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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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Bahut hi badhiya updateससुराल की नयी दिशा
अध्याय ४५: रहस्योद्घाटन - भाग २
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पल्लू :
भावना का कमरा:
उसके पिता तौलिया लपेटे हुए थे और उसकी माँ दिखाई नहीं दी. पर कुछ ही पलों में वो बाथरूम से निकल आयी. वो भी तौलिया ही पहने थीं. फिर वो ड्रेसिंग टेबल पर बैठकर अपने बाल संवारने लगीं.
“आज पल्लू को देखकर मन भर आया. उसके बिना घर सूना हो गया था.” अशोक ने कहा.
“हाँ, पर इसी नगर में रहेगी तो आना जाना होता रहेगा. इस बात की संतुष्टि भी है.” भावना ने कहा.
“शुभम कहाँ गया था आज, कुछ पता है?” अशोक ने पूछा.
“नहीं, पर गया गिरीश और हरीश के साथ था, हो सकता है निकुंज और नीतू भी गए हों. अभी आएगा तो पूछ लेना.” भावना बोली.
“अब क्या आएगा, इतनी रात को.” अशोक बिस्तर पर बैठा और तौलिया हटाकर एक ओर रख दिया. पल्लू अपने पिता के लिंग को देखकर विस्मृत हो गई. अच्छा भारी लंड था उसके पिता का.
“आएगा, देख लेना. अपनी माँ के बिना सो नहीं पायेगा.” भावना ने हंसकर कहा.
“वो तो उसका बाप भी नहीं सो पाता, वो किस खेत की मूली है.” अशोक भी हंस पड़ा. “पर पल्लू के रहते हुए?”
“वो तो सो भी गई होगी दूध पीकर.”
“हाँ.”
“मुझे आज उसे दूध देते हुए ग्लानि हो रही थी. हम उसको हर बार सुला देते थे जब भी अन्य सभी आते थे. जब उसने कहा कि मेरे हाथ से दिए दूध को पिए बिना उसे नींद नहीं आती तो मुझे बहुत संताप हुआ.” भावना ने कहा और अशोक के लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी.
पल्लू ने देखा कि उसके पिता का लिंग अपने पूर्ण रूप में आने लगा है और अत्यंत शक्तिशाली लग रहा था. पर ये निश्चित था कि उसका परिवार भी उसके ससुराल के ही समान है. अन्यथा शुभम के आने की बात करने के बाद भी उसके पिता के लंड को उसकी माँ सहला न रही होती.
अशोक ने उत्तर दिया, “वो इतनी भोली और सीधी है कि हमारे इस रूप को देखकर वो विचलित हो जाएगी और न जाने क्या कर बैठे. ये आवश्यक है.”
“मैंने तो कई बार कहा कि भैया के घर या देवरजी के घर पर चला करें, पर आप माने ही नहीं.”
“वही समस्या है भावना, मेरी माँ मेरे भाई अमर के साथ रहती हैं और तुम्हारे माता पिता तुम्हारे भाई दीपक के साथ. कैसे हो पायेगा?”
“हाँ, ये तो है और इसका मूल्य मेरी बेटी चुका रही है.”
“पर अगर हम वहाँ जाते भी तो पल्लू भी तो चलती. फिर यही समस्या बनी रहती.”
“चलिए, अब जो है सो है.” ये कहते हुए भावना उठी और अपना तौलिया हटाकर अशोक के सामने बैठ गई.
इस कोण से पल्लू को अधिक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. पर वस्तुतः भावना अशोक का लंड चूस रही थी. तभी उनके कमरे का द्वार खुला और शुभम अंदर आया.
“मेरी प्रतीक्षा नहीं की आज?”
“ये ट्रेलर है. आ जाओ. तुम्हारी मम्मी अभी अभी लंड चूसना आरम्भ की हैं.” अशोक ने कहा.
अब पल्लू को कोई शंका नहीं थी. उसने अपना फोन उठाया और एक संदेश भेज दिया. उधर शुभम ने नंगे होने में समय नहीं लगाया. वो अपने पिता के पास जाकर खड़ा हो गया और भावना ने उसके लंड को अपने हाथ में लिया. फिर अशोक के लंड को छोड़कर शुभम के लंड पर जीभ फिराई.
“किसकी गांड मारकर आ रहा है तू जो सीधे माँ के मुंह में लंड दे दिया?” भावना ने बोला तो सही, पर उसकी बात में द्वेष नहीं था.
“आप बताओ?” शुभम हँसते हुए बोला।
“न, मुझे न पता. अब बता.”
“नहीं. अभी नहीं, बल्कि मैं आपको पल्लू के जाने के बाद ही बताऊँगा।” शुभम ने रहस्य बनाये रखा.
“बच्चू, अब तूने इसका पेट दुखा दिया है.” अशोक ने अट्ठास मारा.
“हंस लो, हंस लो.” भावना भी हंस पड़ी. “कल शाम के पहले इससे न उगलवाया तो मैं भी इसकी माँ नहीं.”
