अपडेट - 61
अनिता एक मस्त औरत हैं, पढी - लिखी भी हैं... हंसमुख टाइप है...
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मेरी भी कभी -2 बात हो जाती हैं, हम भी थोड़ा बहुत हँसी मजाक कर लेते हैं. ज्यादा तो नहीं लेकिन मुझसे कुछ खुल गई है...)
जैसे ही वो पलटी मेरे सामने उसका खिला हुआ यौवन आ गया... उसकी बड़ी बड़ी चूचिया मेरे सामने आ गई, उसकी बड़ी - बड़ी चुचियों को देख कर मेरा तो दिमाग़ ही खराब हो गया.
मेरा लंड एकदम टाईट हो गया, मै उसके भीगे हुए मादक बदन का रसपान करने लगा... तभी उसका हाथ पेट के नीचे उसकी कछी के ऊपर गया, हाथ अंदर जाने ही वाला था कि अचानक ही उसकी नज़र मुझ पे पड़ी...
मुझे देखकर वो हडबडा गई, मेरी भी कुछ ऐसी ही हालत थी...
उसने जल्दी से खुद को ढक लिया, मै उसकी तरफ ही देख रहा था वो मेरी ओर देखने लगी...
अब मेरा खड़ा रहना ठीक नहीं था मै जाने लगा. मैने जाते हुए अनिता भाभी की तरफ देखा, ना जाने मुझे ऐसा लगा की उनके चेहरे के भाव अलग हैं... ये भाव मुझे गुस्से के तो नहीं लगे.
मै जल्दी से नीचे आ गया, और बाथरूम में चला गया.
शावर चालु करके नहाने लगा, और लंड को ठंडे पानी से शांत करने लगा.
नहाते हुए अनिता भाभी के बारे मे ही ख्याल आ रहा था.
मै सोचने लगा कि - ये तो पंंगा हो गया, अगर उन्होंने किसी को बता दिया तो गड़बड़ हो जायेगी.
मुझे उनसे बात करनी होगी वरना प्रोब्लम होगी.
लेकिन उनके चेहरे पर एक्सप्रेशन कैसे थे, गुस्से के तो नहीं लग रहें थे, शायद कुछ और थे.
सोचते - सोचते मै नहा कर तैयार हो गया, तैयार होकर बड़े ताऊजी के घर आ गया नाश्ता करने...घर मे कोई दिख नहीं रहा था,
शायद आज मै लेट हो गया जिससे बच्चे स्कूल और बड़े खेत मे चले गये.
मै किचन मे संगीता भाभी के पास चला गया... लेकिन वहाँ पर ताईजी भी थी. मुझे देखकर भाभी के चेहरे पर एक चमक आ गई, जिसे मैंने देख लिया.
भाभी ने मुझे नाश्ता दिया... मैने भाभी की तरफ देखा उनकी आँखों मे
मै नाश्ता लेकर बाहर आ गया,और नाश्ता करने लगा. कुछ देर मे ताईजी भी बाहर आ गई,
ताईजी - संगीता मै खेत मे जा रही हूँ, तु बाकी का काम कर लिये...
संगीता - जी माजी...
बोलकर वो मेरी तरफ देखने लगी...
भाभी मेरे मेरे पास आई और झुककर नाश्ते की प्लेट उठाने लगी... वो कुछ ज्यादा ही झुकी हुई थी जिससे उनके मम्मे कुर्ते से बाहर झांक रहे थे... उनके आधे चुच्चे मेरी आँखों के सामने थे.
मैंने जब उनकी तरफ देखा तो वो मेरी तरफ देखकर हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी.
वो प्लेट लेके रसोई मे चली गई और ताईजी खेत में चली गई,
अब घर में और कोई नहीं था, आज मैने काम पूरा करने का फैसला कर लिया...
और मैं भी रसोई की और चल दिया...
भाभी मेरी और देख के बोली - क्या हुआ कुछ चाहिए आपको...
