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Acha ya bura ye to samay batayega mitraKya pata ye tota kya karwa de?Bbut shandaar update...... bolne wala tota "emu"
Kuch to shyad acha hua Iss ship ko
Thanks for your valuable review bhai
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Kuch to shyad acha hua Iss ship ko
Bhai sach bolu to story to kal night se lekar parso tak khatam kar sakta hu par it's so interesting ki har part ko enjoy kar ke yaad rakh kar age badh raha hu bura mat mana dostpagal hai wo, uske kaafi maje aane wale hai, Thanks for your valuable review bhai
Story ko aise hi enjoy karke padhna chahiye mitra, varna maja nahi aata, take your time brotherBhai sach bolu to story to kal night se lekar parso tak khatam kar sakta hu par it's so interesting ki har part ko enjoy kar ke yaad rakh kar age badh raha hu bura mat mana dost
Shaandar jabardast Romanchak update# 36 .
5 जनवरी 2002, शनिवार 13:00; "अटलांटिक महासागर"
उधर व्योम अब क्रूज पर खड़ा था।
“मिस्टर व्योम, यहां से बारामूडा त्रिकोण का रहस्यमई क्षेत्र शुरू हो जाता है। हम लोग इसके आगे नहीं जा सकते। वैसे सुप्रीम इसी जगह से गलत दिशा में मुड़ा था। नॉर्थ ईस्ट दिशा में 80 मील दूर से, उनका आखिरी मैसेज हमें रिसीव हुआ था।“
ऑफिसर ने कहा- “क्या आपको कोई आदमी, अपने साथ जाने के लिए चाहिए?“
“जी नहीं ! मैं इसके आगे का सफर अकेला ही तय करना चाहता हूं और वैसे भी यह सफर इतना आसान नहीं है। ये मौत का सफर है इसलिए मैं किसी और की जिंदगी का रिस्क उठाने को तैयार नहीं हूं। आप मुझे अकेले ही जाने दीजिए। वैसे भी मेरी पूरी जिंदगी एडवेंचर से खेलने में ही निकली है तो फिर डरना कैसा ? मौत से एक टक्कर और सही।“
व्योम के शब्दों में गजब का जज्बा नजर आ रहा था। कहकर व्योम धीरे से हेलीकॉप्टर की ओर बढ़ गया।
कुछ ही देर में वह हेलीकॉप्टर सहित आसमान में था। क्रूज पर खड़ा वह ऑफिसर, तब तक उस हेलीकॉप्टर को देखता रहा, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गया। फिर ऑफिसर ने अपने होठों ही होठों में उस वीर सपूत के मिशन के लिए भगवान से प्रार्थना की।
व्योम के दिमाग में बहुत सारे प्रश्न घूम रहे थे। वह ‘सुप्रीम’ के लिए चिंतित भी था। लेकिन इस समय वह बहुत सतर्कता के साथ, दोनों तरफ देखते हुए हेलीकॉप्टर चला रहा था।
कभी-कभी उसकी नजर स्पीडो मीटर पर और फ्यूल इंडिकेटर पर भी पड़ रही थी । दोनों ही फुल का इंडिकेशन दर्शा रहे थे। व्योम की नजरें लगातार उस अंतहीन समुद्र की ओर, आशा भरी नजरों से देख रही थी।
धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था। पर सुप्रीम का कहीं कोई अवशेष व्योम को नहीं मिल रहा था।
आसमान पर सूर्य बहुत तेजी से चमक रहा था। उसकी किरणें समुद्र की लहरों पर पड़कर एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रही थी। लेकिन व्योम को इस बात की खुशी थी कि अभी तक विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रकोप उसके हेलीकॉप्टर पर नहीं हुआ था। वह सोच रहा था कि अगर ऐसे ही सब कुछ सही रहा तो जल्द ही वह सुप्रीम को ढूंढ निकालेगा।
