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Adultery समर ने की मेरी चुदाई (अनीता शर्मा )

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एक सच्ची कहानी, मेरी आत्मकथा (दोबारा post कर रही हूँ, ताकि इस बार पूरी कर सकूँ )
UPDATE-1


ये मेरी आत्मकथा है -मेरी जिंदगी का सच है


दोस्तों दिल कह रहा है कि, आज सब सच लिखूं / अपना नाम , अपना पता , हर वो बात सच अपने बारे में जो सब जानना चाहते है ।

सच तो यह है कि मेरा नाम अनीता शर्मा है.

सब सच ही लिखूंगी / अब मेरी उम्र 25 साल है , मैं दिल्ली कि रहने वाली हूँ / क्या अब ये भी बताना पड़ेगा कि दिल्ली में कहाँ रहती हूँ मैं?
हम्मममम ओके ,,,,,,, दिल्ली में मैं वेस्ट उत्तम नगर में रहती हूँ / जो दिल्ली वाले है वो जानते होंगे , वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन से मेरा घर २ से ३ मिनट कि दुरी पर ही है / पापा मम्मी भाई भाभी एक छोटी बहिन और मैं , यही है मेरा परिवार /
डैड अक्सर दिल्ली से बहार रहते है और माँ भी अक्सर हरयाणा के पुश्तैनी गावं में जाकर रहती है , अभी मेरे दादा जी जीवित है , और उनकी देख भाल के लिए माँ को जाना पड़ता है , सॉरी में यहां अपने गावं का नाम नहीं बता सकती हूँ / इससे मेरी पहचान पक्की होने का खतरा है / गावं से हम 4 लडकियां दिल्ली में है जिसमे से सिर्फ मैं ही वेस्ट उत्तम नगर रहती हूँ /

भाई कि उम्र 27 साल है , झाँसी में JDA में नौकरी करता है , भाभी उनके साथ ही रहती है मगर हर २ महीने में वो घर आते रहते है / छोटी बहन उत्तम नगर के पास द्वारका के एक स्कूल में १2 क्लास में पढ रही है / उसका नाम राधिका है / काल्पनिक नाम / उम्र 18 साल hai

अब आती हूँ अपनी बात पर कि किस तरह मैंने जाना उस दर्द का अहसास, अंदर तक चटकने का अहसास और एक के बाद एक कुछ दोस्तों, दुश्मनो या अजनबियों के नीचे पिसने और पिघलने का अहसास / उनमे दो लोग ऐसे भी थे जिनसे कोई रिश्ता नहीं कि नाम दे सकू और इतने दूर भी नहीं कि अजनबी कह सकू /
बस इतना सच है मेरी इस आत्मकथा में कि बस नाम के अलावा हर शब्द सच्चा है /

एक बात बोलू दोस्तों , मन् में अभी अभी एक अजीब सी FANTASY आई की अपनी फेस की फोटो भी अपलोड करू , मगर नहीं /
पहली बार लिख रही हूँ तो शायद ये सब होता होगा अजीब अजीब सा सबको ही / मगर नहीं कर सकती /

मैं फरीदाबाद के YMCA इंजीनियरिंग कॉलेज से Btech कर रही हूँ / वहीँ कुछ अच्छे दोस्त भी बने और कुछ रिश्ते भी / यूँ तो मेरी Btech उम्र के हिसाब से 21 मे पूरी हो जानी चाहिए थी मगर कुछ ऐसा हुआ था मेरी जिंदगी मे की 2साल मेरी लाइफ बर्बाद हुए है
PG ओनर था एक गुरुग्राम मे, वहीं PG मे रहती थी तो मेरे साथ उसने forced relation बनाये थे, मेरी मर्जी के खिलाफ,

(ये सब इस किस्से के बाद बताउंगी, बस ये जान लो आप कि बात इतनी बिगड़ गई थी कि मेरे घर वालो को पता चल गया, पुलिस केस भी किया मैंने, मगर बाद मे मुझे parents के दवाब मे FIR वापस लेनी पड़ी, ये सब बाद मे बताउंगी , अभी इसी किस्से को पूरा करते है)...

अब आज बात करना चाहूंगी एक अलग अपनी जिंदगी मे हुए किस्से की, एक ऐसे रिश्ते कि जो शायद मेरी जिंदगी में होना नहीं चाहिए था / मगर हुआ / और न भुला पाने वाला अहसास जिसमे थोड़ा बहुत अपनापन तो था मगर उससे ज्यादा शर्मिंदगी है आज /

उनका नाम समर गुप्ता था , उम्र ४० साल / शरीर से हष्टपुष्ट , लम्बे है /
मैं अपने बारे में फिर बता दूँ कि मेरी उम्र २१ साल थी उस वक़्त , और अब २५ है / मेरी लम्बाई पांच फ़ीट छह इंच है / रंग गोरा / फिगर 34 - 27 - 36 है / बालों का स्टाइल मैं बदलती रहती हूँ, कभी कर्ली हलके, कभी सिंपल, तो कभी straight प्रेसिंग /

बात यूं शुरू हुए कि एक दिन QUICKER app में एक advertisement देखा जिसमे २ घंटे पार्ट टाइम जॉब का ऑफर था , साफ़ साफ़ लिखा था कि फ्रेशर कैंडिडेट भी अप्लाई कर सकते है / मुझे लगा हफ्ते में तीन दिन वो भी 2 घंटे बस , यानी १२ दिन सिर्फ २ घंटे कि जॉब से १०००० कि सैलेरी एक अच्छा मौका है कुछ पॉकेट मनी कमाने का , जिसको मैं बिना पेरेंट्स को बताये खर्च कर सकती हूँ / फिर क्या था , मैंने बायोडाटा बनाया और भेज दिया उस कंपनी के ईमेल पर /

सबसे पहले तो मैं ये लिखना चाहूंगी कि मुझे हिंदी टाइपिंग नहीं आती, एक वेबसाइट है जिसमे इंग्लिश में टाइप करने से वो साइट शब्दों को पहचान कर उसे हिंदी में टाइप क्र देती है , उसी कि मदत से मैं हिंदी टाइपिंग क्र रही हूँ / इसीलिए अगर शब्दों में कोई गलती हो या व्याकरण गलत आ रहा हो तो प्लीज माफ़ क्र देना ,इसमें मेरी कोई गलती नहीं है /

अब मेरी दास्तान पर आते है /
अगले दिन एक कॉल आया , नंबर अनजाना था सो मैंने उठाया तो उस तरफ से आवाज आई हेलो , मैं बोली हाँ जी आप कौन?
तो फिर गंभीर सी आवाज़ आई - आपने ape कंपनी में पार्ट टाइम जॉब के लिए अप्लाई किया था /
मैं तुरंत ही सतर्क हो गई और खुद ब खुद मुँह से निकला जी जी हाँ , मैंने अप्लाई किया था /

'' आप कल सुबह १० बजे ऑफिस आ जाये , इंटरव्यू है आपका कल /

एक दम इंटरव्यू ।।।कल ही तो अप्लाई किया था , मेरे मन में खुद ही ये सवाल आ गया ।

हेलो कि आवाज़ से मेरा ध्यान भंग हुआ और अपने आप मेरे मुँह से निकल पड़ा जी हाँ जी हाँ सर आ जाउंगी /

ओके कहकर कॉल डिस्कोणक्ट हो गई और मैं सोच रही थी वाह लगता है जॉब मिल जायगी / कुछ हलकी सी ख़ुशी तो कहीं एक हलकी सी डर भी अचानक मन कि गहराई में पैदा हो गया कि अगर न मिली ये जॉब तो ?

प्लीज दोस्तों इसे आप कहानी न बोले , ये मेरी सच्ची आत्मकथा है , हर बात का प्रमाण में आगे दूंगी /

मेरी बात का अगर आप लोगो को किसी भी तरह बुरी लगे तोह में माफ़ी मांगती हूँ,

......................................................

अगले दिन सुबह में काफी उत्साहित थी कि आज मेरी जिंदगी का पहला इंटरव्यू है ,

ब्लू शार्ट कुर्ती ,उसके नीचे पलाज़ो पहना , और बालो को कर्ली लुक दिया , हल्का मेकअप और आँखों में लम्बा लाइनर थोड़े शेप के साथ , आपको बता दू कि मुझे आई शेड लगाना बहुत पसंद है /

हाई हील ब्लैक सैंडल और शीशे में लुक देखा अपना तो खुद पर नाज़ आया ,मन से निकला हम्म्म नाइस /

अपने btech 2nd सेमिस्टर के डाक्यूमेंट्स फाइल में रखकर में त्यार थी /

कुछ सवाल के जवाब और अच्छी तरह मन में दोहरा रही थी जो पिछली रात Youtube में देखे थे जॉब इंटरव्यू को लेकर /

बरहाल 9am में घर से निकल गई / वेस्ट उत्तम नगर से मेट्रो पकड़ी और सुबाष पार्क मेट्रो स्टेशन जा पहुंची /

गूगल मैप में उनके ऑफिस का एड्रेस देखा तोह ५ मिनट वाकिंग डिस्टेंट पर हे था , पैदल उस तरफ चलते हुए में साफ अपने दिल कि धड़कन महसूस कर रही थी , और सच कहु तो कुछ खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि क्यों इतना सोच रही हूँ , अगर जॉब न भी मिली तो मुझे क्या ? माँ डैड इतनी पॉकेट मनी तो दे ही देते है कि मुझे कोई कमी नहीं होती /

इतना सोचते सोचते मुझे सामने ऑफिस कि बिल्डिंग नज़र आ गई / अब दिल फिर धड़कने लगा / रिसेप्शन पर मैंने अपने बारे में बताया तोह वहां बैठे एक लड़के ने इंटर कॉम से अंदर सुचना दी फिर हम्म्म हम्म्म जी ओके सर बोलकर रिसीवर नीचे वापस रख मुझसे बोला / मैडम आप सीधे अंदर गैलरी में जाकर राइट मुड़ जाना वहां सर आपका इंतज़ार कर रहे होंगे / आप जाकर मिल ले /

जी थैंक्यू वैरी मच बोलकर में गैलरी कि तरफ मुद गई , अंदर जाने पर सीधे हाथ पर मुड़ते ही मैंने पाया एक हॉल में कुछ gym इक्विपमेंट रखे थे उन्ही में एक शख्स उलझा सा खड़ा था , सिंपल लुक , कद लम्बा तक़रीबन 5 .11 , शरीर तगड़ा मगर मोटा नहीं, देखने में बिलकुल सिंपल लुक, सब मिला देखने में तंदरुस्त और समानय चेहरे वाले इंसान प्रतीत हुए / शायद वो इंसान इन मशीनों में कुछ ख़ास देख रहा था, उसके हाथ में कुछ पेपर्स थे , उन पेपर्स को वो देखता फिर मशीनों के ऊपर छपे कुछ अक्षरों को ध्यान से पड़ता ।
उन्होंने मेरी ओर देखकर खा चलिए वहां ऑफिस केबिन है वहां बात करते है /

अजीब है ये इंसान मुझे इंटरव्यू को बुला कर खुद हॉल में खड़ा मचिनो से माथा मार रहा है ।।।। सोचती हुए में ऑफिस की तरफ चल दी , ऑफिस केबिन का दरवाजा शीशे का था जिसपर गोल्डन कलर की ब्लाइंड मिरर चढ़ा था , उस दरवाजे पर निगाह पड़ते हे मैंने साफ़ देखा पीछे आ रहे इंसान की आँखें मेरी हिप्स पर गड़ी थी । मेरे पीछे पीछे आता हुआ वो मेरी हिप्स को घूर रहा था,
उसकी निगाह को भांपते हे अचानक एक सिरहन सी अंदर दौड़ गई , यु लगा जैसे कोई हलके से मेरे हिप्स के बिच की लाइन से ऊपर की और उठती हुई दो गोलाइयों को छू रहा हो। वहां. ठीक हिप्स की बिच वाली लाइन के आस पास का हिस्से में जैसे खून का प्रेशर अचानक तेज हो गया हो , और में साफ़ वहां हलकी सिरहन महसूस कर रही थी,
अजीब बात थी । बिना उनके छूए मुझे अजीब सा छूने जैसा एकसास हो रहा था, जैसे कोई बहुत हलके से नंग त्वचा पर अपने नाख़ून की टिप से नाज़ुकता से धीरे धीरे सहला रहा हो, इतना धीरे की त्वचा पर बिना दबाब दिए , हमारी त्वचा को छुए जाने जैसा अहसास हो /
पता नहीं कभी आपको भी ऐसा महसूस हुआ है की नहीं मगर मुझे उस दिन हुआ ।
न जाने न चाहते हुए भी मेरी चाल जो अब तक इंटरव्यू फॉर्म में तनी हुई थी वो थोड़ी आखिरी कुछ कदमो में लचीली हो गई और हलकी बलखाई / शायद उन्होंने मेरी चाल में आये बदलाव को जरूर महसूस किया होगा तभी उन्होंने शीशे की तरफ मेरे चेहरे को देखा / उनकी निगाह मेरी निगाह से टकराई और में हड़बड़ा गई, और हड़बड़ाते हुए मैंने मुँह फेरा की निगाह से निगाह का मिलना टूटे /

उनकी निगाह से से अलग होते होते मैंने साफ़ देखा की वो भी हड़बड़ा गए थे / और निगाह फेर रहे थे /
मुझे खुद पर एक दम खीज आई ।
ओह शिट।।। ओह अनीता ये क्या बेवकूफी कर बैठी , केबिन में उनको पहले जाना चाहिए तो में क्यों आगे चल रही हूँ, क्या कर रही हूँ , मन ही मन सोचते हुए में बड़बड़ा दी ,''' क्या है ::''

और एक दम से में दरवाजे से हट गई / वो नीचे मुंह किये केबिन के अंदर मेरी बगल से होते हुए दाखिल हो गए /

पीछे पीछे मैंने भी कदम बड़ा दिए /
बैठिये मिस अनीता ,, उनके कहने पर में उनकी ऑफिस टेबल के शामे रखी ४ चेयर्स में से एक पे ठीक उनके सामने बैठ गई /



मैंने अपने डाक्यूमेंट्स की फाइल उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा

सर आई ऍम अनीता शर्मा ,ये मेरे डाक्यूमेंट्स है .


हेलो अनीता , आई ऍम समर गुप्ता , कहते हुए उनहोंने मेरी फाइल ले ली,

कुछ सवालों के साथ मेरा इंटरव्यू ख़तम हुआ ,
बात ही बात मे ये जान गई कि समर गुप्ता जिम कि मशीनो मे मार्किट डील करता है
मेरा काम स्पेयर पार्ट और मशीनो कि एंट्री डाटा त्यार करना था l

मुझे काम पसंद आया और अगले दिन से मुझे जॉब ज्वाइन करने कि डेट मिल गई /

समय गुजरता गया लगभग 2माह बीत गए /सब कुछ ठीक ही चल रहा था, सोमवार, बुधवार और शुक्रवार यर 3 दिन सुबह 10 से 12 के दिन और समय के चक्र मे जिंदगी के 2 माह कब गुज़र गए पता ही ना चला l इन दिनों ऐसी कोई बात नहीं हुई जिसपर आज मे कह सकूँ कि मैं समर गुप्ता कि तरफ जरा भी आकर्षित हुई थी l

अक्सर काम करते और डाटा एंट्री करते हुई डाक्यूमेंट्स मे मुझे थोड़ा बहुत इंग्लिश कि ग्रामर या स्पेलिंग मे कभी कभी मिस्टेक मिल जाती थी जो यक़ीनन समर गुप्ता ने लिखी या त्यार कि थी l
एक रोज बस युं ही बातो बातो मैंने समर को बोल दिया कि सर आप डाक्यूमेंट्स फेयर मत करा करो ,आप रफ़ वर्क ही मुझे दिया करो, मै उसको फेयर करके फिर एंट्री कर लिया करूंगी l
समर ने मुझे यूँ देखा जैसे मै एक एलियन हूँ
और गम्भीरता से पुछा.... क्यों ?

मै पहले थोड़ा झिझकी फिर मैंने बोल ही दिया
सर वो डाक्यूमेंट्स मे इंग्लिश स्पेलकिंग एरर आ जाते है कभी कभी l मै उसको ठीक कर दिया करूंगी
...
वो एक कहावत है ना कि किसी पागल को पागल मत बोलो वरना वो आपकी ले लेगा l
बस मेरा बोलना था कि समर के हावभाव एक एक बदल गए l
थोड़े सख्त शब्दो के साथ समर ने मुझे नवाज़ा “ऐसा है मिस अनिता मुझे मालूम है अपनी इंग्लिश ज्ञान के बारे मे, वर्क लोड मे अगर कोई एक आदः शब्द मे एरर आ जाता हो तो कुछ नहीं होता,
तुमसे अच्छी ही होंगी मेरी इंग्लिश l कुछ ऐसा ही कहा था समर ने मुझे, उसके सख्त रवैया मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया l
खुद को कोसती मैं “जी सर “ बोलकर केबिन से बहार आ गई

बेवकूफ आदमी इंग्लिश खुद को नहीं आती और मुझे डांट रहा है
 
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UPDATE -2

रात मे सोते वक़्त भी उस बात को मन से नहीं निकाल सकी, अजीब सा गुस्सा आता रहा, सच कहती हूँ दोस्तों खुद को बहुत छोटा महसूस कर रही थी l
मैंने सोच लिया था अगर एक बार और उसने मुझे डांटा या सख्त रवैया मे बात कि तो इस नौकरी को लात मार दूंगी,
यहीं से गलती हो गई मुझसे

अब मै उसकी हर बात पर ध्यान देती थी कि उसका रवैया या शब्द कैसे है, और 5-6 दिन मे उसपर ध्यान देने से मै उसको जानने लगी l किसी को जान लेना और पहचान होने मे बहुत अंतर होता है. जिसको जितना जानो वो उतना ही करीब लगता है, कुछ ही दिनों मे उनकी आदतो के बारे मे भी खुद ब खुद जानने लगी.

साधारण सा जीवन है उनका, साधारण खान पान, साधारण पहनावा, सब कुछ बिलकुल सिंपल सा.
एक दिन वो एम्पलॉईस का सेमिनार ले रहे थे और बीच बीच मे सबको अपनी बातो से हसा भी रहे थे, उनकी साधारण सी मुस्कुराहट को देखते ही मुझे अब वो बिलकुल ऐसे लगे जैसे हाँ मै तो जानती हूँ उन्हें, एक अपनापन रखा जुड़ाव ना जाने क्यों अब मै उनके प्रति महसूस कर रही थी l

मेरी उम्र 21 और उनकी 40 के करीब होंगी l
फिर भी ना जाने क्यों अब मै उनकी तरफ खिंच रही थी l
ये प्यार था ऐसा भी नहीं था. मगर कुछ तोह था जो मुझे उनकी तरफ और ज्यादा दिन ब दिन खींच रहा था l
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ? मुझे बताना /

अगला अपडेट मेरे उनसे खुलने और सेक्स रिलेशन मे शुरुआत पर होगा, पूरी कोशिश करूंगी, 4 पेजेस का अपडेट करू l

उम्मीद है आप लोगो को मेरी आत्मकथा पसंद आ रही होंगी
क्या मे डर्टी वर्ड्स इस्तेमाल करू? सेक्स रिलेशन अपडेट मे ......
अपनी आत्मकथा को बहुत फील से लिखना चाहती हूँ दोस्तों मगर इससे मेरी कहानी बहुत ज्यादा लम्बी खिंच जाएगी. इसीलिए शब्दों को कम इस्तमाल करते हुई अगले अपडेट थोड़ा जल्दी सेक्स रिलेशन कि तरफ ले जाउंगी. क्या ये ठीक होगा?

एक रोज मैं १२ बजे ऑफिस से निकली और बहार सड़क पर खड़ी थी , थोड़ा जाम था सड़क पर , मुझे बस सुभाष नगर मेट्रो स्टेशन तक हे जाना था वहां से १०-१५ मिनट का हे रास्ता था वेस्ट उत्तम नगर का मेट्रो से ,

अचानक मैंने एक आवाज़ सुनी

गई नहीं आप अभी ? मैंने पीछे देखा तो समर खड़े थे /

जी बस जाम है उस पर जाकर मेट्रो की तरफ जाउंगी , मैंने उत्तर दिया /

किस तरफ जाओगी आप ? समर ने पुछा तो मैंने बता दिया सीधे घर जाउंगी सर , वेस्ट उत्तम नगर

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मैं नज़फगढ़ जा रहा हूँ चलो आप को वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन के निचे ड्राप कर दूंगा /

समर की बड़ी हे बेबाकी से कह दिया , मुझे अजीब तो लगा पर मना नहीं कर सकी/ बस इतना बोल पाई " प्लीज सर आपको बेकार तकलीफ होगी "

अरे तकलीफ कैसी ।

मैं तो जा रहा हूँ उस तरफ / चलो छोड़ दूंगा और रास्ता भी कट जायेगा मेरे और ये कहते हुए समर मुस्कुरा दिया

वही जनि पहचानी मुस्कराहट / मैं थोड़ी देर देखती रही उनकी तरफ /

हाँ बोलो क्या हुआ, समर की इस आवाज़ ने मुझे उस देखने से बहार निकाला/

जी जी सर जी बिलकुल ।।ये बोल मैं झेंप गई और मुस्कुरा भी दी

गुड गर्ल ।।यही कहा था समर ने मुझे आज भी याद है और समर कार की तरफ मुड गए मुझे पीछे आने का इशारा किया , मैं भी उनके पीछे चल दी /

सच बताऊं आपको दोस्तों उस वक़्त सच में कुछ धकधक थी मेरे दिल में , और हलकी सी ख़ुशी भी , कुछ मिला जुला अहसास था /

तितली सी दिल और पेट में उड़ रही थी , मेरी चल अपने आप फिर लचीली हो गई गई , मैं साफ़ महसूस कर रही रही कि न चाहते हुए भी मेरे हिप्स हलके हलके बलखाने लगे थे /

मैं साफ़ अपने हिप्स की गोलाइयों को लचीलेपन के साथ ऊपर निचे बलखाते मह्सूस कर रही थी , मेरी चाल में जैसे मेरे खिलाफ बगावत कर दी थी और मेरी थाइज़ का अंदर का पार्ट चलते वक़्त बलखाने के साथ हर कदम में मिलने लगा था ,

मैंने फिर संभाला खुद को मगर उसी वक़्त दांये हिप्स के हलके घुमावदार बलखाने के कारण एक अजीब सा अहसास जो मेरे अंदर पैदा हुआ वो मुझे खुद एक रोमांच दे गया और जानते हो आप लोग अगला कदम मैंने खुद न चाहते हुए भी बहुत हे बांये हिप्स को घुमावदार उठाव के साथ लिया ,

मैं खुद पर मुस्कुराई और फिर उसी लचीलेपन के साथ पीछे पीछे चल दी, करीब ५० मीटर चलने के बाद एक ओपन पार्किंग नज़र आई, जहां कुछ कार पार्क की गई थी /


कार का दरवाज़ा खोलते हुए समर ने कहा आइये /

और मैं उस कार में समां गई /

मैंने धीरे से समर की तरफ देखा वो बड़े ही आराम से कार को बैक करके मुख्य सड़क पर ला रहे थे , उनका अंदाज़ में साफ़ प्रतीत हो रहा था कि वो जता रहे है जैसे वो मुझपर धयान नहीं दे रहे , मगर उनकी चोर नज़र धीरे से कुछ बार मेरे सिनेकी ३४ B साइज की उभरी गोलाइयों के दीदार कर चुके थे , मुझे उनकी नज़र में चोरपन अच्छा लग रहा था ,

