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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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UPDATE 211

निशा - रज्जो

" सच सच बताओ ना मौसी , ये चुतड़ सिर्फ मौसा जी ने अकेले नही चौडे किये होगे " , निशा रज्जो के कुल्हे सहलाती हुई बोली ।
रज्जो - तेरे भी जोबन खुब फूले हुए है , किस किस से मिजवाजा है पहले तु बता ?

निशा हसती हुई - अरे मौसी स्कूल मे , कालेज मे , होली मे मेले मे अब कहा कहा गिनाऊ हिहिही

रज्जो आन्खे बड़ी कर- तो क्या तु सबसे ?
निशा - अरे नही ना , इन जगहो मे अकसर मेरे तन को छू कर लड़के मेरे भीतर की आग भड़का जाते और मै रात अकेले कमरे मे हिहिही

रज्जो मुस्कुराती हुई - धत्त कामिनी
निशा - सच कह रही हु मौसी , देखती नही यहा कितना रोक टोक है।
रज्जो - अरे सोनल की तरह तेरा भी कोई यार दोस्त होगा ही , बता दे ना
निशा - एक यार तो आपके पति ही थे हिहिही , एक बार मे मुझे अपना दीवाना बना गये ।

रज्जो - अच्छा इतना मस्त लगा तुझे उनका लन्ड , तो चल ना कुछ रोज मेरे यहा रह कर फिर से ले लेना ।

निशा - अरे उस खुन्टे पर पहले ही दो दुधारू भैंस बांधी है मुझे कहा जगह मिलेगी ।

रज्जो अजीब भाव से - दो दो भैस मतल्ब
निशा हसती हुई -अरे एक आप और दूसरी रीना भाभी हिहिहिही

रज्जो सकपकाई - क्या बहू ? नही ये कैसे ? और तुझे इतना यकीन कैसे है ?
निशा शरारत भरी नजरो से खिलखिलाती हुई - शक तो आपको भी है ना मौसी , बोलो बोलो ? हिहिही

रज्जो - अह हा अब तेरे मौसा छुटा सांढ़ हुए है तो क्या करुँ उसपे से बहू कुछ ज्यादा ही सन्सकार लेके आयी है मायके से , इनसब मे सोचती हु कि कही रमन के साथ कुछ नाइन्साफी ना हो जाये बेचारा बहुत भोला है ।

रज्जो का परेशान चेहरा देख कर निशा - अरे वो भी बदला ले लेंगे और क्या ?
रज्जो - बदला कैसा इसमे ?
निशा हसने लगी ।
रज्जो - बोल ना
निशा अपनी हसी दबाती हुई - अरे जब उनके पापा उनकी बीवी रगड़ सकते है तो वो भी अपने पापा की बिवी रगड़ देंगे हिसाब बराबर क्यू ?

रज्जो को कुछ सेकंड लगे निशा की बात समझने मे और जब वो सम्झी तो सामने निशा खिलखिला रही थी और हस्ती हुई उसके चुतड़ को दबोचती हुई - साली कुतिया , कुछ भी बकती है अब क्या मै मेरे बेटे का लन्ड ले लू ,

निशा हस्ती हुई - आह्ह आउच्च मौसी सच कहू तो अगर मै रमन भैया की जगह होती तो आप पर मेरा ईमान डोल जाता हिहिहिही

रज्जो - तो रुकी क्यू है ,जा तेरे पापा का खुन्टा ले ले , अब कबतक किसी की राह निहारेगि

निशा जोर की अंगड़ाई लेती हुई - आह्ह सोच रही हूँ इसी बारे मे हीहिहिहिही वैसे पापा का मुसल है दमदार

रज्जो आंखे फ़ाड कर निशा की बातें सुन रही थी कि कैसी बेशरमी से वो बतिया रही है उससे - तो क्या तुने नाप लिया क्या तेरे पापा का मुसल

निशा - अरे नापा क्या मैने तो सपने मे लिया भी है हिहिही

रज्जो - धत्त कमिनी , तू बहुत दुष्ट है रे । छीईई
निशा - बोल तो ऐसे रही हो जैसे आपने कभी देखा नही होगा नाना का लन्ड । वो तो धोती मे होते है हिहिहिही

रज्जो - हा देखा है कई बार देखा है लेकिन तेरी तरह मेरी नियत नही आई कभी बाऊजी पर
निशा हस्ती हुई - मगर नाना को मैने जरुर देखा है आपके ये थिरकते मोटे कुल्हे निहारते हुए हिहिहिही

रज्जो अब चुप हो गयि उसकी जुबां अटक सी गयी - क्या बोल रही है तु

निशा आन्खे नचा कर - आहा , चोरी पकड़ी गयी हिहिहीही तो आपके इन बड़े बड़े गोलो को फुलाने वाले नाना ही है

रज्जो को यकीन नही हो रहा था कि निशा इतनी तेज निकलेगी , हर बात चित के साथ रज्जो के मन की बातें वो यू समझ जाती , रज्जो भीतर से डरने लगी ।
निशा हस कर - वैसे आप टेन्सन ना लो , मै बड़ी मा को नही बताउन्गी हिहिहिही

रज्जो ने एक गहरि आह भरी - उफ्फ्फ तुने तो डरा दिया मुझे भाइ आह्ह सच कहू तो ये बात सिर्फ मेरे और बाऊजी के बीच थी , मगर ना जाने कैसे तु समझ गयी ।

निशा - हिहिहिही मर्द की नजर और उसके चेहरे के भाव पढने मे मै कभी नही चुकती मौसी , अब तो ब्ता दो कब से ले रही हो वो मोटा बांस उम्म्ं

रज्जो - 30 साल हो गये , यूँ कह मेरे पहले यार वही थे ।
निशा - क्या सच मे ? शादी से पहले ही

रज्जो - हम्म्म , मा के गुजर जाने के बाद हम दोनो को एक दुसरे की जरुरत थी और हमने एक दुसरे को खुद को सौप दिया ।

निशा - उफ्फ्फ मौसी आपकी बातें सुन कर मेरी चुत गीली हो रही है , कैसा लगता है पापा से चुदवा के उम्म्ं

रज्जो - सच कहु तो आज भी वो पहली बार वाला ही नशा उमड आता है और बाऊजी भी वही जोश से पेलते है आज भी
निशा - उफ्फ्फ मौसी इधर आओ उम्म्ंम्ं

निशा ने रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसको अपने करीब करती हुई उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिये और चुचिया मिजने लगी , रज्जो भी उसके चुतड़ फैलाते हुए किस्स करने लगी

राहुल - अरुण

" उफ्फ़ भाई , क्या मस्त मस्त गदराई आण्टियां है यार " , राहुल अपना लन्ड मसलते हुए अरुण के मोबाइल मे वीडियोज़ देख रहा था ।

अरुण - ये सब पैड पोर्नस्टार है , सेक्स साइट पर वीडियो बेचती है अपना , जैसे बोलोगे वैसे वीडियोज बना कर देंगी ।

राहुल - तो क्या इस आंटी को बोलू कि वो दो दो लन्ड से चुद कर दिखाये तो क्या वो मान जायेगी

अरुण - हा भाई , लेकिन पैसे बहुत लेती है सब उसमे तुम उनसे मनचाहा रोल प्ले भी करवा सकते हो ।

राहुल - रोल प्ले कैसा ?
अरुण - मतलब ये कि अगर तुम चाहते हो कि ये आंटी और इसके साथी से किसी फैमिली सेक्स के जैसे रोल प्ले करे तो वो करेंगे ।

राहुल - तो क्या भाई बहन , मा बेटा भी बन कर चुदाई करते है सब
अरुण - हा भाई जो कुछ तुम चाहो , तुम चाहो तो इस आंटी का नाम मामी के नाम पर रखवा कर भी वीडियो बना सकते हो , फिर तुम अपनी मा भी जिससे चाहो चुदवा लो हिहिहिही

राहुल का लन्ड ये सब गणित देख सोच कर बौखला गया - बहिनचोद कितना आगे निकल गये है लोग यार ,

अरुन - इसीलिए मुझे रिश्तों का फर्क नही पड़ता, चुत मिलना चाहिए

राहुल - तो क्या तुने किसी को चोदा है इसमे से
अरुण - नही यार ये सब प्राइवेट मिलने नही आती है और जहा जाती है वहा बहुत पैसा लेती है । लाख लाख रूपये मे बातें होती है भाई

राहुल - क्या , बहिनचोद इतना पैसा कहा से आयेगा । इससे अच्छा अपनी अम्मा ना चोद लू मै

अरुण - वही तो मै भी बोल रहा हु हिहिहिही

राहुल - वैसे सच कहू तो मम्मी को सोच कर हिलाने का मजा ही अलग है क्यू

अरुण - हा यार , और मामी है भी कितनी सेक्सी सोचता हु बिना पैंटी के उनकी बुर कैसी दिखती होगी ।

राहुल - जन्नत है भाई , मुझसे पूछ
अरुण - तुने देखी है क्या ?
राहुल बत्तिसी दिखाने लगा। अरुण - बता ना कैसी है , लम्बी फाके वाली है क्या

राहुल ने हा मे सर हिलाया तो अरुण - उफ्फ्फ मुझे लगा ही था कल

राहुल - तुमे कब देखा
अरुण हस कर - अरे वो नही देखा बस पीछे से देखा जब वो बाथरूम मे पेसाब कर रही थी तो उठते समय बस लकीरे दिखी थी थोड़ी सी


राहुल उसके गले मे हाथ का फंदा बना कर कसता हुआ - साले हरामी है तु तो रे

अरुन हसता हुआ - हिहिही अब नजर पड गयी थी तो क्या करता भाई ,
राहुल - साले मादरचोद , हट भोसडी के
अरुण खिखी दाँत दिखाता हुआ - भाई कुछ कर ना , मामी ने तो मुझे पागल कर रखा है और तुने बोला भी तो था कि यहा कुछ इंतजाम करेगा ।

राहुल - अबे मम्मी को पटाना हलवा थोड़ी है , मै तो कितने टाईम से लगा हु तु ट्राई कर देख क्या कहती है


अरुण कुछ सोच कर - ठिक है लेकिन मुझे तेरी मदद लगेगी और अगर मामी मान गयी तो तेरा भी फाय्दा होगा ही

राहुल - हा भाई क्यू नही
राहुल बहुत चतुराइ से अरुण का प्लान समझने लगा ।
इधर इनकी योजना चल रही थी कि वही शाम के 4 बजने को हो रहे थे ।
रात के खाने के लिए शालिनी ने बाजार से सब्जी राशन लाने की लिस्ट बनाई और राहुल को खोजते हुए उसके कमरे तक आई

शालिनी ने दरवाजा खटखटाया और भीतर दोनो सतर्क हुए और लन्ड को पैंट मे ऐंठते मोडते राहुल ने दरवाजा खोला - हा मम्मी

शालिनी - क्या कर रहे थे तुम दोनो दरवाजा बन्द करके

अरुण - कुछ नही मामी , बस मूवी देख रहे थे
शालिनी ने कमरे का जायजा लिया और बोली - अच्छा सुन झोला लेले और पापा से पैसे ले ले , मै तैयार होकर आती हु हमे बाजार जाना है ।

राहुल - ठिक है
राहुल उठ बाहर चला गया और शालिनी ने मुस्कुरा कर अरुण की ओर देखा ।
दोनो के जिस्म मे सरसराहट
सी फैल गयी और दोनो बाथरूम के वो पल याद कर भीतर से कामोत्तेजित हो उठे
शालिनी के निप्प्ल उसके नाइटी मे कड़क होकर उभर आये और अरुण की नजर उसपे अटक सी गयी ।
शालिनी ने इशारे से उसका
ध्यान अपनी ओर किया अपने पीछे चलने का इशारा करती हुई कमरे की ओर बढ़ गयी ।
अरुण का मुसल बगावत पर आ गया , शालिनी के इशारे ने उसको सपनो की नयी दुनिया मे ला खड़ा किया । उत्सुकता कामुकता और बेताबी भरे मन से वो उछलता हुआ शालिनी के कमरे मे चला गया ।


शिला के किस्से

कम्मो की नजरे देवर जी से टकराई और आंखे बडी हो गयी ये देख कर कि देवर जी उसको और अपने भैया को एक साथ देख कर अपना मुसल मसल रहे है ।

वो कम्मो की साडी सरका कर ब्लाउज के उपर से उसकी छातियां मिजने लगे जिससे कम्मो को एक अलग ही खुमारी छाने लगी - उफ्फ्फ आराम से उम्म्ं
वो लगातार देवर जी को अपनी नशीली कामुक नजरो से निहारे जा रही थी , देवर जी के आगे उनके भैया से अपनी चुचिया मिजवा कर उसे एक अलग ही जोश आ रहा था उसपे से देवर जी उसे देख कर अपना मुसल रगड़ रहे थे ।
पीछे से तेरे फूफा का खुन्टा उसके चुतड़ मे साडी के उपर से घुसा जा रहा था ,
रसोई के अंदर बाहर दोनो ओर कामोत्तेजना पीक पर थी , एक ओर देवर जी जहा कम्मो को छूने को बेताब हो रहे थे वही कम्मो तेरे फुफा को कपड़े उतारने से मना कर रही थी ।
वो - अब मना मत कर कम्मो देख हम दोनो भितर से तप रहे है और आग हमे जला रही है ।

कम्मो मुस्कुराइ और उनकी ओर घूम कर उनका मुसल पजामे के उपर से जकडती हुई - आह्ह मेरे राजा रुको मै बुझाती हु तुम्हारी आग
ये बोल कर कम्मो सरकति हुई तेरे फुफा के पैरो मे चली गयी और पैजामा खिंच कर उनका काला मोटा फुन्कार मारता नाग बाहर निकाला , दिन के भरपूर उजाले मे तेरे पापा का लन्ड अपने भाई के आगे अलग हो जोश मे फूला हुआ था , चमडी खिंच कर कम्मो के सुपाडा खोला और फिर एक नजर दरवाजे पर देवर जी को देखा ।
देवर जी की सासे उफनाने लगी , उनकी बीवी उनके सामने उनके भैया का लन्ड चूसेगी ये देख कर ही उनके लन्ड मे ऊर्जा दुगनी हो गयी ।

पजामे के उपर से अपना मुसल भींचते उन्होने एक नजर अपने अम्मा बाऊजी के कमरे की मारा और जब दुबारा रसोई मे देखा तो कम्मो आधा लन्ड मुह मे भर चुकी थी ,

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देवर जी रसोई के गेट का लक्ड़ा पकड कर एडिया ऊचका कर लन्ड के झटके से उड़ने लगे , जोर से उसे भींच कर भीतर कम्मो को भैया का लन्ड चुसते देखा ।

कम्मो बड़ी कामुक अदा से जीभ फिरा कर सुपाड़े की टिप चाट रही थी और नजरे तीरछी कर उसने देवर जी की ओर जो अपना मोटा लन्ड बाहर निकाल कर उसके सहला रहे थे

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कम्मो ने तेरे पापा का मुसल हाथ मे पक्ड कर सहलाते हुए दुसरे हाथ से देवर जी को भी भीतर आने का इशारा किया

देवर जी बेचैन हो उठे उंहे डर कि ऐसे खुले मे कही अम्मा बाऊजी ना आ जाये मगर तेरे फूफा ने आने का इशारा किया तो वो भी लपक कर उनके बगल मे खडे हो गये ।

कम्मो ने हाथ बढा कर देवर जी का मुसल पकडा और उनकी आंखो मे देखा , देवर जी भीतर से गिनगिना उठे , उनका शरीर मे कपकपी सी उठने लगी और फिर कम्मो की नजरे तेरे फूफा से टकराइ और उन्होने प्यार से कम्मो के बाल सहलाए
अगले ही पल कम्मो ने मुह खोल कर देवर जी का लन्ड भी भर लिया और चुबलाने लगी - आह्ह कम्मो उम्म्ंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह क्या मस्त चुसती है तु उम्म्ंम

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वो - आह्ह सच कह रहे हो भाई , कम्मो का कोई जवाब नही ऊहह ऐसे ही उम्म्ं
कम्मो लन्ड बदल बदल कर चुसाई कर रही थी और दोनो भाई हवा मे उड़ने लगे ,
देवर जी -अह्ह्ह कम्मो मेरी जान य्ह्ह ऊहह आयेगाआ उह्ह्ह सीईई उम्म्ंम ओह्ह्ह खोल जल्दी उह्ह्ह

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कम्मो देवर जी का इशारा समझ गयी और ब्लाउज खोलकर ब्रा सरकाती हुई आगे की और देवर जी अपना लन्ड मुठियाते हुए उसके एक चुचि के निप्प्ल पर अपना माल छोड़ने लगे , जिसे देख कर तेरे फुफा चौके और जोश मे वो भी अपना मुसल हिलाने लगे - अह्ह्ह कम्मो तु सच मे लाजवाब है रे अह्ह्ह लेह्ह्ह खोल मेरा भी लेह्ह ऊहह ऊहह

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खुद तेरे फूफा ने दुसरी ओर की ब्रा के कप खिंच कर लन्ड को उसके चुची चुभो कर झाडने लगे

दोनो भाई कम्मो के चुचियो पर अपना रस निचोड रहे थे और कम्मो के निप्प्ल उनके गर्म लावे और भुने जा रहे थे ।
लन्ड झाड़ कर दोनो भाई खुद के कपड़े सेट करने लगे और वही कम्मो के ब्लाउज का बोझ अब और बढ गया , आधी आधी कटोरी भर के दोनो जोबनो दोनो भाइयो से रस से लिभ्डाये हुए थे जिन्हे कम्मो ने ब्रा मे कस कर ब्लाउज बन्द कर दिया ।

तेरे फुफा मारे जोश मे आगे झुक कर कम्मो के होठ चुस लिये और देवर जी मुस्कुराने लगे ।
जोश खतम हुआ तो तीनो को लाज आने लगी थी मगर तेरे फूफा ने आगे का प्रोग्राम सेट कर दिया ।
कुछ देर बाद कम्मो के ही कमरे मे ,

दोपहर के खाने के बाद घर-रसोई का काम निपटा कर कम्मो थक चुकी थी , मगर वो जानती थी उपर कमरे मे बैठे दो भूखे शेर उसे नोच खाने को बेताब थे ।
हुआ भी वही कम्मो के कमरे मे आते ही देवर जी के कड़ी लगा दी और तेरे फूफा ने अपनी लूंगी खोल कर अपना खड़ा लन्ड लेकर उसके सामने

कम्मो - आह्ह रहने देते है ना ,आज काम से थक गयी हु
तभी देवर जी ने उसको पीछे से दबोचा और उसकी चुचिया मिजते हुए - अह्ह्ह मेरी जान अभी तेरी थकावट हम दुर कर देते है

कम्मो देवर जी के बाहों मे कसमसाने लगी और तेरे फुफा आगे आकर उसके ब्लाउज का हुक चटकाने लगे तो देवर जी एक हाथ से निचे से कम्मो की साडी खोलने लगे

वो - अरे ये क्या , ब्रा निकाल दी तुमने
कम्मो उनके मजबूत पंजे अपने चुचो पर मह्सूस कर - अह्ह्ह वो ज्यादा गिला था आज और खुजली हो रही थी अह्ह्ह ऊहह

इधर देवर जी ने उसके पेतिकोट का नाड़ा खिन्च कर उसे नाइस गिरा दिया और पैंटी के उपर से चुत मलने लगे , कम्मो दोहरे हमले से पागल होने लगी

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तेरे फुफा ने उसके खुले ब्लाउज से झाकते नारियल जैसे चुचे हाथ मे गारते हुए मुह पर लगा कर चुसने लगे ।

कम्मो - आह्ह सीई ऊहह मेरे राज्ज्जाह्ह आह्ह
देवर जी उसकी पैंटी मे हाथ घुसा कर उसकी बजब्जाती बुर को टटोलती हुए - कौन है तुम्हारा राजा बोलो ना
कम्मो देवर जी के सवाल से मुस्कुराई तो देवर जी ने उसकी बुर मे उंगली घुसा कर अपना सवाल दुहराया - बोल ना मेरी जान कौन है तेरा राजाह्ह्ह उम्म्ंम्ं मै या भैया

कम्मो - आप मेरे राजह्ह्ह उह्ह्ह और ये मेरे जेठ जी अह्ह्ग अह्ह्ह ऊहह आराम से उह्ह्ह
तेरे फुफा कम्मो के मुह से जेठ जी सुन कर जोश ने आ गये - आह्ह कम्मो सच मे क्या बोला है तुने आह्ह मजा आ गया

देवर जी भी आगे से उसकी वुर मसलते हुए - तो कैसा लगा था सुहागरात पर अपने जेठ से सील तुड़वा कर मेरी रानी उम्म्ं बोल ना , देवर जी की बातें सुनकर कम्मो के साथ साथ तेरे फूफा भी भीतर से जोश से भर गये और
वो - आह्ह कम्मो दिखा दे ना कैसे उस रात चुसा था मेरा , कितनी जोशीली हो गयी थी तु मेरा लन्ड देख कर , लेह्ह चुस मेरी रान्ड उह्ह्ह

तेरे फुफा ने अपना मोटा तनमनाया गर्म आंच फेकता लन्ड उसके होठो पर परोस दिया और कम्मो बिना कुछ बोले उसको गपक गयी
फिर देवर जी ने अपने कपडे उतारे और लन्ड आगे किया
कम्मो दोनो का मुसल पक्ड कर बारि बारि से चुस रही थी

देवर - आह्ह भैया सच कहा क्म्मो भीतर से किसी रन्डी से कम नही , कितनी चुदासी हो गयि हौ

कम्मो दोनो के सुपाड़े अपने थूथ पर रगड़ने लगी और फिर से लन्ड घोंट लगी ।
वो - अह्ह्ह देख देख छोटे ऐसे ऊहह ऐसे ही ले रही थी बहिनचोद साली उह्ह्ह
इसपे देवर जी हस पडे ।

वो - क्या हुआ हस क्यूँ रहा है
देवर जी - हाहाहा भैया इसे गाली देने का मतल्ब , इसकी बहिन भी चोद चुके हो और आपकी साली तो ये पहले से है हाहाहा

कम्मो - आह्ह मेरे राजाआ मेरे हाथ दुख रहे है , अब और नही
देवर जी मुस्कुराये - क्यू चुत तो नही दुख रही तेरी उम्म्ं

कम्मो ने मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाया और तेरे फू फा ने कम्मो को उठा कर टांग लिया और बिस्तर पर लिटा कर उसके उपर चढ कर उसकी रसिली चुचिया मिजते मसलते चुसते हुए निचे से अपना लन्ड उसकी बुर मे चुभोते हुए अपना पुरा बदन उसके जिस्म पर घिसने लगे और वही देवर अपना मुसल पकड़ कर मसलते हुए अपने भैया और बीवी की रासलीला देखने लगे ।

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कम्मो कसमसाती सिस्कती रही और देखते ही देखते तेरे फुफा ने देवर जी के सामने ही क्म्मो की बुर मे अपना लन्ड उतार दिया ।
क्म्मो - आह्ह जेठ जी ऊहह सीई पेलो मुझे उह्ह्ह
वो उसकी बुर मे लन्ड रगड़ते हुए - क्या बोली फिर बोल उम्म्ं क्या हु मै मेरा अह्ह्ह बोल ना
कम्मो मुस्कुरा कर - आह्ह आउउच्च ऊहह आप मेरे जेठ जीईई अह्ह्ह उम्म्ंम और चोदो मेरे राजा अह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही उह्ह्ह

कम्मो की जोशीली और कमोतेजक बातें सुन कर देवर जी की हालत और खराब होने लगी वो अपना मुसल लेकर कम्मो के पास पहुचे और कम्मो ने हाथ बढा कर उसे लपक लिया और उनकी ओर देखती हुई - देखो मेरे राजा अपनी रान्ड बीवी को उह्ह्ह ऐसे ही चोद रहे थे उस रात मुझे अह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह उम्म्ंम और कस के उह्ह्ह

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देवर जी जोश ने उसके करीब गये और अपना मुसल उसके मुह मे ठूस दिया और हचर ह्चर उसके गले मे उतारने लगे - आह्ह ले मादरचोद आवारा साली उह्ह्ह ले चुस मेरा भी आज हम भाई तेरी फाड़ कर रख देंगे उह्ह्ह लेह्ह

कम्मो उनका लन्ड घोंटते हुए निचे से तेरे फुफा का मुसल निचोडने लगी
अदल बदली कर पोजीशन बदल बदल कर दोनो भाइयों ने अपने कामरस से कम्मो को खूब नहलाया और देर शाम को तेरे फूफा मेरे पास आये ।

मानो वो भाप गये कि मैने उनकी चोरी पकड ली हो और फिर उम्होने सारी बात बताई , जिसे सुनकर महवारी मे मेरी चुत सफेद पानी छोडने लगी ।
मगर मेरी हालत इतनी भी सही नही थी कि उनके साथ कुछ कर पाती , रात भर वो मेरे साथ रहे और अगले 2 रोज बाद कम्मो का महिना भी आ गया ।

दोनो भाइ सुपाडे मे माल भरे अगले 3 रोज की रात किसी । अगली सुबह मेरी छुट्टी खतम हुई थी समझो , मैने सोचा था कि आज भी दोनो को बहाने से तरसा ही दू मगर कमबख़्त देवर जी की नजर ना जाने कैसे मेरी पूजा की थाली पर पड़ गयी और मेरा राज खुल गया और वो तेरे फुफा से भी ब्ता दिये ।
उस दुपहर मै खाने पीने का देख कर खाली हुई कि तेरे फुफ़ा ने मुझे दबोच लिया और खिन्च कर मेरे कमरे मे ले गये और जल्दी जल्दी मेरी साडी उठाते हुए चुत पर मुह लगा दिया ।

20240716-200920

मै भी 5 रोज बाद उनकी गर्म लपलपाती जीभ का स्पर्श पाकर पागल सी हो गयि और वो लगातार मेरी बुर चाटे जा रहे थे मेरी तेज सिसकी सुनकर ना जाने कहा से देवर जी आ टपके दरवाजे पर कड़ी लगाते हुए - अरे भैया सारा रस अकेले चाट जाओ क्या , थोदा मेरे लिये छोड़ दो

वो - अरे छोटे तु आ , तेरी भाभी की चुत मस्त फूली और निखरि हुई है आ चख
देवर जी ने मुझे लिटा कर मेरी बुर पर टुट गये
उधर तेरे फुफा मेरी आंचल से मेरे जोबन उघाड़ कर उनपर झपट पड़े
दोनो भाइयो मेरे जिस्म को मसल कर ने मेरी कामाग्नी को कई गुना कर दिया था मै गाड़ पटक कर देवर जी के मुह पर झड रही थी और तेरे फुफा मेरे चुचियो को बारि बारि मसल मसल कर लाल किये जा रहे थे
मै भी बौखलाई और दोनो के मुसल पर टूट पड़ी
देवर- आह्ह भाभीईई उहह्ह ऐसे ही चुसो उम्म्ंम
मैने आन्के महिन कर उन्हे देखा तो तेरे फुफा हसते हुए बोले - अब देखा जाये तो तुम भाभी ही हो उसकी हिहिही अह्ह्ह सीई आराम से मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही ओह्ह्ह्ह

देवर - आह्ह भैया भाभी के होठ मक्खन जैसे है उम्म्ंमौर चुत की मलाई के क्या ही कहने उम्म्ं
वो - आह्ह भाई सच कहा ये दोनो बहने मजेदार चीज है उह्ह्ह उह शिलू मेरी जान आह्ह ऐसे ही उम्म्ं और लेह्ह ऊहह तेरे चुसाई से मेरा मुसल इन 3 रोज मे मुरझा सा गया था अह्ह्ह

देवर जी - आह्ह सच कहा भैया उम्म्ं अगर ऐसे ही इन दोनो की महीने के 5 5 रोज छुट्टी होती रही तो हमारा क्या होगा

मै तुनक कर - तो जाके अपनी बहनिया से चुस्वा लेना हुह्व हमारी ती कोई फिकर ही नही
वो हसते हुए मुझे पिछे से दबोच कर मेरे चुचे मसलने लगे - आह्ह मेरी जान नाराज ना हो , हे छोटे माफी मांग

देवर जी - जी सॉरी ना भाभी
वो डांट कर - ऐसे नही
देवर जी अचरज से अपने भैया को निहारकर उनका इशारा समझने लगे ।
वो - अरे भाई निचे बैठ कर माफी मांग
देवर जी मुस्कुराये और एक बार फिर मेरी सुस्ताती बुर मे हड़कम्प मचा दिया ।
मेरे पाव कापने लगे और उसपे से तेरे फुफा का खुन्चा मेरी मोटी गाड़ की सकरी दरारे अलग भेद रहा था , निप्प्ल तो मानो उनकी हथेली मे छील से जायेंगे और देवर जी भी कम नही , जीभ घुसा कर मेरी बुर का जायदा लेने लगे

मै - आह्ह मेरे राजाह्ह ऊहह अब और नही आह्ह देदो ना इसे ऊहह डालो ना
फिर तेरे फुफा ने मुझे झुकाया और देवर जी ने आगे पहल कर घोडी बनाते हुए मेरी नंगी बड़ी गान्ड को सहलाते हुए अपना मुसल मेरी बुर मे लगाया और हचाक से उतार दिया
मै -आह्ह देवर जी आराम से ऊहह ऊहह आप्का ज्यादा मोटा है उह्ह्ह सीई

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वो आगे आकर मेरे मुह मे अपना मुसल परोस चुके थे
दोनो भाईयो ने पूरी रात मेरी चुत का बाजा बजाया और सुबह उठ कर देवर जी अपने कमरे मे गये ।