व्योम अपने ही विचारों में खोया था कि तभी उसे पानी में छोटी-छोटी भंवर बनती दिखाई देने लगीं। वह छोटी-छोटी भंवर अपने आप पानी में बन-बिगड़ रहीं थीं।
“अजीब सा क्षेत्र है यह। ये भंवर अपने आप कैसे बन-बिगड़ रहीं हैं? लगता है रहस्यमयी क्षेत्र शुरू हो चुका है। अब मुझे बहुत ध्यान से हेलीकॉप्टर ड्राइव करना पड़ेगा। कभी भी मैं विद्युत चुंबकीय तरंगों का शिकार बन सकता हूं।“ व्योम अपने मन ही मन में बुदबुदा रहा था।
“बाप रे!......यह मैं कौन से क्षेत्र में आ गया। यहां तो पानी के अंदर नुकीली चट्टाने निकली हुई हैं। लगता है जैसे पानी के अंदर कोई पर्वत श्रृंखला डूबी हुई हो और ये इतनी सारी शार्क यहां क्या कर रहीं हैं? कहीं....ऐसा तो नहीं कि सुप्रीम यहां डूब गया हो ?“ व्योम के दिमाग में ऊट-पटांग ख्याल आने लगे।
“नहीं -नहीं ! इतनी सारी पहाड़ियों के बीच सुप्रीम यहां नहीं पहुंच सकता और वैसे भी अगर सुप्रीम यहां डूबा होता तो उसके कुछ अवशेष तो यहां पर होते....और फिर सुप्रीम डूब कैसे सकता है? यहां ना तो किसी प्रकार तूफान के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और ना ही कोई ऐसी मुसीबत, जिससे ‘सुप्रीम’ डूबे।“
व्योम ने हेलीकॉप्टर को आगे बढ़ा लिया। थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक बड़ा अजीब सा नजारा दिखाई दिया, जिसे देखकर वह हैरान रह गया।
“यह समुद्र में अजीब-अजीब से फव्वारे कैसे निकल रहे हैं? और वह भी एक-दो नहीं बल्कि 15-16.... ..मैंने तो आज तक ऐसे फव्वारों के बारे में सुना तक नहीं जो समुद्र की लहरों से इतना ऊपर उठते हों।....... थोड़ा नीचे जाकर देखना चाहिए कि आखिर इन फव्वारों का रहस्य क्या है?“ कहते हुए व्योम ने हेलीकॉप्टर को थोड़ा और नीचे कर लिया।
“यह क्या ? ये फव्वारे तो चल फिर रहे हैं।.....ओ माई गॉड! ....... ये तो व्हेल मछलियां है। जिनके सिर से गर्म पानी के फव्वारे जैसे चल रहे हैं।.....इतनी सारी व्हेल...एक साथ। ......हे भगवान, यह तो बहुत खतरनाक क्षेत्र है। मुझे नहीं लगता कि यहां आज तक कोई पहुंचा होगा ?“ व्योम की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थीं-
“इतनी सारी व्हेल तो एक साथ बड़े से बड़ा क्रूज जहाज भी डुबो सकती हैं। तभी आज तक क्षेत्र से कोई बचकर नहीं निकल पाया। मुझे लगता है कि मैं गलत दिशा में आ गया। सुप्रीम इस तरफ नहीं आया होगा।“
व्योम ने हेलीकॉप्टर को अब दूसरी दिशा में मोड़ लिया। लेकिन अभी भी व्हेल वाले दृश्य को याद कर वह सिहर उठा। व्योम को अब दूसरी दिशा में चलते हुए काफी देर हो गई थी। लेकिन अभी तक उसे कुछ भी नजर नहीं आया था।
“दूर-दूर तक अंतहीन समुद्र...... आखिर कब तक मैं भटकता रहूंगा। ..... कहीं भी “सुप्रीम” का कोई अवशेष तक दिखाई नहीं दिया।.. ......ये क्या ?.....ये तो कोई द्वीप सा लग रहा है?...... पास चलकर देखना चाहिए शायद कोई सुराग ही मिल जाए। ......काफी हरा-भरा द्वीप है...... लेकिन इस द्वीप की आकृति कितनी विचित्र है। बिल्कुल त्रिकोण के जैसी।.....इसके बीच यह मानव आकृति वाली पहाड़ी कितनी अजीब है?......ऐसा लग रहा है जैसे सिर पर क्राऊन पहने कोई ग्रीक योद्वा बैठा हुआ है? यह द्वीप काफी रहस्यमयी लग रहा है.. ... पहले मुझे इस द्वीप से दूर रहकर ही इसका निरी क्षण करना चाहिए. ....... इस द्वीप के आस-पास धुंध भी काफी नजर आ रही है... इस द्वीप पर उतरने से पहले मुझे इस द्वीप को पीछे की साइड से भी देख लेना चाहिए“