“चलो, मॉम कल रात बता दूँगा। पर व्यर्थ में हठ मत करना. अब उठो, थोड़ा मुझे आपकी चूत का रस पीने दो.”
अशोक उठ गया और हाथ पकड़कर उसने भावना को भी उठाया. बाप बेटे उसके एक एक स्तन को पकड़कर चाटने लगे. फिर अशोक ने उसे बिस्तर पर लिटाया और स्वयं उसके सिर की ओर चला गया. शुभम ने अपना स्थान और अपनी माँ की चूत में अपना मुंह डाल कर चाटने लगा. भावना ने पैरों को फैलाकर उसके कार्य को सरल बना दिया.
पल्लू फोन पर आश्चर्य से उस पूरे दृश्य को देख रही थी. उसके पिता और भाई दोनों के लंड भरी, मोटे और लम्बे थे. तभी उसके फोन पर एक संदेश आया. उसमे का चित्र था. पल्लू ने भी वही उत्तर दिया. और फिर से लाइव टीवी देखने लगी. उसे अब हल्की हल्की झपकी भी आ रही थी और उसे पता नहीं था कि वो कितनी देर तक और जग सकेगी. उस कमरे में भी सम्भवतः यही सोच रही होगी.
“सुनिए, आज सो जाते हैं. मुझे अब नींद आ रही है.” भावना ने अशोक से कहा.
“पर अभी तो.., ठीक है. शुभम अपनी माँ को छोड़ और अपने कमरे में जा. कल खेलेंगे सबके साथ.” अशोक ने कहा.
“क्या पापा, आप भी न. अब ये अकड़ा लंड लेकर कैसे जाऊं?” शुभम ने आपत्ति की.
“इधर आ, मैं तेरा पानी निकाल देती हूँ.” भावना ने उठकर कहा. शुभम उसके पास गया और भावना उसके लंड को चूसने में जुट गई. जवान लड़का था तो भावना को अधिक परिश्रम करना पड़ा, पर अंततः शुभम ने उसके मुंह में पानी छोड़ा और फिर कपड़े पहनकर चला गया.
“पहले तो तुमने कभी ऐसा नहीं किया, चाहे कितनी भी रात होती हो.” अशोक ने उससे पूछा.
“पहले उठने की भी कोई शीघ्रता नहीं होती थी. पल्लू घर में है और वो सुबह उठेगी तो अच्छा नहीं होगा. फिर मुझे सच में नींद आ रही है. दिन में भी नहीं सो पाई थी.” भावना ने स्पष्ट किया.
“ठीक है. चलो सो ही जाते हैं. मुझे भी कल कार्यालय में आवश्यक कार्य सम्पन्न करने हैं. पूरी नींद लेना ही ठीक होगा.”
कमरे की बत्ती बुझ गई. उधर पल्लू बिना फोन बंद किये ही सो चुकी थी.
अगले दिन प्रातः ही दिनचर्या आरम्भ हो गई. पल्लू ने अपनी माँ के साथ नाश्ते का प्रबंध किया. फिर उसके पिता खाना लेकर अपने कार्यालय निकल गए. शुभम कुछ देर बाद आया और नाश्ता करते हुए दोनों भाई बहन बातें करते रहे. अब पल्लू को उसकी माँ के कमरे में जाकर कैमरे बंद करने थे. और बैटरी भी बदलनी थी. पर ये करना सरल नहीं था. फिर उसे एक युक्ति सूझ ही गई. शुभम नाश्ते के बाद जाने लगा और बोला कि वो आज भी देर से ही लौटेगा.
“पर आज तो मामा और चाचा दोनों आ रहे हैं.” भावना ने आपत्ति जताई.
“मॉम गिरीश और हरीश भी मेरे साथ ही आएंगे. आप चिंता मत करो.”
“क्या आज फिर किसी को चो …. छोड़ने जा रहे हो?”
पल्लू ने बड़ी कठिनाई हंस रोकी. उसकी माँ चोदने कहने से पहले ही सम्भल गई.
“नहीं, उनको कल छोड़ आया था. आज हमें किसी से मिलने जाना है, पर छोड़ने का कोई भी आशय नहीं है.”
“चल ठीक है, पापा को भी बता देता तो अच्छा होता.”
“वो मैं बता देता हूँ. फोन पर.”
“खाना ले जा फिर. जाने क्या ऊंटपटांग खायेगा बाहर.”
“मामी दे रही हैं उन दोनों को. उसमे हो जायेगा.”
“चल फिर ठीक है. मैं भी नहा लेती हूँ.”
शुभम अपने कमरे में जाकर कुछ देर बाद निकल गया.
“पल्लू तू भी आजा। मेरी चोटी बना देना आज.”
“ठीक है माँ, मैं पाँच मिनट में अपना फोन ले आती हूँ.” ये कहकर पल्लू तपाक से उठी और अपने कमरे में जाकर पर्स से दो बैटरी ले ली और फोन लेकर नीचे चली गई. भावना नहीं दिखी तो वो उनके कमरे में चली गई. भावना अपने पहनने के लिए कपड़े निकाल चुकी थी.
