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Incest ससुराल की नयी दिशा

prkin

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Victor_789

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मैं अब ये कहानी और कैसे कैसे परिवार को यहीं समाप्त कर रहा हूँ.
इन दोनों कहानियों में अधिक पाठकों की रूचि नहीं है.
और अपने समय को यूँ ही व्यर्थ करने का मुझे कोई कारण नहीं दिखता।
अगर भविष्य में मैं कभी लौटा तो देखेंगे।

जिन बंधुयों ने मुझे प्रोत्साहन दिया, उनका आभार।
आपका धन्यवाद और स्नेहपूर्ण नमस्कार।
हम आपके अपडेट की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है उत्सुकता बढ़ती जाती है। मैं आपको बस इतना बताना चाहता हूं कि आपकी कलम से हमें और भी रोचक और मसालेदार कहानियां मिलती हैं। शुक्रिया
 

Victor_789

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I am stopping this story now, along with Kaise Kaise Parivar.

Not many people are interested. So there is no use wasting my time.

If sometime in future, I return, we will see.

Till that happens, if it happens.

Good Buy and Thank You.
We look forward to your update. As the story progresses, the curiosity is increasing. I just want to tell you that through your pen we get more interesting and spicy stories. Thank you
 

TharkiPo

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ससुराल की नयी दिशा
अध्याय ३७: भाभी, नन्द, सहेलियाँ

