UPDATE 84
मै अनुज को दुकान पर बिठा कर निकल गया पापा के पास क्योकि पिछ्ले काफी समय से मै परीक्षा की वजह से पापा से कोई खास बात चित नही कर पाया था और वही मुझे करीब 3 महिने का खाली समय था तो सोच रहा था कि सोनल की शादी को लेके ही कुछ बाते फाइनल हो जाये ।
टहलते हुए पापा की दुकान पर गया तो दुकान पर बबलू काका बैठे ।
मै अचरज से - अरे काका , पापा कहा है दिख नही रहे
काका - छोटे सेठ , वो सेठ जी से मिलने कोई जान पहचान के आये है तो वो अन्दर कमरे मे है ।
मै सोचते हुए - ऐसा कौन ही सकता है अंदर , कही पंखुडी भाभी की सास मेरी रंजू ताई तो नही , हा वही होगी और वैसे भी पापा मेहमानो को अन्दर ही लिवा जाते है ।
मै मुस्कुरा कर - ठीक है काका आप बैठो मै वही मिल लेता हू
काका - जी छोटे सेठ
फिर मै धीरे धीरे पीछे गोदाम की तरफ बने रेस्ट रूम के पास गया और देखा कि रेस्टरूम का तो दरवाजा बाहर से बन्द है फिर पापा कहा गये होगे ।
फिर मैने सोचा एक बार फोन कर लू लेकिन फिर लगा कही उपर के तो नही चले गये बात करने के लिए
तो मै मस्त पीछे आगन मे बने सीढी से उपर छत के गोदाम मे चला गया और आस पास देखा तो सब शांत नजर आया
तभी मुझे साम्ने हाल मे परछाई हिल्ती दिखी और मै बिना किसी आहट के गलियारे से होकर उस तरफ गया और जैसे जैसे मेरे पाव हाल की तरफ बढ़ रहे थे मुझे कुछ सिसकिया और थप थप की अवाजे आने लगी
मै समझ गया कि मेरा बाप किसी को चोद रहा है , लेकिन किसे ??? कही ताई तो नही ,, मेरे दिल की धडकनें तेज हुई
मेरे चेहरे पर मुस्कान और लण्ड मे कसावट आनी शुरु हुई और गलियारे के छोर से पहले मै हाल मे झाका और मेरा अन्दाजा सही निकला
पापा हाल मे एक चौकी पर किसी सावली औरत को झुकाये खडे खडे पेल रहे थे ।
उस औरत की साड़ी और पेतिकोट कमर तक चढ़ी थी उसके सावले रंग के चुचे खुले ब्लाउज से लटक रहे थे और इतने मोटे थे मानो भैस के थन जैसे हो । वही उसकी मोटी काली गाड़ बहुत चर्बीदार थी और काफी फैली हुई थी जिसको थाम कर पापा अपना मुसल उस्के काले भोस्दे मे पेले जा रहे थे और झडने के करीब थे ।
पापा हाफ्ते हुए स्वर मे - आह्ह भौजी अब निकलेगा मेरा ओह्ह्ह
तभी वो औरत की आवाज आई - ओह्ह देवर बाबू रुका तनी अह्ह्ह हा लाओ हमार मुह मे भर दो आपन माल उम्म्ंम्म्ं उम्म्ंम्म्ं उम्म सृउउऊऊऊपपपपप सुउउउर्र्र्रुउऊऊऊप्प
जैसे वो औरत पलती मै उसे पहचान गया क्योकि वो औरत रंजू ताई ही थी
साला मेरा बाप इतनी आसानी से सबको लपेट कैसे लेता है हिहिहिही
यहा ये लोग अपना काम खतम करे उस्से पहले ही मै सरक लिया और दुकान मे आकर बैठ गया ।
थोडी देर बाद पापा और रंजू ताई भी दुकान मे आये ।
फिर मैने रंजू ताई के पाव छू कर आशीर्वाद लिया और वो पापा से कुछ बात कर निकल गये ।
पापा बबलू काका से - काका जरा पानी लाना अन्दर से
फिर काका अन्दर पानी लेने चले गये
पापा - और बेटा तुम कब आये
मै हस कर - मै तो तभी आया जब आप ताई को उपर योगा करवा रहे थे ।
पापा मेरी बात समझ गये कि मै उनको ताई को चोदते हुए देख लिया है और वो थोडा मुझसे हिचक रहे थे ।