धीरे से मैंने खुद को सीट में इस तरह धंस के पोज़ किया जैसे मैं ठीक सामने देख रही हूँ मगर समर की तरफ से मेरे सिने की उभार समर को साफ़ उभरे दिख सके /

और ५ सेकण्ड्स बाद हे फिर समर की चोरनिगाह मेरे उभार पर पड़ी और मेरे निपल के अंदर हलचल सी मैंने महसूस की , खून का दौरा तेज होते और निपल को बगावत करते हुए थोड़ा सख्त होते महसूस किया /

जैसे मेरे निप्पल मुझसे बोल रहे हो अनीता यू अरे अ बिच/ जो एक ४० साल के इंसान की मौजूदगी के कारण उतेज्जित हो रही हो , डूब के मर जाओ /

मगर जो हो रहा था वो सच था , कोई प्यार व्यार की भावना मेरे मन में नहीं थी मगर एक उतेजना जरूर मेरे दिल और दिमाग पे धुंध की तरह छा चुकी थी जिसके कारण मेरे सोचने और समझने की शक्ति पर एक स्याह पर्दा पद गया , जो जल्दी हीएक अनोखे अनुभव में बदलने वाला था /

दोस्तों इससे पहले भी मेरे कुछ सेक्स रिलेशनशिप हो चुके है , जिनके बारे में अभी नहीं बता पाऊँगी , धीरे धीरे आगे सब बता दूंगी /

((बस आप लोग इतना जान लो ।

फरीदाबाद के YMCA इंजीनियरिंग में एडमिशन के बाद कुछ दिन एक PG में रुकी थी अपने कुछ दोस्तों के साथ, Gurgaon में, मगर अफ़सोस अगले हफ्ते हे मेरे दोस्तों ने PG छोड़ दिया उनको कॉलेज के पास हे अचानक एक अच्छा PG उपलब्ध हो गया था /

मैं ३ मनथस का पेमेंट दे चुकी थी जो वापस नहीं हो सकता था इसीलिए मुझे रुकना पड़ा, वहां के PG ओनर (नाम नहीं लिखूंगी अभी ) जो हरयाणा का जाट था के साथ सेक्स काउंटर हुआ जो मेरी मर्जी के अगेंस्ट था , मेरे न चाहने पर भी उसने जो किया अभी नहीं बता सकती / सोचलर हे गुस्सा आ जाता है / मगर बाद में लिख दूंगी,

कोशिश करूंगी वो किस्सा फील के साथ लिख सकू, पुलिस FIR भी हुई थी NGO ने भी मदद की मगर मुझे केस वापस लेना पड़ा एक माफ़ी नामा लिखकर / पेरेंट्स को भी पता चला और दोस्तों को भी /


इन सबसे निकलने में अमित नाम के फ्रेंड ने मेरी बहुत मदद की थी उससे भी सेक्स रिलेशन बना,

फिर साहिल नाम का एक बॉयफ्रेंड और बना /

समर के जिंदगी मे आने से बहुत कुछ मैंने जिंदगी जीने के सच के बारे मे सीखा और समर के जाने के बाद एक सरकारी जॉब के अप्लाई भी किया जो ईश्वर के द्वारा गिफ्ट मे मुझे मिल गई /

2 साल बाद उस जॉब को छोड़ अब अपने Mtech पर ध्यान दे रही हूँ, और ना जाने क्यों अपनी जिंदगी के कुछ हिस्से को आपके सामने रख रही हूँ l

समर के बाद एक लड़का Shabad Khan से भी मुलाक़ात हुई, जो meet4u dating app मे मुझे मिला, उससे बात हुई तो वो भी उत्तम नगर का ही निकला,, Gym instructor है वो और 4 बार उसके फ्लैट मे जाना हुआ और उसके नीचे अपने शरीर के पिसने का अहसास भी लिया.))

अब ये समर का किस्सा था । तो ये नहीं कह सकते की इस वक़्त मैं वर्जिन थी, हाँ कई बार सेक्स का सुख और दुःख भोग चहकने के बाद न जाने क्यों मेरे आकर्षण किसी matured इंसान की तरफ खींचने लगा है, और ऐसी कमी को समर और उसकी वो निगाह पूरी कर रही थी शायद इसीलिए मैं ज्यादा उत्तजित हो रही हूँ इस वक़्त कार में उसके साथ बैठे हुए /

इस वक्त मैंने जीन और टॉप पहना हुआ था ग्रीन टॉप, याद ह मुझे अच्छी तरह, जो पूरी तरह मरे कमर की कर्व्स और सिने के उभारो को नुमाया होने में मदद रहा रहा था ,

यही कारण भी होगा जो समर बार बार न चाहते हुए भी अपनी मर्यादा के आगे निकल अपनी हे एम्प्लोयी के शरीर के ख़ास हिस्सों को चोर की तरह अपने वज़ूद से गिरकर घूर रहा है /

अब कार तिलक नगर मेट्रो स्टेशन को पीछे छोड़ती हुए जनकपुरी की तरफ बाद रही थी ,

मैं किसी एम्प्लोयी को अपनी कार में लिफ्ट नहीं देता , समर के इन शब्दों ने मेरा ध्यान उसकी बातो की तरफ किया ।।। मगर आज न जाने क्यों तुमको लिफ्ट दी है ,कहकर वो खुद हीअपनी बात पर हंस पड़ा ,

मैं मन ही मन बोल पड़ी " आखिर आदमी आदमी ही होता है , उसकी जात उसकी दोनों टांगो के बीच लटक रही होती है जो तुम्हारी भी है मिस्टर समर , अब देखना ये है की तुम्हारी जात का ढोल कितना बड़ा है /

ये सोच कर मैं खुद हे जोर से हंस पड़ी । ।। वो मेरी तरफ देखने लगा और इस देखने में हसने के कारण मेरी हिलती छातियों को भी फिर एक बार घर लिया ।।।

जी जी सर मैंने खुद की हंसी रोकते हुए बोलै, जी सर मैं जानती हूँ आप अच्छे इंसान है

हम्म्म समर ने आवाज़ दी , नहीं अनीता तुम उन सबसे अलग हो,

कुछ तो ख़ास तुम्हारे में जो में आज तुम्हारे साथ हूँ ,


में कुछ न बोल पाई बस चुपचाप उसकी ओर देखती रही ।।।। जी सर थैंक्स ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, यही बोल निकले थे मेरी जुबान से /

उत्तम नगर पूर्व मेट्रो वाले चौराहे पर जाम ज्यादा ही था, तो समर नर मुझे कॉफ़ी के लिऐ पुछा, मैंने हाँ मे सिर हिला दिया l

समर ने हल्का बैक टर्न करके गाड़ी विकासपुरी , जो कि उत्तम नगर के करीब ही है, कि तरफ मोड़ ली l

थोड़ी हि देर मे हम एक डोसा कार्नर के सामने थे,

बरहाल समर के साथ मे डोसा सेंटर के अंदर चली गई, साफ लग रहा था कि उस जगह का वेटर समर को अच्छी तरह जानता है, वो काफ़ी मिलनसार और हसमुख था सो हमारी खातिर कुछ स्पेशल ढंग से कि गई, बार बार उस वेटर का आना समर से हर बात पूछना, मेरा स्पेशल सा ख्याल रखना,

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क़ि बाकि कस्टमर से ज्यादा मै वहाँ स्पेशल हूँ l I totally impressed..

जो भी था उस रोज़ मुझे अच्छा लगा , और थोड़ी देर बाद जब समर ने वेटर को टिप दी जो टिप के रूप में ज्यादा ही थी उसको देखकर में समझ गई कि क्यों वो इतना ज्यादा ख्याल हमारी टेबल का रख रहा है /
जाते जाते समर ने मेरा हाथ धीरे से पकड़ा और मुझे उठने में मदद की, जो जरुरी नहीं था मगर में इतना तो जान ही गई थी की समर की तरफ से ये पहले कदम है मेरी तरफ , न चाहते हुए भी में हल्का सा मुस्कुरा गई , और खड़ीहोकर समर के पीछे चल पड़ी उसकी कार की तरफ /

समर ने मेरे अंदर बैठते हे कार वेस्ट उत्तम नगर की ओर दौड़ा दी /

अनीता क्या करती हो आप जॉब के बाद ये सवाल समर ने किया
जी सर Btech आपको बताया है पहले ।मेरे ये कहने पर समर मुस्कुरा दिया ,
अरे नहीं नहीं ।।में पूछ रहा हूँ पड़े के अलावा क्या करती हो आप ,,मतलब आपकी होब्बी क्या है

ओह्ह्ह ।।। जी सर।।में बास्केटबाल खेल लेती हूँ ओर डांस भी पसंद है मुझे ,,मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया /
कब खेलती हो आप।।

संडे मॉर्निंग कीर्ति नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स चली जाती हूँ, वहीँ बस थोड़ा बहुत बास्केट बॉल हो जाता है /

ओके ओके नाइस ।। में भी सोच रहा था थोड़ा सुबह सुबह जॉगिंग फिर शुरू कर दू , क्या ख्याल है आपका ?
इस सवाल का मै भला क्या जवाब देती ,बस इतना बोल पाई ।।जी हाँ सर ये तो बहुत अच्छा है ,वैसे आप फिट लगते है /
अब मुझे दिमाग में हिट हुआ की मै ज्यादा बोल रही हूँ,

थैंक्यू अनीता ,,, फिर भी सुबह की जॉगिंग की बात अलग है /

जी सर यू आर राइट ।,,,मेरे इतना कहने पर समर बोल पड़े ।।तोह अगर आपको बुरा न लगे तोह आपके स्पोर्ट काम्प्लेक्स कल सुबह चले ,,आपपका साथ भी हो जायगा ,,अरे आपके बहाने मेरी जॉगिंग फिर शुरू हो जायगी / एक दिन में जॉगिंग की आदत पद जायगी तोह हम अलग जायेंगे ,फिर न आपको परेशान करेंगे।। कहकर वो हस दिए,

मुझे बड़ा अजीब लगा ये सब मगर बात इस अंदाज़ से रखी थी मेरे सामने कि मै मना न कर सकीय /

जी सर बिलकुल , कल संडे है तोह आप आ जाइये सुबह ६ बजे कीर्ति नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स ।।।

मेरी इस बात पर वो मुस्कुरा दिया , ऐसा करते अनीता मै आपको सुबह यहां से पिक कर लेता हूँ, ये शब्द जैसे ही मेरे कानो से टकराये मै चौंक पड़ी, कियुँकि कार अब वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन के ठीक निचे बने डोमिनोस पिज़्ज़ा पॉइंट के सामने थी ,

जी जी मैंने हकला कर कहा
तोह वो मुस्कुरा कर बोले अरे अनीता यहां से ।इस मेट्रो के निचे मिल जाना सुबह ५।३० बजे , ओके साथ चलते है, ओके

जी सर , मेरे ये कहने से मैंने साफ़ देखा जो उसके चेहरे पर अजीब से ख़ुशी भरे भाव एक दम आये थे वो कोई पागल भी समझ सकता था कि समर का फेका हुआ तीर सही निशाने पर लगा है ।।

देर रात तक मेरे अंतर्मन में एक सवाल मंडराता रहा कि समर का यूं पास आना ठीक है ? उनकी उम्र ४० के करीब और मेरी सिर्फ २१ ।
मैंने करवटे बदलते हुए TV का remote उठाया और टीवी चालू किया तोह चैनल बदलते समय मेरे सामने 'चीनी कम' मूवी का कुछ हिस्सा चल रहा था जिसमे अमिताभ बच्चन कुछ दूर दौड़ कर अपने स्टैमिना का परीक्षा देते है की वो सेक्स स्टैमिना के लायक है की नहीं ,
में मुस्कुरा गई उस सीन को देख कर और मुझे लगा समर दौड़ कर परीक्षा दे रहा है,

में सेक्स रिलेशन में नई नहीं थी , हम्म मुझे ठीक ठाक अनुभव था सेक्स का, मैंने कुछ न सोचा अब बस आँखें बंद की और सोने की कोशिश करने लगी /

सुबह ५ बजकर ३० मिनट पर मेरे मोबाइल में समर का कॉल आ रहा था , में भी त्यार थी , मैंने टैंक टॉप और स्पोर्ट्स लेग्गिंग पहन ली थी /

कॉल उठते हुए मैंने कहा , बस सर २ मिनट में आई ।।

हम्म्म मेट्रो गेट नंबर एक पर हूँ मेँ (समर ने जवाब दिया )

जी सर ,,यही निकला था मेरे मुख से
,
 
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Rudransh.

Gujju Lion
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Wow anita kya bat hai yaar maja aagaya
 
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UPDATE-3

मैंने देखा समर एक बाइक पर था , ओह्ह्ह मेरे मुख से खुद ब खुद निकल पड़ा ।।
बाइक हम्म्म में समझती थी , अच्छी तरह से बाइक का मतलब कितना गहरा और ग्राम होता है ,
मेरी मुस्कुराहट अपने आप समर को देख कर मेरे गुलाबी होठो पर छा गई,
गुड मॉर्निंग सर

मेरे अभिवादन पर समर भी मुस्कुराया और हाई अनीता गुड मॉर्निंग भई क्या बात हैं, लुक ही चेंज हैं आपका तो , बढ़िया हैं /

मुझे घूरते हुए समर ने बाइक पर बैठने का इशारा किया , समर बाइक पर पहले से ही विराजमान था /

मैंने देर नहीं की और बाइक पर उसके पीछे बैठ गई , मैंने अपने आपको इस तरह एडजस्ट किया की मेरे बूब्स समर को टच न हो । दोनों हाथो को मोड़ कर अपने सीनेके सामने रख लिए थे इस तरह समर को मेरी कोहनी तोह छू रही थी मगर बूब्स नहीं ,
मगर मेरी थाइस का अंदर का भाग समर के कूल्हों के दोनों बाहरी तरफ टकरा रहा था , समर ने बाइक स्टार्ट की और बैलेंस बनाने के चक्कर मेँ मेरी थाइस ने समर के कूल्हों को अपने ग्रिप मेँ ले लिया , मेरी थाइस ने समर की कमर का निचला हिस्सा जकड़ा हुआ था



मैंने पीछे बैठे बैठे ही समर की तरफ देखा , साइड से दिखता हुआ उसका चेहरा साफ़ बता रहा था कि मेरी जांघो का अहसास से उसके शरीर और दिमाग में खून का दौरा तेज हो रहा है ,
उसकी आँखों में अजीब सी ख़ुशी और एक उतेजना कि लहर साफ़ देखि जा सकती थी ,
तभी मैंने महसूस किया कि समर ने अपने कूल्हों को थोड़ा सा मेरी तरफ सरकाया है , मेरी जांघो के बीच उसके कूल्हों का दबाव एकदम बड़ा था जिसके कारण मेरी जांघो ने समर के कूल्हों को और जकड लिया था , समर के पीछे होने से बचने को अगर मैं अपनी टाँगे थोड़ी भी ढीली करती तो यक़ीनन समर आज ही मेरे उस हिस्से को छू जाता जिसपर मुझे बहुत नाज़ है , बरहाल जकड़न बढ़ने से मुझे और ज्यादा उसके कूल्हों कि गर्मी का साफ़ अहसास हो रहा था , सुबह कि हलकी ठन्डे मौसम में कुछ तो था जो गरम था , मेरे लबों पर अपनेआप एक शरारती सी मुस्कान उमड़ आई ।

समर ने हलके से पीछे देखा और मेरी आखों में सीधे देखते हुए मुस्कुराया , मैंने निगाह नीची कि और शर्म से मुस्कुरा बैठी ,
ये दोनों कि मुस्कराहट शायद इकरार थी एक ऐसी परिस्थिति कि जिसको हम दोनों अपने दिल और शरीर में साफ़ महसूस कर रहे थे ।
मर्यादा का बोध मेरे दिमाग से शायद कहीं दूर उड़ कर किसी अनजान जगह जाकर छिप गया था , और रह गया था बस एक कामुक सा अहसास , एक बेशर्मी और अपने वजूद से नीचे गिरने का अपराधबोध , ये अपराध बोध अभी नहीं बल्कि समर के जाने के बाद होना था ।

मैंने ध्यान दिया तो समर ने बाइक को विकासपुरी के अंदर मोड़ लिया था , मैं थोड़ी चौंकी मगर कुछ बोली नहीं , समर ने पीछे देखा और धीरे से बोला ,' अनीता स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स थोड़ी देर में चलते है जरा हवा खा लेते है ' बोलो हाँ

न जाने कोई मंत्र था या आर्डर,,ये 'बोलो हाँ ' शब्द सुनकर खुद ही मेरे मुँह से जी हाँ निकल गया ,

वो मुस्कुराया और बाइक को एकदम हलकी स्पीड के ब्रस्ट से तेज कि , मेरा शरीर एकदम से समर के पीठ से टकराया , कोहनी और कंधे समर से टकराने पर समर ने फिर पीछे मुड़ कर देखा , उसको शायद मेरे जिस्म के किसी और ख़ास हिस्से के टकराने कि उम्मीद थी , मगर टकराय,,, कोहनी और कंधे ।
उसकी मुस्कराहट और गहरी हो गई , जैसे कोई बाज़ किसी निरह प्राणी के शिकार को बेताब हो , और ज/नता हो कि शिकार अब ज्यादा दूर नहीं ,मैं भी मुस्कुरा दी ये सोच कर

दरअसल मेरे कुछ रिलेशन्स के बाद मेरा झुकाव matured लोगो कि तरफ हो गया था ,
२० से २५ साल तक के लड़को कि बातो में मुझे नासमझी और लड़कपन दिखाई देने लगा था , उनका बिना मतलब कि बातें करना , बड़ी बड़ी बातें बोलना जैसे वो सुपरमैन के दादा हो इत्यादि बातें उनको न जाने क्यों मानसिक स्तर पर मेरी निगाहो में छोटा साबित कर रही थी ,

न जाने क्यों मेरे अंदर संजीदगी और ठहराव के एहसास कि चाहत होने लगी थी इन दिनों , शायद ये भी एक कारण हो सकता है कि मैं समर कि तरफ अब हाँ आकर्षित हो गई थी , मैं समर को प्यार नहीं करती हूँ , मगर उसका साथ मुझे अच्छा लग रहा था , दिल ने एक धीरे से आवाज़ दी , ' चलो एक जायका और सही ' ///
अपनी इस बात पर मैं फिर मुस्कुरा गई और पता नहीं कब मैंने अपना सर समर के कन्धों पर रख दिया ,



मैंने साफ़ महसूस किया कि समर के पीठ से लेकर गर्दन तक एक झुरझुरी सी दौड़ गई है , उसका शरीर एक दम अकड़ गया था मेरे अपना सर उसके खंधे पर रखते ही ।
शायद उनको उम्मीद नहीं थी मेरी इस हरकत कि ।
अगले ही पल समर ने खुद को संभाल लिया ,
अनीता थोड़ा आगे हो जाओ गिर जाओगी ,,, बहुत हिम्मत करके भोलेपन से समर ने मुझसे कहा , तो मुझे उसके ऊपर एक नए अहसास के साथ अपनापन या थोड़ा लाड या शायद प्यार आया और मैंने कहा

""""" अरे बोलो तो चिपक जाऊं '''''''''''''''''''

ये शब्द बिलकुल सच्चे है , मुझे बेहद अच्छे ढंग से साफ़ साफ़ याद है कि यही वो शब्द थे जो न जाने कैसे बेशर्मी या कामुकता में मैंने समर से बोल दिया ,
वो पठ्ठा भी कम न था , बोल पड़ा ,

चिपक जा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

और न जाने क्यों मैंने अपनी कोहनी और हाथो के बधन खोले ,,,,, और अपने दोनों हाथ उसकी कमर के दोनों ओर से हार कि तरह डाल कर हलके से समर को लपेट लिया , मेरा चेहरा अभी भी समर के कंधो पर था ,

दोस्तों अब मेरे बूब्स समर के पीठ को छू रहे थे , या यूं कहो मैं साफ़ अपने निप्पल में उसकी पीठ का दबाव महसूस कर रही थी ,
बेशर्मी देखो मेरी दोस्तों , कि मेरे निप्पल्स कि स्किन के ठीक नीचे मगर नसों के ऊपर मैंने खून का दौरा चीटियों कि तरह सरसराते महसूस किया , अजीब सी चुभन ओर सरसराहट , हलकी गुदगुदी जो निप्पल कि स्किन में अंदर से उभर रही थी , मेरे निप्पल्स का कड़ा होना ओर समर कि पीठ कि रगड़ से मेरे मुँह से हलके से निकला ।

अहह ,,,,,
आँखें मेरी खुद अपने आप हलके से बंद हो गई ओर समर कि शरीर में आई सरसराहट को मैंने साफ़ महसूस किया ।।

न जाने ये सब क्यों हुआ शुरू , मैं खुल इतना कैसे गई थी,
दरअसल हम किसी से नहीं खुलते बल्कि कोई अपने अपनेपन से हमारे अंदर एक ऐसी विश्वास भर देता है कि हम उन लोगो से खुल ही जाते है ,

उनपर ध्यान देना , उनको जानना ओर उनके प्रति एक विश्वास ही शायद पहला कारण था कि मैं आज बेशर्म कि तरह उनसे लिपटी थी ,
या यूं कहो अपनी ही भावनाओं में बह रही थी ,


आज एक ख्याल आता है ये सब लिखते हुए ।।उस वक़्त समर ने क्या सोचा होगा मेरे बारे में ? उनके ख्याल अच्छे होंगे उस वक़्त या वो एक शिकारी थी तरह सोच रहे होंगे कि ,,,,,,,



अब इसका जबाव आप दे सकते हो दोस्तों,

अगला अपडेट समर के साथ मेरे सेक्स रिलेशनशिप कि दास्तान के साथ होगा ,
उम्मीद है पूरी फीलिंग के साथ लिख पाऊँगी

समर ने धीरे से एक हाथ मेरे हाथो पर रखा और मेरे हाथ की उंगलिओं को हलके से दबा दिया /
मैंने भी आँखें बंद की और सोचना बंद किया , जो हो रहा है वो कितने गलत है या सही , अब ये बात मायने नहीं रखती बल्कि मन को भा गया था ये सब और दिल ने दिमाग को शांत रहने का इशारा भी कर दिया था , और दिमाग ने शान्ति के साथ दिल को शरीर के साथ मिलकर अपनी मर्जी करने का अधिकार दे दिया /

9 ब्ज़े समर ने वापस मुझे वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो के नीचे डोमिनोस पिज़्ज़ा के सामने छोड़ दिया, इस बिच हम बीएस घूमते रहे बाइक पर , में उनसे लिपटी बस समय की धाराओं में बहती रही , और वो मुझे लिए यहां वहां घूमते रहे ,
और कुछ नहीं हुआ था उस रोज , कुछ नहीं....

