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सही बात है। गाड़ी पहले 1 2 गियर पर थी। अब चौथे पर है।Mujhe Season 2 Season 1 se adhik HOT lag raha hai.
Thanks for the Update.
अध्याय 02
UPDATE 030
रागिनी के अफसाने
चमनपुरा
घड़ी में 02 बजने को हो गए थे और रागिनी को गए भी करीब दो घंटे हो गए थे
अनुज दुकान में बहुत बेचैन हो रहा था कि राज भैया के साथ उसकी मां ने क्या बात की होगी ? उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट हो रही थी , उसपर से ग्राहकों की भीड़ भी थी ... अभी अभी कालेज स्कूल छूटा था तो लड़कियों की भीड़ एकदम से बाजार ने बढ़ जाती है , वही हाल था अनुज का भी
उन भीड़ में अनुज ने ध्यान ही नहीं दिया कि वहा उसकी क्लासमेट पूजा आई थी , बड़े बड़े रसीले नारियल वाली नहीं , छोटी मौसमियों वाली ।
: अनुज एक बॉडी लोशन देना ( उसने आवाज दी )
एकदम से लड़कियों की भीड़ से अनुज की नजर उसपर गई और वो मुस्कुरा रही थी , अनुज उसकी मुस्कुराहट का कारण जान रहा था ।
: कौन सी वैसलीन या पॉन्स
: अच्छी वाली दो ( पूजा ने उससे थोड़ा शर्मा कर कहा )
" अरे भाई पॉन्स वाली देदे , उससे स्किन बहुत मुलायम हो जाती है ", ये राहुल था जो लड़कियों की भीड़ से निकल कर उसके दुकान में आ गया था । वो भी कालेज से घर आ रहा था लेकिन अनुज को समझ नहीं आया कि राहुल का यूं एकदम से उसकी दुकान में आने का क्या कारण है ।
: ये लो ( राहुल ने पूजा को बॉडी लोशन की एक फाइल उठा कर दी )
: कितनी की है अनुज ( पूजा ने एकदम से राहुल को इग्नोर करके अनुज से पूछा , लेकिन उसकी आंखों के शरारत साफ झलक रही थी )
: लाओ प्रिंट देख कर मै बता देता हूं , भाई तू दूसरे लोगो को देख न ( राहुल ने पूजा के हाथ को छूते हुए उसके हाथ से वो बॉडी लोशन की फाइल लेकर उसका दाम बताया और पूजा ने उसकी ओर देखा । )
अनुज ने गौर किया दोनों कैसे एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे हैं लेकिन वो कुछ बोला नहीं
: अनुज मैने पैसे दे दिए है , ओके
: अरे किसको दी हो ये तो बताओ ( राहुल ने छेड़ा उसे और पूजा बिना कुछ कहे बस मुस्कुरा कर चली गई )
कुछ ही देर तूफान की तरह भीड़ निकल गई और रह गए दोनों भाई बस
अभी मम्मी के आने के इंतजार में अनुज का समय कट नहीं रहा था उसपर से राहुल आ गया , जिसको लेकर वो अपनी दीदी के शादी से ही चिढ़ा हुआ था ।
: सीईईई भाई कातिल चीज है न
: कौन ?
: वही तेरी क्लासमेट पूजा, उफ्फ लेगिंग्स में इसकी लंबी टांगे और वो जो चूतड़ों की चर्बी है न उफ्फफ
अनुज ने एकदम से इग्नोर किया उसे और काउंटर पर फैले समान सहेजने लगा।
: भाई कुछ कर न ( राहुल ने अनुज को पकड़ा )
: मै .. मै क्या करूं, तू बात कर !!
: अरे यार वो मुझे तंग करती है , बस नचाती है आगे पीछे , प्लीज न उसका मोबाइल नंबर दिला दे न भाई
: पागल है , मै कहा लाऊं यार
: भाई प्लीज न, अरे अपने वाली से बोल दे न उसके पास होगा , इतना नहीं करेगा मेरे लिए। यार तुझे अपनी सगी बहन दी चोदने के लिए फिर भी
" भोड़की का उसी वजह से तेरी सुनता हूं साले , निशा दीदी और शालिनी चाची की बात नहीं होती तो साले तुझे लात मार देता " , अनुज बस खुद से बड़बड़ाया
: भाई प्लीज न , अच्छा ये बता मम्मी को पेलेगा
अनुज ने आंखे बड़ी कर उसे देखा
: अरे मेरी मम्मी को ! बोल चोदेगा?
शालिनी चाची के बारे में सोच कर अनुज का लंड अकड़ गया लेकिन वो समझ रहा था कि अगर फिर से वो राहुल के ट्रैप में आया तो बुरा फसेगा पूजा के लिए।
: भाई भाई , बस उसका नंबर दे दे और कुछ नहीं करना है तुझे बस नंबर
राहुल जितना गिड़गिड़ा रहा था अनुज के लिए पूजा का नंबर निकलवाना बड़ी बात नहीं थी लेकिन रिश्क भी था
कुछ सोच कर आखिर उनसे कह दिया कि वो उसकी हेल्प करेगा , बात करेगा लाली से अगर वो राजी हो जाए तो लेकिन वक्त लगेगा एक दो दिन
: ठीक है भाई , लेकिन जल्दी हा , साला इस ठंडी में और बर्दाश्त नहीं होता , अब तो उसकी सील तोड़ कर ही चैन आयेगा ।
अनुज ने मुंह बना कर उसकी बात को इग्नोर किया और घड़ी देखी तो ढाई बजने वाले थे , लेकिन अभी तक उसकी मां नहीं लौटी थी तभी पायलों की खनक और रागिनी लहराती हुई दुकान में
: राहुल तू
: नमस्ते बड़ी मम्मी ( राहुल ने खुश होकर कहा)
: कहा रहता है आज कल , शादी के बाद तो रास्ता ही भूल गया
: अरे बड़ी मम्मी वो परीक्षा आ रही है तो पढ़ाई और ट्यूशन होते है
: हम्मम तू खुद पढ़ रहा है लेकिन इसको देख, दसवीं के बोर्ड है इसके इसको समझा ... सारा दिन इधर उधर की बातें ( रागिनी ने अनुज को छेड़ कर कहा और अनुज बस मुंह ताकता रहा )
जिस तरह से रागिनी खिल कर राहुल से बातें कर रही थी और राहुल की हवशी निगाहे कहा कहा टहल रही थी उसकी मां पर अनुज बखूबी समझ रहा था
: अभी कह रहा था , बड़ी मम्मी कि चल साथ में मिल कर मेरे घर पढ़ाई करते है मानता ही नहीं
: क्यों अनुज , क्यों नहीं जाता इसके साथ ?
अनुज समझ रहा था कि राहुल उसे किस काम के लिए अपने साथ मिलाना चाहता है और कौन सी पढ़ाई वो करेगा
: घर पर पढ़ता हूं न मम्मी ( अनुज ने उखड़ कर कहा )
: हा पता सारी रात क्या कौन सी पढ़ाई होती है तेरी ( रागिनी ने अनुज को छेड़ कर कहा )
राहुल चीजे समझ नहीं पाया लेकिन अनुज की क्लास लगते देख उसे मजा बहुत आ रहा था
: तो ? पास हो जायेगा न इस साल या पैसे देने पड़ेंगे तेरे पापा को फिर से ( रागिनी के राहुल को भी घेरा और उसे याद आया कि कैसे दसवीं के बोर्ड उसके नकल करके पास किए थे अच्छे खासे भौकाल की लंका लग गई )
रोला खतरे में जान कर राहुल ने घड़ी देखी और हड़बड़ा कर : अरे 3 बजने वाले है , मुझे लेट हो रहा है बड़ी मम्मी ट्यूशन जाना है ।
एकदम से फुर्र और रागिनी हसने लगी , वही अनुज का मन उखड़ा हुआ था
: अरे तुझे क्या हुआ
: क्या हुआ ? कहा थे आप इतनी देर तक
: बताया तो था कि ( रागिनी ने दुकान के बाहर का सन्नाटा देखा और हौले से अनुज से बोली ) राज के पास जा रही हूं
: हा तो क्या हुआ वहां? भैया क्या बोला ? क्या बात हु आपकी उससे ? बोलो न चुप क्यों हो ?
: अरे दादा शांत , बता रही हूं न
अनुज थोड़ी देर शांत रहा और रागिनी का मुंह देखने लगा
क्या ही बताती वो 3 दिन से अच्छे से चुदाई नहीं हुई थी , राज के पास पिलवाने गई थी तो कहानी गढ़ने में समय तो लगना था
: मम्मी बताओ न , क्या हुआ ?
: अरे कहा से शुरू करूं वो सोच रही हूं ( रागिनी ने एक गहरी सांस ली )
: कहा से मतलब ? सुबह मेरे कालेज जाने के बाद भी आप दोनों की बात हुई थी
: सुबह क्या , रात क्या ? ये पूछ कितने महीने से
: मतलब ? ( अनुज चौका )
: तू जितना समझ रहा था ये सब उससे कही ज्यादा उलझा हुआ है , पहले तिल का ताड़ हुआ था और तूने जिद करके आग और भड़का दी
: मतलब , तिल ताड़ आग ? साफ साफ बताओ न मम्मी
रागिनी एक गहरी सांस ली और अतीत की यादों से कुछ कहानियां निकालने लगी कुछ तोड़ती तो कुछ खुद से जोड़ती हुई
: ये सब शुरू हुआ जब हम दोनो राखी पर तेरे मामा के यहां गए थे प्रतापपुर
अनुज थोड़ा गंभीर होने लगा कुछ कल्पनाएं कुछ शंकाए उठने लगी , वो बड़े गौर से अपनी मां को सुनने लगा ।
: तुझे तो पता ही है तेरे नाना की हरकत , राज ने भी उन्हें देख लिया था अलग अलग औरतों के साथ । वो तो तेरे जितना छोटा था नहीं , बड़ा हो गया था तो ना जाने कहा से उसने जो सुबह बाथरूम ने किया उसकी आदत लग गई थी और तेरे नाना की हरकते को चोरी छिपे देख कर वही सब करने लगा । मैने पकड़ा उसको अगली रात बाउजी के कमरे के बाहर खिड़की से झांक रहा था । उसे तो जैसे किसी का डर ही नहीं हो ... बड़ा ही बेशर्म था ।
: फिर ? ( अनुज का लंड धीरे धीरे आकार ले रहा था )
: फिर उसके बाद मैने तो उससे बात करना ही बंद कर दिया था लेकिन जब घर आई तो... तेरे पापा
: पापा ? उन्होंने क्या किया ?
: अरे असल जड़ तो वही है ... न समय देखते है न जगह , दो दिन दूर क्या थी एकदम भूखे हो गए थे । खुले कमरे में ही पकड़ लिया और तेरा भैया उसने हमे देख लिया
: क्या करते हुए ( अनुज ने हलक से थूक गटक पूछा )
: मै तो नहाने जा रही थी लेकिन तेरे पापा ने पीछे से मुझे पकड़ लिया था और मेरे दूध ....
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पेंट में
: फिर ?
: फिर मै तो लाज से पानी पानी हो गई उस रोज , लेकिन वो पागल तांक झांक करने लगा और रात में जीने से उतर आता नीचे , तब मै और तेरे पापा यही पीछे वाले कमरे में ही सोते थे न ( रागिनी इशारे से दुकान के पीछे वाला कमरा दिखाया )
अनुज को अपनी मां की बातों में सच्चाई झलक रही थी और लंड भी ये सब यकीन करना चाहता था ।
: यही खिड़की ने रात में हमें देखता था , एक रात मुझे आहट हुई उसकी , वो दुष्ट यही खड़े खड़े ही हमे देख कर अपना हिला रहा था
अनुज का लंड अब तो पूरा टाइट हो गया
: फिर
: अगली रोज मैने खिड़की पर पर्दे लगा दिए लेकिन फायदा नहीं
: क्यों ?
: तेरे पापा !!
: अब क्या किया उन्होंने ? ( अनुज जिज्ञासु होकर बोला )
: मै उन्हें समझाया कि बच्चे बड़े हो रहे है तो थोड़ा ध्यान से करते है , लेकिन जब वो मूड में आते है तो ... क्या बोल जाते है उन्हें फर्क नहीं पड़ता और मुझे लगता है उस रात राज ने हमारी बाते सुन ली तबसे उसका मन और बढ़ गया ।।
: क.. क्या कहा था पापा ने ( छिप कर अनुज ने अपना सुपाड़ा मिज दिया )
: वो कहने लगे कि आजकल बच्चे समझदार है , सब जानते है कि उनके मम्मी पापा क्या करते है और अगर देख भी लिया तो क्या दिक्कत है आखिर ऐसे ही तो सब बच्चे सीखते है और उन्होंने भी ऐसे ही सिखा है ।
: मतलब पापा भी ?
: हा वो भी राज की तरह थे , खूब तांक झांक की है उन्होंने हीहीही
: फिर ... फिर क्या हुआ
: फिर क्या ? कभी नहाते हुए तो कभी सोते हुए जब उसे मौका मिलता देख लेता उसकी इतनी आदत खराब थी और एक तू ... उस रोज तो मैने तेरे सामने ही थी न तूने एक नजर नहीं देखा मुझे और वो घूर घूर कर देखता है मेरे दूध को
अनुज के मुंह में तो जैसे मलाई घुलने लगी थी मम्मी के रसीले मम्में को सोच कर
: फिर ?
: सच कहूं तो तंग आ गई थी , ऐसा नहीं था कि उसके संस्कार खराब थे या वो कोई काम नहीं करता था । तू तो उसे जानता है कितना जिम्मेदार है बस यही आदत से मै परेशान थी और फिर मैने रज्जो दीदी से इस बारे में बात की
: क्या मौसी से ?
: हा , क्या करती, तेरे पापा से भी तो नहीं कह सकती थी
: फिर वो क्या बोली ?
: मैने उन्हें राज के बारे बताया तो कहने लगी कि ऐसा उनके साथ भी हुआ है , रमन की हरकते भी ऐसी ही थी ।
: क्या रमन भैया भी ?
: हा अब उन्होंने तो यही कहा था , फिर मैने उनसे कहा कि इसका कोई इलाज बताओ तो कहने लगी उसे थोड़ी छूट दे ... रिश्ता थोड़ा दोस्ताना रख । उसको समझ , वो बड़ा हो रहा है और कुछ साल की बात है शादी हो जाएगी तो खुद ही सुधर जाएगा
: फिर ?
: फिर क्या ... मैने उसको समझाना चाहा पहले तो बात मान लेना लेकिन फिर से वही सब हरकते । डांट लगाती तो कहता कि उसे इनसब की आदत हो गई है , वो मुझे पसंद करता है , जब उससे खुल कर इनसब पर बाते करने लगी तो उसका तो उसकी मनमानी और बढ़ने लगी । जब मन होता उसका पीछे से हग कर लेता ... जानबूझ कर कोचता मुझे
: क्या कोचता?
: पागल है क्या , क्या है उसके पास बड़ा सा, वही मेरे पीछे टाइट कर खड़ा होके सटा देता था ।
: ओह्ह्ह ( अनुज का लंड पंप हो रहा था ये सोच कर कि उसका भइया कितना आगे है , एक वो है जो बस संकोच करता रहा और उसका भइया हिम्मत दिखा कर मम्मी से कितनी मस्ती कर गया )
: नहीं कुछ कर पाया तो सोनल की शादी के पहले गर्मी के बहाने के हमारे कमरे में आ कर सोने लगा और तेरे पापा !!
: अब क्या किया ?
: वही जो उन्हें रोज करना होता है , उन्हें लगता था कि उनका बेटा सो रहा है और वो शुरू हो जाते , मानने पर भी नहीं रुकते
: तो क्या पापा आपको राज भैया के सामने ही ( अनुज उस कल्पना से सिहर उठा था और अब तो उसे मानो राज से जलन सी होने लगी थी , इतना सब करने के बाद भी राज ने एक शब्द नहीं कहा इस बारे में उससे )
: हम्म्म, मना करने पर भी नहीं रुकते थे । कितनी रातें उसने मेरे सामने मुझे वैसे देखा , बदमाश कही का उसे जरा भी शर्म नहीं आती थी और तो और अपना वो भी निकाल कर हिलाता , उसे तो अपने पापा का डर नहीं था
: तो क्या पापा ने नहीं देखा ।
: देखा था एक बार
: फिर ? ( अनुज की धड़कने तेज होने लगी )
: वो सोने का नाटक कर रहा था लेकिन अंडरवियर में उसका खड़ा था और तेरे पापा की नजर गई तो मुझे भी दिखाने लगे और कहने लगे कि जरूर उनका बेटा किसी अफसरा के सपनो में खोया है , वो भी एकदम पागल थे हीही
रागिनी हसी लेकिन अनुज को हसी नहीं आई , उसके दिमाग वो सब किस्से छवियों का रूप लेने लगी थी जो अब तक रागिनी उसे बता रही थी
: फिर क्या हुआ ?
: अगली रात फिर तेरे पापा की नजर पड़ी और वो कहा अपने लाडले को परेशान देख पाएंगे
: मतलब ?
: मतलब कि उन्हें राज की बेचैनी देखी भी गई, भले ही वो सपने में खोया हुआ था लेकिन उसका खड़ा हुआ देख कर तेरे पापा को तरस आ रहा था उसपर हीही
: क्या ?
: हा रे, आगे पता है क्या कहा उन्होंने ?
: क्या ( अनुज थूक गटक कर बोला और नीचे उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था )
: सोनल की मां जरा उसका बाहर निकाल दो , दर्द हो रहा होगा , थोड़ा हवा लगेगा तो आराम से सो पाएगा मेरा बेटा..... हीहीही , अब तू बता इसका कोई तर्क था लेकिन मुझे करना ही पड़ा और जान रही थी कि वो जाग रहा है लेकिन तेरे पापा से नहीं कह सकती थी न
: फिर
: फिर हीहीही फिर तो उसे जो थोड़ा बहुत छू कर सहला कर चैन मिलता था अब वो भी मिलना बंद हो गया , जबतक तेरे पापा अपना काम खत्म नहीं कर लेते उसको ऐसे ही तड़पना पड़ता
: उसके बाद ?
: जैसे ही तेरे पापा बाथरूम जाते तेजी से पकड़ कर मेरे सामने ही हिलाता और निकाल देता सब , न मेरा डर न अपने बाप का । पूरा बिगड़ गया था
: फिर आगे क्या हुआ ?
: फिर एक रोज तेरे पापा को दुकान पर काम ज्यादा था और वो उस रात थक गए थे , मेरा भी महीना अभी अभी खत्म हुआ था । मेरा मन था और तेरे पापा ने मना कर दिया और वो बदमाश वही सोया था अपना रोज की तरह टाइट कर
अनुज अब कुछ कल्पनाएं गढ़ने लगा था और उसकी सांसे चढ़ने लगी थी
: फिर ( उफनाती सांसों से अनुज बोला )
: मै उनसे लिपट रही थी और वो बहाने कर रहे थे और उनकी नजर राज पर गई , और उन्होंने कहा कि मै उसके ऊपर बैठ जाऊ
: क्या ? ( अनुज का दिल जोरो से धकधक होने लगा )
: हा ( रागिनी नजरे चुरा रही थी )
: तो क्या आप उस रात राज भैया से ?
: तेरे पापा की जिद , उन्हें मेरी कहा परवाह थी , उन्हें तो ज्यादा फिकर थी कि इसी बहाने उनके बेटे को सपने का सुख अच्छे से मिल पाएगा और मुझे करना पड़ा । तेरे पापा मुझे जबरन उसके ऊपर बिठाया और फिर जोश में आकर दुबारा से मेरे साथ किया ।
अनुज का लंड अब पूरा चरम पर था , एक टच और भलभला कर वो झड़ ही जाता
: फिर ?
: अगली सुबह शर्म से मै उससे नजर नहीं मिला पा रही थी और वो बेशर्मी पर उतर आया था पूरी । किचन में पीछे से आकर अपना निकाल कर चुभोता , हग करता और गंदी गंदी बातें करता । तेरे पापा की वजह से और बिगड़ गया वो और अगली रात फिर वही हुआ ... तेरे पापा ने फिर मुझे बिठाया उसके ऊपर और खुद बाथरूम चले गई इतने में मौका पाकर वो मुझे नीचे से उछालने लगा और ...
: अह्ह्ह्ह नहीं ओह्ह्ह्ह
: अरे क्या हुआ
: क कुछ नहीं मम्मी वो ... ( अनुज ने दोनों हाथों से अपना लंड पकड़ कर अपने सुपाड़े को उल्टी करने से रोकता रहा लेकिन अब तीर कमान से छूट चुका था और अनुज छिपाता हुआ तेजी से पीछे वाले कमरे ने भागा, उसके पीछे रागिनी भी
: क्या हुआ अनुज दिखा मुझे ( रागिनी के उसका हाथ खींचा तो सामने देखा उसका पेंट वीर्य से सन कर गिला हो गया है
: हे भगवान तू भी ...मतलब तेरा भी आने लगा ?
: अह सॉरी मम्मी , वो आपकी बाते सुनकर हो गया मैने छुआ भी नहीं , कसम से
: निकाल उसको बाहर निकाल
अनुज थोड़ा शर्मा रहा था और उसने अपने पेंट अंडरवियर खींच कर अपना लंड निकाला, लाल पूरा तना हुआ खुद के वीर्य से सना हुआ , रागिनी समझ गई कि उसका बेटा भी अब बड़ा हो गया है ।
: ओहो पूरा गिला कर दिया तूने , रुक मै तौलिया लाती हूं
रागिनी भागती हुई ऊपर गई और एक तौलिया जो आम तौर पर रखा होता था इस पुराने घर पर वो लेकर आई , वापस देखा तो अनुज थोड़ा हड़बड़ाया हुआ था , परेशान और लंड भी थोड़ा सुस्त मालूम हो रहा था ।
रागिनी को थोड़ी हंसी आई और दुकान में ग्राहक भी थे तो वो झट से तौलिया देकर चली गई ।
कुछ देर बाद वो ग्राहकों को निपटा कर वापस गई तो अनुज गुमसुम सा बैठा हुआ था तौलिया लपेटे, उसकी पेंट अंडरवियर सहित फर्श पर थी , उसकी हालत देख कर रागिनी को हसी आई
: तो घर कैसे चलेगा , ऐसे हीही
: मम्मी यार हंसों मत , कुछ करो न ( अनुज ने उखड़ कर कहा लेकिन रागिनी को मजा आ रहा था )
: रुक यही धूल कर डाल देती हूं और दुकान में देखना कोई ग्राहक आयेगा तो
: ऐसे ?
