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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
Thank you very much parkas bhai, for your valuable review and support :thanx: Waise aapki request per maine kal raat ko hi update de diya tha:declare:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Badhiya update
Ab dekte hai ye Amu naam ka tota aage kya batata hai
Bilkul dekho bhai, sath bane rahiye, Thank you so much for your valuable review and support bhai :thanx:
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Badhiya update bhai

To is bar tota aya ha or inki nayi ummid bankar aya ha kher lekin ek bat chokane wali ha ki jo tota kisi ki pakad me na aya wo suyesh ke pas khud pahunchkar uske kandhe per beth gaya ab ye ittefaq ha ya kuchh or ye abhi to pata nahi kher lagta ha tote ke dwara hi ye kahin na kahin pahunchenge ab kahin ye tota bhi inhe atlantis per na le jaye
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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# 34 .

“क्या वही है?“ लारा जो कि अब सस्पेंस के मारे मरा जा रहा था, पूछ बैठा।

“ये वही द्वीप है जो हमें कल रास्ते में मिला था।“ सुयश की आवाज में भय स्पष्ट दिखाई दे रहा था।

सुयश के यह शब्द सुनते ही असलम को छोड़, सभी आश्चर्य में पड़ गए।

“ये कैसे संभव हो सकता है? आप ध्यान से देखिए सर, लगता है कि आप कहीं गलती कर रहे हैं? वह द्वीप तो बहुत पीछे छूट चुका है। उसके दोबारा मिलने का तो प्रश्न ही नहीं उठता।“ लारा के शब्दों में एक अजीब सी थरथराहट थी।

“नहीं लारा।“ असलम ने सुयश के बोलने से पहले ही कह दिया- “कैप्टन सही कह रहे हैं, यह वही द्वीप है, बिल्कुल वही। त्रिभुज की शक्ल वाला, अजीब सी मानवाकृति पहाड़ी वाला व गहरी धुंध वाला वही हरा-भरा द्वीप, जिसे हम कल पीछे छोड़ आए थे।“

“तो क्या हम 1 दिन तक इसी द्वीप के आसपास पानी में भटकते रहे?“ लारा ने चिंतित स्वर में कहा।

“पता नहीं, पर लगता तो कुछ ऐसा ही है। क्यों कि यह द्वीप तो चल नहीं सकता।“ सुयश ने कहा।

“अब हमें क्या करना चाहिए कैप्टेन?“ असलम आज्ञा की प्रतीक्षा कर रहा था पर उसके चेहरे पर बेचैनी के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे।

सुयश कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला- “नहीं हमें शिप को इस द्वीप की ओर नहीं मोड़ना है।“

“तो क्या इस रहस्यमय द्वीप का रहस्य कभी नहीं खुलेगा ?“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा।

“यदि इस शिप पर केवल हमारा स्टाफ होता और यात्री सफर ना कर रहे होते। तो मैं इस द्वीप का रहस्य जाने बिना यहां से कहीं नहीं जाता, पर आज हमारे साथ लगभग 2700 जिंदगियां और भी हैं और मैं यह रिस्क लेने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हूं। हां, अगर हम सलामत अपनी सभ्यता तक पहुंच गए तो अगली बार मैं अकेला इस क्षेत्र में जरूर आऊंगा।“

अब सुयश के चेहरे पर बेबसी और गुस्से के निशान साफ दिख रहे थे।

“कैप्टन यदि आप कहें तो मैं कुछ लोगों के साथ इस द्वीप पर जाकर देखना चाहता हूं।“ लारा ने सुयश से रिक्वेस्ट करते हुए कहा-
“मैं जानना चाहता हूं कि आखिर इस द्वीप पर क्या है? और यह भी तो हो सकता है कि हमारा सोचना गलत हो । यह द्वीप साधारण द्वीपों की तरह हो या फिर यहां से हमें किसी तरीके की कोई मदद मिल जाए।“

“बिल्कुल नहीं।“ सुयश ने अपना फाइनल जवाब सुनाते हुए कहा- “मैं किसी को मौत के मुंह में नहीं भेज सकता।“

“कैप्टेन आप गलत सोच रहे हैं। हम तो वैसे भी मौत के मुंह में खड़े हैं।“ लारा ने दोबारा रिक्वेस्ट करते हुए सुयश से कहा-

“आज नहीं तो कल भटकते-भटकते हमारे शिप का ईधन खत्म हो जाएगा। फिर हम कितने दिन तक बीच सागर में खड़े रहेंगे। एक स्थिति यह भी आ जाएगी कि हमारे पास राशन और खाने-पीने का अन्य सामान भी खत्म हो जाएगा। तब शायद हमारे आस-पास कोई द्वीप भी ना हो। वह स्थिति आज की स्थिति से ज्यादा खतरनाक होगी। इसलिए मैं मौत से डर कर भागने के बजाय आज उसका सामना करना चाहता हूं। आप मुझे आर्डर दीजिए सर कि मैं उस द्वीप पर जाकर देख सकूं कि आखिर वहां ऐसा क्या है? जो बार-बार हमें घुमा कर उसी द्वीप के पास पटक रहा है। और फिर 2700 यात्रियों की जान खतरे में डालने से अच्छा है कि सिर्फ हम दो या तीन लोग इस प्रयोग को करके देखें। शायद मौत के रास्ते में ही कहीं जिंदगी की डोर हाथ लग जाए।“

