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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

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Raj_sharma

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#54.

दोस्तो हम जब भी अटलांटिस के बारे में सोचते ह, हमारी आँखों के सामने सागर में डूबी एक भव्य सभ्यता नजर आनेलगती है।

अटलांटिस देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र सर्व प्रथम प्लेटो ने अपनी पुतक ‘टाइिमयस’ और ‘कृटियास’ मैं किया था।

कहते है कि अटलांटिस का विज्ञान आज के विज्ञान से हज़ार गुना बेहतर था। पर एक दिन धरती के जोर से हिलने की वजह से पूरी अटलांटिस सभ्यता सागर में समा गई। तब से लेकर आज तक वैज्ञानिक और आर्कियोलोजिस्ट उस सभ्यता को ढूंढने का प्रयासकर रहे है।

ईश्वर को ब्रह्माण्ड के निर्माण के लिए 7 तत्वो की आवश्यकता थी- अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, प्रकाश और ध्वनि!

इन्ही सात तत्वों से भगवान ने ब्रह्मांड का निर्माण किया ! लेकिन अभी ईश्वर की सबसे बड़ी अद्वितीय कृति बाकी थी,और वो थी जीवन की उत्पत्ति।

जीवन की उत्पत्ति के लिए ईश्वर ने ब्रह्मकण’ (देव-कण) का निर्माण किया, देव-कण जिसको अंग्रेजी में 'गॉड-पार्टिकल’ कहते हैं। इस देव-कण ने सभी जीवो का निर्माण किया।

आख़िर क्या था वो ब्रह्मकण? जिसने अरबों-खरबों जीवों का निर्माण किया? और जिसने इन्हें इतना अलग अलग बनाया ।

इस कहानी इस कडी में जहां एक और तिलिस्म, जादू, रहस्य, चमत्कार है, वही विज्ञान की एक अद्भुत दुनिया है। जो बिग-बैंग, ब्लैक -होल, नेबुला और डार्क-मैटर जैसे सिद्धांत को खोलती है।

पौराणिक कथाओं और विज्ञान के ताने-बाने से बनी एक अद्भुत कहानी है ये जो आप पढ़ने जा रहे हैं।

आज से लगभग 20,000 वष॔ पहले ग्रीक देवता पोसाइडन ने अपनी पत्नी क्लिटो के लिये धरती पर स्वर्ग की स्थापना की, जिसे अटलांटिस के नाम से जाना गया।

धीरे-धीरे अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया की वहांके लोग स्वयं को भगवान मानने लगे। जिसके फल स्वरूप उन्होंने देवता के ख़िलाफ़ ही युद्ध का शुरू कर दीया।
पोसाइडन ने गुस्सा होकर पूरी अटलांटिस सभ्यता को समुद्र में डुबो दिया और क्लिटो को एक अस्वाभाविक (कृत्रिम) द्वीप पर तिलिस्म बनाकर कैद कर दीया ।

उस अस्वाभाविक द्वीप के आसपास का छेत्र बारामूडा त्रिकोण कहलाया । पोसाइडन ने इस तिलिस्म की सुरक्षा का भार 6 इन्द्रियाँ, 7 तत्व, 12 राशियाँ, और ब्रह्मांड के ख़तरनाक जीव जंतुओं, रोमन योद्धाओ, और ग्रीक देवताओ को दिया।

28 द्वारो वाला ये तिलिस्म अभेद्य था। यह तिलिस्म अब सिर्फ शारीरिक कुशलता और बुद्धि से ही तोड़ा जा सकता था ।

अटलांटिस के बचे हुए योद्धा 20000 साल से इसे तोड़ने की कोशिश कर रहे धे, लेकिन सफल नहीं हुए। आख़िरकार हार कर उन्होंने इंसानों का सहारा लिया और धरती के सबसे बुद्धिमान इंसानों को इसमें प्रवेश करवा दिया।

