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Incest सबका लाड़ला

Devil Baba

FUCK YOU
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Hello..दोस्तों... मैं हूं Devil...

ये मेरी पहली कहानी हैं...वैसे आज ही मैं इस साईट पर आया हूँ...
वैसे मैंने ये कहानी पहले किसी दूसरी साईट पर भी पोस्ट करी हैं.लेकिन वहां पर पूरी नहीं हुई...
उस साईट मे कुछ प्रॉब्लम हो गई,और मैं भी अपनी id भूल गया.
मैं कोई राइटर नहीं हूं..हो सकता है बहुत से लोगों को कहानी पंसद ना आये...but कोशिश पूरी होगी
तो आशा हैं कि ये कहानी आप सब को पसंद आयेगी...

ये एक कहानी काल्पनिक है
 
Last edited:

Ek number

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अपडेट - 19

मेरे दिमाग मे एक ही बात आ रही कि दादी मुझे क्या देना चाहती है, वो कल मुझे क्या दिखाने वाली... बहुत देर तक मै सोचता रहा, फिर सो गया...


अगला दिन -
आज मे जल्दी उठ गया, मेरे दिमाग मे दादी की बात आ रही थीं...
आज मैने बड़े ताऊजी के यहाँ नाश्ता कर लिया...
फिर मै बाहर चला गया... मुझे नंदलाल भाई की आवाज सुनाई दी तो मै उनकी तरफ चला गया.. वो घर में पलंग पर बैठे हुए थे.

मै - भाई जी क्या कर रहे हो..
नंदलाल - कुछ नहीं यार आज नौकरी के लिए जा रहा हू...
फिर नंदलाल भाई भाभी को बोलते है- कितना टाइम लगेगा तुझे तैयार होने में

मैने कहाँ - भाभी भी आपके साथ जा रही है..
नंदलाल - नहीं, ये अपने मायके जा रही है...
कल इसके भाई का फोन आया था मेरे पास , इसकी भाभी को बच्चा होने वाला है तो वो इसको वहां पर बुला रहे है
मैने उनको हा बोल दिया की मै इसको भेज दुंगा...

मुझे नंदलाल पर गुस्सा तो बहुत आया पर मै कुछ कर नहीं सकता...
नंदलाल - जल्दी से तैयार हो जा, तेरे तैयार होने से तेरी ये आँख ठीक नहीं होने वाली...
मै खेत की तरफ जा रहा हू.. आधे - पौने घंटे मे आ जाऊगा तब तक तैयार मिलिए...
इतना बोलकर भाई चले गये...
मै भाभी के रूम मे आ गया...
मेरे आते ही भाभी ने जल्दी से गेट बंद किया और मेरे गले लग गई.... उनकी आँखों मे आँसू थे...

मैने कहा भाभी भाई की बात का बुरा मत मानो वो तो ऐसे ही बोलते है...
भाभी - मुझे उनकी बात का अब कोई बुरा नहीं है...
ये तो आपसे दुर होने के कारण आ रहे है..
मै - हम दुर थोड़ी ही है...
भाभी - मुझे नहीं जाना मै मना कर देती हूँ.
मै - नहीं भाभी थोड़े दिनों की तो बात है, आपने मना किया ते आपके घरवालों को बुरा लगेगा..

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया
भाभी - मै क्या करू इतने दिनो तक आपसे और इससे दूर कैसे रहूँगी...
मै भाभी को किस करने लगा...
भाभी - आप मुझे जल्दी से चोद दो...
मै -अभी, कोई आ जायेगा...

कहते है ना सेक्स की आग बड़ी खतरनाक होती है

भाभी - कोई नहीं आयेगा.. जल्दी से चोद दो... फिर बहोत दिनो के बाद ये मिलेगा...
मै भाभी को होठों को चुसने लगा और उसके मोटे -2 चुचो को मसलने लगा...
भाभी आआआआह... मेरे राज्ज्जजा.... ऐसे ही...

मैने उनका नाडा़ खोलकर सलवार को पेंटी के साथ नीचे कर दिया...

मैने उनको गोद मे उठा लिया, भाभी भारी थी... और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा दिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सा झटका दीया…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा….

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पंलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…

एक बार उन्हें दर्द की लहर सी उठी, भाभी अपने होठों को कसकर दवाए अपने दर्द को पी गयी..

भाभी मस्ती से आसमान मे उड़ने लगी…

कमरे में हमारी जांघों की थप सुनाई दे रही थी… मेरे ताक़तवर धक्कों के कारण भाभी कुच्छ ना कुच्छ बोल रही थी बडबडा रही थी..

जब एक ही मुद्रा में हमें काफ़ी देर हो गयी.. तो मैने भाभी को पलट दिया और उनके घुटने जोड़ कर पलंग पर घोड़ी की तरह बना दिया…

ऐसा भाभी के लिए पहली बार था, उन्होंने पहले ऐसे नहीं किया था...

अब उनकी मस्त 38” की गद्देदार कसी हुई गांद मेरे सामने थी, जिसे देखकर मे अपना आपा खो बैठा और उनके एक चूतड़ को काट लिया…

आअहह…..काटो मत…जानुउऊ…, वो दर्द से तडपी..तो मेने उस जगह को चूमा और फिर उनके दोनो चुतड़ों को बारी-बारी से चाटने लगा…

अपना मूह उनकी मोटी गांद में डाल दिया और उनकी चूत और गांद के छेद को चाटने लगा…....

आह्ह्ह्ह… अब अपना मूसल डालो मेरे रजाआा… क्यों तड़पाते हूओ…

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…
Nice update
 

Ek number

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अपडेट - 20

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

भाभी - ईईीीइसस्स्स्स्शह……हइईईईई….रामम्म्मममम…. अब छोड़ूऊ…राज्ज्जजा….. आराम सीईए…. उफफफफफफफफफफफ्फ़….. कितना मज़ाअ देते हूऊ…तुम… मुझे अपना गुलामम्म्म.. बनाआ.. लियाअ…
जी करता है, इसे हर समय अपनी में ही डाले रहूं….डालोगे नाआ…
भाभी ने नाम नहीं लिया
मैने बोला किसमे डालोगी...
भाभी आआआह.. मेरररे... राजजा... अपनी चचचचुत... में.. आआह...

मेरी जांघे तपाक से उनके भारी चुतड़ों पर पड़ने लगी… कभी-2 मे उनकी गांद मसल देता, तो कभी उनके चुतड़ों पर थप्पड़ जड़ देता…
चुदाई…चरम…पर पहुँचती जा रही थी…

बीस मिनट की धुँआधार चुदाई के बाद भाभी दुसरी बार और मै पहली बार साथ ही झड़ने लगे…भाभी की चुत से लगातार कामरस बरस रहा था…

झड़ने के बाद वो पलंग पर औंधी पसर गयी और में उनकी पीठ पर लेटगया..

मैने अपनी सांसो को सही किया और खड़ा हो गया... भाभी औंधे मुह लेटी रही... मैने उनको खड़ा किया ..
फिर हम दौनो ने कपड़े पहन लिये..

