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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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insotter

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💥 अध्याय : 02 💥
UPDATE 09


हाइवे पर गाड़ियां तेजी से पास हो रही थी । तेज हवा के झोंके मंजू के साड़ी को हवा में लहरा दे रहे थे मगर वो शांत और चुप खड़ी थी , गाड़ी के पास
वही सामने वाले ढाबे से मुरारी मुस्कुराता हुआ हाथ में दो चाय प्याले और कांख में पानी को बोतल को दबाए आ रहा था

: लो लो पकड़ो , जल रहा है ( मुरारी ने अपना कंधा आगे किया जिसमें बोतल दबाए था )
मंजू ने एक बुझी सी मुस्कुराहट से उसके कांख से बोतल लिया और मुरारी ने झट से वो गर्म बट्टे गाड़ी के बोनट पर रख दी और हाथ फूंकने लगा
: अरे ड्राइवर को कह देते न ( मंजू ने मुरारी को परेशान देख कर बोली)
: अरे वो गधा अपनी बोतल लेकर खेतों में गया है ( मुरारी ने खीझ कर कहा लेकिन मंजू उसके बात को समझ कर मुस्कुराने लगी )

फिर मंजू ने पानी की बोतल से मुंह धुला और अपने पल्लू से मुंह पोछा। फिर कुछ घूंट पानी गटकने लगी , तो पानी उसके चिन से होकर उसके रसीले मम्में के दरारों में जाने लगा
: अरे मुंह लगा कर पी लो न
: जूठा हो जा.... ( मंजू अपनी बात कहती, मुरारी फिर उसे टोकता है )
: मै दूसरी ले लूंगा ...
फिर मंजू बिना कुछ कहे पानी पीकर पल्लू से अपनी गीली छाती को सोक करने लगी ।

: हम्मम ये लो ...( मुरारी ने उसे चाय का बट्टा दिया ) आराम से गर्म है
मंजू ने साँवधानी से चाय पकड़ी और गाड़ी के पास खड़ी होकर चुस्की लेने लगी ।
अभी भी मंजू की आंखों वो उदासी गई नहीं थी जिसकी चाह मुरारी को थी , वो नहीं चाहता था कि मंजू ऐसे चेहरे के साथ घर पहुंचे ।

: वैसे मुझे नहीं लगता मदन तुम्हे ऐसे देख कर खुश होगा ( मुरारी ने चुस्की लेकर कहा और उसकी ओर देखा )
मंजू सवालिया नजरो से मुरारी को निहारा
: और ये तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा अगर उसे भनक भी लग गई आज सुबह के बारे में ... ( मुरारी ने सहज होकर कहा )
: नहीं भइया ... आपको भाभी की कसम है आप किसी से कुछ नहीं कहेंगे और अगर आपको लगता है इनसब में सिर्फ मेरी गलती है तो आप मुझे वापस मेरे घर छोड़ सकते है... ( मंजू ने कड़ा रुख रखते हुए कहा )
: अरे भाई ... तुम गलत समझ रही हो , मेरे कहने का मतलब है कि तुम ऐसे उदास होकर चलोगी तो ममता मदन तुम्हे देखेंगे तो क्या सोचेंगे । ( मुरारी हस कर बोला ) और वैसे भी तुम्हे वापस छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता , क्योंकि मुझे भरोसा है ।

: मत कीजिए , मै उस लायक नहीं ( मंजू मुरारी के प्यार भरे शब्दों से भीतर से पिघल गई और उसे अपने कर्मों पर अफसोस हो रहा था )
: ऐसा नहीं कहते ....
: ना मै अपने प्यार के लिए लड़ सकी और न ही उस प्यार की इज्जत कर पाई और अगर आप मेरी हकीकत जानेंगे तो मुझे नहीं लगता कि आप कभी मुझे अपनाना चाहेंगे । ( मंजू सुबकने लगी )

: मै किसी के अतीत से उसका चरित्र निर्धारित नहीं करता , मै लोगो को उनके स्वतंत्र विचारों के लिए पसंद करता हूं , अभी भी तुम्हारे आगे ये रास्ता खुला है अगर तुम नहीं चलना चाहती हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है मै अमन और उसकी मां.....(मुरारी के बोल लड़खड़ाने लगे मगर उसने अपना संयम नहीं खोया ) मै उन दोनों को समझा लूंगा तुम फिकर मत करो ।
मुरारी की बाते सुन कर मंजू की डबडबाई आंखों से पानी झरने लगा और वो भीतर से डर रही

: नहीइईई ....( उसने झट से सड़क किनारे ही खुलेआम मुरारी से लिपट गई ) मुझे वापस नहीं जाना है भैया , मै आपके साथ जाना चाहती हूं प्लीज ( बिलखते हुए बोली)
मुरारी मंजू के इस व्यवहार से सन्न रह गया मंजू का वो मुलायम स्पर्श उसके जिस्म में गुगुदाहट बढ़ा रहे थे और सड़क किनारे यूं एकदम से कस लेना अजीब सा झिझक हो रही थी उसको ।
: मंजू ... ( मुरारी ने उसके पीठ पर हाथ फेरा उसके ब्लाउज के ऊपर से और उसका पूरा जिस्म गिनगिना गया , मानो बिजली दौड़ गई हो जिस्म में )
: मुझे डर लग रहा है भैया .... ( मंजू की तेज सांसे मुरारी महसूस कर पा रहा था )
: आओ इधर आओ बैठो अंदर ( मुरारी ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके गाड़ी में बिठा कर खुद भी बैठ गया )
मंजू उसके कंधे से लग गई और उसने अभी भी मुरारी का पंजा अपने गोद में ले रखा था , जैसे कितना सहमी हुई हो वो मुरारी को खोने से ।
वही मुरारी की हालत पतली हो रही थी , उसके जिस्म एम गर्मी बढ़ रही थी जिस तरह से मंजू उसको पकड़े थी , और गोद में साड़ियों के ऊपर उसको अपने हाथ में और भी मुलायम सॉफ्टी सा महसूस हो रहा था ।

: तुम फिकर मत करो और तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है बस मै कुछ पूछूंगा तो बताओगी? भरोसा है मुझपर ? ( मुरारी ने उसकी आंखों में गहरे देख कर बोला और उसने बहती आंखों से हा में सर हिलाया ).
: देखो मै ये तो नहीं कहूंगा कि तुम पिछली बातें भूल जाओ , क्योंकि चीजें इतनी आसान होती नहीं है । मगर मै चाहता हूं कि जब तुम अपने घर में आओ तो वो सारी चीजें सुलझा कर ही जाओ , तुम्हारे साथ तुम्हारे अतीत का कोई बंधन न हो और तुम्हारा जीवन एक नए सिरे से सुंदर बने । तुम समझ रही हो ?
मंजू ने हुंकारी भरी और चुप रही।

मुरारी ने मुस्कुरा कर उसकी देखा , अब उसके चेहरे पर थोड़ी सी शांति झलक रही थी , जो कि एक अच्छा साइन था ।
मुरारी : तो फिर अगर तुम्हे लग रहा है तुम्हारे अतीत का ऐसा कोई पल है जिसका तुम्हे बहुत अफसोस है और तुम उसको सुलझाना चाहती हो तो एक दोस्त के नाते तुम मुझसे साझा कर सकती हो । मै तुम्हे जज नहीं करूंगा मंजू , तुम्हारी मदद ही करूंगा । बोलो ?

मंजू मुरारी की बातें सुनकर सोच में पड़ गई , उसके चेहरे पर विचलितता स्पष्ट थी और एक डर अभी भी तैर रहा था उसकी आंखों में जिसे मुरारी समझ रहा था ।
: आप प्लीज गलत मत समझिएगा , क्योंकि जो कुछ भी मैने किया यहां वो सब हालात के हाथों मजबूर थी मै जब मै इस शहर में आई थी तो राजन ने ही मुझे सहारा दिया था फिर हम करीब आ गए थे । मगर उसने मेरा फायदा अपने कारोबार के लिए करने लगा था ( मंजू निगाहे गिरा कर बोली , उसकी हथेली में मुरारी अपने पंजे को ढीला महसूस कर पा रहा था ) तो मै उससे छुटकारा चाहती थी मगर उसने.... मुझे डरा कर अपने पास रखा था जबरन ( मंजू की आंखे छलक पड़ी और मुरारी ने झट से अपने जेब से रुमाल निकाल कर उसके गाल खुद साफ करने लगा )

: अब रोओ मत , सब ठीक है तुम वहा से निकल आई हो । अब फिकर मत करो , तुम पर मै आंच भी नहीं आने दूंगा ( मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके सर को चूम कर बोला और मंजू उसके पास बैठी रही सुबकती हुई )
: बस मुझे एक ही बात का डर है !!
: क्या ?.
: उसके पास मेरे कुछ वीडियो है , वो बहुत कमीना है भैया , अगर उसे पता चला मेरे बारे में तो कल जरूर पैसे या फिर कुछ और के लिए तंग करेगा । ( मंजू साफ लफ्जों में बोली )
: उसका नंबर है क्या ? ( मुरारी सख्त होकर बोला )
: किसका ? ( मंजू के भीतर एक डर बैठने लगा )
: राजन का ?
: हा क्यों ? ( मंजू थोड़ा पीछे होकर बोली )
: लगाओ फोन उसको मै बात करता हूं

फिर मंजू ने उसको फोन लगा कर दिया और मुरारी उससे बात करता हुआ गाड़ी से बाहर निकल जाता है और करीब 10 मिनट बाद वापस आता है ।
इधर मंजू पूरी तरह परेशान थी , एक अनजाना सा डर उसे खाए जा रहा था और उसका मन बहुत उदास था । वही ड्राइवर भी वापस आ गया था ।
मुरारी मंजू को फोन देकर मुस्कुराया : चले ड्राइवर साहब ?
: जी बाउजी चलते है , माफ कीजिएगा सुबह चना खा लिए थे तो पेट गड़बड़ा गया था ।
: अच्छा अच्छा ठीक है चलो ( मुरारी ने हस कहा और गाड़ी निकल पड़ी )
मगर मंजू की उलझन कम नहीं हो रही थी वो एक टक मुरारी को निहार रही थी , कि आखिर क्या बात हुई होगी दोनों के बीच ।

: क्या हुआ , अब वो तुम्हे कभी भी तंग नहीं करेगा मैने उसे समझा दिया है अपने तरीके से , खुश !! ( मुरारी ने मुस्कुरा कर मंजू को देखा और मंजू ने अपने चेहरे पर फीकी मुस्कुराहट बिखेर दी )
: अरे ड्राइवर साहब जरा मेरा ये मोबाइल लगा देंगे चार्ज नहीं है और चाप कर चलिए किसी अच्छे होटल पर रोकिएगा वही खाना पीना किया जायेगा , क्यों ? ( मुरारी ने मंजू से उसकी इच्छा जाननी चाही तो मंजू मुस्कुरा कर हा सर हिला दी और गाड़ी तेजी से हाइवे पर निकल चुकी थी )

चमनपुरा

आज अनुज का मन खुश था , सुबह सुबह उसकी मां रागिनी ने उसका दिल पहले ही खुश कर दिया था और अब कालेज में आते ही लाली ने ।

कसी हुई पैजामी ने उसकी लंबी टांगे चलते हुए जब उसके गोल मटोल चूतड़ों को थिरकाती तो अनुज के अरमान भी ऊपर नीचे होने लगते , उसपे से उसका बार बार पलट कर अनुज की ओर देखना अपनी जुल्फे कानो में उलझाना , मुस्कुराना कभी कभी अनुज खुद शर्मा जाता मगर पहले जितना नहीं ।
तभी क्लास में लाली की दीदी की एंट्री हुई ,


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खुले बाल वो शिफॉन की हल्की साड़ी नंगी कमर गुदाज चर्बीदार मुलायम पेट जिसकी नाभि की झलक रह रह कर पंखे के हवा से दिख जाती , अपने छातियों पर किताबें दबाए क्लास में आई ।

सभी ने खड़े होकर उनको ग्रिट किया और फिर क्लास चलती रही । अनुज का लंड अकड़ रहा था , वो लाली की दीदी के मटके जैसे चूतड़ों को निहार रहा था साड़ी में , उसकी आंखे साड़ी को भेद कर आज भी उनकी पैंटी का कलर जानने की कोशिश कर रही थी ।
क्लास कब खत्म हो गई पता ही नहीं चला , मगर लंड की अकड़न नहीं ।
वही अगला पीरियड खाली था और क्लास में लड़कियों की रो में लाली वाली बेंच पर खूब हंसी ठिठौली हो रही थी ।
लाली के आगे बैग वाली बेंच पर उसकी दोस्त पूजा बैठी थी उसके रसीले मम्में सूट में पूरे चुस्त थे , उसकी मोटी गदराई जांघें और कूल्हे उसके सूट के नीचे बगल से झलक रहे थे । ब्लूमर पैंटी की लास्टिक जांघों पर उभरी थी पैजामी के उसकी ।


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सब खूब मस्ती कर रहे थे , वहां सबके पास मोबाईल थे ,क्लास में दूसरे लड़के भी थे जिनके पास मोबाइल थे वो भी सोशल मीडिया चला रहे थे ।