राज - अच्छा तो क्या फिर आप चारो एक साथ भी कभी किये थे
शिला - धत्त बदमाश कही का
राज - क्या बुआ बताओ ना सब बता के यहा तो मत रुको

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई राज की मा दरवाजे पर थी ।
शिला ने दरवाजा खोला - क्या खुसफुसाहट हो रही थी बुआ भतिजा में

शिला दरवाजा पुरा खोलकर रागिनी को कमरे मे आता देख एक नजर राज को देखा और बोली - बस वही बची कुची कहानी सुना रही थी अपने भतिजे को

रागिनी - हम्म्म तो यानी कि इसे भी पता चल ही गया आपके दो पतियों का राज हिहिहिही

राज - क्या मम्मी आपको पता था तो बताया नही मुझे
रागिनी हस्ती हुई - कुछ बातें समय आने पर ही खुलनी चाहिये क्यू दीदी

शिला - हा हा और क्या , अब देखो अगर अभी इसकी पैंट नही खोली हमने तो फाड़ कर बाहर आ जायेगा

शिला ने राज के तनमनाये मुसल की ओर इशारा किया

रागिनी आगे बढ़ कर राज के पैंट खोलती हुई - दिदी तुम कड़ी लगाओ , इसको मै बाहर निकालती हु

फिर राज की मा ने राज के पैंट खोल कर उसका मोटा मुसल बाहर निकाला , राज मे मिज रगड़ कर लाल कर रखा था ।

रागिनी - उफ्फ़ देखो कैसा लाल कर रखा है , कबसे रगड़ रहा था रे

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राज - आह्ह मम्मी , बुआ की कहानी ऐसी थी आह्ह उम्मममं अह्ह कितना ठंडा लग रहा ऊहह म्ममीईई शीईईई अह्ह्ह उम्म्ं

शिला - तु सुन ही ऐसे लाग से रहा था मुझे सुनाने मे मजा आया , लाओ भाभी मुझे भी दो ना उम्म्ंम्म्ं सीईईइरुउउऊपपपपप आह्ह क्या गर्म लन्ड आपके बेटे का भौजी उह्ह्ह

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रागिनी - आपके भैया का खुन है , दमदार तो होगा ही उम्म्ंम

राज - आह्ह मम्मी खोलो ना तुम दोनो आज दोनो की गाड़ एक साथ मारनी है मुझे

रागिनी - सच क्या लल्ला आजा ना
शिला भी मुस्कुरा कर राज के लन्ड को छोडते हुए खड़ी हुई और रागिनी ने अपनी साडी पेतिकोट कमर तक चढाई और घोदी बन कर बिस्तर पर
शिला ने भी अपनी लेगी पैंटी एक साथ उतार कर बिस्तर पर

दो बड़े बड़े मोटे मोटे चुतड़ राज के आगे हिल रहे थे , उनकी सकरी दरारो मे झांकती भूरि सुराख देख कर राज को रहा नही गया और उसने अपनी मा के दरारों मे मुह दे दिया । उसका दुसरा पन्जा शिला के मोटे भारी भरकम चुतड को मसल रहा था उन्हे नोच रहा था

रागिनी - आह्ह लल्ला नीद ने मुझे सुस्त कर रखा था आह्ह तेरे स्पर्श ने मुझमे ताजगी भर दी ऊहह लल्ला घुसा से आह्ह
राज अपनी मा के गाड़ से आ रही मादक कामुक गन्ध के हटकर धेर सारा थुक सुपाडे पर लगाता हुआ हाथ से रागिनी की बजबजाई बुर से लेकर उसके गाड़ पर मलने लगा

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रागिनी अपनी कमर अकड़ती ऐठती गाड़ फैला रही थी और राज ने उसके चुतड मे लन्ड सेट कर हचाक से पेल दिया

रगिनी - आह्ह लल्ला ऊहह भर दिया रे ह्ह अब रुक मत
रागिनी तेजी से अपनी बुर मसल रही थी और राज शिला की गाड़ मे उंगली से खोद रहा था
रागिनी का एक साथ से कुल्हा थामे वो हचर ह्चर उसकी गाड मे पेल रहा था - ऊहह माआ सीई कितना मजा आ रहा है उफ्फ्फ कितनी कसी हुई गाड है उह्ह्ह

शिला - आह्ह लल्ला मेरा भी ख्याल कर , बीती बाते याद दिला कर मुझे पागल कर दिया है तुने आह्ह घुसा ना
राज ने रागिनी को चोदते हुए मुह से थुक लेके शिला के गाड़ पर लगाने लगा
शिला -आह्ह लल्ला ऊहह अब मत तरसा आजा बेटा उह्ह्ह्ह

राज ने भी लन्ड बाहर निकालते हुए शिला के थुलथुले चुतड पर पन्जा मारा - आह्ह बुआ बताया नही तुमने

शिला सिस्क कर - आह्ह अब क्या नही ब्ताया
राज - वही कि तुम चारो कभी मिल कर किये हो
रागिनी - अरे पुछ इतने सालों मे किसी दिन नागा हुआ है हाहहजा

राज - है? सच मे फिर तो बुआ आपके मजे ही मजे है

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शिला ने अपनी गाड़ की कसी सुराखो मे राज का मोटा मुसल मह्सुस कर - आह्ह लल्ला उफ्फ्फ कितना तप रहा है रे उह्ह्ह
रागिनी - अरे जब दो दो साड का मुसल लेके नही बोली तो अब मेरे लाडके के खूँटे से क्यू गला फाड़ रही हो दिदी

राज - आह्ह बुआ आपकी कसी गाड़ का राज मेरी समझ के परे है , इतनी चुदी हो फिर भी अह्ह्ह जी कर रहा है फचर फचर पेल कर इसको भर दू अह्ह्ह सीईई

रागिनी - आज रात तेरी बुआ की खास खातिरदारी करना पापा के साथ , इनकी चुत और गाड़ ऐसी सुजा के भेज्वाउन्गी की अह्ह्ह उह्ह्ह लल्ला उम्म्ं

राज ने छेद बदल के मा के गाड़ मे घूसेड दिया और पेलते हुए -हा बोलो ना मम्मी अह्ह्ह

रागिनी - आह्ह लल्ल्ला तु आह्ह ऊहह आराम से उम्म्ंम
शिला - रुकना मत , आह्ह फाड़ दे साली के गाड़ उम्म्ं

राज - आह्ह बुआ और मुझसे रहा भी नही जायेगा आह्ह आह्ह ममीईई आ रहा है ओह्ह्ह येस्स्स उम्म्ंम निकल रहा है

राज भलभल कर रागिनी की गाड़ मे झड रहा था और रागिनी की बुर भी रस छोड़ रही थी ,

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आखिरी झटको के साथ राज पीछे हटा तो रागिनी के गाड से उसका गाढ़ा सफेद रस बाहर रिसरहा था , मौका पाकर शिला उसके गाड़ की मलाई चाटने लगी

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रगिनी - आह्ह दीदी उह्ह्ह आपकी जीभ से मेरी बुर फिर से कुलबुला रही है आह्ह

शिला - कहो तो तुम्हारे नंदोई को बुआ दू , छोटा वाला एक बार मे ही चुत की खाज मिटा देगा

रागिनी - अरे उस साढ़ कम नंदोई से तुम दोनो बहिनिया ही खुजली मिटाओ मेरा लल्ला काफी है मेरे लिये हिहिही

राज हाफता हुआ - फिर बुआ आज रात का क्या प्रोग्राम है , मै तो थक गया हु उफ्फ्फ

शिला - अरे तु थका है भैया थोड़ी वो तो आज रात भी हम तीनो को कहा छोड़ने वाले हिहिहिही

रागिनी - उम्म्ं वैसे कल रात मजा भी आया था , उफ्फ्फ
शिला - मजा तो आज भी आयेगा ही भाभी हिहिही

फिर थोड़ी देर बाद सब कमरे से निकल गये , इन सब के बीच राज की अपनी योजना थी , कल रात भले निशा ने अनुज के साथ अपनी कामाग्नि बुझा ली हो मगर सुबह सुबह ही उसने राज को कोसा था । राज ने सोचा क्यू ना उसे रात मे सरप्राईज दिया जाये ।



जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 212

चमनपुरा बाजार की सड़को पर आज बुढे जवाँ , औरतें बच्चे हर किसी नजर शालिनी की लचकदार कूल्हो पर जमी थी ,

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जांघो पर चुस्त ऐसी कसी कि पैंटी की लाईन चूतड पर उभर आये । दोनो जबरज्स्ट चुतड़ उसकी शार्ट कुर्ती मे आधे ढके आधे खुले हिल्होरे खा रहे थे ।
उपर सर पर दुपट्टा कर आगे से अपने उन्नत और बिना ब्रा वाली जोबनो को छिपाती हुई सडक पर चल रही थी ।
राहुल और अरुण दोनो आज शालिनी की इस हरकत से खुद कामोत्तेजित हो रहे थे जिस तरह से बजार के लोग घुर घुर के शालिनी के छ्लकते मोटे थन जैसे दूध और उसकी मतकति गाड़ निहार रहे थे ।
दोनो के लन्ड बेकाबू हो रहे थे उसमे ज्यादा बेकाबू तो अरुण था

बीते 15 मिंट पहले का उसका आधा अधूरा मजा उसे झलकियों के रूप मे उसके जहन मे घुम रहा था ,

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शालिनी कुछ देर के लिए राशन की दुकान पर चढ़ी और कुर्ती से झांकती उसकी मांसल जान्घे और गोल चुतड देख कर वो उस कामुक दृश्य मे डूब सा गया जब शालिनी ने उसे कमरे मे बुलाया था

कुछ देर पहले ....


हा मामी , बोलो ।
शालिनी बड़ी कातिल अदा से इठलाती हुई - अह मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या पहन के बाजार जाऊ इसीलिए तुम्हे बुलाया ।

अरुण के निगाहे शालिनी के कसे हुए जोबन पर थी जिसके निप्स उभरे हुए टाइट थे एकदम ।

शालीनी - वैसे मेरे उपर क्या अच्छा लगेगा , साडी या सूट

अरुण एक पल को अपनी मामी के जिस्म के उभार कटाव को कसी हुई चूड़ीदार सलवार और सीने पर चुस्त सूट मे सोच कर ही भीतर से सिहर उथा उसका लन्ड एकदम टाइट - आह्ह मामी आपको सूट ट्राई करना चाहिए वैसे
शालिनी - उम्म्ं निशा के सूट मुझे हो जाते है , देखती हु कोई मिल जाये , आना इधर देखना तो
ये बोल कर शालिनी आलमारी खोल कर आगे झुक कर कपडे उलटने लगी और नाइटी मे उसकी बड़ी गोल म्टोल गाड़ फैल कर अरुण के आगे ।

मामी के आकार लेते चुतड को देख कर अरुण का मुसल भी फुलने लगा , हथ बढा कर वो अपना लन्ड़ भींचने लगा ।
शालिनी जानबूझ पर अरुण के जजबातों से खेल रही थी और अरुण अब उसकी हिलती गाड़ देख कर अपने लोवर मे हाथ घुसा कर लन्ड को मीजने लगा ।
तभी आलमारी से कुछ कपड़ो के साथ कासमेटिक आईटेम भी फर्श से गिरने लगते है ।
शालिनी - अह बेटा जरा उठा कर देना तो
और जैसे ही अरुण फर्श पर बैठ कर समान बटोरने लगा तो मौका पाकर शालिनी झट से आधी नाइटी घुटने से उपर तक खिन्च ली और उसकी आधी जान्घे पीछे से नन्गी दिखने लगी

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जैसे अरुण ने नजरे उपर की शालिनी के बडे बड़े चुतड़ ने नाइटी उठा कर उसके रसिले लम्बे फाके नजर आने लगे ।

जिसे देख कर अरुण सुध बुद खो बैठा , उसके सुपाड़े मे जबरज्स्ट खुजली होने लगी , शालिनी के जिस्म से उठती मादक गंध उसे और भी पागल करने लगी,वो नशे मे उसकी ओर झुकने लगा
शालिनी अरुण के नथुने अपने नंगे चुतड़ की ओर बढ़ देख हल्की सी और अपनी नाइटी खिंच दी , जिससे उसके चुतड पूरे नंगे हो गये
बौखलाया अरुण अपनी मामी की नंगे कुल्हे जान्घे सहलाने लगा -आह्ह मामीईई कितनी सेक्सी हो आप उम्म्ंमममं अह्ह्ह्ह

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शालिनी अरुण की बेचैनी और उसके जोशीली स्पर्श से भीतर से हिल गयी , अरुण के नथुने उसके गाड़ के दरारो ने घुसे हुए थे और वो उसके चुतड फैला कर उन्हे सुँघ रहा था , शालिनी भी जोश मे अपने चुतड अरुण के चेहरे पर मलने लगी - आह्ह बेटा उम्म्ंम्ं लेह्ह चाट ले आह्ह यही देख कर ही तेरा खड़ा रह रहा है ना उम्म्ंम

अरुण शालिनी के नरम चुतड फैला कर दाँत लगाता है - हा मामी पागल हो गया हु इन्हे देख कर मन कर रहा है आमम्म उफ्फ्फ कितनी नरम गाड़ है आपकी मामी उम्म्ंम

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शालिनी उसके सर को पकड़ कर अपने चुतड के दरारो मे दरने लगी - आह्ह बाबू चाट और चाट ऊहह देख तेरा जोश देख कर मेरी बुर बह रही है

अरुण भी मामी की टाँगे फैला कर उसकी बुर मे नीचले छोर पर जीभ लपल्पाने लगा और गरदन लफा कत भीतर 2 इंच जीभ घुसा दी , शालिनी की बुर बिलबिला उठी और अरुण उसकी मलाई चुतड के छेद तक जीभ से फैलाता हुआ चाटने लगा - आह्ह मामी बड़ा नमकीन पानी है आपका उह्ह्ह और गाड़ पर लगा कर चाटने का मजा भी अलग है उम्म्ंम सीईई आह्ह

शालिनी की इस तरह से तारिफ किसी ने नही की थी वो और भी कामोत्तेजक होकर उसके सर को अपनी जांघो और चुतड़ मे दरती रही अगली बारी झडने तक , इस बार अरुण ने उसकी जान्घे उठा कर उसकी बुर को अच्छे से साफ किया और खड़ा हुआ

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उसका मुसल पुरा फनफनाया हुआ था लोवर मे जिसे शालीनी ने हाथ बढा कर लपक लिया आगे की ओर उसका लन्ड लोवर के उपर से खिन्चने लगी ।

अरुण आंखे बन्द कर मामी का स्पर्श पाकर मस्ती मे हवा मे उठने लगा , उसकी एडिया अकड़ने लगी आंखे उलटने लगी मानो मामी लोवर के उपर से ही अभी उस्का सारा जोश बहा के जायेंगी - आह्ह मामीईई कुछ करो ना ऊहह उम्म्ंम
शालीनी उसके लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गर्म कडक लन्ड का अह्सास कर भीतर से सिहर उठती है और अरुण के चेहरे के जोशीली भाव पढते हुए अन्दर ही हिलाने लगती है ,

अरुण - आह्ह मामी ऊहह और और ऊहह आयेगा आयेगा उम्म्ंम उह्ह्ह निकल जायेगा उम्म्ं

शालिनी तेजी से उसके लोवर मे हाथ डाल कर हिला रही थी
मगर तभी हाल मे राहुल की आवाज आती है और दोनो सजग हो जाते है , उस वक़्त तक अरुण का लन्ड लोवर मे भी अपना फब्बारा फोड चुका था ।

अरुण - आह्ह मामी देखो अन्दर ही निकल गया अब क्या ?
शालिनी मुस्कुरा कर उसके गाल काटती हुई - मेरी जान अभी तुने अपनी मामी का जल्वा देखा कहा है, तु बाहर जा मै तैयार होकर आती हु फिर देख कैसे दुबारा टाइट होता है ये हिहिहिह

इधर अरुण मुस्कुरा कर नाइटी के उपर से अपनी मामी की चुचिया मसल कर उसके गाल चूमकर झट से कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी राहुल की नजर उसपर गयी और वो उसे शालिनी के कमरे की ओर आता देख चुका था ।

वो लपक कर उसके पास पहुचा - अबे कहा से , उधर कहा गया था

राहुल का साफ साफ इशारा उसकी मा के कमरे की ओर था जिस पर अरुण बस बेशर्म भरी हसी से दाँत दिखा रहा और उसका एक हाथ अभी लोवर के उस हिस्से को पकड़े हुए था जहा से उसका लोवर लन्ड ने गीला कर रखा था ।

राहुल ने उसका हाथ झटक कर लोवर मे गिले हिस्से को देखकर भौचक्का होकर - क्या कर रहा था भाई

अरुण खिखी करता हुआ - वो मामी कपडे बदल रही थी तो देख कर रहा नही गया और हिहिहिही

उसकी बातें सुनकार राहुल का लन्ड टाइट हो गया और आंखे फ़ाड वो अरुण से - तो क्या तुने मा को पूरी नंगी देखा

अरुण - आह्ह हा भाई , क्या सेक्सी माल है मामी उनके नरम नरम चुतड़ उफ्फ्फ कैसे थिरक रहे थे आह्ह रहा नही गया मुझसे तो उफ्फ़

राहुल हसता हुआ - साले हरामी तु तो मुझसे भी तेज निकला हाहाहा

अरुण - भाई अब तो बाथरूम जाने दे , कपडे बदल कर बाजार भी चलना है ना

राहुल - तु भी चलेगा


"अरे भाई चल हो गया " , राहुल ने उसे झकझोरा तो दुकान की कुर्सी से उठ कर अरुण होश मे आया और देखा मामी उसकी ओर मुस्कुरा कर देख रही थी ।

राहुल - कहा खोया रह रहा है तु
अरुण एक नजर अपनी मामी को देख कर - नही कही नही ,चल चलते है
शालिनी उसको देख कर बस मुस्कुरा कर आगे बढ गयी ।

राहुल उस्के जाते ही - बहिनचोद कबसे तु मा के चुतड ही घुर रहा था एकटक, साले क्या हो गया हौ तुझे

अरुण - भाई मुझे मामी की गाड फिर से चाटनी है
राहुल -फिर से
अरुण खुद को सतर्क करता हुआ - अरे फिर से नही सिर से , वो छोर होता है जहा से शुरु होती है कमर के पास वो

राहुल - अच्छा वो
अरुण - आह्ह हा भाई ,देख ना मामी क्या सेक्सी लूक दे रही है , बहिनचोद सबकी नजर उनके रसिले चुतड़ पर अटकी है सीईई

राहुल - हा भाई , पता नही आज मम्मी को क्या सुझा कि वो निशा की ड्रेस पहन कर बाजार निकल गयी , पहले तो कभी नही किया ।

अरुण - उफ्फ़ तभी तो इतनी कसी और चुस्त है ।
इधर ये दोनो शालिनी के मटकते चुतडो के पीछे चलते हुए वाबरे हो रहे थे वही दूसरी ओर जन्गीलाल की अपनी अलग बेचैनी थी ।
शालिनी कभी इस तरह से बाजार नही गयी थी जिसकी वजह से जंगीलाल के लिए चिंता का विषय हो गयी थी ।
उसे कुछ सूझ नही रहा था और जैसे ही ग्राहक हटे वो तुरंत अपने भैया रन्गीलाल को फोन घुमा दिया ।

फोन पर ...

रंगी - हा भाई बोलो क्या बात है ?
जंगी - भैया वो निशा की मा !
रन्गी - हा क्या हुआ उसे ?
जन्गी - अरे पता नही आज उसे क्या सुझी है जो कुर्ती लेगी मे बजार निकल गयी है ।
रंगी - हा इसमे क्या दिक्कत है वो तो पहले भी सूट नुमा कपडे पहनती है ना ?

जन्गी - अह भैया कैसे सम्झाऊ मै , आप खुद देख लो वो अभी आपके दुकान की ओर ही सब्जी मंडी के पास होगी , देख कर फोन करो ।
फोन कट हो गया ।
इधर रंगी की बेचैनी भी बढ़ गयी और वो दुकान के नौकर को बिठा कर सब्जी मंडी की ओर बढ़ गया ।

घूमते फिरते , इधर उधर भीड मे गरदन एडिया उठा कर नजर घुमाया मगर वो नजर नही आई और फिर वो 10 मिंट के बाद एक पान की दुकान पर पहुंचा और पान लगवाने लगा कि तभी उसकी नजर सड़क उस पार आंटा चक्की वाले दुकान पर गयी , जहा एक औरत दुकान से तेल की बोतल लेकर झोले मे डाल कर दो लड़कों से बात कर रही थी ।

रंगी एक नजर मे उसे पहचान गया और सडक पर उतरते ही उसकी नजर शालिनी की गुदाज रसिली जांघो पर गयी जिसकी चुस्त लेगी मे उसके पैंटी की शेप साफ साफ झलक रही थि ।
जैसे ही शालिनी आगे घर की ओर बढी रंगीलाल उसके आधे ढके थिरकते चुतड देख कर पागल गया , उसका लन्ड भरे बजार बगावत और उतरा , उसपे से जरदा वाला पान उसकी कामोत्तेजना और बढा रहा था ।
फटाफट उसने पान उगलना उचित सम्झा और जंगी को फोन घुमा दिया ।

फोन पर जन्गी बेचैनी से - हा भैया दिखी क्या वो ?
रंगी - हम्म दिखी अभी वो चक्की वाले के यहा
जन्गी - देखा ना भैया कैसे उसकी मनमानियां बढ़ रही है , क्या सोचेंगे मुहल्ले के लोग मेरे बारे मे ।

रंगी - ओहो तु तो सोचता बहुत है , अरे कौन सा अकेली घूम रही थी और कपडे इतने भी बुरे नही थे , हा बस थोड़े छोटे थे बस दो चार इंच की बात थी । मुझे नही लगता कि ये उसके कपडे होगे ।

जन्गी - नही भैया ये तो निशा के थे
रन्गी - ले बोल , भाई तुझे जब पता है कि उसे ऐसे सूट और आरामदायक कपडे पसन्द है तो लाकर देता क्यू नही, जब नही रहेगा कुछ तो वही पहनेगी ना

जन्गी को भी रन्गी की बात सही लगी
रंगी - फाल्तू का टेन्सन ना ले , उससे दिल खोल कर बातें कर , तुने भरम पाल लिया है वो निकाल अपने मन से ।

जंगी - जी भैया

इधर ये तीनो बाजार से घर की ओर वापस आने लगे तो मार्केट मे भीड़ ज्यादा होने की वजह से शालिनी ने मेन मार्केट से ना जाकर गली बदल दी और सब्बो के मुहल्ले से होकर घर के लिए सड़क पकड़ी ।
शालिनी का लगभाग ये हर बार बाजार से आते वक़्त का रूट हुआ करता था जब भी उसका झोला भारी हो जाता वो बाजार से हट कर इस शान्त गलियों से होकर घर के लिए जाती ।

इधर दोनो भाई भी समान लिये तेजी से चल रहे थे कि अचानक से अरुण के बढते कदम धीमे हुए और उसकी नजरे बगल की पतली गली से उसके सामने निकलती हुई महिला पर गयी जिसके भडकिले मोटे मोटे भारी चुतड की थिरकन देख कर अरुण की सासे अटक सी गयी ।

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इतने बड़े और बुलंद चुतड आज तक उसने नही देखे थे , और उनकी थिरकन उसके लन्ड फडका रही थी ।

इधर अरुण आंखे फाडे उस महिला की गाड़ निहार रहा था कि तभी शालिनी ने उस महिला को आवाज दी - अरे सब्बो की अम्मा रुकना ।

अरुण और राहुल दोनो रुक गये और शालिनी को तेजी से उस औरत के करीब जाता देख रहे थे कि अरुण से कुछ कदम आगे जाकर शालिनी एकदम से आगे की ओर झुकी कुछ उठाने के लिए और शार्ट कुर्ती उपर उठी जिससे उसके चुस्त लेगी मे कसे हुए मोटे मोटे गोल मटोल गुदाज चुतड साफ साफ नजर आने लगे ।

दोनो भाई बिच सडक पर शालिनी का ये नजारा देख कर हैरान हो गये और तभी शालिनी उठी और एक नोट उठा कर उस औरत को दिया ।
उस औरत ने शालिनी का धन्यवाद किया ।

अरुण राहुल से फुसफुसाया - ये तहलका कौन है भाई
राहुल हस कर - ये सब्बो की अम्मी है रुबीना

अरुण - तो अब ये सब्बो कौन है ?
राहुल हसने लगा - भाई ये दोनो मा बेटी रन्डीयां है , पैसे लेकर चुदाई करती है ।

अरुन - बहिनचोद तभी इसके चुतड इतने बड़े है ऊहह पुरा खड़ा हो गया , इसके लिए तो भाई घोड़े का लगेगा हिहिहिही

राहुल - जो भी लगे अपने को क्या ,
अरुण हस कर शालिनी की ओर इशारा कर - हा और क्या अपना माल वो है हिहिही
राहुल हस्ता हुआ - साले हिहिहिही

अरुन- भाई आज भाई घाट की ओर चले क्या समान रख कर
राहुल - हा चल वैसे भी क्या ही काम है ।
अरुन - हा यार घूमना जरुरी भी है
राहुल - तेरा घूमना सब समझ रहा हु साले

फिर दोनो घर पर समान रख कर नदी की ओर निकल गये ।

इधर शाम ढल रही थी और अनुज दुकान पर खाली बैठा था , उस्के हाथ मे रिन्की की छोड़ी हुई पैंटी थी जिन्हे वो अपने हथेली मे मसल कर रिन्की की मुलायम बुर की कल्पना मे अपना लन्ड भी सहला रहा था ।

उसने घड़ी देखी और आज समय से पहले ही दुकान बढाने लगा इस आश मे कि शायद अमन के घर से होकर जाते हुए उसे रिन्की दिख जाये ।
अनुज फटाफट से दुकान बन्द कर निकल गया , मगर उसकी किस्मत इतनी अच्छी नही थी कि वो रिन्की को देख पाये ।
मायूस मुह लेकर वो आगे अपने घर की ओर बढ़ गया ।

घर का दरवाजा अनुज उदास मुह से खटखटाया और रागिनी ने दरवाजा खोला तो अनुज का उतरा मुह देख कर बड़ी फिकर मे उसके गाल सहलाने लगी - क्या हुआ मेरा बच्चा , ऐसे क्यू उदास है तु

अनुज उदास के साथ साथ थका भी था तो अपनी मा के छातियो मे खडे खड़े लुढकने लगा , रागिनी हसते हुए उसको सम्भालने लगी - धत्त , सीधा खड़ा हो ना , मै गिर जाउंगी
अनुज को अपनी मा के मुलायम चुचो की नरमी मे गजब सा सुकून मिल रहा था वो बच्चो जैसे जिद दिखा कर - मम्मा गोदी लो ना , थक गया हु बहुत ऊहह

रागिनी उसके चेहरे को प्यार से दुलारती हुई हसने लगी - खंबे जैसा हो गया है कैसे उठाऊ तुझे , चल अन्दर बदमाश कही का ।

रागिनी उसको हाल मे लेकर आई ।

रागिनी एक ग्लास पानी लाकर उसे देती है - ले पानी पी ले और अगर मन हो तो बुआ के कमरे मे आराम कर ले । खाना बन जायेगा तो मै जगा दूँगी

बुआ का नाम आते ही अनुज के सुस्त हुए जज्बात एकदम से फुरत हो गये और पानी गटक कर वो गेस्ट मे चला गया ।

दरवाजा खोलते ही उसकी नजर सामने करवट लेकर लेटी शिला बुआ पर गयी ,

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जिन्की कूल्हो से कुर्ती सरकी हुई और लेगी मे उनकी बड़ी सी फैली हुई गाड़ साफ साफ दिख रही थी ।
जिसे देख कर अनुज का मुसल पल भर मे टनटना गया और धीरे से उसने दरवाजा बन्द कर चुपचाप बुआ के करीब गया ।
धीरे से बिस्तर पर लेट कर करवट होकर मुह अपनी बुआ की ओर कर दिया ।
उस्की नजरे अभी शिला की बड़ी मोटी फूली हुई गाड पर अटकी थी , उसका मुसल एकदम कसा टाइट था ।

सुबह के अनुभव और भैया से मिली हिम्मत से उसने जिगरा दिखाया और हौले से अपने कापते हुए हाथ शिला के उठे हुए कुल्हे पर रख दिया ।
क्या नरम नरम गुलगुले से अनुभव हुए अनुज को , उसका लन्ड और कसने लगा जैसे जैसे उसके हाथ अपनी बुआ के चुतड़ पर रेंगने लगे

बुआ के नरम नरम चुतड़ का अह्सास अनुज को भीतर से कामोत्तेजक किये जा रहा था , उसका लन्ड लोवर मे तम्बू बना कर अकड़ रहा था ।

उसके हाथ सरकते हुए बुआ के पेड़ू तक गये और शिला के जिस्म मे हल्की सी कुन्मुनाहट हुई ।
अनुज के हाथ जहा थे वही रुक गये कुछ सेकेंड तक उसकी सासे धौकनी की तरह धक धक होती रही फिर डर का साया मन से हल्का हल्का छटने लगा ।
अनुज ने एक बार फिर पहल शुरु की और उसकी उंगलिया अब शिला के चुत के ढलानो की ओर सरकने लगी , जिससे एक बार फिर शिला के जांघो मे चुनचुनाहट सी हुई और इस बार उसके अनुज का हाथ पक्ड कर उपर खिंच लिया - उम्म्ंम्ह्ह्ह अच्छे से सो ना लल्ला ।

एक पल को अनुज की फट कर चार हो गयी कि बुआ को कैसे पता।
मगर तभी उंगलिया को शिला के नरम नरम चुचियो का स्पर्श मिला और शिला अपने कुल्हे अनुज की ओर खीसकाती हुई उसके हाथ को अपने नरम नरम दूध पर रखती हुई - यहा पकड कर सो जा और परेशान ना कर मुझे ।

अनुज को यकीन नही हो रहा था कि ये सब उसके साथ हो रहा था , अब तो उसके बुआ की बड़ी सी गाड़ उसके लोवर मे बने बड़े से तम्बू के एकदम करीब थी , अनुज ने हल्का सा अपना कमर आगे किया और सुपाड़े की नुकीली टिप लोवर के निचे से शिला के नरम गाड़ मे इंच भर धंस गयी ।
इस नये कामोतेजि अनुभव से अनुज की सासे और तेज हो गयी ।
सुपाड़े पर एक अलग ही खुजली उठी रही थी , पुरे लन्ड मे गजब का जोश उठ रहा था और उसके पंजे शिला के चुचे को हाथ मे भर चुके थे ।

शिला भी हल्की नीद मे बस कुनमुना रही थी और अनुज के सुपाड़े की रगड़ उसके चुतड़ मे चुनचुनाहट पैदा कर उसके आराम मे खलल कर रही थी ।
इधर अनुज की हिम्मत बढ रही थी कि बुआ तो कुछ बोल नही रही तो फाय्दा ले और उसने अपना लोवर निचे कर अपना तना हुआ मोटा कडक भाले सा नुकीला सीधा लन्ड बाहर निकाला और हौले से शिला की गाड़ की दरारो मे चुबो दिया ।

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बहुत थोड़ी हरकत हुई शिला के देह मे मगर इस बार उसने कुछ नही कहा तो अनुज की हिम्मत बढी और उसने अपने गाड़ के पाटे टाइट कर अपने लन्ड को आगे ठेलते हुए शिला की गाड़ मे धकेलने लगा ।
अनुज के जिस्म से अब कामुकता की आंच उठने लगी थी , चेहरे पर खुमारी दिख रही थी , बुआ के नरम चुतड के दरारो मे लेगी के उपर से लण्ड घोप कर उसे जन्नत का मजा मिल रहा था और उसके मुह से सिसकियाँ उठने लगी थी , फुलते नथुने बजने लगे - अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त उम्म्ंम


तभी शिला - उम्म्ंम क्या कर रहा है राज ऊहह बस कर ना बेटू
अनुज के अब कान खड़े हो गये और उस्का माथा ठनका और अब थोडा बहुत खेल समझ आने लगा
उसने जितना अपने भैया को आंका था वो उस्से कही आगे की चीज है , उसे यकिनन अब भीतर से मह्सूस होने लगा था कि उसका भैया बुआ की गाड़ चोद चुका होगा और उस ख्याल ने अनुज के लन्ड जोश का सागर भर दिया था , उसकी कामोत्तेजना चरम पर आ पहुची
उसका लन्ड अब बेकाबू होने लगा था और वो घुटने बल आकर बुआ के गाड पर लन्ड घिसने लगा - अह्ह्ह बुआआ उह्ह्ह्ह क्या मस्त गाड है
गर्म कामोतेजक गुर्राती सिस्कियों के बीच बुदबुदाहट सी आवाज आ रही थी अनुज के मुह से और तभी उसकी नसे फड़फड़ाने लगी ।

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मुठ्ठियो मे जोर से भिच कर आंखे मुंद कर अनुज का सुपाडा फूट पड़ा और अनुज तेजी से अपना लन्ड बुआ के चुतड़ पर ही झाडने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं व्ह्ह्ह

शिला के कानो मे गुर्राती सिसकियों मे अनुज की आवाज आई और अपने चुतड़ पर गर्म चिपचिपाहट का अह्सास होते ही शिला चौक कर गरदन घुमा कर देखी - अनुज तु!!!

