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Incest ससुराल की नयी दिशा

prkin

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gkapil

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Desha aur lov ke sambhog ki story bahut hot thi.love ki sadi muslim family me karai Jay es per vichar kariyga
 

prkin

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prkin

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Desha aur lov ke sambhog ki story bahut hot thi.love ki sadi muslim family me karai Jay es per vichar kariyga

Vichar chal raha hai. Par luv hoga ya koi aur iska pata nahin.
 
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prkin

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Ek Update aaj raat bhi ayega.
 
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ससुराल की नयी दिशा
अध्याय 33 : रागिनी का नया राग

*********

रागिनी और माधवी:


रागिनी जब नहाकर लौटी तब तक महेश ने भानु और अमोल को रात्रि की योजना समझा दी थी. दोनों उत्साहित थे और आज की रात की चुदाई के लिए उत्सुक भी. तभी माधवी ने लहराते हुए कमरे में प्रवेश किया. उसने सबकी ओर देखा और मुस्कराते हुए गांड मटकाते हुए बाथरूम में घुस गई. और फिर लौटी तो उसके शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं था.
अमोल: “ये बहुत चुड़क्कड़ है, सारी रात चुदने की क्षमता है इसमें.”
रागिनी का मुंह ये सुनकर उतर गया.
महेश: “तुमने अब तक रागिनी के उस स्वरूप को नहीं देखा है. मेरी जवानी में भी हम तीन मित्रों को रात भर में निचोड़ कर रख दी थी. और सुबह जाने के पहले एक बार फिर से चुदवाकर ही गई थी. हम तो दोपहर तक सोते रहे थे. और ललिता भी इतना हो चुड़क्कड़ है. तो आज रात हम तीनों को गहन परीक्षा है. मेरे विचार से हमें इसके लिए कुछ लेना होगा.”
ये कहते हुए महेश अपनी अलमारी में से नीले रंग की छह गोलियाँ ले आया.
“वायग्रा है, एक अभी खाओ, फिर एक बाद में एक घंटे बाद. अगर आवश्यकता हो तो. पर इन दोनों के साथ बिना इसके बचना सम्भव नहीं.”
तीनों ने एक एक गोली खाई. अभी इसका प्रभाव होने में आधा घंटा लगने वाला था और इतना समय तो था. माधवी वहीं खड़ी ये सब देख रही थी. उसे ये अच्छा लगा कि उसकी प्रशंसा हुई. हालाँकि रागिनी की क्षमता सुनकर उसे कुछ ईर्ष्या हुई. पर आज की रात इसके विषय में सोचने का नहीं था.
माधवी आगे आई और अमोल की गोद में बैठ गई. उसे चूमते हुए वो अमोल को उत्तेजित करने लगी और सफल भी हो गई. महेश ये देख रहा था और रागिनी के चेहरे के भावों को भी पढ़ रहा था. रागिनी को माधवी का ये व्यवहार रास नहीं आ रहा था. अमोल के साथ कुछ समय यूँ ही प्रेमालाप करने के बाद माधवी उठी, अमोल के लंड को मुट्ठी में लेकर दबाया और इस बार भानु की गोद में जाकर यही खेल करने लगी. महेश ने रागिनी को देखा और उनकी ऑंखें मिलीं. महेश ने एक मूक संकेत से रागिनी को समझाया कि वो चिंतित न हो. रागिनी के चेहरे से तनाव दूर हो गया.
