• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest सबका लाड़ला

Devil Baba

FUCK YOU
81
1,221
114
Hello..दोस्तों... मैं हूं Devil...

ये मेरी पहली कहानी हैं...वैसे आज ही मैं इस साईट पर आया हूँ...
वैसे मैंने ये कहानी पहले किसी दूसरी साईट पर भी पोस्ट करी हैं.लेकिन वहां पर पूरी नहीं हुई...
उस साईट मे कुछ प्रॉब्लम हो गई,और मैं भी अपनी id भूल गया.
मैं कोई राइटर नहीं हूं..हो सकता है बहुत से लोगों को कहानी पंसद ना आये...but कोशिश पूरी होगी
तो आशा हैं कि ये कहानी आप सब को पसंद आयेगी...

ये एक कहानी काल्पनिक है
 
Last edited:

Devil Baba

FUCK YOU
81
1,221
114
# अपडेट - 65

पर मुझे सुबह वाली बात क्लियर करनी थी...

फिर मैं बोला - भाभी सुबह के लिए सॉरी... उसमे मेरी कोई गलती नहीं थी, वो सब अचानक से हो गया...
मेरी बात सुनकर वो बोली - अच्छा तो किसकी गलती थी

मै- भाभी वो सब अचानक ही हो गया.. सॉरी
मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराई और बोली - कोई बात नहीं हो जाता है ऐसा

मै - आप नाराज तो नहीं हैं ना
अनिता - नहीं तो

उनकी आँखों मे गुस्सा नहीं था बल्कि कुछ और था

मै- एक बात बोलु भाभी... आप बहुत सुंदर हो
अनिता - क्या...कुछ भी बोलते हो...

मै- सच्ची भाभी आप एकदम हॉट एण्ड सेक्सी हो...
अनिता - धत्त्.. क्या बोल रहे हो... भाभी के बोरे मे बोलते हुए शरम नहीं आती...

मै- इसमें शरम कैसी.. मै तो सच ही बोल रहा हूँ...

मैने बिना देर किए बोला - आप बहुत सुंदर हो... आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो...

और मैंने उनको गले लगा लिया, 5-7 सैंकड वो अलग हो गई...
और बोली - नहीं.. ये सब सही नहीं हैं, ये गलत हैं.

मै- भाभी आप मुझे बहुत पसंद हो...
वो बोली - तुम अभी जाओ यहां से...
मैं - पर भाभी
अनीता भाभी - मैंने कहा ना कि जाओ

फिर मैं वहाँ से आ गया... रास्ते मे मुझे ताई और ताउजी आते हुए दिखाई दिये... अच्छा हुआ कि मैं जल्दी आ गया.

वहां से सीधा खेतों की तरफ चल पड़ा... खेत मे पहुँचकर कुछ देर खेत का निरिक्षण किया, फिर मै खाली जमीन की तरफ चल पड़ा...जहाँ पर दादा ने पैसे & गहने रखे थे, जो अब मेरे थे...

वहां पहुँचकर मैंने चारों तरफ निगाह दौडाई की कहीं कोई देख तो नहीं रहा...आस पास कोई नहीं था.
मैंने मिट्टी खोदकर एक बक्सा बाहर निकाल लिया और उसमे से पैसे निकाल लिये और उसे वापिस वैसे ही रख दिया...
फावड़े को भी वही पर साईड़ मे ही छुपा दिया...
पैसों को जेब मे डालकर मे घर तरफ आने लगा... थोड़ा आगे आया तो जोर जोर से बोलने चिलाने की आवाज आ रही थी...

ये आवाज कर्ण सिंह ताउजी की थी और ये उनके खेत से आ रही थी...
उनकी आवाज सुनकर मैं उनकी तरफ चल पड़ा, कि कुछ प्रोब्लम हो सकती हैं...

वहाँ पर जाकर देखा कि वो खेत मे बने कमरे के बाहर चारपाई पर बैठे हैं और पास मे ताईजी भी खड़ी हैं...
वो ताईजी पर चिल्ला रहे हैं, उनको गंदी - गंदी गालियां दे रहे हैं... ताउजी ने शराब पी रखी थी...

कर्ण सिंह - साली कुत्ती..तु होती कौन हैं मुझे रोकने वाली. मै तो पिउंगा... मेरे पैसो की पीता हूँ तेरे बाप के नहीं.

कमला ताई- उम्र होगी है अब तो रूक जाओ.. बहुत दिन पिली, पोतो हो रो है अब तो रूक जाओ...

कर्ण सिंह - साली भैनचोद कूती...

ताउजी खडे हुए और ताईजी को मारने लगे और बोलने लगे की - मै तो पिउंगो. कोनी रूकु, कर बोकरले...

मै जल्दी से उनके पास गया और ताउजी को हटाया...

मै- ये आप क्या कर रहे हैं ताऊजी... ताईजी को क्यों मार रहे हैं...
कर्ण सिंह - आ साली म न रोक री है...

मै- सही तो बोल रहे है ताईजी... अब तो बंद कर देनी चाहिए...

कर्ण सिंह - तु भी इक साथ म ही हैं... कोनी छोडु मै पिंउगो...

इतना बोलकर वो वहाँ से घर की तरफ जाने लगे.. मैंने उनको रोकना ठीक नहीं समझा...
उनके जाने के बाद मैंने देखा कि ताईजी नीचे बैठी हुई हैं उनकी आँखों मे हल्के आंसू हैं...

