UPDATE 121
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE
पिछले अपडेट मे आपने पढा जहा एक ओर रज्जो अप्नी योजना मे कामयाब रही और ममता को पूरी रात उसके भैया से उसकी दोनो छेड़ो मे वीर्य भरवाया ,,वही राजन को सब कुछ सुखा सुखा ही मिला ।
मगर निचे कमरे मे अनुज ने पल्ल्वी पर चमनपुरा की माटी का जोर दिखाया और दो राउंड बडे जोश के साथ उसको चोदा ।
अब आगे
खैर रात तो बीत गयी लेकिन असल कहानी तो अब होने वाली थी क्योकि आज सभी मर्दो के बिसतर निचे और महिलाओ के बिस्तर उपर जाने वाले थे । कारण था मेहमानो का आवागमन । अब से 5 दिन थे शादी को ।
सुबह सुबह राजन की आंखे खुल गयी और वो ममता को देख कर चहक उठा ।
उसने एक दो बार ममता के बदन को छूना और घीसना चाहा मगर ममता थकी हुई थी तो उसने साफ मना कर दिया। राजन का चेहरा तो उतर गया लेकिन उसने भी ममता के थकान को समझा तो उठकर नहाने धोने चला गया ।
नहा कर वो आया तो उसने ममता को जगाया क्योकि सुबह मे 8 बज चुके थे और अभी कोई चहल पहल नही थी ।
राजन ममता को जगा कर निचे जाने को हुआ तो उसे रज्जो का दरवाजा बंद दिखा ,
राजन ने वाप्स से अपनी कलाई की घड़ी देखी और बोला - कमाल है अभी तो लोग सो रहे है
वो निचे उतरा तो देखा निचे भी कोई नही था,,,
क्योकि पल्लवि और अनुज भी थक कर सोये थे , रमन की तो देर रात तक अप्नी होने वाली बिवी से बात करने की आदत थी तो वो लेट ही उठता था और सोनल इस समय निचे बाथरूम मे थी ।
राजन को फिर से शक हुआ कही वो आज जल्दी तो नही उठ गया ,,,मगर जल्द ही उसकी शंका दुर हुई क्योकि पल्लवि अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की ओर गयी ।
वही रमन भी बाहर आया
थोडी देर बाद सारे लोग निचे हाल मे जमा हुए ।
इधर सोनल ने सबके लिए नासता बनाया और फिर दोनो जीजा साले मंडी के लिए निकल गये ।
अनुज भी रमन के साथ जाने को बोला लेकिन रज्जो ने उसे काम करने के लिए रोक दिया क्योकि अभी सारे बिस्तर उपर निचे करने थे और कुछ समान की पर्ची बनवानी जो कल होने वाली पूजा मे जरुरी थे ।
सोनल और पल्लवि किचन के कामो मे लग गये और रज्जो ममता अनुज को लिवा कर हर कमरे मे बिस्तर भिजवाने लगी
रज्जो ने अनुज से - बेटा अब से कुछ दिन तुझे भी थोडा एडजेस्ट करना पडेगा ,,ठिक है ना
अनुज हस कर - अरे कोई बात नही मौसी मै तो सोफे पर भी सो जाऊंगा उसमे क्या है हिहिही
रज्जो उसे कुछ नये गद्द्दे दिये निचे ले जाने को जिसे अनुज लेके निचे चला गया ।
ममता - भाभी ये सब अभी से क्यू कर रही हो ,,,हम लोगो का क्या होगा मतलब समझो ना
रज्जो हस कर - समझ रही हू तेरी बात ,,लेकिन क्या करू गाव से तेरे चाचा चाची आने वाली है और उनको पसंद नही कि शादी व्याह के दिनो मे मर्द औरत साथ मे रहे ,,
ममता ह्स्ते हुए - हिहिहिही सच कह रही ही भाभी ,,,चाची को पता नही क्या चिढ़ है
रज्जो -हा री ,, बहुत खड़ूस है ,,,अभी कुछ साल पहले हम लोग गये उनके यहा गोद भराई की रस्म थी तो उन्होने तेरे भैया को मेरे साथ बैठा हुआ देख लिया तो भी भडक गयी थी हिहिह्जी
