ससुराल की नयी दिशा
अध्याय 32 : दिशा का लव
अब तक:
रागिनी और लव को लेकर महेश की संतानें घर पहुंची. आज रात के लिए रागिनी और लव के आने के बाद सबके गुट बन गए थे.
अब आगे:
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ललिता अपने परिवार के सदस्यों की स्मृतियों को सहेजना चाहती थी. इसके हेतु वो एक वीडियो कैमरा लेकर उन सबके बीच चल रहे व्यभिचार को रिकॉर्ड करने के लिए चल देती है. दिशा आज लव के साथ अपने भाई बहन के प्रेम को एक नई दिशा देना चाहती थी.
वहीँ रागिनी को महेश, भानु और अमोल ने घेरा हुआ था. परन्तु माधवी ने भी जाकर अपना अधिकार जमा लिया.
सरिता ने आज गांड में अपने नातियों रितेश और जयेश के लौड़े एक साथ लेने का निर्णय लिया था. पंखुड़ी को इसका पता नहीं था, पर नलिनी के अनुभव के कारण सरिता ने उसे विशेष आमंत्रण दिया था. नलिनी को अनजाने ही सरिता के मूत्र प्रेम के बारे में भी पता लग गया था.
अविका अपनी नन्द संध्या के बेटों अंकुर और पराग से एक साथ चुदने के लिए उत्सुक थी.
संध्या अपनी बहू रिया के साथ आज देवेश, अनुज और अनिल के लौडों का आनंद लेने वाली थी.
पुरानी सहेलियाँ काव्या और पल्ल्वी आज यश और सत्या के साथ चुदाई करने वाली थीं.
और इस सबकी प्रत्यक्ष ललिता बनने वाली थी.
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दिशा:
दिशा बाथरूम में गई और लव ने लपक कर एक बियर निकाली और एक ही घूँट में डकार गया. फिर उसने एक और बियर निकाली और मासूम बनते हुए उसे घूँट घूँट पीने लगा. दिशा नहाकर आई तो उसने लव को बियर पीते देखा. वो मुस्कुराई कि इसे हो न हो घबराहट हो रही है. अपनी माँ और मौसी को चोदने के बाद उसे क्या चिंता थी ये तो वही जानता होगा. लव ने दिशा को मात्र एक तौलिए में देखा जो उसके घुटनों के ऊपर ही रुक गया था. दिशा के इस रूप ने उसे चकित कर दिया और वो पलक झपकना भी भूल गया. दिशा उसके पास आई और बियर के कैन से दो घूँट लिए.
“दी, आप बहुत बहुत सुंदर हो. उस दिशा से भी अधिक.” वो हकलाते हुए बोला।
“अच्छा बच्चू! और किस दिशा को जानता है तू?” दो घूँट और लेकर बियर लव को थमाते हुए दिशा ने पूछा.
“दिशा, दिशा पाटनी!” लव ने उत्तर दिया.
“कौन वो फिल्म वाली?” दिशा ने पूछा.
“हाँ, वही. वो तो आपके पैरों की धूल भी नहीं है.”
“अरे तेरी दीदी हूँ, इसीलिए तू ऐसा कह रहा है. जिस दिन उसके सामने जायेगा मुझे भूल जायेगा.”
“नहीं दी. मैं सच कह रहा हूँ.”
“अच्छा चल झूठा. अब जाकर नहा ले. तब बातें करेंगे.”
“बातें?” लव ने पूछा.
“वो भी जिसके लिए तू इतना लालायित होकर लंड खड़ा किये घूम रहा है.”
लव ने अपने लंड की ओर देखा तो उसकी पैंट के तम्बू ने दिशा की बात का कारण बता दिया.
“अब इतनी सुंदर दीदी हो और उसे चोदने वाला हूँ तो खड़ा तो होगा ही न, दी.”
“चल अब मक्खन मत लगा और नहाकर आजा फटाफट.”
लव बाथरूम में कब घुसा और निकला इसका अनुमान असम्भव है क्योंकि वो कुछ ही क्षणों में गीले शरीर को पोंछते हुए तौलिए में बाहर निकल आया. दिशा ने लव को अपने पास बुलाया. और जैसे ही वो पास पहुँचा तो अपने तौलिये को एक हल्के झटके के साथ खोल दिया. अब दिशा लव के सामने नँगी खड़ी थी और लव के चेहरे के भावों को देख रही थी. और उसने जो देखा उससे उसे प्रसन्नता हुई. लव ने भी अपने तौलिए को हटा दिया और दिशा को उसके लंड को देखकर संतुष्टि हुई. अब ये लंड उसकी माँ और मौसी की चुदाई करता था तो कम तो होने का प्रश्न ही नहीं था.
