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Story real hi lag rhi hai, address or location ki knowledge jo wahan rehta hai usi ko ho skti haiUPDATE-3
मैंने देखा समर एक बाइक पर था , ओह्ह्ह मेरे मुख से खुद ब खुद निकल पड़ा ।।
बाइक हम्म्म में समझती थी , अच्छी तरह से बाइक का मतलब कितना गहरा और ग्राम होता है ,
मेरी मुस्कुराहट अपने आप समर को देख कर मेरे गुलाबी होठो पर छा गई,
गुड मॉर्निंग सर
मेरे अभिवादन पर समर भी मुस्कुराया और हाई अनीता गुड मॉर्निंग भई क्या बात हैं, लुक ही चेंज हैं आपका तो , बढ़िया हैं /
मुझे घूरते हुए समर ने बाइक पर बैठने का इशारा किया , समर बाइक पर पहले से ही विराजमान था /
मैंने देर नहीं की और बाइक पर उसके पीछे बैठ गई , मैंने अपने आपको इस तरह एडजस्ट किया की मेरे बूब्स समर को टच न हो । दोनों हाथो को मोड़ कर अपने सीनेके सामने रख लिए थे इस तरह समर को मेरी कोहनी तोह छू रही थी मगर बूब्स नहीं ,
मगर मेरी थाइस का अंदर का भाग समर के कूल्हों के दोनों बाहरी तरफ टकरा रहा था , समर ने बाइक स्टार्ट की और बैलेंस बनाने के चक्कर मेँ मेरी थाइस ने समर के कूल्हों को अपने ग्रिप मेँ ले लिया , मेरी थाइस ने समर की कमर का निचला हिस्सा जकड़ा हुआ था
मैंने पीछे बैठे बैठे ही समर की तरफ देखा , साइड से दिखता हुआ उसका चेहरा साफ़ बता रहा था कि मेरी जांघो का अहसास से उसके शरीर और दिमाग में खून का दौरा तेज हो रहा है ,
उसकी आँखों में अजीब सी ख़ुशी और एक उतेजना कि लहर साफ़ देखि जा सकती थी ,
तभी मैंने महसूस किया कि समर ने अपने कूल्हों को थोड़ा सा मेरी तरफ सरकाया है , मेरी जांघो के बीच उसके कूल्हों का दबाव एकदम बड़ा था जिसके कारण मेरी जांघो ने समर के कूल्हों को और जकड लिया था , समर के पीछे होने से बचने को अगर मैं अपनी टाँगे थोड़ी भी ढीली करती तो यक़ीनन समर आज ही मेरे उस हिस्से को छू जाता जिसपर मुझे बहुत नाज़ है , बरहाल जकड़न बढ़ने से मुझे और ज्यादा उसके कूल्हों कि गर्मी का साफ़ अहसास हो रहा था , सुबह कि हलकी ठन्डे मौसम में कुछ तो था जो गरम था , मेरे लबों पर अपनेआप एक शरारती सी मुस्कान उमड़ आई ।
समर ने हलके से पीछे देखा और मेरी आखों में सीधे देखते हुए मुस्कुराया , मैंने निगाह नीची कि और शर्म से मुस्कुरा बैठी ,
ये दोनों कि मुस्कराहट शायद इकरार थी एक ऐसी परिस्थिति कि जिसको हम दोनों अपने दिल और शरीर में साफ़ महसूस कर रहे थे ।
मर्यादा का बोध मेरे दिमाग से शायद कहीं दूर उड़ कर किसी अनजान जगह जाकर छिप गया था , और रह गया था बस एक कामुक सा अहसास , एक बेशर्मी और अपने वजूद से नीचे गिरने का अपराधबोध , ये अपराध बोध अभी नहीं बल्कि समर के जाने के बाद होना था ।
मैंने ध्यान दिया तो समर ने बाइक को विकासपुरी के अंदर मोड़ लिया था , मैं थोड़ी चौंकी मगर कुछ बोली नहीं , समर ने पीछे देखा और धीरे से बोला ,' अनीता स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स थोड़ी देर में चलते है जरा हवा खा लेते है ' बोलो हाँ