भाभी ने मुझे और कस के गले लगा लिया...
इतने मे नंदलाल भाई आ गये...
कुछ समय बाद नंदलाल भाई भाभी और नितिन को लेकर शहर चले गये... भाभी जाते हुए मुझे देख रही थी...

मै घर की तरफ चल पड़ा.. मुझे दादी दिखाई दी.
मैने कहां दादी कैसी हो...
दादी - कल तेरे मुसल ने हालत खराब कर दी, मेरी निगोडी़ मुनिया मे अभी भी खुजली हो रही है
मै - तेरी सारी खुजली मिटा दुंगा...

दादी - चल मेरे साथ...
मै- कहाँ...
दादी - चल तो सही...

वो हमारे खेतों की तरफ चल पड़ी, मे भी उनके साथ चल पड़ा..
रास्ते मे हमे रोशनी काकी मिली, वो खेत से चारा लेकर आयी थीं.

उसने दादी को प्रणाम किया...
मैने उससे पूछा कैसी हो काकी, उसने कोई जवाब नहीं दिया..
मै दो - तीन दिन ये उसके पास नहीं गया, इसलिए वो नाराज थी..
मुझे गुस्सा आया उस पर..
मै दादी के साथ चल पड़ा..





*** (चारों भाइयों के खेतो के पास एक कोने मे हमारी एक थोड़ी से जमीन और थी...
दादाजी ने ये जमीन ऐसे ही रख रखी थी, इस पर खेती नहीं होती थी..और इसे हमेशा ऐसे ही रहने देने के लिए कहा था इसमे एक छोटा सा मंदिर था..
इस जमीन पर बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे...

एक तरफ कोने मे और काम मे न लेने के कारण यहाँ पर सब कम ही आते थे...


इसके एक साईड मे बड़ी बड़ी कंटीली झाड़ियां थी... इसमे बडे बडे छायादार पेड़ थे जिस कारण बाहर से इस तरफ कम ही देखा जाता था ). ***


दादी मुझे वहां पर ले गई

मै - आप मुझे यहाँ पर क्यूँ लाई है.
दादी - पहले एक कस्सी (खोदने का फावडा़ ) लेके आ..


ये जगह हमारे खेत से नजदीक ही है तो मै जाके वहां से एक कस्सी ले आया…
Mast update
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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अपडे़ट - 12

फिर मै बाहर आ गया...
भाभी को चोदने मे बहुत टाइम निकल गया पता ही नहीं चला...
मुझे जोर से प्रेशर आने लगा तो मै पशुओं के बाड़े की तरफ चल पड़ा हल्का होने के लिए.. मै मुत ही रहा था कि मुझे झगड़े की आवाज सुनाई दी..
ये आवाज बाड़े से आ रही थीं..

मै बाड़े मे गया तो देखा की कपिल भाई पंकज भाभी के साथ झगड़ रहे है... फिर कपिल भाई ने भाभी को जोर से थप्पड़ मारा और वो चिलाने लगे... मै उनके पास गया, वो भाभी को फिर से थप्पड़ मारने ही वाले थे कि मैंने उनको रोक दिया...
क्या हुआ भाई जी भाभी को क्यों मार रहे हो..

कपिल - देव तु यहाँ क्या कर रहा है.
मै - आपकी आवाज सुनी तो यंहा आ गया...
क्या हुआ कपिल भाई भाभी को क्यों मार रहे हो..
कपिल - कुछ नहीं भाई..
मै - बताओ ना..
पंकज भाभी(रोते हुए )- मै बताती हू..
मैने इनको बच्चियों और मेरे लिए नये कपड़े दिलाने के लिए ही बोला... कपड़े पुराने हो गए है इसलिए...
कपिल - तु चुप कर..
मै- भाई जी आप इस बात के लिए भाभी को मार रहे हो.. ये तो गलत बात है..
कपिल - मेरा पास टाइम नहीं है फालतु कामों के लिए
मै - भाई वो आपकी पत्नी है और बेटियाँ है..

भाई कुछ नहीं बोले..
मै - ठीक है तो मै दिला लाउंगा भाभी को कपड़े, ठीक है...
कपिल -ठीक है भाई

और वो चले गये...

भाभी नीचे बैठकर रोने लगी.. मै उनके पास गया...
मै - भाभी रोईए मत, चुप हो जाईए...

मैने भाभी को पकड़ के खड़ा किया खडे़ होते ही वो जोर से मेरे गले लग गई... उनकी संतरे जैसी नरम चुचिया मेरे सीने मे चुभने लगी...
मैने भाभी के चेहरे को अपने हाथों मे लिया तो मैने देखा की उनकी गाल लाल हो चुकी है.. मैने उनके आंसुओ को साफ किया..
मै - भाभी मै हूं ना आपके साथ
मै उनकी पीठ को सहलाने लगा...
पंकज - मेरी कोई गलती नहीं थी
मै - पता है भाभी मुझे, आप चुप हो जाओ और घर पर चलो.

इस समय ताईजी और भाभी खेत से घास लेके आई नहीं थी... बच्चे बाहर खेल रहे थे.

मै भाभी को मेरे कमरे मे ले गया..
उनको बेड पर बैठाया और पानी दिया.. फिर मै दर्द की क्रीम ले आया जो उनकी मुलायम गाल पर लगाने लगा.

भाभी मेरी तरफ प्यार से देखने लगी..
मै- ऐसे क्या देख रही हो भाभी...
भाभी - आपको..
मै - क्यो
भाभी - आप कितने अच्छे हो देवर जी, आपको मेरी कितनी फिक्र है. आप कितना ख्याल रखते है मेरा.. और एक वो है जो मुझे...... (भाभी चुप हो गई )

मै - क्या भाभी आप भी, आप भी तो मेरे अपने हो.
भाभी मेरी तरफ ही देख रही थी
मै - आप ये सब छोडो

मैंने अपने लिए ज्यूस बनाया था तो एक्स्ट्रा था रूम मैने वो ज्यूस भाभी को दिया.
भाभी ये ज्यूस पी लो.

भाभी - नही, इसकी जरूरत नहीं है.
मै - भाभी आप मेरी बात नहीं मानोगी, मेरे लिए पी लो... प्लीज
भाभी - ठीक है पीती हू.

भाभी ने ज्यूस पी लिया
मै - मेरी प्यारी भाभी, और मैने भाभी के गाल पर किस कर लिया और उनको गले लगा लिया
भाभी ने कुछ नहीं कहा, वो बस खुश थी..

तभी बाहर से बच्चो की आवाज आने लगी... मै और भाभी भी बाहर आ गये...
थोड़ी देर मे बाकी सब भी आ गये..

** आज देर हो गई थी खेत मे नहीं जा पाया, रोशनी काकी भी चली गई थीं शायद **

फिर हमने खाना खाया... फिर मैने कुछ देर आराम किया..
फिर मै छोटे ताऊजी के घर की तरफ चला गया.

वहां पर सतीश भाई के बच्चे खेल रहे थे, और दादी, ताई भी वहीं पर बैठी थीं.

अपडेट - 13


वहां पर सतीश भाई के बच्चे खेल रहे थे, और दादी, ताई भी वहीं पर बैठी थीं
वहाँ पर कुछ औरते भी बैठी थीं...

