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Bht hi kamuk update Diya bhai ji but aap se ek request h salini chachi ka bhi parichay ho jaye agr anuj k sath to maja aa jayegaअध्याय 02
UPDATE 003
पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला ko और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।
उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।
: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )
" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?
अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?
अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो
अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....
कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।
वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।
बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ
कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।
पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।
ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।
राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।
राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?
ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?
चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?
ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?
ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।
राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी
राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज
ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।
ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।
ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया
: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ
राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।
चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।
शिला के घर
" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।
शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।
उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।
रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई
रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम
रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।
रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।
शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी
फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,
रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।
जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।
फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।
रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।
शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।
रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है
रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी
धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी
रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही
शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी
शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह
शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?
शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।
शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।
मुरारी - मंजू
11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था
फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है
फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।
मंजू : चले भइया
मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।
बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।
मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे
क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा
मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।
मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई
" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।
तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।
मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है
फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।
जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था
फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा
अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।
मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे
उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।
किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई
और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह
मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।
मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा
मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।
मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न
मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।
मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब
मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।
मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।
वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।
स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप
वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।
लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।
स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।
मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
मुरारी : तुम्हे कौन सा सही लग रहा है , दो सेट फाइनल कर दो
मंजू ने आंखे उठा कर मुरारी को देखा तो मुरारी मिन्नते करता हुआ नजर आया ।
मंजू ने मजबूरी में एक लेस वाली फैंसी और दूसरी सिंपल फूली कवर ब्रा उस थांग पैंटी के साथ फाइनल कर दी
वो स्टाफ दोनों को अजीब नजरो से देख रही थी वहां फिर जेंस वाले फ्लोर पर उन्होंने शॉपिंग की और फिर बिलिंग के लिए निकल गए ।
बिलिंग काउंटर जब मुरारी बिलिंग कराने लगा तो उसकी ट्रॉली में दो जोड़ी और ब्रा पैंटी निकल आई
मुरारी : एक मिनट भाई साहब , अंडरगार्मेंट के दो ही सेट होंगे , लगता है गलती से आ गया होगा
मंजू जो उसके बगल में खड़ी थी वो परेशान हो उठी इससे पहले वो बिलिंग स्टाफ उसके प्रोडक्ट को कैनसिल करता वो बोल पड़ी : अरे वो मैंने रखे है ?
मुरारी ने जैसे ही मंजू की आवाज सुनी उसको अपनी गलती समझ आई और बिलिंग स्टाफ वापस से सारी बिलिंग करने लगा ।
फिर मुरारी ने सारे पेमेंट किए ।
वहा से निकल कर दोनों ऑटो से मंजू के घर के लिए निकल गए ।
रास्ते भर मंजू के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही
मुरारी समझ रहा था आज मंजू की नजर में उसकी खूब किरकिरी हुई है
मुरारी : अब बस भी करो भई , मुझे क्या पता था कि वो तुमने लिए थे पहले ही ।
मंजू हंसने लगी : सॉरी
मुरारी भी मुस्कुराने लगा
वही इनसब से अलग रंगीलाल खड़ी दुपहरी में अपने ससुराल पहुंच गया था ।
बरामदे में बनवारी के कमरे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठे हुए घर का जायजा ले रहा था और तभी सामने से उसकी खूबसूरत गदराई हुई सलहज सुनीता साड़ी का पल्लू पूरे बरामदे में लहराते हुए हाथों में जलपान का ट्रे लिए आई और जैसे ही उसने रंगीलाल के आगे टेबल पर ट्रे रखा
बिना पिन की साड़ी का आंचल उसके सीने से सरक कर कलाई में आ गया और कसे चुस्त ब्लाउज में भरे हुए मोटे मोटे मम्मे झूलते हुए रंगीलाल को ललचाने लगे ।
जारी रहेगी ।
कहानी पर पाठकों की प्रतिक्रिया , व्यूज के हिसाब से बहुत कम मिल रही है ।
कहानी पर लेट अपडेट का कारण आप सभी कम प्रतिक्रियाए ही है ।
कृपया पढ़ कर समुचित रिप्लाई जरूर किया करे ।
धन्यवाद
बहुत ही मस्त और शानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 206
राहुल के घर
सुबह के सारे काम निपटा कर शालिनी नहा रही थी , वही कमरे मे अरुण अपने बैग से कपडे निकाल रहा था कि राहुल से पहले वो बाथरूम मे जाये इस आश मे कि नहा कर तरो ताजा हुई मामी का कुछ सेक्सी सा देखने को मिल जाये
इससे पहले अरुण अपनी तैयारी करता राहुल अपना कपडा निकाल कर बिना तौलिया लिये ही भाग कर बाथरूम मे चला गया
अरुण अपने कपडे लेकर मुह लटकाया हाल मे सोफे पर बैठ गया और मोबाइल चलाने लगा ।
तभी उसके कानो मे कहकहाने और हसी ठिठौली की आवाजें सुनाई दी ।
वो बार बार गलियारे मे झाक तो रहा था मगर उसकी हिम्मत नही हो रही थी कि एक बार बाथरूम की ओर किसी बहाने से चला जाये
इधर बाथरूम मे
" हेईई बदमाश कही का, क्या कर र्हा है हिहिहिही रुक बताती हु " शालिनी अपने जिस्म पर पड़ रही पानी के पाइप की बौछार रोकने की कोसिस करती है ।
मगर राहुल खिलखिलाता हुआ पानी की बौछार से अपनी मा के जिस्म को भिगो रहा था ।
शालिनी के जिस्म पर लिपटी हुई साड़ी पानी से तर बतर हो गयी थी, उसके गोरे मोटे चुचे साडी के बाहर साफ साफ झलक रहे थे
अपने निप्प्ल पर पड़ रही पानी की चोट से बचने के लिए शालिनी घूम जाती है तो राहुल पानी की धार उसके कुल्हे चुतड और जांघो पर देने लगता है और खिलखिलाता है ।
शालिनी - अब बस बेटा देख पूरी भीग गयी है
राहुल उसके करीब आके - सच मम्मी ऐसे आप बहुत सेक्सी लग रहे हो , चलो ना करते है प्लीज
शालिनी हड़बडाइ- क्या ! पागल है तु । अरुण बाहर होगा
और शालिनी बिना एक पल गवाये तेजी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर जाती है ।
गीली चप्पल की चप्प चप्प भरी आहट से हाल मे बैठे अरुण का ध्यान वापस गलियारे की ओर जाता है और वो घूम कर देखता है तो उसका लन्ड फड़फडा उठता है ।
सामने उसकी मामी भीगी हुई साडी मे तेजी से कमरे की ओर जा रही थी और उस भीगी हुई साडी मे भी उनकी गुलाबी पैंटी साफ साफ झलक रही थी । जिसे देख कर अरुण खुद को रोक नही सका और दबे पाव बड़ी सावधानी से बाथरूम पार कर शालिनि के कमरे की ओर बढ गया ।
धीरे से उसने कमरे मे झाका तो उसकी सासे उफनाने लगी ।
थुक गटक कर भीतर का नजारा देखते हुए वो अपना मुसल मसलता है - अह्ह्ह मामीईई कीतनी सेक्सी हो आप उम्म्ंम , क्या गाड़ है यार ऊहह
सामने शालिनी फर्श पर अपनी साडी उतार चुकी थी और उसके जिस्म पर अब पैंटी ही बची थी ।
पूरा जिस्म पोछ कर वो एक तौलिया लपेट कर आलमारी की ओर बढ गयि और वही बाथरूम से राहुल की आवाज आई ।
अरुण लपक कर बाथरूम की ओर गया - क्या हुआ
राहुल नहा चुका था - अबे भाई तौलिया रह गया , जरा देना तो
अरुण - हा हा लाता हु रुको
अरुण कमरे मे देखता है तो उसे कही कोई तौलिया नजर नही आता है तो वाप्स राहुल को बतता है
राहुल - अरे यार मम्मी से पुछना तो ,
शालिनी के पास जाने का सोचते ही अरुण का लन्ड एक बार फिर से फड़क उठा - ह हा जा रहा हु भाई ।
अरुण लपक कर अपनी मामी के कमरे की ओर गया और कमरे मे झाका तो देखा कि शालिनी बिस्तर के बगल मे आईने के सामने खडी होकर बाल सवार रही है अभी भी वो तौलिये मे ही थी ।
अरुण के लिए ये मौका सही था और उसके पास जायज मौका भी था वो कमरे मे दाखिल हुआ - मामी वो मै ..
शालिनी अचानक से कमरे मे अरुण की आवाज सुनकर चौकी और पलट कर उसको देखा कि अरुण बेधड़क उसकी ओर आ रहा है , वही अरुण ने जरा भी ध्यान नही दिया कि फर्श पर गीली साड़ी भी फैली हुई
अनजाने मे उसका पैर साडी पर पड़ा और वो पीछे की ओर फीसलने को हुआ
शालिनी ने फुर्ती दिखाई और हाथ बढ़ा कर उसका टीशर्ट पक्ड कर उसे अपनी ओर खिंचा
दोनो का सन्तुलन बिगड़ा और पहले शालिनी बिस्तर पर गिरी और उसके उपर अरुण
हच्च से अरुण का सीना अपनी मामी के नरम नरम छातियों से जा लगा ।
शालिनी - अह्ह्ह
अरुण शालिनी के उपर था और वो बस खो सा ही गया इतने करीब से अपनी खुबसूरत मामी का चेहरा देख कर , उसपे से उसके मुलायम तरोताजा बदन पर पड़े रहने से वो और भी मस्त हो गया ।
शालिनी - अरे उठो , अरुण बेटा उठो ना अब
अरुण हड़बड़ा कर - सॉरी मामी , मेरा मतलब थैंकयू आपने मुझे बचाया नही तो मेरा सर ही फट जाता अभी
शालिनी खडी होती हुई - क्या तुम भी , शुभ शुभ बोलो और तुम यहा मेरे कमरे मे क्या करने आये थे ।
अरुण - वो मै आपसे आपका तौलिया लेने आया था
शालिनी चौकी और अपने छातियों पर कसे हुए तौलियों के बीच से दिख रही घाटियो को हाथ से छिपाती हुई - क्क क्या , क्या बोल रहे हो तुम
अरुण - अरे मामी वो राहुल कबसे तौलिया माग रहा है , इसीलिए आया
शालिनी - ओह्ह ऐसे , अच्छा रुको देती हु , जरा तुम उधर ...
अरुण पीछे घूम गया मगर उसकी तीरछी नजर आईने पर जमी हुई थी जिसमे से शालिनी की झलक आ रही थी ।
जब वो तौलिये के उपर से ब्रा पहनने की कोसिस कर रही थी और फिर उसने तौलिया निकाल दिया ।
मामी को ब्रा पैंटी मे देख कर अरुण का लन्ड और भी कसने लगा ।
शालिनी - हम्म्म ये लो
अरुण फुर्ती से घूमा और शालिनी को देखता कि वो वैसे ही ब्रा पैंटी मे बिना किसी झिझक कर उसके आगे खड़ी थी और वो उसके दुधिया संगमरमरी बदन को निहार रहा था , उसका लन्ड तम्बू बनाये हुआ था ।
शालिनी उसकी नजर भाप कर थोड़ा असहज हुई - क्या हुआ , अब जाओ जल्दी और आराम से गिरना मत
अरुण भौचक्का हालात मे कमरे से बाहर आ गया और वही शालिनी खुद पर इतराते हुए आईने मे देख कर बड़बड़ाई- ये आजकल के जवाँ बच्चो को हो क्या गया है हिहिही वैसे शालिनी देवी तुम भी कम सेक्सी थोड़ी ना हो तुम्हारा ये अवतार देख कर तो बूढ़े भी बेहाल हो जाये अरुण बेचारा तो अभी बच्चा है हिहिही
खुद ही मुह मियाँ मिठ्ठू होकर शालिनी अपने कपडे पहन कर तैयार होने लगी और वही राहुल के जाने के बाद अरुण शालिनी के नाम की मूठ लगा कर नहाकर कमरे मे चला गया ।
राज के घर
रात की दोहरी चुदाई की थकान ने सभी लोग को देर उठाया मगर अनुज की सुबह अभी भी लेट थी ।
हाल मे सब सुबह के नास्ते के लिए बैठे थे । जल्द ही रन्गी और राज नासता खतम कर अपने अपने दुकान के लिए निकल लिये ।
इधर रज्जो की बीती रात वाली खलबली फिर से बढ़ने लगी जब उसने किचन मे निशा को देखा ।
अब वो निशा को अकेले मे बात करने का सोचने लगी , इधर रागिनी नहाने के लिए निकलते हुए रज्जो से बोलते हुए गयि कि अनुज को उठा कर नास्ता करने को कह दे ।
रज्जो के लिए यही सही मौका था निशा से अकेले मे बात करने का और उसने शिला जो कि मोबाईल मे कुछ कर रही थी उसको जाकर बोली - अह दीदी जरा तुम अनुज को जगा दोगी , नासता लेट हो जायेगा ।
शिला मोबाईल चलाते हुए उठी- अह हा क्यू नही
फिर शिला मोबाइल चलाते हुए ही सीढियों से उपर जाने लगी ।
मौका पाते ही रज्जो लपक कर किचन मे गयि , वही निशा को रज्जो की पूरी गतिविधि पर नजर थी और उसे ये भी भान था कि रज्जो उस्से कल रात की बात जानने के लिए कितनी आतुर हुई जा रही होगी ।
निशा मुस्कुरा कर सब्जी काटती हुई - क्या हुआ मौसी परेशान लग रहे हो ।
रज्जो उसके पास जाकर धीमी आवाज मे - मौसी की बच्ची , कल क्या बोल कर गयि तु ।
निशा हस कर - किस बारे मे ?
रज्जो - अच्छा तो तुझे नही पता किस बारें मे ।
निशा - नही ?
रज्जो खीझ कर - अरे वो मैने पूछा था तो तूने बताया था वो
निशा - क्या मौसी , साफ साफ बोलो ना
रज्जो भीतर की भुन्नाहट को घोंटती हुई - अरे मैने पूछा था तुने किसका लिया है तो तुने बोला मौसा जी का , वो
निशा हस कर - हा सही तो कहा था मैने हिहिही
रज्जो चौकी - मतलब रमन के पापा का ? सच मे ?
निशा ने हा मे सर हिलाते हुए- और एक बात बताऊ मौसी इधर आओ
रज्जो उसके करीब गयी ।
निशा उसके कान- सच कहू तो उनका इतना मोटा था मै डर गयि थी , कही मेरी फाड़ ना डालें लेकिन उफ्फ्फ वो रग्डाई सीईई सच मे मौसी कितनी किसमत वाली हो आप
रज्जो को यकीन हो गया कि निशा की बातों मे सच्चाई तो है मगर उसके लिए हैरानी की बात थी कि आखिर एक 20 साल की लड़की कैसे 48 साल के आदमी से , ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था ।
रज्जो - लेकिन तु और रमन के पापा , कब कैसे ?
निशा - अरे वो तो मेरे पीछे ही पड़ गये थे , कोई जवाँ लड़का क्या पड़ेगा मौसी , हमेशा उनकी आंखे मेरी चोली मे जोबनो को ताड़तो रहती । पजामे मे उनका खुन्टा ये बांस जैसा तम्बू बनाये हुए
रज्जो आन्खे फाडे उसे सुने जा रही थी ।
निशा - फिर वो हल्दी वाली रात जब बगल वाले कमरे मे मै बिस्तर लगाने गयि तब मौसा जी मेरे साथ , हमने बहुत मेहनत की और बाहर आते समय मेरी चुन्नी वही रह गयि । मौसा जी खुद उसे लेने कमरे मे गये लेकिन जब कुछ देर तक नही लौटे तो मै भी कमरे मे गयि तो पता है क्या देखा
रज्जो हैरत से - क्या ?
निशा ने अब फेकना शुरु किया - मौसा जी मेरी चुन्नी सूंघ रहे थे उसे अपने मुसल पर रगड़ रहे थे , मैने देखा मौसी उसको ... ये बेलन भर मोटा और लम्बा इस्स्स । वो मेरी चुन्नी अपने मोटे काले हथियार पर लपेट पर मुठ्ठि मार रहे थे ।
रज्जो उस पल के बारे मे कल्पना कर कामरस मे रसने लगी थी - फिर
निशा - मै देखी उनकी दिवानगी मेरे लिये , क्या कोई आशिक़ मुझसे प्यार करता ,मुझपे मरता , उफ्फ़ मौसी सच कहू उस पल से ना जाने मुझपे क्या मदहोशि छाने लगी और मै उनके लिए पागल होने लगी और फिर
रज्जो तेज धडकते सीने के साथ - फिर क्या , बोल ना
निशा - मै उनके आगे आ गयि , वो शर्मिन्दा थे मेरे अचानक आ जाने से , उनके रस से लिभ्डाया मेरा दुपट्टा अभी भी उनके हाथ मे था ।
मै झट से दरवाजा बन्द किया और बोली - ये क्या कर रहे थे कोई देख लेता तो । उन्हे यकीन ही नही हुआ कि मै ऐसा कुछ बोल सकती हु । वो बोले सॉरी मै बोली कोई बात नही ,वो मेरा चेहरा निहार रहे थे और मै उनका वो , वो मेरे सीने की घाटी देख रहे थे और मै उनका लाल टमाटर जैसा मोटा सुपाडा देख कर ललचा रही थी । डर भी था और एक तलब भी फिर उन्होने ने ही मेरा हाथ वहा रखा हिहीही मै गिनगिनाई और उसको कस के हाथ मे भर लिया एकदम कडक और गर्म ।
रज्जो थुक गटक कर - फिर
निशा - फिर उन्होने मुझसे चुसवाया और फिर हिहिहिही
रज्जो - क्या सच मे उसी दिन ही पहली बार मे ही
निशा - मै कहा कोई मौका छोड़ने वाली थी और इतना तंदुरुस्त हथियार इस्स्स
रज्जो कुछ देर चुप रही तो निशा मुस्कुरा कर बोली - एक बात पूछू मौसी सच सच ब्ताओगी
रज्जो - क्या बोल ना
निशा - क्या मौसा जी ने कभी आपको पीछे से किया है ?
रज्जो खिलखिलाई - कभी ! हिहिही ये पूछ कब नही अरे एक बार तो इतने जोश मे थे कि दो दिन तक मुझे बहू से मालिश करवानी पड़ी थी सूज गयि थी पीछे
निशा - क्या सच मे ? और रिना भाभी को क्या बोली फिर आप ?
रज्जो हस कर - अरे बोलना क्या था , वो समझ गयि और वैसे तु सही कह रही थी ये तेरे मौसा है ही एक नम्बर के ठरकी हिहिही
निशा - मौसी एक बात कहूं मानोगे
रज्जो - क्या बोल ना
निशा - जरा अपनी गाड़ दिखाओ ना , देखू चुदने के बाद कैसा दिखता है ।
रज्जो लजाई - क्या तु भी धत्त
निशा - प्लीज प्लीज ना मौसी
रज्जो को निशा का साथ पसंद आ रहा था और वो निशा के साथ कुछ सपने सजो चुकी थी ।
रज्जो बाहर झाकते हुए - अरे यहा कैसे कोई आ जायेगा
निशा - अरे कोई नही आयेगा , बुआ उपर गयि है और बडी मम्मी नहा रही है बस हम दोनो ही है , प्लीज ना मौसी प्लीज
[रज्जो थोडा हिचकते हुए अपनी नाइटी उठाई और निशा के आगे घूम गयि
रज्जो की फैली हुई गोरी नंगी बड़ी सी गद्देदार चुतड़ देख कर निशा की आंखे फैल गयि , मोटे मोटे तरबूज जैसे बड़े बड़े चुतड और गहरी लम्बी दरारें ।
निशा उसके चुतड़ छूने लगी उसे अपने हथेलियों मे गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी - अह मौसी कितनी बड़ी है उफ्फ़ सो सॉफ़्ट यार हिहिही
रज्जो के जिस्म मे सनसनी सी फैल गयि जब निशा ने उसके चुतड सहलाए - हो गया देख ली ना , अब हट
निशा उसके तरबूज जैसे चुतड़ के फाके अलग करती हुई गाड़ की सुराख देखती हुई - अभी असली खजाना देखना बाकी है मौसी , ओहो बड़ा अन्दर है ये तो हिहिही
जैसे जैसे निशा उसके चुतड फैला रही थी रज्जो अपने गाड़ सख्त कर रही थी - उम्म्ंम छोड ना अब , देख ली ना
निशा रज्जो की खुली हुई गाड़ की भूरी सुराख देख कर उसके मुह मे मिस्री घुलने लगी मानो और उसने जीभ निकालकर उसकी गीली टिप को गाड़ के सुराख पर टच किया ।
रज्जो पूरी तरह से गिनगिना गयि ,उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निशा ऐसा कुछ कर जायेगी
रज्जो कसमसाइ और हाथ पीछे कर निशा का सर हटाने लगी तो निशा ने जोर देकर अपना मुह उसकी गाड़ मे दिया ।
रज्जो सामने डायनिंग टेबल के सहारे झुक गयि और सिस्कने लगी , उसकी बुर बजबजाने लगी , निशा की नरम लपल्पाती जीभ उसके गाड़ को ऐसे चाट रही थी मानो कोई रबड़ी लगी हो ।
रज्जो को डर था कि कही कोई आ ना जाये और वो घूमकर उसको हटाना चाहती थी मगर निशा ने उसकी मोटी जांघ उठा कर सीधा उसकी रसाती बुर पर टूट पड़ी , पतले पतले होठों से उसके मोटे फाको वाली भोसडी मे मुह दे दिया था
उसने बजबजाई मलाई और बुर की गंध ने निशा को और भी उत्तेजना दिये जा रही थी ।
रज्जो से अब खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था , वो भी अब नशे मे आ चुकी थी ,
रज्जो - अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम मैह्ह ओह्ह्ह बेटा मै गिर जाउंगी ऐसे अह्ह्ह आराम से ओह्ह
निशा ने अपना सर हटाया और पैर सीधा कर खड़ी हुई
निशा ने रज्जो की ओर देख कर अपने होठो के पास लगे हुए मलाई को उंगलियों मे लेके होठ से चुबलाने लगी
रज्जो ने उस पल निशा की आंखो मे एक आग सी देखी , सेक्स के लिए निशा की दिवानगी देखी उसकी भूरी आंखे बहुत ही आकर्षक थे और रज्जो जो आज तक खुद को हर मामले मे किसी से कम नही समझती थी उसने निशा के भीतर खुद की झलक देखी ।
निशा रज्जो को निश्ब्द देख कर उसका हाथ पक्ड पर उसे टेबल की ओर घुमाया और लिटा दिया ।
रज्जो के भीतर अभी भी डर लेकिन निशा निडर थी , उसने वापस ने रज्जो की नाईटी उठाई और एक बार फिर उसकी गाड़ मे अपना मुह दे दिया
रज्जो - आह्ह निशाअह्ह तु सच मे उह्ह्ह माह्ह उफ्फ़
निशा उसके गाड़ के छेद पर अपनी जीभ फिराती हुई उसके रस छोड़ती बुर के फाके सहला रही थी
रज्जो उसका सर पक्ड कर अपनी चुतड़ मे रगडे हुए थी ।
अचानक से निशा की नजर टेबल पर रखी हुई सब्ज़ियों की डलिया पर गयि और उसे हरे हरे मोटे हाथ भर के खीरे को देख कर निशा के होठ खिल गये ।
निशा उठी और उसने वो खिरा ले लिया
रज्जो - ये किस लिये
निशा मुस्कुराई और उसे धूलने लगी , फिर उस गीले खीरे को चाटने लगी ।
रज्जो - आह्ह क्या कर रही है कोई आ जायेगा
निशा उसकी गाड़ पकड़ कर खिन्चती हुई अपने करीब कर - श्श्श्स चुप रहो
निशा ने एक बार फिर से जीभ से उसकी गाड़ को चाटा और फिर खीरे का मोटा सिरा उसके मोटे सुराख पर लगा दिया ।
रज्जो कसमसाइ मगर निशा हिचकी नही उसने एक हाथ रज्जो के गाड़ को थामा और दुसरे हाथ से खीरे को पेंचकस के जैसे घुमाते हुए आधे से ज्यादा खिरा भीतर गाड़ मे घुसा दिया
रज्जो अपनी गाड़ की मांसपेसियों मे ट्विस्ट मह्सूस कर मचल उठी - आह्ह कामिनी बहिनचोद अपनी अम्मा का भोसडा समझ रखा है क्या
निशा हसी और उसके फैले हुए गाड़ के छेद पर थुकती हुई हौले हौले खीरे को अन्दर बाहर करने लगी - क्यू मौसी ऐसे ही लेते है ना मौसा उम्म्ं
रज्जो - अह्ह्ह बहिनचोद फाड़ दिया रे ऊहह साली रन्डी मोटा वाला डाल दिया ऊहह माह्ह्ह
निशा उसकी बुर को सहलती हुई - क्यू मौसी मजा नही आ रहा है
रज्जो ने निशा की शरारत भरी आंखे देखी और उसका गुस्सा अब मुस्कुराहत मे बदलने लगा थ - दर्द हो रहा है, ताला खोल रही थी क्या घुमा कर
निशा हस कर - चेक कर रही थी मौसा जी ने सील सही से तोड़ा था ना
निशा के अगले ही पल खिरे को और गहराई मे ले गयि जिस्से रज्जो की आंखे उलटने लगी
रज्जो - आह्ह ऊहह अब रोक मत फाड़ दे ह्ह चोद ना ऊहह माह्ह्ह बहुत मोटा है
निशा - मोटी तो तुम्हारी गाड़ है मौसी ऊहह कितनी कसी हुई है और ये बुर उम्मममं
निशा ने खीरे को उसके चुतड मे गाड़े हुए उसकी बुर पर अपनी थूथ दरने लगी
रज्जो पागल हो गयि और झडने लगी
निशा बिना रुके जूस वाले मसिन के तरह खीरे को गाड़ मे दबा रही थी और निचे से रज्जो की बुर जूस निकाल रही थी ।
तभी रागिनी के कमरे का दरवाजा खुला
हड़बड़ा मची
रज्जो झटपट निचे उतरी और मैकसी निचे कर दिया ।
खीरा उसकी गाड़ मे फसा हुआ था ।
दोनो काम करने का बहाना करने लगे ।
रागिनी - क्या क्या तैयार हो गया है
निशा - सब हो गया है बड़ी मा , बस रोटी बनानी है ।
रागिनी - अच्छा ठिक है और जीजी तुम आओ बात करनी है कुछ
रज्जो - क्या हुआ छोटी
रागिनी - अरे परसो जाना है ना सोनल के ससुराल तो उसकी लिस्ट तैयार करनी है आओ बैठो ना
बैठने का नाम सुनकर रज्जो ने निशा की ओर देखा जो होठ दबा कर हस रही थी , रज्जो ने मन ही मन गाली दी और बड़ी सावधानी से सोफे पर बैठी मगर खीरे 2 इंच और भीतर सरक गया जिससे रज्जो उछल पड़ी ।
रागिनी - क्या हुआ जीजी कुछ चुबा क्या
रज्जो निशा को किचन मे मुस्कुराता देखा दर्द उठते अपने कुल्हे को सहला कर - आह्ह हा शायद , तु बोल ना
फिर रागिनी रज्जो को परसो के लिए क्या क्या तैयारी करनी है इसपे बात करने लगी ।
वही उपर के हाल मे सोफे पर शिला मोबाइल पर ही बिजी होकर अपने ऑनलाईन आशिक़ auntylover69 से प्राइवेट चैट्स कर रही थी । उसे ध्यान ही नही रहा कि वो किस लिये ऊपर आई थी
जैसे ही बाते खतम हुई और उसने देखा कि वो कहा तो अपना माथा पीट लिया ।
शिला - हे भगवान , भाभी ने मुझे किस लिये भेजा और मै हिहिही
शिला बडबडाती हुई अनुज के कमरे का दरवाजा खटखटाया मगर वो कोई आवाज नही दिया , फिर उसने दरवाजा धकेला तो खुल गया ।
मगर सामने का नजारा देख कर वो ठिठक कर रह गयि , उसकी सासे अटक गयि और फिर एक हसी सी उसके चेहरे पर आ गयि ।
सामने अनुज पुरा नंगा होकर सोया हुआ था और उसका लन्ड भी खुला पड़ा था जो सासें ले रहा था ।
शिला - उफ्फ़ ये इस उम्र के लड़के सब के सब एक जैसे , इसमे और अरुण मे कोई अन्तर नही । बदमाश कही का देखो कैसे सोया है और दरवाजा भी नही लगाया था हिहिही
शिला उसके करीब गयि और उसने अनुज के मासूम चेहरे को देखा और फिर उसकी नजर बीते भर के सोये हुए लन्ड पर गयि और घूंघट से झाक रही उसके लाल सुपाडे की झलक देख कर शिला का जिस्म सिहर उठा ।
तभी उसकी नजर लन्ड की चमड़ी पर लगे हुए सफेद पानी के दाग पर गयि जो सूखी हुई थी हल्की पपड़ीदार ।शिला पास गयि आगे झुक कर उसने अपने नाक ने सुँघा तो समझ गयि कि क्या है ।
शिला ने हैरत से अनुज को देखा और थुक गटक कर वापस से झुक कर उसके सुपाडे के करीब अपने नथुनो को ले गयि, सुबह सुबह नवजवाँ लन्ड की मादक गन्ध ने शिला के निप्प्ल कड़े कर दिये ।
उसने अनुज को हल्के से हिलाया और हल्की आवाज दी मगर उसने कोई जवाब नही दिया ।
तभी उसकी नजर खुले दरवाजे पर गयि उसने लपक कर दरवाजा बन्द किया और वापस आ गयि ।
उसकी सांसे तेज हो गयि थी उसने धीरे से हाथ आगे कर अपनी उंगलियों से अनुज का लन्ड छुआ और उसकी नजरे बराबर अनुज के चेहरे पर जमी थी ।
गर्म नरम और कसा हुआ हल्की उभरी हुई नसो को अपनी उंगलियों के पोर से मह्सूस करती थी उसने उसके लटके हुए आड़ो को हाथ मे लिया , हल्का सा ही वजन था ऊनमे और चमडी बहुत लचीली थी ,
उसने हथेली मे अनुज का गर्म तपता लन्ड भर लिया और अनुज के जिस्म मे हल्की सी हरकत हुई ।
शिला ने फौरन छोड़ दिया और उसे हिला कर जागाने लगी ।
अनुज ने आंखे मिज कर अंगड़ाई ली और साथ ही उसके लन्ड ने ही देखते ही देखते वो टावर के जैसे उपर सर उठाए, पुरा बाहर लाल एकदम ।
अनुज को ना अपने देह का ध्यान ना परवाह , कमरे की रोशनी मे पलके झपका कर उसने घड़ी की ओर देखा तो साढ़े 9 बजने जा रहे थे ।
शिला - घड़ी क्या देख रहा है , साढ़े 9 बज रहे है । कितना सोता है तु
अनुज - आह्ह बुआ वो मै
तभी उसकी नजर अपने नंगे जिस्म पर गयि और उसने लपककर चादर खिंच ली ।
शिला खिलखिला कर - अब क्या छिपा रहा है , सब देख चुकी मै
अनुज - बुआ यार बक्क कितनी गंदी हो आप , ऐसे कैसे आ गये मेरे कमरे मे
शिला - शुक्र कर मै आ गयि , नही तो तेरी मा आ रही जगाने फिर ये तेरे गोरे चुतड लाल करती पहले फिर जगाती तुझे ।
अनुज उखड़ कर - क्यू मारती मुझे भला , रात मे गर्मी लग रही थी तो सो गया ऐसे ही कौन सा मेरे कमरे मे कुलर है हुह
शिला - हा हा देखा मैने आजकल कैसे गर्मी निकाल रहा है तु
अनुज सकपकाया - मतलब
शिला उसकी चादर खिंचती हुई - मतलब इधर आ बताती हु
अनुज खुद को बचाता हुआ - बुआ आप ये क्या कर रहे हो , प्लीज ना प्लीज
शिला ने जोर लगा कर उसे वाप्स नन्गा कर दिया और उसके खड़े हुए लन्ड की ओर दिखा कर - खुद देख , सब गन्दा पानी लगा हुआ है वहा
अनुज झेप जाता है और अपना लन्ड छिपाने लगता है ।
अनुज उखड़ कर - वो मै थोड़ी ना करता हु बुआ , रात मे हो जाता है तो मै क्या करू
शिला चौक कर - तो क्या तुझे स्वपनदोष होता है
अनुज अजीब सा मुह बना कर - अब ये क्या होता है ?
