UPDATE-4
फिर समर विकासपुरी पीवीआर पर स्थित CHANSON GRAND WESTEND होटल पर पहुंचा , उसके कहने पर मुझे भी अंदर जाना पड़ा मगर बात नहीं बनी ,
फिर मैंने धीरे से कहा ' रहने दो अगर मुश्किल हो रही है , बात ही तो करनी है , पार्क में कर लेंगे,
समर ने बड़ी बेचैनी से मुझे देखा , उसके चेहरे से साफ़ लग रहा था कि वो पार्क के लिए मान जायेगा मगर ये भी साफ़ था कि आज वो जो करेगा उसके लिए पार्क ठीक नहीं ,
मैंने एकदम से बात बदल दी , oyo के बारे में डायरेक्ट न बोलकर ,मैंने बस इतना बोला कि मेरी एक फ्रेंड बता रही थी कि करोल बाग में रूम मिल जाता है , ऑनलाइन भी बुक हो जाता है
समर ने मेरी तरफ देखा और बोला ऑनलाइन छोड़ - चल चलते है , तेरी फ्रेंड किसके साथ जाती है वहां ?
मैं क्या बताती कि फ्रेंड नहीं मैं गई हूँ वहां
अचानक एकदम से एक ख़याल आया मेरे मन में कहीं ये उसी होटल में न चले जाये जहां में पहले गई गई थी ।
मगर फिर सोचा करोल बाग बड़ा इलाका है , कई होटल्स है , कोई चांस नहीं वही जाये ये ,,,,
समर कि बेचैनी और रूम में मुझे ले जाने का जानूं मैं समझ प् रही थी ,
बाइक कि स्पीड जरूरत से ज्यादा तेज थी , मैं चिपक कर बैठ गई समर से ,
समर ने मुझे हल्का सा पीछे सिरघुमा कर देखा और मैंने साफ़ देखा उसकी आँखें लाल हो रही थी ,
कुछ ज्यादा लाल , चेहरे पर भी लालपन ज्यादा था , मैं चुपचाप उसको देखती रही ,
बस मन में कुछ ख्याल आ रहे थे , कि क्या ये सब उचित है
पता नहीं कब करोल बाग में समर ने बाइक पहुंचा दी
करोल बाग के मेट्रो कि पार्किंग में समर ने बाइक खड़ी कि और मुझे ले अंदर सड़क पर चल दिया ,
कोई बातचीत नहीं , अब कोई व्यवहारिक बाते नहीं , बस एक ही चीज़ समर के दिमाग में थी ,,,, रूम
वो रूम जहां वो मुझसे कुछ बातें करना चाहता था
वो बातें जिसका अंत क्या होगा मैं जानती थी , मेरे अंदर अब कुछ अजीब सा चल रहा था , उसका अजीब सा वयवहार मुझे परेशान कर रहा था , अजीब है ये आदमी ,पागल है क्या , अब कोई मुस्कराहट नहीं , अब कोई ऐसी बात नहीं जिससे लगे कि मैं ख़ास हूँ उसके लिए ,,
मैं जानवर या खिलौना तो नहीं जो बिना अहसास या बिना मुझे ये बताये कि मैं कितनी ख़ास हूँ उसके लिए वो पा लेगा मुझे ,
ये सोच हे रही थी कि हमारे सामने President होटल आया और समर मेरा हाथ पकड़ उसमे घुस गया , मगर वहां भी बात नहीं बनी ।
लेकिन उस होटल के रेप्सनिस्ट ने इशारे में बता दिया कि दो होटल आगे जो होटल है वहां आप try करलो ,
समर ने थैंक्यू बोलकर उस तरफ चल दिया , अब मैं चाहती थी कि समर को बोल दू प्लीज आज नहीं , आज कोई काम याद आ गया है ,
मगर जब तक हिम्मत करती मैं उस होटल के सामने थी ,
मैं मन में सोच रही थी कि क्या हो गया यही मुझे मैं इसको मना क्यों नहीं कर पा रही , सच बताऊ इतने होटल के चककर से मैं खुद भी थक गई थी ,
अब सच में मुझसे कुछ नहीं हो पायेगा
समर जी - मैंने धीरे के कहा
रूम मिलेगा ? समर कि आवाज़ में मेरी आवाज़ दब गई ,
रिसेप्शन पर जो एक आदमी था उसने समर को देखा मुझे देखा , हमारे हाथ में कोई बैग नहीं था , समर के चेहरे का लाल रंग और लाल आँखों
में वो सब कुछ समझ गया ,
कहाँ से हो आप - उसने सीधे पुछा
दिल्ली से ही है - समर का जवाब था
वो हम दिल्ली आइडेंटिटी पर रूम नहीं देते
उसने समर को देखते हुए बोला
शायद उसको लग रहा था कि समर मुझे फुसला कर लाया है सो इंसानियत के नाते बोल दिया होगा
मेरी तरफ देखकर बोला - मैडम जी आप भी दिल्ली से हो ?