अनुज का जोश अगले ही फुरर हो गया , फनफनाता आग उगलता लन्ड हाथ मे आधा होने लगा ।

शिला अपने लेगी के उपर से चुतड़ पर गिरे उसे वीर्य को हथेली से पोछती हुई - ये क्या कर रहा था तु कमीने मेरे उपर । शर्म नही आई अपने मा समान बुआ के उपर ये सब गिराते हुए

अनुज डरा हुआ था उसकी फ़टी हुई थी जिस तरह से शिला भड़की हुई नजर आ रही थी , उसकी तेज आवाज से अनुज को डर था कि कही कोई बाहर से ना जाये ।

अनुज - आह्ह सो सॉरी सॉरी बुआ , वो मुझसे जोश जोश मे रहा नही गया , मै आपके ये बड़े बड़े चुतड देख कर परेशान हो गया था और फिर आपने राज भैया का नाम लिया तो मुझे ना जाने क्या हो गया और जोश मे आकर आपके उपर ही निकाल दिया ।

राज का नाम आते ही शिला की भी आवाज एकदम से शान्त हो गयी - मुझे लगा कि तु राज ही है इसीलिए मैने रोक नही ,

अनुज - तो क्या मेरी जगह राज भैया होते तो उनको नही डांटती क्या ?

शिला - अरे मेरा मतलब वो नही था , मैने सोचा कि
अनुज - हा हा , मुझसे कोई प्यार क्यू करेगा । सबका लाडला राज भैया ही है । मै तो छिप सा जाता उन्के आगे ना आपको भी वही प्यारे है ।

शिला अनुज को रुवास देख कर उसको अपने पास बिठाती हुई - अरे नही मेरे लाल , तुम दोनो मेरे लिए एक जैसे हो
वो तो राज हर बार मुझे ऐसे तंग किया करता है पीछे से चिपक कर तो मुझे लगा वही होगा । मुझे नही पता था तु भी इतना शरारती है हिहिही बदमाश कही का ।

अनुज शिला के सीने से चिपका हुआ मुस्कुरा रहा था - एक बात पूछू बुआ ।
शिला - हा बेटा बोल ना
अनुज - तो क्या राज भैया भी ऐसे आपके पिछवाड़े पर निकालते है ।

शिला मुस्कुरा कर - तु दोनो भाई बातें उगलवाने मे किसी से कम नही हो हिहिहिही ,
अनुज - बताओ ना बुआ प्लीज
शिला - हा भाई कभी कभी जोश जोश मे वो भी ऐसे ही मेरे कपडे भीगा देता था ।
अनुज थुक गटक कर - आपका मन नही हुआ बुआ कभी ...।
शिला उठ कर खड़ी हुई और कुर्ती निचे कर अपने चुतड ढकती हुई - कैसा मन मै समझी नही बेटा ।

अनुज भी खड़ा होकर हिचकता हिम्मत करता हुआ - कि कभी कपडो के निचे से मतलब पीछे से नंगी होकर गिरवा लू ।

शिला लाज से हस्ती हुई - धत्त बदमाश कही का , तु तो राज से भी ज्यादा शैतान है रे हिहिही

अनुज - बुआ सुनो ना
शिला अपने आलमारी से कपडे निकालने लगी - ह्म्म्ं बोल ना
अनुज का मुसल एक बार फिर से तन चुका था और अप्ना मुसल मसलते हुए शिला के पीछे खड़े होकर उसके मुलायम गाड को कुर्ती के उपर से सहलाता हुआ - बुआ मेरा मन करता है कि पीछे खोल कर गिराऊ

शिला चहकी और घूमती हुई हस कर - क्या बोल रहा है तु , हट पागल कही का ।

अनुज - बुआ प्लीज ना मान जाओ , आपकी गाड़ देख कर मुझसे रहा नही जाता । मन करता है बस हिला हिला कर उसको भर दू सफेद सफेद पुरा ।

अनुज की बातें सुन कर शिला के जिस्म भीतर से गिनगिना गया , उसकी बुर मचल उठी - तु चुप करेगा अब , मै नहाने जा रही हूँ ।

अनुज - बुआ प्लीज ना
शिला - नही कहा ना एक बार हट जाने दे मुझे

फिर शिला निकल गयी बाहर और अनुज भी बाहर हाल मे आया ।
अभी अनुज हाल मे दाखिल हो रहा था कि रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए घुस रही शिला को रज्जो के दरवाजे के बाहर ही जकड़ लिया - ऊहु शिला रानी कहा चली


शिला को पता था कि पीछे अनुज हाल मे आ गया है तो थोडा रज्जो के सामने झिझक रही थी - नहाने जा रही हु भाभी ,

रज्जो उसके मखमाली मोटे चुतड़ को सहलाती हुई - थोड़ी देर रुक जाती तो आपके भैया आपके पीछे साबुन लगा देते , आते होगे वो भी दुकान से।

शिला लजाती हुई हस कर - धत्त चुप करो , अनुज हाल मे ही है और वो छोटा नही रहा अब हिहिही
रज्जो ने एक नजर कनअखियो से हाल मे अनुज को बैठे हुए देखा और उसके लोवर मे उठे हुए तम्बू को निहार कर - क्या दिखा दिया बेचारे को तुमने जो बौराया घूम रहा है
शिला - धत्त भाभी तुम भी ना , अरे इधर आओ बताती हूँ ।
शिला उसको कमरे मे खिंच ले गयी ।

रज्जो - अरे क्या हुआ
शिला - ये अनुज भी कम नही है राज से , आज सुबह थोड़ी खुल कर क्या बात कर ली अभी शाम को मुझे सोते हुए दबोच लिया इसने और उसका वो बौराया सांढ़ मेरी खोली मे घुसने लगा था ।

रज्जो ताजुब से - हैं सच मे , वैसे क्या साइज़ होगी इसकी
शिला आंखे उठा कर - क्यू तुम्हे चाहिये क्या ?
रज्जो - अरे जवाँ कसे लन्ड की बात ही अलग है दीदी और अनुज के उम्र के लड़के का मजा इस्स्स्स

शिला हसती हुई - ऊहह तड़प तो देखो हिहिही तो आज रात राज की जगह इसे ही बुला लेते है , क्योकि राज तो आज आराम करने के मूड मे है ।

रज्जो - हा बताया उसने कैसे तुम और छोटी ने मिल कर निचोड़ा उसे हिहिहीही

शिला - अरे उसको छोड़ो और इस अनुज का सोचो आज रात के लिए क्या ख्याल है उम्म्ं

रज्जो - क्या ? नही नही , अरे रागिनी बिगड़ जायेगी वो तो उसकी नजर मे अभी बच्चा है भूल से जिक्र ना करना

शिला - ओह्ह ऐसा क्या , मगर वो तो अपनी धार तेज करता फिर रहा है आज कल हिहिही
रज्जो हसती हुई - तो फडवा लो चुपके से , बच्चे का मन भी बहाल जायेगा

शिला - धत्त क्या तुम भी भाभी
रज्जो - अरे चुपके चुपके मजे लेने मे क्या बुराई है हिहिही मै तो चली उसका खुन्टा टटोलने हिहिहिही


और रज्जो मुस्कुराती हुई हाल मे आई ।
अनुज की नजर अभी किचन मे काम कर रही रागिनी के कूल्हो पर जमी थी और रह रह के उस्के जहन मे ख्याल आ रहे थे कि क्या कभी वो अपनी मा को चोद पायेगा ।

उसके लिए उसकी मा दुनिया से अलग हट कर वो मनपसंद आईक्रीम के जैसे थी जिसे वो बड़े आराम से फुरसत से स्वाद ले ले कर खाना पसंद करता और यही कारण था कि हर जब कभी भी अनुज के दिल मे अपनी मा के लिए खलबली होती तो उसके साथ घर के बाकी नाते रिश्तेदारों की छवियां भी आती , उसकी मामी बुआ दीदी चाची ।
इतनी सारी चुतों को भी साथ हासिल करने की तलब उसमे उठने लगती और जहा चीजे आसान मालूम होती उधर वो भटक जाता ।
कभी कभी उसे शिला बुआ की ओर खुद से पहल कर अपनी किसमत आजमानी पडती तो कभी शालिनी चाची के जैसे किसमत खुद से मेहरबान हो जाती ।

खैर अनुज का जीवन के महज शुरुवाति दौर है , आने वाले समय मे सिखने को उसके पास बहुत कुछ सबक बाकी है
फिलहाल रज्जो अपनी तिरिया चारित्र की किताब से कुछ शब्द लेके जा रही है ।
देखते है आगे क्या होता है ।

जारी रहेगी
बहुत ही गजब का शानदार और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।
वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।
अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा
उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर
रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना
अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।

राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।
अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा
तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह
रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी
निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया
उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा
निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये
निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे

निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 214

राहुल के घर

शाम का मैटर आज कुछ ज्यादा ही सिरियस लग रहा था , राहुल और अरून की हालत खस्ता थी ।
शालिनी भी 2 घन्टे तक कमरे बन्द कर रोते हुए सो गयी ।
फिर कही 9 बजे तक उसे बच्चो की भूख का ख्याल आया तो नहा कर कपडे बदल कर एक नाइटी डाल कर वो किचन मे आई ।

इधर जन्गी का मुह अलग उतरा हुआ था , उसे समझ आ रहा था कि कमलनाथ के साथ उसकी बीवी की चुदाई उसे अभी तक भीतर से जलाये हुए है और रह रह कर उसकी गुस्से की आग को भड़का देती है ।
बच्चो के साथ अब उसके पेट मे भी चुहे कूद रहे थे , पानी की बोतल खोल कर उसे मुह से लगाया मगर छटाक भर पानी भी उसके गले तक नही पहुचा ।

दुकान मे बैठे बैठे ही पहले उसने राहुल को आवाज देने की सोची मगर फिर ये सोच कर खुद उठ गया कि पहले से ही इस घर मे बहुत शोर शराबा हो चुका था ।
खुद उठ कर वो पानी लेने किचन तक आया ।
सामने देखा तो शालिनी फटाफट सब्जी चला रही थी और सामने रोटी के लिए तवा भी चढा दिया था ।

दोनो की नजरे टकराई मगर शालिनी के आंखो से आ रही गुस्से की आंच जन्गी ने नजरे झुका कर बर्दाश्त की और चुपचाप फ्रिज से पानी की एक बोतल लेकर बाहर निकल रहा था कि- दुकान बन्द करके खाना खाने आ जाईये ।

शालिनी की बातों ने गुस्सा साफ झलक रहा था मगर जंगी के लिए ये अच्छी बात थी कि उसने खाने के लिए पूछा तो सही ।

जन्गी - हम्म्म ठिक है
जन्गी फटाफट दुकान मे गया और बन्द करते हुए उसके जहन मे चहलकदमी मची हुई थी कि आज जब शालिनी कमरे मे सोने आयेगी वो उसे किसी तरह मना कर चोद देगा और उसके भीतर कमलनाथ के लिए जो दबी बात है उसको साझा करेगा ताकी दुबारा ऐसे हालत ना हो घर मे ।

मगर उसके अरमान मे शालिनी ने पूरी की पूरी बालटी उडेल दी जब खाने के बाद घर के सारे काम निपटा कर रात के करीब 11 बजे शालिनी ने राहुल के कमरे का दरवाजा खटखटाया ।

अरुण और राहुल जो कि अरुण के मोबाइल स्टोर ब्लू फिल्म देख कर अपने लन्ड सहला रहे थे , दोनो सतर्क हुए और राहुल ने उठ कर दरवाजा खोला ।

शालिनी ने गुस्सैल मिजाज मे राहुल से - तु जा तेरे पापा के पास सो जा

राहुल मुह बना कर - क्या हुआ मम्मी?
शालिनी ने उसको घूर कर देखा और तेज आवाज मे - तु जा रहा है या नही ।

शालिनी के तमतमाये चेहरे से अरुण के पसीने अलग छूटने लगे , राहुल डरे हुए चूहे कि तरह मन मे चुचूवाता हुआ कमरे से बाहर निकल गया और शालिनी उसको गैलरी से अपने पापा के कमरे जाते हुए देखा और फिर दरवाजा बन्द कर दी ।

इधर जन्गी ने जैसे ही कमरे के दरवाजे पर राहुल को आता देखा - क्या हुआ , तेरी मा कहा है ?

राहुल खीझ कर - क्या मा कहा है , वो गुस्से मे मेरे कमरे मे सोने गयी है । क्या जरुरत थी आपको मम्मी से ऐसे बात करनी की ।

जंगी - अरे बेटा मेरी मती मारी गयी थी क्या बताऊ , छेह्ह और वो जान कर अरुण के पास सोई है ताकी मै ... .

जन्गी - उसके पास नही जाऊ
राहुल - और आपको अचानक से क्या हो गया , आपको तभी रोकना था मम्मी जब बाजार जा रही थी ।
जन्गी - अरे बेटा वो अरुण था साथ मे इसीलिए मै चुप था

राहुल - लेकिन क्या फायदा शाम को सारा कलेश देखा और सुना भी उसने

जन्गी - अह छोड़ ना बेटा मेरा माथा दर्द होने लगा है , चल सो जाते है ।
कमरे की बत्ती बूझ गयि मगर नींद दोनो बाप बेटों की आंखो से अभी दूर थी ।

जंगी अभी उलझन मे अटका हुआ कभी खुद को कोसता तो कभी शालिनी से आगे कैसे बात हो उस बारे मे विचार करता ।
वही राहुल के जहन मे अलग ही सर दर्द मचा हुआ था कि कही अरुण जोश मे उसकी मम्मी के साथ कोई बेवकूफी ना कर दे ।

मगर उसके कमरे मे अरुण को शालिनी शाबासी ने नवाज रही थी - अह्ह्ह सुउईई उम्म्ंम्म्ं ऐसे ही उफ्फ्फ्च अरुण हा बेटा उम्म्ंम ऐसे ही चाट अह्ह्ह सीईई

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कमरे मे शालिनी नाइटी पेट तक उठाये जान्घे फ़ोल्ड कर लेटी हुई थी और उसके नरम नरम पाव सी फूली हुई बुर की कसी लकीरों को अरुण निचे से उपर जीभ फिरा कर उसकी टपकती बजब्जाती मलाई चाट रहा था ।
शालिनी कभी उसके सर पकड़ कर उसकी थूथन अपनी बुर के दाने पर रगड़ती तो कभी खुद अपनी गाड़ उठा कर उसकी नाक को बुर मे डुबो देती ।

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अरुण उसकी रसाती बुर को अपनी लार से मिला कर खुब चुस चाट रहा था उसका मुसल जबरजस्त तरीके से फौलादी हुआ जा रहा था - ऊहह बेटा उम्म्ंम अह्ह्ह चाट और चुस अपनी मामी की बुर उम्म्ंम्ं कितना मस्त चुस्ता है रे तु उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह उफ्फ्फ कहा से सिखा है तुने जीभ चलाना उम्म्ंम

अरुण उसके जोशिले शब्द से और भी कामोत्तेजित हो जीभ घुसा कर भीतर नचाने लगाता
जल्द ही शालिनी के कमर ने झटके खाना बन्द कर दिया और अरुण ने भी अपना मुह हटा कर हाफने लगा ।

शालिनी ने उसे देखा और मुस्कुराई - बदमाश कही का , तु बस दिखता सीधा है उम्म्ंम

अरुण हस कर - मामी सीधा तो मेरा ये भी नही है हिहिही

अरुण ने लोवर के उपर से अपना खड़ा कडक तना हुआ मुसल मिजा और शालिनी मुस्कुराते हुए बिस्तर पर बैठ गयी पैर लटका कर उसके लोवर की डोरी खिंच कर उसे निचे किया और अंडरवियर के उपर से उसका मुसतन्ड मुसल को हाथो से सहलाने लगी - अह्ह्ह मामीईई उफ्फ्फ आपका टच मुझे पागल कर देता है उह्ह्ह लगता है कि अभी निकल जायेगा ।

शालिनी ने गुस्से ने आंखे महिन कर उसे घुरा - क्या बोला , अगर ये जल्दी निकला तो तुझे भी धक्के मार कर कमरे से निकाल दूँगी समझा

अरुण मुस्कुरा कर अपनी मामी के गाल छू कर - आह्ह मामी ऐसे देखोगी तो सच मे निकल जायेगा
शालिनी अगले ही पल मुस्कुरा दी और उसका अंडरवियर खिंच कर उसका मोटा कड़क एकदम से तनमनाया गर्म लन्ड हाथ मे लिया - उह्ह्ह कितना तप रहा है रे उम्म्ंम्ं

अरुण - अह्ह्ह मामी चुस कर ठण्डा कर दो नह्ह्ह उम्म्ंम्ं सीईई

शालिनी उसके लन्ड को आड़ो सहित हाथो मे सहला रही थी और वो उसके हथेली मे फड़क रहा था - उम्म्ंम्ं पहले किसी ने चुसा है इसे

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शालिनी ने हौले से मुह खोल कर उसका सुपाडा चुबलाया और फिर अपने नरम मुलायम होठो पर रगड़ने लगी ।

अरुण हवा मे उठने लगा और उसका लन्ड पुरा फुल कर फौलादी होने लगा, नसे उभरने लगी , शालिनी की जीभ उस्जे होठ जैसे जैसे उसके सुपाड़े को चाट चुबलाते अरुण की सासे अटकने उखड़ने लगती -अह्ह्ह सीई आह्हुह्ह्ह उन्म्मम्म मामी उफ्फ्फ सच कहू मामी चुसवाया तो बहुत है मगर उह्ह्ह

शालिनी उसके सुपाड़े की नीचली गांठ को अंगूठे से रगड़ती हुई आधा मुसल मुह मे डाल कर उसे सुरकती हुई लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगी - मगर क्या बोल ना

अरुण - अह्ह्ह मामी क्या बोलू उम्म्ंम आपकी स्टाइल सबसे हट कर है अह्ह्ह उह्ह्ह

शालिनी - सबसे ? कितनो को चुसवाया है

अरुण मुस्कुरा कर सिसकिता हुआ - अह्ह्ह मामी वो मेरे यहा एक नौकरानी है , अह्ह्ह साली का मर्द बाहर रहता है उह्ह्ह उम्म्ंम बहुत गर्म माल है उह्ह्ह आपके जैसी उफ्फ्फ आह्ह्ह मामीईई ओह्ह्ह ऐसे ही आह्ह और लोह्ह्ह ऊहह मजा आ रहा है आह्ह्ह

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शालिनी उस्का लन्ड गले तक लेने घोंटने लगी और अनुज उसका सर पक्ड कर आगे ठेलने लगा - अह्ह्ह मामीईई उह्ह्ह ऐसे उह्ह्ह खा जाओ ऊहह बहुत खुजली हो रही उम्म्ंम अह्ह्ह्ह उम्म्ंम निकाल दो सारा रस उम्म्ंम

शालिनी ने आँखे उठा कर फिर से अरुण को घुरा और उठ गयी -

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अरुण उसके नाइटी निकाल कर उसके चुचियो पर टुट पड़ा एक चुसता तो एक मसलता - अह्ह्ह बेटा अराम्म से उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह उफ्फ्फ बड़ा जोशील है रे तु य्ह्ह्ह्ह सीई कभी चोदा है किसी को या बस सबसे चुसवाया है

अरुण मुस्कुरा कर अपनी मामी के रसिले होठ चुबलाता हुआ - आह्ह मामी जिन जिन को पेला है , आज भी याद रखती है मुझे , अपना स्टाइल ही अलग है

शालिनी मतवाली आंखो से उसकी आंखो मे निहारती हुई उसका खुन्टा पक्ड कर भींचने लगी - अह्ह्ह जरा मुझे भी दिखा ना तेरा जलवा उह्ह्ह

अगले ही पल अरुण ने शालिनी को घोड़ी बना कर बिस्तर पर सेट किया और अपना मुसल उसके चुत के दरवाजे पर लगाते हुए हचाक से एक ही जोर मे पुरा का पुरा मुसल उस्के बुर की जड़ मे उतार दिया - अह्ह्ह मैयाअह्ह्ह मर गयीईई रेह्ह्ह उह्ह्ह साले हरामी ऊहह रन्डी की औलाद अह्ह्ह फाड़ देगा क्या आह्ह

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अरुण मुस्कुरा कर उसके नंगे चुतड पर थ्पेड़ता हुआ बिना रुके सटासट पेलने लगा - उफ्फ्फ मामी आपकी बुर एकदम रसिली है एक ही बार मे चली गयी उह्ह्ह कितनी गर्मी है अह्ह्ह

शालिनी भी धिरे धिरे मस्ती मे रमने लगी - आह्ह एकदम भाले जैसे लगा ऊहह कितना टाइट है तेरा ह्ह जैसे लाठी ले रही उह्ह्ह अह्ह्ह और चोद उन्म्ंम्ं

अरुण भी जोस मे शालिनी की दोनो चुतड़ पिटता हचक ह्चक कर उसकी बुर मे लन्ड डाल रहा था -आह्ह मामी जबसे आपको मुतते देखा है आह्ह इस गाड़ के लिए पागल सा हो गया हु मै उह्ह्ह कितनी सेक्सी है अह्ह्ह

शालिनी - कमिने तो उस रोज तु था तो मुझे बाथरूम मे देखा था उम्म्ंम सच है ना
अरुण खिलखिलाता हुआ आगे झुक कर शालिनी की लटकी हुई चुची को मसलता हुआ ह्चर ह्चर उसकी बुर मे लन्ड पेल रहा है- अह्ह्ग हा मामीईई सच मे आपकी गाड़ ने मुझे पागल कर दिया था और आज बजार मे आपने जो कहर मचाया उफ्फ्फ

शालिनी को खुद पर नाज हुआ - उफ्फ्फ कितना जोर की चोद रहा है अह्ह्ह उफ्फ्फ माअह्ह्ह उघ्ह्ह उतर जा उतर जा मेरे घुटने छील जायेन्गे अह्ह्ह

अरुन उसके उपर से उठ गया और शालिनी सीधा लेट गयि ।
अरुण उसकी एक टांग उठा अपने कन्धे पर रखा और अपना लन्ड एक बार फिर उसकी बुर मे उतार दिया ।
भर पुर जोश मे वो शालिनी को चोदने लगा ।
शालिनी - उफ्फ्फ अह्ह्ह ऐस एही उफ्फ्फ क्या मस्त चोदता है रे तुह्ह्ह उम्म्ं तेरे जैसे कसे लन्ड की दिवानी हो गयी है अह्ह्ह ऐसे ही मेरे राजहा उह्ह्ह उफ्फ्फ ऐसे लन्ड के लिए कुछ भी कर जाऊ उफ्फ्फ्च् और पेल ऊहह

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अरुण शालीनी की जोशिली बाते सुन कर उसकी झुका और उसकी गरदन पक्ड कर और हचर हचर पेलने लगा , शालिनी की चुत मे उस्का लन्ड अब बच्चेदानी तक मह्सूस होने लगा ।

शालिनी की आंखे उलटने लगी और चिखे दुगनी - अह्ह्ह उफ्फ्फ ऐसेही औह्ह सच मे तु अलग है रे हहह माह्ह्ह फ़ाड और फाड़ ऐसे हो उफ्फ्फ माह्ह रुकना मत अह्ह्ह्ह

अरुन - आह्ह मामी फाड़ तो तूम्हारी बिच बजार मे ही देता मगर लोगो का सोच कर नही कुछ किया
शालिनी - आह्ह सच तुझे इतनी जोश दिला रही थी मुझे
अरुण उसकी बुर मे लन्ड उतारता हुआ - आह्ह सिर्फ मुझे उह्ह्ह वहा तो सबकी नजर आपकी इस रसिली गाड़ पर अटकी थी उह्ह्ह

शालिनी - अह्ह्ह सच मे और उह्ह्ह उम्म्ं और बता ना
अरुण आगे झुक कर उसके निप्प्ल मुह मे भरता हुआ - अह्ह्ह मामी उह्ह्ह आपकी ये दुधारू चुचियॉ आह्ह ऐसे छलक रही थी मानो उछल कर बाहर आ जायेगी उफ्फ्फ

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शालिनी - अह्ह्ह लेकिन क्या फाय्दा इन सब का , देखा नही शाम को तेरे मामा कैसे भड़क गये उह्ह्ह उम्म्ंम
अरुण कसमसाता हुआ अपना लंड तेजी से उसकी बुर मे पेलता हुआ - आह्ह लेकिन आपने राहुल की ओर नही ध्यान दिया

शालिनी - राहुल ! क्या हुआ उसे ?
अरुण - आह्ह मामी , पूरे बाजार भर वो आपके चुतड निहार रहा था , उसकी जीभ खुब ल्सा रही थी

शालीनी भीतर से राहुल के नाम से और भी जोशिली हो रही थी - अह्ह्ह क्या कह रहा है तु उह्ह्ह मै उसकी मा हु वो मुझे ऐसे क्यू अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ मह्ह्ह

अरुण - क्या मामी अब झुठ मत बोलो , आपने भी कभी न कभी उसे नोटिस किया ही होगा , जब वो आपके इन नरम नरम रसिली चुचियो को निहारता होगा

शालिनी - अह्ह्ह कैसी बात कर रहा तु उम्म्ंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह
अरुण मुस्कुरा कर - उफ्फ़ मामी देखो ना कैसे आपकी बुर कस रही है राहुल के नाम से और ये निप्प्ल अह्ह्ह सीईई कितने कड़क हो रहे है अम्म्म्ंम्ं सीई कितने मुलायम है उम्म्ंम

शालिनी - ओह्ह्ह बेटा अह्ह्ह क्या जादू कर रहा है रे तु अह्ह्ह मह्ह कितना कड़क उह्ह्ह सीईई

अरुण - आह्ह मामी वो मेरा नही राहुल का जादू है उह्ह्ह मैने देखा है उसे आपकी गाड़ देख कर अपना मुसल मसलते हुए

शालिनी - क्या सच मे उफ्फ्फ ये लड़का बहुत बिगड़ गया है अह्ह्ह्ह सीईई
अरुण - आप ही इतनी सेक्सी उह्ह्ह्ह मै भी तो बिगड़ गया ना उम्म्ंम्ं

शालिनी - अह्ह्ह उफ्फ्फ तो तु क्या चाहता है मै आह्ह आह्ह उफ्फ्फ रुकना न्ही नही अह्ह्ह अह्ह्ह

अरुण - हा मामी लेके देखो ना उसका लन्ड मजाअयेगा आपको उह्ह्ह लोगि ना उम्म्ं बोलो बोलो ना

अरुण हचर हचर पूरे जोश मे तेजी से उसकी चुत मे लन्ड पेले जा रहा था और शालिनी अपनी गर्दन झटकते हुए झड रही थी - अह्ह्ह मै क्या बोलू अह्ह्ह उफ्फ़फ्फ उम्म्ंम्म्ं सीई उफ्फ्फ्फ मेरा हो रहा है अह्ह्ह ओह्ह्ह्ग उम्म्ंम अरुण अह्ह्ह कितना मजा आ रहा हौ आह्ह उफ्फ्फ

अरुण - आह्ह मामी मेरा भी आयेगाह्ह्ह उउह्ह्ह मामी मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी उह्ह्ह अफ्फ्फ

अरुण अपना लन्द बाहर निकाल कर तेजी से मुठियाने लगा और शालिनी उसके आगे अपना चेहरा कर देती है

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अरुण चिखते सिस्क्ते हुए अपना जोर लगाकर शालिनी के मुह पर जीभ कर झडने लगता है - ओह्ह्ह मामीईई लोह्ह मेरी सेक्सी मामीईई अह्ह्ह आह्ह लो पी जाओ उह्ह्ह्ह उम्म्ंम

शालिनी उस्का लन्ड मुह मे लेके चुसने चाटने लगी और फिर दोनो बिस्तर पर आगये ।

शालिनी - हम्म्म ये अच्छा था मेरी चुदक्कड़ मामी उम्म्ं

अरुण हल्का सा लजाया - हिहिही वो तो जोश जोश मे , सॉरी मेरी प्यारी मामी

शालिनी उसकी ओर करवत लेके उसका लन्ड सहलाती हुई - लेकिन मुझे तो अच्छा लगा मेरे चोदूराजा उम्म्ंम


शालिनी के स्पर्श से एक बार फिर उस्का लन्ड हल्का हल्का कसने लगा - आह्ह मामी सच मे आप बहुत सेक्सी हो

शालिनी - हा तभी तो मेरा बेटा भी मुझ पर फीदा है हिहिहिही वैसे तुने कब देखा उसे

अरुण - कई बार हमेशा उसकी नजर आप पर ही होती है और ये देखो

ये बोल कर अरुण उठा और झट से आलमारी से उसने शालिनी के पैंटी उसके दिखाई - ये देखो , ना जाने कितनी बार वो इसमे हिलाया होगा । अभी भी दागा है ।

शालिनी - अरे ये तो महिनो पहले गायब हुई थी , ये चोर था उम्म्ंम

अरुण- अब बोलो अब भी कोई शक है उम्म्ं
शालिनी - ये तो बड़ा बदमाश निकला उम्म्ंम, कल इसकी खबर लेती हूँ और भी कुछ छिपा रखा है क्या ?

