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Romance सुपरस्टार - The life we dream to live

Guffy

Well-Known Member
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Hello Everyone :hello:



We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).



Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.



Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.



Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.



Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.



Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..



Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.


Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.




Regards : XForum Staff.
 
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Bonus Update - 2

मम्मी – “पार्टी में नहीं जाना क्या? अभी तक तैयार भी नहीं हुए हो l

मैं – “शक्ल से कितने गरीब लोग लगते हैं माँ, मुझे तो लगता है खाना घर से ले के जाना होगा उनके यहाँ l मेरा तो बिलकुल भी मन नहीं है उनके यहाँ जाने का l ”

मम्मी - “बकवास बंद कर और चुपचाप तैयार हो के चलो l”

अब मम्मी को क्या पता की मैं तो कल से ही तैयार बैठा हूँ l अपनी काली शर्ट और काली जींस में तैयार हो गया और घर के सभी लोगो से पहले मैं वहां पहुच चूका था l पहली बार मैं गेट से अन्दर जा रहा था l मन में गाने बज रहे थे “दामाद जी अंगना में पधारो”… अब तो बस उनके दीदार की ही कमी थी l पर तभी पेट में कुछ गड़बड़ सी लगी, आज सुबह से यहाँ आने की बेचैनी में लघु शंका करना भूल गया था l सामने अंकल दिखे मुझे मैंने इशारे से उनसे पूछा की बाथरूम किधर है? सामने वाला कॉमन बाथरूम में कोई गया हुआ था सो उन्होंने कहा की वो उस कमरे में भी है एक सो वहां हो लो l मैंने कमरा देखा और फिर से ये धड़कने बेकाबू हो गयीं l वो तृषा का कमरा था l मैंने बड़े आहिस्ते से दरवाज़ा खोला, अन्दर तो कोई भी नहीं था l फिर बाथरूम के पास गया तो वो भी खाली था l सो मैंने बाथरूम को अन्दर से लॉक किया और अपने काम में मशरूफ हो गया l तभी उस कमरे का दरवाज़ा बड़ी जोर से बंद हुआ और कमरे से लड़कियों की आवाजें आने लगी l एक आवाज़ जिसे मैं पहचानता था वो तृषा थी और एक शायद उसके परिवार से कोई थी l

तृषा – “क्या हुआ ? क्या दिखाने को कह रही थी तुम मुझे ? अभी बहुत काम है बहन जल्दी बता l”

वो – “ठीक है फिर सीधा मुद्दे पर आती हूँ l वो तुम्हारे घर के बगल में जो लड़का था न वो लाल रंग की टी शर्ट पहने ?

तृषा – हाँ … क्या हुआ ?

वो – वो मुझे देख रहा था और उसने तो मुझे इशारे भी किये थे l

अब चौंकने की बारी मेरी थी , क्योंकि लाल टी शर्ट तो मैंने पहना था पर इशारे कब और किसे कर दिए मैंने l अब तो मुझे गुस्सा भी आ रहा था, मन कर रहा था की बाहर जा कर पूछ लूँ l पर थोडा और सुनने को रुक गया वही l

तृषा – अभी आने दो उसके मम्मी पापा को मैं शिकायत करती हूँ उसकी l

वो – “अरे नहीं ! मुझे कैसे भी कर के उससे इंट्रो करा दे l कितना हैंडसम है यार वो l”

तृषा – मैं ये सब कुछ नहीं कराने वाली l आएगा तो खुद ही मिल लेना l और इशारे तो वो कर ही रहा था तो दिक्कत तो कोई आएगी नहीं l अब मैं जा रही हूँ l

तृषा की आवाज़ से मुझे लग रहा था की ये उसे अच्छा नहीं लग रहा है और ये बात मुझे बेचैन कर रही थी l तभी दरवाज़ा खुलने और फिर बंद होने की आवाज़ आयी l मुझे लगा गयी सब और मैं बाहर निकल आया l बाहर निकलते ही जैसे मेरी नज़र सामने गयी मैंने अपनी आँखों को हाथ से ढक लिया l वो लड़की अपना लहंगा ठीक कर रही थी l थोड़ी देर तो मैं मूरत की भाँती वही उसी अवस्था में खडा रहा l पर तभी मुझे मेरे बिलकुल करीब गर्मी का एहसास हुआ l

वो – (बिलकुल मेरे कानो के पास आ कर) जनाब, आप तो छुपे रुस्तम निकले l हम हाथो से पकड़ने निकले थे पर आप तो हमारी गोद में आ गिरे l वैसे अब आँखे छुपाने से क्या फायेदा… देख तो लिया ही है आपने l कुछ कमी रह गयी हो तो वो हम पूरी कर देते हैं l (कहते हुए मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी कमर पर रख दी )

किसी इंसान के सर पर प्यार हावी हो तो हवस खुद ही उससे दूर हो जाती है l

मैंने भी अपने होठ उसके कानों के पास ले जा कर कहा – हुस्न बा कमाल है आपका, मंझे हुए शायर भी आपके हुस्न को अपने अल्फाजों में कैद ना कर पायेंगे l पर अब हम क्या करें… हमें तो इश्क किसी और से है l (ऐसा कह कर मैं दरवाज़े की तरफ मुड़ा तभी उसकी आवाज़ आयी – “कौन है वो ?”)

