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Romance सुपरस्टार - The life we dream to live

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naqsh8521

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मैं – (मुस्कुराते हुए तृषा को) जानेमन कमरे में कोई नहीं है .... मौके पे चौका मार दिया जाए l

तृषा – कमीने.. हाथ पैर टूटे हुए हैं l अब तो सुधर जाओ l

मैंने रिमोट से टी वी ऑन किया l न्यूज़ चैनल पे हमारी फिल्म के बारे में ही ख़बरें आ रही थी l

“बॉलीवुड के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की बिना किसी फ़िल्मी इतिहास के एक लड़का यहाँ आता है और ना सिर्फ बॉलीवुड में मुकाम हासिल करता है बल्कि उसकी पहली फिल्म ओपनिंग में ही ऐतिहासिक कमाई करती है l”

उसके बाद देश भर के सिनेमा घरों से निकलती भीड़ से वो इस फिल्म के बारे में पूछते हैंl हर जगह बस हमारा ही नाम छाया हुआ था l



तृषा – लगता है तुम सुपरस्टार बन गए l

मैं – ऐसा है क्या ? तब तो शायद ज़न्नत से सेटिंग हो जायेगी मेरी l

तृषा – (मुक्का मारते हुए) दुबारा किसी और का नाम लिए न तो दूसरी टांग भी तोड़ दूंगी l



हम हस्ते हुए एक दुसरे के गले मिल लिए l कुछ दिनों के बाद हमें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जाना था l अब हम दोनों ही पूरी तरह से ठीक हो गएँ थें l

तृषा ने मुझे तैयार किया और हम बाहर जाने लगें l

तृषा – मैं बाकियों के साथ आती हूँ l तुम्हारे साथ गयी तो यहाँ की भीड़ में निकलना भी मुश्किल होगा l

मैं – इन्ही की चाहत ने आज हमें इस मुकाम तक पहुँचाया है l और इनसे ही किनारा ले रही हो l

तृषा – सच कहूँ l

मैं – कहो l

तृषा – आज ये भीड़ तुम्हारे लिए आयी है l ये भीड़ ही है जो हमें मिलाती है हमारी खुद की पहचान से l मैं इस दौर से गुज़र चुकी हूँ आज तुम्हारी बारी है l ये लम्हें तुम्हारी जिंदगी के सबसे यादगार लम्हें होने वाले हैं l इस हर पल को अपनी यादों में कैद कर लो l.... अब जाओ भी l

मैं अकेला ही बढ़ चला दरवाज़े की ओर l जैसे ही दरवाजा खुला....

“चारों तरफ हज़ारों कैमरों की जगमगाती चमक , जहाँ तक नज़रें जाएँ बस पागल होती बेकाबू सी भीड़ और उस भीड़ को काबू करने में लगे हुए कितने ही पुलिस वाले l कानों में गूंजता हुआ बस आपका ही नाम l हर चौराहे पे आपकी बड़ी बड़ी तस्वीरें l हर खबर की सुर्ख़ियों में बस आपका ही ज़िक्र l”

सच ही कहा है किसी ने ...


यूँ तो हर मोड़ पे बहुत सी जिंदगियां साँसे लेती दिखाई देंगी , पर उन जिंदगियों में जान नहीं होती l

जीते तो सब हैं इस दुनियां में , पर यहाँ हर किसी की खुद की पहचान नहीं होती l




आज मेरी एक पहचान थी l हाँ मैं अब सुपरस्टार बन चूका था l









एक शुरुआत ...... सुपरस्टार की जिंदगी की l



Waise main isse aage bhi likhne ki soch raha hu.... kuch likha bhi hai main update karta hu yahan.... padh kar review dena aap sab ki sahi track par hu ya fir kuch aur.
 

naqsh8521

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अब मैं अपनी कार में आ चूका था l ऐसा पल जिसे जीने का सपना ना जाने कीतने ही आँखों को बेचैन सा कर देता है l आज मैं उसी पल में था.. पर फिर भी कुछ तो कमी थी इन पलों में… सीने में कुछ चुभ सा रहा था l वो अनगिनत आवाजें जिनमे मेरा नाम था वो भी मेरे दिल को सुकून नहीं दे पा रही थी l बार बार ऐसा लग रहा था जैसे कानों में कोई मुझे बेहद पास से कुछ कह रहा हो l मुझे अगर कुछ याद आ रहा था तो बस तृषा के आखिरी मैसेज “जब भी मेरी याद आये तो अपनी बाँहें फैला लेना मैं तुम्हारे पास आ जाउंगी“ l ऐसा लग रहा था जैसे तृषा मेरी बांहों में समाती जा रही हो … आँखे धुंधलाने सी लगी … कैमरे की हर चमकती रौशनी के साथ मैं खीचा चला जा रहा था l