: हा ऐसे ही ( रागिनी ने उसको थोड़ा सा डाटा और निकल गई उसके कपड़े लेकर , छत पर धूल कर पंखे के नीचे डाल दिया )
फिर नीचे आई और देखा तो अनुज अभी भी कमरे में बैठा हुआ था , बस झांक कर दुकान देख रहा था और रागिनी की हंसी नहीं रुक रही थी ।
अनुज भी अपनी मां की मुस्कुराहट देख कर मुस्कुराने लगा और रागिनी उसके पास सरक कर बैठ गई
: पहली बार था ? ( रागिनी ने पूछा और अनुज के कान खड़े हो गए और लंड में सुरसुराहट होने लगी )
: बोल न ( रागिनी ने कंधे झटके )
: हा , नहीं ... मतलब इतना सारा तो पहली बार हुआ है
: हम्ममम और पहली बार कब हुआ था
: कल ! अनिता आंटी को देख कर ( अनुज ने भी बात बनाई ताकि रागिनी को लगे नहीं कि वो झूठ बोल रहा था )
: अच्छा तभी पेंट बदल कर आया था ( रागिनी ने मुस्कुरा कर उसे देखा और वो शर्मा गया ) पागल कही का , चल ठीक है अभी सुख जाएगा एक घंटे में तेरा पैंट
रागिनी उठने लगी कि अनुज बोल पड़ा: मम्मी !!
: हम्म्म क्या हुआ
: फिर आगे क्या हुआ ( अनुज ने हिचक कर पूछा लेकिन रागिनी का मुस्कुराता चेहरा देख कर मुस्कुराने लगा ) बताओ न प्लीज
: नहीं, फिर से तेरा निकल गया तो ?
: नहीं आएगा , ऐसे थोड़ी जल्दी जल्दी आता है
: तुझे बड़ा पता है , कहा से सीख रहा है तू , उम्मन कौन सिखा रहा है तुझे ?
: आप हीही
: पागल कही का
: प्लीज न मम्मी आगे बताओ न
: पक्का न नहीं निकालेगा
अनुज ने मुस्कुरा कर ना में सर हिलाया
: तो कहा तक थी मै ?
: पापा बाथरूम गए थे और भैया आपको नीचे से ..... ( अनुज का लंड हल्का सा फड़का )
रागिनी ने आंखों से उसे मुस्कुरा कर देखा
: उसके बाद तो उसने अपनी मनमानी कर ली थी और मै उस क्षण में थी कि रोक भी नहीं सकती थी , पता नहीं उस रात तेरे पापा को बाथरूम में इतना टाइम क्यों लगा , वो तो बाद में उन्होंने बताया कि वो छिप कर राज और मुझे देख रहे थे ।
: क्या सच में ? ( अनुज का लंड तौलिए में आकार लेने लगा फिर से )
: हा लेकिन उन्होंने कहा कि मै राज को इस बारे में न बताए ,
: फिर ?
: फिर उस रोज के बाद से मै उससे बचती रही हूं , याद है जब तेरे नाना आए थे तब भी मैने जानबूझ कर बाउजी को अपने कमरे में सुलाया था
: हा ( अनुज तो जैसे अपनी मां की गढ़ी कहानी में यकीन करना चाहता हो )
: फिर सब सोनल की शादी की तैयारियों में जुट गए और तब कही मुझे चैन मिला , लेकिन तेरी जिद की वजह से वो जो थोड़ा सुधर गया था फिर से आज बिगड़ गया
: सॉरी मम्मी
: तो क्या हुआ अपने भैया को समझाया आज
: मै क्या उसे समझाती उसने तो उल्टा मुझे ही बहका दिया
: बहका दिया मतलब ?
: अरे तू नहीं समझेगा , इतने दिनों में मुझे भी उसका टच करना, सताना अच्छा लगने लगा , गलत ही सही लेकिन उसका मेरे लिए ऐसे पागल होना अच्छा लगता । लेकिन है तो फिर भी मेरा बेटा ही उसे सही रास्ते पर लाना ही है न
: हा तो आज क्या किया भैया ने ( अनुज की दिलचस्पी मेन बात पर थी )
: वही उसका प्यार भरा हग जो पीछे से वो करता है , ऐसे कंधे पर यहा अपना चेहरा रख लेता है फिर गाल और कान के पास अपनी दाढ़ी से गुदगुदी करता है ( रागिनी इशारे से बताने लगी और अनुज कल्पनाएं गढ़ने लगा ) फिर पेट को सहलाता है ,मना करने पर भी नहीं मानता और जैसे तेरे पापा को ही देख देख कर सब सिखा हो, मेरी छाती पकड़ लेता है और उन्हें ऐसे दबाता है जैसे घुला घुला कर दशहरी आमों से रस निकालना है उसे
रागिनी की बातें सुनकर अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था अब
: फिर ?
: एक तो इतने दिन से तेरे पापा नहीं है और उसने ऐसे टच किया तो क्या होगा , मेरा भी मन नहीं है क्या ? कानो में फुसफुसा फुसफुसा कर ऐसी जगह छुआ कि मै बहक गई , उसको रोक ही नहीं पाई उसने मुझे जैसे अपने वश में कर लिया था , साड़ी खोलकर वही दुकान वाले केबिन में चौकी पर सुला दिया और
: और क्या ( अनुज का लंड और दिल दोनों थे से पंप हों रहे थे )
: इतनी बार उसने तेरे पापा को देखा था मेरे साथ वो सब करते हुए कि उसे जैसे मेरे रग रग की कमजोरी मालूम हो , कहा पकड़ना है कहा दबाना कहा चूमना है
: फिर ( अनुज मुंह पानी से भरने लगा )
: उसने नीचे मुंह लगा दिया , बहुत रोका लेकिन मना नहीं
: क्या वहा पर ( अनुज ने आंखों से अपनी मां के गोद में इशारा किया और रागिनी ने हा में सर हिलाया )
: हम्म्म और फिर मै खुद को सम्भाल ही नहीं पाई , जैसे चाहा उसने अपनी मनमानी की और फिर मुझे फुसला कर एक वादा ले लिया
: क्या ?
: यही कि आज रात वो मेरे साथ सोएगा अकेले
अनुज इसका मतलब समझ गया था और उसका लंड अब पूरी तरह तन कर तौलिए में उठ गया गया रॉड की तरह
: तो क्या आप जाओगे ?
: तू बता न क्या करूं ? इससे उसका मन और नही बढ़ जाएगा
: मै ... मै क्या बोलूं , आ आपको जो सही लगे ( अनुज की हालत खराब थी आने वाले रोमांच को सोच कर )
: तू तेरे पापा से नहीं कहेगा न ... ( रागिनी ने अनुज से उम्मीद जाहिर की और उसकी बोली ऐसी थी कि जैसे अंदर से वो यही चाहती हो ऐसा अनुज समझे )
: तो क्या आपका भी मन है ? ( अनुज का लंड एकदम टाइट होकर दर्द होने लगा था )
: अगर तू कहेगा तो नहीं जाऊंगी ( रागिनी ने मुंह बना कर कहा )
अनुज को भी थोड़ी सी उम्मीद नजर आने लगी थी राज के भरोसे और शायद यही एक तरीका था कि वो आगे बढ़ पाए
: लेकिन करोगे कहा ?
: तुझे उससे क्या ? ( रागिनी ने अनुज को सताया क्योंकि वो भी अनुज की बेताबी साफ साफ समझ रही थी )
: मतलब मुझे पढ़ना रहेगा न तो मै किस कमरे में रहूंगा , आप लोग तो एक कमरे में रहोगे न ?
: मतलब तुझे कोई दिक्कत नहीं है ?
: उन्हूं, बस आप मुझे बताना क्या क्या हुआ हीही ( अनुज अपना लंड खुजा कर बोला )
: वो क्या कर रहा है , फिर से बड़ा कर लिया न
: वो हो जाता है , मै नहीं करता हूं आपकी बात सुनकर हुआ है सच्ची में
: फिर से आयेगा क्या ?
: उन्हुं अभी नहीं ( अनुज थोड़ा मुस्कुरा कर बोला )
: पागल कही का
: मम्मी !!
: हा बोल
: क्या पहनोगे आज रात में?
: क्यों ? यही पहनी रहूंगी ...
: बदल लेना कुछ सुबह जैसे.. ( अनुज हिचक कर बोला )
: लेकिन तुझे क्या ... हम दोनो दूसरे कमरे में रहेंगे न और दरवाजा भी बंद रहेगा ( रागिनी ने अनुज को टटोला)
: क्यों ? बंद क्यों ( अनुज बोलते हुए रुक गया )
: तू देखेगा क्या ?
: हा , मतलब नहीं , सॉरी
: पागल कही का , लेकिन किसी से कहना मत और इसे रगड़ना मत
: क्या ?
: वही जो तूने खड़ा कर रखा है इसमें ( रागिनी ने मुस्कुरा कर कहा और अनुज उसे छिपाने लगा )
: नहीं तो , अब छोटा हो गया है
: दिखा जरा खोल के
अनुज थोड़ा शर्माने लगा
: अरे खोल न , जैसे मैने तेरा कभी देखा ही नहीं
अनुज खड़ा होकर तौलिया खोल दिया और उसका बड़ा मोटा लंड जो उसने पिछले साल भर से अपने भैया के कहने के बाद रोज रात में तेल लगा लगा कर मालिश करके बड़ा किया था वो रागिनी के सामने था
: ये क्या है
: वो तो आप ऐसे कहोगे तो दिखाने को तो बड़ा नहीं होगा हीही
रागिनी बड़े गौर से अनुज के लंड पर उभरी हुई नशे देख रही थी कि कैसे एक बार इतना ज्यादा झड़ने के बाद भी उसका लंड की कसावट और तनाव में कोई कमी नहीं है
: मम्मी एक बात पूछूं?
: हा क्या बोल न ?
: आपने कभी भैया का चूसा है
रागिनी ने आंखे उठा कर देखा और मुस्कुराई
: बोलो न
: हा वो रज्जो दीदी ने कहा था कि राज हाथ से हिला कर उसका साइज खराब करे उससे अच्छा है कि तू उसका चूस दिया करे , रज्जो दीदी भी ऐसा ही करती थी रमन का । इससे कुछ दिन के लिए वो शांत हो जाता था लेकिन तेरा भैया तो सांड है , हर पल तैयार होता है हीही
: मम्मी इसको टच करो न
: क्या इसे ( वो अनुज के लंड को इशारा कर बोली )
: हम्ममम
रागिनी ने एक बार बाहर दुकान में देखा और अनुज का लंड पकड़ लिया और दोनों हाथों से सहलाने लगी
: अह्ह्ह्ह मम्मी कितना सॉफ्ट है आपका हाथ उफ्फफ , मम्मी क्या मौसी भी रमन भैया से वो सब करवाती होंगी उम्मम
: क्या ?
: सेक्स
: पता नहीं बेटा ... कभी पूछा नहीं मैने ( रागिनी अनुज का लंड देखते हुए बस उसको सहला रही थी और अनुज सिसक रहा था )
: पूछना प्लीज
: क्यों जानना है तुझे
: बस ऐसे ही ओह्ह्ह सीई मम्मी
: क्या हुआ बेटा
: चूस दो न मेरा भी प्लीज , बस एक बार
रागिनी ने उसका लंड हाथ में थामे हुए आंखे उठा कर उसे देखा और मुस्कुराई
: किसी से कहेगा तो नहीं न
: उन्हूं नहीं मम्मी किसी से अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह कितना सॉफ्ट है आपका लिप्सी उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
रागिनी ने नीचे बैठ कर अनुज का सुपाड़ा मुंह में ले लिया और चूसने लगी
: उफ्फ मम्मी कितना अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह और डालो अन्दर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह कितना रसीला लग रहा है गिला गिला सा उफ्फफ इतना अच्छा लगता है क्या इसमें ओह्ह्ह्ह उम्ममम तभी पापा आपको रोज करते है उम्ममम सीईईई कितना अच्छा कर रही हो ओह्ह्ह्ह और चूसो उम्मम मम्मी
अनुज तो जैसे सातवें आसमान पर था और उसका लंड रागिनी मुंह में बहुत हौले हौले सहला सहला कर चूस रही थी और अनुज को नशा हो रहा था
: उम्मम मम्मी प्लीज मुझे भी रात में देखने दो न , प्लीज
: उम्ममम लेकिन मुझे शर्म आएगी न , तू देखेगा तो ( मुंह से लंड निकाल कर सहलाती हुई वो बोली)
: प्लीज न मम्मी , बस देखूंगा भैया कैसे करेगा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मी और और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह मम्मी आयेगा फिर से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह गॉड निकालो बाहर आ सीई ओह मम्मीई ये क्या मुंह में ही ले रहे हो आप ओह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छे हो आप सीईईई आह्ह्ह्ह लेलो मेरा भी पी जाओ उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अनुज रागिनी के मुंह में ही झड़ने लगा और रागिनी ने सरा रस निचोड़ लिया और अनुज हंसने लगा , और रागिनी ने भी मुंह साफ करने लगी
दो बार झड़ कर अनुज को सुस्ती सी होने लगी और वो वही लेट गया , नए सपने सजोने के लिए , वही रागिनी उठ कर अपना मुंह साफ कर दुकान के काम देखने लगी ।
जारी रहेगी
( अपडेट पोस्ट करने का समय नहीं मिल पाया थोड़ी व्यस्तता की वजह से उम्मीद करता हूं आज के अपडेट का इंतज़ार रसीला होगा , पढ़ कर लाइक कमेंट जरूर करें )
Very very hotअध्याय 02
UPDATE 030
रागिनी के अफसाने
चमनपुरा
घड़ी में 02 बजने को हो गए थे और रागिनी को गए भी करीब दो घंटे हो गए थे
अनुज दुकान में बहुत बेचैन हो रहा था कि राज भैया के साथ उसकी मां ने क्या बात की होगी ? उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट हो रही थी , उसपर से ग्राहकों की भीड़ भी थी ... अभी अभी कालेज स्कूल छूटा था तो लड़कियों की भीड़ एकदम से बाजार ने बढ़ जाती है , वही हाल था अनुज का भी
उन भीड़ में अनुज ने ध्यान ही नहीं दिया कि वहा उसकी क्लासमेट पूजा आई थी , बड़े बड़े रसीले नारियल वाली नहीं , छोटी मौसमियों वाली ।
: अनुज एक बॉडी लोशन देना ( उसने आवाज दी )
एकदम से लड़कियों की भीड़ से अनुज की नजर उसपर गई और वो मुस्कुरा रही थी , अनुज उसकी मुस्कुराहट का कारण जान रहा था ।
: कौन सी वैसलीन या पॉन्स
: अच्छी वाली दो ( पूजा ने उससे थोड़ा शर्मा कर कहा )
" अरे भाई पॉन्स वाली देदे , उससे स्किन बहुत मुलायम हो जाती है ", ये राहुल था जो लड़कियों की भीड़ से निकल कर उसके दुकान में आ गया था । वो भी कालेज से घर आ रहा था लेकिन अनुज को समझ नहीं आया कि राहुल का यूं एकदम से उसकी दुकान में आने का क्या कारण है ।
: ये लो ( राहुल ने पूजा को बॉडी लोशन की एक फाइल उठा कर दी )
: कितनी की है अनुज ( पूजा ने एकदम से राहुल को इग्नोर करके अनुज से पूछा , लेकिन उसकी आंखों के शरारत साफ झलक रही थी )
: लाओ प्रिंट देख कर मै बता देता हूं , भाई तू दूसरे लोगो को देख न ( राहुल ने पूजा के हाथ को छूते हुए उसके हाथ से वो बॉडी लोशन की फाइल लेकर उसका दाम बताया और पूजा ने उसकी ओर देखा । )
अनुज ने गौर किया दोनों कैसे एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे हैं लेकिन वो कुछ बोला नहीं
: अनुज मैने पैसे दे दिए है , ओके
: अरे किसको दी हो ये तो बताओ ( राहुल ने छेड़ा उसे और पूजा बिना कुछ कहे बस मुस्कुरा कर चली गई )
कुछ ही देर तूफान की तरह भीड़ निकल गई और रह गए दोनों भाई बस
अभी मम्मी के आने के इंतजार में अनुज का समय कट नहीं रहा था उसपर से राहुल आ गया , जिसको लेकर वो अपनी दीदी के शादी से ही चिढ़ा हुआ था ।
: सीईईई भाई कातिल चीज है न
: कौन ?
: वही तेरी क्लासमेट पूजा, उफ्फ लेगिंग्स में इसकी लंबी टांगे और वो जो चूतड़ों की चर्बी है न उफ्फफ
अनुज ने एकदम से इग्नोर किया उसे और काउंटर पर फैले समान सहेजने लगा।
: भाई कुछ कर न ( राहुल ने अनुज को पकड़ा )
: मै .. मै क्या करूं, तू बात कर !!
: अरे यार वो मुझे तंग करती है , बस नचाती है आगे पीछे , प्लीज न उसका मोबाइल नंबर दिला दे न भाई
: पागल है , मै कहा लाऊं यार
: भाई प्लीज न, अरे अपने वाली से बोल दे न उसके पास होगा , इतना नहीं करेगा मेरे लिए। यार तुझे अपनी सगी बहन दी चोदने के लिए फिर भी
" भोड़की का उसी वजह से तेरी सुनता हूं साले , निशा दीदी और शालिनी चाची की बात नहीं होती तो साले तुझे लात मार देता " , अनुज बस खुद से बड़बड़ाया
: भाई प्लीज न , अच्छा ये बता मम्मी को पेलेगा
अनुज ने आंखे बड़ी कर उसे देखा
: अरे मेरी मम्मी को ! बोल चोदेगा?
शालिनी चाची के बारे में सोच कर अनुज का लंड अकड़ गया लेकिन वो समझ रहा था कि अगर फिर से वो राहुल के ट्रैप में आया तो बुरा फसेगा पूजा के लिए।
: भाई भाई , बस उसका नंबर दे दे और कुछ नहीं करना है तुझे बस नंबर
राहुल जितना गिड़गिड़ा रहा था अनुज के लिए पूजा का नंबर निकलवाना बड़ी बात नहीं थी लेकिन रिश्क भी था
कुछ सोच कर आखिर उनसे कह दिया कि वो उसकी हेल्प करेगा , बात करेगा लाली से अगर वो राजी हो जाए तो लेकिन वक्त लगेगा एक दो दिन
: ठीक है भाई , लेकिन जल्दी हा , साला इस ठंडी में और बर्दाश्त नहीं होता , अब तो उसकी सील तोड़ कर ही चैन आयेगा ।
अनुज ने मुंह बना कर उसकी बात को इग्नोर किया और घड़ी देखी तो ढाई बजने वाले थे , लेकिन अभी तक उसकी मां नहीं लौटी थी तभी पायलों की खनक और रागिनी लहराती हुई दुकान में
: राहुल तू
: नमस्ते बड़ी मम्मी ( राहुल ने खुश होकर कहा)
: कहा रहता है आज कल , शादी के बाद तो रास्ता ही भूल गया
: अरे बड़ी मम्मी वो परीक्षा आ रही है तो पढ़ाई और ट्यूशन होते है
: हम्मम तू खुद पढ़ रहा है लेकिन इसको देख, दसवीं के बोर्ड है इसके इसको समझा ... सारा दिन इधर उधर की बातें ( रागिनी ने अनुज को छेड़ कर कहा और अनुज बस मुंह ताकता रहा )
जिस तरह से रागिनी खिल कर राहुल से बातें कर रही थी और राहुल की हवशी निगाहे कहा कहा टहल रही थी उसकी मां पर अनुज बखूबी समझ रहा था
: अभी कह रहा था , बड़ी मम्मी कि चल साथ में मिल कर मेरे घर पढ़ाई करते है मानता ही नहीं
: क्यों अनुज , क्यों नहीं जाता इसके साथ ?
अनुज समझ रहा था कि राहुल उसे किस काम के लिए अपने साथ मिलाना चाहता है और कौन सी पढ़ाई वो करेगा
: घर पर पढ़ता हूं न मम्मी ( अनुज ने उखड़ कर कहा )
: हा पता सारी रात क्या कौन सी पढ़ाई होती है तेरी ( रागिनी ने अनुज को छेड़ कर कहा )
राहुल चीजे समझ नहीं पाया लेकिन अनुज की क्लास लगते देख उसे मजा बहुत आ रहा था
: तो ? पास हो जायेगा न इस साल या पैसे देने पड़ेंगे तेरे पापा को फिर से ( रागिनी के राहुल को भी घेरा और उसे याद आया कि कैसे दसवीं के बोर्ड उसके नकल करके पास किए थे अच्छे खासे भौकाल की लंका लग गई )
रोला खतरे में जान कर राहुल ने घड़ी देखी और हड़बड़ा कर : अरे 3 बजने वाले है , मुझे लेट हो रहा है बड़ी मम्मी ट्यूशन जाना है ।
एकदम से फुर्र और रागिनी हसने लगी , वही अनुज का मन उखड़ा हुआ था
: अरे तुझे क्या हुआ
: क्या हुआ ? कहा थे आप इतनी देर तक
: बताया तो था कि ( रागिनी ने दुकान के बाहर का सन्नाटा देखा और हौले से अनुज से बोली ) राज के पास जा रही हूं
: हा तो क्या हुआ वहां? भैया क्या बोला ? क्या बात हु आपकी उससे ? बोलो न चुप क्यों हो ?