फ़िर शुरू हुई रहस्यों से भरी एक प्रश्न माला।
1.क्या वो साधारण मनुष्य तिलिस्म तोड़ कर क्लिटो को आजाद करवा सके?
2.क्या था हिमालय के गर्भ में छुपे उस विद्यालय का रहस्य? जहां वेदो की शिक्षा दी जाती थी।
3.कैलाश पर्वत की गुफा से निकला वेदों का ज्ञान, क्या ग्रीक देवताओ पर भारी पड़ा?
4.क्या म..देव की अलौकिक शक्तियाँ ब्रह्माण्ड के हर विज्ञान से उन्नत थी?
5.क्या संपूर्ण ब्रह्मांड जगत का सार ओऽम शब्द में निहित था?
6.क्या ब्रह्मकन('गॉड-पार्टिकल’) /देव-कण में हि बिग-बैंग का सिद्धांत समाया था?
7.क्या यूनिवर्स की रक्षा के लिए नए सुपर हीरो का जन्म हुआ, जिनके पास भगवान और विज्ञान दोनों की शक्ति थी?

तो दोस्तों देरी किस बात की? आइए सुरु करते हैं, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का राज खोलती अगली कड़ी का, जो आपको इंसान,भगवान और विज्ञान में अंतर करना सिखाएगी, जिसका नाम है: ‘अटलांटिस के रहस्य’


चैपटर-1 'अटलांटिस का इतिहास':
7 जनवरी 2002, सोमवार, 10:00, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका.

ये क्या वेगा?" वीनस ने वेगा को टोकते हुये कहा- “ये तुम मुझे ‘कांग्रेस का पुस्तकालय`( लाइब्रेरी आफ कांग्रेस) क्युं लेकर आ गए? मुझे लगा तुम मुझे घुमाने ले जा रहे हो।"

वेगा ने वीनस को एक बार मुस्कुरा कर देखा और फर अपनी कार को पार्किंग की तरफ घुमा दीया ।

“असल में प्रोफेसर कैरल ने मुझे एक प्रोजेक्ट पर लेख लिखने को कहा है !" वेगा ने कार को भूमिगत पार्किंग की ओर मोड़ते हुये कहा-

“और उस विषय पर कुछ लिखने से पहले, मुझे उसके बारे में जानना भी तो जरुरी है। इसलिए में तुम्हे लेकर दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी आया हूॅ। यहां पर हर विषय पर किताबें मौजूद है।''

“ओह!” वीनस ने गहरे सांस लेकर कहा- “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद कर दूंगी. इसके बाद तुम्हें शाम को पार्टी देने का वादा करना होगा।'' वीनस ने मुस्कुराकर वेगा को ब्लैकमेल किया।

“हां...सुयोर!”

वेगा ने कार को पार्किंग में खड़ा किया, कार के इंजन को बंद कर दिया गया। वीनस और वेगा कार से उतर कर बाहर चले गए। वेगा ने इधर-उधर नज़र मारी और वीनस को लेकर लिफ्ट की और बढ़ गया।

"वैसे प्रोजेक्ट की थीम क्या है?" वीनस ने लिफ्ट में कदम रखते हुए पूछा?

“अटलांटिस के रहस्य” वेगा ने कहा!

वेगा की बात सुन वीनस एका एक हैरान कर देने वाली हो गई-

“ये कैसा टॉपिक है? यह तो हमारे विषय से मैच नहीं खाता।"

“मुझे क्या पता यार?” वेगा ने रिसेप्शन के फ्लोर पर स्टेप रख कर कहा- “अब प्रोफेसर ने जो टॉपिक दिया, मैंने वो ले लिया। अब बहस करने का कोई मतलब भी तो नहीं था।"

"बात तो तुम्हारी ठीक है" वीनस ने भी वेगा की बात पर अपनी सहमित प्रस्ताव हुए कहा।

तब तक वेगा रिसेप्शन पर पहुंच गया। वेगा ने अपनी जेब से लाइब्रेरी कार्ड निकाला कर कंप्यूटर में अपनी एंट्री दर्ज़ की। एंट्री के बाद कंप्यूटर ने उसको 4 अंकों का एक डोर- पासवर्ड दे दिया।

लाइब्रेरी का मेन डोर कंप्यूटराइज्ड पासवर्ड से लॉक था। वेगा ने दरवाजे के बगल लगे की पैड पर 4 अंक का पासवर्ड डाला। कांच का दरवाजा हल्की सी आवाज करता हुआ, एक तरफ स्लाइड होकर खुल गया। वेगा वीनस को ले लाइब्रेरी के अंदर घुस गया।

