- 5,360
- 5,995
- 189
कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
Please read and give your views.
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
Please read and give your views.
Last edited:
prkin ji, aapka bahut dhanyavaad update bhejne ke liye!Maine vo dekhi, par adhuri hai. Unki do tin stories hain vaise.
नेहा का परिवार
Gulnaz Ka Pyaar
Kathleen's Family Saga
Love So Pure
and
Shanu's Wedding
Par ab unki kahaniyan poori nahin ho rahi hain
Pl add sexy pics suitable to your story.it will make story more erotic.Bhai, busy tha...isiliye comment nahin kar paaya...the story is too good...which reflects in the rating that you got for the context...maybe people are busy (with IPL and covid) and hence did not comment
You are probably the only writer who keeps regularly updating the progress of your story (& even if you are busy/unavailable, you inform us). That is truly appreciable. Thank you so much.
Looking forward to the next hot episode (as well as parivar update). Thanks a lot once again...
Your construct of the story, scene creation, et al...are simply magnificent. In these grim times, you provide us with some source of entertainment (& Pleasure, if I may add ). Pls continue. Thanks so much...
Aap ki kahani la jawab hai hat ke hai parantu sadaran hai sadaran isliye ki har mard chahta hai ki pariwar ki har aurton aur ladkiyon ko chode thik issi tarah aurten bhi chahti hai ki usse bhi sabki lund mile lekin kisi karnon se nahi ho pataससुराल की नयी दिशा
अध्याय २: मायका
आज की रात दिशा की ससुराल में सुहागरात थी. और अब वो इस परिवार का अंतरंग हिस्सा बनने वाली थी. उसका अपनी नयी ससुराल में सबके साथ उन्मुक्त चुदाई का जीवन व्यतीत करने कल का स्वप्न साकार हो गया.
अब आगे:
कुछ दिनों बाद:
जयेश और रितेश अपने व्यापार के संबंध में दिशा के ही नगर जा रहे थे. दिशा के कहने पर उन्होंने होटल के स्थान पर दिशा के घर ही रुकने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था.
दिशा की माँ नलिनी अपने पति के स्वर्गवास के बाद अब अकेली ही रहती थीं. दिशा की मौसी रागिनी अवश्य कभी कभी उनके पास आ जाती थीं. रागिनी नलिनी से दो वर्ष बड़ी थी और वो भी उसी नगर में कुछ ही दूर पर रहती थी. उनके पति एक उच्च सरकारी पद पर थे, इसीलिए रागिनी को हर प्रकार की सुविधा थी. नलिनी भी कई बार उनके घर चली जाती थी. नलिनी एक कॉलेज में प्रोफेसर थी और उसे अच्छा वेतन मिलता था. उसने अपने पति के साथ ये घर बनवाया था, पर उसके पति इसका आनंद अधिक समय तक नहीं ले पाए थे. उनके बीमे से मिली राशि के कारण नलिनी दिशा को पढ़ने के लिए अमेरिका भेजने में समर्थ हुई थी.
उसे अकेलापन अवश्य लगता था, पर उसके मित्रों के कारण वो अब दुखी नहीं थी. दिशा के स्वदेश आने से भी उसे बहुत प्रसन्नता हुई थी. और अब दिशा ने जब ये बताया कि वो देवेश के ससुराल में रहेगी तो उसे और अच्छा लगा था. बैंगलोर की तुलना में देवेश की ससुराल निकट थी और दिशा और देवेश वहाँ से अब तक दो बार आ चुके थे. और अब दिशा ने बताया था कि उसके दोनों देवर उसके ही साथ रहने आने वाले हैं. वे लगभग एक महीने रहने वाले थे, हालाँकि हर सप्ताहांत में वे घर जाने वाले थे.
नलिनी को इस नए आयोजन से अपने एकाकी जीवन में कुछ समय के लिए विराम मिलने की ख़ुशी थी. पर उसे ये भी ध्यान था कि उसके व्यक्तिगत जीवन में इससे कुछ बदलाव निश्चित था. जयेश और रितेश सोमवार को आने वाले थे. उसके पास अब केवल पाँच ही दिन थे, सारा प्रबंध करने के लिए. इसीलिए उसने आज रागिनी को अपनी सहायता के लिए बुलाया था. कुछ साफ सफाई और अन्य प्रबंध आवश्यक थे. रागिनी अपने साथ नौकर लेकर आने वाली थी और वे सारे कार्य शीघ्र ही करने में सक्षम थे.