“और बियर पीनी है?” दिशा ने उसे बियर थमाते हुए पूछा. लव ने दो तीन घूँट एक साथ लिए.
“अब जाकर फ्रिज में जो खाली कैन छोड़ा है उसे कचड़े में डाल दे.” दिशा मुस्कुराते हुए बोली.
“दी, वो…”
“कोई बात नहीं, माई लव. पर अब और नहीं. बीच में पिएंगे. तेरे जीजाजी रखकर गए हैं पर्याप्त मात्रा में.”
लव ने वही किया और जब वो मुड़ा तो दिशा से जा टकराया जो ठीक उसके पीछे थी. दिशा ने उसे पकड़ा और फिर तो मानो एक बिजली सी कौंधी और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. वर्षों का आकर्षण जो था. दिशा उसके चेहरे को चूमती और जब वो थमती तो लव उसके चेहरे को चूमने लगता. दिशा ने लव के नितम्बों को पकड़ा हुआ था तो लव ने भी दिशा के नितम्ब जकड़े हुए थे.
“चल” दिशा बोली. वो बिस्तर की ओर जा रही थी. वो जाकर बैठी और लव को सामने खड़ा कर लिया. उसके लंड को हाथों में लेकर देखती रही और फिर उसके टोपे को चाटा। फिर इस प्रक्रिया में लंड पर उसकी जीभ चलने लगी. कुछ देर लंड को बाहर से चाटकर दिशा ने उसे अपने मुंह में ले लिया और चूसने में जुट गई.
कुछ देर चूसने के बाद दिशा ने उसके लंड को मुंह से निकाला.
“अब तू छोटा नहीं है. बड़ा हो गया है हर अर्थ में. माँ और मौसी क्यों तुझसे चुदती हैं मैं अब समझ सकती हूँ.”
“जीजाजी?”
“एक बात समझ लेना लव, परिवार में हम किसी भी प्रकार का तुलना नहीं करते. वो वो हैं, और तुम तुम. और यही हम सबके लिए उपयुक्त है. अगर तू नानियों की तुलना काव्या से करने लगेगा तो तुझे अधिक समय तक इस परिवार में रहने का आनंद नहीं मिलेगा. हम सब एक दूसरे से भिन्न है, और यही इस प्रकार की जीवन शैली का आनंद भी है.”
फिर लव को देखते हुए बोली, “क्या तुझे पता है कि सरिता नानी बीएस दो तीन वर्ष पहले तक इस विषय में सोचा भी नहीं करती थीं. पर आज नानी बिना चुदे एक रात भी नहीं रहतीं. सम्भवतः पंखुड़ी नानी की जीवन कथा भी ऐसी ही कुछ है, इसमें तेरी भाभी रिया और उसकी मम्मी का बहुत योगदान है. पर यही जीवन है. जैसे चाहो जी सकते हो. देख न अविका मामी के भाई उनसे इसी कारण सात वर्ष दूर रहे. आज दोनों उस समय को लौटा ही नहीं सकते. अनुज और अंकुर के विवाह तक में नहीं मिले.”
“इसीलिए, भेदभाव मत करना. न स्वयं को श्रेष्ठ समझने का प्रयास करना, न किसी दूसरे को क्षीण. समझा.”
“जी दीदी, सॉरी। पर मैं कुछ और ही पूछ रहा था.”
“क्या?”
“क्या आपको जीजाजी का अन्य स्त्रियों को चोदना बुरा नहीं लगता? आपको पता है न, कल रात वो किसी और महिला के साथ थे.”
“तो क्या हुआ? मैं भी तो यहाँ कोरी नहीं बैठी थी. पापा और मामा ने मुझे रात में कई बार चोदा था. अब ये बकवास बंद कर.”
“दीदी. क्या मेरी पत्नी भी ऐसी हो सकती है?”
“क्या पता. जब वहाँ पहुंचेगे तब देखेंगे.” ये कहते हुए दिशा ने फिर से उसके लंड को मुंह में ले लिया. कोई पाँच मिनट के बाद ही उसने लंड को निकाला और फिर बिस्तर पर पसर गई.
“देखूँ तुझे चूत चाटने का कितना ज्ञान है. माँ और मौसी ने क्या क्या सिखाया है तुझे?”