मगर अगले दिन ऑफिस में समर का व्यवहार अब पहले की तरह नहीं था , अब मुझपर वो ख़ास मेहरबान था , अपने केबिन में बुलाकर मुझसे किसी न किसी बहाने से बात करना , मुझे जोक पर हसाना , मुझे प्यार से घूरना , और बहुत कुछ जो शायद में इस वक़्त ब्यान नहीं कर पाऊँगी ,
बरहाल में अपने समय से १२ बजे ऑफिस से निकल गई और इस बिच समर ने मुझसे शाम को मिलने का वादा ले लिया था ,
////////////////////////////////////////////

/////////////////////////////////////////////

उस शाम समर का कॉल आया , और मुझे वापस वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो के नीचे मिलने जाना था , जैसे कि मैंने उनसे वादा किया था , मैंने जीन और ग्रीन टॉप पहना था बस यूं ही में घर से निकल गई , मेट्रो के नीचे पहुंची तो समर को उसी बाइक पर खड़े पाया , मन मेँ मेरे अचानक ख्याल आया कि सब देखेंगे कि में किसी ४० आगे के शख्स के साथ चली गई , मर अगले ही पल मैंने उस ख्याल को दिल से हटा दिया " कोई नहीं सोचेगा , जो देखेगा तो यही सोचेगा कि कि अंकल है मेरे" खुद को मन ही मन यही तस्सल्ली देते हुए मै समर कि तरफ तेजी से बढ़ चली , मेरे गुलाबी होठो पर खिलती मुस्कराहट ने समर का स्वागत किया / और समर कि बाइक पर बेथ उड़ चली ,
थोड़ी दूर तक संभल कर बैठी रही कियुँकि जान पहचान वाले देख सकते थे , मगर थोड़ी दूर बाद , मैंने दोनों हाथ समर कि कमर पर लपेट लिए और समर कि तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रहा था , हलकी शाम करीब ७ बजे थे उस वक़्त , समर मुझे विकासपुरी मै स्थित सोनिया पीवीआर सिनेमा के कंपाउंड मै ले आया था ,

Picture of PVR Vikaspuri


III

में पहले भी कई बार यहां आ चुकी थी , और ये जगह मुझे पसंद है ,
समर ने मुझसे पुछा कुछ खाना चाहोगी तोह मैंने मुस्कुरा कर " सिर्फ कुल्फी " बोल दिया ,
नहीं नहीं कुल्फी से सिर्फ काम नहीं चलेगा , कुल्फी ने अगर तुम्हे ठंडा कर दिया तो मेरा क्या होगा ,,कहके वो खुद ही अपने आप हंस दिए ,
उनकी इस बात पर में भी जोसे हंस दी , फिर कुल्फी ले ली गई और वहीँ घूमते घूमते हमने थोड़ा समय बिताया , कभी पथ्थर कि बेंच पर बैठे तो कभी ठहलते हुए पीवीआर के अंदर चले गए , बस एक घंटा कब गुज़र गया पता ही न चला ,

धीरे धीरे हम टहलते हुए पीवीआर कि साइड से गई सड़क पर आ गए जिसको बैंक रोड खा जाता है , वहीँ पर पार्क है जो काफी बड़ा है / समर पार्क के गेट से अंदर कि तरफ मुद गया और में उनके पीछे पीछे पार्क के अंदर आ पहुंची , पार्क मै यू तो काफी लाइट्स थी मगर पार्क के बड़े होने के कारण लाइट कि वयवस्था पूरी नहीं है ये वहां फैला अँधेरा बता रहा था , थोड़ी देर टहलते हुए हम हलके अँधेरे मै पहुँच गए और समर ने मेरा हाथ पकड़ लिया ,

मेरी आँखों मै देखता हुआ समर कुछ बोलना शुरू कर ही रहा था कि मैंने पुछा "क्या चाह रहे हो?"

तो बता दू ? समर कि आँखों मै मुस्कान थी मगर उसके हाथ साफ़ महसूस हो रहे थे कि हलकी कम्पन है .
हम्म मैंने हाँ मै सिर हिला दिया ..

समर के दोनों हथेलीयो मेरे चेहरे पर हलके से कस गई ,
मेरी सांस को मैंने साफतौर पर तेज होते महसूस किया जैसे मेरी साँसों ने मेरे सीने से बगावत कर दी,

में जानती थी अब क्या हो सकता है / और समर के गर्म ( सच मै) होठो को मैंने अपने कोमल होठो पर महसूस किया ,

मेरे होठो जैसे दबे जा रहे थे उनके होठो के भार से और अचानक जैसे वैक्यूम प्रेशर से बड़े सलीके से मेरे होठो को उनके दो होठो ने खींचा
तो मेरे होठ हलके O के शेप मे उनके होठो के बीच खींचते हुए पेवस्त हो गए , होठ के अंदर जैसे मांस दब गया हो ,
हलकी सी खींच से वहां हल्का दर्द पैदा हुआ और अगले ही पल , बिना किसी अल्टीमेट के समर के होठ हलके से और खुले और उसके दांतो ने मेरे दोनों होठो पर एक साथ हमला कर दिया , दांतो कि चुभन और होठो का दबाव कि मेरे होठो को अपने आप न चाहते हुए भी O के शेप मे पिसते हुए घिसते हुई चुभन का अहसास से गुजरना पड़ा ,

तभी समर कि इस हरकत से में चौंक गई ,
उसकी जुबान सख्त होती हुई मेरे खुले शेप्ड होठो के बिच टर्की और किसी सांप कि तरह मेरे होठो के बीच गुस्ती चली गई ,
मेरे मुंह से सिसकारी निकला छह रही थी मगर जुबान ने अपना काम शुरू कर दिया था ,
उनकी जुबान मरे दांतो के ऊपर सख्ती से लहराई और दांतो को चाटती हुई दानन्तो के बितर प्रवेश कर गई ,

गीली जुबान का अहसास , मेरी आँखें खुद बंद होने लगी , और जुबान ने मेरी जुबान को ढका दिया फिर मेरी जुबान के नीचे घुस मेरी जुबान के नीचे जहां जुबान का निचला हिस्सा कि दिवार होती है उसे पुरे जोर से पीछे कि तरफ धकेलने लगी ,

इस हरकत से मुझे लगा मेरी जुबान के नीचे जो झिल्ली सी है वो आज क्रैक हो जायगी ,

मैंने मुंह घूमना चाहा तो समर के हथेलियों ने मेरे चेहरे को कास लिया कि मई अपना चेहरा घुमा नहीं सकती थी ,
तभी जुबान बलखाई और मेरी जुबान के साइड से फिसलते हुए ऊपर आ गई अब साफ़ लगा कि समर ने अपने मुंह पूरा खुला और अगले ही पल मेरे होठो के आस पास का मांस का हिस्सा भी अपने मुंह के भीतर भर लिया ,

मेरे मुंह से गु गुं गु गु कि हि बस आवाज़ निकल प् रही थी,

अब बiरी थी मेरे होठो के मर्दन की, जो समर ने शुरू किया अब उसकी जुबान मेरे मुँह मे मेरी जुबान के ऊपर से हलक तक जाने की कोशिश कर रही थी

और उसके दांत मेरे होठो को दबाते चुभते हुए घिसते हुए जैसे खा जाना छह रहे हो ,

उसके होठो गीलापन लिए मेरे होठो और उसके आस पास के हिस्से को भभोड़ रहे थी,

अब उसकी जुबान ने बलखाना शुरू किया , अंदर बहार ऊपर नीचे फिसलती हुई जैसे मेरे मुख के अंदर की मालिश कर रही थी,

जुबान से राल लगातार बहकर मेरे मु से मेरे हलक तक साफ़ जाती महसूस हो रही थी,

उनके होठो से की JANE WALI हलचल और unke hotho ka मेरे होठो को लगातार चूसने से राल मेरे ठोड़ी से बहती हुई गर्दन पर फिसलती हुई नीचे बहने लगी ,

ये कम था कि समर कि एक हथेली को मैंने अपने लेफ्ट बूब्स पर महसूस किया ,नीचे से ऊपर कि ओर होती हुई उनकी हथेली ने मेरे बूब का जैसे नाप लिया हो

ओर अह्हह्ह्ह्ह एक दबाव , हलके से ऊपर कि तरफ खिंचाव के साथ, करंट सा दौड़ गया मेरे शरीर मे,
फुरफुरहट सी तेज गुड़गुड़ाहट के साथ निप्पल मे उत्पन हुई ओर पेटसे होती हुई बिलकुल योनि के ऊपर तक जा पहुंची,

मै न चाहते हुए भी सिसकार उठी ओर झटके से पीछे हुई / ओह्ह्ह में छूट गई थी

वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख रहे थे ओर में शर्म मे गाड़ी नीचे देख रही थी



मैं चुपचाप से मुड़ी और पार्क के बहार चल दी , मैंने साफ़ महसूस किया की समर की कदमो की आवाज़ ठीक मेरे पीछे आ रही है ,

एक फुसफुसाहट बहुत धीरे से मेरे कानो में " बुरा लगा क्या ?"
में ठिठक गई , "बुरा ?' मन ही मन सोचने लगी = बुरा शायद नहीं- कोई प्यार का अहसास भी नहीं -

क्या है ये फिर

वासना?

प्यार?

अपनापन?

या

एक नए अनुभव कि शुरुआत ?
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उस शाम घर आकर मैं ठीक से सो ना सकी,
थोड़ी थोड़ी देर मे उस चुम्बन का अहसास मेरे भीतर गुड़गुड़ाहट पैदा कर रहा था l
वो प्यारा सा अहसास, वो साँसों का मेरे नाक के ऊपर टकराना,
उनकी जुबान का अहसास,
उनके दांतो का अहसास,
मेरे होठो का उनके होठो के बिच फिसल कर जाने का अहसास...

जैसे मैं अपनी मार्यदा से आगे निकल कर सडक पर खड़ी हो गई हूँ ,
इतना मन के भीतर उथल पुथल कभी ना महसूस हुई थी,

आखिर ऐसा है क्या समर मे जो मै त्यार हूँ दिल से उसके साथ बहने को,

अगले दिन मेरा कॉलेज जाना जरुरी था सो ऑफिस ना जा सकी,
समर को व्हाट्अप्प मे मेसेज कर दिया कि ना आ पाऊँगी आज,

शाम को समर का कॉल आया
हेलो
हम्म जी
अब जी जी छोडो, नाम से बोला करो, हम कलग थोड़ी ना है अब अनीता.... समर के ये कहने पर मै मुस्कुरा गई

नहीं मै नहीं बोल पाऊँगी,, मैंने जवाब दिया तो वहाँ से समर कि आवाज़ आई
समर मत बोलो कोई नाम रख दो मेरा,
हम्म्म्म मैंने धीरे से आवाज़ निकली

ओके चलो आ जाओ मै लेने आता हूँ तुम्हे... समर ने बोला तो मै बोल पड़ी.. नहीं समर जी आज नहीं पापा नहीं है घर मे, माँ को गावं जाना है तोह भैया भाभी साथ जा रहे है
प्लीज कल सुबह मिले माँ के जाने के बाद?

Ok... पापा कहाँ है आपके... समर ने पूछा
जी कनाडा दिसंबर मे है आना होगा उनका ..मैंने जवाब दिया
तो कल और कौन होगा घर पर कल? समर के सवाल पर मै चौंक गई, साफ नज़र आ रहा था कि समर चाहता क्या है.. मेरे घर आना?

ये सोचती हुई मै बोली.. जी कोई नहीं (दरअसल मै समर से झूठ नहीं बोलना चाहती थी और सच बोलू तो झूठ मुझसे बोला नहीं जाता, मन के अंदर guilty का अहसास होता है झूठ बोलने पर,

तो तुम्हारे घर आ जाऊ कल अगर तुम बोलो l

कल नहीं मेरा मतलब दिन मे नहीं, ,,,,, ओह्ह्ह ये बोल गई मै कि दिन मे नहीं इसका मतलब अप्रत्यक्ष रूप से मैंने अनजाने मे रात को आने का इनविटेशन दे दिया

बिलकुल बिलकुल अनीता यार मै समझता हूँ, रiत मे भी मिलेंगे मगर दिन मे मिलो कल, बहुत बात करनी है, सच बोलू दिल से तुम से प्यार सा हो गया है, अलग हो तुम सबसे, कुछ यों ख़ास है तुम्हारे अंदर जो खिंचा जा रहा हूँ ,...... एक ही बार मे समर ने ये सब बोल दिया

मै अच्छे से समझती थी कि क्यों मै अच्छी लग रही हूँ और क्या होगा इस बार मिलने pr

मग़र ना जाने क्यों मेरे मुँह से निकला.... जी सर आ जाउंगी कल

गुड गर्ल तो कल मेट्रो के नीचे मिलना 11बजे

जी समर जी इतना बोल मै चुप हो गई,
कुछ उत्तेजना कुछ सिरहन, कुछ सेक्स या एक नए अनुभव कि तरफ खिंचाव,
सब मिलकर मुझे उस तरफ धकेल रहे थे.. जहां एक 40 साल का भूखा मर्द है जिसके सामने 21 साल कि सेक्सी खूबसूरत लड़की बस यूं ही आ गई हो

जैसे किसी भूखे को अचानक पिज़्ज़ा और सॉफ्ट ड्रिंक मिल जाये या ठंडी बियर के साथ गर्म मन पसंद नॉनवेज मिल जाये l

नॉन वेज कि बात पर बता दू आपको मेरे घर मे बिलकुल प्याज़, लहसून और नॉन वेज कि परम्परा नहीं है,
मगर मैंने एक दो बार चखा है,
बियर, वोडका और जिन जैसे अल्कोहल ब्रांड अक्सर पीया है जब पेरेंट्स घर नहीं होते,

मेरे बॉय फ्रेंड को आदत थी तो हो जाता था कभी कभी,

अगले दिन मुझे समर से मिलना ही पड़ा, क्या करती मेरी भी कुछ चाहते है, जानती हूँ इसे taboo कहते है,
मगर दिल के हाथों कुछ तो मजबूरियां रही होंगी मेरी जो मै अगले रोज मिलने चली गई, आज बालो को कर्ली लुक दिया था मैंने, और आई शेड पर भी मैंने ज्यादा ध्यान दिया था, ब्लैक जीन्स, ग्रीन टॉप के सिंपल लुक से सजाया था अपने जिस्म को,

जानती थी मै बहुत खूब से कि आज क्या होगा, मै भी आज कामुकता के सागर मे गोते लगा रही थी,

समर मुझे ठीक मेट्रो स्टेशन के नीचे मिला, मुझे देखा और मुस्कुरा कर निगाह मेरे ऊपर डाली, जैसे कोई कसाई किसी बकरे को काटने से पहले देखता हो, और मै बकरी थी शायद आज उसके लिए,

उसकी आँखों मे साफ एक बेचैनी के साथ दृंढ़ता देखि जा सकती थी, वो जो एक इंसान मे तब आती है जब वो किसी निर्णय को पक्का कर चूका हो,
मै अच्छी तरह जानती थी दोस्तों कि वो आज किस मूड मे है, उसकी हलकी लाल आँखे अपने आप बयान कर रही थी कि वो मुझे किस रूप मे देखना चाहती है,

मेरे होठो पर जो मुस्कुराहट थी उसकी तरफ बढ़ते हुए, उस मुस्कुराहट को उसकी आँखे सिसकियों और दर्द भारी चीखो मे बदलना चाहती थी,
मैंने साफ नोटिस किया कि समर मेरी बूब्स को टॉप के ऊपर से ही लगातार घूर रहा था, मै थोड़ी झेंप गई कियुँकि यहां सब मुझे जानते थे,
ख़ास कर जूस वाले भैया जो मेट्रो के निचे जूस शॉप चलाते hai,

मैंने यहां वहाँ देखा कि कोई मुझे देख तो ना रहा तो जाना जूस वाले भैया और जूस शॉप पे खड़े कुछ लड़के मेरी और समर कि तरफ घूर रहे है

Ohh मै मन ही मन बुदबुदाई, आज ये मरवा ही देंगे मुझे, लगता है इनको शक हो गया है,
समर कि तरफ देखा तो वो बेवकूफ ठीक मेरी जांघो कि तरफ घूर रहा था, जैसे वो मेरी जांघो के अहसास और चिकनेपन का आँखो से ही अंदाजा लगा रहा हो

ओह्ह्ह पागल, मै फिर मन मे झझलाई, ये आज मुझे स्ट्रीट बिच बना कर छोड़ेगा

हाई मैंने समर को अविवादन किया कि जिससे उसका ध्यान मेरे अंगों से हटे और मै सबके सामने तमाशा ना बनु

हेलो अनीता.. मुस्कुराते हुए,, अनीता आज कुछ ख़ास ही लग रही हो,,, वो बोल पड़ा

हम्म मै मन मे सोचने लगी, आज ख़ास क्यों नहीं लगूंगी, आज तो मेरा लंच करेगा तू..
ये सोच कर मै खुद ही हंस पड़ी

ज्यादा चहक रही हो, आओ बैठो पीछे तुम्हारी चहकना बंद करता हूँ आज.. मेरे हसने पर समर ने मेरी आँखों मे देखकर कहा
मै क्या बोलती. बस चुपचाप बाइक के पीछे बैठ गई और बाइक हलके झटके से उड़ पड़ी ,

समर ने उत्तम नगर ईस्ट मेट्रो से पहले चौराहे पर ही बाइक रोक दी,
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो खुद बोल उठा, हलकी भूख है मुझे, मेरा साथ दोगी ?

मुझे साफ लग रहा था कि वो डबल मीनिंग लाइन बोल रहा है, उसकी भूख का साथ देने का मतलब मै जानती हूँ, उसके निचे पिसना................

जी जी बिलकुल समर ji
मेरे होठ से बस इतना ही निकला था, मुझे अच्छी तरह याद है

मेरी इस बात पर वो मेरी आँखों मे देखता हुआ बोला, क्या खाना चाहोगी? जो बोलो दे दूंगा..
फिर वही डबल मीनिंग लाइन.... मै इसका मतलब भी खूब समझती thhi

जी आप जो खिलाओ, खा लुंगी, मै मुस्कुराई ये बोल कर......

खाना मत सिर्फ चूसना...... वो ये शब्द बोलकर रुक गया, और मेरे चेहरे को ध्यान से देखने लगा, शायद वो मेरे रिएक्शन से अंदाजा लगा रहा था कि लोहा कितना गरम है

मै उसके इन शब्दों पर हड़बड़ा गई और निचे देखने लगी....

कुल्फी को खाने से मजा नहीं आता, चूस कर खाओ मेरा तो यही मानना है अनीता.. अपनी डबल मीनिंग बात को सही करते वो बोला /और मै उसकी तरफ देखते हुए शरम और शरारत से मुस्कुराने लगी..

आओ..... उसके कहने पर मै उसके पीछे चल पड़ी..

“हिमालय सागर “ यही नाम है उस रेस्टोरेंट का जो उत्तम नगर ईस्ट के चौराहे पर है.

अंदर जाकर एक कोने मे हम दोनों बैठ गए, Chowmin का आर्डर था हमारा, चोमिन खाते हुए समर ने पुछा अनीता ठीक तरीके से हम बहार कहीं बैठ भी नहीं पाते, जिसको देखो हमें ही घूरता रहता है, शायद हमारी उम्र के डिफ्रेंस कि वजह से , तुमको बुरा ना लगे तो किसी होटल मे चले, सिर्फ बैठेंगे और थोड़ी बातचीत करेंगे..

ये बोलकर समर मेरी और देखने लगा कि क्या जवाब होगा मेरा, मेरा पाना या खोना सिर्फ मेरे इस जवाब पर था,
आप बताओ मैंने हाँ बोला होगा या ना?
....

हुम्म्म हाँ दोस्तों मैंने कुछ नहीं बोला, ना हाँ और ना ही ना,
थोड़ी देर हम दोनों के बीच यूँ ही ख़ामोशी रही....

करीब 30 से 40 सेकंड,.... और फिर ना जाने क्यों मेरे लबो पर मुस्कुराहट आ गई, और शर्म से मेरा चेहरा झुक गया,

ये देख समर कि हिम्मत जरूर बडी होंगी और आशा भी, तभी तो उसने दोबारा पुछा...
अनीता प्लीज बोलों.. चले?

और मेरा सिर हलके से हाँ मे हिल गया /
समर के मुख से एक अजीब सी सिसकी साफ सुनी, जैसे उत्तेजना ने उसके दिमाग मे हिट किया हो,
उसकी नज़र सीधे मेरे टॉप के खुले गले के भीतर गई और टटोलती निगाहो के साथ बोला

गुड गर्ल... चल उठ, आजा जा जल्दी,

अचानक उसकी आवाज़ मे प्यार, झिझक, अपनेपन कि जगह एक वासना और आर्डर का भाव साफ नज़र आया,

मै ना जाने क्यों चुपचाप उठ खड़ी हुई, और........

शायद समर को यकीन नहीं था की में होटल के लिए मान जाउंगी ,
इसीलिए शायद समर के पास कोई होटल का नाम नहीं था ,
समर ने बाइक बस यूं ही सड़क पर दौड़ा दी ,
पश्चिम विहार की रोड पर ही "होटल वॉटरफॉल " नाम के होटल के आगे समर ने बाइक रोकी और अंदर चला गया ,
थोड़ी देर में समर बहार आया और बोला ' ये होटल दिल्ली स्टेट की आइडेंटिटी पर रूम नहीं देता ,

मुझे बड़ा अजीब लगा " पागल है ये क्या ? इसको पता नहीं की दिल्ली में दिल्ली की आइडेंटिटी पर रूम नहीं मिलता ।

मुझे मालूम था कि OYO में रूम मिल जाता है ,

वो दोस्तों बात ये है कि मैंने एक - दो राते गुज़री है oyo रूम में अपने बॉय फ्रेंड के साथ , तो मैं इस बारे में जानती हूँ ,
मगर समर को ये बताना कि oyo में रूम मिल जायेगा , समर के आगे मेरी रेपुटेशन नीची कर सकती है ,

मैंने मन ही मन सोचा , esko खुद करने दो ,
 
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UPDATE-4

फिर समर विकासपुरी पीवीआर पर स्थित CHANSON GRAND WESTEND होटल पर पहुंचा , उसके कहने पर मुझे भी अंदर जाना पड़ा मगर बात नहीं बनी ,

फिर मैंने धीरे से कहा ' रहने दो अगर मुश्किल हो रही है , बात ही तो करनी है , पार्क में कर लेंगे,

समर ने बड़ी बेचैनी से मुझे देखा , उसके चेहरे से साफ़ लग रहा था कि वो पार्क के लिए मान जायेगा मगर ये भी साफ़ था कि आज वो जो करेगा उसके लिए पार्क ठीक नहीं ,

मैंने एकदम से बात बदल दी , oyo के बारे में डायरेक्ट न बोलकर ,मैंने बस इतना बोला कि मेरी एक फ्रेंड बता रही थी कि करोल बाग में रूम मिल जाता है , ऑनलाइन भी बुक हो जाता है

समर ने मेरी तरफ देखा और बोला ऑनलाइन छोड़ - चल चलते है , तेरी फ्रेंड किसके साथ जाती है वहां ?

