UPDATE 122
CHODAMPUR SPECIAL UPDATES
पिछले अपडेट मे जैसा कि आपने पढा एक ओर जहा चमनपुरा से राज जानीपुर आ चुका है ,,वही कमलनाथ की चाची ने घर के चप्पे चप्पे पर ऐसी निगरानी रखी है मानो घर मे हर जगह CCTV और MOTION CENSOR लगे हो । उपर से चाची ने घर का प्रशासन इतना कड़ा किया हुआ कि एंटी रोमियो स्क़ुओड वाले भी क्या निगरानी रखते होगे मनचलो पर ।
अब देखते है आगे क्या होता है क्योकि आगे की कहानी अब राज के हिसाब से ही आगे बढेगी और अपने राज के स्वभावो से वाकिफ तो खैर आप सब हो ही ।
अब आगे
राज की जुबानी
सुबह 11 बजे मै रज्जो मौसी के यहा पहुचा । एक अलग ही खुशी थी ,,क्योकि काफी समय बाद कोई शादी मे आने का मौका मिला था और घर से बाहर घुमने का भी ।
मैने गाडी से समान उतारा और मौसी मौसी चिल्लाते हुए अन्दर घुसा ही था कि एक बुढ़ी औरत के तेज कर्कस तानो ने मेरा सारा जोश और उत्साह मिट्टी मे मिला दिया ।
मुझे अन्दर ही अन्दर बहुत दुख हुआ कि आते ही शुरुवात ऐसी हुई है लेकिन जैसा कि घर के संस्कारो से बंधा हुआ था तो मैने कोई रूखा स्वभाव नही दिखाया उन्हे बल्कि झुक कर उन्के दोनो पाव छुते हुए मुस्कुरा कर उन्हे प्रणाम किया ।
मै - नमस्ते दादी ,,मौसी कहा है
वो बुढ़ी औरत का गुस्सा एक पल मे ही मेरे व्यवहार को देख कर पिघल गया और मानो उन्हे अपनी गलती का अह्सास हुआ हो और अपनी वाणी मे निर्मलता लाते हुए - तू कौन है बिटवा
तभी पीछे से मा बोली - काकी ये मेरा बेटा है ,,नमस्ते
फिर मा ने भी उस औरत के पाव छुए
बुढ़ी हस्ती हुई - हा हा खुश रहो ,,काफी घोड़ा हो गवा है हहाहा
इतने मे रज्जो मौसी उपर से निचे आती हुई ।
रज्जो - अरे लल्ला तू आ गया
मै दौड़ कर मौसी के गले लगते हुए - हा मौसी ,पता है आपकी बहुत याद आ रही थी जिहिहिही और मौसा कहा है ,,रमन भैया अनुज और मेरी दीदी हिहिही कहा है सब
घर मे अचानक से मानो कोई बहार आ गयी ,, मेरे चहकपने और खिलखिलाहट से घर के सभी लोग धीरे धीरे निचे हाल मे आने लगे ।
तभी मुझे सीढियो पर से तेजी से किसी के आने की आहट हुई वो सोनल दीदी थी ।
वो आई तो तेज थी मगर जैसे ही उसने उस बुढ़ी औरत को देखा वो शान्त हो गयी
वो चल कर धीरे से मेरे पास आई और बोली - अरे राज तू कब आया
मै तो फुल मस्ती मे उसके हाथ पकड कर - हिहिही बस अभी आया दिदी ,,अनुज कहा है
सोनल दबी आवाज मे मुस्कुराते हुए - वो रमन भैया के साथ दुकान गया है
इधर मा रज्जो मौसी और वही खड़ी एक और औरत से मिलने लगी ।
तभी मेरी नजर एक गजब सी खुबसूरत और भरे जिस्मो वाली एक लडकी पर गयी ,,जो नजरे घुमा फिरा कर मुझे ही घुरे जा रही थी ।
उसके सीने का उभार उस गुलाबी सूट मे कसा हुआ था और उसके फैले हुए कुल्हे ऐसे ब्या कर रहे थे कि मानो कितने सिद्दत से उन पर मेहनत की गयी थी ।
जैसी ही मेरी नजर उस्स्से टकराई वो मुस्कुरा कर मुह फेर ली
मै धीमे से सोनल के कान मे उस लड़की की ओर इशारा करते हुए - दिदी ये कौन है जो लाईन मार रही है मुझे हिहिहिही
सोनल मेरे हाथ पर पट्ट से मारते हुए धीमी आवाज मे बोली -पागल कही का ,,ये वही है बताया था ना कि चोदमपूर गाव से रमन भैया के बुआ फूफा आये है ।
मै चोदमपूर शब्द सुन कर मुह मे हसा - अच्छा
सोनल - हा ये उनकी बेटी है पल्लवि ,और वो ममता बुआ है