अरूण- नही लेकिन आपने जरुर छिपा रखा है ?

शालिनी - मैने ? क्या ?
अरुण उसके करीब गया और उसके ननगे चुतड़ सहलाता हुआ - ये पीछे वाला छेद , अपनी दरारो मे हिहिहिही

शालिनी - धत्त बदमाश कही का हिहिहिही

अमन के घर

"उफ्फ्फ अह्ह्ह मेरे राजाह्ह्ह उफ्फ्फ कितना मोटा उह्ह्ह लग्ग्ग रहा है ऊहह आज फाड़ डालोगे क्या जी उह्ह्ह्ह ", ममता कस कस मुरारी के लन्ड पर उछल रही थी और dotted condom का असर आज उसकी चुत को भीतर से छील रहा था ।

मुरारी- क्यू जान ये नया तरीका पसंद नही आया उम्म्ंम अह्ह्ह मेरी जान ऐसे ही उफ्फ्फ कितनी जोश मे हो आज तुम अह्ह्ह सीईई

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ममता उसके कसे मोटे लण्ड पर हुमचती हुई - आह्ह मेरे राजा आह्ह तो मै पागल हो जाउंगी उह्ह्ह सीई जी कर रहा है आह्ह ऐसे हुमुच हुमुच कर फ़ाड दू इस छिल्ली हो अह्ह्ह सीईई

मुरारी- उफ्फ्फ मेरी जान अह्ह्ह्ह और और नही रुका जायेगा अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

ममता - अह्ह्ह रुको ऐसे नही
मुरारी ने देखा ममता ने टाँगे उठाई और उसके सुपाड़े की टिप से कोंडोम को पकड़ कर उंगलियो मे लपेटती हुई बाहर खिंचने लगी ।

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जिससे उसके लन्ड की चमडी भी खिंचने लगी - आह्ह जान आराम से खिंच रहा है अह्ह्ह सीईईई ओह्ह

ममता ने कंडोम निकाल कर उसका मोटा लन्ड पकड कर अपनी बुर मे डाल दिया- अह्ह्ह मेरे राजहा उफ्फ्फ ये मजा उस छिल्ल्ली मे नही आता उह्ह्ह अह्ह्ह अब चोदीये ना उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह और और उम्मममं


मुरारी - अह्ह्ह मेरी जान कितनी गर्म है तु आह्ह क्या कारण है अह्ह्ह
ममता - आह्ह मेरे सईया मेरे बालम उह्ह्ह आपकी नयी नयी तरकिबे मुझे जोश भर देती है और मन करता है ऐसे ही कस कस के अपना सारा रस निचोड लू उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ हा ऐस्र ही प्लीज रुकना नही अमन के पापाअह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह अह्ह्ह माअह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ

ममता भलभल कर उस्के लन्ड पर झड़ रही थी और मठ रही थी ।
फिर उसने अपनी बुर से मुरारी का लाल हुआ तपता लन्ड बाहर निकाल और चुत के मुहाने पर सुपाड़े को घिसने लगी

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भीतर की आंच से उबला हुआ मुरारी का लन्ड बाहर की मुलायम फाको का स्पर्श सह ना सका और भलभला कर झडने लगा - अह्ह्ह ममता मेरी जान ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह कितनी कामुक है तु ओह्ह्ह आह्ह्ह

ममता मुस्कुराती हुई उसकी पिचकारी अपनी बुर के होथो से पीती रही और उसका मुसल रगड़ती सहलाती रही ।

कुछ देर बाद
ममता मुरारी की बाहो मे थी - आपको लगता है वो आज करेंगे
मुरारी- मुझे पुरा यकिन है अमन की मा !
ममता मुस्कुरा कर - अच्छा अमन को भी यही वाला दिया क्या ?
मुरारी हस कर - नही उसको सादा वाला दिया , कही बहू को दिक्कत ना हो ।

ममता मुस्कुराती हुई - ह्म्म्ं देखो तो बहू के चुत की फिकर है मेरी नही
मुरारी- आह्ह मेरी जान तुम्हारी बुर तो अब भोस्डा हो गयी है इसकी क्या फिकर , और जी करता है इसमे पेलता रहू

ममता शर्मा कर - धत्त गन्दे छीईई कितना गन्दा बोलते हो आप
मुरारी- क्या गन्द बोला मैने
ममता शर्माती मुस्कुराती - वो भोस... छीई कैसा अजीब लगता है सुनने मे
मुरारी- आह्ह जान अच्छा तुम बताओ तुम्हे क्या पसंद है सुनना क्या बुलाऊ उसे कह कर

ममता - हिहिही सच मे बोल दू
मुरारी- हा बोल दो , जो कहोगी वही बुलाउन्गा उसे
ममता खिलखिलाती हुई - प्कका ना , पलट तो नही जाओगे
मुरारी ना मे सर हिलाया
ममता - खाओ मेरी कसम
मुरारी थोड़ा झेपा मगर हामी भर दी ।
ममता - आप ना इसे सन्गित कह कर बुलाओ मुझे अच्छा लगेगा

मुरारी एक पल को हसा और फिर ममता का मजाक समझ कर मुह बनाता हुआ - सच मे ? मतलब तु क्या बोल रही है पता है ?

ममता - मै नही जानती आपने कसम ली है तो बुलाना पडेगा ही हिहिहिही

मुरारी- अच्छा ठिक है खुश ना तु
ममता - हिहिहिही हा हा
अभी मुरारी ममता की शरारत के बारे मे सोच रहा था कि ममता उसकी छाती पर उंगलिया घुमाती हुई - ए जी सुनिये ना

मुरारी- क्या मेरी जान कहो
ममता - सीईई थोड़ा संगीता को प्यार करो ना ऊहह मन हो रहा है
मुरारी थोडा झेपा मगर ममता की शरारत समझ गया - तु ना बड़ी हरामन है हाहाहा
फिर अगले ही पल वो ममता की जांघो के बीच चुत के पास था

उसकी मादक गन्ध के मदमस्त होकर एक बार प्यार से उसे चमा है - आह्ह ममता कितना मुलायम चुत के होठ है तेरे

ममता हसती हुई - धत्त सही नाम लो ना , मेरी चुत के या संगीता के होठ
मुरारी समझ रहा था जानबूझ कर ममता उसे उसकी बहन को लेके छेड़ रही है - हम्म्म्म संगीता के होठ

ममता भीतर से कामुक हुए जा रही थी जिसका असर उसकी आंखो मे झलक रहा था - रसिले है ना संगीता के होठ
मुरारी भी ममता की कामुक जन्जाल मे फस कर कामोत्तेजक हुआ जा रहा था और उसे इसमे मजा भी आ रहा था - आह्ह हा मेरी जान बहुत ज्यादा रसिली है ।

ममता अपने कुल्हे उचका कर - चूसना चाहोगे संगीता के होठ उम्म्ंम्ं
मुरारी थुक गटक हा मे सर हिलाया ।
ममता - आह्ह तो चुसो ना मेरे राजाह्ह्ह
मुरारी की सिस्क भरी कामुक आग्रह को थुकरा ना सका और जीभ निकाल कर उसके बुर के रसिले होठ चाट लिये ।

ममता - सीईईई अह्ह्ह मेरे राजा उफ्फ्फ मेरे बालम अह्ह्ह और चाटो ना संगिता के होठ चुस लो ना मुह मे भर कर आह्ह ऐसे ही उफ्फ्फ मेरे राजहा अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह

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मुरारी भी भरपुर जोश मे था और वो ममता की चुत को चुस चाट रहा था और उसका लन्ड खुब कडक खुब फैलादी हुआ जा रहा था - ओह्ह्ह मेरे राजा घुसाओ ना वो आह्ह लन्ड डालो ना
मुरारी- आह्ह हा मेरी जान उफ्फ्फ बहुत गर्म है अह्ह्ह

मुरारि ने थुक लगा कर उसकी चुत पर फिर से सेट किया और हचाक से लन्ड आधा उसकी बुर मे उतार दिया - ओह्ह मेरे राजा अह्ह्ह पेलो संगीता को अह्ह्ह

एक पल को मुरारी ठहर गया और संसय भरी नजरो से मुस्कुराती हुई ममता को देखा - क्या हुआ चोदीये ना मेरी संगीता को अह्ह्ह सीईई मेरे राजा रुको ना प्लीज अह्ह्ह

मुरारी मुस्कुरा कर -लेह्ह्ह मेरी जान घुसा दियाह्ह्ह्ह उह्ह्ह कितनी कसी है तेरी बुर अह्ह्ह सीई कितनी टाइट लगती है अह्ह्ह मेरी जान ऊहह

ममता - आह्ह मेरे ऐसे ही उम्म्ंम और कस के आह्ह अह्ह्ह उफ्फ़ ऐसे ही उम्म्म्ं और तेज चोदो मेरी संगीता को आह्ह सीईई उफ्फ्फ इह्ह मेरे राजा उह्ह्ह चोदो ना

मुरारी उसको चोदते चोदते हसने लगता जब ममता बिच बिच मे उसकी बहन संगीता का नाम लेती और ममता हस्ती हुई मगर कामुक अदा से - आह्ह मेरे राजा उह्ह्ह क्या हुआ पसंद नही आया नाम उन्म्म्ं बोलो अह्ह्ह बोलो ना उम्म्ं


मुरारी उसकी ओर झुक कर उसे पेलता हुआ मुस्कुरा कर - तुझे पसन्द है ना उम्म्ंम

ममता कामुक मे डूबती हुई हा मे सर हिलाई - पर ?
मुरारी बडे आहिस्ता आहिस्ता उसकी गीली बहती बुर मे लन्ड घिसता हुआ - क्या पर ?
ममता मुह बना कर - उह्ह्ह आप भी नाम लो ना उसका प्यार से उम्म्ंम प्लीज


मुरारी लन्ड एकदम से ममता की गर्म बुर मे फड़कने लगा - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही अभी देख मै कैसे तेरी संगीता को चोदता हु लेह्ह्ह देख आह्ह उम्म्ंम

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ममता - अह्ह्ह मेरे राजहा ऐसे ही उफ्फ्फ्फ आह्ह हा और तेज्ज उफ्फ्फ अह्ह्ह
मुरारी- लेह्ह्ह मेरी जान और लेह्ह अपनी संगीता मे मेरा मोटा लन्ड उफ्फ्फ

ममता - क्या वो सिर्फ मेरी ही संगीता है आपकी नही उम्म्ंम बोलो
मुरारी झेप कर हसता हुआ और दुगने जोश मे उसे पेलता हुआ - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही देख पेल रहा हु ना अपनी संगीता को अह्ह्ह लेह्ह देख कैसे सटासट जा रहा है उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं उफ्फ़ मेरी जान अह्ह्ह

ममता - हा मेरे राजा ऐसे ही और हचक के चोदो अपनी संगीता को आह्ह आह्ह रुकना नही ऊहह ऐसे ही

मुरारी पूरे जोश मे ममता की बुर के घपा घपा पेले जा रहा था - आह्ह मेरी संगीता लेह्ह्ह आज फ़ाड दून्गा तुझे अह्ह्ह सीईई अह्ह्ह मेरी जान उह्ह्ह्ह

ममता -हा मेरी जान और चोदो उह्ह्ह फाडो ऊहह आह्ह्ह पेलो और कस के आह्ह आह्ह हा ऐसे ही ऐसे ही चोदो मेरे राजा अपनी संगीता को अह्ह्ह बहुत चुद्क्क्ड है हमेशा लन्ड खोजती है आज चोद चोद के इसकी खुजली मिटा दो

ममता के दोहरे कामुक संवाद से मुरारी चरम पर पहुच रहा था उस्के जहन मे चल रहा था कि वो सच मे अपनी बहन चोद रहा है - अह्ह्ह संगीता अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह ऊहह आज फाड़ दूँगा तेरी चुत उह्ह्ह मुझसे पहले क्यू नही चुदवाया अह्ह्ह मेरी रानी अह्ह्ह मेरी बहना अह्ह्ह आह्ह उफ्फ्फ्फ आयेगा

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ममता - हा मेरे राजा भर दो भर अपनी बहना की बुर ऊहह भर दो अपनी संगीता की चुत अह्ह्ह आह्ह उफ्फ़ कितना गर्म है आह्ह मेरे राजह्ह्ह सीईई अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ उह्ह्ह्ह्ह

मुरारी ममता की बुर के लन्ड घुसाये भीतर तक संगीता के नाम पर झडता रहा और ममता उसको अपने जिस्म से कसे हुए उस्का लन्ड निचोडती रही ।

कुछ देर मे मुरारी ने अपना होश सम्भाला और मुस्कुराता हुआ शर्मिंदा नजरो से मुस्कुराती हुई ममता को देखा - धत्त तु बड़ी दुष्ट है
ममता - अरे मैने क्या किया , पता नही मुझे चोदते हुए कब अपने ख्यालो मे अपनी बहना को चोदने लगे हिहिहिही
मुरारी हसता हुआ उसके उपर से हट कर - हट जा पगलैट कही की

ममता खिलखिला रही और मुरारी अपने जगह पर आकर लेट गया ।
ममता फिर से उसके करीब आई - ए जी सुनिये ना
मुरारी मुस्कुरा कर - अब सो जा ना अमन की मा
ममता उसके गाल छू कर अपनी ओर करती हुई - ए जी सुनिये तो पहले
मुरारी को लाज आ रही थी तो वो ममता की ओर पीठ कर करवट हो गया । इसपे ममता मुस्कराती हुई उसको नंगी ही पीछे से हग करती हुई - ए मेरे बहिनचोद सईया सुनिये ना ।

मुरारि को उसकी बातो से लाज भरि हसी आ रही थी - हम्म्म बोलो
ममता - कैसा लगा आज बहिनचोद बनके हिहिहिही

मुरारी उसकी ओर घूम कर - भाइ सो जा ना चुपचाप , क्यू परेशान कर रही है ।
ममता उसको छेड़ती हुई - अच्छा कल क्या नया करने का सोचा है ।

कल की बात करते ही मुरारी के जहन मे अमन का ख्याल आया और वो ब्रा पैंटी जो उसने ओर्डर दी वो भी ।
मुरारी मुस्कुरा कर उसको अपनी बाहों ने भरता हुआ - कल का तरीका आज से बहुत ज्यादा सेक्सी होगा , कर लोगि ना

ममता जिज्ञासा से चहक कर - सच मे , बोलो ना मै सब करूंगी हिहिही मेरे बालन बहिनचोद

मुरारी हसता हुआ - वो तो कल तक सरप्राइज रहेगा

फिर दोनो मिया बीवी हस्ते खिल्खिलाते एकदुसरे से चिपक कर सो गये ।


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 215

अमन के घर

सुबह के 8 बज रहे थे और अमन सोकर उठा उसका मोटा खुन्टा एकदम बौराया तनमाया हुआ अंडरवियर के भीतर से ही सलामी दे रहा था
उबासी लेते हुए उसने आस पास देखा तो सोनल नही दिखी और फिर वो बाथरूम की ओर बढ़ गया ।

ठकठक!!

"जानू दरवाजा तो खोलो "
"आह्ह बेबी प्लीज आप दुसरे बाथरूम मे चले जाओ प्लीज प्लीज "
" अरे क्या हुआ , खोलो ना मुझे जोरो की पेसाब लगी है यार बेबी आह्ह "
सोनल बाथरूम से - नही बाबू अभी नही प्लीज, मै फ्रेश हो रही हु आज आह्ह प्लीज दुसरे बाथरूम मे चले जाओ ना प्लीज ।

अमन - ओह्ह ठिक है बाबू , मै भाभी वाले कमरे मे जाता हु ।
अमन ने एक पैंट डाला और लन्ड सेट कर कमरे से निकल गया और गैलरी होकर दुलारि के कमरे के दरवाजे पर हाथ रखा ही था कि वो खुद से खुल गया और आधे खुले दरवाजे पर अमन ने सामने देखा तो सामने रिन्की हाथ मे दुलारी का मोबाइल लेके देख रही थी और दुसरा उसका आगे जांघो पर था

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रिन्की को अभी तक दरवाजा खुलने की भनक नही मिली थी और अमन की नजर जैसे ही मोबाईल स्क्रीन पर चल रही पोर्न वीडियो पर गयी उसका लन्ड एकदम से सरसरा कर उफनाने लगा
लन्ड की कसावट के साथ पैंट मे हरकत करने लगी ।
अमन अपना सुपाडा भींच कर दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ तो पाया कि रिन्की तो सुबह सुबह ही पोर्न देख कर अपनी चुत मसल रही थी ।

अमन से रहा नही गया पहले से उस्का लन्ड अक्ड़ा हुआ था उसपे से रिन्की की हरकत ने उस्का मूड और कडक कर दिया ।

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लन्ड की नसे पहले से पेसाब के जोर से फूली हुई थी उसपे से रिन्की को अपनी बुर मसलता देख अमन से बर्दाश्त ना हुआ और अपना लन्ड बाहर निकाल कर वो सहलाने लगा ।
तभी उसकी नजर कमरे के खुले दरवाजे पर गयी और वो झट से अपना लन्ड पैंट मे डाल कर धीरे से बिल्ली सी आहट लिये कमरेका दरवाजा लगा कर चटखनी लगा दी और दबे पाव रिन्की के पास - ये क्या कर रही है तु सुबह सुबह

रिन्की एकदम से चौक गयी इतना कि उसके हाथ मोबाईल छुट कर गिरते गिरते बचा - इह्ह्ह्ह मम्मीई ,

फिर अगले ही पला उसकी नजर अमन पर गयी तो एक गहरि आह भरती हुई मुस्कुराती हुई - अह्ह्ह भैया आप हो ,मै तो डर गयी कि कौन है ।

अमन अचरज से - ये क्या कर रही है तु , अभी कल शाम को तुझे पनिश किया अकल ठिकाने नही आई तेरी और अब ये सब ?

रिन्की थोड़ी लजाती हुई - सॉरी भैया वो भाभी के मोबाइल मे था तो मैने देख रही थी , प्लीज उनको मत बताना ।

अमन आन्खे चढा कर - निचे कुछ डाल रही थी ना तु, सच सच बोल

रिन्की झट से अपनी फ्रॉक उठा कर टाँगे खोल दी और उसकी गुलाबी पैंटी पर चुत वाले हिस्से का दाग साफ साफ झलकने लगा
अमन ने भी हिम्म्त कर हाथ आगे बढा कर सिधा उसकी बुर को पैंटी के गिले वाले हिस्से से छुते हुए - फिर ये क्या है ,ये गीला क्यू है बोला

अमन के स्पर्श से रिन्की की चुत और रसाने लगी उसके जिस्म मे सरसरी सी दौड़ गयि , गरदन अकड़ गये , आंखे बन्द ही गयि और मुह से महिन कामुक सिसकीया उठने लगी - सीईईई अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह नहीईई उह्ह्ह्ह

अमन रिन्की के चेहरे के मादक भाव पढ कर अपनी उंगलियाँ उसकी बुर पर घुमाते हुए - उम्म्ंम बोल ये कैसे गीली हुई , बहुत शरारती हो गयी है तु । तेरी शिकायत करनी पड़ेगी बुआ से ।

रिन्की आंखे उलटती हुई -- अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह्ह

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रिन्की के हाथ टटोलते हुए अमन के पैंट का खुन्टा सहलाने लगे और अमन का जोश चार गुना हो गया - अह्ह्ह देखो तो बेशर्म को क्या कर रही है

रिन्की - उम्म्ंम भैयाह्ह्ह्ह कितना मोटा है आपका निकालो नह्ह्ह सीईई अह्ह्ह

अमन उसकी बातें सुन कर भितर से हिल गया और उसका लन्ड एक दम से फ़ाड कर बाहर आने को बेताब होने लगा , वो उसकी बुर सहलाते हुए उसके लिप्स चुसने लगा ।

अमन तेजी से अपना पैंट खोल्कर कर उफनाता कडक मोटा मुसल बाहल निकाल
अमन का मोटा लाल सुपाडे वाला लन्द देख कर रिन्की उसपे झपट सी पड़ी - अह्ह्ह भैयाअह्ह्ज सुउउउऊ उम्म्ंम कितना मोटा और बडा है अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं उमाअह उमाह्ह्ह

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रिन्की उसके तने और सुपाड़े को चुम्मिया दिये जा रही थी और सहला रही थी - उफ्फ्फ भैया कितना प्यारा है ये आह्ह और बहुत गर्म हैया उम्मममं
अगले ही पल वो सुपाड़े को घोट गयी - अह्ह्ह सीईईई उफफ़फ़फ रिन्कीईई अह्ह्ह गुड़ियाअह्ह्ह उम्म्ंम्ं ऐसे ही बच्चा अह्ह्ह तुझे तो ये भी आता है रे अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की लगातार मुह मे लन्ड लेके चुबला रही थी और अमन उसका सर सहला रहा था - अह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्चू उम्म्ंम्ं और क्या आता है तुझे उम्म्ंम बोल न

रिन्की निचे फर्श पर बैठ गयि और बड़ा सा मुह खोल कर गले तक मुसल को ले जाने लगी - अह्ह्ह गुड़िया सच मे बड़ी हो गयि है तु अह्ह्ज कहा से सिख रही है अह्ह्ह

रिन्की मुह मे लन्ड को भरे हुए उसके आड़ो को मिजने लगी जिससे अमन के पेड़ू मे पेसाब की थैली मे जोर आया और पेसाब का प्रेसर एक बार फिर जोर पक्डने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आराम से अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ

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रिन्की अमन का टोपा अपने नुकीली जिभ पर घिसने लगी , जिससे सुपाड़े की गांठ उसकी लन्ड के नसो की पक्ड को कमजोर करने लगी - अह्ह्ह गुड़िया नहीईई अह्ह्ह आ जायेगा उह्ह्ह्ह्ह रुक जाह्ह्ह उफ्फ़फ्फ

रिन्की प्यासी थी और भितर से जल रही , वो अमन के रस से नहाने को आतुर थी - अह्ह्ह भैयह्ह्ह निकालो ना ऊहह मुझे पिना हैया हज्ज

अमन - आह्ह नही गुड़िया वो वोहहहह नहीई रुक ना ऐसे मत कर

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रिन्की अब अमन का लन्ड पक्ड कर अपने नरम मुलायम होठो पर रगड़ने लगी जिस्से अमन की हालात पूरी तरह से खराब हो गयी , उसका अपने मुसल पर सारा नियन्त्रण खो सा गया और चिन्घाड़ते हुए उसने अपने सुपाड़े का फब्बारा खोल दिया और अगले ही पल छरछरा कर तेज गर्म जलती मूत की धार रिन्की के होठो पर टकराई - उह्ंम्ंंम भैयाअह्ह्ह्ह येह्ह्ह क्यह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह

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अमन अब चाह कर भी अपने मूत की धार नही रोक सकता था और रिन्की के लिए ये अनोखा अनुभ्व था वो अमन के मूत से नहा रही थी और खिलखिला रही थी

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अमन अपने सुपाडा साध कर उसके मुह पर किये हुए सारी धार रिन्की पर छोद रहा था और रिन्की कभी मुह खोल कर उसका पेसाब गटक तो कभी अपने नरम मुलायम मौसमीयो पर लेती - अह्ह्ह भाईयज्ज्जज उफ्फ्फ्फ्फ हिहिही मजा आ गया अह्ह्ह हिहिही उफ्फ़ग्फ्ग उम्म्ंम्म्ं

अमन भी अपनी टंकी खाली कर खुश था कि इस हरकत के लिए रिन्की जरा भी नाराज नही हुई - सॉरी बच्चा वो मुझे पेसाब लगी थी और मै रोक नही पाया

रिन्की खिलखिलाती हुई उसका लन्ड सहलाती हुई - कोई बात नही भैया मुझे आपके पानी से नहा कर मजा आया हिहिहिही लेकिन गर्म था बहुत

तभी गलियारे मे आहत होने लगी और दुलारी की आवाज सुनाई दी जो रिन्की को ही बुला रही थी ।

अमन - अब क्या होगा , भाभी आ रही है
रिन्की - आप दरवाजे के पीछे छिप जाओ मै दरवाजा खोलती हु

अमन चौक कर -क्या ऐसे ही भिगे हुए
रिन्की - रिलैक्स भैया चिल
रिन्की ने जैसा कहा अमन से वैसा किया और दरवाजे के पीछे होकर और रिन्की ने वैसे ही दरवाजा खोला ।

दुलारी- अरे तु ऐसे ,नहा रही थी क्या ?
रिन्की - हा भाभी , आपके चक्कर मे फिर से कपडे डाल कर आई हु , बोलो क्या बात है ?