मैं क्या बताती कि फ्रेंड नहीं मैं गई हूँ वहां

अचानक एकदम से एक ख़याल आया मेरे मन में कहीं ये उसी होटल में न चले जाये जहां में पहले गई गई थी ।

मगर फिर सोचा करोल बाग बड़ा इलाका है , कई होटल्स है , कोई चांस नहीं वही जाये ये ,,,,

समर कि बेचैनी और रूम में मुझे ले जाने का जानूं मैं समझ प् रही थी ,
बाइक कि स्पीड जरूरत से ज्यादा तेज थी , मैं चिपक कर बैठ गई समर से ,
समर ने मुझे हल्का सा पीछे सिरघुमा कर देखा और मैंने साफ़ देखा उसकी आँखें लाल हो रही थी ,
कुछ ज्यादा लाल , चेहरे पर भी लालपन ज्यादा था , मैं चुपचाप उसको देखती रही ,

बस मन में कुछ ख्याल आ रहे थे , कि क्या ये सब उचित है

पता नहीं कब करोल बाग में समर ने बाइक पहुंचा दी
करोल बाग के मेट्रो कि पार्किंग में समर ने बाइक खड़ी कि और मुझे ले अंदर सड़क पर चल दिया ,

कोई बातचीत नहीं , अब कोई व्यवहारिक बाते नहीं , बस एक ही चीज़ समर के दिमाग में थी ,,,, रूम
वो रूम जहां वो मुझसे कुछ बातें करना चाहता था

वो बातें जिसका अंत क्या होगा मैं जानती थी , मेरे अंदर अब कुछ अजीब सा चल रहा था , उसका अजीब सा वयवहार मुझे परेशान कर रहा था , अजीब है ये आदमी ,पागल है क्या , अब कोई मुस्कराहट नहीं , अब कोई ऐसी बात नहीं जिससे लगे कि मैं ख़ास हूँ उसके लिए ,,

मैं जानवर या खिलौना तो नहीं जो बिना अहसास या बिना मुझे ये बताये कि मैं कितनी ख़ास हूँ उसके लिए वो पा लेगा मुझे ,

ये सोच हे रही थी कि हमारे सामने President होटल आया और समर मेरा हाथ पकड़ उसमे घुस गया , मगर वहां भी बात नहीं बनी ।
लेकिन उस होटल के रेप्सनिस्ट ने इशारे में बता दिया कि दो होटल आगे जो होटल है वहां आप try करलो ,

समर ने थैंक्यू बोलकर उस तरफ चल दिया , अब मैं चाहती थी कि समर को बोल दू प्लीज आज नहीं , आज कोई काम याद आ गया है ,
मगर जब तक हिम्मत करती मैं उस होटल के सामने थी ,

मैं मन में सोच रही थी कि क्या हो गया यही मुझे मैं इसको मना क्यों नहीं कर पा रही , सच बताऊ इतने होटल के चककर से मैं खुद भी थक गई थी ,

अब सच में मुझसे कुछ नहीं हो पायेगा

समर जी - मैंने धीरे के कहा

रूम मिलेगा ? समर कि आवाज़ में मेरी आवाज़ दब गई ,

रिसेप्शन पर जो एक आदमी था उसने समर को देखा मुझे देखा , हमारे हाथ में कोई बैग नहीं था , समर के चेहरे का लाल रंग और लाल आँखों
में वो सब कुछ समझ गया ,

कहाँ से हो आप - उसने सीधे पुछा
दिल्ली से ही है - समर का जवाब था

वो हम दिल्ली आइडेंटिटी पर रूम नहीं देते
उसने समर को देखते हुए बोला

शायद उसको लग रहा था कि समर मुझे फुसला कर लाया है सो इंसानियत के नाते बोल दिया होगा

मेरी तरफ देखकर बोला - मैडम जी आप भी दिल्ली से हो ?

उसकी बात काटते हुए समर ने बोला ,, देख लो आप - जो चार्ज हो उससे ज्यादा दे दूंगा ।

वो रेसपनिस्ट ने फिर मेरी तरफ देखा , तो न जाने क्यों मेरे मुँह से निकल पड़ा ,

देख लो भैया जी अगर हो जाये तो कर दो , ,, अंदर से मुझे पता था रूम नहीं मिएगा , oyo में मिल सकता है मगर ये बेवकूफ है

न जाने क्यों क्या सोचकर - मुझे जो सुनाई दिया वो सुनकर में चौंक गई

2500 का रूम होगा सर, आइये देख लीजिये

uffffffffffff ये क्या ? मैने अपना माथा पीट लिया ,
समर ने मुझे देखा ,जैसे कोई तीर मार लिया हो
मै मुस्कुराई , और बदले में समर ने अपनी एक आँख दबा दी ,

( मै इस होटल का नाम नहीं लिख रही , आप लोग समझ सकते हो कि उस होटल का अब नाम लिखना ठीक नहीं , इससे होटल बदनाम हो सकता है )

रूम ठीक था , समर ने मुझे रूम में बैठा कर बुकिंग रजिस्टर और पेमेंट के लिए चला गया ,
करीब २० मिनट बाद समर आया ,

मेरे कुछ पूछने से पहले ही वो बोल उठा , मार्किट गया था कुछ लेना था ,

मै समझ गई शायद कंडोम ही होगा

समर कि आखें जरुरत से ज्यादा लाल थी , मैंने इतनी लाल नहीं देखि कभी उसकी आँखें और सेक्स फीलिंग में भी इतनी नहीं हो सकती ,,,

दरवाजा बंद हुआ ।।।
मै बड पर थी , समर दरवाजे के पास खड़ा मुझे अब घूर रहा था,
अब उसका घूरना ऐसा था जैसे उसने कोई psycho इंसान किसी को घूरता हो,
होठ थोड़े से भींचे और हलके खींचे थे , ऊपर से निचे कि और वो मुझे घूर रहा था ,

और न जाने क्यों अब मुझे ये उसका घूरना सिरहन के साथ एक new सी फीलिंग दे रहा था ,,,

करीब 30 से 40 सेकण्ड्स लगातार मुझे वो घूरता रहा फिर मेरे सामने सोफे पे बैठ गया, अब भी मुझे वो घूर रहा था,

अक्सर सेक्स के दौरान लड़के इस समय हसी और थोड़ा मजाक मे माहौल को हल्का बनाते हुए सेक्स कि शुरुआत करते है,
जिससे मुझे अजीब ना लगे और मैं उनका पूरा साथ दू,
मगर यहां समर का वयवहार अजीब सा था, लग रहा था समर के भीतर कुछ चल रहा है,
शायद वो खुद अपने को एडजस्ट ना कर पा रहा हो,, अपने से आधी उम्र कि लड़की के साथ इस समय,,,

मै बेड पर बैठी यहां वहाँ देखने लगी,
जैसा कि हम अक्सर करते है किसी नई जगह जाने पर,
मै उसकी ओर देखकर थोड़ा मुस्कुराई, कि माहौल हल्का हो,

मगर समर पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा,

उसकी जवाब मे कुछ ऐसी मुस्कुराहट थी कि जैसे पूछ रहा हो, अब बता क्या करेगी,
ये सब उसकी आँखों, सिर के हलके से निचे से ऊपर कि तरफ झटके से थोड़ा हिलने
और खिची सी मुस्कराहट इन सबने मिलकर ऐसा आभास दिया मुझे कि मेरी आँखें नीची हो गई,

सही बोल रही यही वो वक़्त था जिसमे मुझे गिल्टी का अहसास हुआ कि जैसे मै कोई बस एक वस्तु हूँ,
जो फसा कर लाई गई हूँ, जिसका उपभोग कोई भी कर सकता है

मै ना जाने क्यों अपने पैरो कि तरफ देखने लगी ओर मन मे खुद पर गुस्सा आ रहा था
हर उस बात पर ओर हर उस मेरी हाँ पर जिसके कारण आज मे इस रूम मे इस पागल के साथ थी l

कल तक समर कितना हसमुख, मिलनसार और समझदार इंसान सा था,
और आज सच बताऊ यहां लिखना नहीं चाहती कियुँकि जिंदगी के कुछ पल उसके साथ कटे है,
मेरी जिंदगी का वो एक हिस्सा रहा है,
मगर सच बोल रही हूँ इस वक़्त समर मुझे बिलकुल चुतिया सा लग रहा था,

हद है अगर मन मे कुछ है तो बताओ, बात करने से हर चीज का हल निकलेगा,

सेक्स करना है तो ठीक से शुरू करो,
मैं कोई callgirl तो नहीं जिसको इस तरह ,,,,,,,,,,,,,,,,,

सच बताऊ उस वक़्त मन बोल रहा था, चल उठ और निकल यहां से

बाथरूम का दरवाजा मेरी निगाह से टकराया तो मै बाथरूम कि तरफ उठ कर चल दी,
दरवाजा खोला और अंदर,

मै साफ महसूस कर रही थी समर मेरे हिप्स को घूर रहा है अब.....

(दोस्तों मैंने २ या ३ बार पहले पुछा है आप लोगो से की मैंअपने या किसी के गुप्त अंगो को सिंपल हिप्स, बूब्स या पुसी लिखकर प्रस्तुत करू, या फिर डर्टी वे में लिखू ?
तो 10 में से 9 का कहना है कि मुझे इंसान के गुप्त अंगो को डर्टी वे में लिखना चाहिए ,
मेरे लिए ये आसान नहीं , मुझे डर्टी शब्द पड़ने या सुनने कि आदत है मगर खुद ज्यादा बोलने लिखने में इस्तमाल नहीं कर पाती,
मगर कोशिश कर रही हूँ कि आपकी डिजायर और आपके ऑर्डर्स को फॉलो करू ,

अगर गलती हो तो प्लीज माफ़ करना )

मैं बाथरूम के अंदर गई और जीन के खोलते समय समर पर और मेरी इच्छा और अनिच्छा पर ध्यान था ,
और हो गई गलती ,

यूरिन करते (मेरा मतलब पेशाब ) "जैसा आपने कहा डर्टी वर्ड्स इस्तमाल कर रही हूँ ''

हम्म ,,,,,,तो पेशाब करते समय जीन्स ठीक से नीचे नहीं हो पाई थी , और उत्तर में पेशाब कि कुछ बूंदे पैंटी पर गिर गई ,
सच तो ये है कि पैंटी भीग गई थी ,

अजीब मुसीबत है (ये सच में हुआ था ) मैं धीरे से बड़बड़ाई ,
क्या मुसीबत है , शिट शिट ।।

और मैं यु ही बैठ गई ,
फिर पैंटी पूरी उतारी अपनी टांगो से,

उस पैंटी को न चाहते हुए भी टिश्यू पेपर में लपेटा और कोने में डाल दी ,

सामने शीशे में खुद को टॉप और निचे पूरी तरह से नंग अवस्था में देखकर मैं खुद ही शरमा गई ।

न चाहते हुए भी एक हलकी मुस्कराहट निकल ही आई मेरे होठो के बीच न जाने कहाँ से ।

अब मुझे अपनी टांगो के बीच ,
ठीक मेरी चूत के बीच लाइन में ,
जहां हलके गुलाबी रंग के दो नन्ही दीवारों ने मेरे छेद को ढक रखा है ,

वहां हलकी सी सिरहन , जैसे कई चीटियां एक दम से चल रही हो ,का मीठा अहसास ,
और मैंने साफ़ महसूस किया कि मेरी सांसो ने अचानक बगावत कर दी ,
साँसे तेज हो उठी , कि मेरे बूब्स अब कुछ ज्यादा ही तेजी से ऊपर निचे हो रहे थे ।

मेरी मुट्ठिया न जाने क्यों खुद ही भींच दी मेरी नसों ने , और मेरे होठ धीरे से खुले ,
और दांतो ने मेरा निचला होठ कोने से लेकर अपने भीतर बीच में दबा लिया ,,,,,

अहह ,, हलकी कसमसाहट और हल्की कराह ।।।आँखे धीरे से बंद होने लगी और अब,,,
 
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UPDATE-5

हाँ आज मैं बोलना चाहती हूँ ,,, बताना चाहती हूँ , सच है कि उस वक़्त मेरे मन में तीर्व इच्छा उठी कि समर पीस दे मेरे बदन को अपने निचे ,

मेरा रोम रोम वासना की पुकार पर बगावत कर बैठा था ,
इस वक़्त ये सब लिखते हुए इस वक़्त फिर मेरी सांस तेज हो रही है ,,,, वही अहसास फिर ।।।।।।

हाँ मैं एक वासना की मारी एक काम वासना में लिप्त लड़की हूँ ,

मैं चिल्ला कर बोलना चाह रही थी उस वक़्त कि समर ।।।।।।,,,, हाँ ,,,,, समर ले लो मेरी ,,,,,, लूट लो मेरी जवानी ,,,
बना लो मुझे अपनी कुतिया



मैंने जीन्स बिना पैंटी के पहन ली और बाथरूम से बाहर आ गई ,

अब मुझे पता था कि मुझे क्या चाहिए ।।।

सिर्फ एक मजबूत लण्ड ,, जो मेरी वासना को पीस कर रख दे ।।।


मैंने समर की तरफ देखा ।।।

समर अपने जूते उतार रहा था ,
मैं बेड पर फिर बैठ गई ,

समर सामने सोफे पर था ,

और मेरे होठ खुले कुछ शब्दों ने रूम में अपनी जगह बनाई " वहां क्या कर रहे हो , बेड पर आ जाओ "

मेरी बेशर्मी , वासना और रूम का असर था ,
समर ने फिर मुझे देखा और उठ कर मेरे बगल में बैठ गया ,

आँख बंद कर अपनी ,,,,, यही शब्द थे उसके ,,, मुझे याद है

मैंने अपनी आँखें मुस्कुराते हुए बंद कर ली , दिल धड़क रहा था

मैं जानती थी अब क्या होगा
मैं जानती थी कि अब समर के होठ मेरे होठो को फिरसे एक बार फिर छूने वाले है ,

उस शाम का चुम्भन जो विकासपुरी पीवीआर के बगल वाले पार्क में समर ने किया था ,उसका गीलापन अभी भी मेरी जहाँ में यूं हे बसा था ,

फिर वोह चुम्बन का इंतजार ,,, फिर वो सब ।।।
और मैंने अपने होठो को हल्का समेट कर चेहरा ऊपर कि ओर थोड़ा और उठा लिया ,,,,,,,,,,

ज़ब उसके होठो का स्पर्श ना हुआ तो मैंने आँखे खोल दी...

वो बस मेरी आँखों मे देख रहा था, जैसे डूब जाना चाहता हो,
मेरी आँखो मे जो सवाल था

शायद उसने पढ लिया था,

...........
इस वक़्त मुझे उसकी आँखों या प्यार के अहसास की जरुरत नहीं थी
मुझे बस उसके बदन के निचे पिसना था
हवस जैसे मेरे दिल, दिमाग और जिस्म मे घुलता जा रहा था,

पता नहीं मै क्यों ऐसा कर गई
लिपस्टिक उठा कर मैंने उसके हाथ मे दें दी

उस सवाल का जवाब यही था

शायद मै समाज, मर्यादा और रिश्तों के बंधन से बहुत पहले ही आज़ाद हो चुकी थी
इस बारे मे मै आगे बता दूंगी इस किस्से के बाद

मैंने इशारा किया... भर दो मांग मेरी...
(ये बिलकुल सच है )

समर की आँखों मे उलझन सी थी
मैंने पढ़ा वो...

भर दो, तुम को रास्ता मिलेगा, मेरे मुँह से ये शब्द खुद निकल पड़े

और....

मुझे साफ़ लगा कि समर ने मेरे माथे से लेकर सिर तक बालो पर लिपस्टिक घिस दी है

उस घिसन मे शायद वो अहसास नहीं था, जो वास्तविक मकग भरने मे होता होगा
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मन में जो उथलपुथल हो रही होगी उस वक़्त आप लोग समझ ही सकते है ,
,,,,,,,,,

समर ने मेरा चेहरा अपने हाथो में कस लिया और अपने सूख रहे तपते गर्म होठो को मेरे गुलाबी नरम होठो पर रख दिया ।।।।।।।।।।।

रखा क्या था बस ये समझ लो आप लोग कि चीख उठी मैं हलके से ,,,

उसके दोनों होठ सांप कि तरह खुले और मेरे दोनों होठो को चूसते हुए अंदर मुँह कि तरफ खिंचा तो मेरे होठ एकदम खुद ही खिंच गए , जैसे उनमे दम ही न हो , दरअसल मैंने सोचा न था कि समर का इस तरह होठो का हमला होगा ,

उसके दांत खुले और मेरे होठो को अपने अंदर खींचते हुए दबा लिया

दर्द से कराह निकल गई मेरी ।।

अह्ह्ह्हह ।।।मैं पीछे हटना चाहती थी कि समर के दोनों हाथ मेरे पीठ और कमर पर लिपट गए , लिपट क्या गए बस यु समझ लो मुझे इस तरह कास लिया कि मै हिल भी स्की , बस अपने पेरो को हिला सकती थी मगर तब तक समर के शरीर ने मुझे धक्का दिया मैं बेड पर पीठ के बल गिरी ,

मेरे होठो को अभी समर के दांतो ने बुरी तरह अपने कैद में कर रखा था ,
मैंने पैर हिलाये मगर अब कोई फायदा नहीं था ,

मैं पीठ के बल बेड पर थी , समर मेरी बगल में करवट से थे ,

मेरा एक हाथ पूरा उनके पसली के निचे दब गया था , इस तरह कि हिला भी न प् रही थी मैं उसे ,
मेरे दूसरे हाथ को अब समर ने मेरी पीठ और कमर छोड़ते हुए पकड़ लिया
और मेरे सिर के ऊपर के ऊपर से अपनी तरफ खिंच हुए जकड़ लिया ,

अभी भी समर के होठ और दांत मेरे होठो को बुरी तरह चूस रहे थे ,
उसका थूक और लार मेरे मुँह के अंदर जाती हुई साफ़ महसूस हो रही थी ,
मेरे हलक से निचे एक लार कि धार बह रही थी ,
थोड़ा उस पर ध्यान देते हुए मैंने न चाहते हुए उसके थूक और लार को अपने गले में सटक लिया ,

उसका घुटना और जांघ से मेरी जाँघे दबी थी ,
मैं बता रही हूँ कि मैं बस पैर हिला सकती थी मगर छूट नहीं सकती थी ,



अब समर का घुटना का दवाब जीन्स के ही ऊपर से मेरी चूत के ऊपर हुआ ,
उसके घुटने ने मेरी चूत के ठीक बीच में ऊपर कि तरफ निचे ऊपर रगड़ना शुरू किया

गुदगुदी कि वो लहर उठी कि मेरे निप्पल तक में सिरहन दौड़ पड़ी , काँप गई मैं ,
और वासना ने फिर अपना दरवाजा खोल कर मुझे अपने वासना भरे कमरे में ले लिया ,
जहां से लौटना अब मेरे लिए नामुमकिन था ,

मममम....... मेरे हलक और मुँह से घुटी घुटी सिसकारी सिसकी बनकर निकल पड़ी
मेरी आँखों ने भी मेरा साथ छोड़ दिया , कि जा मर जा और पिस जा समर के निचे ,,,,
आँखे बंद होती चली गई ।

पेरो ने हिलना बंद कर बलखाना शुरू कर दिया ,
सांस फिर तेज ,
निप्पल में अकड़ाहट आने लगी ,
जैसे वो समर कि हरकत पर मुझे पर हस रहे हो,

मेरा शरीर ढीला पड़ता चला गया

समर समझ चूका था कि चिड़िया फस गई ,
उसने मेरे कानो में धीरे से फुसफुसाया ,,,,,,, अनीता यू आर माय वाइफ,,,,

मै अब कुछ सोच नहीं पा रही थी ,

सेक्स ..........सेक्स..............सेक्स ..............
बस यही चाहिए था मुझे ,

कोई भभोड़ दे मेरे जिस्म को ..
और तब तक मुझे चोदे जब तक मैं खड़ी होने लायक न बचू ...

बोल तू मेरी वाइफ है , बोल मेरी जान बोल बोल ,,समर के शब्द अब मेरे कानो में फुसफुसाते हुए जो सांस छोड़ रहे थे ,
उनके टकराने से मेरे अंदर और सेक्स कि आग भड़क उठी ,

और मेरे मुँह से निकला,,,

यस यस यस ,,आई ऍम योर वाइफ ।।।।।

लव मी लव मी प्लीज।।। यही वो वाक्य था जो उस वक़्त वासना में तपते हुए मेरे होठो से बहार निकला था ,,,

समर शायद यही चाहता था ।

और समर ने मुझे छोड़ दिया , पीछे हट कर समर खड़ा हुआ ,
मैंने उसकी तरफ देखा

उसने अपना मोबाइल फ़ोन निकला और कुछ करके सामने तब पर इस तरह रख दिया कि उसका कैमरा मेरी तरफ हो ,

मैं समझ गई , कि मेरी रिकॉर्डिंग होगी अब ,

मगर उस वक़्त न जाने मेरी समझ कहाँ चली गई थी ,
मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया ,

बल्कि कैमरा के लेंस जो मुझे रिकॉर्ड कर रहा देखकर मेरे अंदर एक अजीब सी वासना भरी फीलिंग आ गई ,
कि मै रिकॉर्ड हो रही हूँ

क्या आपको भी कभी हुआ है कि कोई रिकॉर्ड कर रहा हो या आप खुद को रिकॉर्ड कर रहे हो तो सेक्स ज्यादा दिमाग पर चढ़ा हो ?

मुझे हुआ उस वक़्त ।।।।

समर अब मुस्कुरा रहा था , और उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू किये ,
मैं उस के तरफ देखती हुई मुस्कुरा रही थी,
कोई शर्म का अहसास नहीं था अब मेरे अंदर , कोई झिझक नहीं।।।।

उसने शर्ट उतर फेंकी, उसका शरीर ठीक थक था , मजबूत सा ,,,

वो मेरी तरफ बड़ा , और मेरे पेरो के पंजो को धीरे से छुआ ।।।



उँगलियों और अँगूठे के सहारे उसने मेरे पैर के अंगूठे को पकड़ा

और उसका शिकंजा कसता चला गया , मेरे पैर के अंगूठे पर खिंचाव सा महसूस हुआ ,

मैंने देखा वो मेरे पैर को अंगूठे से मुझको पकड़कर अपनी और खिंच रहा है ,

उफ़ ,,, हल्का दर्द ,,
और मेरा पैर अपने आप सीधा होते हुए उसकी तरफ खींचता चला गया ,
उसके दूसरे हाथ की हथेली ने सीधे हुए पैर की पिंडली को सहलाया

और मेरे मुँह से हलकी की अहह निकल गई अह्ह्ह ,,,,

कियुँकि समर की हथेली और उँगलियों ने मेरी पिंडली पर निशान छोड़ दिए थे ,

वो दवाब आज भी महसूस क्र सकती हूँ, पिंडली को दबाता हुआ
उसने मेरी पिंडली और पैर की सारी उंगलियों को कस लिया और दोनों हाथो के जोर से मुझे खिंचा की.....
में उसकी ओर खिंचती चली गई

मेरे होठ दर्द भरी कराह के साथ कुछ टेड़े से शेप में खुल गए ,

आइइइइ माँ ,,, धीरे ,,,, बस इतने हे कह पाई में ,

तभी समर के सुलगते होठ मेरे अंगूठे को छू गए ओर एक हल्का सा किस उसने मेरे पैर के पंजो पर किया

एक झुरझुरी सी दौड़ गई मेरे अंदर ,,,,,

दांये हाथ को उसने मेरी दूसरी टांग के निचे , मेरा मतलब मेरे बाये टांग के घुटने के नीचे से डाला ओर मेरी घुटने के ऊपर जांघ को कस लिया ,

एक हल्का झटका लगा मेरे शरीर को ओर मेँ उसकी तरफ खिंचती चली गई

लगभग अब मेरी दोनों टंगे बेड से निचे हो गई , जो उसने थाम रखी थी ,

ओर समर थोड़ा आगे बड़ा तो उफ़ ................
उसका लण्ड का उभरा हुआ हिस्सा उसकी पैंट के ऊपर से ही मेरी जीन्स के अंदर चूत से टकराया ......