उस फ़्लैश की हर चमक के साथ मैं खोता गया आपनी यादों की दुनिया में जहाँ मैं था और मेरी तृषा…



तीन साल पहले …


आज सोमवार था कॉलेज में मेरा नया नया एडमिशन हुआ था और अभी थोड़े दिनों बाद से क्लासेज थी l सो सुबह सुबह का मेरा सबसे पसंदीदा काम l अपनी बहन को तंग करना मैंने शुरू कर दिया l कभी उसके बाल खीचता कभी तकिये से उसे पीटने लगता l

मम्मी – अरे शैतान, कब जा के अकल आएगी तुझे ? रुक अभी पापा को बुलाती हूँ l

और जैसा की हर आम माध्यम वर्गीय परिवारों में होता है l पापा का नाम सुन मैं चुप चाप अपने इयर फ़ोन कानो में लगा के उसपे ग़ज़ल लगाया और छत की तरफ निकल पडा l

छत का दरवाजा खोल मैं अभी पंहुचा ही था की मेरे घर से लगा हुआ जो नया नया बना मकान था वहां बड़ी हलचल सी महसूस हुयी l मैंने झाँक के देखा तो वहां एक परिवार अपने सामान के साथ शिफ्ट कर रहा था l

आज मौसम बड़ा ही सुहाना था l हवा में हल्की हलकी नमी सी थी , बीच बीच में रह रह कर आसमान से गिरती कुछ बूंदें मानो धरती को छेड़ रही थी l मैं अपनी आँखों को बंद कर इन हवाओं को महसूस कर रहा था, और गाना बज रहा था…

“ होश वालों को खबर क्या जिंदगी क्या चीज़ है “ l तभी एक बिजली की चमक ने मुझे नींद से जगाया हो जैसे l मेरी आँखों के सामने एक चमकती हुयी लकीर ने आसमान को चीर दिया हो जैसे l

उस वक़्त बगल वाली छत का दरवाज़ा खुला और एक लड़की लाल रंग की सूट पहने छत पर आयी l उसकी वो जुल्फें जो उस चेहरे को मेरी नज़र से बचाना चाह रही थी, शायद इन हवाओं को भी इल्म था हमारे इश्क का l उस ग़ज़ल की लाईनें भी मानो उस हुस्न की तारीफ़ में कसीदें पढ़ रही थी l “खुलती जुल्फों ने सिखाई मौसमों को शायरी, झुकती आँखों ने बताया मैकशी क्या चीज़ है l” मेरे लिए वक़्त वही रुक गया था, तभी उसे मेरे वहां होने का एहसास हुआ शायद, अपनी जुल्फों को समेटते हुए वो अचानक से पलटी और हमारी नज़रें मिली …. उस वक़्त मेरे दिल की धड़कने मानो उस बादल की गर्जना भी चुनौती दे रही हो l नज़रें जैसे वक़्त के बहते समंदर को कैद कर लेना चाहती थी l और कानो में मुझे बस उस ग़ज़ल की ये लाइने सुनाई दे रही थी …

उनसे नज़रें क्या मिली रौशन फिज़ाएं हो गयी, आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है l

इश्क कीजे , फिर समझिये … जिंदगी क्या चीज़ है l


“ओ हेल्लो … कभी कोई लड़की नहीं देखी है क्या ? बस घूरे ही जा रहे हो l “ पहली बार में उसकी आवाज़ मुझे सुनायी ही नहीं दी, मैं तो ग़ज़ल में ही खोया था तभी अपने ईरफ़ोन को निकाल के उसकी और देखते हुए बोला,

