाल तो चलो केक काटो

जंगीलाल रज्जो के गरदन के पास मुह करके अपना लण्ड उसकी जांघ मे चुभोता हुआ - हा दिदी मोमबत्ती बुझा कर केक काटों

रागिनी - अरे पहले मोमबत्ती जला तो लो हाअहहहा
रन्गीलाल - रुको मै जला देता हू ।

रज्जो के कानो मे जंगीलाल की आवाज आई तो वो घूम कर देखी तो मुस्कुरा कर - अरे आप भी यही है
जंगीलाल - कोई दिक्कत तो नही आपको ,
रज्जो हस कर - अरे इसमे क्या दिक्कत हिहिहिही
जंगीलाल - वो पीछे के लोग थोडा आगे चढ़े आ रहे है ना तो बैलेन्स बना कर रहना पड रहा है

रज्जो- कोई बात नही उतना चलता है
फिर रज्जो आगे देखने लगी कि जंगीलाल ने हल्का सा अपना मुसल रज्जो की जनघो पर दबाया और जब रज्जो ने गरदन घुमाया तो वो बड़ी बेशर्मी से हस कर - वो पीछे से !!


रज्जो समझ गयी कि ये मौके का फाय्दा ले रहा और वो भी इस पल का मजा लेने के लिए जहा उसका मुसल बार बार ठोकर दे रहा था वही पर अपनी हथेली उल्टी करके रख दी ।

अगली बार जैसे ही जन्गीलाल अपना सुपाडा रज्जो की जांघ मे चुबोने के लिए झूमा , रज्जो ने लपक कर उसका लण्ड हाथ मे भर लिया और सुपाड़े को दबा कर मानो चेक करने लगी कि क्या है

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जंगीलाल सिस्का तो रज्जो ने एक नजर निचे देख कर सॉरी वाला चेहरा लेके ऊसकी ओर देखने लगी ।
रज्जो -सॉरि मुझे लगा कोई लक्ड़ा है , आपको दर्द हुआ होगा ना
जंगीलाल - आह्ह कोई बात नही ।

रज्जो वापस से मुस्कुराने लगी ।
इधर मोमबत्ती जल उठी और फिर से शिला से सबने आग्रह किया कि मोमबत्तियाँ बुझा कर केक काटे ।

इधर जैसे ही शिला ने फुक कर मारकर सारी मोमबत्तियां बुझाइ और सारे लोग एक साथ हैप्पी बर्थ डे टू यू का चैन्ट कर ही रहे थे कि अचानक से बाहर का जनरेटर बन्द हुआ और पुरे घर की बत्ती एक साथ बन्द हो गयी ।


सारे लोग एक साथ शोर करने लगे की " क्या हुआ क्या हुआ , लाईट क्यू चली गयी "

रन्गीलाल- अरे राज देख बेटा लग रहा है टेन्ट वाले ने जेनरेटर बन्द कर दिया है , बोल उसको

रागिनी - मै बोला था थोडा रुक जाओ अभी क्या जल्दी थी सब काम निपटाने की
रन्गीलाल - अरे अभी हो जा रहा है भाई

इधर शिला भी परेशान होने लगी कि कमलनाथ ने लपक कर उसको पीछे से हग करते हुए उसके दोनो चुचो को कुर्ती के उपर से मिजते हुए उसके कानो मे बोला - हैप्पी बर्थ डे शिला !!
कमलनाथ की आवाज और उसके स्पर्श वो शिला चौक गयी और जल्दी से उसने खुद को छुड़ाया ।
शिला दबी हुई आवाज मे - उह्ह्ह छोड़ीए ना उं

रंगीलाल - क्या हुआ दीदी
रन्गीलाल की अवाज सुनते ही दोनो स्तर्क हुए और अलग हो गये और शिला - कुछ नही भैया ये लाईट कब आयेगी।

वही बगल मे जंगीलाल ने भी अंधेरे का फाय्दा लेते हुए अपना हाथ शिला के चुतडो पर जमा दिया और उसको रगड़ते हुए - अरे भाई धक्का ना दो अभी आ जायेगी लाईट

रज्जो - ऊहह लग रहा है सारे लोग आपके ही पीछे खडे है हिहिहिही
जन्गीलाल ने एक बार फिर से खुद को सम्भालते हुए - क्या बताऊ भाभी अभी लाईट जले तो खबर लेता हु इनकी ओह्ह ओहो