: भाग कुत्ती ... हीहीही ( एकदम से पूजा खिलखिलाई )
अनुज की नजर उस ओर गई तो लाली ने भी उसकी ओर देखा । दोनों की नजरे टकराई फिर अनुज नजरे फेर लिया और चुप चाप बैठ गया । अनुज के पास अपना कोई मोबाइल तो था नहीं , और ना उसके कोई ऐसे दोस्त थे स्कूल में , ज्यादातर तो इस बात से जलन रखते थे कि इतना सहज होने के बाद भी लाली जैसी खूबसूरत और अमीर घराने की लड़की उसके लिए पागल है ।
अगले ही पल लाली ने अनुज को आवाज दे ही दिया : अनुज ? अनुज ? आओ न
अनुज ने आस पास कुछ लड़कों को उसे देखता हुआ पाया , क्योंकि लाली की आवाज पर उनके भी कान बजे थे ।
अनुज चुपचाप उसके पास गया
: क्या कर रहे हो अकेले , बैठो न , हट न मोटकी ( लाली ने पूजा को सामने वाली बेंच से धकेला और जगह खाली कराई )
: उतर रही हूं कुत्ती अह्ह्ह्ह्ह
: आलू जैसी है गिरेगी तो भी तुझे कुछ नहीं होगा हाहाहाहाहा ( लाली ने उसे चिढ़ाया )
: मारूंगी न ( पूजा ने चिढ़ कर अपना मुक्का लाली की ओर ताना ताना और उसकी नजरें अनुज से टकराई )


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मगर अनुज की निगाहे तो उसके डिजाईनर सूट के गले पर अटक गई थी , जहां से उसे पूजा के रसीले आमो की झलक आ रही थी । सेकंड नहीं लगा पूजा को वो अनुज की निगाह को भाप गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए अपना दुपट्टा सही करने लगी ।
अनुज भी नजरे फेर लिया ।

: यार तुम्हारा इंस्टा आईडी क्या है बताओ न ? ( लाली ने कैजुअल होकर बोली )
: नहीं मैने नहीं बनाई , दरअसल मेरे पास मोबाईल नहीं है मै लैपटॉप से काम करता हूं
: हा तो उसमें भी तो चलेगा इंस्टा , तुम डाउनलोड करके आइडी बना लो न ( लाली बेधड़क बोली)
: लेकिन मुझे वो भी नहीं आती ( अनुज ने सहज कहा )
: ओक रुको मै बना देती हूं अभी ,अपनी मेल आईडी बताओ ( लाली झट से अपना मोबाइल खोलने लगी और अनुज के मेल से एक अकाउंट बना दिया )
: लो हो गया , अब थोड़ा सा स्टाइल वाला पोज दो एक डीपी लगानी है । आओ खड़े हो जाओ
: साथ के खड़ी हो जा मै खींच देती हूं ( दूसरी पूजा ने पीछे से छेड़ा लाली को , अनुज ने आंखे बड़ी कर उसे देखा तो मुंह फेर कर मुस्कुरा रही थी । )
लाली ने उसे घूरा और बुदबुदा कर उसे गाली दे रही थी फिर अनुज को देख कर मुस्कुराई : तुम खड़े होवो न

फिर अनुज ने पोज दिया और लाली ने फोटो निकाल कर फिल्टर करके अपलोड कर दिया और सबसे पहले खुद को फ्रेंड बनाया।
: घर पर शाम को ओपन करना ,ओके
अनुज ने हा में सर हिलाया और फिर अगली क्लास के टीचर आ गए ।

प्रतापपुर


" अह्ह्ह्ह मै कह रही हूं छोड़ दो मुझे गुड़िया के पापा , मुझे कोई बात नहीं करनी आपसे हटिए " , संगीता ने राजेश का हाथ झटक कर आगे बढ़ गई ।
राजेश के एक नजर कमरे के भिड़के दरवाजे की ओर देखा और लपक कर सुनीता को फिर से पीछे से पकड़ लिया और उसके नरम चर्बीदार पेट को सहलाता हुआ उसको अपनी बाहों में भरने लगा और सुनीता उसके स्पर्श से परेशान होने लगी


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: उफ्फ मेरी जान तेरे ये बड़े बड़े दूध अह्ह्ह्ह ( राजेश ने अपना हाथ ब्लाऊज के ऊपर से सुनीता के रसीले मम्मों पर फिराया )
: गुड़िया के पापा छोड़िए अह्ह्ह्ह सीईईईईई.....

तभी पीछे से बबीता की आवाज आई
राजेश झट से सुनीता से अलग हो गया और घूम कर देखा तो बबीता भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर अंदर आ रही थी
बबीता : आपका मोबाईल कहा है ? दो न प्लीज
राजेश : बेटा वो मैने किचन में चार्ज लगाया है ले ले
बबीता खुश होकर : ओके पापा हीही
बबीता खुश हुई और निकल गई

सुनीता बिस्तर पर फैली हुई साड़ी को अपने कमर में खोसे हुए गुस्साए लहजे में : क्या जरूरत है उसे मोबाइल देने की , बिगाड़ना चाहते है क्या उसे भी ।
राजेश मुस्कुरा कर उसके पास गया और उसके नंगे पेट पर फिर से हाथ फिराया : मेरी जान अब मान भी जाओ न , थोड़ा अपने रसीले दूध पिलाओ न अह्ह्ह्ह ( उसने वापस से ब्लाउज के ऊपर से उसके चूचे मसलने लगा )
: अह मै कह रही हुं गुड़िया के पापा छोड़ दीजिए , नहीं तो मै बाउजी से अह्ह्ह्ह उम्मम नहीइईई, आप बहुत बुरे हो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ( सुनीता राजेश को धकेल रही थी मगर राजेश उसे ही बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसके रसीले मम्मों को मसलता हुआ उसके गुलाबी होठ चूसने लगा ।

पहले तो सुनीता ने भी इंकार किया लेकिन एक ही चुम्बन में जैसे ही उसे राजेश के होठों से शराब की बू नहीं मिली वो समझ गई कि आज वो पीकर नहीं आया तो उसने खुद को ढीला छोड़ दिया ।
जोश में राजेश उसके रसीले होंठ चूसने लगा और उसके बड़े बड़े रसीले मम्में को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा , नीचे उसका लंड पजामे में तना हुआ था जो पेटीकोट के ऊपर से सुनीता के पेडू में चुभ रहा था , राजेश अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसके पेडू में ही घिसने लगा

: अह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ
सुनीता की सिसकिया उठने लगी , जब ब्लाउज के ऊपर से राजेश ने उसके चूचे सहलाते हुए काटने लगा और वो पूरी तरह से अकड़ने लगी
: उम्मम कितने मुलायम और रसीले है अह्ह्ह्ह जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह खा जाओ न अह्ह्ह्ह कितना तरसाते हो ओह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म उफ्फ हा ऐसे ही .


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राजेश ने उसके ब्लाउज खोलकर निप्पल चुभलाने लगा और दूसरा हाथ उसके दूसरी छाती को मसल रहा था
: तू ही पास नहीं आने देती तो क्या करु हा बोल ( राजेश ने प्यार से एक चपत लगाई सुनीता के कामोत्तेजीत चेहरे पर , मानो भीतर की भड़ास को निकाल रहा हो )
: अह्ह्ह्ह्ह मारते काहे हो , पीकर कर आओगे तो फटकने नहीं दूंगी कह देती हो , मुझे चोदना है तो ऐसे ही आना अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है अह्ह्ह्ह
राजेश ने उसका पेटीकोट उठा कर अपना लंड पजामे से निकाल कर चूत के मुहाने पर रख दिया था
: साली रंडी , बहुत नखरे है तेरे आह्ह्ह्ह
: ब्याह के लाए हो तो झेलेगा कौन उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ कितनी गर्म बुर है तेरी ( राजेश अपना लंड उसकी चूत में उतारता हुआ बोला )
: क्यों उस कुलटा कमला की ठंडी हो गई क्या ? जो आज मेरी गर्म लग रही है अह्ह्ह्ह आराम से ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ कितना टाइट है जी आपका उम्मन
राजेश मुंह भींचता हुआ करारे झटके मारता हुआ : जब रोज रोज लेगी नहीं तो टाइट ही रहेगा न , कमला की तो मै ढीली कर चुका आगे पीछे दोनो से अह्ह्ह्ह तू भी रोज लिया कर उसके जैसी फाड़ दूंगा
सुनीता जोश में पागल होने लगी और अपने जांघें कसती हुई सिसकने लगी राजेश का लंड तेजी से उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था


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: अह्ह्ह्ह बड़े गंदे हो आप , मुझे उसके जैसा बनवा कर किससे चुदवाना चाहते हो , बाउजी से ? ( सुनीता ने उकसाया ) उम्मम बोलो न
राजेश की स्पीड एकदम से ठहर गई चौक कर : अब इसमें बाउजी कहा से आ गए
सुनीता मुस्कुराई : क्यों बाउजी अब कमला को बुलाते नहीं है क्या ?
राजेश ऐसे सवालों से झेप महसूस कर रहा था , मगर सुनीता पूरे मूड में थी उसे राजेश को तंग करना भा रहा था
राजेश : मुझे क्या पता , बुलाते है या नहीं
सुनीता ने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुरा कर : चलो झूठे , अह्ह्ह्ह मम्मीईईई ओह्ह्ह्ह उम्मम
राजेश ने वापस से झटके चालू कर दिए : तुझे बड़ी रुचि है बाउजी में , क्या बात है उम्मम चाहिए क्या बाउजी का लंड , बोल लेगी क्या उम्मम
सुनीता एकदम से अकड़ने लगी और राजेश के तेज करारे झटके से उसकी सिसकियां तेज होने लगी : अह्ह्ह्ह क्यों देख लोगे मुझे बाउजी से चुदते अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और चोदो और अह्ह्ह्ह

राजेश : तू बता न साली रंडी , मेरे सामने चुद लेगी बाउजी से , अह्ह्ह्ह
सुनीता चरम पर जा रही थी उसकी बुर बुरी तरफ से फड़फड़ा रही थीं और पूरी तरह से पागल हुई जा रही थी राजेश के मोटे टोपे की रगड़ से : अह्ह्ह्ह मेरे राजा मै तुम्हारी रंडी हु न , बाउजी से क्या , कहोगे तो नंदोई जी का भी लंड घुसवा लूंगी अह्ह्ह्ह्ह रुको मत और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह पेलो मुझे कस कस के अह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐस ही आ रहा है हा हा ओह्ह्ह्ह ममीइईई उम्ममम ईईईईई अह्ह्ह्ह्ह

सुनीता की बातें सुनकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा वो तेजी से उसकी बुर में पेलने लगा , वही सुनीता झड़ती हुई अपने बुर में उसका लंड निचोड़ने लगी : अह्ह्ह्ह बहनचोद मजा ला दिया तूने मेरी जान अह्ह्ह्ह सीईईईईई साली रंडी अह्ह्ह्ह लेह मेरा भी आ रहा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: भर दो मेरी चूत को मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ अह्ह्ह्ह
राजेश उसके ऊपर आकर झड़ता रहा उसकी चूत में और फिर शांत उसके ऊपर ही फैल गया

जैसे ही दोनों का जोश ठंडा हुआ दोनो मुस्कुराने लगे
सुनीता लजाती हुई उसको अपने ऊपर से धकेल कर : हटिए , गंदे कही के क्या क्या कहलवाते है आप मुझसे छीइइइ
राजेश हंस के : अरे देखो तो भोली को , अभी कुछ देर पहले नंदोई का लंड घोंटने को तैयार थी अब देखो ... हाहाहाहाहा
सुनीता शर्म से लाल होती हुई : धत्त गुड़िया के पापा , बस कीजिए नहीं तो...
राजेश भी उठ गया : नहीं तो क्या
सुनीता एकदम मुंह में बुदबुदाई : सच में ले लूंगी नंदोई जी का लंड
राजेश साफ सुन नहीं पाया : क्या बोली
सुनीता हस कर : कुछ नहीं जाइए आप , गोदाम नहीं जाना क्या आज ?
राजेश : नहीं वो आज ट्रक रात में आयेंगे तो रात में जाना होगा
सुनीता उदास होने लगी : क्या रात में ? मतलब फिर तरसाओगे मुझे

राजेश उसके पास खड़ा होकर : वैसे नंदोई जी है ही तेरे , देख ले अगर जुगाड़ लग जाए तो
सुनीता लाज से उसके पेट पर कोहनी मार कर : भक्क गंदे
राजेश उसको शर्म से गुलाबी होता देख छेड़ता हुआ : वैसे जीजा जी तुझे देखते तो होंगे ही , कभी नोटिस किया क्या ?
राजेश की बात सुनकर सुनीता तो एक पल के लिए ख्यालों में गुम ही हो गई , क्योंकि रंगी तो उससे अपनी दीवानगी का इजहार कर चुका है , बस उसके ही हा कि देरी है ।
राजेश : तेरे इस दूधिया कमर पर नजर जरूर गई होगी क्यों ?
सुनीता : धत्त गुड़िया के पापा , कैसी बात कर रहे है आप , जाइए हा नहीं तो ।
इधर इनकी बाते चल रही थी तो वही बबीता के कमरे में बिस्तर पर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी ।
उसकी नजरें कभी कमरे के दरवाजे पर जाती तो कभी मोबाइल स्क्रीन पर


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अगर कुछ शतत था तो उसके उंगलियों का उसके चूत पर रेंगना

" उफ्फ पापा कितने गंदे हो आप , कमला आंटी के दूध दबा रहे हो अह्ह्ह्ह्ह "
उसकी नजरें मोबाइल स्क्रीन पर चल रही एक वीडियो पर थी जिसमें राजेश ने कमला की खेतों में चुदाई करते हुए वीडियो बनाई थी ।


