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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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HAPPY 3RD ANNIVERSARY
🎉🎊:celebconf:🎊🎉

सभी पाठकों को बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद
आपके प्यार और स्नेह की बदौलत
आज इस कहानी को ना सिर्फ
3 साल पूरे हुए
बल्कि 60 लाख व्यूज भी हो रहे है ।
कहानी पहले ही हजार पेज की रेस मे दौड़ रही है

आप सभी का आभार एक ऐसी कहानी को प्रेम देने के लिए जहा मेरे जैसे अड़ियल मिजाज वाले लेखक की मनमानी ही आपको पढने और सुनने को मिलती है ।
बिना किसी पोल और ओपेनियन लिये आप पाठक फिर भी कहानी से जुड़े है उसके लिए मै ऋणी रहूंगा


एक बार फिर से धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

Rinkp219

DO NOT use any nude pictures in your Avatar
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UPDATE 152

लेखक की जुबानी

बंद कमरे में निशा गहरी नीद मे थी और बेसुध सो रही थी इस बात से अंजान कि कमरे मे उसका बाप उसकी चिनकी खुली चुत को देख कर अपना लण्ड मसल रहा है ।

जंगीलाल एक नजर दरवाजे पर मारी और अपना लण्ड बाहर निकाल दिया ।
वो अपने हाथो मे लण्ड मसलते हुए उसकी चमडी खीच कर निशा के चेहरे के पास ले गया ।

उसके नथुनो के पास अपना सुपाडा करके जन्गीलाल वही खड़ा रहा था ,,,थोडे ही पल मे उसके लण्ड की मादक गन्ध निशा के नथुनो मे जाने लगी और उसे थोडी खुजली हुई ।

वो नीद मे ही कसमसाइ और अपनी नाक खुजाने के लिए अपनी हथेली को वहा ले गयी ,,लेकिन उसके हाथ मे उसके बाप का लण्ड आ गया । चुकी अब दिन चढ़ चुका था और लगभग निशा की नीद भी पूरी हो चुकी थी ।

इसलिए जैसे ही उसने अपने नाक के पास टटोला वो चौक गयी और आंखे खोल कर देखा तो बगल मे उसका बाप अपना मोटा काला लण्ड थामे हुए खड़ा था जिसके लाल सुपाडे का मुहाना उसके नथुनो से महज इन्च भर दुर था ।

जिस कोण से निशा लण्ड को देख पा रही थी वो उसे काफी ज्यादा तना हुआ मोटा लग रहा था

तभी उसकी नजरे उसके पापा के मुस्कुराते चेहरे पर गयी और वो समझ गयी कि उसका ठरकी बाप अब हर मौके का फायदा लेगा ही ।

निशा कसमसाकर - क्या हुआ पापा आप ऐसे क्यू ??

जन्गीलाल हस कर - अरे बेटा बड़े बुजुर्ग कहते है कि हर ट्रेनिंग को शुरुवात सुबह मे करनी चाहिए,,इससे हम जल्दी सिख पाते है ।

निशा एक मादक मुस्कान ली और मन ही मन ये सोच कर उसे हसी आ रही थी कि उस्का बाप उसे छोटी सी बच्ची जैसे ट्रीट कर रहा है ।

निशा अभी उठने को हुई ही थी उसे अपने आधे
नन्गे जिस्म की हालत समझ आई । वो फौरन पालथी मार कर बैठ गयी और अपने टीशर्ट से अपनी चुत को ढकने की कोशिस करने लगी ।

जंगीलाल मुस्कुराकर उसके सामने बैठ गया और बेडशीट पर लगे धब्बे को देखते हुए - लग रहा है रात मे तु भी परेशान हो गयी थी ।

निशा शर्म से लाल हो गयी । उसके पापा ये पता चल गया कि रात मे उसने अपनी चुत को सहलाया था ।