भानु के साथ भी माधवी ने वही किया और जब वो महेश के पास पहुंची और उसकी गोद में बैठी तो महेश ने उसे चूमने का अवसर ही नहीं दिया. बल्कि उसके हाथों को पकड़ लिया.
“माधवी जी. आप हमारी अतिथि हैं. परन्तु कुछ मर्यादाएँ हैं जिन्हें आप लाँघ रही हैं. आप जानती हैं कि आज रागिनी पहली बार हमारे घर में आई हैं और हम तीनों ने उनका साथ चाहा था और वो मिला भी था. उनकी कुछ आशाएँ हैं आज की रात से. आप आई हैं तो आपका स्वागत है, परन्तु, बुरा न मानें तो ये रात उनके ही नाम है. रागिनी ने हमारे सारे निर्देशों को मानने की स्वीकृति दी है. केवल उस अवस्था में जब उन्हें कोई कष्ट या असहजता होगी वो हमें रोक सकती हैं.”
“जैसा मैंने कहा कि आपका भी स्वागत है. परन्तु मेरी ये प्रस्ताव है कि इसके लिए आपको हम चारों के निर्देशों का पालन करना होगा. मुख्यतः रागिनी की. हमारे निर्देशों को रागिनी चाहे तो आपको मानने से रोक सकती हैं. पर हम उनके निर्देशों को नहीं ठुकरा सकते. अगर वो आपको निर्देश देने की स्थिति में न हों, तो आपको हमारी बात माननी ही होगी.”
“उनका सुरक्षा का कोड है तीन बार दिशा का नाम लेना. आपका तीन बार रिया का नाम होगा. परन्तु आप हमारी किसी भी माँग या अनुरोध को ठुकरा नहीं सकती हैं.”
इस बार महेश ने माधवी के हाथों को छोड़ दिया.
“अगर आपको ये स्वीकृत है तो बताएं और क्रीड़ा में सम्मिलित हो जाएँ. अन्यथा आप हम सबके खेल को देख सकती हैं.”
माधवी समझ गई कि उसने बड़ी भूल कर दी है. और अपनी स्वीकृति न देकर वो स्थिति को और गंभीर बना सकती है. वैसे उसे नहीं लगता था कि ये तीनों ऐसा कुछ करने की इच्छा रखते हैं जो उसके लिए असहनीय सिद्ध होगा.
“मुझे स्वीकार है. मैं रागिनी से अपने व्यवहार के लिए क्षमा भी माँगती हूँ.” ये कहते हुए उसने रागिनी की ओर मुड़कर हाथ जोड़ दिए.
“इसकी आवश्यकता नहीं है. पर अब आपको, नहीं आज के लिए आप नहीं तुम, तुमको मेरी हर बात माननी है. ये भी अच्छा ही हुआ. अब मेरी भी सुनने वाला कोई होगा.” ये कहते हुए वो हंस पड़ी.
महेश ने माधवी के होंठ चूमे।
“अब जाओ और रागिनी से पूछो कि वो क्या चाहती हैं. और हाँ, जब तक आज्ञा न हो, अपना मुंह बंद ही रखना.”
माधवी उठी और रागिनी के सामने घुटनों के बल बैठ गई. रागिनी को विश्वास नहीं हो रहा था कि जिससे वो आज कुछ ही समय पहले मिली थी वो आज उसके चरणों में उसकी दया पर आश्रित थी. पर आज उसे एक और आभास भी ही रहा था. अब तक चाहे नलिनी हो या अन्य कोई, उसे सदा ही अधीनता की ही भूमिका मिली थी. आज पहली बार उसे पृथक भूमिका मिली थी. उसके चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गई. क्या वो इसमें फल होगी? ये इस बात पर भी निर्भर करता था कि माधवी इसे कितना स्वीकार करेगी. महेश के निर्देश के अनुसार उसे इसमें कोई अधिक शंका नहीं थी. उसने माधवी के सिर पर हाथ घुमाया.
“तो माधवी जी, क्या आप मेरी हर आज्ञा माने की इच्छुक हैं?”