“जी मुझे ज़रा ऊंचा सुनायी देता है सो पास आ के कहिये l” उसे शायद यकीन भी हो गया था की मैं बहरा हूँ l और वो पास आ के ज़रा ऊंची आवाज़ में बोली “ऐसे क्यों घूर रहे हो मुझे?” तभी मैंने अपने हाथ उसके होठों पे रखते हुए कहा “धीरे बोल… पापा मम्मी सब सुन लेंगे तो अभी ही मेरी कुटाई हो जायेगी l” पहली बार जब उसकी साँसों का एहसास मेरी हथेलियों को हुआ मैंने अपने हाथ झटक लिए l

“हो जाने दो कुटाई l ऐसी हरकतों पे यही ठीक है तुम्हारे लिए l” मेरी तरफ गुस्से से देखते हुए बोली l

पहली बार वो मेरे इतने करीब खड़ी थी l उसका गुस्से से भरा हुआ चेहरा भी मेरे दिल को सुकून से भर दे रहा था l उसकी सुर्ख निगाहें … उसके गालों की कोमलता … उसके होठों का यूँ हिलना … मैं तो उसके हुस्न के जादू में खो ही गया था l

और वो बस पता नहीं क्या क्या मुझे सुनाये जा रही थी l उसकी आवाज़ को सुन उसकी मम्मी भी छत पर आ गयी l

उसकी मम्मी – “क्या हुआ तृषा ? वो कुछ बोल पाती उससे पहले मैंने ही कह दिया – “आंटी जी मैं वो इयर फ़ोन देने को कह रहा था जो आपकी छत पे गिर गया है गलती से l (मैंने आंटी को देखते ही वो उसकी छत पर गिरा दिया था) और बस पता नहीं क्या क्या बोले जा रही है ये तभी से l”

उसकी मम्मी (उसे डांटते हुए) – यहाँ आते ही लड़ना शुरू कर दिया तुमने ! (और मुझे मेरा इयर फ़ोन दे कर तृषा को साथ ले कर चली गयी) पर जाते जाते तृषा मुझे खा जाने वाली नज़र से घूरे जा रही थी l

और मैं तो बस उसके प्यार में खो सा गया था l हाँ मुझे इश्क हो गया था l पहली नज़र का प्यार …

पूरा दिन मैं उसके ख्यालों में खोया रहा, बार बार छत पर जाता और झाँक कर देखता की कभी तो उसकी झलक दिख जाए l पर नसीब भी मज़े लेने के मूड में था शायद l शाम हुयी और आज मेरे घर पर एक अंकल आये थे l अंकल के दो प्राइवेट स्कूल थे मेरे शहर में और मेरे पापा के बहुत ही करीबी मित्र थे वोl सो मुझे तो पता था की आज फिर पापा की पार्टी चलेगी l

शाम के करीब सात बज चुके थे और पापा और अंकल पेग लगा कर टल्ली हो चुके थे l तभी अंकल ने मुझे आवाज़ दी l

अंकल – और कहो, कैसा चल रहा है ?

मैं – जी , मैंने ग्रेजुएशन में एडमिशन ले लिया है सो अभी तो बस पढाई चल रही है l

अंकल – तुम तो बास्केट बॉल में नेशनल लेवल पर खेल चुके हो न ? उसी में आगे कुछ तैयारी क्यों नहीं करते ?

मैं – जी अभी बस पढाई पर ध्यान देने का इरादा है, आगे जॉब भी तो लेनी है l

अंकल – वो तो तुम कर ही लोगे, अभी कोई पार्ट टाइम जॉब कर लो l

मैं – अभी मेरी क्वालिफीकेशन उतनी नहीं है सो पार्ट टाइम जॉब कहाँ मिलेगा हमारे शहर में … (मेरी बात काटते हुए )

अंकल – अभी मैं हूँ यहाँ l … तुम मेरे स्कूल में आ जाओ बास्केट बॉल कोच बन कर l नया नया कोर्ट बनाया है अभी मैंने हमारे स्कूल में l

मैं – कौन से वाले में ?

अंकल – माउंट कारमेल l

मैं – पर वो तो गर्ल्स स्कूल है न ?