मै खुशी भाव मे - कोई बात नही पापा मै जानता हू आपको शुरु से इनसब की आदत हो गई लेकिन
पापा - क्या बेटा बोल ना
मै संकोचवश- लेकिन पापा ताई तो अपने घर की है ना और रिश्ते मे भी तो ये आपको गलत नही लगता
पापा मेरी बातो पर कुछ बोलते उस्से पहले बबलू काका पानी लेके आ गये ।
फिर पापा पानी पी के मुझे लिवा कर रेस्टरूम मे चले गये ।
मै थोडा जिज्ञासू मन से - पापा बताओ ना
पापा मुस्कुराये और बोले - बेटा इस मामले में जाने से पहले मै तुझसे कुछ सवाल करूँगा तू जवाब देना फिर मै इसपे आता हू
मै खुसी भाव से - जी पापा पुछो
पापा - ये बता बेटा क्या तुने अब तक किसी के साथ सेक्स किया है या नहीं
मै शर्म के भाव लाते हुए - जी नही पापा , मै किसके साथ
पापा - अच्छा लेकिन क्या तेरा मन नही होता
मै शर्मा कर हा मे सर हिलाया
पापा - अच्छा तुझे कैसी लडकी के साथ सेक्स करना पसंद है
मै - मतलब , मै तो कभी किया नही तो क्या बताऊ
पापा ह्स कर - अरे मेरे कहने का मतलब ,,किस तरह की औरत से तू पहली बार करना चाहेगा ,, कोई है तेरी नजर मे
मै थोडी देर सोचते हुए जानबुझ कर तीन नाम लिये जो पापा के बहुत करीब थे - जी पापा मुझे रज्जो मौसी और शिला बुआ की तरह और मा के जैसी कोई औरत हो
ये बोलकर मै मुह दबा कर शर्मा कर हसने लगा
पापा मेरे चॉइस की दाज देते हुए थूक गटक कर बोले - हम्म्म अच्छा तो राज ये बताओ जब तुमने सोचा कि तुम अपनी मा , मौसी और बुआ जैसी औरतो के साथ सेक्स करना चाहते हो तो क्या तुम्हारे मन मे एक पल के लिए भी आया कि नही ये मेरी मा , बुआ और मौसी है मै इनके बदन के बारे मे ऐसे कैसे सोच सकता हू
मै पापा के बात घुमाने के अंदाज का फैन हो गया और एक संकोच भरे लहजे मे - हा पापा आपकी बात तो ठीक है मैंने उस समय बस उनके जिस्मो के बारे मे सोचा ना की हमारे रिश्ते के बारे
पापा ह्स के - बस यही मै सोच रहा था जब रंजू भाभी के साथ उपर था ,,मुझे उनका गदराया बदन बहुत पसंद है और उनको मेरा मुसल तो हिह्हिहिही समझ गये ना
मै हस कर शर्म से - जी पापा लेकिन
पापा अचरज से - क्या लेकिन बेटा , क्या सोच रहे हो
मै संकोचवश- तो इस हिसाब से हम अपने घर मे ही सेक्स कर सकते है क्या
पापा मेरे दिल की बात समझ कर मुस्कुराते हुए - हा बेटा कर सकते है लेकिन एक बात हमेशा याद रखना कि सामने वाली रजामंदी के साथ ही कुछ करना चाहिए। वैसे तू किसके साथ करना चाहता है अपनी मा या दीदी के साथ
मै पापा से ऐसे सीधे प्रश्नो की उम्मीद नही थी तो मै सकपका गया - म म मै तो बस पुछ रहा था ,,और वैसे भी दीदी अमन से प्यार करती है
पापा हस कर - और तेरी मा , वो तो तुझे मुझसे भी ज्यादा चाहती थी ।
मै हस कर - मार खिलाओगे क्या पापा आप हिहिहिही , मै बस ऐसे ही पुछ रहा था
पापा - हमम्म कोई नही , तब हो गये तेरे सवाल पुरे
मै थोडा हिचक - नही बस एक और है
पापा हस कर - भाई वो भी पुछ ले अब शर्मा क्या रहा है ।
मै संकोच करते हुए - पापा क्या आप भी अपने घर मे किसी के साथ , मतलब दादी या बुआ के साथ