आप समझ सकते होंगे वो गर्म सा ठोस AHSAAS मुझे कैसा लग रहा होगा ,

कुछ दौड़ पड़ा मेरे खून के अंदर , कर्रेंट सा कुछ झनझनाहट के साथ एक दम खून मेँ दौड़ा
कि में सिसक उठी ,
अह्ह्ह एईई,,,,

मेरी चूत जैसे पिस रही थी उसके सख्त लंड के नीचे ।
उसकी कमर का घुमावदार दवाब जैसे मेरी चूत को इसी वक़्त पीस देना चाहता हो ,,

गोल गोल फिर ऊपर की तरफ गहरा दवाब


उफ्फफ्फ्फ़

खून चूत की नसों में टककर मारता हुआ पुरे बदन ओर दिमाग के कोने कोने में दौड़ रहा था ,

निप्पल में एक तरंग सी उठ रही थी
लग रहा था कि खून जोर मारता हुआ मेरे निप्पल के रोम छिद्र से बहार निकलने लगेगा

चूत के ऊपर स्थित क्लाइटोरिस ( एक दाने के सामान चूत का हिस्सा जो चूत के ऊपर कि तरफ होता है ) मेँ खून का दवाब ओर सनसनाहट के साथ ऊपर वाली लाबीआ दिवार (चूत छेद के दोनों तरफ दो स्किन कि हल्की दिवार - inner labia ओर upper labia ) मेँ अजीब सी झनझनाहट अंदर वाली लेबिया तक महसूस कर रही थी
 
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UPDATE-6

समर ने दव्वाब बढ़ाया और बड़े कामुक ढंग से अपनी कमर को गोल गोल घूमने लगा कि,

अह्ह्ह मेरी आँखें बंद हो गई और में सिसक उठी ,

सिसकी इतनी तेज थी कि रूम के बहार खड़ा कोई भी आराम से मेरी उस आवाज़ को सुन सकता हो ,
और शायद सुनी भी हो ,,,,,

उसने मेरे पेरो को अपनी हाथो कि जकड़ से आज़ाद किया और ,,,
उसके हाथ मेरी जांघ पर घूमते हुए । उसके अहसास का लुफ्त लेते हुए , मेरी चूत के साइड में पहुँच कर रुक गए ,

हम्ममम

मैंने उसके दोनों हाथ के अंघूठो को मेरी चूत के बिलकुल पास ,
इतना पास कि चूत का उभरना जहां से शुरू होता वहां पर , उसके अंगूठे दोनों तरफ हलके हलके सहलाने लगे ,

उसके इस सहलाने से , वो सनसनाहट पैदा हुई कि मैं बलखा गई ।।।
मेरी आँखें अपने आप ऊपर कि तरफ पलटने लगी ,,,

और मेरी कमर समर कि तर्ज ऊपर कि ओर उठ गई , जैसे बोल रही हो समर से कि मसल दो मेरी चूत को ,

मगर वो पठ्ठा साफ़ लग रहा था कि मुझसे खेलना चाह रहा है, थोड़ी दे वहीँ सहलाने के बाद उसके हाथ मेरी कमर पर घूमते हुए ,
हल्का हल्का बीच बीच में कमर के साइड के मीट को दबाते हुए ऊपर कि तरफ बड़े ,

क्या हो तुम मेरी।
।।समर कि आवाज़ टकराई मेरे कानो में।।
बोलो अनीता क्या हो तुम मेरी ?

इसका जवाब सोच कर देना अब मेरे बस में नहीं था, मुँह अपने अप्प खुला ,,,जुबान हिली ओर शब्द निकला

आपकी पत्नी ,,,

मेरी वाइफ है न तू ?
समर कि फुसफुसाहट पागल कर रही थी ,,,

हाँ ,,हूँ ,,, हाँ --- दो बार एक साथ हाँ निकला मेरे मुँह से जैसे सब यांत्रिक हो रहा हो ओर में बस एक रोबोट हूँ ,

फ़र्ज़ क्या है तेरा अब मेरी जान ? बोल न --समर फिर फुसफुसाया ,,

कोई जवाब इस बार न दे सकी ,,

कियुँकि सोच कर बोलना अब बस में नहीं था मेरे बस हाँ या न बोल सकती थी ,
,सेक्स वासना ने इतना गिरा दिया था मुझे ,,

मेरी जान बोल न अपना फ़र्ज़ ,, बोल,
समर ने फिर पुछा ,,इस बार उसकी आवाज़ ज्यादा ही फुसफसाहट ओर लम्बी खींचती हुई थी ।।

बोल जान ,,,

ओर मेरे दिमाग ने शायद मेरी जुबान का साथ देना शुरू कर दिया था , ओर मेरे दिल को भी अपनी भागीदारी में रख लिया था ,,,

तभी तो मेरे मुँह से ये शब्द निकले ,

आपको खुश रखना मेरा फ़र्ज़ है ।।।
समर के मु से सिसकी सी निकली ,,,

yesssssssssssssssss यस जान हाँ तू खुश करेगी न मुझे ।।

हम्म इस हम्म में मेरी हाँ थी

ओर अह्ह्ह्ह में चीख पड़ी ।।

समर इतना उतावला हो गया था कि उसके हाथ ने मेरे बूब्स को बेरहमी से दबा दिए , दबाये क्या थे बस ये समझ लो कि कस कर भिचंते हुए गोल घूमते हुए मरोड़ दिए थे ।


माँ आईई ,,,, धीरे रेरेरे ,, में चीख पड़ी थी ,,

चीख बहार सुनी गई होगी रूम से ,पक्का कह कह सकती हूँ , रिसेप्शन से हमारा रूम सिर्फ लगभग ७-८ मीटर कि दुरी पर होगा ,
रिसेप्शन से साइड में एक लॉबी थी उसी लॉबी में पहला रूम था हमारा

खुश करेगी न,,जान मुझे ,,
इन शब्दों के साथ एक बार ओर मेरे बूब्स को समर के पंजो ने मरोड़ दिया
मगर इस बार मरोड़ पहली वाली मरोड़ने से थोड़ी कम थी , शायद वो संभल गया था

खुद ब खुद मेरे मुँह से निकला ,,,,, हाँ हैं करूंगी उफ्फ्फ अहह करूंगी खुश करूंगी ।।
न जाने कोन सी ताकत थी जो मुझे बेशर्म बनlती जा रही थी ,

मेरी इस बात पर समर फिर सिसकी ले कर yesss को कुछ ज्यादा हे खींचकर बोलते हुए टूट पड़ा मेरे ऊपर,

एक हाथ से मेरी ठोड़ी पकड़ी ओर रख दिए अपने सख्त होठ मेरे होठो पर.........

उसके होठो ने मेरे कोमल होठो को अपने गिरफ्त मे इस तरह लिया कि मेरा अपना सिर हिलाकर बचने का कोई सवाल ही ना रहा,
एक्सपर्ट है वो मैं समझ गई थी अब कियुँकि मेरे होठो फिर एक बार जैसे किसी वैक्यूम क्लीनर ने खींचे हो, इस तरह एक पल मे ही खींच लिया उसके होठो ने अपने अंदर मेरे दोनों होठो को..
ममममममम... कि हलकी कराह.. और मै उसके चुंगल मे फांसी अपनी सांस पे काबू पाने कि कोशिश करने लगी l

अहह...उसका ढेर सारा थूक एक साथ मेरे होठो के बीच समाता चला गया कियुँकि पीछे से उसकी जुबान का बेहिसाब दवाब जो पड़ा था मेरे होठो के बीच मे...

एक दम उसके मुँह के अंदर का कसेला स्वाद और हलकी सी कुछ अलग सी.. जैसे मुँह को कुछ घंटो से कुल्ला ना करा गया हो... कुछ ऐसी हलकी बहुत हलकी बदबू...
मेरे मुँह मे समाती चली गई

Ooyaaa एक दम मैने मुँह खोलकर अपनी सांस बहार निकल चाही,
सच तो ये है कि मुँह अपने आप खुल गया था उस कसेले स्वाद, बहुत सारे थूक और हलकी अजीब सी बदबू से..
मेरा ऊपर वाला होंठ उसकी पकड़ से आज़ाद हुआ
और उसके ऊपर वाले होंठ के साइड से बाहर निकल आया,

बिलकुल गीला था मेरा वो होंठ..
बस यही गलती हुई और समर कि जुबान मेरी जुबान के ऊपर से फिसलती हुई लगभग मेरे हलक के पहले तक एक झटके मे पहुंच गई

सख्त जुबान,,,, शायद उसने जुबान को सख्त करके लम्बी नोकीली करके ये हमला किया था..

आआक़कहहह... ओऊ उहहह ... एक दम जैसे उलटी होगी इस तरह फील हुआ,

बहुत सारा थूक मेरे हलक के अंदर उतर गया, चिपचपा
लार सा...

गन्दा सा.. छी ::::
अब भी सोचती हूँ तो झुरझुरी आ जाती है

वो चिपचपा सा गाड़ा तरल नहीं था, बल्कि यूँ बोल सकते है कि वो तरल कि तरह ही नहीं था, वो जैसे बुलबुले अकराहट से भरे हुए,, अजीब सा था

मै describe नहीं कर पर रही. सॉरी दोस्तों

वोमिट तो नहीं हुए मगर वोमिट जैसे फील ने मेरा मुँह और ज्यादा खोल दिया था, मैंने सिर अलग करना चाहा मगर नहीं कर सकी, समर ने अब मेरे सर को जकड़ रखा था.

मैंने उसकी जुबान से बचने को अपना मुझे बंद किया तो
मेरे होंठ फिर उसके होठो के बीच फ़स गए जुबान तो उसने बाहर खींच ली मगर अब वो जुबान मेरे दोनों होठो को रगड रही थी,

दांतो मे फिर मेरे होठो को दबा लिया गया था, और जुबान से चाटा जा रहा था

थूक और लार मेरे होठो के बीच बार बार अंदर धकेली जाती
और होठो के ऊपर भी बहुत सारो लार चपर चपर जैसे आवाज़ ला कारण बन रही थी

समर ने गहरी सांस ली और टूट पड़ा फिर चूसने लगा मेरे होठो को
आअह्ह्ह हल्के दर्द से भरी मेरी कराह फूट पड़ी

और फिर ना जाने क्यों फिर एक बार जैसे काले घरे बादल सेक्स के आगोश मे मुझे ले जा रहे थे

मुझे ना जाने क्यों वो आवाज़ और गिला पन अच्छा लगने लगा

और मैंने अपने शरीर के साथ अपने होठो के मांसपेशियों को ढीला छोड़ दिया

मेरा मुँह अपने आप खुल गया और बेशरम जुबान खुद समर कि जुबान से मिल गई,

उसकी जुबान ने सख्त होते हुए मेरी जुबान से खेलना शुरू किया
कभी ऊपर फिसलती कभी निचे

मै भी कोशिश कर रही थी कि उसकी जुबान को समेट लू..

अपनी जुबान से मगर इस खेल मे मुझे सांस रोककर उसके लार और थूक का एक बड़ा घूंट गटकना पड़ा

वही कसेला स्वाद और हलकी बदबू मगर इस बार मै बह रही थी समर के तूफ़ान मे उसके साथ

वो बदबू अब मुझे अच्छी लग थी थी बल्कि उससे मुझे नशा सा हो रहा था

मेरे दोनों पैर खुद हि और ज्यादा खुल गए कि समर जो मेरी टांगो के बीच था उसकी लण्ड कि रगड मेरी चूत पर ठीक से पड़े
और बदले मे समर ने कमर का दवाब बढ़ायाl

अह्ह्ह चूत पर उसका लण्ड और सख्त मेसूस हुआ जैसे जीन्स को फाड़कर अंदर रगड देगा

उस दवाब के बाद समर का दवाब निचे से ऊपर कि तरह रगड़ता हुआ गया
...एआईई ीीे उफ्फ्फ्फ़ माँ मा माँ मै चीख सी पड़ी,

मस्ती कि तरंग दौड़ पड़ी चूत से निप्पल से होती हुई दिमाग़ तक

मानो पैंट और जीन्स के ऊपर से ही चूत के मांस को रगड के छील देगा समर आज,,

अब उसके दांये हाथ ने मेरे टॉप को निचे से पकड़ा और अपना माल समझते हुए बेदर्दी से ऊपर करना शुरू किया

अह्ह्ह्ह मै कराह उठी, उसके बेदर्द पन के कारण मेरे टॉप कि रगड़ पीछे मेरी कमर पर पड़ी, जैसे किसी ने कोई सख्त कपड़ा रगड दिया को पीछे कमर पर, वहाँ टॉप सिमट कर एक लाइन मे होकर सख्त हो गया था

समर रुका मेरी इस कराह पर
शायद वो समझ गया था मेरी परेशानी को

वो उठ कर बैठ गया

मेरी ओर देखते हुए बोला
जान मेरी.. चल उतर दे इसको उसका इशारा मेरे टॉप के तरफ था

उतार दे...
ओर मै कुछ ना बोली
उसकी आँखों मे देखती हुई मैंने निचे से अपना टॉप पकड़ा
और
और
और ऊपर किया....... ऊपर कमर कि हिस्से को देखते ही समर कि आँखे जैसे फैल गई
बेसब्र सा घूर रहा था..
मै रुक गई उसकी और देखकर मुस्कुराई

वो एकदम बोल उठा
उतार दे साली उतार... ना...

पहली बार मैंने इस तरह सेक्स मे गाली सुनी थी
एक बार को तो मेरे हाथ ठिठक गए
मै उसकी तरफ देखने लगी..

मेरी बीवी है ना तू अब?
उसके इस सवाल पे बस " हम्म्म.." शब्द निकला मेरे मुह से..

तो साली उतार दे इसको..

ना जाने दूसरी बार साली शब्द ने क्या हिट या जादू किया एक दम मेरे मुझे से सिसकी निकली और सेक्स बेहटा चला आया मेरे मस्तिष्क मे

उफ्फफ्फ्फ़ यस अह्ह्ह सिसकी के साथ मेरे हाथ टॉप को पकड़े हुए ऊपर उठते चले गये l

और समर जैसे चिल्ला पड़ा
हाँ क्या बात है साली
...
मस्त... मस्त ये मस्त शब्द इतना जोर से बोला था समर ने कि होटल मे दूर तक सुना गया होगा

खोल ना पूरा... यर मुझे साफ याद है समर के शब्द आउट इन शब्दों के असर मे मैंने टॉप उतार के नीचे डाल डाल दिया था l

मै ब्रा मै बैठी थी समर के सामने
मगर अब शरम नहीं थी मेरे अंदर

और समर ने सामने बैठे बैठे मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स पकड़ लिए
सीईई लम्बी सांस समर कि और मेरी हल्की चीख ahhhh
दब गये थे मेरे बूब्स समर के हाथो मे
उफ्फ्फ

फिर अगले पल
आइईईई चीख निकल गई मेरी
लम्बी चीख जोर से थी वो...

ये चीख भी रिसेप्शन पर सुनी गई होंगी

मगर सेक्स अब काम कर चूका था

ना जाने कब मैंने अपने दोनों हाथ पीछे करते हुए पीछे बेड से टिकाये और अपने बूब्स को और उठा दिया समर कि तरफ कि वो और इनका मर्दन कर सके

मस्ती आ रही है साली तुझे.. बोल ना

समर कि आवाज़ मेरे दिमाग़ के कई कोनो मे एक साथ टकराई

और जवाब मे मेरे मुह से निकला
हाँ... जी हाँ

साली तू पूरी चालू है..
है ना तू चालू?
समर के इस सवाल का मै क्या जवाब देती

मै कुछ बोलने लायक ही ना थी अब

बस सेक्स बोल रहा था अब मेरी जुबान मे बैठ कर
हाँ हाँ हू हूँ... ये शब्द थे वो जिसनर समर को कॉन्फिडेंस दिया और...

तू तो कुतिया है है ना.
तू है ना कुतिया. बोल ना साली

इस सवाल पर....

Yes जी हाँ Iam a bitch.. आपकी bitch..
शायद इतना तो समर को भी उम्मीद नहीं होंगी कि मै बोल दूंगी

मगर अब मुझे भूख थी उसके लण्ड की..
मुझे भूख थी की कोई भी कोई भी मैंने कहा कोई भी मुझे चोद दे अब

मै त्यार थी.. टाँगे खोलने के लिए, समर हो या कोई और आ जाये अब फर्क नहीं पड़ता था





मैंने समर की आँखों मे देखा
वो मुस्कुरा रहा था, मगर अब उसकी मुस्कुराहट वैसी मासूम नहीं थी,....

उसकी होठो पर ऐसे भाव थे जैसे उसके होठो पर नाचती मुस्कुराहट बोल रही हो...

साली आज फ़सी है तू... तुझे तो चूस जाऊंगा...

मैंने एक दम अपनी नज़रो को नीचे झुका लिया,
हिम्मत ही नहीं हो पाई ki. उसकी आँखों मे और ज्यादा देख पाऊं

उसकी दांये हाथ की एक ऊँगली ने मेरे ब्रा के बीच, मेरे बूब्स के बिलकुल बीच गहरी तराई मे धीरे से प्रवेश किया
और उसकी वो ऊँगली हुक के शेप मे मुड़ गई


अह्ह्ह्ह सी निकल गई मेरी फिर एक बार फिर..
एक दम थोड़ा झटके से खिंचा था उसने मेरी ब्रा को ऊँगली मे फसा के
कि मै आगे की तरफ झटका खा कर झुकती चली गई, मेरे दोनों हाथ एक दम आगे आकर बेड के सहारे से मुझे ना बचाते तो मेरा मुँह सीधा समर के चेहरे से टकराता और मुझे चोट लग सकती थी..

ब्रा के स्ट्रैप उस खींचने के कारण मेरे कंधो और बगल के नीचे थोड़ा पीछे की तरफ खींच की टीस महसूस कराते चले गये...

उफ्फ्फ्फ़ माँ अह्ह्ह......... फिर एक बार और निकला मेरे मुँह से उस टीस पर...

समर की तरफ एक दम से निगाह अपने आप उठ गई..
निगाह मिलते ही उसने अपनी जुबान निकली और अपने होठो पर फेर ली..

जैसे चिड़ा रहा हो वो मुझे और साथ ही साथ मेरी हालत का अहसास भी दिला रहा हो..

पागल हूँ मै कि ना जाने क्यों मैंने उस हरकत के बदले, उस टीस से उभरते हुए,
मैंने अपने दोनों होंठ दाँत पीसते हुए खोले और अपनी जुबान सख्त करते हुए धीरे से बहार निकली....

फिर मेरी वो जुबान मेरे ऊपरी होठो के ऊपर अपने आप फिर गई.. बांये कोने से दांये कोने तक......

ससीईई... समर के मुँह से साफ सिसकी निकलती मैंने सुनी...

इससे पहले मै कुछ कहती समर बोल उठा..
अह्ह्ह.. वाह बड़ी आग भरी है तुझमे तो..

और एक फरमाईश भी आ गई उसकी...

एक बार और निकाल जुबान.. निकल ना

समर की इस फरमाइश पर मुझे क्या करना चाहिए था?
पता नहीं....

मगर मैंने फिर अपनी जुबान बहार निकली, इस बार जुबान गीली थी मेरे ही थूक से, और उस गीली जुबान को अपने होठो पर,
नीचे वाले होठो से गोल घुमाते हुए ऊपर वाले होंठ के ऊपर से फिर एक बार धीरे से फिर गोल घुमाते हुए, अपने होठो को अपने ही थूक से गिला करते हुए जुबान फिर अंदर चली गई..

अह्ह्ह्हह साली.... समर के ये शब्द बिलकुल साफ सुने मैंने..

समर थोड़ा पास आया और फिर मैंने जाना की उसकी उंगलियां मेरे ब्रा के स्ट्रैप्स को मेरे कंधो से नीचे सरका रही है

मै चुपचाप बैठी थी...... नीचे मुँह किये

समर के हाथ फिर मेरे पीठ के पीछे तक गये, समर झुका था मेरी ओर हल्का सा और.....

हलकी सी सकककक की आवाज़ के साथ मेरी ब्रा ढीली होते हुए मेरे दोनों हाथो के बाज़ूओं मे झूल गई

दिल अब धड़क रहा था मेरा, वो पल और पास आ गया, जिस पल मै उसके नीचे सिर्फ एक भोग वस्तु बन पीसी जानी थी


समर ने मेरे दोनों कलाई पकड़ी, खुद कलाई उसके खींचने के कारण उसकी ओर सीधी होती चली गई

समर के हाथ फिसले और..... मेरी ब्रा मेरे दोनों हाथो से फिसलती हुए समर के सामने नीची पड़ी थी.....

शायद यही इनकी सही जगह थी, जहाँ समर ने उनको रखा,,,,, समर ने ब्रा को उठा कर जमीन मे फेक दिया,

उनको उनकी सही जगह...और सही औकात दिखा दी गई थी समर के द्वारा....


ऊपर चलते पंखे की हवा सीधे मेरे निप्पल से टकराई..
मैंने साफ उनको अकड़ते महसूस किया, निप्पल गिर औऱ सख्त होते गये..

समर मेरे बूब्स को घूर रहा था.. जैसे बिल्ले को उसका मनपसंद दूध मिल गया हो

अगले ही पल मेरी हसीं छूट गई औऱ साथ मे कराह भी
अहह समर ने मेरी दोनों कलाइयों को पकड़ मुझेअपनी ओर खींच लिया था

मै उसके सीने से जा लगी थी

अच्छा ही हुआ बूब्स को निप्पल छिपाने की जगह समर की छाती मे मिल गई थी

मगर ये सोच अगले ही पल टूट गई.. समर का पंजा मेरे बाये बूब पर कसता चला गया

उई ईई माँ... धीरे प्लीज.. अह्ह्ह्ह
उसकी उंगलियों की हरकत ने जैसे मुझे चीखने की मशीन बना दिया था

आइए प्लीज समर आह्ह
ओर साथ मे मेरे अंदर एक भुखी bitch जन्म ले बैठी थी

सांस तेज होकर बगावत कर चुकी थी
उस पिसने के हलके दर्द मे भी मुझे मजा आ रहा था,

मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाये ओर समर के होंठ पर अपने होंठ रख दिए..
इससे पहले समर बाज़ी अपने हाथ मे लेता और मेरे होठो पर कब्ज़ा करता, मैंने उसका निचला होंठ अपने दांतो मे दबा लिया था..
अब बस बहुत हुआ, ये शर्माना, मैंने समर के निचला होंठ इस तरह दबा लिया था कि अब समर छुड़ा के तो दिखाए,
आह्ह समर कि कराह उसके हलक से निकली,

भाड़ मे जाये समर और उसका दर्द, मैंने उसके दाँत और कस कर दांतो के बीच दबाये कि लगभग काट ही दिए उसके होंठ,
मेरे दाँत अपने आप इस तरह मशीन कि तरह आगे से पीछेचलने लगे कि उसका निचले होंठ का आउट हिस्सा मेरे मुँह मे समता चला गया
एक हाथ से उसके बाल पकड़े और दूसरा हाथ उसके गर्दन के पीछे लपेट लिया कस कर, मै लगभग अपने घुटनो के बल हो चुकी थी उसपर अपने शरीर का भार डालती हुई,

उसके होंठ को चूसना शुरू किया, चुभलाने लगी उसके होंठ को और गिला करती हुई अपना बदला लेने लगी, मेरी निगोड़ी जुबान कहाँ अब पीछे रहती, एक पूरा हमला और गुस्ती चली गई जुबान उसके होठो के बीच.........

अगले ही पल और कुछ कर पाती..
कि आआह्ह्ह्हह
चीख निकल गई मेरी
समर ने पूरी ताकत से मेरा बूब्स दबा दिया था

माँ उई ई ीे ई माँ

बस इतना चीख पाई कि समर ने बाज़ी बदल दी मेरी कमर मे दूसरा हाथ डालकर उसने मुझे लगभग पलट दिया मै उसके सामने मगर थोड़ा बगल मे बेड पर गिर और समर टूट पड़ा

उसका हमला सीधे मेरे निप्पल पर था

अह्ह्ह (साला मुझे क्या अपनी प्रॉपर्टी समझ लिया उसने )...