यह सोच व्योम ने द्वीप से दूर रहकर ही अपना हेलीकॉप्टर द्वीप के पीछे की साइड मोड़ लिया। वह इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि वह द्वीप से थोड़ा दूर रहे। व्योम को हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए 5 मिनट बीत गये, पर वह द्वीप के पीछे की ओर नहीं पहुंच पाया।
“यह मैं द्वीप के पीछे की तरफ क्यों नहीं जा पा रहा ? मेरा हेलीकॉप्टर तो चल रहा है, पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि मैं एक ही जगह पर खड़ा हूं?“ व्योम ने खिड़की से नीचे द्वीप के किनारे की ओर झांका-
“ये समुद्र का पानी द्वीप से दूर क्यों हट रहा है?........ ओ माई गॉड...... यह द्वीप तो ..... यह द्वीप तो पानी में घूम रहा है..... ऐसा कैसे सम्भव है? तभी मैं द्वीप के पीछे की साइड नहीं जा पा रहा था .....क्यों कि मेरे हेलीकॉप्टर के साथ-साथ उसी स्पीड से यह द्वीप भी घूम रहा था.... ..मुझे पहले इस द्वीप से दूर हट जाना चाहिए..... फिर सोचता हूं कि क्या करुं?“
व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को द्वीप से थोड़ा और दूर कर लिया। व्योम का दिमाग बहुत तेजी से चलने लगा। कुछ देर सोचने के बाद व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को ‘ऑटोपायलेट‘ के हवाले किया और खुद एक पॉवरफुल दूरबीन निकालकर द्वीप की ओर देखने लगा। सबसे पहले उसकी नजर द्वीप के रहस्यमयी शेप पर गयी-
“इस द्वीप का शेप एक पर्फेक्ट त्रिकोण के शेप में है, इसका मतलब यह कोई नेचुरल द्वीप नहीं है..... पर इतना बड़ा द्वीप ‘मानव द्वारा निर्मित‘ कैसे हो सकता है?“ अब उसकी नजर द्वीप पर खड़ी उस मानव आकृति वाली पहाड़ी की ओर गयी-
“इस पूरे द्वीप पर सबसे विचित्र यह पहाड़ी ही है.....यह पहाड़ी बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह प्रतीत हो रही है......कहीं..... कहीं यह ‘पोसाइडन‘ की मूर्ति तो नहीं ?“
यह ख्याल आते ही व्योम ने अपनी दूरबीन को और एडजस्ट किया। अब वह रहस्यमय पहाड़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी-
“अब मैं श्योर हूं ये पोसाइडन की ही मूर्ति है......ग्रीक माइथालोजी के हिसाब से पोसाइडन समुद्र के देवता हैं...... तो क्या ?...... तो क्या मैं... .. इस समय अटलांटिस की धरती को देख रहा हूं? देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र महाग्रंथों में किया गया है? तभी यह द्वीप इतना रहस्यमयी महसूस हो रहा है।“
व्योम की आंखें आश्चर्य से सिकुड़ गयीं। अभी वह यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे द्वीप के ऊपर कोई चीज हवा में उड़ती हुई दिखाई दी। उस चीज की स्पीड काफी तेज थी। व्योम ने दूरबीन को उस दिशा में किया-
“अरे यह क्या ? .... ये तो कोई झोपड़ी है जो हवा में उड़ रही है?.... ये सब क्या हो रहा है?....कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा ?.... नहीं......नहीं ये सब सपना नहीं है..... ये झोपड़ी तो पोसाईडन की मूर्ति की ओर जा रही है।“