ताऊजी हमेशा की तरह खेत मे और सतीश भाई ट्रैक्टर लेके बाहर गये थे.
मै थोड़ी देर वहाँ पर बैठा फिर घर की तरफ आ गया

फिर कुछ खास नहीं हुआ.. रात खाना खाया. फिर मम्मी को फोन आ गया उनसे कुछ बाते की... थोडी देर मोबाइल पर टाईमपास किया और सो गया.

अगले दिन मैं सुबह जल्दी ही ऊठ गया...
बाहर गयी तो नन्दलाल भाई मिल गये वो खुश लग रहे थे... मैने पूछा क्या हुआ भाई खुश लग रहे हो आज

नंदलाल - खुशी की बात है देव
देवीलाल का फोन आया था उसने कहा की उसकी कॉलेज मे अकाउंट विभाग मे एक जगह खाली है, तो उसने मेरी बात कर ली है... आज अपने शहर जाकर मेरे कागजात भेज के आ रहा हू. देवीलाल ने कहा की मेरी नौकरी पक्की है.

मै- बधाई हो भाई साहब

***
( नंदलाल भाई ने ग्रेजुएशन किया हुआ है.
मैने बताया धा ना कि वे थोडे कमजोर से है खेत का काम तो करते है, लेकिन अधिकतर काम मेरे शराबी ताऊ ही करते है नशे मे.. )

नन्दलाल भाई अपनी बाईक पर शहर चले गये.
ताऊ और ताई खेत मे थे और नमन, मनीषा और वंदना के साथ खेल रहा था..
मै जल्दी से मीनाक्षी भाभी के कमरे मे गया... वे कमरे मेँ काम कर रही थी.
मैने अंदर जाते ही दरवाजा बंद कर लिया...

भाभी ने मेरी तरफ देखा... मेरी नज़रों का स्पर्श अपने शरीर पर फील करके उनकी नज़रें शर्म से झुक गयी और वो अपने निचले होठ को दाँतों से काटती हुई फर्श की ओर देखने लगी...

मैं हौले से उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया, और उनकी कमर में अपने बाहें लपेट कर अपने से सटा लिया, मेरा लंड उनकी कमर पर ठोकर मारने लगा.

उनके कंधे को चूमते हुए माने कहा – आप मेरी हो.. !

वो – हहहहहा.... मेररे.. सैंया मै आपकी ही हूँ...
आप हमेशा मुझसे ऐसे ही प्यार करेंगे ना...?

मै बोला - हा... मै ऐसे ही प्यार करता रहूँगा....

मेरी बात सुन वो पलट गयी, और किसी दीवानी की तरह मेरे पूरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी…

मे भी उनका भरपूर साथ देने लगा, उन्होने मेरे हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिए जिन्हें मेने हौले से सहला दिया..
अहह…. देवर्जी….. इन्हें मूह में लेकर चूसो मेरे रजाअजीीीइ…. ये आपके तुम्हारे लिए है…

भाभी की बात सुन मेने अपना मूह उनके एक निपल से अड़ा दिया और चूसने लगा… बड़े ही टेस्टी और मीठे चुचे थे… वो मेरे सर को अपने हाथ से सहला रही थी अपनी आँखें बंद किए हुए…

एक हाथ से मे उनके दूसरे स्तन को सहला रहा था, कभी-2 उनके कड़क हो चुके निपल को दबा देता.. जिसके कारण उनके मूह से सिसकी… ईीीइसस्स्स्शह…. निकल जाती..

कुच्छ देर बाद मे दूसरे स्तन को चूसने लगा, और पहले वाले को हाथ से सहलाता रहा.... मेने चूस-चूस कर, मसल-मसल कर उनके दोनो स्तनों को लाल कर दिया..

भाभी के हाथ का दबाब अपने सर पर पाकर मे नीचे की ओर बढ़ा और उनके पेट और नाभि को चाटता हुआ, उनके रस कलश पर पहुँचा…

मे अपने घुटनों पर बैठकर उनके यौनी प्रदेश को निहारने लगा.. और अपने दोनो हाथों से उनकी मोटी-मोटी जांघों को सहलाते हुए अंदर की ओर लाया,

मेरे हाथों का स्पर्श अपनी जांघों के अंदुरूनी भाग पर पाकर उनकी जांघे अपने आप चौड़ी हो गयी..

अब उनकी चुत और अच्छे से दिख रहा थी… उनकी चुत से बूँद-2 करके रस टपक रहा था, जिसे मेने अपनी उंगली पर रख कर चखा,

एक खट्टा-मीठा सा स्वाद मेरी जीभ को अच्छा लगा,

भाभी ने कहाँ छी : देवर जी ये क्या कर रहे हो गंदी जगह है ये...
मेने एक बार अपने हाथ से चुत को सहला कर अपने होठ उनकी चुत पर रख दिए…

मेरे होठों का स्पर्श अपनी चुत पर पाकर भाभी के मूह से एक मीठी सी सिसकी निकल गयी…..ईीीइसस्स्स्शह……उफफफफफ्फ़………आअहह….. द.द.ए.व.ए.रजीीइईई….

भाभी - आप क्यो गंदी जगह पर मुंह लगा रहे है...
मै - ये तो दुनिया की सबसे अच्छी जगह है.. ( शायद भाई ने कभी इनकी चुत को नही चाटा )

मैने उनकी चुत की दोनो पुट्टियों समेत पूरी चुत को अपने मूह में भर लिया और चूसने लगा…
भाभी - आआआह.... मेरे राज्ज्जजा... चातूओ…ईससीईई…..प्लेआस्ीई….

भाभी के दोनो हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे, उनके मूह से लगातार कुच्छ ना कुच्छ निकल रहा था..
आअहह….हान्न्न…ऐसी..हिी…हइईए…माआ…उफफफ्फ़…. और जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर….स.ईईईईई…..हाइईईईईईईईईईईईई…….उसस्सुउुउऊहह….खा जाऊ…हरंजड़ीइइ..कूऊ…

फिर मैने चुत की क्लिट जो ऊठी हुई थी उसको मुँह मे दबा कर चुसने लगा... और दो उँगलियां अंदर बाहर करने लगा....

भाभी जोर से चिलाने लगी... और फलफालकर झड़ने लगी… ढेर सारा… गाढ़ा-गाढ़ा.. मट्ठा सा.. उनकी चूत से निकलने लगा…
उसने मेरा मूह हटाना चाहा…

लेकिन मैने मुँह वही पर लगाये रखा... मैं उनका सारा चूतरस पी गया… भाभी की टाँगें काँप रही थी, अब उनसे खड़े रहना मुश्किल होता जा रहा था…

अपडेट -14

अब उनसे खड़े रहना मुश्किल होता जा रहा था…

देवरररजी मुझे पलंग पर ले चलो ना…

मेने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया, उन्होने अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दी.. और मैने मेरे मूह पर लगे उनके कामरस को उन्हें भी चाट दिया...
मै - कैसा था स्वाद आपके रस का..?

भाभी कुछ नहीं बोली.. वो मेरे से और चिपक गयी और मेरे गाल पर ज़ोर से काट लिया..

