ससुराल की नयी दिशा
अध्याय ५2: रहस्योद्घाटन 9
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पल्लू :
पल्लू को जो अपने कमरे में आने इत्यादि में जो समय लगा था उसमें अधिक कुछ घटित नहीं हुआ था. मामी अब घुटनों के बल बैठी हुई थीं और मामा उनके सामने खड़े थे. पल्लू ने इयरफोन का स्वर बढ़ाया पर लगता था कोई कुछ बोल नहीं रहा था. तभी मामा ने पूछा।
“हम तीनों को क्यों बुलाया है, फिर से चुदने के लिए ही न? तीनों से एक साथ चुदने के लिए?”
“जी”
सटाक! मामी को मामा के एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने पल्लू के शरीर को कंपकँपा दिया.
“लंड चूस!” मामा ने अपना लौड़ा मामी के मुंह में डाल दिया और मामी उसे चूसने लगीं.
“भाईसाहब, जाओ अलमारी से सामान निकाल लाओ. इसकी आज अच्छे से गांड मारनी है.”
अमर चाचा तुरंत गए और अलमारी से एक मक्खी मारने वाला चपटा बल्ला ले आये.
“चलो लगाओ इसकी गांड पर!” मामा के स्वर में एक कठोरता थी.
चाचा मामी के पीछे गए और उनकी गांड पर उस बल्ले से हल्के हल्के मारने लगे. मामी उन्ह उन्ह के स्वर निकलने लगीं. धीरे धीरे चाचा ने उनकी तीव्रता बढ़ा दी. और कमरे में चटाख चटाख के स्वर गूंजने लगे. मामा अपने लंड को मामी के मुंह से निकालने ही वाले थे कि उसके पापा अशोक ने उन्हें रोका.
“ठहरो!” उन्होंने वो बल्ला अपने हाथ में लिया और मामा मामी के बीच में बैठ गए. पल्लू को अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. पर सटाक सटाक सटाक की ध्वनि आई. मामी के शरीर के उछाल से पल्लू समझ गई कि उसके शांत दिखने वाला पापा ने मामी को चटका दिया है.
मामा ने लंड मुंह से निकाला और मामी के दोनों गालों पर चाटें जड़ दिए. वो एक ओर हुए तो पल्लू ने देखा कि मामी के मम्मे लाल हो चुके थे. पापा फिर से उनके मम्मों पर उस बल्ले से मारने लगे.
“घोड़ी बन जा!” मामा ने आदेश दिया. मामी तुरंत ही घोड़ी बन गयीं. पापा उनके पीछे गए और चाचा आगे आ गए. अब पापा और चाचा ने उन्हें मारना आरम्भ किया. पापा गांड पर बल्ला चला रहे थे तो चाचा गाल लाल कर रहे थे. मामा एक ओर खड़े उन्हें देख रहे थे. पल्लू ने थोड़ा क्लोस अप में देखा तो मामा का चेहरा व्यथित था. वो मात्र अपनी पत्नी की संतुष्टि के लिए ये कर रहे थे.
“अब बहुत हुआ. चलो इसे पानी पिला दो, नहीं तो समस्या हो सकती है.” मामा ने बोला तो पापा और चाचा तुरंत रुक गए और मामी को सहारा देकर उठाया.
“अधिक पीड़ा तो नहीं है न?” मामा ने पूछा.
“उसमें ही तो आनंद है, आप तो जानते ही हैं.”
“चलो कुछ पी लो, नहीं तो मूर्छित न हो जाओ.”
मामा ने उन्हें बैठाया और सादा पानी पिलाया.