मै उनके पास गया...
मै- क्या हुआ ताईजी...
कमला - बेटा मैने कुछ गलत बोला था क्या... इस दारू ने सब खराब कर दिया हैं... मेरी तो आज तक पूरी जिंदगी खराब हुई हैं...

मै उनको उठाते हुए - आप चिंता मत किए सब ठीक हो जायेगा... ताऊजी समझ जायेंगे...
कमला - मैं भी कब से ये ही आस लगाये बैठी हूँ... सोचा था कि टाबर बड़ा होंगा तब सुधर जायेंगा, लेकिन बेटे बेटियों के भी बच्चे हो गये पर ये नहीं सुधरे...

उनकी आँखें नम थी... मै उनको दिलासा देने लगा. मै बिल्कुल उनके पास था...
मै उनको समझाने लगा, वो भावुक होकर मेरे गले लग गई, मैने भी उनको गले लगा लिया..
मेरे हाथ उनकी पीठ पर थे. उनके मुलायम चुचे दोनों के बीच मे दब गये...
जिससे मेरा लंड गरम होने लगा...
हम जल्दी ही अलग हो गये...

मै और ताईजी घर कि और चल पड़े... उनके सिर पर चारे की गठरी थी, वो मेरे आगे थी और मैं पिछे था... उनकी बड़ी गांड मेरे आँखों के सामने उछल रही थी...

घर आकर वो बाडे़ मे चली गई , उनको छोड़कर मैं घर की तरफ आ गया...

फिर पूरे दिन कुछ खास नहीं हुआ.
शाम को कुलदीप का फोन आ गया तो पैदल मैदान की तरफ चला गया.
वापिस आते अंधेरा हो गया. मै घर के अंदर जा रहा था तो देखा की रेखा भाभी घर को तरफ जा रही हैं और पंकज बाडे़ की तरफ.

 

Devil Baba

FUCK YOU
81
1,221
114
अपडेट - 66


मै घर के अंदर जा रहा था तो देखा की रेखा भाभी घर को तरफ जा रही हैं और पंकज बाडे़ की तरफ.
सूरज ढल गया था तो अंधेरा हो गया था, आस पास कोई नहीं था.
मैंने इस मौके को भुनाने की सोची और बाडे़ की और चल पड़ा.

मैं अंदर गया तो देखा पंकज अंदर कमरे मे थी. मैं धीरे से कमरे मे गया, मेरी तरफ पीठ किये हुए वो काम कर रही थी.
मै एकदम पास चला गया तभी वो मेरी तरफ पलटी मैंने बिना देर किये हुए उन्हें दबोच लिया और बांहों मे भर लिया.

उसकी चूचियां मेरे सीने में धँस गईं... वो एक पल के लिए तो चौंक गई, पर मुझे देखकर वो शांत हो गई...
पंकज - आह्ह..ओह.. क्या कर रहे है.. छोड़ीए मुझे..

वो बोल तो रही थी पर बातों मे वो विरोध नहीं था, वो अलग हट भी नहीं रही थीं.

मैने हाथ पीछे ले जाकर पंकज के चुतडो़ को अपनी हथेलयों में भर लिया था, जिससे उनके मुँह से सिसकी निकल गई और वो मुझसे चिपक गई...

उसके बदन से आ रही खुशबू से मैं उतेजित होने लगा..
मेरे लंड ने पजामे में तंबू बना लिया था जो सीधा पंकज के लहँगे के ऊपर से उसकी चूत पर चोट कर रहा था.

पंकज - आहह.. छोड़ो ना कोई आ जाएगा.

मैंने पंकज के सिर को पकड़ा और अपने होंठ उसके रसीले होंठो पर रख दिये और चुमने लगा...
एक मिनट तक मैं होंठो को चुसता रहा फिर मेैं अलग हुआ...

वो मेरी तरफ देखने लगी... उसकी चूचियाँ तेज सांस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थीं

मैं - छोड़ दूँ रानी...
पंकज - नहीं... इतना बोलकर उसने भी मुझे बांहो मे भर लिया

पंकज - पहले तड़पाते हो और फिर ऐसा...

उसकी बात पूरी होने से पहले ही मैंने लँहगे के नाडे़ को खोल दिया, जिससे लंहगा सरकता हुआ गिर गया. मैंने अपनी पेंट और अंडरवीयर निकाल दिये.

पंकज - यहाँ कोई देख लेगा...

मैं - कोई नहीं देखेगा मेरी जान

मैंने पंकज के पैरों को जांघों से पकड़कर गोद मे उठा लिया...और हाथों को उनकी पीठ पर कस लिये.
पंकज ने भी अपने पैर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लिये और हाथों को गर्दन पर डाल लिया...

मैं थोड़ा आगे खिसका और पंकज की पीठ को वहां रखी बोरियो से सटा दिया जिससे मुझे आसानी हो...

मैंने एक हाथ से लंड को पकड़ा और चुत पर रगड़ने लगा, जिससे उसके मुँह से सिसकियां निकलने लगी..और वो उतेजित होकर बोली - अब मत तड़पाइए
 

Ek number

Well-Known Member
8,172
17,551
173
# अपडेट - 65

पर मुझे सुबह वाली बात क्लियर करनी थी...

