Bonus Update - 2
मम्मी – “पार्टी में नहीं जाना क्या? अभी तक तैयार भी नहीं हुए हो l
मैं – “शक्ल से कितने गरीब लोग लगते हैं माँ, मुझे तो लगता है खाना घर से ले के जाना होगा उनके यहाँ l मेरा तो बिलकुल भी मन नहीं है उनके यहाँ जाने का l ”
मम्मी - “बकवास बंद कर और चुपचाप तैयार हो के चलो l”
अब मम्मी को क्या पता की मैं तो कल से ही तैयार बैठा हूँ l अपनी काली शर्ट और काली जींस में तैयार हो गया और घर के सभी लोगो से पहले मैं वहां पहुच चूका था l पहली बार मैं गेट से अन्दर जा रहा था l मन में गाने बज रहे थे “दामाद जी अंगना में पधारो”… अब तो बस उनके दीदार की ही कमी थी l पर तभी पेट में कुछ गड़बड़ सी लगी, आज सुबह से यहाँ आने की बेचैनी में लघु शंका करना भूल गया था l सामने अंकल दिखे मुझे मैंने इशारे से उनसे पूछा की बाथरूम किधर है? सामने वाला कॉमन बाथरूम में कोई गया हुआ था सो उन्होंने कहा की वो उस कमरे में भी है एक सो वहां हो लो l मैंने कमरा देखा और फिर से ये धड़कने बेकाबू हो गयीं l वो तृषा का कमरा था l मैंने बड़े आहिस्ते से दरवाज़ा खोला, अन्दर तो कोई भी नहीं था l फिर बाथरूम के पास गया तो वो भी खाली था l सो मैंने बाथरूम को अन्दर से लॉक किया और अपने काम में मशरूफ हो गया l तभी उस कमरे का दरवाज़ा बड़ी जोर से बंद हुआ और कमरे से लड़कियों की आवाजें आने लगी l एक आवाज़ जिसे मैं पहचानता था वो तृषा थी और एक शायद उसके परिवार से कोई थी l
तृषा – “क्या हुआ ? क्या दिखाने को कह रही थी तुम मुझे ? अभी बहुत काम है बहन जल्दी बता l”
वो – “ठीक है फिर सीधा मुद्दे पर आती हूँ l वो तुम्हारे घर के बगल में जो लड़का था न वो लाल रंग की टी शर्ट पहने ?
तृषा – हाँ … क्या हुआ ?
वो – वो मुझे देख रहा था और उसने तो मुझे इशारे भी किये थे l
अब चौंकने की बारी मेरी थी , क्योंकि लाल टी शर्ट तो मैंने पहना था पर इशारे कब और किसे कर दिए मैंने l अब तो मुझे गुस्सा भी आ रहा था, मन कर रहा था की बाहर जा कर पूछ लूँ l पर थोडा और सुनने को रुक गया वही l
तृषा – अभी आने दो उसके मम्मी पापा को मैं शिकायत करती हूँ उसकी l
वो – “अरे नहीं ! मुझे कैसे भी कर के उससे इंट्रो करा दे l कितना हैंडसम है यार वो l”
तृषा – मैं ये सब कुछ नहीं कराने वाली l आएगा तो खुद ही मिल लेना l और इशारे तो वो कर ही रहा था तो दिक्कत तो कोई आएगी नहीं l अब मैं जा रही हूँ l
तृषा की आवाज़ से मुझे लग रहा था की ये उसे अच्छा नहीं लग रहा है और ये बात मुझे बेचैन कर रही थी l तभी दरवाज़ा खुलने और फिर बंद होने की आवाज़ आयी l मुझे लगा गयी सब और मैं बाहर निकल आया l बाहर निकलते ही जैसे मेरी नज़र सामने गयी मैंने अपनी आँखों को हाथ से ढक लिया l वो लड़की अपना लहंगा ठीक कर रही थी l थोड़ी देर तो मैं मूरत की भाँती वही उसी अवस्था में खडा रहा l पर तभी मुझे मेरे बिलकुल करीब गर्मी का एहसास हुआ l
वो – (बिलकुल मेरे कानो के पास आ कर) जनाब, आप तो छुपे रुस्तम निकले l हम हाथो से पकड़ने निकले थे पर आप तो हमारी गोद में आ गिरे l वैसे अब आँखे छुपाने से क्या फायेदा… देख तो लिया ही है आपने l कुछ कमी रह गयी हो तो वो हम पूरी कर देते हैं l (कहते हुए मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी कमर पर रख दी )
किसी इंसान के सर पर प्यार हावी हो तो हवस खुद ही उससे दूर हो जाती है l
मैंने भी अपने होठ उसके कानों के पास ले जा कर कहा – हुस्न बा कमाल है आपका, मंझे हुए शायर भी आपके हुस्न को अपने अल्फाजों में कैद ना कर पायेंगे l पर अब हम क्या करें… हमें तो इश्क किसी और से है l (ऐसा कह कर मैं दरवाज़े की तरफ मुड़ा तभी उसकी आवाज़ आयी – “कौन है वो ?”)