जब दीपक मामा मामी को पानी पिला रहे थे तो अमर चाचा अलमारी से कुछ निकाल रहे थे. पापा भी उनके साथ थे और जब दोनों लौटे तो हाथ में एक चमड़े का पट्टा जिसे पालतू पशुओं को पहनाया जाता है,
वो लिए थे और तेल की शीशी और एक रबड़ का नकली लंड. इसका आकार भी कम नहीं था. पल्लू समझ रही थी कि मामी की इस प्रकार की प्रवृत्ति है जिसे मामा और उसका परिवार पूर्ण करने में सहयोग देते हैं. जिस प्रकार से मामा मामी का ध्यान रख रहे थे उससे ये विदित था कि ये उनके मन की इच्छा नहीं थी, पर मामी के लिए उन्होंने इसे स्वीकार किया था. पर क्या उसके भाई भी ये जानते थे? पल्लू को लगा कि वो जानते तो होंगे पर क्या वो इसमें सम्मिलित होते हैं ये निश्चित नहीं था.
“अब ठीक हो?” मामा ने मामी से पूछा तो मामी ने स्वीकृति दी. “अगर चाहो तो सामान्य चुदाई भी कर सकते हैं.”
“आप हर बार मुझसे पूछते हैं, और मैं आपके प्रेम का अनुभव कर सकती हूँ. पर मुझे कभी कभी इस प्रकार की बर्बर और पाशविक चुदाई की इच्छा होती है. तो कृपया मेरी ये इच्छा भी पूरी करिये.” मामी ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए उत्तर दिया, मानो उन्हें लग रहा हो कि मामा मना कर देंगे.
“फागुनी,” अशोक ने बोला, “तुम जानती हो कि हम सब तुमसे कितना प्रेम करते हैं. पहले हम सब सप्ताह में एक ही बार मिलते थे, पर अब जब माँ और पल्लू को सब पता चल चुका है तो ये मिलन अधिक बार भी कर सकते हैं. मुझे लगता है कि पल्लू सप्ताह के अंत में तो आ नहीं पायेगी. तो हमें अपने आयोजन बीच के दिनों में करने होंगे. अगर ऐसा है तो तुम्हारी ये इच्छा पूरी करना कठिन होता जायेगा.”
“नीतू को भूल रहे हो आप, पल्लू ने बताया कि वो उसे भी अपने ससुराल की बहू बनाने का पूरा प्रयास करेगी. पर भैया, वो जब होगा, तब होगा. वैसे भी इस चुदाई को हम महीने में एक या अधिक से अधिक दो बार ही तो करते हैं, वो भी हम चार ही. तो कोई अड़चन नहीं दिख रही मुझे.” मामी ने अपना विचार बताया, “अब मुझे अपनी कुतिया बनाकर चोदो। आज मुझे तीनों लौड़े एक साथ लेने हैं.”
“ठीक है, मैंने अपनी बात कह ली.” अशोक ने अमर को संकेत किया.
“नीचे बैठ!” चाचा का कर्कश स्वर सुनते ही मामी की आँखों में नशा उतर आया और वो घुटनों पर आ गयीं.
चाचा ने चमड़े का पट्टा उनके गले में डाला और उसमे लगी स्टील की रस्सी को अपने हाथ में बाँध लिया.
“मैं इसे घुमाने ले जा रहा हूँ, पानी पिलाने के लिए. आना चाहोगे?” उन्होंने पापा और मामा से पूछा. दोनों ने कहा कि वो आ जायेंगे.
चाचा ने उस चेन को पकड़ा और बाथरूम की ओर चल दिए. मामी घुटनों के बल उनके पीछे हो गयीं. पल्लू आश्चर्य से ये सब देख रही थी. बाथरूम पहुंच कर चाचा ने मामी को उस बाल्टी के सामने लेकर रोक दिया. फिर उनके गाल पर एक जोरदार तमाचा मारा.
“ले पी ले, बहुत प्यास लगी है न तुझे.” चाचा ने बोला।
मामी ने उस बाल्टी में मुंह डाला और कुछ देर बाद निकाल लिया. उनका चेहरा भीगा हुआ था.
“अब मुंह धो, और कुल्ला कर!”
