- 95
- 180
- 33
next Update
तृषा – तुम्हे ड्राइव करना नहीं आता है ?
मैं – आता है l
तृषा – तो फिर ड्राइव क्यूँ नहीं करते हो ?
मैं – वो मेरे दोनों हाथ फ्री रहते हैं न l (कहते हुए उसके गालों को सहलाने लगा)
तृषा – छोडो भी ... क्या कर रहे हो ?
मैं – मतलब और पास आने को कह रही हो l ठीक है (कहते हुए उसे बांहों में भरने लगा)l
तृषा – छोड़ो मुझे ! ... नहीं तो गाड़ी कही ठोक दूंगी l
अब छोड़ना पड़ा उसे l वैसे भी सड़क पे भीड़ थोड़ी ज्यादा थी और साथ में फिल्म स्टार भी बैठी थी l मुझे तो कोई अब तक नहीं जानता था पर उसकी ख़बरें अब अक्सर सुर्ख़ियों में रहने लगी थी l सो मैंने अलग बैठना ही ठीक समझा l
मैं – जानेमन .. आज पीने का मन हो रहा है l
तृषा – ठीक है l यही पास एक रेस्ट्रोबार है l हम वही चलते हैं l
मैं – मैं तो तुम्हारी निगाहों के जाम की बात कर रहा था l और तुम ये समझ बैठी l खैर अब इतना कह रही हो तो मैं पी लूँगा l
तृषा – (मेरे कान खीचते हुए) तो मैं फ़ोर्स कर रही हूँ जनाब को l ठीक है नहीं जाते हैं l अरे याद आया आज तो एक सेलेब्रिटी पार्टी है l (अपनी घडी देखते हुए) पार्टी शुरू हो चुकी होगीl और हमें ट्रैफिक से निकल के वहां पहुँचने में भी एक घंटा लग ही जाएगा l तो क्या कहते हो ?
मैं – जहाँ तुम , वहां मैं l
तृषा – सो .... स्वीट l
लगभग एक घंटे में हम खंडाला के फार्म हाउस पर पहुंचे l बाहर पत्रकारों की पूरी फ़ौज खड़ी थी l एक से बढ़कर एक गाड़ियाँ लगती जा रही थी l और हर बार जब कोई बड़ा सेलेब्रिटी कार से उतर कर अन्दर जाता तो सब एक साथ चीखने लग जाते l मेरे लिए ये सब जैसे एक नया अनुभव था l अब हमारी कार भी दरवाज़े तक आ चुकी थी l तृषा का चेहरा यहाँ किसी के लिए भी अनजाना नहीं था l सो वहां के एक स्टाफ ने तृषा से चाभी ली l तृषा ने मुझे साथ आने को कहा l मुझे अब तक डर ही लग रहा था l सामने तृषा को बॉडीगार्ड्स ने घेरा हुआ था और तमाम पत्रकार उसकी तस्वीर के लिए कार पे गिर रहे थें, जोर जोर से चिल्ला रहे थें l फिर भी हिम्मत कर के मैं नीचे उतरा l और बिना किसी की ओर देखे तृषा के साथ हो लिया l सब चिल्ला चिल्ला के सवाल पूछ रहे थे l और इतने शोर में तो अपने मन की आवाज़ तक सुन पाना मुमकिन नहीं था, उनके सवाल कहाँ समझ आते भला l मैं तृषा के साथ अन्दर फार्म हाउस में दाखिल हुआ l
कमाल की जगह थी ये l ऐसा लग रहा था मानो खुद स्वर्ग के कारीगर ने आ कर इसे सजाया हो (कम से कम मैंने तो ऐसी जगह पहले कभी नहीं देखी थी) l मुंबई के लगभग तमाम नामचीन चेहरें थे यहाँ l मैं तो जैसे यहाँ खो गया था l
तृषा – तुम एन्जॉय करो मैं कुछ लोगों से मिल के आती हूँ l
जब गर्लफ्रेंड इस तरह कहती है तो अगर कोई लड़का मस्ती कर भी रहा हो तो भी एक बार देखता ज़रूर है की आखिर गयी कहाँ l मैंने भी उसकी नज़रों से बचते हुए उसे देखा l बॉलीवुड के एक बड़े सुपरस्टार का बेटा था l मैंने मन को समझाया की बेटा अब छोटे शहरों वाली सोच छोड़ दे l यहाँ अक्सर ऐसा ही देखने को मिलेगा l पर अभी अभी तो आया था यहाँ माहौल में ढलने में वक़्त था l दोनों काफी हस हस के बातें कर रहे थे और जितना वो उससे प्यार से बातें कर रही थी मुझे उतना ही गुस्सा आ रहा था l आखिरकार मैं उनपे से नज़रें हटा शराब ढूँढने लग गया l यही वो चीज़ थी जो मुझे सुकून दे सकती थी l