शिला - अरे वो तुम लोग क्या कहते हो नाइटफाल, वो होता है क्या
अनुज ने सोचा ये तो उसे एक बना बनाया बहाना मिल ही गया है तो इसी पर आगे बढ़ कर छुटकारा ले लेते है - ह्म्म्ं लेकिन प्लिज मम्मी से मत कहना आप प्लीज
शिला थोडा चिंतित होकर - लेकिन तुझे ये कबसे हो रहा है ,
अनुज - यही कोई 3 महीने हुए होंगे
शिला - कोई लड़की पसन्द है क्या , सपना देखता है उसका , सोचता है उसके बारे मे
अनुज - मै समझा नही ?
शिला उसके पास आकर - अरे बेटा ऐसे समझ , मान ले तुने किसी सुन्दर सी लड़की पसंद कर ली और तुझे उसके देह से लगाव हो गया ।
शिला की बात सुनते ही अनुज का लन्ड फनफनाने लगा - बुआ मुझे अब भी समझ नही आ रहा है, मै क्यू किसी अंजान लड़की को पसन्द करुँगा ।
शिला ने एक नजर उसके लन्ड की ओर देख कर - अच्छा तु सोच मै हु वो लड़की, ठिक है मुझे तो जानता है ना
अनुज हसता हुआ - आप कहा से लड़की हो हिहिही
शिला - अरे औरत तो हूँ ना , मान ले तुने मुझे और मै तुझे पसंद आ गयि
अनुज ने हा सर हिलाया शिला -अब बता तुझे मुझसे क्या अच्छा लगता है ।
अनुज - आप तो बहुत प्यारे हो बुआ
शिला - अरे बुआ-ऊआ नही , मै एक खुबसूरत जवाँ लडकी हु अब बता तुझे मुझमे क्या सुन्दर दिखता है ।
अनुज - आपकी वो
शिला - क्या ?
अनुज शर्माने लगता है ।
शिला - अरे बोल ना शर्मा मत
अनुज - आपकी गाड़
शिला हस कर -धत्त बदमाश कही का , अच्छा अब मान तुझे मेरा पिछवाडा भा गया और मान ले तुने कही से मुझे नंगी देख लिया और वो तस्विरे तेरे दिमाग बैठ गयि और तुझे बार बार मेरा ही ख्याल आ रहा है और जब यही ख्याल सपने मे आयेन्गे तो तेरा वो निकल जाता है ।
अनुज - अच्छा ऐसा कुछ होता है क्या ?
शिला - हा और भी बहुत सारे रिजन है,लेकिन ये मुख्य होता है । अब बता तुने हाल ही मे किसी को ऐसे देखा या पसन्द किया हो जिसके सपने आते हो ।
अनुज - पता नही बुआ , मै तो सबके सपने देखता हु , आप मम्मी भैया पापा दीदी मेरे दोस्त सबके
शिला - अरे मेरा मतलब वो वाले सपने , गन्दे वाले
अनुज - वो जिसमे रिश्तेदार भूत बन कर आते है कभी कभी , एक बार मैने दीदी को देखा था चुड़ैल बनके नाच रही थी हिहिही
शिला ने अपना माथा पीट लिया और अनुज हस दिया ।
शिला - अरे मेरे लाल गंदे सपने जिसमे कोई औरत बिना कपडे के आयेगी और तेरे साथ मजे करेगी वैसा
अनुज - अच्छा ऐसा होता है क्या ? तो क्या अगर मै आपके बारे मे सोचूं तो आप भी मेरे सपने मे बिना कपड़ो के आओगे
शिला हस दी और लजा कर - चुप कर बदमाश कही का । फाल्तू का मै तेरे च्क्कर मे उलझ गयि , एक नम्बर का ड्रामेबाज है
अनुज - अरे बताओ ना बुआ
शिला - मुझे क्या पता , लेकिन तु क्यू मेरे बारे सोचेगा
अनुज - अभी आपने ही तो कहा सोचने को
शिला - वो तो मै तुझे ...उफ्फ़ ये लड़का भी ना ।
शिला ने एक गहरि सास ली और बोली - अच्छा सुन और समझने की कोसिस कर
अनुज ने हा मे सर हिलाया
शिला - जब हम नींद मे होते है तो हमारा दिमाग हमे ऐसे भ्रमित करता है कि हमे असली नकली का फर्क नही समझ आ आता । सपने मे जो हम देखते है वो ह्मारे दिमाग की कल्पना होती है और जब सपने हम ऐसे कोई गंदी चीजे देखते है तो शरिर को लगाया है वो असल मे हो रहा है और उसी समय तेरा वो पानी निकाल देता है । समझा इसीलिए पुछ रही थी कि कोई पसंद है क्या बुद्धु कही का हिहिहिही
अनुज - ओह्ह ऐसे , अच्छा मान लो आपने किसी का सपना देखा तो क्या आपका भी पानी निकल जाता होगा
शिला अनुज के सवाल के चौकी और झेप कर अपनी हसी होठो मे दबाने लगि
अनुज - अरे बोलो ना , आप हस क्यू रहे हो
शिला - पहले तु ये कपडे पहन हम बाद मे इस पर बातें करेंगे ठिक
अनुज बिस्तर से अपनी बनियान लोवर लेकर खड़ा हुआ और लोवर पहनने के बाद भी उसमे बडा सा तम्बू बना हुआ था
शिला की नजरे उसपे पड़ती है और वो मुस्कुराने लगती है ।
अनुज - आप मुस्कुरा क्यू रहे हो ,
शिला हसती हुई - अरे ये ऐसे ही टेन्ट बना कर बाहर जायेगा , किसी ने देख लिया तो
अनुज - हा तो ये सब नेचुरल होता है ना
शिला उसका कान मरोड कर - नेचुरल के बच्चे छोटा कर इसे फिर बाहर जा ,
अनुज - अरे ये अपने आप छोटा बडा होता है , मै नही करता इसे
शिला - अरे इसको हाथ मे पक्ड कर दबा कर रख छोटा हो जायेगा , ऐसे
शिला ने लपक कर हाथ बढा कर सीधा लोवर के उपर से उसका लन्ड पक्ड लिया और हाथ मे जोर से भींचने लगी ।
अनुज सिस्का - आह्ह बुआआ ऊहह दर्द हो रहा है छोड़ो
शिला ने देखा अनुज का लन्ड और भी कडक और टाइट हो गया - ये तो और बड़ा लग रहा है
अनुज मुह बनाता हुआ - तो , आपने ही किया इसे ऐसा ?
शिला चौक कर - क्या मैने ?
अनुज अपने हाथ बान्ध कर मुह फेर कर तूनकते हुए - हा आप ही छोटा करो इसे अब हुह
शिला हसती हुई - ऐसा कर उपर बाथरूम मे भाग कर जा और सुसु कर ले सही हो जायेगा
अनुज - फिर हस रहे हो आप
शिला - अभी जा नही तो मार पड़ेगी , जा अब बदमाश कही , छोटा कर दो हिहिही
शिला हस कर कमरे से बाहर निकलती हुई - जल्दी जा यहा कोई नही है अभी ।
अनुज शिला के जाने के बाद मुस्कुराने लगा कि मस्त लपेटा उसने बुआ को और हसता हुआ नहाने चला गया ।
जारी रहेगी
बहुत ही मस्त और शानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 206
राहुल के घर
सुबह के सारे काम निपटा कर शालिनी नहा रही थी , वही कमरे मे अरुण अपने बैग से कपडे निकाल रहा था कि राहुल से पहले वो बाथरूम मे जाये इस आश मे कि नहा कर तरो ताजा हुई मामी का कुछ सेक्सी सा देखने को मिल जायेइससे पहले अरुण अपनी तैयारी करता राहुल अपना कपडा निकाल कर बिना तौलिया लिये ही भाग कर बाथरूम मे चला गयाअरुण अपने कपडे लेकर मुह लटकाया हाल मे सोफे पर बैठ गया और मोबाइल चलाने लगा ।
तभी उसके कानो मे कहकहाने और हसी ठिठौली की आवाजें सुनाई दी ।
वो बार बार गलियारे मे झाक तो रहा था मगर उसकी हिम्मत नही हो रही थी कि एक बार बाथरूम की ओर किसी बहाने से चला जायेइधर बाथरूम मे" हेईई बदमाश कही का, क्या कर र्हा है हिहिहिही रुक बताती हु " शालिनी अपने जिस्म पर पड़ रही पानी के पाइप की बौछार रोकने की कोसिस करती है ।
मगर राहुल खिलखिलाता हुआ पानी की बौछार से अपनी मा के जिस्म को भिगो रहा था ।
शालिनी के जिस्म पर लिपटी हुई साड़ी पानी से तर बतर हो गयी थी, उसके गोरे मोटे चुचे साडी के बाहर साफ साफ झलक रहे थे
अपने निप्प्ल पर पड़ रही पानी की चोट से बचने के लिए शालिनी घूम जाती है तो राहुल पानी की धार उसके कुल्हे चुतड और जांघो पर देने लगता है और खिलखिलाता है ।
शालिनी - अब बस बेटा देख पूरी भीग गयी है
राहुल उसके करीब आके - सच मम्मी ऐसे आप बहुत सेक्सी लग रहे हो , चलो ना करते है प्लीजशालिनी हड़बडाइ- क्या ! पागल है तु । अरुण बाहर होगा
और शालिनी बिना एक पल गवाये तेजी से बाथरूम से निकल कर कमरे की ओर जाती है ।
गीली चप्पल की चप्प चप्प भरी आहट से हाल मे बैठे अरुण का ध्यान वापस गलियारे की ओर जाता है और वो घूम कर देखता है तो उसका लन्ड फड़फडा उठता है ।
सामने उसकी मामी भीगी हुई साडी मे तेजी से कमरे की ओर जा रही थी और उस भीगी हुई साडी मे भी उनकी गुलाबी पैंटी साफ साफ झलक रही थी । जिसे देख कर अरुण खुद को रोक नही सका और दबे पाव बड़ी सावधानी से बाथरूम पार कर शालिनि के कमरे की ओर बढ गया ।
धीरे से उसने कमरे मे झाका तो उसकी सासे उफनाने लगी ।
थुक गटक कर भीतर का नजारा देखते हुए वो अपना मुसल मसलता है - अह्ह्ह मामीईई कीतनी सेक्सी हो आप उम्म्ंम , क्या गाड़ है यार ऊहह
सामने शालिनी फर्श पर अपनी साडी उतार चुकी थी और उसके जिस्म पर अब पैंटी ही बची थी ।
पूरा जिस्म पोछ कर वो एक तौलिया लपेट कर आलमारी की ओर बढ गयि और वही बाथरूम से राहुल की आवाज आई ।अरुण लपक कर बाथरूम की ओर गया - क्या हुआ
राहुल नहा चुका था - अबे भाई तौलिया रह गया , जरा देना तोअरुण - हा हा लाता हु रुको
अरुण कमरे मे देखता है तो उसे कही कोई तौलिया नजर नही आता है तो वाप्स राहुल को बतता हैराहुल - अरे यार मम्मी से पुछना तो ,शालिनी के पास जाने का सोचते ही अरुण का लन्ड एक बार फिर से फड़क उठा - ह हा जा रहा हु भाई ।
अरुण लपक कर अपनी मामी के कमरे की ओर गया और कमरे मे झाका तो देखा कि शालिनी बिस्तर के बगल मे आईने के सामने खडी होकर बाल सवार रही है अभी भी वो तौलिये मे ही थी ।अरुण के लिए ये मौका सही था और उसके पास जायज मौका भी था वो कमरे मे दाखिल हुआ - मामी वो मै ..शालिनी अचानक से कमरे मे अरुण की आवाज सुनकर चौकी और पलट कर उसको देखा कि अरुण बेधड़क उसकी ओर आ रहा है , वही अरुण ने जरा भी ध्यान नही दिया कि फर्श पर गीली साड़ी भी फैली हुई
अनजाने मे उसका पैर साडी पर पड़ा और वो पीछे की ओर फीसलने को हुआ
शालिनी ने फुर्ती दिखाई और हाथ बढ़ा कर उसका टीशर्ट पक्ड कर उसे अपनी ओर खिंचा
दोनो का सन्तुलन बिगड़ा और पहले शालिनी बिस्तर पर गिरी और उसके उपर अरुण
हच्च से अरुण का सीना अपनी मामी के नरम नरम छातियों से जा लगा ।शालिनी - अह्ह्ह
अरुण शालिनी के उपर था और वो बस खो सा ही गया इतने करीब से अपनी खुबसूरत मामी का चेहरा देख कर , उसपे से उसके मुलायम तरोताजा बदन पर पड़े रहने से वो और भी मस्त हो गया ।शालिनी - अरे उठो , अरुण बेटा उठो ना अब
अरुण हड़बड़ा कर - सॉरी मामी , मेरा मतलब थैंकयू आपने मुझे बचाया नही तो मेरा सर ही फट जाता अभीशालिनी खडी होती हुई - क्या तुम भी , शुभ शुभ बोलो और तुम यहा मेरे कमरे मे क्या करने आये थे ।अरुण - वो मै आपसे आपका तौलिया लेने आया था
शालिनी चौकी और अपने छातियों पर कसे हुए तौलियों के बीच से दिख रही घाटियो को हाथ से छिपाती हुई - क्क क्या , क्या बोल रहे हो तुमअरुण - अरे मामी वो राहुल कबसे तौलिया माग रहा है , इसीलिए आयाशालिनी - ओह्ह ऐसे , अच्छा रुको देती हु , जरा तुम उधर ...अरुण पीछे घूम गया मगर उसकी तीरछी नजर आईने पर जमी हुई थी जिसमे से शालिनी की झलक आ रही थी ।जब वो तौलिये के उपर से ब्रा पहनने की कोसिस कर रही थी और फिर उसने तौलिया निकाल दिया ।
मामी को ब्रा पैंटी मे देख कर अरुण का लन्ड और भी कसने लगा ।शालिनी - हम्म्म ये लो
अरुण फुर्ती से घूमा और शालिनी को देखता कि वो वैसे ही ब्रा पैंटी मे बिना किसी झिझक कर उसके आगे खड़ी थी और वो उसके दुधिया संगमरमरी बदन को निहार रहा था , उसका लन्ड तम्बू बनाये हुआ था ।
शालिनी उसकी नजर भाप कर थोड़ा असहज हुई - क्या हुआ , अब जाओ जल्दी और आराम से गिरना मतअरुण भौचक्का हालात मे कमरे से बाहर आ गया और वही शालिनी खुद पर इतराते हुए आईने मे देख कर बड़बड़ाई- ये आजकल के जवाँ बच्चो को हो क्या गया है हिहिही वैसे शालिनी देवी तुम भी कम सेक्सी थोड़ी ना हो तुम्हारा ये अवतार देख कर तो बूढ़े भी बेहाल हो जाये अरुण बेचारा तो अभी बच्चा है हिहिहीखुद ही मुह मियाँ मिठ्ठू होकर शालिनी अपने कपडे पहन कर तैयार होने लगी और वही राहुल के जाने के बाद अरुण शालिनी के नाम की मूठ लगा कर नहाकर कमरे मे चला गया ।
राज के घर
रात की दोहरी चुदाई की थकान ने सभी लोग को देर उठाया मगर अनुज की सुबह अभी भी लेट थी ।हाल मे सब सुबह के नास्ते के लिए बैठे थे । जल्द ही रन्गी और राज नासता खतम कर अपने अपने दुकान के लिए निकल लिये ।
इधर रज्जो की बीती रात वाली खलबली फिर से बढ़ने लगी जब उसने किचन मे निशा को देखा ।
अब वो निशा को अकेले मे बात करने का सोचने लगी , इधर रागिनी नहाने के लिए निकलते हुए रज्जो से बोलते हुए गयि कि अनुज को उठा कर नास्ता करने को कह दे ।रज्जो के लिए यही सही मौका था निशा से अकेले मे बात करने का और उसने शिला जो कि मोबाईल मे कुछ कर रही थी उसको जाकर बोली - अह दीदी जरा तुम अनुज को जगा दोगी , नासता लेट हो जायेगा ।
शिला मोबाईल चलाते हुए उठी- अह हा क्यू नही
फिर शिला मोबाइल चलाते हुए ही सीढियों से उपर जाने लगी ।मौका पाते ही रज्जो लपक कर किचन मे गयि , वही निशा को रज्जो की पूरी गतिविधि पर नजर थी और उसे ये भी भान था कि रज्जो उस्से कल रात की बात जानने के लिए कितनी आतुर हुई जा रही होगी ।निशा मुस्कुरा कर सब्जी काटती हुई - क्या हुआ मौसी परेशान लग रहे हो ।रज्जो उसके पास जाकर धीमी आवाज मे - मौसी की बच्ची , कल क्या बोल कर गयि तु ।
निशा हस कर - किस बारे मे ?
रज्जो - अच्छा तो तुझे नही पता किस बारें मे ।
निशा - नही ?
रज्जो खीझ कर - अरे वो मैने पूछा था तो तूने बताया था वो
निशा - क्या मौसी , साफ साफ बोलो ना
रज्जो भीतर की भुन्नाहट को घोंटती हुई - अरे मैने पूछा था तुने किसका लिया है तो तुने बोला मौसा जी का , वोनिशा हस कर - हा सही तो कहा था मैने हिहिहीरज्जो चौकी - मतलब रमन के पापा का ? सच मे ?
निशा ने हा मे सर हिलाते हुए- और एक बात बताऊ मौसी इधर आओरज्जो उसके करीब गयी ।
निशा उसके कान- सच कहू तो उनका इतना मोटा था मै डर गयि थी , कही मेरी फाड़ ना डालें लेकिन उफ्फ्फ वो रग्डाई सीईई सच मे मौसी कितनी किसमत वाली हो आपरज्जो को यकीन हो गया कि निशा की बातों मे सच्चाई तो है मगर उसके लिए हैरानी की बात थी कि आखिर एक 20 साल की लड़की कैसे 48 साल के आदमी से , ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था ।रज्जो - लेकिन तु और रमन के पापा , कब कैसे ?निशा - अरे वो तो मेरे पीछे ही पड़ गये थे , कोई जवाँ लड़का क्या पड़ेगा मौसी , हमेशा उनकी आंखे मेरी चोली मे जोबनो को ताड़तो रहती । पजामे मे उनका खुन्टा ये बांस जैसा तम्बू बनाये हुए
रज्जो आन्खे फाडे उसे सुने जा रही थी ।
निशा - फिर वो हल्दी वाली रात जब बगल वाले कमरे मे मै बिस्तर लगाने गयि तब मौसा जी मेरे साथ , हमने बहुत मेहनत की और बाहर आते समय मेरी चुन्नी वही रह गयि । मौसा जी खुद उसे लेने कमरे मे गये लेकिन जब कुछ देर तक नही लौटे तो मै भी कमरे मे गयि तो पता है क्या देखारज्जो हैरत से - क्या ?
निशा ने अब फेकना शुरु किया - मौसा जी मेरी चुन्नी सूंघ रहे थे उसे अपने मुसल पर रगड़ रहे थे , मैने देखा मौसी उसको ... ये बेलन भर मोटा और लम्बा इस्स्स । वो मेरी चुन्नी अपने मोटे काले हथियार पर लपेट पर मुठ्ठि मार रहे थे ।रज्जो उस पल के बारे मे कल्पना कर कामरस मे रसने लगी थी - फिर
निशा - मै देखी उनकी दिवानगी मेरे लिये , क्या कोई आशिक़ मुझसे प्यार करता ,मुझपे मरता , उफ्फ़ मौसी सच कहू उस पल से ना जाने मुझपे क्या मदहोशि छाने लगी और मै उनके लिए पागल होने लगी और फिररज्जो तेज धडकते सीने के साथ - फिर क्या , बोल ना
निशा - मै उनके आगे आ गयि , वो शर्मिन्दा थे मेरे अचानक आ जाने से , उनके रस से लिभ्डाया मेरा दुपट्टा अभी भी उनके हाथ मे था ।
मै झट से दरवाजा बन्द किया और बोली - ये क्या कर रहे थे कोई देख लेता तो । उन्हे यकीन ही नही हुआ कि मै ऐसा कुछ बोल सकती हु । वो बोले सॉरी मै बोली कोई बात नही ,वो मेरा चेहरा निहार रहे थे और मै उनका वो , वो मेरे सीने की घाटी देख रहे थे और मै उनका लाल टमाटर जैसा मोटा सुपाडा देख कर ललचा रही थी । डर भी था और एक तलब भी फिर उन्होने ने ही मेरा हाथ वहा रखा हिहीही मै गिनगिनाई और उसको कस के हाथ मे भर लिया एकदम कडक और गर्म ।रज्जो थुक गटक कर - फिर
निशा - फिर उन्होने मुझसे चुसवाया और फिर हिहिहिहीरज्जो - क्या सच मे उसी दिन ही पहली बार मे ही
निशा - मै कहा कोई मौका छोड़ने वाली थी और इतना तंदुरुस्त हथियार इस्स्सरज्जो कुछ देर चुप रही तो निशा मुस्कुरा कर बोली - एक बात पूछू मौसी सच सच ब्ताओगीरज्जो - क्या बोल ना
निशा - क्या मौसा जी ने कभी आपको पीछे से किया है ?
रज्जो खिलखिलाई - कभी ! हिहिही ये पूछ कब नही अरे एक बार तो इतने जोश मे थे कि दो दिन तक मुझे बहू से मालिश करवानी पड़ी थी सूज गयि थी पीछेनिशा - क्या सच मे ? और रिना भाभी को क्या बोली फिर आप ?रज्जो हस कर - अरे बोलना क्या था , वो समझ गयि और वैसे तु सही कह रही थी ये तेरे मौसा है ही एक नम्बर के ठरकी हिहिहीनिशा - मौसी एक बात कहूं मानोगे
रज्जो - क्या बोल ना
निशा - जरा अपनी गाड़ दिखाओ ना , देखू चुदने के बाद कैसा दिखता है ।रज्जो लजाई - क्या तु भी धत्त
निशा - प्लीज प्लीज ना मौसी
रज्जो को निशा का साथ पसंद आ रहा था और वो निशा के साथ कुछ सपने सजो चुकी थी ।रज्जो बाहर झाकते हुए - अरे यहा कैसे कोई आ जायेगा
निशा - अरे कोई नही आयेगा , बुआ उपर गयि है और बडी मम्मी नहा रही है बस हम दोनो ही है , प्लीज ना मौसी प्लीज
[रज्जो थोडा हिचकते हुए अपनी नाइटी उठाई और निशा के आगे घूम गयि
रज्जो की फैली हुई गोरी नंगी बड़ी सी गद्देदार चुतड़ देख कर निशा की आंखे फैल गयि , मोटे मोटे तरबूज जैसे बड़े बड़े चुतड और गहरी लम्बी दरारें ।
निशा उसके चुतड़ छूने लगी उसे अपने हथेलियों मे गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी - अह मौसी कितनी बड़ी है उफ्फ़ सो सॉफ़्ट यार हिहिहीरज्जो के जिस्म मे सनसनी सी फैल गयि जब निशा ने उसके चुतड सहलाए - हो गया देख ली ना , अब हटनिशा उसके तरबूज जैसे चुतड़ के फाके अलग करती हुई गाड़ की सुराख देखती हुई - अभी असली खजाना देखना बाकी है मौसी , ओहो बड़ा अन्दर है ये तो हिहिही
जैसे जैसे निशा उसके चुतड फैला रही थी रज्जो अपने गाड़ सख्त कर रही थी - उम्म्ंम छोड ना अब , देख ली नानिशा रज्जो की खुली हुई गाड़ की भूरी सुराख देख कर उसके मुह मे मिस्री घुलने लगी मानो और उसने जीभ निकालकर उसकी गीली टिप को गाड़ के सुराख पर टच किया ।
रज्जो पूरी तरह से गिनगिना गयि ,उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निशा ऐसा कुछ कर जायेगी
रज्जो कसमसाइ और हाथ पीछे कर निशा का सर हटाने लगी तो निशा ने जोर देकर अपना मुह उसकी गाड़ मे दिया ।
रज्जो सामने डायनिंग टेबल के सहारे झुक गयि और सिस्कने लगी , उसकी बुर बजबजाने लगी , निशा की नरम लपल्पाती जीभ उसके गाड़ को ऐसे चाट रही थी मानो कोई रबड़ी लगी हो ।
रज्जो को डर था कि कही कोई आ ना जाये और वो घूमकर उसको हटाना चाहती थी मगर निशा ने उसकी मोटी जांघ उठा कर सीधा उसकी रसाती बुर पर टूट पड़ी , पतले पतले होठों से उसके मोटे फाको वाली भोसडी मे मुह दे दिया था
उसने बजबजाई मलाई और बुर की गंध ने निशा को और भी उत्तेजना दिये जा रही थी ।
रज्जो से अब खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था , वो भी अब नशे मे आ चुकी थी ,
रज्जो - अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम मैह्ह ओह्ह्ह बेटा मै गिर जाउंगी ऐसे अह्ह्ह आराम से ओह्हनिशा ने अपना सर हटाया और पैर सीधा कर खड़ी हुई
निशा ने रज्जो की ओर देख कर अपने होठो के पास लगे हुए मलाई को उंगलियों मे लेके होठ से चुबलाने लगी
रज्जो ने उस पल निशा की आंखो मे एक आग सी देखी , सेक्स के लिए निशा की दिवानगी देखी उसकी भूरी आंखे बहुत ही आकर्षक थे और रज्जो जो आज तक खुद को हर मामले मे किसी से कम नही समझती थी उसने निशा के भीतर खुद की झलक देखी ।
निशा रज्जो को निश्ब्द देख कर उसका हाथ पक्ड पर उसे टेबल की ओर घुमाया और लिटा दिया ।
रज्जो के भीतर अभी भी डर लेकिन निशा निडर थी , उसने वापस ने रज्जो की नाईटी उठाई और एक बार फिर उसकी गाड़ मे अपना मुह दे दिया
रज्जो - आह्ह निशाअह्ह तु सच मे उह्ह्ह माह्ह उफ्फ़
निशा उसके गाड़ के छेद पर अपनी जीभ फिराती हुई उसके रस छोड़ती बुर के फाके सहला रही थी
रज्जो उसका सर पक्ड कर अपनी चुतड़ मे रगडे हुए थी ।अचानक से निशा की नजर टेबल पर रखी हुई सब्ज़ियों की डलिया पर गयि और उसे हरे हरे मोटे हाथ भर के खीरे को देख कर निशा के होठ खिल गये ।
निशा उठी और उसने वो खिरा ले लिया
रज्जो - ये किस लिये
निशा मुस्कुराई और उसे धूलने लगी , फिर उस गीले खीरे को चाटने लगी ।रज्जो - आह्ह क्या कर रही है कोई आ जायेगा
निशा उसकी गाड़ पकड़ कर खिन्चती हुई अपने करीब कर - श्श्श्स चुप रहो
निशा ने एक बार फिर से जीभ से उसकी गाड़ को चाटा और फिर खीरे का मोटा सिरा उसके मोटे सुराख पर लगा दिया ।
रज्जो कसमसाइ मगर निशा हिचकी नही उसने एक हाथ रज्जो के गाड़ को थामा और दुसरे हाथ से खीरे को पेंचकस के जैसे घुमाते हुए आधे से ज्यादा खिरा भीतर गाड़ मे घुसा दियारज्जो अपनी गाड़ की मांसपेसियों मे ट्विस्ट मह्सूस कर मचल उठी - आह्ह कामिनी बहिनचोद अपनी अम्मा का भोसडा समझ रखा है क्या
निशा हसी और उसके फैले हुए गाड़ के छेद पर थुकती हुई हौले हौले खीरे को अन्दर बाहर करने लगी - क्यू मौसी ऐसे ही लेते है ना मौसा उम्म्ंरज्जो - अह्ह्ह बहिनचोद फाड़ दिया रे ऊहह साली रन्डी मोटा वाला डाल दिया ऊहह माह्ह्ह
निशा उसकी बुर को सहलती हुई - क्यू मौसी मजा नही आ रहा हैरज्जो ने निशा की शरारत भरी आंखे देखी और उसका गुस्सा अब मुस्कुराहत मे बदलने लगा थ - दर्द हो रहा है, ताला खोल रही थी क्या घुमा कर
निशा हस कर - चेक कर रही थी मौसा जी ने सील सही से तोड़ा था नानिशा के अगले ही पल खिरे को और गहराई मे ले गयि जिस्से रज्जो की आंखे उलटने लगीरज्जो - आह्ह ऊहह अब रोक मत फाड़ दे ह्ह चोद ना ऊहह माह्ह्ह बहुत मोटा है
निशा - मोटी तो तुम्हारी गाड़ है मौसी ऊहह कितनी कसी हुई है और ये बुर उम्मममंनिशा ने खीरे को उसके चुतड मे गाड़े हुए उसकी बुर पर अपनी थूथ दरने लगी
रज्जो पागल हो गयि और झडने लगी
निशा बिना रुके जूस वाले मसिन के तरह खीरे को गाड़ मे दबा रही थी और निचे से रज्जो की बुर जूस निकाल रही थी ।तभी रागिनी के कमरे का दरवाजा खुला
हड़बड़ा मची
रज्जो झटपट निचे उतरी और मैकसी निचे कर दिया ।
खीरा उसकी गाड़ मे फसा हुआ था ।
दोनो काम करने का बहाना करने लगे ।
रागिनी - क्या क्या तैयार हो गया हैनिशा - सब हो गया है बड़ी मा , बस रोटी बनानी है ।रागिनी - अच्छा ठिक है और जीजी तुम आओ बात करनी है कुछरज्जो - क्या हुआ छोटी
रागिनी - अरे परसो जाना है ना सोनल के ससुराल तो उसकी लिस्ट तैयार करनी है आओ बैठो नाबैठने का नाम सुनकर रज्जो ने निशा की ओर देखा जो होठ दबा कर हस रही थी , रज्जो ने मन ही मन गाली दी और बड़ी सावधानी से सोफे पर बैठी मगर खीरे 2 इंच और भीतर सरक गया जिससे रज्जो उछल पड़ी ।रागिनी - क्या हुआ जीजी कुछ चुबा क्या
रज्जो निशा को किचन मे मुस्कुराता देखा दर्द उठते अपने कुल्हे को सहला कर - आह्ह हा शायद , तु बोल नाफिर रागिनी रज्जो को परसो के लिए क्या क्या तैयारी करनी है इसपे बात करने लगी ।
वही उपर के हाल मे सोफे पर शिला मोबाइल पर ही बिजी होकर अपने ऑनलाईन आशिक़ auntylover69 से प्राइवेट चैट्स कर रही थी । उसे ध्यान ही नही रहा कि वो किस लिये ऊपर आई थी
जैसे ही बाते खतम हुई और उसने देखा कि वो कहा तो अपना माथा पीट लिया ।शिला - हे भगवान , भाभी ने मुझे किस लिये भेजा और मै हिहिही
शिला बडबडाती हुई अनुज के कमरे का दरवाजा खटखटाया मगर वो कोई आवाज नही दिया , फिर उसने दरवाजा धकेला तो खुल गया ।
मगर सामने का नजारा देख कर वो ठिठक कर रह गयि , उसकी सासे अटक गयि और फिर एक हसी सी उसके चेहरे पर आ गयि ।
सामने अनुज पुरा नंगा होकर सोया हुआ था और उसका लन्ड भी खुला पड़ा था जो सासें ले रहा था ।
शिला - उफ्फ़ ये इस उम्र के लड़के सब के सब एक जैसे , इसमे और अरुण मे कोई अन्तर नही । बदमाश कही का देखो कैसे सोया है और दरवाजा भी नही लगाया था हिहिहीशिला उसके करीब गयि और उसने अनुज के मासूम चेहरे को देखा और फिर उसकी नजर बीते भर के सोये हुए लन्ड पर गयि और घूंघट से झाक रही उसके लाल सुपाडे की झलक देख कर शिला का जिस्म सिहर उठा ।
तभी उसकी नजर लन्ड की चमड़ी पर लगे हुए सफेद पानी के दाग पर गयि जो सूखी हुई थी हल्की पपड़ीदार ।शिला पास गयि आगे झुक कर उसने अपने नाक ने सुँघा तो समझ गयि कि क्या है ।शिला ने हैरत से अनुज को देखा और थुक गटक कर वापस से झुक कर उसके सुपाडे के करीब अपने नथुनो को ले गयि, सुबह सुबह नवजवाँ लन्ड की मादक गन्ध ने शिला के निप्प्ल कड़े कर दिये ।
उसने अनुज को हल्के से हिलाया और हल्की आवाज दी मगर उसने कोई जवाब नही दिया ।
तभी उसकी नजर खुले दरवाजे पर गयि उसने लपक कर दरवाजा बन्द किया और वापस आ गयि ।
उसकी सांसे तेज हो गयि थी उसने धीरे से हाथ आगे कर अपनी उंगलियों से अनुज का लन्ड छुआ और उसकी नजरे बराबर अनुज के चेहरे पर जमी थी ।
गर्म नरम और कसा हुआ हल्की उभरी हुई नसो को अपनी उंगलियों के पोर से मह्सूस करती थी उसने उसके लटके हुए आड़ो को हाथ मे लिया , हल्का सा ही वजन था ऊनमे और चमडी बहुत लचीली थी ,
उसने हथेली मे अनुज का गर्म तपता लन्ड भर लिया और अनुज के जिस्म मे हल्की सी हरकत हुई ।
शिला ने फौरन छोड़ दिया और उसे हिला कर जागाने लगी ।अनुज ने आंखे मिज कर अंगड़ाई ली और साथ ही उसके लन्ड ने ही देखते ही देखते वो टावर के जैसे उपर सर उठाए, पुरा बाहर लाल एकदम ।अनुज को ना अपने देह का ध्यान ना परवाह , कमरे की रोशनी मे पलके झपका कर उसने घड़ी की ओर देखा तो साढ़े 9 बजने जा रहे थे ।शिला - घड़ी क्या देख रहा है , साढ़े 9 बज रहे है । कितना सोता है तु
अनुज - आह्ह बुआ वो मै
तभी उसकी नजर अपने नंगे जिस्म पर गयि और उसने लपककर चादर खिंच ली ।शिला खिलखिला कर - अब क्या छिपा रहा है , सब देख चुकी मैअनुज - बुआ यार बक्क कितनी गंदी हो आप , ऐसे कैसे आ गये मेरे कमरे मेशिला - शुक्र कर मै आ गयि , नही तो तेरी मा आ रही जगाने फिर ये तेरे गोरे चुतड लाल करती पहले फिर जगाती तुझे ।अनुज उखड़ कर - क्यू मारती मुझे भला , रात मे गर्मी लग रही थी तो सो गया ऐसे ही कौन सा मेरे कमरे मे कुलर है हुहशिला - हा हा देखा मैने आजकल कैसे गर्मी निकाल रहा है तु
अनुज सकपकाया - मतलब
शिला उसकी चादर खिंचती हुई - मतलब इधर आ बताती हुअनुज खुद को बचाता हुआ - बुआ आप ये क्या कर रहे हो , प्लीज ना प्लीज
शिला ने जोर लगा कर उसे वाप्स नन्गा कर दिया और उसके खड़े हुए लन्ड की ओर दिखा कर - खुद देख , सब गन्दा पानी लगा हुआ है वहाअनुज झेप जाता है और अपना लन्ड छिपाने लगता है ।
अनुज उखड़ कर - वो मै थोड़ी ना करता हु बुआ , रात मे हो जाता है तो मै क्या करूशिला चौक कर - तो क्या तुझे स्वपनदोष होता है
अनुज अजीब सा मुह बना कर - अब ये क्या होता है ?