: अरे दादा शांत , बता रही हूं न
अनुज थोड़ी देर शांत रहा और रागिनी का मुंह देखने लगा
क्या ही बताती वो 3 दिन से अच्छे से चुदाई नहीं हुई थी , राज के पास पिलवाने गई थी तो कहानी गढ़ने में समय तो लगना था
: मम्मी बताओ न , क्या हुआ ?
: अरे कहा से शुरू करूं वो सोच रही हूं ( रागिनी ने एक गहरी सांस ली )
: कहा से मतलब ? सुबह मेरे कालेज जाने के बाद भी आप दोनों की बात हुई थी
: सुबह क्या , रात क्या ? ये पूछ कितने महीने से
: मतलब ? ( अनुज चौका )
: तू जितना समझ रहा था ये सब उससे कही ज्यादा उलझा हुआ है , पहले तिल का ताड़ हुआ था और तूने जिद करके आग और भड़का दी
: मतलब , तिल ताड़ आग ? साफ साफ बताओ न मम्मी
रागिनी एक गहरी सांस ली और अतीत की यादों से कुछ कहानियां निकालने लगी कुछ तोड़ती तो कुछ खुद से जोड़ती हुई
: ये सब शुरू हुआ जब हम दोनो राखी पर तेरे मामा के यहां गए थे प्रतापपुर
अनुज थोड़ा गंभीर होने लगा कुछ कल्पनाएं कुछ शंकाए उठने लगी , वो बड़े गौर से अपनी मां को सुनने लगा ।
: तुझे तो पता ही है तेरे नाना की हरकत , राज ने भी उन्हें देख लिया था अलग अलग औरतों के साथ । वो तो तेरे जितना छोटा था नहीं , बड़ा हो गया था तो ना जाने कहा से उसने जो सुबह बाथरूम ने किया उसकी आदत लग गई थी और तेरे नाना की हरकते को चोरी छिपे देख कर वही सब करने लगा । मैने पकड़ा उसको अगली रात बाउजी के कमरे के बाहर खिड़की से झांक रहा था । उसे तो जैसे किसी का डर ही नहीं हो ... बड़ा ही बेशर्म था ।
: फिर ? ( अनुज का लंड धीरे धीरे आकार ले रहा था )
: फिर उसके बाद मैने तो उससे बात करना ही बंद कर दिया था लेकिन जब घर आई तो... तेरे पापा
: पापा ? उन्होंने क्या किया ?
: अरे असल जड़ तो वही है ... न समय देखते है न जगह , दो दिन दूर क्या थी एकदम भूखे हो गए थे । खुले कमरे में ही पकड़ लिया और तेरा भैया उसने हमे देख लिया
: क्या करते हुए ( अनुज ने हलक से थूक गटक पूछा )
: मै तो नहाने जा रही थी लेकिन तेरे पापा ने पीछे से मुझे पकड़ लिया था और मेरे दूध ....
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पेंट में
: फिर ?
: फिर मै तो लाज से पानी पानी हो गई उस रोज , लेकिन वो पागल तांक झांक करने लगा और रात में जीने से उतर आता नीचे , तब मै और तेरे पापा यही पीछे वाले कमरे में ही सोते थे न ( रागिनी इशारे से दुकान के पीछे वाला कमरा दिखाया )
अनुज को अपनी मां की बातों में सच्चाई झलक रही थी और लंड भी ये सब यकीन करना चाहता था ।
: यही खिड़की ने रात में हमें देखता था , एक रात मुझे आहट हुई उसकी , वो दुष्ट यही खड़े खड़े ही हमे देख कर अपना हिला रहा था
अनुज का लंड अब तो पूरा टाइट हो गया
: फिर
: अगली रोज मैने खिड़की पर पर्दे लगा दिए लेकिन फायदा नहीं
: क्यों ?
: तेरे पापा !!
: अब क्या किया उन्होंने ? ( अनुज जिज्ञासु होकर बोला )
: मै उन्हें समझाया कि बच्चे बड़े हो रहे है तो थोड़ा ध्यान से करते है , लेकिन जब वो मूड में आते है तो ... क्या बोल जाते है उन्हें फर्क नहीं पड़ता और मुझे लगता है उस रात राज ने हमारी बाते सुन ली तबसे उसका मन और बढ़ गया ।।
: क.. क्या कहा था पापा ने ( छिप कर अनुज ने अपना सुपाड़ा मिज दिया )
: वो कहने लगे कि आजकल बच्चे समझदार है , सब जानते है कि उनके मम्मी पापा क्या करते है और अगर देख भी लिया तो क्या दिक्कत है आखिर ऐसे ही तो सब बच्चे सीखते है और उन्होंने भी ऐसे ही सिखा है ।
: मतलब पापा भी ?
: हा वो भी राज की तरह थे , खूब तांक झांक की है उन्होंने हीहीही
: फिर ... फिर क्या हुआ
: फिर क्या ? कभी नहाते हुए तो कभी सोते हुए जब उसे मौका मिलता देख लेता उसकी इतनी आदत खराब थी और एक तू ... उस रोज तो मैने तेरे सामने ही थी न तूने एक नजर नहीं देखा मुझे और वो घूर घूर कर देखता है मेरे दूध को
अनुज के मुंह में तो जैसे मलाई घुलने लगी थी मम्मी के रसीले मम्में को सोच कर
: फिर ?
: सच कहूं तो तंग आ गई थी , ऐसा नहीं था कि उसके संस्कार खराब थे या वो कोई काम नहीं करता था । तू तो उसे जानता है कितना जिम्मेदार है बस यही आदत से मै परेशान थी और फिर मैने रज्जो दीदी से इस बारे में बात की
: क्या मौसी से ?
: हा , क्या करती, तेरे पापा से भी तो नहीं कह सकती थी
: फिर वो क्या बोली ?
: मैने उन्हें राज के बारे बताया तो कहने लगी कि ऐसा उनके साथ भी हुआ है , रमन की हरकते भी ऐसी ही थी ।
: क्या रमन भैया भी ?
: हा अब उन्होंने तो यही कहा था , फिर मैने उनसे कहा कि इसका कोई इलाज बताओ तो कहने लगी उसे थोड़ी छूट दे ... रिश्ता थोड़ा दोस्ताना रख । उसको समझ , वो बड़ा हो रहा है और कुछ साल की बात है शादी हो जाएगी तो खुद ही सुधर जाएगा
: फिर ?
: फिर क्या ... मैने उसको समझाना चाहा पहले तो बात मान लेना लेकिन फिर से वही सब हरकते । डांट लगाती तो कहता कि उसे इनसब की आदत हो गई है , वो मुझे पसंद करता है , जब उससे खुल कर इनसब पर बाते करने लगी तो उसका तो उसकी मनमानी और बढ़ने लगी । जब मन होता उसका पीछे से हग कर लेता ... जानबूझ कर कोचता मुझे
: क्या कोचता?
: पागल है क्या , क्या है उसके पास बड़ा सा, वही मेरे पीछे टाइट कर खड़ा होके सटा देता था ।
: ओह्ह्ह ( अनुज का लंड पंप हो रहा था ये सोच कर कि उसका भइया कितना आगे है , एक वो है जो बस संकोच करता रहा और उसका भइया हिम्मत दिखा कर मम्मी से कितनी मस्ती कर गया )
: नहीं कुछ कर पाया तो सोनल की शादी के पहले गर्मी के बहाने के हमारे कमरे में आ कर सोने लगा और तेरे पापा !!
: अब क्या किया ?
: वही जो उन्हें रोज करना होता है , उन्हें लगता था कि उनका बेटा सो रहा है और वो शुरू हो जाते , मानने पर भी नहीं रुकते
: तो क्या पापा आपको राज भैया के सामने ही ( अनुज उस कल्पना से सिहर उठा था और अब तो उसे मानो राज से जलन सी होने लगी थी , इतना सब करने के बाद भी राज ने एक शब्द नहीं कहा इस बारे में उससे )
: हम्म्म, मना करने पर भी नहीं रुकते थे । कितनी रातें उसने मेरे सामने मुझे वैसे देखा , बदमाश कही का उसे जरा भी शर्म नहीं आती थी और तो और अपना वो भी निकाल कर हिलाता , उसे तो अपने पापा का डर नहीं था
: तो क्या पापा ने नहीं देखा ।
: देखा था एक बार
: फिर ? ( अनुज की धड़कने तेज होने लगी )
: वो सोने का नाटक कर रहा था लेकिन अंडरवियर में उसका खड़ा था और तेरे पापा की नजर गई तो मुझे भी दिखाने लगे और कहने लगे कि जरूर उनका बेटा किसी अफसरा के सपनो में खोया है , वो भी एकदम पागल थे हीही
रागिनी हसी लेकिन अनुज को हसी नहीं आई , उसके दिमाग वो सब किस्से छवियों का रूप लेने लगी थी जो अब तक रागिनी उसे बता रही थी
: फिर क्या हुआ ?
: अगली रात फिर तेरे पापा की नजर पड़ी और वो कहा अपने लाडले को परेशान देख पाएंगे
: मतलब ?
: मतलब कि उन्हें राज की बेचैनी देखी भी गई, भले ही वो सपने में खोया हुआ था लेकिन उसका खड़ा हुआ देख कर तेरे पापा को तरस आ रहा था उसपर हीही
: क्या ?
: हा रे, आगे पता है क्या कहा उन्होंने ?
: क्या ( अनुज थूक गटक कर बोला और नीचे उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था )
: सोनल की मां जरा उसका बाहर निकाल दो , दर्द हो रहा होगा , थोड़ा हवा लगेगा तो आराम से सो पाएगा मेरा बेटा..... हीहीही , अब तू बता इसका कोई तर्क था लेकिन मुझे करना ही पड़ा और जान रही थी कि वो जाग रहा है लेकिन तेरे पापा से नहीं कह सकती थी न
: फिर
: फिर हीहीही फिर तो उसे जो थोड़ा बहुत छू कर सहला कर चैन मिलता था अब वो भी मिलना बंद हो गया , जबतक तेरे पापा अपना काम खत्म नहीं कर लेते उसको ऐसे ही तड़पना पड़ता
: उसके बाद ?
: जैसे ही तेरे पापा बाथरूम जाते तेजी से पकड़ कर मेरे सामने ही हिलाता और निकाल देता सब , न मेरा डर न अपने बाप का । पूरा बिगड़ गया था
: फिर आगे क्या हुआ ?
: फिर एक रोज तेरे पापा को दुकान पर काम ज्यादा था और वो उस रात थक गए थे , मेरा भी महीना अभी अभी खत्म हुआ था । मेरा मन था और तेरे पापा ने मना कर दिया और वो बदमाश वही सोया था अपना रोज की तरह टाइट कर
अनुज अब कुछ कल्पनाएं गढ़ने लगा था और उसकी सांसे चढ़ने लगी थी
: फिर ( उफनाती सांसों से अनुज बोला )
: मै उनसे लिपट रही थी और वो बहाने कर रहे थे और उनकी नजर राज पर गई , और उन्होंने कहा कि मै उसके ऊपर बैठ जाऊ
: क्या ? ( अनुज का दिल जोरो से धकधक होने लगा )
: हा ( रागिनी नजरे चुरा रही थी )
: तो क्या आप उस रात राज भैया से ?
: तेरे पापा की जिद , उन्हें मेरी कहा परवाह थी , उन्हें तो ज्यादा फिकर थी कि इसी बहाने उनके बेटे को सपने का सुख अच्छे से मिल पाएगा और मुझे करना पड़ा । तेरे पापा मुझे जबरन उसके ऊपर बिठाया और फिर जोश में आकर दुबारा से मेरे साथ किया ।
अनुज का लंड अब पूरा चरम पर था , एक टच और भलभला कर वो झड़ ही जाता
: फिर ?
: अगली सुबह शर्म से मै उससे नजर नहीं मिला पा रही थी और वो बेशर्मी पर उतर आया था पूरी । किचन में पीछे से आकर अपना निकाल कर चुभोता , हग करता और गंदी गंदी बातें करता । तेरे पापा की वजह से और बिगड़ गया वो और अगली रात फिर वही हुआ ... तेरे पापा ने फिर मुझे बिठाया उसके ऊपर और खुद बाथरूम चले गई इतने में मौका पाकर वो मुझे नीचे से उछालने लगा और ...
: अह्ह्ह्ह नहीं ओह्ह्ह्ह
: अरे क्या हुआ
: क कुछ नहीं मम्मी वो ... ( अनुज ने दोनों हाथों से अपना लंड पकड़ कर अपने सुपाड़े को उल्टी करने से रोकता रहा लेकिन अब तीर कमान से छूट चुका था और अनुज छिपाता हुआ तेजी से पीछे वाले कमरे ने भागा, उसके पीछे रागिनी भी
: क्या हुआ अनुज दिखा मुझे ( रागिनी के उसका हाथ खींचा तो सामने देखा उसका पेंट वीर्य से सन कर गिला हो गया है
: हे भगवान तू भी ...मतलब तेरा भी आने लगा ?
: अह सॉरी मम्मी , वो आपकी बाते सुनकर हो गया मैने छुआ भी नहीं , कसम से
: निकाल उसको बाहर निकाल
अनुज थोड़ा शर्मा रहा था और उसने अपने पेंट अंडरवियर खींच कर अपना लंड निकाला, लाल पूरा तना हुआ खुद के वीर्य से सना हुआ , रागिनी समझ गई कि उसका बेटा भी अब बड़ा हो गया है ।
: ओहो पूरा गिला कर दिया तूने , रुक मै तौलिया लाती हूं
रागिनी भागती हुई ऊपर गई और एक तौलिया जो आम तौर पर रखा होता था इस पुराने घर पर वो लेकर आई , वापस देखा तो अनुज थोड़ा हड़बड़ाया हुआ था , परेशान और लंड भी थोड़ा सुस्त मालूम हो रहा था ।
रागिनी को थोड़ी हंसी आई और दुकान में ग्राहक भी थे तो वो झट से तौलिया देकर चली गई ।
कुछ देर बाद वो ग्राहकों को निपटा कर वापस गई तो अनुज गुमसुम सा बैठा हुआ था तौलिया लपेटे, उसकी पेंट अंडरवियर सहित फर्श पर थी , उसकी हालत देख कर रागिनी को हसी आई
: तो घर कैसे चलेगा , ऐसे हीही
: मम्मी यार हंसों मत , कुछ करो न ( अनुज ने उखड़ कर कहा लेकिन रागिनी को मजा आ रहा था )
: रुक यही धूल कर डाल देती हूं और दुकान में देखना कोई ग्राहक आयेगा तो
: ऐसे ?
: हा ऐसे ही ( रागिनी ने उसको थोड़ा सा डाटा और निकल गई उसके कपड़े लेकर , छत पर धूल कर पंखे के नीचे डाल दिया )
फिर नीचे आई और देखा तो अनुज अभी भी कमरे में बैठा हुआ था , बस झांक कर दुकान देख रहा था और रागिनी की हंसी नहीं रुक रही थी ।
अनुज भी अपनी मां की मुस्कुराहट देख कर मुस्कुराने लगा और रागिनी उसके पास सरक कर बैठ गई
: पहली बार था ? ( रागिनी ने पूछा और अनुज के कान खड़े हो गए और लंड में सुरसुराहट होने लगी )
: बोल न ( रागिनी ने कंधे झटके )
: हा , नहीं ... मतलब इतना सारा तो पहली बार हुआ है
: हम्ममम और पहली बार कब हुआ था
: कल ! अनिता आंटी को देख कर ( अनुज ने भी बात बनाई ताकि रागिनी को लगे नहीं कि वो झूठ बोल रहा था )
: अच्छा तभी पेंट बदल कर आया था ( रागिनी ने मुस्कुरा कर उसे देखा और वो शर्मा गया ) पागल कही का , चल ठीक है अभी सुख जाएगा एक घंटे में तेरा पैंट
रागिनी उठने लगी कि अनुज बोल पड़ा: मम्मी !!
: हम्म्म क्या हुआ
: फिर आगे क्या हुआ ( अनुज ने हिचक कर पूछा लेकिन रागिनी का मुस्कुराता चेहरा देख कर मुस्कुराने लगा ) बताओ न प्लीज
: नहीं, फिर से तेरा निकल गया तो ?
: नहीं आएगा , ऐसे थोड़ी जल्दी जल्दी आता है
: तुझे बड़ा पता है , कहा से सीख रहा है तू , उम्मन कौन सिखा रहा है तुझे ?
: आप हीही
: पागल कही का
: प्लीज न मम्मी आगे बताओ न
: पक्का न नहीं निकालेगा
अनुज ने मुस्कुरा कर ना में सर हिलाया
: तो कहा तक थी मै ?
: पापा बाथरूम गए थे और भैया आपको नीचे से ..... ( अनुज का लंड हल्का सा फड़का )
रागिनी ने आंखों से उसे मुस्कुरा कर देखा
: उसके बाद तो उसने अपनी मनमानी कर ली थी और मै उस क्षण में थी कि रोक भी नहीं सकती थी , पता नहीं उस रात तेरे पापा को बाथरूम में इतना टाइम क्यों लगा , वो तो बाद में उन्होंने बताया कि वो छिप कर राज और मुझे देख रहे थे ।
: क्या सच में ? ( अनुज का लंड तौलिए में आकार लेने लगा फिर से )
: हा लेकिन उन्होंने कहा कि मै राज को इस बारे में न बताए ,
: फिर ?
: फिर उस रोज के बाद से मै उससे बचती रही हूं , याद है जब तेरे नाना आए थे तब भी मैने जानबूझ कर बाउजी को अपने कमरे में सुलाया था
: हा ( अनुज तो जैसे अपनी मां की गढ़ी कहानी में यकीन करना चाहता हो )
: फिर सब सोनल की शादी की तैयारियों में जुट गए और तब कही मुझे चैन मिला , लेकिन तेरी जिद की वजह से वो जो थोड़ा सुधर गया था फिर से आज बिगड़ गया
: सॉरी मम्मी
: तो क्या हुआ अपने भैया को समझाया आज
: मै क्या उसे समझाती उसने तो उल्टा मुझे ही बहका दिया
: बहका दिया मतलब ?
: अरे तू नहीं समझेगा , इतने दिनों में मुझे भी उसका टच करना, सताना अच्छा लगने लगा , गलत ही सही लेकिन उसका मेरे लिए ऐसे पागल होना अच्छा लगता । लेकिन है तो फिर भी मेरा बेटा ही उसे सही रास्ते पर लाना ही है न
: हा तो आज क्या किया भैया ने ( अनुज की दिलचस्पी मेन बात पर थी )
: वही उसका प्यार भरा हग जो पीछे से वो करता है , ऐसे कंधे पर यहा अपना चेहरा रख लेता है फिर गाल और कान के पास अपनी दाढ़ी से गुदगुदी करता है ( रागिनी इशारे से बताने लगी और अनुज कल्पनाएं गढ़ने लगा ) फिर पेट को सहलाता है ,मना करने पर भी नहीं मानता और जैसे तेरे पापा को ही देख देख कर सब सिखा हो, मेरी छाती पकड़ लेता है और उन्हें ऐसे दबाता है जैसे घुला घुला कर दशहरी आमों से रस निकालना है उसे
रागिनी की बातें सुनकर अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था अब
: फिर ?
: एक तो इतने दिन से तेरे पापा नहीं है और उसने ऐसे टच किया तो क्या होगा , मेरा भी मन नहीं है क्या ? कानो में फुसफुसा फुसफुसा कर ऐसी जगह छुआ कि मै बहक गई , उसको रोक ही नहीं पाई उसने मुझे जैसे अपने वश में कर लिया था , साड़ी खोलकर वही दुकान वाले केबिन में चौकी पर सुला दिया और
: और क्या ( अनुज का लंड और दिल दोनों थे से पंप हों रहे थे )
: इतनी बार उसने तेरे पापा को देखा था मेरे साथ वो सब करते हुए कि उसे जैसे मेरे रग रग की कमजोरी मालूम हो , कहा पकड़ना है कहा दबाना कहा चूमना है
: फिर ( अनुज मुंह पानी से भरने लगा )
: उसने नीचे मुंह लगा दिया , बहुत रोका लेकिन मना नहीं
: क्या वहा पर ( अनुज ने आंखों से अपनी मां के गोद में इशारा किया और रागिनी ने हा में सर हिलाया )
: हम्म्म और फिर मै खुद को सम्भाल ही नहीं पाई , जैसे चाहा उसने अपनी मनमानी की और फिर मुझे फुसला कर एक वादा ले लिया
: क्या ?
: यही कि आज रात वो मेरे साथ सोएगा अकेले
अनुज इसका मतलब समझ गया था और उसका लंड अब पूरी तरह तन कर तौलिए में उठ गया गया रॉड की तरह
: तो क्या आप जाओगे ?
: तू बता न क्या करूं ? इससे उसका मन और नही बढ़ जाएगा
: मै ... मै क्या बोलूं , आ आपको जो सही लगे ( अनुज की हालत खराब थी आने वाले रोमांच को सोच कर )
: तू तेरे पापा से नहीं कहेगा न ... ( रागिनी ने अनुज से उम्मीद जाहिर की और उसकी बोली ऐसी थी कि जैसे अंदर से वो यही चाहती हो ऐसा अनुज समझे )
: तो क्या आपका भी मन है ? ( अनुज का लंड एकदम टाइट होकर दर्द होने लगा था )
: अगर तू कहेगा तो नहीं जाऊंगी ( रागिनी ने मुंह बना कर कहा )
अनुज को भी थोड़ी सी उम्मीद नजर आने लगी थी राज के भरोसे और शायद यही एक तरीका था कि वो आगे बढ़ पाए
: लेकिन करोगे कहा ?
: तुझे उससे क्या ? ( रागिनी ने अनुज को सताया क्योंकि वो भी अनुज की बेताबी साफ साफ समझ रही थी )
: मतलब मुझे पढ़ना रहेगा न तो मै किस कमरे में रहूंगा , आप लोग तो एक कमरे में रहोगे न ?
: मतलब तुझे कोई दिक्कत नहीं है ?