पास में ही शराब का काउंटर लगा था l मैं वहां गया और जल्दी जल्दी में जितनी शराब गले से उतर सकती थी उतारने लग गया l तभी किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा l मैंने पलट के देखा तो सुभाष जी थें वहां l
मैं – कैसे हैं सुभाष जी ? आज आप आये नहीं थे शूटिंग पे l
सुभाष जी – मेरा काम स्टूडियो तक ही होता है l उससे बाहर के काम के लिए अलग से टीम है l पर आज आपके काम की बड़ी तारीफ़ सुनी मैंने l ऐसे ही काम करते रहो, मंजिल ज़रूर मिलेगी l
मैं सुभाष जी से बातें करते हुए भी तृषा को ही देख रहा था (और शराब पीने की रफ़्तार अब तक कम नहीं हुयी थी मेरी) l सुभाष जी ने स्थिति को भांप लिया था l सो उन्होंने मेरे ग्लास को मुझसे ले के वही रख दिया और मुझे पार्क से फार्म हाउस की छत पे ले गएँ l वहां से हर कोई दिख रहा था l फिर उन्होंने मुझसे कहा l
सुभाष जी – मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ l बड़ा एक्टर वही होता है जिसके जज़्बात कोई पढ़ ना सके l जिसे अपने दर्द में मुस्कुराना और मुस्कुराते हुए रोना आता हो l मैं तुम्हे यहाँ इसलिए ले कर आया हूँ की तुम तसल्ली से इस भीड़ को देख सको l ये सब यहाँ किसी न किसी मुखौटे में हैं और यही वजह है इनकी शोहरत की l तुम भी कोई अच्छा सा मुखौटा डाल लो अपने चेहरे पे l अच्छा रहेगा l
मैं उनके इशारे को समझ गया था l वो मुझे वही छोड़ वापस उसी भीड़ के साथ हो लिए l अब शराब भी अपना असर दिखाने लगी थी l तभी वहां हाथों में जाम लिए लगभग पैंतीस साल की महिला छत पे आयी l मेरे पास आ कर “आपको कभी देखा नहीं है मैंने l”
मैं – मुझे तो खुद भी नहीं मालुम की मैं किसी को दिखता भी हूँ या नहीं l (मैं अब तक तृषा को ही देख रहा था)
वो मेरी नज़रों को भांपते हुए बोली l आशिक लगते हो l
मैं – मुझे तो खुद नहीं पता क्या हूँ मैं l हर शब्द के साथ बदलती तस्वीर हूँ मैं ... अब तो मुझे भी लगने लगा है की एक एक्टर हूँ मैं l
वो मुझसे हाथ मिलाते हुए बोली, “वैसे इस पार्टी की होस्ट मैं ही हूँ l आपसे मिलकर अच्छा लगा की इस उबाऊ भीड़ से अलग कोई तो है यहाँ l”
मैं – इस भीड़ को खुद से अलग लोगों की आदत नहीं है l सुना है यहाँ टिकने के लिए इसी भीड़ का हिस्सा बनना पड़ता है l
वो – बातें आप बहुत अच्छी कर लेते हो l
मैं – आपको मेरी बातें अच्छी लगती है और यहाँ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मेरी बातों से परेशान हो इस दुनिया को अलविदा कह जाते हैं l
वो हस्ते हुए बोली “मुझे ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है, मैं जाती हूँ और आपके हर सवाल के जवाब को आपके पास भेज देती हूँl”
अब शराब थोड़ी हावी हो गयी थी मुझपे l और नीचे डी जे अपने पुरे सबाब पे आ चुका था l मैं लडखडाता हुआ सीढ़ियों के पास पहुंचा और जैसे ही लडखडाने लगा तृषा ने मुझे थाम लिया अपनी बांहों में l
तृषा – जब कण्ट्रोल नहीं कर पाते, तो इतनी क्यूँ पीते हो l
मैं – इस पैमाने को दोष ना दो मेरे लडखडाने का l बात कुछ और भी तो हो सकती है l
तृषा – पता नहीं क्या क्या कहे जा रहे हो l वैसे तुम श्वेता जी को कैसे जानते हो ?