********
पल्लू, काव्या:


काव्या: “सहेलियाँ भी और नन्द भाभी भी.”
ये कहते हुए दोनों एक दूसरे से लिपट गईं. और वो इसी अवस्था में थीं जब दक्ष और सत्या ने कमरे में प्रवेश किया.
“वाओ” दक्ष ने कहा तो दोनों अलग हो गयीं और हंसने लगीं.
दक्ष: “क्या बात है, ननद भाभी में बड़ी घुट रही है.” दोनों भाइयों को उनका इतिहास तो पता था नहीं.
पल्ल्वी: “हम ननद भाभी बाद में हैं पहले सहेलियाँ हैं. ये मेरी सबसे घनिष्ठ सहेली थी, अब भाभी बन गई है.”
“अच्छा! हमें ये नहीं पता था.”
काव्या: “हाँ, और तुम मानोगे नहीं, पर पल्लू विवाह के समय कुंवारी ही थी. अनछुई.”
दोनों भाई मुंह खोले ये सुन रहे थे. “फिर कैसे?”
काव्या: “मैं भैया से इसके विवाह के विरुद्ध थी, क्योंकि मुझे लगता था कि पल्लू हमारी जीवन शैली नहीं अपनाएगी और अनुज भैया हमसे दूर हो जायेंगे. पर समय ने सब कुछ ठीक कर दिया. अब तो ये ऐसी चुदक्क्ड़ बन गई है कि पिछली पल्लू तो जाइए एक कल्पना ही रही हो.”
दक्ष: “ सच में अद्भुत बात है. वैसे हमारी भी कहानी ऐसी ही है. रिया के विवाह के बाद बहुत कुछ, या कहूं तो सब कुछ बदल गया. पहले अंकुर जीजाजी हमारे साथ जुड़ न चुके होते तो आज का दिन देखने को न मिलता. उन्होंने और रिया ने परिवार के अन्य सदस्यों को मना लिया.”
“सच में हमारा परिवार अब देखो न कैसे बढ़ता जा रहा है.” काव्या ने कहा.
पल्लू ने सोचा कि इस शनिवार को अगर मेरा अनुमान ही निकला तो और भी बढ़ जायेगा. परन्तु उसने बात को दूसरी ओर घुमाया.
“हाँ हाँ. अब तुम सब के विवाह जब होंगे तब तो न जाने कितना बढ़ जायेगा ये परिवार. अब ये सोचने का समय नहीं है. पर सत्या उन है तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है और रिया तुमसे गांड नहीं मरवाती। न जाने क्यों मुझे ये कारण सही नहीं लगता. कोई और बात है क्या?”
सत्या ने अपना सिर नीचे कर लिया, “हाँ बड़ा तो है. पर रिया का कारण वो नहीं है. मैं आपको कभी और बता दूँगा, पर मैंने उस समस्या का निदान ढूँढ लिया है और रिया भी उससे संतुष्ट है, तो अब सम्भवतः इस दुविधा का हल हो चुका है.”
काव्या: “ये तो बहुत अच्छी बात है. वैसे पल्लू की गांड मारने में तुम्हें बहुत आनंद आएगा.” उसने पल्ल्वी को छेड़ते हुए कहा.
पल्लू: “हाँ हाँ, फड़वा दे मेरी गांड. ऐसी सच्ची सहेली किसी को न मिले.”
सत्या: “अब तक ऐसा नहीं हुआ है. आप निश्चिन्त रहिये. मेरी तकनीक उत्तम है. आपको आनंद मिलेगा.”
पल्लू: “न रे बाबा. पहले इसकी गांड मारना. इसकी गांड में बहुत पहले से लंड जाते रहे हैं. मैं तो इस खेल में नई हूँ.”
काव्या: “ए मेमसाब, नयी हो या पुरानी, ननद की बात माननी ही होगी.”
दक्ष: “अरे तुम दोनों क्यों लड़ रही हो?” उसे अपने लिए अवसर दिखा, “पहले मैं तुम्हारी गांड खोल दूंगा, उसके बाद इसका लंड भी सरलता से ले पाओगी.”
सत्या ने खूँखार दृष्टि से यह को देखा. “आपको मेरा सुख सहन नहीं होता है न? ठीक है. बड़े भाई हो तो कर लो अत्याचार.”
काव्या को लगा कि ये गांड मस्ती की चर्चा में कहीं वातावरण न बिगड़ जाये.
काव्या: “चलो, पहले कुछ पीते हैं, मन हल्का हो जायेगा. मुझे सत्या के लंड से गांड मरवाने में कोई आपत्ति नहीं है. मैं तो अपनी सखी और भाभी को छेड़ रही थी.”
आनन फानन में पेग बन गए.