मेरी चीख निकल गयी और उनके दाँतों के निशान मेरे गाल पर छप गये, जिसे वो अपनी जीभ से चाटने लगी…

मेने भाभी को पलग पर लिटा दिया और खुद भी उनकी बगल में लेटकर उनके बदन पर अपना हाथ फिराने लगा.

मैने भाभी से कहाँ अब तुम भी मेरे लंड को अपने मुँह मे लेकर उसे चाटो, चुसो...
भाभी - नहीं... मै ऐसा नहीं कर सकती... मै इसे मुँह मे नहीं ले सकती...

मै - ये बहुत अच्छा है एक बार चुस के देखो फिर बताना... रोज चुसोगी फिर.... और मैने भी तुम्हारी चुत को चाटा है ना...

भाभी नही... मुझसे नहीं होगा....
मै- साली रंडी तु मेरी रखेल है, मै जो बोलुगा वो तु करेगी.... कल तो बडी बडी बाते कर रही थी(मै आपकी दासी हू, आपका ही हक है......... )

भाभी - नाराज ना होवो मेरे राजा.. आपकी खुशी के लिए मै सब कुछ करूँगी...
आप सीधे लेट जाओ... मै आपको सारे सुख दुंगी

मे सीधा लेट गया, तो भाभी अपनी गोल-मटोल 38 इंची गांड लेकर, पैरों के पास बैठ गयी..
उन्होने उसे अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया और धीरे से मसल्ने लगी.. फिर हल्का सा उसका टोपा खोलकर उन्होने उसे चूम लिया…

मज़े में मेरी आहह… निकल गयी, दूसरे हाथ से वो मेरे टट्टों को सहला रही थी, फिर उन्होने लंड को उपर करके उन दोनो को अपने मुँह में भर लिया…

कुच्छ देर मेरे आंडों को चूसने के बाद उन्होने मेरे अधखुले सुपाडे को अपने होठों में क़ैद कर लिया और धीरे-2 उसको अंदर और अंदर लेने लगी....
(पहली बार मे ही भाभी बहुत अच्छे से लंड चूस रही थी )

भाभी अपने मुँह को आगे-पीछे करके उसको चूसने लगी.. मेरा हाल बहाल होने लगा, और अपने-आप मेरी कमर भी आगे पीछे होने लगी, एक तरह से में उनके मुँह को चोद रहा था……

मेरे हाथ उनके सर पर थे, वो मेरी आँखों में देख रही थी और चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी…

मे अपने चरम पर पहुँचने ही वाला था कि उन्होने लंड चूसना बंद कर दिया… मेरे चेहरे पर असीम आश्चर्य के भाव आ गये..

मैने पुच्छा…रुक क्यों गयी भाभी… और करो ना… ! मेरा निकलने वाला था…!

तो वो बोली सैयांजी जी ! आज इसकी पहली धार मुझे अपने अंदर लेनी है, ये कह कर वो पलट गयी, और अपनी पीठ और मदमस्त गांड मेरे से सटा दी…
मेरा लंड चुत को देखकर खुशी से ठुमके लगाने लगा..

उसके झटके देखकर भाभी को हँसी आ गयी और बोली – देखा मेरे बालम जी.. आपका ये शेर अपनी सहेली को देखकर कैसे ठुमके लगा रहा है…

फिर मैने भाभी को अपने नीचे लिया... और अपने हाथ भाभी के चुचो पर टिका दिए, और उनको सहलाते हुए मै उनके उपर झुकता चला गया… उनके होठों को अपने मूह में लेकर चूसने लगा…

उनके निपल मेरे सीने से रब कर रहे थे, जिसके कारण मेरे पूरे शरीर में सुर-सुराहट सी होने लगी…..

भाभी आगे-पीछे होकर अपनी चुचियों को मेरे सीने से घिस रही थी, जिस के कारण उनकी रसभरी चुत भी मेरे लंड से गले मिलने लगी,

और अपने गीले होठों की मसाज देते हुए मानो कह रही ही.. आजा मेरे प्यारे समा जा मुझमें…

अब उनसे रहा नही जा रहा था, सो बोल पड़ी – आहह… देवरररजी… कुच्छ करो अब… जल्दी से…

मैने भी अब देर करना उचित नही समझा, उनके उपर झुके हुए ही मैने लंड को अपनी मुट्ठी में लिया और उनकी रस से भरी गागर के छोटे से मूह पर रख कर अपनी कमर को हल्के से दबा दिया…

गीली चूत में मेरा तिहाई लंड समा गया..

लेकिन भाभी कसी हुई चुत मे मेरा तगडे मोटे लंड की वजह से उनके अंदर एक तेज दर्द की लहर दौड़ गयी.. और मेरे उनके मुँह से चीख निकल गयी…

आईईईई……माआ….! देवरररजी…जरा..रूको… मेरी चुत मे जलन हो रही है आहह…

लेकिन मुझे पता था कि ऐसा कुच्छ देर के लिए होगा.. सो मै लंड को उनकी चुत पर दबाए हुए बैठा रहा और एक चुचि पकड़ कर चुसने लगा…

मैने उनकी चुची को मुँह मे लिए ही लंड को एक बार और दबा दिया…

अब आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में सरक चुका था… लेकिन फिर से हल्का दर्द हुआ...

कुच्छ देर बाद उन्हें राहत सी हुई.. तो मैने जोर से एक झटका मारा और मेरा पूरा आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा लंड अंदर घोंट दिया..

अब दर्द पहले से कम था, शायद उनकी रामप्यारी ने अंदर ही अंदर अपने रस रूपी क्रीम से उसे चिकना दिया था..

अब मैने भाभी की छाती पर अपनी हथेलियों रखी और धक्के लगाने लगा....
शुरू-2 में मै धीरे-2 आराम से धक्के लगाता रहा.. फिर अपनी गति को बढ़ा दिया..


अब उन्हें दर्द की जगह मज़ा आने लगा था..

अपडेट - 15

अब उन्हें दर्द की जगह मज़ा आने लगा था.. और मेने भाभी के दोनो चुचे अपनी मुठियों में कस लिए और ज़ोर-ज़ोर से मीँजने लगा...

भाभी की गांड ऑटोमॅटिकली मूव करने लगी और वो नीचे से अपनी गांद उचका-2 कर धक्के लगाने लगी.

मै तेज़ी से धक्के मारने लगा, कि भाभी के मूह से हइई…..हइई…आआहह…मार्ररिइ…ऊओह…उउफफफ्फ़… जैसी आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी….

वो मेरे धक्कों की स्पीड ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और झड़ने लगी… पूरी तरह झड़ने के बाद वो मेरे उपर पसर गयी…

लेकिन मेरा अभी होना बाकी था... मैने धक्के मारने चालू रखे.

भाभी थोड़ी देर में फिरसे गरम हो गयी.. और फिरसे उनके मूह से ऐसे ही मादक किलकरियाँ निकलने लगी…

आखिकार मेरे अाण्डों से बहता हुआ लावा लंड के रास्ते आने लगा…

और मे बुरी तरह हुनकाआररर… भरते हुए भाभी की चूत में झड़ने लगा…

मेरी पिचकारी इतनी तेज़ी से निकली कि उसकी धार की तेज़ी उन्होने अपनी बच्चेदानी के अंदर तक महसूस की और उसके एहसास से वो फिर बुरी तरह से झड गयी…

फिर भाभी और मे, हम दोनो ही एक दूसरे से चिपक गये किसी जोंक की तरह…

स्खलन की खुमारी मे मै उनके उपर पड़ा रहा...