मैं – कौन श्वेता ?
तृषा – वही जो थोड़ी देर पहले तुम्हारे साथ थी l
मैं – तो उनका नाम है ये l बात तो हुयी पर नाम नहीं पूछा था मैंने l
तृषा – उनका बहुत बड़ा बिज़नस एम्पायर है l और वो तुम्हे नीचे बुला रही हैं l
मैं – पर मैं तो तुम्हारे साथ कुछ वक़्त बिताना चाहता हूँ l
तृषा मुझे धक्का देते हुए “नहीं ! अभी चलो नीचे l बाद में वक़्त बिता लेना l”
और मैं नीचे आ गया l तृषा मुझे श्वेता जी के पास ले जा कर “आपके मेहमान को मैं यहाँ ले आयी l”
मैं – (श्वेता जी को) पता नहीं था की मेरे इस दोस्त के पास ही मेरे मर्ज़ की दवा है l वरना हम खुद ही ज़िक्र कर देते l
श्वेता जी – वो दोस्त ही क्या जिसे दोस्त के हाल ए दिल जानने को ज़िक्र की ज़रूरत हो l हम तो आँखों से दोस्तों की नब्ज़ पहचान लेते हैं l (और फिर मेरा हाथ पकड़ स्टेज पर ले जाते हुए) आईये इस भीड़ से आपकी पहचान करवा दें l
बीच में एक स्टेज बना हुआ था वहां खड़े हो डी जे से माइक लेते हुए, माइक पे कहने लगीl “दोस्तों आज मैं आपसे अपने एक ख़ास दोस्त को मिलवाना चाहती हूँ l (फिर मुझे अपने करीब खीचते हुए) ये हैं नक्श इस इंडस्ट्री के अगले सुपरस्टार l” और फिर माइक उन्होंने मेरे हाथों में दे दिया l शराब कॉन्फिडेंस भी बढ़ा देती है, इस बात का पता मुझे आज ही चला था l मैं माइक अपने हाथ में लेते हुए...
“एक बार एक चींटी अपनी गर्लफ्रेंड को लॉन्ग ड्राइव पे ले जा रहा था l तभी रास्ते में एक हाथी अपनी मदमस्त चाल में चलता हुआ सामने आया l और उस चींटी की गर्लफ्रेंड उसे छोड़ हाथी के साथ चली गयी l (मैं मुस्कुराते हुए) और जाते जाते कह गयी “साइज़ मैटर्स” l (श्वेता की ओर देखते हुए) थैंक्स श्वेता उस चींटी से दोस्ती करने के लिए l”
डी जे ने म्यूजिक फिर से शुरू कर दिया l और फिर से सब झुमने लग गएँ l तृषा की आँखें बता रही थी की उसने मेरे इशारे को समझ लिया है पर चेहरे के मुखौटे ने उसे ज़ाहिर न होने दिया l मुझे अब यहाँ घुटन सी हो रही थी सो मैं वहां से बाहर आ गया l
टैक्सी की और सीधा घर पहुँच गया मैं l ज्योति दरवाज़ा खोलते हुए “क्या बात है जी , बड़ी पार्टी शार्टी हो रही हैं आजकल l” मैं कुछ भी जवाब देने की हालत में नहीं था सो मैं बिस्तर पे गया और सो गया l
अलार्म की तेज़ आवाज़ और सर में दर्द से बेहाल होता हुआ मेरी आँखें खुली l सामने टेबल पर एक ग्लास पानी और एक सर दर्द की गोली रखी थी l मैं बेड पे बैठा और उस टेबलेट को खा लिया l थोड़ी देर में सर दर्द से राहत मिली l
तृष्णा – (मेरे पास बैठते हुए) तो शूटिंग पे नहीं जाना है क्या?
मैं – नाह ! आज तो जाने का मन बिलकुल भी नहीं है l
तृष्णा – तृषा आएगी तो क्या कहोगे ?
मैं तो भूल ही गया था की तृषा मेरे फ्लैट पे आएगी मुझे साथ लेने l कल के लिए गुस्सा अब तक था मुझे और मैं इतनी जल्दी उससे मानने वाला नहीं था l (रूठने का भी लग ही मज़ा है) मैं जल्दी से तैयार हुआ और टैक्सी से शूटिंग लोकेशन पे चला आया l
सेट लगा हुआ था और मेरा वैन भी वही था l सो मैंने मेक अप वाले को बुलाया और वैन में आराम से बैठ गया l स्क्रिप्ट पढ़ते हुए मैंने मेक अप वाले से कहा की जब तक मुझे शॉट के लिए बुलाया न जाए तुम यहाँ से हिलोगे नहीं l और जो भी आये उसे कहना बाद में आने को l लगभग दो घंटे बीत गएँ और तृषा भी कई बार मुझसे बात करने की कोशिश की पर मैंने लगातार मेक अप वाले को बिठाए रखा l
निशा आयी “शॉट रेडी है सर l अब तो मेक अप हो गया आपका ?”