“आ गई. बैठ मैं दस मिनट में आती हूँ.” भावना ये कहकर नहाने चली गई.
पानी गिरने की ध्वनि सुनते ही पल्लू सक्रिय हो गई और जाकर कैमरे बंद किये और फिर बैटरी बदल दीं। उसने अगर इतनी स्फूर्ति न दिखाई होती तो सम्भव था कि पकड़ी जाती. जब भावना निकली तो पल्लू सोफे पर बैठ चुकी थी. बाल सुखाते हुए भावना बहुत सुंदर लग रही थी. फिर भावना बैठी और पल्लू ने उसकी चोटी बना दी. इसके बाद दोनों बैठक में जाकर बातचीत में व्यस्त हो गईं।
साँयकाल:
पाँच बजे पल्लू की चाची दीप्ति और मामी फागुनी भी आ गईं। वो भी पल्लू मिलकर बहुत प्रसन्न हुईं. पल्लू की चाची और मामी भी उसके ससुराल के चित्र देखकर प्रसन्न हो उठीं. पल्लू उनके साथ खड़ी हो गई. जब मामी और चाची पलटीं तो उसने बड़ी चतुराई से कैमरा ऑन कर दिया. यही उसने दोनों चित्रों के साथ किया. अब अंदर के कमरे के कमरे ही ऑन करना शेष थे.
कुछ ही देर में नीतू जो चाची की बेटी थी वो भी आ धमकी. पल्लू को देखकर वो किलकारी मारकर उसके गले लग गई. फिर पल्लू के साथ उसके कमरे में चली गई. अनुज के विषय में उसकी जिज्ञासा बहुत थी. फिर पल्लू ने उससे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा, जिसे नीतू टाल गई. पल्लू मन ही मन मुस्काई कि घर में इतने लौड़े हैं तो बाहर किसी की आवश्यकता ही क्या होगी. उसकी माँ, चाची और मामी सबके लिए खाने का प्रबंध कर रही थीं. कई पकवान पल्लू की रूचि के थे. छह बजे नीतू का भाई निकुंज भी आ गया और पल्लू को देखकर चौंका, पर फिर सम्भल गया. उसकी माँ ने संकेत से उसे चुप रहने के लिए कह दिया था.
सात बजे उसके पिता, चाचा और मामा भी आ गए. घर में चहलपहल हो गई. यही पल्लू को याद था. पर अब वो इसे एक नयी दृष्टि से देख रही थी. अब शुभम, और मामा मामी के जुड़वाँ बेटे गिरीश और हरीश ही आना शेष थे. पर सबको पता था कि वे किसी विशेष प्रयोजन के कारण देर से आएंगे. उसके पिता ने व्हिस्की निकाली और पुरुष वर्ग बैठकर पीने लगा. महिलाओं ने खाना लगा दिया और साथ में बैठ कर बातें करने लगीं. पल्लू भी निकुंज और नीतू के साथ मस्ती में लग गई.
मदिरापान पूर्ण होने पर भोजन किया गया और फिर सब बैठकर बातें करने लगे. पल्लू को अब अपना कार्य करना था. उसने बाथरूम जाने के बहाने अपने माता पिता के कमरे में जाकर कैमरे ऑन कर दिए. परन्तु बैठक के कैमरे लगाना व्यर्थ प्रतीत हो रहा था. पर आडंबर के लिए वो आवश्यक थे. जब पल्लू लौटी तो उसकी माँ दूध ले आई.
“माँ, मैं अपने कमरे में ही पी लूँगी, कल जैसे.”
“ठीक है, जैसा तेरा मन करे. कुछ देर बैठ जा फिर ले जाना.” भावना ने कहा तो फागुनी मामी बोल पड़ी.
“अरी क्यों रोक रही है, बच्चे यहीं रहने वाले हैं दिन भर. इसका सोने का मन है तो जाने दे बेचारी को.”
पल्लू समझ गई कि मामी की गांड अधिक खुजला रही है. पर उसने कुछ बोला नहीं और ग्लास लेकर अपने कमरे में गई. वहाँ दूध की मूँछ बना और दूध फेंककर आकर लेट गई. चालीस मिनट का अलार्म लगाया और लेटकर सोने का बहाना करने लगी. उसे विश्वास था कि उसकी माँ अवश्य आएगी. हुआ भी वही. आधे घंटे बाद भावना आई और उसे हिलाडुला कर उठाने का प्रयास किया. पल्लू के अभिनय को पुरुस्कार मिल सकता था. वो टस से मस न हुई. भावना ने बत्ती बुझाई और कमरा बंद करके चली गई. पल्लू तपाक से उठी और कमरा अंदर से बंद किया. इस समय उसने आई-पैड के स्थान पर फोन का उपयोग किया और इयरफोन लगा लिए.
क्रमशः