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" अह्ह्ह्ह कमला तेरे दूध कसम से कितने रसीले है उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई" , वीडियो में राजेश कमला के चूचे सहलाते हुए बोल रहा था और कमला की सिसकिया फूट रही थी । अपने पापा की हरकते देख कर बबीता की उंगलियां खुद ब खुद उसकी चूत पर रेंग रही थी । ये दूसरी वीडियो थी जो वो तबसे देख रही थी ।

उसने वीडियो को आगे भगाया और अब वीडियो में उसके पापा अंडरवियर के होल से अपना बड़ा सा लंड निकाल कर खड़ा किए थे और सामने बैठी हुई कमला पहले उसको हिलाती है और फिर मुंह में भर लेती ।


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" ओह्ह्ह्ह कमला रानी अह्ह्ह्ह्ह कितना रसीला है तेरी जीभ उम्मम और ले न अह्ह्ह्ह ऐसे ही "

बबीता अपने पापा का लंड और उनकी सिसकी सुनकर सिहर उठी और उसने अपनी जांघें कस ली और उंगलियों से अपनी बजबजाती बुर पैंटी के ऊपर से दबाने लगी : अह्ह्ह्ह्ह पापा उफ्फ कितना बड़ा है उसने वीडियो और आगे बढ़ाया तो उसकी आंखे फेल गई और उसने अपनी टांगे पसारते हुए तेजी से अपने चूत को सहलाने लगी

वीडियो में उसके पापा तेजी से कमला की बुर में लंड डाले हुए चोद रहे थे और उसकी नंगी चूचियां मसल रहे थे , वही कमला उसके पापा को सिसकते हुए उकसा रही थी


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अपने पापा के मुंह से निकलते गंदे अल्फ़ाज़ और लगातार चूत में घुसते लंड से उसकी बुर बुरी तरह से गीली हो गई थी , बस तलब थी तो एक लंड की

बबीता अपनी बुर मसल रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और उसके पापा ने आवाज दी : गुड़िया बेटा, देख ली मोबाइल
बबीता की एकदम से फट गई उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे उसका हॉफ कैफरी टांगे में नीचे तक जा चुकी थी पैंटी पूरी बजबजाई हुई हाथ में मोबाइल पर वीडियो चल रही थी
उसने झट से मोबाइल का पावर बटन दबाया और उसको तकिए के पास रख कर एक चादर ओढ कर सोने का नाटक करने लगी ।
राजेश कमरे में दाखिल हुआ और उसने अंदर की बत्ती जलाई
तो देखा कि सामने उसकी लाडली गुड़िया सोई हुई है और उसका मोबाइल साइड में है ।

सुबह से अपनी बिटिया को देखकर जो अरमान राजेश के लंड और जहन में उठे, सुनीता को चोद कर थोड़ी देर के लिए शांत हुए थे मगर कमरे में लेती हुई अपनी बिटिया के टीशर्ट में उभरे हुए मौसमी जैसे चूचे को देख कर उसका लंड एकदम से अकड़ गया ।
वो धीरे से बबीता के पास गया और प्यार से उसके सर को सहलाया और हौले से उसके गाल चूम कर मोबाइल उठा लिया।
अपने पापा को इतने करीब पाकर बबीता भीतर से कांप रही थी डर था कि अगर उसके पापा मोबाइल खोलेंगे तो सबसे पहले वो वीडियो ही चलेगी ।
और हुआ भी वही मोबाइल लेकर जैसे ही राजेश बिस्तर से दरवाजे की ओर बढ़ा था कि उसने लॉक खोलकर मोबाइल देखा तो एकदम से मध्यम आवाज में वो वीडियो स्क्रीन पर चलने लगी ।
राजेश एकदम से हड़बड़ाया और सन्न रह गया , वो पलट कर बबीता की ओर देखा वो अभी भी वैसे ही करवट लिए सोई थी आंखे बंद किए
राजेश के जहन में काफी सारे सवाल थे और उनसे बढ़ कर एक डर कि कही उसकी बेटी उससे नाराज न हो जाए । वही बबीता की हालात अलग खराब थी , उसे अब पक्का यकीन होने लगा कि उसकी पिटाई तय थी ।

राजेश दबे पाव चल कर बबीता के पास गया और उसे आवाज दिया हल्का सा , ये जांचने के लिए कि वो जाग रही है या सो गई , मगर मारे डर के बबीता अपने पापा का सामना नहीं करना चाहती थी ।
राजेश ने देखा कि वो कुछ जवाब नहीं दे रही थी , उसके जहन में कुछ शंकाए उठ रही थी कि कही उसकी बेटी ने उसकी चुदाई की वीडियो देखकर ऊंगलीबाजी करके थककर तो नहीं सो गईं, क्योंकि उसने वीडियो जस का तस छोड़ा था ।
उसने धीरे से बबीता के ऊपर से चादर उठाई और वही बबीता अपने जांघें कसने लगी , उसका दिल जोरो से धड़क रहा था कि अब तो बेटा पक्का पकड़ी गई और मार मिलेगी।


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जैसे ही चादर हटी बबीता कैफ़री उसके पैरो में नीचे थी और वो अपनी जांघें साट कर करवट होकर लेती थी उसकी नंगी जांघें और छोटे छोटे गोरे मुलायम चूतड पर कसी हुई पैंटी देखकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , अब उसे यकीन होने लगा कि जरूर उसकी बेटी ने उसकी वीडियो देख कर अपनी चूत मसली है , ये भावना से राजेश के बदन में कंपकपी सी हो रही थी उसका हल्क अपनी बेटी की पैंटी को देख कर सुख रहा था ।
उसकी नजरें बबीता के गुदाज मुलायम चूतड़ों से हट ही नहीं रही थी , उसकी सांसे बेकाबू हुई जा रही थी और उसने एक बार बबीता को सोता हुआ देखा और खुद को रोक नहीं पाया


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आगे झुक आकर बबीता के नंगे चूतड़ों के हिस्सों को छूने लगा, अपने पापा के पंजों का स्पर्श पाते ही बबीता एकदम से सन्न रह गई, उसकी सांसे चढ़ने उतरने लगी कलेजा तेजी से धकधक हो रहा था । उसे यकीन नहीं हो रहा था उसके पापा ऐसा कुछ करेंगे । वो खुद को जबरन किसी भी हरकत करने रोकने लगी और वही अपनी बेटी के गुदाज मुलायम चूतड़ों को मसलकर राजेश भी अपना खड़ा लंड पजामे के ऊपर से मसलने लगा और उसकी नियत यही तक नहीं रुकी उसने जांघों के बीच झांकते अपनी लाडली के चूत के गिले फांके उंगलियों से छूने लगा

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एकदम से अपने गीली बुर पर अपने पापा के उंगलियों को रेंगता पाकर बबीता की आंखे उलटने लगी ,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ,उसके नथुनों से गर्म सांसे उठने लगी और उसका काबू खुद से छुटने लगा , उसकी बुर बुरी तरह से फड़फड़ाने लगी और उसके पैरो में हरकत हुई

जिसे देख कर झट से राजेश पीछे हो गया और बेटी के रस से गीली हुई उंगली को चाटने लगा और लंड भींचता हुआ बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर आ गया ।
वही पापा के जाते ही बबीता ने अपनी टांगे फैलाई और अपनी चूत मलने लगी : अह्ह्ह्ह पापा क्यों छू रहे थे मुझे आप सीईई देखो आपके छूने से खुजली हो रही अह्ह्ह्ह्ह पापा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई


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बबीता अपने पापा का नाम लेकर झड़ने लगी और सुस्त होके आखिर कार सो गई ।

जारी रहेगी
बड़ा ही कामुक अपडेट था भाई DREAMBOY40 ..
हर एक अंश आपके द्वारा कहानी में उत्तेजना भर देता है
एक साथ कई परिस्थितियों को साथ लेके कहानी लिखना आपकी कला का अद्भुत प्रदर्शन दर्शाता है
इस भाग में बबीता को लेके लिखा गया अंश ही उसका सबसे अच्छा उदाहरण है
अपने पिता के प्रति उसकी सोच और एक पिता का उसकी पुत्री के प्रति लगाव जब वह पकड़ी जाए तब उन दोनों का एक साथ मिलन होना भी अधिक उन्माद स्थिति पैदा करेगा जिसे देखने में अत्यधिक आनंद मिलेगा
आपसे उम्मीद है अगला भाग जल्द ही लेकर आयेंगे और अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे
अगले भाग के इंतजार में आपका पाठक insotter धन्यवाद 🙏

 
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💥 अध्याय : 02 💥
UPDATE 09


हाइवे पर गाड़ियां तेजी से पास हो रही थी । तेज हवा के झोंके मंजू के साड़ी को हवा में लहरा दे रहे थे मगर वो शांत और चुप खड़ी थी , गाड़ी के पास
वही सामने वाले ढाबे से मुरारी मुस्कुराता हुआ हाथ में दो चाय प्याले और कांख में पानी को बोतल को दबाए आ रहा था

: लो लो पकड़ो , जल रहा है ( मुरारी ने अपना कंधा आगे किया जिसमें बोतल दबाए था )
मंजू ने एक बुझी सी मुस्कुराहट से उसके कांख से बोतल लिया और मुरारी ने झट से वो गर्म बट्टे गाड़ी के बोनट पर रख दी और हाथ फूंकने लगा
: अरे ड्राइवर को कह देते न ( मंजू ने मुरारी को परेशान देख कर बोली)
: अरे वो गधा अपनी बोतल लेकर खेतों में गया है ( मुरारी ने खीझ कर कहा लेकिन मंजू उसके बात को समझ कर मुस्कुराने लगी )

फिर मंजू ने पानी की बोतल से मुंह धुला और अपने पल्लू से मुंह पोछा। फिर कुछ घूंट पानी गटकने लगी , तो पानी उसके चिन से होकर उसके रसीले मम्में के दरारों में जाने लगा
: अरे मुंह लगा कर पी लो न
: जूठा हो जा.... ( मंजू अपनी बात कहती, मुरारी फिर उसे टोकता है )
: मै दूसरी ले लूंगा ...
फिर मंजू बिना कुछ कहे पानी पीकर पल्लू से अपनी गीली छाती को सोक करने लगी ।

: हम्मम ये लो ...( मुरारी ने उसे चाय का बट्टा दिया ) आराम से गर्म है
मंजू ने साँवधानी से चाय पकड़ी और गाड़ी के पास खड़ी होकर चुस्की लेने लगी ।
अभी भी मंजू की आंखों वो उदासी गई नहीं थी जिसकी चाह मुरारी को थी , वो नहीं चाहता था कि मंजू ऐसे चेहरे के साथ घर पहुंचे ।

: वैसे मुझे नहीं लगता मदन तुम्हे ऐसे देख कर खुश होगा ( मुरारी ने चुस्की लेकर कहा और उसकी ओर देखा )
मंजू सवालिया नजरो से मुरारी को निहारा
: और ये तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा अगर उसे भनक भी लग गई आज सुबह के बारे में ... ( मुरारी ने सहज होकर कहा )
: नहीं भइया ... आपको भाभी की कसम है आप किसी से कुछ नहीं कहेंगे और अगर आपको लगता है इनसब में सिर्फ मेरी गलती है तो आप मुझे वापस मेरे घर छोड़ सकते है... ( मंजू ने कड़ा रुख रखते हुए कहा )
: अरे भाई ... तुम गलत समझ रही हो , मेरे कहने का मतलब है कि तुम ऐसे उदास होकर चलोगी तो ममता मदन तुम्हे देखेंगे तो क्या सोचेंगे । ( मुरारी हस कर बोला ) और वैसे भी तुम्हे वापस छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता , क्योंकि मुझे भरोसा है ।

: मत कीजिए , मै उस लायक नहीं ( मंजू मुरारी के प्यार भरे शब्दों से भीतर से पिघल गई और उसे अपने कर्मों पर अफसोस हो रहा था )
: ऐसा नहीं कहते ....
: ना मै अपने प्यार के लिए लड़ सकी और न ही उस प्यार की इज्जत कर पाई और अगर आप मेरी हकीकत जानेंगे तो मुझे नहीं लगता कि आप कभी मुझे अपनाना चाहेंगे । ( मंजू सुबकने लगी )

: मै किसी के अतीत से उसका चरित्र निर्धारित नहीं करता , मै लोगो को उनके स्वतंत्र विचारों के लिए पसंद करता हूं , अभी भी तुम्हारे आगे ये रास्ता खुला है अगर तुम नहीं चलना चाहती हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है मै अमन और उसकी मां.....(मुरारी के बोल लड़खड़ाने लगे मगर उसने अपना संयम नहीं खोया ) मै उन दोनों को समझा लूंगा तुम फिकर मत करो ।
मुरारी की बाते सुन कर मंजू की डबडबाई आंखों से पानी झरने लगा और वो भीतर से डर रही