सोनल ने मा से बात करती हूई एक गोरी सी औरत को दिखाया
मै तब जाकर उस औरत के कूल्हो पर नजर मारी और मन ही मन सोचा -साला जैसी मा वैसी ही बेटी भी है हिहिही
फिर मै वहा से चल के उस औरत के पास गया और उसके पाव छुते हुए - नमस्ते बुआ जी
ममता - अर्रे खुश रहो बेटा,,,, रागिनी भाभी आपका बेटा तो बहुत होनहार है
मा हस्ते हुए - हा सो तो है ,,अरे दीदी ये जीजा जी नही दिख रहे
रज्जो - तुझे बडी पडी है अपने जीजा जी से मिलने की
ममता - अरे मिलने दो ना भाभी ,, ना जाने कब से ये जीजा साली तरस रहे होगे मिलने को हिहिही
रज्जो ने तुरंत ममता का हाथ पकड़ते हुए उस औरत की ओर इशारा किया जो सोफे पर बैठी पंखे की हवा मे झपकी ले रही थी ।
रज्जो - पागल है क्या ममता ,,देख नही रही चाची है
ममता खिखियायि तो मै रज्जो मौसी से पुछ पडा आखिर ये है कौन
रज्जो धीमी आवाज ने - बेटा वो ये तेरे मौसा की सगी चाची है ,,गाव मे रहती है शादी के लिए आयी है ।तू थोडा देख समझ कर रहना क्योकि बहुत डांट लगाती है ।
इधर मानो वो चाची जी ने रज्जो की आवाज सुघ लिया हो
चाची जी - अरे खडे खडे अब पंचायत ही करनी है या मेहमानो को पानी भी पुछोगे
चाची के तंज पर घर की सभी महिलाए एक चुप हो गयी ।
फिर रज्जो मौसी ने हमारे कुछ समान लिये और फिर मै भी एक भारी बैग लेके उपर सीढियो से जाने लगा ।
मेरे पीछे मा , मौसी और वो ममता बुआ थी ।
सोनल दिदी उस पल्लवि के साथ किचन मे हमारे लिए पानी लेने चली गयी ।
हम सब मौसी के कमरे मे थे ।
मै ह्सते हुए - अरे मौसी ये दादी जी बहुत कड़क है जैसे अदरक हिहिहिही
रज्जो हस्ते हुए - तुम भी ना लल्ला , अरे कड़क पुछ रहा था अभी जबतक तू नही आया था , लग ही नही रहा था कि घर मे चार लोग है
मै चहक कर - अरे मौसी आप चिंता ना करो हिहिहिही
इतने मे मा मुझे डाटते हुए - क्या तू है तो ,,,अब झगड़ा करेगा काकी से
मै - अरे नही मा , शादी का घर है इतनी शान्ति अच्छी नही कुछ गाना बजाना होना चाहिए ना
इतने मे सोनल और पल्लवि कमरे मे आते है पानी का ट्रे लेके
सोनल - हा भाई सही कह रहा है ,,कल से हम लोगो इतनी घुटन हो रहि है ,लग रहा है अभी से ससुराल मे आ गये है हिहिहिही
तभी मेरी नजर मौसी के कमरे मे उनकी टीवी पास रखे हुए म्यूज़िक सिस्टम पर गयी
मै - अरे ये देखो ,,,बाजा है फिर भी नही बजा रहे हो आप लोग
मौसी - अरे बेटा तुझे लगता है चाची बजाने देंगी
मै कुछ सोच कर - अरे आप टेन्सन ना लो मै कुछ जुगाड़ कर लूंगा
मा - हा लेकिन ध्यान से ,,बहुत उतावला होने की जरुरत नही
ममता - हा बेटा रागिनी भाभी सही कह रही है,,,चाची सच ऐसी ही है कुछ उल्टा सीधा बोल देन्गी तो तेरा मन खराब हो जायेगा
मै उनको निश्चिँत करता हुआ - अरे बुआ परेशान क्यू हो रही हो,,बडी है अगर कुछ बोल देन्गी तो सुन लूंगा हिहिही
ममता मेरी बात पर हसते हुए - क्या खाकर पैदा किया था भाभी इसे हिहिही बड़ा जिद्दी है
मा मुझे दुलारते हुए - धत्त जिद्दी नही है ,,,बहुत समझदार हैं
इनसब के बीच मेरी नजर पल्लवि से कभी कभी टकराती रही ।
मै - तो मौसी मै तो यही रहूंगा इसी कमरे मे आपके साथ
मेरी बात पर सब हस पडे और ममता बोली - आजकल तेरे मौसा ही नही सो पा रहे तो तू कैसे हिहिहिही
फिर मैने कारण पुछा तो रज्जो मौसी ने सारा कुछ बताया और फिर मेरे लिये रमन भैया के साथ फिक्स कर दिया गया ।