जन्गीलाल उसके हाथ पकड कर अपने हाथ मे लेते हुए - अरे इसमे शर्मा क्यू रही है ,,ये तो आम बात है । मुझे तो हैरत इस बात की है कि जब मै और तेरी मा रात मे वो कर रहे थे तो उस समय तुने कोई प्रतिक्रिया नही दिखाई ।
निशा नजरे निचे किये हुए अपने बाप का लण्ड निहारे जा रही थी जो उसकी चुत की ओर तना हुआ सास ले रहा था ।

जंगीलाल उसका हाथ पकड़ कर अपने मुसल पर रखते हुए - तुझे वो सब मह्सूस नही होता है क्या
निशा सुबह सुबह अपने पापा का लण्ड हाथ मे आते ही गनगना गयी और उसकी सासे तेज हो गयी ।
निशा समझ रही थी कि उसका बाप उसे चोद कर ही रहेगा वो लाख शर्म झिझक दिखाये और इस समय दोनो अकेले थे तो उसने तय कर लिया कि आज सुबह सुबह से वो अपने पापा का लण्ड लेगी ।
उसने अपनी मुठ्ठि को लण्ड पर कसा और खड़ा करके हिलाने लगी और मुस्कुरा कर बोलने लगी - बहुत ज्यादा मह्सूस हो रहा था पापा लेकिन .....हिहिहिही

जंगीलाल निशा के बदले भाव को देख कर थोडा सा विचारात्मक हुआ मगर लण्ड पर उसका स्पर्श उसे किसी अविवेक ही बने रहने दिया और उसकी हवस की आग को हवा देता रहा था ।
जन्गिलाल - लेकिन क्या बेटी
निशा - वो मै पहले एक बार अच्छे से देख लेना चाह रही थी ताकि ...।
जंगीलाल - क्या ताकि ...पूरी बात बोल बेटा

निशा शरमा कर लण्ड को हिलाते हुए - धत्त पापा मै नही बोलूंगी । मुझे शर्म आती है ...आप जानते तो हो

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जंगीलाल - हा जानता हूँ बेटा लेकिन तेरी यही शर्म और झिझ्क ही तो दुर करनी है

निशा नजरे निचे कर बस मुस्कुराते हुए अपने पापा का मोटा सुपाडा खोल रही थी ।
निशा - लेकिन पापा ऐसे कैसे शर्म नही आयेगी । क्या शुरु शुरु में मम्मी को शर्म नही आती थी ,जबकि आप दोनो लवर थे और मैने तो कभी किया ही नही तो .....।


निशा ने बातो ही बातो मे जन्गिलाल के सामने चुदाई का प्रस्ताव रख दिया और जन्गिलाल भी अपनी बेटी की दिल की बात समझ रहा था इसिलिए प्रतिक्रिया स्वरूप उसका लण्ड निशा के हथेली मे और भी कसने लगा ।

जंगीलाल मुस्करा कर - अगर ऐसी बात है तो पहले तुझे वो अनुभव ले लेना चाहिए बेटा
निशा के हाथ लण्ड पर जम गये और वो फैली हुई आंखो से अपने पापा को देखने लगी ।

फिर जंगीलाल उठ गया और निशा नजरे उठा कर अपने पापा के आगे बढ़ने का इन्तजार करने लगी और तभी उन्होने निशा का हथ पकड़ कर उसे भी खड़ा किया और एक हाथ से उसके नंगे चर्बीदार गाड़ पर फिराया ।
निशा पूरी तरह से हिल गयी और अपने पापा से चिपक गयी ।
जन्गीलाल ने अब दोनो हाथ पीछे ले जाकर निशा के चुतडो को भर भर के हाथो के मसलना शुरु कर दिया

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वही निशा से भी नही रहा गया तो उसने हाथ निचे करके पापा का लण्ड को सहलाने लगी और सरक कर निचे जाने को हुई

जन्गीलाल उसे रोकते हुए - अभी नही बेटा , जब पति अपनी पत्नी के जिस्मो से खेल रहा हो तो उसे पुरा मजा लेने देते है ,,जब वो खुद से कहे या इशारा करे तभी निचे जाते है ।
ये बोलते हुए जंगीलाल ने वापस से निशा के गाड फैलाना शुरु कर दिया और अपनी मोटी मोटी उंगलियाँ उसके दरारो मे घिसने लगा ।
निशा ने अब और कस के अपने पापा के लण्ड को कस लिया और साथ ही अपने चुतडो को कसने लगी ।