मै- कुछ चाहिए हो तभी आपके पास आऊ क्या , मै तो मेरी प्यारी भाभी के पास ऐसे ही आ गया...
और इतना बोलकर मैने भाभी को पीछे से अपनी बाहों मे भर लिया और उनसे चिपक के खड़ा हो गया...
मै- और मुझे आपसे कुछ चाहिए हो गया तो मै ले लुंगा, आप मुझे दोगी ना.
मैने उन्हें कस लिया, जिससे उनके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई...
संगीता (भाभी)- आआहह... हा आप जो मांगेगे मै वो दे दुंगी...
अब हम एकदम चिपके हुए थे , मै अपने हाथों से कुर्ते के ऊपर से ही उनके पेट को सहलाने लगा...और उनके गरम शरीर का मज़ा लेने लगा, मेरा लंड उनके चुतडो की दरार में फंसा हुआ था और गर्मी पाकर धीरे धीरे फूलने लगा...
मै धीरे - धीरे अपने हाथ कुर्ते के अंदर करने लगा, मेरा लंड फुलकर टाईट हो गया जिससे वो भाभी की चुत और गांड के पास दस्तक देने लगा...
मैने हाथ उनके नंगे पेट पर रख दिये और उनके मखमली पेट को सहलाने लगा, जिससे भाभी उतेजित होने लगी, उनकी सांसे भारी होने लगी थी...
भाभी उतेजित हुए बोली कि - ये मेरे पिछे क्या चुभ रहा है...
मै भी मजे लेते हुए बोला - कहाँ पर भाभी...
मुझे लगा वो नहीं बोलेगी, लेकिन आज वो भी कुछ करना चाहती थी...
भाभी - पिछे मेरे चुतडो़ मे...
मै- पता नहीं, आप खुद ही देख लो...
मेरी बात सुनते ही भाभी ने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ते हुये बोली कि- हाय.. ये क्या हैं (और उन्होंने अपना हाथ हटा लिया )
मैने अपने पजामे और अंडरवीयर को नीचे किया और मुसल को आजाद कर दिया जो लोहे की रोड जैसे तना हुआ था...
मैने भाभी का हाथ पकड़ा और मुसल पर रख कर दबा दिया, जिससे उंगलियां लंड के चारों तरफ आ गई...
मेरा लंड एकदम कड़क हो गया, वो भाभी की मुट्ठी मे मुश्किल से समा रहा था, 2-3 सेकंड तक वो लंड की साईज का अंदाजा लगाती रही, जैसे ही उन्हें लंड की साईज का अहसास हुआ वो आगे खिसक गई और पलट गई...
उनकी नजरे मेरे लंड पर थी...
संगीता भाभी(हैरानी से) - हे भगवान... ये क्या है..इतना बड़ा और मोटा...
मै- क्यों भाभी पंसद नहीं आपको...
मै भाभी के पास गया और उनकी चूत को हाथ से हल्का सा भींच दिया, जिससे उनके मूह से सिसकारी निकल गयी.
वो मुझसे दूर हो गयी...
संगीता - ये क्या कर रहे हो राहुल... मैं भाभी हूँ तुम्हारी, ये गलत हैं.
मुझे पता था कि ये नाटक कर रही हैं, ये भी मेरा लंड लेना चाहती हैं, इसके दो कारण हैं -
पहला तो ये कि देवीलाल भाई नहीं हैं जिससे कई दिनों से इनकी चुदाई नहीं हुई हैं.
दुसरा ये कि जैसा मैने शुरुआत में बताया है कि इन्होंने जवानी मे बहुत गुल खिलाये है, जो किसी को नहीं पता ( मुझे कॉलेज मे दोस्त से पता चला ).
मुझे पता था थोड़े टाइम मे ये भी साथ देगी, मैने आगे बढने का सोचा.
मैं - कुछ गलत नहीं है, मुझे पता है आप भी प्यासी हैं... भाभी मै और मेरा ये अच्छे नहीं लगे आपको...
वो मेरी तरफ देखने लगी...