अंकल – हाँ पर हमारे यहाँ टीचर्स तो मेल भी हैं सो कल वहां आ जाना l

मैं – अंकल मुझे दो दिन दीजिये सोचने के लिए फिर मैं आपसे मिल लूँगा l

अंकल – ठीक है जैसा तुम्हे सही लगे l पर आना ज़रूर … कम से कम पॉकेट मनी के लिए पापा को परेशान तो नहीं करोगे उसके बाद l

मैं उन्हें प्रणाम कर अपने कमरे में चला आया l अब ये क्या नयी मुसीबत है l अभी अभी तो इश्क हुआ था l अब अंकल को कैसे समझाता की अभी लड़की को पटा तो लूँ फिर नौकरी भी कर लूँगा l खैर मैं फिर से ग़ज़ल सुनते हुए तृषा के ख्यालों में खो गया l और कब नींद आये मुझे पता ही नहीं चला l

आज सुबह जागने में थोड़ी देर हो गयी, पर आश्चर्य इस बात का लग रहा था मुझे की आज किसी ने अभी तक मुझे जगाने की कोशिश तक नहीं की l जब मैं अपनी आँखें मलता हुआ बाहर को आया तब सामने देखा की तृषा के मम्मी पापा मेरे यहाँ उनके गृहप्रवेश की पार्टी का निमंत्रण देने आये थे l

मैंने बिलकुल संस्कारी दामाद की तरह उनके चरण स्पर्श कर लिए l तभी मेरी बहन बोल उठी “अरे भैया घर में और लोग भी हैं, अब इतनी सुबह उठ ही गए हो तब सभी का आशीर्वाद ले लो l और हाँ मेरे पैर भी अच्छे से छूना l”

मैंने उसे गुस्से से देखा और ब्रश ले कर छत पर चला आया l अब तो बस बेचैनी सी हो रही थी… अपने इश्क का दीदार पाने की चाहत थी इन आँखों में l पर कहते हैं लोग की “इश्क जितना नया हो… अपने कदम उतने ही फूंक फूंक कर रखने चाहिए l पर अब इस दिल को कौन समझाए l थोड़ी देर तक यूँ ही छत पे इन्जार करते हुए जब बर्दास्त ना हुआ तो इस बार मैंने सपने चेहरे को साफ़ किया और छत की दीवार लांघ कर सीढियों से नीचे उसके घर में जाने लाने लगा l मेरे हर बढ़ते कदम मेरी दिल की धडकनों को तेज़ किये जा रही थी l नीचे काफी शोर शराबा था पर शुक्र था की सब अपने अपने कमरों में ही थे l बस एक ही कमरा ऐसा था जहाँ से शोर नहीं आ रहा था l सीढियों के ठीक पास वाला कमरा l मैंने दरवाज़े को थोडा सा सरकाया तो अन्दर बिस्तर पर सोती हुयी उस मासूम सी सीरत का दीदार हुआ जिसके लिए मेरी ये आँखें ना जाने कितने जन्मों से तड़प रही थी जैसे l तभी वो करवट बदली और मुझे लगा कही जाग न जाए सो मैं थोडा पीछे हो गया l उस वक़्त मेरी नज़र वहां टेबल पर पड़े हुए कागज़ पर गयी l एडमिशन फॉर्म था वो …. और उसपे लोगो बना हुआ था “माउंट कारमेल गर्ल्स स्कूल”l अब मुझे रास्ता दिख गया था तृषा के दिल में अपनी जगह बनाने का l सो मैं अब धीरे धीरे सीढियों से वापस ऊपर आता हुआ उसी तरह अपने घर की छत पर आ गया l

अब सबसे पहले मैंने अंकल को मैसेज भेजा की “अंकल मैं वो जॉब के लिए तैयार हूँ l परसों मैं वहां आ जाऊँगा l” और फिर अपना पूरा दिन तृषा की उसी झलक को याद करते हुए बिता दिया l उसकी पार्टी कल थी पर असके घर के परिवार के सदस्यों को आना अभी भी लगा हुआ था l तृषा यूँ तो दिख जा रही थी पर पार्टी की तैयारियों में ही व्यस्त सी थी l एक बार तो मेरा मन किया की मैं भी उसी तैयारियों में हाथ बटाने के बहाने तृषा से अपनी करीबियां बढ़ा लूँ l पर फिर याद आया की अभी तो बहुत वक़्त मिलेगा उसके स्कूल में… और फिर इतनी मेहनत मुझसे हो भी नहीं पाती (कामचोर जो हूँ ) l सो पार्टी की रात से पहले पहले तक यूँ ही छुट्टे में काम चला लिया मैंने l पर शायद तृषा को मेरी नज़र का अंदाजा हो चूका था l
 

naqsh8521

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Bonus Update - 2

मम्मी – “पार्टी में नहीं जाना क्या? अभी तक तैयार भी नहीं हुए हो l

मैं – “शक्ल से कितने गरीब लोग लगते हैं माँ, मुझे तो लगता है खाना घर से ले के जाना होगा उनके यहाँ l मेरा तो बिलकुल भी मन नहीं है उनके यहाँ जाने का l ”