शिला - अरे वो तुम लोग क्या कहते हो नाइटफाल, वो होता है क्याअनुज ने सोचा ये तो उसे एक बना बनाया बहाना मिल ही गया है तो इसी पर आगे बढ़ कर छुटकारा ले लेते है - ह्म्म्ं लेकिन प्लिज मम्मी से मत कहना आप प्लीजशिला थोडा चिंतित होकर - लेकिन तुझे ये कबसे हो रहा है ,अनुज - यही कोई 3 महीने हुए होंगे
शिला - कोई लड़की पसन्द है क्या , सपना देखता है उसका , सोचता है उसके बारे मेअनुज - मै समझा नही ?
शिला उसके पास आकर - अरे बेटा ऐसे समझ , मान ले तुने किसी सुन्दर सी लड़की पसंद कर ली और तुझे उसके देह से लगाव हो गया ।शिला की बात सुनते ही अनुज का लन्ड फनफनाने लगा - बुआ मुझे अब भी समझ नही आ रहा है, मै क्यू किसी अंजान लड़की को पसन्द करुँगा ।
शिला ने एक नजर उसके लन्ड की ओर देख कर - अच्छा तु सोच मै हु वो लड़की, ठिक है मुझे तो जानता है नाअनुज हसता हुआ - आप कहा से लड़की हो हिहिही
शिला - अरे औरत तो हूँ ना , मान ले तुने मुझे और मै तुझे पसंद आ गयिअनुज ने हा सर हिलाया शिला -अब बता तुझे मुझसे क्या अच्छा लगता है ।अनुज - आप तो बहुत प्यारे हो बुआ
शिला - अरे बुआ-ऊआ नही , मै एक खुबसूरत जवाँ लडकी हु अब बता तुझे मुझमे क्या सुन्दर दिखता है ।अनुज - आपकी वो
शिला - क्या ?
अनुज शर्माने लगता है ।
शिला - अरे बोल ना शर्मा मत
अनुज - आपकी गाड़
शिला हस कर -धत्त बदमाश कही का , अच्छा अब मान तुझे मेरा पिछवाडा भा गया और मान ले तुने कही से मुझे नंगी देख लिया और वो तस्विरे तेरे दिमाग बैठ गयि और तुझे बार बार मेरा ही ख्याल आ रहा है और जब यही ख्याल सपने मे आयेन्गे तो तेरा वो निकल जाता है ।अनुज - अच्छा ऐसा कुछ होता है क्या ?
शिला - हा और भी बहुत सारे रिजन है,लेकिन ये मुख्य होता है । अब बता तुने हाल ही मे किसी को ऐसे देखा या पसन्द किया हो जिसके सपने आते हो ।अनुज - पता नही बुआ , मै तो सबके सपने देखता हु , आप मम्मी भैया पापा दीदी मेरे दोस्त सबकेशिला - अरे मेरा मतलब वो वाले सपने , गन्दे वालेअनुज - वो जिसमे रिश्तेदार भूत बन कर आते है कभी कभी , एक बार मैने दीदी को देखा था चुड़ैल बनके नाच रही थी हिहिहीशिला ने अपना माथा पीट लिया और अनुज हस दिया ।
शिला - अरे मेरे लाल गंदे सपने जिसमे कोई औरत बिना कपडे के आयेगी और तेरे साथ मजे करेगी वैसाअनुज - अच्छा ऐसा होता है क्या ? तो क्या अगर मै आपके बारे मे सोचूं तो आप भी मेरे सपने मे बिना कपड़ो के आओगेशिला हस दी और लजा कर - चुप कर बदमाश कही का । फाल्तू का मै तेरे च्क्कर मे उलझ गयि , एक नम्बर का ड्रामेबाज हैअनुज - अरे बताओ ना बुआ
शिला - मुझे क्या पता , लेकिन तु क्यू मेरे बारे सोचेगाअनुज - अभी आपने ही तो कहा सोचने को
शिला - वो तो मै तुझे ...उफ्फ़ ये लड़का भी ना ।शिला ने एक गहरि सास ली और बोली - अच्छा सुन और समझने की कोसिस करअनुज ने हा मे सर हिलाया
शिला - जब हम नींद मे होते है तो हमारा दिमाग हमे ऐसे भ्रमित करता है कि हमे असली नकली का फर्क नही समझ आ आता । सपने मे जो हम देखते है वो ह्मारे दिमाग की कल्पना होती है और जब सपने हम ऐसे कोई गंदी चीजे देखते है तो शरिर को लगाया है वो असल मे हो रहा है और उसी समय तेरा वो पानी निकाल देता है । समझा इसीलिए पुछ रही थी कि कोई पसंद है क्या बुद्धु कही का हिहिहिहीअनुज - ओह्ह ऐसे , अच्छा मान लो आपने किसी का सपना देखा तो क्या आपका भी पानी निकल जाता होगाशिला अनुज के सवाल के चौकी और झेप कर अपनी हसी होठो मे दबाने लगि
अनुज - अरे बोलो ना , आप हस क्यू रहे हो
शिला - पहले तु ये कपडे पहन हम बाद मे इस पर बातें करेंगे ठिकअनुज बिस्तर से अपनी बनियान लोवर लेकर खड़ा हुआ और लोवर पहनने के बाद भी उसमे बडा सा तम्बू बना हुआ था
शिला की नजरे उसपे पड़ती है और वो मुस्कुराने लगती है ।अनुज - आप मुस्कुरा क्यू रहे हो ,
शिला हसती हुई - अरे ये ऐसे ही टेन्ट बना कर बाहर जायेगा , किसी ने देख लिया तोअनुज - हा तो ये सब नेचुरल होता है ना
शिला उसका कान मरोड कर - नेचुरल के बच्चे छोटा कर इसे फिर बाहर जा ,अनुज - अरे ये अपने आप छोटा बडा होता है , मै नही करता इसे
शिला - अरे इसको हाथ मे पक्ड कर दबा कर रख छोटा हो जायेगा , ऐसेशिला ने लपक कर हाथ बढा कर सीधा लोवर के उपर से उसका लन्ड पक्ड लिया और हाथ मे जोर से भींचने लगी ।
अनुज सिस्का - आह्ह बुआआ ऊहह दर्द हो रहा है छोड़ो
शिला ने देखा अनुज का लन्ड और भी कडक और टाइट हो गया - ये तो और बड़ा लग रहा है
अनुज मुह बनाता हुआ - तो , आपने ही किया इसे ऐसा ?शिला चौक कर - क्या मैने ?
अनुज अपने हाथ बान्ध कर मुह फेर कर तूनकते हुए - हा आप ही छोटा करो इसे अब हुहशिला हसती हुई - ऐसा कर उपर बाथरूम मे भाग कर जा और सुसु कर ले सही हो जायेगाअनुज - फिर हस रहे हो आप
शिला - अभी जा नही तो मार पड़ेगी , जा अब बदमाश कही , छोटा कर दो हिहिहीशिला हस कर कमरे से बाहर निकलती हुई - जल्दी जा यहा कोई नही है अभी ।अनुज शिला के जाने के बाद मुस्कुराने लगा कि मस्त लपेटा उसने बुआ को और हसता हुआ नहाने चला गया ।जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 207
अमन के घर
दस बजने को हो रहे थे और मुरारी अमन को इशारे से अपने पास बुलाता है ।
पापा के बुलाने पर अमन चुपचाप उनके साथ बाहर निकल गया और बगल के अनाज वाले गोदाम मे चला जाता है ।
अमन चौकी पर बैठता हुआ - पापा यहा क्यूँ बुलाया
मुरारी- अरे तुझसे जो बातें करनी है उसके लिये यही जगह ठिक है , वो लाया है ?
अमन - क्या ?
मुरारी- अरे तेरा मोबाईल, कुछ डाउनलोड किया क्या ?
अमन समझ गया - अह नही पापा सॉरी वो रह गया ।
मुरारि थोडा उदास होकर - अच्छा, कोई बात नही लेकिन ये बता ये हनीमून पर तेरी साली जा रही है उसका क्या चक्कर है ।
अमन का गल सूखने लगा कि अब वो क्या जवाब दे - पता नही पापा, मम्मी से सोनल की कुछ बात हुई थी । मुझे तो समझ ही नही आ रहा है ।
मुरारी- मुझे भी तेरी मा का कुछ समझ नही आता , कल मैने इस बारे मे कुछ सवाल किया तो बिना मिर्च मसाले के ही मुझपे भडक गयि ।
अमन हस कर - हा तो आप ही नही कही ले जाते हो घुमाने उन्हे हिहिही
मुरारी- माना भाई गलती हुई है इस्का मतलब ये तो नही कि हर बात के लिए एक ही ताना दो
अमन - हिहिही
मुरारी- अब मुझे कुछ और नही सुनना , ये ले देख मुझे लगता है यही तेरी मा सही साइज़ है ।
मुरारी ने अपने कुर्ते की जेब से ममता की एक ब्रा निकाली और अमन को दिया
अमन उसे खोलता है और वापस से उसको हाथो मे छिपा कर दरवाजे खिड़की निहारता है कि कही उसे कोई देख तो नही रहा - पापा आप ये कहा से ?
मुरारी- अरे भाई चुरा कर लाया हु , मागने जाता तो इसके लिए भी चार बात दे देती मुझे कि शादी के साल भर बस मेरा ख्याल रखा उसके बाद भूल गये ।
अमन हसता हुआ ब्रा फैला कर उसके लेबल पढता हुआ - हा लेकिन वो कच्छी का साइज़ क्या है ?
मुरारी- वो कहा से लाऊ अब
अमन - अरे जहा से ये ली वहा कच्छी भी रही होगी ना
मुरारी- नही मिल सकती बेटा
अमन - क्यूँ?
मुरारी- दरअसल तेरी मा कच्छी पहनती ही नही है
अमन चौक कर - क्या ? सच मे ? लेकिन क्यू ?
मुरारी थोडा झेप कर थोडा शर्मा कर - वो मैने बताया था उसके साइज़ की यहा लोकल बाजार मे नही मिलती तो?
अमन - हा लेकिन जहा से ब्रा लेती है वहा तो मिलती होगी ना !
मुरारी के चेहरे पर अब हसी के छिपे हुए भाव उभर रहे थे
अमन को शन्का हुई - क्या बात है पापा बताओ साफ साफ
मुरारी थोड़ा असहज होकर हसता हुआ - अह अब क्या बताऊ बेटा, दरअसल उसके कच्छी ना पहनने की एक वजह मै भी हूँ
अमन - मतलब ?
मुरारी मुस्कुरा कर - मैने बताया था ना कि पहले हम गाव मे थे और तब हमारा खानदान बडा हुआ करता था , घर मे लोग भरे रह्ते थे और हमे अकेले मिलने का समय ही नही मिल पाता था , ज्यादातार तो रात मे भी मुझे बाहर सोना पड़ता था , घर के बाकी मर्दो के साथ ।
अमन - क्या शादी के बाद भी ?
मुरारी- हा बेटा और उस दुपहर की तेरी मा के मिलन से हम दोनो एक दुसरे के लिए तडपते रहते थे तो कभी भूसे वाले घर मे तो कभी अनाज वाले कमरे मे , रात मे कभी जीने के निचे तो कभी दुपहर को कमरे मे , जब कही हमे मौका मिलता हम प्यार करने मे लग जाते है । ऐसे मे कहा मै तेरी मा की कच्छी उतारता और कब हम सेक्स करते इसीलिए मैने तेरी मा की सारी कच्छीया चोरी करके छिपा देता था और वो वैसे ही रहती थी साडी के निचे
अमन हसता हुआ - हिहिहिही तो क्या आप लोग अभी ऐसे ही चोरी चोरी करते हो क्या जो मम्मी अब भी नही पहनती कच्छी ।
मुरारी - अरे नही बेटा, दरअसल ये सब गाव मे कई साल तक चला फिर जब तु बड़ा हुआ तो तेरी पढ़ाई का बोल कर हम इस नये कस्बे मे आ गये । मगर इन सालों मे तेरी मा की कच्छी पहनने आदत छूट गयि तो वो नही पहनती है ।
अमन - ओह्ह
मुरारी- देख ना बेटा इसके नाप से वो तेरी मा की कच्छी का साइज़ नही मिल जायेगा
अमन - मिल तो जायेगा लेकिन !
मुरारी- लेकिन क्या बेटा
अमन - अरे पापा ये सेट वाले आईटेम फैंसी बहुत आते है , पता नही मम्मी को पसंद आयेगा या नही
मुरारी- कैसे फैंसी एक दो दिखा ना जरा
अमन ने एक प्लस साइज़ थोंग पैंटी पहनी हुई मॉडल की तस्वीर दिखाई जिसकी बड़ी सी गाड़ पर बस पैंटी की लास्टीक दिख रही थी और बाकी पूरी गाड़ नन्गी थी ।
मुरारी ने आखे फ़ाड पर उस बड़ी गाड़ वाली मॉडल को देखा तो उस्का लन्ड फड़फडाने लगा - इसने वो पीछे वाला कपड़ा कहा है
अमन मुस्कुरा कर - पापा वो बीच मे घुसा रहा है पीछे से
मुरारी ममता को इस तरह की पैंटी मे कल्प्ना कर गिनगिना गया उसके आंखो के सामने ममता की बड़ी सी मटके वाली गाड़ थिरकने लगी जिसकी दरारो मे पैंटी फसी हुई थी ।
अमन - इसीलिए कह रहा था पता नही मम्मी को पसंद आयेगा कि नही
मुरारी अपनी कल्प्ना से बाहर आकर जोश मे - नही बेटा तु कर दे यही वाला ।
अमन - लेकिन मम्मी अगर बोली तो
मुरारी- अरे तेरी मा को कैसे मनाना है मै जानता हूँ ।
अमन हस कर शरारत भरे लहजे मे - हिहिही कैसे ?
मुरारी हसता हुआ - धत्त बदमाश कही का हाहहहा ये बता कब तक आ जायेगा ।
अमन - अगर आज ऑर्डर कर दूंगा तो परसो तक आ जायेगा और इसमे ऑप्शन भी है कि 75 रुपया शिपिंग चार्ज देने पर 24 घन्टे मे ही डिलेवरी कर देगा ।
मुरारी- सिर्फ़ 75 ना , कर दे कर दे
अमन मुस्कुरा कर अपने बाप की खुशी देख रहा था और उसने ऑर्डर कर दिया ।
अमन - लेकिन पापा ये तो गलत है ना
मुरारी- क्या हुआ ?
अमन - आप मजे करने की प्लानिंग कर रहे हो मुझे सख्त लौंडा बना कर रखा हुआ है पता है कल रात तो मै बहक ही गया होता , वो तो आपसे वादा किया था तो !
मुरारी उत्सुक होकर आंखो मे चमक लिये - क्या हुआ कल रात
अमन - अब जाने दो ,
मुरारी- अरे बोल ना बेटा , बहू ने खुद से कुछ किया क्या ?
अमन - हम्म
मुरारी का लन्ड फड़का - क्या किया
अमन - रात मे सोते समय वो नहा कर आई थी और वो नाइटी मे थी अन्दर कुछ नही
मुरारी- अच्छा फिर
अमन - उसके दूध देख कर तो मै पागल ही हो गया था पापा , नुकीले और बाहर की ओर निकले हुए । बत्ती बुझा कर सोने का नाटक किया मगर ये सोने नही दे रहा था ।
अमन ने अपने लन्ड की ओर इशारा किया
मुरारी हस कर अपना सुपाडा भिन्चता हुआ - हाहाहा होता है ऐसा फिर
अमन - फिर रात मे वो मुझसे चिपक गयि , पैर उपर फेक कर मुझे जकड़ लिया
मुरारी- क्या सच में ? बहू इतनी तेज है !
अमन - पापा हमारी लव मैरिज है , आपकी तरह अरैंज वाली थोड़ी । हम तो पहले भी हग किस्स कर चुके है लेकिन कल रात ...
मुरारी थुक गटक कर - फिर क्या हुआ
अमन - पापा वो मेरे सीने पर हाथ रखे हुए थी मेरी बाजू उसके दूध के बीच मे थी , समझ सकते हो कितनी गुदगुदी होती है ।
मुरारी- हा बेटा बात तो तेरी सही है , कभी तेरी मा भी ऐसे सट जाती है मुझसे और उसके दूध कितने बड़े और मुलायम है मेरा तो रों रों खड़ा हो जाता है ।
अमन हस कर - सिर्फ़ रोम रोम ही क्या पापा हिहिही
मुरारि- चुप शैतान कही का , फिर आगे
अमन - अरे पापा मेरी तो हालत खराब थी उसपे से उसके पैर भी मेरे खूँटे पर रखा था
मुरारी चिंता जताते हुए - ओहो मेरे बच्चे कितना सहा तु उफ्फ़ मै होता तो पिघल जाता , अब क्या सोचा है तुने
अमन - आप बताओ मै क्या बोलूं , आप ही मेरे गुरु हो ना । आप जैसा कहोगे वही करूंगा
मुरारी को लगा उसने सच ने अमन के साथ ज्यादती कर दी है - अह बेटा मुझे लगता है कि तुझे अब बहू से मिलन कर लेना चाहिए
अमन चहक कर - सच पापा !!
मुरारी- हा बेटा, बहू भी बेचारी तड़पती होगी लेकिन सन्स्कार बस मुह नही खोलती होगी ।
अमन - हम्म शायद
मुरारी- अच्छा उसने कुछ इशारे किये या इस बारे मे बात की थी
अमन - किस बारें मे
मुरारी- अरे सेक्स और सुहागरात के बारे मे
अमन लजाता हुआ - नही पापा वो बहुत शर्मिली है और मै भी हिहिही
मुरारी- हा वो देख कर ही लग रहा है हाहाहा , लेकिन एक राज की बात बता रहा हु आज पहली बार होगा बहू का तो दो बार करना
अमन - दो बार क्यूँ
मुरारी- अरे पहली बार दर्द के लिए और दूसरी बार मजे के लिए , नही तो उसके जहन मे अगर दर्द बैठ गया तो आगे बहुत मुश्किल होगी ।
अमन - ओह्ह ऐसा क्या , थैंक यू पापा
मुरारी- हम्म चल अब चलते है
फिर दोनो बाप बेटे निकल जाते है घर की ओर
रंगी की दुकान
दोपहर का वक़्त हो चला था ।
जंगी खाली समय होने के कारण रन्गी के पास पहुच गया था ।
रंगी - अरे छोटे तु यहा , सब ठिक तो है
जंगी रन्गी को इशारा कर अन्दर केबिन मे चलने को कहता है ।
रंगी दुकान के नौकर को बोल कर केबिन मे चला गया
रन्गी - क्या हुआ भाई सब खैरियत तो है
जंगी - हा भैया सब ठिक है वो दोपहर मे ग्राहक थे नही तो सोचा आपसे मिल लूँ और आपको कुछ बताना भी था ।
रंगी अन्जादा लगा कर - क्या , निशा की मा के बारे मे कुछ बात है क्या
जंगी - हा भैया , वो कल रात जैसा आपने कहा था वैसा ही हुआ
रंगी - मतलब , क्या हुआ
जन्गी - भैया आपके कहे अनुसार मैने मेरे व्यव्हार मे कोई कमी नही रखी और उसके साथ सम्भोग किया और
रंगी का लन्ड कसने लगा था - फिर
जन्गी - भैया फिर मैने उसको अपनी बाहों मे भर कर सोनल बिटिया की शादी को लेके बातें छेड़ दी और शादी मे उसकी खूबसूरती को लेके थोड़ा बहुत उसे उकसाया ।
रंगी - अच्छा फिर
जंगी - मैने उससे कहा , पता है कमल भाई की नजर थी तेरे पर ,उस दिन बैकलेस डिजाईन वाले ब्लाउज मे उनकी नजरे तुझ पर थी ।
रंगी - ओह्ह फिर
जंगी - वो लजाई और
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शालिनी जंगी की बाहों मे चिपकी हुई - अच्छा तो आप मुझे छोड़ कर ये देख रहे थे कि कौन कौन मुझे देख रहा है , मै तो आपके लिए ही तैयार हुई थी ना हुह
जंगी - हा लेकिन जिसकी बीवी इतनी सेक्सी हो उसको चारों ओर नजर रखनी पड़ती है मेरी जान , वैसे कमल भाई कुछ ज्यादा ही देख रहे थे तुझे
शालिनी इतरा कर - हम्म पता है मुझे
जंगी - अच्छा सच मे , फिर तो तुने भी उन्हे रिझाने मे कोई कसर नही छोड़ी होगी क्यूँ
शालिनी - धत्त क्या आप भी , मै आपको ऐसी लगती हूँ , वो भरसक मेरे आगे पीछे लट्टू थे हिहिही और पता है आज सुबह क्या हुआ
जन्गी - क्या क्या बता ना
शालिनी - वो मै सुबह पोछा लगा रही थी वो दुकान मे से खैनी फाकते हुए आ रहे थे और मेरे चोली से झाकते मेरे दूध देख कर अटक से गये । हीही अब मुझसे उनके सामने पल्लू भी सही करता नही बन रहा था ।
जन्गी - क्यूँ
शालिनी - अरे मैने ऐसा दिखाया था कि मै उनको देख नही रही हूँ
जन्गी - बड़े ठरकी मिजाज के लगते है कमल भाई यार
शालिनी हसती शर्माती - हा वो तो है , तभी ना रज्जो जीजी के कुल्हे फूला रखे है
जंगी हस - क्या तु भी
शालिनी हस कर - अब बनो मत , मैने देखा है आपको कैसे निहारते हो आप उनका बड़ा सा पिछवाडा
जंगी शर्माता है तो शालिनी हसती हुई - वैसे अभी तो रज्जो दीदी यही है , लेकिन कुछ समय बाद आपको उनकी याद आये तो कहना , चल चलेंगे जानीपुर हिहिही कमल भाईसाहब भी बुला रहे थे हम सबको
जंगी - अच्छा तुझे बड़ा मन हो रहा है कमल भाई के यहा जाने का
शालिनी खिलखिला कर - क्यू जलन हो रही है आपको अब मेरे आशिकों से हिहिही
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रन्गी - हम्म्म मतलब मामला सीरियस है और कमल भाई का गहरा असर पड़ा है उसपे ।
जन्गी - भैया मै आपकी वजह से शान्त था नही तो मेरा मन भीतर से जल रहा था बस
रंगी - अरे छोटे शान्त हो जाता और ले पानी पी
तभी केबिन का दरवाजा खुला और सामने से आवाज आई - अरे सिर्फ पानी ही नही खाना भी आ गया है ।
रन्गी - अरे दीदी आप , आज बड़ा जल्दी खाना ले आई
शिला - हा आज जल्दी तैयार हो गया तो आ गयि और छोटे तु भी यहा ।
जन्गी का चेहरा अभी भी उतरा हुआ था वो फीकी मुस्कान के साथ - अह हा दिदी वो बस ऐसे ही कुछ काम से आया था । आप लोग खाना खाओ मै भी चलता हूँ ।
रंगी उसको रोकता है मगर जंगी खड़ा होने लगता है
जन्गी का उतरा हुआ चेहरा देख कर शिला ने इशारे से रन्गी से पूछा क्या हुआ ।
रन्गी ने हा मे सर हिला कर मामले की गम्भीरता के लिए अपनी हामी दी ।
रन्गी - मुझे लगता है हमे उपर चल कर बात करनी चाहिए
शिला - क्या बात है भैया , छोटे बोल ना
रंगी - दीदी चलिये उपर चलते है वही बात करना सही होगा , आओ जन्गी
शिला टिफ़िन लेके रन्गी के साथ आगे बढ़ गयि
उपर कमरे मे
रंगी - आओ दीदी बैठो , तुम भी बैठो जन्गी
रन्गी के पास जन्गी और उसके बगल मे शीला बैठा गयि - क्या हुआ भैया ये जन्गी को क्या दिक्कत है
रन्गी - अह दरअसल दीदी बात बहुत गम्भीर है जिसकी वजह से जंगी परेशान है
शिला जन्गी के कन्धे पर हाथ रख कर - क्या हुआ छोटे बोल ना , अपनी दिदी से छिपायेगा
शिला दुलार और मुलायम स्पर्श पाकर जन्गी का जिस्म सिहर उठा , उसके सख्त जजबात बर्फ के जैसे गलने लगे ।
रन्गी - मै बताता हु दिदी , हुआ यूँ कि
फिर रन्गी शालिनी और कमलनाथ के भी किचन मे हुए सम्भोग की बात बताती है ।
शिला के दिल मे शुरु से ही जन्गी के लिए एक सॉफ़्ट कोर्नर रहा था । वो उसके दुख सह नही पाती थी आज वो उसे अपना वही छोटा भाई नजर आता था जो बचपन मे हुआ करता था । एक मा के जैसे उसने पाला दुलारा था उसे ।
रन्गी की बातो से जन्गी की आंखे शर्मीन्दी भरी आसुओ से डबडबा गयि और उसके रुआंसा देख शिला का दिल पसीज उठा उसने सर पक्ड कर अपने छातियो से लगाते हुए - अरे तो इसमे बच्चो जैसे आस गिराने से क्या होगा , मर्द है तु
जन्गी - दीदी मुझे इसका बुरा नही लगा कि उसने किसी के साथ संबंध बनाया , बल्कि कल रात उसने मेरे साथ सम्भोग करते वक़्त उसे इस बात की जरा भी ग्लानि नही थी और ना उसने मुझसे इस बारे मे कुछ कहा । ये छीपा कर रखना मुझे अखर रहा है ।
शिला उसके चेहरे को दुलार उसके आसू पोछती हुई - ओहो अब ये सब बातें दिल पर ना लें , ये कमल भाईसाहब की नियत खराब है ये तो मुझे भी पता था , मगर शालिनी भी बहक जायेगी हुह
रन्गी और जन्गी शौक्ड होकर- क्या ?