फिर मैं बोला - भाभी सुबह के लिए सॉरी... उसमे मेरी कोई गलती नहीं थी, वो सब अचानक से हो गया...
मेरी बात सुनकर वो बोली - अच्छा तो किसकी गलती थी

मै- भाभी वो सब अचानक ही हो गया.. सॉरी
मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराई और बोली - कोई बात नहीं हो जाता है ऐसा

मै - आप नाराज तो नहीं हैं ना
अनिता - नहीं तो

उनकी आँखों मे गुस्सा नहीं था बल्कि कुछ और था

मै- एक बात बोलु भाभी... आप बहुत सुंदर हो
अनिता - क्या...कुछ भी बोलते हो...

मै- सच्ची भाभी आप एकदम हॉट एण्ड सेक्सी हो...
अनिता - धत्त्.. क्या बोल रहे हो... भाभी के बोरे मे बोलते हुए शरम नहीं आती...

मै- इसमें शरम कैसी.. मै तो सच ही बोल रहा हूँ...

मैने बिना देर किए बोला - आप बहुत सुंदर हो... आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो...

और मैंने उनको गले लगा लिया, 5-7 सैंकड वो अलग हो गई...
और बोली - नहीं.. ये सब सही नहीं हैं, ये गलत हैं.

मै- भाभी आप मुझे बहुत पसंद हो...
वो बोली - तुम अभी जाओ यहां से...
मैं - पर भाभी
अनीता भाभी - मैंने कहा ना कि जाओ

फिर मैं वहाँ से आ गया... रास्ते मे मुझे ताई और ताउजी आते हुए दिखाई दिये... अच्छा हुआ कि मैं जल्दी आ गया.

वहां से सीधा खेतों की तरफ चल पड़ा... खेत मे पहुँचकर कुछ देर खेत का निरिक्षण किया, फिर मै खाली जमीन की तरफ चल पड़ा...जहाँ पर दादा ने पैसे & गहने रखे थे, जो अब मेरे थे...

वहां पहुँचकर मैंने चारों तरफ निगाह दौडाई की कहीं कोई देख तो नहीं रहा...आस पास कोई नहीं था.
मैंने मिट्टी खोदकर एक बक्सा बाहर निकाल लिया और उसमे से पैसे निकाल लिये और उसे वापिस वैसे ही रख दिया...
फावड़े को भी वही पर साईड़ मे ही छुपा दिया...
पैसों को जेब मे डालकर मे घर तरफ आने लगा... थोड़ा आगे आया तो जोर जोर से बोलने चिलाने की आवाज आ रही थी...

ये आवाज कर्ण सिंह ताउजी की थी और ये उनके खेत से आ रही थी...
उनकी आवाज सुनकर मैं उनकी तरफ चल पड़ा, कि कुछ प्रोब्लम हो सकती हैं...

वहाँ पर जाकर देखा कि वो खेत मे बने कमरे के बाहर चारपाई पर बैठे हैं और पास मे ताईजी भी खड़ी हैं...
वो ताईजी पर चिल्ला रहे हैं, उनको गंदी - गंदी गालियां दे रहे हैं... ताउजी ने शराब पी रखी थी...

कर्ण सिंह - साली कुत्ती..तु होती कौन हैं मुझे रोकने वाली. मै तो पिउंगा... मेरे पैसो की पीता हूँ तेरे बाप के नहीं.

कमला ताई- उम्र होगी है अब तो रूक जाओ.. बहुत दिन पिली, पोतो हो रो है अब तो रूक जाओ...

कर्ण सिंह - साली भैनचोद कूती...

ताउजी खडे हुए और ताईजी को मारने लगे और बोलने लगे की - मै तो पिउंगो. कोनी रूकु, कर बोकरले...

मै जल्दी से उनके पास गया और ताउजी को हटाया...

मै- ये आप क्या कर रहे हैं ताऊजी... ताईजी को क्यों मार रहे हैं...
कर्ण सिंह - आ साली म न रोक री है...

मै- सही तो बोल रहे है ताईजी... अब तो बंद कर देनी चाहिए...

कर्ण सिंह - तु भी इक साथ म ही हैं... कोनी छोडु मै पिंउगो...

इतना बोलकर वो वहाँ से घर की तरफ जाने लगे.. मैंने उनको रोकना ठीक नहीं समझा...
उनके जाने के बाद मैंने देखा कि ताईजी नीचे बैठी हुई हैं उनकी आँखों मे हल्के आंसू हैं...

मै उनके पास गया...
मै- क्या हुआ ताईजी...
कमला - बेटा मैने कुछ गलत बोला था क्या... इस दारू ने सब खराब कर दिया हैं... मेरी तो आज तक पूरी जिंदगी खराब हुई हैं...

मै उनको उठाते हुए - आप चिंता मत किए सब ठीक हो जायेगा... ताऊजी समझ जायेंगे...
कमला - मैं भी कब से ये ही आस लगाये बैठी हूँ... सोचा था कि टाबर बड़ा होंगा तब सुधर जायेंगा, लेकिन बेटे बेटियों के भी बच्चे हो गये पर ये नहीं सुधरे...

उनकी आँखें नम थी... मै उनको दिलासा देने लगा. मै बिल्कुल उनके पास था...
मै उनको समझाने लगा, वो भावुक होकर मेरे गले लग गई, मैने भी उनको गले लगा लिया..
मेरे हाथ उनकी पीठ पर थे. उनके मुलायम चुचे दोनों के बीच मे दब गये...
जिससे मेरा लंड गरम होने लगा...
हम जल्दी ही अलग हो गये...