इतना बोल के मै चुप हो गया
पापा मेरे सवाल से मुस्कुराये - मुझे लगा ही था कि तू ऐसा ही कुछ पूछेगा , मा के साथ कभी ऐसा नही हो पाया क्योकि वो काफी दुबली पतली थी और समय से पहले ही गुजर गयी थी । हा लेकिन अभी जो रंजू भौजी गयी है उनकी सास यानी मेरी चाची के साथ जरुर किया था ।
मै पापा की बाते सुन कर पैंट मे लण्ड अद्जेस्ट कर बोला - और बुआ लोगो मे किसी के साथ
पापा मुझे एक मुस्कान देकर बोले - हा बस शिला दिदी के साथ
मै जानबुझ कर चौकने का भाव लाता हुआ - क्या सच मे पापा ,लेकिन कब कैसे
पापा मुस्कुरा कर - वो लम्बी कहानी है बेटा फिर कभी
मै उदास मन से - हमम ठीक है पापा
पापा - अरे मन छोटा ना कर और ये बता तू खुद कुछ अपने लिये इन्तेजाम करेगा कि मै करु तेरे लिए
मै शर्मा कर - नही उसकी जरुरत नही है समय आयेगा तो मै ही कुछ कर लूंगा
पापा ह्स के - अरे वाह शाबाश बेटा और बता कुछ
मै - लो मेन बात बताना ही भूल गया हिहिही
पापा ह्स के - वो क्या बेटा
मै - अरे वो मेरे एग्ज़ाम खतम हो गये है और अनुज कह रहा था कि वो राहुल के साथ उसके मौसी के यहा बडे शहर जाना चाहता है
पापा खुसी से - अरे तो क्या हुआ कौन सा वो लोग गैर है सब अपने ही तो है ,,जाने दे, बेचारा घूम टहल लेगा
मै खुसी से - ठीक है पापा , तब मै चल्ता हु घर
पापा घड़ी देख के - देख बातो ही बातो मे 6 बज गया ,,चल मै भी चलता हू घर ही आज तेरे साथ
फिर पापा बबलू काका को दुकान बढ़ाने का बोल कर मेरे साथ नये घर के लिए निकल गये ।
रास्ते मे
मै - पापा एक बात पूछू
पापा हस कर - हा बोल ना बेटा
मै - क्या मा आपके इन सब रिश्तो के बारे मे जानती है
पापा ठहरते हुए लफ्ज मे - हा बेटा जान्ती है वो और वो एक बहुत ही अच्छी पत्नी है । उसने हमेशा मेरी कमजोरियो और जरुरतो को समझा है ।इसिलिए मै भी उसके साथ कोई बात नही छिपाता
मै थोडा संकोची भाव मे - तो क्या मा ऐतराज नही करती इनसब के लिये
पापा ह्स कर मेरे करीब आकर - एक मजे की बात बताऊ बेटा
मै हसकर - जी पापा बोलो ना
पापा मेरे कान के पास आकर - वो शिला दीदी को मेरे लिए तेरी मा ने ही पटाया था , नही तो मै पूरी जींदगी कोसिस करता लेकिन सफल नही हो पाता हिहिहिही
मै चौककर पापा को देखता हू - हा सच मे पापा
पापा हस के हा मे गरदन हिलाये
मै थूक गटक कर - तो क्या आप मा और बुआ दोनो को एक साथ किये थे
पापा एक गहरी सास लेके - आह्ह बेटा मत याद दिला वो हसिन पल जब दो गदराई मालो को एक साथ चोदा था मैने अह्ह्ह , उफ्फ्फ क्या मस्त फुली हुई गाड़ है दिदी की उम्म्ंम
मै पापा की इस हरकत से हसने ल्गा और फिर उनहे भी समझ आया कि हम सड़क पे है ।
फिर हम दोनो ह्स्ते हुए घर आ गये
जहा मा किचन मे खाना बना रही थी और दीदी कही दिख नही रही थी ।
हम दोनो गलियारे से किचन मे देखते है और पापा मुस्कुरा कर मेरे कान मे - देख कैसे मजा लेता हू तेरी मा से
मुझे पापा की बात से हसी और पापा धीरे से मा के पास खडे होकर मैकसी के उपर से उनके गाड़ सह्लाते हुए बोले - आह्ह जान क्या बना रही हो