: उन्हूं, बस आप मुझे बताना क्या क्या हुआ हीही ( अनुज अपना लंड खुजा कर बोला )
: वो क्या कर रहा है , फिर से बड़ा कर लिया न
: वो हो जाता है , मै नहीं करता हूं आपकी बात सुनकर हुआ है सच्ची में
: फिर से आयेगा क्या ?
: उन्हुं अभी नहीं ( अनुज थोड़ा मुस्कुरा कर बोला )
: पागल कही का
: मम्मी !!
: हा बोल
: क्या पहनोगे आज रात में?
: क्यों ? यही पहनी रहूंगी ...
: बदल लेना कुछ सुबह जैसे.. ( अनुज हिचक कर बोला )
: लेकिन तुझे क्या ... हम दोनो दूसरे कमरे में रहेंगे न और दरवाजा भी बंद रहेगा ( रागिनी ने अनुज को टटोला)
: क्यों ? बंद क्यों ( अनुज बोलते हुए रुक गया )
: तू देखेगा क्या ?
: हा , मतलब नहीं , सॉरी
: पागल कही का , लेकिन किसी से कहना मत और इसे रगड़ना मत
: क्या ?
: वही जो तूने खड़ा कर रखा है इसमें ( रागिनी ने मुस्कुरा कर कहा और अनुज उसे छिपाने लगा )
: नहीं तो , अब छोटा हो गया है
: दिखा जरा खोल के
अनुज थोड़ा शर्माने लगा
: अरे खोल न , जैसे मैने तेरा कभी देखा ही नहीं
अनुज खड़ा होकर तौलिया खोल दिया और उसका बड़ा मोटा लंड जो उसने पिछले साल भर से अपने भैया के कहने के बाद रोज रात में तेल लगा लगा कर मालिश करके बड़ा किया था वो रागिनी के सामने था
: ये क्या है
: वो तो आप ऐसे कहोगे तो दिखाने को तो बड़ा नहीं होगा हीही
रागिनी बड़े गौर से अनुज के लंड पर उभरी हुई नशे देख रही थी कि कैसे एक बार इतना ज्यादा झड़ने के बाद भी उसका लंड की कसावट और तनाव में कोई कमी नहीं है
: मम्मी एक बात पूछूं?
: हा क्या बोल न ?
: आपने कभी भैया का चूसा है
रागिनी ने आंखे उठा कर देखा और मुस्कुराई
: बोलो न
: हा वो रज्जो दीदी ने कहा था कि राज हाथ से हिला कर उसका साइज खराब करे उससे अच्छा है कि तू उसका चूस दिया करे , रज्जो दीदी भी ऐसा ही करती थी रमन का । इससे कुछ दिन के लिए वो शांत हो जाता था लेकिन तेरा भैया तो सांड है , हर पल तैयार होता है हीही
: मम्मी इसको टच करो न
: क्या इसे ( वो अनुज के लंड को इशारा कर बोली )
: हम्ममम
रागिनी ने एक बार बाहर दुकान में देखा और अनुज का लंड पकड़ लिया और दोनों हाथों से सहलाने लगी
: अह्ह्ह्ह मम्मी कितना सॉफ्ट है आपका हाथ उफ्फफ , मम्मी क्या मौसी भी रमन भैया से वो सब करवाती होंगी उम्मम
: क्या ?
: सेक्स
: पता नहीं बेटा ... कभी पूछा नहीं मैने ( रागिनी अनुज का लंड देखते हुए बस उसको सहला रही थी और अनुज सिसक रहा था )
: पूछना प्लीज
: क्यों जानना है तुझे
: बस ऐसे ही ओह्ह्ह सीई मम्मी
: क्या हुआ बेटा
: चूस दो न मेरा भी प्लीज , बस एक बार
रागिनी ने उसका लंड हाथ में थामे हुए आंखे उठा कर उसे देखा और मुस्कुराई
: किसी से कहेगा तो नहीं न
: उन्हूं नहीं मम्मी किसी से अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह कितना सॉफ्ट है आपका लिप्सी उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
रागिनी ने नीचे बैठ कर अनुज का सुपाड़ा मुंह में ले लिया और चूसने लगी
: उफ्फ मम्मी कितना अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह और डालो अन्दर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह कितना रसीला लग रहा है गिला गिला सा उफ्फफ इतना अच्छा लगता है क्या इसमें ओह्ह्ह्ह उम्ममम तभी पापा आपको रोज करते है उम्ममम सीईईई कितना अच्छा कर रही हो ओह्ह्ह्ह और चूसो उम्मम मम्मी
अनुज तो जैसे सातवें आसमान पर था और उसका लंड रागिनी मुंह में बहुत हौले हौले सहला सहला कर चूस रही थी और अनुज को नशा हो रहा था
: उम्मम मम्मी प्लीज मुझे भी रात में देखने दो न , प्लीज
: उम्ममम लेकिन मुझे शर्म आएगी न , तू देखेगा तो ( मुंह से लंड निकाल कर सहलाती हुई वो बोली)
: प्लीज न मम्मी , बस देखूंगा भैया कैसे करेगा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मी और और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह मम्मी आयेगा फिर से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह गॉड निकालो बाहर आ सीई ओह मम्मीई ये क्या मुंह में ही ले रहे हो आप ओह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छे हो आप सीईईई आह्ह्ह्ह लेलो मेरा भी पी जाओ उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अनुज रागिनी के मुंह में ही झड़ने लगा और रागिनी ने सरा रस निचोड़ लिया और अनुज हंसने लगा , और रागिनी ने भी मुंह साफ करने लगी
दो बार झड़ कर अनुज को सुस्ती सी होने लगी और वो वही लेट गया , नए सपने सजोने के लिए , वही रागिनी उठ कर अपना मुंह साफ कर दुकान के काम देखने लगी ।
जारी रहेगी
( अपडेट पोस्ट करने का समय नहीं मिल पाया थोड़ी व्यस्तता की वजह से उम्मीद करता हूं आज के अपडेट का इंतज़ार रसीला होगा , पढ़ कर लाइक कमेंट जरूर करें )
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअध्याय 02
UPDATE 030
रागिनी के अफसाने
चमनपुरा
घड़ी में 02 बजने को हो गए थे और रागिनी को गए भी करीब दो घंटे हो गए थे
अनुज दुकान में बहुत बेचैन हो रहा था कि राज भैया के साथ उसकी मां ने क्या बात की होगी ? उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट हो रही थी , उसपर से ग्राहकों की भीड़ भी थी ... अभी अभी कालेज स्कूल छूटा था तो लड़कियों की भीड़ एकदम से बाजार ने बढ़ जाती है , वही हाल था अनुज का भी
उन भीड़ में अनुज ने ध्यान ही नहीं दिया कि वहा उसकी क्लासमेट पूजा आई थी , बड़े बड़े रसीले नारियल वाली नहीं , छोटी मौसमियों वाली ।
: अनुज एक बॉडी लोशन देना ( उसने आवाज दी )
एकदम से लड़कियों की भीड़ से अनुज की नजर उसपर गई और वो मुस्कुरा रही थी , अनुज उसकी मुस्कुराहट का कारण जान रहा था ।
: कौन सी वैसलीन या पॉन्स
: अच्छी वाली दो ( पूजा ने उससे थोड़ा शर्मा कर कहा )
" अरे भाई पॉन्स वाली देदे , उससे स्किन बहुत मुलायम हो जाती है ", ये राहुल था जो लड़कियों की भीड़ से निकल कर उसके दुकान में आ गया था । वो भी कालेज से घर आ रहा था लेकिन अनुज को समझ नहीं आया कि राहुल का यूं एकदम से उसकी दुकान में आने का क्या कारण है ।
: ये लो ( राहुल ने पूजा को बॉडी लोशन की एक फाइल उठा कर दी )
: कितनी की है अनुज ( पूजा ने एकदम से राहुल को इग्नोर करके अनुज से पूछा , लेकिन उसकी आंखों के शरारत साफ झलक रही थी )
: लाओ प्रिंट देख कर मै बता देता हूं , भाई तू दूसरे लोगो को देख न ( राहुल ने पूजा के हाथ को छूते हुए उसके हाथ से वो बॉडी लोशन की फाइल लेकर उसका दाम बताया और पूजा ने उसकी ओर देखा । )
अनुज ने गौर किया दोनों कैसे एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे हैं लेकिन वो कुछ बोला नहीं
: अनुज मैने पैसे दे दिए है , ओके
: अरे किसको दी हो ये तो बताओ ( राहुल ने छेड़ा उसे और पूजा बिना कुछ कहे बस मुस्कुरा कर चली गई )
कुछ ही देर तूफान की तरह भीड़ निकल गई और रह गए दोनों भाई बस
अभी मम्मी के आने के इंतजार में अनुज का समय कट नहीं रहा था उसपर से राहुल आ गया , जिसको लेकर वो अपनी दीदी के शादी से ही चिढ़ा हुआ था ।
: सीईईई भाई कातिल चीज है न
: कौन ?
: वही तेरी क्लासमेट पूजा, उफ्फ लेगिंग्स में इसकी लंबी टांगे और वो जो चूतड़ों की चर्बी है न उफ्फफ
अनुज ने एकदम से इग्नोर किया उसे और काउंटर पर फैले समान सहेजने लगा।
: भाई कुछ कर न ( राहुल ने अनुज को पकड़ा )
: मै .. मै क्या करूं, तू बात कर !!
: अरे यार वो मुझे तंग करती है , बस नचाती है आगे पीछे , प्लीज न उसका मोबाइल नंबर दिला दे न भाई
: पागल है , मै कहा लाऊं यार
: भाई प्लीज न, अरे अपने वाली से बोल दे न उसके पास होगा , इतना नहीं करेगा मेरे लिए। यार तुझे अपनी सगी बहन दी चोदने के लिए फिर भी
" भोड़की का उसी वजह से तेरी सुनता हूं साले , निशा दीदी और शालिनी चाची की बात नहीं होती तो साले तुझे लात मार देता " , अनुज बस खुद से बड़बड़ाया
: भाई प्लीज न , अच्छा ये बता मम्मी को पेलेगा
अनुज ने आंखे बड़ी कर उसे देखा
: अरे मेरी मम्मी को ! बोल चोदेगा?
शालिनी चाची के बारे में सोच कर अनुज का लंड अकड़ गया लेकिन वो समझ रहा था कि अगर फिर से वो राहुल के ट्रैप में आया तो बुरा फसेगा पूजा के लिए।
: भाई भाई , बस उसका नंबर दे दे और कुछ नहीं करना है तुझे बस नंबर
राहुल जितना गिड़गिड़ा रहा था अनुज के लिए पूजा का नंबर निकलवाना बड़ी बात नहीं थी लेकिन रिश्क भी था
कुछ सोच कर आखिर उनसे कह दिया कि वो उसकी हेल्प करेगा , बात करेगा लाली से अगर वो राजी हो जाए तो लेकिन वक्त लगेगा एक दो दिन
: ठीक है भाई , लेकिन जल्दी हा , साला इस ठंडी में और बर्दाश्त नहीं होता , अब तो उसकी सील तोड़ कर ही चैन आयेगा ।
अनुज ने मुंह बना कर उसकी बात को इग्नोर किया और घड़ी देखी तो ढाई बजने वाले थे , लेकिन अभी तक उसकी मां नहीं लौटी थी तभी पायलों की खनक और रागिनी लहराती हुई दुकान में
: राहुल तू
: नमस्ते बड़ी मम्मी ( राहुल ने खुश होकर कहा)
: कहा रहता है आज कल , शादी के बाद तो रास्ता ही भूल गया
: अरे बड़ी मम्मी वो परीक्षा आ रही है तो पढ़ाई और ट्यूशन होते है
: हम्मम तू खुद पढ़ रहा है लेकिन इसको देख, दसवीं के बोर्ड है इसके इसको समझा ... सारा दिन इधर उधर की बातें ( रागिनी ने अनुज को छेड़ कर कहा और अनुज बस मुंह ताकता रहा )
जिस तरह से रागिनी खिल कर राहुल से बातें कर रही थी और राहुल की हवशी निगाहे कहा कहा टहल रही थी उसकी मां पर अनुज बखूबी समझ रहा था
: अभी कह रहा था , बड़ी मम्मी कि चल साथ में मिल कर मेरे घर पढ़ाई करते है मानता ही नहीं
: क्यों अनुज , क्यों नहीं जाता इसके साथ ?
अनुज समझ रहा था कि राहुल उसे किस काम के लिए अपने साथ मिलाना चाहता है और कौन सी पढ़ाई वो करेगा
: घर पर पढ़ता हूं न मम्मी ( अनुज ने उखड़ कर कहा )
: हा पता सारी रात क्या कौन सी पढ़ाई होती है तेरी ( रागिनी ने अनुज को छेड़ कर कहा )
राहुल चीजे समझ नहीं पाया लेकिन अनुज की क्लास लगते देख उसे मजा बहुत आ रहा था
: तो ? पास हो जायेगा न इस साल या पैसे देने पड़ेंगे तेरे पापा को फिर से ( रागिनी के राहुल को भी घेरा और उसे याद आया कि कैसे दसवीं के बोर्ड उसके नकल करके पास किए थे अच्छे खासे भौकाल की लंका लग गई )
रोला खतरे में जान कर राहुल ने घड़ी देखी और हड़बड़ा कर : अरे 3 बजने वाले है , मुझे लेट हो रहा है बड़ी मम्मी ट्यूशन जाना है ।
एकदम से फुर्र और रागिनी हसने लगी , वही अनुज का मन उखड़ा हुआ था
: अरे तुझे क्या हुआ
: क्या हुआ ? कहा थे आप इतनी देर तक
: बताया तो था कि ( रागिनी ने दुकान के बाहर का सन्नाटा देखा और हौले से अनुज से बोली ) राज के पास जा रही हूं
: हा तो क्या हुआ वहां? भैया क्या बोला ? क्या बात हु आपकी उससे ? बोलो न चुप क्यों हो ?
: अरे दादा शांत , बता रही हूं न
अनुज थोड़ी देर शांत रहा और रागिनी का मुंह देखने लगा
क्या ही बताती वो 3 दिन से अच्छे से चुदाई नहीं हुई थी , राज के पास पिलवाने गई थी तो कहानी गढ़ने में समय तो लगना था
: मम्मी बताओ न , क्या हुआ ?
: अरे कहा से शुरू करूं वो सोच रही हूं ( रागिनी ने एक गहरी सांस ली )
: कहा से मतलब ? सुबह मेरे कालेज जाने के बाद भी आप दोनों की बात हुई थी
: सुबह क्या , रात क्या ? ये पूछ कितने महीने से
: मतलब ? ( अनुज चौका )
: तू जितना समझ रहा था ये सब उससे कही ज्यादा उलझा हुआ है , पहले तिल का ताड़ हुआ था और तूने जिद करके आग और भड़का दी
: मतलब , तिल ताड़ आग ? साफ साफ बताओ न मम्मी
रागिनी एक गहरी सांस ली और अतीत की यादों से कुछ कहानियां निकालने लगी कुछ तोड़ती तो कुछ खुद से जोड़ती हुई
: ये सब शुरू हुआ जब हम दोनो राखी पर तेरे मामा के यहां गए थे प्रतापपुर
अनुज थोड़ा गंभीर होने लगा कुछ कल्पनाएं कुछ शंकाए उठने लगी , वो बड़े गौर से अपनी मां को सुनने लगा ।
: तुझे तो पता ही है तेरे नाना की हरकत , राज ने भी उन्हें देख लिया था अलग अलग औरतों के साथ । वो तो तेरे जितना छोटा था नहीं , बड़ा हो गया था तो ना जाने कहा से उसने जो सुबह बाथरूम ने किया उसकी आदत लग गई थी और तेरे नाना की हरकते को चोरी छिपे देख कर वही सब करने लगा । मैने पकड़ा उसको अगली रात बाउजी के कमरे के बाहर खिड़की से झांक रहा था । उसे तो जैसे किसी का डर ही नहीं हो ... बड़ा ही बेशर्म था ।
: फिर ? ( अनुज का लंड धीरे धीरे आकार ले रहा था )
: फिर उसके बाद मैने तो उससे बात करना ही बंद कर दिया था लेकिन जब घर आई तो... तेरे पापा
: पापा ? उन्होंने क्या किया ?
: अरे असल जड़ तो वही है ... न समय देखते है न जगह , दो दिन दूर क्या थी एकदम भूखे हो गए थे । खुले कमरे में ही पकड़ लिया और तेरा भैया उसने हमे देख लिया
: क्या करते हुए ( अनुज ने हलक से थूक गटक पूछा )
: मै तो नहाने जा रही थी लेकिन तेरे पापा ने पीछे से मुझे पकड़ लिया था और मेरे दूध ....
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पेंट में
: फिर ?
: फिर मै तो लाज से पानी पानी हो गई उस रोज , लेकिन वो पागल तांक झांक करने लगा और रात में जीने से उतर आता नीचे , तब मै और तेरे पापा यही पीछे वाले कमरे में ही सोते थे न ( रागिनी इशारे से दुकान के पीछे वाला कमरा दिखाया )
अनुज को अपनी मां की बातों में सच्चाई झलक रही थी और लंड भी ये सब यकीन करना चाहता था ।
: यही खिड़की ने रात में हमें देखता था , एक रात मुझे आहट हुई उसकी , वो दुष्ट यही खड़े खड़े ही हमे देख कर अपना हिला रहा था
अनुज का लंड अब तो पूरा टाइट हो गया
: फिर
: अगली रोज मैने खिड़की पर पर्दे लगा दिए लेकिन फायदा नहीं
: क्यों ?
: तेरे पापा !!
: अब क्या किया उन्होंने ? ( अनुज जिज्ञासु होकर बोला )
: मै उन्हें समझाया कि बच्चे बड़े हो रहे है तो थोड़ा ध्यान से करते है , लेकिन जब वो मूड में आते है तो ... क्या बोल जाते है उन्हें फर्क नहीं पड़ता और मुझे लगता है उस रात राज ने हमारी बाते सुन ली तबसे उसका मन और बढ़ गया ।।
: क.. क्या कहा था पापा ने ( छिप कर अनुज ने अपना सुपाड़ा मिज दिया )
: वो कहने लगे कि आजकल बच्चे समझदार है , सब जानते है कि उनके मम्मी पापा क्या करते है और अगर देख भी लिया तो क्या दिक्कत है आखिर ऐसे ही तो सब बच्चे सीखते है और उन्होंने भी ऐसे ही सिखा है ।
: मतलब पापा भी ?
: हा वो भी राज की तरह थे , खूब तांक झांक की है उन्होंने हीहीही
: फिर ... फिर क्या हुआ
: फिर क्या ? कभी नहाते हुए तो कभी सोते हुए जब उसे मौका मिलता देख लेता उसकी इतनी आदत खराब थी और एक तू ... उस रोज तो मैने तेरे सामने ही थी न तूने एक नजर नहीं देखा मुझे और वो घूर घूर कर देखता है मेरे दूध को
अनुज के मुंह में तो जैसे मलाई घुलने लगी थी मम्मी के रसीले मम्में को सोच कर
: फिर ?
: सच कहूं तो तंग आ गई थी , ऐसा नहीं था कि उसके संस्कार खराब थे या वो कोई काम नहीं करता था । तू तो उसे जानता है कितना जिम्मेदार है बस यही आदत से मै परेशान थी और फिर मैने रज्जो दीदी से इस बारे में बात की
: क्या मौसी से ?
: हा , क्या करती, तेरे पापा से भी तो नहीं कह सकती थी
: फिर वो क्या बोली ?
: मैने उन्हें राज के बारे बताया तो कहने लगी कि ऐसा उनके साथ भी हुआ है , रमन की हरकते भी ऐसी ही थी ।
: क्या रमन भैया भी ?
: हा अब उन्होंने तो यही कहा था , फिर मैने उनसे कहा कि इसका कोई इलाज बताओ तो कहने लगी उसे थोड़ी छूट दे ... रिश्ता थोड़ा दोस्ताना रख । उसको समझ , वो बड़ा हो रहा है और कुछ साल की बात है शादी हो जाएगी तो खुद ही सुधर जाएगा
: फिर ?
: फिर क्या ... मैने उसको समझाना चाहा पहले तो बात मान लेना लेकिन फिर से वही सब हरकते । डांट लगाती तो कहता कि उसे इनसब की आदत हो गई है , वो मुझे पसंद करता है , जब उससे खुल कर इनसब पर बाते करने लगी तो उसका तो उसकी मनमानी और बढ़ने लगी । जब मन होता उसका पीछे से हग कर लेता ... जानबूझ कर कोचता मुझे
: क्या कोचता?
: पागल है क्या , क्या है उसके पास बड़ा सा, वही मेरे पीछे टाइट कर खड़ा होके सटा देता था ।
: ओह्ह्ह ( अनुज का लंड पंप हो रहा था ये सोच कर कि उसका भइया कितना आगे है , एक वो है जो बस संकोच करता रहा और उसका भइया हिम्मत दिखा कर मम्मी से कितनी मस्ती कर गया )
: नहीं कुछ कर पाया तो सोनल की शादी के पहले गर्मी के बहाने के हमारे कमरे में आ कर सोने लगा और तेरे पापा !!
: अब क्या किया ?
: वही जो उन्हें रोज करना होता है , उन्हें लगता था कि उनका बेटा सो रहा है और वो शुरू हो जाते , मानने पर भी नहीं रुकते
: तो क्या पापा आपको राज भैया के सामने ही ( अनुज उस कल्पना से सिहर उठा था और अब तो उसे मानो राज से जलन सी होने लगी थी , इतना सब करने के बाद भी राज ने एक शब्द नहीं कहा इस बारे में उससे )
: हम्म्म, मना करने पर भी नहीं रुकते थे । कितनी रातें उसने मेरे सामने मुझे वैसे देखा , बदमाश कही का उसे जरा भी शर्म नहीं आती थी और तो और अपना वो भी निकाल कर हिलाता , उसे तो अपने पापा का डर नहीं था
: तो क्या पापा ने नहीं देखा ।
: देखा था एक बार
: फिर ? ( अनुज की धड़कने तेज होने लगी )
: वो सोने का नाटक कर रहा था लेकिन अंडरवियर में उसका खड़ा था और तेरे पापा की नजर गई तो मुझे भी दिखाने लगे और कहने लगे कि जरूर उनका बेटा किसी अफसरा के सपनो में खोया है , वो भी एकदम पागल थे हीही
रागिनी हसी लेकिन अनुज को हसी नहीं आई , उसके दिमाग वो सब किस्से छवियों का रूप लेने लगी थी जो अब तक रागिनी उसे बता रही थी
: फिर क्या हुआ ?