इस बार जन्गीलाल रज्जो के उपर उलझा और उसका मुह सीधा रज्जो के चुचो पर जा लगा और उसने उनको सुघते हुए रज्जो के उपर से उठा ।

जंगीलाल थोडा तेज आवाज मे - कौन है भाई जो धक्का दिया मुझे

रंगीलाल - क्या हुआ छोटे
जंगीलाल - पता नही भैया अभी किसी ने धक्का दिया

रन्गीलाल - अरे भाई आप लोग एक जगह रुके रहिये अंधेरे मे मत टहलिये इधर उधर
वही रज्जो जन्गीलाल के नाटक पर हसे जा रही थी ।
खैर कुछ देर मे ही जेनरेटर की जगह लाईट वाले बिल्जी से कनेक्शन कर दिया और अब डायरेक्ट बिजली से उजाला हो गया ।

सारे लोग चहक उठे और फिर से हैप्पी बर्थ डे टू यू वाला चैन्ट होने लगा

शिला ने झूक कर अपनी गहरी गहरि बिना ब्रा वाली घाटियां दिखाते हुए मोमबत्तियाँ बुझाइ और केक काट कर स्बके पहले रंगीलाल को खिलाया और फिर

शिला - अरे जंगी कहा है

जंगीलाल रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसके पीछे से अपना मुसल उसके गाड़ पर रगड़ता हुआ भीड़ मे से शिला के पास गया

शिला ने उसे भी केक खिलाया तो रज्जो उसकी चालाकी पर मुस्कराये जा रही थी । वही फिर सबने बारी बारी से सबको केक खिलाया ।
फिर सबको प्लेट मे अलग से भी खाने को मिला ।

शिला - चलो भाई सारे लोग गिफ्ट्स लाओ मेरे हिहिहिही

फिर सारे लोगो ने अपनी लाई हुई गिफ्टस दी
सोनल-निशा-रीना ने मेकअपसेट
अनुज-राहुल ने चाकलेट
शालिनी और जन्गीलाल की ओर साड़ी
रन्गीलाल ने स्पेशल गिफ्ट का बोल कर बाद मे देने का वादा किया
फिर राज और कमलनाथ ने अप्नी ओर कुर्ती जीन्स दिया ।
और रज्जो ने भी अपना गिफ्ट का रैपर सहित शिला को दिया ।

रज्जो उसके कान मे - मेरी जान इसको पहन लेना अभी आज रात मे

शिला शर्म से लाल होने लगी और मुस्कुराने लगी ।

फिर थोडी बात चित हुई और सारे लोग को आदेश हुआ कि सब लोग आराम करे ।
फिर क्या
सोनल निशा और रीना एक कमरे मे हो गये
रन्गीलाल रागिनी अपने कमरे मे हो गये ।
रज्जो और शिला ने आज रात भी अपनी मस्ती जारी रखनी चाही तो उन्होने गेस्ट रूम बुक ही रखा

राज और कमलनाथ ने पहले ही अपनी जोड़ी बना रखी थी । ऐसे मे जन्गीलाल और शालिनी के लिए अब कोई कमरा खाली नही था ।

रन्गीलाल - ऐसा करते है राज तुम अपने चाचा चाची को रामवीर के मकां मे चले जाओ वहा सारी व्य्व्स्था की है हमने।


जंगीलाल को ये बात जम नही रही थी क्योकि रज्जो के साथ आज की रात उसके अप्ने अरमान थे ।

जंगीलाल - अरे भैया क्या अब इतनी रात मे परेशान होंगे हम भी यही कही ऐडजस्ट हो जाते है ना
इतने मे राहुल बोल पड़ा- मम्मी आप हमारे साथ आ जाओ , अनुज के कमरे मे वहा जगह है



जन्गीलाल - फिर ठिक है मै छत पर सो जाऊंगा , कल बहुत अच्छी नीद आई थी

रंगीलाल - पक्का ना भाई
जंगीलाल - हा भैया कोई दिक्कत नही होगी ।

फिर सारे लोग एक एक करके अपने कमरो मे चले गये ।
राहुल की हरकत की वजह से अनुज का मूड पूरा ऑफ हो गया था ।
इधर रज्जो ने जब शिला के साथ सोने वाली थी तो कमलनाथ का दिल भी मायुस हुआ था तो राज ने उसे चिल किया ।