मा ने कुछ खास रिएक्ट नही किया लेकिन पापा मुझे मा की गाड़ दबाते हुए दिखा रहे थे
मा - ओफो क्या कर रहे है जी बच्चे सब घर मे है
पापा - तो क्या हुआ वो लोग भी जानते है हम मा बाप के अलावा पति पत्नी भी है तो रोमांस होना चाहिए ना
फिर पापा मा को पीछे से उनके गले मे हाथ डाल कर पकड लिये
मा पापा को धकेल के - ओहो हतिये जी कितनी गर्मी है उहू
फिर पापा मा से अलग होकर बैठ गये और मुझे चिपकने का इशारा किया
मै किचन मे मा को आवाज ल्गाते हुए उनको पीछे से हग कर लिया और बोला - मम्मीईई
मा खुशी भाव से - अरे मेरा बच्चा आ गया तू ,,और बता कुछ खाया पिया की नही
मै पीछे से ही मा के गालो को चूम कर - अब आपसे दुर था तो कौन पुछता मुझे
मा हस कर - अरे मेरा बच्चा बैठ तू मै कुछ देती हू
पापा - ओहो बड़ा प्यार आ रहा है इसपे ,,मै कर रहा था तो ब्ड़ी गर्मी लग रही थी
मा ह्स कर - आपके प्यार और मेरे बेटे के प्यार के फर्क है जी हिहिहिही
पापा ह्स के - किस चिज का भई
मा ह्स कर - नियत का हिहिहिहिही
मै भी वही टेबल पर बैठे हुए हसने लगा फिर मा ने मुझे और पापा को चाय नमकीन दीये ।
फिर पापा अपनी चाय से एक सिप लेने के बाद मा के पास गये और बोले - लो जानू तुम भी पीयो
मा एक नजर मुझे देख के - नही जी आप पीयो गरमी है बहुत
फिर मा मेरे पास आई और बोली - और कुछ दू बेटा
मै ना मे से हिला कर बोला - नही मा ,, आओ बैठो ना चाय पीयो आप भी
फिर अपनी जूठी चाय मा को पिलात हू
पापा - देखा बेटा मै कह रहा था ना कि तेरी मा मुझसे ज्यादा तुझे प्यार करती है ।
मा इतरा के मेरे चेहरे को अपने मुलायम चुचे मे छिपाते हुए - तो फिर मेरा राजा बेटा है
पापा हस के - अरे मेरी रानी वो राजा बेटा भी इस राजा की देन है कुछ प्यार से तो हमे भी नवाजो हीहिहिही
मै ह्स कर - हा मा पापा का भी तो थोडा बहुत हक बनता है आप पर हिहिहिही
फिर मा पापा के पास आई लेकिन पापा उनको गोद मे उठा लिये और बोले - बेटा मै अभी अपने हिस्से का प्यार लेके आता हू ठीक है हिहिहिही
मा पापा की गोद मे छटपटाने लगी लेकिन पापा ने मजबूती से मा को थामा हुआ था और झट से बगल के गेस्टरूम मे चले गये और मै भी अपनी चाय खतम कर हाल मे सोफे पर बैठ कर उन्के बाहर आने का इन्तजार करने लगा
करीब 8 10 मिंट बाद वो दोनो बाहर आये और मा झट से हस्ती हुई किचन मे चली गयी और पापा हाफ्ते हुए मेरे बगल मे बैठ गये
मै हस कर - मिल गया प्यार लग रहा है ,,
पापा हस कर मेरे हाथ पर हाथ रख थपथपाते हुए हस कर तेज सांसे ले रहे थे जिस्का मतलब था कि मैने जो बोला वो सही था
मै पापा के पास जाके - क्या किये इतनी जल्दी आप लोग हिहिही
पापा खुसफुसा कर - तेरी मा लण्ड बहुत ही मस्त चुस्ती है बेटा ब्स निचोड लिया अभी को
मै शर्म से ह्सते हुए - ओह्ह हिहिहिजी
पापा - एक बार चुसवा लेगा ना बेटा जो जन्नत है जन्नत
मै हस के - क्या पापा आप भी जाईये हाथ मुह धुल लिजीये
पापा हाफ्ते हुए - नही बेटा गर्मी बहुत है। बिना नहाए काम नही चलेगा
फिर पापा अपने बेडरूम मे नहाने चले गये और मै झट से लपक कर मा के पास गया