: अगली रात फिर तेरे पापा की नजर पड़ी और वो कहा अपने लाडले को परेशान देख पाएंगे
: मतलब ?
: मतलब कि उन्हें राज की बेचैनी देखी भी गई, भले ही वो सपने में खोया हुआ था लेकिन उसका खड़ा हुआ देख कर तेरे पापा को तरस आ रहा था उसपर हीही
: क्या ?
: हा रे, आगे पता है क्या कहा उन्होंने ?
: क्या ( अनुज थूक गटक कर बोला और नीचे उसका लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था )
: सोनल की मां जरा उसका बाहर निकाल दो , दर्द हो रहा होगा , थोड़ा हवा लगेगा तो आराम से सो पाएगा मेरा बेटा..... हीहीही , अब तू बता इसका कोई तर्क था लेकिन मुझे करना ही पड़ा और जान रही थी कि वो जाग रहा है लेकिन तेरे पापा से नहीं कह सकती थी न
: फिर
: फिर हीहीही फिर तो उसे जो थोड़ा बहुत छू कर सहला कर चैन मिलता था अब वो भी मिलना बंद हो गया , जबतक तेरे पापा अपना काम खत्म नहीं कर लेते उसको ऐसे ही तड़पना पड़ता
: उसके बाद ?
: जैसे ही तेरे पापा बाथरूम जाते तेजी से पकड़ कर मेरे सामने ही हिलाता और निकाल देता सब , न मेरा डर न अपने बाप का । पूरा बिगड़ गया था
: फिर आगे क्या हुआ ?
: फिर एक रोज तेरे पापा को दुकान पर काम ज्यादा था और वो उस रात थक गए थे , मेरा भी महीना अभी अभी खत्म हुआ था । मेरा मन था और तेरे पापा ने मना कर दिया और वो बदमाश वही सोया था अपना रोज की तरह टाइट कर
अनुज अब कुछ कल्पनाएं गढ़ने लगा था और उसकी सांसे चढ़ने लगी थी
: फिर ( उफनाती सांसों से अनुज बोला )
: मै उनसे लिपट रही थी और वो बहाने कर रहे थे और उनकी नजर राज पर गई , और उन्होंने कहा कि मै उसके ऊपर बैठ जाऊ
: क्या ? ( अनुज का दिल जोरो से धकधक होने लगा )
: हा ( रागिनी नजरे चुरा रही थी )
: तो क्या आप उस रात राज भैया से ?
: तेरे पापा की जिद , उन्हें मेरी कहा परवाह थी , उन्हें तो ज्यादा फिकर थी कि इसी बहाने उनके बेटे को सपने का सुख अच्छे से मिल पाएगा और मुझे करना पड़ा । तेरे पापा मुझे जबरन उसके ऊपर बिठाया और फिर जोश में आकर दुबारा से मेरे साथ किया ।
अनुज का लंड अब पूरा चरम पर था , एक टच और भलभला कर वो झड़ ही जाता
: फिर ?
: अगली सुबह शर्म से मै उससे नजर नहीं मिला पा रही थी और वो बेशर्मी पर उतर आया था पूरी । किचन में पीछे से आकर अपना निकाल कर चुभोता , हग करता और गंदी गंदी बातें करता । तेरे पापा की वजह से और बिगड़ गया वो और अगली रात फिर वही हुआ ... तेरे पापा ने फिर मुझे बिठाया उसके ऊपर और खुद बाथरूम चले गई इतने में मौका पाकर वो मुझे नीचे से उछालने लगा और ...
: अह्ह्ह्ह नहीं ओह्ह्ह्ह
: अरे क्या हुआ
: क कुछ नहीं मम्मी वो ... ( अनुज ने दोनों हाथों से अपना लंड पकड़ कर अपने सुपाड़े को उल्टी करने से रोकता रहा लेकिन अब तीर कमान से छूट चुका था और अनुज छिपाता हुआ तेजी से पीछे वाले कमरे ने भागा, उसके पीछे रागिनी भी
: क्या हुआ अनुज दिखा मुझे ( रागिनी के उसका हाथ खींचा तो सामने देखा उसका पेंट वीर्य से सन कर गिला हो गया है
: हे भगवान तू भी ...मतलब तेरा भी आने लगा ?
: अह सॉरी मम्मी , वो आपकी बाते सुनकर हो गया मैने छुआ भी नहीं , कसम से
: निकाल उसको बाहर निकाल
अनुज थोड़ा शर्मा रहा था और उसने अपने पेंट अंडरवियर खींच कर अपना लंड निकाला, लाल पूरा तना हुआ खुद के वीर्य से सना हुआ , रागिनी समझ गई कि उसका बेटा भी अब बड़ा हो गया है ।
: ओहो पूरा गिला कर दिया तूने , रुक मै तौलिया लाती हूं
रागिनी भागती हुई ऊपर गई और एक तौलिया जो आम तौर पर रखा होता था इस पुराने घर पर वो लेकर आई , वापस देखा तो अनुज थोड़ा हड़बड़ाया हुआ था , परेशान और लंड भी थोड़ा सुस्त मालूम हो रहा था ।
रागिनी को थोड़ी हंसी आई और दुकान में ग्राहक भी थे तो वो झट से तौलिया देकर चली गई ।
कुछ देर बाद वो ग्राहकों को निपटा कर वापस गई तो अनुज गुमसुम सा बैठा हुआ था तौलिया लपेटे, उसकी पेंट अंडरवियर सहित फर्श पर थी , उसकी हालत देख कर रागिनी को हसी आई
: तो घर कैसे चलेगा , ऐसे हीही
: मम्मी यार हंसों मत , कुछ करो न ( अनुज ने उखड़ कर कहा लेकिन रागिनी को मजा आ रहा था )
: रुक यही धूल कर डाल देती हूं और दुकान में देखना कोई ग्राहक आयेगा तो
: ऐसे ?
: हा ऐसे ही ( रागिनी ने उसको थोड़ा सा डाटा और निकल गई उसके कपड़े लेकर , छत पर धूल कर पंखे के नीचे डाल दिया )
फिर नीचे आई और देखा तो अनुज अभी भी कमरे में बैठा हुआ था , बस झांक कर दुकान देख रहा था और रागिनी की हंसी नहीं रुक रही थी ।
अनुज भी अपनी मां की मुस्कुराहट देख कर मुस्कुराने लगा और रागिनी उसके पास सरक कर बैठ गई
: पहली बार था ? ( रागिनी ने पूछा और अनुज के कान खड़े हो गए और लंड में सुरसुराहट होने लगी )
: बोल न ( रागिनी ने कंधे झटके )
: हा , नहीं ... मतलब इतना सारा तो पहली बार हुआ है
: हम्ममम और पहली बार कब हुआ था
: कल ! अनिता आंटी को देख कर ( अनुज ने भी बात बनाई ताकि रागिनी को लगे नहीं कि वो झूठ बोल रहा था )
: अच्छा तभी पेंट बदल कर आया था ( रागिनी ने मुस्कुरा कर उसे देखा और वो शर्मा गया ) पागल कही का , चल ठीक है अभी सुख जाएगा एक घंटे में तेरा पैंट
रागिनी उठने लगी कि अनुज बोल पड़ा: मम्मी !!
: हम्म्म क्या हुआ
: फिर आगे क्या हुआ ( अनुज ने हिचक कर पूछा लेकिन रागिनी का मुस्कुराता चेहरा देख कर मुस्कुराने लगा ) बताओ न प्लीज
: नहीं, फिर से तेरा निकल गया तो ?
: नहीं आएगा , ऐसे थोड़ी जल्दी जल्दी आता है
: तुझे बड़ा पता है , कहा से सीख रहा है तू , उम्मन कौन सिखा रहा है तुझे ?
: आप हीही
: पागल कही का
: प्लीज न मम्मी आगे बताओ न
: पक्का न नहीं निकालेगा
अनुज ने मुस्कुरा कर ना में सर हिलाया
: तो कहा तक थी मै ?
: पापा बाथरूम गए थे और भैया आपको नीचे से ..... ( अनुज का लंड हल्का सा फड़का )
रागिनी ने आंखों से उसे मुस्कुरा कर देखा
: उसके बाद तो उसने अपनी मनमानी कर ली थी और मै उस क्षण में थी कि रोक भी नहीं सकती थी , पता नहीं उस रात तेरे पापा को बाथरूम में इतना टाइम क्यों लगा , वो तो बाद में उन्होंने बताया कि वो छिप कर राज और मुझे देख रहे थे ।
: क्या सच में ? ( अनुज का लंड तौलिए में आकार लेने लगा फिर से )
: हा लेकिन उन्होंने कहा कि मै राज को इस बारे में न बताए ,
: फिर ?
: फिर उस रोज के बाद से मै उससे बचती रही हूं , याद है जब तेरे नाना आए थे तब भी मैने जानबूझ कर बाउजी को अपने कमरे में सुलाया था
: हा ( अनुज तो जैसे अपनी मां की गढ़ी कहानी में यकीन करना चाहता हो )
: फिर सब सोनल की शादी की तैयारियों में जुट गए और तब कही मुझे चैन मिला , लेकिन तेरी जिद की वजह से वो जो थोड़ा सुधर गया था फिर से आज बिगड़ गया
: सॉरी मम्मी
: तो क्या हुआ अपने भैया को समझाया आज
: मै क्या उसे समझाती उसने तो उल्टा मुझे ही बहका दिया
: बहका दिया मतलब ?
: अरे तू नहीं समझेगा , इतने दिनों में मुझे भी उसका टच करना, सताना अच्छा लगने लगा , गलत ही सही लेकिन उसका मेरे लिए ऐसे पागल होना अच्छा लगता । लेकिन है तो फिर भी मेरा बेटा ही उसे सही रास्ते पर लाना ही है न
: हा तो आज क्या किया भैया ने ( अनुज की दिलचस्पी मेन बात पर थी )
: वही उसका प्यार भरा हग जो पीछे से वो करता है , ऐसे कंधे पर यहा अपना चेहरा रख लेता है फिर गाल और कान के पास अपनी दाढ़ी से गुदगुदी करता है ( रागिनी इशारे से बताने लगी और अनुज कल्पनाएं गढ़ने लगा ) फिर पेट को सहलाता है ,मना करने पर भी नहीं मानता और जैसे तेरे पापा को ही देख देख कर सब सिखा हो, मेरी छाती पकड़ लेता है और उन्हें ऐसे दबाता है जैसे घुला घुला कर दशहरी आमों से रस निकालना है उसे
रागिनी की बातें सुनकर अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था अब
: फिर ?
: एक तो इतने दिन से तेरे पापा नहीं है और उसने ऐसे टच किया तो क्या होगा , मेरा भी मन नहीं है क्या ? कानो में फुसफुसा फुसफुसा कर ऐसी जगह छुआ कि मै बहक गई , उसको रोक ही नहीं पाई उसने मुझे जैसे अपने वश में कर लिया था , साड़ी खोलकर वही दुकान वाले केबिन में चौकी पर सुला दिया और
: और क्या ( अनुज का लंड और दिल दोनों थे से पंप हों रहे थे )
: इतनी बार उसने तेरे पापा को देखा था मेरे साथ वो सब करते हुए कि उसे जैसे मेरे रग रग की कमजोरी मालूम हो , कहा पकड़ना है कहा दबाना कहा चूमना है
: फिर ( अनुज मुंह पानी से भरने लगा )
: उसने नीचे मुंह लगा दिया , बहुत रोका लेकिन मना नहीं
: क्या वहा पर ( अनुज ने आंखों से अपनी मां के गोद में इशारा किया और रागिनी ने हा में सर हिलाया )
: हम्म्म और फिर मै खुद को सम्भाल ही नहीं पाई , जैसे चाहा उसने अपनी मनमानी की और फिर मुझे फुसला कर एक वादा ले लिया
: क्या ?
: यही कि आज रात वो मेरे साथ सोएगा अकेले
अनुज इसका मतलब समझ गया था और उसका लंड अब पूरी तरह तन कर तौलिए में उठ गया गया रॉड की तरह
: तो क्या आप जाओगे ?
: तू बता न क्या करूं ? इससे उसका मन और नही बढ़ जाएगा
: मै ... मै क्या बोलूं , आ आपको जो सही लगे ( अनुज की हालत खराब थी आने वाले रोमांच को सोच कर )
: तू तेरे पापा से नहीं कहेगा न ... ( रागिनी ने अनुज से उम्मीद जाहिर की और उसकी बोली ऐसी थी कि जैसे अंदर से वो यही चाहती हो ऐसा अनुज समझे )
: तो क्या आपका भी मन है ? ( अनुज का लंड एकदम टाइट होकर दर्द होने लगा था )
: अगर तू कहेगा तो नहीं जाऊंगी ( रागिनी ने मुंह बना कर कहा )
अनुज को भी थोड़ी सी उम्मीद नजर आने लगी थी राज के भरोसे और शायद यही एक तरीका था कि वो आगे बढ़ पाए
: लेकिन करोगे कहा ?
: तुझे उससे क्या ? ( रागिनी ने अनुज को सताया क्योंकि वो भी अनुज की बेताबी साफ साफ समझ रही थी )
: मतलब मुझे पढ़ना रहेगा न तो मै किस कमरे में रहूंगा , आप लोग तो एक कमरे में रहोगे न ?
: मतलब तुझे कोई दिक्कत नहीं है ?
: उन्हूं, बस आप मुझे बताना क्या क्या हुआ हीही ( अनुज अपना लंड खुजा कर बोला )
: वो क्या कर रहा है , फिर से बड़ा कर लिया न
: वो हो जाता है , मै नहीं करता हूं आपकी बात सुनकर हुआ है सच्ची में
: फिर से आयेगा क्या ?
: उन्हुं अभी नहीं ( अनुज थोड़ा मुस्कुरा कर बोला )
: पागल कही का
: मम्मी !!
: हा बोल
: क्या पहनोगे आज रात में?
: क्यों ? यही पहनी रहूंगी ...
: बदल लेना कुछ सुबह जैसे.. ( अनुज हिचक कर बोला )
: लेकिन तुझे क्या ... हम दोनो दूसरे कमरे में रहेंगे न और दरवाजा भी बंद रहेगा ( रागिनी ने अनुज को टटोला)
: क्यों ? बंद क्यों ( अनुज बोलते हुए रुक गया )
: तू देखेगा क्या ?
: हा , मतलब नहीं , सॉरी
: पागल कही का , लेकिन किसी से कहना मत और इसे रगड़ना मत
: क्या ?
: वही जो तूने खड़ा कर रखा है इसमें ( रागिनी ने मुस्कुरा कर कहा और अनुज उसे छिपाने लगा )
: नहीं तो , अब छोटा हो गया है
: दिखा जरा खोल के
अनुज थोड़ा शर्माने लगा
: अरे खोल न , जैसे मैने तेरा कभी देखा ही नहीं
अनुज खड़ा होकर तौलिया खोल दिया और उसका बड़ा मोटा लंड जो उसने पिछले साल भर से अपने भैया के कहने के बाद रोज रात में तेल लगा लगा कर मालिश करके बड़ा किया था वो रागिनी के सामने था
: ये क्या है
: वो तो आप ऐसे कहोगे तो दिखाने को तो बड़ा नहीं होगा हीही
रागिनी बड़े गौर से अनुज के लंड पर उभरी हुई नशे देख रही थी कि कैसे एक बार इतना ज्यादा झड़ने के बाद भी उसका लंड की कसावट और तनाव में कोई कमी नहीं है
: मम्मी एक बात पूछूं?
: हा क्या बोल न ?
: आपने कभी भैया का चूसा है
रागिनी ने आंखे उठा कर देखा और मुस्कुराई
: बोलो न
: हा वो रज्जो दीदी ने कहा था कि राज हाथ से हिला कर उसका साइज खराब करे उससे अच्छा है कि तू उसका चूस दिया करे , रज्जो दीदी भी ऐसा ही करती थी रमन का । इससे कुछ दिन के लिए वो शांत हो जाता था लेकिन तेरा भैया तो सांड है , हर पल तैयार होता है हीही
: मम्मी इसको टच करो न
: क्या इसे ( वो अनुज के लंड को इशारा कर बोली )
: हम्ममम
रागिनी ने एक बार बाहर दुकान में देखा और अनुज का लंड पकड़ लिया और दोनों हाथों से सहलाने लगी
: अह्ह्ह्ह मम्मी कितना सॉफ्ट है आपका हाथ उफ्फफ , मम्मी क्या मौसी भी रमन भैया से वो सब करवाती होंगी उम्मम
: क्या ?
: सेक्स
: पता नहीं बेटा ... कभी पूछा नहीं मैने ( रागिनी अनुज का लंड देखते हुए बस उसको सहला रही थी और अनुज सिसक रहा था )
: पूछना प्लीज
: क्यों जानना है तुझे
: बस ऐसे ही ओह्ह्ह सीई मम्मी
: क्या हुआ बेटा
: चूस दो न मेरा भी प्लीज , बस एक बार
रागिनी ने उसका लंड हाथ में थामे हुए आंखे उठा कर उसे देखा और मुस्कुराई
: किसी से कहेगा तो नहीं न
: उन्हूं नहीं मम्मी किसी से अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह कितना सॉफ्ट है आपका लिप्सी उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई उम्ममम अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
रागिनी ने नीचे बैठ कर अनुज का सुपाड़ा मुंह में ले लिया और चूसने लगी
: उफ्फ मम्मी कितना अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह और डालो अन्दर उम्मम अह्ह्ह्ह्ह कितना रसीला लग रहा है गिला गिला सा उफ्फफ इतना अच्छा लगता है क्या इसमें ओह्ह्ह्ह उम्ममम तभी पापा आपको रोज करते है उम्ममम सीईईई कितना अच्छा कर रही हो ओह्ह्ह्ह और चूसो उम्मम मम्मी
अनुज तो जैसे सातवें आसमान पर था और उसका लंड रागिनी मुंह में बहुत हौले हौले सहला सहला कर चूस रही थी और अनुज को नशा हो रहा था
: उम्मम मम्मी प्लीज मुझे भी रात में देखने दो न , प्लीज
: उम्ममम लेकिन मुझे शर्म आएगी न , तू देखेगा तो ( मुंह से लंड निकाल कर सहलाती हुई वो बोली)
: प्लीज न मम्मी , बस देखूंगा भैया कैसे करेगा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मी और और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह मम्मी आयेगा फिर से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह गॉड निकालो बाहर आ सीई ओह मम्मीई ये क्या मुंह में ही ले रहे हो आप ओह्ह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छे हो आप सीईईई आह्ह्ह्ह लेलो मेरा भी पी जाओ उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
अनुज रागिनी के मुंह में ही झड़ने लगा और रागिनी ने सरा रस निचोड़ लिया और अनुज हंसने लगा , और रागिनी ने भी मुंह साफ करने लगी
दो बार झड़ कर अनुज को सुस्ती सी होने लगी और वो वही लेट गया , नए सपने सजोने के लिए , वही रागिनी उठ कर अपना मुंह साफ कर दुकान के काम देखने लगी ।
जारी रहेगी
( अपडेट पोस्ट करने का समय नहीं मिल पाया थोड़ी व्यस्तता की वजह से उम्मीद करता हूं आज के अपडेट का इंतज़ार रसीला होगा , पढ़ कर लाइक कमेंट जरूर करें )
Accha update hai ab toh banwari k Ghar ka gangbang dekhna haiअध्याय 02
UPDATE 028
प्रतापपुर
रंगी और बनवारी टहल कर दातुन कूंचते हुए वापस आ रहे थे और आंगन में दाखिल होते ही रंगी ने बबीता के कमरे के दरवाजे पर कुछ आहट देखी जैसे कोई तेजी से कमरे में गया हो
सुबह सुबह उसकी नंगी जांघें और बबले जैसे चूतड़ों देख कर लंड फनकार मार रहा था और एकदम से बबीता का ख्याल आते ही उसका लंड फिर से सर उठाने लगा
: बाउजी , जरा कुछ देर गीता को देखेंगे क्या ?