ममता - हा तब मै भी तो थी ही वहा हिहिही
इतने मे अनुज वापस आ गया तो दोंनो चुप हो गये ।
खैर धीरे धीरे बाकी का काम हो गया और उपर के साथ निचे भी अच्छे बिस्तरो की व्यव्स्था कर दी गयी । पल्लवि और सोनल के सामान भी उपर ममता के कमरे मे रख दिये गये
रज्जो ने ममता के साथ सोनल और पल्लवि को भी अच्छे कपड़ो मे रहने को बोला क्योकि चाची कपड़ो को लेके बहुत ही सख्त मिजाज की थी ,,नये जमाने के कपड़ो पर बहुत जल्दी चिढ़ जाती थी तो रज्जो ने सोनल और पल्लवी को सूट पहन कर रहने को बोल दिया ।
दोपहर तक कमलनाथ के चाचा चाची भी आ गये । उनकी आवभगत हुई और फिर निचे अनुज के कमरे मे चाचा जी की और उपर ममता के कमरे मे चाची जी की व्यव्स्था कर दी गयी ।
2बजे तक राजन और कमलनाथ आये । उन्होने भी चाचा चाची से मुलाकात की फिर खाना खाने के बाद रज्जो की बनाई पर्ची लेके कल शाम मे जो पूजा होने वाली थी उसके खरीददारि के लिए निकल गये ।
पुरे घर का माहौल भी बदल गया था , कहा अभी सुबह तक आहे भरी जा रही थी और अब चाची सबको लेके उपर के कमरे मे समझा रही थी ताकी कोहबर मे कोई भूल ना हो । क्योकि चाची अपनी रीति रिवाज को लेके बहुत सख्त थी ।
इधर इनकी चाची का लेक्चर जारी था तो वहा चमनपुरा मे अपना राज काजल भाभी का पार्सल लेने के लिए बस अड्डे की ओर निकल गया था ।
राज की जुबानी
शाम को 3 बजे भाभी का फोन आया कि उनका ऑनलाइन प्रॉडक्ट चमनपुरा बस स्टैंड पर आ चुका है। इसिलिए मै दुकान पर मा को बिठा कर बस स्टैंड की ओर निकल गया ।
मैने वहा जाकर उस डिलेवारी बॉय से काजल भाभी की बात करवाई और सामान लेके वापस भाभी को फोन किया
मै - हा भाभी सामान मिल गया है ,,तो मै लेके आ जाऊ
काजल तुंरत मना करते हुए - अरे नही नही ,,अभी नही मम्मी जी है घर पर
मै - अच्छा तो फिर कब ,,वैसे इसमे है क्या काफी बड़ा बॉक्स है
काजल मुस्कुरा कर - कुछ नही बस ड्रेस है ,,,और सुनो कल मै बताऊंगी तो लेते आना
मै - अरे कल कब , मुझे कल सुबह ही मम्मी को लिवा के मौसी के यहा जाना है ,,बताया तो था ना
काजल - ओह्ह भी कैसे मै लेलू ,,,अभी मम्मी जी यही है
मै - अच्छा मै ऐसा करता हूँ ये बॉक्स खोल कर एक झिल्ली मे उपर अपनी छत से फेक दू तो
काजल - अरे नही नही वो टुट जायेगा
मै - अरे इसमे टुटने जैसा क्या है कपडा ही है ना ।
काजल हस कर - हा कपडा भी है और कुछ सामान भी है , ऐसा करो अभी शाम को मम्मी जी आपके यहा जायेगी तो उसी समय आप लेते आईएगा ,,
मुझे भी ख्याल आया क्योकि कल मै और मा जानिपुर जा रहे थे तो मा ने बोला था कि आज शकुन्तला ताई से वो पापा के खाने पीने के लिए बोलेंगी ।
मै - हा फिर ठिक है मै इसे दुकान ही ले जाता हू फिर ,, आप फोन करना मै 5 मिंट मे लेके आ जाऊंगा
काजल खुश होकर - हा ठिक है लेकिन बॉक्स ना खोलना प्लीज
मै - हा हा ठीक है भाभी चिंता ना करिये आप हिहिहिही
फिर मैने फोन रखा और दुकान पर चला गया ।
मा - अरे बेटा ये क्या लाया
मै - वो एक ग्राहक ने ऑनलाइन समान मगाने को बोला था वही है मम्मी