जंगीलाल ने उसे अपने ओर खिचे हुए ही अपने एक पन्जे की उंगलियो से उसके गाड़ के दोनो पाटो को फैला रखा था और दुसरे हाथ की उंगलियाँ अपने मुह मे गीली करके ढेर सारा लार उसके गाड के सुराख पर मलने लगा ।

निशा छटपटाने लगी और अपने जोबनो को पापा के सीने पर दरते हुए सिस्क उथी - उम्म्ंम्ममम्ं पाअपाआआह्ह्ह

जंगीलाल ने विजयी मुस्कान ली और उसे घुमाते हुए बिस्तर पर घोड़ी बना दिया ।

निशा समझ गयी शायद अब ज्यादा देर नहीं लगेगी और उसके बाप का मुसल मे चुत की दिवारो को चीर फाड़ डालेगा ,,, वो उत्तेजना से भरी जा रही थी और उसके चुत रस बहाये जा रही थी ।
जन्गीलाल ने अपनी बेटी के चुतडो के पाटो को मसला और थुक से लसल्साती जीभ को अपनी बेटी के गाड़ भूरे सुराख पर चलाया । जिस्से निशा चिहुक कर आगे छ्टकी ,,जन्गिलाल ने उसे कमर के पास से दबोचा और उसके गाड को फैलाते हुए अपना जीभ उसके सुराख पर चलाने लगा ।

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हवस और उत्तेजना की कोई कमी नही थी । वो जीभ को नुकीला किये हुए अपनी बेटी के गाड़ के छेद मे भेदे जा रहा था और वही निशा कसमसाते हुए कामुक सिसकिया ले रही थी ।

निशा - उम्म्ंम्म्ं सीईईई अह्ह्ह्ह पाअपाआआ ओह्ह्ह क्याआआ कर रहेहहह उह्ह्ह्ह सीई
जन्गीलाल अपनी बेटी की सिसिकिया सुन कर और भी जोश मे आने लगा और गरदन निचे करके उसका जांघो को चौड़ा करते हुए अपना मुह उसकी बजबजाती चुत पे लगा दिया और सुरकने लगा।

अपने बाप की मोटी और खुरदरी जीभ का गीला गीला स्पर्श जैसे ही निशा को अपनी चुत के निचली हिस्से पर हुआ वो गनगना गयी और जान्घे कसने लगी ।
मगर उसका बाप उसे कस कर जकडे हुए अपनी जीभ जबरदस्ती उसकी चुत मे घुसेड चुका था और अपनी ही बेटी के नमकीन गर्म पानी का स्वाद ले रहा था ।

जिस बेरहमी से जन्गीलाल अपनी बेटी की चुत चुबलाते हूए उसे निचोड रहा था ,,,निशा की चुत और बहे जा रही थी , उसने अपनी जांघो को अब ढिला करना शुरु कर दिया था और हल्की हल्की थकान सी हो रही थी । जंगीलाल समझ गया कि यही सही समय कि इसी नशे मे उसकी बेटी के चुत को भेदा जाये और उसका शिल भंग किया जाये ।

जन्गीलाल खड़ा हुआ और प्यार से अपनी बेटी के नितम्बो को सहलाने लगा , बार बार अपनी हथेली को निचे चुत पर घुमाने लगा जिस्से निशा की सिसकिया रह रह कर निकल रहीथी । फिर उसने निशा के टेबल से एक हेयर आयल की शीशी उठाई और अंजुली मे भर कर तेल लेके अच्छे से अपने हथियार को तैयार करने लगा ।

काफी समय अपने पापा की ओर कोई हरकत ना पाकर निशा ने गरदन घुमा कर पीछे देखा तो उसका बाप दोनो हाथो से अपना मोटा काला लण्ड तेल मे चभोड़ कर मसल रहा है ।