सुयश ध्यान से लारा की बात सुन रहा था। लारा के चुप होने के बाद वह कुछ देर तक सोचता रहा और फिर बोल उठा-

“ठीक है, अगर तुम इतनी जिद कर रहे हो तो तुम उस द्वीप पर जा सकते हो। लेकिन शर्त यह है कि मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा।“

“क्या !“ सुयश की बातें सुनकर लारा भौचक्का खड़ा रह गया।

“आप!.......आप वहां क्यों जाना चाहते हैं कैप्टन? वहां मौत का खतरा भी हो सकता है।“ असलम ने सुयश को समझाते हुए कहा।

“जब तुम अपनी जान का जोखिम लेने को तैयार हो, तो मैं क्यों नहीं?“ सुयश के शब्दों में दृढ़ता साफ झलक रही थी।

“आपको अभी शिप पर ही रहना चाहिए कैप्टेन। आपकी जिंदगी हमारे लिए बहुत कीमती है और वैसे भी आपके साथ 2700 यात्रियों की जान है, जबकि हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं है।“ लारा के शब्द इमोशन से भरपूर थे।

“लारा बिल्कुल ठीक कह रहा है कैप्टेन।“ असलम ने भी लारा की बात का समर्थन करते हुए कहा- “और फिर वह कौन सा अकेला जा रहा है, वह अपनी सिक्योरिटी के दो आदमियों को अपने साथ ले लेगा।“

आखिरकार बड़ी मुश्किल से सुयश लारा की बात मान गया। आनन-फानन एक मोटर बोट समुद्र में उतारी गई। लारा दो गार्ड के साथ मोटर बोट पर सवार हो गया। असलम ने लारा को एक वॉकी-टॉकी सेट भी दे दिया।

सुयश व असलम की निगाहें, दूरबीन के द्वारा धीरे-धीरे दूर हो रही उस मोटरबोट की ओर थीं। धीरे-धीरे सूरज का सफर भी समाप्त हो रहा था। लेकिन फिर भी वह अपनी लालिमा के द्वारा पूरी दुनिया को रोशनी देने की अंतिम कोशिश कर रहा था।

ठीक उसी तरह लारा भी सूरज से प्रेरणा लेकर, जहाज के यात्रियों की जान बचाने के लिए अपनी अंतिम कोशिश कर रहा था। धीरे-धीरे मोटरबोट बहुत दूर पहुंच गई। इतनी दूर कि अब उसकी आवाज भी यहां तक नहीं आ रही थी। लेकिन वॉकी-टॉकी सेट से लारा का संपर्क सुयश से बना हुआ था। मोटरबोट अब उस भयानक दैत्याकार द्वीप की ओर बढ़ रही थी।

“तुम लोगों को डर तो नहीं लग रहा है?“ लारा ने दोनों गार्डों को संबोधित करते हुए कहा।

“नहीं सर, इसमें डर कैसा ? और वैसे भी डरना तो उनको चाहिए जो वहां बीच समुद्र में खड़े हैं। भला कभी किनारे की ओर जाने वाला भी डरता है।“ एक गार्ड ने मुस्कुरा कर कहा।

उस गार्ड की इस बात पर लारा सिर्फ मुस्कुरा दिया। तभी आराम से द्वीप की ओर जा रही बोट को एक झटका लगा और बोट रुक गई।

“क्या हुआ लारा ? तुमने मोटरबोट क्यों रोक दी ?“ वॉकी टॉकी सेट पर सुयश की आवाज सुनाई दी।

“मैंने नहीं रोकी सर, यह अपने आप झटके से रुक गयी है। मैं अभी देखता हूं कि क्या प्रॉब्लम है?“ लारा ने जवाब दिया।

“अगर किसी तरह का खतरा दिख रहा है तो वापस आ जाओ।“ सुयश की आवाज में चिंता के भाव थे।

“नहीं सर, अब हम लोग द्वीप के बहुत पास हैं। यहां से तो वापस लौटना बेवकूफी होगी। और वैसे भी आसपास कोई खतरा.......।“ कहते-कहते लारा एकाएक चुप सा हो गया।

“लारा.....लारा.....क्या देख रहे हो तुम?......हमें बताओ। तुम एका एक चुप क्यों हो गए?“ सुयश दूरबीन को आंखों पर लगाए, मोटरबोट की तरफ देखते हुए, वॉकी-टॉकी सेट पर चीखा।


“वो ....वो.....सर, पानी में मुझे कुछ हलचल होती दिख रही है।....... ऐसा लगा जैसे कोई विशालकाय जानवर पानी के नीचे तैर रहा हो।“ लारा ने घबराये स्वर में कहा।

“मूव.....मूव.....वापस आ जाओ। अपनी मोटरबोट को तुरंत मोड़ो।.... लारा........दैट्स माई आर्डर.. ... . मोटरबोट को तुरंत मोड़ दो।“

सुयश दूरबीन पर नजर गड़ाये हुए जोर-जोर से चीख रहा था।

“मैं........कोशिश कर रहा हूं सर। इसका इंजन तो स्टार्ट है, पर यह घूम नहीं रहा है।“ लारा की आवाज आयी।

“ओ.... गॉड!“ सुयश ने भगवान से लारा के लिए प्रार्थना करनी शुरू कर दी- “लारा की रक्षा करना।“