दुलारी- अच्छा तु नहा कर आ निचे नाशता बनाना है । आज फिर बाजार जाने की तैयारियाँ हो रही है । कल दुलहन के ससुराल वाले आयेंगे ना

ये बदबू कैसी आ रही है", दुलारी ने अपनी नाक बन्द करते हुए बोली ।
रिन्की - पता नही भाभी ,आप चलो मै नहा कर आती हु बाय बाय

दुलारी- अरे सुन तो उफ्फ्फ ये लडकी भी ना ,
दुलारी अपना माथा पीटती हुई घूम गयी और उसकी नजर सोनल के कमरे पर गयी - हम्म्म जरा देवर जी के हाल चाल लेलू ।

अमन के कान मे दुलारी के शब्द जैसे ही पड़े वो और रिन्की इशारो मे फुसफुसाने लगे

अमन - सॉरी बच्चा अगर सोनल ने बता दिया कि मै यहा आया हु तो चोरी पकड़ी जायेगी हमारी
रिन्की उखड़ कर - तो फिर कब
अमन - आऊंगा ना गुड़िया अभी देखता हु
ये बोलकर अमन धीरे से कमरे से निकल कर जिने की सीढियो पर उपर की तरह दो सीढ़ी चढ कर उतरता हुआ तेजी से निचे आया ताकि दुलारी नोटिस करे उसे ।

दुलारी ने तुरंत पलट कर अमन को जीने से निचे आते देखा - ओहो मेरे देवर बाबू कहा सुबह सुबह उपर से

अमन - वो भाभी बस सोचा टहल लू , आप इधर ?
दुलारी- मै सोच रही थी कि मेरी देवरानी की हालत पुछ लू , सारी रात साढ़ को चढा कर सोती है बेचारी

अमन धीरे से साडी के उपर से दुलारी की गाड़ दबोच कर - अच्छा तो आप ही आजाया करो दर्द बाटने

" धत्त छोड़ो ना ", दुलारी ने झटके से अमन का हाथ अपने कुल्हे से हटाया और हस्ती हुइ कमरे मे दाखिल हुई ।
जहा सोनल नहा कर तैयार हो रही थी ।

राहुल के घर

देर सुबह की अंगड़ाई के साथ अरुण के दिन की शुरुवात हुई थी और वो उबासी लेता हुआ हाल मे आया ।
हाल मे चाय की चुस्की के जंगी नासता कर रहा था और शालिनी बालो मे तौलिया लगाये एक नाइटी मे किचन ने काम कर रही थी ।
शालिनी ने अरुण को देखा और मुस्कुरा दी और अरुण ने भी एक बदले मे एक फ्लाइंग किस्स चुपके से देकर मुस्कुराया ।
शालिनी इतराते हुए हाल मे आई और सर से तौलिया निकाल कर अपने गीले बालों को झटका और उन्हे सुखाने लगी ।

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अब उसकी चुचियों को घाटियाँ उसकी नाईटी से आधी बाहर आती नजर आने लगी ।
जंगी बीते रात शालिनी के व्यव्हार से अलग ही खुन्नस मे था और उसने शालिनी एक शब्द बात नही की और शालिनी ने भी रुचि नही दिखाई ।
चाय का प्याला खतम कर जंगी उठ कर दुकान की ओर बढ गया और मौका देख कर अरुण शालिनी की ओर बढ़ना चाह रहा था कि शालिनी ने उसे टोका - नही नही , राहुल आता होगा अभी ।

और उसके कहने की देरी थी राहुल हाल मे आ गया था । शालिनी - तुम दोनो बारि बारी नहा लो फिर नासता कर लेना

राहुल - हा पहले मै जाता हूँ
अरुण ने कोई जल्दबाजी नही दिखाई और बस राहुल को कमरे से बाथरूम मे जाने की राह निहारता और जैसे ही राहुल बाथरूम मे घुसा अरुण लपक कर किचन मे शालीनी को पीछे से दबोच लिया - उम्म्ंम्ं क्या कर रहा है छोड ना , वो आ जायेगा भाइ

अरुण पीछे से लोवर मे तना हुआ मुसल शालिनी की गाड़ पर चुभोता हुआ उसके भिगे बालों के पास कान के करीब चूमता हुआ - अह्ह्ह मामी आप बहुत खुबसूरत हो उम्म्ंम आपके जिस्म की खुस्बू उम्म्ंम्म्ं और ये नरमी अह्ह्ह्ह

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शालिनी खिलखिलाती हुई - धत्त बदमाश दुर हट गुदगुदी हो रही है मुझे
मगर अरुण उसको और कस कर बाहों मे भर लिया और उसके हाथ उपर से शालिनी के नाइटी मे घुसने लगे । शालिनी की कसमसाहट और कुनमुनाना और तेज होने लगा - अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम रहने दे ना
अरुण शालिनी के नाइटी मे हाथ घुसा कर ब्रा के उपर से उसकी कसी हुई चूचिया मिजता हुआ - उफ्फ्फ मामी अह्ह्ह कितनी सेक्सी हो आप अह्ह्ज आपके दूध बहुत कसे हुए है अह्ह्ह और बहुत नरम है उह्ह्ह्ह

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शालिनी - अह्ह्ह बेटा हाथ बाहर निकाल उम्मममं
अरुण हाथ बाहर निकाल कर शालिनी के जिस्म पर खुद को घिसने लगा - उम्म्ंम मामी आपको देख कर ही मेरा खडा हो जाता है अह्ह्ह देखो ना कैसे फूल रहा है अह्ह्ह मामी उम्म्ं कुछ करो ना

शालिनी ने हाथ पीछे कर अरुण का कड़क फड़फडाता मुसल पकड़ा और उसका रोम रोम सिहर उठा , उसके जिस्म मे कपकपी बढने लगी एक बार फिर उसका जी अरून के कड़क लन्ड के लिए ललचा गया ।
लेकिन जहन मे राहुल का ख्याल भी आ रहा था कि कही वो आ ना जाये
लगातार किचन के बाहर नजर बनाये हुए उसके अरुण का लोवर निचे कर उसके अंडरवियर के उपर से ही उसका कड़क मोटा लन्ड सहलाने लगी - अह्ह्ह मामीईई उह्ह्ह आपका टच मुझेहहह उम्म्ंम अह्ह्ह

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अरुन की सासे भारी होने लगी और उसका लन्ड अंडरवियर मे और ज्यादा फुलने लगा , शालिनी उसके आड़ो को छू सहला रही थी - अह्ह्ह बेटा ना जाने क्या जादू कर रखा है तुने तेरा कसा हुआ ये मोटा खुन्टा देख कर मेरा मन डोल जाता है अह्ह्ज

अरुण उसके कंधे से नाइटी सरका कर ब्रा के उपर से उसकी मुलायम चुचिया मिजता हुआ - आह्ह मामी इतना पसंद है तो चुस लो ना आह्ह देखो कैसे फड़क रहा है

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शालिनी सरक कर घुटनो पर आकार अंडरवियर के उपर से अरुण के मोटे लन्ड को चूमने लगी और अरुण मामी की कामुक हरकतो से और पागल हुआ जा रहा था ।
उसकी कामुक्ता बढती जा रही थी लन्ड की नसे खुब फड़फ्ड़ा रही थी और सुपाडा पुरा फूल कर लाल हुआ जा रहा था ।
शालिनी ने अंडरवियर खिंच कर निचे किया और अरुण का मोटा तनमनाया मुसल उछल कर शालिनी के समाने आया

" बेटा बाहर देखना " , ये बोल कर शालिनी ने अगले ही पल अरुण का मोटा मुसल थाम कर उसके सूपाडे को चुबलाने लगी - आह्ह मामीईई ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ उम्म्ंम क्या मसत चूस्ती हो आप उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह

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शालिनी लन्ड को मसल मसल कर मुह मे लेकर गिला कर रही थी और अरुण का लन्ड उसके हाथो मे खुब फड़क रहा था ।
अरुण का मुसल सा लन्ड शालिनी की चुसाई से एकदम रॉड के जैसे टाइट हो गया था नसे फुल कर तन गयी थी और बिना किसी सहारे अब उसका लन्ड सर उठाए नाग की तरफ फनफनाया हुआ था ।

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शालिनी ने उसके आड़ो को टटोलती हुई अपनी जीभ की टिप को उसके सुपाड़े की गांठ पर फ्लिक करती हुई नीचे तने को चाटने लगी ।
जिससे अरुण की हालत और खराब होने लगी - ओह्ह्ह मामीईई ओह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं फ्क्क्क्क उम्म्ंम्ं ऐसे हीईई आह्ह आराम से ऊहह दर्द करेगा वोह्ह उम्म्ंम्ं उफ्फ्फ

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शालिनी जीभ नचाती हुई अब अरुण के आड़ो तक आ पहुची थी और उसके कडक कसे हुए आड़ को मुह मे भर कर चुबलाने लगी ।
शालिनी का ये नया और अनोखा रूप देख कर अरुण हवा मे उड़ने लगा - इह्ह्ह मामी कमाल हो तुम उह्ह्ह आज तक्क्क अह्ह्ह सीई आज तक किसी ने ऐसे मेरा लण्ड नही चूसा था ।

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मामी - आज तक ऐसा कदक लन्ड भी नही मिला मुझे उम्म्ंम्म्ं सीईईई कितना टाइट है रेझ्ह्ह उम्म्ंम्म्ं
शालिनी उसके आड़ो को मिजते हुए उसके लन्ड को मुह मेभर ली
और अरुण की सासे उफनाने लगी , लगातार आड़ो पर हो रही हरकत से उस्का जोश और बढ़ने लगा - उह्ह्ह मामीईई तुम तो पोर्नस्टार से कम नही हो उम्म्ंम आह्ह खा जाओ मेरा मुसल उन्म्म्ं ओह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह
शालिनी लगातार उस्का सुपाडा सुरुकते हुए लन्ड चुस रही थी
अरुण की हालत और खराब हो रही थी उसके भीतर जोश उमड रहा था और आग सी दहकने लगी थी , वो शालिनी का सर पक्ड कर उसके मुह मे लण्ड पेलने लगा ।शालिनी उसका लन्ड गले तक लेने लगी - अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ रानी उम्म्ंम लेह्ह अह्झ उह्ह्ह्ह मेरी जान उह्ह्ह और लेह्ह्ह

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अरुण पूरे जोश मे शालिनी के मुह मे लन्ड ठुसे जा रहा था और शालिनी की सासे अब फुलनी शुरु हो गयी थी , आंखे बड़ी होनी लगी और वो लन्ड छोड़ना चाह रही थी मगर अरुण जबरन
मुह मे ठूसता हुआ तेजी से लन्ड भी हिला रहा था - अह्ह्ह मामीईई उह्ह्ह्ह रुको नाअह्ह्ह आयेगगा उह्ह्ह माय सेक्सी उह्ह्ह माय बेबी इह्ह्ह येस्स्स येस्स आ रहा है अह्ह्ह रहा है मामी अह्ह्ह उह्ह्ह्ह लेलो लेलोह्ह्ह उम्म्ंम्ममम्ं अह्ह्ह्ह्ह्ह्ज

अरुण भरपूर चिन्घाडता हुआ तेज पिचकारी शालिनी के मुह मे ही छोड ने लगा , इतनी बड़ी मोटी धार जैसे अरुण उस्के मुह मे मूत रहा हो ऐसे वीर्य की तेज धार उसके गिर रही थी

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और उसका गला चोक करने लगा तो वो झटके से पीछे हटी मगर अरुण अपने लन्ड से वीर्य की गाढी धार अपनी मामी पर फेकता रहा , शालिनी की ब्रा छाती पर उसकी पिचकारी छुटती रही शालिनी पूरा उसके रस नहा चुकी थी ।

अरुण आखिर बूँद तक शालिनी के मुह पर झडता रहा और शालिनी का चेहरा उसके रस से पुरा सना चुका था
शालिनी अपने छाती चेहरे पर उंगलिया लगा कर उसके रस को चुबला कर उसके बड़ी मदहोश नजरो से निहार रही थी और अरून मुस्कुरा रहा था

शालिनी - अह्ह्ह इत्ना सारा रस उम्म्ंम रात मे क्यू छिपा कर रखा था रे उम्म्ंम कितना नमकीन है उम्म्ंम्म्ं

अरून- आह्ह मामी तुमने रात को ऐसे चुसा होता तो रात मे भी तुम्हे नहला दिया होता हिहिही
शालिनी उठ कर बेसिन मे अपने मुह धूलने लगी और अरुण अपने कपडे पहनने लगा इस बात से बेखबर की इनकी सारी करतुत किचन के बाहर दिवाल से लग कर खडा राहुल सब सुन रहा था ।
उसका मुसल एकदम तना खड़ा टाइट था ये देख कर कि उसकी मा सच मे रन्डी है इधर पापा से झगड कर अपने भतिजे से चुदने चली गयि ।

राहुल झट से वहा से निकल कर अपने कमरे मे चला गया और इधर शालिनी अरुण के राहुल को रंगे हाथ पक्डने की योजना बनाने लगी ।

राज के घर

नाश्ते का समय हो गया था और रात देर तक अपने भैया के साथ निशा की चुदाई कर अनुज भी आज देर से उठा ।
फ्रेश होकर निचे हाल मे उतरा और देखा तो सब नाश्ता कर रहे है ।

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रज्जो मौसी वही सोफे के पास खड़ी थी उसकी बड़ी सी गाड़ साडी मे खुब उभरी हुई थी उसपे से कसी हुई साडी मे कमर और कामुक नजर आ रही थी ।
अनुज का लन्ड फौरन झटके खाने लगा और वो मन मे बड़बडाया - उफ्फ्फ मौसी ती पीछे से और भी गदराई हुई है ।
अनुज सीधा रज्जो के पास आकर उसके उपर झोलने लगा , रज्जो ने मुस्कुरा कर उसको पकड़ा ।

राज - लो नवाब साहब आ गये हिहिहिही
रज्जो उसको डांटती हुई अनुज के बाल सहलाती हुई - तु चुप कर , मेरा बेटा कितना काम करता और कुछ कह्ता भी नही ।आजा लल्ला नाश्ता कर लें ।

अनुज अपनी मौसी से चिपक कर - हा मौसी आपको ही मेरी मम्मी होना चाहिए था , उनको देखो अपने बेटे का जरा भी ख्याल नही होता ।

रागिनी किचन मे खड़ी खड़ी हसने लगती है ।
राज - चल चल नाटक मत कर नाश्ता कर और दुकान खोल।

अनुज भुनभुनाते - क्या न्हीई मौसी प्लीज आज दुकान नही उहुहहु

रज्जो प्यार से उसका गाल सहलाती हुई -हा लल्ला मत जाना आज तु हमारे साथ बाजार चलना ठिक है ।

अनुज खुश हुआ और नासता करने लगा , अनुज की बातो पर घर मे सब हस रहे थे वही रन्गी नासता करके दुकान के लिए निकल गया ।
रज्जो भी काम मे उलझ गयी ।

मौका देख कर राज अनुज से - तु तो मौसी का बड़ा दुलारा होता जा रहा है रे उम्म्ं मेरी तो कोई सुन ही नही रहा

अनुज ने मुह बनाया - जैसे आप बुआ के दुलारे हो वैसे मै मौसी का हुउह
राज अचरज से हस कर - अरे तुझे क्या हुआ , ऐसे क्यू भडक रहा है ।

अनुज मुह बनाता हुआ - हुह छोडो जाने दो , आप तो मुझे अपना नही समझते ।
राज -अरे बोलेगा क्या बात है ?
अनुज आस पास देख कर धीरे से आंखे दिखाता हुआ - बुआ वाली बात आपने मुझसे क्यू छिपाई ।

अनुज ने भले ही साफ साफ लफजो मे ना कहा हो कुछ मगर राज उसके चेहरे के भाव पढ कर ही समझ गया कि अनुज को जरुर शिला बुआ के साथ चुदाई की भनक लग गयी है और वो थोडा मुस्कुराता हुआ सीधा बैठ गया ।
अनुज - अब हस क्यू रहे हो बोलो
राज - तुझे कैसे पता इस बारे मे ?
अनुज - कल शाम को बुआ ने बताया
राज चौक कर - तो क्या तु बुआ को कल शाम को ही
अनुज - नही उस्का मौका नही मिला वो हुआ यू कि

फिर अनुज ने शाम की सारी कहानी राज को सुनाई - ऐसे हुआ था ।
राज उसके गाल खिंच कर हसत हुआ - साले बहुत तेज हो गया है तु हिहिहिही

अनुज - हा और आप बहुत छिपाते हो मुझ्से कह रहे थे पढ़ाई पर ध्यान दे बुआ को बाद मे हुउह

राज - अरे भाई नाराज ना हो , अगर तुझे कूछ करना है अभी जा । बुआ कमरे मे तैयार हो रही है ।

राज - मै मा और मौसी सबको बिजी रखता हु जा जा

राज की बात सुनते ही अनुज की लार टपकने लगी और उसका लन्ड ठुमकने लगा ।
वो धीरे से उठा और किचन ने मा मौसी को बिजी देख कर चुपचाप गेस्ट रूम मे घुस गया ।

कमरे का दरवाजा खोला तो सामने देखा उफ्फ्च क्या नाजारा था - सामने शिला बुआ सिर्फ ब्रा और लेगी मे थी ।
आगे की ओर झुक कर खडे खड़े बिस्तर पर ही अपनी कुरती प्रेस कर रही थी ।

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झुकने की वजह से शिला की मोटी मोटी खरबजे सी भारी भरकम चुचिया ब्रा मे लटकी हुई बाहर आने को बेताब थी ।
बुआ का ये रूप देख कर अनुज का लन्ड एक पल मे ही फौलादी हो गया ।

अपना मुसल मसल्ते हुए वो कमरे मे दाखिल होकर दरवाजा भिड़काता हुआ - कही जा रहे हो क्या बुआ ?

शिला एक पल को चौकी - हाय दैयाआ उह्ह्ह तु है क्या ? मै समझी कौन आया ।

शिला - नही बेटा वो काटन की कुर्ती है ना तो बिना प्रेस किये नही पहनती मै

अनुज अपना सुपाडा मिजता हुआ शिला के पास खडा हुआ उसकी नजर अपनी बुआ के मोटे चुतड पर जमी थी

"आह्ह क्या मस्त मोटी गाड़ है बुआ की मन कर रहा है अभी घुसा कर हचक कर पेल दू " , अनुज मन मे बड़बडाया ।
वही शिला अनुज बगल मे खड़े होने का इरादा भाप चुकी थी और उसकी नजर अनुज के लोवर मे तने हुए मोटे खुन्ट पर भी जमी थी जो बडा सा तम्बू बनाये हुए थी
शिला की नजरे उसकी हरकतों पर जमी हुई थी जैसे ही अनुज के हाथ उसकी मोटे कूल्हो को दबोचने के लिए बढ़े मुस्करा - नहीईई अनुज बोला ना नहीईई

अनुज हसता हुआ अपना पुरा पन्जा खोल कर शिला की मोटी चर्बीदार चुतड को चप्प से जकड लेता है और उसको हिलाता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी गाड़ बहुत मुलायम है

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शिला का जिस्म अनुज के पंजे की छाप से पुरा थरथरा जाता है - अह्ह्ह कमीने क्या कर रहा है उफ्फ्फ्फ लगा मुझे हट छोड़, छोड ना

शिला लगातार उसका हाथ हटाने की कोशिश करती मगर अनुज बेशरमी से शिला की गाड़ पर पन्जा जमाये हुए लेगी के उपर से ही अपनी उंगलिया उसके गाड़ के दरारो मे फ्साता जा रहा था - हिहिही न्हीई क्यू छोड़ू इसे देख कर तो जी करता है खा जाऊ कितनी रसिली लगती है आपकी ये गाड़

अनुज के उंगलियो की पकड़ अब उसके गाड़ के दरखतो तक जाने लगी और शिला बुर मे हरकत शुरु हो गयी - अह्ह्ह बेटा मान जा कोई आ जायेगा उह्ह्ह छोड ना

अनुज - उम्म्ं बुआ प्लीज करने दो ना , भैया को तो नही रोकती हो मुझे क्यू सीईई कितनी मुलायम गाड़ है आपकी उम्म्ंम्ं

जिस तरह से अनुज उसके चुतड़ के नरम नरम फूले हुए हिस्से मसल रहा था शिला भीतर उत्तेजित हुई जा रही थी

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वो दोनो हाथो से उसके मुलायम चुतड को आपस मे फ़्लैप कराये जा रहा था जिस्से शिला की बुर पर भी असर होने लगा था ,
अनुज - उफ्फ्फ बुआ कितना सेक्सी गाड़ है आपका उफ्फ्फ और बहुत बडा है उम्म्ंम मन कर रहा इसमे घुसा दुऊउउऊअह्ह्ह सीईई

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अगले ही पल अनुज ने लोवर के निचे से ही अपने सुपाड़े को शिला के गाड़ की नरम दरारो मे घुसेड़ने लगा
अनुज के सुपाड़े की रगड़ शिला अपने गाड़ के दरखतो मे पाकर सिस्क पड़ी- अह्ह्ह लल्ला मान जा कोई आ जायेगा अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं उफ्फ्फ रहने दे बेटा

अनुज - ओह्ह्ह बुआ करने दो ना बहुत मुलायम मुलायम सा है अह्ह्ह रुको खोल कर घुसाता हु

शिला चौकी - क्याआ?? नही नही बेटा दरवाजाअह्ह खुह्ह आह्ह उफ्फ्फ कितना टाइट है रे अह्ह्ह्ह सीईई दरवाजा खुला है अनुज कोईईई आअहह जायेगा बेटा उम्म्ंमममं

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अनुज ने अपना लन्ड बाहर निकाल कर शिला के गाड़ की दरारो मे चुभो दिया था जिस्से शिला की चुत कूलबुलाने लगी थी ।

अनुज शिला की गाड़ मे अपने सुपाड़े की नोख चुभोता हुआ - अह्ह्ह बुआ कोई नही आयेगा उम्म्ंम रुको ना ऐसे ओह्ह्ह फ्क्क उम्म्ंम कितनी मस्त हो बुआ आप उह्ह्ह कितना मजा आता होगा फूफा को उह्ह्ह मन कर रहा है खोल कर घुसा दू आपकी गाड़ मेहहह

शिला - उह्ह्ह न्हीई न्हीई बेटा ऐसे ही कर ले कोई आ जयेगा जल्दी कर अह्ह्ह मेरे लाल कितना टाइट है मेरी बुर मे चोट कर रहा है अह्ह्ह मा उम्मममं रगड़ बेटा अह्ह्ह ऐसे उह्ह्ह

अनुज शिला की गाड़ के दरारो से ठिक निचे उसकी कसी टाइट जांघो मे लेगी के उपर से लन्ड पेलने लगा - ओह्ह बुआ कितना गर्म है आह्ह अह्ह्ह भीग भी गया है उम्म्ंम

शिला - ऊहह बेटा झड रही है तेरी बुआ अह्ह्ह निकाल दिया तुने रग्द रगड़ कर आह्ह उह्ह्ह
अनुज - आह्ह बुआ बहुत गर्म है अह्ह्ह सीईई मेरा लन्ड जल रहा है अह्ह्ह ओह्ह्ह फ्क्क्क्क उम्म्ं बुआआ मेरी सेक्सी बुआ मोटी मोटी गाड़ वाली बुआ अह्ह्ह

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शिला अनुज को और जोश दिलाती हुई अपनी गाड़ उसकी ओर फेकने लगी - है ना बेटा आह्ह मेरी गाड़ सेक्सी उम्म्ंम बोल ना है ना मोटी मोटी उम्म्ं बोल मजा आ रहा है

अनुज शिला की बातें सुन्कर और जोश मे कस कस कर उसकी जांघो मे अपना लन्ड पेलने लगा - हा बुआ बहुत मजा आ रहा है अह्ह्ह उह्ह्ह ओह्ह्ह बुआआआ अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह

शिला - क्या हुआ लल्ला बोल ना उम्म्ंम्ं बोल बेटा

अनुज - आह्ह बुआ मेरा आने वाला है ओह्ह्ह बुआ लेलो ना अह्ह्ह सीई ओह्ह्ह शिट शिट शिट अह्ह्ह बुआअह्ह्ह निकल रहा अह्ह्ह सीईई

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अनुज तेजी से अपना लन्ड का फब्बारा शिला की गाड़ पर छोड़ने लगा
शिला - अह्ह्ह बेटा ऊहह कितना गर्म हैया अह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह

कुछ पल मे अनुज अपना लण्ड झाड़ कर खडा हुआ और शिला के गाल चूम लिया
शिला उसको धकेलती हुई - हट कमीना कही का , कर ली ना मनमानी तुने , अब फिर मुझे कपड़ा बदलना पडेगा

अनुज उसके चुचे सामने से सहलाता हुआ - बदल ना बुआ अपने भतिजे के लिए इतना नही करोगी
शिला लाज भरि मुस्कुराहट से - हट यहा से , अब बाहर जा

अनुज मुस्कुराता हुआ अपना लन्ड सेट कर बाहर चला गया और शिला अपने कपडे बदलने लगी ।



जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 216


अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

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एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 217

राहुल के घर

बन्द कमरे मे शालिनी बड़े जोश मे अपने बेटे के लन्ड पर उछल रही थी और ये चोरी चोरी वाली चुदाई ने उसके मन को और भी ज्यादा नादानिया करने को पागल कर दिया था

देखते ही देखते शालिनी अपने जिस्म से सारे कपडे उतार चुकी थी और अपने सगे जवान बेटे का कसा हुआ मोटा लन्ड हुमुच हुमच कर बुर मे ले रही थी

राहुल बस अपनी मा की कामुकता और लन्ड़ के लिए उसकी दिवानगी को देख कर भौचका था - अह्ह्ह माअह्ह्ह क्या हो गया है आज तुम्हे ओह्ह्ह्ह उम्मममं

शालिनी - अह्ह्ह मेरे लाल उह्ह्ह तेरा सुपाडा मेरी चुत मे खुब खुजली पैदा कर रहा है अह्ह्ह आज इसको निचोड कर भर लूंगी अह्ह्ह्ह

वही पीछे खड़ा अरुण अपना लन्ड हिला रहा था उसकी नजर शालीनी के हिलती उछलती नाचती मोटी गाड़ के दरारो मे झाकती सुराख पर थी । उन्के बदले हुए सुर साफ बयां कर चुके थे कि ये इनका पहली बार नही था

अरुण भाप चुका था कि उसकी मामी ने उसे ही मामा बना दिया आज और ये सोच कर ही उसका जोश चार गुना हो गया
लन्ड के टोपे को थूक से चटक करता चमकाता हुआ वो अप्ना लन्ड हिलाता हुआ आगे बढ़ा ।
उसका सारा फोकस अब शालिनी के गाड़ के गुलाबी सुराख पर था , जिस तरह से वो सास ले रहा था
ढेर सारा लार अपने टोपे मे लिभ्डाता हुआ वो दोनो के करीब आ गया
शालिनी और राहुल दोनो एकदुसरे मे रमे हुए थे , राहुल शालिनी की नंगी चुचियो मे मुह दिये हुए था और शालीनी उसके तने हुए खूँटे पर अपनी गाड़ घिस घिस कर उसे चुत की गहरायो मे ले जा रही थी , उसकी बुर बुरी तरह से रस छोड़ रही थी शालिनी मस्त हो चुकी थी राहुल के लन्ड की गर्मी से और अरुन ने सही मौका देख कर शालिनी की धीमी पड़ती गति का फायदा लेता हुआ सिधा अपने सुपाड़े की टिप उसके गाड़ के मुहाने पर लगाय और पूरी ताकत के साथ हचाक से उसके गाड़ की कसी हुई गुलाबी सुराख मे अपना मोटा टाइट लन्ड घुसेड दिया- अह्ह्ह्ह मैयाआआ ओह्ह्ह्ह्ह बहिनचोद कौन है अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह फाड़ दिया रेह्ह्ह्ह्ह

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राहुल भी अपनी मा की दरद भरि चिख से चौका और गरदन फेर का देखा तो अरुण बत्तिसी दिखा रहा था -

"क्या बे लोडू , साले तुम मा बेटे मुझे ही चुतिया बना रहे थे ", अरुण शालीनी कमर पक्डता हुआ अपना लन्ड पूरी ताकत से उसकी गाड़ पेलता हुआ बोला

शालीनी - आह्ह साले हारामी निकाल उह्ह्ह दर्द हो रहा है अरून अह्ह्जू माअह्ह्ह्ह
राहुल - हा अरुण निकाल दे अह्ह्ह मा को बहुत दर्द हो रहा है
अरुण गुस्से मे तमतमाया - भ्क्क्क बहनचोद नाटक कर रही है , रात मे ऐसे ऐसे हचक हचक कर पेलवा रही थी मुझसे पुछ साली से ,

राहुल - क्या ये सच है मा
शालिनी बेज्वाब हो गयी और दर्द से तड़प रही थी - अह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ह सीईई कुछ लगा ले अह्ह्ह सूखा सूखा मत घुसा अह्ह्ह्ह्ह

राहुल का मुसल अपनी मा की बात सूनकर एकदम से तनतना गया और उसकी रसिली चुचिया मिजता हुआ - अह्ह्ह मम्मीई मुझे भी बुला लेती ना साथ मे मजे करते अह्ह्ह सच मे बहुत बड़ी चुद्क्क्ड हो तुम
अरुण - अह्ह्ह मामीईई ओह्ह्ह कितनी कसी गाड़ है तुम्हारि अह्ह्ह्ह बहिनचोद ओह्ह्ह अब लो मेरा मोटा कसा लन्ड अपनी गाड़ क्यू मजा आ रहा है ना ,उम्म्ं बोल ना साली ओह्ह्ह्ह सीईई बोल ना

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शालिनी को अरुण ने बुरी तरह जकड रखा था और उसकी दोनो सुराख मे अब दो जवान बास से कडक मोटे तने हुए लन्ड घचाघच हो रहे थे ।हफतो बाद उसने ये अनुभव दुबारा से किया था और उसकी बुर की दिवार भलभला कर रस बहाए जा रही थी - आह्ह हा बेटा ओह्ह्ह सीईई अह्ह्ह फ़ाड ही देगा क्या अह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है अह्ह्ह तेरा लन्ड ही ऐसा है रे अह्ह्ह्ह उह्ह्ह तुम दोनो मिले हुए थे आ हारामीयो अह्ह्ह्ह माह्ह्व


राहुल अब बत्तिसी दिखाने लगा - अह्ह्ह मम्मीई तुम्हे देख कर किसी का भी लन्ड उछलने लगे फिर हम तो घर के थे अह्ह्ह कितनी कसी चुत है अह्ह्ह माह्ह्ह्ह ओह्ह्ह लोझ्ह और लोह्ह्ह उह्ंम्ंं
शालिनी - आह्ह मेरे लाल भर दे ना उसे अपने मोटे लन्ड से अह्ह्ह घुसा घुसा कर फाड़ दे अह्ह्ह उह्ह्ह मै तप आज पागल हो जाउंगी उह्ह्ह्ह और चोदो मुज्जे अह्ह्ज्ज हा अरुण ओह्ह्ह और कस के डाल बेटा घुसा दे उह्ह्ह्ह्ह म्माअह्झ्ह्ज सीईई उह्ह्ह्ह क्या खा कर जना था रे तेरी मा ने तुझे पुरा साढ़ पैदा की है साली ने ओह्ह्ह