मा - अच्छा ठिक है तू अब देख मै जाती हू मुझे कल के लिए तैयारी करनी है
मै - हा ठिक है मा आप जाओ
फिर मा निकल गयी चौराहे वाले घर के लिए
मै भी वापस दुकान मे लग गया । मगर मेरा ध्यान बार बार उस बॉक्स पर जा रहा था कि ऐसा क्या मगाया है भाभी ने जो मुझे खोलने नही दिया । यहा तक कि ब्रा पैंटी के लिए नही शर्मायी फिर ये क्यू
फिर मैने एक दो बार बॉक्स को अच्छे से चेक किया कि कही से खोलने का कुछ इन्तेजाम हो ,,मगर वो सील था अच्छे से ।
तभी मेरी नजर बॉक्स के साइड मे चिपके रेसिप्ट पर गयी जिसपर कम्पनी का वेबसाईट , प्रॉडक्ट क्यूआर कोड और कस्टमर का ऐड्रेस लिखा था
मुझे एक आइडिया आया मैने फौरन उस वेबसाइट पर गया और उस प्रॉडक्ट का क्यूआर कोड स्कैन किया
मेरी तो आंखे खुल गयी जब उस प्रॉडक्ट की डीटेल मेरे फोन मे खुली तो ।
मै मन मे - अबे यार ये भाभी तो मेरी सोच से इतनी आगे की है ,मतलब कोई सोच भी नही सकता कि इतनी शर्मीली औरत ऐसे शौक भी रखती है ।
उन्होने किसी ऐडल्ट साइट से एक कम्पलीट बीएसडीएम सेट मंगवाया था । मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि काजल भाभी को इस तरह से सेक्स पसन्द है ,,, मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी ।
मेरी आन्खो के सामने काजल भाभी का वो BSDM वाला लूक दिखने लगा और ये भी कि कैसे उनका पति उनको उस चमडे के पटटे मे बान्ध कर उन्की मखमल सी मुलायम गाड़ पर उस पतली स्टिक से चट्ट चट्ट मारकर उन्हे लाल करेगा
मेरा लण्ड तन कर रॉड हो गया और एक अजीब सी खिलखिलाहट मेरे चेहरे पे थी ,,,मै बस हसे ही जा रहा था मगर मुझे उत्तेजना भी मह्सूस हो रही थी ।
मै तय कर लिया कि आगे काजल भाभी से कैसे निपटना है ,,मगर कल सुबह ही मुझे निकलना था मौसी के यहा तो मैने वापस आने के बाद की कुछ कलपना के पलो को सोचा और फिर अपने काम मे लगा गया ।
समय बीता और शाम को साढ़े 7 बजे तक मै दुकान मे रहा ,,फिर काजल भाभी का फोन आया कि शकुन्तला ताओ मेरे घर गयी है मै आ जाऊ ।
मै पहले से ही दुकान बढा कर तैयार था बस शटर गिराया और ताला बंद करके अगले 5 मिंट मे काजल भाभी के यहा पहुच गया ।
मैने उनको समान दिया और बडे गौर से ऊनके चेहरे के भावो को पढने की कोशीष की मगर वो जरा भी विचलित नही दिखी ,,,उन्होने बडी शालीनता से मुझसे सामान ले लिया और मुझे जाने को बोला
मै - बस जाऊ ,,,कोई थैक्श वैक्स नही ,,बस ऐसे ही
काजल हस कर - हा बाबू थैंकयू हिहिही ,,,
मै - अच्छा इसमे है क्या ,,मुझे नही लगत इसमे कपडा है ,,पैकेट भारी लग रहा था
काजल - अरे वो आपके भैया के लिए गिफ्ट है हिहिही ,,,तो वो ही खोलेन्गे इसिलिए मै मना कर रही थी ।
मै मन मे - हा जान रहा हू क्या गिफ्ट है
मै - अच्छा ठिक है मै चलता हू फिर बाय
काजल - हा बाय
फिर मै अपने घर चला गया जहा हाल मे मा और शकुन्तला ताई बैठी हुई थी ।
मै उनको नमस्ते किया
थोडी देर बाद वो चली गयी ।
मै - मा क्या बोला उन्होने
मा - मै कह रही थी कि तेरे पापा किसी को भेज दिया करेंगे खाना लेने दुपहर मे ,,मगर ये बोली कि कोई बात नही वो खुद लाकर दे जायेगी । दोपहर मे दुकान पर और रात मे घर पर ही