मैने जब चाची के विचारो को जाना तो तय किया कि इनको भी इनके ही तरीके से ऐसा उलझाउँगा कि सब कुछ मेरे हिसाब से ही होगा फिर
मै उठा और फिर निचे चला गया और चाची जी के बगल मे बैठ गया
मै मुस्कुरा कर - और दादी आप अकेले आयी है या गाव से और भी कोई आया है ।
चाची जी मेरे सवाल से खुश हुई और बोली - हा बिटवा वो कमल (मौसा) के चाचा भी आये है
मै थोडा जिज्ञासू होकर - अच्छा दादी गाव मे शादिया कैसे होती है ,,,मतलब यहा देखो ना कोई गाना बजाना नही , कोई चहल पहल नही
मानो मैने चाची जी के दुखती रग पर हाथ रख दिया वो भड़के हुए स्वर मे ,- अरे जाये दो बिटवा ये शहर की रहन वालीयो को कहा गीत सोहर आता है ,,, अरे कम से भक्ति भजन तो कर ही सकत है सब लोग बैठ के
मैने बडी बारीकी से चाची जी के विचारो को सुना और समझा तो पाया कि वो भी कुछ उम्मीद और लालसा लिये आयी है इस शादी मे ।
मैने सोचा क्यू ना कुछ इनके मिजाज का ही करवाया जाये ।
इधर थोडी देर मे मौसा और उन्के साथ एक आदमी घर आये ।मै जान गया कि वो चोदमपूर से आये पल्लवि के पापा ही होगे क्योकि और किसी मर्द की चर्चा हुई नही थी अब तक
मै उठ कर मौसा जी के पाव छुए और फिर पल्लवि के पापा राजन के पाव छुए
राजन - अरे बेटा खुश रहो खुश रहो ,,,तू मुझे कैसे जान्ते हो
मै हस कर - वो अभी मौसी ने बताया था थोडी देर पहले
कमलनाथ - और राज बेटा घर का क्या हाल है और रंगीलाल भाई क्यू नही आये
मै - दरअसल मौसा जी वो इन दिनो चोरी की बहुत दिक्कत हो रही है और फिर दो दो दुकाने है , फिर चौराहे वाला नया घर भी
कमलनाथ - अच्छा अच्छा कोई बात नही ,,,और कुछ चाय नासता हुआ
मै मौसा जी को लेके एक तरफ गया
मै - जी मौसा ,, वो पूछना था कि अच्छा पूजा कबसे है
कमलनाथ - बस 3 बजे से है बेटा क्यू
मै - अच्छा आस पास के लोगो को जना दिया गया है ना
मौसा जी मेरी फ़िकरमंदी पर खुश होते हुए -अरे बेटा तू चिंता ना कर अभी ठाकुरायिन आती होगी । फिर तेरी मौसी जहा जहा कहेगी वो बता आयेगी
मै कुछ सोचा - जी ठिक है फिर
फिर बाकी लोग भी अपने अपने कामो मे लग गये ।
करीब 1 बजे वो ठकुरायिन मौसी से मिलने आयी और मै उसी का इन्तजार कर रहा था ।
जैसे ही मौसी ने उसे सब बताया तो
मै - मौसी मै भी इनके जाता हू ,,घर का कोई रहेगा तो ठिक रहेगा
मौसी मुस्कुराई और बोली - अच्छा ठिक है भई जा और जल्दी आना
फिर मै और ठकुरायिन करीब आस पास के 15 20 घरो मे गये । वहा मैने खुद से अगुआई करते हुए घर की सभी बुजुर्ग महिलाओ को आने का निवेदन किया ।
सबके आने के बाद मै किचन मे मौसी के पास गया
मै - हा मौसी वो मैने सबको पूजा के लिए बोल दिया है और आप जरा दो तीन बडी वाली चटाई निकाल देन्गी यहा निचे के हाल मे बिछाना है
मौसी मुस्कुरा कर - अरे परेशान ना हो लल्ला ,,,पूजा उपर ही होगी तो वहा व्यव्स्था कर दी गयी है ।
मै - अच्छा फिर थोडा 10 लोगो के लिए और चाय पानी व्यवस्था हो जायेगी क्या
मौसी - अरे उसकी दिक्कत नही है,,तू बिल्कुल परेशान ना हो सब 10क्या 50 लोगो की व्यवस्था है हिहिही
त्ब तक किचन मे पीछे से अनुज की आवाज आई - तो मौसी मुझे भी दो एक दो गुलाब जामुन
मै अनुज की आवाज सुन कर खुशी से पल्टा - अरे अनुज मेरे भाई हिहिहिही