पल्लू: “वैसे मुझे भी कोई आपत्ति नहीं. दक्ष और सत्या को ही निर्णय लेना है. हमें तो चुदना है, जम कर. बस.” ये कहते हुए उसने एक झटके में पूरा पेग गटक लिया.
काव्या: “परन्तु मुझे दक्ष का सुझाव भी अच्छा लग रहा है. अगर वो गांड को थोड़ा खोल दे तो कुछ तो अंतर पड़ेगा. पर मुझे एक बात की आशंका है. हमने अब तक सत्या का वो प्रसिद्ध हथियार तो देखा ही नहीं है जिसके कारण ये सब बातें हो रही हैं”
पल्लू: “तो देर किस बात की, चलो दोनों अपने कपड़े उतारो देखें क्या है तुम्हारे पास.”
दक्ष: “बिलकुल, भाभी. फिर आप भी दिखाओ न आपके पास क्या है.”
पलक झपकते ही चारों नंगे हो गए. एक ओर जहाँ दक्ष और सत्या काव्या और पल्लू को निहार रहे थे, तो उन दोनों सखियों का ध्यान सत्या के लंड पर थे. अभी पूरा खड़ा न होने के बाद भी वो बहुत भयावह लग रहा था. दोनों सखियों ने एक दूसरे को देखा.
“लौड़ा तो मोटा और लम्बा है, पल्लू. सच में इससे चुदवाने के बाद गांड फटना पक्का है.” काव्या ने बोला।
“हाँ, लगता तो है. पर सत्या तुमने तो रिया की भी गांड मारी है न? और मामी और नानी की भी?”
“जी भाभी. और अपनी मम्मी की भी.”
“तो उन्हें कोई कठिनाई नहीं हुई?”
“मम्मी ने मुझे अच्छे से सिखाया है कि कैसे गांड मारी जाती है. पहले तो उन्हें भी कष्ट होता था, फिर कुछ दिन के प्रशिक्षण के बाद उन्हें अब बहुत आनंद आता है. वैसे मैं दिशा भाभी की मौसी की भी गांड मार चुका हूँ.”
ये सुनकर सब चौंक गए. “ये कब हुआ” ये काव्या थी.
सत्या ने ममता के घर पर हुई घटना का विवरण दिया. तो सब चकित रह गए.
काव्या: “तो पल्लू? क्या विचार है?”
पल्लू कुछ सोचकर, “सत्या से मैं गांड मरवाने के पहले दक्ष से मरवाना ही उचित समझती हूँ. हालाँकि ये जो कह रहा है, मैं समझती हूँ, पर मेरी भी इकलौती गांड है. फट गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे.” उसने बात ऐसे कही कि सब हंस पड़े.
सत्या: “ठीक है, भाभी जैसी आप दोनों की इच्छा.”
पल्लू सम्भवतः अभी भी आश्वस्त नहीं थी. उसने एक पेग और बनाया और गटक गई. काव्या ने देखा तो समझ गई कि इसकी गांड फट रही है.
काव्या: “सुन, और मत पी. पहले देख ले. अगर मन करे तभी सत्या से गांड मरवाना. ऐसी कोई चिंता मत कर. अपने ही घर का लड़का है और तेरा देवर है. समझी.”
“हाँ, पर मुझे इससे गांड मरवानी है!” उसने लड़खड़ाते स्वर में कहा.
“चल ठीक है, मरवा लेना. अब थोड़ा बैठ जा. नहीं तो नशे में आनंद नहीं मिलेगा.”
“मुझे लंड चूसना है!” लग रहा था कि उसे अधिक चढ़ गई थी. अब वो पीने की इतनी आदी तो थी नहीं, और दो पेग फटाफट मार चुकी थी.
“ठीक है, चूस ले, किसका चूसेगी?” काव्या ने शांति से पूछा.
“इसका ही चूसूँगी।” उसने सत्या को देखते हुए कहा.
“सत्या, जाओ और बिस्तर पर लेटो. मैं इसे ला रही हूँ.” ये कहते हुए वो पल्लू को बाथरूम में ले गई और उसके मुंह और सिर को पानी से धोया. फिर कमरे में लेकर उसे पानी पिलाया और बैठा दिया.
“पांच मिनट बैठ जा, ये कहीं भागा नहीं जा रहा.”
पल्लू का नशा पानी पड़ने से कुछ हल्का हो गया था तो वो शांत होकर बैठ गई.
काव्या ने सत्या और काव्या को एक ओर बुलाया, “सुनो, इसे डर अधिक लग रहा है. तो एक काम करो.” दोनों ने सिर हिलाये.
“सत्या का लंड चूसते दक्ष तुम उसकी चूत और गांड पर ध्यान देना. अगर उसकी प्रतिक्रिया उचित लगे तो उसकी गांड मार लेना. पर बहुत प्रेम से. जब ऐसा करोगे तो मैं सत्या से चुदने के लिया आ जाऊँगी। मुझे लगता है कि इस प्रकार से उसका डर भी निकल जायेगा और रात भी मस्ती में निकलेगी.”