“तुम तो ऐसे यहां चल रहे हो, जैसे रोज-रोज यहां आते हो?“ वीनस ने वेगा को छेड़ते हुए कहा।

“कुछ ऐसा ही समझ लो। वैसे हफ़्ते में 3 दिन तो आता ही हू यहां पर।" वेगा ने चलते चलते जवाब दिया- “वास्तव में मुझे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है।"

अब वेगा एक कंप्यूटर मशीन के पास पहुंच गया। उसने कंप्यूटर पर अटलांटिस शब्द टाइप किया ओर सर्च का बटन दबाया।

कंप्यूटर ने एक सेकेंड में ही 1024 किताबों के नाम वेगा के सामने रख दिये।

किताबों के नाम के बाद उनके लेखक का नाम, परकाशन वर्ष आदि विवरण लिखे हुए थे। वेगा की नजर तेजी से किताबों की सूची पर घूमने लगी।

देखते-देखते वेगा की नजर एक किताब के नाम पर रुक गई, किताब का नाम किसी दूसरी भाषा में लिखा था। लेखक का नाम भी समझ नही आ रहा था। मुद्रण वर्ष की जगह सन् 1508 लिखा था।

वेगा कुछ देर तक लेखक के नाम को देखता रहा। तब वेगा ने उस किताब का हॉल नंबर, रैक नंबर और डिटेल को एक छोटे से नोटपैड पर नोट कर लिया और कंप्यूटर को बंद कर, वीनस को ले एक दिशा की ओर चल दिया।

तीन-चार गिलयारों को पार करने के बाद अब वेगा किताबों की एक अनूठी दुनिया में था। एक विशालकाय हॉल में चारो तरफ 50 फुट ऊंची-ऊंची किताबों की रैक में किताबें ही किताबें भरी हुई थी। वीनस आँखे फाड़े उस किताबों के संसार को देखने लगी।

“अद्भुत! इतनी सारी किताबें ....... यह तो एक अलग ही दुनिया लग रही है।" वीनस ने अश्चर्यचकित् होकर कहा।

“लाइब्रेरी औफ कांग्रेस संसार की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है।" वेगा ने मुस्कुराकर वीनस की ओर देखते हुये कहा-

“यहां पर 100 मिलयन किताबें है और हर रोज लगभग 2,000 किताबें बढ़ जाती है। यह तो भला मानो की यह हमारे शहर वाशिंगटन में ही है। नही तो हमें लेख लिखने के लिए किसी और शहर में जाना पड़ता।"

वेगा की नजर अब रैक पर पड़े नंबर पर फिरने लगी। बामुस्किल 30 सेकंड में ही उसे रैक नंबर 35 दिखायी दे गयी। वेगा की नजर अब किताब नं0 823 पर गय। उसने आगे बढ़कर उस रहस्यमयी किताब को रैक से निकाल लिया।

वह किताब लगभग 400 पृष्ठ की थी। वेगा को किताब निकालता देख उस हॉल का लाइब्रेरियन पास आ गया।

“यह किताब हमें 7 दिन के लिए इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन से कहा ।

लाइब्रेरियन ने उस किताब को ध्यान से देखा और फिर बोला- “सोरी सर,....यह किताब काफी पुरानी है. ...इस ग्रेड की किताब को आप ले नहीं सकते। आपको यही पढ़ना पड़ेगा ।"

वेगा ने लाइब्रेरियन की सुन अपनी नजर इधर-उधर घुमाई। अब उसकी नजर सामने कांच के बने साउंड प्रूफ केबिन की ओर गई। केबिन को देखते हुए वेगा ने कहा-

''ठीक है फिर आप एक केबिन खुलवा दीजीए। वहा बैठ कर यह किताब पढ़ लेता हूँ।"

“सर….पर वो केबिन तो वी.आई.पी. पाठकों के लिए है. तुम्हें यहां कॉमन एरिया में ही बैठकर, यह किताब पढ़नी होगी।'' क्योकी.......!