मै और ताईजी घर कि और चल पड़े... उनके सिर पर चारे की गठरी थी, वो मेरे आगे थी और मैं पिछे था... उनकी बड़ी गांड मेरे आँखों के सामने उछल रही थी...

घर आकर वो बाडे़ मे चली गई , उनको छोड़कर मैं घर की तरफ आ गया...

फिर पूरे दिन कुछ खास नहीं हुआ.
शाम को कुलदीप का फोन आ गया तो पैदल मैदान की तरफ चला गया.
वापिस आते अंधेरा हो गया. मै घर के अंदर जा रहा था तो देखा की रेखा भाभी घर को तरफ जा रही हैं और पंकज बाडे़ की तरफ.
Nice update
 

Ek number

Well-Known Member
8,172
17,551
173
अपडेट - 66


मै घर के अंदर जा रहा था तो देखा की रेखा भाभी घर को तरफ जा रही हैं और पंकज बाडे़ की तरफ.
सूरज ढल गया था तो अंधेरा हो गया था, आस पास कोई नहीं था.
मैंने इस मौके को भुनाने की सोची और बाडे़ की और चल पड़ा.

मैं अंदर गया तो देखा पंकज अंदर कमरे मे थी. मैं धीरे से कमरे मे गया, मेरी तरफ पीठ किये हुए वो काम कर रही थी.
मै एकदम पास चला गया तभी वो मेरी तरफ पलटी मैंने बिना देर किये हुए उन्हें दबोच लिया और बांहों मे भर लिया.

उसकी चूचियां मेरे सीने में धँस गईं... वो एक पल के लिए तो चौंक गई, पर मुझे देखकर वो शांत हो गई...
पंकज - आह्ह..ओह.. क्या कर रहे है.. छोड़ीए मुझे..

वो बोल तो रही थी पर बातों मे वो विरोध नहीं था, वो अलग हट भी नहीं रही थीं.

मैने हाथ पीछे ले जाकर पंकज के चुतडो़ को अपनी हथेलयों में भर लिया था, जिससे उनके मुँह से सिसकी निकल गई और वो मुझसे चिपक गई...

उसके बदन से आ रही खुशबू से मैं उतेजित होने लगा..
मेरे लंड ने पजामे में तंबू बना लिया था जो सीधा पंकज के लहँगे के ऊपर से उसकी चूत पर चोट कर रहा था.

पंकज - आहह.. छोड़ो ना कोई आ जाएगा.

मैंने पंकज के सिर को पकड़ा और अपने होंठ उसके रसीले होंठो पर रख दिये और चुमने लगा...
एक मिनट तक मैं होंठो को चुसता रहा फिर मेैं अलग हुआ...

वो मेरी तरफ देखने लगी... उसकी चूचियाँ तेज सांस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थीं

मैं - छोड़ दूँ रानी...
पंकज - नहीं... इतना बोलकर उसने भी मुझे बांहो मे भर लिया

पंकज - पहले तड़पाते हो और फिर ऐसा...

उसकी बात पूरी होने से पहले ही मैंने लँहगे के नाडे़ को खोल दिया, जिससे लंहगा सरकता हुआ गिर गया. मैंने अपनी पेंट और अंडरवीयर निकाल दिये.

पंकज - यहाँ कोई देख लेगा...

मैं - कोई नहीं देखेगा मेरी जान

मैंने पंकज के पैरों को जांघों से पकड़कर गोद मे उठा लिया...और हाथों को उनकी पीठ पर कस लिये.
पंकज ने भी अपने पैर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लिये और हाथों को गर्दन पर डाल लिया...

मैं थोड़ा आगे खिसका और पंकज की पीठ को वहां रखी बोरियो से सटा दिया जिससे मुझे आसानी हो...


मैंने एक हाथ से लंड को पकड़ा और चुत पर रगड़ने लगा, जिससे उसके मुँह से सिसकियां निकलने लगी..और वो उतेजित होकर बोली - अब मत तड़पाइए
Hot update
 

prasha_tam

Well-Known Member
3,493
5,002
143
अपडेट - 64


मै-अब टेंशन मत लो मै हूँ ना... अब तुम्हारी इस रसीली चुत को पूरा उधेड़ दुंगा.

आगे -

मैने उसके कान को दांतों मे दबा लिया और उसे जीभ से कुरेदने लगा. साथ साथ मे उसे होंठो मे भींच कर चुसने लगा.

मेरे ऐसा करने से वो मदहोश होने लगी.

वो अपनी चुत को जोर - जोर मेरे लंड पर रगड़ने लगी और जोर जोर से मदहोश आंहे भरने लगी.

संगीता - उऊंह..आआहह..ह्अ्आहहा..मेरे राजा इस निगेडी़ को पुरा फाड़ दअ्ओ.. आइईह्ह... अपने हथियार से इसे रगड़ डालो बहुत तंग करती हैं...

उसकी चुत की गर्मी से मेरा लंड तन गया और चुत पर ठोकर मारने लगा...
भाभी की सिसकियां बढ़ने लगी, वो जोर जोर से बड़बड़ाने लगी.

संगीता - उऊम्मह.. आआआहह... राज्ज्अहहा... ये क्या कर दिया...इतना मजा कभी नहीं अअअअ...

अपनी बात पूरी करने से पहले ही उसका शरीर झटके खाने लगा, उसके हाथ मेरी बाजुओं पर कस गये... वो झड़ने लगी..और अपने पानी से मेरे मुसल को भिगोने लगी.