मा मुझे देख के इशारे से की पापा कहा है
मै - वो नहाने गये और दिदी नही दिख रही
मा - वो उस्का महीना आया है तो सोयी है
मै ह्स कर - मम्मी मुझे आपको कुछ बताना है ।
मा खुश होते हुए - हा बोल ना बेटा
फिर मैने गोदाम से लेकर घर आने तक के एक एक वाकये को मा को बताया
मा हस कर - ओहो अब आगे क्या सोचा है
मै खुशी से - बस मा जल्द ही हमारे सपने पुरे होगे ब्स आप पापा को कोई शक ना होने देना और हो सके तो आज रात पापा जरुर इस मुद्दे पे बात करे आपसे किसी तरह घुमा फिरा कर लेकिन आप ध्यान रखना और आदर्श बीवी बने रहना
मा ह्स कर - ठीक है मेरे लाल जैसे तू बोल
तभी हमे मेन गेट के खूलने की आवाज आई और हम सतर्क हो गये
वो अनुज था और फिर वो सीधा नहाने का बोल के छ्त पर चला गया और अनुज के आने से मुझे उसकी बात याद आई
मै - मा मै कह रहा था कि अनुज बेचारा डेढ़ महिने से दुकान सम्भाल रहा है और अब मै खाली हो गया हू और उसकी भी छुट्टिया चल रही है तो उसे कही घूमने जाने दिया जाय
मा खुश होकर - हा बेटा कहा जाने को बोला है इस बार
मै - इस बार वो राहुल के साथ उसकी मौसी के यहा बडे शहर जाना चाहता है घूमने , कह रहा था कि कभी बडे शहर गया नही
मा थोडे सोच के - ठीक है मै शालिनी से बात कर उसे भी भेज दूँगी और कुछ
मै एक कातिल मुस्कान के साथ लण्ड सह्लाते हुए - हा
मा मुसकी मारते हुए सब्जी चलाते हुए इतराने लगी और बोली - धत्त बदमाश जा तू भी नहा ले मेरा भी खाना हो गया है ,,फिर मै भी नहाने जा रही हू
फिर नहाने के लिए अपने बेडरूम मे चला गया
नहाने के बाद मैने एक तिशर्त और हाफ लोवर डाला और बाहर आया , जहा पापा और अनुज नहा कर बैठे थे वो लोग भी बनियान और चढ़ढे मे थे ।
दिदी किचन मे खाना लगा रही थी और अनुज को आवाज दी तो अनुज किचन मे चला गया इतने मे मा अपने कमरे से एक सूती हल्के गुलाबी रंग ब्लाउज मे बिना ब्रा के और उसी रंग का पेतिकोट पहने बाहर आई
ब्लाउज मे कसे चुचे देख कर मेरा लण्ड अपने सर उठाने लगा वही पापा भी बडे ध्यान से मा को निहार रहे थे
फिर मा वही से सीधा किचन ने गयी और पापा मेरे तरफ झुक कर मुस्कुराते हुए - तो बेटा अब क्या ख्याल तेरी मा के बारे मे हम्म्म्म
मै शर्माने लगा
पापा - बेटा तू शर्मा रहा है लेकिन तेरा ये छोटा शेर अपनी गरदन उठा के तेरी मा के भैस जैसे मोटे मोटे दूध देखने के लिए परेशान हो रहा है
पापा मेरे लोवर मे बने टेन्ट की तरफ इशारा कर बोले
मै मुह फेर कर हसने ल्गा
पापा - मै तो आज रात जम कर चोदने वाला हू तेरी मा को ,,, अगर तुझे देखना हो तो चूपके से आ जाना
मै आवाक होके पापा को देख्ते हुए - लेकिन मै क्या करुगा पापा
पापा ह्स के - अरे बेटा मुझे देख सिख तभी ना आगे काम आयेगा हिहिही
मै पापा की बात पे ह्सने लगा
पापा - तेरी मा आ रही है देख कैसे उसके चुचे मिजता हू
मै मुह पे हाथ रख के हसने ल्गा इत्ने मे मा आई और पापा के बजाय मेरे बगल मे आकर बैठ गई जिस्से मेरी हसी छूटी
मा - क्या बात है बेटा हस क्यू रहा है
मैने सोचा जब सब कूछ खुला हुआ ही है तो क्यू ना मजा लिया जाय