निशा मन ही मन में- अह्ह्ह पापा आज तो फाड़ ही डालोगे क्या उम्म्ंम्ं माना कि राज का इससे ब्डा था लेकिन फिर आज ना जाने क्यू डर लगा रहा है । उम्म्ंम पापा का सुपाडा कितना फुला हुआ है ,,,, मै तो कोई झूठ का नाटक करने वाली थी लेकिन अब लगता है सच मे मेरी आज चुत फट जायेगी ,,,,,

इधर जंगीलाल ने जब निशा को उसका मोटा लण्ड निहारते हुए देखा और उसे अपनी बेटी के चेहरे पर डर के भाव दिखे तो वो मुस्कुरा कर लण्ड को मसलता हुआ - अरे बेटा तू इधर ना देख ,, बस जान ले जैसे डॉक्टर कोई बच्चे को सुई लगाते है ना वैसा ही है ।बस उतना ही दर्द रहेगा ।

निशा ने सहमे हुए भाव मे हा मे सर हिलाया और मन ही मन हसी भी आयी कि पापा तो उसे बच्ची ही समझते है ,,अभी जब ये बच्ची अपनी कला दिखायेगी ना तब समझ आयेगा ।

निशा मन मे बेताबी से - ओह्ह्हो पापा डालो ना अब उम्म्ं कितना टाईम लगा रहे ,,, ओह्ह हा लग रहा है अब मिलेगा ओह्ह्ह्ह्ह

इधर निशा अपने पापा के लण्ड के लिए बेताब हुई जा रही थी वही जंगीलाल अपना लण्ड चिकनाता हुआ अपनी बेटी के चुत के मुहाने पर रख चुका था ।डर दोनो के मन मे था , उत्तेजना दोनो के जिस्म मे थी । दोनो की एक दुसरे के गुप्तांगो की गर्मी महसुस कर रहे थे ।
तभी जन्गीलाल ने अपनी बेटी के कूल्हो को दुलारा और लण्ड को चुत के मुहाने पर दबाते हुए पचक की आवाज से घुसेड़ दिया । एक ही बार मे आधा लण्ड सट्ट से अन्दर घुस गया ।
हैरानी की बात जंगीलाल के जहन मेआती उससे पहले निशा एक आह्ह लेके अपनी कमर पर हाथ रख उसे दबाना शुरु कर दिया , जंगीलाल जहा था वही रुक कर अपनी बेटी के कमर की मालिश करने लगा ।
निशा इस समय पूरी तरह से रोमांचित थी ,,उसके चुत मे पानी भर रहा था और मन ही मन में यही चाह रही थी उस्का बाप उसे खुब बेरहमी से पेले

वही जन्गीलाल अपनी बेटी की फिकर मे आधा लण्ड डाले रुका हुआ था - बेटी तू ठिक है ना ,,,
निशा दबी हुई सिसकी मे - उम्म्ंम्ं हाआ पापाआ थोडा जलन हो रहा है ।
जंगीलाल समझ गया कि उसकी बेटी ये सह सकती है और उसने एक जोर का करारा धक्का मारा जो निशा के चुत की दीवारे चिरता हुआ उसकी जड़ मे चला गया ।
निशा जोर की सिसकी और मुह पर हाथ रख लिया ।

जन्गिलाल उसके कुल्हे दुलारता हुआ - बस बेटी बस ,,,अब तुझे जरा भी दर्द नही होगा ,,हो गया सब

ये बोल कर उसने वापस से लण्ड को पीछे खिच कर एक और जोर का ध्क्का उसकी चुत मे मारा ,,जिससे निशा की दर्द भी सिस्की उसे सुनाई ,,उन सिस्कियो मे पापा पापा की पुकार थी । जो जन्गीलाल को उत्तेजित किये जा रही थी ।

उसने निशा के कुल्हे पर रखे हुए हाथ को पकड़ा और धक्के लगाने शुरु कर दिये ,,उसका हवस बेहिसाब बढ रहा था ,,महिनो से जिस बेटी की जिस्मो का दीवाना था वो आज उसके लण्ड की सवारी कर रही थी । निशा जानबुझ कर अपनी सिस्कियो मे पापा का जिक्र करती जिससे जंगीलाल और भी उत्तेजित होकर कस कस के चोद रहा था ।