अनुज मेरे पास आया और मैने उसे गले लगा लिया - अबे कहा था तू
अनुज - वो मै और रमन भैया दुकान पर थे ,,,आप कब आये
मै - बस थोडी देर पहले
फिर मै रमन भैया से मिला और भाभी मिलने की खुशी मे उनको छेडा भी ।
फिर मै उनके साथ कमरे मे गया और उनसे शादी की तैयारियाँ को लेके कुछ जरुरी बाते की ।
थोडी देर मे काफी सारी औरते आ गयी । पूजा मे अभी 1 घन्टा था तो मौसी को समझ नही आ रहा था कि सब लोग पहले क्यू आ गयी ।
पहले तो मौसी ने ममता और मा को उन औरतो की आवभगत का जिम्मा दे दिया और फिर रमन भैया के कमरे मे मुझे खोजती हुई आगयी ।
रज्जो - अरे लल्ला,,तुने कितने बजे बोला था सबको आने को ,,पूजा 3 बजे से है ना
मै हस कर- हा मौसी मैने ही इन्हे बुलाया है पहले आये ।
रज्जो - अरे बेटा क्या करेंगी ये सब अभी से
मै हस कर - अरे अभी देखो तो हिहिही
रज्जो परेशान होकर - पता नही क्या करने की सोच रहा है तू
इधर उपर मा और ममता बुआ ने मिलकर सबको बिठाया और पानी पिलाया
इनसब से बेखबर चाची जी रज्जो मौसी के कमरे मे कुलर की हवा मे सो रही थी ।
थोडी देर बाद रमन भैया के साथ कुछ प्लान किया और फिर उपर छत पर चला गया ।
उपर जाने के बाद मैने एक दो बुजुर्ग महिलाओ से आग्रह किया और बोला कि जिसके लिए वो आयी है वो शुरु करे ।
किसी को समझ नही आ रहा था कि मेरी योजना क्या है
इधर निचे हाल मे मौसा , मौसी, राजन , रमन अनुज थे और किचन मे सोनल और पल्लवि पूजा की तैयारियो मे लगी थी ।
उपर सिर्फ मा ममता और मै थे ।
मै मा से - मा दादी कहा है
मा - वो सोयी है क्या हुआ
मै चहक कर - अरे ऊनको जगाओ ना
मा आंखे बडी करके - तू पागल है मै नही जगाने वाली
इधर मा की बाते पूरी होती उस्से पहले वो सारी औरते एक सुर मे देवीगीत का गान करने लगी ।
मै हस कर - रुको मै ही जगा देता हू
मा मुझे रोकना चाही मगर कि ये सब क्यू करवा रहा हू ,,वैसे ही शोर शराबे से गुस्सा आता है चाची जी को
मै नही रुका और कमरे ने गया और ब्डे प्यार से उनको हिला के उठाया
चाची जी - अरे क्या हुआ बिटवा ,,पंडित जी आ गये का
मै हस कर - अरे दादी चलो तो आप ,,,, आपकी सहेली लोग आयी है
तभी चाची जी के कानो मे देवीगीत के बोल सुनाई दिये और वो हसते हुए बोली - धत्त नटखट कही का
मै हस कर उन्हे उठाते हुए - अब चलो नही तो भाग जायेगी आपकी सहेली लोग हिहिही
वो चाची मुस्कुराई एक खुशी सी थी उनकी आंखो मे और चेहरा पुरा खिला हुआ था ।
एक जोश के साथ मुस्कुराती हू बाहर आयी और पहले हाथ जोड कर मन मे कुछ बुदबुदाइ और फिर वही चटाई पर बैठ गयी ।
इधर मा और ममता बुआ भौछक्के रह गये कि इसका ख्याल उन्हे क्यू नही आया ।
मै मा को हस कर देखा तो मुस्कुरा रही थी और जैसे मुझे शाबाशी दे रही हो ।
वही निचे भी हालत खराब ही थी ,,, मौसा मौसी , राजन रमन भैया ,अनुज सब के सब चुप हो गये थे ।
उन्हे यही लग रहा है कि अब चाची का भडका हुआ स्वरूप ही देखने को मिलेगा ,,अच्छा खासा शादी का माहौल करकच का घर हो जायेगा
क्योकि सबको यही लग रहा था कि चाची जी को शोर शराबा और लोगो का जमावड़ा पसंद नही था
तभी पहला देवीगीत खतम हुआ और एक चुप्पी सी छा गयी । थोडी खुसरफुसर हो रही थी कि तभी चाची जी ने एक देवीगीत के बोल का उच्चारण किया और बाकी की औरते उनको दुहराणे लगी ।