मै हस के - मम्मी पापा ने आपको अभी भैस बोला हिहिही
मा अचरज से - भैस , वो क्यू
मै हस कर - पता नही
मा हसते हुए - बेटा जरा रूम से मेरा दुपट्टा लेके आना ,,मै समझ रही हू मुझे भैस क्यू बोला गया है
मै - क्यू मा बताओ ना
मा हस कर अपने छाती को दिखाते हुए - ये देख रहा है बेटा क्या है
मै मासूम बच्चों के जैसे - हा मा ये तो दूध है
मा हस के - और ये कैसे है
मै मा को हग कर अपना मुह उसके चुचे पर रख कर - मा ये तो बडे बडे और मुलायम है हिहुही
मा ह्स कर - हम्म्म तो बडे बडे दूध कीस जानवर के होते है बेटा बताओ तो
मै मा के चुचे हल्के हाथो से पकड कर मासुम बच्चो के जैसे - भैस के
फिर चौकने के भाव मे मा से हटते हुर - ओह्ह इस लिए पापा ने आपको भैस बोला
मा ह्स के - हा बेटा ,,अब ये भैस तेरे पापा को लात भी मारेगी सोते समय
मै ह्स्ते हुए - हिहिहिहीही क्या मा आप भी
तब तक किचन से दिदी ने सबको बुलाया और हम सब खाना खाने के लिए चले गये । खाने के दौरान पापा बार बार मुझे इशारे कर मा को दिखाते थे और मै हस्ता था ।
फिर खाना खतम कर सब अपने कमरो मे चले गये
कमरे मे जाने के बाद मैने अपना मोबाईल चेक किया तो देखा सरोजा जी के तीन मिस्काल आये हुए थे और दो काजल के भी
मै झट से पहले काजल को फोन किया
फोन पर
मै - हाय बेबी
काजल - हाय के बच्चे कहा थे कबसे फोन लगा रही थी
मै ह्स कर - अरे मोबाईल चार्ज मे था और मै खाना खा रहा था
कोमल - और बताओ कब आ रहे हो मिलने मुझसे
मै - क्यू फिर खुजली हो रही है क्या हममम
कोमल मायुस हो कर - तब क्या कितने दिन हो गये राज ,,,तुमको नही मन होता क्या कभी
मै कोमल की बातो से उत्तेजित होकर - बहुत मन है दोस्त और जल्द ही आउँगा मिलने ,,,तब तक तू मनोज को भी मौका दे ना
कोमल शर्मा कर - धत्त पागल भाई है वो मेरा
मै ह्स कर - हा लेकिन वो तो तेरे नाम से हिलाता है ना
कोमल ह्स कर - नही अब उसको जरुरत ही नही पड़ती , मा है ना
मै जानबुझ कर - क्या मतलब
कोमल हस कर - राज मुझे तुमको कुछ ब्ताना है हिहिहिही
मै जिज्ञासा दिखाते हुए - हा हा बताओ ना कोमल
कोमल इतरा के - पता है मनोज अब रोज रात मे मा के साथ सोता है हिहिही
मै - तो उसमे क्या है
कोमल - अरे बुधु वो मा के साथ वो सब भी करता है हिहिहिही
मै चौकाने के भाव मे - क्या सच मे कोमल , मनोज , मौसी मतलब अपनी मा को चोदता है
कोमल - हा यार
मै - तुमको कब पता चला
कोमल - जब मै जौनपुर से वापस आई तभी के बाद से देख रही थी कि मा और मनोज के बीच काफी नजदिकिया आ गयी है और फिर एक रात मैने जासूसी की और सब कुछ पता चल गया ।
मै - अरे यार इसके तो मजे है मौसी जैसी गदराई माल को चोद रहा है
कोमल तुनक कर - हुह तुम सब लडके एक जैसे हो ,, हर जगह लार टपकाते फिरते हो
मै हस कर - ओह्हो चलो कोई बात नही जो हुआ अच्छे के लिए हुआ ,, अब इसी बहाने विम्ला मौसी के बाहर जाके मस्ती करने वाले प्रोब्लम से निजात हो गयी है
कोमल - हा सो तो है ,,
मै - फिर तुमने क्या सोचा है , तुम कब शामिल हो रही हो उन्के साथ