रंगी - क्या कमल भाई ने आपके साथ भी कुछ बदतमिजि की
शिला चुप थी और दोनो भाई उसकी ओर निहारे जा रहे थे अपने सवाल के जवाब मे ।
शिला - अह नही भैया वो सब जो भी हुआ उसे बदतमिजि नही कह सकते , संयोग से हुआ था सब लेकिन मुझे कही ना कही लगता था कि उनकी नियत ठिक नही है ।
जंगी - दीदी साफ साफ बात बताओ क्या हुआ था
शिला - अह छोटे वो सबसे पहले पूजा वाले दिन हमे हवन के लिए लड़की लाने जाना था , और भैया आपने ही हमे भेजा था याद है ना
रंगी - हा हा , फिर
शिला - वो गाव की खड़न्जे वाली उबड़-खाबड़ सड़क तो जानते ही है आप और उसके स्कूटी चलाना
जंगी - ओह तो साला ये वहा फायदा उठा कर आपको यहा वहा छु रहा था
शिला - नही नही , वो बेचारे तो खुद परेशान थे
रंगी - फिर बात क्या थी दिदी
शिला - वो वहा लकड़िया बटोरते हुए मुझे पेसाब लगी थी और मै बिना बताये एक कोने मे चली गयि मुझे क्या पता वो मुझे खोजते चले आयेन्गे उधर ही
जंगी - क्या , उन्होने आपको वहा देखा , मतलब पीछे से
शिला नजरे झुकाये हुए - हा लेकिन मैने इसे संयोग समझ कर टाल दिया और फिर उसी रात मेरे जनमदिन पर जब लाईट भागी थी
रन्गी - हा हा
शिला - पहले किसी ने मेरे चुतड़ छुए , मुझे बहुत अजीब लगा और जब लाईट जली तो देखा वही मेरे पीछे खड़े थे ।
चुतड़ दबाने की बात पर जंगी का मुह सील गया क्योकि उस रात ये हरकत जंगी ने की थी ना कि कमलनाथ ने ।
रंगी - ओह्ह फिर
शिला - एक बार तो मै नहा रही थी राज के क्मरे मे तो वहा भी आ गये पता नही कैसे , पूछने पर बोले कि उनका बैग यही है रखा है और उस समय मै सिर्फ तौलिये मे थी
रंगी - अब पता नही दीदी जितना आप बता रही है , वो सब संजोगवश भी हो सकता है या फिर कमल भाई की होशियारी भी ।
जंगी भी थोड़ा थोड़ा रन्गी की बात से सहमत था क्योंकि शिला की गाड़ उसने ही दबोची थी - हा लेकिन मुझे शालिनी की बात खल रही है, उसने मुझ्से छिपाया क्यूँ
जन्गी के ड्रामे पर शिला खिझी और आंख दिखा कर - अच्छा तूने उसको जैसे सब बता रखा है
जन्गी शिला का इशारा समझ गया और चुप हो गया
रन्गी उत्सुकता दिखाते हुए - क्या दीदी अब इसने क्या छिपाया निशा की मा से ।
शिला मुस्कुराने लगी - बोल , बता दूँ
जन्गी ना मे सर हिलाने लगा ।
रंगी आंखे बड़ी कर - क्या बात है छोटे जो मुझसे छिपा रहा है ।
शिला हस कर - ये बड़ा छिपारुस्तम है , कमल भाईसाहब को ये गालियां दे रहा है और खुद की हरकतें नही दिखती इसे ।
रन्गी - मतलब क्या किया इसने
शिला - अरे भैया ये तो अपने दुकान मे आने वाली औरतों को भी ताडता है और बड़ा भोला बन रहा है हमारे आगे । अरे उस दिन शुक्र कर घर पर मै थी नही तो ना जाने क्या क्या हल्ला कर देती वो औरत ।
रन्गी - क्या भाई क्या है ये सब
जन्गी - भैया उस समय शालिनी मायके गयि हुई थी और मै परेशान था बहुत और वो औरत भी कम नही थी पहले उसने भी दाम कम करवाने के लिए खुब इशारे किये और जब पैसे देने की बारी आई तो बहसने लगी ।
रन्गी - हम्म इसी की सजा मिली है तुझे हाहाहा क्यू दीदी
जन्गी मुस्कुरा कर शिला को देखता हुआ - सजा तो उसी दिन दीदी ने मुझे दे दी थी ।
शिला लजाती हुई मुस्कुराती है ।
रंगी - अच्छा, फिर क्या सजा मिली थी तुझे
जंगी - बता दूँ दीदी
शिला आंखे दिखा कर हसती हुई - क्या बोले जा रहा है तु , हो गया अब तेरा मूड सही चल भाई मै चलती हूँ ।
शिला उठ कर जाने को हुई
तो जन्गी ने रन्गी को इशारा किया और उसने लपक कर शिला का हाथ पकडते हुए उसके पीछे खडा हो गया और उसके चुतड सहलाता - आह्ह दीदी वो सजा मुझे भी देते जाओ ना
शिला की आंखे फैल गयि और वो शौक्ड थी , तबतक जन्गी भी दूसरी ओर उसके बगल के खड़ा होकर उसके दुसरे चुतड़ को दबोचता हुआ - हम्म दीदी प्लीज ना
शिला का शरीर पूरा गनगना गया
वो आंख कर भीतर से काप रही थी और उसकी थन जैसी चुचिया कुर्ती के निचे कस चुसी थी , निप्प्ल उभर आये थे । लेगी के उपर से अपने चुतड पर रेंगते अपने दोनो भाइयों के पंजे मह्सूस कर उसने अपने गाड़ टाइट करने लगी ।
शिला - उम्म्ं भाइया तुम लोग ये क्या कर उउह्ह्ह्ह आह्ह
तभी रन्गी ने हाथ आगे बढा कर शिला की चुन्नी उसके गले से उतारता हुए उसकी छातीया मिजते हुए उसके कान गाल गरदन पर चुम्मिया करने लगा - उम्म्ंम दीदी , आज मैने भी एक औरत की छाती देखी है मुझे भी सजा दो ना दीदी ।
शिला पूरी पागल हो चुकी थी
जंगी अपने पन्जे उसकी लेगी के भीतर घुसा कर चुतडो का जायजा ले रहा था , शिला कसमसा रही थी ।
शिला - उह्ह्ह भैयाआ किसकी देख ली तुमने उम्म्ं भाभी से शिकायत करूंगी तुम्हारी अह्ह्ह सिह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
रंगी उसके गरदन पर काटता हुआ शिला की कुर्ती के भीतर हाथ घुसा चुका था और ब्रा के उपर से दोनो चुचिया मिज रहा था
रंगी - कर दो ना दिदी जिसकी देखी थी उसकी ही दबा रहा है उम्म्ंम
शिला हसी - धत्त , अह्ह्ह सीई उह्ह्ह्ह जन्गीईईई औह्ह क्या कर रहा है उम्म्ं
जंगी अब तक निचे बैठ कर शिला की लेगी उतार उसकी चुतड़ मे मुह दे दिया था ।
रन्गी ने शिला की कुर्ती उतारने लगा था और शिला ने हाथ उपर कर दिये ।
कुरती फेक कर रन्गी ने एक बार फिर उसकी चुचिया दोनो हाथो मे भर ली और उन्हे मिजते हुए - आह्ह दीदी सुबह सुबह देख कर इन्हे पागल हो गया था उह्ह्ह
शिला जंगी की जीभ की हरकत से रंगी की बाहो मे छ्टपटाती हुई - ऊहह भैयाआ आह्ह आराम से आह्ह कब देख लिया मेरी छातियां उंम्म
रन्गी आगे झुक कर उसकी चुचिया नंगी करता हुआ मुह मे भर लिया और फिर बोला - आह्ह दीदी जब तुम चाय देने आयी थी
शिला के पैर हिलने लगे क्योकि जन्गी ने उसकी जांघो के बिच से उसकी बुर के फाको मे उंगलिया पेल दी और गाड़ चाटने लगा ।
शिला पीछे की ओर गाड़ फेके हुए सिस्क रही थी और आगे रन्गी उसको पकड़े हुए उसकी छातिया चुसते हुए मजे ले रहा था ।
शिला - आह्ह छोटे ऊहह ऐसे तो गिरा देगा मुझे उह्ह्ह
जंगी पीछे हुआ और खड़ा होकर शिला के बगल मे आ गया और उसने भी दूसरी ओर से उसकी चुची पकड कद मिजते हुए मुह मे भरने लगा
शिला - आह्ह तुम दोनो भाई कब से साथ मे उह्ह्ह मह्ह्ह आराम से छोटे अह्ह्ह
जंगी दोनो हाथ से उसकी एक चुचि पक्ड कर उसका निप्प्ल मुह मे ले लिया
वही रन्गी एक हाथ से उसकी चुचिया मिजता हुआ उसके लिप्स को चुसने लगा ।
जंगी - आह्ह दिदी भैया से मै कुछ नही छिपाता उह्ह्ह और भैया ने भी मुझे बता दिया
शिला - ऊहह सिह्ह्ह उम्म्ं , तो मुझे भी बता देते पहले ना
रंगी उसको बिस्तर धकेल कर उसकी लेगी निकालता हुआ - अरे दीदी , इसमे अभी जल्दी मुह खोला है
जन्गी अपना पैंट उतार कर अपना लन्ड बाहर निकालने लगा - हा तो तुमने भी कहा बताया था पहले ।
शिला मुस्कुराई और घुटने के बल आकर बैठ गयी
सामने उसके दोनो भाई अपना मोटे मोटे लन्ड हाथ मे लेके हिला रहे थे ।
रन्गी मुस्कुरा कर - किसका लोगि दिदी पहले
जंगी - दिदी मुझसे ज्यादा प्यार करती है वो मेरा लेंगी क्यू दिदी
रन्गी - क्यू भाई मै बड़ा हूँ पहले मै
शिला - अरे मेरे भाइयो तुम्हारी दिदी तुम दोनो को बराबर प्यार करती है आओ
और शिला ने दोनो मुस्ल पक्ड कर उसके सुपादो को नयी अपने होठो लगाते हुए अपनी जीभ एक साथ दोनो के पी होल पर फिराई और दोनो की सासे अटक गयी ।
दोनो भाई भितर से गीनगिना गये और उसने दोनो सुपाड़े अपनी थूथ पर रगड़ने लगी
नरम नरम स्पर्श उसपे से दोनो भाईयो को सुपाड़े की आपस मे रगड़ भी मह्सूस हो रही थी जिस्से दोनो को अजीब सा रोमांच महसुस हो रहा था और तभी शिला ने लपक कर जन्गी का लन्ड मुह मे भर चुसने लगी , दुसरे हाथ से रन्गी के लन्ड को हिला रही थी ।
उसकी लटकी हुई नंगी चुचिया खुब हिल रही थी
लन्ड बदल कर वो रन्गी पर झपटी और उसका लन्ड गले तक लेते हुए जंगी के लन्ड को भींच रही थी
रन्गी - आह्ह जीजी ऊहह सच मे कमाल हो तुम उह्ह्ह ऊहह
जंगी - हा भैया दीदी के होठो का जवाब नही उह्ह्ह सीईई
शिला लन्ड बदल बदल कर चुस रही थी
जन्गी - जीजा हमारा किसमत वाला है भैया , उह्ह्ह दीदी इतना गदराया माल साला पहले वो पेल गया
रन्गी जिसे हकिकत मालूम थी - आह्ह नही भाई असली किसमत वाला वो नही कोई और था
शिला मुह से लन्ड निकाल कर - भैया क्या बोल रहे हो और कौन रहेगा
रन्गी उसको खड़ा किया और बिस्तर पर लिटाये हुए अपना लन्ड उसकी चुत पर लगाया और हचाक से आधा अंदर
शिला सिसकी और जन्गी अपना लन्ड लेके शिला के मुह की ओर पहुच गया - हा भैया कौन था वो
रन्गी शिला की चुत की गहराइयों मे लन्ड उतारता हुआ - अह्ह्ह अरे भूल गया , वो लखना , अपने मामा का लड़का
जंगी अपना लन्ड शिला के मुह मे दिया हुआ था जो और फूलने लगा - आह्ह क्या सच मे दीदी
शिला ने मुह से लन्ड निकाला और रन्गी को मुस्कुरात देख आंखे दिखाई और लन्ड को हिलाते हुए बोली - हा जन्गीईई आह्ह मेरी चुत मे सबसे पहले लखन भैया ने ही उह्ह्ह्ह उम्म्ं भैया और तेज्ज उह्ह्ह मह्ह्ह ऐसे ही ऊहह कहा घुसा दिया उह्ह्ह ऊहह माह्ह
रन्गी - आह्ह दीदी आपकी गाड़ मे ही तो असली मजा है उह्ह्ह हहह सीई ऊहह कितनी कसी हुई गाड़ उम्म्ं
जंगी आगे लपक कर उसकी हिलती हुई चुचिया मसलता हुआ निप्प्ल मरोडने लगा - अह्ह्ह दीदी ये आपने सही नही किया , अपने छोटे भाई पर जरा भी तरस नही आया
शिला सिस्क कर- आह्ह कमीने छोड़ उसे अह्ह्ह सीई ऊहह दर्द करने लगा उह्ह्ह्ह भैयाअह्ह्ह ऊहह ,
जन्गी अब प्यार से उसके चुचे दुलारता हुआ - आह्ह बताओ ना दिदी
शिला - अरे तरस ही खाया था तुझपे पागल, उह्ह्ह उम्म्ंम भाइयहा उह्ह्ह उह्ह्ह रुकना नही नही ऊहह उह्ह्ह फक्क फक्क मीई ओह्ह्ह ऊहह
शिला जोर जोर से अपनी बुर मे उंगलियाँ पेलने लगी और रन्गी हचक ह्चक के लन्ड उसकी गाड मे भरने लगा ।
शिला तेजी से झड रही थी और जंगी का लन्ड पकड़े हुए थी
जन्गी - आह्ह दीदी बताओ ना
शिला - आह्ह तब तु 7वीं मे भाई कहा से लेती तेरा
रन्गी ठहाका लेता हुआ हसने लगा और शिला भी मुस्कुराती हुई उठने लगी
रंगी ने पोजीशन बदली और सोफे पर पैर लटका बैठ गया और शिला आई और उसकी ओर पीठ करके उसका लन्ड गाड़ मे लेके बैठ गयी
रंगी के एक बार फिर निचे से उसकी जान्घे फैला कर तेज झटके देने शुरु कर दिये
ये जंगी के लिए खुला आमंत्रण था सामने शिला की रस छोड़ती बुर थी
जंगी ने लन्ड को मुठियाते हुए उस्की बुर के मुहाने लगा
शिला - अह्ह्ह बाबू आराम से डालना वअह्ह्ह उह्ह्ह जन्गीईई उम्मममं आह्ह मर गयि रेह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह अह्ह्ह
रन्गी - हो गया क्या सेट
जंगी - हा भैया
शिला - अह्ह्व बहिनचोद आराम से हहह उह्ह्ह भैयाअज उह्ह्ह
जंगी हसता हुआ शिला की बुर मे लन्ड पेलने लगा - अह्ह्ह दिदी कितनी गर्मी है आपमे उह्ह्ह सीई उम्म्ंम
शिला पुरा जोश मे आ चुकी थी उसके दोनो छेड़ मे दो दो बड़े मोटे लन्ड भसड मचा रहे थे , और शिला चिखे जा रही थी
जन्गी आगे हाथ बढ़ा कर उसकी चुचिया मिजता हुआ - आह्ह दीदी बहुत मजा आ रहा है, ऊहह कितना मस्त सिन है , जीजा देखता तो पागल हो जाता
रन्गी - हा भाई आह्ह बहिनचोद को दिखा दे क्या कि हमारी दीदी को खुश कैसे रखा जाता है अह्ह्ह
जन्गी - हा भैया , इस बार जब दीदी घर जायेंगी तो प्कका उन्हे जीजा से शिकायत रहेगी
शिला सिस्कती हुई - काहे की शिकायत भाई अह्ह्ह उह्ह्ह पेलो ना उह्ह्ह और तेज उह्ह्ह
जंगी - वहा आपको कहा दो लन्ड मजा मिलेगा हहहाहा
रन्गी निचे से कमर उछालता हुआ - हा दीदी , आपको हमारी याद नही आयेगी उम्मममं
शिला - आह्ह बहुत ज्यादा आयेगी ऊहह अपने भाइयों को कौन भूला है भला अह्ह्ह और तुम जैसे बहिनचोद भाइयो को कौन भूलेगा अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह और उम्म्ं मजा आ रहा है
जन्गी - भैया एक बात कहू मुझे एक आईडिया आया
रन्गी - क्या बोल ना
जंगी - ऐसे नही पहले मुझे दीदी की गाड़ मे घुसाने दो
रंगी हसता हुआ - अरे तो ले ना , घूम जाओ दीदी
शिला के चुत और गाड़ के लन्ड निकले तो वो अपने दोनो छेद सहलाती हुई उठी और रन्गी का लन्ड चुत मे भर लिया और जंगी ने सुपाडा सेट कर खुली हुई गाड़ मे लन्ड हचाक से उतार दिया
शिला - अह्ह्ह साले आराम से उह्ह्ह ऊहह
जंगी - आपकी गाड़ बहुत टाइट है दीदी , लगता है जीजा अच्छे से लेता नही उम्म्ंम
रन्गी - वो तू क्या बता रहा था
जंगी शिला की गाड़ मे पेलता हुआ -अह्ह्ह भैया बहुत मजेदार आईडिया है लेकिन दीदी की मदद लगेगी
शिला कसमसा कर दोनो के बीच पिसती हुई सिस्कती हुई - अह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क फ्क्क्क उह्ह्ह ऊहह तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगी मेरे भाई आह्ह उह्ह्ह बोल ना , ऐसा मजा कहा मिलेहा मुझे उह्ह्ह
रन्गी निचे से लन्ड शिला के भोस्ड़े मे उछलता हुआ - हा भाइ बोल ना
जंगी जोश मे आया और पूरी ताकत से लन्ड शिल की गाड़ मे भरने लगा - मै सोच रहा था भैया , क्यू ना क्म्मो को भी शामिल किया और फिर हम चारो भाई बहन एक साथ
रन्गी को कम्मो का नाम सुनते ही ससुर सा छा गया उसका लन्ड दुगने जोश से शिला की बुर मे चलने लगा - अह्ह्ह भाई क्या बात कही है उह्ह्ह दीदी उह्ंम्ंम्ं क्या ये हो सकता है अह्ह्ह करो ना कुछ औह्ह्ह अह्ह्ह अब मुझसे और नही रुका जायेगा अह्ह्ब दीदी आ रहा है मेरा
जन्गी - हा भैया कम्मो के बार मे सोच कर ही मै भी पागल हो रहा हु उह्ह्ह ऊहह आओ दीदी आ राहा है
दोनो भाई ने लन्ड बाहर खिंच और खड़े होकर हिलाने लगा , शिला निचे बैठ कर मुह खोल कर उनकी पिचकारियां ले ने लगीझडने के बाद दोनो का लन्ड चुसा और खुद को साफ करने लगी
वही दोनो भाई सोफे पर बैठ कर खुद को शान्त करने लगे
सामने शिला अपने छातियों और चेहरे पर लगे रस को साफ कर चाट रही थी
रंगी - तोह दीदी क्या सोचा इस बारे मे
जंगी - हा दीदी करते है ना
शिला मुस्कुरा कर - मुझे कोई दिक्कत नही है, लेकिन कम्मो को मनाना आसान नही है ।
जंगी - इसीलिए तो हमे आपकी हैल्प चाहिये , आप ही उसे अच्छे से समझती है और इतने सालों से साथ रह रही है
रन्गी - हा दीदी जंगी सही कह रहा है , करों ना कुछ
शिला उठी - हुहू ना मतलब ना , मै इसमे कोई हेलप नही करने वाली , तुम दोनो ही राजी करो उसे
ये बोलकर शिला बाथरूम मे चली गयी ।
जंगी - भैया कुछ करो ना , बिना दीदी के ये काम न्ही हो पायेगा
रन्गी मुस्कुराकर उस्को इशारे से शान्त रहने का बोलता है
और इधर शिला बाथरूम मे जाकर मुह धूल कर वापस आई , अभी तक दोनो भाइ वैसे ही थे ।
शिला- अरे तुम लोग अभी तक ऐसे क्यूँ हो
रन्गी और जन्गी आपस मे मुस्कुरा कर अपना मोटे मोटे लन्ड को दुलारते हुए फिर से खड़ा करने लगे ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 207 अमन के घर दस बजने को हो रहे थे और मुरारी अमन को इशारे से अपने पास बुलाता है ।
पापा के बुलाने पर अमन चुपचाप उनके साथ बाहर निकल गया और बगल के अनाज वाले गोदाम मे चला जाता है ।अमन चौकी पर बैठता हुआ - पापा यहा क्यूँ बुलायामुरारी- अरे तुझसे जो बातें करनी है उसके लिये यही जगह ठिक है , वो लाया है ?अमन - क्या ?
मुरारी- अरे तेरा मोबाईल, कुछ डाउनलोड किया क्या ?
अमन समझ गया - अह नही पापा सॉरी वो रह गया ।मुरारि थोडा उदास होकर - अच्छा, कोई बात नही लेकिन ये बता ये हनीमून पर तेरी साली जा रही है उसका क्या चक्कर है ।अमन का गल सूखने लगा कि अब वो क्या जवाब दे - पता नही पापा, मम्मी से सोनल की कुछ बात हुई थी । मुझे तो समझ ही नही आ रहा है ।मुरारी- मुझे भी तेरी मा का कुछ समझ नही आता , कल मैने इस बारे मे कुछ सवाल किया तो बिना मिर्च मसाले के ही मुझपे भडक गयि ।अमन हस कर - हा तो आप ही नही कही ले जाते हो घुमाने उन्हे हिहिहीमुरारी- माना भाई गलती हुई है इस्का मतलब ये तो नही कि हर बात के लिए एक ही ताना दो
अमन - हिहिही
मुरारी- अब मुझे कुछ और नही सुनना , ये ले देख मुझे लगता है यही तेरी मा सही साइज़ है ।मुरारी ने अपने कुर्ते की जेब से ममता की एक ब्रा निकाली और अमन को दियाअमन उसे खोलता है और वापस से उसको हाथो मे छिपा कर दरवाजे खिड़की निहारता है कि कही उसे कोई देख तो नही रहा - पापा आप ये कहा से ?मुरारी- अरे भाई चुरा कर लाया हु , मागने जाता तो इसके लिए भी चार बात दे देती मुझे कि शादी के साल भर बस मेरा ख्याल रखा उसके बाद भूल गये ।अमन हसता हुआ ब्रा फैला कर उसके लेबल पढता हुआ - हा लेकिन वो कच्छी का साइज़ क्या है ?मुरारी- वो कहा से लाऊ अब
अमन - अरे जहा से ये ली वहा कच्छी भी रही होगी ना
मुरारी- नही मिल सकती बेटा
अमन - क्यूँ?मुरारी- दरअसल तेरी मा कच्छी पहनती ही नही है
अमन चौक कर - क्या ? सच मे ? लेकिन क्यू ?मुरारी थोडा झेप कर थोडा शर्मा कर - वो मैने बताया था उसके साइज़ की यहा लोकल बाजार मे नही मिलती तो?
अमन - हा लेकिन जहा से ब्रा लेती है वहा तो मिलती होगी ना !मुरारी के चेहरे पर अब हसी के छिपे हुए भाव उभर रहे थे
अमन को शन्का हुई - क्या बात है पापा बताओ साफ साफमुरारी थोड़ा असहज होकर हसता हुआ - अह अब क्या बताऊ बेटा, दरअसल उसके कच्छी ना पहनने की एक वजह मै भी हूँअमन - मतलब ?
मुरारी मुस्कुरा कर - मैने बताया था ना कि पहले हम गाव मे थे और तब हमारा खानदान बडा हुआ करता था , घर मे लोग भरे रह्ते थे और हमे अकेले मिलने का समय ही नही मिल पाता था , ज्यादातार तो रात मे भी मुझे बाहर सोना पड़ता था , घर के बाकी मर्दो के साथ ।अमन - क्या शादी के बाद भी ?
मुरारी- हा बेटा और उस दुपहर की तेरी मा के मिलन से हम दोनो एक दुसरे के लिए तडपते रहते थे तो कभी भूसे वाले घर मे तो कभी अनाज वाले कमरे मे , रात मे कभी जीने के निचे तो कभी दुपहर को कमरे मे , जब कही हमे मौका मिलता हम प्यार करने मे लग जाते है । ऐसे मे कहा मै तेरी मा की कच्छी उतारता और कब हम सेक्स करते इसीलिए मैने तेरी मा की सारी कच्छीया चोरी करके छिपा देता था और वो वैसे ही रहती थी साडी के निचेअमन हसता हुआ - हिहिहिही तो क्या आप लोग अभी ऐसे ही चोरी चोरी करते हो क्या जो मम्मी अब भी नही पहनती कच्छी ।मुरारी - अरे नही बेटा, दरअसल ये सब गाव मे कई साल तक चला फिर जब तु बड़ा हुआ तो तेरी पढ़ाई का बोल कर हम इस नये कस्बे मे आ गये । मगर इन सालों मे तेरी मा की कच्छी पहनने आदत छूट गयि तो वो नही पहनती है ।अमन - ओह्ह
मुरारी- देख ना बेटा इसके नाप से वो तेरी मा की कच्छी का साइज़ नही मिल जायेगाअमन - मिल तो जायेगा लेकिन !मुरारी- लेकिन क्या बेटा
अमन - अरे पापा ये सेट वाले आईटेम फैंसी बहुत आते है , पता नही मम्मी को पसंद आयेगा या नहीमुरारी- कैसे फैंसी एक दो दिखा ना जरा
अमन ने एक प्लस साइज़ थोंग पैंटी पहनी हुई मॉडल की तस्वीर दिखाई जिसकी बड़ी सी गाड़ पर बस पैंटी की लास्टीक दिख रही थी और बाकी पूरी गाड़ नन्गी थी ।मुरारी ने आखे फ़ाड पर उस बड़ी गाड़ वाली मॉडल को देखा तो उस्का लन्ड फड़फडाने लगा - इसने वो पीछे वाला कपड़ा कहा हैअमन मुस्कुरा कर - पापा वो बीच मे घुसा रहा है पीछे सेमुरारी ममता को इस तरह की पैंटी मे कल्प्ना कर गिनगिना गया उसके आंखो के सामने ममता की बड़ी सी मटके वाली गाड़ थिरकने लगी जिसकी दरारो मे पैंटी फसी हुई थी ।
अमन - इसीलिए कह रहा था पता नही मम्मी को पसंद आयेगा कि नहीमुरारी अपनी कल्प्ना से बाहर आकर जोश मे - नही बेटा तु कर दे यही वाला ।अमन - लेकिन मम्मी अगर बोली तो
मुरारी- अरे तेरी मा को कैसे मनाना है मै जानता हूँ ।अमन हस कर शरारत भरे लहजे मे - हिहिही कैसे ?मुरारी हसता हुआ - धत्त बदमाश कही का हाहहहा ये बता कब तक आ जायेगा ।अमन - अगर आज ऑर्डर कर दूंगा तो परसो तक आ जायेगा और इसमे ऑप्शन भी है कि 75 रुपया शिपिंग चार्ज देने पर 24 घन्टे मे ही डिलेवरी कर देगा ।मुरारी- सिर्फ़ 75 ना , कर दे कर दे
अमन मुस्कुरा कर अपने बाप की खुशी देख रहा था और उसने ऑर्डर कर दिया ।अमन - लेकिन पापा ये तो गलत है ना
मुरारी- क्या हुआ ?
अमन - आप मजे करने की प्लानिंग कर रहे हो मुझे सख्त लौंडा बना कर रखा हुआ है पता है कल रात तो मै बहक ही गया होता , वो तो आपसे वादा किया था तो !मुरारी उत्सुक होकर आंखो मे चमक लिये - क्या हुआ कल रातअमन - अब जाने दो ,
मुरारी- अरे बोल ना बेटा , बहू ने खुद से कुछ किया क्या ?अमन - हम्म
मुरारी का लन्ड फड़का - क्या किया
अमन - रात मे सोते समय वो नहा कर आई थी और वो नाइटी मे थी अन्दर कुछ नहीमुरारी- अच्छा फिर
अमन - उसके दूध देख कर तो मै पागल ही हो गया था पापा , नुकीले और बाहर की ओर निकले हुए । बत्ती बुझा कर सोने का नाटक किया मगर ये सोने नही दे रहा था ।अमन ने अपने लन्ड की ओर इशारा किया
मुरारी हस कर अपना सुपाडा भिन्चता हुआ - हाहाहा होता है ऐसा फिरअमन - फिर रात मे वो मुझसे चिपक गयि , पैर उपर फेक कर मुझे जकड़ लियामुरारी- क्या सच में ? बहू इतनी तेज है !अमन - पापा हमारी लव मैरिज है , आपकी तरह अरैंज वाली थोड़ी । हम तो पहले भी हग किस्स कर चुके है लेकिन कल रात ...मुरारी थुक गटक कर - फिर क्या हुआ
अमन - पापा वो मेरे सीने पर हाथ रखे हुए थी मेरी बाजू उसके दूध के बीच मे थी , समझ सकते हो कितनी गुदगुदी होती है ।मुरारी- हा बेटा बात तो तेरी सही है , कभी तेरी मा भी ऐसे सट जाती है मुझसे और उसके दूध कितने बड़े और मुलायम है मेरा तो रों रों खड़ा हो जाता है ।अमन हस कर - सिर्फ़ रोम रोम ही क्या पापा हिहिहीमुरारि- चुप शैतान कही का , फिर आगे
अमन - अरे पापा मेरी तो हालत खराब थी उसपे से उसके पैर भी मेरे खूँटे पर रखा थामुरारी चिंता जताते हुए - ओहो मेरे बच्चे कितना सहा तु उफ्फ़ मै होता तो पिघल जाता , अब क्या सोचा है तुनेअमन - आप बताओ मै क्या बोलूं , आप ही मेरे गुरु हो ना । आप जैसा कहोगे वही करूंगामुरारी को लगा उसने सच ने अमन के साथ ज्यादती कर दी है - अह बेटा मुझे लगता है कि तुझे अब बहू से मिलन कर लेना चाहिएअमन चहक कर - सच पापा !!
मुरारी- हा बेटा, बहू भी बेचारी तड़पती होगी लेकिन सन्स्कार बस मुह नही खोलती होगी ।अमन - हम्म शायद
मुरारी- अच्छा उसने कुछ इशारे किये या इस बारे मे बात की थीअमन - किस बारें मे
मुरारी- अरे सेक्स और सुहागरात के बारे मे
अमन लजाता हुआ - नही पापा वो बहुत शर्मिली है और मै भी हिहिहीमुरारी- हा वो देख कर ही लग रहा है हाहाहा , लेकिन एक राज की बात बता रहा हु आज पहली बार होगा बहू का तो दो बार करनाअमन - दो बार क्यूँ
मुरारी- अरे पहली बार दर्द के लिए और दूसरी बार मजे के लिए , नही तो उसके जहन मे अगर दर्द बैठ गया तो आगे बहुत मुश्किल होगी ।अमन - ओह्ह ऐसा क्या , थैंक यू पापा
मुरारी- हम्म चल अब चलते हैफिर दोनो बाप बेटे निकल जाते है घर की ओररंगी की दुकान दोपहर का वक़्त हो चला था ।
जंगी खाली समय होने के कारण रन्गी के पास पहुच गया था ।रंगी - अरे छोटे तु यहा , सब ठिक तो है
जंगी रन्गी को इशारा कर अन्दर केबिन मे चलने को कहता है ।
रंगी दुकान के नौकर को बोल कर केबिन मे चला गयारन्गी - क्या हुआ भाई सब खैरियत तो हैजंगी - हा भैया सब ठिक है वो दोपहर मे ग्राहक थे नही तो सोचा आपसे मिल लूँ और आपको कुछ बताना भी था ।रंगी अन्जादा लगा कर - क्या , निशा की मा के बारे मे कुछ बात है क्या
जंगी - हा भैया , वो कल रात जैसा आपने कहा था वैसा ही हुआरंगी - मतलब , क्या हुआजन्गी - भैया आपके कहे अनुसार मैने मेरे व्यव्हार मे कोई कमी नही रखी और उसके साथ सम्भोग किया औररंगी का लन्ड कसने लगा था - फिर
जन्गी - भैया फिर मैने उसको अपनी बाहों मे भर कर सोनल बिटिया की शादी को लेके बातें छेड़ दी और शादी मे उसकी खूबसूरती को लेके थोड़ा बहुत उसे उकसाया ।रंगी - अच्छा फिर
जंगी - मैने उससे कहा , पता है कमल भाई की नजर थी तेरे पर ,उस दिन बैकलेस डिजाईन वाले ब्लाउज मे उनकी नजरे तुझ पर थी ।रंगी - ओह्ह फिर
जंगी - वो लजाई और*********शालिनी जंगी की बाहों मे चिपकी हुई - अच्छा तो आप मुझे छोड़ कर ये देख रहे थे कि कौन कौन मुझे देख रहा है , मै तो आपके लिए ही तैयार हुई थी ना हुहजंगी - हा लेकिन जिसकी बीवी इतनी सेक्सी हो उसको चारों ओर नजर रखनी पड़ती है मेरी जान , वैसे कमल भाई कुछ ज्यादा ही देख रहे थे तुझेशालिनी इतरा कर - हम्म पता है मुझे
जंगी - अच्छा सच मे , फिर तो तुने भी उन्हे रिझाने मे कोई कसर नही छोड़ी होगी क्यूँशालिनी - धत्त क्या आप भी , मै आपको ऐसी लगती हूँ , वो भरसक मेरे आगे पीछे लट्टू थे हिहिही और पता है आज सुबह क्या हुआजन्गी - क्या क्या बता ना
शालिनी - वो मै सुबह पोछा लगा रही थी वो दुकान मे से खैनी फाकते हुए आ रहे थे और मेरे चोली से झाकते मेरे दूध देख कर अटक से गये । हीही अब मुझसे उनके सामने पल्लू भी सही करता नही बन रहा था ।जन्गी - क्यूँ
शालिनी - अरे मैने ऐसा दिखाया था कि मै उनको देख नही रही हूँजन्गी - बड़े ठरकी मिजाज के लगते है कमल भाई यार
शालिनी हसती शर्माती - हा वो तो है , तभी ना रज्जो जीजी के कुल्हे फूला रखे हैजंगी हस - क्या तु भी
शालिनी हस कर - अब बनो मत , मैने देखा है आपको कैसे निहारते हो आप उनका बड़ा सा पिछवाडाजंगी शर्माता है तो शालिनी हसती हुई - वैसे अभी तो रज्जो दीदी यही है , लेकिन कुछ समय बाद आपको उनकी याद आये तो कहना , चल चलेंगे जानीपुर हिहिही कमल भाईसाहब भी बुला रहे थे हम सबकोजंगी - अच्छा तुझे बड़ा मन हो रहा है कमल भाई के यहा जाने काशालिनी खिलखिला कर - क्यू जलन हो रही है आपको अब मेरे आशिकों से हिहिही *******
रन्गी - हम्म्म मतलब मामला सीरियस है और कमल भाई का गहरा असर पड़ा है उसपे ।जन्गी - भैया मै आपकी वजह से शान्त था नही तो मेरा मन भीतर से जल रहा था बसरंगी - अरे छोटे शान्त हो जाता और ले पानी पीतभी केबिन का दरवाजा खुला और सामने से आवाज आई - अरे सिर्फ पानी ही नही खाना भी आ गया है ।रन्गी - अरे दीदी आप , आज बड़ा जल्दी खाना ले आई
शिला - हा आज जल्दी तैयार हो गया तो आ गयि और छोटे तु भी यहा ।जन्गी का चेहरा अभी भी उतरा हुआ था वो फीकी मुस्कान के साथ - अह हा दिदी वो बस ऐसे ही कुछ काम से आया था । आप लोग खाना खाओ मै भी चलता हूँ ।रंगी उसको रोकता है मगर जंगी खड़ा होने लगता है
जन्गी का उतरा हुआ चेहरा देख कर शिला ने इशारे से रन्गी से पूछा क्या हुआ ।
रन्गी ने हा मे सर हिला कर मामले की गम्भीरता के लिए अपनी हामी दी ।रन्गी - मुझे लगता है हमे उपर चल कर बात करनी चाहिए
शिला - क्या बात है भैया , छोटे बोल ना
रंगी - दीदी चलिये उपर चलते है वही बात करना सही होगा , आओ जन्गीशिला टिफ़िन लेके रन्गी के साथ आगे बढ़ गयिउपर कमरे मेरंगी - आओ दीदी बैठो , तुम भी बैठो जन्गी
रन्गी के पास जन्गी और उसके बगल मे शीला बैठा गयि - क्या हुआ भैया ये जन्गी को क्या दिक्कत हैरन्गी - अह दरअसल दीदी बात बहुत गम्भीर है जिसकी वजह से जंगी परेशान हैशिला जन्गी के कन्धे पर हाथ रख कर - क्या हुआ छोटे बोल ना , अपनी दिदी से छिपायेगाशिला दुलार और मुलायम स्पर्श पाकर जन्गी का जिस्म सिहर उठा , उसके सख्त जजबात बर्फ के जैसे गलने लगे ।रन्गी - मै बताता हु दिदी , हुआ यूँ कि
फिर रन्गी शालिनी और कमलनाथ के भी किचन मे हुए सम्भोग की बात बताती है ।
शिला के दिल मे शुरु से ही जन्गी के लिए एक सॉफ़्ट कोर्नर रहा था । वो उसके दुख सह नही पाती थी आज वो उसे अपना वही छोटा भाई नजर आता था जो बचपन मे हुआ करता था । एक मा के जैसे उसने पाला दुलारा था उसे ।रन्गी की बातो से जन्गी की आंखे शर्मीन्दी भरी आसुओ से डबडबा गयि और उसके रुआंसा देख शिला का दिल पसीज उठा उसने सर पक्ड कर अपने छातियो से लगाते हुए - अरे तो इसमे बच्चो जैसे आस गिराने से क्या होगा , मर्द है तुजन्गी - दीदी मुझे इसका बुरा नही लगा कि उसने किसी के साथ संबंध बनाया , बल्कि कल रात उसने मेरे साथ सम्भोग करते वक़्त उसे इस बात की जरा भी ग्लानि नही थी और ना उसने मुझसे इस बारे मे कुछ कहा । ये छीपा कर रखना मुझे अखर रहा है ।शिला उसके चेहरे को दुलार उसके आसू पोछती हुई - ओहो अब ये सब बातें दिल पर ना लें , ये कमल भाईसाहब की नियत खराब है ये तो मुझे भी पता था , मगर शालिनी भी बहक जायेगी हुहरन्गी और जन्गी शौक्ड होकर- क्या ?