लव इस कला का बहुत बड़ा विशेषज्ञ तो नहीं था परन्तु जो वो अनुभव में पिछड़ा था उसे वो अपनी उमंग और उत्साह से अवश्य पूरा करने में सक्षम था. और फिर वो चूत भी किसी और की नहीं बल्कि उसकी अपनी दिशा दी की जो थी. तो लव ने अपने मुंह और जीभ का भरपूर उपयोग किया और दिशा भी उसके इस परिश्रम से कुछ ही समय में पहली बार झड़ी. लव ने अपने मुंह को हटाने का प्रयास तक नहीं किया. बल्कि उस रस की हर बून्द को पीकर दिशा की ओर देखा. लव के अपने यौनरस से भीगे मुंह को देखकर दिशा के मन में उसके लिए प्यार उमड़ पड़ा.
परन्तु लव ने तो अभी केवल प्रारम्भ ही किया था. उसे ये भी सिद्ध करना था कि उसकी माँ और मौसी का प्रशिक्षण व्यर्थ नहीं था. कुछ देर तक और चूत को चाटने के बाद लव दिशा की गांड की ओर अग्रसर हुआ. उसकी पैनी जीभ ने दिशा की गांड को छेड़ने में कोई कोताही नहीं की. और इसके फलस्वरूप, दिशा की गांड भी स्वतः ही खुल गई और उसने लव की जीभ को प्रवेश करने की अनुमति दे ही दी.
दिशा अपने छोटे और कुछ दिनों तक नादान भाई के उत्साह पर गर्वित हो गई. उसे विश्वास हो गया कि परिवार की अन्य स्त्रियाँ न केवल उसके अनुभव और निपुणता में बढ़ोत्तरी करेंगी, बल्कि उसके इस उत्साह का भी आनंद लेने में पीछे नहीं रहेंगी. दिशा ने अपने पैरों को ऊपर उठाकर अपनी गांड को और खोला और लव ने इसका भरपूर लाभ उठाते हुए उसकी गांड के अंदर जीभ डालकर उसे चाटने का कार्यक्रम आगे बढ़ा दिया.
“ऊह, लव. उउउह लव. बहुत अच्छा लग रहा है रे. रुकना मत. बहुत अच्छा लग रहा है.” दिशा ने सिसकारियाँ लेते हुए कहा.
अब लव को तो रोकना वैसे भी अब सम्भव न था. उसे इस क्रीड़ा में आशा आनंद मिल रहा था. उसने अपनी उँगलियों से दिशा की चूत को मसलना आरम्भ किया और फिर भग्नाशे को छेद दिया.
“उई माँ, मर गई!” दिशा की चूत से ढेर सारा रस निकला और लव के माथे को भिगो दिया. “उई माँ, उई माँ, उई माँ.”
“मौसी नहीं हैं इधर दी.” लव ने अपनी सफलता पर गर्व करते हुए कहा. “वो भी आपके जैसे ही चिल्लाती हैं, ऐसा करता हूँ तो.”
“और मेरी मौसी?”
“वो भी.” ये कहकर लव फिर से अपने कार्य में लिप्त हो गया. दिशा की गांड और चूत में अब खुजली सी होने लगी, जो केवल लौड़े से ही मिट सकती थी. पर दुविधा ये थी कि पहले कहाँ की खुजली मिटाई जाये. इसका समाधान भी लव ने ही किया.
“दीदी, अब आपको चोद सकता हूँ क्या?”
“हुह, हाँ हाँ.”
तो लव ने अपने सर को हटाया और फिर सही स्थिति में आकर, दिशा की चूत पर लंड रगड़ने लगा. दिशा ने एक गहरी साँस भरी.
“अपनी दीदी को चोदेगा, तुझे शर्म नहीं आएगी?”
“जब दीदी को नहीं आती है, तो मुझे क्यों आने लगी?” ये कहते ही लव के लंड अपना आशय दर्शाया और लव ने बिना हिचके एक अच्छे से धक्के से साथ लंड को दिशा की चूत में धकेल दिया.
“आह, आह.” दिशा कराही, पर इसमें कोई पीड़ा नहीं थी, बस आनंद ही था. अगले दो धक्कों में लव के लंड ने दिशा की चूत में अपना राज्य स्थापित कर लिया.
दोनों भाई बहन, रुके हुए साँसे संभाल रहे थे. ये पहला मिलन जो था और इसका अनुभव जीवन पर्यन्त उन्हें स्मरण रहना चाहिए थे. लव के लंड की धड़कन दिशा अपनी चूत में अनुभव कर रही थी. वहीँ लव को भी दिशा की चूत के संकुचन का आभास हो रहा था. कुछ देर तक यूँ ही रहने के बाद लव आगे झुका और दिशा के होंठ चूमने लगा. दिशा ने भी उसका पूरा साथ दिया.