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निशा - ओह्ह्ह पाअपाआअह्ह अह्ह्ह्ह बहुत टाइट
है उम्म्म्ं ओह्ह्ह सीई उम्म्ं मुम्मीईई अह्ह्ह्ह

जन्गिलाल हाफते हुए - आह्ह बेटी तेरी चुत भी तो टाइट है ,,, अभी ढीला हो जायेगा अह्ह्ह बेटी ।
जन्गिलाल बिना निशा के दर्द की परवाह किये उसे गचागच पेले जा रहा था वही हाथ खिचने की वजह से निशा को दर्द हो रहा था
निशा - अह्ह्ह पाप्पाआ हाथ दर्द कर रहा है

जंगीलाल निशा का हाथ छोड कर उसके गाड़ को मसलते हुए घोड़ी बनाये गचाग्च पेलेते जा रहा था - अब ठिक है ना मेरी लाडो उम्म्ंम्ं बोल ना


निशा अपनी गाड़ उठाए हुए पापा से चुद रही थी - अह्ह्ह हाआ पाअपाआ अब अच्छा लग रहाआअह अह्ह्ह मम्मी उम्म्ंम सीईई

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जंगीलाल - ओह्ह्ह बेटी अभी और मजा आयेगा ,,, रात मे जब तेरी मा के साम्ने तुझे ऐसे ही चोदूंगा उम्म्ंम बोल चुदेगी ना अपनी मम्मी के सामने
निशा अपने पापा की बाते सुन कर पूरी तरह से हिल गयी कि क्या होगा जब रात मे उसके पापा मम्मी के सामने उसे नंगा करके चोदेंगे ? क्या वो मम्मी को भी मेरे साथ ही चोदेन्गे ? काश ये हो जाये तो मजा ही आ जाये अह्ह्ह्ह उम्म्ं

निशा अपने पापा को और भी जोश दिलाते हुए - आह्ह हा पापा उम्म्ंम आपकी बेटी हू ना ,,,आपका मन करे चोद लेना उम्म्ंम्ं कितना मोटा आपका ये उम्म्ंम्ं उह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीईई ओह्ह्ह

जंगीलाल अपनी बेटी से तारिफ सुन कर गदगद हो गया और उसकी चुत मे दो तिन बार गहरे घक्के लगाने के बाद लण्ड बाहर निकाल दिया - आजजा बेटी अब तू मेरे उपर आजा

निशा चहककर - वो मम्मी के जैसे क्या ??
जंगीलाल बिसतर पर लेटकर - हा बेटा तेरी मम्मी के जैसे ,,,आजा इसपे बैठ कर मुझे दिखा तो तुने क्या सिखा

निशा मुस्कुरा कर अपने पापा के लण्ड पर दोनो ओर टाँगे फेक दी और लण्ड को पकड कर चुत मे भरते हुए घुटनो के बल बैठ गयी । लण्ड सीधा उसकी चुत मे सरक गया ।
निशा अपने पापा के लण्ड पर बैठी खिलखिला रही थी और बडी मादक सी हलचल कमर मे करते हुए टीशर्त के अन्दर अपने चुचे पकडे हुए थी ।

जंगीलाल के हाथ निशा की कमर पर थे लेकिन निशा की हरकते देख कर उसे अपनी बेटी के नायाब मुलायम चुचो को ख्याल आया और उसने निशा के हाथ खिचते हुए उसका टीशर्ट उपर कर दिया जिस्से उसके मोटे मोटे नारियल जैसे चुचे सामने लटक कर झुलने लगे ।
जंगीलाल खुद को रोक नही पाया और उसने अपनी बेटी के रसिले आमो को दबोच लिया ।
ये निशा के चुचो पर उसके पापा का पहला नग्न स्पर्श था ,,जिस्से निशा पूरी तरह से सिहर गयी और अपने पापा के हाथो को उपर से पकड कर उन्हे कोई भी हरकत करने से रोकने लगी । बाप बेटी के हाथो की कसमसाहाट मे बेचारी निशा के चुची की निप्ल्ल बुरी तरह से मिज रही थी । जन्गीलाल की हथेली मे कभी निप्ल्ल का सिरा उपर की ओर चिपका होता तो कभी निचे की ओर खिच रहा होता हौ