रंगी - क्या कमल भाई ने आपके साथ भी कुछ बदतमिजि की
शिला चुप थी और दोनो भाई उसकी ओर निहारे जा रहे थे अपने सवाल के जवाब मे ।शिला - अह नही भैया वो सब जो भी हुआ उसे बदतमिजि नही कह सकते , संयोग से हुआ था सब लेकिन मुझे कही ना कही लगता था कि उनकी नियत ठिक नही है ।जंगी - दीदी साफ साफ बात बताओ क्या हुआ था
शिला - अह छोटे वो सबसे पहले पूजा वाले दिन हमे हवन के लिए लड़की लाने जाना था , और भैया आपने ही हमे भेजा था याद है नारंगी - हा हा , फिर
शिला - वो गाव की खड़न्जे वाली उबड़-खाबड़ सड़क तो जानते ही है आप और उसके स्कूटी चलानाजंगी - ओह तो साला ये वहा फायदा उठा कर आपको यहा वहा छु रहा थाशिला - नही नही , वो बेचारे तो खुद परेशान थे
रंगी - फिर बात क्या थी दिदी
शिला - वो वहा लकड़िया बटोरते हुए मुझे पेसाब लगी थी और मै बिना बताये एक कोने मे चली गयि मुझे क्या पता वो मुझे खोजते चले आयेन्गे उधर हीजंगी - क्या , उन्होने आपको वहा देखा , मतलब पीछे सेशिला नजरे झुकाये हुए - हा लेकिन मैने इसे संयोग समझ कर टाल दिया और फिर उसी रात मेरे जनमदिन पर जब लाईट भागी थीरन्गी - हा हा
शिला - पहले किसी ने मेरे चुतड़ छुए , मुझे बहुत अजीब लगा और जब लाईट जली तो देखा वही मेरे पीछे खड़े थे ।चुतड़ दबाने की बात पर जंगी का मुह सील गया क्योकि उस रात ये हरकत जंगी ने की थी ना कि कमलनाथ ने ।रंगी - ओह्ह फिर
शिला - एक बार तो मै नहा रही थी राज के क्मरे मे तो वहा भी आ गये पता नही कैसे , पूछने पर बोले कि उनका बैग यही है रखा है और उस समय मै सिर्फ तौलिये मे थीरंगी - अब पता नही दीदी जितना आप बता रही है , वो सब संजोगवश भी हो सकता है या फिर कमल भाई की होशियारी भी ।जंगी भी थोड़ा थोड़ा रन्गी की बात से सहमत था क्योंकि शिला की गाड़ उसने ही दबोची थी - हा लेकिन मुझे शालिनी की बात खल रही है, उसने मुझ्से छिपाया क्यूँजन्गी के ड्रामे पर शिला खिझी और आंख दिखा कर - अच्छा तूने उसको जैसे सब बता रखा हैजन्गी शिला का इशारा समझ गया और चुप हो गया
रन्गी उत्सुकता दिखाते हुए - क्या दीदी अब इसने क्या छिपाया निशा की मा से ।शिला मुस्कुराने लगी - बोल , बता दूँ
जन्गी ना मे सर हिलाने लगा ।
रंगी आंखे बड़ी कर - क्या बात है छोटे जो मुझसे छिपा रहा है ।शिला हस कर - ये बड़ा छिपारुस्तम है , कमल भाईसाहब को ये गालियां दे रहा है और खुद की हरकतें नही दिखती इसे ।रन्गी - मतलब क्या किया इसनेशिला - अरे भैया ये तो अपने दुकान मे आने वाली औरतों को भी ताडता है और बड़ा भोला बन रहा है हमारे आगे । अरे उस दिन शुक्र कर घर पर मै थी नही तो ना जाने क्या क्या हल्ला कर देती वो औरत ।रन्गी - क्या भाई क्या है ये सब
जन्गी - भैया उस समय शालिनी मायके गयि हुई थी और मै परेशान था बहुत और वो औरत भी कम नही थी पहले उसने भी दाम कम करवाने के लिए खुब इशारे किये और जब पैसे देने की बारी आई तो बहसने लगी ।रन्गी - हम्म इसी की सजा मिली है तुझे हाहाहा क्यू दीदी
जन्गी मुस्कुरा कर शिला को देखता हुआ - सजा तो उसी दिन दीदी ने मुझे दे दी थी ।शिला लजाती हुई मुस्कुराती है ।
रंगी - अच्छा, फिर क्या सजा मिली थी तुझे
जंगी - बता दूँ दीदी
शिला आंखे दिखा कर हसती हुई - क्या बोले जा रहा है तु , हो गया अब तेरा मूड सही चल भाई मै चलती हूँ ।शिला उठ कर जाने को हुई
तो जन्गी ने रन्गी को इशारा किया और उसने लपक कर शिला का हाथ पकडते हुए उसके पीछे खडा हो गया और उसके चुतड सहलाता - आह्ह दीदी वो सजा मुझे भी देते जाओ नाशिला की आंखे फैल गयि और वो शौक्ड थी , तबतक जन्गी भी दूसरी ओर उसके बगल के खड़ा होकर उसके दुसरे चुतड़ को दबोचता हुआ - हम्म दीदी प्लीज नाशिला का शरीर पूरा गनगना गया
वो आंख कर भीतर से काप रही थी और उसकी थन जैसी चुचिया कुर्ती के निचे कस चुसी थी , निप्प्ल उभर आये थे । लेगी के उपर से अपने चुतड पर रेंगते अपने दोनो भाइयों के पंजे मह्सूस कर उसने अपने गाड़ टाइट करने लगी ।शिला - उम्म्ं भाइया तुम लोग ये क्या कर उउह्ह्ह्ह आह्ह
तभी रन्गी ने हाथ आगे बढा कर शिला की चुन्नी उसके गले से उतारता हुए उसकी छातीया मिजते हुए उसके कान गाल गरदन पर चुम्मिया करने लगा - उम्म्ंम दीदी , आज मैने भी एक औरत की छाती देखी है मुझे भी सजा दो ना दीदी ।शिला पूरी पागल हो चुकी थी
जंगी अपने पन्जे उसकी लेगी के भीतर घुसा कर चुतडो का जायजा ले रहा था , शिला कसमसा रही थी ।
शिला - उह्ह्ह भैयाआ किसकी देख ली तुमने उम्म्ं भाभी से शिकायत करूंगी तुम्हारी अह्ह्ह सिह्ह्ह्ह ओह्ह्हरंगी उसके गरदन पर काटता हुआ शिला की कुर्ती के भीतर हाथ घुसा चुका था और ब्रा के उपर से दोनो चुचिया मिज रहा था
रंगी - कर दो ना दिदी जिसकी देखी थी उसकी ही दबा रहा है उम्म्ंम
शिला हसी - धत्त , अह्ह्ह सीई उह्ह्ह्ह जन्गीईईई औह्ह क्या कर रहा है उम्म्ंजंगी अब तक निचे बैठ कर शिला की लेगी उतार उसकी चुतड़ मे मुह दे दिया था ।रन्गी ने शिला की कुर्ती उतारने लगा था और शिला ने हाथ उपर कर दिये ।
कुरती फेक कर रन्गी ने एक बार फिर उसकी चुचिया दोनो हाथो मे भर ली और उन्हे मिजते हुए - आह्ह दीदी सुबह सुबह देख कर इन्हे पागल हो गया था उह्ह्ह
शिला जंगी की जीभ की हरकत से रंगी की बाहो मे छ्टपटाती हुई - ऊहह भैयाआ आह्ह आराम से आह्ह कब देख लिया मेरी छातियां उंम्मरन्गी आगे झुक कर उसकी चुचिया नंगी करता हुआ मुह मे भर लिया और फिर बोला - आह्ह दीदी जब तुम चाय देने आयी थीशिला के पैर हिलने लगे क्योकि जन्गी ने उसकी जांघो के बिच से उसकी बुर के फाको मे उंगलिया पेल दी और गाड़ चाटने लगा ।
शिला पीछे की ओर गाड़ फेके हुए सिस्क रही थी और आगे रन्गी उसको पकड़े हुए उसकी छातिया चुसते हुए मजे ले रहा था ।शिला - आह्ह छोटे ऊहह ऐसे तो गिरा देगा मुझे उह्ह्हजंगी पीछे हुआ और खड़ा होकर शिला के बगल मे आ गया और उसने भी दूसरी ओर से उसकी चुची पकड कद मिजते हुए मुह मे भरने लगाशिला - आह्ह तुम दोनो भाई कब से साथ मे उह्ह्ह मह्ह्ह आराम से छोटे अह्ह्ह
जंगी दोनो हाथ से उसकी एक चुचि पक्ड कर उसका निप्प्ल मुह मे ले लिया
वही रन्गी एक हाथ से उसकी चुचिया मिजता हुआ उसके लिप्स को चुसने लगा ।जंगी - आह्ह दिदी भैया से मै कुछ नही छिपाता उह्ह्ह और भैया ने भी मुझे बता दियाशिला - ऊहह सिह्ह्ह उम्म्ं , तो मुझे भी बता देते पहले नारंगी उसको बिस्तर धकेल कर उसकी लेगी निकालता हुआ - अरे दीदी , इसमे अभी जल्दी मुह खोला हैजन्गी अपना पैंट उतार कर अपना लन्ड बाहर निकालने लगा - हा तो तुमने भी कहा बताया था पहले ।शिला मुस्कुराई और घुटने के बल आकर बैठ गयी
सामने उसके दोनो भाई अपना मोटे मोटे लन्ड हाथ मे लेके हिला रहे थे ।
रन्गी मुस्कुरा कर - किसका लोगि दिदी पहले
जंगी - दिदी मुझसे ज्यादा प्यार करती है वो मेरा लेंगी क्यू दिदी
रन्गी - क्यू भाई मै बड़ा हूँ पहले मै
शिला - अरे मेरे भाइयो तुम्हारी दिदी तुम दोनो को बराबर प्यार करती है आओऔर शिला ने दोनो मुस्ल पक्ड कर उसके सुपादो को नयी अपने होठो लगाते हुए अपनी जीभ एक साथ दोनो के पी होल पर फिराई और दोनो की सासे अटक गयी ।
दोनो भाई भितर से गीनगिना गये और उसने दोनो सुपाड़े अपनी थूथ पर रगड़ने लगीनरम नरम स्पर्श उसपे से दोनो भाईयो को सुपाड़े की आपस मे रगड़ भी मह्सूस हो रही थी जिस्से दोनो को अजीब सा रोमांच महसुस हो रहा था और तभी शिला ने लपक कर जन्गी का लन्ड मुह मे भर चुसने लगी , दुसरे हाथ से रन्गी के लन्ड को हिला रही थी ।
उसकी लटकी हुई नंगी चुचिया खुब हिल रही थी
लन्ड बदल कर वो रन्गी पर झपटी और उसका लन्ड गले तक लेते हुए जंगी के लन्ड को भींच रही थीरन्गी - आह्ह जीजी ऊहह सच मे कमाल हो तुम उह्ह्ह ऊहह
जंगी - हा भैया दीदी के होठो का जवाब नही उह्ह्ह सीईई
शिला लन्ड बदल बदल कर चुस रही थी
जन्गी - जीजा हमारा किसमत वाला है भैया , उह्ह्ह दीदी इतना गदराया माल साला पहले वो पेल गयारन्गी जिसे हकिकत मालूम थी - आह्ह नही भाई असली किसमत वाला वो नही कोई और थाशिला मुह से लन्ड निकाल कर - भैया क्या बोल रहे हो और कौन रहेगा
रन्गी उसको खड़ा किया और बिस्तर पर लिटाये हुए अपना लन्ड उसकी चुत पर लगाया और हचाक से आधा अंदर
शिला सिसकी और जन्गी अपना लन्ड लेके शिला के मुह की ओर पहुच गया - हा भैया कौन था वोरन्गी शिला की चुत की गहराइयों मे लन्ड उतारता हुआ - अह्ह्ह अरे भूल गया , वो लखना , अपने मामा का लड़का
जंगी अपना लन्ड शिला के मुह मे दिया हुआ था जो और फूलने लगा - आह्ह क्या सच मे दीदी
शिला ने मुह से लन्ड निकाला और रन्गी को मुस्कुरात देख आंखे दिखाई और लन्ड को हिलाते हुए बोली - हा जन्गीईई आह्ह मेरी चुत मे सबसे पहले लखन भैया ने ही उह्ह्ह्ह उम्म्ं भैया और तेज्ज उह्ह्ह मह्ह्ह ऐसे ही ऊहह कहा घुसा दिया उह्ह्ह ऊहह माह्हरन्गी - आह्ह दीदी आपकी गाड़ मे ही तो असली मजा है उह्ह्ह हहह सीई ऊहह कितनी कसी हुई गाड़ उम्म्ंजंगी आगे लपक कर उसकी हिलती हुई चुचिया मसलता हुआ निप्प्ल मरोडने लगा - अह्ह्ह दीदी ये आपने सही नही किया , अपने छोटे भाई पर जरा भी तरस नही आयाशिला सिस्क कर- आह्ह कमीने छोड़ उसे अह्ह्ह सीई ऊहह दर्द करने लगा उह्ह्ह्ह भैयाअह्ह्ह ऊहह ,
जन्गी अब प्यार से उसके चुचे दुलारता हुआ - आह्ह बताओ ना दिदी
शिला - अरे तरस ही खाया था तुझपे पागल, उह्ह्ह उम्म्ंम भाइयहा उह्ह्ह उह्ह्ह रुकना नही नही ऊहह उह्ह्ह फक्क फक्क मीई ओह्ह्ह ऊहह
शिला जोर जोर से अपनी बुर मे उंगलियाँ पेलने लगी और रन्गी हचक ह्चक के लन्ड उसकी गाड मे भरने लगा ।शिला तेजी से झड रही थी और जंगी का लन्ड पकड़े हुए थी
जन्गी - आह्ह दीदी बताओ ना
शिला - आह्ह तब तु 7वीं मे भाई कहा से लेती तेरा
रन्गी ठहाका लेता हुआ हसने लगा और शिला भी मुस्कुराती हुई उठने लगीरंगी ने पोजीशन बदली और सोफे पर पैर लटका बैठ गया और शिला आई और उसकी ओर पीठ करके उसका लन्ड गाड़ मे लेके बैठ गयी
रंगी के एक बार फिर निचे से उसकी जान्घे फैला कर तेज झटके देने शुरु कर दिये
ये जंगी के लिए खुला आमंत्रण था सामने शिला की रस छोड़ती बुर थी
जंगी ने लन्ड को मुठियाते हुए उस्की बुर के मुहाने लगाशिला - अह्ह्ह बाबू आराम से डालना वअह्ह्ह उह्ह्ह जन्गीईई उम्मममं आह्ह मर गयि रेह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह अह्ह्हरन्गी - हो गया क्या सेट
जंगी - हा भैयाशिला - अह्ह्व बहिनचोद आराम से हहह उह्ह्ह भैयाअज उह्ह्ह
जंगी हसता हुआ शिला की बुर मे लन्ड पेलने लगा - अह्ह्ह दिदी कितनी गर्मी है आपमे उह्ह्ह सीई उम्म्ंमशिला पुरा जोश मे आ चुकी थी उसके दोनो छेड़ मे दो दो बड़े मोटे लन्ड भसड मचा रहे थे , और शिला चिखे जा रही थी
जन्गी आगे हाथ बढ़ा कर उसकी चुचिया मिजता हुआ - आह्ह दीदी बहुत मजा आ रहा है, ऊहह कितना मस्त सिन है , जीजा देखता तो पागल हो जातारन्गी - हा भाई आह्ह बहिनचोद को दिखा दे क्या कि हमारी दीदी को खुश कैसे रखा जाता है अह्ह्हजन्गी - हा भैया , इस बार जब दीदी घर जायेंगी तो प्कका उन्हे जीजा से शिकायत रहेगीशिला सिस्कती हुई - काहे की शिकायत भाई अह्ह्ह उह्ह्ह पेलो ना उह्ह्ह और तेज उह्ह्हजंगी - वहा आपको कहा दो लन्ड मजा मिलेगा हहहाहारन्गी निचे से कमर उछालता हुआ - हा दीदी , आपको हमारी याद नही आयेगी उम्मममंशिला - आह्ह बहुत ज्यादा आयेगी ऊहह अपने भाइयों को कौन भूला है भला अह्ह्ह और तुम जैसे बहिनचोद भाइयो को कौन भूलेगा अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह और उम्म्ं मजा आ रहा हैजन्गी - भैया एक बात कहू मुझे एक आईडिया आयारन्गी - क्या बोल ना
जंगी - ऐसे नही पहले मुझे दीदी की गाड़ मे घुसाने दोरंगी हसता हुआ - अरे तो ले ना , घूम जाओ दीदीशिला के चुत और गाड़ के लन्ड निकले तो वो अपने दोनो छेद सहलाती हुई उठी और रन्गी का लन्ड चुत मे भर लिया और जंगी ने सुपाडा सेट कर खुली हुई गाड़ मे लन्ड हचाक से उतार दिया
शिला - अह्ह्ह साले आराम से उह्ह्ह ऊहह
जंगी - आपकी गाड़ बहुत टाइट है दीदी , लगता है जीजा अच्छे से लेता नही उम्म्ंमरन्गी - वो तू क्या बता रहा था
जंगी शिला की गाड़ मे पेलता हुआ -अह्ह्ह भैया बहुत मजेदार आईडिया है लेकिन दीदी की मदद लगेगीशिला कसमसा कर दोनो के बीच पिसती हुई सिस्कती हुई - अह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क फ्क्क्क उह्ह्ह ऊहह तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगी मेरे भाई आह्ह उह्ह्ह बोल ना , ऐसा मजा कहा मिलेहा मुझे उह्ह्हरन्गी निचे से लन्ड शिला के भोस्ड़े मे उछलता हुआ - हा भाइ बोल नाजंगी जोश मे आया और पूरी ताकत से लन्ड शिल की गाड़ मे भरने लगा - मै सोच रहा था भैया , क्यू ना क्म्मो को भी शामिल किया और फिर हम चारो भाई बहन एक साथरन्गी को कम्मो का नाम सुनते ही ससुर सा छा गया उसका लन्ड दुगने जोश से शिला की बुर मे चलने लगा - अह्ह्ह भाई क्या बात कही है उह्ह्ह दीदी उह्ंम्ंम्ं क्या ये हो सकता है अह्ह्ह करो ना कुछ औह्ह्ह अह्ह्ह अब मुझसे और नही रुका जायेगा अह्ह्ब दीदी आ रहा है मेराजन्गी - हा भैया कम्मो के बार मे सोच कर ही मै भी पागल हो रहा हु उह्ह्ह ऊहह आओ दीदी आ राहा है
दोनो भाई ने लन्ड बाहर खिंच और खड़े होकर हिलाने लगा , शिला निचे बैठ कर मुह खोल कर उनकी पिचकारियां ले ने लगीझडने के बाद दोनो का लन्ड चुसा और खुद को साफ करने लगीवही दोनो भाई सोफे पर बैठ कर खुद को शान्त करने लगे
सामने शिला अपने छातियों और चेहरे पर लगे रस को साफ कर चाट रही थीरंगी - तोह दीदी क्या सोचा इस बारे मे
जंगी - हा दीदी करते है ना
शिला मुस्कुरा कर - मुझे कोई दिक्कत नही है, लेकिन कम्मो को मनाना आसान नही है ।जंगी - इसीलिए तो हमे आपकी हैल्प चाहिये , आप ही उसे अच्छे से समझती है और इतने सालों से साथ रह रही हैरन्गी - हा दीदी जंगी सही कह रहा है , करों ना कुछ
शिला उठी - हुहू ना मतलब ना , मै इसमे कोई हेलप नही करने वाली , तुम दोनो ही राजी करो उसेये बोलकर शिला बाथरूम मे चली गयी ।
जंगी - भैया कुछ करो ना , बिना दीदी के ये काम न्ही हो पायेगा
रन्गी मुस्कुराकर उस्को इशारे से शान्त रहने का बोलता है
और इधर शिला बाथरूम मे जाकर मुह धूल कर वापस आई , अभी तक दोनो भाइ वैसे ही थे ।शिला- अरे तुम लोग अभी तक ऐसे क्यूँ होरन्गी और जन्गी आपस मे मुस्कुरा कर अपना मोटे मोटे लन्ड को दुलारते हुए फिर से खड़ा करने लगे ।जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 208
रिन्की और दुलारी
दोपहर मे काम निपटा कर दुलारी रिन्की को लेकर समान लेने के बहाने चमनपुरा बाजार निकल गयी ।
रिन्की - क्या भाभी , वो सब जरुरी है क्या लेना ?
दुलारि अपने सर पर पल्लू आगे करती हुई धीरे से बोली - अच्छा ये बता , ये दुकाने बाजारे इतनी सजी और जगमग कयू रहती है ।
रिन्की - अरे भाभी ताकी ग्राहक ज्यादा आये उन्के यहा
दुलारी- हा तो जब तेरी दुकान सजी रहेगी तभी तो तेरा माल आयेगा लेने
रिन्की लजाई - भक्क भाभी आप बस सपने दिखा रहे हो , भैया तो मुझे ताकते भी नही । नयी वाली भाभी को देखी कितनी सेक्सी है और मै दूबली पतली ऊहह
दुलारी- अरे मेरी लाडो, फिकर ना कर तेरे ये चुजे की चोंच देख कर ही तेरा माल बावरा हो जायेगा , आ इस गली मे चलते है ।
रिन्की - भाभी यहा कितनी दुकाने है और सब पर जेन्स लोग है कैसे लेंगे यहा ?
दुलारी- तु चुपचाप चल , आगे देखते है
थोड़ी दूर बढ़ने पर रिन्की ठिठक कर खड़ी हो गयी , उसकी आंखे फैल गयी और गला सूखने लगा ।
दुलारी उसका हाथ पकड़ कर खिन्चती हुई - क्या हुआ चल ना
रिन्की ने आंखो से सामने एक दुकान पर इशारा किया , जिसपे अनुज बैठा हुआ था ।
दुलारी की आंखे चमक उठी - अरे ये तो वही है ना ? शादी वाला आशिक़
रिन्की खुश हुई और लजाती हुई धीमी अवाज मे - हा भाभी और वो नई भाभी का सगा भाई है ।
दुलारी - हा हा पता है, चल चलते है
रिन्की अपनी कलाई छुड़ाती हुई - क्या ! नही नही प्लीज भाभी
दुलारी- अरे समान मै लूंगी ना , तु बस बातें करना उससे चल
रिन्की असहज होकर दुलारी के साथ अनुज के दुकान पर चली गयी ।
उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और जैसे ही दुकान पर उसकी नजरे अनुज से टकराई वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर ली
अनुज और रिन्की दो शर्म से गाढ़ हुए जा रहे थे और दुलारी उन्हे देख कर मुस्कुरा रही थी ।
अनुज ने दुलारी को नमस्ते किया ।
दुलारी- ओहो पहचान रहे हो क्या आप हमे
अनुज मुस्कुरा कर एक नजर रिन्की को देखा और हा मे सर हिलाता हुआ - जी आप दीदी की शादी मे आई थी ना
दुलारी - फिर इनको भी पहचानते होगे
दुलारी ने रिन्की की ओर इशारा किया तो अनुज ने हा मे सर हिलाते हुए - जी इनको भी साथ मे देखा था ।
दुलारी- बस देखा था !
अनुज - हा वो मै , अच्छा आप लोग बैठिये मै कुछ मगाता हूँ , क्या लेंगी आप लोग
रिन्की - नही कुछ नही
दुलारी दुकान का स्टूल पकडती हुई - भई मेरी देवरानी का पीहर है तो मै तो खा पी कर ही जाउंगी हिहिहिही
अनुज रिन्की से - अरे बताईये ना
दुलारी ने रिन्की को छेड़ते हुए - अरे इसको लम्बी डंडे वाली मलाई कुल्फ़ी पसंद है , मिलती है क्या इधर
अनुज - हा यही मोड पर है वो घूमता रहता है और आप
दुलारी- अह , मुझे तो कुछ भी चलेगा जूस चाय कुछ भी
अनुज - बस दो मिंट आया
और अनुज दुकान से बाहर निकल गया ।
रिन्की हस्ती हुई - धत्त क्या भाभी वो क्या सोचेगा कि हम लोग खब्बू है और अपने लिये जूस तो मुझे मलाई कुल्फ़ी क्यूँ
दुलारी हसती हुई - बेटा खोज तो आज कल तु मलाई कुल्फी ही रही है हिहुहि क्यू
रिन्की - धत्त भाभी आप भी ना
कुछ ही देर मे अनुज जूस और कुल्फी लेके हाजिर हुआ और दोनो को दे दिया
दुलारी ने जूस का गिलास होठ से लगाया तो रिन्की ने रबड़ी लिभ्डी कुल्फ़ी के टिप को होठो से लगा कर सुरकने लगी ।
वो अनुज के सामने ऐसे पेश आने से लजा रही थी और अनुज से कनअंखियो से कुल्फी चुसते चाटते देख रहा था ।
अनुज - अच्छा अब बताओ क्या सेवा करू आपकी
दुलारी बुदबुदाइ - अरे इसको पटक के चोद दे बस
अनुज - जी
रिन्की ने मुस्कुरा कर दुलारि को देखते हुए कुल्फी का बाइट लिया ।
दुलारी जूस का गिलास रखती हुई - वो रिन्की के लिए जरा ब्रा पैंटी के सेट देखना था
दुलारी ने डायरेक्ट बोल दिया और रिन्की के गले कुल्फ़ी का टुकड़ा अटकते अटकते रह गया , वो खासने लगी ।
दुलारी और अनुज दोनो का ध्यान रिन्की की ओर गया ।
अनुज ने फिकर लपक कर पानी का बोतल उठाया और उसकी ओर बढाता हुआ - लिजिए पानी पी लिजिए
हाथ मे पानी का बोतल पकड़ते ही रिन्की और अनुज दोनो को शादी के रात वाली वो दासता याद आ गयि जब रिन्की ने बड़ी बेबाकी से अनुज के हाथ जूठा पानी पी लिया था ।
रिन्की ने कुल्फ़ी जूस के ग्लास मे रख कर पानी के बोतल से पानी पिया और बैठ गयी ।
दुलारी ने देखा अनुज की नजर अब भी रिन्की को देख रही है ।
दुलारी- दिखाईये ना
अनुज हड़बड़ाया - जी साइज क्या होगा
दुलारी- रिन्की क्या साइज़ है तेरा
रिन्की गले से थुक गटकती हुई धीरे से दुलारी के कान मे बोली - 30B
दुलारी- हा बाबू 30B देना और निचे का
रिन्की लजाती हस्ती हुई दुलारि का बाजू पकड़ कर उसपे लोटने सी लगी ।
दुलारी- अरे बोल ना
रिन्की - 32
दुलारी हस कर - निकाल दो बाबू 32 , और सुनो
अनुज - हा
दुलारी- जरा फैंसी मे दिखाना वो चला है ना डोरी वाला
रिन्की - क्या भाभी , नही जी वो सब मत दिखाना ।
दुलारी थोड़ा खुलती हुई - अरे अभी तो तेरे उमर है , अभी पहन ले नही तो शादी होने के बाद कहा ये सब नशिब होगा ।
रिन्की मुह बनाती हुई - जैसे आप बडा पहनते थे शादी से पहले
दुलारी- अरे मै पहन लेती , मगर मेरा साइज़ देखा है ना , वो थोडी ना थाम पायेगा
रिन्की अब तो लाज से हस्ती हुई दुलारी पर झोल ही गयी और अनुज भी दुलारी की फुहरपने पर शर्माता हुआ मुस्कुराने लगा ।
दुलारी- अच्छा ठिक है बढिया लेस वाली दिखाना
अनुज ने फटाफट दो तीन डब्बे निकाले और आगे परोस दिया ।
दुलारी खुले मन से पूरे काउंटर पर ब्रा पैंटी फैला कर उसकी क़्वालीटी और साइज़ देखने लगी ।
रिन्की और अनुज बस चोर नजरों से एक दुसरे को निहारते लजाते रहे ।
रिन्की - भाभी बस करो लेलो कोई एक और चलो
दुलारी - अरे ऐसे कैसे , पहले नाप तो ले , यहा कोई चंजीग रूम है क्या ?
अनुज थोडा असहज होकर एक नजर रिन्की को देखता है - वैसा तो कुछ नही है पर पीछे कमरा है चले जाओ ।
दुलारी ने दो जोड़ी ब्रा पैंटी दिये और उसको लेके कमरे मे चली गयी ।
बारि बारी से उसने चेक करवाया और कुछ देर बाद अकेले बाहर आ गयी ।
दुलारी दूकान मे आई और बोली - अच्छा और भी कोई रहता है क्या ?