न जाने कोई मंत्र था या आर्डर,,ये 'बोलो हाँ ' शब्द सुनकर खुद ही मेरे मुँह से जी हाँ निकल गया ,
वो मुस्कुराया और बाइक को एकदम हलकी स्पीड के ब्रस्ट से तेज कि , मेरा शरीर एकदम से समर के पीठ से टकराया , कोहनी और कंधे समर से टकराने पर समर ने फिर पीछे मुड़ कर देखा , उसको शायद मेरे जिस्म के किसी और ख़ास हिस्से के टकराने कि उम्मीद थी , मगर टकराय,,, कोहनी और कंधे ।
उसकी मुस्कराहट और गहरी हो गई , जैसे कोई बाज़ किसी निरह प्राणी के शिकार को बेताब हो , और ज/नता हो कि शिकार अब ज्यादा दूर नहीं ,मैं भी मुस्कुरा दी ये सोच कर
दरअसल मेरे कुछ रिलेशन्स के बाद मेरा झुकाव matured लोगो कि तरफ हो गया था ,
२० से २५ साल तक के लड़को कि बातो में मुझे नासमझी और लड़कपन दिखाई देने लगा था , उनका बिना मतलब कि बातें करना , बड़ी बड़ी बातें बोलना जैसे वो सुपरमैन के दादा हो इत्यादि बातें उनको न जाने क्यों मानसिक स्तर पर मेरी निगाहो में छोटा साबित कर रही थी ,
न जाने क्यों मेरे अंदर संजीदगी और ठहराव के एहसास कि चाहत होने लगी थी इन दिनों , शायद ये भी एक कारण हो सकता है कि मैं समर कि तरफ अब हाँ आकर्षित हो गई थी , मैं समर को प्यार नहीं करती हूँ , मगर उसका साथ मुझे अच्छा लग रहा था , दिल ने एक धीरे से आवाज़ दी , ' चलो एक जायका और सही ' ///
अपनी इस बात पर मैं फिर मुस्कुरा गई और पता नहीं कब मैंने अपना सर समर के कन्धों पर रख दिया ,
मैंने साफ़ महसूस किया कि समर के पीठ से लेकर गर्दन तक एक झुरझुरी सी दौड़ गई है , उसका शरीर एक दम अकड़ गया था मेरे अपना सर उसके खंधे पर रखते ही ।
शायद उनको उम्मीद नहीं थी मेरी इस हरकत कि ।
अगले ही पल समर ने खुद को संभाल लिया ,
अनीता थोड़ा आगे हो जाओ गिर जाओगी ,,, बहुत हिम्मत करके भोलेपन से समर ने मुझसे कहा , तो मुझे उसके ऊपर एक नए अहसास के साथ अपनापन या थोड़ा लाड या शायद प्यार आया और मैंने कहा
""""" अरे बोलो तो चिपक जाऊं '''''''''''''''''''
ये शब्द बिलकुल सच्चे है , मुझे बेहद अच्छे ढंग से साफ़ साफ़ याद है कि यही वो शब्द थे जो न जाने कैसे बेशर्मी या कामुकता में मैंने समर से बोल दिया ,
वो पठ्ठा भी कम न था , बोल पड़ा ,
चिपक जा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
और न जाने क्यों मैंने अपनी कोहनी और हाथो के बधन खोले ,,,,, और अपने दोनों हाथ उसकी कमर के दोनों ओर से हार कि तरह डाल कर हलके से समर को लपेट लिया , मेरा चेहरा अभी भी समर के कंधो पर था ,
दोस्तों अब मेरे बूब्स समर के पीठ को छू रहे थे , या यूं कहो मैं साफ़ अपने निप्पल में उसकी पीठ का दबाव महसूस कर रही थी ,
बेशर्मी देखो मेरी दोस्तों , कि मेरे निप्पल्स कि स्किन के ठीक नीचे मगर नसों के ऊपर मैंने खून का दौरा चीटियों कि तरह सरसराते महसूस किया , अजीब सी चुभन ओर सरसराहट , हलकी गुदगुदी जो निप्पल कि स्किन में अंदर से उभर रही थी , मेरे निप्पल्स का कड़ा होना ओर समर कि पीठ कि रगड़ से मेरे मुँह से हलके से निकला ।