मूर्ति के चेहरे के पास पहुंचकर वह झोपड़ी गायब हो गयी- “कहां गयी. ... कहां गयी वह झोपड़ी ?.....अभी तो वह मूर्ति के चेहरे के पास ही थी।“
व्योम ने अपनी दूरबीन को इधर-उघर घुमाया पर उसे वह झोपड़ी कहीं भी दिखा ई नहीं दी। अब व्योम की नजरें पुनः द्वीप की ओर गयीं। तभी उसे द्वीप के तीनो ओर से कोई वाइब्रेशन जैसी तरंगे निकलती हुई दिखाई दीं। तरंगे पानी में और आसमान में बहुत तेजी से फैल गयी –
“अरे बाप रे....खतरा ऽऽऽऽ!“ पानी पर चलने वाली वह तेज तरंगें पानी को काटती हुई एक सेकेण्ड में ही बहुत दूर निकल गयीं। तभी हवा में फैली तरंगों ने व्योम के हेली कॉप्टर को भी अपनी निशाना बना लिया।
“शायद ये ही ‘विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, मुझे तुरंत अपना हेलीकॉप्टर नीचे उतारना पड़ेगा।“ व्योम मन ही मन बड़बड़ाया।
तभी हेलीकॉप्टर का मैकेनिज्म फेल हो गया। व्योम खतरा भांपते ही तेजी से हेलीकॉप्टर को डाउन करने लगा। पर तब तक हेलीकॉप्टर के इंजन ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया और वह किसी परकटे पक्षी के समान आसमान में डोलने लगा। व्योम पूरी ताकत से हेलीकॉप्टर का बैलेंस बनाने की कोशिश करने लगा। 2 मिनट की असंभव कोशिश के बाद आखिरकार व्योम, हेलीकॉप्टर को सीधे समुद्र पर उतारने में सफल रहा। हेलीकॉप्टर के सारे यंत्र खराब हो चुके थे।
“थैंक गॉड! दुर्घटना होते-होते बच गई।“ व्योम ने एक गहरी सांस ली और फिर उस रहस्यमयी द्वीप को देखा, जो धुंध के बीच घिरा एक अजीब सी फीलिंग दे रहा था।
अचानक व्योम के जबड़े कस गये। अब वो फैसला ले चुका था और वह फैसला था द्वीप का रहस्य ढूंढने का। यह सोच व्योम ने हेलीकॉप्टर में लगा एक बटन दबा दिया। जिससे ड्राइविंग सीट के चारो तरफ बना काँच का केबिन और हेलीकॉप्टर के नीचे का स्टैंड हेलीकॉप्टर में ही कहीं समा गया।
अब वह हेलीकॉप्टर बिल्कुल एक आधुनिक मोटर बोट की तरह नजर आने लगा। व्योम ने धीरे से हेलीकॉप्टर में लगे बोट के इंजन को खींचा।
एक धड़धड़ाहट के साथ बोट का इंजन स्टार्ट हो गया और वह बोट धीरे-धीरे द्वीप की ओर बढ़ने लगी। व्योम ने एक नजर द्वीप पर मारी और हेलीकॉप्टर रुपी बोट में रखे, एक बॉक्स को खोलकर, उसमें रखे कुछ जरुरी सामान को निकालने लगा। कुछ ही देर में जरुरत के सभी सामान को व्योम ने एक छोटे से बैग में रख, उस बैग को अपनी कमर पर लगी बेल्ट के साथ बांध लिया।
अब उसकी नजर निरंतर पास आ रहे उस द्वीप की ओर थी। तभी दूर एक सुनहरी सी रोशनी ने व्योम का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह सुनहरी रोशनी शनैः-शनैः तेज होती जा रही थी। व्योम उस रोशनी को देखने में इतना व्यस्त हो गया कि उसे पीछे से आ रहा एक भयानक खतरा दिखाई ही नहीं दिया। व्योम को अचानक से लगा कि उसकी बोट के पीछे कुछ है। जैसे ही वह पीछे पलटा उसे अपने पीछे समुद्र की लहरें लगभग 50 फुट ऊपर तक उठी हुई दिखाई दीं।
“ओ माइ गॉड!...... यह समुद्र की लहरें इतना ऊंचे कैसे उठ गई, ये तो मेरी बोट पर गिरने वाली है।“ व्योम ने घड़ी के सेकेण्डवें हिस्से में अपनी बोट से पानी में जम्प लगा दी।