ये कहकर चाचा उन्हें दूसरे स्थान पर ले गए पर ये पल्लू के कैमरे में नहीं दिख रहा था. फिर मामी आती दिखीं और उनकी आँखों की लालिमा उनकी बढ़ती हुई वासना को दर्शा रही थी. जब मामी कमरे के बीच में पहुंचीं तो पापा ने उसकी गांड पर उस बैट से आठ दस बार मारा, मामी की गांड लाल हो गयी. फिर पापा ने उसकी गांड खोली और तेल की शीशी से उसमें तेल डाला. मामा ने उस नकली लंड को उनकी गांड में डाला और मामी के सामने जाकर उन्हें थप्पड़ जड़ दिए.
पल्लू अपनी मामी और पापा के इस रूप को देखकर अचंभित थी. पर वो उनके इस रूप का पूर्ण चित्रण भी देखने को उत्सुक थी. और वो देखती रही कि किस प्रकार उसके पिता, चाचा और मामा उसकी मामी की किस इच्छा को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.
“दीपक, अब इसकी चुदाई करनी होगी, साला लौड़ा अब फटा जा रहा है.” पापा ने बोला तो सब हंस पड़े.
“तो भाईसाहब आप ही पहले चोद लो, हम दोनों इसके मुंह को चोदते हैं.” मामा ने कहा.
मामी को वहीँ सोफे पर बैठाते हुए उन्हें कुछ आगे की ओर खींच लिया गया. इस अवस्था में उनकी गांड में डला नकली लंड सोफे के नीचे की ओर आ गया. ऐसा करने से मामी की गांड को चोटिल होने से बचाना ही इस आसन का ध्येय था. मामा और चाचा मामी के दोनों ओर हो गए और मामी ने मामा के लंड को मुंह में लेकर चूसना आरम्भ कर दिया. मामा और चाचा ने मामी के एक एक मम्मे को पकड़ा और निर्ममता से निचोड़ने लगे.
पापा ने अपने लंड को मामी की चूत पर लगाकर एक तगड़ा धक्का मारा और उनका लंड पूरा अंदर समा गया. मामी की आँखों में एक पल के लिए पीड़ा झलकी, पर फिर उसने वासना का आवरण ओढ़ लिया. पापा पूरी शक्ति से उन्हें चोदने में जुट गए.
“उम्म उम्म ऊँह!” मामी ने पापा को संकेत किया तो पापा ने धक्के रोके और नकली लंड को देखा जो धक्कों के कारण बाहर निकल रहा था. उसे फिर से अंदर ठूँसकर पापा ने चुदाई फिर आरम्भ कर दी. इस आसन में पापा रुक रुक कर नकली लंड को अंदर डालते फिर चुदाई करने लगते. फिर उन्होंने अपना लंड निकाला और मामा को अपना स्थान लेने के लिए कहा. मामा ने अब चूत संभाली और पापा मामी से लंड चुसवाने लगे. कुछ देर में चाचा और मामा ने स्थान बदले. एक बार चूत की भरसक चुदाई करने के बाद तीनों ने एक दूसरे को देखा.
“दो दो. मुझे दो दो लौड़े चाहिए.” मामी ने विनती की.
पल्लू ने सोचा कि अब मामी की चूत और गांड की एक साथ कुटाई होगी. पर आगे जो हुआ उसे देखकर तो वो विस्मित रह गई.
“इसे बिस्तर पर ले चलो.” मामा ने बोला।
मामी जब खड़ी हुईं तो मामा ने उनकी गांड से नकली लंड निकाल लिया और मामी के मुंह में डालकर उसे साफ करवाया.
पापा अब तक बिस्तर पर लेते हुए अपने फुंफकारते लंड को हाथ में लिए थे. मामा ने मामी को आगे बढ़ाया और उन्होंने लंड को अपनी चूत में ले लिया और आगे झुक गयीं. अब मामा ने अपने लंड को उनकी चूत पर रखा. अचानक पल्लू को समझ आया कि क्या होने जा रहा है.
“दो दो लौड़े चाहिए न? ले दो दो लौड़े.” ये कहकर मामा ने अपने लंड को बहुत सावधानी से पापा के लंड के पास से मामी की चूत में डालना आरम्भ कर दिया.