ले देके कोई खुश था तो वो जन्गीलाल क्योकि सब कुछ उनकी प्लानिंग से हो रहा था ।
सारे लोग अपने कमरे मे जा चुके थे । रागिनी ने जंगीलाल को चटाई चादर और तकिया दे दिया था ।

फिर रज्जो और रागिनी ने घर की सफाई करने मे लग गयी ।
इसी दौरान रागिनी - दिदी

रज्जो - हा छोटी बोल
रागिनी - वो आप चाहे तो हमारे कमरे मे आ सकती है
रज्जो मुस्कुरा कर - क्या तू भी ? जमाई जी को बोल अब कुछ दिन सबर करे । शादी व्याह का दिन है थके हारे रहते है पुरा दिन आराम करे ।


रागिनी हस कर - आप तो जानती है ना दिदी इनको इस चीज के लिए कभी थकान नही होती हिहिहिही

रज्जो हस कर - हा उन्हे ना हो भाई मगर मुझे तो है कल से काम कर कर के कमर दर्द इतना है कि क्या बताऊ

रागिनी - अच्छा कोई बात नही अब कल से मै भी फ्री रहुन्गी तो आपको इतना परेशान नही होना पड़ेगा

रज्जो - अच्छा ठिक है जा सो जा तू मै भी जरा उपर तेरे देवर को बोतल मे पानी देदू । बेचारे उनको छत पर सोना पड रहा है

रागिनी - हा जीजी मुझे भी अच्छा नही लग रहा है
ठिक है आप जाईये मै भी जाती हु और ये बत्तीया बुझा दीजियेगा ।

रज्जो -हमम ठिक है

जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 178 A

लेखक की जुबानी

इधर रज्जो ने किचन हाल की बत्ती बुझाइ और एक हाथ मे हल्दी वाला दुध और एक कटोरी मे तेल साथ ही अपनी कांख मे चुचो के पास एक सफेद गम्छा दबाए हुए वो उपर छत पर चली गयी ।

जहा जंगीलाल अकेला बनियान और पाजामा पहने छत पर बेचैन रज्जो के इन्तजार मे टहल रहा था ।

छत पर आहट सुनाई पडते ही वो दरवाजे की ओर देखा तो रज्जो के हाथ भरे हुए थे ।

रज्जो - आईये जल्दी थोडा

जन्गीलाल भाग कर रज्जो के पास आया
रज्जो इशारे से अपनी बाई कांख मे फसी हुई लूंगी आगे बढाने के चक्कर के बाई चुचिया आगे करते हुए - जल्दी पकडिए इसको

जंगीलाल चौक गया कि रज्जो ये क्या ओफर कर रही है ।

जंगीलाल- भाभी मै ये कैसे ?
रज्जो ने झटके से अपने कानख मे देखा तो गमछा तो निचे सरक कर कही गिर चुका था और शर्म से लाल हो गयी कि वो जन्गीलाल को अपनी चुची पकडने को कह रही थी ।

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रज्जो मुस्कुरा कर - अरे वो मैने गमछा खोसा था एक वो गिर गयी सीढि पर ही ये पकड़ीए दुध और तेल मै लेके आती हु

जंगीलाल इस्से पहले कुछ बोलता
रज्जो सरपट जीने पर भागी और आधे रास्ते मे ही उसे गमछा मिल गया वो लेके उपर आ गयी ।

रज्जो - हा मिल गया वो रास्ते मे ही सरक गया था ।

जंगीलाल - भाभी ये दूध और ये गम्छा किस लिये

रज्जो हस कर - वो ये हल्दी वाले दूध से आपको दर्द मे आराम मिलेगा ना और तेल लगाने के बाद ये लपेट के सो जायियेगा

जन्गीलाल - लेकिन भाभी दर्द अब नही है

रज्जो - अरे कोई बात नही आप पी लीजियेगा
जन्गीलाल - फिर भी भाभी कै ये दूध नही पी सकता

रज्जो - क्यू !
जन्गीलाल - ओहो अब मै कैसे समझाऊ , दूध पीने के बाद मुझे सम्स्या होने ल्गेगि

रज्जो - कैसे सम्स्या ?
जंगीलाल हस कर झेपता हुआ - जिस चीज के लिए आप ये तेल लाई है उसमे दिक्कत होने लगेगी