: क्या हुआ
रंगी ने बस एक शरारत भरी मुस्कुराहट से बनवारी को देखा और बनवारी समझ गया
: ठीक है , देखूं अभी वो उठी नहीं होगी , रात देर से सोई बेचारी
: हा जोश जोश में थोड़ा ज्यादा हो गया था उसके साथ
: हाहाहा, अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू , दिन भर आराम करने दो रात तक फिर तैयार हो जाएगी । जाता हूं मै और आप भी हाहाहा
रंगी भी हस कर कुल्ला कर निकल गया दबे पाव बबीता के कमरे की ओर , एक नजर कमरे के बाहर से पूरे बरामदे और आंगन में नजर घुमाया और फिर झटके से बिना कोई आहट के कमरे में दाखिल हो गया और कमरे का दरवाजा बंद कर सिटकनी लगा दी
: सीईईई बहिनचोद अंदर से तो ये अपनी मां जैसी गोरी है , पूरी दूध की रबड़ी है अह्ह्ह्ह ( रंगी ने पजामे के ऊपर से अपना लंड मसल कर सामने देखा )
सामने गीता सिर्फ एक काली पैंटी में नंगी खड़ी थी , उसके गीले बाल बड़े चमक रहे थे और गुलाबी रबड़ी जैसा बदन बड़ा ही रस भरा था , पैंटी में उसके छोटे छोटे चूतड़ों को देख कर रंगी का मुंह लार छोड़ रही थी
रंगी ने अपना पजामा खोला और अंडरवियर से लंड निकाल कर उसको सहलाने लगा और चमड़ी पीछे कर सुपाड़ा खोल दिया
वो भी एकदम लाल गुस्से थे , मानो रात में उसे धोखा मिलने से कितना नाराज हो
नसे टाइट और गर्म हो गई थी।जैसे ही बबीता आलमारी से अपने स्कूल के कपड़े निकाल कर घूमी एकदम से रंगी को अपने सामने पाकर चौक गई और उसने बड़ी बड़ी आंखों से रंगी को अपने सामने अपना बड़ा सा लंड हाथों में ले कर सहलाते देखा
फिर वो कपड़े से अपनी मौसमी जैसे चूचे छुपाने लगी : फूफा जी आप यहां? प्लीज जाओ कोई देख लेगा
: कोई नहीं आएगा , बस तू इसे जल्दी से ठंडा कर दे , रात से तड़प रहा हूं बेटा
रात की बात करते ही बबीता का मुंह बन गया , जब उसे रात में गीता बनवारी और रंगी की करतूत का ख्याल आया कि कैसे रंगी ने उसे तड़पा कर खुद गीता के साथ मजे करने लगा था ।
: नहीं !! मुझे स्कूल जाना है लेट हो रहा है आप जाओ
: क्या नहीं नहीं ( रंगी झट पट उसकी ओर लंड लेकर आ गया एकदम उसके करीब ) अह्ह्ह्ह्ह इसे छू तो देख क्या हाल है इसका ( उसने बबीता का हाथ पकड़ कर रख कर अपने लंड पर )
जैसे ही उसने रंगी का मोटा तपता लंड पकड़ा वो सिहर उठी अन्दर से मानो उसके जिस्म की सारी गर्मी वो लंड खींच रहा हो ।
रंगी ने उसके लंड पकड़ा कर जैसे भुलवा ही दिया था और उसके हाथ से कपड़े लेकर उन्हें बिस्तर पर फेंक दिया
: उफ्फ बेटा हाथ ऐसे ही छू उसे सीई ओह्ह्ह तेरे हाथ कितने मुलायम है सीई ओह्ह्ह
: बहुत गर्म है फूफा जी ये उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह
रंगी ने अपना हाथ उसके पीछे चूतड़ों पर ले जाकर उन्हें टटोलने लगा और उन्हें पंजे में भरता हुआ सिहर रहा था जैसे जैसे बबीता उसके लंड की चमड़ी आगे पीछे कर रही थी
रंगी ने झुक कर उसके नरम ताजे होठ को अपने होठ से लगा दिया और जैसे कोई मीठी चासनी उसके मुंह में घुलने लगी हो और उसने बबीता को अपने आगे कर अपने दोनों पंजे पीछे ले जाकर उसके पैंटी में घुसाते हुए उसके लचीले चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
रंगी के ठन्डे पंजों का अहसास पाकर बबीता अपनी एड़ियां उठाने लगी और रंगी का लिप्स चूसने लगी दुगने जोश से , उसका हाथ अभी भी रंगी का लड़ आगे से सहला रहा था
रंगी अपने हाथ उसकी पैंटी से निकाल कर सामने से उसके नंगी मौसमी जैसे कड़क चूचे पर ले गया और झुक एक को मुंह में भर लिया
: अह्ह्ह्ह मम्मीइई सीईईई अह्ह्ह्ह्ह आराम से फूफा जी
रंगी एक बार में उसकी पूरी की पूरी चुची को मुंह में भर लिया और होठों से अंदर खींचते हुए जीभ से उसके मटर के दाने जितने निप्पल को फ्लिक करने लगा , बबीता तड़प उठी और अभी भी रंगी का दूसरा पंजा उसके चूतड़ों में गड़ा हुआ था उसे फैला रहा था नोच रहा था
उसके हथेलियों को जैसे बबीता के चूतड़ों की नरमी उसकी लचीली चर्बी भा गई थी और उसे उन्हें नोचने में बड़ा सुख मिल रहा था और वो बबीता को लेकर भीतर पर बैठ गया और उसे अपनी जांघो पर सुला दिया
: सीईईई गुड़िया तेरी गाड़ बहुत नरम है रे उफ्फफ एकदम रबर जैसी
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई फूफा जी नोच क्यों रहे है अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: तू आई क्यों नहीं रात में , कितनी देर तक राह देखी मैने
रंगी उसकी पैंटी खींच कर उसके चूतड़ों को नंगा करता हुआ बोला , अब तो बबीता के बुर की गीली फांके भी साफ साफ झलक रही थी
: बक्क झूठ मत बोलो , गंदे हो आप , मुझे बुला कर खुद चले गए थे
: कहा गया था बता तो ? उम्मम देखा तूने मुझे ( रंगी अपने नाखूनों ने उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को खरोचता हुआ बोला और बबीता ने अपने चूतड़ों को टाइट कस लिया )
: हम्ममम देखा था आपको दादू के कमरे में सीईईई ओह्ह्ह मार क्यों रहे हो मम्मीइई दर्द हो रहा है
: क्या बोली तू उम्मम ( रंगी उसको अपनी गोद में लिटाया हुए उसके चूतड़ों को पकड़ कर नोचते हुए बोला ) फिर से बोल
: सीईईई ओह्ह्ह बोल रही थी कि मैने अह्ह्ह्ह मम्मीइई क्या कर रहे हो आप उफ्फफ
रंगी ने उसके गाड़ के गुलाबी सुराख पर थूक लगा कर उंगली से छेड़ रहा था और बबीता की हालत खराब हों रही थी।
: बोल क्या देखा तूने उम्मम
: वो आप और दादू गीता के साथ वो सब कर रहे था अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह मम्मीई मार क्यों रहे है आप उफ्फ
: तेरी गाड़ इतनी चर्बीदार है कि रहा नहीं जा रहा है सीईईई चल मेरा लंड चूस कर ठंडा कर दे इसे
: नहीं जाओ उसी से चुसवाओ आप हा नहीं तो
रंगी ने उसे नीचे बिठा दिया और खुद खड़ा होकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके होठों पर लंड पटकने लगा : देख अब परेशान मत कर , कल से तेरे गाड़ देख देख कर हाल बुरा है चाट न
बबीता रंगी के गर्म लंड की थपेड़ से सिहर रही थी और मुंह खोलकर जीभ बाहर निकल दी , जिसपर रंगी अपने लंड को पटक रहा था
: ओह्ह्ह तू और तेरी बहन दोनों एक नंबर की चुदासी हो
: चुदासी मतलब ( उसने एकदम से रंगी का लंड पकड़ लिया)
: जिसे चुदवाने में मजा आता हो , आता है न तुझे
बबीता ने बिना कुछ बोले रंगी का सुपाड़ा मुंह में ले लिया और आंखे बड़ी कर हुंकारी भरते हुए सर हिलाया जिसे देख कर रंगी का लंड और अकड़ गया
: ओह्ह्ह्ह ले और ले अंदर सीईईई तू तो पूरा घोंट सकती है लेह बेटा चूस जा इसको पूरा उम्ममम सीईईई कितना सॉफ्टी है तेरे होठ उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ ( रंगी ने देखा कि बबीता ने उसका लंड छोड़ दिया और पीछे हो गई , उसका लंड हवा में तना हुआ सांस ले रहा था )
बबीता कुछ नहीं बोली बस अपनी जगह पर घुटने फोल्ड कर बैठी हुई थी नंगी फर्श पर और आगे झुक कर बिना रंगी के लंड को हाथ लगाए अपनी कलाबाजी दिखाती हुई सिर्फ होठों से उसके लंड को सुरकना शुरू किया और देखते ही देखते पूरे आड़ तक लंड को गले में उतार लिया
: ओह्ह्ह बेटा उफ्फफ इतना अंदर सीईईई ( रंगी बबीता को लंड पूरा अंदर घोट कर बाहर उगलते हुए देखा )
बबीता ने अपने होठों से रिसते लार को उंगलियों से साफ कर वापस से अपना मुंह लंड की ओर के गई और वही प्रक्रिया को दोहराते हुए आड़ तक लंड को गले में उतारा और ज्यादा भरने की कोशिश करते हुए उगल दिया
रंगी का लंड उसके लार से लिभड़ाया हुआ सना हुआ चमकने लगा
बबीता ने वापस से उसका लंड दोनों हाथों में लेकर सहलाते हुए सुपाड़े को चूसने लगी
रंगी उसकी कलाबाजी से रोमांचित हुआ जा रहा था ये सोच कर कि कैसे बबीता को उसका bf ट्रेन कर रहा है।
: ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम चूस सीईईई अह्ह्ह्ह तूने तो दिन बना दिया है ओह्ह्ह्ह उम्ममम
बबीता लगातार उसका लंड चुभलाए जा रही थी और रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
उसने बबीता को खड़ा कर घुमाया और झुका कर वापस से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
: उफ्फ फूफा जी आराम से अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीइई ओह्ह्ह्ह
: तेरी मम्मी नहीं आने वाली चोदने तुझे , मै पेलूंगा बोल लेगी लंड उम्मम( रंगी उसकी बुर में उंगली पेलने लगा और बबीता की सिसकिया तेज होने लगी )
: अह्ह्ह्ह हा हा डाल दो ओह्ह्ह्ह घुसा दो फूफाजी उम्ममम मुझे लेना है उफ्फफ मै ऐसे ही झड़ जाऊंगी अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीईइईई
रंगी ने हाथ खींच लिया और उसकी लार से लिभड़ाए लंड को पकड़ कर पीछे से ही उसकी बुर के फांके में डालने लगा
: आह्ह्ह्ह नहीं टाइट है निकालो सीईईई मम्मीइई
: चुप नाटक मत कर ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी बुर है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह सच में कितनी कसी है
: उम्ममम फूफा जी फट जायेगा ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: बस बेटा हो गया उफ्फफ कितनी मुलायम बुर है तेरी देख पूरा घुस गया न बहुत जगह होता है इसमें ओह्ह्ह्ह कितना तप रहा मेरा लंड ओह्ह्ह्ह ( रंगी ने पूरा लंड पीछे से बबीता की बुर के फांके में भर दिया था और अंदर से चूत की दीवारें उसके लंड को जला रही थी )
रंगी का मोटा तपता लंड पाकर बबीता ने भी उसके बुर से कस लिया और फांके टाइट करने लगी
: उम्मम बड़े पैंतरे सीख रखे है तूने , लेकिन ये पकड़ मेरे लंड पर नहीं बना पायेगी ओह्ह्ह लेह अब इसे रोक कर दिखा उम्ममम रोक न उम्मम क्या हुआ बोल
जैसे जैसे रंगी ने अपनी कमर हिला कर लंड को उसके बुर में आगे पीछे करने लगा वैसे वैसे बबीता की टाइट फांके खींचने लगी अंदर बाहर की ओर और बबीता का जिस्म अंदर से मचल उठा और उसने अपनी बुर को ढीला छोड़ दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना बड़ा है आपका फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई फक्क मीईईई सीई ओह्ह्ह्ह उम्ममम जल्दी करो मुझे लेट हो रहा है
: जल्दी चाहिए उम्मम तो ये ले और कस कस के ( रंगी मुंह भींचता हुआ उसके पतली सी कमर को पकड़ कर तेजी से आगे पीछे होकर लंड को उसके बुर में पेलने लगा
उसकी चीखे दुगनी हो गई और जितना वजन था बबीता का वो तो सच में कोई गुड़िया ही थी जिसे बस रंगी अपने लंड पर खूब तेज तेज हमच कर झुला रहा था
ताबड़तोड़ पेलाई करते हुए रंगी के लंड की नसों ने बबीता की गर्म बुर और कसी फांकों का घर्षण झेल नहीं पाए और रंगी ने उसको छोड़ दिया
बबीता झट से नीचे आई और रंगी ने अपना लंड पकड़ कर तेजी से सहलाते हुए सुपाड़े का मुंह उसके ओर कर दिया और फिर एक के बाद एक मोटी थक्केदार गर्म पिचकारी छूटने लगी , जो सीधा बबीता के मुंह पर जा रही थी: ओह्ह्ह् सीईईई ओह्ह्ह ले पी जा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
रंगी लंड अंत तक अच्छे से आखिरी बूंद तक निचोड़ दिया और आंखे खोल कर देखा तो बबीता उसके वीर्य से पूरी सन गई थी ,लेकिन उसके चेहरे पर इसके लिए जरा भी सिकन नहीं थी वो अपने रसीले मम्में से छिटे साफ कर रही थी और हांफती हुई हस रही थी
रंगी भी हंसता हुआ हांफता हुआ बिस्तर पर बैठ गया : वैसे तेरी छुट्टी कभी होगी ?
: 2 बजे तक क्यों ?
: कुछ नहीं ( रंगी ने मुस्कुरा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे )
: बबीता उठ कर तौलिया से अपना मुंह पोछने लगी और रंगी वही उसके बिस्तर पर पसर गया ।
सुबह सुबह एक सुकून भरी मुस्कुराहट थी उसके चेहरे पर और वो गहरी ठंडी सांसे भरने लगा ।
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इनसब से अलग रज्जो अपने सफर पर किन्हीं ख्यालों में खोई हुई मुस्कुरा रही थी , जिन्हें सोच कर ब्लाउज में उसके निप्पल तन गए थे और पूरे बदन में जड़कन सी होने लगी थी ।
शिला का घर छोड़े घंटे भर से अधिक हो गए थे । तभी उसका मोबाइल फिर से बजा
" मै लोकेशन पर आ गया हूं "
रज्जो ने मुस्कुरा कर बस "ओके" कहा और फोन काट दिया और अपने बदन एक गर्माहट महसूस की जो उसके जकड़ी नसों को हल्के हल्के खोलते हुए पूरे बदन में कसमसाहट पैदा करने लगी , रज्जो ने नथुनों से गहरी लंबी सांस ली और मोबाइल में छिप कर वो तस्वीरें देखने लगी जिससे उसे कल दुपहर में निकाला था ।
शिला के गांव की वाले घर के लिए जाने वाले बाग में झाड़ियों की ओर शिला अपनी साड़ी उठा कर किसी को दूर से अपने बड़े बड़े रसीले चूतड़ों के दर्शन करवा रही थी और पेड़ की ओट के छिप कर कोई उसे देख कर अपना बड़ा मोटा खीरे जैसा लंड हिला रहा था ।
" ये किसका नंबर है "
" मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है "
" देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा "
" मेरा क्या फायदा ? "
" क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम "
" ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी , बड़ी मम्मी से भी नहीं "
" हा नहीं कहूंगी , बता अब "
" वो ... गांव में एक घर है न.. दादा जी घर की तरफ जाते हुए , वही इसका घर है "
" हा लेकिन है कौन , तेरी बड़ी मम्मी का आशिक क्या , हाहाहाहा "
" नहीं ये भी बड़ी मम्मी का कस्टमर है "
" कस्टमर है ? मतलब ? "
" मतलब ... ये भी बड़ी मम्मी की सेक्स स्ट्रीम देखता है और सबसे ज्यादा पैसे भी यही देता है "
" ओहो , वैसे है कौन ये बड़ा तंग कर रखा है इसमें तेरी बड़ी मम्मी को उम्मम बता थोड़ी खबर लें लूं इसकी "
" नहीं उसके यहां कोई नहीं जाता , न लेडीज न जेंट्स "
" क्यों ? "
" वो ... वो सेक्स करता है लोगो से पैसे लेकर "
" खुद मर्द होकर मर्दों से करता है ? "
" नहीं वो आदमी नहीं "
" फिर ? "
तभी रज्जो के मोबाइल पर एक मैसेज आया और मोबाइल की घरघराहट ने उसकी आंखे खोल दी । रज्जो अपने अतीत से बाहर आई और मोबाइल चेक किया तो उसके व्हाट्सअप पर एक छोटा वीडियो क्लिप था , ये वही नंबर था जिसके साथ अभी उसने बात किया था और वो नंबर "मुस्कान" नाम से सेव था ।
रज्जो ने आस पास देखा और चुपके से बस में छिप कर वो वीडियो खोली और सामने वीडियो में रसीला माल देख कर रज्जो की बुर कुलबुलाने लगी
उस वीडियो में मुस्कान खुद था , उसने जो रूम बुक किया था उस कमरे में पूरा नंगा होकर सेल्फी कैमरे से अपनी वीडियो बना कर भेजी थी
उसके बड़े बड़े रसीले मम्में एकदम टाइट और कड़े थे और नीचे उसके हाथों में उसका 8 इंच लंबा मोटा खीरे जैसा लंड था जैसे वो सहला रहा था
" COME FAST , WAITING FOR YOU SEXY"
रज्जो वो वीडियो देख कर झट से मोबाइल स्क्रीन ऑफ कर दी और मुस्कुरा कर एक गहरी सांस लेते हुए बस की सीट पर बैठे हुए अपने पैर टाइट कर अपने कूल्हे कमर में उठती जकड़न को सही करने का सोचा । उसके नथुने से गर्म आग जैसी सांसे उफना रही थी , रोम रोम खड़ा होकर मस्त हो गया था ।
याद आ रहा था वो पल जब उसने मुस्कान को कल दुपहर में शिला की गाड़ देख कर लंड हिलाते हुए पकड़ा था , शिला तो मौके से फरार हो गई थी लेकिन मुस्कान रज्जो के हाथ लग गया ।
: कहा भाग रहे हो राजा
: छोड़ो मुझे , देखो तुमसे मुझे कोई मतलब नहीं
: सीईईई ओह्ह्ह्ह कितना टाइट कर रखा है ( रज्जो ने उसकी सलवार के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ ली जो अभी भी टाइट था पूरा)
: देखो तुम मेहमान हो सेठानी के घर के तो मै कुछ नहीं करना चाहता, जाओ यहां से किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी ।
: चली जाऊंगी , लेकिन मुझे ये चाहिए
: नहीं मिल सकता , प्लीज तुम जाओ
फिर वो मुस्कान रज्जो से हाथ झटक कर निकल गई और रज्जो ने बीच रस्ते में ही खेतों की मेड से उसे गांव की ओर जाते देखा और फोन मिला दिया
: हैलो
: हाय तेरे चूतड़ भी कम कातिल नहीं है
मुस्कान ने पलट कर देखा और चिढ़ कर फोन पर कान से लगा कर
: क्या चाहती हो तुम
: वही जो तू चाहता है
: लेकिन मेरा रेट बहुत महंगा है
: दाम मै दे दूंगी लेकिन पहले जगह fix कर ले
: है एक जगह , बड़े शहर में एक होटल है
: सेफ है ?
: हा एकदम , लेकिन होटल का डबल चाहिए मुझे । आने जाने में खर्चा होता है मुझे ।
: ठीक है , डन और सुन
: क्या ?
: आज की स्ट्रीम देख लेना हीहीही
रज्जो बीते पलो की यादों से मुस्करा रही थी कि उसकी बस उसके स्टॉप पर आकर रुक गई और रज्जो अपना बैग लेकर नीचे उतर गई
मोबाइल फोन पर वापस से मुस्कान का नंबर डायल कर निकल दी । उसके होटल की ओर जहां वो उसकी राह में अपना बड़ा सा लंड सहला रहा था ।
जारी रहेगी
( बड़े निराश होने वाली बात है कि बार बार सबको कहना पड़ता है कि लाइक रेवो करो , 74 वोट है और लाइक कमेंट मुश्किल से 20 आते है । लिखने का मूड भी रहे तो रिस्पांस देखकर मन नहीं करता )
Kahani mein Kya twist Aya hai aur waise yeh semale muskan hai Kaunअध्याय 02
UPDATE 29
चमनपुरा
कालेज के गार्डेन में आज कुछ अलग ही नजारा था , पेड़ के नीचे उसके शाखाओ से छन कर आती सर्दियों की मीठी धूप में कृतिका और अनुज आस पास ही पैर के साथ साथ अपनी किताबें खोले बैठे थे । उनके साथ साथ कालेज के लगभग सभी सहपाठी जानते थे कि उनकी पढ़ाई तो नहीं चल रही थी ।
: नहीं वो मेरी रियल मॉम नहीं है
: रियल नहीं है मतलब ( अनुज ने उत्सुकता से कृतिका की ओर देख कर बोला )
: पापा ने दूसरी शादी की है , मॉम उनके ऑफिस की लीगल अटर्नी है ( अनुज थोड़ा दिमाग लगा कर समझने की कोशिश करता है तो कृतिका मुस्कुरा कर ) अरे मतलब उनके ऑफिस के कानूनी कामकाज देखती है वो
: ओह ... फिर तुम्हारी अपनी मम्मी ? उनका क्या हुआ ?
: वो हमारे साथ नहीं रहती , उनका तलाक हो गया है और वो मायके रहती है काफी साल हो गए ।
: ओह्ह्ह सॉरी !!!
: अरे इसमें सॉरी जैसा क्या ? नई मॉम भी अच्छी है , उन्होंने ने कभी भी ये अहसास नहीं होने दिया कि हम उनके बच्चे नहीं है और हम मेरी मम्मी की बात नहीं करते अब कोई नहीं करता ।
: लेकिन तुम्हारी मॉम और पापा कल रूम में ... सॉरी ( अनुज थोड़ा हिचक कर बोला और चुप हो गया )
: हम लोगों उनकी लाइफ में इंटरफेयर नहीं करते ... दीदी ने एक बार बताया था कि शादी के पहले भी पापा मॉम को ऑफिस टूर पर साथ ले जाते थे तो वहा कंपनी डील में वो ऐसे ही क्लाइंट के साथ कैजुअल होती थी । इससे पापा को बहुत फायदा था बिजनेस में ...
अनुज के पैंट में लंड अपने पाव पसारने लगा ये सोच कर कि लाली की नई मम्मी ना जाने कितने लंड से चुदी होंगी ।
: तो क्या हर हफ्ते ही तुम्हारे यहां लोग आते है ऐसे ?