अपने पापा की खुरदरी हथेली की रगड़ से आखिरकार निशा ने अपनी पकड ढीली कर दी और अपनी दोनो छातिया खुला छोडते हुए आगे अपने पापा की ओर झुक गयी ।
अपने चेहरे के आस पास अपनी बेटी की झुल्ती चुचिय देख कर जंगीलाल पागल हो गया और उसने एक एक करके उसकी चुचिय बारी बारी से मुह मे भरने लगा ।
निशा - ओह्ह्ह उम्मममं पापाआह्ह्ह श्ह्ह अराआम्म्ंं से हिहिहिही सीईईई अह्ह्ह उम्मममंं
जन्गिलाल तो निशा के सवाल के जवाब देने मे भी अपनी शक्ति नही गवाना चाह रहा था वो बस एक एक करके दोनो चुचिय मुह मे बदल बदल के चुसे जा र्हा था । उसके जीभ जिस तरह से चुचियो के निप्प्ल घुमा रहे थे ,,निशा तो मदहोश हो चुकी थी
अखीर उसने तय किया कि अब एक ही रास्ता है और उसने धीरे धीरे अपनी गाड़ हुमचानी शुरु कर दी

जंगीलाल ने जैसे ही म्हसुस किया कि उसकी बेटी ने अपनी गति मे तेजी ला दी है वो और उत्त्जीत होने लगा लेकिन वो इस बात से अन्जान था कि उसकी बेटी इस पोजीशन की माहिर खिलाडी है ,,,आखिर निशा की चुदाई इसी पोजिसन मे पहली बार राज ने की थी ।
निशा के कमर की तेज गती और उसके मादक तेज सिसकियो से जंगीलाल का ध्यान उसकी चुच्जीयो से पल के लिए हट गया और मौका पाते ही निशा सीधी हो गयी ।
लेकिन उसने अपनी कलाबाजी जारी रखि।वो अपने हाथ पापा के सीने पर टीकाए तेजी से अपनी गाड़ हिलाते हुए अपने पापा के लण्ड की सवारी कर रही थी ।

जन्गीलाल आवाक और उतेजीत होकर बेकाबू हुआ जा रहा था ,,उसके लण्ड का कड़कपन अपनी बेटी का ये रूप देख और भी ज्यादा हो गया था । उसके जहन मे कुछ सवाल रुपी शन्काये उठी जरुर लेकिन निशा के मादक चुदाई की कला से और भी उत्तेजीत हुआ जा रहा था


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जंगीलाल ने हाथ आगे बढा कर अपनी बेटी के झुलते चुचे पकडकर - ओह्ह हा बेटी अह्ह्ह आह्ह ऐसे ही और हिला अपनी गाड़ उम्म्ं तू तो सच मे एक ही दिन मे बहुत जल्दी सिख गयी और अह्ह्ह्ह अह्ह्ह शाबाश मेरी लाडो उम्म्ंम

निशा मुस्कुराते हुए - अह्ह्ह पापा ऐसे सच मे बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह , मम्मी को रोज ऐसे ही मजा आता होगा ना उम्म्ंम्ं सीईईई
जंगीलाल अपनी बेटी के चुची मसलकर - अह्ह्ह हा बेटी वो रोज मजे लेके ही सोती है ,,,तू चिंता ना कर अह्ह्ह्ह्ह सीईई आज से तुझे भी मजा मिलेगा रोज उम्मममं

निशा - हा पापाआअह्ह मुझेहहह रोज चाहियेअह्ह्ह उम्मममंं कित्ना मोटा है ये उम्म्ंम ओह्ह्ह पापा मेरा निकल रहा है अह्ह्ह्ह मममीईईई

निशा तेजी से कमर हिलाते हुए झड़ रही थी और वही जन्गिलाल ने भी निचे से धक्के लगाने शुरु कर दिये थे - अह्ह्ह हाआ बेटी निकल जाने दे अह्ह्ह्ह मै भी आ रहा हू उम्म्ंम अह्ह्ह्ह्ह