रज्जो उसकी बात सुन्कर मुह पर हाथ रख कर शर्म से - अच्छा ठिक है मत पीजिए दूध लेकिन ये मालिश कर लिजिए

जन्गीलाल - ठिक है आप जाईये मै कर लूंगा
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे क्या जाईये , जल्दी से कर लिजिए मै ये कटोरी लेके जाऊंगी इसको धुल्ना भी तो है ।

जंगीलाल कुछ सोच कर - अच्छा ऐसी बात है तो रुकिये
फिर जंगीलाल ने वो गम्छा लिया और तेल की कटोरी लेके बाथरुम मे चला गया। उसने दरवाजा बस भिड़का दिया ।

अन्दर जाकर उसका लण्ड पुरा फैलादी हुआ था और उसकी धडकनें तेज थी । रज्जो एक खुले आफर के जैसे थी उसके पास मगर ना जाने क्यू उसको हिम्मत नही हो पा रही थी । उसका मन था अभी उसको झुका कर उसकी मैकसी उठा कर खडे खड़े यही खुले आस्माँ के निचे खुब हचक ह्च्क कर पेल दे ,

यही सब सोचते हुए जन्गीलाल अपना पाजामा निकाल कर उसको बाथरूम के हैंगर पर टांग दिया और अंडरवियर को निचे एड़ियो मे सरका दिया और अपने लण्ड पर तेल लगा कर उसे सहलाये जा रहा था खड़े लण्ड की मालिश और उसपे से रज्जो जैसी गदराई रान्ड का ख्याल जन्गीलाल को उत्तेजित कर गया ।

वो इस बात से अंजान था कि चंचल रज्जो बाथरूम के बाहर खडी थी और वो भी नये लण्ड के दरशन की चाह मे दरवाजे के चक्कर काट रही थी


ऐसे मे जंगीलाल के आड़ो से कामरस सुपाड़े मे आने लगे , जंगीलाल तेजी से अपना लण्ड भिचे जा रहा था और उसका जिस्म कापने लगा था ।
जंगीलाल से अपनी ऊततेजना काबू मे नही रही और ना ही उसकी जुबान वो सिहर कर बाथरुम मे आहे भरने लगा ।

रज्जो के कानो के जैसे ही जन्गीलाल की आह आयी उसे लगा जन्गीलाल को फिर से दिक्कत ना हुई हो और वो परेशान होकर दरवाजा ठकठकाई - क्या हुआ कोई दिक्कत है आपको


जन्गीलाल के कानो जैसे ही रज्जो की आवाज आई वो और भी सकपका गया और वही उसके वीर्य का वेग उससे रोके नही रुकने वला था , उसने पुरा जोर लगा लण्ड की नसो को रोके हुए था । मगर जडत्व का नियम कहा बिना किसी बाह्य बल के रोके रुकने वाला था ।

नतिजा जन्गीलाल के हाथ अभी भी उसके लण्ड की मुठियाए जा रहे थे और वो काम्प्ते हुए स्वर मे - अह्ह्ह भाभीईई अझ्ह वोह्ह्ह्ह सीईई

रज्जो को लगा कि सच मे जन्गीलल को कुछ दिक्कत है इसीलिए उसने बिना कोई हिचक कर झटके से बाथरूम का दरवाजा खोला और बाथरूम मे घुस गयी ।

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मगर वही जन्गीलाल के वीर्य ने उसके लगाये सारे प्रतिरोधो को चिरते हुए सुपाड़े से फूट पड़ा
ऐन मौके पर दरवाजे के यू झटके के साथ खुलने से जंगीलाल चौक कर उसकी ओर घुमा तो हवा उडता उसके वीर्य की पिचकारी बाथरूम के दिवारो से होते हुए सीधा रज्जो के उपर मैक्सि पर जा गिरी ।

रज्जो चिख उठी और जन्गीलाल ने अपने पंजो से सुपाड़े को धक लिया और अगले कुछ पलो तक उसका हाथ वीर्य से सनता रहा ।


रज्जो अपना मैकसी और हाथो पर आये वीर्य के छीटे से ज्यो की त्यो अकड़ गयी - ईईई ये सब क्या है ?