दक्ष और सत्या मान गए. तो तीनों पल्लवी के पास आ गए.
“अब कैसा लग रहा है?” काव्या ने पूछा.
“अब ठीक हूँ. पहले सिर घूम रहा था.”
“इतनी जल्दी नहीं पीते, पगली. आगे से ध्यान रखना. अब जैसा तेरा मन है, जा और सत्या के लंड का स्वाद ले. या कुछ और रुकना है?”
“नहीं नहीं. मेरी चूत और गांड दोनों कुलबुला रही हैं.” पल्लवी ने हँसते हुए बोला तो सबको शांति मिली.
सत्या ने उसे हाथ देकर उठाया, “आओ, भाभी.”
बिस्तर पर जाकर सत्या लेटा तो काव्या बोली, “सुन तेरी जो कुलबुलाहट है उसे दक्ष संभालेगा.”
पल्लू ने उसकी ओर देखा, “तो तू क्या करेगी.”
“अरे मैं देखूंगी कुछ देर. रात पड़ी है चुदाई के लिए, दस मिनट में कुछ घिस थोड़े ही जाना है.”
पल्लू ने लेटे हुए सत्या को देखा और उसके लंड को अंगड़ाई लेते देखा.
“सच में लंड तो विशाल है माँ के लौड़े का. तभी ये मादरचोद बन गया. इसकी माँ रोक नहीं पाई होगी इस घोड़े से चुदवाने से.” उसने सोचा.
उसने उचित आसन लिया और सत्या के लंड को चाटने में जुट गई. उसके पीछे दक्ष ने स्थान लिया और उसकी चूत पर जीभ फिराने लगा. काव्या सोफे पर बैठी अपनी सहेली को देख रही थी. उसे आज भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी इतनी सीधी सादी सहेली अब इतनी चुड़क्कड़ बन चुकी है. परन्तु उसके मन में एक संतुष्टि भी थी. इस परिवर्तन से उनका परिवार एक प्रकार से बच गया था. अन्यथा, आज कई लोग यहाँ न होते.
जीभ पर लंड और चूत पर जीभ के स्पर्श होते ही पल्लू का नशा कम होने लगा. वो पूरे मन से सत्या के लंड को चाट रही थी. और जब उसे अपने मुंह में लिया तो उसका डर कम होने लगा. न जाने उसमें कहाँ से ये विश्वास आ गया कि वो इस लंड को झेल सकती है. दक्ष उसकी चूत के अंदर अब अपनी जीभ घुमा रहा था. दोनों ओर से पल्लू इस समय व्यस्त थी. हालाँकि सत्या के लंड को वो पूरा अपने मुंह में लेने में असमर्थ थी, पर वो ये भी जानती थी कि चूत और गांड में फैलने को क्षमता होती है, जो मुंह में एक सीमा से अधिक नहीं होती. वो जितना सम्भव था उतने लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी.
दक्ष अपने लक्ष्य पर केंद्रित था. उसे काव्या का कथन ध्यान में था कि उसे पल्लवी भाभी की गांड भी मारनी है. तो इसके लिए उसे उस भूरे प्रदेश पर भी ध्यान देना होगा. जीभ से चूत को चाटने के बाद उसने अपनी ऊँगली से चूत की चुदाई आरम्भ कर दी. पल्लू ने अपनी कमर हिलाकर पैरों को और चौड़ा कर लिया, जिससे दक्ष के लिए राह सरल हो जाये. अब दक्ष ने अपनी जीभ को गांड की ओर केंद्रित किया. गांड के जीभ से छूते ही पल्लू की हंसी निकल गई.
“लगता है ये मेरी गांड मारने के लिए मक्खन लगा रहा है.” उसने खिलखिलाते हुए काव्या से कहा.
“अब इसमें कोई शंका तो होनी ही नहीं चाहिए. तेरे जैसी मस्त गांड हो और उसे दक्ष छोड़ पाए ये तो होने से रहा. क्यों दक्ष?”
“बिलकुल. ऐसी मक्खन जैसी गांड न मारी तो इसका अपमान होगा.” ये कहते हुए दक्ष ने गांड को फैलाया और अपनी जीभ अंदर घुसा दी.
“वैसे काव्या, ये लंड भी इतना भयावह नहीं है, जितना सोचा था. बड़ा अवश्य है, पर ऐसा भी नहीं कि मैं चुदवा न सकूँ।”
“जानती हूँ.” काव्या ने सोफे से उठकर सत्या के दूसरी ओर स्थान लिया.