जारी रहेगा_________✍️
अप्रतिम अप्रतिम अविस्मरणीय
कहानी को आगे बढाने का पहला कदम ही धमाकेदार हैं भाई मजा आ गया
तो आगे कहानी क्या क्या रहस्य उजागर करेगी ये समझ जाओं दोस्तों
कहानी के क्रमवार रहस्य बहुत ही जबरदस्त
और ये लायब्ररी में मिली प्राचीन किताब क्या रहस्य उजागर करेगी ये देखते हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और रहस्यमयी अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Intzar rahega 😊
 

Raj_sharma

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अप्रतिम अप्रतिम अविस्मरणीय
कहानी को आगे बढाने का पहला कदम ही धमाकेदार हैं भाई मजा आ गया
तो आगे कहानी क्या क्या रहस्य उजागर करेगी ये समझ जाओं दोस्तों
कहानी के क्रमवार रहस्य बहुत ही जबरदस्त
और ये लायब्ररी में मिली प्राचीन किताब क्या रहस्य उजागर करेगी ये देखते हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और रहस्यमयी अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
अवश्य मित्र, हम आपको बिल्कुल भी निराश नहीं करेंगे, आप के शानदार रिव्यू के लिए बोहोत बोहोत आभार प्रकट करता हूं। 🙏🏼🙏🏼
 

Raj_sharma

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#55.
लेकीन इससे पहले कि लाइब्रेरियन कुछ और कह पाता। वेगा ने अपने पर्स से निकलकर एक कार्ड लाइब्रेरियन के सामने लहराया।

कार्ड देखकर लाइब्रेरियन खुश होते हुए बोला- “सोरी सर, आप केबिन में किताब पढ़ सकते हैं।"

यह कहकर लाइब्रेरियन ने एक केबिन खोल दिया। वेगा, वीनस को लेकर उस केबिन में आ गया।

केबिन में एक कांच की गोल टेबल रखी थी और उसकी चारो तरफ चार कुरसियां लगी थी. वेगा और वीनस एक-एक कुरसि लेकर आमने-सामने बैठ गये।

“वाह! मुझे तो पता ही नहीं था कि मैं एक वी.आई.पी. के साथ चल रही हूं।'' वीनस ने शोखी से अपनी आंखों को गोल-गोल नचते हुए कहा।

वेगा ने मुस्कुराकर वीनस को देखा, पर बोला कुछ नहीं। अब वेगा की निगाहें उस किताब पर थी। वेगा ने उस किताब पर धीरे से हाथ मारा।
किताब से थोड़ी सी धूल निकल इधर-उधर बिखर गयी।

“ये तो ऐसा लग रहा है कि इस किताब को किसी ने सालों से खोला ही ना हो।” वीनस ने किताब को देखते हुए कहा- “अरे! इस पर लिखी भाषा भी अजीब सी है... मैं तो यह पढ़ भी नहीं पा रही हूं।"

"यह 'एरकान' भाषा है।" वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा- "यह अमेरिका की सबसे प्राचीन भाषा में से एक है।"

“तो फिर तुम भाषा यह कैसे पढ़ सकते हो?” वीनस ने अपनी आँख को सिकोड़ते हुए पूछा।

“मेरे बाबा ने मुझे यह भाषा सिखाई है।” वेगा ने कहा।

"वैसे इस किताब का नाम क्या है?" विनस ने किताब की ओर देखा हुआ पूछा।

“इस किताब का नाम है-'अटलांटिस का इतिहास' और इसके लेखक का नाम है 'कलाट'. इस किताब को सन् 1508 में लिखा गया था।"

“बाप रे! यह तो लगभग 500 वर्ष पुरानी किताब है।'' वीनस ने अश्चर्य से कहा- "फिर तो में भी सुनूंगी, इस किताब की कहानी।"

“हां-हां! क्यो नहीं? इसीलिये तो केबिन लिया है मैने, जिस से हमारी आवाज लाइब्रेरी में ना गूंजे। '' वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा।

वीनस ने हां में सिर हिलाया और उत्सुकता से वेगा की ओर देखने लगी। वीनस को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वेगा ने किताब का पहला पन्ना खोला और जोर-जोर से कहानी पढ़ने लगा-

“अटलांटिस जैसे देवताओं की धरती कही जाती थी।” अटलांटिस एक ऐसा द्वीप जिसे 'पृथ्वी का स्वर्ग' कहा गया था। अटलांटिस द्वीप का आकार छेत्रफल की दृष्टि से, आज के एशिया के कुल छेत्रफल से भी बड़ा था. इतना बड़ा महाद्वीप जहां का विज्ञान, आज विज्ञान से भी बहुत जयादा उन्नत था। अचानक एक दिन वह पूरा का पूरा द्वीप समुद्र में समा गया गया। किस कारण से पूरी सभयता समुद्र में समा गई? यह आज भी रहस्य बना हुआ है। किसी को पूरी तरह से अटलांटिस की जानकारी नहीं है। तो आइए आज हम जानते हैं अटलांटिस के इतिहास के बारे में।“