भाभी मे कुछ ज्यादा ही गर्मी थी तभी वो इतना झड़ गई.

10 सैंकड बाद उनका शरीर शांत पड़ गया. वो मेरे सीने पर सो चिपक कर सो गई. उनके मुँह से गर्म सांसे निकल रही थी जो मेरे सीने पर पड़ रही थीं.

मैने उन्हें बेड़ पर लेटा दिया.. मै खड़ा होकर बाहर बाथरूम मे चला गया. वहाँ पर खुद को साफ किया और कपड़े पहन कर आ गया.

वापिस आया तो देखा वो अभी भी लेटी हुई थी. मै उनके पास आकर बैठ गया.
मैंने दो उँगली उनकी चुत मे डाल दी, अचानक हुए इस हमले से वो हड़बडाकर ऊठ गई. और मेरी तरफ देखने लगी. मेरी आँखे उनकी तरफ ही थी...

मैंने उंगलियां बाहर निकालकर मुँह मे डाल ली और चुत का नमकीन पानी टेस्ट करने लगा... मुझे ऐसा करते देखकर वो हल्का सा शरमाई...

मै- बहुत देर हो गई है, जल्दी से खड़ी हो जाओ. कोई भी आ सकता हैं.

वो हल्का सा उठी और मेरे गले लग गई. मैने भी भाभी को बांहों मे भर लिया.
अब वो नंगी ही मेरी गोद मे बैठी थीं मुझे जकड़े हुए...

संगीता - बहुत मजा आया...मैं ये कभी नहीं भुल सकती
इतना मजा मुझे कभी नहीं आया, बहुत खुश हूँ आज मैं

मै- मेरी रानी मुझे भी बहुत मजा आया तुम्हारी चुत मारने मे...अब तो इसे पूरा फाड दुंगा...

संगीता - मेरे राजा अब तो ये तुम्हारी है, अपने हथियार से रोज कुटाई करना...
मैंने उसे कस लिया और बोला - बस ये ही मेरी है?

संगीता - आआह... मैं भी तुम्हारी ही हूँ. मेरा तन, मन सब तुम्हारा है मेरे राजा...हमेशा मुझे ऐसे प्यार करोगे ना?
मै- हा... अब तो ये चुत मेरी है जब मन करेगा तब मारूंगा... पर मेरी शर्त हैं...

संगीता - कैसी शर्त...
मैं - तुम्हें हमेशा मेरी बात माननी होगी और मैं जो कहूंगा वो करना होगा, तभी ये रिश्ता रहेगा.

संगीता - मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर हैं. तुम हमेशा मेरा और इसका (चुत) ख्याल रखना...
मै- पक्का.. सोच लो...
संगीता - पक्का

उसकी बात सुनते ही मैंने उसके होंठो को दबोच लिया और किस करने लगा... हम दोनों एक - दूसरे के होंठो को निचोड़ रहे थे. 4-5 मिनट बाद हम अलग हुए...

मै- अब आप कपडे पहन लो, कोई भी आ सकता हैं...

मेरी बात सुनकर वो खडी होकर अपने कपड़े लेने लगी... जैसे ही भाभी ने कदम रखा तो उनके पैर डगमगा गये, वो बेड पर बैठ गई .

मै- क्या हुआ...
संगीता - खुद ही ऐसी हालत करते हो ओर पूछते हो...
अपने इस मुसल से मेरी चुत फाड़ कर रख दी...आज तक इतनी एक साथ कभी नहीं झड़ी जितना अभी झड़ी हूँ , पैरों मे तो जान ही नहीं बची हैं...

मै- मेरी रानी अब तो इसे ऐसे ही फांडुगा...

मैं - टेंशन ना तो लो जान, मै बाथरूम तक छोड़ देता हूँ...

फिर मैंने उन्हें गोद मे उठाकर बाथरूम मे छोड़ा और एक किस करके वहाँ से बाहर आ गया...

मै सीधा घर आ गया...
दिमाग मे बार -2 सुबह वाली बात ही आ रही थी.
मेरा अनीता भाभी से बात करना जरूरी था, उनको सब समझाना था.क्योंकि अगर उन्होंने किसी को कुछ भी बता दिया या मेरी शिकायत कर दी तो गड़बड़ हो जायेगी.
मुझे जल्दी ही उनसे बात करनी थी...
और उनसे बात करने का शायद ये सबसे सही समय हैं, क्योंकि इस समय वो घर पर अकेली ही होगी.
क्योंकि ताई और ताउजी इस समय खेत मे गये होंगे और सुरेश भाई तो अपनी ड्यूटी पर हैं वो तो महिने मे एक दो बार आते हैं.
तो भाभी अकेली ही होगी...

मै जल्दी से बाहर आया और उनके घर चल पड़ा, 1-2 मिनट मे मै उनके घर पहुँच गया.

मै गेट से अंदर चला गया... भाभी अंदर थी.
मुझे देखकर वो बोली - अरे राहुल आप...आईये बैठिए

भाभी गुस्से मे तो नहीं लग रही थी...

मै उनके पास मे बैठ गया... वो अकेली ही थी.
मै इधर उधर की बात करने लगा...

पर मुझे सुबह वाली बात क्लियर करनी थी...#
Superb👌
Please continue👍
Waiting for next update
 

prasha_tam

Well-Known Member
3,493
5,002
143
# अपडेट - 65

पर मुझे सुबह वाली बात क्लियर करनी थी...