एक तरह से झपकी ही लग गयी थी हम दोनो को…

अभी तक मेरा लंड उनकी चूत में ही था… जो फिरसे गर्मी पाकर अंदर ही अंदर अकड़ने लगा था,

जैसे ही मै उनके उपर से उठा, पच की आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर हो गया.

ढेर सारा माल जो मेरे लंड और उनकी चूत से दो बार निकला था मेरे उपर गिरा और उनका सारा पेट, कमर जंघें सब के सब सन गये…

भाभी ने कहा अब बाथरूम जाना होगा...देखो तो क्या हाल हो रहा है..
मैने कहा दोनो साथ में ही चलते हैं ना..

तो वो हंस कर बोली – चलो ठीक है, और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, पीछे -2 मे भी उनकी मटकती गांद को सहलाते हुए चल दिया…

बाथरूम में पहुँचकर भाभी ने पहले मेरा शरीर पानी से धोया, और उसके बाद अपनी चुत साफ करने लगी…

मै भाभी से बोला – भाभी कैसा लगा चुदकर...

उन्होंने कोई जबाब नही दिया, वो मुझे झुकाकर अपनी बाहों में भरके मेरे होठों पर एक किस करके बोली - सच कहूँ… तो आपने मुझे बिन-मोल खरीद लिया देवर जी.. मरते दम तक आज के दिन को, चाह कर भी भूल नही पाउन्गी…!

मै - मे तुम्हें तुम्हारे जीवन की हर वो खुशी दुंगा जो तुम्हे चाहिए..
मेने भाभी को किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया… वो भी अपनी दोनो टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे गले से लिपट गयी…..

मेरा लंड उनकी गांद की खुश्बू लेते ही तन टॅनाने लगा.. और उनके गांद के नीचे ठोकर मारने लगा…

भाभी हँसते हुए बोली अपने शेर को संभालो मेरे राजा...

मै - ये क्या करे जब इतनी आरामदायक गुफा दिख रहा हो तो वो उसमें जाने की ज़िद करेगा ही ना…

ऐसी ही हसी मज़ाक करते हुए.. मै उन्हें गोद में उठाए बाथरूम से बाहर लाया और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..


भाभी - अब उतारो मुझे.. या कुच्छ और इरादा है......

अपडेट -16

भाभी - अब उतारो मुझे.. या कुच्छ और इरादा है......

मै - इरादा तो बहुत करने का है....
भाभी - मेरे राजा मन मेरा भी बहुत है, कि आप मुझे प्यार करो
लेकिन टाइम बहुत हो चुका है, माजी खेत से आती ही होगी.
मुझे भाभी की बात सही लगी
मैने भाभी के होठों को चुसा और अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गया...
बाहर आते ही मुझे कमला ताई मिल गई.
मै - आ गए ताईजी खेत से
कमला - हा बेटा, आज देर हो गई,, तेरा ताऊ तो नशे में पड़ा है, इसलिए मुझे ज्यादा काम करना पड़ा.

फिर में कमरे मे आ गया, उसके बाद सबके साथ खाना खाया, सभी बच्चे खेलने लगे और मै छोटे ताऊ के घर की तरफ चल पड़ा.
वहाँ पर ताईजी मिली...
मै- बाकी सब कहाँ है.
संतोष ताई - तेरी दादी का सर दर्द कर रहा है तो वे कमरे मे है, बहु राकेश के साथ शहर कपडे लाने गई है, और तेरे ताऊ तो खेत मे ही है.
फिर ताई ने कहा...
संतोष - बेटा तु बैठ मै तेरे ताऊ के पास जा रही हू उनको रोटी देने, और खेत से चारा भी लाना है..
मेने कहा ठीक है ताईजी....
वो खेत मे चली गई..

मै दादी के कमरे की तरफ चला गया... वहाँ पर दादी पंलग पर सो रही थीं... मै उसके पास गया. वो ब्लाउज और घाघरे मे थी...
उसके मोटे मोटे बोबो को देखकर मेरा मन उनको दबाने और पीने का हुआ...
मैने दादी के ब्लाउज के बटन खोल दिये जिससे खरबुजे जैसी मेरी चुचिया मेरे सामने आ गई.. मैने दादी के घाघरे के नाडे को खोलकर धीरे से नीचे खिसका दिया...
मैने दादी की एक चुची को भींचा, दादी थोड़ी सी कसमसाई... वो मेरे हाथ मे पूरी नहीं आई... फिर मे उनको मसलने लगा... जिससे दादी की सिसकारी निकल गई

मै अपना हाथ चुत पर ले गया और दो उंगलियों को दादी की सूखी चुत मे घुसेड दिया...
जिससे दादी को दर्द हुआ और वो हड़बडाकर ऊठ गई... दादी के ऊपर मै था जिस कारण वो उपर नहीं हो पाई...
दादी(दर्द मे) - आआआह... मा... क्या कर रहहहा.. है बेटा...
अपनी आआह.. दादी को मार ही डालेगा क्ययया.. उउउउई.. मा...
मै ऊगलियां अंदर बाहर कर रहा था जिस कारण दादी की लगातार सिसकियां निकल रही थी.

मै तुम्हें कैसे मार सकता हू दादी.., इतना कहा कर मेने अपने होठ उनके लरजते होठों पर रख दिए…

दादी मुझसे कसकर लिपट गयी… मेने उनके नितंबों को अपने हाथों में लेकर कस दिया.. तो वो और ज़ोर से अपनी जांघों को मेरी जांघों से सटाने लगी…

मेरा लंड जो कुच्छ इस दौरान ढीला पड़ गया था.. वो फिरसे अकड़ने लगा और दादी की नाभि में ठोकर मारने लगा…

दादी ने उसे अपनी मुट्ठी में कस लिया और उसे मसल्ते हुए बोली लल्ला ये तुम्हारा मूसल ग़लत रास्ते को ढूंड रहा है.. इसे सम्भालो, नही तो मेरे पेट में ही घुस जाएगा…!

मै - ये अब आपके हवाले है दादी, इसे सही रास्ता दिखना आपका काम है… फिर दादी ने मेरी टीशर्ट निकाल दी और मेरी मजबूत कसरती छाती, जिसपर बाल घने होते जा रहे थे, को सहलाते हुए बोली
पूरे मर्द हो गये हो लल्ला.. क्या मजबूत बना लिया तुमने अपने शरीर को…

एक औरत को ऐसी ही मजबूत छाती चाहिए अपना सर रखने के लिए… बहुत खुश नसीब होगी वो, जिससे तेरा ब्याह होगा...