निचे सबके कान खडे हो गये कि ये तो चाची जी की आवाज है और सबके चेहरे पर एक अनपेक्षित खुशी छाने लगी।
मौसी दौड़ते हुए उपर आयी और चाची को गाते हुए देखा ।
मै उन्के पास गया और हस बोला - लो मौसी फसा दिया इनको अब ये किसी को नही कुछ बोलने वाली
रज्जो हसकर - हिहिही बदमाश कही का ,ये था तेरा आइडिया हम्म्म
मै - क्यू सही है ना हिहिही अभी और भी आइडिया है
रज्जो - हा बहुत अच्छा किया ,,पहली बार चाची को खुश देखा इतना ,, नही तो इनकी नाक चढ़ी ही रहती थी हिहिही
मै - चलो इनको बिजी रहने दो , आप और मौसा जी तैयार हो लो।
मौसी ने प्यार से मेरे गालो को छुआ और अपने कमरे मे जाते हुए बोली - ठिक है ,,जरा निचे से अपने मौसा को भेज दे
मै - जी ठिक है
फिर मै निचे चला गया ।
इधर रमन भैया ने सबको मेरे योजना के बारे पहले से ही बता दिया था ती सबने मेरी तारिफ खासकर मौसा जी तो भावुक ही उठे ।
कमलनाथ - बेटा, हमारे खानदान मे मा के तौर पर एक चाची ही थी ,,उसका ऐसे नाराज होना खटक रहा था ,मगर तुने सब ठिक कर दिया
मै हस कर- अरे मौसा जी आप भी ना ,, जाओ मौसी बुला रही है हिहिही
फिर मौसा उपर चले गये और मै रमन अनुज ने रात मे घर को जगमग करने की कुछ प्लानिंग की ।
शाम को बडे अच्छे से पूजा संपन्न हुई और चाची जी सभी औरतो को फिर हल्दी वाले दिन आने को कहा।
हम सब हाल मे साथ मे बैठे हुए थे ,,
मौसी और मा सबको विदा करके हाल मे आती है तो चाची जी उठ के अपने पल्लू से एक गाठ खोलती है और मा के हाथो ने 21 रुपया देती है ।
मा हस कर- अरे काकी ये किस लिये
चाची मा के सर पर हाथ रख कर बोल्ती है -रख ले बहू ,,,तेरे लाड़ले का सगुन है
मा हस कर- हा तो आप इसे राज को दीजिये ना
चाची मुस्कुरा कर- अरे तुम शहर वालियो को कुछ पता भी है ,,जब तक लड़के का शादी न हो जाये तब तक उसके हक सगुन उसकी अम्मा को ही दिया जात है ।
मुझे ये नयी बात जानाने को मिली तो जिज्ञासा वश होकर - अच्छा दादी फिर शादी के बाद
चाची हस के - शादी के बाद लडके की दुल्हीन को
चाची की बात पर सब खिलखिला कर हस पडे ।
मै भी मजाक भरे लहजे मे - मतलब हम लोगो को ठेंगा हिहिहिही
चाची हस कर - अच्छा अब मुह ना बनाओ ये लेओ
मैने भी हाथ बढ़ाया तो उन्होने एक खट्टी मीठी कैंडी थमा दी
जिसे देख के सबने मेरा मजा ले लिया ।
मै भी जबरदस्ती खुद को हसा ही दिया क्योकि माहौल ही हसनुमा था ।
चाची थोडा खुद को स्थिर करते हुए - अब जो हीहीथिथी कर लिये हो तो रात वाला खाना तनिक सवेरे बना लो ,,, आधा रात मे खाना नाही खाया जात है
चाची के तानो से सबकी हवा एक बार फिर से टाइट हुई और धीरे धीरे फुसफुसाते हुए सब लोग निकल लिये ।
इधर मै रमन भैया और अनुज भी बाजार के लिए निकल गये । क्योकि हमे काफी सारे सजावट के समान लेने थे ।
बाजार से हमने काफी सारे रंगीन बलब झालर लाईटस लिये और कुछ चमकीले सजावटी समान भी । फिर वापस आकर 6 बजे से 9 बजे रात कर हम तीनो ने मिल कर पुरा घर सजा दिया ।
पुरा घर रौशनि और रौनक से भर गया और फिर सबने खाना खाया और सोने की योजना हुई ।
तो मुझे पता चला कि सच मे चाची जी इस बात को लेके बहुत सख्त है । उन्होने सारी औरतो को उपर ही सुलाया और हम मरदो को निचे ही सोना पडा ।
रात मे सोने से पहले मा ने मुझे पापा से बात करवाने को बोला ,,,तो वो भी अकेले बेचैन परेशान थे और खाना खा कर सोये थे ।