उसके दांतो ने लगभग काट ही डाला था मेरे दांये निप्पल को अपने मुँह मे भरकर.

दांतो से दबा कर इस तरह खिंचा कि

उफ्फ्फ्फ़ मै फिर चीख पड़ी
निप्पल के आस पास का एलोरा (ब्राउन सर्किल ) को भी उसने मुँह मे भर लिया और अह्ह्ह्ह मा उफ्फ्फ
सिसकी निकल पड़ी मेरी जब उसकी जुबान ने हलके प्रेशर के साथ निप्पल को कुरेदा

अह्हह्ह्ह्ह yes yes एस्सस

मेरे होंठ मस्ती मे भिंच गये

मेरे मन ने चीख के कहा..... पी जाओ मुझे समर प्लीज पी जाओ


बना दो आज मुझे अपनी पालतू कुतिया

और मेरे मुँह से निकल ही पड़ा

प्लीज ।। आह्हः प्लीज यूज़ मी ,,,,,,,,,,,,,,,, यस यूज़ मी

समर ने एक दम ऊपर मेरे चेहरे की तरफ देखा ,

फिर जुबान बहार निकाल मेरे निप्पल पर पूरी ताक़त से दबाते हुए मेरी गर्दन तक चाटता हुआ ले गया ,
उसके होठ मेरे कानो के पास आये और उसने फुसफुसाते हुए जो कहा कि मैं सेक्स की आग में उफनती हुई चली गई

साली रांड ,,, तू है ही बस इस्तमाल करने के लिए ,,

हलकी सी हसीं उसके बाद, मैंने साफ़ सुनी थी उसकी ।। और फिर कुछ शब्द भी मेरे कानो से मेरे जहन में गरम पिघले शीशे कि तरह उतरते चले गए ,,,,,,,,,,,,,

तुझे तो आज मैं घोड़ी बनाऊंगा , ।

।फिर वो फिर एक बार हल्का सा हसा ।।।

क्या बनाऊंगा तुझे ? समर ने कुछ अपने शब्दों को खींचते हुए पुछा

बोल ना ,,


और मेरे मुँह से अपने आप निकल पड़ा ,, " आपकी घोड़ी "

वहहहह वाह ,,कहते हुए समर फिर हंस पड़ा मगर इस बार उसकी हंसी तेज थी

मैंने अपने अंदर थोड़ी guilty महसूस की ,,,, मगर अब किया ही क्या जा सकता था , बाज़ी तो अब समर के हाथ में थी

कुछ और सोच पाती
कि तभी समर ने मेरे गाल को अपने दांये हाथ कि अंगूठेऔर चार उँगलियों को गालो के दोनों तरफ रखकर
इस तरह दबाया कि मेरे होठ गोल शेप में उभर क्र ऊपर उठ गए ,

और समर के होठो ने उनको अपने कब्ज़े में लेने में देर न की ,,,

मममम,,, मममम ,,,,,,
कि आवाज़ ही निकल पा रही थी मेरे मुँह से ,

समर के होठ अब मेरे होठो को अपनी गिरफ्त में लेके उहने चूस रहे थे ,
मैं फिर होश खोने लगी और मेरा एक हाथ अपने आप समर के गर्दन के पीछे पहुँच गया , ।

उसकी गर्दन को मैंने कब सहलाना शुरू क्र दिया इसका मुझे भी होश नहीं था ,
सांस अब फिर तेज और सीना मेरा मेरे बूब्स को उठाते हुए तेजी से ऊपर निचे हो रहे थे ,

तभी समर ने अपनी छाती का पूरा बोझ मेरे बूब्स पर डाला ,,,


अह्ह्ह अह्ह्ह्हह ओह्ह्ह ओह ।।।। डाब गए मेरे बूब्स पूरी तरह उनकी छाती के नीचे,,

हाय राम पीस ही डालेगा ये आज मेरी इन कोमल गोल छतियो को ,,,

उफ़ मेरी साँसों का तूफ़ान बूब्स पिसनेके कारण और मेरी छाती दबने के कारण एक दम बाहर निकली
कि जैसे किसी ने गुब्बारे को दबा कर उसकी हवा निकल दी हो ,

एक पल को लगा पसली ही टूट जायगी ।।

अह्ह्ह उम्मम्म,,,,,,,, माँ ,,,, बस इतना हे निकला मेरे हलक से ,
पूरी कोशिश की मैंने कि सांस फिर से भर सकू अपनी पसलियों में मगर इससे पहले सांस लेती

समर मेरे होठो को चूसते हुए थोड़ा सा और ऊपर हो आया कि उसका वजन पूरा फिर मेरी छाती पर पड़ा


हक़्क़क़ आउच ,,,,,,कक्क्क्क मेरी सांस एक झटके में मेरी पसलियों से मेरे मुँह और नाक से बहार निकली,
मेरी आँखें एक पल को बड़ी हो गई

समर के होठो से ेल पल को मेरे होठ छूटे मगर पल पूरा होने से पहले समर ने झपट क मेरे होठ फिर अपने होठो के बीच कैद कर लिए ,

फिर मेरे ऊपर वाले होठ को दांतो में दबा कर इस कदर ऊपर कि तरफ खिंचा कि मेरे दांतो कि पंक्तिया साफ़ नुमाया हो गई
जैसे होठ अलविदा कह रहे दांतो की लाइन से ।।


ीीी ीे इ इ इ इ ी इ इ ।।। मैं बस इ इ इ इ इ इ करके चीख सकी,

समर ने मेरे होठ खोले और पीछे हो कर सीधा बैठ गया ,
उसकी टाँगे मुड़ी हुई कुछ इस तरह थी कि मेरे हिप्स उसके जांघो के ऊपर आ गए थे ,

उसके दोनों घुटने मेरे जांघो के नीचे से दोनों तरफ मेरी कमर के दोनों तरफ थे ,

और मेरे दोनों पैर अलग अलग हुए समर के कमर के दोनों ओर से बहार होते हुए उसके पीछे जा रहे थे ,

अजीब सी हालत थी मेरी हुए ऊपर से मैं कमर के ऊपर पूरी नंगी थी

समर मुस्कुराया ओर उसके हाथ मेरी नाभि पर घूमने लगे ,

अहह मैं उसकी इस हरकत पर सिसकती हुई बलखा गई

माँ अहह ,,,, बस इतना कह पाई मैं ,,

दोनों हाथो से मेरी कमर के दोनों तरफ हल्के से सहलाता हुआ वो अपनी उँगलियों को मेरे नाभी स्थल तक लता ,

गोल- गोल करते हुए मेरी नाभी पर उंगलिया ओर नाख़ून से हल्के से सहलाता

उफ़ उफ़ उफ्फफ्फ्फ़ ठण्ड सी उठ पड़ी , फुरफुरी ओर ठंड सी कुछ कि मेरा रोम रोम खड़ा हो गया ,,, अह्ह्ह मा

कमर के दोनों ओर से उठकर फुरफुरी नाभी से टकराती और फिर कमर पेट से हलचल सी मचाती हुई निपल और बूब्स के साइड तक फेल जाती ,

अहह
सच में दोस्तों इस हरकत से मुझे ठण्ड जैसे फुरफुरी होने लगी थी , मैं बिलख पड़ी ,

समर कि तरफ देखा तो वो बस मेरे बूब्स को घूर रहा था तो कभी मेरी नाभी
को
 
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UPDATE-7

तभी उसके हाथ रुके और फिर जो किया उसने कि मैं सिहर उठी

समर कि दक्ष उंगलिया अब मेरी जीन्स की बटन को टटोल रही थी ,

इससे पहले मैं कुछ बोल पाती या हिल पाती मेरी जीन्स कि चेन तक एक झटके में खुल चुकी थी

हाय राम ,,,, बस इतना निकला मेरे मुँह से

उसकी दोनों हाथो की चार - चार उँगलियों ने मेरी कमर कि तरफ से मेरी जीन्स में प्रवेश किया
और ,,,,,,,,,

जीन्स खुद बेबस होते हुए उसकी उँगलियों में फसी फसी सी गोरी चिकनी मेरी जांघ की तरह चल पड़ी

हाय राम ,,

ये क्या मेरी पैंटी भी उसी जीन्स के साथ खिंचती चली गई

और मेरे हल्के बालो के साथ मेरी चूत डरते हुए समर कि आँखों के सामने नुमाया हो रही थी ,

समर की दोनों आँखें चौड़ी होती गई औरउसके चेहरे पर हवस का नंगा नाच साफ़ दिख रहा था ,

मेरी आँखे खुद हे उसके चेहरे से हैट गई , मैं उससे आँखें नहीं मिला पा रही थी

मगर ये सच है कि अब मेरा दिल जोर से धड़कते हुए मुझसे कह रहा था ,,,,,,,
अनीता यस ,, यू आर ए बिच।

मेरे होठ इस बात को दोहराने को खुले ही थे कि एक तेज झटका लगा मुझे ,, और
अह्ह्ह उफ़ माँ

समर कि जबरजस्त और हवस भरी खींच ने मेरी जीन्स एक झटके में घुटनो तक उतार दी

यह उफ्फ्फ माँ

मेरी गोरी जांघ और चूत दोनों एक साथ अब उसके सामने एक स्वीट डिश कि तरह थे , मैंने कस कर आँख बंद करली

मैं जानती थी उसका अगला कदम क्या होगा ,

अगले ही पल उसके मजबूत हाथो ने मेरी दोनों टांगो को पिंडलियों से और ऊपर उठा दिया , उफ्फ्फ

जरा सा झटका मेरी टांगो को और वो खुद समर के कंधो पर टिक गई जैसे कोई बेशर्म तफयाफ़ अपने हुस्न का दीदार करा रही हो

हाँ यकीन करो यही था मेरा हाल वासना में उस वक़्त ,,,,,,,,,,,,

अब क्या बोलती ,जो बोलना था समर के हाथो ने बोलै और प्याज के छिलके कि तरह मेरी जीन्स मेरा साथ छोड़कर उतरती हुई जमीन पर पड़ी थी ,

ठीक मेरी ब्रा के बगल में ,

यही थी शायद इसकी भी सही जगह ,,, जमीन पर ,,,

दोनों टांगो को समर के द्वारा एक बार और पकड़ा गया और चीयर दिया गया विपरीत दिशाओ में ,,,,,

पंखे कि ठंडी हवा ,,,, एक दम मेरी चूत और अंदर कि तरफ गांड कि लाइन से टकराई ।।


उफ्फ्फ अब मैं पूरी तरह उफ़न चुकी थी ,

और समर कि बेसब्र साँसे उसके होठो के साथ ठीक मेरे चूत से टकराई

माँ अह्ह्ह्हह ,,,
समर सीधा पीछे कि तरफ होता चला गया कि अब वो जमीन पर था घुटनो के बल ,,,

मेरी टाँगे अभी भी उसकी पंजो में कैद थी ,,,

उसके होठो कि रगड़ का दव्वाब बहुत गहरा सा मेरी चूत के नीचे कि तरफ से मेरी झांटो तक मचलता चला गया

यहहह यह याह अहह मैं सिसकी भर उठी ,
अब निप्पल उग्र होते होते अकड़न के साथ मीठा टीस भरा हल्का चुभन सा दर्द पैदा कर रहे थे

खुद बी खुद मेरे दोनों हाथ मेरे दोनों बूब्स पर अपने आप जा पहुंचे , अब कहाँ मेरी बात मेंते ,
न दिल काबू में था , न जज्बात, न मेरे ये निगोड़े हाथ

और बची हुई कसर मेरी कमर में बलखाते हुए ऊपर उठकर समर कि जुबान का स्वागत कर पूरी कर दी


माँ उफ्फ्फ मेरी सिसकी अब वासना और अंधे जज्बात से भरी हुई थी

समर समर समर अहह लव यू ,,,यही सहबाद निकले थे मेरे होठो से ,,,,


प्लीज फ़क मी ,,,, यस यस


समर ने मेरी बात जरूर सुन ली होगी तभी तो एक दम उसकी जुबान का हमला मेरे चूत के छेद पर हुआ

अह्ह्ह माँ
और जुबान अंदर गुस्ती चली गई

माँ माँ ,, अहह माँ

मेरी तड़फ का फयदा उठाते हुए अगले ही पल उसकी जुबान अंदर हल्की सी गोल सी घूमी

और फिर एक और हमला जुबान घूमते हुए हल्का बहार हुई फिर इतना जोर से फिसलती हुई अंदर गई

कि समर के होठो के साथ उसके दांत मेरी चूत कि बाहरी दीवारों से टकराये


इ इ इ इ अहह माँ मा माँ
मैं सिसकते हुए अकड़ सी गई कमर उसके चेहरे कि और उपे उठ गई और मेरे हाथो ने मेरे बूब्स को इतना कास लिया

कि दब कर पिस कर दर्द कि खुद वो लहर उठी कि मेरी चीख निकल गई

माँ अह्ह्ह्ह हहहह

मगर ये दर्द अब अच्छा लग रहा था दोस्तों
शायद इसीलिए मैंने एक बार और अपने बूब्स को निप्पल्स को उँगलियों के बीच में फसा कर इस कदर दबाया कि मेरे मुँह ,,

जुबान से बस एक शब्द निकला


माँ ,,,,,,,,अह्ह्ह्हह्हह इ इ इ इ इ इ इ इ इ


मेरी सिसक भरी चीख पूरी हो भी न पाई थी कि समर के दांतो ने दरिंदगी के साथ मेरी चूत के किलोटरिस और चूत के मांस को मुँह में भरकर बुरी तरह दबा दिया

इ इ इ इ इ इ इ इ इ ,,, इ इ ,, माँ ी इ इ इ माँ इ इ अह्ह्ह

मैंने चिल्लाते हुए अपनी कम नीचे करनी चाही मगर समर ने बाज़ी अपने हाथ में लेते हुए अपने हाथ मेरी कमर के नीचे घुसेड़ दिए और झटके से उठा दिया मुझे और ज्यादा ।।

मेरी खुली टांगो के समेटना भी चाहा मगर समर के सिर फसा हुआ था ,

मई कुछ न कर सकी

समर बुरी तरह अब मेरी चूत को भभोड़ रहा था

अब उसकी जुबान मेरी छेद के साथ साथ मेरी चूत के डेन ( क्लाइटोरिस) को भी चाट रही थी

उसकी गीली फिसलती जुबान ने वो जादू किया कि फिर एक बार मेरे हाथ मेरे बूब्स पर सख्त हो गए और मेरी दांयी टांग ने बगावत करते हुए समर कि गर्दन पर पीछे से लिपट गई

अब बस मस्ती का जादू था और समर के नीचे अपनी चूत को पिसवाती चतवती ,,दोस्तों आपकी ये अनीता bitch थी

उसकी नाक मेरे क्लाइटोरिस (चूत का दाना ) पर दवाब डालती हुई रगड़ खा रही थी .
उफ़ मस्ती का वो आलम था कि मेरा एक हाथ अपने आप उसके सिर तक गया और उसके बालो को पकड़ लिया

आअह्ह्ह ..,,,,,,,

मेरी कमर कमान की तरह ऊपर तन गई कि मेरी चूत ने अपना दवाब अब उसके होठो पर दिया ,,,,,,

मेरे मुँह से बेशर्मी से भरे शब्द निकले ,,, " खा जा ,,, खा अह्ह्ह "

उसने मेरी बात जरूर सुन ली होगी तभी तो उसने एक दम अपना मुँह खोला और चूत को पूरी तरह अपने मुँह में भर कर भभोड़ दिया

माँ माँ आअह्ह्ह ,,,,,


दर्द कि टीस,,, और मस्ती कि कंपकपी ...,,,


उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़


वो पल थे या आग का वक़्त था जो मेरे वजूद को सेक्स से जलाता चला गया

में बेबस सी बस बहती चली गई

भभोड़ना पूरा भी न हुआ था कि मैंने अपनी चूत के छेद में कुछ फिसलता मसहूस किया , उफ्फफ्फ्फ़
उसकी एक ऊँगली ने मेरी बिना इज़ाज़त के मेरी गहराई नाप ली


चिहुंक उठी मैं,,, हल्का दर्द और मस्ती कि तरंग ,,,

बस मेरे हलक से आआआआ हह अहह भरी सिसकी ही निकल पाई ,
कास कर उसके बालो को मैंने मस्ती में खींचा, इतना क्या मेरा करना हुआ कि बदले में उस निगोड़े इंसान ने हरकत कर ही दी


आईईईई .........,,,,,

उसकी दूसरी ऊँगली अपनी साथी ऊँगली का साथ देने मेरे अंदर चली आई ,जैसे उसके बाप का राज़ हो

माँ अह्ह्ह्ह
और वही हुआ जिसका ख्याल एक दम बस आया ही था मेरे दिमाग कि ये न हो जाये , उसने अपनी तीसरी ऊँगली , इस बार , हाँ कह सकती हूँ मैं , उसने अपनी तीसरी ऊँगली बेदर्दी से मेरे अंदर घुसेड़ दी ,,

एआईईईए नो नो ंन्न न न न न ीीी आईएईएइ
हल्की चीख के साथ मैंने पलटना चाहा मगर उसने अपना चेहरा मेरे पेट पर लेकर वो दवाब बनाया कि कि मैं अपनी गांड और कमर का निचला हिस्सा हिला भी न सकी,

अगले ही पल एक झटका दिया उसने अपने हाथ को और ,,,माँ मा आइए अह्ह्ह रुक जा ,,,,,,
तीनो उँगलियों को एक बलशाली बेदर्द साथ जो मिला तो वो मेरे अंदर झटके के साथ गुस्ती चली गई

इस बार वार इतना तीखा था कि उसके हाथ छोटी ऊँगली और अंगूठा इतने जोर से मेरे चूत के मांस से टकराया कि लगा हड्डी और उसके अंगूठे के बीच पीसकर चूत का मांस फट जायगा ,

आह माँ उफ्फ्फफ्फ्फ़ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

और बोल भी क्या सकती मैं उस वक़्त

समर अब थोड़ा सा पीछे हटा , मुझे सिर से पाँव तक घूरने लगा , अब मैं ठीक होने लगी थी , उसके घूरने पर मैं मुस्कुराई

क्या बोल रही थी ,,,

समर के इस सवाल पर मैं कुछ न बोल पाई ,,,

बोल न ,,,
फिर से उसने पुछा ,,,

खा जा ,,हम्म ये बोल रही है जान बोल ,बोल
समर जैसे मुझे छेड़ने लगा ,

मैंने शर्म से आँख निचे झुखा ली ,, उसका शरीर थोड़ा आगे बड़ा और मेरे पेट नाभि पर हाथ फेरता हुआ समर मेरी बगल में लेट गए ,
उनका हाथ मेरे शरीर पर कोमलता से फिसलता हुआ मेरे बूब पर आया और अह्ह्ह ,,, हल्के से उन्होंने दबाया , जैसे अपने किये कि माफ़ी मांग रहे हो , हुए मेरे कान का निचला भाग ,, उफ्फ्फ

उनके होठो कि गिरफ्त में कब आया मैं जान भी न सकी ,,

स्स्स्सस्स्स्श ,, आआ हह

सिरहन सी दौड़ पड़ी मेरे अंदर , मेरे कानो को उनकी जींद ने छुआ और होठो ने गीलेपन के साथ मेरे कानो के लॉ को चुबलाना शुरू कर दिया ,

समर समर समर,,, उफ्फ्फ उसकी जुबान मेरी कानो के होल से टकराई ,,अह्ह्ह माँ

और जैसे वो मेरे कान के अंदर जाने कि कोशिश कर रही हो ,, अंदर तो न जा पाई मगर उस कोशिश में मेरे कान गीले हो रहे थे और माँ अह्ह्ह ,,,

ब्यान न कर पाऊँगी उस पल को ,,वो अहसास ,,,

आइए ीे इ इ मेरे निप्पल को उनके उँगलियों ने छेड़ना शुरू कर दिया था ,, और निप्पल को हल्का बहार कि तरफ खींचते हुआ अब उनके होठ मेरी नरम गर्दन के साइड पर हल्के हल्के चूमते हुए वहां अपने होठ रगड़ रहे थे , यही मेरी कमजोरी है , अगर कोई अपने होठ गर्दन पर रगड़ना शुरू कर दे तोह मैं बहक जाती हूँ

और यहां तो मैं बहक चुकी थी पहले से ही

अब मेरे अंदर सेक्स का उबाल शुरू हुआ ,, मेरी दोनों टाँगे बलखाने लगी , जाँघे भी आपस में मिलकर खुद को रगड़ रही थी

थोड़ी देर में समर भी पूरी तरह बिना कपड़ो के थे , मैंने उठ कर हलके से देखना चाहा कि उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई कितनी है
मगर नदेख पाई कियुँकि समर अपने घुटनो के बल बेड के निचे बैठ चूका था
उसकी निगाह मेरी टांगो के बीच में थी , में समझ रही थी कि उसे क्या दिख रहा होगा
तभी समर ने मेरे दोनों पेरो को पकड़ा और हल्का सा खोल दिया ,
मैंने आँखें बंद करली
अब जो होना था वो मै जानती थी
उसके होठ मेरे घुटनो से छुए और हलकी सी चुम्भन कि आवाज़ कमरे में गुंजी
अहह में सिहर उठी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैंने हलके से फिर सिर उठया तो समर कि आँखों में वहशीपन साफ़ दिखा ,
उसके होठ सख्त हुए और मेरे जांघो पर कस गए
एआईए में हलके से चीख उठी ।
समर के दांत मेरे जांघो के मांस में गड़े जा रहे थे

तभी उसकी जुबान ने दर्द पर मलहम लगाया और गीली जुबान ने मेरी जांघो को गिला करना शुरू क्र दिया
जहां जहाँ जुबान फिसल रही थी वहां थूक से गीली हुई त्वचा गीली होने पर सिरहन और ठण्ड का आभास दे रही थी
और जुबान गरम छाप छोड़ते हुए ऊपर कि तरफ बड़ी आ रही थी

में बोल पड़ी " समर अहह हाँ हाँ समर प्लीज यस हाँ समर"
जाने क्या बड़बड़ा रही थी में उस वक़्त ।।।

समर कि जुबान को मेरी चूत तक जाना था
मेरी सोच के अनुसार मगर समर शायद अब खेलने में मूड में नहीं था ,

उसकी जुबान ठीक चूत के पास आते ही हट गई और अचानक उसके गीले होठ का आभास मेरे पेट पर मेरी नाभि के ठीक ऊपर हुआ
एक हल्का चुम्भन , अह्ह्ह

मैंने अपने पैर रगड़ दिए बेड पर , उत्तेजना ने मेरा हाल बुरा कर दिया
उफ्फ्फ माँ
माँ अहह समर अहह यस

तीसरा चुम्भन सीधा मेरे होठो पर

समर के होठ खुले और मेरे होठ खूंचते हुए खुद गुस्ते चले गए उसके होठो के अंदर

ुसफ्फफ्फ उफ़ बेदर्द समर ।। चूस लिया उसने मेरे यौवन को
अह्ह्ह हम्म
समर लव यू अहह

समर के दोनों हाथ मेरे बगल में घुसे , पता ही न चला कि कब समर ने मेरे ऊपर अपनी पोजीशन हासिल कर ली थी
समर के दोनों पेरो ने मेरे पेरो के बीच आकर बल के साथ उन्हें अलग किया
में जान ही न सकीं ।