मै - चलो फिर तो ठिक है ,,,बस 4 दिन की बात है
मै - और मा बैग पैक हो गये
मा - हा बेटा अभी तक कर रही थी ,,,अब चलू खाना बना लू
मै - चलो मै भी आपकी मदद करू
मा - चल बड़ा आया मदद करने वाला ,क्या कर पायेगा तू
मै - अरे सब्जी काट दूँगा ,,चावल बिन दूँगा हिहिही और बरतन की कर लूंगा
मा मुझे दुलारते हुए - उसकी कोई जरुरत नही ,,जा नहा ले गर्मी बहुत है मै करती हू सारा काम
मै मा को हग करते हुए - आप अकेले करोगे तो थक जाओगे ,,,फिर रात मे कैसे
मा हस कर - ओहो देखो तो बडी रहम आ रही है अपनी मा पर ,,कभी छोडा है तुम बाप बेटो ने मुझे जो आज छोड दोगे
इतने मे पापा हाल मे आते हुए - बिल्कुल बेटा छोडना मत ,,,हक है भाई उस्का
मा - हा हा वही बस आता ही है ,, वो पैसे लेके आये है ना और गाडी वाले को फोन कर दीजिये कल सुबह 8 बजे तक आ जाये
पापा अपनी जेब से एक पैकेट निकाल कर मा को देते हुए - हा मेरी जान ये लो पैसे और गाडी वाले से बात कर ली है मैने वो 8क्या 7बजे ही आ जायेगा
मा - हम्म्म ठिक है चलिये आप भी नहा लिजिए
पापा - तो लिवा चलो कहा नहालाओगी
मा तुनक कर मुह बनाते हुए - हिहिहिही बड़ा अच्छा मजाक था ,,जाईये नहा कर आईये मुझे खाना बनाना है
मै उन की प्यार भरी नोक झोक पर हस रहा था और फिर मै भी नहाने निकल गया ।
थोडी देर बाद हम सब खाना खाकर अपने आखिरी मैदान मे थकने के लिए पहुच गये ।
इधर मै एक राउंड मे सो गया क्योकि मुझे ज्यादा थकना नही था ,,मगर पापा ने मा को 3 राउंड और पेला बस ये बोल बोल कर की अगले 3 4 दिन उन्हे तड़पना पडेगा ।
लेखक की जुबानी
एक ओर जहा चमनपुरा मे आखिरी रात का पुरा मजा लिया जा रहा था ,,,वही जानीपुर मे हवस मे मारे जीजा साले और ननद भौजाई की तडप ढलती शाम के साथ बढती जा रही थी ।
किचन से लेके सबके बेडरूम तक , मसाले से लेके सबके पहनावे तक हर जगह आते ही चाची के विचारो की छाप पडी हुई थी । यहा तक की घर के मर्द जन भी गर्मी मे बनियान मे नही रह सकते थे ।
गरम मसालो और लहसन मिर्च की छौक से रज्जो का तड़तड़ाता किचन आज बहुत शांत था । सबको बिना तड़के की दाल चावल चोखे से काम चलाना पडा ।
खाने के बाद सोने की वयवस्था मे रज्जो को अगुवाई करने पर भी चाची ने उसे टोक दिया और बोला कि मर्दो मे जाने और वहा बात करने की जरुरत नही है ।
रज्जो ने भी अपनी चचेरि सास का सम्मान किया क्योकि खानदान मे वही एक बुजुर्ग महिला थी और उन्हे शादी व्याह बहुत ज्ञान भी था ।
खैर सारी औरते उपर चली गयी । सोनल पल्लवि और चाची को उपर ममता के कमरे मे सुलाया गया ।
वही रज्जो ने ममता को अपने साथ सोने को बोला ।
निचे हाल मे कमलनाथ ने शांत और चुपचाप रहने वाले चाचा जी को अनुज के साथ सुला दिया और खूद राजन के साथ निचे सोनल वाले कमरे मे सोने चला गया ।
राजन -भाईसाहब ये चाची जी तो सच मे बडी सख्त है
कमलनाथ हस कर - अरे भाई ये तो कम है ,,, उनका कहना है कि सिर्फ़ नये शादी शुदा जोड़ो को ही एक कमरे मे सोने चाहिये । घर मे अगर बच्चे बडे हो जाये तो पति पत्नी को अलग अलग ही सोना चाहिये