मम्मी - “बकवास बंद कर और चुपचाप तैयार हो के चलो l”

अब मम्मी को क्या पता की मैं तो कल से ही तैयार बैठा हूँ l अपनी काली शर्ट और काली जींस में तैयार हो गया और घर के सभी लोगो से पहले मैं वहां पहुच चूका था l पहली बार मैं गेट से अन्दर जा रहा था l मन में गाने बज रहे थे “दामाद जी अंगना में पधारो”… अब तो बस उनके दीदार की ही कमी थी l पर तभी पेट में कुछ गड़बड़ सी लगी, आज सुबह से यहाँ आने की बेचैनी में लघु शंका करना भूल गया था l सामने अंकल दिखे मुझे मैंने इशारे से उनसे पूछा की बाथरूम किधर है? सामने वाला कॉमन बाथरूम में कोई गया हुआ था सो उन्होंने कहा की वो उस कमरे में भी है एक सो वहां हो लो l मैंने कमरा देखा और फिर से ये धड़कने बेकाबू हो गयीं l वो तृषा का कमरा था l मैंने बड़े आहिस्ते से दरवाज़ा खोला, अन्दर तो कोई भी नहीं था l फिर बाथरूम के पास गया तो वो भी खाली था l सो मैंने बाथरूम को अन्दर से लॉक किया और अपने काम में मशरूफ हो गया l तभी उस कमरे का दरवाज़ा बड़ी जोर से बंद हुआ और कमरे से लड़कियों की आवाजें आने लगी l एक आवाज़ जिसे मैं पहचानता था वो तृषा थी और एक शायद उसके परिवार से कोई थी l

तृषा – “क्या हुआ ? क्या दिखाने को कह रही थी तुम मुझे ? अभी बहुत काम है बहन जल्दी बता l”

वो – “ठीक है फिर सीधा मुद्दे पर आती हूँ l वो तुम्हारे घर के बगल में जो लड़का था न वो लाल रंग की टी शर्ट पहने ?

तृषा – हाँ … क्या हुआ ?

वो – वो मुझे देख रहा था और उसने तो मुझे इशारे भी किये थे l

अब चौंकने की बारी मेरी थी , क्योंकि लाल टी शर्ट तो मैंने पहना था पर इशारे कब और किसे कर दिए मैंने l अब तो मुझे गुस्सा भी आ रहा था, मन कर रहा था की बाहर जा कर पूछ लूँ l पर थोडा और सुनने को रुक गया वही l

तृषा – अभी आने दो उसके मम्मी पापा को मैं शिकायत करती हूँ उसकी l

वो – “अरे नहीं ! मुझे कैसे भी कर के उससे इंट्रो करा दे l कितना हैंडसम है यार वो l”

तृषा – मैं ये सब कुछ नहीं कराने वाली l आएगा तो खुद ही मिल लेना l और इशारे तो वो कर ही रहा था तो दिक्कत तो कोई आएगी नहीं l अब मैं जा रही हूँ l

तृषा की आवाज़ से मुझे लग रहा था की ये उसे अच्छा नहीं लग रहा है और ये बात मुझे बेचैन कर रही थी l तभी दरवाज़ा खुलने और फिर बंद होने की आवाज़ आयी l मुझे लगा गयी सब और मैं बाहर निकल आया l बाहर निकलते ही जैसे मेरी नज़र सामने गयी मैंने अपनी आँखों को हाथ से ढक लिया l वो लड़की अपना लहंगा ठीक कर रही थी l थोड़ी देर तो मैं मूरत की भाँती वही उसी अवस्था में खडा रहा l पर तभी मुझे मेरे बिलकुल करीब गर्मी का एहसास हुआ l