मैं – बस दो मिनट दे मैं अभी आता हूँ l
मैं शॉट देने आ गया l सीन था आज बस स्टैंड पे तृषा बैठी है और मेरा इंतज़ार कर रही हैl मैं भी ऑफिस के लिए यही से बस पकड़ता हूँ l मेरा आवारा शक्श जब तक किसी लड़की को लाल कपडे में ना देख ले तब तक बाहर नहीं आता है l सो मैं उसे पहचानूँगा तक नहीं l
लाइट ... कैमरा ... एक्शन...
बहुत ही सुहाना मौसम था और हल्की तेज़ हवाएं चल रही थी l बस स्टैंड पे तृषा शायद मेरे ही इंतज़ार में थी l वहां फिलहाल और कोई भी नहीं था l मैं डरा सहमा सा हलके क़दमों से बस स्टैंड पे पहुंचा l तृषा एक छोर पे बैठी थी और मैं दुसरे छोर पे जा के बैठ गया l तृषा सरकते हुए मेरे एकदम करीब आ जाती है l
मैं – (डरते हुए) जी अभी काफी जगह खाली है l आप वहां पे बैठ जाएँ l
तृषा – कुछ दिन पहले तक तो मुझे बांहों में भरने को बेकरार थे l आज जब मैं खुद तुम्हारे पास आयी हूँ तो दूर जा रहे हो l
मैं – देखिये आपको कोई गलत फ़हमी हुयी है l मैं वो नहीं हूँ जिसे आप ढूंढ रही हैं l
तृषा – (मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए) ह्म्म्म ... ठीक कह रहे हो आप l वो होता तो अब तक मेरे गले मिल चूका होता l
मैं – (उससे दूर जाते हुए ) इस तरह से किसी को परेशान करके आपको क्या मिलेगा l मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है l (आवाज़ तेज़ करते हुए) और मैंने कहा न मैं आपको नहीं जानता हूँ l फिर क्यूँ मेरे पीछे पड़ी हैं l
तृषा – (अब उसकी आँखों में आंसू आ गए थे) तुम्हारा नाराज़ होना जायज़ है l तुमने मुझसे इतना प्यार किया और मैंने हमेशा तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव किया l पर मैं तुम्हे जान गयी हूँ, अब प्लीज मुझे माफ़ कर दो l अब कभी तुम्हारा दिल नहीं दुखाउंगी l (और मुझसे कस के लिपट गयी l
मेरा तो मन हो रहा था की अभी इसे कस के बांहों में भर लूँ और जी भर के प्यार करूँ पर स्क्रिप्ट के मुताबिक़ मुझे सड़क पे से एक लाल साड़ी में महिला के गुजरने का इंतज़ार करना था l और उसके गुज़रते ही डायरेक्टर मुझे इशारे से पकड़ने को कहता तब मैं उसे बांहों में भर सकता था l मेरी बेचैनी अब मेरे चेहरे पे दिखने लग गयी थी l मैं साँसे रोक के और अपनी मुट्ठियाँ भींच के इशारे का इंतज़ार कर रहा था l तभी सामने से लहराती हुयी लाल साड़ी दिखी और डायरेक्टर ने इशारा कर दिया l इस बेचैनी ने मेरी आँखों में आंसू ला दिए थें और मेरा चेहरा लाल हो गया था l मैं उस इशारे के बाद कस के तृषा को पकड़ लेता हूँ l और हमारे होंठ मिल जाते हैं l
कट ...
मैंने तो जैसे इस आवाज़ को सुना ही नहीं l अब तक मैं उसे चूमता ही रहता हूँ l
कट इट (इस बार थोड़ी तेज़ आवाज़ में)... मैं अलग हो जाता हूँ l
निशा आ के मेरे गले मिल मुझे बधाई देती है l “क्या शॉट दिया है तुमने यार, सच में मज़ा आ गया l”
मैं अब भी तृषा को ही देख रहा था l वो अब तक तेज़ तेज़ साँसे ले रही थी l शायद ये किस कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था l
तृषा – तुम्हे ड्राइव करना नहीं आता है ?