: नहीइईई ....( उसने झट से सड़क किनारे ही खुलेआम मुरारी से लिपट गई ) मुझे वापस नहीं जाना है भैया , मै आपके साथ जाना चाहती हूं प्लीज ( बिलखते हुए बोली)
मुरारी मंजू के इस व्यवहार से सन्न रह गया मंजू का वो मुलायम स्पर्श उसके जिस्म में गुगुदाहट बढ़ा रहे थे और सड़क किनारे यूं एकदम से कस लेना अजीब सा झिझक हो रही थी उसको ।
: मंजू ... ( मुरारी ने उसके पीठ पर हाथ फेरा उसके ब्लाउज के ऊपर से और उसका पूरा जिस्म गिनगिना गया , मानो बिजली दौड़ गई हो जिस्म में )
: मुझे डर लग रहा है भैया .... ( मंजू की तेज सांसे मुरारी महसूस कर पा रहा था )
: आओ इधर आओ बैठो अंदर ( मुरारी ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके गाड़ी में बिठा कर खुद भी बैठ गया )
मंजू उसके कंधे से लग गई और उसने अभी भी मुरारी का पंजा अपने गोद में ले रखा था , जैसे कितना सहमी हुई हो वो मुरारी को खोने से ।
वही मुरारी की हालत पतली हो रही थी , उसके जिस्म एम गर्मी बढ़ रही थी जिस तरह से मंजू उसको पकड़े थी , और गोद में साड़ियों के ऊपर उसको अपने हाथ में और भी मुलायम सॉफ्टी सा महसूस हो रहा था ।

: तुम फिकर मत करो और तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है बस मै कुछ पूछूंगा तो बताओगी? भरोसा है मुझपर ? ( मुरारी ने उसकी आंखों में गहरे देख कर बोला और उसने बहती आंखों से हा में सर हिलाया ).
: देखो मै ये तो नहीं कहूंगा कि तुम पिछली बातें भूल जाओ , क्योंकि चीजें इतनी आसान होती नहीं है । मगर मै चाहता हूं कि जब तुम अपने घर में आओ तो वो सारी चीजें सुलझा कर ही जाओ , तुम्हारे साथ तुम्हारे अतीत का कोई बंधन न हो और तुम्हारा जीवन एक नए सिरे से सुंदर बने । तुम समझ रही हो ?
मंजू ने हुंकारी भरी और चुप रही।

मुरारी ने मुस्कुरा कर उसकी देखा , अब उसके चेहरे पर थोड़ी सी शांति झलक रही थी , जो कि एक अच्छा साइन था ।
मुरारी : तो फिर अगर तुम्हे लग रहा है तुम्हारे अतीत का ऐसा कोई पल है जिसका तुम्हे बहुत अफसोस है और तुम उसको सुलझाना चाहती हो तो एक दोस्त के नाते तुम मुझसे साझा कर सकती हो । मै तुम्हे जज नहीं करूंगा मंजू , तुम्हारी मदद ही करूंगा । बोलो ?

मंजू मुरारी की बातें सुनकर सोच में पड़ गई , उसके चेहरे पर विचलितता स्पष्ट थी और एक डर अभी भी तैर रहा था उसकी आंखों में जिसे मुरारी समझ रहा था ।
: आप प्लीज गलत मत समझिएगा , क्योंकि जो कुछ भी मैने किया यहां वो सब हालात के हाथों मजबूर थी मै जब मै इस शहर में आई थी तो राजन ने ही मुझे सहारा दिया था फिर हम करीब आ गए थे । मगर उसने मेरा फायदा अपने कारोबार के लिए करने लगा था ( मंजू निगाहे गिरा कर बोली , उसकी हथेली में मुरारी अपने पंजे को ढीला महसूस कर पा रहा था ) तो मै उससे छुटकारा चाहती थी मगर उसने.... मुझे डरा कर अपने पास रखा था जबरन ( मंजू की आंखे छलक पड़ी और मुरारी ने झट से अपने जेब से रुमाल निकाल कर उसके गाल खुद साफ करने लगा )

: अब रोओ मत , सब ठीक है तुम वहा से निकल आई हो । अब फिकर मत करो , तुम पर मै आंच भी नहीं आने दूंगा ( मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके सर को चूम कर बोला और मंजू उसके पास बैठी रही सुबकती हुई )
: बस मुझे एक ही बात का डर है !!
: क्या ?.
: उसके पास मेरे कुछ वीडियो है , वो बहुत कमीना है भैया , अगर उसे पता चला मेरे बारे में तो कल जरूर पैसे या फिर कुछ और के लिए तंग करेगा । ( मंजू साफ लफ्जों में बोली )
: उसका नंबर है क्या ? ( मुरारी सख्त होकर बोला )
: किसका ? ( मंजू के भीतर एक डर बैठने लगा )
: राजन का ?
: हा क्यों ? ( मंजू थोड़ा पीछे होकर बोली )
: लगाओ फोन उसको मै बात करता हूं

फिर मंजू ने उसको फोन लगा कर दिया और मुरारी उससे बात करता हुआ गाड़ी से बाहर निकल जाता है और करीब 10 मिनट बाद वापस आता है ।
इधर मंजू पूरी तरह परेशान थी , एक अनजाना सा डर उसे खाए जा रहा था और उसका मन बहुत उदास था । वही ड्राइवर भी वापस आ गया था ।
मुरारी मंजू को फोन देकर मुस्कुराया : चले ड्राइवर साहब ?
: जी बाउजी चलते है , माफ कीजिएगा सुबह चना खा लिए थे तो पेट गड़बड़ा गया था ।
: अच्छा अच्छा ठीक है चलो ( मुरारी ने हस कहा और गाड़ी निकल पड़ी )
मगर मंजू की उलझन कम नहीं हो रही थी वो एक टक मुरारी को निहार रही थी , कि आखिर क्या बात हुई होगी दोनों के बीच ।

: क्या हुआ , अब वो तुम्हे कभी भी तंग नहीं करेगा मैने उसे समझा दिया है अपने तरीके से , खुश !! ( मुरारी ने मुस्कुरा कर मंजू को देखा और मंजू ने अपने चेहरे पर फीकी मुस्कुराहट बिखेर दी )
: अरे ड्राइवर साहब जरा मेरा ये मोबाइल लगा देंगे चार्ज नहीं है और चाप कर चलिए किसी अच्छे होटल पर रोकिएगा वही खाना पीना किया जायेगा , क्यों ? ( मुरारी ने मंजू से उसकी इच्छा जाननी चाही तो मंजू मुस्कुरा कर हा सर हिला दी और गाड़ी तेजी से हाइवे पर निकल चुकी थी )

चमनपुरा

आज अनुज का मन खुश था , सुबह सुबह उसकी मां रागिनी ने उसका दिल पहले ही खुश कर दिया था और अब कालेज में आते ही लाली ने ।

कसी हुई पैजामी ने उसकी लंबी टांगे चलते हुए जब उसके गोल मटोल चूतड़ों को थिरकाती तो अनुज के अरमान भी ऊपर नीचे होने लगते , उसपे से उसका बार बार पलट कर अनुज की ओर देखना अपनी जुल्फे कानो में उलझाना , मुस्कुराना कभी कभी अनुज खुद शर्मा जाता मगर पहले जितना नहीं ।
तभी क्लास में लाली की दीदी की एंट्री हुई ,


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खुले बाल वो शिफॉन की हल्की साड़ी नंगी कमर गुदाज चर्बीदार मुलायम पेट जिसकी नाभि की झलक रह रह कर पंखे के हवा से दिख जाती , अपने छातियों पर किताबें दबाए क्लास में आई ।

सभी ने खड़े होकर उनको ग्रिट किया और फिर क्लास चलती रही । अनुज का लंड अकड़ रहा था , वो लाली की दीदी के मटके जैसे चूतड़ों को निहार रहा था साड़ी में , उसकी आंखे साड़ी को भेद कर आज भी उनकी पैंटी का कलर जानने की कोशिश कर रही थी ।
क्लास कब खत्म हो गई पता ही नहीं चला , मगर लंड की अकड़न नहीं ।
वही अगला पीरियड खाली था और क्लास में लड़कियों की रो में लाली वाली बेंच पर खूब हंसी ठिठौली हो रही थी ।
लाली के आगे बैग वाली बेंच पर उसकी दोस्त पूजा बैठी थी उसके रसीले मम्में सूट में पूरे चुस्त थे , उसकी मोटी गदराई जांघें और कूल्हे उसके सूट के नीचे बगल से झलक रहे थे । ब्लूमर पैंटी की लास्टिक जांघों पर उभरी थी पैजामी के उसकी ।


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सब खूब मस्ती कर रहे थे , वहां सबके पास मोबाईल थे ,क्लास में दूसरे लड़के भी थे जिनके पास मोबाइल थे वो भी सोशल मीडिया चला रहे थे ।

: भाग कुत्ती ... हीहीही ( एकदम से पूजा खिलखिलाई )
अनुज की नजर उस ओर गई तो लाली ने भी उसकी ओर देखा । दोनों की नजरे टकराई फिर अनुज नजरे फेर लिया और चुप चाप बैठ गया । अनुज के पास अपना कोई मोबाइल तो था नहीं , और ना उसके कोई ऐसे दोस्त थे स्कूल में , ज्यादातर तो इस बात से जलन रखते थे कि इतना सहज होने के बाद भी लाली जैसी खूबसूरत और अमीर घराने की लड़की उसके लिए पागल है ।
अगले ही पल लाली ने अनुज को आवाज दे ही दिया : अनुज ? अनुज ? आओ न
अनुज ने आस पास कुछ लड़कों को उसे देखता हुआ पाया , क्योंकि लाली की आवाज पर उनके भी कान बजे थे ।
अनुज चुपचाप उसके पास गया
: क्या कर रहे हो अकेले , बैठो न , हट न मोटकी ( लाली ने पूजा को सामने वाली बेंच से धकेला और जगह खाली कराई )
: उतर रही हूं कुत्ती अह्ह्ह्ह्ह
: आलू जैसी है गिरेगी तो भी तुझे कुछ नहीं होगा हाहाहाहाहा ( लाली ने उसे चिढ़ाया )
: मारूंगी न ( पूजा ने चिढ़ कर अपना मुक्का लाली की ओर ताना ताना और उसकी नजरें अनुज से टकराई )


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मगर अनुज की निगाहे तो उसके डिजाईनर सूट के गले पर अटक गई थी , जहां से उसे पूजा के रसीले आमो की झलक आ रही थी । सेकंड नहीं लगा पूजा को वो अनुज की निगाह को भाप गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए अपना दुपट्टा सही करने लगी ।
अनुज भी नजरे फेर लिया ।

: यार तुम्हारा इंस्टा आईडी क्या है बताओ न ? ( लाली ने कैजुअल होकर बोली )
: नहीं मैने नहीं बनाई , दरअसल मेरे पास मोबाईल नहीं है मै लैपटॉप से काम करता हूं
: हा तो उसमें भी तो चलेगा इंस्टा , तुम डाउनलोड करके आइडी बना लो न ( लाली बेधड़क बोली)
: लेकिन मुझे वो भी नहीं आती ( अनुज ने सहज कहा )
: ओक रुको मै बना देती हूं अभी ,अपनी मेल आईडी बताओ ( लाली झट से अपना मोबाइल खोलने लगी और अनुज के मेल से एक अकाउंट बना दिया )
: लो हो गया , अब थोड़ा सा स्टाइल वाला पोज दो एक डीपी लगानी है । आओ खड़े हो जाओ
: साथ के खड़ी हो जा मै खींच देती हूं ( दूसरी पूजा ने पीछे से छेड़ा लाली को , अनुज ने आंखे बड़ी कर उसे देखा तो मुंह फेर कर मुस्कुरा रही थी । )
लाली ने उसे घूरा और बुदबुदा कर उसे गाली दे रही थी फिर अनुज को देख कर मुस्कुराई : तुम खड़े होवो न

फिर अनुज ने पोज दिया और लाली ने फोटो निकाल कर फिल्टर करके अपलोड कर दिया और सबसे पहले खुद को फ्रेंड बनाया।
: घर पर शाम को ओपन करना ,ओके
अनुज ने हा में सर हिलाया और फिर अगली क्लास के टीचर आ गए ।

प्रतापपुर


" अह्ह्ह्ह मै कह रही हूं छोड़ दो मुझे गुड़िया के पापा , मुझे कोई बात नहीं करनी आपसे हटिए " , संगीता ने राजेश का हाथ झटक कर आगे बढ़ गई ।
राजेश के एक नजर कमरे के भिड़के दरवाजे की ओर देखा और लपक कर सुनीता को फिर से पीछे से पकड़ लिया और उसके नरम चर्बीदार पेट को सहलाता हुआ उसको अपनी बाहों में भरने लगा और सुनीता उसके स्पर्श से परेशान होने लगी


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: उफ्फ मेरी जान तेरे ये बड़े बड़े दूध अह्ह्ह्ह ( राजेश ने अपना हाथ ब्लाऊज के ऊपर से सुनीता के रसीले मम्मों पर फिराया )
: गुड़िया के पापा छोड़िए अह्ह्ह्ह सीईईईईई.....