मैं – तृषा … पहला और शायद मेरा आखिरी प्यार (ऐसा कह कर मैं कमरे से बाहर चला आया)

अब मैं तृषा की घर के छत पर आ चूका था l वही काउंटर लगे हुए थे और भीड़ भी काफी थी l सो मैंने अपनी प्लेट ली और अपने दीवार लांघ अपनी छत पर आ गया और बाउंडरी पर पीठ टिका कर वही ज़मीन पर बैठ गया l खाना तो ठीक से खाया भी नहीं जा रहा था l लग रहा था पता नहीं तृषा क्या सोच रही होगी l तभी मुझे एहसास हुआ की कोई मेरे सर के बालों सहला रहा है l मैंने देखा तो वही लड़की थी और साथ में तृषा भी थी l

अब तो मेरी धड़कने और भी बढ़ गयी l पता नहीं इसने सब कुछ बता तो नहीं दिया है तृषा को l

वो – जगह तो बड़ी अच्छी है आपकी l (कहते हुए वो मेरे घर की छत पे आ गयी और तृषा को भी जबरदस्ती वही बैठा ली l)

मेरे बांये में वो और उसके बांये में तृषा बैठी थी l मैं और तृषा बिलकुल चुप से थे तभी वो बोली – “यार तृषा आज मेरा दिल टूट गया”

तृषा – मतलब तुमने इज़हार कर दिया l

वो – इज़हार तो बच्चे करते हैं , मैं तो आगे की सोच रही थी l पर क्या करें मुझसे पहले कोई इनके दिल में बस चुकी है l वैसे मैं यहाँ स्मोक करने आयी हूँ और तुम दोनों ये देखना की कोई आ ना जाए l

तृषा – तू ये कब करने लग गयी ?

वो – अभी जरुरत है ये, गला जलेगा तब शायद ये दिल की जलन शांत हो सके l

अभी वो जला कर दो फूंक मारी ही थी की उसके पापा की आवाज़ सुनायी दी l वो झट से अपनी सिगरेट तृषा के हाथ में दे कर चली गयी l मैं और तृषा तो जैसे कुछ समझ ही नहीं पाए थे l

तृषा भी उसे फेंकने ही वाली थी की मैंने उससे वो ले लिया तृषा से पूछा – कभी स्मोक की हो ?

तृषा – नहीं l

मैं – मैं आज पहली बार ट्राई करने जा रहा हूँ l (और अपने खाने की प्लेट उसे दे कर सिगरेट की कश को अपने अन्दर खींचा और फिर खांसी की चेन शुरू हो गयी, तभी मुझे एहसास हुआ कोई मेरे पीठ को सहला रहा था और जब मुझे ये एहसास हुआ की ये तृषा का हाथ है तो बस जैसे सारी खांसी वहीँ गायब सी हो गयी )

तृषा – ये जरूरी नहीं की हर गलत आदत आजमा के ही देखा जाए l

मैं – वैसे आप सही कह रही हैं l आजमाना नहीं चाहिए l जैसे मुझे आजमाने के चक्कर में एक बहुत गन्दी आदत लग गयी है l

तृषा – कौन सी आदत ?

मैं – चोरी छिपकर आपको देखने की आदत l

मेरा यूँ कहना था की वो बिलकुल ही शांत सी हो गयी l फिर मैंने बात को टालने के लिए कहा की ज़रा वो मशरूम की सब्जी खा कर देखना तो , नमक नहीं है शायद उसमे l वो फिर ठीक से खा कर बोली “है तो नमक l” फिर मैंने उसके हाथ से प्लेट लिया और कहा – “सुना है जूठा खाने से प्यार बढ़ता है l अब तो मैं पूरी प्लेट साफ़ करने वाला हूँ l”

तृषा अजीब सा मुंह बनाते हुए वहाँ से उठ कर चली गयी l आज पहली बार गुस्से से ज्यादा हया की शोखी थी उनके चेहरे पर l







Batyeega zaroor.... ki aage kahani jyada kheench to nahi raha hu ....
Super sir bahut hi badiya

Aap aage likhiye sir
 

PARADOX

ଗପ ହେଲେ ବି ସତ
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puri kahani padh liya....

bas itna kahunga... puri jajbat aur eheshas donon ko mila ke likhe ho....

ab jajbat ye mere behne se ruk nahin rahe hain....

koi pawandi kyun lage , jab fizaon me bunde woh ishq ,
barasne se ruk nahin rahe hain....


bas itna kahunga..... kahani aisa main padha nahin kabhi.... bohot hi pyari kahani thi ..

bas aisa karo please ek do kahani aise aur likh do....
 
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