फिर मैं बोला - भाभी सुबह के लिए सॉरी... उसमे मेरी कोई गलती नहीं थी, वो सब अचानक से हो गया...
मेरी बात सुनकर वो बोली - अच्छा तो किसकी गलती थी

मै- भाभी वो सब अचानक ही हो गया.. सॉरी
मेरी बात सुनकर वो हल्का सा मुस्कुराई और बोली - कोई बात नहीं हो जाता है ऐसा

मै - आप नाराज तो नहीं हैं ना
अनिता - नहीं तो

उनकी आँखों मे गुस्सा नहीं था बल्कि कुछ और था

मै- एक बात बोलु भाभी... आप बहुत सुंदर हो
अनिता - क्या...कुछ भी बोलते हो...

मै- सच्ची भाभी आप एकदम हॉट एण्ड सेक्सी हो...
अनिता - धत्त्.. क्या बोल रहे हो... भाभी के बोरे मे बोलते हुए शरम नहीं आती...

मै- इसमें शरम कैसी.. मै तो सच ही बोल रहा हूँ...

मैने बिना देर किए बोला - आप बहुत सुंदर हो... आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो...

और मैंने उनको गले लगा लिया, 5-7 सैंकड वो अलग हो गई...
और बोली - नहीं.. ये सब सही नहीं हैं, ये गलत हैं.

मै- भाभी आप मुझे बहुत पसंद हो...
वो बोली - तुम अभी जाओ यहां से...
मैं - पर भाभी
अनीता भाभी - मैंने कहा ना कि जाओ

फिर मैं वहाँ से आ गया... रास्ते मे मुझे ताई और ताउजी आते हुए दिखाई दिये... अच्छा हुआ कि मैं जल्दी आ गया.

वहां से सीधा खेतों की तरफ चल पड़ा... खेत मे पहुँचकर कुछ देर खेत का निरिक्षण किया, फिर मै खाली जमीन की तरफ चल पड़ा...जहाँ पर दादा ने पैसे & गहने रखे थे, जो अब मेरे थे...

वहां पहुँचकर मैंने चारों तरफ निगाह दौडाई की कहीं कोई देख तो नहीं रहा...आस पास कोई नहीं था.
मैंने मिट्टी खोदकर एक बक्सा बाहर निकाल लिया और उसमे से पैसे निकाल लिये और उसे वापिस वैसे ही रख दिया...
फावड़े को भी वही पर साईड़ मे ही छुपा दिया...
पैसों को जेब मे डालकर मे घर तरफ आने लगा... थोड़ा आगे आया तो जोर जोर से बोलने चिलाने की आवाज आ रही थी...

ये आवाज कर्ण सिंह ताउजी की थी और ये उनके खेत से आ रही थी...
उनकी आवाज सुनकर मैं उनकी तरफ चल पड़ा, कि कुछ प्रोब्लम हो सकती हैं...

वहाँ पर जाकर देखा कि वो खेत मे बने कमरे के बाहर चारपाई पर बैठे हैं और पास मे ताईजी भी खड़ी हैं...
वो ताईजी पर चिल्ला रहे हैं, उनको गंदी - गंदी गालियां दे रहे हैं... ताउजी ने शराब पी रखी थी...

कर्ण सिंह - साली कुत्ती..तु होती कौन हैं मुझे रोकने वाली. मै तो पिउंगा... मेरे पैसो की पीता हूँ तेरे बाप के नहीं.

कमला ताई- उम्र होगी है अब तो रूक जाओ.. बहुत दिन पिली, पोतो हो रो है अब तो रूक जाओ...

कर्ण सिंह - साली भैनचोद कूती...

ताउजी खडे हुए और ताईजी को मारने लगे और बोलने लगे की - मै तो पिउंगो. कोनी रूकु, कर बोकरले...

मै जल्दी से उनके पास गया और ताउजी को हटाया...

मै- ये आप क्या कर रहे हैं ताऊजी... ताईजी को क्यों मार रहे हैं...
कर्ण सिंह - आ साली म न रोक री है...

मै- सही तो बोल रहे है ताईजी... अब तो बंद कर देनी चाहिए...

कर्ण सिंह - तु भी इक साथ म ही हैं... कोनी छोडु मै पिंउगो...

इतना बोलकर वो वहाँ से घर की तरफ जाने लगे.. मैंने उनको रोकना ठीक नहीं समझा...
उनके जाने के बाद मैंने देखा कि ताईजी नीचे बैठी हुई हैं उनकी आँखों मे हल्के आंसू हैं...

मै उनके पास गया...
मै- क्या हुआ ताईजी...
कमला - बेटा मैने कुछ गलत बोला था क्या... इस दारू ने सब खराब कर दिया हैं... मेरी तो आज तक पूरी जिंदगी खराब हुई हैं...

मै उनको उठाते हुए - आप चिंता मत किए सब ठीक हो जायेगा... ताऊजी समझ जायेंगे...
कमला - मैं भी कब से ये ही आस लगाये बैठी हूँ... सोचा था कि टाबर बड़ा होंगा तब सुधर जायेंगा, लेकिन बेटे बेटियों के भी बच्चे हो गये पर ये नहीं सुधरे...

उनकी आँखें नम थी... मै उनको दिलासा देने लगा. मै बिल्कुल उनके पास था...
मै उनको समझाने लगा, वो भावुक होकर मेरे गले लग गई, मैने भी उनको गले लगा लिया..
मेरे हाथ उनकी पीठ पर थे. उनके मुलायम चुचे दोनों के बीच मे दब गये...
जिससे मेरा लंड गरम होने लगा...
हम जल्दी ही अलग हो गये...