अहह ,,,,,
आँखें मेरी खुद अपने आप हलके से बंद हो गई ओर समर कि शरीर में आई सरसराहट को मैंने साफ़ महसूस किया ।।
न जाने ये सब क्यों हुआ शुरू , मैं खुल इतना कैसे गई थी,
दरअसल हम किसी से नहीं खुलते बल्कि कोई अपने अपनेपन से हमारे अंदर एक ऐसी विश्वास भर देता है कि हम उन लोगो से खुल ही जाते है ,
उनपर ध्यान देना , उनको जानना ओर उनके प्रति एक विश्वास ही शायद पहला कारण था कि मैं आज बेशर्म कि तरह उनसे लिपटी थी ,
या यूं कहो अपनी ही भावनाओं में बह रही थी ,
आज एक ख्याल आता है ये सब लिखते हुए ।।उस वक़्त समर ने क्या सोचा होगा मेरे बारे में ? उनके ख्याल अच्छे होंगे उस वक़्त या वो एक शिकारी थी तरह सोच रहे होंगे कि ,,,,,,,
अब इसका जबाव आप दे सकते हो दोस्तों,
अगला अपडेट समर के साथ मेरे सेक्स रिलेशनशिप कि दास्तान के साथ होगा ,
उम्मीद है पूरी फीलिंग के साथ लिख पाऊँगी
समर ने धीरे से एक हाथ मेरे हाथो पर रखा और मेरे हाथ की उंगलिओं को हलके से दबा दिया /
मैंने भी आँखें बंद की और सोचना बंद किया , जो हो रहा है वो कितने गलत है या सही , अब ये बात मायने नहीं रखती बल्कि मन को भा गया था ये सब और दिल ने दिमाग को शांत रहने का इशारा भी कर दिया था , और दिमाग ने शान्ति के साथ दिल को शरीर के साथ मिलकर अपनी मर्जी करने का अधिकार दे दिया /
9 ब्ज़े समर ने वापस मुझे वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो के नीचे डोमिनोस पिज़्ज़ा के सामने छोड़ दिया, इस बिच हम बीएस घूमते रहे बाइक पर , में उनसे लिपटी बस समय की धाराओं में बहती रही , और वो मुझे लिए यहां वहां घूमते रहे ,
और कुछ नहीं हुआ था उस रोज , कुछ नहीं....
मगर अगले दिन ऑफिस में समर का व्यवहार अब पहले की तरह नहीं था , अब मुझपर वो ख़ास मेहरबान था , अपने केबिन में बुलाकर मुझसे किसी न किसी बहाने से बात करना , मुझे जोक पर हसाना , मुझे प्यार से घूरना , और बहुत कुछ जो शायद में इस वक़्त ब्यान नहीं कर पाऊँगी ,
बरहाल में अपने समय से १२ बजे ऑफिस से निकल गई और इस बिच समर ने मुझसे शाम को मिलने का वादा ले लिया था ,
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उस शाम समर का कॉल आया , और मुझे वापस वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो के नीचे मिलने जाना था , जैसे कि मैंने उनसे वादा किया था , मैंने जीन और ग्रीन टॉप पहना था बस यूं ही में घर से निकल गई , मेट्रो के नीचे पहुंची तो समर को उसी बाइक पर खड़े पाया , मन मेँ मेरे अचानक ख्याल आया कि सब देखेंगे कि में किसी ४० आगे के शख्स के साथ चली गई , मर अगले ही पल मैंने उस ख्याल को दिल से हटा दिया " कोई नहीं सोचेगा , जो देखेगा तो यही सोचेगा कि कि अंकल है मेरे" खुद को मन ही मन यही तस्सल्ली देते हुए मै समर कि तरफ तेजी से बढ़ चली , मेरे गुलाबी होठो पर खिलती मुस्कराहट ने समर का स्वागत किया / और समर कि बाइक पर बेथ उड़ चली ,