वो – (बिलकुल मेरे कानो के पास आ कर) जनाब, आप तो छुपे रुस्तम निकले l हम हाथो से पकड़ने निकले थे पर आप तो हमारी गोद में आ गिरे l वैसे अब आँखे छुपाने से क्या फायेदा… देख तो लिया ही है आपने l कुछ कमी रह गयी हो तो वो हम पूरी कर देते हैं l (कहते हुए मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी कमर पर रख दी )

किसी इंसान के सर पर प्यार हावी हो तो हवस खुद ही उससे दूर हो जाती है l

मैंने भी अपने होठ उसके कानों के पास ले जा कर कहा – हुस्न बा कमाल है आपका, मंझे हुए शायर भी आपके हुस्न को अपने अल्फाजों में कैद ना कर पायेंगे l पर अब हम क्या करें… हमें तो इश्क किसी और से है l (ऐसा कह कर मैं दरवाज़े की तरफ मुड़ा तभी उसकी आवाज़ आयी – “कौन है वो ?”)

मैं – तृषा … पहला और शायद मेरा आखिरी प्यार (ऐसा कह कर मैं कमरे से बाहर चला आया)

अब मैं तृषा की घर के छत पर आ चूका था l वही काउंटर लगे हुए थे और भीड़ भी काफी थी l सो मैंने अपनी प्लेट ली और अपने दीवार लांघ अपनी छत पर आ गया और बाउंडरी पर पीठ टिका कर वही ज़मीन पर बैठ गया l खाना तो ठीक से खाया भी नहीं जा रहा था l लग रहा था पता नहीं तृषा क्या सोच रही होगी l तभी मुझे एहसास हुआ की कोई मेरे सर के बालों सहला रहा है l मैंने देखा तो वही लड़की थी और साथ में तृषा भी थी l

अब तो मेरी धड़कने और भी बढ़ गयी l पता नहीं इसने सब कुछ बता तो नहीं दिया है तृषा को l

वो – जगह तो बड़ी अच्छी है आपकी l (कहते हुए वो मेरे घर की छत पे आ गयी और तृषा को भी जबरदस्ती वही बैठा ली l)

मेरे बांये में वो और उसके बांये में तृषा बैठी थी l मैं और तृषा बिलकुल चुप से थे तभी वो बोली – “यार तृषा आज मेरा दिल टूट गया”

तृषा – मतलब तुमने इज़हार कर दिया l

वो – इज़हार तो बच्चे करते हैं , मैं तो आगे की सोच रही थी l पर क्या करें मुझसे पहले कोई इनके दिल में बस चुकी है l वैसे मैं यहाँ स्मोक करने आयी हूँ और तुम दोनों ये देखना की कोई आ ना जाए l

तृषा – तू ये कब करने लग गयी ?

वो – अभी जरुरत है ये, गला जलेगा तब शायद ये दिल की जलन शांत हो सके l

अभी वो जला कर दो फूंक मारी ही थी की उसके पापा की आवाज़ सुनायी दी l वो झट से अपनी सिगरेट तृषा के हाथ में दे कर चली गयी l मैं और तृषा तो जैसे कुछ समझ ही नहीं पाए थे l

तृषा भी उसे फेंकने ही वाली थी की मैंने उससे वो ले लिया तृषा से पूछा – कभी स्मोक की हो ?

तृषा – नहीं l

मैं – मैं आज पहली बार ट्राई करने जा रहा हूँ l (और अपने खाने की प्लेट उसे दे कर सिगरेट की कश को अपने अन्दर खींचा और फिर खांसी की चेन शुरू हो गयी, तभी मुझे एहसास हुआ कोई मेरे पीठ को सहला रहा था और जब मुझे ये एहसास हुआ की ये तृषा का हाथ है तो बस जैसे सारी खांसी वहीँ गायब सी हो गयी )

तृषा – ये जरूरी नहीं की हर गलत आदत आजमा के ही देखा जाए l

मैं – वैसे आप सही कह रही हैं l आजमाना नहीं चाहिए l जैसे मुझे आजमाने के चक्कर में एक बहुत गन्दी आदत लग गयी है l

तृषा – कौन सी आदत ?