जन्गीलाल जल्दी से घूम कर बाथरूम की टोटी चालू करके अपने हाथ और लण्ड धूलने लगा वही निचे पैरो मे अटका हुआ उसका अंडरवियर भी गिला हो चुका था ।

जन्गीलाल - सॉरी सॉरी भाभी वो मुझसे काबू नही हुआ और आप भितर क्यू आ गयी ।

रज्जो अपने हाथ से वीर्य साफ कर उसे झटकते हुए - अरे आप ही भाभी भाभी बोल कर चिख रहे थे तोह्ह मुझे लगा कि आपको कोई दिक्कत है इसीलिए मै ,


जंगीलाल अपने गीले लण्ड पर अंडरवियर चढाता हुआ - सॉरी भाभी वो तेल लगाते हुए पता नही मुझे क्या हुआ कि?

रज्जो - अरे तो आपने जोर जोर से कर दी होगी मालिश ना


जंगीलाल- हा हा भाभी सही कह रही है आप
रज्जो - ठिक है कोई बात नही , अब आराम है ना आपको

जंगीलाल - मेरा तो ठिक है लेकिन आप
रज्जो - कूछ नही अब नहाना पड़ेगा, और मेरे कपडे भी तो राज के कमरे मे है और ऐसे मै कैसे निचे जाऊगी हे भगवां

जंगीलाल - ऐसा करिए आप नहा कर ये गम्छा लपेट लिजिए अभी ये मैस्की बाहर हवा मे जल्दी से सुख जायेगी फिर आप पहन कर चले जाईये

रज्जो को ये तरकिब सही लगी और उसने हामी भरी ।
फिर जंगीलाल अपना भीग हुआ अंडरवियर उठाते हुए बाहर निकल गया और रज्जो दरवाजा बन्द कर नहाने लगी ।

वही निचे के कमरे मे शीला मोबाइल पर वीडियो काल पर बाते करते हुए अपने परिवार वालो से बातें कर रही थी ।

घर से बाते करने के बाद शीला ने अपना सोशल मीडिया अकाउंट खोला और उसपे अपनी कुछ तस्वीरे पोस्ट की ।
जल्द ही उसकी इंस्टा पर उसके हजारों followers ने लाइक कमेंट करने शुरु कर दिये । किसी ने उसकी उभरी हुई गाड़ पर शायरियाँ लिखी तो किसी ने उसके डीप गले वाले कुर्ती से झान्क्ती घाटियों पर अपने सोमरस की नदियाँ बहाने के सपने देखे । उनही मे से कोई उसे गालियों से नवाज रहा था तो कोई उसके जन्मदिवस की वधाई भी दे रहा था ।
ऐसे मे शिला को इन सब कमेंट्स को पढ कर मजा आ रहा था क्योकि उसे पसन्द था अपने तारीफे सुनना वो चाहे जिस रूप मे की जाये । फर्क नही पडता था ।

इसी दौरान उसकी इंस्टा स्टोरी पर लगी उसकी और मैक्सि पहनी रज्जो की तस्वीर पर एक id से मैसेज आया । जिसकी id का नाम Auntylover69 था .... शिला के वैसे हमेशा मैसेज आते थे मगर वो कुछ गिने चुने लोगो से ही और समय होने पर ही बात करती थी ।

Auntylover69 का मैसेज आते ही शिला ने उसको ओपेन किया ।
Auntylover69 : happy birthday aunty
शिला : thanks
Auntylover69: Es saal ka celebration grand nhi karogi kya 😋😋
शिला : umm nhi .. relation me aayi hu
Auntylover69: ha lekin aaj online to aogi na .. aapne promise kiya tha b'day par.
शिला : Ha kiya to tha magar mai relation m shaadi attend karne aayi hu .
Auntylover69 : lag raha hai aapke fans bahut niraash hone waale hai 🥲 kyoki aaj bahut traffic hota ...

शिला क : hmm so toh hai . Magar
Auntylover69: achcha koi nahi waise wo saath waali maxi me aunty kon hai badi sexy lg rahi hai 😋🤪

शिला हसी : aur mai 😒 mai nahi lg rahi hu kya achchi
Auntylover69: are meri raani tum to ho hi bwal .. jbse tumhari legi se jhaankti hue panty dekhi hai land khda hua hai ... magar ye aunty ki chuchiya badi moti hai ... inko bhi lao na udhar plzzz

Auntylover69 की बाते सुन कर शिला के जहन मे विचार घूमने लगे और कुछ पल वो चैट्स रोक कर सोचने लगी ।

इधर फिर inbox पॉपअप हुआ तो उसने देखा कि वही लड़का फिर से मैसेज कर रहा है ।

Auntylover69: kya hua aunty naraaj ho gayi kya .!!! Sorry yrr .. waise hain kon wo ??
शिला : are isme sorry kya wo meri friend hai ... wo kuch kaam kar rahi thi ... chlo bye agar time mila to online aaungi .