नलिनी ने जो काम करने थे वो रागिनी को समझा दिए और अपने कमरे में चली गयी. हालाँकि रागिनी नलिनी की बड़ी बहन थी पर नलिनी का उस पर सिक्का चलता था. रागिनी को भी ये पता था पर वो नलिनी के वश में थी. नलिनी के कमरे में जाने के बाद रागिनी और उसके साथ आये दोनों नौकर काम पर लग गए और दो ही घंटे में सब कार्य सम्पन्न हो गया. इसके बाद रागिनी ने दोनों नौकरों को वापिस अपने घर भेज दिया और नलिनी के कमरे की ओर चल पड़ी.
नलिनी के कमरे में जाकर उसने देखा कि नलिनी बिस्तर पर नंगी पड़ी थी और उसकी चूत से सफेद द्रव्य बह रहा था. उसके बगल में एक युवा लड़का लेटा हुआ था और उसके मोटे लौड़े पर नलिनी की चूत का रस चमक रहा था.
“आओ , दीदी. तुम्हारे लिए मैंने कुछ रखा हुआ है, खाने के लिए. इतनी मेहनत जो करके आ रही हो. अब अपने कपड़े उतारो और तुम्हारे लिए परोसे व्यंजन का स्वाद लो.” नलिनी ने रागिनी को आदेश दिया.
रागिनी के लिए ये कुछ नया नहीं था. न केवल नलिनी बल्कि अपने पति की तरक्की के लिए उसने अपने शरीर को कई बार परोसा था, आदमी और औरतों दोनों के लिए. उसके हाथ स्वतः कपड़े उतारने में व्यस्त हो गए थे. कुछ ही देर में वो भी उन दोनों के सामने नंगी खड़ी थी. वो लड़का रागिनी के सुंदर मादक शरीर को अपनी आँखों से पी रहा था. रागिनी ने उस लड़के की ओर एक बार देखकर मुस्कान दी और फिर नलिनी के सामने बैठकर उसकी चूत में अपना मुंह डालकर उससे रिसता रस पीने लगी. अपनी जीभ को अंदर डालते हुए उसने नलिनी की चूत को पूर्णतया रसहीन करने का काम किया. रागिनी की जीभ के जादू से नलिनी एक बार उसके ही मुंह में झड़ गयी, जिसे रागिनी ने बिना द्वेष के पी लिया.
“अब ये लंड भी साफ कर दो न, दीदी.” नलिनी ने उस लड़के के लंड की ओर संकेत किया. रागिनी ने बिना हिचक उस लंड को मुंह में लिया और चाट कर साफ कर दिया. लड़के के वीर्य और नलिनी के रस से भीगा लंड अब पुनः चमक रहा था.
नलिनी ने उस लड़के के होंठ चूमे, “अब क्या मन में है तेरे?”
लड़के ने नलिनी के चुम्बन का उत्तर चुंबन से देते हुए कहा, “मौसी, आज मम्मी की गांड मारने का मन है. अगर आप अनुमति दो तो.”
रागिनी का शरीर सिहर उठा. लव अब उसकी गांड पर इतना आसक्त हो चुका था कि उसकी चूत पर वो कम ही ध्यान देता था. इस कारण उसकी चूत की प्यास बुझ नहीं पाती थी. उसके पति अब कार्य में इतने व्यस्त थे कि जब वो लौटते थे तो जल्दी ही बिना कुछ किये सो जाते थे. रागिनी ने दयनीय भाव से नलिनी को देखा. नलिनी समझ गयी.
“लव बेटा, मैं सोच रही थी कि दीदी मेरी चूत को चाटें और तुम उनकी चूत की चुदाई करो. उसके बाद तुझे मैं दीदी और अपनी दोनों की गांड मारने का अवसर दूंगी. क्या कहता है?”
“मौसी, कोई आपत्ति हो ही नहीं सकती. पर मौसी, माँ इतने लोगों से चुदी है, इसीलिए मुझे उनकी गांड ही अधिक प्रिय है.”