मामी उन्ह उन्ह करने लगीं तो चाचा ने उनका मुंह बंद करने के लिए उन्हें अपना लंड चूसने के लिए थमा दिया. अब मामी की चूत में दो लंड थे और मुंह में चाचा का लंड.
पापा और मामा ने फिर हल्की गति से मामी की चूत में लंड चलाने आरम्भ किये. धीमे धीमे दोनों मामी की चूत को चोद रहे थे. जब उन्हें एक अच्छी ताल मिल गई तो गति बढ़ाने लगे.
और पाँच दस मिनट के बाद दोनों पूरे समन्वय के साथ मामी की चूत की धज्जियां उड़ा रहे थे. इसके बाद चाचा और मामा ने स्थान बदले, फिर पापा और मामा ने. आश्चर्य ये था कि अब तक मामी को छोड़कर कोई झडा नहीं था. पर ये भी निर्धारित ही था.
“मैं इसके कटोरे को ला रहा हूँ. उसमे माल डालेंगे.” पापा ने अपने लंड को निकालकर कहा और वो कटोरा उठा लाये. फिर उन्होंने मामी की चूत में फिर से लंड डाला और कोई आठ दस धक्कों के बाद लंड निकालकर कटोरे में अपना माल छोड़ दिया. अब मामा और चाचा ने मामी की चूत में लंड पेले और फिर एक एक करके दोनों झड़े और कटोरे में अपना वीर्य डाल दिया.
“मम्म” मामी ने संतुष्टि दिखाई. “अच्छा माल इकट्ठा हो रहा है आज.”
“हाँ और अभी और भी आएगा. बाहर भी बच्चों ने आपके लिए एक कटोरी बनाई हुई है.” चाचा ने मामी को बताया।
“ओह, क्या बात है.”
“चलो भाई, एक पेग हो जाये. इसके बाद अगला राउंड लगाएँगे।”
“यस!” मामी ने ताली बजाते हुए कहा और उठकर बाथरूम चली गयीं। बाल्टी में मूत्र त्याग के बाद उन्होंने देखा तो उनका भी पेग बना हुआ था. सब शांति से पीते रहे.
“मैंने पल्लू से नीतू के लिए बात की. उसके एक लड़के का नाम बताया - यश.”
“ये कौन है? अशोक ने पूछा, “पहले उसके बारे में न सुना न देखा.”
“हाँ, वो अविका के भाई अमोल की समधन का बेटा है.”
“अविका का भाई? ये कहाँ से आ गया.” अशोक ने आश्चर्य से पूछा.
“भाई बहन में कुछ मतभेद हो गए थे और अमोल ने अविका से संबंध तोड़ लिए थे. अब इतने वर्ष बाद वो लौट आया है फिर से संबंधों को सामान्य करने के लिए. उनके दो बेटे हैं अंकुर और पराग. अंकुर के दो साले हैं जिनमे से बड़ा यश है.” ये सब पल्लू से फागुनी ने पता कर लिया था.
“पर यश क्यों? और कोई क्यों नहीं?” अमर ने पूछा.
“क्योंकि केवल यश ही आयु में अपनी नीतू से बड़ा है और सब छोटे हैं. यही कारण है. वैसे पल्लू ने यश के चरित्र की गारंटी ली है.” मामी ने मुस्कुराकर बताया.
चाचा का चेहरा मुरझा गया.
“फिर तो वो दूर चली जाएगी, हम सबसे.” उन्होंने कातर स्वर में बोला।
“देख अमर, जाना तो है ही उसे. इस प्रकार देखे सुने घर में जाएगी तो सुखी रहेगी. अपनी पल्लू भी उसकी छाँव बनी रहेगी. अगर अविका आगे बात बढ़ाने के लिए माने तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए.”
“एक बार दीप्ति से तो पूछ लो.” चाचा बोले.
“वो मैं कर ही लूँगी, आप मना मत कर देना बस.”