“कभी दो स्त्रियों से लंड चुसवाया है?”
“कई बार.” सत्या ने गर्व से कहा.
“पल्लू? क्या मैं?” काव्या ने पल्लवी से पूछा.
“क्यों नहीं? आज पहली बार हम ये भी कर के देख लें.” इतना कहकर पल्लू ने लंड मुंह से निकाला और काव्य की ओर मोड़ दिया. काव्या ने अपनी सहेली के थूक से सने लंड को चाटा और फिर उसे मुंह में ले लिया.
“मुंह पूरा फुला दे रहा है न?” पल्लू ने पूछा.
“मममममम”
उधर दक्ष ने पल्लू भाभी को अधिक प्रतीक्षा न करवाने का मन बना लिया था. बातें चोदने में बहुत समय बीत चुका था. फिर पल्लू के नशे के कारण भी समय नष्ट हुआ था. न जाने सत्या कैसे स्वयं को संभाले था, पर दक्ष के लंड की स्थिति अब चिंताजनक हो रही थी. अगर वो किसी छेद में उसे न डाले तो फटने को हो रहा था. उसने पल्लू की चूत से उँगलियों को निकाला और अपने लंड पर मसला. फिर उसने उँगलियों से और रस एकत्रित किया और इस बार पल्लू की गांड पर लगाया.
“ह्म्म्मम्म, लगता है मेरे देवरजी गांड मारने वाले हैं, काव्या. तू अब लंड संभाल मैं गांड मरवाने में व्यस्त रहूँगी.”
“ऐसा है तो सत्या क्यों नहीं तुम मुझे चोद दो. मैं देख रही हूँ कि तुम्हारे लंड को अब चूत चाहिए.”
“बिलकुल. आप ऊपर चढ़ कर चोदो।” सत्या ने कहा.
दक्ष ने पल्लवी की गांड पर लंड लगाया पर रुक गया. वो काव्या को अपने भाई के लंड को लेते हुए देखना चाहता था. उसने सोचा कि दोनों कार्य एक साथ करेंगे. काव्या सत्या के ऊपर आकर दोनों ओर पैरों को करते हुए लंड पर बैठने लगी.
पल्लवी: “दक्ष, रुको.” ये कहते हुए वो आगे सरकी जिससे कि उसका चेहरा काव्या के मम्मों के पास आ गया. उसने काव्या को देखा तो काव्या मुस्कुरा दी.
“तेरे लिए सत्या से चुद रही हूँ. इसके बाद तेरी ही बारी है.”
पल्लू ने दक्ष को पीछे मुड़कर देखा और हरी झंडी दिखा दी. दक्ष का तमतमाया लंड पल्लू की गांड को छूने लगा. उसने हल्का दवाब बनाया और सुपाड़ा अंदर चला गया. काव्या ने भी अपने कूल्हों को नीचे किया और सत्या के लंड की यात्रा उसकी चूत में आरम्भ हो गई.
“ओह, माँ!” काव्या के मुंह से निकला.
और मानो उसकी माँ उसकी इस पुकार सुनते ही उसके लिए दौड़ी आई. ललिता ने कमरे में आते ही काव्या को सत्या के लंड की सवारी करते हुए देखा. और फिर दक्ष के लंड को पल्लू की गांड में समाते हुए. उसने कैमरे को उनकी ओर मोड़ा और इस खेल को उसमें लिखने लगी. फिर उसने इधर उधर देखा और एक उचित स्थान पर कैमरे को रखा. ये उसके पहले चक्र का अंतिम पड़ाव था. वो कुछ समय यहाँ बिता सकती थी. उसके बाद फिर उसे दूसरे चक्र के लिए निकला था.
कैमरे को सही दिशा में केंद्रित करते हुए वो काव्या के पीछे आ गई.
काव्या अभी सत्या के लंड पर बैठी ही थी और आधे से अधिक लंड अब तक बाहर था. ललिता अपनी बेटी की फैलती हुई चूत को देखकर विस्मृत हो गई. पर उसका ध्यान उसकी गांड के गोल भूरे छेद पर भी था. उसने अपनी जीभ से उसकी गांड को छेड़ा तो इस हलचल से काव्या सत्या के लंड पर और बैठ गई.
“ओह! माँ!” उसके मुंह से फिर निकला. पर उसे ये पता न था कि उसकी माँ ने उसकी पुकार पहली बार में ही सुन ली थी. ललिता ने कुछ देर तक काव्या की गांड को और चाटा पर छेद इतना संकरा था कि उसकी जीभ चाहकर भी अंदर न जा सकी थी. पल्लू उसे चुपचाप वासना भरी दृष्टि से देख रही थी. काव्या की गांड को छोड़कर वो काव्या के सामने आई तो काव्या की आँखें फ़ैल गईं।