Auntylover69 : thnxxx sexy . I'm waiting . 😘
शिला ने चैट्स ऑफ कर दी और फिर नेट पर जाके एक ऐडल्ट साइड खोलकर अपनी प्रोफाइल चेक करने लगी ।
जिस्पे काफी सारे टैगस , डीएम और मैसेज request आये थे । सारे लोगो को आज रात उसके ऑनलाइन आने का इन्तजार था ।
प्रोफाइल पर फैन्स के traffic देख कर शिला के शरिर मे एक सिहरन होने लगी थी उसके दिमाग मे रज्जो को लेके एक अलग ही फैंटेसी पैदा हो चुकी थी और वो रज्जो के आने तक अपनी तैयारियों मे लग गयी ।

वही रज्जो उपर के बाथरूम मे नहा चुकी थी ।
और नहाने के बाद उसने जब वो सफेद सूती गम्छा हाथ मे लिया तो उसे समझ आ गया कि ये उसके जिस्म को कितना ही ढकने वाला था ।
वो अच्छे से समझ रही थी कि जंगीलाल उसका दीवाना हो चुका है और बस थोड़े संयोगो की पतरी ऐसी बिछानी है कि जन्गीलाल अपनी गाड़ी उसपे दौड़ाने को बेताब ही हो जाये ।
रज्जो के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान खिल गयि और एक नये अह्सास ने उसके निप्प्ल को कड़ा करना शुरु कर दिया।

रज्जो ने वैसे ही गीले बदन पर गमछे को खोलकर ढका और फिर उसपे से शॉवर के निचे खड़ी हो गयी ।

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देखते ही देखते पुरा गम्छा पारदर्शी होकर उसके जिस्म से लिपट गया और उपर से निचे तक उसका गदराया जिस्म् साफ साफ झलकने लगा ।

रज्जो ने खुद को एक बार निहारा और फिर वो धुली हुई मैकसी उठा कर बाथरूम का दरवाजा खोला । जन्गीलाल पहले से ही अपना मुसल मसल कर रज्जो को उस गमछे को अपने जिस्म पर लपेटे बाहर आने का बेसबरी से इन्तेजार कर रहा था ।अभी तक उसने निचे पाजामा नही डाला था ।

जैसे ही बाथरूम के दरवाजे की चटखनि की खटक हुई वो वैसे ही उसने ललचाती नजरो से बाथरूम की ओर देखा और सामने से रज्जो ने आधा दरवाजा खोलकर अपने चुचे बाहर की निकाल कर हाथ बढ़ा कर मैकसी जन्गीलाल की ओर करती हुई

"जरा ये मैकसी अरगन पर डाल देंगे , वो मै बाहर नही आ सकती " , रज्जो ने लाज भरे लहजे मे मुस्करा कर कहा ।

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वही जन्गीलाल की निगाहे रज्जो ने मोटे मोटे पपीते जैसे चुचो पर अटक गयी थी जो उस भिगे हुए गमचे से साफ साफ दिखाई दे रहे थे ।
उसको देखते ही जन्गीलाल का लण्ड पूरी तरह फौलादी होकर तन चुका था ।
रज्जो की निगाहे जैसे ही जन्गीलाल को खुली छत पर ऐसे टहलते हुए देखा तो हस पड़ी - अरे आप ऐसे क्यू ? किसी ने देख लिया तो !!