अनुज - हा भैया भी , क्यूँ
दुलारी- वो कहा है ?
अनुज - वो अभी खाना खाने उपर गये है ।
दुलारी ने आस पास नजर घुमाई और फिर सड़क की आते जाते लोगो को देखा और फिर अनुज को देख कर आंखो से इशारे कर बोली - जाओ मै हु बाहर
अनुज चौका - क्या ?
दुलारी फुसफुसा कर - अरे धिरे बोलो और कमरे मे जाओ , मै हु इधर
अनुज सकपकाया उसकी धडकने तेज होने लगी , गला सुखने लगा - म मै समझा नही ,
दुलारी उसको पकड़ कर कमरे की ओर धकेलती हुई - ओहो सम्झाने का समय बाद में भी मिलेगा , अभी जाओ
अनुज दरवाजे से टकराता हुआ कमरे मे आया तो सामने रिन्की अपने समान्य कपड़ो मे खड़ी थी
अनुज अटकता हुआ - वो भाभी ने भेजा मुझे , क्या हुआ साइज़ सही है ना
रिन्की भी नजरे चुरा रही थी उसकी सासे धधक रही थी चेहरे पर फीकी मुस्कान थी और कलेजा काप रहा था - अह हा सब सही है और कलर भी ठिक है , एक सेट तो मैने पहन ही लिया हिहिही
अनुज उसके अजीब बरताव को मुह बना कर देख रहा था , देख रहा था कि उसकी उंगलियाँ बेचैनी मे एक दुसरे को कैसे तोड मरोड रही थी । देख रहा था हनहनाते पंखे की हवा मे उसके चेहरे नथुनो और सीने पर उभरा हुआ पसीना ।
उसके फड़कते होठ जो बेताब कुछ कहने को या कुछ करने को , हिलते पाव और चंचल निगाहो को , जो एक जगह ठहर नही रही थी ।
अनुज - अच्छा ठिक है मै जा रहा हु
रिन्की ने हिम्मत दिखाई और बोली - रुको
अनुज - हा कहो
रिन्की झिझक भरे लहजे मे - वो मै ये कह रही थी
अनुज उसके फूलते सीने को निहार रहा था और रिन्की उसकी नजर निहार रही थी ।
अनुज की नजरे एकाएक उससे टकराई और वो सहमा और थुक गटकता हुआ वो रिन्की की आंखो देख रहा था ।
रिन्की इधर उधर फिर से आंखे नचाने लगी और फिर अचानक से लपक कर अनुज पर झपटी और उसके होठ अपने होठ से दबोच लिये ।
अनुज की आंखे फैल गयी , वो छुड़ाने को छ्टपटाया मगर रिन्की उसके गले मे अपने हाथ का पट्टा बना कर जकड रखा था और उसके होठ जबरजस्ती चुसे जा रही थी ।
अनुज पूरी ताकत से उससे अलग होकर हाफता हुआ - ये क्या था ?
रिन्की अनुज के माथे पर उभरी हुई नाराजगी से थोड़ा डरने लगी और थोड़ा शर्मिंदा थी - सॉरी , बट तुम मुझे बहुत प्यारे लगते हो
अनुज अपने लिप्स पर उन जगहो पर उन्गलियो से टैप कर रहा था जहा उसे रिन्की के दाँत मह्सूस हो रहे थे - तो तुम ये कह सकती थी, ये क्या तरीका हुआ बताने का ?
रिन्की तुनक कर मुह बनाती हुई - सुना था तुमने क्या उस रात और कितना डरते हो तुम
अनुज अपनी कमजोरी से बखूबी वाकिफ था मगर फिर उसके पास सवाल कई थे - हा लेकिन समय तो चाहिये होता है ना ऐसे किसी से दिल की बात कह दूँगा ।
रिन्की उदास होकर - तुम समय निहारते रहना और मै परसो अपने घर चली जाउन्गी ।
अनुज - क्या , लेकिन क्यू । मतलब जल्दी क्या है ?
रिन्की अनुज को बेचैन देख कर - तुम्हे भला उससे क्या ? मेहमान हु यहा घर थोड़ी है मेरा ।
रिन्की - और मै कौन सा तुमसे जनम जनम का साथ निभाने को कह रही थी , वो तो बस कुछ पल
अनुज अचरज भरी मुस्कुराहट- मतल्ब
रिन्की मुस्कुराई लजाई - मतलब तुम सब जानते हो ,हटो अब जाने दो तुम किसी काम के नही हुह
रिन्की आगे बढ़ने को हुई कि अनुज ने उसकी बाजू पकड़ अपनी ओर खीचा और उसके होठ के पास अपने होठ ले गया और उसको करीब से निहारते हुए उसकी आँखो की नाचती पुतलियों को देखता हुआ - अच्छा तो मै किसी काम का नही हूँ, रुको
अनुज ने उसके होठ अपने होठ मे जोड़ लिये और दोनो एक दुसरे को चुसने लगे , रिन्की अनुज को अपनी बाहों ने भरने लगी और अनुज उसके चुतड़ मसलने लगा ।
तभी बाहर से आवाज आई - रिन्की घर से फोन आ रहा है चलो
दोनो अलग हुए अनुज संशय भरि नजरों से उसे देखता हुआ - रुक जाओ ना कुछ दिन
रिन्की उसकी आंखो मे निहारती हुई - परसो आओगे तब देखती हूँ
ये बोलकर वो उसके गाल चूम कर बाहर जाने को हुई कि अनुज की नजर फर्श पर बिखरी हुई रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी और वो लपक कर उठाता हुआ - अरे ये रह गया तुम्हारा ।
रिन्की शरारती मूड मे मुस्कुरा कर - रखो अपने पास मेरी याद दिलायेगा तुम्हे
अनुज शौक्ड भी हुआ और खुश भी और उसने चुपके से वो दोनो ब्रा पैंटी जेब मे डाल दी और बाहर आ गया ।
दुलारी के आगे अब भी दोनो मुस्कुरा शर्मा रहे थे
दुलारी ने कुछ नही कहा और फिर वो निकल गये घर के लिए
राहुल के घर
दुकान मे
शालिनी - अरे तेरे पापा कहा गये
राहुल - पता नही मम्मी , बोले अभी आता हूँ
शालिनी - अरे इनको रोज कुछ ना कुछ घटा रहता है बाजार घूमने निकल जाते है ।
इनसब के बीच अरुण की निगाहे अपनी मामी के गुदाज पेट की गहरि और कामुक नाभि पर जमी थी जो सीलिंग फैन की हवा से पल्लू के नीचे से झाक रही थी ।
शालिनी की नजरे एकाएक अरुण की ओर गयी तो उसने उसकी नजर का पीछा कर पल्लू से पेट धकती हुई - आजाओ बाबू तुम खाना खा लो
अरुण ने एक नजर राहुल की ओर देखा तो राहुल ने जाने का इशारा किया ।
इधर अरुण उठने को हुआ तो शालिनी घूम कर गलियारे से हाल की जाने लगी ।
गलियारे से हाल मे दाखिल होते ही रोशनी उसका मोटा पीछवाडा और लचकदार कमर की थिरकन देख कर गलियारे के अन्धेरे मे अरुण ने अपना लन्ड भिन्चा और फिर किचन मे चला गया
शालिनी खाना परोस रही थी और अरुण सिंक मे हाथ धूल रहा था और उसकी नजर अपनी मामी के कुल्हे पर कसी हुई साड़ी पर थी जिसमे उसके चुतडो की गोलाई साफ साफ उभरी हुई थी ।
मोटा पिछवाडा देख कर अरुण के ध्यान वो सीन याद आया जब उसने पल भर के लिए शालिनी को मूतते देखा था ।
शालिनी - हम्म लो बाबू खा लो
अरुण ने शालिनी के हाथ से थाली ली और हाल मे बैठ कर खाने लगा , उसकी नजर किचन मे ही जमी हुई थी ।
शालिनी को भी आभास था कि उसके चुतडो पर अरुण की नजर है उसने उसे सताने का सोचा
वो भी एक प्लेट मे खाना लेके आई और उसके पास मे बैठ कर खाने लगी ,
मामी के एकदम से करीब बैठने से अरुण को बेचैनी होने लगी , इधर शालिनी ने रेमोट से टीवी चालू कर दिया उसकी नजरें सिरियल पर थी और वो ये भी जान रही थी कि उसके भांजे की निगाहे रोटियाँ चबाते हुए उसके दूध के टैंकर भी निहार रहे है ।
पल्लू पहले से ढीला रखा था , उसपे से ब्लाउज का लो कट गला जिसमे से झाकते हुए खरबूजे के जोड़े
इधर शालिनी खाना खतम करने को हुई थी और उठने जा रही थी कि उसकी साड़ी सोफे के एक बटन मे कही उलझी और उसका पल्लू पुरा का पुरा सीने से उतर गया ।
भांजे के आगे अपना जोबन अपने जुठे हाथों से कैसे छिपाती साड़ी का पल्लू खिंचने मे हाथ से प्लेट सरक कर गिर गयी और दाल और बची हुई सब्जी फर्श पर दाग छोड़ती हुई पसर गयि अलग सो ।
शालिनी ने किसी तरह से अपनी साडी छुड़ाया और अपने भांजे से बिना को बात चीत किये सीने को ढकती मुस्कुराती हुई प्लेट उठा कर किचन मे चली गयी ।
हाथ मुह धूल कर वो झटपट बाथरूम की ओर गयी और वहा से एक बालटी लेके हाल मे दाखिल हुई
अबकी अपनी मामी को देख कर अरुण की आंखे बड़ी हो गयी ,
शालिनी अपनी साडी घुटनो तक उठा रखी थी , पल्लू घूम कर कमर मे फसा हुआ था । हाथ मे पोछे वाली बालटी लेके आ पहुची थी ।
अरुन मुह मे निवाला चबाता हुआ अपनी मामी की गोरी गोरी चिकनी पिंडलियों को निहारने लगा ।
शालिनी मुस्कुराते हुए बैठ गयी और बालटी से पोछा निकाल कर अरुण मे पास ही पोछा लगाने लगी ।
घुटनो के बल आगे की ओर झुकी हुई शालिनी की चुचियों बलाऊज मे लतके हुए खुब हिल रही थी , मानो अब बाहर आ जाये मगर ब्रा मे उन्हे काफी हद तक अपने गिरफत मे ले रखा था ।
शालिनी ने अरुण की आंखो मे देखा और उसकी चोरी पकड कर मुस्कुरा दी - और कुछ चाहिये क्या बाबू
अरुण निवाला गटक कर ना मे सर हिलाया और
शालिनी पोछा लगा कर उठी और बालटी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगी , अरुण ने शालिनी की घुटने तक उठी साडी मे थिरकते उसके मोटे मोटे चुतड़ देखे तो उसको रहा नही गया ।
वो लपक कर किचन मे थाली रख कर सिंक मे हाथ धुला और अपने लोवर मे पीछे की तरह हाथ रगड़ता साफ करता हुआ तेजी से बाथरूम की बढ़ गया ।बाथरूम से बालटी मे पानी भरने की आवाजें आ रही थी और कपड़े कचारने की भी ।
अरुन ने हल्का सा भीडके हुए दरवाजे से झाक कर देखा तो उसकी आंखे फैल गयि ।
बाथरूम के उसकी मामी सिर्फ पेतिकोट मे बैठी हुई अपने जिस्म से उतारे हुए कपड़े धूल रही थी ।
दरवाजे का हैंडल पक्ड कर अरुण बाथरूम मे झाक रहा था और लोवर मे उसका लन्ड तना हुआ था ।
तभी दरवाजे के कब्जे मे हलचल हुई या फिर अरुण के हाथों का दबाव हैंडल पर ज्यादा हुआ और चोईईई की आवाज करता हुआ बाथरूम का दरवाजा भीतर की ओर खुल गया
सामने शालिनी चौक कर सरफ की गाज वाले हाथ से अपने खुले हुए चुचे छिपाती हुई - अरे बाबू तुम यहा
अरुन नजरे चुराने लगा - वो मामी मुझे बाथरूम यूज़ करना था तो सॉरी वो मै
शालिनी - अरे तो बेटा पाखाना बगल मे है ना
अरुण की नजरे शालिनी की मोटी मोटी पपीते जैसे चुचियों पर थी वो अटकता हुआ - नही वो मुझे पैर धूलना था और दाल मेरे पैर पर भी गिरी थी
अरुण ने पाव आगे कर कर जुठ के दाग दिखाया और शालिनी को असहज मह्सुस हुआ कि उसकी जुठन गिरने के बाद भी अरुण ने कोई शिकायत नही की ।
शालिनी ने सामने से कपड़े हटाये और उसको पैर आगे करने को बोला ।
अरुण ने पैर आगे किये और शालिनी पानी डालती हुई उसके पैर धूलती हुई - वही देखो ना मेरी साडी भी खराब हो गयी और फिर यहा उपर ब्लाउज मे भी दाग लग गया था ।
शालिनी बड़बड़ा रही थी और अरुण की निगाहे उसकी मोटी मोटी झूलती थन जैसी छातियों पर थी ।
शालिनी - लो हो गया
अरुण - हा लेकिन मुझे अब लोवर भी बदलना पड़ेगा
शालिनी - क्यू क्या हुआ
अरुण - अरे देखो ना मामी यहा वहा छीटें गये हुए है
शालिनी - अरे हा , ला बेटा निकाल धूल देती हु इसे ,
अरुण मुस्कुरा कर लजा कर - अह नही नही बाद मे
शालिनी - अरे निकाल ना , क्यू जिद कर रहा है
अरुण हस कर - मामी वो मैने निचे कुछ पहना नही है
अरुन का जवाब सुनते ही शालिनी की नजर सीधा उसके लोवर मे बने तम्बू पर गयी और वो हसती हुई - क्यु
अरुण - मामी वो कच्छी मेरी बड़ी मामी के यहा छूट गयी है
शालिनी - अच्छा
अरुण - आप कहो तो निकाल दूँ
शालिनी ने उसका शरारती चेहरा देखा और हस्ती हुई खडी हुई और उसको बाथरूम से बाहर करती हुई - चलो हटो बदमाश कही के , जाओ कमरे से बदल कर लाओ ।
अरुण हसता हुआ बाहर आ गया और शालिनी ने दरवाजा भिड़का दिया ।
अरुण झट से कमरे मे गया और उसने अपनी लोवर निकाली और अपना लन्ड भींचता हुआ सिस्का - अह्ह्ह मामीईई क्या मस्त पपिते है आपके ऊहह हिहिही सच मे मामी हो तो ऐसी हो ।
अरुण का दिमाग नही चल पा रहा था कि वो क्या करे क्या नही , कैसे भी करके वो इस मोमोंट का फायदा लेना चाहता था ।
उसने लोवर निकाला और टीशर्ट मे बाहर आया और बाथरूम के बाहर जीने की अरगन से तौलिया खिंच कर लपेट कर वापस से बाथरूम के आगे पहुच गया
बिना किसी दस्तक के उसने फिर से दरवाजा खोल दिया और सामने शिला पूरी नंगी खड़ी जिस्म पर साबुन मल रही थी
पुरा का पुरा नंगा जिस्म देख कर अरुण का मुह खुला रह गया आखे बड़ी हो गयी , लन्ड फौलादी हो गया
हाथ से लोवर निचे गिर पड़ा ।
शालिनी एक बार फिर चौकी और अपने चुत को ढ़कती हुई दोनो हाथ क्रॉस किये जिससे साबुन मे मिजी हुई चुचिया सेंटर मे आ गयि , सीधी और तनी हुई ।
गोरी मोटी गोल गोल चुचियों पर भूरे निप्प्ल उसकी खुबसूरती मे दो सितारे के जैसे थे ।
शालिनी - अरे देखा क्या रहा है पागल , जा ना
अरुन हड़ब्डा कर - अह हा हा जी मामी
अरुण नजरे फेरे वापस जा रहा था कि शालिनी ने उसे आवाज दी - अच्छा सुन , अब आ गया तो मेरी पीठ मल दे जरा
अरुण - जी ठिक है
ये बोलकर वो बाथरूम मे दाखिल हुआ
शालिनी उसकी ओर घूम गयी और 40 साइज़ की उसकी बड़ी सी गाड़ अरुण के आगे पूरी नंगी , साबुन के झाग मे झलकती हुई और कामुक लग रही थी ।
शालिनी ने साबुन की टिक्की थमाई और अरुन ने फीसलते हाथ से उसे पकडा और पीठ पर घुमाने लगा ,
मामी को ऐसे छूने की कल्पना तक नही की थी उसने और
शालिनी - हम्म्म जरा और निचे हा और थोड़ा
शालिनी ने अरुण के रेंगते हाथ को दिशा देते हुए कुल्हे तक ले आई थी , मगर अरुण की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो इसपे दाव खेलने का रिस्क उठाये ।
शालिनी उसके इरादे भरपुर जान रही थी , मगर वो भी खुद को रन्डी के जैसे पेश नही करना चाहती थी , तलब तो उसे भी और ये यकीन भी कि इसका लन्ड भी अनुज के जैसे ही कड़ा और मजबूत होगा ।
जवानी के दहलिज पर कदम रखने वाले किशोर छोरे के लन्ड की नसो कसावट आखिर तक ढीली नही पड़ती और अगले राउंड के लिए जल्दी तैयार भी हो जाता है ।
हाल ही उसने 3 जवाँ लन्ड का स्वाद ले चुकी थी उसमे अनुज के लन्ड ने उसकी दिलचसपी इंटर-हाईस्कूल के जवाँ लड़को मे बढा दी थी ।
लोवर मे बने तम्बू को याद कर शालिनी को यकीन था कि अरुण जरुर अनुज के टक्कर का ही होगा , मगर पहल हो कैसे ।
इधर अरुण के हाथ साबुन की तिकीया लिये उसके निचली कमर पर और नंगी चुतड की शुरुवात सीमा तक आ गये थे ,
शालिनी के जिस्म मे कपकपाहट बढ रही थी उसके हाथ बड़ी कामुकता से अपनी छातीया कलाइयों से मिज रहे थे और एक मदहोशि सी चढ रही थी ।
बेसिन के आईने मे अरुण ने अपनी मामी की खुमारी देखी और शालिनी ने उसकी नजरे टकराई ।
शालिनी की आंखो मे उतरी बदहवासी को देख कर अरुण का कलेजा फडका , हिम्मत पर उसने हाथ आगे बढा का अपनी मामी की नंगे फुटबाल जैसे बडे बडे चुतड़ पर साबुन फिराया
शालिनी सिस्क कर उसके सामने आंख बन्द कर ली और अरुण साबुन की तिकीया फर्श पर सरका दी और अपने चिकने पंजे को अपनी मामी की गाड़ पर घुमाने लगा , भांजे से स्पर्श से शालिनी सिहर उठी , उसने अपनी चुतड की दरार को कस लिया , जिस्म मे कपकपी सी होने लगी ।
अरुण बस अपनी मामी के चेहरे पर उभतरे हुए कामातुर भावों को पढते हुए अपने फिरात हुआ बीच वाली उंगली को गाड़ के सकरे दरारो के ढलानो पर ले गया ।
शालिनी का पुरा जिस्म गिनगिना गया और वही निचे उसके बुर के छोर के कुछ इंच की दुरी के पहले ही अरुण ने अपनी उंगली फ़ोल्ड कर शालिनी के गाड़ के फाकों मे घुसा दी , जिससे शालिनी उछल पड़ी- अह्ह्ह सुउउऊ
अरुण मुस्कुराया कि तभी हाल से एक तेज आवाज आई - निशा की मा कहा हो ?
ये आवाज अरुण के मामा जन्गी की थी ।
दोनो मामी भांजे की सासे अटक गयी अब क्या हो ,
मगर जवाब तो देना ही थी ।
आवाज की आवृति और तीव्रता से साफ मालूम हो रही थी कि जन्गी बाथरूम की ओर बढ़ रहा था ।
शालिनी ने मुह पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया और बोली - अजी मै नहा रही हूँ
जन्गी - अच्छा अच्छा , जल्दी आओ और खाना लगा दो मै कपडे बदल रहा हूं
शालिनी ने हा मे जवाब दिया और जन्गी के कमरे मे जाने की आहट का इन्तजार किया
शालिनी हौले से दरवाजा खोल कर बाहर झाका और अरुण को फुसफुसा कर बाहर जाने का इशारा किया - जाओ जल्दी
फटी तो अरुण की भी थी इसीलिए वो फीके पडे चेहरे के साथ बाथरूम से निकलने लगा ।
शालिनी - अरे तौलिया तो देते जाओ
अरुण - नीचे कुछ नही है
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या तुम भी झट से भाग जाना कमरे मे , जल्दी लाओ नही तो तुम्हारे मामा आ जायेंगे
अरुण का गल सुखने लगा और हड़बडी मे उसने तौलिया निकाला और टीशर्ट खिन्च कर कभी पिछे चुतड़ छिपाता तो कभी आगे तना हुआ मुसल उसको ढ़कता हुआ , सरपट राहुल के कमरे मे भाग गया ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 209
"भैया बताओ ना , क्या करुँ दो दिन बाद अगर बुआ चली गयी तो "
राज उसके सर पर टपली मारता हुआ - अबे दो दिन बाद से स्कूल भी जाना है उसके बारे मे सोच । इस बार दसवीं भी है तेरी उम्म्ं
राज आंखे चढाता हुआ - हफ्ते दस दिन से ना पढ़ाई ना कोचिंग ,
अनुज का मुह उतर सा गया तो राज उसका कन्धा थपथपा कर - अबे मुह मत उतार और इधर मौका नही मिला तो दसवी के बाद चले जाना बुआ के यहा घूम आना
अनुज चहक कर - अरे हा ये भी सही है
राज - हा तो अब से पढ़ाई मे ध्यान दे समझा
अनुज - जी भैया
इधर राज और अनुज की बातें चल रही थी कि इतने मे शिला वापस आ जाती है ।
शिला - हो गया बेटा खा लिया तु खाना
राज - जी बुआ
शिला - अनुज बेटा टिफ़िन ले ले , चल चलते है ।
अनुज खुश हुआ बुआ के साथ जाने का सोच कर मगर बीच मे राज ने उसके हाथ से टिफ़िन लेता हुआ - तु बैठ यही , मै चलता हू बुआ मा ने बुलाया है कुछ समान मगवाने है परसो के लिए ।
शिला - हा हा भाई उसकी तो लिस्ट भी बन गयी , चल चलते है ।
इधर अनुज मुह बना कर खीझ कर रहा गया और दुकान पर लग गया ।
राज शिला के साथ चौराहे वाले घर के लिए निकल जाता है ।
घर पहुचने पर एकदम से शान्ती होती है , राज कमरे चेक करता है तो उसकी मा रागिनी सो रही थी कमरे मे ।
राज उसको जगाने को होता है तो शिला उसको टोंकती हुई - अरे आराम करने दे ना बेचारी को , थक गयी होगी रात मे हिहिहिही
राज मुस्कुरा कर शिला की गाड़ कपडे के उपर से दबोचता हुआ - तो चलो ना आपको भी थका कर सुला दू
शिला खिलखिलाती हुई - ना बाबा ना , अभी अभी भैया ने दो बार उफ्फ्फ मै तो थकी हु पहले से ही
राज उसको हग करता हुआ गेस्ट रूम मे ले जाने लगा- तो चलो थकान दूर कर दू आपकी
शिला और राज गेस्ट मे आ गये ।
शिला - सच मे बेटा पूरा जिस्म का रोम रोम टुट रहा है, आह्ह मान जा ना
राज हसता हुआ - अरे आओ ना लेटो इधर हिहिही
शिला उसके बगल मे लेटती हुई - क्या बात है बोल ना
राज - अब बताओ आगे का
शिला - क्या बताऊ
राज - अरे वही जो कहानी कल छोड़ दी थी आप हिहिही कम्मो बुआ और दोनो फूफा वाली
शिला खिलखिलाती हुई - हिहिही अच्छा वो
राज उसको करीब कसता हुआ - हा बुआ आगे सुनाओ ना , छोटे फूफा ने क्म्मो बुआ से कैसे फस गये ।
शिला हसती हुई - मैने बताया था कि मेरी ननद के यहा से मेरे सास ससुर वापस आ गये थे ।
उस दिन के हम चारों पर तेरे बडे फूफा ने स्पस्ट तौर पर नियम लगा दिये थे ताकि घर मे अम्मा बाऊजी के सामने हमारे राज भूल से भी जाहिर ना हो ।
उसके बाद हम सब दिन मे बड़ी मर्यादा से रहने लगे , मगर मजा तो नियमोन को ताख पर रखने मे और चोरी छिपे मनमानीयां करने मे है ।
दिन मे तेरे फूफा जब भी मौका मिलता मुझे मसल देते , नहाने के बाद अकसर मै जब तैयार होती थी तो वो उस समय कमरे रुके होते थे , मेरी पेतिकोट चढा कर मेरी बुर पर अपना मुह रगड़ने के बाद चाय की चुस्की होती थी ऊनकी वही साझ ढलते हीर देवर जी मुझ पर टुट पडते ।
मगर दिन मे देवर जी और कम्मो को आपस मे बड़ी झिझक रहती थी ।
दोपहर मे जब कम्मो देवर जी के लिए अकसर खाना लेके कमरे मे जाती थी तो वो बिना के नजर उसे देखे खाना खाकर एक ओर करवट लेके लेट जाते ।
वही दूसरी ओर जब मै खाना लेकर तेरे फूफा के पास जाती थी , तो आते ही वो मुझे दबोच लेते थे और पहले मुझे भोग लगा कर ही खाने पर नजर जाती उनकी ।
धीरे धीरे बातें खुलनी शुरु हुई और पहले देवर को अह्सास हुआ कि तेरे फूफा अकसर मुझे दोपहर मे चोदते है मगर
एक दिन दुपहर मे कम्मो ने मुझे और तेरे फूफा को मस्ती करते देख लिया ।
उस दिन दुपहर को खाना खिलाने के बाद जब हम दोनो बहने बरतन खाली करने आई तो कम्मो का चेहरा उतरा हुआ था ।
मै - क्या बात है कम्मो
कम्मो - जीजी , मुझमे कोई कमी है क्या ?
मै उसकी भावुकता पर उसको सहारा देते हुए आंगन मे बिठाया - क्या बात है कम्मो तु ऐसा क्यूँ बोल रही है । देवर जी ने कुछ कहा क्या ?
कम्मो सिस्कती हुई - कुछ कहते ही तो नही है वो , अरे भले हमारा देह का रिश्ता नही है , मगर बात चीत भी नही करेंगे अब ।
कम्मो - ना जाने क्या नाराजगी है उनको हमसे , एक शब्द तक नही कहते है और मुझे लगता है किसी गाय के साथ रहती हु जिसे मेरी बोली समझ नही आती ।
मै हस्ती हुई - अरे गाय नही साढ़ बोल, पक्के साढ़ है देवर जी हिहिही
कम्मो रुआन्सी मगर हसती हुई - दीदी प्लीज मजाक नही , मुझे घुटन सी होती है कमरे मे ।
मै - अच्छा ठिक है मै आज रात बात करती हूँ उनसे
कम्मो खीझती हुई - आपका सही है दीदी रात और दिन दोनो सही कट रहे है आपके
मै मुस्कुरा कर - मै तो उलझ ही गयी हु कम्मो , तेरे जीजा मेरे पति है और मेरे देवर का मै प्यार हूँ । किसी को कैसे रोक सकती हूँ ।
उस रात खाने के बाद देवर जी कमरे मे आये और मैने मेरे नखरे शुरु किये , ना बात की और काफी देर तक जानबूझ कत कमरे मे इधर उधर फाल्तू के कामो मे उलझी हुई थी ।
वो समझ गये कि मै नाराज हु और वो मुझे पीछे से हग करते हुए बोली - क्या हुआ जान क्यू नाराज हो
मै भी तुनकी और उनकी पक्ड से खुद को छुड़ा कर बिस्तर पर चढ कर - हुह मुझे आपसे बात नही करनी कुछ भी
वो थोडे असहज हुए मगर उन्का स्पर्श पाकर मै बहुत देर तक खुद को रूठा रख ना पाई - आप तो बोलो ही मत, आपके पास तो जुबां होगी नही ना हुह
वो - अरे क्या हुआ बोलो ना
मै - माना कि आपको क्म्मो से लगाव नही है इसका मतलब आप उससे बातें नही करेंगे , पता है कितना रो रही थी वो ।
फिर उन्हे अपनी गलती का अह्सास हुआ ।
वो - माफ करना जानू , मेरा झिझक समझो मैने उससे शादी और रातें मै तुम्हारे साथ होता हु तो कैसे मै दिन मे नजरे मिला लूँ
मै - आसान तो हम सब के लिए भी नही है, मगर हमने एक दूसरे के लिए ही ये जीवन चुना है ना
वो देर तक इस बारें मे विचार किये और
फिर रात मे हमारे चुदाई के बाद मैने अपना पत्ता खोलना शुरु किया ।
मै - देखिये अब ना नुकुर मत करिये , आपने उससे शादी की है और उसे मनाना है तो उसके लिए इतना तो करना ही पड़ेगा ।
वो - अच्छा ठिक है बाबा मै लेके आऊंगा
अगले दिन वो बाजार से मेरे कहे अनुसार दो जोड़ी साड़ी लेके आये और उसके साथ हमारे नाप की ब्रा और कच्छीयां भी लेके आये ।
मगर वो रहे बुध्दु और एक नम्बर के फ्ट्टू ।
शाम को साड़ी तो ठिक दी मगर ब्रा पैंटी के सेट मे गच्चा खा गये । हड़बड़ी मे अंडरगारमेन्ट बदल गया और मेरी कच्छी कम्मो के बैग मे चली गयी ।
वही शाम को जब कम्मो को समान की थैली मिली तो वो खुश थी , उसने थैली ने एक पत्ते मे रखा हुआ मोगरे का गजरा देखा तो एकदम से खिल गयी ।
कम्मो के चेहरे की खुशी देख कर वो मुस्कुरा रहे थे और कम्मो वो गजरा लेके उनके पास बैठ गयी और उनके हाथ मे देते हुए - लगा दीजिये ना
देवर की सासे उफनाने लगी जिस तरह से कम्मो ने अपनी कजरारी आंखे उठा कर उनसे
मिन्न्ते की तो सकपका गये - नही नही मै ये कैसे ?
कम्मो ने भी बात बनाई और उन्हे इमोशनली उल्झाती हुई - क्या कैसे नही , जिस हक से मेरे लिए लेके आये है पहना भी दीजिये ना
देवर जी बुरे फसे और फिर क्म्मो उनकी ओर पीठ करके बैठ गयी , उनकी डीप बैक वाली ब्लाउज से झांकती गोरी चिट्टी पीठ से वो नजरे चुरारे लगे और कापते हाथो से उन्होने उसके बालों मे गजरा लगाया ।
मै उस समय अपने कमरे मे थैली चेक कर रही थी और कच्छी का साइज़ देखते ही माथा पीट लिया और कमरे से निकल कर कम्मो के कमरे की ओर गयी ।
बिना कोई आहट किये धडाधड़ मै कमरे मे घुस गयी और दोनो सजग होकर खड़े हो गये ।
देवर जी - भाभी जी आप
मैने दोनो की हालत देखी और समझ गयी कि योजना सफल रही और मै भी हस्ती हुई - भाभी जी के सैंया , अभी अकल ठिकाने लगा दूँगी समझे
कम्मो मुह फेर कर हसने लगी ।
मै हाथ मे ली हुई कच्छी उनके पास फेकती हुई - ये क्या है , यही साइज़ है मेरा
वो हाथ मे कच्छी को फैलाते हुए - अरे क्या हुआ ? आया नही क्या आपको? मैने तो दुकानदार को सही साइज़ बोला था ।
मै तुनककर - तो जिसकी साइज़ की है उसे ही पहनाओ हुह
मै बाहर चली गयी और कम्मो खिलखिलाती हुई - आपको सच मे जीजी का साइज़ नही पता हिहिही
देवर जी - अरे नही मुझे लगता है कि गलती से उनकी वाली आपके थैली मे आ गयी होगी , देखियेगा जरा
कम्मो चौकती हुई - तो क्या आप मेरे लिये भी लेके आये है
देवर जी अब असहज होकर मुह फेरने लगे - अह हा , सोचा तुमसे इतने दिनो से जो बदसलुकी की है उसके लिए माफी मांग लूंगा ।
कम्मो हसने लगी ।
देवर - क्या हुआ हस क्यू रही हो ।
कम्मो - इसका फायदा क्या , देखेंगे तो आपके भैया ही ना इसमे हिहिहिही
वो लजाये और हसने लगे अगर कम्मो की ये बात ने उनका खुन्टा खड़का दिया ।
बड़ी हिम्म्त कर वो बोले - मै लाया तो पहले हक मेरा ही बनता है
कम्मो शर्मा गयी उनकी बातों से - ठिक है मेरे पति परमेश्वर जैसा कहे ।
अब तो मानो उनकी सासे मे बेचैनी सी छाने लगी थी - तो क्या अभी ?