दोनों एक दूसरे को बहुत देर तक यूँ ही चूमते रहे. फिर लव ने अपने कूल्हे हिलाने आरम्भ किये और उसके लंड ने दिशा की चूत में अपना कार्यक्रम आरम्भ कर दिया. कुछ देर तक हल्के हल्के धक्कों के बाद उसने धीरे धीरे गति पकड़ी और थोड़ी ही देर में एक अच्छी गति के साथ वो दिशा को चोदने लगा. दिशा भी उन्माद में उसकी इस चुदाई से आनंदित हो रही थी. उसने भी अपने कूल्हे उछालते हुए लव के धक्कों का उत्तर देना आरम्भ कर दिया. अब कमरे में एक संगीत बजने लगा, जिसमे शरीर के थपेड़ों और दोनों प्रेमियों के आनंदमयी स्वर एक नई राग को जन्म दे रहे थे.
दोनों इसी प्रकार से एक ही आसन में अनिश्चित काल तक चुदाई करते रहे. संगीत में अब छप छप की ध्वनि भी जुड़ गई थी, जो दिशा की चूत के रस से भरपूर होने के संकेत दे रही थी. लव एक नवयुवक था और उसकी चुदाई की क्षमता इस आयु के लड़कों के अनुसार ही थी. थकने का तो प्रश्न नहीं था. दिशा भी इस अनवरत चुदाई से अब तक कई बार झड़ चुकी थी. पर वो भी अभी पूर्ण रूप से क्षितिज तक नहीं पहुँची थी. लव के घमासान धक्के अब एक मशीनी रूप ले चुके थे. उसका शरीर और लंड एक पिस्टन के समान तीव्र गति से अपनी दीदी की चूत में तांडव मचाये हुए थे.
दिशा को अंततः उस शिखर का आभास हुआ, जिसे वो कई बार पाकर लौटी थी. उसके शरीर के कम्पन और अकड़न से अब लव को भी समझ आ ही गया कि उसकी दीदी अब अपने अंतिम पड़ाव तक पहुंच चुकी है. उसने अब जितना उससे सम्भव था गति और शक्ति को एकत्रित किया और उसे दिशा को उसके चरम पर ले जाने का प्रयास किया.
दिशा का शरीर अब अकड़ चुका था, उसके कूल्हों ने गतिविधि बंद कर दी थी. उसके शरीर का कम्पन अब बढ़ गया था. एक चीख के साथ, जो सम्भवतः घर के दूसरे कोनों में भी सुनाई दी होगी वो झड़ गई. लव ने भी अब अपनी गति को नियंत्रित किया पर वो झड़ने से स्वयं को रोक न पाया. दोनों एक दूसरे के ऊपर लेटे हुए हाँफते हुए एक दूसरे को फिर से चूमने लगे.
दोनों ने ऑंखें खोलीं तो देखा कि वे अकेले नहीं थे. उनके निकट ही ललिता खड़ी थीं और उनके हाथ में एक कैमरा था.
“मम्मीजी!” दिशा ने अचरज से कहा, “आप?”
“ओह! तुम क्या सोची थीं कि भाई बहन के इस पहले मिलन को मैं देखे बिना रह जाऊँगी? मैंने तो इसे भविष्य के लिए भी संजो लिया है. वैसे दिशा तेरे भाई में सच में बहुत शक्ति है. पर अभी मैं चलती हूँ, और भी कमरे हैं जिनमे भी ऐसी ही स्मृतियाँ बनाई जा रही हैं. तुम्हारी मौसी और लव की माँ के पास जा रही हूँ. पर मैं फिर लौटूंगी.”
ये कहते हुए ललिता चली गई.
“दीदी, ये क्या हुआ?”
“मम्मीजी की यही योजना होगी. अच्छा है. पर अब मैं सोच रही हूँ कि तुझसे गांड मरवाने के लिए उनके लौटने की प्रतीक्षा करना ठीक होगा.”
“इतनी देर!”
“क्यों, मेरी चूत से तेरा मन एक एक बार ही में भर गया?”
“ओह दीदी. बस कुछ ही देर में, पर इस बार प्लीज़ घोड़ी बनाकर चोदुँगा।”
“ठीक है, पर अभी पहले मैं बाथरूम होकर आती हूँ.” दिशा ने उठते हुए कहा और चली गई.
अब हम भी इनके पास ललिता के साथ ही लौटेंगे. तब तक लव की माँ क्या खेल खेल रही है वो देखते हैं.
क्रमशः