“तुमने पुकारा, मैं चली आई.” ललिता ने मुस्कुराते हुए कहा और काव्या को चूमने लगी.
“मॉम, बहुत मोटा लंड है इसका. मेरी चूत पूरी फ़ैल गई है.”
सत्या को देखकर ललिता से रुका न गया. उसने उसे चूमा.
“अच्छे से चोदना मेरी बेटी और बहूरानी को. समझा!”
“जी.” और इसके साथ इस बार सत्या ने अपने कूल्हे को उछाला और काव्या की चूत को चीरता हुआ उसका लंड पूरा अंदर चला गया.
“मर गई, मेरी माँ. उउउउह!” काव्या चीख पड़ी.
“चिंता न कर मैं हूँ यहाँ.” ललिता ने उसे सांत्वना दी. फिर उसे चूमकर पल्लू के पीछे चली गई.
अब तक दक्ष का लंड पल्लू की गांड में यात्रा कर रहा था. उसने दक्ष की गांड पर एक चपत लगाई. दक्ष को समझ आ गया कि वो क्या चाहती थी. उसने लंड निकाला और ललिता ने तपाक से उसे मुंह में लेकर चाटा। लंड को साफ करने के बाद उसने पल्लू की खुली गांड को देखा तो स्वयं को रोक न पाई. काव्या की गांड में तो जीभ जा न पाई थी, पर ये तो खुली पड़ी थी. पल्लू की गांड में जीभ को डालकर वो उसे अंदर घुमाने लगी.
“ओह! बुआ! क्या कर रही हो!” पल्लू के मुंह से निकला.
पर ललिता अपने कार्य को समाप्त करने के बाद ही हटी. उसने दक्ष के लंड को फिर से चाटा और पल्लू की गांड पर लगा दिया. दक्ष ने एक ही धक्के में लंड फिर से अंदर डाल दिया और पल्लू की गांड मारने लगा. ललिता उठकर सत्या की ओर गई और उसके मुंह पर अपनी चूत रखकर बैठ गई. उसकी चूत दो घंटे से बह रही थी. सत्या ने मुंह और जीभ से उसे चाटने और चूसने में देर न लगाई.
ललिता की चूत का बाँध टूट गया और उसने सत्या के मुंह पर इतना रस छोड़ा कि वो पूर्ण रूप से भीग गया. काव्या सत्या के लंड पर अब भी उछल रही थी. अपनी माँ की उबलती आँखों को देखकर उसे उन पर दया आ गई. वो धीरे से सत्या के लंड से हटी. ललिता की आँखें अभी बंद ही थीं. एक ओर खड़े होकर उसने ललिता के कंधे को छुआ तो ललिता ने आँखें खोलीं.
“मॉम, जाओ आप सत्या के लंड से चुदाओ आप बहुत समय से यूँ ही घूम रही हैं.”
ललिता ने अपनी बेटी को देखा, “पर आज तो तुम्हारा समय है न साथ.”
“मॉम, ये हम सबके बनाये ही नियम हैं, कोई पत्थर पर नहीं लिखे हुए. आप को न जाने आज चुदने का अवसर मिले भी या नहीं. आप आओ. हमारे लिए तो पूरी रात है और हम सब अभी युवा हैं, रात भर भी चुदाई कर सकते हैं.”
पल्लू काव्या को देखकर अपनी सहेली होने पर गर्व कर रही थी. काव्या की यही विशेषता थी, वो अपने पहले दूसरों का ध्यान रखती थी. उसने ललिता को देखा तो उसकी आँखों में भी वही गर्व के भाव थे. ललिता ने अपना चेहरा सत्या के मुंह से हटाया और फिर काव्या के पास से होते हुए सत्या के लंड के दोनों ओर पैर किये और बैठती गई.
काव्या वहाँ से हटकर खड़ी हो गई. उसने उस कैमरे की ओर देखा जो उसकी माँ ने एक ओर रखा था. वो मुस्कराते हुए उसके पास गई और उसे अपने हाथ में ले लिया. दक्ष पल्लू की गांड मारने में व्यस्त था. उसकी माँ ललिता अब सत्या के लंड पर उछाल मार रही थी. दोनों की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं. काव्या घूम घूम कर दोनों दृश्यों को रिकॉर्ड कर रही थी.
अपनी माँ की इस योजना पर काव्या को गर्व हुआ. कल पता चलेगा कि अन्य कमरों और जोड़ो ने किस प्रकार से रात्रि का उपयोग किया. कैमरे पर ध्यान लगाए काव्या सोच रही थी.
रात अभी शेष थी.