कम्मो हस्ती हुई उनको कमरे से बाहर करती हुई - धत नटखट , कल सुबह और दीदी से मत कहियेगा कुछ प्लीज
देवर जी भीतर से रोमांचित हो उठे और उस रात कम्मो की बातों का असर बिस्तर पर दिखा और हचक के पेलाई हुई मेरी
अगली सुबह वो बेसबरे 6 बजे ही कमरे से निकल गये और कम्मो के कमरे के बाहर चक्कर काटने लगे वो तो तेरे फूफा की डान्ट ना पडे इसीलिए वापस आ गये ।
मै भी तब इनकी बेचैनी से परेशान हुई , मैने पुछा मगर लालची ने एक बार भी जिकर नही किया ।
और कुछ देर सुबह का नासता देकर कम्मो नहाने चली गयी ।
नहाने के बाद जब वो साडी मे लिपटी हुई कमरे दाखिल हुई तो देवर जी का कलेजा धकधक होने लगा ।
काफी देर तक देवर जी क्म्मो के पीठ पीछे उसका इन्जार करते हुए अपना मुसल मिसते रहे और सर्द की सुबह मे कम्मो ने साडी के उपर से स्वेटर डाल रखा था और आईने मे साज सृंगार कर रही थी ।
आईने मे ही उसने देवर जी तडपते फड़फ्ड़ाते देखा और बोली - जाईये ना नहा लिजिए , बाऊजी भी पुछ रहे थे आपको कि आप नीचे क्यू नही आये ।
देवर जी थोडा लजाये मुस्कराये- हा वो तुमने कहा था कि सुबह तुम दिखाओगे
कम्मो समझ गयी और लजाती हुई मुह फेर कर - क्या !! धत्त तबसे आप उसके लिये रुके हो ?
देवर जी खड़े होते है तो पजाने मे उनका तना हुआ खुन्टा साफ साफ आईने कम्मो देखती है और मुस्कुराती हुई - धत्त नही , आपके भैया उपर ही है । वो आ गये तो ?
देवर जी आगे बढ़े और कम्मो के पास आते हुए - अरे ऐसे कैसे आ जायेंगे , दिन मे वो कैसे आ सकते है ? कभी नही ?
कम्मो अपने बाजू से उन्के पन्जे हटाती हुई - नही नही , आप नही जानते हो , आपके भैया बड़े शरारती है वो बस मौका खोजते है ?
देवर जी का खुन्टा फडका - तो क्या भैया दिन मे भी आपके पास आते है ?
कम्मो ने देवर जी को सताया - हम्म्म अभी कल सुबह की ही बात है , इधर आप नहाने गये और वो लपक कर मेरे पास
देवर जी का गल सुखने लगा - क्या दिन मे ?
कम्मो - हा !
देवर जी - लेकिन क्या करने के लिए
कम्मो लजाती हुई - धत्त , आप भी ना जैसे आपको नही पता वो क्यूँ आयेंगे मेरे पास
देवर जी का खुन्टा अब पूरा तम्बू बना चुका था उसपे से वो उसको पक्ड कर बिच बिच ने सुपाडे पीछे की ओर हो रही खुजलाहट को शान्त कर रहे थे - अरे मै ध्यान दूँगा ना दरवाजे पर ही रहूंगा
क्म्मो अपनी मतवाली आंखो से उनकी बेचैन आंखो ने झाकती हुई कबूलवाति है - प्कका ना
वो सूखे गले मुह खोले हा मे सर हिलाते है और नीचे उनका हाथ पजामे के उपर से सुपाड़े को मिज रहा होता है ।
कम्मो इशारे से उनको दरवाजे के पास भेज देती है और उनकी ओर पीठ कर अपना स्वेटर उतार देती है ।
देवर जी की सासे चढने लगती है वो एक नजर बाहर मेरे कमरे की देखते तो दूसरी नजर मे लपक कर कम्मो को कमरे मे ।
कम्मो - प्कका कोई आ नही रहा है ना ?
देवर जी ने दरवाजे से बाहर झाका और फिर क्म्मो को जवाब देते हुए - नही नही कोई नही आ रहा है
कम्मो मुस्कुराई और देवर जी की तरफ घूम गयी
देवर जी की आंखे कम्मो के गोरे चीत्ते सीने और ब्रा ने भरी हुई उसकी मोटी चुचियां देख कर फैल गयी और खुन्टा एकदम फौलादी , वो जोर से उसको भिन्च कर सीसके ।
अभी भी उसका एक चुची साडी से ढकी हुई थी , जिसे बडी अदा से उसने अपने चुचे से हटाया और उस्का पुरा गोरा मुलायम सपाट पेट , गहरी नाभि और दोनो नारियल सी भरी भरी चुचियां देवर जी के आगे थी ।
देवर जी दरवाजे के पास से ही बेचैन होने लगे , सासे तेज हो रही थी मुह सुख रहा था । लन्ड मुह बा कर खड़ा था
फटी आंखो से सूखे होठों पर हथेली रगड़ कर मुछो पर आयी पसीने को साफ करते हुए मुह मे घुल रही मिश्री को गटक कर एक पल भर को वो दरवाजे के बाहर मेरे कमरे की ओर झाके और मौका पाते ही कम्मो ने अपनी जवानी को पर्दे मे कर लिया ।
देवर जी की हालत हाथ तो आया पर मुह नही लगा वाली हो गयी , हिहिही ।
उनके चेहरे की उड़ी हवाइयां देख कर कम्मो मुह फेर मुस्कुराने लगी - हो गया ना आपका अब जाईये ।
भीतर से तड़पते उफनाते मेरे जोशिले देवर जी की आग और भड़क रही थी , वो बेताबी वो खुमारी ने उनकी जबान लहजा हाव भाव सब कुछ मे बचपना सा उतर आया था , चाह कर भी मुह से दिल की बात जुबां तक नही ला पा रहे थे ।
हाथ गुजाईश को उठे और इशारा भी हुआ मगर कम्मो के पास भी इसबार पूरा मौका हाथ लगा था अपनी रुसवाई का बदला लेने का ।
तुनकमिजाजी और इठलाने वाले खेल मे तो वो पहले से ही ड्रामा क्वीन थी ।
"नही नही , वो नही "
" प्लीज ना कम्मो , आह मान जाओ ना प्लीज "
" नही आप जिद ना करिये , मै नही सकती हूँ मुझे आपके सामने लाज आयेगी "
" हा भैया के आगे तो नही आती लाज , मेरी बीवी होकर मुझसे ही लजाओगी " , देवर जी ने बड़ी रुसवाई मे अपना रुखापन दिखाया । मानो इस्से कम्मो का प्त्थर दिल जायेगा ऐसा उन्हे लगा ।
कम्मो ने भी सहेज सहेज कर ताने रखे हुए थे - अब तो आप एक मिंट भी नही रुकिये फिर , जाईये यहा से ।
कम्मो के बीगड़े तेवर से देवर जी के फट के चार हुई अरे कटे आम की आचार हुई , बिल्कुल कड़क कसैली और तीखी । हिहिहि
नाराज कम्मो ने पिघलती कुल्फी वाले बोल लिये देवर जी - आह्ह ऐसा क्यू कह रही कम्मो
कम्मो - क्यू ना कहूँ, आज से पहले कभी हक नही जताया आपने हुह
देवर जी उसके गुस्से से गुलाबी हुए चेहरे को पास देखते हुए उसके चेहरे को उपर किया और बोले - आज तक कभी इस खुबसूरत चेहरे को इतने करीब से और इतनी देर तक निहारा ही नही । तुम्हारी दीदी के गदराये जोबन और बड़े बड़े हिल्कोरे खाते मटकों ने मेरा मन मोह रखा था , पर अब लगता है कि इस खुबसूरत मुखड़े से हमने बड़ा रुखा सलूख किया ।
कम्मो उनकी रोमांटिक बातों से लाज से गुलाबी हुई जा रही थी और वो बोले - अब माफ भी कर दो ना मेरी कम्मो ।
कम्मो ने उन्हे कस कर उनसे लिपट गयी और उम्होने भी कम्मो को भर लिया बाहों मे अपनी ।
कम्मो रुआस होती हुई - कितना तडपाया आपने मुझे इस पल के लिए
देवर जी - अब रो मत पगली , मै तो तेरा ही हूँ, दिखा दे ना ?
कम्मो लजाई और आन्स पोछती हुई उनके सीने पर अपने प्यार भरे मुक्के मारती हुई - धत्त गन्दे !! आप भी आपके भैया जैसे ही हो ।
वो कम्मो को बाहों मे भरते हुए - आहा अभी कहा देखा मेरा प्यार , फिर भैया को भूल जाओगी हिहिही देखना , अब दिखा भी दो ना प्लीज
कम्मो - नही दिखा सकती समझो ना
देवर जी उसको अपनी बाहो ने आगे कर उसके चेहरे को निहारते हुए - अभी भी लाज आ रही है , तुम बस साडी उठा दो ना आंख बन्द करके ।
कम्मो - आप नही मानेन्गे ना
देवर जी ने ना मे सर हिलाया ।
कम्मो उनसे अलग होकर - जाईये दरवाजे पास खड़े हो जाईये
देवर जी हैरत से - क्या अब भी वहा खड़ा होना पड़ेगा?
कम्मो हसती - हा कही आपके भैया आ गये और हमे देख लिया तो !
देवर जी - तो क्या अब भी उनसे छिपना पड़ेगा
कम्मो - वो मै जानती बस आप दरवाजे पर नजर रखो
देवर जी मायूस होकर दरवाजे पर उसी जगह आ गये और एक बार देख कर कम्मो को इशारा किया और फिर क्म्मो
ने अपना एक पैर बिस्तर पर रखा और नीचे से साडी खिंचती हाथो मे समेटते हुए जांघो तक ले आई ।
देवर जी का खुन्टा एक बार फिर से पूरा टाइट , अगले ही पल कम्मो ने अपनी साडी पेतिकोट सहित अपने कूल्हो तक उठाई और पीछे से उसकी गोरी चिकनी गाड़ बिना पैंटी के देवर जी के आगे ।
वो आखे फाड़ कर वही खड़े खड़े हिल गये , जोश ने लन्ड को भींचते हुए कम्मो की मोटी गाड़ की दरारों को निहारते हुए कभी दरवाजे से बाहर तो कभी कमरे मे बौखलाये देखते रहे ।
देवर जी - अरे ये ये तो , वो वो कहा है , पहनी नही क्या ?
कम्मो साड़ी नीची कर ना मे सर हिलाती हुई लजाती हुई मुस्कुराई
देवर जी फटाक से उसके करीब आकर उसको बाहों मे भर लिया औए अबकी बार उनका सुपाडा सीधे कम्मो के जांघो पर साडी के उपर से ढेले की तरह चुब रहा था ।
कम्मो ने भी उनका कडकपन मह्सूस किया ।
देवर - वो क्यू नही पहना तुमने
कम्मो लजाती हुई - क्यू अच्छा नही लगा आपको
देवर जी ने हाथ बढा कर पीछे से उसके गाड़ को साडी के उपर से दबोचकर अपना मुसल उसकी चुत के करीब चुभोया - अह्ह्ह एक नम्बर है मेरी जान आह्ह , लेकिन पहना क्यूँ नही
कम्मो लजाती हुई उनके सीने ने खुद को छिपाती हुई - वो आपके की वजह से ?
देवर जी अचरज से - भैया की वजह ?
कम्मो - हा वो कल रात उन्होने कपडे की थैली देख ली और उनकी नजर जब उस कच्छी पर गयी तो वो जिद करने लगे कि पहनो पहनो
देवर जी का कलेजा बुरी तरह हाफ रहा था - फिर
कम्मो उन्के सीने पर हाथ फेरती हुई - मैने मना किया मगर वो नही माने और ये जान कर कि ये कपडे आप लाये हो मेरे किये उन्होने वही कच्छी पहना कर मुझे रात मे प्यार किया और भिगा कर उसे खराब कर दिया ।
देवर जी की कामोत्तेजना कम्मो की रात लीला सुन कर और भी जोश मे आ गयी थी - और ये उपर वाली वो भी पहनी थी क्या ?
कम्मो ना सर हिलाते हुए - हुहू मै छिपा दी थी जबतक उनकी नजर जाती , नही तो इसे भी खराब कर देते ।
देवर - लेकिन इसको कैसे खराब कर देते
कम्मो लजाती हुई - धत्त आपके भाइया बड़े वो है ,
देवर - कैसे है ?
कम्मो - वो एक रात गलती से मेरे मुह से निकल गया था कि उनका वो गरम गरम मुझे मेरे देह पर गिरना पसंद है
देवर जी का खुन्टा फडका - फिर ?
कम्मो - फिर क्या वो रोज सुबह सुबह मेरे ब्रा के दोनो कप मे अपने पानी गिरा कर मुझे पहनाते थे , ताकी पुरा दिन मै उनके रस से भीगी रहू ।
देवर जी अपने भैया के रसिकपने की कहानी सुनकर एक गहरि सास ली और अपना मुसल भींचते हुए - एक बात कहु कम्मो
कम्मो - कहिये ना
देवर जी - क्या आज तुम मेरे रस से भिगा पहनोगी ब्रा
कम्मो के तन बदन मे आग लग गयी और उसने कस कर उन्हे जकड लिया - आह्ह मेरे राजा , मै तो कबसे आपके रस मे नहाना चाहती हु
कम्मो ने हाथ आगे बढ़ा कर उनका मुसल पजामे के उपर से पकड लिया और देवर जी भी सिस्क पड़े
कम्मो - आह्ह मेरे राजा क्या कसा हुआ औजार है तुम्हारा उह्ह्ह जीजी सही कह रही थी उम्म्ंम
देवर जी - क्या तुम जीजी से अह मेरा मतल्व भाभी से ये सब बातें भी करती हो उह्ह्ह्ह मेरी जान तुम्हारा स्पर्श मुझे पागल कर दे रहा है अह्ह्ह कम्मो
कम्मो उनके लन्ड और आड़ो मे मसलती हुई - हा मेरे राजा हम रसोई मे रोज अपनी रात की कहानी साझा करते हैं , सुननी क्या आपको उम्म्ंम
देवर जी आंखे उल्टी किये हुए कम्मो के कामुक स्पर्श और उसकी कामोत्तेजक बातें सुन कर मुह खोले बस हा मे सर हिलाया , जुबां से कुछ बोला भी नही जा रहा था बेचारे से , कम्मो का जादू ऐसा छाया था उनपे
कम्मो उनके पजामे ने उनका मोटा लन्ड बाहर निकाल लिया , ये बडा मोटा और गर्म - सुउउऊ अह्ह्ह ये तो कितना मोटा है अह्ह्ह मेरे राजाह्ह ऊहह कितना तप रहा है
देवर जी - तुम्हारी रसभरी गाड़ देख कर पागल हो गया है ये मेरी जान अह्ह्ह , कुछ करो ना उम्म्ंम
कम्मो उसको हाथ मे लेके उसको मुठियाने लगी और निचे बैठ गयी और दोनो हाथो मे भर कर उसने देवर जी मजबूत लौडा खोला और खडे खडे आधे से ज्यादा लण्ड मुह मे गटक गयी ।
देवर जी को बिल्कुल यकीन नही था कि कम्मो ऐसा कुछ कर जायेगी और वो छ्टपटाने लगे , कम्मो अपने रसिले नरम होठ उनके गर्म तपते लन्ड पर घिसने लगी , हाथ उनके आड़ो को सहलाने लगे ।
देवर जी एडिया उठाए हुए म्चल रहे थे सिस्क रहे थे, हाथ कम्मो के गाल छू रहे थे और उसकी चुचियो की गहरि सकरी घाटियां खुब हिल्कोरे खा रही थी । जिन्हे छूने को देवर जी बेताब थे ,
तभी क्म्मो ने अपना आंचल सीने से हटा दिया और भरी भरी छातियों का दिदार कराते हुए उसने उनका तपता लन्ड पर चुचियों के उपरी गुदाज हिस्से पर घिसते हुए दोनो छातियों की खाई मे सुपाड़े को रगड़ा
कम्मो के नरम चुचियों का स्पर्श देवर जी बर्दाश्त ना कर सके और जोश मे कस कर अपना लन्ड भींच लिया - आह्ह मेरी जान अब और नही रोक पाऊन्गा ,,खोलो जल्दी
कम्मो जल्दी जल्दी अपने कन्धे से ब्रा की स्ट्रिप सरकाती हुई ब्रा के कप खोलती है और देवर जी उसके गुलाबी कड़े निप्प्ल देख कर और पागल होने लगे
और घोड़े की तरह चिन्घाडते हुए जोर जोर से अपना लन्ड मुठियाने लगेऔर भलभला कर क्म्मो के निप्प्ल के करीब सुपाडा रख कर झडने लगे , बारी बारी उसके दोनो चुचियों पर उन्होने अपना माल गिराया और फिर कम्मो ने ब्रा उपर चढाती हुई दोनो हाथो से अपने दोनो ब्रा कप को निप्प्ल पर मसाज दिया ताकी देवर जी का रस उसके चुचियों पर अच्छे से फैल जाये और फिर उसने लपक कर देवर जी का लन्ड मुह मे लेके बचा खुचा भी साफ कर दिया ।
देवर जी हाफते हुए बैठ गये और कम्मो अपने कपडे पहनने लगी , देवर जी का खुन्टा मगर अभी कडक था ।
अपना पजामा पहन कर देवर जी ने उसको पीछे से फिर से दबोच लिया
कम्मो - आह्ह क्या करते है छोडिए ना , साडी खराव हो जायेगी ऊहह मुझे रसोई मे जाना है
देवर जी मुस्कुरा कर - तो क्या अभी जो हुआ वो भी अपनी जीजी को बतओगी
कम्मो लजाई - धत्त नहीईई जीजी मजा लेती है मेरा
देवर जी - अच्छा ऐसा क्या ? भी देखूँ आज क्या बातें होती है
कम्मो - धत्त नही प्लीज मत आना ,
देवर जी - अच्छा ठिक है बाबा नही आऊंगा , लेकिन दुपहर मे तो प्यार करने दोगी ना
कम्मो लजाती हुई उन्हे कोहनी से ठेलती हुई - चलो जाओ आप , नही तो बाऊजी की डांट मिलेगी हिहिही
फिर देवर जी नहाने निकल गये ।
राज अपना लन्ड भींचता हुआ - अह्ह्ह बुआ सच मे कम्मो बुआ की कहानी सून कर मेरी तो हालत खराब हो गयी हिहिही
शिला - अरे अभी तुने सुना ही कहा कुछ
राज - रुको ना बुआ पानी लाता हुआ गला सुखने लगा मेरा भी छोटे फूफा की तरह हिहिही
शिला - धत्त शैतान कही का ,
राज हस्ते हुए - वैसे बुआ एक बात पूछू, क्या फूफा आपकी ब्रा मे भी अपना रस भरते थे
शिला - तु दाँत मत दिखा , कुछ नही करने वाली ऐसा मै समझा
शिला - और किया था एक बार उन्होने ,, मुझे पुरा दिन गिनगिनाहट और खुजली होती रही तो आगे से मना कर दिया मैने
राज हसता हुआ पानी लेने के लिए निकल जाता है ।
वही उपर सोनल के कमरे मे निशा की मादक और दर्द भरी सिसकियां उठ रही थी ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 210
राहुल के घर
इधर एक ओर जहा अरुण और शालिनी के दिल के अरमान अपने परवान चढ़ने को हो रहे थे , वही दुकान मे बैठा राहुल की हालत अलग खराब हो रखी थी ।
बीते 20-25 मिंट से उसका लन्ड लोहे की पाइप सा टाइट और तना हुआ था । मन मे उलझे हुए सवालों के लहर उठ रहे थे और लन्ड की नसों मे कुछ कामोत्तेजक कल्पनाओ मे अलग ही तरंग अलग ही उर्जा दौडा रही थी
चढ्ढे के उपर से जोर से अपने फुन्कार मारते हुए सुपाडे को भींचता हुआ उसने दुकान मे इधर उधर देखा फिर धीरे से अरुण की मोबाईल स्क्रीन को छिपाते हुए उसमे चल रही वीडियो देखता है और उसकी सासे फिर से कपकपाने लगती है ।
चेहरे की हवाईयां अलग उड़ी होती और मुह पर पसीना आने लगता है । कलेजा जोरो से धड़क रहा था कि तभी उसे गलियारे से किसी के आने की आहत हुई और वो मोबाईल छिपा कर जेब मे घुसाता है ।
सामने देखा तो उसके पापा थे और वो दुकान मे बैठ गये ।
राहुल - खाना खा लिये पापा
जंगी - अरे हा , तु भी जा खा ले जा
राहुल जेब मे हाथ डाले हुए मोबाईल और खड़े लन्ड को छिपाता हुआ झटपट गलियारे से घर मे चला गया ।
हाल मे आते ही उसने आस पास नजर घुमाया तो कोई नजर नही आया । ना शालिनी ना अरुण ।
राहुल जैसे ही अपनी मा को आवाज देने के लिए उसके कमरे की ओर बढा तो उसके कमरे से अरुण की आवाज आई - आ गया भाई , जरा मोबाइल देना ।
राहुल ने जैसे ही अरुण को देखा तो उसके जिज्ञासाओ का पारा एकदम से हाई हो गया ।
तेजी से लपकते हुए वो अपने कमरे मे दाखिल होता हुआ - अबे बहिनचोद साले क्या क्या छिपा रखा है तुने इसमे ।
अरुण की अचरज से आंखे फैली और कुछ डरभरी शंका से गाड़ सिकुड गयी , हड़बड़ा हुआ वो हसने की कोसिस करता हुआ - क्क्या छिपा रखा है कुछ तो नही, दिखा जरा ?
राहुल - साले तु इतना कमीना होगा मैने सोचा नही था , ये सब क्या है ?
राहुल ने मोबाइल स्क्रीन अरुण की ओर घुमाता हुआ एक वीडियो प्ले कर देता है ।
जिसमे उसकी मा क्म्मो सूट सलवार पहन कर कमरे मे झाडू लगा रही थी और आगे की ओर झुकने की वजह से बिना दुपट्टे के उसकी गहरे गले वाली सूट से उसकी मोटी मोटी लटकी हुई छातियां साफ साफ हिलती हुई नजर आ रही थी ।
राहुल के हाथ मे मोबाइल पर चल रहे वीडियो को देख कर अरुण की फट कर चार हो गयी , कापते हाथो से उसने राहुल के हाथ से मोबाईल झपटनी चाही , मगर राहुल इस मामले मे ज्यादा सतर्क निकला और गुर्राते हुए - अभी और भी है
अरुण राहुल का नाराज चेहरा देख कर थोडा हिचका - तो क्या तुमने सब देख लिया
राहुल - हा और ये क्या है
राहुल ने एक ओर तस्वीर दिखाई जिसमे अरुण ने अपनी मा कम्मो को ब्लाउज पेतिकोट मे तस्वीर निकाली थी ।
अरुण - अरे भाई वो मै ,
राहुल - क्यू बोल ना बोल बोल
अरुण - तु मोबाईल इधर दे पहले
राहुल - नही पहले तु इस बारे मे मुझे सब बता फिर ?
अरुण उलझा हुआ जवाब के बारे मे सोचने लगता है मगर राहुल की बकबक अभी भी जारी थी - साले तभी तु मुझे पोर्न वीडियो मे वो फैमिली सेक्स वाला ही ज्यादा दिखाता था क्यू ? तुझे तो यही सब पसन्द है ना ?
अरुण राहुल की असलियत ने अंजान था नही तो उसकी इतनी बकचोदी झेलता वो भन्नाते हुए बोला - हा तु बड़े सीधे हो , जैसे तुम उन वीडियो को देख कर हिलाया नही था ।
राहुल - अबे साले मुझे भी बड़ी उम्र की औरतें और गदराय जिस्म पसंद है इस्का मतलब तो क्या मै अपनी मा को ही
अरुण - हा तो बस मुझे भी मेरी मा जैसी सेक्सी और गदराई औरतें पसन्द है ? तु तो ऐसे कह रहा है जैसे इन वीडियो जैसा कुछ तुने अपनी मा के साथ नही देखा होगा ।
राहुल सकपकाया - ये क्या बक रहा है तु
अरुण - चल चल अब मुझे मत सिखा , देखा है मैने तुझे मामी को निहारते हुए । बड़ा आया मुझे ज्ञान पेलने ।
राहुल चुप था
अरुण मोबाइल मे फ़ोल्डर फ़ाईल बैक करता हुआ - और असली चीज तो इसमे जो थी वो तो तुने देखी ही कहा ।
राहुल चौक कर - मतलब और भी था क्या कुछ ?
अरुण एक चतुराई भरी मुस्कुराहट देता है और मोबाइल जेब मे रखता हुआ - है तो तुझे इससे क्या , वो मेरे जैसे कमीने लड़के के लिए है , तु जा शराफती पेल जा
राहुल मुह बनाता हुआ दाँत दिखा कर - अबे भाव क्यू खा रहा है , दिखा ना
अरुण - नही नही तु ज्ञान पेल ले ,
राहुल बत्तिसी दिखाता हुआ - अरे भाई वो तो मै बस ऐसे हिहिहिहिही , सच कहू तो तेरी बात सही ही है । ऐसे तैसे मै भी मम्मी को कभी कभी उस नजर से देख ही लेता हूँ उसमे कोई बुराई नही है
अरुण - अब आया ना लाईन पे
राहुल - लेकिन भाई अब तो दिखा दे , क्या माल छिपाया है ?
अरुण- हा हा दिखा दूँगा , पहले ये बता जो चीज़ के लिए तु मुझे बोल कर ले आया था उसका क्या हुआ ?
राहुल बत्तिसी दिखाता है कि तभी गलियारे से शालिनी गुजरती है और उसकी नजर राहुल के कमरे मे पडती है - अरे तु आ गया तो बोला क्यूँ नही , चल खाना खा ले ।
राहुल और अरुण दोनो की नजरें शालिनी
नाइटी पर बाद उसके पहले उसके उभरे हुए चुचो के तने हुर निप्प्ल पर गयी और शालिनी ने भी ये देखा ।
मगर शालिनी चुपचाप निकल गयि ।
राहुल नजरे घुमा कर अरुण को देखा तो उससे नजरे टकराते ही हस दिया - क्या ? अबे पड़ जाती है नजर ? तो क्या आंखे फोड़ लूँ चल ना अब
अरुण हसने लगता है और दोनो हाल मे आकर बैठ जाते है , इधर शालिनी किचन मे राहुल के लिए थाली लगाती है ।
वही राहुल अरुण मे झपटा झपटी वाली अलग ही फुसफुसाहट चल रही थी
राहुल अरुण से मोबाइल देखने की जिद करता है मगर अरुण शालिनी के होने का इशारा करता है ।
राहुल धीमी आवाज मे - अरे भाई उसको टाईम लगेगा ना , दिखा दे ना एक बार
अरुण - भाई खुद देख ले ना क्या मस्त सीन है
राहुल - किधर ?
अरुन आंखो से इशारा कर उसको किचन मे झुकी हुई शालिनी के नाइटी मे फैले चुतड़ दिखाता है ।
तभी शालिनी सीधी खड़ी होती है और बिना पैंटी के नाइटी उसकी मोटे मोटे चुतडो के दरारो मे फस जाती है ।
अरुण - उफ्फ्फ
राहुल आंखे दिखा कर अरुण से भुनभुनाता है
अरुण दान्त दिखाता हुआ - भाई देख ना , आज मामी ने अन्दर कुछ नही पहना है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ उसका गला पकड़ने लगता है और अरुण खिखी हसने लगता है ।
शालिनी - अरे अरे , क्या कर रहा है क्यू मार रहा है उसे
अरुण नाटक करता हुआ अपना गला पक्ड कर - आह्ह मामी देखो ना कैसे गला कस दिया था इसने मेरा
शालिनी खाने की थाली रखती हुई भाग कर अरुण के पास गयी और बगल मे बैठते हुए उसके गाल को सहलाती हुई अपने सीने से लगा लिया ।
अपनी मामी के गुदाज छातियों मे अपना
अपने गाल घिसता हुआ अरुण मुस्कुराता हुआ अपने भौहे उचका कर राहुल को चिढाया और राहुल खिझ कर रह गया ।
इस दौरान शालिनी लगातार उसके सर को दुलारती हुई राहुल को डांटती रही ।
अमन के घर
अमन खाना खाकर अपने कमरे से निकला और जीने से होकर नीचे जा रहा था कि सामने दुलारी और रिन्की आपस मे बातें करते हुए हस्ते खिलखिलाते उपर आ रहे थे ।
अमन की नजर रिन्की के हाथ मे लटके कैरी बैगस पर गयी और मुस्कुरा कर - ओहो शॉपिंग , करो करो अकेले अकेले
रिन्की - हा जैसे मै कहती तो आप आ जाते
अमन रिन्की का रुखा जवाब सुनकर - अरे पूछा क्या एक भी बार और देखो तो भाभी कैसे बोल रही है ?
दुलारी- अरे देवर जी साफ साफ बोलो ना कि आप देखना चाहते हो कि मेरी बैल बुद्धि ननदीया क्या झोले भर लाई है
अमन हसता हुआ - नही नही मुझे नही देखना ,
दुलारी उस्का हाथ पक्ड कर खिंचती हुई - अरे आओ ना देवर जी , मस्त मस्त डिजाईनर कपडे लिये है इसने , पसन्द आये तो देवरानी को भी दिला देना उसमे से हिहिही
दुलारी ने हस्ते हुए रिन्की को आन्ख मारी और रिन्की शर्म से गढा गयी ।
तीनो साथ मे दुलारी के कमरे मे गये और हस्ते हुए दुलारी ने दरवाजा लगा दिया ।
सामने रिन्की अपने चुतड़ हिलाती हुई बाथरूम की ओर जाती हुई - भाभी मै अभी आई
दुलारी ने अमन की ओर देखा जिसकी नजर रिन्की की वाइट लेगी मे कसे हुए उसके उभरे हुए नरम नरम चुतड़ पर थी - बोल खायेगा उम्म
अमन अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - सच मे भाभी अब तो रहा नही जाता , वैसे क्या लाई है खरीद कर
दुलारी मुस्कुरा कर उसका खुन्टा लोवर के उपर से मसलती हुई - अह्ह्ह देवर जी सबर करो , असली खेल शुरु तो होने दो । तुम भी अपनी भौजाई को याद रखोगे
रिन्की इतने मे बाथरूम से आई ।
दुलारी - अरे देवर जी खड़े क्यू है आईये बैठ कर देखते है ना
रिन्की भी धीरे से मुस्कुराती हुई आई और लपक कर कैरी बैग का एक पैकेट झपटती हुई खिलखिलाई - इसको छोड़ कर सब दिखा दो हिहिही
अमन - अरे उसको क्यूँ छिपा रही है , दिखा ना ?
दुलारी- अरे असली माल तो उसी मे है इसमे तो ये सब कच्छी ब्रा है
ये बोलते हुए दुलारी ने झोले से रिन्की की ब्रा पैंटी वाली एक सेट बाहर निकाल दी ।
रिन्की मारे लाज के अमन से मुह छिपाती हुई मुस्कुरा रही थी और अमन की नजर रिन्की की ब्रा पैंटी पर गयी , बढिया क़्वालीटी के पैडेड ब्रा और लेस वाली मुलायम पैंटी , उसको स्पर्श करते ही अमन का लन्ड फड़फड़ाया ।
अमन को अपनी नयी पैंटी पर उंगलीयां फिरात देख रिन्की की चुत मे गुदगुदी उठने लगी , मानो अमन उसकी चुत के उपर अपनी उंगलियाँ फिरा रहा है ।
तभी अमन ने नजर उठा कर रिन्की को देखा और रिन्की लाज से मुस्कुराई
दुलारी - क्यू देवर जी है ना एक नम्बर आईटेम,
अमन - हा भाभी कपड़े का मैटेरियल बहुत सॉफ़्ट है , मुझे नही पता था कि चमनपुरा मे इतनी अच्छी क़्वालीटी के अंडरगारमेन्ट मिलते है । कहा से लिये
दुलारी हस्ती हुई - तुम्हारे ससुराल से हिहिहिही
अमन चौक कर - क्या सोनल की दुकान से , सच मे ?