जंगीलाल तेजी से निचे से धक्के लगाने लगा - आह्ह बेटी जल्दी आ अह्ह्ह्ह आह्ह
निशा मे फटाक से उछल कर लण्ड से उतरी और ग्पुच करके लण्ड को मुह मे भर लिये और गटागट सारा माल सुरकने लगी ।

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जंगीलाल झटके खाते हुए अपनी बेटी के मुह मे फुहारे मारने लगा और अच्छे से निचोडने के बाद निशा वही बैठ कर अपने पापा के लण्ड को दुलारते हुए उन्हे देखने लगी तो जंगीलाल ने मुस्कुरा कर उसे अपने पास आने को कहा । निशा चहक कर अपने पापा के सीने से चिपक गयी ।

जंगीलाल - देखा तुझे दर्द बिल्कुल भी नही हुआ
निशा मन ही मन में हसी और मुस्कुराकर - हा आपने इतने प्यार से जो किया हिहिहिही थैंक्स पापा ।
उसने अपने पापा के गालो को चुमते हुए कहा ।
जंगीलाल - हा लेकिन ये बात अभी अपनी मा को नही बताना
निशा - हिहिही ठिक है नही बताउंगी लेकिन दोपहर मे मुझे ये चूसना है
निशा ने पापा का लण्ड पकडते हुए बोला

जंगीलाल - ठिक है ,,तेरा जब भी मन करे मुझसे कह दिया कर । अब जा नहा ले कही तेरी मा शक ना कर ले

निशा खिखीकरते हुए उठ गयी और अपने कपडे पहन कर नहाने चली गयी ।
इधर जंगीलाल बहुत खुश हो रहा था कि आज उसने जो किया है शायद ही कोई बाप ऐसा कर पाया होगा ।
वो अपनी शान मे उठा और कमरे मे बाहर निकला ही था कि शालिनी उसने सामने खड़ी मिली जिसमे हाथ मे नास्ते का प्लेट था ।

जंगीलाल - अरे जानू ,,,,, वो मै लाडो को जगाने आया था ।
शालिनी ताना मारते हुए - हा हा क्यू नही उसे जगाते हुए बहुत थक गये होगे ना ,,लिजिए नास्ता कर लिजिए

जंगीलाल सम्झ गया कि उसकी बीवी को भनक लग गयी और वो हसने लगा ।
शालिनी अपने गुस्से को चबाते हुए दबी आवाज मे - कितने बेसबरे है आप ? रात तक नही रुक सकते थे । पता नही कितना तड़पी होगी बेचारी ।

जंगीलाल हस कर - ओहो मेरी जान ,,हमारी लाडो बहुत हिम्म्ती है ,,उसने तो ये दो झटको मे ही सह लिया
शालिनी - क्क्क्क्या .... दो झटको मे सिरर्फ़ वो रोयी नही
जंगीलाल -अरे नही मेरी जान,,,मेरे ख्याल उसने कल रात मे हमारे कमरे मे आने के बाद से ऊँगली की थी । शायद इसिलिए उसे उत्ना दर्द मह्सूस नही हुआ लेकिन वो चीखी थी और कमर पर हाथ रखकर कर मुझे रुकने को बोली थी

शालिनी - आह्ह मेरी बच्ची ,,कहा है अभी वो
जंगीलाल - अरे वो फिट है और नहाने गयी है । अरे तुमको पता है उसने ऑन टॉप आके ऐसे कस कर गाड़ हिलाई की मै झड़ गया ।

शालिनी मुस्कुरा कर - अच्छा सच मे
जंगीलाल - हा मेरी जान और उसे भी तुम्हारी तरह वो पोजीशन पसन्द है
शालिनी शर्म से लाल होने लगी और नास्ते का प्लेट अपने पति को देके किचन मे काम निपटाने चली गयी ।
जन्गिलाल भी अपनी लाडो के बारे मे सोचता हुआ नासता करने लगा


जारी रहेगी
Fantastic update bro.....
 
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