“अच्छे घर में जाएगी तो मैं क्यों मना करूँगा भला. पल्लू बिटिया का ये कर्ज जीवन भर रहेगा.”
“अब ये बकवास मत कर. परिवार का यही अर्थ होता है. फागुनी, इसे एक पेग और दो, बौरा रहा है मूरख!” पापा ने डाँटकर बोला।
“भैया!”
“चल अब हंस और आगे से ये सब मत सोचना कभी कि कोई किसी पर कृपा है. हम सब एक ही हैं.”
“जी भैया!”
“इन सब बातों ने मेरी प्यास बढ़ा दी है!” मामी ने हसंते हुए अपनी चूत को सहलाया।
“तेरी प्यास तो कोई और बात भी होती तो बढ़नी ही थी.” मामा ने उत्तर दिया. “पर इस बार तेरी चूत नहीं गांड मारनी ने है.”
“चलो अब खेलें!” चाचा ने कहा और मामी को एक थप्पड़ लगाया. मामी की आँखों में आँसू उतर आये. पर उन्हें यही तो चाहिए भी था, अपमान और कुछ यंत्रणा, इसी में उन्हें आनंद की अनुभूति जो होती थी. पापा ने उनके दोनों स्तनों पर उस बैट से प्रहार करने का कार्य संभाला और मामा ने उनके बालों को हाथ में लिया और धीरे से खींचा और नीचे बैठा दिया. पापा बैट से मारते रहे, इस बार मामा ने थप्पड़ जड़ा और उनके मुंह पर थूक दिया. पल्लू ने ये देखा कि थूकने का कार्य केवल मामा ही कर रहे थे. मामी ने मुंह खोला और मामा ने उनमें थूकते हुए उन्हें फिर एक थप्पड़ लगाया.
“तेरी गांड बहुत लुपलुप कर रही है न लौड़े खाने के लिए. पर आज हम तुझे ऐसे छेदेंगे कि तू भी याद रखेगी. भाईसाहब, इसे बिस्तर पर ले चलिए.”
चाचा ने चेन पकड़ी और पापा ने बाल, मामा ने बैट लिया और मामी को घुमाते हुए बिस्तर की ओर ले जाने लगे. मामा उनकी गांड पर बैट से मारते रहे और मामी की गांड लाल लाल हो गई थी. पर वो घुटनों पर चलते हुए भी उन्हें उत्तेजित करने के लिए गांड मटका रही थीं. पल्लू ने ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा था. वो अपनी चूत को सहलाते हुए ये सब देख रही थी.
बिस्तर पर मामी को ले जाकर पापा ने मामा से विचार विमर्श किया. मामी इस पूरे समय अपनी जीभ को लपलपाते हुए घुटनों पर ही थीं और चाचा चेन को हिला रहे थे. अंततः कुछ निर्णय किया गया और पापा ने चाचा से लेटने के लिए कहा. चाचा लेट गए और मामी आशा से मामा को दखने लगीं. मामा ने सिर हिलाया तो मामी ने चाचा के लंड को मुंह में लेकर दो तीन चूसा.
“अब चढ़ जा अमर के लंड पर और अपनी चूत में ले उसका लंड.” मामा ने आदेश दिया.
“पर मेरी गांड….” मामी अपनी बात पूरी भी न कर पायीं कि उनके चेहरे पर मामा का हाथ छप गया.
“तुझसे बोलने के लिए किसने कहा. जैसा कहा वैसा कर.”
मामी की आँखों में फिर आँसू आ गए पर वो चाचा के लौड़े पर बैठ गयीं और फिर अपनी चूत में ले लिया.
“जाइये भाईसाहब, मैं इसका मुंह चोदता हूँ. नहीं तो ये चिल्लाकर सारा घर सिर पर उठा लेगी.”
मामी कसमसाने लगीं, पर चाचा ने उनकी कमर अच्छे से पकड़ी हुई थी. पल्लू देख रही थी कि उसके पापा अपना लंड पकड़कर मामी की चूत पर ही लगा रहे थे.