दुलारी- हा और फिर हम लोग शॉपिंग कॉमप्लेक्स भी गये थे , वहा से इसके और अपने लिये नाइटी ली हमने फैंसी । वो भी पसंद आयेगा
अमन - हा हा दिखाओ ना
रिन्की हस्ती हुई पैकेट हाथ मे कसती हुई - ना ना भाभी हिहिही प्लीज
दुलारी- अरे दिखा ना , कपड़े ही तो है ना
दुलारी मे पैकेट छिना और उसने एक पिंक कलर की नाइटी निकाल कर खोलते हुए अमन के आगे फैला दी - हा देखो है ना अच्छी ?
अमन की नजर उस जालीदार ट्रांसपैरेन्स गुलाबी रंग की शार्ट नाईटी पर जम गयी , जिसके साथ एक पतली सी डोरी वाली थांग पैंटी थी । नजरे उठा कर उसने रिन्की को देखा - वाव यार , सो
दुलारी- सेक्सी ना ?
अमन - हा , अह ना आई मीन सो ब्यूटीफुल , लेकिन ये पहनने पर दिखेगी कैसी ? इसका कोई पैम्पलेट नही दिया है क्या ?
दुलारी- अरे भूल जाओ उस अंग्रेजन माडल को , हमारे पास अपनी घर की स्वीट ऐण्ड सेक्सी मॉडल है । अभी डेमो दे देगी हिहिही
दुलारी ने नजरे उथा कर रिन्की को देखा तो वो ना मे सर हिलाने लगी
दुलारी वो नाइटी लेके उठी और उसको पकड कर बाथरूम की ओर ले जाती हुई - अरे पगली इतना मस्त मौका है , छोड़ मत । देखा नही कैसे उसका खुन्टा बौराया हुआ है ।
रिन्की फुसफुफा कर - पर भाभी मुझे शर्म आ रही है ?
दुलारी- अरे जब वो ढीठ बना बैठा है तो तु काहे शर्म कर आ रही है , जा बदल के आ जा ।
दुलारी ने उसे बाथरूम के धकेला और हस्ती हुई अमन के पास - देखो देवर जी , अब कोई आना कानी ना हो ? मौका अच्छा है पकड़ के रगड़ देना ।
अमन चौक कर खड़ा हुआ और रिन्की के साथ आने वाले रोमांचक पल की झलकियां सोच कर अपना खड़ा मुसल मसलता हुआ - क्या अभीई ? जल्दी नही हो जायेगी भाभी ?
दुलारी की नजरे बस उसके उफनाते फड़फडाते लन्ड पर जमी थी और वो मौका पाते ही उसे बाहर निकाल कर दबोचती हुई - अह्ह्ह मेरे राजा , जल रही है वो पूरी भीतर से तेरे इस मुस्तैद मुसल के लिये , रगड़ कर फ़ाड डाल आज उह्ह्ह
अमन ने उसको अपनी बाहो मे भर कर उसके गरदन गाल को चूमता हुआ साडी के उपर से दुलारी के गाड़ मसलता है - अह्ह्ह भाभी कहो तो तुम दोनो की आज एक साथ ही उह्ह्ह उम्म
तभी बाथरूम के दरवाजे पर आहत हुई और दोनो अलग हुए और लजाती शर्माती नजरे नीची की हुई रिन्की अपने बालों को कान उल्झाती हुई कमरे मे दाखिल हुई
अमन की आंखे फैल गयी उस गुलाबी शार्ट नाइटी मे रिन्की के झलकते बदन को देख कर , उपर उसके भूरे भूरे निप्प्ल अपनी चोच उठाए सास ले रहे थे ।
गोरी चिकनी पतली टाँगे सुर्ख जाघो तक नंगी और कमर के पास नाइटी के आरपार झलकटी उसकी छोटी सी थांग जिसमे उसकी बुर बहुत मुस्कील से छिप पा रही थी ।
बुर के पास काले घुघराले बालों का गुच्छा अभी भी पैटी लाईन के किनारे किनरे झाड़ नुमा उभरा हुआ था ।
दुलारी- वाव यार , है ना देवर जी एकदम सेक्सी ?
अमन चौक कर - हा , हा भाभी बहुत प्यारा है और पीछे से दिखाओ ना
रिन्की ने दुलारी की देखा तो उसने घूमने का इशारा किया ,
पीछे घूमते ही अमन की नजर सीधे रिन्की की चिकने गोल मटोल चुतड पर गयी जिसकी सकरी दरारों मे थांग की स्ट्रिप चीरते हुए उपर लास्टीक मे जुड़ी थी ।
उसे देख कर अमन का लन्ड फड़फडाने लगा उसने जोर से अपना मुसल भिन्चा और तभी रिन्की ने एक और झटका अमन को दिया - आऊच्च्च्च सीईई मम्मीईई
ये बोलते हुए रिन्की आगे की ओर झुकी और अपने पैर को मसलने लगी ।
दुलारी- क्या हुआ ?
रिन्की सिस्कतो हुई उसी तरह झुकी हुई - आह्ह भाभी एक चींटी ने काटा उफ्फ्फ
वही अमन की नजर बस रिन्की के गोरे गोरे नंगे हुए गोल मटोल चुतड पर अटक गयी ।
दुलारी मुस्कुरा कर - अरे देवर जी अब आगे बढ़ो, अब तो चीटीयां भी उसके जिस्म पर रेंगने लगी ? रस टपकना शुरु हो गया है ?
अमन लगातार रिन्की को आगे झुके हुए अपना पैर सहलाते हुए देख रहा था और अपना मुसल मसल कर - क्या ऐसे सीधे ?
दुलारी- हा भाई जाओ ना बस
अमन आगे बढा और रिन्की के पास जाकर उसकी पीठ को सहलात हुआ - तु ठिक है ना , दिखा मुझे
रिन्की - अह्ह्ह भैया देखो लाल हो गया
अमन - इधर आ पैर इसपे रख
अमन ने रिन्की को पैर बिस्तर पर रखने को कहा औए रिन्की ने एक टांग उठा कर रखा ।
अमन निचे बैठ कर उसके घाव पर ठंडी फूंक मारने लगा और तभी उसकी नजर रिन्की के जांघो के बीच उसकी चुत के पास गयी , इतने करीब से उसने रिन्की की झाट भरी चुत देखी और वो ठहर सा गया ।
रिन्की को शरम आई और उसने नाइटी को निचे खिन्चते हुए खिलखिला कर - धत्त भैया कितने गन्दे हो आप , वहा कहा देख रहे हो ?
उसके निप्प्ल साफ साफ उभरे और कडक नजर आ रहे थे
अमन हसने लगा इसपे दुलारी ने मस्ती भरे मूड मे - अरे तेरी तिजोरी का ताला देख रहे है तेरे भैया , दिखा दे ना ?
रिन्की लजाती हुई बाथरूम की ओर बढ़ कर - धत्त भाभी तुम भी बहुत गन्दी हो , मै चंज करने जा रही हूं
दुलारी- अरे रुक ना
अमन भी हसता हुआ खड़ा हुआ ।
दुलारी- क्या यार सारा मजा खतम कर दिया , अरे सीधा चोच लगा कर पानी पिना था ना !
अमन - अरे कैसे करता भाभी वो रुकी ही नही ?
दुलारी- ह्म्म्ं इसकी अम्मा को घोड़े चोदे इसकी खबर लेती हु मै अभी ?
राज के घर
"उह्ह्ह मौसी अह्ह्ह आह्ह उम्म्ंम फ्क्क्क मीईई उम्म्ंम अह्ह्ह, सच मे बहुत मोटा है अह्ह्ह आह्ह "
रज्जो वो 10 इंच का मोटा dildo ट्विस्ट कर निशा की बुर मे घुसेड़ती हुई - आह्ह मेरी तो जान निकाल दी इसने अह्ह्ह पता नही कैसे वो भोस्डे वाली तेरी बुआ इसको पुरा घोन्ट जाती है आह्ह उह्ह्ह नोच मत आह्ह
निशा घोडी बन कर आगे झुक कर रज्जो की रसिली चुचिया हाथ मे पकड़े हुए मुह मे चुबला रही थी और रज्जो निचे उसकी बुर मे हचर ह्चर वो dildo घुसेड़ रही थी , निशा की बुर भलभला कर सफेद रंग छोड रही थी ।
निशा अपनी गाड़ उठा कर - आह्ह मौसी और और उह्ह्ह आ रहा है फिर से ऊहह ऊहह येह्ह्ह येश्ह्ह ऊहह फ्क्क्क फ्क्क्क फ्क्क उह्ह्ह्ह्हह्ह्ह
रज्जो निशा को झड़ते उस मोटे लन्ड पर खुद हुमुचते हुए देख कर हैरान थी , उसकी हथेली चुत के रस सन गयी थी , निशा के चेहरे पर चरमसुख की सन्तुस्टी के भाव थे । उसके हस्ते खिले हुए चेहरे पर एक गजब की कामुकता झलक रही थी , उसकी नशीली आंखे और मादक मे झुमते उसके जिस्म साफ बयां कर रहे थे कि निशा रज्जो की सोच से बहुत आगे की चीज है ।
रज्जो बस उसमे खो सी गयी ।
वही नीचे गेस्ट वाले कमरे मे एक कहानी का दुसरा दौर शुरू हो गया था ।
राज - फिर बुआ उस दुपहर हुआ क्या कुछ ?
शिला हसती हुई - हा हुआ ना
राज उस्तुकता और चहकपने से - क्या बताओ ना
शिला - सुन
देवर जी तो नहाने चले गये इधर कम्मो और मै निचे रसोई मे खाने की तैयारी करने लगे ।
हम तो रोज रात की बातें लगभाग साझा कर ही लेते , मगर उस दिन कम्मो के चेहरे पर गजब को रौनक थी ।
पुछने पर उसने सारी बातें उगल दी और इस शर्त पर कि वो तेरे फुफा से नही कहेंगी और दुपहर मे होने वाले घमासान की बात भी बताई ।
मैने भी उसे रसोइ से जल्दी छुट्टी दे दी उस रोज और तेरे फूफा को काम फुरमा कर बाजार के लिए भेज दिया ।
काम निपटा कर मै भी बेचैनी भी सासो से उपर गयी , जीने का दरवाजा बाहर से लगाया और चुपके से कम्मो के कमरे मे दरवाजे से कान लगाया ।
पलंग की चरमराह्ट और हाफती सासे सुन कर मेरे जोबन के दाने कड़क हो गये ।
मै भीतर से छटपटाता रही थी कि कहो से कुछ नजर आ जाये और मेरी नजर दरवाजे के कुंडी के पास बने सुराख पर गयी
दिल खुश हुआ और आंखे महिन कर भीतर नजर मारी तो देवर जी कम्मो को पूरी नन्गी किये घोडी बना कर उस्के कमर को थामे हचर ह्चर पेल रहे थे ।
उसकी मोटी मोटी चुचिया लटकी हुई खुब हिल रही थी और दोनो के भितर एक आग सी भरी थी ।
3 - 4 आसन बदल बदल कर जैसा देवर जी का स्वभाव था उन्होने क्म्मो को खुब हचक के पेला और उसके जिस्म पेट छातियों पर अपना माल गिराया ।
कम्मो के जिस्म रिसते उस गर्म नमकीन पिघलते लावे के स्वाद मेरे जीभ मे मह्सुस होने लगा और मेरी बुर बजब्जा कर रस छोड़ने लगी ।
फिर मै उठ कर अपने कमरे मे चली गयी , दिन ढला और रात हुई । देवर जी आये और मुझे खुब हचक कर पेला मगर लालची ने अपनी बीवी के हुकम नाफरमानी नही की । एक शब्द नही कहा , हो गया था मेरा देवर अपनी जोरू का गुलाम ।
अगली सुबह दोनो भाई अपने अपने कमरों मे नहा कर आने के बाद देवर जी कम्मो को दबोचा और भैया के पद चिन्हों पर चलते हुए उसने आज फिर कम्मो के ब्रा मे अपना माल गिराया ।
लेकिन आज तेरे फूफा पुरे फिराख मे थे जैसे ही देवर जी नहाने के लिए निचे गये वो लपक कर कम्मो के कमरे मे ।
मै भी मौका देखकर उनके पीछे ।
कमरे मे ना नुकुर वाला माहौल था तेरे फूफा कम्मो की चुचिया ब्लाउज के उपर से मिज रहे थे और लन्ड पुरा बाहर पिछवाड़े पर चुभो रहे थे ।
कम्मो - आह्ह आज नही , प्लीज ना
वो - तेरे कड़क जोबनो पर लन्ड रगड़ कर ही तो मुझे सुकून आता है
कम्मो - आप समझ नही रहे है आपके छोटे भैया आ जायेंगे , नहा कर कभी भी , मै कपड़ा कैसे उतार अभी
वो - मै नही जानता कम्मो मुझसे रहा नही जायेगा अह्ह्ह ले ले ना इसे भर ले
कम्मो - अच्छा थिक है मै ब्लाउज खोलती हुई आप पल्लू के निचे से गिरा देना
वो और भी उत्तेजित हुए और अपना लन्ड कम्मो के चुचियो मे हिलाने लगे , कम्मो ने बड़ी चालाकी से काम निपटाया मगर दोनो भाइयो के गाढ़े वीर्य से उसकी चोली पूरी गीली हो गयी ।
मै वहा से निकल गयी , मेरि जान्घे उस दृश्य को देख कर रिसने लगी थी ।
रसोई के टाईम मैने खुब मजे लिये उसके कि अब तो रोज उसके दोनो जोबन रसायेन्गे ।
कम्मो - आह्ह दिदी ऐसे तो मै परेशान रहूंगी पुरा दिन
मै - तो एक काम कर ना , तेरे जीजा को बता दे ना आज रात
कम्मो - क्या नही नही , मुझसे नही होगा
मै - अरे डरती क्यू है , तु कहे तो मै मदद करू
कम्मो - कैसे ?
मै - बस तु देखती जा आज रात क्या होता है ?
मैने योजना बनाई और शाम होने से पहले तेरे फूफा को आज रात मेरे साथ रुकने की जिद कर दी ।
वो - ये कैसी बात कर रही है तु, मै छोटे को क्या बोलूंगा
मै - वो सब मै नही जानती , आपको आज मेरे पास रुकना है आज पूरी रात मै आपके इस मोटे लन्ड की सवारी करूंगी प्लीज वो बुरे फसे उन्हे समझ नही आ रहा था कि कैसे वो अपने छोटे भाइ को इस बात के लिए राजी करेंगे ।
बेचैन होकर रात के खाने का निवाला किसी तरह गटका उंहोने और फिर घर के बाहर अलाग सेंकते हुए उनके जहन मे बस देवर जी से बात करने की झिझक चल रही थी ।
धीरे धीरे करके मेरे सास ससुर अलाव के पास से उठ कर अपने कमरे मे चले गये, मै और कम्मो आंगन मे बरतन धूल रहे थे , अभी देवर जी भी उठ कर जाने को हुए कि दूर से ही मैने तेरे फूफा को घूरा और वो मेरा इशारा समझ गये ।
वो - आह्ह छोटे बैठ तुझसे कुछ बात करनी है
देवर जी भी शंका के भाव से वापस बैठ गये - क्या हुआ भाइया , आप परेशान लग रहे है ?
वो - बात चिंता की भी है और नही भी , ये सब तेरे विवेक पर निर्भर करेगा ।
देवर जी - मुझ पर , मै समझा नही साफ साफ कहिये ना
वो - अह अब क्या बताऊ , तू तो जानता ही है कि मेरा कम्मो के साथ साथ शिला से भी शारीरिक रिश्ता रहा है
देवर जी के माथे पर बल पड़ने लगा , अलाव की बूझती मीठी आंच अब तेज मह्सूस होने लगी । देवर जी भी भीतर से एक सन्सय भरे उलझन से घिरने लगे - हा भईया पता है , मगर बात क्या है ?
वो - बात ये है छोटे कि भले ही अब शिला और मै साथ नही सोते मगर हमारी बीती सुहानी रातें हमे अक्सर दिन तडपा देती है , दिन मे जब भी हम आमने सामने होते है हम दोनो के जज्बात हम पर हावि होने लगते है । वो तेरी है ये सोच कर मै उसपे हक नही जताता हु और इस बात से वो उदास सी रहती है ।
देवर जी भी अपने भैया की बात सुन कर चिंतित हुए - तो फिर क्या सोचा है इस बारे मे आपने ? भाभी का यू उदास होना मुझे पसन्द नही आप तो जानते ही हो ।
वो - हा इसीलिए मुझे तेरी अनुज्ञा चाहिये
देवर जी - मेरी , किस लिये ?
वो - दरअसल आज शाम को शिला ने मुझसे रात उसके पास सोने का कहा है । अब मुझे समझ नही आ रहा है कि मै कैसे इस उलझन को सुल्झाऊ ?
देवर जी तेरे फूफा की बात सुन कर भीतर ही भीतर गदगद हो गये कि आज रात उन्हे क्म्मो के साथ सोने को मिलेगा - आप बड़े है भैया जो आपको उचित लगे वही करिये ।
वो - एक पल को मै शिला के पास चला भी जाऊ ,मगर क्म्मो उस्का क्या ? उस बेचारी को ये रात अकेले ही काटनी पड़ेगी क्योकि तु उसके करीब कभी हुआ ही नही ।
देवर जी मुह उतारने का नाटक किये और बोले - माफ किजियेगा भईया मगर मुझे उलझन रहती है कि कैसे मै उसको छुउन्गा , क्या वो मेरा साथ देगी बहुत डर भी रहता है
वो थोडा खुश हुए और करीब होकर बोले - अह अब तुझे क्या बताऊ मै , सही मायने मे खुल कर कहूँ कम्मो जैसी गर्म औरत मैने नही देखी ।
देवर जी आंखे फ़ाड कर तेरे फूफा को निहार रहे थे - सच कह रहा हु , सुहागरात पर वो इतनी गर्म और जोशीली थी कि पुछ मत और सम्भोग के समय वो इतनी कामोत्तेजक हो जाती है , इतने गन्दे गंदे बोलती है कि मै पागल हो जाता हु उफ्फ़ सच कहू तो तु बस उसको सोते हुए स्पर्श करके पहल कर लेना , बाकी वो खुद कर देगी ।
देवर जी का खुन्टा टाइट था वो उसको मिजते हुए - क्या सच मे भैया ?
वो - हा और जा मेरी मंजूरी है तुझे आज उसे अपना दम दिखा दे
दो हसते हुए उपर चले गये और कुछ देर बाद दोनो कमरों मे ह्चर फचर पेलाई जारी थी ।
तेरे फूफा उस रात दुगने जोश से मुझे चोद रहे थे और मै भी पागल हो गयी थी - आह्ह मेरे राजा ऊहह और चोदो उम्म्ंं , तुम्हारे लन्ड के बिना मेरी चुत सोने का नाम नही लेती अह्ह्ह और ऊहह
वो मेरे बालों को खिंचते हुए मुझे घोडी बनाये मेरी चुत मे लन्ड घचाघच पेल रहे थे - आह्ह साली रन्डी छिनार मेरी चुदक्कड़ बीवी उह्ह्ह्ह दो दो लन्ड के मजे मिल रहे है अब तो तुझे अह्ह बोल ना
मै - आह्ह हा मेरे राजा , मै आपकी रंडी बीवी हु आह्ह कल रात मेरे देवर मे मुझे खुब हचक के चोदा आज मेरा पति चोद रहा है आह्ह माह्ह्ह
वो और जोश मे - आह्ह क्या वो सिर्फ तेरा देवर है , आअन्न बोल ना साली कुतिया आह्ह बोल ना
मै उन्के मजबूत करारे झटके खाती हुई - हा मेरे राजा मेरा बहनोई भी है , आह्ह मजा आता अपने बहनोई से बुर मे लन्ड लेके आह्ह उह्ह्ह आप भी अपनी साली को पेलते हो उम्म्ंम खुब हचक हचक के
वो - आह्ह सच मे मेरी साली बहुत चुदासी और गर्म है , साली बुर मे भर कर निचोड़ लेती है मेरा लन्ड अह्ह्ह उह्ह्ह
मैने भी अपने चुत के छल्ले को अपने मोटे मुसल पर कसा और उसको निचोडती हुई - ऐसे करती क्या मेरे राजा उह्ह्ह बोलो ना ऐसे करती है वो उम्म्ं
वो पागल होने लगे - आह्ह मेरी जान तुम दोनो बहने ही रन्डी हो आह्ह ऐसे ही ऊहह साली कुतिया अह्ह्ह लेह्ह्ह उह्ह्ह
मै - आह्ह मेरे चोदू राजा ऊहह पेलो मुझे ऊहह
उन्होने मुझे घुमाया और पीठ के बल लिटा कर मेरे उपर आ गये और लन्ड बुर मे घुसाते हुए - ओह्ह मेरी चुदक्कड़ ऊहह लेह्ह्ह और लेह्ह जी तो करता है कि तुम दोनो बहनो को एक साथ लिटा कर ऐसे ही ऐसे ही अह्ह्ह हचक हचक के चोदू उह्ह्ह
मै - आह्ह सच मे मेरे ऊहह मेरा जरा भी ख्याल नही है उम्म्ं
वो - तुझे क्या चाहिये मेरी जान बोल ना
मै - मुझे भी मेरे दोनो पतियों का लन्ड चाहिये एक साथ वो भीई उह्ह्ह आह्ह
वो मेरी बातें सुन कर पागल हो गये और जोश ने खुब कस कस लन्ड मेरी चुत मे भरने लगे - आह्ह बहिनचोद तु सच मे रन्डी है आह्ह
मै उनके लन्ड पर अपनी चुत का छल्ला एक बार फिर से कसा और वो मदहौस होने लगे - आह्ह बोलो ना मेरे राजा दिलाओगे ना मुझे दो लन्ड अह्ह्ह प्लीज अह्ह्ह
वो हाफने लगे और लन्ड बाहर खींचकर तेजी हिलाते मेरे पेट पर झडने लगे - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही , अपने भाई सामने तुझे पेलने मे मजा आयेगा अह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह उह्ह्ह आ रहा है मेराअह्ह्ह्ह उह्ह्ह
मै भी उस वक़्त झड रही थी उनके साथ , वही बगल के कमरे मे भी गर्म माहौल था ,
कम्मो देवर जी के मुसल पर सवार होकर - आह्ह मेरे राजा , ऊहह आज रात मे कैसे मना लिये अपने भैया को ?
देवर जी उसकी नंगी पीठ को छूते - मनाना क्या मैने हक से बोला कि मुझे मेरी बीवी क्म्मो के पास सोना है
क्म्मो अपनी कमर को नचा कर लन्ड को बुर मे भरती हुई - धत्त झूठे , सच सच बोलो ना
देवर जी - सच कह रहा हु मेरी जान
कम्मो - अच्छा ऐसा क्या , कल मुझे उनके सामने चोद के दिखाओ तो जानू
देवर जी - क्या भैया के सामने, अरे ऐसे कैसे
कम्मो - क्यूँ, वो तो आपके सामने मुझपे हक जताते है और जब मन होता है पेल जाते है मुझे उम्म्ं
देवर जी कुछ जोशिले भी हो रहे थे तो कही झिझक भी थी ।
कम्मो अब लन्ड पर अपने कुल्हे उछालनते हुए हुमुचने लगी - आह्ह मेरे राजा मान जाओ ना , मुझे अच्छा लगेगा जब आप उनके सामने मुझे छुओगे मुझे मसलोगे
देवर जी मुस्कुरा कर कम्मो को बाहों मे भरते हुए - और अगर उन्का भी मूड हो गया तो
कम्मो - तो मै उनको भी मौका दे दूँगी लेकीन आपके
देवर जी का लन्ड फड़का - क्या मेरे सामने ही
कम्मो - क्यू देखा नही क्या कभी मुझे उनसे चुदते उम्म , जी तो करता आप दोनो का मुसल एक साथ लेलू उह्ह्ह अब तरसाओ मत मेरे राजा पेलो ना उह्ह्ह
देवर जी भैया के साथ क्म्मो को पेलने का सोच कर पागल गये और कुल्हे उठा कर निचे से तेजी से चोदने लगे ।
कम्मो - अह मेरे राजा ऐसे जी अह्ह्ह आप ऐसे चोदना मै उनका लन्ड चुसुंगी अह्ह्ह
देवर - आह्ह बहिनचोद , भैया सच कह रहे थे कि तु बहुत चुदासी है आह्ह मेरी जान लेह्ह्ह जो चाहिये सब दूँगा आह्ह मेरी जान ओह्ह्ह ओह्ह
कम्मो - आह्ह मेरे राजा और पेलो उन्म्म्ं उह्ह्ह हा ऐसे अहि उह्ह्ह
देवर जी पोजीशन बदला और कम्मो को करवत लिटा कर उसकी जान्घे चढा कर चुत मे पेलने लगे ।
कम्मो - उफ्फ्फ मेरे राजा आपके इन्ही अंदाज की दिवानी हु मै ,आह्ह मेरे राजा और चोदो ,नहला दो मेरी चुत को अपने रस से अह्ह्ह अह्ह्ह
देवर जी भी पागल होने लगे और लन्ड निकाल कर उसके गाड़ और चुत पर झडने लगे - आह्ह मेरी रन्डी ओह्ह कितनी गर्म है रे तुह्ह क़्ह्ह्ह लेह्ह्ह गर्म गर्म माल मेरा अह्ह्ह
कम्मो - ऊहह मेरे राजा फैला दो ना उह्ह्ज आह्ह ऐसे ही
देवर जी उसकी गाड़ और चुत के फाको पर अपना गाढ़ा सफेद बीर्य लिपने लगे , उंगलियो का स्पर्श पाकर कम्मो पागल होने लगी ।
पूरी चुत मलाई से सफेद होने लगी थी और देवर जी उंगलिया क्म्मो की बुर मे फचर फचर अन्दर बाहर हो रही थी , क्म्मो तेजी से झडते हुए सिस्क रही थी - आह्ह मेरे राज्ज्जा आह्ह मेरा आ रहा है रुकना मत ऊहह उफ्फ्फ आह्ह आह्ह उह्ह्ह
क्म्मो भी झड कर चूर हो गयि मगर जोशिले देवर जी ने एक राउंड और उसकी चुदाई की फिर दोनो सो गये
अगली सुबह हम चारों मे विचार बदल चुके थे ,रात मे चुदाई के दौरान उठे सपनो की कामुक झलक ने हमे भीतर से हिला कर रख दिया था ।
इधर नास्ते के समय देवर जी और तेरे फूफा की बातें हो रही थी ।
देवर जी ने तेरे फूफा को अपना रात का अनुभव साझा किया - सच मे भैया आपकी एक एक बात सही निकली कम्मो के बारें मे , वो कुछ अलग ही है ।
वो हसते हुए - फिर कितने राउंड
देवर जी - 3 बार , हर बार कुछ अलग ही जोश से वो मुझे निचोडती रही । सच मे भैया मजा आ गया
वो - हा भाई निचोड़ा तो तेरी भाभी ने भी कल रात मुझे उफ्फ़ ये दोनो बहने सच मे कितनी कामुक है
देवर जी - सच कह रहे है भईया और आपने नोटिस किया दोनो ने कभी हमसे सम्बन्ध बनाने से कभी इंकार नही किया , ऐसी आग तो सिर्फ
वो - रन्डीयों मे होती है ,
देवर जी - आह्ह सच कह दिया भैया आपने , दोनो की दोनो पक्की रान्ड है । देखा उनकी बातें करके ही हमारा ये हाल हो गया हाहाहा
वो - हा भाई सही कह रहे हो , पता है कल रात तो तेरी भाभी इतनी जोश मे थी कि अगर तु होता साथ मे तो वो तेरा लन्ड भी घोन्ट जाती
देवर जी - क्या सच मे , सेम ऐसा ही मैने भी अनुभव किया भैया , क्म्मो ने तो यहा तक कह डाला की हिम्मत है तो अपने भैया के सामने मुझपे हक जता कर दिखाओ
वो - हैं ? सच मे ? यार मेरा तो मन कर रहा है साली कम्मो की गाड़ अब खोल ही दूँ
देवर - हा भैया मै भी भाभी के चुतड को भेदना चाहता हु
वो - हा लेकिन अभी नही कर पायेगा तु
देवर जी - क्यू ?
वो - अरे शिला का महवारी शुरु हो गया है आज सुबह
देवर - अच्छा, फिर ?
वो - फिर क्या , क्म्मो को मिल कर दबोचते है फिर
देवर जी - सच मे , लेकिन कैसे ?
वो - वैसे ही जैसे वो चाहती है हाहहहहा
फिर बारी बारी से दोनो भाई नहाने चले गये । मेरे पिरियड शुरु हो गये थे तो रसोई से लेकर हर काम के लिए मेरी छुट्टी हो गयी थी और कम्मो का काम दुगना । मै छ्त पर अकेले आराम कर रही थी और वो रसोई मे काम कर रही थी ।
मौका देख के देवर जी को आंगन मे नजर रखने की ड्यूटी लगकर तेरे फुफा रसोई मे घुस गये और क्म्मो क्क दबोच लिया । रसोई के बाहर दिवाल से लग कर देवर जी झाक कर भीतर का नजारा देख रहे थे ।
तेरे फुफा ने क्म्मो को दबोच रखा था - आह्ह मेरी जान क्यू खफा खफा हो मुझसे , सुबह से देख रहा हु
कम्मो इतराई और कसमसा कर उनसे दुर होने की कोशिश कर - आप तो बात मत करिये मुझसे , दीदी के लिए मुझे तनहा छोड दिया था हुउउह
वो मुस्कुरा के पीछे से उसके अपना खड़ा मुसल उसके चुतड़ मे चुभोते हुए - अकेले कहा मेरी जान, छोटे को भेजा था ना
कम्मो थोड़ी चुप हुई तो वो उसके रसिले मम्मे दबोचते हुए - और रात मे मैने तुम्हारी सिसकियाँ सुनी , कितनी जोश मे तुम उसके लन्ड की सवारी कर रही थी ।
कम्मो लाज के मारे मे झेप सी गयी , उसके तन बदन मे सिहरन पैदा होने लगी ये सोच कर कि कल रात वाली चोरी पकडी गयि - हा जब आप मेरा ख्याल नही रखोगे तो मुझे खुद का ख्याल रखना पडेगा ना , ले लूंगी मै भी किसी का लन्ड
कम्मो की ये बात सुनकर दोनो भाई के फौलादी मुसल फड़कने लगे , वो जोर से उसके चुचे मिजते हुए - आह्ह साली कितनी चुद्क्क्ड है रे तु ऊहह जी कर रहा है अभी चोद कर तेरे छातियो मे अपना रस भर दूँ
कम्मो - आह्ह मेरे राजा आराम से अम्मा बाऊजी बाहर ही है उह्ह्ह कोई आ जायेगा
तेरे फूफा कम्मो को पीछे से पकड़ कर मसल रहे थे और कामोत्तेजना मे उनकी जुबान फिसली - अह्ह्ह चिंता ना कर मेरी रान्ड, बाहर छोटे को खड़ा रखा है वो आंगन मे देख रहा है
कम्मो चौकी - क्या वो बाहर है ?
तेरे फुफा हसने लगे और रसोई के गेट के पास दिवाल से लग कर खड़े होकर पजामे के उपर से लन्ड मिजते हुए देवर जी की ओर इशारा किया ।
कम्मो और देवर जी की हवस भरी नजर मिली और कम्मो भीतर से हिल गयी उसकी चुत बुरी तरह बजबजा उठी , रात लिये हुए पति से वादे को इतनी जल्दी पूरी होने की उम्मीद नही थी और आने वाले रोमांच को लेके उस्का कलेजा धकधक हो रहा था ।
जारी रहेगी