उसकी बात काटते हुए समर ने बोला ,, देख लो आप - जो चार्ज हो उससे ज्यादा दे दूंगा ।
वो रेसपनिस्ट ने फिर मेरी तरफ देखा , तो न जाने क्यों मेरे मुँह से निकल पड़ा ,
देख लो भैया जी अगर हो जाये तो कर दो , ,, अंदर से मुझे पता था रूम नहीं मिएगा , oyo में मिल सकता है मगर ये बेवकूफ है
न जाने क्यों क्या सोचकर - मुझे जो सुनाई दिया वो सुनकर में चौंक गई
2500 का रूम होगा सर, आइये देख लीजिये
uffffffffffff ये क्या ? मैने अपना माथा पीट लिया ,
समर ने मुझे देखा ,जैसे कोई तीर मार लिया हो
मै मुस्कुराई , और बदले में समर ने अपनी एक आँख दबा दी ,
( मै इस होटल का नाम नहीं लिख रही , आप लोग समझ सकते हो कि उस होटल का अब नाम लिखना ठीक नहीं , इससे होटल बदनाम हो सकता है )
रूम ठीक था , समर ने मुझे रूम में बैठा कर बुकिंग रजिस्टर और पेमेंट के लिए चला गया ,
करीब २० मिनट बाद समर आया ,
मेरे कुछ पूछने से पहले ही वो बोल उठा , मार्किट गया था कुछ लेना था ,
मै समझ गई शायद कंडोम ही होगा
समर कि आखें जरुरत से ज्यादा लाल थी , मैंने इतनी लाल नहीं देखि कभी उसकी आँखें और सेक्स फीलिंग में भी इतनी नहीं हो सकती ,,,
दरवाजा बंद हुआ ।।।
मै बड पर थी , समर दरवाजे के पास खड़ा मुझे अब घूर रहा था,
अब उसका घूरना ऐसा था जैसे उसने कोई psycho इंसान किसी को घूरता हो,
होठ थोड़े से भींचे और हलके खींचे थे , ऊपर से निचे कि और वो मुझे घूर रहा था ,
और न जाने क्यों अब मुझे ये उसका घूरना सिरहन के साथ एक new सी फीलिंग दे रहा था ,,,
करीब 30 से 40 सेकण्ड्स लगातार मुझे वो घूरता रहा फिर मेरे सामने सोफे पे बैठ गया, अब भी मुझे वो घूर रहा था,
अक्सर सेक्स के दौरान लड़के इस समय हसी और थोड़ा मजाक मे माहौल को हल्का बनाते हुए सेक्स कि शुरुआत करते है,
जिससे मुझे अजीब ना लगे और मैं उनका पूरा साथ दू,
मगर यहां समर का वयवहार अजीब सा था, लग रहा था समर के भीतर कुछ चल रहा है,
शायद वो खुद अपने को एडजस्ट ना कर पा रहा हो,, अपने से आधी उम्र कि लड़की के साथ इस समय,,,
मै बेड पर बैठी यहां वहाँ देखने लगी,
जैसा कि हम अक्सर करते है किसी नई जगह जाने पर,
मै उसकी ओर देखकर थोड़ा मुस्कुराई, कि माहौल हल्का हो,
मगर समर पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा,
उसकी जवाब मे कुछ ऐसी मुस्कुराहट थी कि जैसे पूछ रहा हो, अब बता क्या करेगी,
ये सब उसकी आँखों, सिर के हलके से निचे से ऊपर कि तरफ झटके से थोड़ा हिलने
और खिची सी मुस्कराहट इन सबने मिलकर ऐसा आभास दिया मुझे कि मेरी आँखें नीची हो गई,
सही बोल रही यही वो वक़्त था जिसमे मुझे गिल्टी का अहसास हुआ कि जैसे मै कोई बस एक वस्तु हूँ,
जो फसा कर लाई गई हूँ, जिसका उपभोग कोई भी कर सकता है
मै ना जाने क्यों अपने पैरो कि तरफ देखने लगी ओर मन मे खुद पर गुस्सा आ रहा था
हर उस बात पर ओर हर उस मेरी हाँ पर जिसके कारण आज मे इस रूम मे इस पागल के साथ थी l
कल तक समर कितना हसमुख, मिलनसार और समझदार इंसान सा था,
और आज सच बताऊ यहां लिखना नहीं चाहती कियुँकि जिंदगी के कुछ पल उसके साथ कटे है,
मेरी जिंदगी का वो एक हिस्सा रहा है,
मगर सच बोल रही हूँ इस वक़्त समर मुझे बिलकुल चुतिया सा लग रहा था,
हद है अगर मन मे कुछ है तो बताओ, बात करने से हर चीज का हल निकलेगा,
सेक्स करना है तो ठीक से शुरू करो,
मैं कोई callgirl तो नहीं जिसको इस तरह ,,,,,,,,,,,,,,,,,
सच बताऊ उस वक़्त मन बोल रहा था, चल उठ और निकल यहां से
बाथरूम का दरवाजा मेरी निगाह से टकराया तो मै बाथरूम कि तरफ उठ कर चल दी,
दरवाजा खोला और अंदर,
मै साफ महसूस कर रही थी समर मेरे हिप्स को घूर रहा है अब.....