“ओह क्या पापा और चाचा मामी की चूत में एक साथ लंड डालेंगे?” पल्लू सोचने लगी और उसका ये अनुमान सही सिद्ध हो गया.
पापा ने मामी की चूत में अपने भाई के लंड के साथ लंड डालना आरम्भ किया. मामा ने अब तक उनके मुंह में लंड नहीं दिया था.
“उई माँ, मर गई माँ!” मामी की चीख ने उसका दिल दहला दिया. पर पापा नहीं रुके और जब पापा ने पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया तब तक मामी यूँ ही चीखती रहीं. पापा ने फिर मामा को संकेत दिया और मामा ने चीखती मामी के मुंह में लंड डालकर उन्हें चुप करा दिया.
“अब चोदो इसे. पर झड़ना मत.”
“ओके दीपक.”
अब पापा और चाचा एक ताल में अपने लौड़े मामी की चूत में अंदर बाहर करने लगे.
मामा मामी के बाल पकड़कर उनसे अपना लंड चुसवा रहे थे. ये यूँ कहें की उनका मुंह चोद रहे थे. तीनों की ऐसी समयबद्धता थी कि मामी का एक स्वर भी निकल नहीं पा रहा था.
“आजा, दीपक. चोद अपनी पत्नी को. मैं उसके मुंह को बंद रखता हूँ.” पापा ने कहा और अपना लंड मामी की चूत से निकाल लिया. मामा ने मामी के मुंह से लंड निकाला वो फिर से “उई माँ, उई माँ” बोलने लगीं. एक थप्पड़ मामा ने फिर लगाया और उनके पीछे चले गए. पापा मामी के सामने आये और उन्हें दयनीय भाव से देखा. मामी ने उन्हें देखा और मुस्कुरा दीं और जीभ निकालकर चिढ़ाने लगीं. अगर उनका ध्येय पापा को छेड़ना था तो वो पूरा हुआ और एक झापड़ ने उनकी मुस्कान पर ताला लगा दिया. फिर पापा ने उनके बल पकड़े और मामा को देखा. मामा ने आँख मारी तो पापा ठहर गए.
मामी की आँखों में आँखें डालकर बोले, “तुझे गांड मरवानी थी न? अब देख दीपक कैसे तेरी गांड मारता है.”
“उई माँ!” मामी के मुंह से निकला क्योंकि उनके पतिदेव ने एक ही झटके में अपना लगभग पूरा लौड़ा उनकी गांड में पेल दिया था.
“उई उई उई !!!” मामी चीख पड़ीं और मामी के खुले मुंह में पापा ने अपना लंड डाल दिया और उनके बालों को हाथ में लेकर उनके मुंह को चोदने लगे. चाचा और मामा अब मामी की चूत और गांड की मस्त चुदाई में लग गए. इस समय मामी के तीनों छेदों में लौड़े थे और वो उछल उछल कर इन तीनों का आनंद ले रही थीं.
तीनों पुरुष पूरी शक्ति का प्रयोग कर रहे थे, हालाँकि पापा पूरा लंड नहीं डाल रहे थे नहीं तो मामी को श्वास लेने में समस्या हो सकती थी और इस समय ये पता नहीं चलता कि वो आनंद से अचेत हुई हैं या श्वास न लेने के कारण. इस प्रकार से कुछ मिनट तक चुदाई करने के बाद मामा और चाचा धीमे पड़ गए. पापा ने अपने लंड को मामी के मुंह से निकाल लिया. अब इस खेल का अगला भयावह अंक खेला जाना था.
चाचा ने अपने लंड को धीरे से मामी की चूत से निकाला। उनका लंड पूरा गीला था. मामा ने अपना लंड गांड से बाहर निकाला। मामा ने मामी को आगे की ओर धकेला और चाचा ने अपने लंड को गांड पर लगाया. मामी को पीछे खींचते हुए मामा ने चाचा के लंड को गांड में जाने में सहायता की. चाचा का लंड अभी गांड में आधा ही गया था कि मामा ने अपना लंड भी गांड पर लगा दिया.