थोड़ी दूर तक संभल कर बैठी रही कियुँकि जान पहचान वाले देख सकते थे , मगर थोड़ी दूर बाद , मैंने दोनों हाथ समर कि कमर पर लपेट लिए और समर कि तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रहा था , हलकी शाम करीब ७ बजे थे उस वक़्त , समर मुझे विकासपुरी मै स्थित सोनिया पीवीआर सिनेमा के कंपाउंड मै ले आया था ,
Picture of PVR Vikaspuri
में पहले भी कई बार यहां आ चुकी थी , और ये जगह मुझे पसंद है ,
समर ने मुझसे पुछा कुछ खाना चाहोगी तोह मैंने मुस्कुरा कर " सिर्फ कुल्फी " बोल दिया ,
नहीं नहीं कुल्फी से सिर्फ काम नहीं चलेगा , कुल्फी ने अगर तुम्हे ठंडा कर दिया तो मेरा क्या होगा ,,कहके वो खुद ही अपने आप हंस दिए ,
उनकी इस बात पर में भी जोसे हंस दी , फिर कुल्फी ले ली गई और वहीँ घूमते घूमते हमने थोड़ा समय बिताया , कभी पथ्थर कि बेंच पर बैठे तो कभी ठहलते हुए पीवीआर के अंदर चले गए , बस एक घंटा कब गुज़र गया पता ही न चला ,
धीरे धीरे हम टहलते हुए पीवीआर कि साइड से गई सड़क पर आ गए जिसको बैंक रोड खा जाता है , वहीँ पर पार्क है जो काफी बड़ा है / समर पार्क के गेट से अंदर कि तरफ मुद गया और में उनके पीछे पीछे पार्क के अंदर आ पहुंची , पार्क मै यू तो काफी लाइट्स थी मगर पार्क के बड़े होने के कारण लाइट कि वयवस्था पूरी नहीं है ये वहां फैला अँधेरा बता रहा था , थोड़ी देर टहलते हुए हम हलके अँधेरे मै पहुँच गए और समर ने मेरा हाथ पकड़ लिया ,
मेरी आँखों मै देखता हुआ समर कुछ बोलना शुरू कर ही रहा था कि मैंने पुछा "क्या चाह रहे हो?"
तो बता दू ? समर कि आँखों मै मुस्कान थी मगर उसके हाथ साफ़ महसूस हो रहे थे कि हलकी कम्पन है .
हम्म मैंने हाँ मै सिर हिला दिया ..
समर के दोनों हथेलीयो मेरे चेहरे पर हलके से कस गई ,
मेरी सांस को मैंने साफतौर पर तेज होते महसूस किया जैसे मेरी साँसों ने मेरे सीने से बगावत कर दी,
में जानती थी अब क्या हो सकता है / और समर के गर्म ( सच मै) होठो को मैंने अपने कोमल होठो पर महसूस किया ,
मेरे होठो जैसे दबे जा रहे थे उनके होठो के भार से और अचानक जैसे वैक्यूम प्रेशर से बड़े सलीके से मेरे होठो को उनके दो होठो ने खींचा
तो मेरे होठ हलके O के शेप मे उनके होठो के बीच खींचते हुए पेवस्त हो गए , होठ के अंदर जैसे मांस दब गया हो ,
हलकी सी खींच से वहां हल्का दर्द पैदा हुआ और अगले ही पल , बिना किसी अल्टीमेट के समर के होठ हलके से और खुले और उसके दांतो ने मेरे दोनों होठो पर एक साथ हमला कर दिया , दांतो कि चुभन और होठो का दबाव कि मेरे होठो को अपने आप न चाहते हुए भी O के शेप मे पिसते हुए घिसते हुई चुभन का अहसास से गुजरना पड़ा ,
तभी समर कि इस हरकत से में चौंक गई ,
उसकी जुबान सख्त होती हुई मेरे खुले शेप्ड होठो के बिच टर्की और किसी सांप कि तरह मेरे होठो के बीच गुस्ती चली गई ,
मेरे मुंह से सिसकारी निकला छह रही थी मगर जुबान ने अपना काम शुरू कर दिया था ,