मै और ताईजी घर कि और चल पड़े... उनके सिर पर चारे की गठरी थी, वो मेरे आगे थी और मैं पिछे था... उनकी बड़ी गांड मेरे आँखों के सामने उछल रही थी...

घर आकर वो बाडे़ मे चली गई , उनको छोड़कर मैं घर की तरफ आ गया...

फिर पूरे दिन कुछ खास नहीं हुआ.
शाम को कुलदीप का फोन आ गया तो पैदल मैदान की तरफ चला गया.
वापिस आते अंधेरा हो गया. मै घर के अंदर जा रहा था तो देखा की रेखा भाभी घर को तरफ जा रही हैं और पंकज बाडे़ की तरफ.
Superb👌
Keep it up👍
Waiting for next
 

prasha_tam

Well-Known Member
3,493
5,002
143
अपडेट - 66


मै घर के अंदर जा रहा था तो देखा की रेखा भाभी घर को तरफ जा रही हैं और पंकज बाडे़ की तरफ.
सूरज ढल गया था तो अंधेरा हो गया था, आस पास कोई नहीं था.
मैंने इस मौके को भुनाने की सोची और बाडे़ की और चल पड़ा.

मैं अंदर गया तो देखा पंकज अंदर कमरे मे थी. मैं धीरे से कमरे मे गया, मेरी तरफ पीठ किये हुए वो काम कर रही थी.
मै एकदम पास चला गया तभी वो मेरी तरफ पलटी मैंने बिना देर किये हुए उन्हें दबोच लिया और बांहों मे भर लिया.

उसकी चूचियां मेरे सीने में धँस गईं... वो एक पल के लिए तो चौंक गई, पर मुझे देखकर वो शांत हो गई...
पंकज - आह्ह..ओह.. क्या कर रहे है.. छोड़ीए मुझे..

वो बोल तो रही थी पर बातों मे वो विरोध नहीं था, वो अलग हट भी नहीं रही थीं.

मैने हाथ पीछे ले जाकर पंकज के चुतडो़ को अपनी हथेलयों में भर लिया था, जिससे उनके मुँह से सिसकी निकल गई और वो मुझसे चिपक गई...

उसके बदन से आ रही खुशबू से मैं उतेजित होने लगा..
मेरे लंड ने पजामे में तंबू बना लिया था जो सीधा पंकज के लहँगे के ऊपर से उसकी चूत पर चोट कर रहा था.

पंकज - आहह.. छोड़ो ना कोई आ जाएगा.

मैंने पंकज के सिर को पकड़ा और अपने होंठ उसके रसीले होंठो पर रख दिये और चुमने लगा...
एक मिनट तक मैं होंठो को चुसता रहा फिर मेैं अलग हुआ...

वो मेरी तरफ देखने लगी... उसकी चूचियाँ तेज सांस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थीं

मैं - छोड़ दूँ रानी...
पंकज - नहीं... इतना बोलकर उसने भी मुझे बांहो मे भर लिया

पंकज - पहले तड़पाते हो और फिर ऐसा...

उसकी बात पूरी होने से पहले ही मैंने लँहगे के नाडे़ को खोल दिया, जिससे लंहगा सरकता हुआ गिर गया. मैंने अपनी पेंट और अंडरवीयर निकाल दिये.

पंकज - यहाँ कोई देख लेगा...

मैं - कोई नहीं देखेगा मेरी जान

मैंने पंकज के पैरों को जांघों से पकड़कर गोद मे उठा लिया...और हाथों को उनकी पीठ पर कस लिये.
पंकज ने भी अपने पैर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लिये और हाथों को गर्दन पर डाल लिया...

मैं थोड़ा आगे खिसका और पंकज की पीठ को वहां रखी बोरियो से सटा दिया जिससे मुझे आसानी हो...


मैंने एक हाथ से लंड को पकड़ा और चुत पर रगड़ने लगा, जिससे उसके मुँह से सिसकियां निकलने लगी..और वो उतेजित होकर बोली - अब मत तड़पाइए
Superb👌
Please continue👍
Waiting for next update
 

Naik

Well-Known Member
20,969
76,623
258
इतने विलम्ब के लिए माफ़ी चाहता हूँ... कुछ कारणों की वजह से इतने दिन अपडेट नहीं आ सका... फिर form वालों ने स्टोरी को प्राइवेट कर दिया...
उम्मीद है कि आप कहानी को हमेशा की support करेंगे...


अपडेट - 58

अब तक आपने पढ़ा था कि मैं ठाकुर के बेटे को हवेली पर छोड़ के आया... वहां से रोशनी काकी के घर गया जहा पर उसे नहाते हुए एक बार उसकी चूत मारी...

आगे...

कमरे मे आते ही मैने उसे पिछे से पकड़ लिया और उसके चुचे मसलने लगा...


रोशनी- आआआह.. उऊह... मा... क्या कर रहा है... अभी तो किया है... थका दिया तुने पूरा...

मै- मेरी रानी इतने मे थक गई... अभी तेरी ये करारी गांड भी मारनी है...

मैने उसे पलट पर लेटा दिया... और उसके चुतडो़ के नीचे तकिये रख दिये...
मै उसकी चुत के पास आ गया और उसे चाटने लगा... और दो उंगली उसके गांड के काले छेद मे डाल दी... और आगे पीछे करने लगा... जिससे वो तड़पने लगी...