अरुण - तुम भी किसी दुधारू गाय से कम नही हो मामी आपकी ये मोटे फाके वाली बुर देख कर लगता है कि मै भी ऐसे अह्ह्ह अह्ह्ह

शालिनी की आंखे फैलने लगी - अह्ह्ह कुत्ते क्या कर रहा है अह्ह्ह फट जायेगी कमिने रुक जा

अरुण - आह्ह मामी कुछ नही होगा रुको तोह्ह अह्ह्ह बहुत लचीली बुर है आपकी अह्ह्ह्ह देखो जा रहा है अह्ह्ह्ह

राहुल - आह्ह भाई आराम से बहुत तप रहा है तेरा
शालिनी बुरी तरह से काप रही थी दर्द से तड़प रही थी उसका चेहरा लाल हुआ जा रहा था और चुत का फाका दुगनी चौड़ाई मे फैलते हुए लाल हुआ जा रहा और देखते ही देखते अरुण ने शालिनी को बुर मे लन्ड घुसेड़ ही दी -अह्ह्ह हिहिही आ गया हुहुहू

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शालिनी जोर से चिख चिलला रही - आह्ह मादरचोद फ़ाड दिया रे हरामी साले तेरी मा के भोस्दे मे हाथी का लन्ड डालूंगी भडवे साले अह्ह्ह मह्ह्ह्ह उह्ह्ह

राहुल ने इशारे से अरुण की ओर देखा कि अब क्या किया जाये तो अरुण ने उसे चुप रहने का कहा और धिरे से लन्ड को चलाना शुरु किया - बस मामी हो जायेगा अह्ह्ह सच मे आपकी बुर बहुत लचीली हैया हहह क्या गर्मी है अह्ह्ह्ह

शालिनी खुद का कलेजा मजबूत किये हुए थी और अरुन धीरे धीरे अपनी गति तेज करने लगा - अह्ह्ह बेटा ओह्ह्ह उम्म्ं माह्ह्ह पुरा फैला रखा है रे ओह्ह्ह उम्म्ंम लग रहा है दो दो बास की लाठी घुसा रखी है अह्ह्ह उम्म्ंम

राहुल भी अब हौले हौले निचे से झटके मारने -अह्ह्ह मेरी रंडी माह्ह ऊहह आज तक ऐसा सिर्फ़ वो वाली फिल्मो मे देखा था अह्ह्ह केह्ह्ह और लेह्ह्ह तेरे अंदर तो चार चार घुसा दू हहहह

एक बार फिर सिस्किया तेज होने लगी और शालिनी दोनो को गालिया बके जा रहा थी और दोनो पूरी तरह से जोश मे तेजी से शालिनी की बुर मे लन्ड फचर फचर पेले जा रहे थे - अह्ह्ह आह्ह रुकना मता मादरचोदो अह्ह्ह पेलो आह्ह और और उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह आहहहह आ रहा है उह्ह्ह्ह ईईई उह्ह्ह माअह्ह्ह अह्ह्ह ह्ह्ज उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह आह्ह और और बेटा अह ऐसे ही रुकना मत इमम्म्ंम्म्ंं ओह्ह्ह उह्ह्ह्ज

दोनो के लन्ड उसकी रस की धार से नहा रहे थे और शालिनी पस्त होकर गिर पड़ी ।
अरुण ने उसकी हालत देख कर लन्ड बाहर खिंच लिया
राहुल ने भी अपनी मा को किनारे का अपने देह का बोझ कम किया
शालिनी टाँगे खोले लेटी हुई हाफ रही थी और दोनो भाई वही खड़े होकर अपना मोटा खड़ा लन्ड हिला रहे थे ।

राज के घर

11 बजने को हो रहे थे और दोपहर का खाना लगभग तैयार ही था ,किचन से रागिनी ने हाल मे बैठी हुई रज्जो और शिला को आवाज देकर बोली - अरे जीजी जरा अनुज को आवाज देदो आकर खाना खा ले ,

रागिनी की बात पर रज्जो - दीदी जाओ ना बुला लाओ उसे , मुझे सीढिया चढने का जरा भी मन नही है रात भर जमाई बाबू ने घोडी बना कर बुरा हाल कर दिया है ।

शिला - अरे भाभी बुरा हाल तो मेरा अनुज ने कर रखा है , पता है आज सुबह सुबह फिर से मेरी एक लेगिंस खराब कर दी । मै नही जाने वाली आप ही जाओ

रज्जो खिलखिलाती हुई - अरे जवान भतीजा अपनी बुआ पर फीदा पर है और तुम बहाने बना रही हो , चलो अब मै भी चल के देखती हु क्या करता है वो ।

रज्जो और शिला दोनो सीढियो से फुसुरफुसर करते हुए उपर गयि और धीरे धीरे अनुज के कमरे की ओर बढ़े और हौले से कमरे का दरवाजा खोला
शिला - इसको देखो है इसको कोई डर
रज्जो - क्या हुआ फिल्म ही देख रहा है ना
शिला हस्ती हुई - अरे भाभी उसका हाथ देखो कहा है हिहिही कौन सी फिल्म होगी समझ जाओगी

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रज्जो ने अनुज को गौर से देखा तो वो अपना एक हाथ लोवर मे घुसाये हुए लैपटॉप मे देख रहा है और उसके चेहरे के भाव देख कर साफ साफ लग रहा था वो अपना लन्ड हिला रहा था ।

रज्जो - आहाहा शिला रानी लोहा गरम है मार दो हथौड़ा

शिला - मतलब ?
रज्जो - देख नही रही कैसे मसल मसल कर अपने हथियार को धार दे रहा है , अब इससे अच्छा मौका नही मिलेगा जाओ और चढ़ जाओ ।
शिला का कलेजा धकधक होने लगा
उसे अभी संकोच हो रहा था कि क्या अनुज की नादानी मे उसे भी शामिल हो जाना चाहिये , एक उलझन मे थी और बहाने तरह तरह से उसके जहन मे आ रहे थे -
एक पल को उसे अनुज के लड़कपन की परवाह भी थी तो अगले ही पल उसकी चुत की आग रज्जो भड़का दे रही थीं
रज्जो ने सही समय देख कर उसे कमरे मे धकेल दिया और दरवाजे पर तेज आहट पाते ही अनुज चौक कर सकपकाते हुए खड़ा हो गया

उसके लोवर मे बड़ा का तम्बू बना हुआ था और बिस्तर पर लैपटाप मे हार्डकोर फोरसम चुदाई की वीडियो चल रही थी ।


अनुज सामने शिला को पाकर खुश हो जाता है - अरे बुआ आप हो , मै तो डर ही गया
शिला उसको घुरती हुई गुस्सा करने का नाटक कर - यही सब के लिए तेरी मा ने लैपटॉप दिलाया है उम्म्ंम

अनुज बत्तिसी दिखाते हुए अपना सुपाडा मिजने लगा

शिला उसको अपना सुपाडा मिजता देख हस पड़ी- अरे कुछ तो शर्म कर ले कमीने मै तेरी बुआ हु , आह्ह क्या कर रहा है अंदर कर

अनुज बड़ी बेशरमी से अपना लन्ड बाहर निकाल कर शिला के आगे हिलाने लगा - अह्ह्ज बुआ तुम्हे देख कर तो और भी फूल जाता है अह्ह्ह्व्सीईई देखो ना कैसे लाल हो रहा है

शिला की धड़कने तेज हो गयी और उसकी नजर अनुज के मोटे लाल सुपाड़े पर गयि , पहली बार शिला ने सामने से उसका तना हुआ एकदम रॉड सा कडक लन्ड देखा था ,

जिस तरह से अनुज अपना लन्ड मुथिया रहा था उसके सुपाड़े की लाली और गहरा रही थी और शिला की बुर बजबजा रही थी ।
शिला ने एक नजर घूम कर दरवाजे पर देखा और उसे दरवाजे के बारीक ओट मे रज्जो की झलकती साडी दिखाई दी अब तो उसे रज्जो की मन की आवाज भी आती मह्सूस हो रही थी - कि अब रुक मत दबोच ले

शिला आगे बढ़ी और लपक कर उस्का मोटा लन्ड हाथ मे दबोच लिया -अह्ह्ह कितना गर्म है रे उम्म्म्ं सच मे तुझे इतनी अच्छी लगती हु मै उम्म्ंम

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अपनी बुआ का स्पर्श पाकर अनुज एड़ियो के बल होता हुआ हवा मे उड़ने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह्ब सीईईई आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह्ह मुझे आपके साथ सब कुछ करना है अह्ह्ह मेरो सेक्सी बुआ

शिला उसका मोटा लन्ड अपनी ओर भींच कर सहलाती हुई - अह्ह्ह क्या करेगा मेरे साथ तु उम्म्ंम्ं

अनुज लपक कर शिला की दूध की मोटी थैलिया जो उसने अपने सूट में छिपा रखी उसको हाथ मेभर लिया और उन्हे दबोचता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी ये दूध मसल डालूंगा मै उम्म्ंम्ं कितने नरम है अह्ह्ह्ह उह्ह्ह बुआ चुसो ना उम्म्ं चुसो मेरा लन्ड अह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ ओह्ह्ह सक माय डिक उह्ह्ह्ह

शिला - उम्म्ं देखो तो कैसे उतावला हो रहा है अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह कितना टाइट है रे तेरा अह्ह्ह्ह

अनुज - आह्ह बुआ मुह मे लेलो ना उम्म्ं प्लीज बहुत जल रहा है सब कुछ
शिला घुटनो के बल होती हुई - क्या जल रहा है बेटा उम्म्ंम बोल ना

अनुज अपना लन्ड शिला के लबो तक लाकर उसके बालो पर हाथ रखते हुए - मेरा लन्ड जल रहा है बुआ अह्ह्ह इसे ठंडा कर दो ना उम्म्ंम्म आह्ह येस्स्स बुआअह ओह्ह्ह मम्मीईई उह्ह्ह्ह फक्क्क्क एस्स बुआआ ओह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं

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अगले ही पल शिला से उसका मोटा लन्ड मुह मे भर लिया और चुसने लगी
अनुज का जिस्म अकड़ने लगा और वो अपनी बुआ के सर पक्डते हुए सिस्कने लगा - ओह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ ओह्ह्ह फ्क्क्क एस्स सक माय डिक बेबी उह्ह्ह एस्स उम्म्ंम्ं और चुसो बुआ उम्म्ंम कितना मस्त लग रहा है ओह्ह

वही दरवाजे के बाहर गैप से कमरे का नजारा देखती रज्जो के निप्प्ल भी कडक हो गये , उसकी हाथ अब खुद के जिस्म पर रेंगने लगे थे , बुर मे चिपचिपाहट सी होने लगी थी ।
इधर शिला लगातार लन्ड चुस और उसे और बड़ा किये जा रहि थी जिससे अनुज की सिसकियाँ और तेज हो रही थी
मगर तभी रज्जो को सीढियो पर आहट हुई मगर जबतक वो शिला को सतर्क कर पाती निशा तेज कदमो से सीढियां फांदती हुई उपर आ गयी - अरे मौसी आप यही हो , अनुज और बुआ कहा है । चलो बड़ी मा बुला रही है

कमरे मे शिला और अनुज ,निशा की आवाज सूनकर चौके और फटाफट अलग हो गये ।
जितनी जल्दी हो सका दोंनो खुद को सही करते हुए कमरे से बाहर आने लगे ।

शिला सफाई देती हुई - हा हा भाई आ रहे है ,वो तो मै इसे थोड़ी डांट लगाने लगी । कबसे बैठ कर फिल्म देख रहा था


निशा - अच्छा आप लोग जाओ , मै आती हु
रज्जो - तु कहा चली ?
निशा हसती हुई अपनी पिंक फिंगर दिखा कर - मौसी एक नम्बर हिहिहिही

शिला हस्ती हुई - धत्त पागल जा अब
वही इनसब ड्रामे के बीच अनुज का ये सोच कर लंड और कड़ा हो रहा था कि शिला बुआ जो कुछ कर रही थी सब कुछ मौसी ने बाहर खड़े होकर देखा और सुना ।

निशा के उपर जाते ही रज्जो मुस्कुराती हुई - बड़े प्यार से डांट रही थी अपने भतिजे को क्यू दीदी

शिला शर्मा कर - धत्त क्या भाभी तुम भी , चलो अब
रज्जो हस्ती हुई - मै सोच रही थी कि मै भी थोड़ा अनुज को समझा बूझा दू , क्यू अनुज तु क्या बोल रहा है ।

अनुज चहक कर रज्जो को हग करता हुआ - मौसी मै तो चाहता हु आप दोनो मिल कर मुझे डाट लगाओ हिहिही

शिला - चुप कर बदमाश कही का , चल निचे तेरी आदत बिगड़ गयी अभी तक मै पसंद थी अब मौसी उम्म्ंम

रज्जो हस कर - मेरे लाडले की पहली पसंद तो मै ही हु ,तुम्हारा नम्बर दुसरा लगा है हिहिहिही

शिला ने घुर कर अनुज को देखा और समझ गयी कि रज्जो जैसी खिडालन ने अनुज का रस चख चुकी है तभी वो इतना खुल कर है - हुह फिर अब तु अपनी मौसी के पास रहना, मेरे पास नही आना

ये बोल कर शिला तेज कदमो आगे बढ़ी और कुर्ती मे मटकती उसकी गाड़ देख कर अनुज उसकी ओर लपका और पीछे से बाहो मेभर लिया - बुआ बुआ बुआ हिहिही आप गुस्सा क्यू हो रहे हो , मौसी तो मजाक कर रही थी

शिला - नही छोड मुझे अह्ह्ह
अनुज - बुआ मै तुम्हे चोद सकता हु पर छोड़ नही सकता हिहिहिही

शिला उसके कैद से निकल कर - धत्त कमीना कही का और तुम भाभी तुम भी कम नही हो

रज्जो इस्से पहले कुछ बोलती कि निचे से एक बार फिर रागिनी की आवाज आई और सब चुपचाप होकर हस्ते हुए निचे चले गये

उपर एक चुप सन्नाटा पसर गया
वही निशा उपर से फ्रेश होकर आ रही थी और जीने से आते हुए उपर छाई शान्ति के बीच उसे कही से छोटे स्पीकर की हल्की आवाजे आ रही थी ,
निशा को लगा कही कोई मोबाईल पर बात तो नही कर रहा , पर ध्यान देने पर पाया कि ये आवाज तो अनुज के कमरे से आ रही है ।

निशा -ये लड़का लग रहा है फिल्म वैसे ही छोद कर चला आया ,
कमरे मे आई तो पाया कि उसकी नजर अनुज के हेडफॉन पर गयी जिसमे से आवाजे आ रही थी और जैसे ही वो उसकी नजर लैपटॉप पर गयि
पहले तो वो चौकी फिर मुस्कुराती हुई -ओहो तो बुआ इस फिल्म के लिये अनुज को डांट लगा रही थी हिहिही सही है बच्चू की अब खैर नही हिहिहीही

फिर निशा ने फटाफ़ट उसका लैपटॉप टटोला और उसमे एक दो पोर्न ज्लदी जल्दी वीडियो चलाये
जिसे देख कर निशा मन मचल गया और वो गहरि सासे भरती हुई अपने कडक हो चुके निप्प्ल वाले चुचो पर हाथ रख कर अपनी धड़कने थामती हुई - उफ्फ्फ ये तो खजाना है हिहिहिही , इसको तो बाद मे देखती हु

निशा ने फटाफट लैपटॉप ऑफ किया और निचे चली गयी
इधर सब खाना खा कर फीट हुए और रागिनी जबरन खाने का टिफ़िन अनुज को देकर उसके साथ दुकान के लिए निकल गयी ।


राहुल के घर
Round 02


शालिनी घुटनो के बल खड़ी थी उसके सामने दोनो भाई राहुल और अरुण लन्ड परोसे खड़े थे और शालिनी दोनो के मोटे लन्ड पकड कर बारी बारी से चुस रही थी ।

राहुल - आह्ह मम्मीईई उह्ह्ग क्या मस्त चुस रही हो अह्ह्ह सीई और लोह्ह्ह उम्म्ंम्ं

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अरुण- अह्ह्ह मामी अह्ह्ह मेरा भी ओह्ह्ह येस्स्स एस्स माय सेक्सी मामी उम्म्ंम्ं सक इट ओह्ह्ह उझ्ह्ज्ज उम्म्ंम और और और आहाहा उह्ह्ह हिहिहो ऐसे ह

शालिनी अरुन का मुसक गले तक चोक करती बाहर निकाली और सहलाने लगी -अह्ह क्या हो गया है आज ओह्ह्ह माह्ह कितना टाइट कैसे और निकल भी नही रहा है

अरुन - सब आपकी उस रसिली चुत का कमाल है मामी ओह्ह्ह्ह उह्ह्ज आराम से ओह्ह्ह फोड दोगी क्या उह्ह्ह्ह

शालिनी अरुण के आड़ो को सहलाती हुई मुह मे राहुल का मुसल भर चुकी थी - आह्ह मम्मी ओह्ह्ह घोट जाओ अह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह कितनी मुलायम चुची है आपकी अह्ह्हू जी कर रहा है रगड़ डालू

राहुल को झुक कर शालिनी की चुचिया मिजते देख कर अरुण का भी जी लल्चा गया और वो भी झुक्कर चुचिया छूने लगा

शालीनी समझ गयी अब इनका मूड बदल रहा है और वो खड़ी हो गयी और
दोंनो के दूध की टंकीयो पर टुट पडे

शालिनी मचल उठि वो खड़े खड़े अपनी टागे आपस मे घिसने लगी और उसकी चुत पर चींटिया रेंगने लगी - अह्ह्ह बच्चो आराम से लल्ला अह्ह्ह काटों मत ओह्ह्ह उम्म्ंम तुमने तो मेरी चुत की आग फिर से भड़का दी अह्ह्ह्ह सीईई

अरुण उसकी चुचिया चुसता हुआ लपक कर शालीनी की बुर पर हथेली घुमाने लगा - अह्ह्ह मामी आपकी बुर तो तप रही है उह्ह्ह्ह

शालिनी - हा लल्ला अह्ह्ह राहुल क्या कर रहा है

राहुल जो उसकी गाड़ के दरारो के ऊंगलियां घुसा रहा - आह्ह मम्मी मुझे भी आपकी गाड़ चाहिये

शालिनी - आह्ह बेटा बहुत कसी है वो ,तेल लेके आ ना वो आलमारी से
राहुल लपक कर जबतक आल्मारि से तेल की सीसी ढूढता तक अरुन के शालिनी को सोफे पर लिटा कर उसकी चुत मे लन्ड उतार चुका था - ओह्ह्ह हा बेटा ऐसे ही अह्ह्ह्ह और तेज उह्ह्ह बहुत टाइट है अह्ह्ह और और उह्ह्ह कितना मस्त लन्ड है रे तेरा ओह्ह्ह और और

अपनी मा की तेज सिस्किया सून कर और कमरे का ।नजारा देख कर राहुल का लन्ड फड़फ्ड़ाने लगा और वो जल्दी जल्दी दराज खोल कर तेल खोजने लगा और जल्द ही वो उसे लेकर अपनी मा के पास पहुचा

राहुल को सुपाड़े पर तेल लभेड़ता देख शालीनी - हा बेटा अच्छेह्ह अह्ह्ह सीई लगा लेह्ह्ह उम्म्ंम और मेरे पर भी लगा ओह्ह्ह अरून उम्म्ं बाबू उह्ह्ह

राहुल ने शालिनी की गाड़ के सुराख पर भी तेल लगाया और सुपाडा टिका कर हचाक से उतार दिया - अह्ह्ह मैयाहहहह ओह्ह्ह सीई कितना जल रहा है रे अह्ह्ह्ह

राहुल - बस बस मम्मी घुस गया है अह्ह्ह्ह बहुत कसा है अह्ह्ह्ह हुहू हिहिही कितना टाइट है अह्ह्ह्ह ओह्ह मेरी सेक्सी मम्मा आह्ह मेरी चुद्क्कड रन्डी मा अह्ह्ह

शालिनी एक बार फिर दोहरे लन्ड का मजा पाकर रोमांचित हो उठी - अह मेरे ।चोदू बेटा चौद अपनी मा को अह्ह्ह और और ओह्ह कितना मजा आ रहा है आह्ह ऐसे ही आज मेरी चुत और गाड़ की चटनी बना दो उह्ह्ह

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अरुण - हा मेरी जान आज तो इसको फाड़ देंगे अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह साली कुतिया उह्ह्ह मन कर रहा ऐसे हचर ह्चर पेलता रहू

राहुल -ओझ्ह मेरी रंडी मा कैसा लग रहा है दो दो लन्द लेके अह्ह्ह्ह
शालीनी - अह बेटा बहुत मजा आ रहा है उह्ह्ह और चोदो अह्ह निकल रहा है मेरा बेटा रुको मत अह्ह्ह्ह सीईई

राहुल और अरुण तेजी से बुर और गाड़ मे पेलने लगे , शालिनी की चुत बजबजा कर झडती रही -अह्ह्ह मादरचोदो और पेलो अह्ह्ह फाड़ दो अह्ह्ह और और उह्ह्ह्ह उम्म्ं

इधर इनकी चुदाई पीक पर थी वही दूकान मे जन्गी की बेचनी कम नही हुइ थी ।
रात मे उसके अरमान पर शालिनी पानि फेर चुकी थी और जाने कबतक उसकी नाराजगी आगे तक रहने वाली थी ।
इनसब के बिच आस की एक मात्र किरन उसे रंगी ही नजर आ रहा था
उसे अपने भैया से बात करनी पड़ेगी
इधर उसका दिमाग उलट पलट हो रहा था तो वही कमरे मे राहुल और अरुण शालिनी को उलट पुलट कर चोदने मे लगे थे

अब राहुल निचे से शालीनी की गाड़ मार रहा था और अरुण आगे से चुत
अरून के करारे तेज झटको से उसका लन्ड भाले की तरह शालिनी की चुत की जड़ मे चोट कर रहा था और शालिनी बुरी तरह चिख रही थी

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दोनो कडक लन्ड आज थकने वाले नही लग रहे थे - अह्ह्ह बेटा ओह्ह्ह फिर से आ रहाहै मेरा ओह्ह्ह ओह्ह्ह और और रुकना मत अह्ह्ह्ह

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अरुन - आह्ह मामी आपका पानी बहुत गर्म है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह उम्म्ंम
शालिनी - हा बेटा ज्ल्दी कर अब तु भी निकाल ले , 12 बजने वाले है अह्ह्ह

अरुण - अभी निकल जायेगा मामी बस आपको ।थोड़ा सा दर्द सहना होगा
शालिनी - क्या कैसा दर्द
अरुन मुस्कुराया और शालिनी के रस से लिभडाया लण्ड निकाल कर शालिनी के गाड़ के सुराख पर रखने लगा ,जिसमे पहले से ही राहुल का मुसल जड़ तक घुसा हुआ था - अह्ह्ह नही नही बेटा मै नही कर पाउगीअह्ह्ह पलिज मान जा

तभी राहुल उपर कर उसकी बुर सहलाता हुआ - डरो मत मम्मी मै हु ना

शालिनी - तु क्या करेगा फटेगी मेरी ना अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मत कर अरुण मान जा बेटा अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह नहीईई न्हीईईईईईईईईईई उम्म्ंममममहहहह रुक जाअह्ह्ह्ह्ह मादरचोद अह्ह्ह्ह रुक रुक अब रोक दे अह्ह्ह और नही
अरुन अपना सुपाडा घुसेड़ चुका था - बस मामी अब तो बस धक्का लगाना है

राहुल - आह्ह भाई बहुत कस गया है मेरा लन्ड ओह्ह्ह
अरुण - अह्ह्ह मामी बहुत टाइट है अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्म्ंमममं क्या गाड़ है मेरी चुद्दो मामी उह्ह्ह्ह आज तो फाड़ दूंगा अह्ह्ह मेरी सेक्सी रंडी मामी

शालीनी - आह्ह साले हरामी आपनी मा के भोस्डा मे डाल मे चार चार अह्ह्ह मेरी क्यू फाड़ रहा है अह्ह्ह्ह बहिनचोद निकाल दे उह्ह्ह अह्ह्ह्ह न्हीईईई ओह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह उझ्ह्झ्ज

निचे से राहुल ने उसकी बुर के दाने को सहलाने लगा और हौले हौले अरुण लन्ड घुसेड़ने लगा - अह्ह्ह भाई तु भी आगे पीछे कर अह्ह्ह देख जगह बन रही है अह्ह्ह ऐसे ही हिहिह8। साले लौडा गरम है तेरा भ

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राहुल - अह्ह्ह भाई मा की गाड़ बहुत आग फेक रही ओह्ह्ह मम्मी आह्ह मेरी रंडी मा मजा आ रहा है ना दो दो लन्ड से फड्वा कर आह्ह बोल ना

राहुल उसकी बुर के फाके रगड़ कर उससे कबूलवाने लगा और दोनो भाई अब बारि बारि आगे पीछे कर शालिनी के गाड़ दीवारे चौड़ी करने लगे
शालिनी की चुत एक बार फिर कुलबुलाने लगी और उसकी चुत की गर्मी बढने लगी - अह्ह्ह हा बेटा आ रहा है लेकीन दर्द हो रहा है अह्ह्ह अह्ह्ह लग रहा है दो दो लाठी घुसा रखा है अह्ह्ह

राहुल - ओह्ह मा उह्ह्ह्ह तुम्हारी गाड़ क्प देख देख कर हम पागल हो जाते है आज मौका मिला तो मिल कर फ़ाड रहे है अह्ह्ह मम्मीई ओह्ह कस क्यू रही हो अह्ह्ह

शालिनी - आज पिस दूंगी इसी मे तेरा लन्दह्ह्ह्ह मुझे दर्द दिया ना अह्ह्ह लेह्ह अब तु भी तडप , अह्ह्ह्ह साले हरामी अरून मादरचोद अह्ह्ह्ह हाथ हटा मेरी बुर से अह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा हौआ हहहहह ओह्ह्ह्ह्ह फिर आ र्हा है मेरा

शालीनी चौथी बार झड रही थी दोनो के आगे और इस जोश से अरुन्ं मे तेजी से लण्ड उसकी गाड़ मे ठेलनेलगा

राहुल - आह्ह भाआई निकाल बाहर फट जायेगा अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह माह्ह्ह्ह आयेगा मेरा भी ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अरुण भी अपना लन्ड खिंचता हुआ - ओह्ह्ह येस्स्स मामी आओ जल्दी आ रहा है

शालिनी झट से उठ कर घुटनो के बल होने लगी और अरुण की पिचकारि छूट पड़ी

मुह आंख गला चुचिया सब नहलाने लगा , वो वीर्य की धार मे जैसे शालिनी पर मूत रहा हो और हर पिचकारि के साथ शालिनी का चेहरा सनाने लगा

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तभी एक और मोटी पिचकारि से गाढ़ी मलाई उसके लसराये मुह पर गयी - ओह्ह्ह मेरी रान्ड़ मम्मीई लेह्ह आह्ह तुझे नहला दन्गा ओह्ह्ह लेह पी जा अह्ह्ह्ह मम्मीई ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह
अरुण- अह्ह्ह मेरी सेक्सी मामी क्या मस्त खिल रही हो एक फोटो तो बन्ता है आपके इस रूप का

शालिनी भी संतुश्त थी तो अरुं के सेलफी मे सामिल हो गयी ।
जिसमे अरुण अप्ना लण्ड शालिनी केवीर्य से सने मुह के आगे रखा हुआ और वो उसके आगे मुह खोले दिख रही थी ।
मानो खा जाने का इशारा हो
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शालिनी - किसी को दिखाना मत
अरुण - ना ना बिल्कुल नही मेरी जान, ये तो जाने के बाद अपनी मामी को याद रखुन्गा उसके लिये हिहिही

राहुल - भाई मेरी भी ले ना एक मा के साथ
शालिनी ने उसके साथ भी उसी अवस्था मे पोज दिया ।

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शालिनी - चलो चलो अब जाओ तुम सब और मुझे नहाना पडेगा

और जैसे ही शालिनी उठी उसकी कमर मे लचक सी आई- अह्ह्ह आऊचछच उह्ह्ह मर गयी रेहहह

दोनो भाई शालिनी की ओर लपके और उसे सहारा दिया
फिर छिपते छिपाते बाथरूम मे पहुचाया

ठन्डे पानी से नहाने के बाद शालिनी के बदन मे थोड़ी स्पुर्ती आई और वो किसी तरह दोपहर के खाने परोसने की तैयारि मे लग गयी ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 218

अमन के घर

दोपहर के खाने के बाद ममता, दुलारी और संगीता को लेकर कुछ खरीदारी के लिए बाजार निकल गयी ।
मदन अपने कमरे मे आराम फरमा रहा था तो रिन्की दुलारि के कमरे मे दो घन्टे से सो रही थी जबसे अमन ने उसकी चुत फाडी थी ।
इधर अमन भी सोनल के साथ कुछ प्रेम भरे पल बाट रहा था । सोनल भी कल के लिए अपने घर वालो से मिलने के लिए उत्साहित थी

दोनो प्रेमी आपस मे एकदूसरे से लिपटे हुए थे और अमन की दिलीइच्छा थी कि इस बार निशा भी आये ।
सोनल उसे छेड़ते हुए तुनक कर - आपको तो उसके काले अंगूर का ही रस पीना है , यहा मेरी गुलाबी मीठी किस्मिस की कली सूख रही है उसका नही ध्यान

अमन सोनल के प्यार भरे ताने से भितर से सिहर उठा और उसका खुन्टा लोवर मे हरकत करने लगा । उसने सोनल को अपनी ओर कसा और अपने तम्बू का बम्बू उसकी साडी के उपर से उसकी चुत पर चुभोता हुआ - ओह्ह्ह मेरी जान तेरे इस गुलाबी किस्मिस के दाने को अभी गीला कर देता हु

ये बोलकर अमन ने सोनल की मोटी उभरी हुई ब्लाउज से झाकती छातियो पर हाथ फेरा और सोनल सिहर उठी - अह्ह्ह मेरे राजाह्ह्ह्ह उम्म्ंम सीईई ना जाने आपमे क्या जादू है बाबू छूते हो और ये खड़ी हो जाती है

अमन उसकी मुलायम दूध से भरी मोटी पपीते सी छातियो को हाथ मे भर कर मिजता हुआ ब्लाउज के उपर से निप्प्ल वाली जगह को मुह मे भर काटता है - उम्म्ंमममं सीईई ओह्ह मेरी जान तुम्हारी इन्ही रसदार boobs का ही तो दीवाना हु मै उम्म्ंम

सोनल- अह्ह्ह माय बेबी उम्म्ंम सक इट उह्ह्ह मेरा बाबू उम्म्ंम ओह्ह आराम से ईईइस्स्स्स

तभी दरवाजे पर दसतक हुई और दोनो अलग हुए , इस अचरज और शंका भरे भाव से घर की औरते तो बाजार गयि है फिर कौन उपर आकर उन्हे परेशान करेगा
तभी अमन का दिमाग ठनका और उसे अपने बाप की याद आई । वो जल्दी से उठ कर खड़ा हुआ और हड़बड़ाहट भरे लहजे मे - उठो उठो , पापा है !