: नहीं .... इस बार तो काफी दिन बाद हुआ है , ज्यादातर वो लोग होटल प्रेफर करते है या ऑफिस में ही ( कृतिका बोलती हुई चुप हो गई )
अनुज भी थोड़ा देर चुप हो गया
: कुछ और बात करो न अनुज , मुझे ये सब कहना अच्छा नहीं लगता
: सॉरी !! ( एक फीकी मुस्कुराहट से अनुज ने लाली को देखा ) तुम कुछ पूछ ही नहीं रही मुझसे ?
: अरे नहीं , सब तो जानती हूं तुम्हारे बारे में
: हा वो तो पता है मुझे ( अनुज की मुस्कुराना )
: वैसे तुम बहुत लकी हो , तुम्हारी फैमिली बहुत प्यारी है । मम्मी जी ... मतलब आंटी जी ( लाली की जुबान फिसली और उसके होठ खिल गए ) वो भी बहुत प्यारी है ।
: हम्मम , वैसे एक बात बताऊं
: क्या ?
: भैया ने परसो पुल पर मिलने वाली बात मम्मी से बता दी थी ,कह दिया था कि मै एक लड़की से बात कर रहा था
: क्या ? फिर क्या हुआ ? ( लाली थोड़ी घबराई )
: अरे कुछ नहीं , मम्मी हस रही थी और भैया को पता है हमारे बारे में तो वो मुझे परेशान करता रहता है हीही
: क्या सच में ?
: हम्ममम , वो तो चाहते है कि मेरी शादी भी तुम्ही से हो
: क्या हीहीही
: क्यों नहीं करोगे ( अनुज ने धड़कते दिल से कहा , उसे डर था कुछ )
: यार अभी हम 10th में है
: हा तो ?
लाली का चेहरा शर्म से गुलाबी हो रहा था लेकिन एक उदासी सी छाने लगी और आंखे उसकी डबडबा गई
: अरे क्या हुआ ( अनुज थोड़ा फिकर में बोला )
: मैने नहीं सोचा था कि तुम मुझे इस कदर अपना लोगे , सॉरी ( लाली अपने अतीत के गिल्ट में बोली )
: अरे फिर से , तुम भी न चुप हो जाओ , यहां मै हग भी नहीं कर सकता सबके सामने यार
: बक्क हीही पागल हो तुम ( वो आंखे साफ कर हसने लगी )
: अच्छा छोड़ो चलो क्लास में चलते है आज मुझे जल्दी जाना है , मम्मी ने बुलाया है
: क्यों ?
: ऐसे ही कुछ काम है उनको
अनुज मन ही मन अपनी मां और राज भैया के बीच के होने वाले मिलन और बातचीत को लेकर जिज्ञासु और परेशान हो रहा था ।
फिर दोनों क्लास में चले गए और वही दूसरी ओर राज अपनी दुकान पर केबिन में बैठा हुआ संजीव ठाकुर से चैट कर रहा था
: kya haal chaal mere sher
: mast hun uncle , aapki trip kaisi hai
: ekdm sexy aur hotdekhna chahoge ?
संजीव के मैसेज पढ़ कर राज का लंड अकड़ रहा था और उसने हुंकारी भर दी
: ha kyo nhi
: mute krke video call uthao
राज ने कुछ सोचा और फिर वीडियो काल पिक किया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फेल गई
सामने एक मोटे चूतड़ों वाली लड़की उनके लंड पर बैठ कर रिवर्स कॉ गर्ल पोज में उनके मोटे लंड की सवारी कर रही थी
राज ने भी इशारे से उसकी तारीफ की और टेस्ट करके फोटो भेजने को कहा
तो संजीव ने शाम के पार्टी की फोटो शेयर करने का बोल कर कॉल कट कर दिया
राज अपना मोटा लंड पैंट के ऊपर से मसलते हुए सिसक पड़ा : उफ्फ साला अंकल का मस्त है ,रोज नए नए माल मिल जाते है सीईईई साला मूड बन गया । अरे अंकल से याद आया आंटी आने वाली थी आज
राज ने तुंरत काल घुमा दिया ठाकुराइन को
: हाय जानू कैसी हो
: अच्छी हूं , बस निकल गई हूं तुम तैयार हो न
: क्या सच में ?
: हा यार , प्लान कैंसिल तो नहीं करना है न ?
: नहीं नहीं , मै तो कबसे राह देख रहा हूं , जल्दी से आओ , रात से ही आपके लिए ये तरस रहा है
: कौन ?
: मेरा लंड और कौन ( राज ने सिसक कर कहा )
: धत्त गंदा , चुप कर कोई सुन लेगा
: तो जल्दी आओ न
: देख आ तो रही हूं उठा ( ठकुराइन ने वीडियो काल घुमा दिया )
राज ने वीडियो काल पिक किया और सामने देखा तो वसु एक ई रिक्शे में बैठ कर आ रही थी सड़क के हचके से उसकी रसीली छातियां खूब हिल रही थी
: हाय हाय कितना छलकाओगी आंटी सीईईई आओ जल्दी
: बस बेटा आ गई हीही पागल रखो
राज ने फोन रखा और अपना लंड सेट करता हुआ खुश होकर कमरे से बाहर आ गया , ताकि थोड़ा दुकान का काम देख ले ।
अभी सुबह के 11 बजने वाले थे तो बाजार धीरे धीरे खुल रहे थे और भीड़ भी बहुत नहीं थी
इतने में अचानक से चंदू आ गया दुकान पर
: भाई भाई , चल एक मिनट काम है
राज जो वही दुकान के बाहर खड़ा होकर वसु की राह निहार रहा था वो हड़बड़ाए हुए चंदू को देखकर खुद ही परेशान हो गया
: अरे क्या हुआ बोलेगा ?
: भाई आज बहुत मस्त मौका मिला है ? प्लीज मना मत करना देख अभी उसका फोन आया था कि उनकी मम्मी अपने सहेली से मिलने सरोजा कॉम्प्लेक्स जा रही है उन्हें वापस आने में कुछ घंटे लगेंगे ?
: हा तो ? ( राज ने मामला समझने की कोशिश करता हुआ बोला )
: भाई तू ही कल बोला न कि उसके साथ थोड़ा टाइम बिता कर तो आज वो मौका मिल रहा है प्लीज भाई
: आज ?
एक ओर राज को वसु के आने की टेंशन थी कि वो आ रही है , दूसरी ओर चंदू उसकी ही बेटी मालती को बुला रहा है । मां बेटी छोड़ो , अगर वसु और चंदू का भी आमना सामना हो गया तो उसका बना बनाया खेल बिगाड़ जाएगा और रिश्ता खत्म होगा सो अलग
: देख मैने उसे कह दिया है वो भी बस 05 मिनट में निकल जाएगी
: अबे बहिनचोद पागल है क्या ? दुकान में सामने आने वाला है , बताना चाहिए साले प्लान करता न । उसको बोल दे कि आज नहीं
: भाई अब बोलूंगा तो नाक कट जाएगी , प्लीज कुछ भी कर
: अबे साला मै क्या करु ? तू फसवा देगा ( राज की हालत खराब थी और उसने सबसे पहले चंदू को ही दुकान से हटाना ही सही समझा )
: तू भोसड़ी से पहले जल्दी से ऊपर चला जा , और वो आती है तो मै उसे भेजता हूं
: ठीक है भाई , तू ही एक मेरा सच्चा दोस्त है
: हा जा न लवडे ( राज का मूड उखड़ गया था )
चंदू तेजी से ऊपर चला गया और राज का माथा पसीना पसीना होने लगा इस सर्द मौसम में भी
तभी अगले ही पल वसु ई रिक्शे से उसके दुकान के सामने ही उतरती है और राज उसको नमस्ते करता है
: और राज कैसे हो ?
: जी अच्छा हूं आंटी जी
दोनों दुकान के नौकर के आगे औपचारिक भेट का नाटक करते है और राज उन्हें लेकर केबिन में चला जाता है ।
राज ने झट से केबिन का दरवाजा लगाया और वसु ने केबिन का माहौल और चौकी सोफा देखकर मुस्कुरा कर : हम्ममम तो ?
राज अपनी बाहों को फैला कर : पहले एक टाइट सा हग मेरी सेक्सी आंटी को
वसु मुस्कुरा कर : धत्त आंटी बोलेगा तो नहीं आऊंगी
राज : आजाओ न जान
वसु मुस्कुरा कर उसको अपने सीने से लगा ली और राज ने भी उसे कस लिया और उसके बदन की नर्म गुदाज चर्बीदार अहसास और जिस्म से आती मादक गंध को महसूस करने लगा
उसका लंड सारे टेंशन भूल कर पेंट में टाइट होने लगा और वसु भी उसे अपनी जांघो पर महसूस कर रही थी ।
: उम्मम कितना बेताब है वो, उसको बोलो सबर करे
: आप ही समझाओ मेरी तो सुनता ही नहीं ( राज ने वसु को अपनी बाहों में लिए हुए उसकी आंखों में देखा )
: तुम्हारी आंखे कितनी नशीली है राज
: और आपके होठ कितनी रसीले उम्ममम ( राज ने अपने लिप्स उसके लिप्स से जोड़ दिए )
दोनों के नरम होठ आपस ने दब गए और जैसे दोनों के जिस्म में इस जुड़ाव से बिजली दौड़ गई हो । राज ने अपने होठ खोलकर वसु के लिप्स चूसने लगा और वसु भी
राज का हाथ वसु की गदराई मोटी कमर पर रेंग रहा था जबकि वसु के हाथ स्थिर थे , बेचैनी और हवस की उत्तेजना राज में साफ झलक रही थी , किस तरह से वसु के लिप्स चूसने लगा और वसु के चूतड़ों को अपने पंजे में साड़ी के ऊपर से भरने लगा
उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई राज उफ्फफ आराम से बेटा ओह्ह्ह्ह हीही वहां गुदगुदी होती है उम्ममम उफ्फफ कितने तेज हो तुम
राज ने उसके गाल कान और गर्दन पर चूमने लगा था जिससे वसु के भीतर वासना का गुबार उठने लगा था और उसने राज को कस लिया था
: थोड़ा रुको न उफ्फ पागल
वसु ने उसे अलग किया और राज मुस्कुरा कर उसे चौकी लगे बिस्तर पर बैठा कर
: क्या लेंगी आप ? क्या मंगाऊ मै ?
: अभी कुछ नहीं , बस तुमसे बात करने आई हूं ( वसु उसका हाथ अपने दोनों पंजों में पकड़कर जैसी कोई प्रेमिका हो राज के कंधे पर सर रख कर सोफे से टेक ले किया )
: हा तो कहो न मेरी जानू
: हीही पागल
: मै क्या कहूं तुम कुछ बताओ न
: मै तो सारी रात बस आपके इन रसीले दूध के सपने देखता रहा ( राज ने हाथ छुड़ा कर वसु के पल्लू के नीचे से ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुची सहला कर कहा )
राज का स्पर्श पाकर वसु सिसक पड़ी आंखे बंद कर
: आंटी
: हा बेटा
: आपके दूध बहुत मोटे है और सेक्सी भी ( राज पल्लू के नीचे दोनों चूचों पर ब्लाउज के ऊपर से हाथ फिरा कर छू रहा था )
: तू नहीं मानेगा न
: क्या आंटी ( राज ने अपने लिप्स और नथुने वसु के ब्लाउज के उभारों पर रख कर घुमाने लगा )
: सीईईई मुझे आंटी बुलाना
: उम्मम क्यों अच्छा नहीं लग रहा क्या आंटी उम्ममम आऊमम सीईईई ( राज ने वसु के चूचे पर ब्लाउज के कपड़े के ऊपर से दांत लगाने लगाने लगा और जीभ से गिला करने लगा मानो उसे वसु की निप्पल मिल गई हो )
: अह्ह्ह्ह पागल काट क्यों रहा है उम्ममम सीईईई कितना तड़पा रहा है उम्मम इधर आ
फिर वसु ने उसे खींच कर उसके लिप्स चूसने लगी और राज का हाथ उसके दोनों रसीले मम्में सामने से पकड़ कर कस कस कर मिजने लगा ।
फिर उसके लिप्स को छोड़ कर उसके गर्दन और सीने की ओर बढ़ने लगा ,
वसु की गर्म सांसे और मादक सिसकियां उठने लगी वो राज के सर को सहला रही थी और राज ने उसके छातियों से साड़ी हटा दिया और उसके दूधिया सीने पर अपने होठ नथुने घिसने लगा ,
राज के नथुनों से निकलती गर्म सांसे अपने गुदाज मुलायम चूचे पर महसूस कर वसु मचल उठी थी और उसने राज का सर अपने छातियों में दबा दिया
राज भी ने अपने नथुने उसके गदराई मोटी मोटी चूचियो में घुसा दी और जीभ से उसके क्लीवेज को चाटने लगा
वसु सिसकने लगी और राज उसकी मुलायम चूचे मसलने लगा
: उफ्फ आंटी आपके दूध कितने मुलायम है , ब्रा नहीं पहनी हो न आप
: पहनना ही क्यों , मै तो पैंटी भी नहीं पहन कर आई हूं , सोचा एक्स्ट्रा क्यों डालू सीईईई ओह्ह्ह बेटा आराम से ओह्ह्ह्ह तेरे अंकल की पसंदीदा ब्लाउज है ये डीप नेक वाली
: सच में आंटी .... ( राज सामने से वसु के ब्लाउज के हुक खोलते हुए कहा )
: हा बेटा , ना जाने कितनी मुहब्बत है उन्हें इस ब्लाउज से , कहते है इसमें मेरे दूध बड़े दिखते है ... ऐसा है क्या राज
: हा आंटी सीईईई सच कहते है अंकल उफ्फ कितनी गर्म और मुलायम है आपकी .... ( राज ने वसु के ब्लाउज खोलकर उसके दोनों रसीले मम्में हाथों में भर कर बोला )
: क्या बेटा
: आपकी चू... ची ( और अगले ही पल राज ने अपने गीली जुबान से उसकी कड़क मुनक्के जैसी निप्पल को चाटते हुए एक चूचे मुंह में ले लिया )
: सीईईई ओह बेटा उम्मम चूस सीईईई अह्ह्ह्ह उफ्फफ उम्मम राज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह सारी रात खुजला रही थी इसे ओह्ह्ह्ह अब सुकून आया है उम्मम
: और इसे ( राज वसु के चूचे मुंह में भरे हुए अपना दूसरा हाथ सीधा साड़ी के ऊपर से उसके बुर पर रखता हुआ बोला )
: आह्ह्ह्ह बेटा खुद खोल कर देख क्या हाल है उसका , रगड़ रगड़ कर लाल कर चुकी हूं
: सच में क्या , जरा देखूं तो
और राज ने उठ कर वसु की साड़ी जांघों तक उठा दी और उसकी बजबजाई बुर देखी , रसभरी चिकनी फांकों वाली गुलाबी बुर
: उफ्फ आंटी कितनी लाल हो रही है और बह भी रही है इसको तो साफ करना पड़ेगा
: तो कर दे न बेटा उम्मम ऐसे देखेगा तो और बहेगी सीई देख कितनी लाल है ( वसु ने जांघें फैला कर अपनी बुर के फांके खोलने लगी )
राज फौरन उसके गर्म मुलायम जांघों को सहला कर उसकी बुर को टटोलने लगा , उफ्फ आंटी मेरी दी हुई क्रीम से साफ किया है न इसको उम्मम
वसु राज के उंगलियों को अपने गीली चिकनी बुर के फांके पर टहलता पाकर सिसकने लगी: उम्मम हा बेटा , तूने जो क्रीम दी थी उसे साफ किया है , देखा न उस रात तेरे अंकल कैसे चाट रहे थे इसे पागलों के जैसे अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
राज उसके बुर को सहलाता हुआ नीचे झुक गया और बुर से आती मादक गंध को सूंघता हुआ उसके बुर के पास गया और अपनी गीली जीभ उसके नरम गुलाबी फांकों पर फिराई और वसु मचल उठी
राज ने वापस से अपनी जीभ फिराई और इस बार उसने वसु के फांकों को मुंह में लेके चुचूक चूसा जैसे सफेदा आमो से रस निचोड़ते हो
वसु अपने कूल्हे उठा कर राज का सर अपनी बुर पर दबाने लगी और जांघें कसने लगी : सीईईई ओह्ह्ह बेटा उम्मम चूस सीईईई अह्ह्ह्ह कितनी तड़प रही हूं मै , जबसे तेरे अंकल छोड़ कर गए ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
राज भी अपनी जीभ लपलपा कर वसु की बुर के अंदर घुसा रखा था ।
तभी केबिन के दरवाजे पर दस्तक हुई और राज वसु दोनों सतर्क हुए
वसु ने जल्दी जल्दी अपनी साड़ी नीचे की और ब्लाउज बंद करने लगी
: अरे रहने दो न आंटी फिर से खोलना पड़ेगा
: धत्त पागल देख पहले कौन है
: ओके आप वही रहो मै आता हूं
राज अपना लंड सेट कर हल्के से केबिन का दरवाजा खोला तो सामने बबलू काका थे, थोड़े उलझे थोड़े परेशान
राज समझ गया कि मालती आ गई होगी उसने झट से बाहर आकर केबिन बाहर से बंद कर दिया और दुकान में आ गया
: हा काका क्या हुआ
: छोटे सेठ वो , ठकुराइन की बेटी आई है
: हा तो भेजिए उसे भी अंदर और आप जरा कुछ देर दुकान देखेंगे प्लीज
: अरे छोटे सेठ आप भी न ... हाहाहाहा
राज मुस्कुरा कर उसके साथ दुकान में गया और फिर मालती को लेकर अंदर आ गया और सीधा अपने साथ लेकर छत पर ले गया
ऊपर कमरे में आकर देखा तो चंदू पहले से ही बेशबरा हुआ पड़ा था
राज ने कुछ नहीं कहा बस मोबाइल स्क्रीन में समय देखा और बोला : 45 मिनट है तेरे पास
राज ने एक नजर मालती को देखा जो टॉप जींस में खड़ी बस नजरे नीचे किए हुए मुस्करा रही थी उसे शर्म आ रही थी कुछ ज्यादा ही और राज ने भी उसकी ओर ध्यान नहीं दिया बस चंदू की ओर देख कर बोला : नीचे आने से पहले मुझे कॉल कर लेना समझा
चंदू ने हामी भरी और राज निकल गया नीचे
इधर केबिन के वसु परेशान थी और राज के आते ही दरवाजा बंद कर दिया
: क्या हुआ कौन था ?
: अरे वो थोड़ा समान आ रहा है न तो लेबर आएं थे
: कोई दिक्कत तो नहीं ( वसु डर रही थी )
: नहीं मेरी रसीली जान ( राज ने खड़े खड़े ही बिस्तर पर बैठी हुई वसु से रसीले मम्में हाथों में भर लिए ब्लाउज के ऊपर से )
फिर अपना पेंट खोलने लगा और वसु मुस्कुराने लगी
देखते ही देखते राज ने अपने अंडरवियर से अपना बड़ा मोटा खीरे जैसा लंड बाहर निकाल जिसके सुपाड़े से तेज गंध निकल रही थी
अपने आंखों के सामने राज का लंड हवा में झूलता देख वसु का हलक सूखने लगा और वो आंखे फाड़ पर राज के लंड को सांस लेता देख रही थी
राज ने उसे पकड़ कर सुपाड़े को उसकी खोल से बाहर निकाला और वसु की जीभ रस छोड़ने लगी
: पकड़ो न आंटी
: उफ्फ कितना तप रहा है
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई आंटी कितने मुलायम हाथ है आपके जरा सहलाओ न उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई तभी तो अंकल पागल रहते है आपके लिए उफ्फ
: धत्त पागल ( वसु ने मुस्कुरा कर राज को देखा फिर उसके कड़े लंड को देख कर उसके अंदर की वासना ललचाने लगी )
वो भर भर के उसका लंड मसल रही थी और राज आंखे बंद कर सिसकने लगा और वसु ने उंगलियों ने राज के आड़ को उसके लास्टिक से बाहर किया , उसके बड़े बड़े आलू जैसे आड़ की झोली देखकर वसु के होठ सुख रहे थे उन्हें टटोला और एक नजर राज की ओर देखा बड़ी बेबसी कि अब और नहीं रहा जाएगा और फिर वो टूट पड़ी राज के लंड पर मुंह लेकर चुबलाती हुई सुपाड़े को घोंट गई
: सीईईई फक्क ओह्ह्ह यस्स आंटी उम्ममम चूसो ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई सीईईई और लो
वसु राज की सिसकिया सुनकर और जोश में उसका लंड चूसने लगी और आड़ को मसलने लगी ।
: सीईईई आंटी आप बहुत सेक्सी हो ओह्ह्ह कितना मस्त चुस्ती हो आप उम्ममम पागल कर रहे हो ....उफ्फफ और लो न अंदर अह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू माय सेक्सी आंटी सीईईई
इधर वसु पूरे जोश में राज का लंड चुभला रही थी और राज ने जोश में भी अपना होश संभाले हुए था , उसकी नजर घड़ी के कांटे पर थी , जो साढ़े 11 बजे की रेखा पार कर चुकी थी और उसके दिमाग में सुबह उसकी मां का दिया अनलीमेट याद आ रहा था कि वो भी आज दुपहर में 12 बजे तक आ जाएगी और वही समय सोच कर राज ने ऊपर चंदू को भी समय दे रखा था ।
राज की बेचैनी बढ़ गई और उसने वसु के मुंह से उसका सुपाड़ा निकाल दिया
: क्या हुआ
: मुझे चाहिए
वसु मुस्कुरा उठी और राज ने उसे खड़ी कर बिस्तर तक के गया और चौकी पर लिटा दिया
वसु चौकी पर लेटी हुई राज को देख रही थी
: खोलो न ( राज अपना लंड हिलाता हुआ बोला )
वसु ने बिना कुछ बोले अपनी साड़ी ऊपर खींचने लगी और जांघें खोल दिए
राज की नजर उसकी बजबजाई बुर के गुलाबी फांकों पर गई जो गीली होकर और लाल हुई जा रही थी
राज चौकी पर वसु के ऊपर चढ़ आया और उसके लिप्स चूसने लगा और वसु भी उसका साथ देने लगी
फिर राज ने अपना गिला लंड सहलाते हुए वसु की चर्बीदार फ़ाको पर सेट किया और सुपाड़े को दबाते हुए अंदर घुसा दिया
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम बेटा आराम से मोटा है ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ आंटी कितनी गर्म हो अंदर से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई
: सारी रात तेरा लंड सोच कर सहला रही थी इसे तो जलेगी न उन्ह्ह्ह सीईईई बेटा पूरा घुसा दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह ऐसे ही ओह्ह्ह राज कितना बड़ा लग रहा है बेटा उफ्फ और भी है क्या बाहर
: बस थोड़ा सा और डाल दूं आंटी ( राज ने उसके ऊपर आकर उसकी आंखों के देखते हुए कहा )
: वो किसके लिए छोड़ रहा है , डाल न अह्ह्ह्ह सीईईईईई दैय्या आराम से बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह ( राज ने हच्च से पूरा का पूरा लंड वसु की लचीली बुर में उतार दिया और हप्प हप्प पेलने लगा कमर उठा उठा कर
: ओह्ह्ह्ह आंटी आपकी बुर है या रबर बड़ी उछाल रही है सीईईई ओह्ह्ह कितनी रसीली चूत है आपकी आंटी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह
: यस बेटा फक्क करो और करो फक्क मुझे उम्ममम तेरा गर्म लंड मुझे पागल कर रहा है सीईईई आह्ह्ह्ह झड़ रही हूं मै उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह मम्मीइई आह्ह्ह्ह बेटा राज सा रहा है रुकना मत ओह्ह्ह्ह
राज ने वापस से उसके सीने से पल्लू हटा दिया और ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियां काटने लगा
: पिएगा उम्ममम बेटा बोल पियेगा , चाहिए तुझे ??