तभी उसकी बोट के पीछे उठी लहर, बहुत तेजी से उसकी बोट पर आकर गिरी। एक बहुत तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी। व्योम अब पूरा का पूरा समुद्र के अंदर था। एक सेकेण्ड के लिए उसकी आंख समुद्र में खुल गई और उसने समुद्र के अंदर जो दृश्य देखा, वह उसकी तो क्या ? उसके सात पुस्तों को हैरान करने के लिए काफी थी।
और इसी के साथ व्योम पर बेहोशी छाती चली गई। व्योम ने बेहोश होने के पहले अपने पास बहुत तेज सुनहरी रोशनी को देखा और इतना महसूस किया कि वह दो हाथों में है, जो कि उसे लेकर तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।
जारी रहेगा________
Yahi to sochne waali baat hai ki kya vyom sach me supreme tak pahuch paayega?Shaandar jabardast Romanchak update
Lagta hai Mister Vyom Island ke duri traf pahuch gaye ab dekhte wo kaise dhund pate hai
Kaafi advance tota hai wo mitra Ab wo kaha se qaya? Kiska tota hai? Iske baare me may be shefaali kuch bata paye? Ya fir wo tota hi kuch bata sakta hai Mujhe bhi lagta hai ki aap sahi bol rahe hai, in sabko milkar shefaali ke pas hi jaana chahiye Ek wahi hai jiske pas kuch samadhaan mil sake sayad, Thank you so much SANJU ( V. R. ) bhaiya for your wonderful review and supportएलेक्स , क्रिस्टी और जेनिथ ने इस बोलने वाले तोते के बारे मे सही अनुमान लगाया , तोता समंदर का जीव नही होता , शायद जमीन समंदर के करीब ही है । लेकिन तोते इतनी बातें भी तो नही करते । वह सिखे- सिखाए , रटे - रटाए चंद अक्षर ही बोल पाते हैं जब की यह तोता धाराप्रवाह बोल रहा है ।
इस बाॅरमुडा ट्राइंगल की तरह , जहाज पर पाए गए क्रीचर की तरह यह तोता भी मिस्ट्रीयस है ।
जब सब कुछ शैफाली के सपनो अनुसार ही हो रहा है तो फिर क्यों नही सभी लोग शैफाली के चरणों पर दण्डवत हो जाते और इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने की बात करते !
इस प्रोब्लम के हल के बारे मे उससे राय लेते !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
# 43 .
6 जनवरी 2002, रविवार, 15:35; “सुप्रीम”
धीरे-धीरे दोपहर हो गयी। बहुत से यात्री लंच करके पुनः डेक पर आ गए। ऐलेक्स भी डेक पर बैठा क्रिस्टी के अजीब से स्वभाव के बारे में सोच रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्रिस्टी से क्या बात करे? जब वह क्रिस्टी से दूर रहता था तो हमेशा उसके बारे में सोचता रहता, पर जब क्रिस्टी उसके सामने आती तो वह घबराहट की वजह से सब कुछ भूल जाता था।
उसे इस खतरनाक भूल-भुलैया रूपी रास्ते से ज्यादा खतरनाक क्रिस्टी का रुप लग रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करे? अभी ऐलेक्स इस उलझन में उलझा ही था कि तभी उसे सामने से क्रिस्टी आती दिखाई दी।
“क्या हुआ ऐलेक्स?“ क्रिस्टी ने पास आकर सामने की कुर्सी पर बैठते हुए कहा- “तुम इतना परेशान से क्यों हो ?“
“परेशान!......और मैं.....नहीं तो... ..मैं भला क्यों परेशान होने लगा ?“ ऐलेक्स ने घबराकर कहा।
“तो फिर तुम मुझसे बात क्यों नहीं करते? अब तो मैंने जान भी लिया है कि तुम गलत आदमी नहीं हो।“ क्रिस्टी ने हवा से माथे पर आए बालों को उंगली से पीछे करते हुए कहा।