“अरे मूर्ख, तू क्या समझता है कि जो इसकी चुदाई करते हैं वो इसकी गांड बिना मारे छोड़ते होंगे? अपने मन से इस बात को निकाल, औरत की चूत एक दिन में सौ बार चुदवाने के बाद भी अगले के लिए तैयार रहती है. अपनी माँ का ध्यान रखा कर, इसकी चूत और गांड की सेवा करना तेरा कर्तव्य है. समझा.”
“हाँ मौसी. मुझे समझ आ गया. अब मैं मम्मी की हर प्रकार से चुदाई किया करूँगा.”
नलिनी ने रागिनी के चेहरे पर खिलती हुई मुस्कान को देखा तो वो भी मन ही मन प्रसन्न हो गयी.
“दीदी, आओ और मेरी चूत को चाटो और मैं तुम्हारी चूत और गांड इसके लिए तैयार करती हूँ. और लव, तुम जाकर पीने के लिए कुछ ले आओ.”
“मौसी, खाने के लिए.”
“पहले माँ को चोद ले, जब तू उसे चोद रहा होगा, तब मैं ले आउंगी. अब जा.”
लव किचन में चला गया और नलिनी ने रागिनी को बिस्तर पर लिटाया और उसके मुंह पर अपनी चूत लगाकर, अपना मुंह उसकी चूत में डाल दिया.
ये समझने में अधिक कठिनाई नहीं होनी चाहिए कि नलिनी की आज्ञा का दोनों माँ बेटे पालन करते थे. रागिनी आवश्यकता से अधिक दब्बू थी जिसके कारण उसके पति और बहन उसका लाभ लेते थे. लव अपनी माँ से बहुत ही अधिक प्रेम करता था और उसे अपनी मौसी और पिता का अपनी माँ के प्रति ये व्यवहार अच्छा नहीं लगता था. आज भी अगर उसकी माँ अगर उससे स्वयं ही कहती कि वो उसकी गांड मारने से पहले चूत चोदे तो उसे अधिक प्रसन्नता होती. वो चाहता था कि रागिनी इस प्रकार की मानसिकता से ऊपर उठे. पर उसे इस बात का अनुभव नहीं था कि उसे करना क्या होगा. इसीलिए वो इस खेल में सम्मिलिति था कि सुअवसर आने पर वो अपनी माँ को उसका आत्मविश्वास लौटाने में सहभागी होगा.
रागिनी और नलिनी एक दूसरे की चूत चाटने में मग्न थीं और उसके बाद दोनों ने एक दूसरे की गांड को भी चाटा। पर ये पर्याप्त नहीं था. गांड में लौड़ा लेने के पहले इसकी एक बार फिर चटाई होने आवश्यक था. और यही सोचते हुए दोनों बहनों ने चूत पर ही ध्यान केंद्रित किया और एक दूसरे को अच्छे से तैयार कर दिए. चुदाई परन्तु अभी केवल रागिनी की ही होनी थी. नलिनी तो अपने अंश की चुदाई करवा ही चुकी थी.
लव कुछ जूस लेकर आया और तीन ग्लास भर कर रख दिए. चूत के रस से प्यास मिटाने के बाद दोनों बहनों ने जूस पिया और फिर नलिनी ने उसी अवस्था में लेटते हुए रागिनी को अपने कार्य को सम्पन्न करने के लिए कहा. अपनी माँ की ऊपर उठी गांड देखते ही लव का लंड लोहे जैसे कड़क हो गया. गांड के छेद के नीचे लुभाती हुई चूत जैसे उसे पुकार रही थी. उसने अधिक समय व्यर्थ न करते हुए अपने लंड को अपनी माँ की चूत पर लगाया. एक शक्तिशाली धक्के ने उसे अपने वर्षों पहले के निवास में आंशिक प्रवेश दे दिया. रागिनी की मुंह से आनंद की सीत्कारी निकली और उसने अपनी चुदाई की कल्पना करते हुए नलिनी को चूत को तेजी से चूसना आरम्भ किया.