तभी_____उधर से खुशी की आवाज सुनाई दी- “मोटरबोट आगे बढ़ रही है सर। शायद यह किसी झाड़ियों में फंस गई थी।..... लेकिन.....यह क्या ?.......सर, अब तो यह रुक ही नहीं रही है...... यह अब तेजी से द्वीप की ओर जा रही है। मैं......क्या करूं सर.....? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है?“ लारा घिघियाये से स्वर चीख रहा था।

“मोटरबोट का इंजन बंद कर दो। शायद उसके ब्रेक झाड़ी में फंसकर खराब हो गये हों।“ सुयश वॉकी-टॉकी सेट पर गला फाड़ कर चिल्लाया।

लारा ने झपट कर बोट का कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया। दोनों गार्डों के चेहरे का रंग भय के कारण सफेद हो गया था। वह डरे सहमे से बोट को पकड़े बैठे थे। लारा ने जल्दी से आगे बढ़कर बोट का इंजन बंद कर दिया।

“कैप्टेन,.....मैंने बोट का इंजन बंद कर दिया है.....पर मोटरबोट..... अभी भी नहीं रुक रही है। यह बहुत तेजी से द्वीप की ओर जा रही है।.....लगता है यह अब द्वीप से टकरा कर ही रुकेगी “

लारा के शब्द सुन शिप पर खड़े सभी लोग भय से भर गये थे। तभी एक भयंकर झटका बोट को पुनः लगा । ये झटका पहले वाले से भी तेज था। अचानक लगे इस तेज झटके से दोनों गार्ड उछलकर समुद्र में जा गिरे। मोटर बोट अब रुक गयी थी।

“कैप्टन मोटरबोट पुनः रुक गयी है.....।“ लारा की आवाज पुनः आयी-
“पर मेरे दोनों गार्ड झटका लगने की वजह से समुद्र में गिर गए हैं.......मैं भी बहुत मुश्किल से गिरते-गिरते बचा हूं।...... सर वह दोनों गार्ड मुझे पानी में नजर नहीं आ रहे हैं....... पर.....यह....क्या ?..... ये पानी में.....हरा रंग....नहीं...नहीं......यह ....कैसे .....हो सकता है? ये दोनों आंखें......खटाक.....।“

वॉकी-टॉकी सेट पर सन्नाटा छा गया था। लारा से संपर्क टूट गया था।

“क्या हुआ लारा...... क्या देख रहे हो तुम?....लारा ऽऽऽऽऽऽऽ“ सुयश लगातार चीख रहा था।

लारा से सम्पर्क के टूटते ही इन्हें लारा की मोटरबोट पानी में डूबती हुई दिखाई दी। कुछ देर के बाद सब कुछ शांत हो गया था।

सफर भी खत्म हो गया था। सूर्य का भी और लारा का भी। रह गई थी तो केवल वातावरण में गूंजती लारा की चीखें और दूर-दूर तक वही सन्नाटे का साम्राज्य।

तीन और जिंदगियों को यह खूनी त्रिकोण निगल चुका था।.. .....................



जारी रहेगा............✍️
Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌 👌
Lara aur gaurds 🏝️ pahuchne se pahle hi nibat gaye 😏 lagta waha jane ki raah bhi aasan na hai 😊 wo sab is jagah se nikal bhi na sakte .
 

Iron Man

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चैपटर-11 4 जनवरी 2002, शुक्रवार, 22:30;

सुयश ने इस हादसे के बाद शिप को द्वीप की ओर नहीं मुड़वाया। सुप्रीम फिर से एक अंजाने सफर पर चल दिया था।

धीरे-धीरे इस घटना की जानकारी भी लोगों तक पहुंच गई। कई लोगों को तो अब यह विश्वास हो गया था कि उनका अब बच पाना मुश्किल है। बहुत से लोग तो इस गम से बीमार हो गए थे।

डॉक्टर्स व सुप्रीम का स्टाफ अपनी पूरी कोशिश कर रहा था। माइकल भी मारथा के साथ अपने रूम में बैठा हुआ था।

शैफाली इस समय ब्रूनो के साथ दूसरे रुम में थी। माइकल की यही कोशिश थी कि वह शैफाली को शिप के हालात के बारे में ना जानने दे।

“क्या सोच रही हो मारथा ?“ माइकल ने मारथा के माथे पर चुंबन लेते हुए पूछा।

“यही कि अगर हम अपनी सभ्यता तक ना पहुंचे, तो हमारी इस फूल से कोमल बच्ची का क्या होगा ? इसने तो अभी ठीक से दुनिया भी नहीं देखी है। अगर हम ना रहे तो इसे भला कौन संभालेगा ?“ मारथा के शब्दों में चिन्ता साफ झलक रही थी।

“तुम भी क्या बेवकूफों जैसी बात करती हो ? हम सिडनी पहुचेंगे और जरुर पहुंचेंगे।“ माइकल ने मारथा को दिलासा देते हुए कहा-

“और वैसे भी हमारी बच्ची आँखों वालों से ज्यादा अच्छा देखती है, वह एक साधारण इंसान से ज्यादा समझदार है। तुमने देखा नहीं कि कैप्टन सुयश और प्रोफेसर अलबर्ट उसकी कैसे तारीफ कर रहे थे।“

“वो तो है लेकिन.........।“ अभी

मारथा अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि तभी शैफाली ने ब्रूनो के साथ कमरे में प्रवेश किया। मारथा ने शैफाली को आता देख तुरंत अपने आंसू पोंछ लिए, जो कि उसके गालों तक ढुलक आए थे।

