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Incest सबका लाड़ला

Devil Baba

FUCK YOU
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Hello..दोस्तों... मैं हूं Devil...

ये मेरी पहली कहानी हैं...वैसे आज ही मैं इस साईट पर आया हूँ...
वैसे मैंने ये कहानी पहले किसी दूसरी साईट पर भी पोस्ट करी हैं.लेकिन वहां पर पूरी नहीं हुई...
उस साईट मे कुछ प्रॉब्लम हो गई,और मैं भी अपनी id भूल गया.
मैं कोई राइटर नहीं हूं..हो सकता है बहुत से लोगों को कहानी पंसद ना आये...but कोशिश पूरी होगी
तो आशा हैं कि ये कहानी आप सब को पसंद आयेगी...

ये एक कहानी काल्पनिक है
 
Last edited:

Devil Baba

FUCK YOU
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अपडेट - 19

मेरे दिमाग मे एक ही बात आ रही कि दादी मुझे क्या देना चाहती है, वो कल मुझे क्या दिखाने वाली... बहुत देर तक मै सोचता रहा, फिर सो गया...


अगला दिन -
आज मे जल्दी उठ गया, मेरे दिमाग मे दादी की बात आ रही थीं...
आज मैने बड़े ताऊजी के यहाँ नाश्ता कर लिया...
फिर मै बाहर चला गया... मुझे नंदलाल भाई की आवाज सुनाई दी तो मै उनकी तरफ चला गया.. वो घर में पलंग पर बैठे हुए थे.

मै - भाई जी क्या कर रहे हो..
नंदलाल - कुछ नहीं यार आज नौकरी के लिए जा रहा हू...
फिर नंदलाल भाई भाभी को बोलते है- कितना टाइम लगेगा तुझे तैयार होने में

मैने कहाँ - भाभी भी आपके साथ जा रही है..
नंदलाल - नहीं, ये अपने मायके जा रही है...
कल इसके भाई का फोन आया था मेरे पास , इसकी भाभी को बच्चा होने वाला है तो वो इसको वहां पर बुला रहे है
मैने उनको हा बोल दिया की मै इसको भेज दुंगा...

मुझे नंदलाल पर गुस्सा तो बहुत आया पर मै कुछ कर नहीं सकता...
नंदलाल - जल्दी से तैयार हो जा, तेरे तैयार होने से तेरी ये आँख ठीक नहीं होने वाली...
मै खेत की तरफ जा रहा हू.. आधे - पौने घंटे मे आ जाऊगा तब तक तैयार मिलिए...
इतना बोलकर भाई चले गये...
मै भाभी के रूम मे आ गया...
मेरे आते ही भाभी ने जल्दी से गेट बंद किया और मेरे गले लग गई.... उनकी आँखों मे आँसू थे...

मैने कहा भाभी भाई की बात का बुरा मत मानो वो तो ऐसे ही बोलते है...
भाभी - मुझे उनकी बात का अब कोई बुरा नहीं है...
ये तो आपसे दुर होने के कारण आ रहे है..
मै - हम दुर थोड़ी ही है...
भाभी - मुझे नहीं जाना मै मना कर देती हूँ.
मै - नहीं भाभी थोड़े दिनों की तो बात है, आपने मना किया ते आपके घरवालों को बुरा लगेगा..

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया
भाभी - मै क्या करू इतने दिनो तक आपसे और इससे दूर कैसे रहूँगी...
मै भाभी को किस करने लगा...
भाभी - आप मुझे जल्दी से चोद दो...
मै -अभी, कोई आ जायेगा...

कहते है ना सेक्स की आग बड़ी खतरनाक होती है

भाभी - कोई नहीं आयेगा.. जल्दी से चोद दो... फिर बहोत दिनो के बाद ये मिलेगा...
मै भाभी को होठों को चुसने लगा और उसके मोटे -2 चुचो को मसलने लगा...
भाभी आआआआह... मेरे राज्ज्जजा.... ऐसे ही...

मैने उनका नाडा़ खोलकर सलवार को पेंटी के साथ नीचे कर दिया...

मैने उनको गोद मे उठा लिया, भाभी भारी थी... और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा दिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सा झटका दीया…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा….

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पंलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…

एक बार उन्हें दर्द की लहर सी उठी, भाभी अपने होठों को कसकर दवाए अपने दर्द को पी गयी..

भाभी मस्ती से आसमान मे उड़ने लगी…

कमरे में हमारी जांघों की थप सुनाई दे रही थी… मेरे ताक़तवर धक्कों के कारण भाभी कुच्छ ना कुच्छ बोल रही थी बडबडा रही थी..