लव अपनी माँ की चूत में लंड पूरी तेजी से चला रहा था. उसे पता था कि उसकी माँ को पहली चुदाई इसी प्रकार से पसंद थी. अब इस समय तो दूसरी चुदाई होने की संभावना कम ही थी, परन्तु आज रात अगर उसका भाग्य अच्छा रहा तो उसे फिर अवसर मिल सकता था. उसके पिता काम में इतने व्यस्त रहते थे कि वे घर आने के बाद कई बार खाना कहते ही सो जाते थे. अगर ऐसा सुअवसर आज मिला तो… फिर उसे अपने पिता के थकने की कामना करने से कुछ ग्लानि हुई, पर उसके ढीले पड़ते धक्कों के कर्ण रागिनी ने अपनी कमर उछाल कर उसे चेताया और वो वर्तमान में लौटते हुए अपनी माँ की चुदाई में लीन हो गया.
रागिनी भी अब पूरा आनंद ले रही थी. उसकी चूत में आजकल कम ही लंड जाता था. एक तो पति की उसमे रूचि लगभग समाप्त सी हो रही थी और दूसरा उसके पति के अब उच्च पद पर होने से उसके शरीर का भोग भी कम हो गया था. उसे ये भी लगता था कि उसके पति इस पद पर सम्भवतः उसके जैसी अन्य विवाहिताओं की चुदाई करते होंगे. उसके पुत्र लव का ही एक सहारा बचा था और इसके लिए वो नलिनी की आभारी थी. पर लव न जाने क्यों उसकी चूत के स्थान पर उसकी गांड मारना अधिक पसंद करता था. आज इसका रहस्य खुलने और नलिनी के समझने के बाद उसे आशा की एक नई किरण दिखने लगी थी.
लव पूरे जोर शोर से रागिनी की चूत में लंड पेले जा रहा था. धक्कों की तीव्र गति के कारण रागिनी का मुंह नलिनी की चूत पर ठीक से ठहर नहीं रहा था. उसकी चूत अपने सुख का आभार व्यक्त करते हुए झड़ रही थी. नलिनी की चूत में भी कुछ रस आया था पर क्रम टूटने से वो भी अब समाप्त हो चुका था. नलिनी से रागिनी की समस्या को देखते हुए उसके सिर को अपनी चूत पर दबा दिया. अब रागिनी दोनों ओर से कैद थी. पीछे से उसका बेटा उसे चोद रहा था और आगे उसकी बहन ने अपनी चूत परोस दी थी. कहीं न जाने की संभावना से अवगत रागिनी की जीभ ने नलिनी की चूत में अपना स्थान तय किया और नलिनी जो अब तक ठहरी हुई थी काँपने लगी और उसने अपना पानी छोड़ दिया.
रागिनी भी झड़े जा रही थी. बिस्तर अब गीला हो चुका था पर उसकी तृप्ति अभी शेष थी. लव ने अपना अंगूठा मुंह में लेकर गीला किया और रागिनी की गांड में डाल दिया. अपने अंगूठे से उसकी गांड को कुरेदते हुए उसने अपने धक्कों की गति बनाये रखी. पर रागिनी के तन में आग लग गयी. गांड में अंगूठे ने वो किया जो लव का लंड नहीं कर पा रहा था. वो इस बार झड़ी तो उसके घुटने झुक गए. लव ने उसके कमर से पकड़ा और तेजी से अपने लंड को पेलते हुए कुछ ही देर में उसकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया.
लव ने रागिनी की कमर छोड़ी तो वो असहाय सी नलिनी की जांघों के बीच ही ढेर हो गयी.
“इसकी चूत का ध्यान रखा कर, लव. बेचारी प्यासी रह जाती है.” नलिनी ने समझाया.
“बिलकुल, मौसी. आज से मम्मी की चूत की भी चुदाई का दायित्व मेरा हुआ.”
रागिनी ये सुनकर रोने लगी तो नलिनी और लव ने उसे अपने बाँहों में समेट लिया. एक दूसरे को चूमते हुए वो कुछ देर के लिए सो भी गए. फिर उठे तो लव ने उन्हें खाने के लिए पूछा.
“ओह, मैं तो भूल ही गयी. मैं बनाती हूँ. तुम दोनों यहीं रुको.” ये कहकर नलिनी किचन में चली गयी और माँ बेटा एक दूसरे से लिपटे हुए चूमा चाटी करने लगे.
*******
क्रमशः
thanks bhai.Wonderful, super hot update bhai...