मै भी बहुत थका था और रमन भैया के कमरे मे सोना था तो उनके बिस्तर पर सो गया ।
सुबह 5 बजे तड़के ही घर मे चहल पहल शुरु हो गयी थी ।
मै उठ कर बाहर आया तो पता चला कि निचे सिर्फ़ एक ही पाखाना है , जिससे सबको समस्या हो रही थी ।
लेकिन अब उसके लिए क्या ही कर सकते थे ।
जैसे तैसे पेट दबा कर और पिछवाडा टाइट रखके सबने निबटारा किया ।
बारी बारी से सारे लोग नहा लिये । मैने भी कपडे बदले और एक टीशर्ट और फुल लोवर पहन लिया,,जैसा कि मौसी ने रात मे समझाया था ।
थोडी देर बाद नास्ते के लिए सब हाल मे बैठे ,,लगभग सब कोई मोबाईल मे व्यस्त था ।
तभी धीरे धीरे एक एक करके घर की पूरी महिला मंडली नहा धो कर निचे आई।
तब जाकर मेरे मन मे वापस से सो चुकी वासना ने एक उबाल लिया ,,क्योकि मै खुद रमन भैया की शादी की तैयारियो मे व्यस्त हो गया था कि इसपे कभी ध्यान नही दे पाया और रात मे रमन भैया से बात करने मे ही सो गया था ।हालाँकि मैने उनके और मौसी के बिच के रिश्तो पर कोई बात नही की , क्योकि मुझे अनुमान था कि शायद मौसी को लेके रमन भैया को उतनी जान्कारि नही है जितनी मुझे है ।
उधर जैसे ही मेरी नजर तीन मोटे हिल्कोरे भरे कूल्हो पर गयी ,,,लण्ड एक बार मे ही टनं हो गया ।
मा मौसी और ममता बुआ ओह्ह्ह ये तीनो कम थी कि सोनल दीदी भी पटियाला सूट मे निचे आयी और उनके पीछे पल्लवि अह्ह्ह यरर कयामत उफ्फ़फ्फ उसके चुचो का उभार तो सोनल दीदी से ज्यादा भरा हुआ लग रहा था और चूड़ीदार सूट सलवार मे बाहर की निकले हुए कूल्हो का उभार
मैने जब पल्लवी पर नजर मारी तो उसने मुझे नही बलकी उसकी नजरे कही और थी । उसकी नजरो का पीछा किया तो देखा अनुज ,,,मेरा अनुज
मै मन मे - अबे साला गजब ,,, लौंडा बड़ा हो गया है ,हिहिहही ,,, देखना है कि बात बस इशारो तक ही है या आगे भी बढ़ी है कुछ
इधर हाल मे बाते शुरु हो गयी और मौसा जी ने बताया कि नाना , गीता बबिता और मामी आ रही है आज ही शाम तक । मुझे खुशी तो हुई लेकिन फिर ये सोच कर मन उदास भी हो गया कि किसी के साथ कोई मजा नही हो पायेगा ।
फिर घर भी तो छोटा है ।
फिर मैने सोचा क्यू ना घर मे भिड़ बढने से पहले ही कुछ जुगाड लगाया जाये । इस माहौल मे अगर कोई राजी हो सकता है तो वो सिर्फ रज्जो मौसी ही है । उन्ही के साथ कोई न कोई जुगाड फिट करता हू ।
थोडी देर बाद सब जेन्स लोगो के लिए नास्ता लगवाया गया ।
इधर नास्तो का दौर जारी था मगर एक ओर जहा मेरी नजरे पल्लवि और अनुज के आंखो के इशारेबाजी पर लगी थी ।
वही दुसरी ओर किचन मे खड़ी मौसी पर थी ,,मुझे उसने बात करनी थी ।
धीरे धीरे सारे लोग अपने अपने कामों में व्यस्त हो गये ।
अनुज रमन भैया जे साथ उनके दुकान चला गया ।
मौसा और राजन फूफा बगल के घर मे कोई काम से गये थे ,,शायद वहा कुछ खाना ब्नाने का और मिठाइया बनवाने का इन्तेजाम करवाना था ।
मै धीरे से रमन भैया के कमरे में चला गया और चाची जी के नासता करके जाने का इन्तजार किया ।
इधर धीरे धीरे करके सारे लोग उपर चले गये । किचन मे मा और मौसी दिखी
मै खुश होकर किचन मे गया
मै मौसी के कन्धे पर हाथ रखते हुए - ये क्या मौसी आपके रहते कोई मस्ती नही कर पा रहा हू मै
मा हस्ते हुए एक नजर हाल मे देखी कि कोई है तो नही और फिर मुझे हल्का मेरे पिछवाड़े पर चपट लगाते हुए - पागल है क्या तू ,,देख नही रहा क्या हालत यहा कि