जब एक ही मुद्रा में हमें काफ़ी देर हो गयी.. तो मैने भाभी को पलट दिया और उनके घुटने जोड़ कर पलंग पर घोड़ी की तरह बना दिया…

ऐसा भाभी के लिए पहली बार था, उन्होंने पहले ऐसे नहीं किया था...

अब उनकी मस्त 38” की गद्देदार कसी हुई गांद मेरे सामने थी, जिसे देखकर मे अपना आपा खो बैठा और उनके एक चूतड़ को काट लिया…

आअहह…..काटो मत…जानुउऊ…, वो दर्द से तडपी..तो मेने उस जगह को चूमा और फिर उनके दोनो चुतड़ों को बारी-बारी से चाटने लगा…

अपना मूह उनकी मोटी गांद में डाल दिया और उनकी चूत और गांद के छेद को चाटने लगा…....

आह्ह्ह्ह… अब अपना मूसल डालो मेरे रजाआा… क्यों तड़पाते हूओ…

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…
 

Devil Baba

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अपडेट - 20

भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

भाभी - ईईीीइसस्स्स्स्शह……हइईईईई….रामम्म्मममम…. अब छोड़ूऊ…राज्ज्जजा….. आराम सीईए…. उफफफफफफफफफफफ्फ़….. कितना मज़ाअ देते हूऊ…तुम… मुझे अपना गुलामम्म्म.. बनाआ.. लियाअ…
जी करता है, इसे हर समय अपनी में ही डाले रहूं….डालोगे नाआ…
भाभी ने नाम नहीं लिया
मैने बोला किसमे डालोगी...
भाभी आआआह.. मेरररे... राजजा... अपनी चचचचुत... में.. आआह...

मेरी जांघे तपाक से उनके भारी चुतड़ों पर पड़ने लगी… कभी-2 मे उनकी गांद मसल देता, तो कभी उनके चुतड़ों पर थप्पड़ जड़ देता…
चुदाई…चरम…पर पहुँचती जा रही थी…

बीस मिनट की धुँआधार चुदाई के बाद भाभी दुसरी बार और मै पहली बार साथ ही झड़ने लगे…भाभी की चुत से लगातार कामरस बरस रहा था…

झड़ने के बाद वो पलंग पर औंधी पसर गयी और में उनकी पीठ पर लेटगया..

मैने अपनी सांसो को सही किया और खड़ा हो गया... भाभी औंधे मुह लेटी रही... मैने उनको खड़ा किया ..
फिर हम दौनो ने कपड़े पहन लिये..

भाभी ने मुझे और कस के गले लगा लिया...
इतने मे नंदलाल भाई आ गये...
कुछ समय बाद नंदलाल भाई भाभी और नितिन को लेकर शहर चले गये... भाभी जाते हुए मुझे देख रही थी...

मै घर की तरफ चल पड़ा.. मुझे दादी दिखाई दी.
मैने कहां दादी कैसी हो...
दादी - कल तेरे मुसल ने हालत खराब कर दी, मेरी निगोडी़ मुनिया मे अभी भी खुजली हो रही है
मै - तेरी सारी खुजली मिटा दुंगा...

दादी - चल मेरे साथ...
मै- कहाँ...
दादी - चल तो सही...

वो हमारे खेतों की तरफ चल पड़ी, मे भी उनके साथ चल पड़ा..
रास्ते मे हमे रोशनी काकी मिली, वो खेत से चारा लेकर आयी थीं.

उसने दादी को प्रणाम किया...
मैने उससे पूछा कैसी हो काकी, उसने कोई जवाब नहीं दिया..
मै दो - तीन दिन ये उसके पास नहीं गया, इसलिए वो नाराज थी..
मुझे गुस्सा आया उस पर..
मै दादी के साथ चल पड़ा..




*** (चारों भाइयों के खेतो के पास एक कोने मे हमारी एक थोड़ी से जमीन और थी...
दादाजी ने ये जमीन ऐसे ही रख रखी थी, इस पर खेती नहीं होती थी..और इसे हमेशा ऐसे ही रहने देने के लिए कहा था इसमे एक छोटा सा मंदिर था..
इस जमीन पर बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे...

एक तरफ कोने मे और काम मे न लेने के कारण यहाँ पर सब कम ही आते थे...

इसके एक साईड मे बड़ी बड़ी कंटीली झाड़ियां थी... इसमे बडे बडे छायादार पेड़ थे जिस कारण बाहर से इस तरफ कम ही देखा जाता था ). ***


दादी मुझे वहां पर ले गई

मै - आप मुझे यहाँ पर क्यूँ लाई है.
दादी - पहले एक कस्सी (खोदने का फावडा़ ) लेके आ..