मैं – आता है l
तृषा – तो फिर ड्राइव क्यूँ नहीं करते हो ?
मैं – वो मेरे दोनों हाथ फ्री रहते हैं न l (कहते हुए उसके गालों को सहलाने लगा)
तृषा – छोडो भी ... क्या कर रहे हो ?
मैं – मतलब और पास आने को कह रही हो l ठीक है (कहते हुए उसे बांहों में भरने लगा)l
तृषा – छोड़ो मुझे ! ... नहीं तो गाड़ी कही ठोक दूंगी l
अब छोड़ना पड़ा उसे l वैसे भी सड़क पे भीड़ थोड़ी ज्यादा थी और साथ में फिल्म स्टार भी बैठी थी l मुझे तो कोई अब तक नहीं जानता था पर उसकी ख़बरें अब अक्सर सुर्ख़ियों में रहने लगी थी l सो मैंने अलग बैठना ही ठीक समझा l
मैं – जानेमन .. आज पीने का मन हो रहा है l
तृषा – ठीक है l यही पास एक रेस्ट्रोबार है l हम वही चलते हैं l
मैं – मैं तो तुम्हारी निगाहों के जाम की बात कर रहा था l और तुम ये समझ बैठी l खैर अब इतना कह रही हो तो मैं पी लूँगा l
तृषा – (मेरे कान खीचते हुए) तो मैं फ़ोर्स कर रही हूँ जनाब को l ठीक है नहीं जाते हैं l अरे याद आया आज तो एक सेलेब्रिटी पार्टी है l (अपनी घडी देखते हुए) पार्टी शुरू हो चुकी होगीl और हमें ट्रैफिक से निकल के वहां पहुँचने में भी एक घंटा लग ही जाएगा l तो क्या कहते हो ?
मैं – जहाँ तुम , वहां मैं l
तृषा – सो .... स्वीट l
लगभग एक घंटे में हम खंडाला के फार्म हाउस पर पहुंचे l बाहर पत्रकारों की पूरी फ़ौज खड़ी थी l एक से बढ़कर एक गाड़ियाँ लगती जा रही थी l और हर बार जब कोई बड़ा सेलेब्रिटी कार से उतर कर अन्दर जाता तो सब एक साथ चीखने लग जाते l मेरे लिए ये सब जैसे एक नया अनुभव था l अब हमारी कार भी दरवाज़े तक आ चुकी थी l तृषा का चेहरा यहाँ किसी के लिए भी अनजाना नहीं था l सो वहां के एक स्टाफ ने तृषा से चाभी ली l तृषा ने मुझे साथ आने को कहा l मुझे अब तक डर ही लग रहा था l सामने तृषा को बॉडीगार्ड्स ने घेरा हुआ था और तमाम पत्रकार उसकी तस्वीर के लिए कार पे गिर रहे थें, जोर जोर से चिल्ला रहे थें l फिर भी हिम्मत कर के मैं नीचे उतरा l और बिना किसी की ओर देखे तृषा के साथ हो लिया l सब चिल्ला चिल्ला के सवाल पूछ रहे थे l और इतने शोर में तो अपने मन की आवाज़ तक सुन पाना मुमकिन नहीं था, उनके सवाल कहाँ समझ आते भला l मैं तृषा के साथ अन्दर फार्म हाउस में दाखिल हुआ l
कमाल की जगह थी ये l ऐसा लग रहा था मानो खुद स्वर्ग के कारीगर ने आ कर इसे सजाया हो (कम से कम मैंने तो ऐसी जगह पहले कभी नहीं देखी थी) l मुंबई के लगभग तमाम नामचीन चेहरें थे यहाँ l मैं तो जैसे यहाँ खो गया था l
तृषा – तुम एन्जॉय करो मैं कुछ लोगों से मिल के आती हूँ l
जब गर्लफ्रेंड इस तरह कहती है तो अगर कोई लड़का मस्ती कर भी रहा हो तो भी एक बार देखता ज़रूर है की आखिर गयी कहाँ l मैंने भी उसकी नज़रों से बचते हुए उसे देखा l बॉलीवुड के एक बड़े सुपरस्टार का बेटा था l मैंने मन को समझाया की बेटा अब छोटे शहरों वाली सोच छोड़ दे l यहाँ अक्सर ऐसा ही देखने को मिलेगा l पर अभी अभी तो आया था यहाँ माहौल में ढलने में वक़्त था l दोनों काफी हस हस के बातें कर रहे थे और जितना वो उससे प्यार से बातें कर रही थी मुझे उतना ही गुस्सा आ रहा था l आखिरकार मैं उनपे से नज़रें हटा शराब ढूँढने लग गया l यही वो चीज़ थी जो मुझे सुकून दे सकती थी l