कोमल शर्मा के - धत्त मै कैसे पागल कही के
मै - अब तुम देखो कि क्या करना है मै तो रोज नही आ सकता ना तुम्हारे पास लेकिन अगर मनोज से तुम कर ली तो
कोमल ह्स कर - धत्त तुम रहने दो आज तुम्हारा मूड ही अलग लग रहा है ,, मै सोने जा रही हू बाय
मै - ठीक है सो जाओ लेकिन इस बारे मे विचार करना
फिर कोमल ने फोन रख दिया
मै भी ह्स कर बिस्तर पे लेट गया ।
तभी मेरे मोबाइल पे एक मैसेज बिप हुआ जो सरोजा जी ने किया था
मैने भी उनका हाल चाल लिया और फोन साइड रख दिया ।
क्योकि इस वक़्त सरोजा या और किसी से भी ज्यादा मुझे पापा के बाते रोमांचित कर रही थी और आज खाने से पहले वो बोले थे कि आज वो दरवाजा खुला रखने वाले है ।
मै कुछ सोचा और मोबाईल रख कर झट से उठा और बिना किसी आहट के
आराम से दरवाजा खोल के एक नजर हाल मे देखा और फिर दबे पाव सामने पापा के कमरे की तरफ बढ़ा जहा मुझे हल्की फुल्की खुस्फुसाहत सुनाई दे रही थी
जो पापा ने हल्का सा भिड्का रखा था और मैने हल्का सा जोर देखे बीते भर का गैप बना दिया और अन्दर कमरे मे देखा
जहा पापा बेड पर टेक लगाये बैठे थे और मा उनके सामने झुक कर उनका लण्ड चूसे जा रही थी ।
पापा मा से बाते किये जा रहे थे और सिस्क भी रहे थे ।
पापा - रागिनी एक बार सोच के देखो ना उस मजे को
मा लंड को मुह से निकालकर - लेकिन राज के पापा वो मेरा बेटा है मै कैसे उसके सामने ऐसे पेश आ सकती हू , उस रात वो सोया था तो मैने आपकी बात मान ली लेकिन अब ये ना हो पायेगा हमसे
पापा - अरे मेरी जान मैने आज परखा है उसे और वो भी तुम्हारे साथ मजे करना चाहता है ,,,
मा परेशान होने के भाव मे - ओहो लेकिन
पापा मा के गाल को छू के - ओह्ह रागिनी मेरी जान क्या तुम मेरी इस इच्छा को नही पूरी करोगी ,,,,मै तुम्हे अपने सामने किसी से चुदते हुए देखना चाहता हू एक रन्दी के जैसे ,,माना की तुम किसी गैर को ये सब नही करने दोगी तो क्या अपने राज के साथ तो कर सकती हो ना ,,,आखिर वो भी बड़ा हो रहा है और समय के साथ उसे भी सिखना जरुरी है ये सब ,,,कही किसी गलत रास्ते पर ना चला जाये वो इसिलिए मै कह रहा हू
मा एक कातिल मुस्कान के साथ- मै सब समझ रही हू आपकी गोल मतोल बाते ,,, आपको राज की नही अपनी भावनाओं की चिंता है हिहिहिही
पापा ह्स कर - तो कर दो ना मेरे लिये मेरी जान प्लीज
मा पापा की आन्खो मे देखते हुए उन्के सुपाडे को मुह मे भर कर गले तक उतार के निकाल देती है और मुस्कुरा कर लण्ड मुठीयाते हुए - ठीक है मै कोसिस करूंगी एक बार लेकिन अगर मुझे लगा कि वो इनसब नही रुचि ले रहा है तो मै कुछ नही करूंगी ऐसा
मै मा की चालाकी भरी बातो पर हस रहा था और उन्के कामुक अन्दाज पर लण्ड भी सहला रहा था
मुझे खुसी थी एक बार फिर मा और मेरा मिलन होगा लेकिन इस बार जिसका गवाह पापा खुद बनेंगे ।
एक तरफ मुझे पापा को जताना भी था कि मै उनको देख रहा हू वही दुसरी तरफ मा की गाड़ देख के उनको चोदने का भी मन था इसिलिए मैने कूछ सोचा और झट से अपने कमरे मे गया और वापस कर पापा के दरवाजे पर खटखट किया
जारी रहेगी