“मॉम-डैड, देखिये मैंने गणित की कितनी अच्छी प्रॉब्लम बनाई है।“ शैफाली ने चहकते हुए कहा।

“क्या बनाया आज मेरी बेटी ने?“ माइकल ने आगे बढ़कर शैफाली के गालों को चूम लिया।

“एक बहुत अच्छी गणित की पजल है।“ शैफाली ने माइकल के हाथों में कॉपी और पेन पकड़ाते हुए कहा।

माइकल भी कॉपी और पेन लेकर, ऐसे जमीन पर बैठ गया, मानो आज उसका गणित का क्लास हो और मास्टर जी हाथ में छड़ी लिए हुए खड़े हों।

“रेडी टू सॉल्व द पजल?“ शैफाली ने भोलेपन से पूछा।

“यस मास्टर जी !“ माइकल अक्सर ही ऐसे शैफाली को खुश करने की कोशिश किया करता था।

“ओ.के. तो अब आप सबसे पहले तीन अंकों की एक संख्या लिखिए।“ शैफाली सच में किसी टीचर की तरह बोलने लगी-

“पर ये ध्यान रहे कि पहला और तीसरा अंक समान नहीं होना चाहिए। मतलब कि ‘646‘ जैसी कोई संख्या नहीं होनी चाहिए।“

माइकल ने धीरे से अपनी कॉपी में एक संख्या ‘348‘ लिख ली।


“लिख लिया ?“ शैफाली ने पूछा।

“जी मास्टर जी !“ माइकल ने भी बच्चों जैसी आवाज में जवाब दिया।

“अब इसी संख्या को दूसरी जगह उलट कर लिख लीजिए। मतलब की पीछे वाली संख्या आगे ले जाइए और आगे वाली संख्या पीछे ले जाइए। बीच वाली संख्या को बीच में ही लिखा रहने दीजिए।“ शैफाली ने कहा।

“हां हो गया।“ माइकल ने दूसरी जगह पर ‘843‘ लिख लिया।

“अब आपके पास दो संख्याएं हो गई। अब दोनों संख्याओं में से जो संख्या बड़ी है, उसमें से छोटी वाली को घटा दीजिए।“

अब माइकल ने ‘843‘ में से ‘348‘ को घटा दिया । उत्तर ‘495‘ आया।

“घटा दिया।......अब क्या करुं मास्टर जी।“

“अब जो भी उत्तर आया है, उसके बाएं साइड की पहली संख्या मुझे बता दीजिए।“ शैफाली ने कहा।

“4“ माइकल ने कहा।

“आपका उत्तर ‘495‘ आया है।“ शैफाली ने चहकते हुए कहा।

इस बार मारथा व माइकल दोनों हैरान रह गए क्यों कि उत्तर एकदम सही था।

“ये तुमने कैसे जाना कि मेरा उत्तर ‘495‘ ही आया है?“ माइकल ने शैफाली का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा।

“बता दूंगी लेकिन पहले वादा करिये कि आज आप मुझे ‘बर्गर‘ खिलायेंगे।“ शैफाली ने अपनी आंखें गोल-गोल नचाते हुए माइकल को भी ब्लैकमेल किया।

“अरे खिला दूंगा मेरी मां ! बर्गर के साथ ‘पिज्जा ‘ भी खिला दूंगा पर तुम उत्तर तो बताओ।“ माइकल ने बाकायदा शैफाली के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा।

“तो फिर ठीक है सुनिए- जब भी तीन अंकों की किसी भी संख्या को लेकर उसे उलट कर बड़ी संख्या से छोटी संख्या को घटाते हैं तो बीच की संख्या हमेशा ‘9‘ ही आती है। अब बांए हाथ की जो संख्या मैंने आप से पूछी, उससे मुझे तीसरी संख्या का पता लगाने में आसानी हो गयी। मतलब की बीच की संख्या हमेशा ‘9‘ ही आएगी और बाएं हाथ की संख्या को ‘9‘ से घटाने पर जो भी आएगा। वही तीसरी संख्या होगी। मान लिया आपने हमें बाएं हाथ की संख्या ‘3‘ बताई होती तो तीसरी संख्या ‘9-3=6‘ होती । अर्थात पूरी संख्या ‘396‘ होती।“

“मार्वलश!“ माइकल ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा।

“वैसे इसी तरह की एक और पजल भी है।“ शैफाली ने पुनः किसी संत की तरह उपदेश दिया।

“वह भी बता दीजिए मास्टर जी।“ माइकल जो की घुटनों के बल शैफाली के आगे बच्चा बनकर खड़ा था, पुनः बोल उठा।

इस बार शैफाली ने माइकल के हाथ से कॉपी लेकर, हाथ से टटोलते हुए ‘1‘ से लेकर ‘9‘ तक की संख्या लिखी, मगर ‘8‘ को छोड़ दिया। यानी कि वह संख्या थी- ‘12345679‘

अब उसने कॉपी पुनः माइकल के हाथ में पकड़ा दी।

“अब यह बताइए कि आपको ‘1‘ से लेकर ‘9‘ तक की संख्या में सबसे अच्छी संख्या कौन सी लगती है?“ शैफाली ने पुनः बोलते हुए कहा।