ये जगह हमारे खेत से नजदीक ही है तो मै जाके वहां से एक कस्सी ले आया…
 

Nasn

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भाभी की हालत मुझसे देखी नही गयी और मेने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

भाभी - ईईीीइसस्स्स्स्शह……हइईईईई….रामम्म्मममम…. अब छोड़ूऊ…राज्ज्जजा….. आराम सीईए…. उफफफफफफफफफफफ्फ़….. कितना मज़ाअ देते हूऊ…तुम… मुझे अपना गुलामम्म्म.. बनाआ.. लियाअ…
जी करता है, इसे हर समय अपनी में ही डाले रहूं….डालोगे नाआ…
भाभी ने नाम नहीं लिया
मैने बोला किसमे डालोगी...
भाभी आआआह.. मेरररे... राजजा... अपनी चचचचुत... में.. आआह...

मेरी जांघे तपाक से उनके भारी चुतड़ों पर पड़ने लगी… कभी-2 मे उनकी गांद मसल देता, तो कभी उनके चुतड़ों पर थप्पड़ जड़ देता…
चुदाई…चरम…पर पहुँचती जा रही थी…

बीस मिनट की धुँआधार चुदाई के बाद भाभी दुसरी बार और मै पहली बार साथ ही झड़ने लगे…भाभी की चुत से लगातार कामरस बरस रहा था…

झड़ने के बाद वो पलंग पर औंधी पसर गयी और में उनकी पीठ पर लेटगया..

मैने अपनी सांसो को सही किया और खड़ा हो गया... भाभी औंधे मुह लेटी रही... मैने उनको खड़ा किया ..
फिर हम दौनो ने कपड़े पहन लिये..

भाभी ने मुझे और कस के गले लगा लिया...
इतने मे नंदलाल भाई आ गये...
कुछ समय बाद नंदलाल भाई भाभी और नितिन को लेकर शहर चले गये... भाभी जाते हुए मुझे देख रही थी...

मै घर की तरफ चल पड़ा.. मुझे दादी दिखाई दी.
मैने कहां दादी कैसी हो...
दादी - कल तेरे मुसल ने हालत खराब कर दी, मेरी निगोडी़ मुनिया मे अभी भी खुजली हो रही है
मै - तेरी सारी खुजली मिटा दुंगा...

दादी - चल मेरे साथ...
मै- कहाँ...
दादी - चल तो सही...

वो हमारे खेतों की तरफ चल पड़ी, मे भी उनके साथ चल पड़ा..
रास्ते मे हमे रोशनी काकी मिली, वो खेत से चारा लेकर आयी थीं.

उसने दादी को प्रणाम किया...
मैने उससे पूछा कैसी हो काकी, उसने कोई जवाब नहीं दिया..
मै दो - तीन दिन ये उसके पास नहीं गया, इसलिए वो नाराज थी..
मुझे गुस्सा आया उस पर..
मै दादी के साथ चल पड़ा..





*** (चारों भाइयों के खेतो के पास एक कोने मे हमारी एक थोड़ी से जमीन और थी...
दादाजी ने ये जमीन ऐसे ही रख रखी थी, इस पर खेती नहीं होती थी..और इसे हमेशा ऐसे ही रहने देने के लिए कहा था इसमे एक छोटा सा मंदिर था..
इस जमीन पर बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे...

एक तरफ कोने मे और काम मे न लेने के कारण यहाँ पर सब कम ही आते थे...


इसके एक साईड मे बड़ी बड़ी कंटीली झाड़ियां थी... इसमे बडे बडे छायादार पेड़ थे जिस कारण बाहर से इस तरफ कम ही देखा जाता था ). ***


दादी मुझे वहां पर ले गई

मै - आप मुझे यहाँ पर क्यूँ लाई है.
दादी - पहले एक कस्सी (खोदने का फावडा़ ) लेके आ..


ये जगह हमारे खेत से नजदीक ही है तो मै जाके वहां से एक कस्सी ले आया…गज़ब अपडेट
 

Ouseph

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शानदार अभिव्यक्ति। कहानी की गति थोड़ी ज्यादा है और समागम घटनाएं भी बहुत, जो कि अत्यंत स्वाभाविक सी लगी। परंतु, कहानी अब एक नया मोड़ लेती नजर आ रही है। दादी का तोहफा काफी रहस्यमय लग रहा है। नियमित अपडेट आने से कहानी ज्यादा रुचिकर है, इसे बनाए रखें। अगले भाग की बेसब्री से प्रतीक्षा है कि कोई भेद खुले।
 
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