मैं – तृषा … पहला और शायद मेरा आखिरी प्यार (ऐसा कह कर मैं कमरे से बाहर चला आया)
अब मैं तृषा की घर के छत पर आ चूका था l वही काउंटर लगे हुए थे और भीड़ भी काफी थी l सो मैंने अपनी प्लेट ली और अपने दीवार लांघ अपनी छत पर आ गया और बाउंडरी पर पीठ टिका कर वही ज़मीन पर बैठ गया l खाना तो ठीक से खाया भी नहीं जा रहा था l लग रहा था पता नहीं तृषा क्या सोच रही होगी l तभी मुझे एहसास हुआ की कोई मेरे सर के बालों सहला रहा है l मैंने देखा तो वही लड़की थी और साथ में तृषा भी थी l
अब तो मेरी धड़कने और भी बढ़ गयी l पता नहीं इसने सब कुछ बता तो नहीं दिया है तृषा को l
वो – जगह तो बड़ी अच्छी है आपकी l (कहते हुए वो मेरे घर की छत पे आ गयी और तृषा को भी जबरदस्ती वही बैठा ली l)
मेरे बांये में वो और उसके बांये में तृषा बैठी थी l मैं और तृषा बिलकुल चुप से थे तभी वो बोली – “यार तृषा आज मेरा दिल टूट गया”
तृषा – मतलब तुमने इज़हार कर दिया l
वो – इज़हार तो बच्चे करते हैं , मैं तो आगे की सोच रही थी l पर क्या करें मुझसे पहले कोई इनके दिल में बस चुकी है l वैसे मैं यहाँ स्मोक करने आयी हूँ और तुम दोनों ये देखना की कोई आ ना जाए l
तृषा – तू ये कब करने लग गयी ?
वो – अभी जरुरत है ये, गला जलेगा तब शायद ये दिल की जलन शांत हो सके l
अभी वो जला कर दो फूंक मारी ही थी की उसके पापा की आवाज़ सुनायी दी l वो झट से अपनी सिगरेट तृषा के हाथ में दे कर चली गयी l मैं और तृषा तो जैसे कुछ समझ ही नहीं पाए थे l
तृषा भी उसे फेंकने ही वाली थी की मैंने उससे वो ले लिया तृषा से पूछा – कभी स्मोक की हो ?
तृषा – नहीं l
मैं – मैं आज पहली बार ट्राई करने जा रहा हूँ l (और अपने खाने की प्लेट उसे दे कर सिगरेट की कश को अपने अन्दर खींचा और फिर खांसी की चेन शुरू हो गयी, तभी मुझे एहसास हुआ कोई मेरे पीठ को सहला रहा था और जब मुझे ये एहसास हुआ की ये तृषा का हाथ है तो बस जैसे सारी खांसी वहीँ गायब सी हो गयी )
तृषा – ये जरूरी नहीं की हर गलत आदत आजमा के ही देखा जाए l
मैं – वैसे आप सही कह रही हैं l आजमाना नहीं चाहिए l जैसे मुझे आजमाने के चक्कर में एक बहुत गन्दी आदत लग गयी है l
तृषा – कौन सी आदत ?
मैं – चोरी छिपकर आपको देखने की आदत l
मेरा यूँ कहना था की वो बिलकुल ही शांत सी हो गयी l फिर मैंने बात को टालने के लिए कहा की ज़रा वो मशरूम की सब्जी खा कर देखना तो , नमक नहीं है शायद उसमे l वो फिर ठीक से खा कर बोली “है तो नमक l” फिर मैंने उसके हाथ से प्लेट लिया और कहा – “सुना है जूठा खाने से प्यार बढ़ता है l अब तो मैं पूरी प्लेट साफ़ करने वाला हूँ l”
तृषा अजीब सा मुंह बनाते हुए वहाँ से उठ कर चली गयी l आज पहली बार गुस्से से ज्यादा हया की शोखी थी उनके चेहरे पर l
Batyeega zaroor.... ki aage kahani jyada kheench to nahi raha hu ....