माइकल ने कुछ देर सोचने के बाद कहा- ‘8‘

“अब जो संख्या मैंने लि खी है, उस पूरे को 72 से गुणा कर दीजिए।“ शैफाली ने कहा।

“उससे क्या होगा ?“ माइकल ने छोटे बच्चों की तरह सवाल किया।

“आप पहले करिए तो शैफाली ने जिद की।

आखिरकार माइकल की गणित की कैलकुलेशन में जुट गया। कुछ देर के बाद उत्तर उसके सामने था। जिसे देखकर वह दंग रह गया। क्यो कि उत्तर ‘888888888‘ था।

“ये कैसे किया ? बता दो मगर शर्त मत रखना। मैं ब्रूनो को भी कुछ ना कुछ अच्छा अपने आप खिला दूंगा।“

“मैंने जो संख्या लिखी थी, वह एक तरह के कोड को सॉल्व करने वाली डिजिट है। इस डिजिट में ‘8‘ नहीं होता है। उसको लिखने के बाद मैंने आपसे आपका फेवरेट नंबर पूछा। तो आपने मुझे ‘8‘ बताया। तो मैंने ‘8‘ को ‘9‘ से गुणा कर दिया। उत्तर ‘72‘ आया। मैने यही नंबर आपको उस डिजिट से गुणा करने को दे दिया। यदि आप अपना फेवरेट अंक ‘3‘ बताते तो मैं उस संख्या को ‘27‘ से गुणा करने के लिए कहती। इसी तरह मैं ‘6‘ को ‘54‘ से गुणा करवाती और उत्तर ‘9‘ बार ‘6‘ (666666666) आता। है ना सिंपल सा।“ शैफाली ने भोलेपन से कहा।

“हां बहुत सिंपल है।“ इतना कहकर माइकल अपनी खोपड़ी पकड़ कर बैठ गया।

उसकी यह हालत देखकर मारथा जोर-जोर से हंसने लगी।




जारी रहेगा...........✍️
Shaandar jabardast update 👌 👌
Shefali ke dimag ke jalwe hai 😏 😏 hamara to bheja fry ho jayega 🤣 🤣
 

DesiPriyaRai

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#5

24 दिसम्बर 2001, सोमवार, 09:30; “सुप्रीम”

आज सुबह से ही शिप का डेक, पूरी तरह भर गया था । मौसम आज भी साफ था । सूर्य की स्निग्ध सी किरणें समुद्र की लहरों से टकरा कर, एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रहीं थीं । सुप्रीम पूरे जोश से
समुद्र का सीना चीरता हुआ, अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा था । प्रोफेसर अलबर्ट, अपनी पत्नि मारिया के साथ एक एकांत जगह ढूंढकर आराम से बैठे थे।

“कितना अच्छा लग रहा है ना मारिया।“ अलबर्ट ने सुनहली धूप पर एक नजर डालते हुए कहा -

“शहर की चीख-पुकार से भरी जिंदगी से दूर, अकेले तन्हाई में बैठना। ना कोई काम करने की टेंशन, न ही पैसे के पीछे भागने वाली जिंदगी। सभी कुछ सुकून से भरा हुआ।“

“सही कह रहे हैं आप।“ मारिया ने भी अलबर्ट की हां में हां मिलाई-

“आपका दिन-रात अपने शोध के पीछे इस तरह भागना । हमें तो बात करने का भी समय नहीं मिल पाता था । अब तो आज को देखकर बस दिल यही कहता है, कि यहीं कहीं आस-पास किसी सुनसान द्वीप पर चल कर रहा जाए। जहां पर हमारे और आपके सिवा और कोई इंसान ना हो।“

“सच! आज जिंदगी को देखकर यह लगता है कि मैंने अपने पूरे जीवन में
आखिर क्या हासिल कर लिया ?“ अलबर्ट ने खड़े होते हुए, एक लंबी सांस लेते हुए कहा-

“जवानी से आज तक भागता रहा,..... भागता रहा...... सिर्फ भागता रहा। किस चीज के पीछे ......पता नहीं ?.....क्या पाया? ...........मालूम नहीं। क्या यही जिंदगी थी ?“

थोड़ी देर रुक कर अलबर्ट ने मारिया को सूनी आंखों में झांकते हुए, पुनः कहना शुरू किया-

“आज हमारी शादी को लगभग 40 साल होने वाले हैं। लेकिन आज तक मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया। यहां तक कि वक्त भी नहीं।“
बोलते-बोलते अलबर्ट इतना भावुक हो गया, कि उसकी आंखों की दोनों कोरों में पानी आ गया। फिर वह धीरे से चलकर मारिया के पास आया और उसकी तरफ अपना दाहिना हाथ बढ़ा दिया। मारिया ने भी अपना दांया हाथ उठाकर अलबर्ट के हाथ पर रख दिया अलबर्ट के थोड़ा सहारा देते ही, मारिया उठकर खड़ी हो गई। अलबर्ट ने उसका हाथ, इस तरह से थाम लिया, मानो अब वह पूरी जिंदगी इसे ना छोड़ने वाला हो। धीरे-धीरे चलते हुए दोनों डेक की रेलिंग तक पहुंच गये। दोनों ही शांत भाव से इस तरह से सागर को निहार रहे थे। मानो वह इनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव हो।


“अब तुम बिल्कुल फिक्र ना करना मारिया।“ अलबर्ट ने खामोशी तोड़ते हुए कहा-

“आज से मैं दिन-रात तुम्हारे साथ रहूंगा। तुम जो कहोगी, मैं वही करूंगा। अब तो मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी।“