पास में ही शराब का काउंटर लगा था l मैं वहां गया और जल्दी जल्दी में जितनी शराब गले से उतर सकती थी उतारने लग गया l तभी किसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा l मैंने पलट के देखा तो सुभाष जी थें वहां l
मैं – कैसे हैं सुभाष जी ? आज आप आये नहीं थे शूटिंग पे l
सुभाष जी – मेरा काम स्टूडियो तक ही होता है l उससे बाहर के काम के लिए अलग से टीम है l पर आज आपके काम की बड़ी तारीफ़ सुनी मैंने l ऐसे ही काम करते रहो, मंजिल ज़रूर मिलेगी l
मैं सुभाष जी से बातें करते हुए भी तृषा को ही देख रहा था (और शराब पीने की रफ़्तार अब तक कम नहीं हुयी थी मेरी) l सुभाष जी ने स्थिति को भांप लिया था l सो उन्होंने मेरे ग्लास को मुझसे ले के वही रख दिया और मुझे पार्क से फार्म हाउस की छत पे ले गएँ l वहां से हर कोई दिख रहा था l फिर उन्होंने मुझसे कहा l
सुभाष जी – मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ l बड़ा एक्टर वही होता है जिसके जज़्बात कोई पढ़ ना सके l जिसे अपने दर्द में मुस्कुराना और मुस्कुराते हुए रोना आता हो l मैं तुम्हे यहाँ इसलिए ले कर आया हूँ की तुम तसल्ली से इस भीड़ को देख सको l ये सब यहाँ किसी न किसी मुखौटे में हैं और यही वजह है इनकी शोहरत की l तुम भी कोई अच्छा सा मुखौटा डाल लो अपने चेहरे पे l अच्छा रहेगा l
मैं उनके इशारे को समझ गया था l वो मुझे वही छोड़ वापस उसी भीड़ के साथ हो लिए l अब शराब भी अपना असर दिखाने लगी थी l तभी वहां हाथों में जाम लिए लगभग पैंतीस साल की महिला छत पे आयी l मेरे पास आ कर “आपको कभी देखा नहीं है मैंने l”
मैं – मुझे तो खुद भी नहीं मालुम की मैं किसी को दिखता भी हूँ या नहीं l (मैं अब तक तृषा को ही देख रहा था)
वो मेरी नज़रों को भांपते हुए बोली l आशिक लगते हो l
मैं – मुझे तो खुद नहीं पता क्या हूँ मैं l हर शब्द के साथ बदलती तस्वीर हूँ मैं ... अब तो मुझे भी लगने लगा है की एक एक्टर हूँ मैं l
वो मुझसे हाथ मिलाते हुए बोली, “वैसे इस पार्टी की होस्ट मैं ही हूँ l आपसे मिलकर अच्छा लगा की इस उबाऊ भीड़ से अलग कोई तो है यहाँ l”
मैं – इस भीड़ को खुद से अलग लोगों की आदत नहीं है l सुना है यहाँ टिकने के लिए इसी भीड़ का हिस्सा बनना पड़ता है l
वो – बातें आप बहुत अच्छी कर लेते हो l
मैं – आपको मेरी बातें अच्छी लगती है और यहाँ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मेरी बातों से परेशान हो इस दुनिया को अलविदा कह जाते हैं l
वो हस्ते हुए बोली “मुझे ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है, मैं जाती हूँ और आपके हर सवाल के जवाब को आपके पास भेज देती हूँl”
अब शराब थोड़ी हावी हो गयी थी मुझपे l और नीचे डी जे अपने पुरे सबाब पे आ चुका था l मैं लडखडाता हुआ सीढ़ियों के पास पहुंचा और जैसे ही लडखडाने लगा तृषा ने मुझे थाम लिया अपनी बांहों में l
तृषा – जब कण्ट्रोल नहीं कर पाते, तो इतनी क्यूँ पीते हो l
मैं – इस पैमाने को दोष ना दो मेरे लडखडाने का l बात कुछ और भी तो हो सकती है l
तृषा – पता नहीं क्या क्या कहे जा रहे हो l वैसे तुम श्वेता जी को कैसे जानते हो ?