उनकी जुबान मरे दांतो के ऊपर सख्ती से लहराई और दांतो को चाटती हुई दानन्तो के बितर प्रवेश कर गई ,
गीली जुबान का अहसास , मेरी आँखें खुद बंद होने लगी , और जुबान ने मेरी जुबान को ढका दिया फिर मेरी जुबान के नीचे घुस मेरी जुबान के नीचे जहां जुबान का निचला हिस्सा कि दिवार होती है उसे पुरे जोर से पीछे कि तरफ धकेलने लगी ,
इस हरकत से मुझे लगा मेरी जुबान के नीचे जो झिल्ली सी है वो आज क्रैक हो जायगी ,
मैंने मुंह घूमना चाहा तो समर के हथेलियों ने मेरे चेहरे को कास लिया कि मई अपना चेहरा घुमा नहीं सकती थी ,
तभी जुबान बलखाई और मेरी जुबान के साइड से फिसलते हुए ऊपर आ गई अब साफ़ लगा कि समर ने अपने मुंह पूरा खुला और अगले ही पल मेरे होठो के आस पास का मांस का हिस्सा भी अपने मुंह के भीतर भर लिया ,
मेरे मुंह से गु गुं गु गु कि हि बस आवाज़ निकल प् रही थी,
अब बiरी थी मेरे होठो के मर्दन की, जो समर ने शुरू किया अब उसकी जुबान मेरे मुँह मे मेरी जुबान के ऊपर से हलक तक जाने की कोशिश कर रही थी
और उसके दांत मेरे होठो को दबाते चुभते हुए घिसते हुए जैसे खा जाना छह रहे हो ,
उसके होठो गीलापन लिए मेरे होठो और उसके आस पास के हिस्से को भभोड़ रहे थी,
अब उसकी जुबान ने बलखाना शुरू किया , अंदर बहार ऊपर नीचे फिसलती हुई जैसे मेरे मुख के अंदर की मालिश कर रही थी,
जुबान से राल लगातार बहकर मेरे मु से मेरे हलक तक साफ़ जाती महसूस हो रही थी,
उनके होठो से की JANE WALI हलचल और unke hotho ka मेरे होठो को लगातार चूसने से राल मेरे ठोड़ी से बहती हुई गर्दन पर फिसलती हुई नीचे बहने लगी ,
ये कम था कि समर कि एक हथेली को मैंने अपने लेफ्ट बूब्स पर महसूस किया ,नीचे से ऊपर कि ओर होती हुई उनकी हथेली ने मेरे बूब का जैसे नाप लिया हो
ओर अह्हह्ह्ह्ह एक दबाव , हलके से ऊपर कि तरफ खिंचाव के साथ, करंट सा दौड़ गया मेरे शरीर मे,
फुरफुरहट सी तेज गुड़गुड़ाहट के साथ निप्पल मे उत्पन हुई ओर पेटसे होती हुई बिलकुल योनि के ऊपर तक जा पहुंची,
मै न चाहते हुए भी सिसकार उठी ओर झटके से पीछे हुई / ओह्ह्ह में छूट गई थी
वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख रहे थे ओर में शर्म मे गाड़ी नीचे देख रही थी
मैं चुपचाप से मुड़ी और पार्क के बहार चल दी , मैंने साफ़ महसूस किया की समर की कदमो की आवाज़ ठीक मेरे पीछे आ रही है ,
एक फुसफुसाहट बहुत धीरे से मेरे कानो में " बुरा लगा क्या ?"
में ठिठक गई , "बुरा ?' मन ही मन सोचने लगी = बुरा शायद नहीं- कोई प्यार का अहसास भी नहीं -
क्या है ये फिर
वासना?
प्यार?
अपनापन?
या
एक नए अनुभव कि शुरुआत ?
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उस शाम घर आकर मैं ठीक से सो ना सकी,
थोड़ी थोड़ी देर मे उस चुम्बन का अहसास मेरे भीतर गुड़गुड़ाहट पैदा कर रहा था l
वो प्यारा सा अहसास, वो साँसों का मेरे नाक के ऊपर टकराना,
उनकी जुबान का अहसास,
उनके दांतो का अहसास,
मेरे होठो का उनके होठो के बिच फिसल कर जाने का अहसास...