“इन बातों और इन लहरों को देखकर तुम्हें कुछ याद नहीं आता अलबर्ट।“ मारिया ने अलबर्ट को बीते दिनों की याद दिला ते हुए कहा। अलबर्ट ने सोचनीय मुद्रा में दिमाग पर जोर डाला। पर उसे कुछ समझ नहीं आया कि मारिया किस बात को याद दिलाने की कोशिश कर रही है। अन्ततः उसने सिर हिलाकर पूछा-

“क्या ?“

“हम लोग लगभग 40 साल पहले एक ऐसे ही शिप पर पहली बार मिले थे और उसके कुछ दिनों बाद, तुमने मुझसे यही शब्द बोले थे कि’ अब मौत ही हम दोनों को जुदा कर पायेगी’ और उसके कुछ दिनों बाद हम लोगों ने शादी भी कर ली थी।“

“वह दिन तो कुछ और ही थे।“ अलबर्ट भी शायद अतीत के कोने में चला गया-

“तब तो मैं कॉलेज में दोस्तों के साथ शायरी भी लिखा करता था। और........और तुम्हें वो शायरी याद है, जो मैंने तुम्हें पहली बार लिखकर सुनाई थी।“

एकदम से अलबर्ट बीते दिनों को याद कर खुशी से झूम उठा। उसे एकदम से लगने लगा, कि वह फिर से जवान हो गया। लेकिन इससे पहले कि वह किसी कालेज ब्वाय की तरह शायरों के अंदाज में शायरी कर पाता, माइकल को उधर आते देखकर, सामान्य हो गया। अलबर्ट
की इस स्टाइल पर मारिया को इतनी तेज हंसी आई कि हंसते-हंसते उसका बुरा हाल हो गया।

“क्या बात है अलबर्ट सर! मैडम बहुत तेज हंस रहीं हैं? क्या हो गया ?“ माइकल ने आते ही पूछ लिया।

“कुछ नहीं बेटे ! कुछ पुरानी बातें याद आ गई थीं।“ अलबर्ट ने जवाब दिया-

“उन्हें छोड़ो, अपनी सुनाओ, आजकल क्या चल रहा है?“

“फिलहाल सिडनी वापस जा रहा हूं सर। .......“ बोलते-बोलते रुक कर
माइकल ने हवा में हाथ मिलाया जो कि एक इशारा था, दूर खड़े शैफाली व मारथा को उधर बुलाने का।

“अच्छा ! यही है तुम्हारा परिवार।“ अलबर्ट ने मारथा व शैफाली पर नजर डालते हुए कहा-

“और ये है तुम्हारी बच्ची शैफाली। जिसके बारे में अक्सर तुम मिलने पर मुझे बताया करते थे।“ तब तक दोनों नजदीक आ गए थे। मारथा ने सिर झुका कर बारी-बारी से अलबर्ट व मारिया को अभिवादन किया।
आते ही शैफाली ने अंदाजे से अलबर्ट की ओर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा-

“हैलो ग्रैंड अंकल!“

“ग्रैंड अंकल........।“ अलबर्ट यह शब्द सुन आश्चर्य से भर उठा- ये ग्रैंड अंकल क्या होता है बेटे ? ग्रैंड फादर तो सुना है, पर यह ग्रैंड अंकल.....।“

“मैं तो आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी। क्यों कि डैड के जितने दोस्त आते हैं वह मेरे अंकल हुए। तो आप तो मेरे डैड के भी सर हो और ग्रैंड भी। इसलिए मैं आपको ग्रैंड अंकल ही बोलूंगी।“ शैफाली नें तर्क देते हुए कहा।

“अच्छा-अच्छा ठीक है। तुम मुझे ग्रैंड अंकल ही कहना।“ अलबर्ट ने सिर हिलाते हुए कहा।

“तुमने जैसा इसके बारे में बताया था।“ अलबर्ट ने माइकल से मुखातिब होकर कहा- “यह ठीक वैसी ही है।“

तभी शैफाली ने दोनों को बीच में टोकते हुए कहा- “ग्रैंड अंकल आप के बाएं कंधे पर एक चींटी चल रही है, उसे हटा लीजिए।“

“व्हाट! अलबर्ट ने आश्चर्य से पहले शैफाली की तरफ देखा। फिर अपने बाएं कंधे पर, जिस पर वास्तव में एक चींटी चल रही थी। उसने चींटी को कंधे से झाड़ कर दोबारा शैफाली की ओर देखा -

“बेटे तुम्हें तो दिखा ई नहीं देता। फिर तुमने कैसे जाना कि मेरे बाएं कंधे पर चींटी चल रही है?“ अलबर्ट ने विस्मय से शैफाली की तरफ देखते हुए कहा।

“अरे ग्रैंड अंकल! आपने कभी चींटियों को एक कतार में चलते देखा है।“ शैफाली ने अलबर्ट से उल्टा सवाल कर दिया-

“अगर हां ! तो आप यह बताइए कि वह एक कतार में क्यों चलती हैं?“

“सभी चींटियां ‘फेरोमोंस‘ नामक एक विशेष प्रकार की गंध छोड़ती हैं।“ अलबर्ट में अपने ज्ञान का पूरा परिचय देते हुए कहा-