तभी पीछे से बबीता की आवाज आई
राजेश झट से सुनीता से अलग हो गया और घूम कर देखा तो बबीता भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर अंदर आ रही थी
बबीता : आपका मोबाईल कहा है ? दो न प्लीज
राजेश : बेटा वो मैने किचन में चार्ज लगाया है ले ले
बबीता खुश होकर : ओके पापा हीही
बबीता खुश हुई और निकल गई

सुनीता बिस्तर पर फैली हुई साड़ी को अपने कमर में खोसे हुए गुस्साए लहजे में : क्या जरूरत है उसे मोबाइल देने की , बिगाड़ना चाहते है क्या उसे भी ।
राजेश मुस्कुरा कर उसके पास गया और उसके नंगे पेट पर फिर से हाथ फिराया : मेरी जान अब मान भी जाओ न , थोड़ा अपने रसीले दूध पिलाओ न अह्ह्ह्ह ( उसने वापस से ब्लाउज के ऊपर से उसके चूचे मसलने लगा )
: अह मै कह रही हुं गुड़िया के पापा छोड़ दीजिए , नहीं तो मै बाउजी से अह्ह्ह्ह उम्मम नहीइईई, आप बहुत बुरे हो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ( सुनीता राजेश को धकेल रही थी मगर राजेश उसे ही बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसके रसीले मम्मों को मसलता हुआ उसके गुलाबी होठ चूसने लगा ।

पहले तो सुनीता ने भी इंकार किया लेकिन एक ही चुम्बन में जैसे ही उसे राजेश के होठों से शराब की बू नहीं मिली वो समझ गई कि आज वो पीकर नहीं आया तो उसने खुद को ढीला छोड़ दिया ।
जोश में राजेश उसके रसीले होंठ चूसने लगा और उसके बड़े बड़े रसीले मम्में को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा , नीचे उसका लंड पजामे में तना हुआ था जो पेटीकोट के ऊपर से सुनीता के पेडू में चुभ रहा था , राजेश अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसके पेडू में ही घिसने लगा

: अह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ
सुनीता की सिसकिया उठने लगी , जब ब्लाउज के ऊपर से राजेश ने उसके चूचे सहलाते हुए काटने लगा और वो पूरी तरह से अकड़ने लगी
: उम्मम कितने मुलायम और रसीले है अह्ह्ह्ह जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह खा जाओ न अह्ह्ह्ह कितना तरसाते हो ओह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म उफ्फ हा ऐसे ही .


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राजेश ने उसके ब्लाउज खोलकर निप्पल चुभलाने लगा और दूसरा हाथ उसके दूसरी छाती को मसल रहा था
: तू ही पास नहीं आने देती तो क्या करु हा बोल ( राजेश ने प्यार से एक चपत लगाई सुनीता के कामोत्तेजीत चेहरे पर , मानो भीतर की भड़ास को निकाल रहा हो )
: अह्ह्ह्ह्ह मारते काहे हो , पीकर कर आओगे तो फटकने नहीं दूंगी कह देती हो , मुझे चोदना है तो ऐसे ही आना अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है अह्ह्ह्ह
राजेश ने उसका पेटीकोट उठा कर अपना लंड पजामे से निकाल कर चूत के मुहाने पर रख दिया था
: साली रंडी , बहुत नखरे है तेरे आह्ह्ह्ह
: ब्याह के लाए हो तो झेलेगा कौन उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ कितनी गर्म बुर है तेरी ( राजेश अपना लंड उसकी चूत में उतारता हुआ बोला )
: क्यों उस कुलटा कमला की ठंडी हो गई क्या ? जो आज मेरी गर्म लग रही है अह्ह्ह्ह आराम से ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ कितना टाइट है जी आपका उम्मन
राजेश मुंह भींचता हुआ करारे झटके मारता हुआ : जब रोज रोज लेगी नहीं तो टाइट ही रहेगा न , कमला की तो मै ढीली कर चुका आगे पीछे दोनो से अह्ह्ह्ह तू भी रोज लिया कर उसके जैसी फाड़ दूंगा
सुनीता जोश में पागल होने लगी और अपने जांघें कसती हुई सिसकने लगी राजेश का लंड तेजी से उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था


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: अह्ह्ह्ह बड़े गंदे हो आप , मुझे उसके जैसा बनवा कर किससे चुदवाना चाहते हो , बाउजी से ? ( सुनीता ने उकसाया ) उम्मम बोलो न
राजेश की स्पीड एकदम से ठहर गई चौक कर : अब इसमें बाउजी कहा से आ गए
सुनीता मुस्कुराई : क्यों बाउजी अब कमला को बुलाते नहीं है क्या ?
राजेश ऐसे सवालों से झेप महसूस कर रहा था , मगर सुनीता पूरे मूड में थी उसे राजेश को तंग करना भा रहा था
राजेश : मुझे क्या पता , बुलाते है या नहीं
सुनीता ने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुरा कर : चलो झूठे , अह्ह्ह्ह मम्मीईईई ओह्ह्ह्ह उम्मम
राजेश ने वापस से झटके चालू कर दिए : तुझे बड़ी रुचि है बाउजी में , क्या बात है उम्मम चाहिए क्या बाउजी का लंड , बोल लेगी क्या उम्मम
सुनीता एकदम से अकड़ने लगी और राजेश के तेज करारे झटके से उसकी सिसकियां तेज होने लगी : अह्ह्ह्ह क्यों देख लोगे मुझे बाउजी से चुदते अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और चोदो और अह्ह्ह्ह

राजेश : तू बता न साली रंडी , मेरे सामने चुद लेगी बाउजी से , अह्ह्ह्ह
सुनीता चरम पर जा रही थी उसकी बुर बुरी तरफ से फड़फड़ा रही थीं और पूरी तरह से पागल हुई जा रही थी राजेश के मोटे टोपे की रगड़ से : अह्ह्ह्ह मेरे राजा मै तुम्हारी रंडी हु न , बाउजी से क्या , कहोगे तो नंदोई जी का भी लंड घुसवा लूंगी अह्ह्ह्ह्ह रुको मत और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह पेलो मुझे कस कस के अह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐस ही आ रहा है हा हा ओह्ह्ह्ह ममीइईई उम्ममम ईईईईई अह्ह्ह्ह्ह

सुनीता की बातें सुनकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा वो तेजी से उसकी बुर में पेलने लगा , वही सुनीता झड़ती हुई अपने बुर में उसका लंड निचोड़ने लगी : अह्ह्ह्ह बहनचोद मजा ला दिया तूने मेरी जान अह्ह्ह्ह सीईईईईई साली रंडी अह्ह्ह्ह लेह मेरा भी आ रहा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: भर दो मेरी चूत को मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ अह्ह्ह्ह
राजेश उसके ऊपर आकर झड़ता रहा उसकी चूत में और फिर शांत उसके ऊपर ही फैल गया

जैसे ही दोनों का जोश ठंडा हुआ दोनो मुस्कुराने लगे
सुनीता लजाती हुई उसको अपने ऊपर से धकेल कर : हटिए , गंदे कही के क्या क्या कहलवाते है आप मुझसे छीइइइ
राजेश हंस के : अरे देखो तो भोली को , अभी कुछ देर पहले नंदोई का लंड घोंटने को तैयार थी अब देखो ... हाहाहाहाहा
सुनीता शर्म से लाल होती हुई : धत्त गुड़िया के पापा , बस कीजिए नहीं तो...
राजेश भी उठ गया : नहीं तो क्या
सुनीता एकदम मुंह में बुदबुदाई : सच में ले लूंगी नंदोई जी का लंड
राजेश साफ सुन नहीं पाया : क्या बोली
सुनीता हस कर : कुछ नहीं जाइए आप , गोदाम नहीं जाना क्या आज ?
राजेश : नहीं वो आज ट्रक रात में आयेंगे तो रात में जाना होगा
सुनीता उदास होने लगी : क्या रात में ? मतलब फिर तरसाओगे मुझे

राजेश उसके पास खड़ा होकर : वैसे नंदोई जी है ही तेरे , देख ले अगर जुगाड़ लग जाए तो
सुनीता लाज से उसके पेट पर कोहनी मार कर : भक्क गंदे
राजेश उसको शर्म से गुलाबी होता देख छेड़ता हुआ : वैसे जीजा जी तुझे देखते तो होंगे ही , कभी नोटिस किया क्या ?
राजेश की बात सुनकर सुनीता तो एक पल के लिए ख्यालों में गुम ही हो गई , क्योंकि रंगी तो उससे अपनी दीवानगी का इजहार कर चुका है , बस उसके ही हा कि देरी है ।
राजेश : तेरे इस दूधिया कमर पर नजर जरूर गई होगी क्यों ?
सुनीता : धत्त गुड़िया के पापा , कैसी बात कर रहे है आप , जाइए हा नहीं तो ।
इधर इनकी बाते चल रही थी तो वही बबीता के कमरे में बिस्तर पर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी ।
उसकी नजरें कभी कमरे के दरवाजे पर जाती तो कभी मोबाइल स्क्रीन पर


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अगर कुछ शतत था तो उसके उंगलियों का उसके चूत पर रेंगना

" उफ्फ पापा कितने गंदे हो आप , कमला आंटी के दूध दबा रहे हो अह्ह्ह्ह्ह "
उसकी नजरें मोबाइल स्क्रीन पर चल रही एक वीडियो पर थी जिसमें राजेश ने कमला की खेतों में चुदाई करते हुए वीडियो बनाई थी ।


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" अह्ह्ह्ह कमला तेरे दूध कसम से कितने रसीले है उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई" , वीडियो में राजेश कमला के चूचे सहलाते हुए बोल रहा था और कमला की सिसकिया फूट रही थी । अपने पापा की हरकते देख कर बबीता की उंगलियां खुद ब खुद उसकी चूत पर रेंग रही थी । ये दूसरी वीडियो थी जो वो तबसे देख रही थी ।

उसने वीडियो को आगे भगाया और अब वीडियो में उसके पापा अंडरवियर के होल से अपना बड़ा सा लंड निकाल कर खड़ा किए थे और सामने बैठी हुई कमला पहले उसको हिलाती है और फिर मुंह में भर लेती ।


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" ओह्ह्ह्ह कमला रानी अह्ह्ह्ह्ह कितना रसीला है तेरी जीभ उम्मम और ले न अह्ह्ह्ह ऐसे ही "

बबीता अपने पापा का लंड और उनकी सिसकी सुनकर सिहर उठी और उसने अपनी जांघें कस ली और उंगलियों से अपनी बजबजाती बुर पैंटी के ऊपर से दबाने लगी : अह्ह्ह्ह्ह पापा उफ्फ कितना बड़ा है उसने वीडियो और आगे बढ़ाया तो उसकी आंखे फेल गई और उसने अपनी टांगे पसारते हुए तेजी से अपने चूत को सहलाने लगी

वीडियो में उसके पापा तेजी से कमला की बुर में लंड डाले हुए चोद रहे थे और उसकी नंगी चूचियां मसल रहे थे , वही कमला उसके पापा को सिसकते हुए उकसा रही थी


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अपने पापा के मुंह से निकलते गंदे अल्फ़ाज़ और लगातार चूत में घुसते लंड से उसकी बुर बुरी तरह से गीली हो गई थी , बस तलब थी तो एक लंड की

बबीता अपनी बुर मसल रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और उसके पापा ने आवाज दी : गुड़िया बेटा, देख ली मोबाइल
बबीता की एकदम से फट गई उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे उसका हॉफ कैफरी टांगे में नीचे तक जा चुकी थी पैंटी पूरी बजबजाई हुई हाथ में मोबाइल पर वीडियो चल रही थी
उसने झट से मोबाइल का पावर बटन दबाया और उसको तकिए के पास रख कर एक चादर ओढ कर सोने का नाटक करने लगी ।
राजेश कमरे में दाखिल हुआ और उसने अंदर की बत्ती जलाई
तो देखा कि सामने उसकी लाडली गुड़िया सोई हुई है और उसका मोबाइल साइड में है ।

सुबह से अपनी बिटिया को देखकर जो अरमान राजेश के लंड और जहन में उठे, सुनीता को चोद कर थोड़ी देर के लिए शांत हुए थे मगर कमरे में लेती हुई अपनी बिटिया के टीशर्ट में उभरे हुए मौसमी जैसे चूचे को देख कर उसका लंड एकदम से अकड़ गया ।
वो धीरे से बबीता के पास गया और प्यार से उसके सर को सहलाया और हौले से उसके गाल चूम कर मोबाइल उठा लिया।
अपने पापा को इतने करीब पाकर बबीता भीतर से कांप रही थी डर था कि अगर उसके पापा मोबाइल खोलेंगे तो सबसे पहले वो वीडियो ही चलेगी ।
और हुआ भी वही मोबाइल लेकर जैसे ही राजेश बिस्तर से दरवाजे की ओर बढ़ा था कि उसने लॉक खोलकर मोबाइल देखा तो एकदम से मध्यम आवाज में वो वीडियो स्क्रीन पर चलने लगी ।
राजेश एकदम से हड़बड़ाया और सन्न रह गया , वो पलट कर बबीता की ओर देखा वो अभी भी वैसे ही करवट लिए सोई थी आंखे बंद किए
राजेश के जहन में काफी सारे सवाल थे और उनसे बढ़ कर एक डर कि कही उसकी बेटी उससे नाराज न हो जाए । वही बबीता की हालात अलग खराब थी , उसे अब पक्का यकीन होने लगा कि उसकी पिटाई तय थी ।

राजेश दबे पाव चल कर बबीता के पास गया और उसे आवाज दिया हल्का सा , ये जांचने के लिए कि वो जाग रही है या सो गई , मगर मारे डर के बबीता अपने पापा का सामना नहीं करना चाहती थी ।
राजेश ने देखा कि वो कुछ जवाब नहीं दे रही थी , उसके जहन में कुछ शंकाए उठ रही थी कि कही उसकी बेटी ने उसकी चुदाई की वीडियो देखकर ऊंगलीबाजी करके थककर तो नहीं सो गईं, क्योंकि उसने वीडियो जस का तस छोड़ा था ।
उसने धीरे से बबीता के ऊपर से चादर उठाई और वही बबीता अपने जांघें कसने लगी , उसका दिल जोरो से धड़क रहा था कि अब तो बेटा पक्का पकड़ी गई और मार मिलेगी।