मे – अभी तो ये आपके लिए है..
ये सुनते ही दादी ने मेरे सीने को चूम लिया और उसे चाटने लगी

मेरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी… और मेने उनको अलग करके उनके दोनो खरबूजों को ज़ोर से मसल दिया…
आअहह……लल्ला.एयाया… इतने ज़ोर से नही रजीईई… हान्ं…प्यार से सहलाते रहो… उफफफफ्फ़…. सीईईईई…ऊहह…

मैने दादी के बोबो पर हाथ रख दिया….. आअहह… क्या मस्त खरबूजे थे दादी के… एकदम गोल-मटोल… बड़े-बड़े, ढीले हो गये थे इस उम्र मे लेकिन फर भी क्या थे वो… जिनपर एक-एक काले अंगूर के दाने जैसे ब्राउन कलर के निपल जो अब खड़े होकर इंच बड़े हो चुके थे…

मेने उन दोनो को अपनी उंगली और अंगूठे में दबाकर मसल दिया….जिससे एक लंबी सी अह्ह्ह्ह…. उनके मूह से निकल गयी..

अब मेने उनकी चुचियों को चूसना, चाटना शुरू कर दिया था, और एक हाथ से मसलने लगा.. दादी मादक सिसकिया लेते हुए… कुच्छ ना कुच्छ बड़बड़ा रही थी…

चूस-चूस कर, मसल-मसल कर मेने उनके दोनो कबूतरों को लाल कर दिया…

जब मेने एक हाथ उनकी बूढी चुत के उपर रखा तो वो पूरी तरह कमरस से तर को चुकी थी… मे उनके पेट को चूमते हुए… उनकी जांघों के बीच बैठ गया..
मैने दादी की चूत पर किस कर लिया….

हइई….लल्ला.. ये क्या करते हो… भला वहाँ भी कोई मूह लगाता है…
मेने झिड़कते हुए कहा… आपको मज़ा आरहा है ना… तो उन्होने हां में सिर हिला दिया …

मेैने फिर कहा तो बस चुप चाप मज़ा लीजिए… मुझे कहाँ क्या करना है वो मुझे करने दीजिए..
वो सहम कर चुप हो गयी.. और आने वाले मज़े में खोने लगी..
मैने उनकी झान्टो के बालों को अपनी मुट्ठी में लेकर हल्के से खींच दिया…


दादी - हइई… बेटटा… खींच क्यों रहे हो…
Ye ladla to sabko koi na koi nishani de Dega Yadi aise hi Sabki chuto me apna pani chhodta rha to, bhabhi ko kya Jabardast hot tarike se choda hai or ab dadi ki bari hai dekhte hai kya hota hai aage... Superb updates bhai sandar jabarjast
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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अपडेट -17

दादी - हइई… बेटटा… खींच क्यों रहे हो…
मेने कहा तो ये जंगल सॉफ क्यों नही किया..
दादी - हाईए.. बेटटटा… आज के बाद ये कभी तुम्हें नही दिखेंगे…

मैं उनकी चूत चाटना चाहता था, लेकिन झान्टो की वजह से मन नही किया.. और अपनी उंगलियों से ही उसके साथ थोड़ी देर खेला…
उनकी चूत लगातार रस छोड़ रही थी, जिसकी वजह से उनकी झान्टे और जांघें चिपचिपा रही थी…

और मत तडपाओ बेटा … नही तो मेरी जान निकल जाएगी… दादी मिन्नत सी करते हुए बोली…
(बहुत सालो से दादी चुदी नहीं थी जिस कारण उनसे अब सब्र नहीं हो रहा था )

मेने अपना पजामा निकाल कर, लंड को सहलाते हुए उनकी जांघों के बीच आ गया..
दादी अपनी जांघें फैलाकर लेटी थी… मेरे मूसल जैसे 7½” लंबे लंड को देखकर वो बोली – लल्ला आराम से करना.. तुम्हारा हथियार बहुत बड़ा है…

मै क्यों ऐसा पहले नही लिया क्या..

दादी - बेटा बहुत साल हो गए चुदे हुए, अब तो चुदाई कैसी होती है वो भी भुल रही हू....
बेटा मेने तो देखा भी नही है अब तक ऐसा.. तेरे दादा का तो इससे छोटा ही था, वो ही गया है बस इसमे या फिर मेरी उंगलियां...
मेने दादी की झान्टो को इधर-उधर करके, उनकी चूत को खोला, उनका छेद छोटा था…बहुत सालो से ना चुदने के कारण सिकुड़ गया था....

मेने एक बार उनकी चूत के लाल-लाल अन्द्रुनि हिस्से को चाटा…दादी की कमर लहराई… और मूह से आससीईईईईईईई… जैसी आवाज़ निकल गयी…

अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाकर मेने सुपाडा दादी के छेद में फिट किया और एक हल्का सा झटका अपनी कमर में लगा दिया…

दादी - आहह… धीरीए…. सीईईईईईई.. बहुत मोटा है… तुम्हारा.. लल्ला…

लंड आधा भी नही गया.. कि दादी कराहने लगी थी…

मेने उनके होठों को चूमते हुए कहा.. बहुत कसी हुई चूत है दादी तेरी.. मेरे लंड को अंदर जाने ही नही दे रही…

मेरे मूह से ऐसे शब्द सुनकर दादी मेरे मूह को देखने लगी..

दादी - ऐसे ना बोल बेटा मुझे शरम रही है, अपने पोते के मुँह से ऐसी बाते सुनकर

मेैने कहा पोते का लंड लेते हुए शरम नहीं आती.... खुलकर बोलने में ही ज़्यादा मज़ा है.. आप भी बोलो…

मेने फिर एक और धक्का मार दिया और मेरा आधे से ज़्यादा लंड उनकी कसी हुई चूत में चला गया, दादी एक बार फिर कराहने लगी… मेने धीरे-2 लंड को अंदर बाहर किया…

दादी की चूत पानी छोड़ रही थी.. मेने धक्के तेज कर दिए… दादी आह..ससिईहह.. करके मज़े लेने लगी, और कमर उठा-2 कर चुदाई का लुफ्त लूटने लगी, हमें पता ही नही चला कब लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया..

आअहह…दादी क्या चूत है.. तेरी.. बहुत पानी छोड़ रही है…

ओह्ह्ह.. मेरे राजा… तेरा मूसल भी तो कितनी ज़ोर से कुटाई कर रहा है मेरी ओखली में… पानी ना दे बेचारी तो और क्या करेगी…
अब दादी भी खुलकर मज़े ले रही थी…और मनचाहे शब्द बोल रही थी…

मेरे मोटे डंडे की मार उनकी चुत ज़्यादा देर नही झेल पाई और जल्दी ही पानी फेंकने लगी.. दादी एक बार झड चुकी थी...

मै उनके नीचे आ गया और उनको अपने उपर खींच लिया...

मै उनकी चुचियों को मसलने लगा…
मै - दादी मेरे लंड को अपनी चूत में लो ना…

दादी - अह्ह्ह्ह.. थोड़ा तो सबर करो… मेरे राजा.. फिर उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को मुट्ठी में जकड़कर उसे अपनी गीली चूत के होठों पर रगड़ने लगी, जिससे वो फिरसे गरम होने लगी..

मेरे सुपाडे को चूत के मूह से सटा कर धीरे-2 वो उसके उपर बैठने लगी…

जैसे जैसे लंड अंदर होता जा रहा था… साथ साथ दादी का मूह भी खुलता जा रहा था, साथ में कराह भी, आँखें मूंद गयी थी उनकी.
पूरा लंड अंदर लेने के बाद वो हाँफने सी लगी,
और बोली हाईए… राम.. बेटटा… कितना बड़ा लंड है तुम्हारा… मेरी बच्चेदानी के अंदर ही घुस गया ये तो….