“जिससे उसके पीछे आने वाली
चींटियां उस गंध का अनुसरण करती हुई चलती हैं।“

“बिल्कुल ठीक कहा आपने ग्रैंड अंकल! शैफाली ने चुटकी बजाते हुए कहा-

“तो जो चींटी आपके कंधे पर चल रही थी। वह भी गंध छोड़ती हुई चल रही थी। जिसे सूंघकर मैंने जान लिया, कि एक चींटी आपके कंधे पर है।“

“यह कैसे संभव है?“ अलबर्ट बिल्कुल हैरान रह गया -


“तुम्हें चींटी की गंध कैसे मिल गई। वह तो इतनी हल्की होती है, कि चींटी के अलावा, अन्य बड़े जानवर भी उसे सूंघ नहीं पाते।“

“आपको कैसे पता कि अन्य जानवर उसे सूंघ नहीं पाते?“ शैफाली ने एक प्रश्न का गोला और दाग दिया -

“यह भी तो हो सकता है कि उसे जानवर सूंघ लेता हो पर वह सुगंध उसके मतलब की नहीं रहती, इसलिए वह उस पर ध्यान ना देता हो।“

“हो सकता है ।“ अलबर्ट ने गड़बड़ा कर जवाब दिया- “पर तुम्हें कैसे उसकी गंध मिल गयी ?“

“ग्रैंड अंकल! क्यों कि मैं जन्म से ही अंधी हूं। इसलिए मुझे हर चीज का अनुमान लगाना पड़ता है। जिसके कारण मेरी नाक व कान की इंद्रियां बहुत तीव्र हो गई हैं। मैं जो चीजें सुन व सूंघ सकती हूं, उसे सामान्य आदमी नहीं कर सकता।“

“बड़े आश्चर्य की बात है। मैंने सिर्फ इस बारे में सुना ही था।“ अलबर्ट लगातार विस्मय से बोल रहा था-

“देख पहली बार रहा हूं। अच्छा ये बताओ कि तुम्हें यह कैसे पता चला ? कि वह चींटी, मेरे बांए कंधे पर है।“

“सिंपल सी बात है ! शैफाली ने शांत स्वर में जवाब दिया - “आपने थोड़ी देर पहले मुझसे बात की। जिससे मैं आपकी आवाज सुनकर यह जान गई कि आपकी लंबाई 5 फुट 9 इंच है। आपके मुंह से निकलती आवाज और चींटी के बीच की खुशबू के बीच की दूरी लगभग 6 इंच थी। और आपके बांई तरफ से आ रही थी। जिससे यह पता चला कि वह चींटी आप के बांए कंधे पर है।“

“लेकिन बेटा ! यह भी तो हो सकता था कि मेरे बगल तुम्हारे डैड खड़े हैं। वह चींटी उनके कंधे पर भी तो हो सकती थी।“ अलबर्ट ने अब दिलचस्पी लेते हुए शैफाली का पूरा इंटरव्यू लेना शुरू कर दिया।

“हो सकती थी ।......... जरूर हो सकती थी । परंतु आप इधर-उधर टहल कर बात कर रहे थे और जैसे-जैसे आप घूम रहे थे। वैसे-वैसे चींटी की गंध भी कम या ज्यादा हो रही थी । जबकि मेरे डैड एक ही स्थान पर खड़े हो कर बात कर रहे हैं।“

अब अलबर्ट का सारा ध्यान इधर-उधर से हटकर, पूरा का पूरा शैफाली की बातों में लग गया, मानो उसे अपने शोध का एक हथियार मिल गया हो।

“अच्छा बेटे! यह बताओ कि मेरे पैंट की दाहिनी जेब में क्या है?“ अलबर्ट ने पूरा परीक्षण लेते हुए कहा।

“आपकी दाहिनी जेब में एक लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ रखी है।“ शैफाली ने निश्चिंत हो कर जवाब दिया । अलबर्ट शैफाली की बात को सुनकर भौचक्का सा खड़ा रह गया। क्यों कि उसकी पैंट की दाहिनी जेब में, वास्तव में लोहे की छोटी सी डिबिया में सौंफ थी।

“बेटे! यह तुमने कैसे जाना ?“ अलबर्ट ने शैफाली से सवाल किया।

“आपके चलने से बार-बार डिबिया के अंदर रखी सौंफ डिबिया की दीवार से टकरा कर एक ध्वनि उत्पन्न कर रही थी। अगर डिबिया, प्लास्टिक की होती तो वह ध्वनि थोड़ी दूसरे तरीके से आती। इस तरह से बार-बार सौंफ का डिबिया से टकराना, यह साबित करता है, कि उसमें जो भी चीज है, वह बहुत छोटे-छोटे कणों में है।“

“छोटे-छोटे कणों में तो कुछ भी हो सकता है?“ अलबर्ट ने शैफाली की बात को काटते हुए कहा - “फिर यह कैसे जाना कि उसमें सौंफ ही है।“

“आपके मुंह से आती सौंफ की खुशबू से, जो लगभग 1 घंटे पहले आपने खाई थी।“ शैफाली ने कहा। शैफाली का हर जवाब अलबर्ट को आश्चर्य से भर रहा था । अब लगा जैसे अलबर्ट को कोई नया खेल मिल गया हो। उसने पास से जा रहे वेटर को रोककर, उसकी फल वाली टोकरी से एक सेब व एक अमरुद निकाल लिया । फिर वेटर से चाकू लेकर सेब व अमरुद को शैफाली के सामने रखा । और फिर अमरूद के चार टुकड़े कर दिए।