जैसे मैं अपनी मार्यदा से आगे निकल कर सडक पर खड़ी हो गई हूँ ,
इतना मन के भीतर उथल पुथल कभी ना महसूस हुई थी,
आखिर ऐसा है क्या समर मे जो मै त्यार हूँ दिल से उसके साथ बहने को,
अगले दिन मेरा कॉलेज जाना जरुरी था सो ऑफिस ना जा सकी,
समर को व्हाट्अप्प मे मेसेज कर दिया कि ना आ पाऊँगी आज,
शाम को समर का कॉल आया
हेलो
हम्म जी
अब जी जी छोडो, नाम से बोला करो, हम कलग थोड़ी ना है अब अनीता.... समर के ये कहने पर मै मुस्कुरा गई
नहीं मै नहीं बोल पाऊँगी,, मैंने जवाब दिया तो वहाँ से समर कि आवाज़ आई
समर मत बोलो कोई नाम रख दो मेरा,
हम्म्म्म मैंने धीरे से आवाज़ निकली
ओके चलो आ जाओ मै लेने आता हूँ तुम्हे... समर ने बोला तो मै बोल पड़ी.. नहीं समर जी आज नहीं पापा नहीं है घर मे, माँ को गावं जाना है तोह भैया भाभी साथ जा रहे है
प्लीज कल सुबह मिले माँ के जाने के बाद?
Ok... पापा कहाँ है आपके... समर ने पूछा
जी कनाडा दिसंबर मे है आना होगा उनका ..मैंने जवाब दिया
तो कल और कौन होगा घर पर कल? समर के सवाल पर मै चौंक गई, साफ नज़र आ रहा था कि समर चाहता क्या है.. मेरे घर आना?
ये सोचती हुई मै बोली.. जी कोई नहीं (दरअसल मै समर से झूठ नहीं बोलना चाहती थी और सच बोलू तो झूठ मुझसे बोला नहीं जाता, मन के अंदर guilty का अहसास होता है झूठ बोलने पर,
तो तुम्हारे घर आ जाऊ कल अगर तुम बोलो l
कल नहीं मेरा मतलब दिन मे नहीं, ,,,,, ओह्ह्ह ये बोल गई मै कि दिन मे नहीं इसका मतलब अप्रत्यक्ष रूप से मैंने अनजाने मे रात को आने का इनविटेशन दे दिया
बिलकुल बिलकुल अनीता यार मै समझता हूँ, रiत मे भी मिलेंगे मगर दिन मे मिलो कल, बहुत बात करनी है, सच बोलू दिल से तुम से प्यार सा हो गया है, अलग हो तुम सबसे, कुछ यों ख़ास है तुम्हारे अंदर जो खिंचा जा रहा हूँ ,...... एक ही बार मे समर ने ये सब बोल दिया
मै अच्छे से समझती थी कि क्यों मै अच्छी लग रही हूँ और क्या होगा इस बार मिलने pr
मग़र ना जाने क्यों मेरे मुँह से निकला.... जी सर आ जाउंगी कल
गुड गर्ल तो कल मेट्रो के नीचे मिलना 11बजे
जी समर जी इतना बोल मै चुप हो गई,
कुछ उत्तेजना कुछ सिरहन, कुछ सेक्स या एक नए अनुभव कि तरफ खिंचाव,
सब मिलकर मुझे उस तरफ धकेल रहे थे.. जहां एक 40 साल का भूखा मर्द है जिसके सामने 21 साल कि सेक्सी खूबसूरत लड़की बस यूं ही आ गई हो
जैसे किसी भूखे को अचानक पिज़्ज़ा और सॉफ्ट ड्रिंक मिल जाये या ठंडी बियर के साथ गर्म मन पसंद नॉनवेज मिल जाये l
नॉन वेज कि बात पर बता दू आपको मेरे घर मे बिलकुल प्याज़, लहसून और नॉन वेज कि परम्परा नहीं है,
मगर मैंने एक दो बार चखा है,
बियर, वोडका और जिन जैसे अल्कोहल ब्रांड अक्सर पीया है जब पेरेंट्स घर नहीं होते,
मेरे बॉय फ्रेंड को आदत थी तो हो जाता था कभी कभी,
अगले दिन मुझे समर से मिलना ही पड़ा, क्या करती मेरी भी कुछ चाहते है, जानती हूँ इसे taboo कहते है,