मैं – चोरी छिपकर आपको देखने की आदत l

मेरा यूँ कहना था की वो बिलकुल ही शांत सी हो गयी l फिर मैंने बात को टालने के लिए कहा की ज़रा वो मशरूम की सब्जी खा कर देखना तो , नमक नहीं है शायद उसमे l वो फिर ठीक से खा कर बोली “है तो नमक l” फिर मैंने उसके हाथ से प्लेट लिया और कहा – “सुना है जूठा खाने से प्यार बढ़ता है l अब तो मैं पूरी प्लेट साफ़ करने वाला हूँ l”

तृषा अजीब सा मुंह बनाते हुए वहाँ से उठ कर चली गयी l आज पहली बार गुस्से से ज्यादा हया की शोखी थी उनके चेहरे पर l







Batyeega zaroor.... ki aage kahani jyada kheench to nahi raha hu ....
 

naqsh8521

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Bahut hi achcha likh rahe hain,
 
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mashish

BHARAT
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मैं – (मुस्कुराते हुए तृषा को) जानेमन कमरे में कोई नहीं है .... मौके पे चौका मार दिया जाए l

तृषा – कमीने.. हाथ पैर टूटे हुए हैं l अब तो सुधर जाओ l

मैंने रिमोट से टी वी ऑन किया l न्यूज़ चैनल पे हमारी फिल्म के बारे में ही ख़बरें आ रही थी l

“बॉलीवुड के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की बिना किसी फ़िल्मी इतिहास के एक लड़का यहाँ आता है और ना सिर्फ बॉलीवुड में मुकाम हासिल करता है बल्कि उसकी पहली फिल्म ओपनिंग में ही ऐतिहासिक कमाई करती है l”

उसके बाद देश भर के सिनेमा घरों से निकलती भीड़ से वो इस फिल्म के बारे में पूछते हैंl हर जगह बस हमारा ही नाम छाया हुआ था l



तृषा – लगता है तुम सुपरस्टार बन गए l

मैं – ऐसा है क्या ? तब तो शायद ज़न्नत से सेटिंग हो जायेगी मेरी l

तृषा – (मुक्का मारते हुए) दुबारा किसी और का नाम लिए न तो दूसरी टांग भी तोड़ दूंगी l



हम हस्ते हुए एक दुसरे के गले मिल लिए l कुछ दिनों के बाद हमें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जाना था l अब हम दोनों ही पूरी तरह से ठीक हो गएँ थें l

तृषा ने मुझे तैयार किया और हम बाहर जाने लगें l

तृषा – मैं बाकियों के साथ आती हूँ l तुम्हारे साथ गयी तो यहाँ की भीड़ में निकलना भी मुश्किल होगा l

मैं – इन्ही की चाहत ने आज हमें इस मुकाम तक पहुँचाया है l और इनसे ही किनारा ले रही हो l

तृषा – सच कहूँ l

मैं – कहो l

तृषा – आज ये भीड़ तुम्हारे लिए आयी है l ये भीड़ ही है जो हमें मिलाती है हमारी खुद की पहचान से l मैं इस दौर से गुज़र चुकी हूँ आज तुम्हारी बारी है l ये लम्हें तुम्हारी जिंदगी के सबसे यादगार लम्हें होने वाले हैं l इस हर पल को अपनी यादों में कैद कर लो l.... अब जाओ भी l

मैं अकेला ही बढ़ चला दरवाज़े की ओर l जैसे ही दरवाजा खुला....

“चारों तरफ हज़ारों कैमरों की जगमगाती चमक , जहाँ तक नज़रें जाएँ बस पागल होती बेकाबू सी भीड़ और उस भीड़ को काबू करने में लगे हुए कितने ही पुलिस वाले l कानों में गूंजता हुआ बस आपका ही नाम l हर चौराहे पे आपकी बड़ी बड़ी तस्वीरें l हर खबर की सुर्ख़ियों में बस आपका ही ज़िक्र l”

सच ही कहा है किसी ने ...


यूँ तो हर मोड़ पे बहुत सी जिंदगियां साँसे लेती दिखाई देंगी , पर उन जिंदगियों में जान नहीं होती l

जीते तो सब हैं इस दुनियां में , पर यहाँ हर किसी की खुद की पहचान नहीं होती l



आज मेरी एक पहचान थी l हाँ मैं अब सुपरस्टार बन चूका था l









एक शुरुआत ...... सुपरस्टार की जिंदगी की l



Waise main isse aage bhi likhne ki soch raha hu.... kuch likha bhi hai main update karta hu yahan.... padh kar review dena aap sab ki sahi track par hu ya fir kuch aur.
lovely update
 
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