फिर मै उठा और लंड को चुत और गांड पर मारने लगा...

रोशनी- आआह.. स्ससइईसीसी... पहले इ की खुजली तो ढंग स मिटा दे...

उसके शब्द पूरे होने से पहले ही मैने लंड को चुत मे पेल दिया... और लंबे -2 शॉट लगाने लगा...

रोशनी - आआह. मा..उऊईई... मेरे राजा... मेरे राजा...

थोड़ी देर बाद मैने चोदना बंद किया और उन्हे डॉगी स्टाइल मे कर दिया... काकी को ज्यादा पता नहीं था...

इस बार काकी ज्यादा देर टिक नहीं पायी और झड़ने लगी, मैने लंड को पुरा उसकी चुत मे डाले रखा...

उसके शांत होते ही मैने लंड बाहर निकाल लिया... और उसे पलट कर लिटा दिया...

नीचे तकिये होने से उसकी मोटी गहराई गांड उभरकर मेरे सामने आ गई...

मैने अब देरी नहीं की और गांड के छेद पर पास मे पड़ा तेल डाला और गांड के छेद पर लंड का फुला हुआ सुपाडा़ टिका दिया और एक धक्का लगा दिया... और आधा लंड मेरी रंडी की टाइट गांड मे पेल दिया...

रोशनी - आअहह….म्म्म्मगममाआअ...मर्ररर्ररर... गअइई...

मैं - धीरे मेरी रानी .. कोई सुन लेगा

मै लंड को बाहर तक लाया और पूरी ताकत से पेल दिया और मुसल को जड़ तक ठोक दिया...

रोशनी - आआहह...आआअहह...आह...म्माआ...ध्इईररे...उह... मआर्रर...डाला...आहह..

मैने एक थप्पड़ काकी की गान्ड पर मारा...

मैं - धीरे मेरी रंडी...वरना कोई आ जाएगा...

मैं काकी की गदराई हुई गान्ड पर थप्पड़ मारते हुए उनकी गान्ड मारने लगा और एक हाथ से चूत मसलने लगा...

रोशनी - आअहह...माअर...मेरे सैया...ऐसे ही... आहह... आअहह...राहुल आअहह... ऊहह...

कमरे मे अब त्ततप्प...त्तप्प्प...आअहह...आहह...त्त्थप्प... त्ततप्प..उऊम्मह... फच्च... की आवाजे आने लगी...

मै नीचे झुक गया और गांड मारने लगा... गान्ड मारते हुए मेरी जांघे भी काकी की मोटी गान्ड पर थपका मार रही थी...

मै स्पीड मे धक्के मार रहा था, वो भी जोर से आंहे भरते हुए गांड मरवा रही थी...

मैने धीरे धीरे चुत को मसलना जारी रखा...

8–10 मिनट तक मै काकी की गांड मारता रहा...

मै अब झड़ने वाला था तो मै लंबे -2 और जोर से धक्के लगाने लगा...
साथ मे चुत मे तीन उंगलियां डालकर चुत चोदने लगा...

वो भी चरम पर पहुँच गई थी...
रोशनी - आअहह...उउउंम्म...ऊहह...ज्जजोर...सीइ आऐईयईईईई...आह...

और मै और काकी साथ साथ झड़ने लगे...

काकी की टांगों मे कंपन होने लगा... इस बार काकी की कचोरी ने कुछ ज्यादा ही रस छोड़ा... वो मेरे हाथ को भिगोते हुए नीचे गिरने लगा...

काकी झड़ते ही नीचे की तरफ गिर गई और वैसे ही पेट के बल लेट गई...
पंलग ज्यादा बड़ा नहीं था तो मै भी उससे सटकर लेट गया...

कुछ देर रूकने के बाद मै वहाँ से आ गया...

घर आकर खाना खा के कुछ देर आराम किया फिर छत पर टहलने लगा...

चारो भाईयों के घर पास ही थे, जिससे छत पर से सभी के घर दिख रहे थे,
तभी छोटे ताऊजी के घर का गेट खुला और उसमें से कोई बाहर आया...

बाहर आने वाली एक औरत थी और वो कोई और नहीं मेरी दादी थी...
दादी ने ब्लाउज और लंहगा पहना हुआ था. जिससे उसके बड़े -2 खरबुजे और मुलायम & थोड़ा सा लटका हुआ गोरा पेट दिख रहे थे...
दादी को देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा. मेरा मन दादी को रगड़ने को करने लगा
तो मैने उन्हें आवाज दी...
मै- दादी...
वो इधर -उधर देखने लगी...

मै - दादी ऊपर देखो छत पर
दादी(मेरी तरफ देखकर )- हा हा बेटा...

मैं उन्हें अपने पास बुला ही रहा था इतने में गेट से कोई और भी निकला . कोई और क्या कमला ताई थी. तो मैं रूक गया.
मुझे चुप देखकर दादी बोली – क्या हुआ देव
मैं बात बदलते हुए बोला – कहा जा रही हो..
ताई जी – मैं और तेरी दादी **** के घर जा रहे हैं.
मैं – ठीक है

फिर मैं रूम में आ गया. क्या सोचा था और क्या हो गया. सोचा था कि पूरी दोपहर दादी को मशलूंगा, पर....

फिर मैं और मेरा लंड दोनों सो गए.
Bahot khoob
Shaandaar update bhai
 
Top