मैं – कौन श्वेता ?
तृषा – वही जो थोड़ी देर पहले तुम्हारे साथ थी l
मैं – तो उनका नाम है ये l बात तो हुयी पर नाम नहीं पूछा था मैंने l
तृषा – उनका बहुत बड़ा बिज़नस एम्पायर है l और वो तुम्हे नीचे बुला रही हैं l
मैं – पर मैं तो तुम्हारे साथ कुछ वक़्त बिताना चाहता हूँ l
तृषा मुझे धक्का देते हुए “नहीं ! अभी चलो नीचे l बाद में वक़्त बिता लेना l”
और मैं नीचे आ गया l तृषा मुझे श्वेता जी के पास ले जा कर “आपके मेहमान को मैं यहाँ ले आयी l”
मैं – (श्वेता जी को) पता नहीं था की मेरे इस दोस्त के पास ही मेरे मर्ज़ की दवा है l वरना हम खुद ही ज़िक्र कर देते l
श्वेता जी – वो दोस्त ही क्या जिसे दोस्त के हाल ए दिल जानने को ज़िक्र की ज़रूरत हो l हम तो आँखों से दोस्तों की नब्ज़ पहचान लेते हैं l (और फिर मेरा हाथ पकड़ स्टेज पर ले जाते हुए) आईये इस भीड़ से आपकी पहचान करवा दें l
बीच में एक स्टेज बना हुआ था वहां खड़े हो डी जे से माइक लेते हुए, माइक पे कहने लगीl “दोस्तों आज मैं आपसे अपने एक ख़ास दोस्त को मिलवाना चाहती हूँ l (फिर मुझे अपने करीब खीचते हुए) ये हैं नक्श इस इंडस्ट्री के अगले सुपरस्टार l” और फिर माइक उन्होंने मेरे हाथों में दे दिया l शराब कॉन्फिडेंस भी बढ़ा देती है, इस बात का पता मुझे आज ही चला था l मैं माइक अपने हाथ में लेते हुए...
“एक बार एक चींटी अपनी गर्लफ्रेंड को लॉन्ग ड्राइव पे ले जा रहा था l तभी रास्ते में एक हाथी अपनी मदमस्त चाल में चलता हुआ सामने आया l और उस चींटी की गर्लफ्रेंड उसे छोड़ हाथी के साथ चली गयी l (मैं मुस्कुराते हुए) और जाते जाते कह गयी “साइज़ मैटर्स” l (श्वेता की ओर देखते हुए) थैंक्स श्वेता उस चींटी से दोस्ती करने के लिए l”
डी जे ने म्यूजिक फिर से शुरू कर दिया l और फिर से सब झुमने लग गएँ l तृषा की आँखें बता रही थी की उसने मेरे इशारे को समझ लिया है पर चेहरे के मुखौटे ने उसे ज़ाहिर न होने दिया l मुझे अब यहाँ घुटन सी हो रही थी सो मैं वहां से बाहर आ गया l
टैक्सी की और सीधा घर पहुँच गया मैं l ज्योति दरवाज़ा खोलते हुए “क्या बात है जी , बड़ी पार्टी शार्टी हो रही हैं आजकल l” मैं कुछ भी जवाब देने की हालत में नहीं था सो मैं बिस्तर पे गया और सो गया l
अलार्म की तेज़ आवाज़ और सर में दर्द से बेहाल होता हुआ मेरी आँखें खुली l सामने टेबल पर एक ग्लास पानी और एक सर दर्द की गोली रखी थी l मैं बेड पे बैठा और उस टेबलेट को खा लिया l थोड़ी देर में सर दर्द से राहत मिली l
तृष्णा – (मेरे पास बैठते हुए) तो शूटिंग पे नहीं जाना है क्या?
मैं – नाह ! आज तो जाने का मन बिलकुल भी नहीं है l
तृष्णा – तृषा आएगी तो क्या कहोगे ?
मैं तो भूल ही गया था की तृषा मेरे फ्लैट पे आएगी मुझे साथ लेने l कल के लिए गुस्सा अब तक था मुझे और मैं इतनी जल्दी उससे मानने वाला नहीं था l (रूठने का भी लग ही मज़ा है) मैं जल्दी से तैयार हुआ और टैक्सी से शूटिंग लोकेशन पे चला आया l
सेट लगा हुआ था और मेरा वैन भी वही था l सो मैंने मेक अप वाले को बुलाया और वैन में आराम से बैठ गया l स्क्रिप्ट पढ़ते हुए मैंने मेक अप वाले से कहा की जब तक मुझे शॉट के लिए बुलाया न जाए तुम यहाँ से हिलोगे नहीं l और जो भी आये उसे कहना बाद में आने को l लगभग दो घंटे बीत गएँ और तृषा भी कई बार मुझसे बात करने की कोशिश की पर मैंने लगातार मेक अप वाले को बिठाए रखा l
निशा आयी “शॉट रेडी है सर l अब तो मेक अप हो गया आपका ?”