मगर दिल के हाथों कुछ तो मजबूरियां रही होंगी मेरी जो मै अगले रोज मिलने चली गई, आज बालो को कर्ली लुक दिया था मैंने, और आई शेड पर भी मैंने ज्यादा ध्यान दिया था, ब्लैक जीन्स, ग्रीन टॉप के सिंपल लुक से सजाया था अपने जिस्म को,
जानती थी मै बहुत खूब से कि आज क्या होगा, मै भी आज कामुकता के सागर मे गोते लगा रही थी,
समर मुझे ठीक मेट्रो स्टेशन के नीचे मिला, मुझे देखा और मुस्कुरा कर निगाह मेरे ऊपर डाली, जैसे कोई कसाई किसी बकरे को काटने से पहले देखता हो, और मै बकरी थी शायद आज उसके लिए,
उसकी आँखों मे साफ एक बेचैनी के साथ दृंढ़ता देखि जा सकती थी, वो जो एक इंसान मे तब आती है जब वो किसी निर्णय को पक्का कर चूका हो,
मै अच्छी तरह जानती थी दोस्तों कि वो आज किस मूड मे है, उसकी हलकी लाल आँखे अपने आप बयान कर रही थी कि वो मुझे किस रूप मे देखना चाहती है,
मेरे होठो पर जो मुस्कुराहट थी उसकी तरफ बढ़ते हुए, उस मुस्कुराहट को उसकी आँखे सिसकियों और दर्द भारी चीखो मे बदलना चाहती थी,
मैंने साफ नोटिस किया कि समर मेरी बूब्स को टॉप के ऊपर से ही लगातार घूर रहा था, मै थोड़ी झेंप गई कियुँकि यहां सब मुझे जानते थे,
ख़ास कर जूस वाले भैया जो मेट्रो के निचे जूस शॉप चलाते hai,
मैंने यहां वहाँ देखा कि कोई मुझे देख तो ना रहा तो जाना जूस वाले भैया और जूस शॉप पे खड़े कुछ लड़के मेरी और समर कि तरफ घूर रहे है
Ohh मै मन ही मन बुदबुदाई, आज ये मरवा ही देंगे मुझे, लगता है इनको शक हो गया है,
समर कि तरफ देखा तो वो बेवकूफ ठीक मेरी जांघो कि तरफ घूर रहा था, जैसे वो मेरी जांघो के अहसास और चिकनेपन का आँखो से ही अंदाजा लगा रहा हो
ओह्ह्ह पागल, मै फिर मन मे झझलाई, ये आज मुझे स्ट्रीट बिच बना कर छोड़ेगा
हाई मैंने समर को अविवादन किया कि जिससे उसका ध्यान मेरे अंगों से हटे और मै सबके सामने तमाशा ना बनु
हेलो अनीता.. मुस्कुराते हुए,, अनीता आज कुछ ख़ास ही लग रही हो,,, वो बोल पड़ा
हम्म मै मन मे सोचने लगी, आज ख़ास क्यों नहीं लगूंगी, आज तो मेरा लंच करेगा तू..
ये सोच कर मै खुद ही हंस पड़ी
ज्यादा चहक रही हो, आओ बैठो पीछे तुम्हारी चहकना बंद करता हूँ आज.. मेरे हसने पर समर ने मेरी आँखों मे देखकर कहा
मै क्या बोलती. बस चुपचाप बाइक के पीछे बैठ गई और बाइक हलके झटके से उड़ पड़ी ,
समर ने उत्तम नगर ईस्ट मेट्रो से पहले चौराहे पर ही बाइक रोक दी,
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो खुद बोल उठा, हलकी भूख है मुझे, मेरा साथ दोगी ?
मुझे साफ लग रहा था कि वो डबल मीनिंग लाइन बोल रहा है, उसकी भूख का साथ देने का मतलब मै जानती हूँ, उसके निचे पिसना................
जी जी बिलकुल समर ji
मेरे होठ से बस इतना ही निकला था, मुझे अच्छी तरह याद है
मेरी इस बात पर वो मेरी आँखों मे देखता हुआ बोला, क्या खाना चाहोगी? जो बोलो दे दूंगा..
फिर वही डबल मीनिंग लाइन.... मै इसका मतलब भी खूब समझती thhi
जी आप जो खिलाओ, खा लुंगी, मै मुस्कुराई ये बोल कर......