माधवी ने सर हिलाकर स्वीकृति दी तो रागिनी का चेहरा चमक उठा. उसने देखा तो तीनो पुरुष उसी प्रकार से तौलिये में थे पर अब उनके लौडों का उभर दिख रहा था. उनके चेहरे पर भी दुविधा के भाव थे कि आगे क्या होगा.
“तो चलो फिर बिस्तर पर ही चलो और मेरी चूत और गांड को चुदाई के लिए चाटो। अगर अच्छे से चाटोगी और मुझे चुदाई में कोई कठिनाई नहीं होगी तो मैं तुम्हारी चुदाई की भी अनुमति दे दूँगी।” ये कहकर उसने महेश की ओर देखा कि ये ठीक है? महेश ने उसे सहमति दर्शाई.
“घुटनों पर ही रहना.” ये कहते हुए रागिनी उठी और बिस्तर की ओर चल दी. वहाँ पहुंचने से पहले उसने अपने तौलिये को नीचे गिरा दिया. अब तीनों पुरुष उन्हें देख रहे थे. रागिनी की मटकती गांड और उसके पीछे घुटनों पर चलती माधवी की गांड स्पष्ट दिखाई दे रही थीं.
“रागिनी की गांड तो बहुत चुदी नहीं लगती, जबकि माधवी की फटी पड़ी है.” भानु ने बहुत धीमे स्वर में बोला।
“माधवी की हर दिन गांड मारी जाती है. कभी कभी तो दिन में दो दो तीन तीन बार भी. मुझे नहीं लगता कि रागिनी की गांड को उतना व्यायाम प्राप्त होता है.” अमोल ने टिप्पणी की. फिर तीनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए.
“अगर मैं सही सोच रहा हूँ, तो अमोल का मन रागिनी की गांड पर आ गया है. उसे ही पहला अवसर देना होगा.” महेश ने कहा.
“मुझे कोई आपत्ति नहीं है.” भानु ने कहा.
“मैं तो चाहूँगा कि आज गांड मारने से ही रागिनी की चुदाई का शुभारम्भ किया जाये.” अमोल ने कहा.
भानु: “आपको अगर आपत्ति न हो तो मैं पहले माधवी की चुदाई करना चाहूँगा। इसके लिए रागिनी को मनाना होगा.”
महेश: “ओह, उसमे कोई समस्या नहीं है. रागिनी हमें मना कर ही नहीं सकती. न ही माधवी. वैसे भी अब वायग्रा का भी प्रभाव होने लगा है. आशा है माधवी रागिनी की गांड को अच्छे से मारने के उपयुक्त बना देगी.”
रागिनी बिस्तर पर जाकर घुटनों के बल हो गई. अब उसकी चूत और गांड दोनों ही दूर तक दिख रही थीं. रागिनी ने माधवी से कर्कश स्वर में कहा.
“देख क्या रही हो, चलो चाटो अच्छे से. आज बहुत लौड़े खाने हैं मेरे दोनों छेदों को. ऐसा न हो कि मुझे कोई कष्ट हो. समझीं.”
माधवी ने कुछ न कहा, पर वो रागिनी के पीछे आकर बैठ गई और अपनी जीभ से पहले उसकी जांघें चाटीं और फिर धीरे धीरे वर्ग के पहले द्वार के पास आ गई. जब उसकी जीभ ने रागिनी की चूत की पंखुड़ियों को छेड़ा तो रागिनी की सिसकी निकल गई. माधवी बिना रुके उसकी चूत के बाहरी भाग को चाटती रही. फिर उसकी जीभ ने भग्न को छेड़ा. और मानो रागिनी के शरीर से ज्वालामुखी फूट पड़ा. उसकी चूत से रस से माधवी भीग गई, पर रुकी नहीं. वो भग्न को अब अपने होठों के बीच लेकर चूसने लगी. रागिनी कसमसाने लगी. माधवी इस कला की पारखी थी. उन इस कला का ज्ञान न केवल पाया था, बल्कि अपनी इकलौती पुत्री रिया को भी पूर्णरूप से दिया था.