“बेटे! यह बताओ कि तुम्हारे सामने अभी-अभी मैंने एक सेब को काटकर कुछ टुकड़ों में बांट दिया है। क्या तुम बता सकती हो ? कि मैंने सेब के कितने टुकड़े किए हैं?“ अलबर्ट ने झूठ बोलते हुए शैफाली से सवाल किया।

“आप झूठ बोल रहे हैं ग्रैंड अंकल!“ शैफाली ने मुस्कुरा कर कहा- “कि आपने सेब के टुकड़े किए हैं। आपने सेब के बगल में रखे अमरूद के चार टुकड़े किए हैं। सेब के नहीं । क्यों कि सेब के कटने से अलग तरह की ध्वनि होती है और अमरूद के कटने से अलग तरह की ध्वनि । और जो चीज ताजा कटती है, उसकी खुशबू ज्यादा तेज होती है।“

उसके जवाबों को सुनकर अब मारिया भी उत्सुकता से उसकी तरफ देखने लगी । इस बार अलबर्ट ने शैफाली के सामने जा कर, बिना हाथ उठाए पूछा-

“ये कितनी उंगली हैं?“

“पहले उंगली तो उठा लीजिए ग्रैंड अंकल! क्यों कि आपकी आवाज बिना किसी अवरोध के मुझ तक आ रही है।“ शैफाली ने चहक कर जवाब दिया ।

अलबर्ट ने वहीं पास में पड़ा एक पतला लोहे का पाइप उठा कर, अपने व शैफाली के चेहरे के बीच लाते हुए कहा-

“अच्छा ! अब ये बताओ। ये कितनी उंगलियां हैं?“

“ये उंगली नहीं, लोहे का पाइप है।“ शैफाली ने जवाब दिया - “क्यों कि आपकी आवाज इससे टकरा कर, मेरे पास पहुंच रही है। और जब आपकी आवाज इससे टकराती है, तो इसमें बहुत हल्के से कंपन हो रहे हैं। वह कंपन झनझनाहट के रूप में मुझे सुनाई दे रहे हैं।“

अलबर्ट के पास हाल-फिलहाल अब कोई सवाल नहीं था। अतः वह चुप रहा । अलबर्ट अब विस्मय से एकटक, चुपचाप शैफाली को इस तरह निहारने लगा मानो वह धरती का कोई प्राणी ना होकर, अंतरिक्ष से आया कोई जीव हो ।

“लगता है ग्रैंड अंकल के पास सवाल खत्म हो गए।“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पूछ लिया ।

“अब मैं आप से पूछती हूं।“ शैफाली ने इस बार अलबर्ट की आंखों के सामने, अपने दाहिने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछा- “ये कितनी उंगलियां हैं?“

अलबर्ट ने अजीब सी नजरों से पास खड़े माइकल, मारथा व मारिया को देखा । उसकी आंखों में प्रश्नवाचक निशान साफ झलक रहे थे।

“आपने बताया नहीं ग्रैंड अंकल! यह कितनी उंगलियां हैं?“ शैफाली ने अलबर्ट को ना बोलते देख पुनः अपने हाथ का पंजा फैलाते हुए पूछ लिया ।

“पाँच! अलबर्ट ने अजीब से भाव से जवाब दिया ।

“बिल्कुल गलत!“ शैफाली ने तेज आवाज में हंस कर कहा-

“अरे ग्रैंड अंकल ! उंगलियां तो चार ही हैं। एक तो अंगूठा है। और अंगूठे की गिनती उंगलि यों में नहीं करते।“

अलबर्ट ने धीरे से जेब से रुमाल निकालकर अपने माथे पर आए पसीने की बूंद को पोंछा और फिर माइकल की तरफ घूमता हुआ बोला-

“बाप ... रे .... बाप ...... ये लड़की है या शैतान की नानी । मुझे ही फंसा दिया।“

अलबर्ट के इतना कहते ही शैफाली को छोड़ बाकी सभी के मुंह से हंसी का एक जबरदस्त ठहाका फूट निकला ।




जारी. रहेगा.........✍️✍️
👌
 

Raj_sharma

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Badhiya update bhai

To is bar tota aya ha or inki nayi ummid bankar aya ha kher lekin ek bat chokane wali ha ki jo tota kisi ki pakad me na aya wo suyesh ke pas khud pahunchkar uske kandhe per beth gaya ab ye ittefaq ha ya kuchh or ye abhi to pata nahi kher lagta ha tote ke dwara hi ye kahin na kahin pahunchenge ab kahin ye tota bhi inhe atlantis per na le jaye
Are bhai, wo atlantis nahi hai :nope: Jise tum atlantis samajh rahe ho, khair uska khulasa hone me samay hai, Emu tota suyash ke hi kandhe per baitha uska bhi ek raaj hai, aage kya hoga? Janne ke liye sath bane raho, Thank you so much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

Raj_sharma

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Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌 👌
Lara aur gaurds 🏝️ pahuchne se pahle hi nibat gaye 😏 lagta waha jane ki raah bhi aasan na hai 😊 wo sab is jagah se nikal bhi na sakte .
Yahi to locha hai guru, waha pahuchne se pahle maut ki gaud me jana padega, isi liye to suyash udhar jaane se bach raha hai:declare:
Thanks for your valuable review and support bhai :hug:
 
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