“नहीं....नहीं। ऐसी कोई बात नहीं है। दरअसल मैं इस समय शिप के बारे में सोच रहा था।“ ऐलेक्स ने पुनः घबराए से लहजे में कहा।
“शिप के बारे में?“ क्रिस्टी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा- “तुम्हारे सामने इतनी खूबसूरत लड़की बैठी है और तुम शिप के बारे में सोच रहे हो।......अच्छा बताओ, तुम्हें मेरी इन खूबसूरत आंखों में क्या दिखाई दे रहा है?“ क्रिस्टी ने थोड़ा आगे झुकते हुए ऐलेक्स की आंखों में आंखें डालते हुए पूछा।
“तुम्हारी आंखों में.....।“ ऐलेक्स ने बड़ी मुश्किल से क्रिस्टी की आंखों में देखा। क्रिस्टी को इतना पास पा वह फिर से नर्वस हो गया।
“हां बताओ ना....... तुम्हें मेरी आंखों में क्या दिख रहा है?“ क्रिस्टी ने थोड़ा जिद्दी अंदाज में कहा।
“तुम्हारी आंखों में.............. अरे यह क्या ?“ अचानक ऐलेक्स ने बड़ी अजीब सी आवाज में कहा।
“क्या हुआ मेरी आंखों में?“ क्रिस्टी की आवाज की शोखी बरकरार थी।
“यह तो कोई परिंदा लगता है।“
“मेरी आंखों में परिंदा ?“ क्रिस्टी ने चैंककर ऐलेक्स को देखा।
“अरे नहीं.......तुम्हारी आंखों में नहीं। वहां देखो आसमान पर।“ ऐलेक्स ने कहते हुए आसमान की तरफ एक ओर इशारा किया।
अब क्रिस्टी का चेहरा भी उस ओर घूम गया। आसमान में दूर कहीं से उड़कर, उसी तरफ आता हुआ एक पक्षी दिखाई दिया।
“यह तो कोई पक्षी लग रहा है।“ क्रिस्टी ने कहा।
अब ऐलेक्स उठकर डेक की उस साइड की ओर चल दिया, जिस तरफ वह पक्षी आता दिखाई दे रहा था। क्रिस्टी भी अब ऐलेक्स के पीछे चल दी। अब तक डेक पर खड़ी जेनिथ सहित कई लोगों की नजर उस पक्षी पर पड़ चुकी थी। ऐलेक्स और क्रिस्टी भी वहां पर पहुंच गए।
“उस पक्षी ने अपने पंजे में शायद कोई चीज पकड़ रखी है?“ जेनिथ ने उस दिशा की ओर देखते हुए कहा।
तब तक उड़ता हुआ वह पक्षी, शिप की डेक पर लगी रेलिंग पर आकर बैठ गया। वह एक लंबी पूंछ वाला पहाड़ी तोता था, जिसके पैर में एक लगभग 4 मीटर लंबी डोरी बंधी थी।
“यह तो तोता लगता है।“ जेनिथ ने तोते को देखते हुए कहा- “पर इसके पैर में बंधी यह डोरी कैसी है?“
“लगता है यह किसी जगह पर बंधा हुआ था और यह वहां से डोरी तोड़कर भाग आया है।“ क्रिस्टी ने अपने विचार व्यक्त किए।
“समुद्र में पक्षी उसी स्थान पर बैठता है, जहां पर जमीन हो।“ जेनिथ ने तोते को देखते हुए कहा- “इसका मतलब कि यह तोता जिस दिशा से आया है, उस तरफ जमीन है और वह बहुत ज्यादा दूर नहीं है क्यों कि साधारणतया तोता वह पक्षी है, जो आसमान में उड़ते समय बहुत ज्यादा दूरी तय नहीं करता है।“
“एक बात और भी है।“ क्रिस्टी ने तोते के पैर में बंधी डोरी पर एक नजर मारते हुए कहा- “इसके पैर में डोरी भी बंधी है और किसी पक्षी के पैर में डोरी कोई इंसान ही बांध सकता है। इसका साफ मतलब है कि यह जहां से आया है। वहां पर इंसान भी है और जीवन भी।“
“हमें इस तोते को पकड़ना चाहिए। शायद इससे हमें कुछ और बातें भी पता चल जाएं।“ ऐलेक्स ने एक नजर जेनिथ पर डालते हुए कहा।
“तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो ऐलेक्स।“ जेनिथ ने ऐलेक्स की बातों का समर्थन करते हुए कहा- “पर हमें इस बात की सूचना कैप्टेन को भी दे देनी चाहिए।“