और अपने पेडू पर हाथ रख कर बोली - उफफफफ्फ़… देखो… मेरे पेट तक चला गया… फिर धीरे-2 से वो उसपर उठने बैठने लगी…

बुढी़ होने के कारण दादी ज्यादा देर तक ऊपर नीचे नहीं हो पाई, दादी थक गई....

अब कमान मैने अपने हाथों मे ले ली और मैने जोर -2 से धक्के लगाने शुरू कर दिये.

इससे दादी मजे से हवा मे उड़ने लगी....
मजे मे वो अनाप -सनाप बक रही थीं, लग रहा था अपना आपा खो चुकी है.....

दादी - हइई… मॉरीइ… मैय्ाआ…. अब तक ये मुझे क्यों नही मिला… अब मै अपने पोते के बच्चे की माँ बनूँगी… इसी मूसल से… उउफफफ्फ़.. मेरे सोने राजा… मेरे लल्लाअ.. के बीज़ से…

कमरे में ठप-ठप की अवजें गूँज रही थी.. दोनो ही पसीने से तर-बतर हो चुके थे..
फिर जैसे ही मुझे लगा कि अब मेरा छूटने वाला है…
मैने 20-25 तूफ़ानी धक्के लगा कर उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया………

10 मिनट तक दादी मेरे ऊपर आँख बंद किये हुए लेटी रही...


मै दादी के होठ चुमते हुए बोला - दादी पोते से चुदकर कैसा लगा...

* अपडेट - 18


मै दादी के होठ चुमते हुए बोला - दादी पोते से चुदकर कैसा लगा...

दादी - सच बताऊ तो बेटा आज तक इतना मजा मुझे कभी नहीं आया, मन करता है तेरे इस मुसल को अपनी बुढी़ चुत मे ऐसे ही लिये रहू.
मै - चिंता मत कर आज से ये तेरा ही है.
तेरा पोता तुझे कस कस के चोदेगा...
मैने उसके चुतडो को भींच दिया...

दादी -आआआह.. आज से तततु.. मेरा सैया, मेरा राजा मेरा पति है.
आज से मेरा सबकुछ तेरा है....
मै - तेरी चुत और गांड तो है... चुत तो मैने मार ली
तेरी ये करारी गांड भी जल्दी ही फांडुगा.... मैने दादी की गांड के छेद को उंगली से घीसते हुए कहा...

दादी - आआआह... हहहा.. मेरे राजा ये तेरी ही है..
मेरा सब कुछ मै तुझे दे दुंगी... मेरा सबकुछ अब तेरा ही है, और किसी का नहीं...

मै दादी की बात नहीं समझा...
मैने पुछा- क्या सबकुछ दोगी मुझे...

दादी - जो मेरे पास है वो सब...
मै - क्या है तेरे पास...
दादी कुछ सोचते हुए... वो मै तुम्हें कल बताऊंगी और दिखाऊंगी भी....

मैने पूछा अभी ही दिखा दो.....
दादी ने मेरे होठों को चुमते हुए कहा अभी नही कल.. थोड़ा सब्र करो...

दादी - मैने तुम्हे अपना सबकुछ मान लिया है... तु हमेशा मुझे ऐसे प्यार करेगा ना...
मैने हां कहा.. और दादी के होठों को चुसने लगा...दादी मुझसे अलग ही नहीं हो रही थीं, शायद कई सालो बाद चुदाई हुई वो इतनी जबरदस्त इसलिए...
कुछ देर चुसने के बाद दादी चलो उठो देर हो गई है कोई आ जायेगा...
दादी मुझे ऐसे ही सोना है तेरे पास...
मै- मेरी प्यारी चुदक्कड़ रानी मै तेरे पास ही हू.. जब तेरा मन होगा तुझे चोदुंगा...

फिर मै खड़ा हो गया और कपड़े पहनने लगा... दादी ने भी पहन लिये...
हम बाहर आ गये.... फिर ताई भी आ गई और मै घर से बाहर आ गया....
शाम हो गई थी, मुझे खुशी दी थी मै उसके पास चला गया.
वो बोली चाचा आप कहाँ थे..
मैने कहा की दादी के पास था..

मैने पूछा की क्या हुआ... तो वो बोली मै आपके रूम मे गई थी आप मुझे मिले नहीं... मेरे लिए तो आपके पास टाइम ही नहीं है..
मै- ऐसी बात नहीं है मेरी जान तेरे लिए तो बहुत टाइम है, वो दादी का सर दर्द कर रहा था तो उनके पास था...

मैने खुशी को गोद मे उठा लिया और उसके गालो को चुसनें लगा, उसने भी मेरे गालो पर किस किया...
फिर उसके साथ मै अंदर आ गया...
कुछ टाईम मैने रूम मे बिताया, फिर मनीषा खाना खाने के लिए बुलाने आ गई....
खाना खाकर मै अपने रूम मे आ गया..

मेरे दिमाग मे एक ही बात आ रही कि दादी मुझे क्या देना चाहती है, वो कल मुझे क्या दिखाने वाली है... बहुत देर तक मै सोचता रहा, फिर सो गया...

अपडेट - 19

मेरे दिमाग मे एक ही बात आ रही कि दादी मुझे क्या देना चाहती है, वो कल मुझे क्या दिखाने वाली... बहुत देर तक मै सोचता रहा, फिर सो गया...


अगला दिन -
आज मे जल्दी उठ गया, मेरे दिमाग मे दादी की बात आ रही थीं...
आज मैने बड़े ताऊजी के यहाँ नाश्ता कर लिया...
फिर मै बाहर चला गया... मुझे नंदलाल भाई की आवाज सुनाई दी तो मै उनकी तरफ चला गया.. वो घर में पलंग पर बैठे हुए थे.

मै - भाई जी क्या कर रहे हो..
नंदलाल - कुछ नहीं यार आज नौकरी के लिए जा रहा हू...
फिर नंदलाल भाई भाभी को बोलते है- कितना टाइम लगेगा तुझे तैयार होने में

मैने कहाँ - भाभी भी आपके साथ जा रही है..
नंदलाल - नहीं, ये अपने मायके जा रही है...
कल इसके भाई का फोन आया था मेरे पास , इसकी भाभी को बच्चा होने वाला है तो वो इसको वहां पर बुला रहे है
मैने उनको हा बोल दिया की मै इसको भेज दुंगा...

मुझे नंदलाल पर गुस्सा तो बहुत आया पर मै कुछ कर नहीं सकता...
नंदलाल - जल्दी से तैयार हो जा, तेरे तैयार होने से तेरी ये आँख ठीक नहीं होने वाली...
मै खेत की तरफ जा रहा हू.. आधे - पौने घंटे मे आ जाऊगा तब तक तैयार मिलिए...
इतना बोलकर भाई चले गये...
मै भाभी के रूम मे आ गया...
मेरे आते ही भाभी ने जल्दी से गेट बंद किया और मेरे गले लग गई.... उनकी आँखों मे आँसू थे...