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जैसे ही चादर हटी बबीता कैफ़री उसके पैरो में नीचे थी और वो अपनी जांघें साट कर करवट होकर लेती थी उसकी नंगी जांघें और छोटे छोटे गोरे मुलायम चूतड पर कसी हुई पैंटी देखकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , अब उसे यकीन होने लगा कि जरूर उसकी बेटी ने उसकी वीडियो देख कर अपनी चूत मसली है , ये भावना से राजेश के बदन में कंपकपी सी हो रही थी उसका हल्क अपनी बेटी की पैंटी को देख कर सुख रहा था ।
उसकी नजरें बबीता के गुदाज मुलायम चूतड़ों से हट ही नहीं रही थी , उसकी सांसे बेकाबू हुई जा रही थी और उसने एक बार बबीता को सोता हुआ देखा और खुद को रोक नहीं पाया


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आगे झुक आकर बबीता के नंगे चूतड़ों के हिस्सों को छूने लगा, अपने पापा के पंजों का स्पर्श पाते ही बबीता एकदम से सन्न रह गई, उसकी सांसे चढ़ने उतरने लगी कलेजा तेजी से धकधक हो रहा था । उसे यकीन नहीं हो रहा था उसके पापा ऐसा कुछ करेंगे । वो खुद को जबरन किसी भी हरकत करने रोकने लगी और वही अपनी बेटी के गुदाज मुलायम चूतड़ों को मसलकर राजेश भी अपना खड़ा लंड पजामे के ऊपर से मसलने लगा और उसकी नियत यही तक नहीं रुकी उसने जांघों के बीच झांकते अपनी लाडली के चूत के गिले फांके उंगलियों से छूने लगा

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एकदम से अपने गीली बुर पर अपने पापा के उंगलियों को रेंगता पाकर बबीता की आंखे उलटने लगी ,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ,उसके नथुनों से गर्म सांसे उठने लगी और उसका काबू खुद से छुटने लगा , उसकी बुर बुरी तरह से फड़फड़ाने लगी और उसके पैरो में हरकत हुई

जिसे देख कर झट से राजेश पीछे हो गया और बेटी के रस से गीली हुई उंगली को चाटने लगा और लंड भींचता हुआ बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर आ गया ।
वही पापा के जाते ही बबीता ने अपनी टांगे फैलाई और अपनी चूत मलने लगी : अह्ह्ह्ह पापा क्यों छू रहे थे मुझे आप सीईई देखो आपके छूने से खुजली हो रही अह्ह्ह्ह्ह पापा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई


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बबीता अपने पापा का नाम लेकर झड़ने लगी और सुस्त होके आखिर कार सो गई ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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💥 अध्याय : 02 💥
UPDATE 09


हाइवे पर गाड़ियां तेजी से पास हो रही थी । तेज हवा के झोंके मंजू के साड़ी को हवा में लहरा दे रहे थे मगर वो शांत और चुप खड़ी थी , गाड़ी के पास
वही सामने वाले ढाबे से मुरारी मुस्कुराता हुआ हाथ में दो चाय प्याले और कांख में पानी को बोतल को दबाए आ रहा था

: लो लो पकड़ो , जल रहा है ( मुरारी ने अपना कंधा आगे किया जिसमें बोतल दबाए था )
मंजू ने एक बुझी सी मुस्कुराहट से उसके कांख से बोतल लिया और मुरारी ने झट से वो गर्म बट्टे गाड़ी के बोनट पर रख दी और हाथ फूंकने लगा
: अरे ड्राइवर को कह देते न ( मंजू ने मुरारी को परेशान देख कर बोली)
: अरे वो गधा अपनी बोतल लेकर खेतों में गया है ( मुरारी ने खीझ कर कहा लेकिन मंजू उसके बात को समझ कर मुस्कुराने लगी )

फिर मंजू ने पानी की बोतल से मुंह धुला और अपने पल्लू से मुंह पोछा। फिर कुछ घूंट पानी गटकने लगी , तो पानी उसके चिन से होकर उसके रसीले मम्में के दरारों में जाने लगा
: अरे मुंह लगा कर पी लो न
: जूठा हो जा.... ( मंजू अपनी बात कहती, मुरारी फिर उसे टोकता है )
: मै दूसरी ले लूंगा ...
फिर मंजू बिना कुछ कहे पानी पीकर पल्लू से अपनी गीली छाती को सोक करने लगी ।

: हम्मम ये लो ...( मुरारी ने उसे चाय का बट्टा दिया ) आराम से गर्म है
मंजू ने साँवधानी से चाय पकड़ी और गाड़ी के पास खड़ी होकर चुस्की लेने लगी ।
अभी भी मंजू की आंखों वो उदासी गई नहीं थी जिसकी चाह मुरारी को थी , वो नहीं चाहता था कि मंजू ऐसे चेहरे के साथ घर पहुंचे ।

: वैसे मुझे नहीं लगता मदन तुम्हे ऐसे देख कर खुश होगा ( मुरारी ने चुस्की लेकर कहा और उसकी ओर देखा )
मंजू सवालिया नजरो से मुरारी को निहारा
: और ये तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा अगर उसे भनक भी लग गई आज सुबह के बारे में ... ( मुरारी ने सहज होकर कहा )
: नहीं भइया ... आपको भाभी की कसम है आप किसी से कुछ नहीं कहेंगे और अगर आपको लगता है इनसब में सिर्फ मेरी गलती है तो आप मुझे वापस मेरे घर छोड़ सकते है... ( मंजू ने कड़ा रुख रखते हुए कहा )
: अरे भाई ... तुम गलत समझ रही हो , मेरे कहने का मतलब है कि तुम ऐसे उदास होकर चलोगी तो ममता मदन तुम्हे देखेंगे तो क्या सोचेंगे । ( मुरारी हस कर बोला ) और वैसे भी तुम्हे वापस छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता , क्योंकि मुझे भरोसा है ।

: मत कीजिए , मै उस लायक नहीं ( मंजू मुरारी के प्यार भरे शब्दों से भीतर से पिघल गई और उसे अपने कर्मों पर अफसोस हो रहा था )
: ऐसा नहीं कहते ....
: ना मै अपने प्यार के लिए लड़ सकी और न ही उस प्यार की इज्जत कर पाई और अगर आप मेरी हकीकत जानेंगे तो मुझे नहीं लगता कि आप कभी मुझे अपनाना चाहेंगे । ( मंजू सुबकने लगी )

: मै किसी के अतीत से उसका चरित्र निर्धारित नहीं करता , मै लोगो को उनके स्वतंत्र विचारों के लिए पसंद करता हूं , अभी भी तुम्हारे आगे ये रास्ता खुला है अगर तुम नहीं चलना चाहती हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है मै अमन और उसकी मां.....(मुरारी के बोल लड़खड़ाने लगे मगर उसने अपना संयम नहीं खोया ) मै उन दोनों को समझा लूंगा तुम फिकर मत करो ।
मुरारी की बाते सुन कर मंजू की डबडबाई आंखों से पानी झरने लगा और वो भीतर से डर रही

: नहीइईई ....( उसने झट से सड़क किनारे ही खुलेआम मुरारी से लिपट गई ) मुझे वापस नहीं जाना है भैया , मै आपके साथ जाना चाहती हूं प्लीज ( बिलखते हुए बोली)
मुरारी मंजू के इस व्यवहार से सन्न रह गया मंजू का वो मुलायम स्पर्श उसके जिस्म में गुगुदाहट बढ़ा रहे थे और सड़क किनारे यूं एकदम से कस लेना अजीब सा झिझक हो रही थी उसको ।
: मंजू ... ( मुरारी ने उसके पीठ पर हाथ फेरा उसके ब्लाउज के ऊपर से और उसका पूरा जिस्म गिनगिना गया , मानो बिजली दौड़ गई हो जिस्म में )
: मुझे डर लग रहा है भैया .... ( मंजू की तेज सांसे मुरारी महसूस कर पा रहा था )
: आओ इधर आओ बैठो अंदर ( मुरारी ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके गाड़ी में बिठा कर खुद भी बैठ गया )
मंजू उसके कंधे से लग गई और उसने अभी भी मुरारी का पंजा अपने गोद में ले रखा था , जैसे कितना सहमी हुई हो वो मुरारी को खोने से ।
वही मुरारी की हालत पतली हो रही थी , उसके जिस्म एम गर्मी बढ़ रही थी जिस तरह से मंजू उसको पकड़े थी , और गोद में साड़ियों के ऊपर उसको अपने हाथ में और भी मुलायम सॉफ्टी सा महसूस हो रहा था ।

: तुम फिकर मत करो और तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है बस मै कुछ पूछूंगा तो बताओगी? भरोसा है मुझपर ? ( मुरारी ने उसकी आंखों में गहरे देख कर बोला और उसने बहती आंखों से हा में सर हिलाया ).
: देखो मै ये तो नहीं कहूंगा कि तुम पिछली बातें भूल जाओ , क्योंकि चीजें इतनी आसान होती नहीं है । मगर मै चाहता हूं कि जब तुम अपने घर में आओ तो वो सारी चीजें सुलझा कर ही जाओ , तुम्हारे साथ तुम्हारे अतीत का कोई बंधन न हो और तुम्हारा जीवन एक नए सिरे से सुंदर बने । तुम समझ रही हो ?
मंजू ने हुंकारी भरी और चुप रही।

मुरारी ने मुस्कुरा कर उसकी देखा , अब उसके चेहरे पर थोड़ी सी शांति झलक रही थी , जो कि एक अच्छा साइन था ।
मुरारी : तो फिर अगर तुम्हे लग रहा है तुम्हारे अतीत का ऐसा कोई पल है जिसका तुम्हे बहुत अफसोस है और तुम उसको सुलझाना चाहती हो तो एक दोस्त के नाते तुम मुझसे साझा कर सकती हो । मै तुम्हे जज नहीं करूंगा मंजू , तुम्हारी मदद ही करूंगा । बोलो ?

मंजू मुरारी की बातें सुनकर सोच में पड़ गई , उसके चेहरे पर विचलितता स्पष्ट थी और एक डर अभी भी तैर रहा था उसकी आंखों में जिसे मुरारी समझ रहा था ।
: आप प्लीज गलत मत समझिएगा , क्योंकि जो कुछ भी मैने किया यहां वो सब हालात के हाथों मजबूर थी मै जब मै इस शहर में आई थी तो राजन ने ही मुझे सहारा दिया था फिर हम करीब आ गए थे । मगर उसने मेरा फायदा अपने कारोबार के लिए करने लगा था ( मंजू निगाहे गिरा कर बोली , उसकी हथेली में मुरारी अपने पंजे को ढीला महसूस कर पा रहा था ) तो मै उससे छुटकारा चाहती थी मगर उसने.... मुझे डरा कर अपने पास रखा था जबरन ( मंजू की आंखे छलक पड़ी और मुरारी ने झट से अपने जेब से रुमाल निकाल कर उसके गाल खुद साफ करने लगा )

: अब रोओ मत , सब ठीक है तुम वहा से निकल आई हो । अब फिकर मत करो , तुम पर मै आंच भी नहीं आने दूंगा ( मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके सर को चूम कर बोला और मंजू उसके पास बैठी रही सुबकती हुई )
: बस मुझे एक ही बात का डर है !!
: क्या ?.
: उसके पास मेरे कुछ वीडियो है , वो बहुत कमीना है भैया , अगर उसे पता चला मेरे बारे में तो कल जरूर पैसे या फिर कुछ और के लिए तंग करेगा । ( मंजू साफ लफ्जों में बोली )
: उसका नंबर है क्या ? ( मुरारी सख्त होकर बोला )
: किसका ? ( मंजू के भीतर एक डर बैठने लगा )
: राजन का ?
: हा क्यों ? ( मंजू थोड़ा पीछे होकर बोली )
: लगाओ फोन उसको मै बात करता हूं

फिर मंजू ने उसको फोन लगा कर दिया और मुरारी उससे बात करता हुआ गाड़ी से बाहर निकल जाता है और करीब 10 मिनट बाद वापस आता है ।
इधर मंजू पूरी तरह परेशान थी , एक अनजाना सा डर उसे खाए जा रहा था और उसका मन बहुत उदास था । वही ड्राइवर भी वापस आ गया था ।
मुरारी मंजू को फोन देकर मुस्कुराया : चले ड्राइवर साहब ?
: जी बाउजी चलते है , माफ कीजिएगा सुबह चना खा लिए थे तो पेट गड़बड़ा गया था ।
: अच्छा अच्छा ठीक है चलो ( मुरारी ने हस कहा और गाड़ी निकल पड़ी )
मगर मंजू की उलझन कम नहीं हो रही थी वो एक टक मुरारी को निहार रही थी , कि आखिर क्या बात हुई होगी दोनों के बीच ।

: क्या हुआ , अब वो तुम्हे कभी भी तंग नहीं करेगा मैने उसे समझा दिया है अपने तरीके से , खुश !! ( मुरारी ने मुस्कुरा कर मंजू को देखा और मंजू ने अपने चेहरे पर फीकी मुस्कुराहट बिखेर दी )
: अरे ड्राइवर साहब जरा मेरा ये मोबाइल लगा देंगे चार्ज नहीं है और चाप कर चलिए किसी अच्छे होटल पर रोकिएगा वही खाना पीना किया जायेगा , क्यों ? ( मुरारी ने मंजू से उसकी इच्छा जाननी चाही तो मंजू मुस्कुरा कर हा सर हिला दी और गाड़ी तेजी से हाइवे पर निकल चुकी थी )