जंगीलाल बेशरमी से हस्ता हुआ एक हाथ से अपना लण्ड छुपाता हुआ - अरे नही मैने जीने का दरवजा बाहर से बन्द कर दिया है और बत्ती भी बुझा ही रखी है

रज्जो - हा लेकिन आपका अंडरवियर कहा है

जन्गीलाल हस कर - वो तो भीग गया था तो सुखने के लिए डाल दिया

रज्जो - और पाजामा ?
जन्गिलाल- वो तो अन्दर ही है ।

रज्जो ने बाथरूम के दरवाजे से सर निकालकार बाहर झाका तो पास के छ्त पर शकुन्तला टहल रही थी खाने के बाद

रज्जो - क्या आप भी ना , जल्दी ये मैकसी फैला कर अन्दर आ जाईये , कोई है उस वाले घर की छत पर

रज्जो की बात सुनते ही जन्गीलाल के घबडाहट बढी और लपक कर उसने अपने अंडरवियर केपास ही रज्जो की मैकसी फैला दी और फटाक से बाथरूम का दरवाजा खोलकर अन्दर घुस गया और सामने रज्जो को उस भिगे हुर गमछे मे देख कर उसकी आंखे मुह सुपाडा फैल गये ।

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बलब की दुधिया रोशनी मे रज्जो का साँवला जिस्म भी चटक दिख रहा था । उसके मोटे मोटे बड़े पपीते जैसे चुचे पुरे पारदर्शी हो चुके थे , गहरे भूरे रंग का घेरेदार मोटे काले अंगूर के दाने जैसे निप्प्ल आगे की ओर तने हुए थे मानो गमछे को फ़ाड ही चुके हो ।
गम्छा उपर से निचे तक जिस्म से चिपका हुआ था ।
उभरे पेट पर गुदाज नाभि की गहराई और निचे चुत की ढलानो पर हल्के चुत के बाल भी उसे साफ साफ दिख रहे थे ।
साफ चिकनी और भीगी हुई जान्घे रज्जो को और भी कामुक दिखा रही थी ।

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जन्गीलाल का मुसल पूरी तरह से तन चुका था सुपाडा सुर्ख लाली लिये हुए फ़ूल चुका था उसकी सुराख भी फूली हुई थी । लण्ड की नसे रस्सियो के जैसे उभर गयी थी, अंडकोष कस कर उपर आ चुके थे ।


पानी का शॉवर अभी भी चालू ही था ।
दोनो के जिस्म बेपरदा हो चुके थे मन ही मन मे दोनो भीतर से एक दुसरे के लिए कामातुर हुए जा रहे थे ।
मगर ना जाने ऐसा क्या था जो उन्हे रोके हुए था ।

ना किसी निगाहे एक दुसरे के जन्नांगो से हट रही थी और ना किसी के मुह से कोई बात चल रही थी ।

ऐसे मे रज्जो ने नजर उठा कर जंगीलाल की आंखो मे देखा । जन्गीलाल के भितर की खुमारी उसकी आंखो मे उतर चुकी थी , चेहरे पर तड़प भरी बेचैनी के भाव दिखने लगे थे । नथुनो पर रज्जो के जिस्म की भीनी सी सुगंध उसकी सांसो को और भी नशीली किये जा रही थी ।
लार ग्रंथिया भी उसके गले मे थुक भरने लगी हर घूंट के साथ जन्गीलाल पलके झपका कर रज्जो के भूरे निप्प्ल को निहारता और फिर उसने भी रज्जो की आंखो मे देखा ।

रज्जो एक शरारत भरी नसिली बेचैनी सी थी , एक बेसबरा सा इंतजार था उस्की आंखो में जो रज्जो के दिल की बेकरारी और उसकी रसाती बुर के सन्देश ला रही थी ।
मादक गहरी सासो ने चुचो को और उठाने मे लगी थी ।

दोनो की बेताबी थी मगर ना जाने क्या उन्हे रोके हुए था आगे बढ़ने से , शायद यहा इस मोड़ पर आकर भी कोई भीतर की मर्यादा रुकावट बन रही थी । कुछ अच्छी नियत की ही बात थी जो दोनो एक दुसरे के प्रति दिखाना चाह रहे थे ।
मगर सवाल था कब तक ?
"भाभी वो मेरा पजामा दीजिये , आपके पीछे " , जंगीलाल ने मुस्कुरा कर रज्जो को उसके पीछे हैंगर पर टंगे पजामे की ओर आंखो से इशारा करके बोला ।

रज्जो ने गरदन घुमाई मगर दिवाल तो कुछ फीट की दुरी पर था और हाथ नही पहुच सकते थे ।
ऐसे मे रज्जो घूम गयी और बस यही वो समय था जब जन्गीलाल के सबर का बान्ध बह ही गया ।


जारी रहेगी ।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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