बड़े सस्ते मे निपटा दिये गुरु
इत्ना बड़ा हूडदंग और खुल्लम-खुल्ला चुदाई न्ही हुई
कम से कम सन्तो ताई का थ्रीसम तो होना ही चाहिए था , दोनो देवर एक साथ भौजी की गाड़ और बुर फाड़ते तो मजा आ जाता ।
जीजा साली वाला सिन भी आपने पाठको के नेपोतिजम रुझान के वजह से अच्छे से नही लिखा
नही तो कहानी की नायिका रह चुकी सभ्या का जबरदस्त सिन होना चाहिए था ।
मेरे ख्याल से आपको अपनी लेखनी को अब तो आजादी दे देनी चाहिए, एक लम्बे समय से आप पाठको के अनुरुप सभ्या के किरदार को लेके एक नेपोतिजम का रवैया अपना रहे है जो अब कहानी मे सटीक नही बैठ पा रहा है ।
सभ्या के किरदार को लेके आपने बहुत सारी मर्यादाएं बना दी जो सही नही है ।
आपने सुझाव मागा था ना कि आगे क्या किया जाये
सुधार करिये अपने किरदारों मे , उन्हे आजादी दीजिये जिसके वो हकदार है ।
धन्यवाद