मैने कहा भाभी भाई की बात का बुरा मत मानो वो तो ऐसे ही बोलते है...
भाभी - मुझे उनकी बात का अब कोई बुरा नहीं है...
ये तो आपसे दुर होने के कारण आ रहे है..
मै - हम दुर थोड़ी ही है...
भाभी - मुझे नहीं जाना मै मना कर देती हूँ.
मै - नहीं भाभी थोड़े दिनों की तो बात है, आपने मना किया ते आपके घरवालों को बुरा लगेगा..

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया
भाभी - मै क्या करू इतने दिनो तक आपसे और इससे दूर कैसे रहूँगी...
मै भाभी को किस करने लगा...
भाभी - आप मुझे जल्दी से चोद दो...
मै -अभी, कोई आ जायेगा...

कहते है ना सेक्स की आग बड़ी खतरनाक होती है

भाभी - कोई नहीं आयेगा.. जल्दी से चोद दो... फिर बहोत दिनो के बाद ये मिलेगा...
मै भाभी को होठों को चुसने लगा और उसके मोटे -2 चुचो को मसलने लगा...
भाभी आआआआह... मेरे राज्ज्जजा.... ऐसे ही...

मैने उनका नाडा़ खोलकर सलवार को पेंटी के साथ नीचे कर दिया...

मैने उनको गोद मे उठा लिया, भाभी भारी थी... और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा दिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सा झटका दीया…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा….

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पंलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…

एक बार उन्हें दर्द की लहर सी उठी, भाभी अपने होठों को कसकर दवाए अपने दर्द को पी गयी..

भाभी मस्ती से आसमान मे उड़ने लगी…

कमरे में हमारी जांघों की थप सुनाई दे रही थी… मेरे ताक़तवर धक्कों के कारण भाभी कुच्छ ना कुच्छ बोल रही थी बडबडा रही थी..

जब एक ही मुद्रा में हमें काफ़ी देर हो गयी.. तो मैने भाभी को पलट दिया और उनके घुटने जोड़ कर पलंग पर घोड़ी की तरह बना दिया…

ऐसा भाभी के लिए पहली बार था, उन्होंने पहले ऐसे नहीं किया था...

अब उनकी मस्त 38” की गद्देदार कसी हुई गांद मेरे सामने थी, जिसे देखकर मे अपना आपा खो बैठा और उनके एक चूतड़ को काट लिया…

आअहह…..काटो मत…जानुउऊ…, वो दर्द से तडपी..तो मेने उस जगह को चूमा और फिर उनके दोनो चुतड़ों को बारी-बारी से चाटने लगा…

अपना मूह उनकी मोटी गांद में डाल दिया और उनकी चूत और गांद के छेद को चाटने लगा…....

आह्ह्ह्ह… अब अपना मूसल डालो मेरे रजाआा… क्यों तड़पाते हूओ…

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

अपडेट - 20

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

भाभी - ईईीीइसस्स्स्स्शह……हइईईईई….रामम्म्मममम…. अब छोड़ूऊ…राज्ज्जजा….. आराम सीईए…. उफफफफफफफफफफफ्फ़….. कितना मज़ाअ देते हूऊ…तुम… मुझे अपना गुलामम्म्म.. बनाआ.. लियाअ…
जी करता है, इसे हर समय अपनी में ही डाले रहूं….डालोगे नाआ…
भाभी ने नाम नहीं लिया
मैने बोला किसमे डालोगी...
भाभी आआआह.. मेरररे... राजजा... अपनी चचचचुत... में.. आआह...

मेरी जांघे तपाक से उनके भारी चुतड़ों पर पड़ने लगी… कभी-2 मे उनकी गांद मसल देता, तो कभी उनके चुतड़ों पर थप्पड़ जड़ देता…
चुदाई…चरम…पर पहुँचती जा रही थी…

बीस मिनट की धुँआधार चुदाई के बाद भाभी दुसरी बार और मै पहली बार साथ ही झड़ने लगे…भाभी की चुत से लगातार कामरस बरस रहा था…

झड़ने के बाद वो पलंग पर औंधी पसर गयी और में उनकी पीठ पर लेटगया..

मैने अपनी सांसो को सही किया और खड़ा हो गया... भाभी औंधे मुह लेटी रही... मैने उनको खड़ा किया ..
फिर हम दौनो ने कपड़े पहन लिये..

भाभी ने मुझे और कस के गले लगा लिया...
इतने मे नंदलाल भाई आ गये...
कुछ समय बाद नंदलाल भाई भाभी और नितिन को लेकर शहर चले गये... भाभी जाते हुए मुझे देख रही थी...

मै घर की तरफ चल पड़ा.. मुझे दादी दिखाई दी.
मैने कहां दादी कैसी हो...
दादी - कल तेरे मुसल ने हालत खराब कर दी, मेरी निगोडी़ मुनिया मे अभी भी खुजली हो रही है
मै - तेरी सारी खुजली मिटा दुंगा...

दादी - चल मेरे साथ...
मै- कहाँ...
दादी - चल तो सही...

वो हमारे खेतों की तरफ चल पड़ी, मे भी उनके साथ चल पड़ा..
रास्ते मे हमे रोशनी काकी मिली, वो खेत से चारा लेकर आयी थीं.

उसने दादी को प्रणाम किया...
मैने उससे पूछा कैसी हो काकी, उसने कोई जवाब नहीं दिया..
मै दो - तीन दिन ये उसके पास नहीं गया, इसलिए वो नाराज थी..
मुझे गुस्सा आया उस पर..
मै दादी के साथ चल पड़ा..





*** (चारों भाइयों के खेतो के पास एक कोने मे हमारी एक थोड़ी से जमीन और थी...
दादाजी ने ये जमीन ऐसे ही रख रखी थी, इस पर खेती नहीं होती थी..और इसे हमेशा ऐसे ही रहने देने के लिए कहा था इसमे एक छोटा सा मंदिर था..
इस जमीन पर बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे...

एक तरफ कोने मे और काम मे न लेने के कारण यहाँ पर सब कम ही आते थे...


इसके एक साईड मे बड़ी बड़ी कंटीली झाड़ियां थी... इसमे बडे बडे छायादार पेड़ थे जिस कारण बाहर से इस तरफ कम ही देखा जाता था ). ***


दादी मुझे वहां पर ले गई

मै - आप मुझे यहाँ पर क्यूँ लाई है.
दादी - पहले एक कस्सी (खोदने का फावडा़ ) लेके आ..


ये जगह हमारे खेत से नजदीक ही है तो मै जाके वहां से एक कस्सी ले आया…
Dadi ne akhir kya dene ko kaha hai Apne pote ko Dekhte hai kal, bhabhi ko nandlal apne sasural bhej rha hai Taki bhabhi ki bhabhi ko madad kr sake uske navjat bacche ke hone pr, bhabhi ne apne devar se Jane ke Pahle acche se apni pyash bujhva li, dadi pote Ko leke Apne kheto ke pass padi unke mandir ki jamin pr pahuch gyi hai or ab dadi ne ek favda lane ko kaha hai dekhte hai kya dene vali hai dadi apne pote Ko... Superb updates bhai sandar jabarjast
 
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