राजन हस्ता हुआ - भाईसाहब बात तो चाची की एक तर्क पर सही है ,,मगर इस बेकाबू दिल को कौन समझाए हिहिहिही
कमलनाथ - बेकाबू दिल या लण्ड
राजन हस्ता हुआ - आप भी ना भाईसाहब हाहाहा
कमलनाथ की उत्तेजना बढ रही थी कल रात के बाद आज उसे नारी सुख नही मिला था ।
कमलनाथ बेचैन होते हुए - यार राजन बहुत बेताबी सी हो रही है ,,,पता नही चाची किस कमरे मे सोयी होगी । सोयी भी होगी या जाग रही होगी
कमलनाथ की बात सुन कर राजन थोडा चहक कर - भाईसाहब आप भाभी को फोन कर लिजिए ना ,,,
कमलनाथ - हा बात तो सही है , लेकिन वो ममता भी तो है उपर उसे क्या बोलू ,,अच्छा नही लगता ना
राजन ने भी सहमती दिखाई कि हा बात तो सही है क्योकि राजन की नजर मे ममता उसके गेम से बाहर की थी ।
थोडा सोच विचार कर राजन फिर बोला - भाईसाहब उपर चला जाए ,,,, थोडा देखा जायेगा जुगाड बन सेक तो
कमलनाथ - हा लेकिन अगर चाची रज्जो के कमरे मे सोयी हुई तो
राजन कुछ सोच कर - अच्चा तो ऐसा करिये ,,आप भाभी से फोन करके बस इतना पुछ लिजिए कि चाची कहा सोयी है और अगर कमरे मे होगी तो बोल दिजियेगा कि बस ऐसे ही हाल चाल के लिए पुछा था कि कोई दिक्कत नही हो रही है ना सोने मे
राजन की बात सुन कर कमलनाथ की आंखे चमक उठी
कमलनाथ फौरन उठा और रज्जो के मोबाईल पर रिंग बजा दी ।
इधर उपर कमरे मे भी दोनो ननद भौजाई भी बेचैन परेशान लेती हुई आपस मे बाते कर रही थी । कल पूजा के लिए क्या क्या तैयारिया करनी है और कैसे कैसे करना है ।
मगर दिल के एक कोने मे वो मरदाना स्पर्श की चाहत धीरे धीरे उबार ले रही थी ,क्योकि दिन भर खटने के बाद पति के बाहो मे प्यार पाकर सोने का सुकून अलग ही ।
इधर दोनो बातो मे व्यस्त थी कि तभी रज्जो के फोन की घंटी बजी
रज्जो मुस्कुरा कर - ले देख हम ही ये भी परेशान है
ममता मुस्कुरा कर - हिहिहिही भाभी बुला लो ना भैया को
रज्जो की भी आंखे चमक उठी और उसने कुछ सोच कर - पक्का ना
ममता ने भी शर्माते हुए हा मे सर हिला दिया और हसने लगी
रज्जो ने फोन उठाया - हा रमन के पापा बोलिए ,,,क्यू निद नही आ रही है क्या
रज्जो के मुह से रोमैंटिक लहजे मे बात सुन कर कमलनाथ भी गदगद हो गया
कमलनाथ - हा रज्जो तेरे बिना नीद कहा ,,वो कह रहा था कि चाची कहा सोयी है
रज्जो मुस्कुरा कर - क्यू आपको बात करनी है क्या ,वो लोग ममता वाले कमरे मे सोये है ले जाऊ मोबाईल
कमलनाथ की हालत खराब होने लगी - नही न्ही नही ,,,
रज्जो कमलनाथ को परेशान करके खिलखिलाई - फिर
कमलनाथ - अच्छा और कौन है तेरे साथ मे
रज्जो - मै हू ममता है औररर
कमलनाथ जिज्ञासू होकर - और और कौन है
रज्जो हस्ती हुई - और कोई नही बस हम दोनो ही ,,,आप कहा सोये है
कमलनाथ - मै तो राजन के साथ हू सोनल बिटिया वाले कमरे मे
रज्जो - अच्छा फिर मै निचे आती हू अभी ,,आप नंदोई जी भेज देना उपर
कमलनाथ राजन के सामने दिखावा करते हुए कि वो ममता को लेके थोडा सभ्यता बरत रहा है ।
कमलनाथ - क्या रज्जो तू भी ,,,ममता है ना वहा कैसी बाते कर रही है तू ???