क्रमशः
Bahut hi behatareen update bhai , naye naye tanke bhid rahe hain, sath hi parivar ka apsi prem, maza hi aa gaya
 

TharkiPo

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मैं अब ये कहानी और कैसे कैसे परिवार को यहीं समाप्त कर रहा हूँ.
इन दोनों कहानियों में अधिक पाठकों की रूचि नहीं है.
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अगर भविष्य में मैं कभी लौटा तो देखेंगे।

जिन बंधुयों ने मुझे प्रोत्साहन दिया, उनका आभार।
आपका धन्यवाद और स्नेहपूर्ण नमस्कार।
Break le lo bhai koi issue nahi hai, araam se tab tak doosri kahaniyan padho. Have fun, agar baad mein man ho to continue karna, and mujhe apki sari stories pasand hain...
Good luck
 

prkin

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मूठ मारते मारते लन्ड सूज जाता है...:ban2::ban2:

धन्यवाद भाई.
अपने पहली बार कुछ कहा है. अच्छा लगा.
 

prkin

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prkin

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Bahut hi behatareen update bhai , naye naye tanke bhid rahe hain, sath hi parivar ka apsi prem, maza hi aa gaya

धन्यवाद ठरकी भाई. पर अब कुछ गठानें भी आ गयी हैं.
 

prkin

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Oh No...i understand your frustration and disappointment in not getting enough responses to your sexy story. Totally understandable.
There are folks who "keep asking for updates" on stories in which the writers have not posted any updates for very long..but they do not find to read and provide comments to your story for which you have regularly provided updates. That's the sad part.
I totally understand..however, I wish you will change your mind and come back with a bang. I will leave it to your judgement and wisdom.
And once again, thanks for this wonderful (at the moment, unfinished) story. Stay safe.

मास भाई,
धन्यवाद मेरी भावनाओं को समझने के लिए.
 

prkin

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हम आपके अपडेट की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है उत्सुकता बढ़ती जाती है। मैं आपको बस इतना बताना चाहता हूं कि आपकी कलम से हमें और भी रोचक और मसालेदार कहानियां मिलती हैं। शुक्रिया

धन्यवाद विक्टर जी.
अपने पहली बार कुछ कहा है.
सुनकर अच्छा लगा.
 

prkin

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Break le lo bhai koi issue nahi hai, araam se tab tak doosri kahaniyan padho. Have fun, agar baad mein man ho to continue karna, and mujhe apki sari stories pasand hain...
Good luck

अब मैं दूसरी कहानियाँ ही पढ़ रहा हूँ. कई कहानियों में पीछे रह गया हूँ. अब लिखना छोड़ दिया है, तो पढ़ने पर ही ध्यान दूँगा।
 
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