ससुर के आने की बात पर सोनल की भी हालत खराब हुई जल्दी जल्दी वो भी खड़ि होकर अपने जोबनो पर आन्चल डाला और साडी सही करने लगी ।

अमन ने अपना लन्ड सेट करने को कोसिस की मगर कोसिस नाकाम ही रही , उसका लन्ड मोटे रॉड की तरह अभी भी उसके लोवर मे उभरा हुआ साफ नजर आ रहा था ।

बड़ी मुश्किल से दरवाजे के ओट मे खुद को छिपाते हुए उसने दरवाजा खोला और सामने मुरारी था ।
सारी हकीकत से परिचित होने के बाद भी अमन ने उस्से सवाल किया - अरे पापा आप यहा ? फ़ोन कर देते !

मुरारी झिझक भरे लहजे मे अमन के पीछे खड़ी सोनल को एक नजर देखा जो सन्सकार बस मुस्कराती हुई अपने सर पल्लू कर रही थी

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और अनायास मुरारि की नजर अपनी नयी नवेली बहु के चिकने पेट के किनारो पर चली गयि , जिसकी कोमलता और मलाई सी गोरी चमडी देख कर मुरारी एक पल के लिए सम्मोहीत सा हो गया , मगर अगले ही पल उसने खुद को उस नजारे से अलग किया - अह फ़ोन किया था मैने , तुने उठाया नही ।तुझ्से थोडा काम है जरा निचे आना

ये बोलकर मुरारी घूम कर वापस जाने लगा और फिर घूम कर - और वो समान कल मगाया था वो लेते आना ।

जाते जाते एक बार फिर मुरारी ने सोनल की चिकनी कमर पर नजर मारनी चाही मगर इस बार देखा तो सोनल मे सब कुछ अच्छे से ढक रखा था । उस पल भर मे ही मुरारी समझ गया कि सोनल ने उसकी चोरी पकड ली और वो बिना अपनी बहू की ओर देखे चुपचाप निकल गया ।
सोनल ने पार्सल के बारे पूछा तो अमन के बात बदल दी और वो पैकेट लेकर निकल गया नीचे

वही मुरारी अपने कमरे मे बेचैन टहल रहा था जैसे ही अमन कमरे मे दाखिल हुआ उसकी चेहरे पर मुस्कान छा गयी - आ गया बेटा आ आ बैठ
अमन मुस्कुरा कर सोफे पर बैठ गया और मुरारी हसता हुआ - माफ करना बेटे मैने तेरे और बहू के एकांत के पल में डिस्टर्ब कर दिया ।

अमन लजाता हुआ मुस्कुरा कर - क्या पापा ऐसा कुछ नही कर रहे थे हम लोग , सची मे
मुरारि - वो जब तु दरवाजे के पीछे छिपा था तभी मै समझ गया है हाहाहा अरे मुझसे क्या शर्माना , ऐसा तो मेरे साथ भी हुआ है कई बार हिहिहिही

अमन - हैं सच मे ? कब ?
मुरारी- अरे वो तब जवानी के दिनो की बात थी , गाव वाले घर मे मुश्किल से तो तेरी मा के साथ समय मिलता था और ज्यादातर तो हाहहहा
अमन - क्या ज्यादातर ?
मुरारी हस्ता हुआ - अरे वो तुम जवान लोग आपस मे आजकल क्या बोलते हो ? एलकेपीडी ...

अमन हसता हुआ - वो केएलपीडी होता है पापा हाहाहा
मुरारी हस्ता हुआ - हा वही खड़े लन्ड पर धोखा हाहाहा यही मतलब है ना उसका
मुरारि के यूँ खुल कर मजाक करने से अमन थोडा सा लाज से झेप जाता है और मुस्कुरा कर - जी

मुरारी अपनी बात आगे बढ़ाता हुआ - और उसपे से तेरी मा , खूब नखरिली हाहाहा मुझे सताने मे ना जाने क्या मजा आता है उसे ।

" वो तो सबकी बिवियाँ करती है ", अमन बहुत महिन सा बुदबुदाया मगर मुरारि के तेज कानो ने उसकी आवाज को पकड़ लिया ।

मुरारि हस्ता हुआ - अच्छा तो बहू भी कुछ नही है हाहाहा , वैसे रात मे क्या हुआ ?

अमन के कान खड़े हो गये कि ये क्या पूछ रहा है उसका बाप ।
अमन - मतलब ?
मुरारी धीमी आवाज मे उसके पास होकर - अरे वो रात मे दिया था ना , वो यूज किया कि नही ?

अमन लाज भरि मुस्कुराहट के साथ - हम्म्म किया ।

मुरारी का खुन्टा एकदम कड़क होने लगा उसे जानने की उत्सुकता भी थी और झिझक भी हो रही थी
हिम्मत कर मुरारी ने पूछ ही लिया - कितनी बार
अमन मुस्कुरा कर - आपने जितनी बार कहा था

मुरारी का लण्ड एकदम से फड़फडा उठा - और बहू , उसने ऐतराज नही किया ?

अमन - उहू ... मेरे ख्याल से उतना नानुकुर सब बिवियां करती होगी बस उतना ही उसने भी किया ।

मुरारी हसता हुआ - वैसे पूछना तो नही चाहिये लेकिन कैसा लगा तुझे उस समय

अमन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी मगर शर्म से लाल होते उसके गाल भी साफ नजर आ रहे थे - अह अब कैसे बताऊ , आपको तो पता है कैसा लगता है । इसमे बताने जैसा क्या है पापा ?
मुरारी पैर फैला कर अंगड़ाई लेता है और पजामे मे बना हुआ उस्का तम्बू साफ साफ अमन को दिखता है - अह्ह्ह अब क्या बताऊ अमन तुझे और बहू को देखता हु तो अपने जवानी के दिन की यादे ताज़ा हो जाती है । शुरुआती दिनो की वो मीठी शरारतें , घर मे चोरी छिपकर तेरी मा के देह से छिपकना खेलना उम्म्ं वो यादे उफ्फ़फ्फ

अमन खिलखिलाता है तो मुरारी मुस्कुरा कर - हा भाई सच कह रहा हु , तुझे तो तेरा अपना कमरा मिला है , गाव मे होता तो पता चलता कैसे रात के सन्नाटे मे सासे थाम कर सिसकिया घोट कर चुदाई करते हैं ।
अमन हस रहा था
मुरारी- लेकिन उस तकलिफ मे भी मजा होता था जब हम अपनी मस्तियाँ पूरी करने मे कामयाब हो जाते थे । जब मै तेरी मा के भीतर झड़ जाता था सारी खुन्नस सारी शिकायते सब बह जाती थी ।

अमन गला साफ करता हुआ चोर नजरो से अपने बाप को उसकी यादो मे खोया हुआ अपना मोटा मुसल पजामे के उपर से मसलता देखता है और खुद भी अंगड़ाई लेकर अपना लन्ड मसल कर सीधा करता हुआ - आह्ह पापा लो ये आपका पार्सल

मुरारी- अरे हा खोल खोल देखता हु जरा
अमन फटाफ़ट से पैकेज खोलता है और फिर उसमे से ब्रा पैंटी को निकाल कर अपने पापा को देता है ।

मुरारी उस नरम मुलायम महिन सूत वाले कपड़ों के बने ब्रा और पैंटी का मखमलीपन अपनी उंगलियो मे मह्सूस करता हुआ उन्हे अपने नथुनो तक ले जाता है - उम्म्ंम्ममम्ंम्ं वाह एकदम फ्रेश है

अमन अपने पापा की कामुकता को अजीब नजरो से निहारता है - क्या सुँघ रहे हो पापा
मुरारी हस कर - ओह मुझे ये नये ताजे कपड़ो की खुशबू अच्छी लगती है और जब इसमे तेरी के देह की खुस्बू भीन जायेगी उह्ह्ह्ह तब तो येहहह ओह्ह्ह्ह्ह

अमन अपनी मा के जिस्म की खुस्बू के नाम से ही गनगना गया और उसका मुसल हथौड़ा सा हो गया । गुपचुप से उसने अपना मुसल खुजाया ।

मुरारी- और इसका कलर बहुत खिलेगा तेरी मा पर और इस रंग की चुन्नी भी तो है उसके पास

अमन - चुन्नी ? इसपे चुन्नी का क्या काम ?
मुरारी खिलखिला कर हसता हुआ अमन के कंधे पर हाथ घुमाता है - हाहाहाहा तु भले ही इस जमाने का है मगर शादीशुदा जीवन के मजे लेने मे पीछे ही रहेगा अपने बाप से

अमन - मै समझा नही पापा , आखिर ब्रा पैंटी के साथ उसकी मैचींग चुन्नी का क्या काम?

मुरारी- क्या काम!! बेटा तुझे एक बार की बात बताता हु
हुआ यूँ था कि शादी के कुछ महीने बाद एक रिस्तेदार के यहा शादी मे घर के बाकी जन गये हुए थे और चूकि तेरी मा अभी नयी ब्याही आई थी तो उसको साल भर तक किसी के यहा जाने पर मनाही थी और उसकी देख रेख का ख्याल रखने के लिए मुझे रुकना पड़ा था
अमन - अरे वाह फिर
मुरारी अमन की चहकपने पर हसकर - बताता हु भाई सुन

पूरे 3 रोज के लिए घर के सारे लोग गये थे और मैने तेरी मा को इस बात के लिए मनाने लगा कि वो फिर से शादी वाला लाल जोडा पहने , बहुत नानुकुर और प्यार जताने पर वो मान ही गयी
अमन - मतलब फिर से सुहागरात हिहिही

मुरारी- हा ऐसा ही कुछ फिर मुझे ख्याल आया क्यूँ ना उसके लाल जोड़े को पुरा करने के लिए लाल रंग की ब्रा पैंटी भी ला दूँ और उसी रोज मै बाजार जाकर ले आया ।
उस रोज तेरी मा बहुत खुश थी लेकीन जब मैने कहा कि मुझे इसे पहन कर दिखा तो वो शर्मा कर मना करने लगी।

अपने पापा की बातें और अपनी मा को लाल रंग की ब्रा पैंटी मे सोच कर ही अमन का लन्ड बौरा गया , वो अपना मुसल रगड़ते हुए सिसका - फिर पापा क्या हुआ , क्या मा पहन कर आई ?

मुरारी- हा बेटा और वो नजारा आजतक नही भुला उफ्फ्फ जैसे ही मै कमरे मे दाखिल हुआ मेरा मन मचल उठा , दिल खुशी से उछलने लगा , सामने तेरी मा बिस्तर के पास खड़ी थी उसने अपने सर पर शादी की विदाई वाली लाल चुनरी ओढ़ कर घूँघट कर रखी थी और गले से निचे उसका गोरा संगमरमरी बदन मेरे दिये तोहफो से सजा हुआ था ।

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वो छींट वाली प्रिंट की ब्रा उसके तंदुरुस्त दूध पर कसे हुए थे और वो पतले पट्टी वाली लाल कच्छी उसकी जांघो के बीच से जैसे कमल सी खिल उठी थी ।


अमन का दिल अपने पापा की बाते सुन कर जोरो से धड़कने लगा उसका लन्ड अपनी मा को लाल ब्रा पैंती मे सोच कर पुरा फडकने लगा , चेहरे पर कामुकता साफ साफ हावि दिख रही थी । वही मुरारी बड़ी बेबाकी और बेहिचक होकर अमन को सारी बाते बता रहा था

मुरारी- सच कह रहा हु बेटा अगर तु उस समय अपनी मा को देख लेता तो तु भी उसका दिवाना हो जाता हाय्य्य

और उसने अमन की ओर देखा जो आंखे बन्द किये तेज तेज सासे ले रहा था और उसका हाथ उसके लन्ड को भींच रहा था । मुरारि समझ गया कि अमन अपनी मा को अपनी कल्पना मे देख रहा है ।

मुरारी- बस आज रात वो यादे ताज़ा होने वाली है ,आज की रात मै उसे फिर तैयार होने को कहुगा
अमन - हा पापा मै भी

मुरारी चौककर - क्या मतलव
अमन हस कर - अरे मतलब आज मै भी सोनल को ऐसे ही तैयार होने को कहूँगा , वैसे क्या मा ने सारे साज सृंगार किये थे या बस चुन्नी ली थी ।

मुरारी हस कर - अरे सबर कर ले , कल मै तुझे उसकी फोटो दिखाऊँगा फिर तु समझ जायेगा

अमन की आंखे चमक उठी - क्या सच पापा ?
मुरारी मन मे उभरते लालच को दबाता हुआ - हा उसमे क्या है , तु उसका ही बेटा है गैर थोड़ी ।

मुरारी ने इस बात के साथ अपना दाव खेल दिया था इस उम्मीद मे कि शायद ममता के बदले अमन सोनल की भी तसविरे उसे दिखाये और अपनी हीरोईन सी सेक्सी गोरी चिट्टी बहू को ऐसे तैयार होकर देखने के बारे मे सोच कर मुरारि का जजबात उबाल मारने लगे
मगर उसने अपने जजबात को काबू मे रखा और संयम से इंतजार करना सही समझा ।


राज के घर

रागिनी अनुज को लेकर दोपहर का टिफ़िन लेके बाजर के लिए निकल गयी थी , निशा भी किचन के काम निपटाने के बाद नहाने के लिए उपर जा चुकी थी

वही रागिनी के रूम मे शिला और रज्जो आपस मे मिलाप कर रही थी , शिला अपनी बड़ी सी तरबूज सी गाड़ फैलाये कुर्ती उठाए आगे झुकी हुई थी

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रज्जो उसकी नंगी गोरी गाड़ को सहलाती हुई उसके नरम मुलायम चुतड पर पन्जा जड़ती है जिससे शिला सिस्क पड़ती है - अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह मान जाओ ना प्लीज एक बार

रज्जो उसकी गाड़ की दरारो मे उंगलिया घुसाती हुई सुराख मे उंगली पेल दी - अह्ह्ह तुम समझ नही रही हो दीदी उम्म्ंम रमन के पापा नाराज हो जायेन्गे

शिला - अह्ह्ह भाभीईई उह्ह्ह्ह उफ्फफ़फ़ उम्म्ंम खा जाओ उम्म्ंम्ं और चाटो उम्म्ं ये अनुज मुये ने मेरी चुत की खुजली बढा दी अह्ह्ह्ह सीईई

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रज्जो शिला की टाँगे खोले उसकी चुत पर जीभ चला रहा थी और चाट रही थी ।
शिला - आह्ह भाभीईई बस तुम हा करो । वहा तुम्हे वो मजा मिलेगा वैसा तुमने कभी नही लिया होगा


रज्जो उसकी चुत से अलग हुई और अपनी नंगी छातिया मिजने लगी

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शिला ने अपने पैर उसके गुदाज चुचो पर रख कर निप्प्ल पर सहलाने लगी जिस्से रज्जो की सासे उखड़ने लगी - ऊहह छोडो ना दिदी , चलो ना नहाते है आओ

ये बोल कर रज्जो उठ खड़ि हुई और अपनी कमर मे अटकी पेतिकोट को सरका कर सिर्फ पैंटी मे आ गयी और कुल्हे हिलाती मुस्कुराती हुई बाथरूम मे चली गयी ।

शिला भी अपनी कुरती उतार कर फेक दिया और तौलिया लेकर बाथरूम मे दाखिल हुई और उसकी नजर रज्जो के पर गयि
अपने जिस्म से ब्रा उतार कर पूरी नंगी हो रज्जो के करीब गयी और उसको पीछे से जकड़ लिया - अह्ह्ह भाभीई मेरी जान मान भी जाओ ना बस कुछ रोज की ही बात है

रज्जो के चुचो पर शिला के रेंगते हाथ उसने कस कर पकड़ लिये तो शिला ने उसकी चुचिया मिजनी शुरु कर दी - अह्ह्ह्ह दिदीईई उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

शिला - थोडा सा भरोसा रखो मेरी जान उम्म्ंम वहा तुम्हारा बदन और निखर जाएगा

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"और तुम्हारे ये गोल मटोल तरबूज के चुतड उम्म्ंम्म्ं" , शिला निचे बैठ कर रज्जो की पैंती के गाड़ से सरकाती हुई उसे चूमती हुई निचे करने लगी ।

शिला - ओह्ह भाभी तम्हारी ये गाड़ उम्म्ं इसको ऐसे ना तरसाओ इसमे तो जमाने भर के लन्ड घुसाने की जगह है उम्म्ंंम्ंम्ं सीईई

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शिला रज्जो की गाड़ मसलती हुई उसके चुसने चाटने लगती है - अह्ह्ह्ह दीदी उउम्ंंंं ओह्ह्ह पर मुझे डर लगता है अह्ह्ह रमन के पापा को क्या कहुगी मै उम्म्ं

शिला उठ खड़ी हुई और घुमाती हुई उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिये , रज्जो ने भी उसके होठ चुसने शुरु कर दिये
दोनो रसभर अधर एकदुसरे मे घुले जा रहे थे और उनकी नगन छातियां आपस मे चुभ रही थी ,
रज्जो के हाथ शिला की मक्खन सी जांघो को उठा हुए उसके चर्बीदार चुतडो को सहला रही थी ।
रज्जो - अह्ह्ह मेरी जान मेरे सैयया मतल्ब रमन के पापा तो अभी से मेरे बिना पागल है , वो और मुझसे दूरी नही सह पायेंगे अह्ह्ह्ज समझ ना

शिला उसके गाड़ को पक्ड कर अपनी ओर उसको खिंचती हुई - तेरे उस गाड़ चतोरे साजन की फिकर ना कर उसको कैसे मनाना मै जानती हु मेरी चुदक्क्ड घोडी तू हा कर बस

रज्जो ने मुस्कुरा कर शिला को देखा - मतल्ब दीदी तुम कैसे ? शिला शर्माई और बोली - तेरे साजन बहुत कुछ तुझसे छिपाते है मेरी सजनी

रज्जो ने आगे बढा कर शिला के बुर टटोलती हुई - मतलब इस भोस्ड़े मे भी उन्होने खुन्टा गाड़ दिया उम्म्ंम

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शिला मुस्कुराती हुई सिसकी तो रज्जो ने उसकी दोनो निप्प्ल पक्ड कर नोचती हुई उसे अपने अपनी बाहो के भर के उसके होठ चुसने लगी - अह्ह्ह साली रंडी तु तो मेरा ही माल खा गयी उम्म्ंम अब देख कैसे तेरा माल मै खाती हुई वो भी तेरे घर मे घुस कर

शिला खिल उठी - तो क्या सच मे भाभी तुम चलोगी
रज्जो - हा चलूँगी ना , अगर तु मेरी चुत चाट कर खुश कर दे

शिला मुस्कुरा कर उसकी बुर सहलाने लगी - उम्म्ं मेरि सेक्सी रान्ड़ इसमे मेरा ही फाय्दा है आजा

शिला सरकर निचे हो गयी और रज्जो ने उस्के मुह पर अपनी बुर रख दी

वही उपर नहाने के बाद निशा निचे आने लगी ये खोज खबर लेने कि अगर घर की बाकी औरते बिजी हो तो वो अरून के लैपटॉप मे पोर्न्ं देख पाये

चुपचाप दबे पाव वो निचे हाल मे आई और निचे पुरा सन्नाटा पसरा हुआ था और गेस्ट रूम का दरवाजा खुला
कही कोई नजर नही आया तो निशा रागिनी के कमरे की ओर बढ़ी
दरवाजा खुला हुआ था और बाथरूम से तेज सिस्किया और अवाजे गूंज रही ।

निशा ने भागकर सबसे पहले मेन गेट चेक किया और वापस आई उसकी सासे तेज चल रही थी तेज कामुक सिसकियाँ सूनकर उस्के जहन मे समझ आ रही था किसी की तगडी पेलाई चल रही थी मगर किसकी ?

उसके निप्प्ल कडक हो गये और सासे दुगनी गति से चल रही थी , कलेजा थाम कर जैसे जैसे वो दरवाजे की ओर बढ़ रही थी उसको रज्जो की साफ और स्पष्ट गाली भरी चीख सुनाई दे रही - अह्ह्ह बहिनचोद चाट ओह्ह्ह ऐसे उम्म्ं खा मेरी बुर उह्ह्ह ओह्ह आज तुझे नहला दूँगी अपनी रस से ओह्ह्ह्ह एल्ह्ह्ह उम्म्ंम

निशा के कान खड़े हो गये कि रज्जो किसकी मुह पर अपना भोस्डा रग्ड रही है और जैसे ही उसने बाथरूम मे झाका तो देखा ,

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बाथरूम की फर्श पर शिला बुआ फैली हुई गरदन उठा हुए थी और रज्जो मौसी अपनी चुत उनके मुह पर दर रही थी - लेह्ह्ह साली कुतिया चाट उम्म्ंम पी जाह्ह्ब उह्ह्ह मादरचोद उह्ह्ह लेह्ह्ह ओह्ह्ह ओझ्ह शिलाअह्ह्ह मेरी जान उम्म्ंम आ रहा है ओह

निशा की आंखे फटी की फटी रह गयी कि रज्जो मौसी और शिला बुआ एक साथ ऐसे , अन्जाने मे उसके मुह यही निकला - ओह्ह गॉड बुआ मौसी आप लोग ?


दोनो चौके और निशा को देख कर खड़े हो गये शिला की हालत खराब थी वो रज्जो से फुसफुसाई - अब क्या करे
रज्जो- अरे शिकार खुद चल कर आया तो हलाल होगा

रज्जो - तु यहा कया कर रही है ये , इधर आ पहले

निशा - हा लेकिन आप लोग ऐसे ? दरवाजा बन्द कर लेते
रज्जो- तु बड़ी समझदार है उम्म्ं इधर अभी तुझे ठिक करती ह
ये बोल कर रज्जो ने उसे पकड़ कर खिंच और लोवर के उपर से उसकी चुतड़ पर थपेड लगाती हुई - किसी के कमरे मे जाने से पहले दरवाजा खटखटाना चाहिये ना

निशा - अह्ह्ह सॉरी ना मौसी , लेकिन आप लोग ये सब क्या कर रहे थे अह्ह्ज्ज

रज्जो - दीदी इसको भी अनुज की तरह सजा दो , कपडे उतारो
अनुज की तरह सजा का मतलब कुछ कुछ समझ आ रहा था निशा को - क्या मतलब अनुज की तरह सजा, उसने भी देखा क्या आप दोनो

शिला उसका लोवर खिंच कर - देखो तो कैसे सवाल जवाब कर रही है हा ,बहुत बिगड़ गयी है तु भी
ये बोल कर शिला के चुतड़ पर चट्ट से पन्जे जड़ देती है जिस्से निशा का जिस्म झनझना जाता है -अह्ह्ह बुआ मार क्यू रहे हो ओह्ह्ज उम्म्ं

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इधर रज्जो ने उसकी पैंती पकड़ कर खिंचती हुई - उसके गाड़ पर थपेड़ लगाती हुई - देखो तो इस्क्प एक तो चोरी उसपे से सिना जोरि

निशा - अह्ज्ज मैने किया क्या है लेकिन
रज्जो - अरे दिदी यही तुम्हारा बड़ा वाला समान लेके गयी थी
शिला - क्या सच मे ? ये लडकी बोल कहा रखा है उसे ,

रज्जो ये ऐसे नही बोलेगी इसको कमरे मे के चलो और

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फिर रज्जो उसे टांग लिया और कमरे मे घोडी बना कर उसकी पैटी खिंच कर उसकी गाड़ पर थपेड लगा कर - बोल कहा रखा है तुने उसे

निशा - आह्ह क्या बोल रही हो मौसी मै कहा लाई थी
रज्जो - मैने साफ साफ देखा था दिदी इसको कमरे से निकलते हुए ,

शिला - तभी तो मै सोचू इसकी जवानी कैसे निखर रही है आह्ह अभी से इसने घोट रखा है इतना सारा
रज्जो - बोल देगी की नही वापस

निशा - मै नही लेके गयी थी बुआ बोलो ना मौसी को
रज्जो - ये ऐसे नही मानेगी रुक

रज्जो ने उसे लिटाया और उसके मुह पर बैठ गयी - उम्म्ंम बोल ऐसे ही तेरे ये जोबन मोटे हुए है उम्म्ंम

शिला - हा रुको मै भी निचे से चेक करती हु सारी सच्चाई खुल जायेगी ये बोल कर शिला ने उस्की टांगो से पैंती खिंच कर अलग कर दी , उसकी बजबजाती बुर पर हाथ फेर कर उसके फाके अलग करती हुई - हम्म्म्म साफ साफ लग रहा है इसने घुसाया उम्म्ंम

निशा - आह्ह सीईई ओह्ह्ह बुआ क्याअह्ह्ह कर रही हो उम्मममंम्ं ओह्ह्ह
रज्जो - साली रंडी ले चाट अह्ह्ह्ह बोल मत , तेरा भेद खुल गया है अह्ह्ह उम्म्ंम

निशा मुस्कुराई और आंख मारते हुए रज्जो से हल्के से बोली - लेकीन ड्रामा करने मे माजा आ रहा है

निशा हसती हुईई - ओह्ह्ह बुआ ये क्या कर रही हो अपनी बेटी के साथ उह्ह्ह्ह मत चाटो उसकी कुवारि चुत को अह्ह्ज सीईयियो
रज्जो निशा की शरारत पर हस पड़ि और अपनी बुर को उसके मुह पर रख दी जिसे निशा चाटने लगी

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वहि शिला भुखी शेरनी की तरह निशा की बुर पर टुट पड़ि थी , उसके सपने आज हकिकत हो रहे थे , दिल मे जो अरमानो का बाग लेके आई थी वो खिल रहे थे

निशा की नमकीन चुत का स्वाद पाकर वो पागल हो गयी थी - आह्ह निशा तेरी बुर सच मे बहुत गर्म है उम्म्ं ऐसी ही कुवारि चुत का रस पसम्द है उम्मममं सीईई

निशा - अह्ह्ह बुआ अह्ह्ह इतनी अच्छी है क्या उम्म्ंम खा जाओ उह्ह्ह येस्स्स उम्म्ंम फ्क्क्क्क ओह्ह्ह जीभ से भी आह्ह हा ऐसे ही उम्म्ंम फक्क्क ओह्ह्ह बुआअह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बुआ ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह्ह

रज्जो - रुक जा रुका जा ऐसे नही मुझे भी तो अपनी भतीजी के चुत का रस लेने दे आजा

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ये बोल कर रज्जो उठी और निशा की टांगो मे कैची बना कर उसकी चुत पर अपनी चुत रगड़ने लगी - अह्ह्ह मौसी उह्ह्ह ये तो अलग ही मजा आ है अह्ह्ह्ज उम्म्ंम्ं कितना तप रहा है आप्का भोस्डा अह्ह्ह उह्ह्ज्ज फक्क्क्क उम्म्ंम्ं

शिला - अह झड जा बेटी झड जा अपनी मौसी के बुर पर ओह्ह्ह
निशा - हा बुआ फिर आप चाटना अपनी बेटी की वुर बोलो चातोगे ना उम्म्ंम अह्ह्ज्ज्ज सीयिओई और तेज मौसी अह्ह्ज बहुत मुलायम है अह्ह्ह रहा नही जा रहा है अह्ह्ह्ज फक्क्क्क ऐसे ही उह्ह्ह्ह आओ जा बुआ तुम भी अओझ्ह अह्ह्ज

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शिला उठ कर उनके पास आ गयी और दोनौ उसकी चुचिया मुह के भर कर चुसने लगे - आह्ह बेटा उम्म्ंम पी ले ऊहह और चुस उह्झ भाभीईई अह्ह्ह काट डालोगी क्या आह्ह सीईईईई अह्ह्ह

रज्जो - ओह्ह्ह निशा अह्ह्ह सीईई आ रहा है मेरा अओह्ह्ह्ह।
निशा -हा मौसी मेरा भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह हहह फ्क्क्क अह्ह्ह मम्मीईई अह्ह्ह आह्ह आ रहा उह्ह्ह बुआआ हहहहह आ गया आ गया ओह्ह्ह शिट उह्ह्ह फक्क्क ऊहह फक्क्क


रज्जो और निशा हाफने लगे और फैल लार लेट गये वही शिला बारी बारी से दोनो के बुर के मिले हुए रस को चाटने लगी ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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UPDATE 219

आगे चीजे सब जस की तस बनी रही ।
शालीनी की तबियत ठीक रही उस रात तो जंगी का कुछ काम नही बन पाया उलटे अपनी प्यारी बीवी की तबियत खराब होने का दोषी कही ना कही खुद को मानता रहा , ग्लानि भाव वो अपनी बीवी की देख रेख देर रात तक करता रहा ।

वही राहुल और अरुण ने अपना आज का कोटा पूरा कर लिया था तो वो भी चैन से सो गये ।
अनुज शिला को ना पाकर अपनी सेक्स की चसक निशा से निपटा कर सो गया
वही आज लगातार तीसरी रात रंगी ने तीन घोडीयो की सवारी की और उसके बड़े बेटे राज ने भी उसका साथ फिर से दिया ।
वही अमन के यहा का मौहौल भी समान्य रहा , खा पीकर सब अपने कमरे मे पहुच गये थे मगर असली खेल मुरारी शुरु करने जा रहा था ।

मुरारी- लो मेरी जान आज ये ट्राई करो
ममता खिलखिलाती हुई मुरारि के हाथ से पैकेट लेकर - इसमे क्या है ?
मुरारी- वही सरप्राइज जिस्का कल वादा किया था
ममता - ओहो सच मे

"अरे वाह वाह सेठ जी क्या बात है , क़्वालीटी और साइज़ एकदम सही " , ममता ने ब्रा पैंटी हाथ मे लेती हुई बोली ।

ममता ने मुरारी को चिढाने का सोचा और पैटी फैलाती हुई - ये मेरे किस काम की , ये आप अपनी संगीता को देदो हिहिही

मुरारी उसका मजाक समझ रहा था और उसने अपना हाथ बढा कर ममता की बुर को सलवार के उपर से टटोला - ये मै मेरी इस सन्गीता के लिये ही तो लेके आया हूँ मेरी जान,जरा उसे पहना के दिखाओ ना

ममता सिस्क कर - अह्ह्ह मेरे बलमा बहिनचोद उह्ह्ह सीईई उस रोज की तरह तैयार हो जाऊ
मुरारी उसको अपनी बाहो मे भरता हुआ - आह्ह मेरी जान तुमने तो मेरे दिल की बात जान ली , कैसे ?