रज्जो हसी - ये तो गाना गा रही है कबसे ,,,,मुझे साजन के घर जाना है तो मैने सोचा क्यू ना इसके साजन को यही बुला लू हिहिहिही
रज्जो की बात सुन कर कमलनाथ और राजन एक दुसरे को देख कर अप्रत्याशित रूप से हसे मगर ममता के लिए दोनो ने नैतिकता दिखाई ।
रज्जो - सुनो ना जी ,थोडा नंदोई जी से दुर होके बात करिये
कमलनाथ एक नजर राजन को देखता है तो वो आंखो से इशारा करके इत्मीनान होने को बोलत है । फिर कमलनाथ उठ कर दरवाजे तक जाता है ।
कमलनाथ - हा रज्जो बोलो अब
रज्जो थोडा शरारती भाव - आजयिये ना आप,,, हम दोनो तडप रहे है प्लीज
कमलनाथ का लण्ड रज्जो की कामुकता भरे संवाद से टनं हो गया और उसने फौरन राजन की ओर देखा कि कही उसने सुना तो नही ।
कमलनाथ वापस फुसफुसाते हुए - हा लेकिन यहा राजन है उसे क्या बोलूंगा
रज्जो - तो उनको भी लेके आ जाईये ,,हा नही तो
कमलनाथ की आंखे बडी हो गयी - तू पागल हो गयी है क्या ,,
रज्जो कसमसा कर - मै कुछ नही जानती - आप आओ नही तो मै आ रही हू
कमलनाथ - रज्जो मन मेरा भी है लेकिन ये तो सोच कि राजन क्या सोचेगा कि मै ममता के सामने भी ऐसे ही पेश आ रहा हू
रज्जो - अगर आपको दिक्कत हो रही है तो आप रुको मै आती हू और नंदोई जी को भेज दूंगी ,,ठिक है
कमलनाथ - अब क्या बोलू मै ,,,जैसी तेरी मर्जी लेकिन ध्यान से देख समझ कर
रज्जो खिल्खिलाई - हा ठिक है मेरे राजा उम्म्ंममममाआअह्ह्ह्ह
फिर फोन कट गया
राजन - क्या हुआ भाईसाहब
कमलनाथ - वो रज्जो जिद किये हुए है कि वो आ रही है और तुमको उपर जाने को बोल रही है
राजन - अरे कोई बात नही मै चला जाऊंगा आप लोग मजे करिये हिहिहिही
कमलनाथ - बात वो नही राजन ,,ये ऐसे ममता के सामने रज्जो की जिद नही समझ आती
राजन - भाभी जी आ रही है आप बस मजे करिये हिहिही मै जा रहा हू उपर
ये बोलकर राजन उठा और सीढियो से उपर चला गया
इधर जैसे ही वो उपर की सीढ़ी पर गया तो देखा कि चाची जी रज्जो की क्लास ले रही है ।
राजन बिना उनकी नजर मे आये उल्टे पाव भाग आया ।
कमरे मे राजन को वापस देख कमलनाथ उसे कारण पुछता है ।
कमलनाथ - अरे राजन तू वापस क्यू आ गये
राजन अपना पसीना पोछता हुआ -अरे भाईसाहब वो चाची जी उपर भाभी जी को डाट लगा रही थी और फिर उन्के साथ ही उन्के कमरे मे चली गयी ।
कमलनाथ अपना माथा पिट लिया - यार ये चाची भी ना ,,,, चलो भाई सो जाओ ऐसे ही
राजन को अब अपने हालत पर हसी आई - हिहिहिही लग रहा भाईसाहब चाची को सेक्स से ही परेशानी है
कमलनाथ - पता नही भई लेकिन आज तक ऐसा कोई नही मिला जो इतना प्रतिबंध लगा रहा हो ।खैर छोडो अब देर हो गयी है सो जाते है सुबह ही पूजा पाठ की तैयारियाँ करनी है
इधर ये दोनो भी तडप कर सो जाते है वही उपर रज्जो चाची से इतनी रात मे घुमने के लिए डांट पाकर चुपचाप सो गयी ।