: हा दो न आंटी आपकी दूध पीकर आपको पेलूंगा
: उफ्फ तेरी ये बातें सीई मुझे ऐसे ही झड़ा देती है ओह्ह्ह्ह ले पी ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ( वसु ने खुद से ब्लाउज खोलकर अपनी दोनों छातियों राज के आगे परोस दी )
राज ने दोनों हाथों से उसकी रसीली छातियां पकड़ कर अपने मुंह में भरने लगा और नीचे खूब तेज से कमर चला रहा था
: सीईईई उफ्फ बेटा पी ले ओह्ह्ह्ह उम्ममम और और डाल रुकना मत ओह्ह्ह्ह पेल मुझे उफ्फ तेरे अंकल को मेरी जरा भी फिकर नहीं सीईईई अह्ह्ह्ह ऐसे ही मुझे छोड़ जाते है
: अब आप भी फिक्र मत करना आंटी अंकल नहीं रहेंगे तो मेरे पास आना सीईईई ओह्ह्ह कस रही हो उम्मम
: क्यों सब कुछ तुझे ही आता है क्या उम्मम अब कर ( वसु ने आपके फांके राज के लंड पर कस दिए )
राज ने अपने चेहरे को भींच कर पूरे जोश ने फचर फचर पेलने लगा और ठाकुराइन को पेलने के जोश ने तेजी से उसके आड़ ने वीर्य छोड़ दिए लेकिन उसने अपने सुपाड़े को कस रखा था , उसका सुपाड़ा लंड वसु की की बुर में फूलने लगे थे
: अह्ह्ह्ह भर गया है तो छोड़ दे न , सीईईई फट जाएगी मेरा बुर सीई ओह्ह्ह्ह
: लो फिर ओह्ह्ह्ह भर दे रहा हूं सीईईई ओह्ह्ह आंटी सीईईई ओह्ह्ह ले लो आ रहा है उफ्फफ
राज आखिर से झटके देने लगा और एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां वसु के बुर ने छूटने लगी और राज सुस्त होकर वसु की नंगी चूचियों पर गिर गया और हांफने लगा
वसु ने बड़े दुलार से उसका सर सहलाया और राज ने उसको हग कर लिया मुस्कुरा कर : बच्चा मेरा पगलू हीही
: लव यू आंटी, थैंक्यू
: लव यू मेरे हीरो उम्माह
: कुछ होगा तो नहीं ?
: उन्हू , अभी नहीं दो दिन बाद मेरे पीरियड की डेट है अभी
: अच्छा तो बहुत सोच समझ कर आई थी उम्मम ( राज ने उसे छेड़ा )
: हा लेकिन कुछ होगा भी तो मुझे डर नहीं
: अच्छा सच में ?
: हा , मै तो मेरे देवर का बच्चा भी लूंगी
वसु की बात सुनकर राज को हसी आई और वो मुस्कुरा उठा
फिर दोनों उठे और राज ने अपना कपड़ा सही किया , वसु ने भी अपनी साड़ी सहेजी
राज ने मोबाइल देखा तो अभी भी 15 मिनट का समय था
: अब कुछ मंगा दूं
: उम्मम कॉफी मिलती है इधर
: हा क्यों नहीं मिलेगी , अभी लाता हूं
फिर राज ने बबलू काका से कह कर दो काफी मंगवाई और वसु पीकर निकलने को हुई
: अरे इतनी जल्दी ?
: हा वो मै घर से बाउजी को बोल कर निकली हुई कि सरोजा के कॉम्प्लेक्स जा रही हूं , अगर वहा नहीं गई तो हीही गड़बड़ हो जायेगी
: उम्हू चोरी चोरी चुपके चुपके आई ही मिलने उम्ममम
: धत्त बदमाश हट अब
: अच्छा एक प्यारा सा हग देदो न
फिर वसु राज की बाहों में आ गई और राज ने जाने से पहले उसको फिर से स्मूच किया ओर विदा किया
उसके जाते ही राज ने राहत की सांस ली
लेकिन राहत थी कहा ?
असली सरदर्द तो ऊपर वाले कमरे में था और वो तेजी से जीने के रास्ते ऊपर जाने लगा और दबे पाव कमरे की ओर गया
" अरे बेटीचोद , ठरकी साला कमरा ऐसे ही खुला रखा "
राज खुद से बड़बड़ाया , चंदू पर गुस्सा करते हुए और जैसे ही उसकी नजर दरवाजे के गैप से अंदर देखा तो आंखे फेल गई मुरझाया लंड फिर से सांस लेने लगा
सामने मालती अपनी जींस पैंटी निकाल कर चंदू के मुंह पर बैठ कर अपनी बुर घिस रही थी और चंदू नीचे से पूरा नंगा होकर उसकी बुर चूस रहा था , उसका लंड टावर की तरह सर उठाए तन मनाया था
: उम्ममम मम्मा जल्दी करो न कितना चाटोगे उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई बेबी प्लीज न डाल दो ( मालती के मुंह से ऐसी गंदी बाते सुनकर राज का लंड अकड़ रहा था उनसे कभी सोचा नहीं था क्लास में गुमसुम सी रहने वाली लड़की ऐसे चुदक्कड़ जैसे बातें करेगी )
फिर चंदू उसका टॉप निकलवा दिया और उसे अपने मुंह से कंडोम की पैकेट छिल कर देते हुए अपने लंड पर बैठने को कहा और वो झट से पीछे सरक कर चंदू का लंड अपने बुर पर लगाते हुए बैठ गई : अह्ह्ह्ह मम्मीइई सीईईई ओह्ह्ह
मालती की चीखे तेज थी
: आराम से जान आवाज नीचे जाएगी
: ओह्ह्ह्ह भक्क तुम मुझे मत रोको मुझे खूब चीखना है तुम्हारे लंड पर उछल उछल कर ओह्ह्ह और कस से मारो न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ऐसे ही जान और और उम्ममम अह्ह्ह्ह
चंदू उसकी तेज चीखे सुनकर जैसे डरने लगा हो और वो उसको अपनी ओर खींच कर उसके लिप्स चूसते हुए नीचे से करारे झटके मारने लगा और ताबड़तोड़ पेलते हुए उसका लंड बाहर आ गया और वो अपने कंडोम में ही झड़ गया ।
अंत तक राज उसे मालती के चूतड़ों पर झटके खाते लंड को देखा रहा और फिर धीरे से निकल आया नीचे
फिर उसने चंदू को फोन घुमाया और 10 मिनट बाद वो दोनों नीचे आए
स्वा बाहर हो गए थे और मालती बिना रुके निकल गई
: क्यों भोसड़ी के , साले नीचे तक आवाजें आ रही थी दरवाज़ा बंद नहीं किया था क्या बे ( राज ने उसका मजे लिए तो चंदू बत्तीसी दिखाने लगा )
: अबे वो मैने तेरे लिए खुला छोड़ा था लेकिन तू आया नहीं !!
: अच्छा बेटे , जैसे मुझे दिला देता उसकी हाहा
: नहीं देती तो देख कर कम से कम हिला लेता न हाहाहा
: अबे हिलाने वाले दिन नहीं है अब मेरे , और बता कुछ बात बनी
: पहली बार तो उसे इतना खुलकर चोदा है , साली इतनी चिल्लाती है इतना तो रंडिया नहीं चिल्लाती , कहती है उसे इसमें मजा आता है , बहिनचोद मेरी फटी थी कि कोई नीचे आ गया तो पक्का सुन लेगा ।
: हम्म्म तो अब आगे ?
: कुछ नहीं मैने कुछ बीज बो दिया है , जल्द ही उसकी पत्तियां निकलेंगी ( चंदू ने इशारे में बात चीत की और तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और दोनों ने देखा कि रागिनी खड़ी थी )
राज और चंदू दोनों खुश थे कि समय रहते उनका काम निपट गया और कुछ देर बाद चंदू भी निकल
वही इनसब से अलग दूर कहीं बड़े शहर के एक बड़े से होटल में बंद दरवाजे के पीछे हाल के सोफे पर रज्जो और मुस्कान आपस में एक दूसरे को चूम रहे थे
रज्जो और मुस्कान दोनों ब्रा पैंटी में थे और उनकी होंठो वाली चुम्मी ही बता रही थी कि दोनों के भीतर कितनी आग है
: उम्मम कितना मीठा है तू ओह्ह्ह्ह
: तुम भी कहा कम हो मेरी जान सीई कितनी चर्बी भरी है तेरे इन चूचों में अह्ह्ह्ह
: अह्ह्ह्ह्ह हाय दैय्या बड़ा जोर है तेरे हाथों में सीईईई जितने नर्म तेरे चूतड़ है उतने कड़े तेरे हाथ है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ( मुस्कान रज्जो को सोफे पर धकेल कर सुला दिया और उसके आते हुए अपनी ब्रा खोलने लगा )
: सीई सेठानी जरा चूसो न इसको थोड़ा.... ( मुस्कान ने अपने कड़े मोटे गुलाबी मम्में रज्जो के आगे परोसे दिए )
रज्जो ने भी बिना एक पल गवाए उसके निप्पल को मुंह ने डालते हुए चूसने लगी और अपनी ओर खींचने लगी उसको
: ओह्ह्ह्ह सेठानी सीई ओह्ह्ह्ह चूस ले सीईईई ओह्ह्ह अच्छे से उम्ममम भर ले पूरा उम्ममम सीईईई
मुस्कान रज्जो से अपनी चूचियां घुला घुला कर चुसवा रहा था और उसके साथ रज्जो के चूचियों से लेकर उसकी बुर तक पहुंच गई और उसने दो उंगली उलटी करके पेल भी अंदर
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह आराम से तेरे नाखून अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
: कुछ नहीं होगा मेरी जान उम्मम ( मुस्कान ने वापस से रज्जो के लिप्स चूसने लगा और रज्जो उसका साथ देने लगी)
मुस्कान लगातार उसकी बुर में उंगली पेलने लगा और रज्जो की आँखें मदहोशी से बंद होने लगी सीईईई ओह्ह्ह
उसने इधर उधर हाथ डाल कर उसकी पैंटी में बना हुआ टेंट को पकड़ लिया और हिलाने लगी
: दिखा दे न क्यों तरसा रहा है
: मैने कभी मना किया है ( ये बोलकर मुस्कान खड़ा होक अपनी कमर से पैंटी नीचे कर दिया और उसका बड़ा सा लंबा लंड सुपाड़े की खोल से झांकता हुआ झूल रहा था )
रज्जो ने बड़ी गर्मजोशी से उसके लंड देखा और एक नए स्वाद के लिए उसका दिल ललचा गया था
मुस्कान घूम कर सोफे पर बैठ गया और रज्जो पूरी नंगी होकर उसके सने सोफे के नीचे आ गई और अपने हाथ में मुस्कान का तपता हुआ कड़ा लंड पकड़ते ही गिनगिना गई
उसके लंड की नसे पूरी कड़क थी लेकिन चमड़ी मानो मक्खन सी मुलायम और सुपाड़ा भी पूरा गुलाबी
रज्जो ने हौले हौले उसको आगे पीछे करके मुस्कान को देखने लगी और वो आंखे बंद कर रज्जो की मुठ्ठी में ही लंड पाकर सिसकने लगा था
: सीईईई सेठानी मुझे तुम जैसी गदराई माल ही पसंद है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्, तुमने कभी हम जैसे का चूसा है
: उम्हू पहली बार ..( रज्जो ने बात करते हुए पहले सुपाड़ा मुंह के भर लिया और मुस्कान सिसक पड़ा )
: ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह कितनी रसीली जुबान है तेरे सेठानी सीई ओह्ह्ह चूस ले पूरा उसे , कभी कभी ये तड़प मिटती ही नहीं , और कल रात जबसे तुझे बड़े सेठ का लंड चूसते देखता पागल सा हुआ जा रहा था मै ओह्ह्ह्ह मेरी जान चाट और अंदर ले उम्ममम
रज्जो मुस्कान की कही एक एक बात जो याद कर रही थी कि कैसे उसने ओपन लाइवस्ट्रीम पर बिना किसी हिचक के खुले आम मानसिंह का लंड चूसा और उसके गैंगबैंग का हिस्सा बनी थी ।।
रज्जो लगातार उसके लंड को चूस जा रही थी और मुस्कान सिसकता हुआ तड़प रहा था
: ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह बस रुक जा हमारा कंट्रोल इतना नहीं होता है जान , तू तो निकाल देगी मेरा रुक न उफ्फफ
रज्जो ने उसका लंड छोड़ दिया और मुस्कुराने लगी और उसके ऊपर आकर चढ़ते हुए उसका कड़ा तैयार किया हुआ नुकीला लंड अपनी बुर की रसीली फांकों में सेट करती हुई उसके लंड पर बैठ गई , और उसका सुपाड़ा रज्जो की खुली हुई फांकों में आसानी से अंदर चला गया
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई सेठानी आराम से मुझे इतना हड़बड़ा कर करने की आदत नहीं है ओह्ह्ह्ह हम तेरे तरह बहुत सेंसटिव होते है सीई ओह्ह्ह आराम से
: लेकिन मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है ओह्ह्ह्ह जबसे तेरे बारे में सुना था और तुझे देखा था मै पागल हो गई थी तेरा लंड लेने के लिए ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मुझे बस फिल करना था कैसा लगेगा ओह्ह्ह्ह उम्ममम तीर की तरह चुभ रहा है सीई ओह्ह्ह उफ्फफ ( रज्जो उसके लंड पर खूब तेज हमच हमच कर उछल रही थी उसकी चूतड़ ठप्प ठप्प ताल दे रहे थे मुस्कान की जांघों पर पर और उसकी नंगी चूचियां हवा में खूब उछल रही थी ।
: आराम से सेठानी सीई ओह्ह्ह्ह कितना तेज उफ्फफ मेरा लंड छिल जाएगा आज ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: कुछ नहीं बस मेरा होने वाला है थोड़ा सा रुक जा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो ने उसके लंड पर अपनी बुर के फांके कस दिए और उसे सुरकने लगी
मुस्कान और रज्जो की चीखे पूरे कमरे में गुंज रही गई और फिर वो पल आया जब रज्जो हांफती हूं मुस्कान के ऊपर आ आगया : ओह्ह्ह्ह उम्ममम आ रहा है सीई ओह्ह्ह झड़ रही हूं मै उफ्फफ
: हा मेरी जान कितनी गर्म है मेरा लंड जल रहा है
: इसको भी निचोड़ लूंगी मै सीईईई अह्ह्ह्ह ( रज्जो मुस्कान के लंड पर पूरा बैठ कर अपने फांकों से लंड को कस कर अपने चूतड़ मथने लगी बड़ी मादकता से और मुस्कान की हालत खराब होने लगी वो आगे आई राजेबकी चूचियां मुंह में लेकर चूसने लगा और रज्जो पूरी शिद्दत से उसका लंड निचोड़ रही थी
: तेरा कब आएगा
: मुझे इसमें डालना है ( मुस्कान का इशारा रज्जो की चूचों पर था )
रज्जो बिना एक पल गवाए सोफे के दूसरे ओर फैल कर लेट गई और मुस्कान उसके ऊपर आकर अपना लंड रज्जो की छातियों में डाल कर पेलने लगा
: ओह्ह्ह सेठानी कितनी मुलायम चुची है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह चूत से ज्यादा तो इनमें गर्मी है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: उम्मम तेरे लंड की नसे मुझे महसूस हो रही है अह्ह्ह्ह आजा जल्दी चखा दे मुझे अपना रस सीईईई ओह्ह्ह मुझे पीना है
: ओह्ह्ह्ह पहली बार तेरे जैसी कोई पक्की चुदक्कड़ देखी हो हम जैसों का माल पीना चाहती है ओह्ह्ह्ह ले आएगा उफ्फफ अह्ह्ह्ह सेठानी मुंह खोल ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह्ह
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रज्जो ने मुंह खोला और मुस्कान उसके सीने पर चढ़ा हुआ अपना लंड हिलाने लगा और एकदम से मोटी पिचकारी की धार निकली जो सीधा रज्जो के मुंह ने और चूचों पर गिरने लगी और मुस्कान सिसकता हुए अपने मुंह भींचता हुआ अपना लंड रज्जो के मुंह पर झाड़ने लगा और रज्जो उसके वीर्य का रस अपनी पूरी छाती पर मलने लगी
मुस्कान उसकी ओर देख कर हैरान था और उसके दिमाग में कुछ ख्याल आने लगे थे
फिर वो उठ कर बाथरूम गए और वापस आए तो रज्जो ने देखा कि मुस्कान के मोबाइल स्क्रीन पर व्हाट्सअप मिसकॉल थे
: अरे देख कोई फोन आ रहा है
मुस्कान ने मोबाइल देखा है और मुस्कुरा कर : ओह्ह्ह इनको भी अभी ही जुड़ना है ।
: कौन है ? ( रज्जो ने पूछा )
: अरे वो हमारे लोगों का एक ग्रुप है , उसमें हम लोग रोज दोपहर में इंजॉय करते है वीडियो काल पर ग्रुप के
: वो कैसे ?
: अच्छा रुको देखूं अगर अभी कॉल चल रही होगी तो ज्वाइन करके दिखाता हूं ( मुस्कान मोबाइल खोलकर देखने लगा और उसे अभी ग्रुप कॉल ऑन दिखी ) आओ दिखाता हूं बस तुम कैमरे के सामने मत आना
मुस्कान ने ग्रुप कॉल ऑन किया उसने अलग करके 4 लोग थे जो सब मुस्कान जैसे थे , 2 तो सिंगल थे और अपना लंड हिला रहे थे लेकिन एक कॉल पर दो साथ में ,
बिल्कुल जवान और कोरे उनके मोटे मोटे झूलते लंड और खूबसूरत चेहरे देख कर रज्जो का हलक सूखने लगा और वही दूसरी ओर एक दूसरा था जिसका मोटा सुपाड़ा पूरा बजबजाया हुआ था और वो झड़ रहा था उन्हीं दोनों नए जोड़ों को देख कर उनका नाम लेकर
: हाय दैय्या ये कौन है इतना मोटा है
: ये खुशबू है , हमारा ग्रुप लीडर सबसे बड़ा औजार इसी का है
: ये आयेगा बुलाने पर ( रज्जो ने मोबाइल में देखते हुए बोली उसकी निगाहे खुशबू के लंड से टपकते गाढ़े वीर्य की बूंदों से हट ही नहीं रही थी )
: क्या ? ( मुस्कान ने हैरत से कहा )
: ये खुशबू !! आयेगा ? बुलाने पर आज यहां
मुस्कान का गला सूखने लगा
: हा लेकिन उसके अपने अलग शौक है ,वो थोड़ा बुल टाइप का है
: मतलब ?
: थोड़ा जोर जबरजस्ती करता हैं और उसे सिर्फ पीछे से लेना पसंद है , कहो तो बुलाऊं , दो तीन घंटे में आ जाएगा ?
: दो तीन घंटे ( रज्जो ने समय देखा तो घड़ी की सुई 1 बजे का कांटा पार कर चुकी थी यानी कि उसके आने में 4 बज जाएंगे और फिर सर्दियों की शाम में पता नहीं आगे गाड़ी मिले न मिले )
: चाहो तो वो पूरी रात रुकेगा और मै भी ( मुस्कान ने कहा )
पूरी रात खुशबू के बड़े और मोटे सुपाड़े वाले लंड से अपनी गाड़ खुदाई कराने का सोच कर ही रज्जो का रोम रोम खड़ा हो गया , लेकिन उसके दिमाग में कुछ और योजना थी ..वो तो बस मुस्कान से पहली और आखिरी बार मिलने की योजना से आई थी लेकिन आगे ही योजना और सफर उसके हिसाब से डिले हो रहे थे
: देखो तुम्हे उसके लिए पैसे देने की भी जरूरत नहीं है , मै दे दूंगा उसको
: तुम क्यों ? ( रज्जो ने हैरत से उसे देखा और मुस्कान मुस्कुराने लगा और रज्जो उसके इरादे समझ गई थी )
: ठीक है काल करके बुलाओ उसे
फाइनली रज्जो ने उसे सहमति दे दी और मुस्कान खुशबू को फोन घुमाने लगा ।
जारी रहेगी
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ताकि लिखने का फ्लो बना रहे
धन्यवाद