और अब दोनों हाथ मेरे बगल से होते हुए मेरे कंधो को जकड़ चुके थे
उसके पेट कि गर्मी उफ्फ्फ उसका सीना मेरे साइन पर ,,
उसका वजन उफ्फफ्फ्फ़ माँ

सब सोच ही रही थी कि एक गरम अहसास गोल सा ,
सख्त सा मेरी चूत के मुहाने पर आकर टिक गया ।समर ने जरा सा अपना बदन और कमर हिलाई कि
उसके लण्ड का गरम अहसास ठीक मेरे चूत के मुहाने पर महसूस हुआ

चूत ने पहचान लिया था उस अहसास को, पहली बार थोड़ी न हो रहा ये सब मेरे साथ

मैंने हिलना चाहा , मगर नहीं हिल सकी ,
फांसी सी थी में उसके हाथो और उसके टैंगो के जकड़ में

मेरी टाँगे खुल चुकी थी ,
न जाने कब समर ने उनको अपने पेरो से खोल भी दिया था, और मैंने पता नहीं कब अपनी टांगो को मोड़ भी लिया
था
पता ही नहीं चला कि कब मेरे घुटने अगल बगल ऊपर की ओर मुड़ चुके थे
पता ही नहीं चल पाया की कब मेरे पंजे मेरी जंगो के पास आ चुके थे
,
मै खुली पड़ी थी समर के निचे
और समर ने अपने पेट से मेरे चूत के ऊपर झांटो के पास दबाव बना चूका था , उस दबाव के कारण में अपनी कमर नहीं हिला पा रही
थी
 
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UPDATE-8

समर कि छाती मेरे बूब्स को पीस रही थी
जैसे मैंने कोई अपराध किया हो और अब उसकी सजा मुझे उसकी छाती मेरे बूब्स से ले रही थी,

उसके हाथो कि जकड़ मेरे बगल के निचे से होती हुई पीछे से मेरे कंधो पर थी ।
मैं एक इंच ऊपर नहीं जा सकती थी

हम्म मेरी सांस तेज हो रही थी

समर का लण्ड कितना बड़ा होगा ? मुझे नहीं पता था
मगर चूत पर गरम अहसास बता रहा था कि जो भी होगा अच्छा ही होगा।
समर ने मेरी आँखों में देखा , मैंने आँखें बंद क़र ली

समर ने हल्के से ऊपर कि तफर दब्बाव बढ़ाया
तो लण्ड कि हलकी ठोकर मेरी चूत पर हुए , चूत का छेड़ उसकी आस पास कि हलकी दिवार खुल सी गई
और लण्ड के दबाव से चूत का मुँह हल्के से खुल गया ।
लण्ड वहां एक दम कस गया कि अब जरा सा भी समर अपनी कमर आगे बढ़ाता तो लण्ड के स्वागत में मेरी चूत को न चाहते या चाहते हुए कुछ भी हो खुलना तो पड़ता ।

और वही हुआ
समर ने हल्का झटका दिया मलनद कि हलकी मगर थोड़ी तेज ठोकर मेरी चूत के मुँह पर पड़ी
अह्ह्ह मेरे मुँह से निकला

ठोकर कि तेजी और समर कि कमर का दबाव में शायद तालमेल गड़बड़ा गया था
कि लण्ड मेरी चूत पर ठोकर मरता हुआ ऊपर कि तरफ मूड गया ,

आइए चीख निकल गई मेरे मुँह से , लण्ड कि ठोकर मेरे चूत के दाने पर पड़ी थी

दर्द कि हलकी लहर और मस्ती कि तरंग एक साथ उभरी
सीसी
अह्ह्ह
माँ
उफ़

मैंने आँख खोल दी और समर कि तरफ शिकायत से देखा ,
तो सच पूछो अजीब सा लगा उस वक़त मुझे खूब याद है समर कि आँखों में चिड़चडा पन दिखाई दे रहा था ,

क्यों? ये नहीं समझ आया , एक ठोकर इधर उधर होने से क्या होता है ।
मैं बच के अब निकल तो नहीं सकती थी न अब।?

फसी इस तरह थी कि हिल भी ठीक से नहीं प् रही थी मैं,,

जवाब ने समर ने अपनी कमर पीछे कि और बददिमाग इंसान ने पता नहीं क्या सोचकर कमर को पूरी ताक़त से झटका दिया ,
बस यूं ही , ये भी उसे नहीं पता होगा कि लण्ड सही लगेगा या सही जायगा भी या नहीं

यहां मुझे पहली बार उसकी आदत ठीक नहीं लगी, कुछ ठीक नहीं था उसके दिमाग के साथ
और हुआ क्या?
,,,,
उसका लण्ड ठीक मेरे चूत और गांड के छेड़ के बीच वाले हिस्से पर टकराया ,भरपूर ठोकर थी वो

एआईई मैं चीख भी न पाई थी पूरी तरह ,
उस ठोकर कि चोट पर जो ठोकर मेरी गांड और चूत के निचे वाली हड्डी कि जोड़ पर हमला हुआ था
उसके दर्द से कि वो लण्ड निगोड़ा फिर ऊपर कि फिसला और ,,

मर गई थी एक दम उस हमले से

पागल इंसान कुत्ता ,,समर आज यही कहूँगी उस वक़्त को याद करके

लण्ड सीधे मेरी चूत कि दीवारों को अलग करता हुआ ,
चूत के मुँह को बिखेरता हुआ ,
चीरता हुआ लिखना चाहिए अब यहां

हाँ चीरता हुआ एक ही झटके में पूरा पेवस्त हो गया ।

आह माँ aeeee आई अह्ह्ह्ह मैं चीख उठी अपने हाथो से जोर लगा कर हटाया समर को मगर ,,,,,

मेरी टाँगे मेरी एड़ियों के बल पर मेरी गांड को ऊपर कि ओर खिसखाना चाहा पुरे जोर से मगर ,,,

मैं उस वक़्त कुछ न कर सकी ,,
बीच गई थी मेरी आँखें ,, मेरे होठ साइड से तीखे होकर निचे कि ओर झुक गए थे दर्द से ,,

मेरे दांत मेरे सख्ती से भींचे होठो से बहार दिख रहे थे ,
जबड़े कस चुके थे अतः दर्द से ,
पेट कि मांसपेशियां कस चुकी थी गांड के निचे जाँघे कपकपा रही थी दर्द में ,,,

हमला ही ऐसा था ,,
कई बार चुद चुकी थी अब तक अपने कुछ बॉयफ्रैंड्स से मगर ये हमला पागलपन था ,

एक दम लण्ड का एक ही बार में ठोकर वो भी गलत के साथ चीरते हुआ पूरा मेरे अंदर जाना

ओर वो पल पूरा भी न हुआ था कि समर के लण्ड के ऊपर का उसका हिस्सा जहां मर्द कि हड्डी होती वो हिस्सा मेरी चूत के ऊपर वाली उभरी हड्डी से इस तरह टकराया जैसे समर ने झटका नहीं दिया था बल्कि वो झटके से कूदा था मेरे ऊपर ,
एईई बस चीख उठी मैं ।अह्ह्ह आइए ा ा ा ा ा ा यह अहा माँ माँ बचा अह्ह्ह मा माँ ,

समर कि पसलियों को नीचे से ऊपर कि तरफ धक्का देने कि पूरी कोशिश भी बेमानी थी अब ।

एक शब्द लिखूं यहां अपनी हालत पर उस वक़्त कि
हाँ मुझे अब शर्म नहीं ये बोलने में कि हाँ फाड़ दी थी मेरी उस झटके ने।


हट जाओ हटो ।।माँ ,, मैं जोर से चिल्लाई

बदले में मुझे मिला एक प्यारा सा हमला ,

समर ने अपनी गांड उठा कर मेरी नन्ही चूत पर ऐसी ठोकर मारी की

मेरा मुँह लगभग पूरा खुल गया ,
आँखें ऊपर को चढ़ गई

साला कुत्ता ,,

यही शब्द मेरे मन में गूंजा उसके लिए और मुँह से निकला ,,

आई इ इ इ इ इ ,, माँ बचाओ उफ़

समर ने निचे अपने दोनों घुटने चौडाये तो मेरी टांगे और ज्यादा खिंच कर खुल गई
और मेरी चूत ने दर्द भरी सिसकी के साथ कहा वेलकम समर जी

मैंने हटाना चाहा समर को
तो समर ने अपने बांये हाथ से मेरे दोनों हथेलियों को जकड़ लिया एक साथ और ऊपर की तरफ खिंच दिया

दोनों हाथ मेरे सिर के ऊपर खिंच कर एक साथ उसके हाथ में बंधे थे , और टाँगे पूरी तरह चौड़ी हुई पड़ी थी
मेरी छाती पर अपनी छाती का पूरा वजन डालकर समर ने चोदना शुरू किया,

उसका चिकना लण्ड मेरी चूत के छेद में फिसलता हुआ एक अजीब अहसास दे रहा था,
अब तरंग उठने लगी थी ,आँखें मस्ती में बंद होने लगी थी

मैंने अपने ही निचले होठ अपने दांतो के बीच ले उन्हें चुबलाना शुरू कर दिया था ,

समर मेरी जिस्म को बड़ी बेदर्दी के साथ उछाल रहा था अपने हर धक्के में वो मेरे जिस्म को ऊपर की तरफ उछाल देता ,

समर यह यह यस फ़क मी ...............
समर ने ये सुना तो वो रुक गया ,,
मैंने आँखें खोली मगर आँख खुल नहीं रही थी , चुदाई की मदहोशी अब चढ़ चुकी थी मेरे तनबदन और दिमाग में

फ़क मी मत बोल ।।। अनीता तू .......

मैंने धीरे से उसकी तरफ देखा , मेरी अध्खुली आँखों में प्रश्न था कि फिर क्या बोलू ?

और जवाब मिला ,, तू बोल ,,हाथ जोड़ती हूँ बॉस प्लीज छोड़ो मुझे । ye bol tu ..samjhi sali

ये कहते हुए समर ने फिर अचानक गांड उठाई और थोक दिया एक तगड़ा धक्का ।

अह्ह्ह माँ मेरे सिसकार उठी
बोल बोल तू बोल

समर चिल्लाया तो मैं न जाने क्यों ,, बह निकली अपनी मर्यादाओं के पार और मुँह से निकला

प्लीज समर जी आपके हाथ जोड़ती हूँ मैं प्लीज छोड़ो मुझे प्लीज
आपके हाथ जोड़ रही हूँ

चुप साली ,, समर ने मेरी बात पर फिर अजीब सा रियेक्ट किया ,अजीब सा ,
मुझे याद है अच्छी तरह से एक एक शब्द वो,

मैं चौंक पड़ी थी ।
उसने मेरे दोनों हाथ छोड़ दिए

हाथ जोड़ कर बोल कुतीया ,जोड़ अपने दोनों हाथ वार्ना मैं जा रहा हूँ ,,,

समर के शब्द पुरे हुए भी न थे ,मैं कुछ सोच भी न पाई थी की समर ने फिर एक धक्का मेरी चूत के अंदर अपने लण्ड को पेल कर दिया ,
और मस्ती कि तरंग में सिसकारी भरते हुए
मेरा मुँह खुल गया अह्ह्ह अहह

बोल कुतीया की बच्ची ,,ले ले ले साली लण्ड ले ।।
बोल बोल

समर वहशी सा बर्ताव कर रहा था और मैं न चाहते हुए फिर मर्यादाओ के घेरे से बहार बह निकली

मेरे हाथ मेरे बूब्स के पास आकर मिले और दोनों हथेली जुड़ गई ,

समर जी प्लीज और चोदो ...मुझे प्लीज हाथ जोड़ रही हूँ ......देखो प्लीज फ़क ,,,,,,.... समर जी,,,
अहह अहह २-३ धक्के फिर दिए समर ने

तू है कोण बोल.................।...................। पुछा उसने हlफ्ते हुए

बोल साली ................................

और एक और धक्का । उछल पड़ी मैं उफ़ समर ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधो के ऊपर सटा कर bed पर रख लिए थे ,
उसका जिस्म अब मेरे नाभि पर टिका था बाकि जिस्म मेरे ऊपर हवा में अपने हाथो के सहारे टिका था।

टाँगे और चौड़ी कर ली समर ने अपनी

बोल साली कहते हुए भrपुर धक्का दिया
,लण्ड एक दम बहार गया था फिर तेजी से मेरे गर्भाशय से टकराया ,

अह्ह्ह मैं उछल पड़ी उप की तरफ ,

मेरे दोनों हाथ अभी भी जुड़े था ,

अनीता हूँ मैं आपकी अनीता , मैंने टूटी साँसों से जवाब दिया ।

माँ ahhh..... मैं चिल्ला पड़ी समर ने झुक कर मेरे गाल पर काट लिया उफ़ न न ंन्न नं नं न न न माँ अहह आई इ इ
मैं चीख पड़ी

उसके दांत मेरे गाल के मांस के भीतर घुस से गए थे

जलन कि तीर्व लहार ने पूरा शरीर सख्त कर दिया था मेरा , मेरे दांत दर्द पर भींच गए थे

मैं संभाल पाती की अचानक सात या आठ समर के गांड ने उठते फिर नीचे मेरी चूत पर भरी वजन के साथ गिरते हुए हमले के साथ लगातार धक्के दिए ,,

एक दो तीन चार अहह अहह ुई माँ उफ़ हर धक्के से हल्के से चीख पड़ती

आपकी आपकी आपकी हूँ मैं आपकी हूँ मैं आपकी बीवी हूँ मैं यह यह यह आई ुई माँ अहह प्लीज यूज़ me ,अहह

मैं बोलती चली गई

ऐसा नहीं था की मैं पहले बुरी तरह नहीं चुदी थी मगर समर का अनोखा अंदाज मेरे ऊपर सवार हो रहा था ,
दर्द और तरंग के भीतर कहीं न कहीं मैं उसके शब्दों में फस रही थी और अपने दिमाग कि लगाम समर के शब्दों के हाथो खोती जा रही थी

नहीं साली , तू कुत्तिया है , ले साली बोलते हुए समर ने एक शॉट फिर दिया अहह

कुत्तिया ,,............................

कुत्तिया.... हाँ ये शब्द न जाने क्यों मेरे दिमाग के भीतर न जाने किस पॉइंट पर ठीक टकराया था
की मैंने अपनी जांघो को गुदगुदाहट में कंपते हुए महसूस किया ,
एक गुदगुदाहट मस्ती कि तरंग के साथ मेरी चूत कि बाहरी दिवार कि स्किन से लेकर अंदर गर्भाशय के आसपास से होती हुई
मेरी नाभि के पास से ठीक मेरे निप्पल्स के ठीक बीच तक दौड़ पड़ी

मेरे होठो से निकला यस अहह मैं आपकी कुत्तिया हूँ

इस कुतीया शब्द ने और इस अहसास ने की आज मैं एक कुत्तिया बन गई हूँ न जाने क्यों मेरी सेक्स कि आग को भड़का दिया था ,

मुझे नहीं पता की क्या हो गया था मुझे उस कुत्तिया के अहसास को अपने अंदर महसूस करते हुए
की मैं चिल्ला पड़ी

सच में चिल्लाई थी मैं , हाँ जोर से चिल्लाई थी मैं , शायद रूम के बहार सुना गया भी होगा मेरी चिल्लाहट को

हाँ मैं हूँ कुत्तिया , हाथ जोड़ रह हूँ चोद न मुझे , चोद चोद मुझे

समर ने अपने दोनों पैर सीधे किये तो उसका पूरा वजन अब बस मेरी चूत और उसके ऊपर कि उभरी हड्डी पर था

गांड उठाई समर ने और दे दिया पूरी जोर से मेरी प्यारी चूत पर झटका

अहह मस्ती से मेरा मुँह पूरा खुल गया ,
मेरी चूत कि उभरी हड्डी पर तगड़ा प्रहार हुआ था , दुश्मन देश का हवाई हमला हो चूका था ,
और हमारे मोर्चे पर जवानो की धज्जियां उड़ रही थी मानो,
दोनों टांगे सीधी कर उछल उछल कर मेरे जिस्म को समर ऊपर उछाल रहा था

मैं मस्ती में अब खो चुकी थी , तबlतोड़ धक्के और समर कि उखड़ती साँसे मेरी आहें चीखे ,
मेरे बूब्स का निगोड़ापन जो बार बार धक्को में उछल रहे थे ,

बस यही था अब
हफ्ते हुए समर कि आवाज़ जैसे बहुत दूर से आ रही हो मगर जो सुना मैंने वो pagalpan था ,,


तू कुत्तिया नहीं है अनीता साली ले ले और ले
अहह माँ यस अहह
तू कुत्तिया नहीं ..........सिर्फ ......एक रंडी है मादरचोद रांड

रांड ,, रंडी ये शब्द ,, हाँ ठीक यही सुना था समर कि आवाज़ में मैंने

मगर अब वापसी का कोई रास्ता न था और मेरे मुँह से चाहते या न चाहते पता नहीं अपने आप निकला

हाँ मैं रंडी हूँ
रांड हूँ
कुत्तिया रंडी हूँ
हाथ जोड़ रही हूँ

और इसके बाद मैं जोर से चिल्लाई
चोदो,,
हाँ बहुत जोर से ये अखिरीवाला शब्द बोलै था मैंने , या फिर उत्तेजना और रंडी शब्द का जादू था जो दिमाग पर चढ़ गया था , पहली बार रंडी शब्द सुना था , और कमाल था मुझे बुरा लगने कि बजाए उस शब्द ने मेरे दिमाग के अंदर के सेक्स पॉइंट को छेद दिया था

मेरा गरूर , मेरा attitude , मेरा मैं होने का अहसास , सब अब खतम हो चूका था
हाँ मैं गिरी भी नहीं थी अपनी नज़रो में , कियुँकि गिरने का अहसास अब कहीं नहीं था , शर्मा होने पर जो नाज़ था मेरे पिता को , अपनी जाती पर ,पंडित जाती का वो नाज़ , अब कहीं नहीं था
कोई अहसास नहीं था
सेक्स कि आंधी जैसे मुझे ले जा रही थी सुख के नए दरवाजो की ओर

समर ने मेरे घुटनो को अपने हाथो नीचे दबाया तो मैंने आँखें खोली ,
कुछ समझने से पेले मेरे घुटने उसके दवाब के कारण नीचे होते गए ,
समर ने अपनी टांगे घुटने मोड़कर चौड़ा ली थी ओर मेरी चूत में लुंड फसाया हुआ वो मेरी टैंगो के बीच बैठा था ,

मेरी टाँगे घुटनो के दवाब से सीधी होती गई और बिलकुल सीधी हो गई

मैं उसके नीचे फसी थी सीधी बिलकुल सीधी ,
मैं समझने कि कोशिश कि की क्या होगा अब ,
तभी समर ने भी आगे झुकते हुए अपनी टांगे सीधी कर ली ,
उसका सीना फिर मेरे बूब्स के ऊपर था और उसकी बाहों ने मेरे सिर को ऊपर से पकड़ लिया और नीचे कि तरफ जोर देने लगे ,

मैं समझ नहीं प् रही थी की क्या कर रहा है ।

समर की हांफती सांसे , जो उखड़ सी रही थी वो मेरे गर्दन पर टकरा रही थी ,
मेरा सिर उसकी ऊपरी दवाब से गर्दन में जैसे घुसने लगा ,

तकलीफ होने लगी हलकी सी कियुँकि गर्दन के थ्रोट भाग पर दवाब आ रहा था अब और गर्दन आगे कि ओर झकने लगी थी

मैं पूछना chah रही थी की क्या है ?

मगर दिल ने पूछने से इंकार कर दिया

अब हाँ फस चुकी थी
मैं उसके शब्दों में,
सच तो ये था वो रस्सी में लटका कर मार भी देता तो मैं कुछ न बोलती ,
सेक्स में बहने का यही तो घाटा है की हम लड़कियां अपनी जान तक दे सकती है अगर सेक्स चढ़ जाये दिमाग में,

उसकी टाँगे फिसली मेरी टैंगो के ऊपर और मेरी टैंगो को दोनों तरफ से जकड़ लिया
उसके घुटने मेरे घुटनो को बहार से जकड़े अंदर की तरफ दबा रहा थे ,

और उसके दोनों पेरो के पंजो ने हुक की तरह मेरी पंजो के ठीक ऊपर शिन बोन को जकड़ लिया था

अब मेरे हाथ मेरे पेट के ऊपर मुड़े हुए थे ,जो फसे हुए थे समर के पेट के दवाब के नीचे

कुलमिलाकर मैं सीधी थी बिलकुल छह कर हिल भी नहीं सकती थी

उसके लण्ड का सख्त अहसास मेरी चूत के अंदर से ऊपर कि ओर खींचा सा था जैसे लुंड हल्का सा मुदा हुआ हो ,

जो चूत की छेद को ऊपर की ओर खिंच रहा था ,

लण्ड का दवाब मेरी चूत के ऊपर के डेन पर पद रहा था ,

अजीब सा सब था
तभी फिर समर ने लण्ड खिंचा और झटका मारा

अहह मैं ऊपर की तरफ हिली मगर खुद को हिला न सकी सिर्फ धक्के की लये में हिल रही थी

लण्ड फसा फसा सा चूत के upr wale dane को रगड़ता अंदर बहार हो लगा

समर के धक्के से पेट पर मेरे दोनों मुड़े हाथ मेरे पेट को दबा रहे थे ,

अजीब सी परेशानी थी ये मस्ती के बीच में मेरे लिवर पर
मेरी मुड़े हाथो की दोनों हथेली एक साथ समर के शरीर के वजन के साथ लिवर को हिट कर रही थी

दर्द हल्का दर्द हर बार हिलने पर होंने लगा था ,

इससे पहले कभी भी लीवर का दर्द नहीं सहा था मैंने

अचानक समर ने लुंड खिंचा

सी सी सीह अहह ,, मैं सिसकार उठी

और समर ने गांड का जोर लगा कर हमला किया , उस हमले में उसने अपने पेट ,गांड, जांघ का वजन मिला दिया था

माँ में चीखी और मुँह खुल गया दर्द से शरीर अकड़ गया , घुटने मुड़ने लगे , गर्दन आगे की तरफ झुकने लगी ,

कियुँकि मेरी चारो मुड़ चुकी उंगलिया जो सख्त कोण के रूप में बन चुकी थी का प्रहार समर के पुरे झटके और वजन के कारन मेरे लीवर पर हुआ था ,
मेरी चारो मुड़ चुकी उंगलिया जो सख्त कोण मुड़ कर मेरी

छातियों के नीचे जहाँ से छाती दो भाग में अलग होती है , आपके कमीज का जहाँ तीसरा बटन आता है ,
(कालर वाला बटन , साइन वाला बटन और तीसरा लीवर वाला बटन ) वहां पसलियों के नीचे से लीवर में घुसते चले गए

घुटने चाह कर भी सीधे न हो पये समर के घुटनो ने कस लिया था उन्हें ,,
और शरीर मुड़ न पाया , समर के शरीर के वजन ने मेरे शरीर को इज़्ज़ज़त नहीं दी की दर्द में मुड़ सके और यही हाल गर्दन का था ,
वो थोड़ी उठी जरूर थी दर्द में मुड़ने को मगर ज्यादा हिल वो भी न पाई

समर के धक्के अब जान लेने लगे ,
मैं मुँह से बोल भी नहीं प् रही थी

लण्ड के जिसने का अहसास ,हो रहा था , हल्की तरंग थी मगर दर्द में सब मस्ती का अहसास मिट चूका था ,