एक नयी सुबह एक नये सिरे से कहानी को आगे ले जाने को तैयार थी क्योकि वहा चमनपुरा मे राज अपनी मा के साथ सुबह 8 बजे ही गाड़ी मे बैठ कर निकल गया था ।
इधर जानिपुर मे भी सुबह से पाखानो मे होड़ लगी थी ,,कारण था निचे एक ही पाखाना था । बडी मुश्किल से सबने बारी बारी से निपटारा किया और वही उपर के फ्लोर पर चाची जी की डांट का डर सब्के मन में बना हुआ था ।
सारा महिला वर्ग सुबह 7 बजे तक नहा धो कर तैयार हो गया था ।
इतना कुछ अच्छा और सही समय पर करके दिखाने पर भी चाची के चेहरे पर कोई खुशी के भाव नही थे ,,, ना जाने कोन सी चिढ़ थी उन्हे हर चीज़ के डाट लगा देती थी ।
खैर थोडी देर बाद सारे लोग हाल मे नास्ते के लिए जमा हुए तो उसपे भी चाची के टोका कि पहले मर्द जनो को देदो ,,,वो नासता करके अपने अपने कामो के लिए निकल जाये फिर घर की औरते करेंगी ।
कमलनाथ ने रज्जो को परेशान देख कर आंखो से उसे इत्मीनान रख्ने को कहा और फिर नासता खतम हुआ ।
राजन और कमलनाथ नासता करके निकल गये पूजा की तैयारियो मे ,,क्योकि ये कोई खास पूजा थी जिसमे दूल्हे का बाप और मा ही उस पूजा की तैयारिया करते है अकेले ।
चाची ने जब कमलनाथ को राजन को ले जाते देखा तो टोकि - अरे जमाई बाबू काहे लिवा जा रहे हो ,,पता है ना इसमे सिर्फ तुम्हारा काम है
कमलनाथ ने बहाना मारा - हा चाची लेकिन थोडा खाना बनाने वाले को बोलना है ,,क्योकि दोपहर तक काफी मेहमान आ जायेंगे ना
कमलनाथ की बात पर चाची ने सहमती दी और वो दोनो सरक लिये ।इधर अनुज भी रमन के साथ दुकान पर निकल लिया क्योकि उसकी भी फट रही थी ।
चाची ने रमन को भी टोका कि दोपहर को समय से दुकान बंद करके पूजा के लिए आ जाना । रमन ने चुपचाप सुना और खसक लिया ।
इधर गर्मी मे सूट सलवार पहन कर काम करने मे सोनल को दिक्कत हो रही थी उपर से पल्लवि भी इतने दिनो मे ढीले कपड़ो की आदी हो गयी थी तो उस्की भी परेशानी कम नही थी ।
घर के किचन से लेके बेडरूम और बाथरूम तक हर जगह चाची जी दबदबा था । किचन मे आज फिर से बिना कोई तड़क भडक का सारा खाना बनाया गया ,, दाल चावल रोटी और करेले की सब्जी ।
इतनी सारी चंचल औरतो के रहने के बावजूद भी घर मे कही भी हसी की किलकारि नही सुनाई दे रही थी । सबको डर होता कही इसके लिए भी चाची ना डाट दे ।
यहा तक कि सोनल कल से ही अमन से बात नही कर पायी थी । उसकी बेचैनी अलग थी । वही हमेशा चहकने वाली पल्लवि भी अपनी नानी के डर मे शांत थी ।
इनसब के बीच करिब 11बजे अपना राज रज्जो के यहा आ पहुचता है । अब यहा से आगे की कहानी राज की जुबानी होगी । हा बिच बिच मे चमनपुरा के हाल चाल के लिए लेखक की वापसी जरुर होती रहेगी ।
जारी रहेगी