अब चाचा और मामा साथ साथ अपने लौडों को गांड में धकेलने लगे. चाचा का लंड पहले लक्ष्य तक पहुंचा और फिर मामा का लंड भी पूरा गांड में समा गया.
“मर गई, मर गई!!! मैं मर गई !!! मेरी गांड फट गई. ओ रे मेरी माँ, मेरी गांड फट गई.” मामी की चीत्कार ने कमरे को हिला दिया. पल्लू सहम गई. उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसा भी किया जा सकता है.
चटाख! पापा के एक तमाचे ने मामी को कुछ समय के लिए शांत किया पर वो फिर से चीखने लगीं. पापा ने उनके बालों को फिर से पकड़ लिया और उनसे अपना लंड चुसवाने लगे.
मामा हंस रहे थे. “पहले तो स्वयं ही चाहती है कि ऐसे चोदे और जब चोदने लगो तो हाय माँ हाय माँ चिल्लाती है.”
पापा ने उनकी ओर देखा, “हाँ पूरी नौटंकी करती है. अभी तो इसकी जो इच्छा है वो भी पूरी नहीं हुई है और ये इतना नखरा मार रही है.”
चाचा नीचे से बोले, “लेकिन गांड मस्त टाइट हो रही है ऐसे, क्या आनंद आ रहा है. भट्टी की तरह सुलग रही है.”
मामी ने अपनी गांड को हिलाकर अपनी बात कही और अब चाचा और मामा पूरे जोश से उनकी इकलौती गांड में दोनों लौड़े पेलने पर ध्यान लगाने लगे. पल्लू अचरज में थी कि अब तक कोई झडा क्यों नहीं था.
ताबड़तोड़ चुदाई के कुछ मिनट बाद चाचा बोले, “भैया, आप भी गांड का आनंद ले लो, नहीं तो बोलोगे अमर ने पूछा नहीं.”
मामा ने भी उनकी बात का समर्थन किया, “आइये भाईसाहब.” ये कहकर मामा और चाचा ने रकते हुए अपने लंड निकाले। मामी की गांड की सुरंग देखकर पल्लू की गांड फट गई. पापा ने भी अपना लंड बाहर निकाला और नए आसन बनाये गए. इस बार मामा नीचे गए और पापा ने ऊपर से मामी गई गांड में मामा के संग अपना लंड जड़ दिया.
मामी फिर से चिल्लाने लगीं, “मर गई, मर गई!!! मैं मर गई !!! मेरी गांड फट गई. ओ रे मेरी माँ, मेरी गांड फट गई.”
“इतना मत चीखो!” चाचा ने बालों को पकड़कर उन्हें बोला और चाचा ने मामी के मुंह में लंड पेल दिया।
मामी की गांड की दुहरी चुदाई फिर आरम्भ हो गई. और इस बार पापा उन्हें किसी पशु के समान चोदे जा रहे थे. मामा और पापा के बीच का समन्वय चाचा और मामा से श्रेष्टतर था और ऐसा देखकर पल्लू को अपने पापा पर गर्व होने लगा. पापा और मामा इस प्रकार से कई मिनट तक मामी की गांड का भोसड़ा बनाते रहे.
मामी को इसके बाद उल्टा किया गया, अर्थात मामी की पीठ पीछे हो गई और चूत आगे. इस आसन में भी उनकी धुआंधार चुदाई की गई.
इसके बाद भिन्न भिन्न जोड़ों में मामी की चुदाई की गई. मामी की आँखें बंद थीं पर उनके चेहरे पर आनंद के भाव दिख रहे थे. वो इस प्रकार की चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थीं. और पापा, चाचा और मामा तो इसका पूरा लाभ उठा रहे थे.
पर अब उन्हें लग रहा था कि वे झड़ सकते हैं इसीलिए एक अल्पविराम की घोषणा की गई. तीनों लंड बाहर निकले और मामी ढेर हो गयीं.
ये अल्पविराम था और रात अभी भी शेष थी.
क्रमशः