ममता घूम कर उसके सामने होकर बोली - अपने राजा के दिल की रानी हु , मुझसे बेहतर कौन जानेगा कि आपको क्या चाहिये

मुरारी आगे बढ़ कर उसके सेब से लाल होते गाल को चूम लिया - ऊमम्मम्माआहहह मेरी रानी , अब जल्दी से तैयार होकर दिखा दो ना प्लीज

ममता - उहू ऐसे नही , पहले आप बाहर जाओ और जब मै बुलाऊ तब आना

मुरारी- क्या बाहर , इतनी रात मे मै बाहर क्या करूंगा
ममता खिलखिला कर उसको दरवाजे की ओर धकेलती हुई - जाओ देखो तुम्हारी बहिनिय फिर से मुह मारने किस कमरे मे जा रही है हिहिहिही
ये बोलकर ममता ने दरवाजा ल्गा दिया और मुरारी हसता हुआ गलियारे मे खड़ा अपना मुसल मसल कर - आह्ह आज तो अलग ही मूड मे है मेरी रानी इस्स्स्स मजा आयेगा

तभी उसको संगीता का ख्याल आया और वो लपक कर मदन के कमरे की ओर बढ़ गया , उम्मीद अनुसार वहा से मादक सिस्किया आ रही थी मगर दरवाजा लगा हुआ था

मगर आज ना जाने क्यू मुरारी को इस बात का बुरा नही लगा खैर चक्कर लगाता हुआ वो कभी हाल मे कभी गैलरी मे तो कभी मदन के कमरे के पास 20-25 मिंट बिता कर वो अपने कमरे के दरवाजे के पास पहुचा और आवाज दी
ममता - बस बस 2 मिंट उसके बाद आप दरवाजा खोल कर आ जाना ,

"और प्लीज कोई चिटिंग नही ,पूरे दो मिंट " ममता ने मुरारी के उमड़ते जज्बात को और सताते हुए बोली ।

बैचैन मुरारी फडफ्ड़ा कर रह गया और जैसे ही ममता की आवाज आई - आ जाओ
मुरारी का रोम रोम पुलकित हो उठा , उसके जिस्म मे सरसरी सी होने लगी, चेहरे पर अटूट खुशी की मुस्कुराहट खिल गयी और लन्ड बौरा उठा

सामने का नजारा बहुत कामुक और आकर्षक था , ममता कमरे के आईने आगे मुरारी के दिये गिफ्ट को अपने देह पर सोहल सृंगार सहित सजा चुकी थी
पैरो मे पाजेब , गले मे हार , कानो मे मैचींग झुमके , लटदार जुल्फो से सजी मांग से माथे तक लटकता टिका , आंखो के कजरा होठों पर लाली , हल्का फुल्का मेकअप का टचअप , हाथो मे खनक भरी चूडियां और सबसे बढ़ कर उसके बालों मे लगा हुआ गोल्डेन परान्दा जो लटक कर उसके गाड़ के दरारो तक पहुच रहा था ।

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सर पर आरपार दिखने वाली मैचींग चुन्नी लिये ममता आईने के आगे मूर्ती सी खड़ी थी
आईना मे उसके आधे जिस्म की झलक ही नजर आ रही थी बाकी सब छिप सा गया था उसके बड़े भडकिले फैले हुए चुतडो के आगे
मुरारी दरवाजे के पास ही आंखे फ़ाड कर खडा उसे निहार रहा था , सालो बाद आज उसने ममता का ये रूप देख , तब के मुकाबले अब ममता का शरीर 3 गुना विकास कर चुका था और वो बहुत ही सेक्सी दिख रही थी ।

ममता ने आईने मे अपने पति को दरवाजे के पास आंखे फ़ाड कर निहारते देखा तो मुस्कुरा कर अपनी चुन्नी को हाथो से फैला कर अपना आगे का जोबन दिखाती हुई उसकी ओर घूम गयी - कैसी लग रही हु मेरे राजा

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मुरारी की हालत तो और भी खराब हो गयी , उस मिड ट्रासपैरेंस ब्रा मे कसी हुई उसकी छातीय्प के गोल काले घेरे साफ झलक रहे थे और जांघो के बिच से निकली पैंटी भी ममता के चुत की लम्बी फाको को छिपाने मे नाकाम थी ।

ममता खिलखिलाई - क्यू मेरे राजा हो गयि बत्ती गुल्ल हिहिहहीही

मुरारी झट से दरवाजे पर कड़ी लगा कर ममता के पास आया और उसको पीछे से अपनी बाहो मे भर लिया , उसका मोटा खुन्टा तन कर सीधा ममता के मुलायम चुतड मे चुभ रहा था - आह्ह मेरी जान तु सच मे बहुत सेक्सी लग रही है सीईई जी कर रहा है तुझे सारी उम्र ऐसे ही रखू उम्म्ंम्माह्ह्ह
ममता उसकी बाहो मे कसमसाइ और बोली - उम्म्ंम सच मे मेरे राजा , रख लो ना जैसे तुम चाहो । मै तो तुम्हारी ही हु ना मेरे साजन उम्म्ंम

मुरारी अपना लन्ड पजामे मे से उसकी नरम नरम मे कोंचता हुआ उसकी छातीया दबोच लिया - अह्ह्ह मेरी जान आह तुम बहुत कमाल लग रही है , जी कर रहा है ये पल यही कैद कर लू ।

ममता सिस्स्क कर - समय को कैसे रोकू मेरे राजा वो तो बीत जायेगा , हम तो बस ये प्यार के पल यादो के सजो सकते है

मुरारी - मेरे पास एक आईडिया है
ममता उसकी बाहो मे ही पडे हुए सामने आईने उसका चेहरा देख कर बोली - कैसा आईडिया

मुरारी- रुको बताता हु।
फिर मुरारी ने जेब से मोबाईल निकाला और कैमेरा चालू कर तस्वीरे निकालने लगा

ममता - ओहो मेरे सैया फोटोग्राफर हिहिहिही रुको पोज भी देती हूँ

फिर एक के बाद एक ममता ने सेक्सी पोज दिये और मुरारी ने कुछ एक वीडियो भी बनाई ।
फिर उसने उसको पक्ड कर अपनी बाहो मे भर लिया ।

मुरारी- जान सुनो ना
ममता - हा मेरे राजा बोलो ना
मुरारी हाथ आगे बढा कर उसकी बुर पर रखा था - जान आज मै मेरी इस संगीता को खुब प्यार देना चाहता हु

ममता मुरारि के मुह से संगीता का नाम सून कर सिहर उठी - ओह्ह्ह सच मे मेरे राजा उम्म्ंम तो कर लो ना

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मुरारी दोनो हाथो से उसके विशाल फैले हुए चुतड़ जकड़ लिये - उह्ह्ह मेरी सच मे उम्म्ंम्ं क्या मस्त कसी गाड़ है तेरी अह्ह्ह जी करता खा जाउउम्ंंं

ममता उससे अलग हुई अपने सर से चुन्नी सरका दिया और पहले ब्रा खोल दिया फिर अपनी गाड़ फैला कर अपनी पैंटी गाड से सरकाने लगी

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मुरारी की हालात खराब होने लगी और वो जल्दी जल्दी अपने देह से सारे कपड़े निकालने लगा और जब वो अपना अंडरवियर उतार रहा था तब तक ममता उसके सामने से पूरी नंगी होकर पाजेब खनकाती हुई उसके आगे से अपने कुल्हे मटकाते हुए बिस्तर की ओर बढ गयी ।

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मुरारी ममता के मोटे थिरकते चुतड देख कर अपना लन्ड भिंचने लगा और देखते ही देखते ममता घुटनो के बल होकर बिस्तर पर घोडी बन अपनी गाड़ को उठाते हुए पुरा भरसक फैला दिया

मुरारी को अब उसके दोनो भूरे सुराख साफ साफ नजर आ रहे थे और उससे रहा जा रहा था

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ममता वही झुकी हुई अपनी बुर सहलाने लगी -आओ ना मेरे राजा , करो ना अपनी संगीता को प्यार , आपके लिए आज इसे नंगी कर दी हु अह्हहह मेरे राजा आजाओ ना उम्म्ंम्ं

मुरारी ममता की बाते सुन कर भीतर से पुरा सिहर उठा और आगे बढ़ कर वो बिस्तर पर आ गया
हाथ बढा कर वो ममता के मखमाली चर्बीदार गोरे चुतड़ सहला रहा था - ऊहह मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरे और ये फूली हुई पाव सी चुत उह्ह्ह कितनी तप रही है

ममता - आह्ह मेरे राजा तो गरम गर्म ही उस्का मजा लेलो ना मुह लगा कर

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मुरारी से अब जरा भी रहा ना गया और उसने झुक कर अपना मुह ममता के गाड की गहरी दरारो मे दे दिया और जीभ से उसके गाड़ की सुराख चाटने लगा

ममता - आह्ह मेरे राजा आप बडे चालू हो उम्म्ंम सीईई ओह्ह्ह संगीता को छोड़ कर उसकी पड़ोसन को प्यार दे रहे हो अह्ह्ह सीईई

मुरारी मुह निकाल कर हाथो से उसकी चुत मलता हुआ - दोनो बहने मस्त है मेरी जान तो कैसे दूसरी वाली को छोड दू

ममता मुस्कुराआई - आह्ह तुम ना पक्के वाले बहिनचोद हो अह्ह्ह माह्ह्ह सीई ओह्ह मेरे राजा अह्ह्ह आ ही गये उह्ह्ह खा जाओ अपनी संगीता के होठ उह्ह्ह्ह सीई ऐसे ही ओह्ह्ह और चुसो उसके लिप्स उम्म्ंम्ं क्या मस्त चबाते हो मेरे राजा मेरे सैयाह्ह बहिनचोद

मुरारी ममता के बुर के फाके चुसलाये जा रहा था और चाटे जा रहा था उसके हाथ ममता की मोटी पहाड़ सी विशाल चुतडो को सहला रहे थे

ममता लगातार उसको उकसाती जोश दिलाती सिस्क रही थी - अह्ह्ह हा मेरे राजा अह्ह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ं खा जाओ अपनी बहन की बुर उह्ह्ह ओह्ह नरम है ना अह्ह्ह आह्ह मेरे साजन अह्ह्ह निचोड डालो इह्ह्ह सीईई आ रहा है उम्म्ंम्ं रुकना मत अह्ह्ह

मुरारी रुकने के बजाय एक कदम आगे की सोची और अपना तनमनाया मुसल चुत के मुहाने पर लगा कर ह्चाक से उसकी गर्म लबलबाती चुत मे उतार दिया- अह्ह्ह मेरे राअजाह्ह्ह ऊहह कितना गर्म आपका लन्ड उह्ह्ह्ह्स्स्स जैसे लोहे का गरम सलिया घुसा हो भितर अह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह और तेज्ज्झ उन्म्ं

मुरारी- ओह्ह्ह मेरी जान कितनी कसी हुई चुत है और बहुत गर्म अह्ह्ह लग रहा है पिघल ही जायेगा उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह्ह

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मुरारी अब उसके कुल्हे थामकर ह्च्च् ह्च्च जोर जोर से पेलने लगा , ममता के मोटे मोटे भारी भरकम चुतड अब मुरारि के देह से टकरा भरी थप्प थ्प्प्प की आवाज निकाल रहे थे और मुरारी की नजर उसके भूरे सुराख पर थी

ममता - आह्ह मेरी राजा उह्ह्ह फाड़ डालो मे और हचक के डालो अपनी संगीता मे उम्म् अह्ह्ह और तेज चोदो उसे और तेज्ज्ज
ममता - तुम्हारी सगिता को तुम्हारा मोटा लन्ड घुस्वा कर पेलवाना पसन्द है आह्ह मेरे राजा और पेलो उह्ह्ह रुकना पेलते जाओ अपनी बहिन का बुर समझ कर , एक भाई से वो चुदवाति है तुम्हारा ले लेगी क्या घट जायेगा रन्डी का अह्ह्ह मेरे राजा हा ऐसे ही ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
मुरारि अब पुरे जोश मे आ चुका था और अपनी सगी बहन संगीता को पेलने ख्याल आने से वो अब झडने के करीब था
ममता - अह्ह्ह मेरे राज भर दो अपनी वहन की बुर समझ कर नहला दो अह्ह्ह अह्ह्ह फिर आ रहा है मेरा अह्ह्ह सीईई ओह्ह

मुरारी- आह्ह मेरी रानी ऊहह मेरी बहना ओह्ह आ रहाहै आह्ह आज नहला दुगा तुझे ओह्ह्ह लेह्ह्ह्ह आयाह्ह्ह अह्ह्ह

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मुरारी ने उसकी चुत के लण्ड निकाल कर मोटी गाढ़ी पिचकारी ममता के गाड़ पर मारने लगा
ममता - अह्ह्ह मेरे राजा भर दो मेरी गाड़ मेरा चुत आह्ह नहला दो आज्ज्ज उह्ह्ह मेरे सैयाअंं बहिनचौद मेरे बलमा बहिनचोद अह्ह्ह्ह

मुरारि -अह्ह्व साली रन्डी एल्ह्ह्ह सारा माल निकाल रहा हु इह्ह 3ल्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ब

मुरारी भी आखिरी बूंद तक उसके गाड़ पर झडता रहा और उसकी गाढी मलाई रिस कर गाड़ के सुराख से उसकी चुत के फाको से होकर जांघो तक जाने लगी

वही मुरारी हाफ कर बिस्तर पर गिर पडा

कुछ पल बाद
ममता - तो मेरे बालम बहिनचोद मजा आया
मुरारि उसको अपनी बाहो मे भरता हुआ - हा मेरी रानी बहुत

ममता - तो क्या सोचा मेरे राजा
मुरारी- किस बारे मे
ममता - अरे अब परसो तो संगीता चली जायेगी , पक्के वाले बहिनचोद नही बनना उम्म्ं


मुरारी- धत्त क्या तु भी अमन की मा , मुझसे नही होगा
ममता - अरे ट्राई करने मे क्या हरज है , मिल गयी तो आपकी चांदी हिहिहिही


मुरारि- हा लेकिन मै मेरी बीवी के साथ धोखा नही कर सकता ना
ममता - अच्छा जी इनको देखो अभी अपनी बहिनिया के नाम पर झड रहे थे और अभी शरारफ झाड़ रहे है हिहिही

मुरारी- अब बस करो भई , चलो सो जाओ कल बहुत सारे काम है
ममता उससे लिपट कर - ये मेरे राजा , आपकी संगीता थोडा और प्यार माग रही है देदो ना
मुरारी- अच्छा ऐसा क्या , अभी कर देता हु मेरी रानी

और एक बार फिर कमरे मे मादक सिस्किया उठने लगी और जल्द ही दोनो सो गये

राज के घर

अगली सुबह घर मे तैयारियां जोरो पर थी , शकुन की टोकरिया बॉक्स हाल मे बिछे हुए थे , घर मे चहल पहल भरा मौहौल था
रंगी फोन पर लगातार जंगी से बात कर रहा था और कुछ ना कुछ सामान की सूची उससे साझा कर रहा था ।
इधर रागिनी और निशा तैयार हो रही थी तो राज और अनुज भी अपनी अपनी बेल्ट कस रहे थे
देखते ही देखते 10 बजने को हो गये और सामान गाड़ीयो मे लद गया
रागिनी अपने साडी की पिन सही करती हुई - अरे देवर जी कहा रह गये

जन्गी हाल मे दोनो हाथ मे झोला लेकर आता हुआ - आ गया भाभी , भाईसाहब इसमे मिठाईया है और कुछ बाकी तो नही रह गया

रन्गी - नही नही सब हो ही गया है , राज अनुज इसे भी गाड़ी मे रख दो और सब लोग ज्लदी बैठो भाई , समधि जी का बार बार फोन आ रहा है ।

सब्को आगे भेज कर रागिनी - हा आप लोग चलिये , देवर जी एक मिंट आयियेगा

रागिनी जंगी को जीने के करीब ले गयी और मुस्कुराते हुए - अरे वो आपसे पुछना रह गया था , वो उस रोज शादी मे मेरी समधन की ननद आई थी ना ! उसका क्या हुआ ?

रागिनी की शरारत भरि मुस्कुराहट से ही जन्गी की उस रात की यादे ताजा हो गयी जब उसने अमन की बुआ को चोदते हुए वीडियो बनाया था
जन्गी आस पास देख कर खुश होकर - जी भाभी वो कैसे भूल सकता हूँ

रागिनी आंखे नचा कर - तो काम हुआ था या नही ?
जन्गी - क्या भाभी आपको अपने देवर पर इतना भी भरोसा नही है उम्म्ंम्ं

रागिनी - ओहो फिर फिल्म ? हिहिहिही
जन्गी - मेरे मोबाइल मे है दिखाऊ क्या ?
रागिनी शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त नटखट मुझे नही देखना , आप बस इस मोबाइल मे उसको भेज दो ।

रागिनी ने रज्जो का मोबाइल जन्गी को दिया और जन्गी ने झट से वो वीडियो रज्जो के मोबाइल मे भेज दिया - हो गया भाभी ।

रागिनी - हम्म्म अब अपने मोबाइल से उडा दो उसको हिहिहिही नही तो निशा की मा को आपकी करतुत बता दुगी

जन्गी हस के आवाक होकर रह गया और रागीनी उसके आगे से हस्ती खिलखिलाती हुई बाहर निकल गयी ।

जल्द ही 6 जन सवारी राज के घर से निकल पड़ी
राज अनुज रंगी जन्गी निशा और रागीनी ।
रज्जो और शिला को घर की जिम्मेदारी दे दी गयी थी ।

जल्द ही सारे लोग अमन के यहा पहुचे , चौखट मे खुब हसी खुशी समधि समधन आपस मे मिले
ममता ने आज फिर से साडी डाली हुई थी ,

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उसके भरे बदन पर साडी उसे काफी आकर्षक दिखा रही थी । संगीता भी अपने जलवे दिखाने मे कहा पीछे थी ।
अनुज रिन्की की आंख मिचौली चल रही थी तो निशा भी अपने जीजू अमन के आगे खुब इतरा रही थी

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मुरारी भी अपनी गदराई समधन रागिनी के चुस्त दुरुस्त बदन पर लिपटी हुई साड़ी से झाकती जोबनो पर नजर फेरता दिख रहा था तो

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जन्गी और संगीता की अपनी गुपचुप मुस्कुराहट साझा की जा रही थी ।
सारे लोग हाल मे एक जुट हो रहे थे कि राज की नजर किचन से रिन्की के साथ आती दुलारी भाभी पर गयी

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हर मायने वो उसे अपनी पंखुडी भौजाई की याद दिला रही थी , वैसा ही गठिला गदराया बदन , वही देसी गाव की भौजाइयो वाली शरारत भरी नजर और मुस्कुराह्ट ।
उसपे से हल्के रंग की औरगंजा साड़ी मे उसके सपाट पेट से झाकती गुदाज गहरी नाभि देख कर राज का दिल एकदम गार्डन गार्डन हो गया ।

चाय नाश्ते की चुस्किया चल रही थी नास्ते का दौर चलता रहा और निशा राज अनुज सब काफी समय तक सोनल के निचे आने का वेट करते रहे और फिर उनकी बेचैनी समझ कर ममता ने रिन्की को कहा कि तीनो को उपर सोनल के कमरे लिवा जाये और फिर चारो उपर चले गये
वही इधर हाल मे बात चित का दौर लम्बा खिंचता रहा ।

राहुल के घर

इधर जंगी के जाने के बाद शालिनी उठी और नहाने के लिए कपडे उतार रही थी कि पीछे से अरुण ने उसे ब्रा पैटी मे ही दबोच लिया - अह्ह्ह मेरी मामी , सारी रात तुम्हारी याद मे नीद नही आई , उम्म्ंम्ं कितनी सेक्सी और हॉट हो आप

अरून शालिनी की गाड़ पर अपने लोवर के भीतर से लन्ड घिसता हुआ उसकी चुचिया मिजने लगा , शालिनी उसकी बाहो मे सिस्कने लगी - उहहह छोड ना , कल मन नही भरा तेरा जो सुबह सुबह तन्ग कर रहा है अह्ह्हू सीईई ओह्ह्ह अरुण मान जा मेरा बच्चा अह्ह्झ उम्म्ंम

अरुण हाथ निचे ले जाकर पैटी के उपर से ही उसकी बुर कुरेदने लगा - आह्ह मामी थोडा सुबह रसिला नासता ती करा दो उम्मममं कल तो वैसे भी घर चला जाउन्गा मै उम्म्ंम्ं प्लिज्ज्ज्ज ना
शालीनी का मन थोड़ा उदास हुआ एक पल को मगर वो इस दिन को यादगार बनाने वाली थी और उसने घूम कर अरुन को बेड पर धकेल दिया और लोवर निचे कर उसके लन्ड पर टुट पड़ी

अरून- ओह्ह माय सेक्सी मामी उह्ह्ह सच मे बहुत याद आओगे आप आह्ह मेरी रन्डी आह्ह और चुस्स्स उम्म्ंम

शालीनी मुह खोलकर सुरुकती हुई अरुण का मोटा लन्ड चुस रही थी -अह्ह्ह मै भी इसे बहुत मिस्स करने वाली हु और मेरी चुत भी अह्ह्ह्ह उम्म्ंम कितना कड़ा है उह्ह्ह्ह सीईई उम्मममंम्म्ं घुउउउऊऊ घुउउउऊऊ अह्ह्ह्ह इसको तो आज निचोड लुगी अह्ह्ह्ह


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अरून का लन्ड और कसता फैलता जा रहा था , वो शालीनी का सर दबाये निचे से अपना गाड़ टाइट कर लन्ड उसके मुह मे पेलने लगा

तभी दरवाजे पर राहुल जो नहाने के लिए निकला था वो कमरे से आ रही आवाजो से अपनी मा के कमरे तौलिया लपेटेआ पहूचा था - ओह्ह बहिनचोद ,मै बोला तो डाट दिया

इधर अरून उसको चुपके से आने को बोलता है तो राहुल खुशी खुशी धिरे से अपनी मा के पीछे पहुचता है और तौलिया खोलकर अपना तनमनाता मोटा लन्ड निकाल लेता है और दोनो पन्जे अपनी मा के नंगे चुतडो पर जडता है - अह्ह्ह्ह मममीईई राहुल कुत्ते तु है क्या

राहुल अब अपनी मा की गोरी गाड पर गर्म तपता कडक लन्ड घिसता हुआ - हा मा मै ही हु , अभी मुझे डाट दिया और इसे नही

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शालिनी मुस्कुरा कर अपनी पैंती खिंच कर चुतड़ पर चढाती हुई - अच्छा ले घुसा ले
राहुल ने तुरंत थुक लगा कर अपना मोटा सुपाडा अपनी मा के चुत मे लगा कर घुसेड़ दिया,

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जिससे शालिनी दर्द से मचल उठी , दर्द और चुत मे खींचाव क भाव उसके चेहरे पर साफ साफ दिख रहे थे -अह्ह्ह्ह कमिने आराम से उह्ह्ह दर्द है और अभी भी सुजी हुई है चुत मेरी उह्ह्ह्ज आराम से उम्म्ंम्ं

शालिनी राहुल हिदायत देकर वाप्स अरून का लन्ड चुसने लगी
राहुल - ओह्ह मम्मी आज आपकी बुर बहुत कसी है अह्ह्ह सीई कितनी गर्म है अह्ह्ह मन कर रहा है घुसा घुसा कर फाड़ दू ओह्ह्ह मम्मा उह्ह्ह फ़क यू बीच्च उह्ह्ह साली कुतिया अह्ह्ह एल्झ्ह

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शालीनी का सर अरुण के लंन्ड पर जमा था और अरुण भी गाड उठा उठा कर उसकी मुह मे पेलाई कर रहा था - ओह्ह्ह मामीईई ऊहह ऐसे ही उम्म्ं और चुसो मेरी रन्डी चुद्क्कड मामी ओह्फक्क यू उम्मममं और लोह्ह्ह सीई अह्ह्ह

राहुल भी हचर हचर पेले जा रहा था और जल्दी ही पोजिसन बदला और अरुन ने जगह ली और वो शालीनी गाड़ को मसलता हुआ पीछे से फचर फचर पेलने लगा -अह्ह्ह मामी सच मे आपकी बुर बहुत गर्म है आह्ह्ह आह्ह आज तो पुरा दिन आपकी बुर फाड़ने वाला हु ओह्ह्ह्ह फक्क्क्क अह्ह्ह बहिनचोद क्या कसी चुत है आपकी मामी अह्ह्ह मजा आ रहा है

शालिनी - आह्ह हा बेटा फ़ाड दे आज पुरा दिन तुझसे पेलवाने वाली हु मै अह्ह्ह जबतक थका ना दू तुझ्र अह्ह्ह और तेज्ज उह्ह्ह और पेल उम्म्ं रुकना मत

वही राहुल उसके मुह पर अपना लन्ड रगड़ता हुआ उसके मुह मे लन्ड घुसा दिया -आह्ह और मेरा क्या अह्ह्ह मुझे तरसायेगी साली कुतिया लेह्ह चुस ले अपने मादरचोद बेटे का लन्ड चुस अह्ह्ह मेरी चुदक्कड़ मम्मीई ऊहह फक्क ऊहह साली कुतिया अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह्ह

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इधर अरुन उसकी चुत मे लन्ड पेले जा रहा था और शालीनी मुह मे अपने बेटे का लन्द चुसे जा रही थी और उसकी बड़ी बड़ी थन सी चुचिया लटकी हुई हिल रही थी
ऐसे कुछ देर चुदाई के बाद फिर से पोजीसन बदला और शालिनी की टाँगे उठा कर अब राहुल उसकी चुत मे लन्ड पेल रहा था और अरून का मोटा लन्ड अब शालिनी की मुह गले तक जा रहा था -अह्ह्ह मेरी मामी आपकी मुह मे ही पेल कर झड जाउगा मै अह्ह्ह सीई आह्ह फक्क्क्क

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वही राहुल पेलते पेलते जोर जोर से चिखने लगा - अह्ह्ह मम्मीई ओह्ह अब और नही आह्ह लेलो अह्ह्ह फ्क्क्क आह्ह मेरी रंडी मा आह्ह आज तुझे नहला दुन्गा ओह्ह्ह अह्ह्ह
शालिनी अरुण का लन्ड छोद देती है और अपनी चुचिया मिजती हुई राहुल को और जोश दिलाती हुई - हा बेटा आजा , अपनी मा को भीगा दे और नहला दे अपने रस दे अह्ह्ह मेरा बेटा अह्ह्ह उह्ह्ह

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राहुल जोर जोर से चिन्घाडता हुआ शालिनी के उपर झड़ने लगता है और अरुण वही खडा होकर अपना लन्ड हिलाता हुआ मा बेटे की जुगलबंदी निहारने लगा

राहुल के झडते ही शालिनी ने उसे अपना दुसरा रूप दिखाया और कपड़े पहन कर फौरन दूकान खोलने की फटकार लगा दी
राहुल मुह बना कर तौलिया उठा कर अरुन को मुस्कूराता देखता रहा और शालीनी उठ कर अरुन का हाथ पकड कर उसके लिप्स चुसती हुई बोली - मेरे साथ नहाने चलेगा

अरुन इस हसीन और कामुक मौके को कैसे जाने दे सकता था और दोनो बाथरुम की ओर नंगे ही बढ गये ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और धमाकेदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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