चूत की पर्याप्त रूप से सेवा करने के पश्चात उसे रागिनी के रस के सेवन का भरपूर सेवन किया. एक तृप्त भाव से अब उसने भग्न को उँगलियों में लिया और अपनी उँगलियों को रागिनी के रस में भिगोया और उसकी गांड के छेद पर लगाने के बाद उसके साथ खेलने लगी. हल्के धीमे गोलाकार वृत में उँगलियों से रागिनी के भूरे छेद को सहलाती रही. भग्न से ध्यान न हटाते हुए ये करना सच्चे अर्थों में कला की पराकाष्ठा थी.
इस पूरी गतिविधि को देखकर जहाँ महेश और भानु चकित थे, तो अमोल मुस्कुरा रहा था. उसने माधवी के इस इंद्रजाल के चंगुल में तड़पती और तरसती हुई अपनी पत्नी और सास को भी देखा था. रिया भी इस कला में पारंगत थी, पर वो भी माधवी के सम्मुख एक शिशु के समान थी. माधवी ने अपने मुंह को रागिनी के भग्न के सामने लेकर उसकी चूत पर मुंह गोल करते हुए फूँक मारते हुए उसके भग्न को मसलना और गांड के छेद को सहलाना आरम्भ रखा.
रागिनी को समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ हो क्या रहा है. उसने इस प्रकार का अनुभव जीवन में कभी नहीं किया था. उसका शरीर मानो अब माधवी के हाथों में खिलौना बन गया था. माधवी बीच बीच में अपनी उँगलियों को गीला करती और फिर से रागिनी की गांड पर घुमाने लगती. अचानक ही इस बार माधवी ने अपनी ऊँगली को गांड पर सहलाया और एक ऊँगली को गांड में डाल दिया. रागिनी इस हमले से उछल पड़ी. माधवी बिना रुके गांड में ऊँगली को अंदर बाहर करती रही.
कुछ देर तक एक ऊँगली से रागिनी की गांड खोलने के बाद माधवी ने दो उँगलियों का प्रयोग किया. जब उसे लगा कि गांड समुचित रूप से खुल चुकी है तो मुड़कर तीनों पुरुषों को देखा. संकेत समझकर अमोल खड़ा हो गया और तौलिया उतार दिया. वायग्रा से उकसित उसका लंड भयावह सा लग रहा था. माधवी ने ललचा कर उसे देखा पर कुछ कहा नहीं. फिर भानु भी खड़ा हुआ और उसने भी तौलिया निकाला तो माधवी ने उसके लंड के नए रूप को देखकर सिसकारी ली.
भानु आगे आया और उसने माधवी और रागिनी को सम्बोधित किया, “माधवी, जाकर नीचे लेटो और रागिनी की चूत चाटो। अमोल पहले रागिनी की गांड मारने के लिए उत्सुक है. और मुझे तुम्हारी चूत चोदने की इच्छा है.”
माधवी को तो मानो उसके मन की इच्छा पूर्ण होती दिखी. वो तुरंत ही रागिनी के नीचे चली गई पर अब तक रागिनी ने अपनी गांड उठाई हुई थी. तो चूत तक नहीं पहुंच पाई. भानु उसके पैरों की ओर गया और अपने सामने परोसी चूत को ताकने लगा. अमोल ने भी अपने लंड पर थूका और रागिनी की गांड की ओर अग्रसर हुआ.
तभी कमरा खुला और ललिता ने प्रवेश किया. और आते ही उसने कैमरा ऑन किया. महेश ये देखकर मुस्कुरा दिया.

क्रमशः
 

prkin

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अपडेट # ३३ पोस्टेड।
आनंद लीजिये।
 

prkin

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Thank you sir..will wait for this update as well.
अपडेट # ३३ पोस्टेड।
आनंद लीजिये।
 

prkin

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बेहतरीन भावुक और कामुक अपडेट। भाई बहन का प्यार पूरा हो गया अब। अब और मजा आयेगा।
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आनंद लीजिये।
 

prkin

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