यह कहकर जेनिथ ने कुछ दूर खड़े एक सिक्योरिटी गार्ड को अपने पास बुलाया और उसे कैप्टन तक सूचना पहुंचाने को कह दिया।
अब जेनिथ की नजर एक बार फिर उस तोते पर पड़ी। उधर ऐलेक्स चुपचाप दबे पाँव उस तोते की ओर बढ़ा। ऐलेक्स की नजर तोते के पैर में बंधी डोरी पर थी। तोता भी अब ध्यान से ऐलेक्स को पास आते हुए देख रहा था। तोते के पास पहुंचकर ऐलेक्स ने उसके पैर में बंधी डोरी पर छलांग लगा दी।
मगर तोता पहले से ही सावधान था। वह तेजी से अपने स्थान से, पंख फड़फड़ा कर हवा में उड़ गया। आसमान में उड़ते हुए वह जोर से चिल्लाया- “ऐमू से धोखा..... ऐमू से धोखा..।“
“अरे यह तोता तो काफी तेज है और यह तो बहुत साफ..बोल रहा है।“ क्रिस्टी ने आश्चर्य से भरते हुए कहा।
“इसका मतलब यह है कि यह जहां से आया है, वहां पर सभ्य इंसान बसते हैं।“ जेनिथ ने भी आश्चर्य व्यक्त किया- “अब तो इसे पकड़ना और भी जरूरी हो गया है।“
अब तोता उड़ कर दूसरी जगह पर बैठ गया। लेकिन अब उसकी निगाहें लगातार उस भीड़ पर थीं, जो उसे घूर रही थी। धीरे-धीरे उस तोते को देखने के लिए डेक पर भीड़ बढ़ती जा रही थी।
इस बार ऐलेक्स ने धीरे से जेनिथ को इशारा किया। ऐलेक्स का इशारा समझ जेनिथ एक लंबा राउंड लगा कर तोते के दूसरी साइड में पहुंच गयी। इस बार ऐलेक्स सामने से व जेनिथ पीछे से तोते की ओर बढ़े।
तोते की निगाहें आगे बढ़ते हुए ऐलेक्स पर थीं। ऐलेक्स भी कोई ना कोई हरकत करके तोते का ध्यान अपनी ओर लगाए हुए था। जिसका फायदा उठा कर जेनिथ दबे पांव डोरी की ओर बढ़ने लगी।
डोरी अब जेनिथ से मात्र 1 मीटर की दूरी पर थी। तभी अचानक उस तोते को किसी के पीछे होने का एहसास हुआ। जैसे ही जेनिथ डोरी पर झपटी, तोता बिना एक सेकेंड गंवाए पुनः आसमान में था।
“धोखा.... ऐमू से धोखा......नहीं पकड़ पाओगे......नहीं पकड़ पाओगे।“ तोता आसमान में उड़ते हुए चिल्लाया।
अब तो जैसे तोते को कोई खेल मिल गया हो। वह बार-बार इधर-उधर बैठ रहा था और सारी भीड़ उसे पकड़ने का प्रयास कर रही थी। लेकिन पकड़ नहीं पा रही थी। तभी सुयश, ब्रैंडन और असलम के साथ भागा-भागा डेक पर आ पहुंचा।
सुयश की लाल आंखें इस बात का सबूत थीं कि वह ठीक से सो नहीं पाया है। वह विचित्र तोता इस समय पानी की टंकी पर बैठा, वहां खड़ी भीड़ को घूर रहा था। सुयश ने उस विचित्र तोते को देखा। तोते को देखते ही सुयश का दिमाग बहुत तेजी से चलने लगा उसे एक बार फिर शैफाली के सपने याद आने लगे क्यों कि शैफाली ने अपने सपनों में एक पहाड़ी तोते का भी जिक्र किया था।
सुयश समझ गया कि यह तोता भी उन रहस्यमय घटनाओं की अगली कड़ी है। सुयश की एकटक नजर अब उसे विचित्र तोते पर थी। कुछ देर उसे देखते रहने के बाद, सुयश चलता हुआ पानी की टंकी के नीचे पहुंच गया। तोता बारी-बारी से भीड़ में खड़े सभी लोगों पर नजर दौड़ा रहा था। तभी उसकी निगाह सुयश पर पड़ी।
एक क्षण के लिए वह सुयश को देखता रह गया और फिर उड़ता हुआ खुशी से चिल्लाया-
“दोस्त मिल गया.........दोस्त मिल गया.....ऐमू का दोस्त मिल गया।“ इतना कहकर वह तोता अपने पंख फड़फड़ाते हुए सुयश के कंधे पर आकर बैठ गया।
सभी इस घटना से आश्चर्यचकित रह गये क्यो कि जो तोता आधे घंटे से इन सबको तिगनी का नाच नचाए था वह उड़कर सुयश के कंधे पर इतनी आसानी से क्यों बैठ गया ?