रज्जो उखड़कर - हा बेटा,,मै तो खुद 2 दिन से परेशान हू ,,चाची जी वजह से घर की हालत देख ही रहा है ना
मै चहक कर - अरे तो रमन भैया के पास दुकान पर चली जाती हिहिहिही कोई बहाना करके हीही
रज्जो ह्स्ते हुए - बदमाश कही का , जबसे तेरे मौसा आये है उसके बाद से रमन और मै दुर दुर ही है समझा
मै - मतलब रमन भैया इतने संतोषी आदमी है
रज्जो तुनकते हुए - संतोषी क्या इसमे ,,जल्द ही उसे अपनी जवाँ बीवी मिलने वाली है तो उसको अपनी बूढ़ी मा की क्या जरुरत
मै मौसी को टोकता हुआ - खबरदार जो मेरी सेक्सी जानू की बुढ़ी बोला तो
मा और मौसी मेरी बात पर हसने लगी
मै थोडा जिद करते हुए - मौसी प्लीज कुछ करो ना ,, बहुत मन है
मेरे इतना बोलने की देरी थी कि चाची जी आवाज आई सीढ़ीओ से जो मौसी को ही बुला रही थी
रज्जो - देखा बेटा, तू समझ और थोडा
मा - हा बेटा यहा उचित जगह नही है और तू जिद ना कर ,,,
इधर इनकी बात खतम होती उससे पहले ही चाची जी किचन के दरवाजे पर आ गयी
चाची - अरे तुम लोगो को कुछ सुनाई देता है या नाही ,,,कबसे चिल्ला रही हू
रज्जो - हा चाची कहिये ,,वो हम लोग समान निकाल रहे थे ।
चाची - जरा एक ग्लास पानी देओ दुल्हीन ,
फिर मौसी ने लपक कर पानी उन्हे दिया
तभी चाची की नजर मुझपे गयी और बोली - अरे बिटवा तुमहू यहा हो ,,आओ जरा तुमसे कुछ काम है
मै चौका ,,मतलब मुझ्से क्या काम होगा इस बुढ़ी को
खैर मैने उनका सम्मान करते हुए उन्के साथ उपर हाल मे गया । फिर जब मैने उनसे बात की तो मुझे बहुत हसी भी आई और थोडा उनके भावनाओ के लिए आदर और बढ गया ।
मगर मैने भी उन्से हसी हसी मे एक शर्त रख दी जिसे उन्होने हसी खुशी कुबुल किया ।
फिर मै रज्जो मौसी को बोल कर निकल गया रमन भैया के पास
लेखक की जुबानी
एक ओर जहा राज अपनी तैयारियो मे व्यस्त था वही चमनपुरा मे रन्गिलाल अपनी दुकान पर बैठा बेचैन हुआ जा रहा था ।
कारण था पिछले 36 घन्टे से चुत का सुख नही मिल पाना ।
ऐसा नही था कि रागिनी के जाने के बाद उसने रात बिताने के लिए इन्तेजाम करने का नही सोचा था ,,,मगर चाहे विमला हो या रंजू ताई सबने मना कर दिया । सब शादियो के सीजन मे व्यस्त ही थे ।
दोपहर का वक़्त हो चला था और दुकानो के ग्राहको के रूप मे आती औरतो के चुचे निहारकर आहे भरने के सिवा कुछ नही कर सकता था । ऐसे बेचैनी के आलम में उसे राहत भरी दो बडी बडी चुचिया हिलती नजर आई और जब चेहरे पे ध्यान दिया तो देखा शकुन्तला खाने का झोला लिये रंगीलाल की दुकान की ओर बढ़ी हुई आ रही थी ।
रंगीलाल की आंखे चमक उठी और दिल बागबाग हो गया ।
उसने तय किया कि अब एक मात्र सहारा यही है ,,इसे ही निचे लाने का प्रयास करता हू ।
रन्गिलाल उठ कर शकुन्तला के स्वागत मे खड़ा हुआ - अरे भाभी जी आप यहा , अरे फोन कर देती मै किसी को भेज देता टिफ़िन लेने
फिर रंगीलाल उसको अन्दर रेस्टरूम मे आने को बोलता हुआ - आईए आईये अन्दर चलते है ,,,आप भी ना इतनी गर्मी मे
शकुन्तला हस्ते हुए -अरे नही देवर जी ,,घर पर खाली ही थी तो सोचा थोडा टहल लू इसी बहाने वजन कम हो जायेगा हिहिही
रंगीलाल गलियारे मे रुक कर शकुन्तला की ओर घूम कर - क्या बात कर रही है भाभी आप भी ,,, आप तो पहले से ही चुस्त दुरुस्त है फिर आपको क्या जरुरत