चमनपुरा

आज अनुज का मन खुश था , सुबह सुबह उसकी मां रागिनी ने उसका दिल पहले ही खुश कर दिया था और अब कालेज में आते ही लाली ने ।

कसी हुई पैजामी ने उसकी लंबी टांगे चलते हुए जब उसके गोल मटोल चूतड़ों को थिरकाती तो अनुज के अरमान भी ऊपर नीचे होने लगते , उसपे से उसका बार बार पलट कर अनुज की ओर देखना अपनी जुल्फे कानो में उलझाना , मुस्कुराना कभी कभी अनुज खुद शर्मा जाता मगर पहले जितना नहीं ।
तभी क्लास में लाली की दीदी की एंट्री हुई ,


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खुले बाल वो शिफॉन की हल्की साड़ी नंगी कमर गुदाज चर्बीदार मुलायम पेट जिसकी नाभि की झलक रह रह कर पंखे के हवा से दिख जाती , अपने छातियों पर किताबें दबाए क्लास में आई ।

सभी ने खड़े होकर उनको ग्रिट किया और फिर क्लास चलती रही । अनुज का लंड अकड़ रहा था , वो लाली की दीदी के मटके जैसे चूतड़ों को निहार रहा था साड़ी में , उसकी आंखे साड़ी को भेद कर आज भी उनकी पैंटी का कलर जानने की कोशिश कर रही थी ।
क्लास कब खत्म हो गई पता ही नहीं चला , मगर लंड की अकड़न नहीं ।
वही अगला पीरियड खाली था और क्लास में लड़कियों की रो में लाली वाली बेंच पर खूब हंसी ठिठौली हो रही थी ।
लाली के आगे बैग वाली बेंच पर उसकी दोस्त पूजा बैठी थी उसके रसीले मम्में सूट में पूरे चुस्त थे , उसकी मोटी गदराई जांघें और कूल्हे उसके सूट के नीचे बगल से झलक रहे थे । ब्लूमर पैंटी की लास्टिक जांघों पर उभरी थी पैजामी के उसकी ।


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सब खूब मस्ती कर रहे थे , वहां सबके पास मोबाईल थे ,क्लास में दूसरे लड़के भी थे जिनके पास मोबाइल थे वो भी सोशल मीडिया चला रहे थे ।

: भाग कुत्ती ... हीहीही ( एकदम से पूजा खिलखिलाई )
अनुज की नजर उस ओर गई तो लाली ने भी उसकी ओर देखा । दोनों की नजरे टकराई फिर अनुज नजरे फेर लिया और चुप चाप बैठ गया । अनुज के पास अपना कोई मोबाइल तो था नहीं , और ना उसके कोई ऐसे दोस्त थे स्कूल में , ज्यादातर तो इस बात से जलन रखते थे कि इतना सहज होने के बाद भी लाली जैसी खूबसूरत और अमीर घराने की लड़की उसके लिए पागल है ।
अगले ही पल लाली ने अनुज को आवाज दे ही दिया : अनुज ? अनुज ? आओ न
अनुज ने आस पास कुछ लड़कों को उसे देखता हुआ पाया , क्योंकि लाली की आवाज पर उनके भी कान बजे थे ।
अनुज चुपचाप उसके पास गया
: क्या कर रहे हो अकेले , बैठो न , हट न मोटकी ( लाली ने पूजा को सामने वाली बेंच से धकेला और जगह खाली कराई )
: उतर रही हूं कुत्ती अह्ह्ह्ह्ह
: आलू जैसी है गिरेगी तो भी तुझे कुछ नहीं होगा हाहाहाहाहा ( लाली ने उसे चिढ़ाया )
: मारूंगी न ( पूजा ने चिढ़ कर अपना मुक्का लाली की ओर ताना ताना और उसकी नजरें अनुज से टकराई )


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मगर अनुज की निगाहे तो उसके डिजाईनर सूट के गले पर अटक गई थी , जहां से उसे पूजा के रसीले आमो की झलक आ रही थी । सेकंड नहीं लगा पूजा को वो अनुज की निगाह को भाप गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए अपना दुपट्टा सही करने लगी ।
अनुज भी नजरे फेर लिया ।

: यार तुम्हारा इंस्टा आईडी क्या है बताओ न ? ( लाली ने कैजुअल होकर बोली )
: नहीं मैने नहीं बनाई , दरअसल मेरे पास मोबाईल नहीं है मै लैपटॉप से काम करता हूं
: हा तो उसमें भी तो चलेगा इंस्टा , तुम डाउनलोड करके आइडी बना लो न ( लाली बेधड़क बोली)
: लेकिन मुझे वो भी नहीं आती ( अनुज ने सहज कहा )
: ओक रुको मै बना देती हूं अभी ,अपनी मेल आईडी बताओ ( लाली झट से अपना मोबाइल खोलने लगी और अनुज के मेल से एक अकाउंट बना दिया )
: लो हो गया , अब थोड़ा सा स्टाइल वाला पोज दो एक डीपी लगानी है । आओ खड़े हो जाओ
: साथ के खड़ी हो जा मै खींच देती हूं ( दूसरी पूजा ने पीछे से छेड़ा लाली को , अनुज ने आंखे बड़ी कर उसे देखा तो मुंह फेर कर मुस्कुरा रही थी । )
लाली ने उसे घूरा और बुदबुदा कर उसे गाली दे रही थी फिर अनुज को देख कर मुस्कुराई : तुम खड़े होवो न

फिर अनुज ने पोज दिया और लाली ने फोटो निकाल कर फिल्टर करके अपलोड कर दिया और सबसे पहले खुद को फ्रेंड बनाया।
: घर पर शाम को ओपन करना ,ओके
अनुज ने हा में सर हिलाया और फिर अगली क्लास के टीचर आ गए ।

प्रतापपुर


" अह्ह्ह्ह मै कह रही हूं छोड़ दो मुझे गुड़िया के पापा , मुझे कोई बात नहीं करनी आपसे हटिए " , संगीता ने राजेश का हाथ झटक कर आगे बढ़ गई ।
राजेश के एक नजर कमरे के भिड़के दरवाजे की ओर देखा और लपक कर सुनीता को फिर से पीछे से पकड़ लिया और उसके नरम चर्बीदार पेट को सहलाता हुआ उसको अपनी बाहों में भरने लगा और सुनीता उसके स्पर्श से परेशान होने लगी


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: उफ्फ मेरी जान तेरे ये बड़े बड़े दूध अह्ह्ह्ह ( राजेश ने अपना हाथ ब्लाऊज के ऊपर से सुनीता के रसीले मम्मों पर फिराया )
: गुड़िया के पापा छोड़िए अह्ह्ह्ह सीईईईईई.....

तभी पीछे से बबीता की आवाज आई
राजेश झट से सुनीता से अलग हो गया और घूम कर देखा तो बबीता भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर अंदर आ रही थी
बबीता : आपका मोबाईल कहा है ? दो न प्लीज
राजेश : बेटा वो मैने किचन में चार्ज लगाया है ले ले
बबीता खुश होकर : ओके पापा हीही
बबीता खुश हुई और निकल गई

सुनीता बिस्तर पर फैली हुई साड़ी को अपने कमर में खोसे हुए गुस्साए लहजे में : क्या जरूरत है उसे मोबाइल देने की , बिगाड़ना चाहते है क्या उसे भी ।
राजेश मुस्कुरा कर उसके पास गया और उसके नंगे पेट पर फिर से हाथ फिराया : मेरी जान अब मान भी जाओ न , थोड़ा अपने रसीले दूध पिलाओ न अह्ह्ह्ह ( उसने वापस से ब्लाउज के ऊपर से उसके चूचे मसलने लगा )
: अह मै कह रही हुं गुड़िया के पापा छोड़ दीजिए , नहीं तो मै बाउजी से अह्ह्ह्ह उम्मम नहीइईई, आप बहुत बुरे हो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ( सुनीता राजेश को धकेल रही थी मगर राजेश उसे ही बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसके रसीले मम्मों को मसलता हुआ उसके गुलाबी होठ चूसने लगा ।

पहले तो सुनीता ने भी इंकार किया लेकिन एक ही चुम्बन में जैसे ही उसे राजेश के होठों से शराब की बू नहीं मिली वो समझ गई कि आज वो पीकर नहीं आया तो उसने खुद को ढीला छोड़ दिया ।
जोश में राजेश उसके रसीले होंठ चूसने लगा और उसके बड़े बड़े रसीले मम्में को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा , नीचे उसका लंड पजामे में तना हुआ था जो पेटीकोट के ऊपर से सुनीता के पेडू में चुभ रहा था , राजेश अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसके पेडू में ही घिसने लगा

: अह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ
सुनीता की सिसकिया उठने लगी , जब ब्लाउज के ऊपर से राजेश ने उसके चूचे सहलाते हुए काटने लगा और वो पूरी तरह से अकड़ने लगी
: उम्मम कितने मुलायम और रसीले है अह्ह्ह्ह जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह खा जाओ न अह्ह्ह्ह कितना तरसाते हो ओह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म उफ्फ हा ऐसे ही .


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राजेश ने उसके ब्लाउज खोलकर निप्पल चुभलाने लगा और दूसरा हाथ उसके दूसरी छाती को मसल रहा था
: तू ही पास नहीं आने देती तो क्या करु हा बोल ( राजेश ने प्यार से एक चपत लगाई सुनीता के कामोत्तेजीत चेहरे पर , मानो भीतर की भड़ास को निकाल रहा हो )
: अह्ह्ह्ह्ह मारते काहे हो , पीकर कर आओगे तो फटकने नहीं दूंगी कह देती हो , मुझे चोदना है तो ऐसे ही आना अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है अह्ह्ह्ह
राजेश ने उसका पेटीकोट उठा कर अपना लंड पजामे से निकाल कर चूत के मुहाने पर रख दिया था
: साली रंडी , बहुत नखरे है तेरे आह्ह्ह्ह
: ब्याह के लाए हो तो झेलेगा कौन उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ कितनी गर्म बुर है तेरी ( राजेश अपना लंड उसकी चूत में उतारता हुआ बोला )
: क्यों उस कुलटा कमला की ठंडी हो गई क्या ? जो आज मेरी गर्म लग रही है अह्ह्ह्ह आराम से ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ कितना टाइट है जी आपका उम्मन
राजेश मुंह भींचता हुआ करारे झटके मारता हुआ : जब रोज रोज लेगी नहीं तो टाइट ही रहेगा न , कमला की तो मै ढीली कर चुका आगे पीछे दोनो से अह्ह्ह्ह तू भी रोज लिया कर उसके जैसी फाड़ दूंगा
सुनीता जोश में पागल होने लगी और अपने जांघें कसती हुई सिसकने लगी राजेश का लंड तेजी से उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था


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: अह्ह्ह्ह बड़े गंदे हो आप , मुझे उसके जैसा बनवा कर किससे चुदवाना चाहते हो , बाउजी से ? ( सुनीता ने उकसाया ) उम्मम बोलो न
राजेश की स्पीड एकदम से ठहर गई चौक कर : अब इसमें बाउजी कहा से आ गए
सुनीता मुस्कुराई : क्यों बाउजी अब कमला को बुलाते नहीं है क्या ?
राजेश ऐसे सवालों से झेप महसूस कर रहा था , मगर सुनीता पूरे मूड में थी उसे राजेश को तंग करना भा रहा था
राजेश : मुझे क्या पता , बुलाते है या नहीं
सुनीता ने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुरा कर : चलो झूठे , अह्ह्ह्ह मम्मीईईई ओह्ह्ह्ह उम्मम
राजेश ने वापस से झटके चालू कर दिए : तुझे बड़ी रुचि है बाउजी में , क्या बात है उम्मम चाहिए क्या बाउजी का लंड , बोल लेगी क्या उम्मम
सुनीता एकदम से अकड़ने लगी और राजेश के तेज करारे झटके से उसकी सिसकियां तेज होने लगी : अह्ह्ह्ह क्यों देख लोगे मुझे बाउजी से चुदते अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और चोदो और अह्ह्ह्ह

राजेश : तू बता न साली रंडी , मेरे सामने चुद लेगी बाउजी से , अह्ह्ह्ह
सुनीता चरम पर जा रही थी उसकी बुर बुरी तरफ से फड़फड़ा रही थीं और पूरी तरह से पागल हुई जा रही थी राजेश के मोटे टोपे की रगड़ से : अह्ह्ह्ह मेरे राजा मै तुम्हारी रंडी हु न , बाउजी से क्या , कहोगे तो नंदोई जी का भी लंड घुसवा लूंगी अह्ह्ह्ह्ह रुको मत और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह पेलो मुझे कस कस के अह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐस ही आ रहा है हा हा ओह्ह्ह्ह ममीइईई उम्ममम ईईईईई अह्ह्ह्ह्ह

सुनीता की बातें सुनकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा वो तेजी से उसकी बुर में पेलने लगा , वही सुनीता झड़ती हुई अपने बुर में उसका लंड निचोड़ने लगी : अह्ह्ह्ह बहनचोद मजा ला दिया तूने मेरी जान अह्ह्ह्ह सीईईईईई साली रंडी अह्ह्ह्ह लेह मेरा भी आ रहा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: भर दो मेरी चूत को मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ अह्ह्ह्ह
राजेश उसके ऊपर आकर झड़ता रहा उसकी चूत में और फिर शांत उसके ऊपर ही फैल गया