(दोस्तों मैंने २ या ३ बार पहले पुछा है आप लोगो से की मैंअपने या किसी के गुप्त अंगो को सिंपल हिप्स, बूब्स या पुसी लिखकर प्रस्तुत करू, या फिर डर्टी वे में लिखू ?
तो 10 में से 9 का कहना है कि मुझे इंसान के गुप्त अंगो को डर्टी वे में लिखना चाहिए ,
मेरे लिए ये आसान नहीं , मुझे डर्टी शब्द पड़ने या सुनने कि आदत है मगर खुद ज्यादा बोलने लिखने में इस्तमाल नहीं कर पाती,
मगर कोशिश कर रही हूँ कि आपकी डिजायर और आपके ऑर्डर्स को फॉलो करू ,
अगर गलती हो तो प्लीज माफ़ करना )
मैं बाथरूम के अंदर गई और जीन के खोलते समय समर पर और मेरी इच्छा और अनिच्छा पर ध्यान था ,
और हो गई गलती ,
यूरिन करते (मेरा मतलब पेशाब ) "जैसा आपने कहा डर्टी वर्ड्स इस्तमाल कर रही हूँ ''
हम्म ,,,,,,तो पेशाब करते समय जीन्स ठीक से नीचे नहीं हो पाई थी , और उत्तर में पेशाब कि कुछ बूंदे पैंटी पर गिर गई ,
सच तो ये है कि पैंटी भीग गई थी ,
अजीब मुसीबत है (ये सच में हुआ था ) मैं धीरे से बड़बड़ाई ,
क्या मुसीबत है , शिट शिट ।।
और मैं यु ही बैठ गई ,
फिर पैंटी पूरी उतारी अपनी टांगो से,
उस पैंटी को न चाहते हुए भी टिश्यू पेपर में लपेटा और कोने में डाल दी ,
सामने शीशे में खुद को टॉप और निचे पूरी तरह से नंग अवस्था में देखकर मैं खुद ही शरमा गई ।
न चाहते हुए भी एक हलकी मुस्कराहट निकल ही आई मेरे होठो के बीच न जाने कहाँ से ।
अब मुझे अपनी टांगो के बीच ,
ठीक मेरी चूत के बीच लाइन में ,
जहां हलके गुलाबी रंग के दो नन्ही दीवारों ने मेरे छेद को ढक रखा है ,
वहां हलकी सी सिरहन , जैसे कई चीटियां एक दम से चल रही हो ,का मीठा अहसास ,
और मैंने साफ़ महसूस किया कि मेरी सांसो ने अचानक बगावत कर दी ,
साँसे तेज हो उठी , कि मेरे बूब्स अब कुछ ज्यादा ही तेजी से ऊपर निचे हो रहे थे ।
मेरी मुट्ठिया न जाने क्यों खुद ही भींच दी मेरी नसों ने , और मेरे होठ धीरे से खुले ,
और दांतो ने मेरा निचला होठ कोने से लेकर अपने भीतर बीच में दबा लिया ,,,,,
अहह ,, हलकी कसमसाहट और हल्की कराह ।।।आँखे धीरे से बंद होने लगी और अब,,,