मैं – बस दो मिनट दे मैं अभी आता हूँ l
मैं शॉट देने आ गया l सीन था आज बस स्टैंड पे तृषा बैठी है और मेरा इंतज़ार कर रही हैl मैं भी ऑफिस के लिए यही से बस पकड़ता हूँ l मेरा आवारा शक्श जब तक किसी लड़की को लाल कपडे में ना देख ले तब तक बाहर नहीं आता है l सो मैं उसे पहचानूँगा तक नहीं l
लाइट ... कैमरा ... एक्शन...
बहुत ही सुहाना मौसम था और हल्की तेज़ हवाएं चल रही थी l बस स्टैंड पे तृषा शायद मेरे ही इंतज़ार में थी l वहां फिलहाल और कोई भी नहीं था l मैं डरा सहमा सा हलके क़दमों से बस स्टैंड पे पहुंचा l तृषा एक छोर पे बैठी थी और मैं दुसरे छोर पे जा के बैठ गया l तृषा सरकते हुए मेरे एकदम करीब आ जाती है l
मैं – (डरते हुए) जी अभी काफी जगह खाली है l आप वहां पे बैठ जाएँ l
तृषा – कुछ दिन पहले तक तो मुझे बांहों में भरने को बेकरार थे l आज जब मैं खुद तुम्हारे पास आयी हूँ तो दूर जा रहे हो l
मैं – देखिये आपको कोई गलत फ़हमी हुयी है l मैं वो नहीं हूँ जिसे आप ढूंढ रही हैं l
तृषा – (मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए) ह्म्म्म ... ठीक कह रहे हो आप l वो होता तो अब तक मेरे गले मिल चूका होता l
मैं – (उससे दूर जाते हुए ) इस तरह से किसी को परेशान करके आपको क्या मिलेगा l मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है l (आवाज़ तेज़ करते हुए) और मैंने कहा न मैं आपको नहीं जानता हूँ l फिर क्यूँ मेरे पीछे पड़ी हैं l
तृषा – (अब उसकी आँखों में आंसू आ गए थे) तुम्हारा नाराज़ होना जायज़ है l तुमने मुझसे इतना प्यार किया और मैंने हमेशा तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव किया l पर मैं तुम्हे जान गयी हूँ, अब प्लीज मुझे माफ़ कर दो l अब कभी तुम्हारा दिल नहीं दुखाउंगी l (और मुझसे कस के लिपट गयी l
मेरा तो मन हो रहा था की अभी इसे कस के बांहों में भर लूँ और जी भर के प्यार करूँ पर स्क्रिप्ट के मुताबिक़ मुझे सड़क पे से एक लाल साड़ी में महिला के गुजरने का इंतज़ार करना था l और उसके गुज़रते ही डायरेक्टर मुझे इशारे से पकड़ने को कहता तब मैं उसे बांहों में भर सकता था l मेरी बेचैनी अब मेरे चेहरे पे दिखने लग गयी थी l मैं साँसे रोक के और अपनी मुट्ठियाँ भींच के इशारे का इंतज़ार कर रहा था l तभी सामने से लहराती हुयी लाल साड़ी दिखी और डायरेक्टर ने इशारा कर दिया l इस बेचैनी ने मेरी आँखों में आंसू ला दिए थें और मेरा चेहरा लाल हो गया था l मैं उस इशारे के बाद कस के तृषा को पकड़ लेता हूँ l और हमारे होंठ मिल जाते हैं l
कट ...
मैंने तो जैसे इस आवाज़ को सुना ही नहीं l अब तक मैं उसे चूमता ही रहता हूँ l
कट इट (इस बार थोड़ी तेज़ आवाज़ में)... मैं अलग हो जाता हूँ l
निशा आ के मेरे गले मिल मुझे बधाई देती है l “क्या शॉट दिया है तुमने यार, सच में मज़ा आ गया l”
मैं अब भी तृषा को ही देख रहा था l वो अब तक तेज़ तेज़ साँसे ले रही थी l शायद ये किस कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था l