जैसे ही दोनों का जोश ठंडा हुआ दोनो मुस्कुराने लगे
सुनीता लजाती हुई उसको अपने ऊपर से धकेल कर : हटिए , गंदे कही के क्या क्या कहलवाते है आप मुझसे छीइइइ
राजेश हंस के : अरे देखो तो भोली को , अभी कुछ देर पहले नंदोई का लंड घोंटने को तैयार थी अब देखो ... हाहाहाहाहा
सुनीता शर्म से लाल होती हुई : धत्त गुड़िया के पापा , बस कीजिए नहीं तो...
राजेश भी उठ गया : नहीं तो क्या
सुनीता एकदम मुंह में बुदबुदाई : सच में ले लूंगी नंदोई जी का लंड
राजेश साफ सुन नहीं पाया : क्या बोली
सुनीता हस कर : कुछ नहीं जाइए आप , गोदाम नहीं जाना क्या आज ?
राजेश : नहीं वो आज ट्रक रात में आयेंगे तो रात में जाना होगा
सुनीता उदास होने लगी : क्या रात में ? मतलब फिर तरसाओगे मुझे

राजेश उसके पास खड़ा होकर : वैसे नंदोई जी है ही तेरे , देख ले अगर जुगाड़ लग जाए तो
सुनीता लाज से उसके पेट पर कोहनी मार कर : भक्क गंदे
राजेश उसको शर्म से गुलाबी होता देख छेड़ता हुआ : वैसे जीजा जी तुझे देखते तो होंगे ही , कभी नोटिस किया क्या ?
राजेश की बात सुनकर सुनीता तो एक पल के लिए ख्यालों में गुम ही हो गई , क्योंकि रंगी तो उससे अपनी दीवानगी का इजहार कर चुका है , बस उसके ही हा कि देरी है ।
राजेश : तेरे इस दूधिया कमर पर नजर जरूर गई होगी क्यों ?
सुनीता : धत्त गुड़िया के पापा , कैसी बात कर रहे है आप , जाइए हा नहीं तो ।
इधर इनकी बाते चल रही थी तो वही बबीता के कमरे में बिस्तर पर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी ।
उसकी नजरें कभी कमरे के दरवाजे पर जाती तो कभी मोबाइल स्क्रीन पर


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अगर कुछ शतत था तो उसके उंगलियों का उसके चूत पर रेंगना

" उफ्फ पापा कितने गंदे हो आप , कमला आंटी के दूध दबा रहे हो अह्ह्ह्ह्ह "
उसकी नजरें मोबाइल स्क्रीन पर चल रही एक वीडियो पर थी जिसमें राजेश ने कमला की खेतों में चुदाई करते हुए वीडियो बनाई थी ।


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" अह्ह्ह्ह कमला तेरे दूध कसम से कितने रसीले है उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई" , वीडियो में राजेश कमला के चूचे सहलाते हुए बोल रहा था और कमला की सिसकिया फूट रही थी । अपने पापा की हरकते देख कर बबीता की उंगलियां खुद ब खुद उसकी चूत पर रेंग रही थी । ये दूसरी वीडियो थी जो वो तबसे देख रही थी ।

उसने वीडियो को आगे भगाया और अब वीडियो में उसके पापा अंडरवियर के होल से अपना बड़ा सा लंड निकाल कर खड़ा किए थे और सामने बैठी हुई कमला पहले उसको हिलाती है और फिर मुंह में भर लेती ।


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" ओह्ह्ह्ह कमला रानी अह्ह्ह्ह्ह कितना रसीला है तेरी जीभ उम्मम और ले न अह्ह्ह्ह ऐसे ही "

बबीता अपने पापा का लंड और उनकी सिसकी सुनकर सिहर उठी और उसने अपनी जांघें कस ली और उंगलियों से अपनी बजबजाती बुर पैंटी के ऊपर से दबाने लगी : अह्ह्ह्ह्ह पापा उफ्फ कितना बड़ा है उसने वीडियो और आगे बढ़ाया तो उसकी आंखे फेल गई और उसने अपनी टांगे पसारते हुए तेजी से अपने चूत को सहलाने लगी

वीडियो में उसके पापा तेजी से कमला की बुर में लंड डाले हुए चोद रहे थे और उसकी नंगी चूचियां मसल रहे थे , वही कमला उसके पापा को सिसकते हुए उकसा रही थी


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अपने पापा के मुंह से निकलते गंदे अल्फ़ाज़ और लगातार चूत में घुसते लंड से उसकी बुर बुरी तरह से गीली हो गई थी , बस तलब थी तो एक लंड की

बबीता अपनी बुर मसल रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और उसके पापा ने आवाज दी : गुड़िया बेटा, देख ली मोबाइल
बबीता की एकदम से फट गई उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे उसका हॉफ कैफरी टांगे में नीचे तक जा चुकी थी पैंटी पूरी बजबजाई हुई हाथ में मोबाइल पर वीडियो चल रही थी
उसने झट से मोबाइल का पावर बटन दबाया और उसको तकिए के पास रख कर एक चादर ओढ कर सोने का नाटक करने लगी ।
राजेश कमरे में दाखिल हुआ और उसने अंदर की बत्ती जलाई
तो देखा कि सामने उसकी लाडली गुड़िया सोई हुई है और उसका मोबाइल साइड में है ।

सुबह से अपनी बिटिया को देखकर जो अरमान राजेश के लंड और जहन में उठे, सुनीता को चोद कर थोड़ी देर के लिए शांत हुए थे मगर कमरे में लेती हुई अपनी बिटिया के टीशर्ट में उभरे हुए मौसमी जैसे चूचे को देख कर उसका लंड एकदम से अकड़ गया ।
वो धीरे से बबीता के पास गया और प्यार से उसके सर को सहलाया और हौले से उसके गाल चूम कर मोबाइल उठा लिया।
अपने पापा को इतने करीब पाकर बबीता भीतर से कांप रही थी डर था कि अगर उसके पापा मोबाइल खोलेंगे तो सबसे पहले वो वीडियो ही चलेगी ।
और हुआ भी वही मोबाइल लेकर जैसे ही राजेश बिस्तर से दरवाजे की ओर बढ़ा था कि उसने लॉक खोलकर मोबाइल देखा तो एकदम से मध्यम आवाज में वो वीडियो स्क्रीन पर चलने लगी ।
राजेश एकदम से हड़बड़ाया और सन्न रह गया , वो पलट कर बबीता की ओर देखा वो अभी भी वैसे ही करवट लिए सोई थी आंखे बंद किए
राजेश के जहन में काफी सारे सवाल थे और उनसे बढ़ कर एक डर कि कही उसकी बेटी उससे नाराज न हो जाए । वही बबीता की हालात अलग खराब थी , उसे अब पक्का यकीन होने लगा कि उसकी पिटाई तय थी ।

राजेश दबे पाव चल कर बबीता के पास गया और उसे आवाज दिया हल्का सा , ये जांचने के लिए कि वो जाग रही है या सो गई , मगर मारे डर के बबीता अपने पापा का सामना नहीं करना चाहती थी ।
राजेश ने देखा कि वो कुछ जवाब नहीं दे रही थी , उसके जहन में कुछ शंकाए उठ रही थी कि कही उसकी बेटी ने उसकी चुदाई की वीडियो देखकर ऊंगलीबाजी करके थककर तो नहीं सो गईं, क्योंकि उसने वीडियो जस का तस छोड़ा था ।
उसने धीरे से बबीता के ऊपर से चादर उठाई और वही बबीता अपने जांघें कसने लगी , उसका दिल जोरो से धड़क रहा था कि अब तो बेटा पक्का पकड़ी गई और मार मिलेगी।


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जैसे ही चादर हटी बबीता कैफ़री उसके पैरो में नीचे थी और वो अपनी जांघें साट कर करवट होकर लेती थी उसकी नंगी जांघें और छोटे छोटे गोरे मुलायम चूतड पर कसी हुई पैंटी देखकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , अब उसे यकीन होने लगा कि जरूर उसकी बेटी ने उसकी वीडियो देख कर अपनी चूत मसली है , ये भावना से राजेश के बदन में कंपकपी सी हो रही थी उसका हल्क अपनी बेटी की पैंटी को देख कर सुख रहा था ।
उसकी नजरें बबीता के गुदाज मुलायम चूतड़ों से हट ही नहीं रही थी , उसकी सांसे बेकाबू हुई जा रही थी और उसने एक बार बबीता को सोता हुआ देखा और खुद को रोक नहीं पाया


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आगे झुक आकर बबीता के नंगे चूतड़ों के हिस्सों को छूने लगा, अपने पापा के पंजों का स्पर्श पाते ही बबीता एकदम से सन्न रह गई, उसकी सांसे चढ़ने उतरने लगी कलेजा तेजी से धकधक हो रहा था । उसे यकीन नहीं हो रहा था उसके पापा ऐसा कुछ करेंगे । वो खुद को जबरन किसी भी हरकत करने रोकने लगी और वही अपनी बेटी के गुदाज मुलायम चूतड़ों को मसलकर राजेश भी अपना खड़ा लंड पजामे के ऊपर से मसलने लगा और उसकी नियत यही तक नहीं रुकी उसने जांघों के बीच झांकते अपनी लाडली के चूत के गिले फांके उंगलियों से छूने लगा

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एकदम से अपने गीली बुर पर अपने पापा के उंगलियों को रेंगता पाकर बबीता की आंखे उलटने लगी ,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ,उसके नथुनों से गर्म सांसे उठने लगी और उसका काबू खुद से छुटने लगा , उसकी बुर बुरी तरह से फड़फड़ाने लगी और उसके पैरो में हरकत हुई

जिसे देख कर झट से राजेश पीछे हो गया और बेटी के रस से गीली हुई उंगली को चाटने लगा और लंड भींचता हुआ बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर आ गया ।
वही पापा के जाते ही बबीता ने अपनी टांगे फैलाई और अपनी चूत मलने लगी : अह्ह्ह्ह पापा क्यों छू रहे थे मुझे आप सीईई देखो आपके छूने से खुजली हो रही अह्ह्ह्ह्ह पापा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई


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बबीता अपने पापा का नाम लेकर झड़ने लगी और सुस्त होके आखिर कार सो गई ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

LustyArjuna

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इस कहानी में जवान से बुड़े तक सब चुद रहे हैं। परन्तु किशोरो की चुदाई का अलग ही मजा है।
 

Arthur Morgan

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बड़े सस्ते मे निपटा दिये गुरु
इत्ना बड़ा हूडदंग और खुल्लम-खुल्ला चुदाई न्ही हुई
कम से कम सन्तो ताई का थ्रीसम तो होना ही चाहिए था , दोनो देवर एक साथ भौजी की गाड़ और बुर फाड़ते तो मजा आ जाता ।

जीजा साली वाला सिन भी आपने पाठको के नेपोतिजम रुझान के वजह से अच्छे से नही लिखा
नही तो कहानी की नायिका रह चुकी सभ्या का जबरदस्त सिन होना चाहिए था ।

मेरे ख्याल से आपको अपनी लेखनी को अब तो आजादी दे देनी चाहिए, एक लम्बे समय से आप पाठको के अनुरुप सभ्या के किरदार को लेके एक नेपोतिजम का रवैया अपना रहे है जो अब कहानी मे सटीक नही बैठ पा रहा है ।
सभ्या के किरदार को लेके आपने बहुत सारी मर्यादाएं बना दी जो सही नही है ।


आपने सुझाव मागा था ना कि आगे क्या किया जाये
सुधार करिये अपने किरदारों मे , उन्हे आजादी दीजिये जिसके वो हकदार है ।

धन्यवाद
@DREAMBOY40 भाई आपका ये मैसेज था ठरकी पो भाई की कहानी के अपडेट संख्या 178 पर जहां आपने उन्हें कुछ ऐसी सलाह दी थी पर अब लगता है आप के यहां नेपोटिज्म बहुत ज्यादा है, आप बहुत बचा के चल रहे हैं रागिनी आदि को, जीजा के साथ देवर के साथ बहुत से जबर्दस्त दृश्य बन सकते हैं।
मेरी व्यक्तिगत राय है अन्यथा न लें।
धन्यवाद
 

Akaash04

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@DREAMBOY40 भाई आपका ये मैसेज था ठरकी पो भाई की कहानी के अपडेट संख्या 178 पर जहां आपने उन्हें कुछ ऐसी सलाह दी थी पर अब लगता है आप के यहां नेपोटिज्म बहुत ज्यादा है, आप बहुत बचा के चल रहे हैं रागिनी आदि को, जीजा के साथ देवर के साथ बहुत से जबर्दस्त दृश्य बन सकते हैं।
मेरी व्यक्तिगत राय है अन्यथा न लें।
धन्यवाद
It's easy to give advice to others, but it's much harder to put it into practice for yourself.
 
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@DREAMBOY40 भाई आपका ये मैसेज था ठरकी पो भाई की कहानी के अपडेट संख्या 178 पर जहां आपने उन्हें कुछ ऐसी सलाह दी थी पर अब लगता है आप के यहां नेपोटिज्म बहुत ज्यादा है, आप बहुत बचा के चल रहे हैं रागिनी आदि को, जीजा के साथ देवर के साथ बहुत से जबर्दस्त दृश्य बन सकते हैं।
मेरी व्यक्तिगत राय है अन्यथा न लें।
धन्यवाद

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