सुयश ने जैसे ही तोते को अपने कंधे पर बैठते हुए देखा, झट से उसके पैर में बंधी डोरी को पकड़ लिया। तोते ने एक नजर गौर से सुयश को देखा और फिर उसके हाथ को, जिसमें वह डोरी पकड़े हुए था। तोता अब फिर से उड़ने की कोशिश करने लगा। वह हवा में अपने पंख फड़फड़ाते हुए चिल्लाया-
“धोखा ....... ऐमू से धोखा..... दोस्त नहीं...... यह ऐमू का दोस्त नहीं....।“ तोता लगातार उड़ने की कोशिश कर रहा था।
तोता फिर तीखी आवाज में चिल्लाया- “छोड़ दे....छोड़ दे..... ऐमू को छोड़ दे....तू दोस्त नहीं....तू ऐमू का दोस्त नहीं।“ उस तोते की आवाज में ना जाने ऐसी क्या बात थी कि सुयश ने एक पल के लिए उस तोते को देखा और फिर उसके दोंनो पंजे पकड़ कर उसके पैर में बंधी डोरी खोल दी।
तोता अब आजाद था। आजादी का एहसास होते ही वह बिना देर किए आसमान में उड़ गया और सुयश के सिर के ऊपर चक्कर काटने लगा-
“छोड़ दिया.....छोड़ दिया......डोरी भी खोल दिया....दोस्त है......दोस्त है..... ऐमू का दोस्त है।“ इतना कहकर वह पुनः सुयश के कंधे पर आकर बैठ गया।
सुयश ने धीरे से अपना बांया हाथ आगे बढ़ाया। वह तोता उछलकर उसकी कलाई पर बैठ गया। विचित्र बात तो यह थी कि उसके पंजों के नाखून, सुयश की कलाई में गड़ नहीं रहे थे।
“यह ऐमू कौन है?“ सुयश ने उस तोते को देखते हुए पूछा।
“ऐमू मैं.....ऐमू मेरा नाम..... मैं ऐमू......तुम ऐमू के दोस्त।“ ऐमू ने अपने पंख फैलाते हुए कहा।
“ये तो काफी समझदार तोता लगता है।“ ऐलेक्स ने ऐमू की ओर देखते हुए कहा।
“काट खाऊंगा..... मैं समझदार नहीं.......मैं तोता नहीं.......मैं ऐमू... ...ये ऐमू का दोस्त।“ ऐमू ने ऐलेक्स पर नाराजगी दिखाते हुए कहा।
“हां...हां हम समझ गये। तुम ऐमू और ये ऐमू के दोस्त।“ जेनिथ ने मुस्कुराते हुए कहा- “लेकिन कुछ और बताओगे?“
“बताऊंगा......बताऊंगा......पहले कुछ खाने को दो......ऐमू भूखा है.. ...पहले खाएगा...... फिर बताएगा।“
जारी रहेगा_________
वाह अब तो मजा आएगा भैया, अगर आपने समय-समय पर रिव्यू नही दिया तो हम आदरणीय भाभी जी से कहकर आप की खिंचाई करवा देगे वैसे तो मुझे आपके शब्दो का हमेशा ईतजार रहता ही है। पर अगले अपडेट के बाद आप खुद को रोक नही पाओगे ओर कहानी अगले मोड की ओर बढ रही है।, उस रिव्यू के लिए धन्यवाद जो आज नही दियाभाई, अभी कुछ नहीं लिखूंगा।
इस वाले अपडेट से मुझे वो चंद्रकांता सीरियल याद आ गया। उसमें भी जो तोता था वो भी ऐसी ही बातें करता था
और एक बात -- अंजलि मतलब मेरी पत्नी को भी ये कहानी बढ़िया लगती है
जब तक डेविल का अपडेट नही आता ये वाली कहानी पढ लीजिए, उस वाली से कम तो नहीAwaiting your upcoming awesome and thrilling update no.53 anxiously and eagerly, dear bro