खाना मत सिर्फ चूसना...... वो ये शब्द बोलकर रुक गया, और मेरे चेहरे को ध्यान से देखने लगा, शायद वो मेरे रिएक्शन से अंदाजा लगा रहा था कि लोहा कितना गरम है
मै उसके इन शब्दों पर हड़बड़ा गई और निचे देखने लगी....
कुल्फी को खाने से मजा नहीं आता, चूस कर खाओ मेरा तो यही मानना है अनीता.. अपनी डबल मीनिंग बात को सही करते वो बोला /और मै उसकी तरफ देखते हुए शरम और शरारत से मुस्कुराने लगी..
आओ..... उसके कहने पर मै उसके पीछे चल पड़ी..
“हिमालय सागर “ यही नाम है उस रेस्टोरेंट का जो उत्तम नगर ईस्ट के चौराहे पर है.
अंदर जाकर एक कोने मे हम दोनों बैठ गए, Chowmin का आर्डर था हमारा, चोमिन खाते हुए समर ने पुछा अनीता ठीक तरीके से हम बहार कहीं बैठ भी नहीं पाते, जिसको देखो हमें ही घूरता रहता है, शायद हमारी उम्र के डिफ्रेंस कि वजह से , तुमको बुरा ना लगे तो किसी होटल मे चले, सिर्फ बैठेंगे और थोड़ी बातचीत करेंगे..
ये बोलकर समर मेरी और देखने लगा कि क्या जवाब होगा मेरा, मेरा पाना या खोना सिर्फ मेरे इस जवाब पर था,
आप बताओ मैंने हाँ बोला होगा या ना?
....
हुम्म्म हाँ दोस्तों मैंने कुछ नहीं बोला, ना हाँ और ना ही ना,
थोड़ी देर हम दोनों के बीच यूँ ही ख़ामोशी रही....
करीब 30 से 40 सेकंड,.... और फिर ना जाने क्यों मेरे लबो पर मुस्कुराहट आ गई, और शर्म से मेरा चेहरा झुक गया,
ये देख समर कि हिम्मत जरूर बडी होंगी और आशा भी, तभी तो उसने दोबारा पुछा...
अनीता प्लीज बोलों.. चले?
और मेरा सिर हलके से हाँ मे हिल गया /
समर के मुख से एक अजीब सी सिसकी साफ सुनी, जैसे उत्तेजना ने उसके दिमाग मे हिट किया हो,
उसकी नज़र सीधे मेरे टॉप के खुले गले के भीतर गई और टटोलती निगाहो के साथ बोला
गुड गर्ल... चल उठ, आजा जा जल्दी,
अचानक उसकी आवाज़ मे प्यार, झिझक, अपनेपन कि जगह एक वासना और आर्डर का भाव साफ नज़र आया,
मै ना जाने क्यों चुपचाप उठ खड़ी हुई, और........
शायद समर को यकीन नहीं था की में होटल के लिए मान जाउंगी ,
इसीलिए शायद समर के पास कोई होटल का नाम नहीं था ,
समर ने बाइक बस यूं ही सड़क पर दौड़ा दी ,
पश्चिम विहार की रोड पर ही "होटल वॉटरफॉल " नाम के होटल के आगे समर ने बाइक रोकी और अंदर चला गया ,
थोड़ी देर में समर बहार आया और बोला ' ये होटल दिल्ली स्टेट की आइडेंटिटी पर रूम नहीं देता ,
मुझे बड़ा अजीब लगा " पागल है ये क्या ? इसको पता नहीं की दिल्ली में दिल्ली की आइडेंटिटी पर रूम नहीं मिलता ।
मुझे मालूम था कि OYO में रूम मिल जाता है ,
वो दोस्तों बात ये है कि मैंने एक - दो राते गुज़री है oyo रूम में अपने बॉय फ्रेंड के साथ , तो मैं इस बारे में जानती हूँ ,
मगर समर को ये बताना कि oyo में रूम मिल जायेगा , समर के आगे मेरी रेपुटेशन नीची कर सकती है ,
मैंने मन ही मन सोचा , esko खुद करने दो ,