मैं बोलना चाह रही की मुझे लग गई है रुको मगर दर्द से बस मुँह खुला था ,

आ अ आक खः क अ आ ,,जैसी आवाज़ बस निकला रही थी ,
मैंने हाथ खींचना चाहl बlहार मगर न कर स्की दर्द के कारन वो शक्ति नहीं थी

समर को लगा मैं मस्ती में हूँ,
बोल तू रांड है ,, हैं न साली कुतीया की बच्ची तू मेरी रांड़ी ।बोल साली बोल

कहते हुए वो टूट पड़ा मुझपर

गांड उठा उठा कर अपने वजन के साथ धक्के पे धक्के ,
जैसे वो मुझे पर अपनी मर्दानगी की छाप छोड़ना चाहता हो ,

और मैं उसके नीचे जैसे दर्द से और मेरी चारो मुड़ चुकी उंगलिया जो सख्त कोण की चोट से बेसूद सी ,
सांस रुक गई थी मेरी , दर्द पे काबू पान और समर को बताना मेरे बस में नहीं था ।

रांड बोल साली
ले बहनचोद ,, समर ने फिर पूरी ताकत के साथ हमला किया ,
अक्क अक्क कक ,, आक ा ा अ अ ।।

मई बेहाल हो पड़ी ।रोना आ गया मगर मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकल पा रही थी ,

सांस ें झटको के बाद जो खिंच के लेने से आ रही थी वो बंद हो गई थी

आंसू निकलने लगे थे मगर वो भी बह नहीं रहे थे ,
समर जैसे मेरी न कहने पर की मई रंडी हूँ उसकी , वो बुलवाने पर आमादा हो गया , और फिर शुरू हुई मेरी चुदाई


बोल बोल बोल ले ले ले ले ल मादरचोद ले ले ले ले ले साली रंडी ,तू बोलेगी ,बोल रांड बोल तू रंडी है बोल साली ,

ले ले छूट फाड़ दू तेरी साली ले कुटिया
बो रांड
बोल
बोल

समर ने जैसे अपनी बात मनवाने की कसम खा ली थी ,

मेरा चेहरा सांस न ले पाने की वजह से लाल हो गया था ,
आँखें बहार आने गई थी ,
समर उछला ऊपर की ओर जोरदार धक्के के लिए
और थोड़ी जगह बनी और मेरे दोनों हाथ खुद बहार आ गए ,
सांस अभी भी रुकी थी ।समर का शरीर पूरी ताकत से गिरा मेरे ऊपर ,

जैसे उसने उछाल कर अपनी जान लगा दी हो ,मुझसे बुलवाने को

और उस धक्के से मेरे मुँह से बीएस अन्नन न न जैसी हल्की आवाज़ निकली ,

समर को पता नहीं क्या लगा मेरी गर्दन के बगल से अपना चेहरा निकाल मेरी तरफ देखा उसने ,
वो एक दम उछल कर अलग हुआ वो

अनीता अनीता अनीता.... चिल्ला उठा वो,

मुझे दूर से उसकी आवाज़ आ रही थी , सांस लेने में तकलीफ की वजह से जैसे जान जा रही हो ,

उसने एक दूँ झंझोड़ दिया मुझे ,

और एक दम जैसे साँस का तूफ़ान मेरे chest में समाता चला गया ,

दर्द के कारन में पलट गई और मेरा शरीर खुद उकडू मुद्रा में मुड़ता चला गया

आआआ नं न न न ह ,,,,
मुँह उस दर्द में भी खुला और हवा को जितना खिंच सकता था खींचता गया ,

सांस की वजह से दर्द का तूफ़ान लीवर में उमड़ पड़ा ,

और मई न कहते हुए भी और मुड़ती चली गई
आँख से आंसू अब पूरी तरह बह रहे थे ,

समर ने पुछा
अनीता अनीता क्या हुआ ,,वो बदहवास सा मुझे हिला रहा था

मैंने लीवर की तरफ किसी तरह इशारा किया ,
उसकी तरफ देखा बड़ी मुसकिल से ।।

उसकी आँखों में एक दम आंसू की कुछ बुँदे उमड़ पड़ी थी
उसने एक दम झटके से मुझे उठाया

अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अ अ अ अ अ अ अ मई चीख सी पड़ी

शुक्र है की चीखी तो mai ,
अब सांस ठीक से तो नहीं मगर आ जा रही थी दर्द के साथ

मेरे शरीर को खींचता हुआ उसने मुझे सीधा किया ,
उफ्फ्फ दर्द ऐसा हुआ जैसे लीवर टूट रहा हो

mai खुद को छुड़ाना चाहती थी मगर
समर की ताकत ज्यादा थी

मुझे उठा कर घूमते हुए मुझे अपनी पीठ पर मेरी पीठ के बल मुझे उल्टा उठा समर झुकता चला गया
और दर्द की खिंच ने लीवर को जैसे काट दिया हो ,

उफ्फ्फ वो दर्द उठा ... फिर न चिल्ला ski mai
मुँह फिर खुल गया मगर सांस तेजी के साथ एक दम seene में भर्ती चलती गई

समर ने शायद अपनी कमर एडगर उधर हिलनी शुरू कर दी थी ,
मेरा शरीर इधर उधर तेजी से दांये बांये हिल रहा था उसकी पीठ पर पीठ के बल उल्टा लटका हुआ ,

अचानक समर झुकता चला गया हुए उसके परिणाम में मेरा शरीर खींचता सा उल्टा उसके पीठ से चपका उल्टा सा खिंचता गया
अहह दर्द की लहर फिर उठी ।।उफ्फ्फ

मगर जैसे ही समर सीधा हुआ

दर्द की तिस लगभग गायब थी

हल्का दर्द था मगर अब काफी आराम था
mai एक दम bed पर बैठ गई

समर की अव्वाज़ पर उसकी तरफ देखा ।
कैसी हो तुम अब?

हम्म ठीक हूँ मगर दर्द है हल्का अभी भी ।


मैंने जव्वाब दिया

ठीक तो है न अब ? समर ने पुछा

हाँ मैंने जव्वाब दिया और पानी की बोतल उठा ली
पानी की कुछ घूंट अंदर जाते ही काफी अच्छा लग रहा था मुझे


समर ने फिर पुछा ,,कैसा है अब


मैंने कहा ।।हाँ ठीक है मगर हल्का दर्द है ,
वो लीवर में लग गया था हाथ से , सांस रुक गई थी , मै लगभग रो पड़ी , आँख से आंसू निकलने लगे ,
पता है सांस नहीं आ रही थी , मर जाती आज मै , मैंने शिकायत भरे लहजे में कहा

sorry अनीता मुझे लगा तुम बस मजा ले रही हो तभी नहीं बोल रही ,
तो मै और जोर से करने लगा ,, थोड़ा रुका वो फिर बोल पड़ा
मुझे नहीं पता था यार तुझे लग गई है

मै हलके हल्के सिसक रही थी

समर ने अपना हाथ मेरे कंधो पर rkha और मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया मै बेड पर गिरती चली गई

मैंने chonk kar समर की तरफ देखा तो उसकीआँखे मेरे नंगे बदन को घूर रही थी

प्लीज रुको समर ।।मेरी आवाज़ को शायद वो सुन नहीं रहा था

रुको तो समर ,,मै चीख पड़ी हलके से

और समर ने जवाब दिया ,, साली रंडी फिर ......खोल अपनी टांग ।खोल रांड है न तू ।।

उस हल्के लीवर के दर्द में भी पता नहीं ये सुनते ही जैसे शरीर किसी जादू के वश में होने लगा ,
दिमाग फिर मेरी दर्द और मेरी बात न मैंने को विवश था ,

मेरी टंगे खुलती चली गई

रांड ।।।। सीधी कर टाँगे और खोल

और वही हुआ जो दिमाग ने सुना

मैंने अपनी टाँगे सीधी कर ली और खोल दी

समर ने कुछ नहीं कहा अब बस फिर से उसने मेरे ऊपर आकर सांप की तरह बिछ गया मेरे ऊपर

अपना लण्ड पकड़ा उसने ,
मेरी छूट पर घिसते हुए हल्का सा दवाब दिया तो जैसे लण्ड को उसकी मंजिल मिल गई अह्ह्ह

मेरे मुँह से सिसकी सी फूट पड़ी

इस बार मेरे हाथ बहार थे मगर मेरी बगल से चिपके थे

समर ने मुझे ( बूब्स के बगल से ) पकड़ा था । इस तरह लपेटा था मुझे की मेरे हाथ उसकी जकड़ में फास गए थे

उसके पेरो के पंजो ने मेरे पंजो पर फिर कब्ज़ा कर लिया था , उसके घुटने मेरे घुटनो को फिर बहार से दबा चुके थे

और समर ने थोड़ा जोर लगाया तोह उसके पेरो के जोर से मेरी दोनों टाँगे थोड़ी खुल गई मगर पंजो से फसा रखा था उसने की खुल कर भी हिल नहीं सकती था

समर की गांड फिर उठी और झटका ,,
अहह माँ ahhhhh

मै सिसक उठी

दर्द जो लीवर में था अब काम होता जा रहा था और समर की लण्ड की अकड़ और चीख़नाहट का अहसास छूट में फिसलने लगा

फिर एक बार मेरा शरीर ऊपर की तरफ उछला
और मुँह से निकला

रांड हूँ मै ,,, रंडी हूँ मै
छोड़ डालो मुझे प्लीज

समर जी हाथ जोड़ रही है आपकी रंडी ,, मसल दो मेरी जवानी को

समर हसने लगा ।। जैसे वो मेरी राँड़पन पर हस रहा हो

बोल बोल कोण है तू ? बोल

मै आपकी रंडी आह्हः अह्ह्ह हाँ रंडी उफ़ माँ रंडी रंडी अहह ुयी उफ़ माँ अ रंडी हूँ आपकी उफ़

मेरे सिसकी हलकी चीखे ,राँड़पन का अहसास ।।समर की हांफती सांस का ठीक मेरे चेहरे से टकराना और हसना ,

वो मुझे चोदता हुआ है रहा था ,, रंडी बोल ले ले और लेगी ले न लण्ड ले साली कुतीया की बच्ची , रैंड की औलाद

हाँ हाँ हाथ जोड़ती हूँ , हाँ हाँ प्लीज और जोर से और जोर से ,, पागल सी हो गई थी मै उस दिन ,, होटल में बहार गूंज रही होगी मेरी आवाज़ , हम्म मै तेज ही चिल्ला रही थी ,

समर का बदन मेरे बदन पर झटको के साथ फिसल रहा था , पसीने से भीगता हुआ ,
मेरी गांड की दरार में पसीने का अहसास साफ़ महसूस हो रहा था ,
बूब्स पर पसीना और बगलो से जैसे पसीना बह रहा
हो

 
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UPDATE-9

समर अपनी पूरी ताकत के साथ उछल उछल कर मेरे खूबसूरत जिस्म पर अपनी वासना की थाप लगाए जा रहा था

आआह उफ्फ्फ

मै भी वासना के तूफ़ान में बहती हुई दूर जा रही थी
मेरी चूत के अंदर लावा उबल उबल कर बहार आने को बेक़रार था , अब सच में मेरे दिमाग के अंदर एक कुत्तिया ने अपना रूप ले लिया था , एक रंडी मेरे अंदर जनम ले चुकी थी ,

वासना का निर्लज शैतान मेरे मन और दिमाग को अपने काबू में कर मुझे एक लण्ड की भूखी कुत्तिया में बदल रहा था

मै चिल्ला Rही thi ,,,, अह्ह्ह प्लीज और और जोर से,,, माँ अहह ी उफ़ आ माँ
ले लो मेरी प्लीज लो ,,,
मै हाँ हाँ मै कुत्ती हूँ आपकी
लो लो अहह


और बदले में समर की थाप ठोकर लण्ड के धक्के के साथ मिल रहे थे ये शब्द
साली तुझे रांड बनाऊंगा ,, सबसे चुद अब तू रांड ।
नंगी नाचेगी तू
ले ले ले लण्ड ले रंडी

चूत पर लगातार ठोकर से चूत का ऊपरी भाग हल्का सुन सा पड़ गया था ,
खून का दौरा तेज था वहां

१५-२० की लगातार चुदाई के बाद समर की हालत ठीक नहीं थी शायद , उसने अपना पूरा वजन मेरी बूब्स पे डाल रखा था और मेरी टाँगे चौड़ी करके बीच में अपनी गांड के धक्के मेरी चूत पर बरसा रहा था

उसके धक्को में तेजी तो अभी भी थी, पर वो जोर नहीं है

उसने भी अपनी टंगे चौड़ी कर ली थी
उसकी सिर्फ गांड ऊपर निचे हो ही थी

समर का चेहरा मेरी गर्दन पर ठिका , और उसके मुँह से हांफने की तेज तेज आवाज़ कमरे में गूंज रही थी
समर की जुबान उसके मुँह से निकली , बहुत सारी लार थूक का गीलापन मेरी गर्दन पर बह निकला
मगर मुझे अब गीलापन लार थूक नहीं दिखाई दे है था , मुझे लण्ड हिये था अब बस

चोदो प्लीज और जोर से ,, मै समर से गिड़गिड़ाई ,,
समर का चाटना , मेरी गर्दन पर गीलेपन का अहसास उफ़ उफ़ अहह आ
प्लीज जोर से मारो ,, लो न प्लीज।।

मैंने रोने वाले अंदाज़ में सिसकते हुए कहा ।

बदले में समर का हमला फिर मिला मुझे ,,

अह्ह्ह्ह और और और प्लीज हह यस अहह

अचानक मुझे अहसास हुआ कि समर का लण्ड ढीला पड़ रहा है
उसकी कठोरता गयाब सी हो रही है

मगर समर ने मेरी कमर और अपने बीच में हाथ घुसेड़ कर लण्ड को पकड़ा और हिलने लगा
साफ़ लग रहा था वो लण्ड को पीछे जड़ से आगे कि तरफ खिंच रहा है

फिर शायद कड़ापन आ गया हो
निशाना पे रखा और अह्ह्ह्ह
लण्ड फिसलता चला गया मेरी चूत में
उसमे वो कड़ा पण नहीं था मगर न जाने क्यों मुझे वो अहसास ही अच्छा लगने लगा

ढीला लण्ड फिसल रहा था अंदर बहार । ।। इतना तो था की हल्की चोट कर सके , मगर जोर से समर जो ठोकर करता तो लण्ड निगोड़ा हल्का मुड़ जाता और फिर फिसलता जाता अंदर

ये अहसास भी मजेदार था , मुझे सेक्स का हर रंग पसंद है
समर की उम्र 40 के हिसाब शायद वो ठीक ही है
और सबसे जरूरी बात ,,, मुझे मजा आ रहा था

अह्ह्ह
अलग सा अहसास उफ्फ्फ
मैंने अपने होठ समर के होठ पर रख दिए ,
उसकी हल्की ठोकर पर मेरा जिस्म हल्का सा उछलता अह्ह्ह
और मैंने उसके होठ दबा लिए अपने होठ के बीच

समर ने तभी पूरी ताकत से उछल कर ठोकर मारी
अहह
लण्ड निकला तो मगर ठोकर पर निचे की तरफ फिसल गया
उसमे इस बार इतनी ठोसता नहीं थी
कि चूत को चीर अंदर घुस पाता

समर की आँखों में बेचैनी साफ़ दिखाई दे रही थी
वो धीरे से पीछे हुआ और बैठ गया
उसकी हांफने की आवाज़ पुरे कमरे में गूंज रही थी

क्या हुआ ,, मैंने पुछा

कुछ ही पानी pina hai mujhe , उसका जवाब ,,,....उफ़ मै खीज गई

आओ न प्लीज मेरी इस मिन्नत पर वो हल्के से मुस्कुराया और बोलै

रुक जा रांड , तेरी तो अभी बजाऊंगा रुक साली

और अभी आया ,,,, बोल कर वो कपड़े पहनने लगे

मै बेड पर पड़ी थी और चूत कसमसा रही थी

Likh rhi huun abhi dusra update thodi der me dungi




UPDATE-10

मै उसे जाते देखती ही
वो कपड़े पहन बहार की तरफ निकल गया
दरवाजा खुला हुआ था

भेङ तो गया था वो मगर लॉक नहीं था दरवाजा

मैंने बेडशीट खींची और अपने ऊपर डाल ली

मुझे लग रहा था कि मुझे पेशाब कर लेना चाहिए कियुँकि हल्का प्रेशर यूरिन का बनने लगा है
मगर मन नहीं था उठ के जाऊं , आप लोगो के साथ भी हो जाता होगा ऐसा ?

करीब २० मिनट्स के बाद दरवाजा खुला और समर अंदर आ गया
उसकी आंखे कुछ ज्यादा ही अब लाल थी
साफ़ लग रहा था कि माथे के दोनों साइड हल्की नसे उभर आई है

चेहरा भी ज्यादा ही सुर्ख था
उसके हाथ मै पानी की बोतल थी और एक पेप्सी भी

कुछ खाना है तुमको । । समर ने पुछा तो मैंने मुस्कुरा कर मना कर दिया
मुझे तो लंड की भूख थी

समर ने कपड़े उतारे , मै उसके बदन को घूर ही थी , वासना मेरे सर पर चढ़ी थी
समर का बदन ठीक ठाक है मगर इस वक़्त वो मुझे लंड का देवता नज़र आ रहा था

उफ्फ्फ्फ़ वो टॉयलेट में घुस गया ,
हम्म्म
मै भी उठी और पेप्सी कि बोतल की तरफ खुद हाथ बढ़ गया , एक घूंट लिया ही था कि मेरी नज़र बाथरूम के दरवाजे के अंदर गई जो थोड़ा सा लगभग २-३ इंच खुला रह गया होगा


हाँ तो मेरी नज़र अंदर गई तो देखा , शीशे में साफ़ दिख रहा है की समर का हाथ उसके लंड पे है , वो लंड को हिला रहा था
उसकी ऑंखें बंद थी जैसे वो मेरी सोच में हो और लंड को हिलता फिर हल्के हल्के जड़ से आगे की तरफ खींचता , थोड़ा थूक लिया और लंड के आगे वाले गोल सा पार्ट जो होता है उसपे लगाया
फिर होठो को खुद चूबल्हता हुआ लंड हल्के हल्के खींचने लगा

मेरा मन थोड़ा उदास हो गया , अगर ये लंड खड़ा न हुआ तो मेरा क्या होगा
वासना का बुखार इस तरह चढ़ चूका था की अब समर नहीं तो कोई भी आकर चोद दे मुझे
मुझे तो बस अब लण्ड की प्यास थी

एक बार मन हुआ अंदर चली जाऊं और चूसने लगू इसका लण्ड खड़ा कर दू इस लण्ड को
मगर मै रुक गई ,
समर ने अपने कपड़े उतार कर बेड पर डाल दिए थे , और बेड के निचे दवाई जैसा कुछ पड़ा हुआ था , जो मेरे पैर के नीचे आने के कारण चट सी हल्की आवाज़ हुई , मेरी नज़र खुद वहां चली गई

देखने पर मालूम हुआ उसपर VIGORA लिखा है (ध्यान रहे इसपर VIAGRA नहीं बल्कि VIGORA लिखा था
100mg
उसमे ३ गोलियां थी मगर १ जगह खाली थी

अब जो समर का सुर्ख चेहरा , लाल आँखें और नसों का उभरना का कारण मेरे सामने था

यानि समर ने VIGORA खाई है , बहार जाकर

मेरी नज़र फिर बाथरूम के दरवाज़े के अंदर गई तो समर अपना लण्ड अभी भी खिंच रहा था , आँखें बंद और दोनों हथेलियों के बीच लण्ड को ले मसल और खिंच रहा है , मै साफ़ देख पा रही थी

लण्ड मुझे तो खड़ा नहीं लगा , बल्कि लटका सा मांस का टुकड़ा जो बस खींचे जा रहा हो

सच में मन उदास हो गया लण्ड को देख कर ,
मैंने पेप्सी का एक और घूंट लिया और कर भी क्या सकती थी

करीब ३-४ मिनट मै यही देखती रही
ढीला सा लण्ड और समर की अजीब हरकते

ओह माँ
मैंने साफ़ देखा समर का लण्ड अब खड़ा था , पूरा टाइट सा नहीं मगर हाँ अब चुदाई हो सकती थी
थैंक्यू मैंने विआग्रा की तरफ देखकर मुस्कुरा कर कहा

अहह यस यही निकला मेरे मुँह से
wow समर का लण्ड अब खड़ा हो गया फुल
दवाई का असर होगा ये
लण्ड ऊपर की तरफ देखने लगा , फुफकारने लगा
समर ने आँखें खोली और मै वापस बेड पर लेट गई

बाथरूम खुला और समर और उसका लण्ड ।
।।

अह्ह्ह अब वो घूर रहा था मेरी आँखों मै
जैसे बोल रहा हो की अब तेरा क्या होगा रंडी

उसका एक एक कदम मेरे पास आना ,
मै बलखाई ,, वासना के तूफ़ान ने समर की आँखों से मेरे दिमाग मै किसी सांप की तरह गुसना शुरू कर दिया

एक झटके से मेरी चादर हटा दी गई
बिना कोई शब्द बोले समर ने टंगे पकड़ी मेरी और चीर कर अलग अलग चौड़ी कर बीच में अपना स्थान ग्रहण किया , मेरी टंगे उठाई गई और उनको समर ने अपने कंधो पर रखा

मेरे घुटने अपनेआप मेरे बूब्स के साइड में आ चिपक गए , खिंचाव सा हुआ कमर के पीछे और घुटने के पीछे वाली मसल्स पर
अह्ह्ह्ह निकल पड़ी मेरी , समर के लण्ड ने मेरी चूत का छेद ढूंढा और

अह्ह्ह्ह माँ मर गई
चीख निकल पड़ी उफ्फ्फ

कमर पे खिंचाव अहह और जांघो के पीछे वाली मसल्स खिंच गई उफ्फ्फ

लण्ड की ठोकर इस बार जबरजस्त थी
उस ठोकर की मार ने मेरी चीख निकाली थी बस यहां एक गलती हो गई थी मुझसे

मुझे पेशाब के प्रेशर को हल्का नहीं लेना चाहिए था

ब्लाडर के अंदर यूरिन प्रेशर का दर्द उठा
लण्ड की ठोकर सब मिल कर मुझे मेरी करनी की सज़ा मनो दे रहे हो

मैंने समर को रोका की यूरिन हो लू मै टॉयलेट में जाकर

अह्ह्ह माँ ,,,,,, रुको प्लीज ,,,,,,, अह्ह्ह ीी इ इ प्लीज इ इ इ
प्लीज एक मिनट माँ अहह

मगर समर को VIGORA ने अपने अधिकार में ले लिया था और मुझे सुनने या मुझे समझने के अधिकार से अब समर दूर हो चूका था

वो अब कहाँ सुनता मेरी

अपने पंजो पर पूरा वजन डालता हुआ गांड उठाई और जैसे कूद पड़ा हो वो मेरी चूत के ऊपर
लण्ड निगोड़े ने मेरी अधमरी निगोड़ी चूत केअंदर ठोकर की बरसात कर दी

आठ माँ मर जाउंगी
प्लीज प्लीज रुक क क क क ,,, आह उफ़ ेहही इ इ
माँ माँ , हाथ जोड़ती हूँ
ाः ुको हह हह अहह अहह

पेशाब अब मेरा साथ छोड़कर जाने लगा था
लण्ड का धक्का ,,,, मेरी चीख - आई अहह माँ ,,,,,, और पेशाब की कुछ बुँदे " अलविदा
"

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