शकुन्तला अपनी तारिफ सुन कर थोडा शर्मायी और हस्ते हुए - अरे अब आपको क्या पता मेरे कपडे इस उम्र मे भी छोटे हो रहे है हिहिही
अब तक दोनो रेस्टरूम मे आ चुके थे और रंगीलाल हस कर शकुन्तला को इशारो मे कुछ याद दिलाता हुआ - क्या भाभी मुझे पता है कि कौन से कपडे छोटे हुए थे आपके ,,,आप मेरा मजा ले रही है ना
रन्गिलाल की बात सुन कर शकुन्तला शर्म से झेप सी जाती है और उसे वो शाम याद आती है जब रन्गिलाल ने उसकी पैंटी का लेबल खोजा था ।
शकुन्तला हस कर - धत्त देवर जी आप भी ना , क्या क्या बात लेके शुरु हो गये आप हिहिहिही
रंगीलाल हस कर - मुझे लगा आप ही मुझसे मजाक कर रही थी ,,,,नही तो मेरे हिसाब से आप बहुत फिट और मस्त है
अब तक हसी मजाक के माहौल से शकुन्तला को भी मजा आ रहा था तो उसे लगा रंगीलाल ने कुछ दोहरे मतलब से वो शब्द बोला इसिलिए वो उन्हे दुहराती हुई सवाल कर देती है ।
शकुन्तला - आपके हिसाब से मतलब ???
रंगीलाल हस कर - मतलब मुझे तो लगता है आप बहुत फिट है और सारा काम भागा दौडी कर सकती है तो आपको वजन कम करने की जरुरत नही लगती
शकुन्त्ला मुस्कुरा कर - अच्चा सच मे यही मतलब था या
रंगीलाल - अब और क्या मतलब हो सकता है जो आप सोच रही है ,,,,बताईये
शकुन्तला की हालत अब खराब होने लगी क्योकि रन्गिलाल ने उसे उस्के ही सवालो मे फास दिया ,,,इसिलिए वो जवाब देने के बजाय हस उस बात को टाल दी ।
फिर रंगीलाल ने खाना खाया
रंगीलाल - सच मे भाभी आपके हाथो मे जादू है ,,खाना बहुत ही अच्छा था
शकुन्तला हस कर - फिर तो ये बात मुझे मेरी बहू से कहनी पड़ेगी ,,आखिर खाना उसी ने तो ब्नाया था
रंगीलाल हस कर - जो भी हो लेकिन खाने मे स्वाद आपके हाथ में आने ही बढ गया
शकुन्त्ला समझ गयी कि रंगिलाल उसे लपेट रहा है इसिलिए वो मूद्दे की बात पर आई - अब मक्खन लगाना छोडिए और ये बताईए कि रात के खाने मे क्या बनवाउ
रंगीलाल - अब जो भी लाईये ,,लेकिन मुझे तो आपके हाथ का बना खाना खाने की इच्छा है
शकुन्तला अब तो धर्मसंकट मे पड गयी क्योकि घर पर काजल उसे खाना बनाने नही देती और रन्गिलाल उसके हाथ का ही बना खाना खाएगा
तो मजबुरन माफी मागते हुए शकुन्तला ने अपनी परिस्थिती को रंगीलाल के सामने रखा
रंगीलाल - अरे ऐसी बात है तो आज रात मे आप मेरे घर ही खाना बना दीजिये हिहिहिही
शकुन्त्ला तो विस्मय व्यक्त करते हुए - हा वो तो ठिक है लेकिन क्या ये उचित होगा ,,मतलब आपके घर पर अकेले है इस समय और आप तो जानते ही है मेरे बारे आस पास के लोगो का बाते होती है ।
शकुन्तला की बात सुन कर रंगीलाल ने थोडा विचार किया और बोला - देखीये भाभी जी मुझे नही पता लोग आपको लेके क्या विचार रख रहे है और क्यू??? लेकिन आप मेरे घर आये तो ना मुझे या मेरे परिवार मे किसी को कोई आपत्ति होगी ,, अगर आपको अनुचित लग रहा हो तो मै रागिनी से बोल दूंगा
शकुन्त्ला रन्गिलाल की बाते सुन कर थोडी शांत होती हूइ - अरे नही नही उसकी जरुरत नही है ,,मै आ जाऊंगी
फिर शकुनत्ला अपना झोला लेके घर निकल गयी लेकिन रंगीलाल के दिमाग मे एक सवाल छोड गयी कि इन दिनो शकुन्तला को लेके क्या बाते चल रही है उस मुहल्ले मे और क्यू ? फिर रागिनी ने भी कुछ नही बताया ,,आखिर क्या बात होगी ?
जारी रहेगी