इतना कहकर वेगा ने एक नजर वीनस पर मारी और किताब का पन्ना पलट कर फिर से पढ़ना शुरू कर दिया-

“लगभग 20,000 वर्ष पहले समुद्र के देवता 'पॉसाइडन' ने धरती पर स्वर्ग बनाने की कल्पना की। इसके लिए एक विशाल द्वीप और कुछ बुद्धिमान इंसानो की आवश्यकता थी। इसके लिए 'पोसाइडन' ने सबसे बड़े द्वीप की खोज शुरू की।

तलाश करते- करते 'पोसाइडन' को एक बहुत बड़ा द्वीप मिला। जो समुद्र के बीच चारो तरफ से पहाड़ियो से घिरा हुआ था। उस द्वीप पर उस समय 12 अलग-अलग राज्य हुआ करते थे। जहां पर अलग-अलग तरह की 12 जातियाँ भी रहती थी।

सभी राज्य आपस में हमेशा वर्चस्व की लड़ाई करते रहते थे। इस द्वीप पर ‘पोसाइडन’ को एक खूबसूरत लड़की दिखी। जिसका नाम 'क्लिटो' था जो की अपने पिता 'अवनार' और मां ‘लुसिपी’ के साथ रहती थी। 'क्लिटो' का सौंदर्य बिल्कुल देवियों की तरह था। ‘पोसाइडन’, 'क्लिटो' को देखकर उस पर मोहित हो गया।

‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' से शादी कर ली और उसे इन 12 राज्य की देवी घोषत कर दइया. ‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' को उस द्वीप के निर्माण के लिए एक फुटबॉल के आकार का काला मोती दिया। काला मोती में ब्रह्मांड की अपार शक्तियाँ समाई थी। वह ब्रह्मांड के सप्त तत्वों 'अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, ध्वनि और प्रकाश' पर भी नियंत्रण कर सकता था।

अतः काला मोती सप्त तत्वों की मदद से ब्रह्मांड के हर एक नक्षत्र और निर्जीव वास्तुओं का निर्माण कर सकने में सक्षम, था। लेकिन उस काले मोती को सिर्फ वही कंट्रोल कर सकता था, जिसके पास 'पोसाइडन' दी गई 'तिलिस्मी अंगूठी' हो। 'पोसाइडन' की यह तिलिस्मी अंगूठी 'ब्रह्मकण' से निर्मित थी और ब्रह्मकण ने ही ब्रह्माण्ड के सभी सजीव जीवों की रचना की थी। इसी ब्रह्म-कण को 'ईश्वरीय कण' के नाम से भी जाना जाता है।

पोसाइडन ने काले मोती को कंट्रोल करने के लिए, अपनी ये तिलिस्मी रिंग भी 'क्लिटो' को दे दी।पोसाइडन की दी हुई यही तिलिस्मी रिंग बाद में रिंग आफ अटलैंटिस के नाम से नाम से फेमस हुई। क्लिटो ने तिलिस्मी अंगूठी की सहायता से काले मोती को नियंतत्रित कर, उस द्वीप पर एक विशालाकाय और भव्य सभ्यता की रचना की।

क्लिटो ने इस सभयता का आकार भी तिलिस्मी अंगूठी के समान ही गोल बनाया। पूरे द्वीप को पांच भाग में विभक्त किया गया। पूर्व, पछिम, उत्तर, दक्षिण और केन्द्र। केंद्र का भाग क्लिटो के महल के रूप में विकसित हुआ। जहाँ पर पोसाइडन के एक भव्य मंदिर का निर्माण किया।

कहते है कि यह मंदिर इतना विशालकाय था कि उसकी दीवार बदलो के भी ऊपर तक चला गया थी, क्लिटो ने अटलान्टिस के पांच भागो में एक-एक विशालकाय पिरामिड की रचना भी की। ये पिरामिड उस समय द्वीप की सभी ऊर्जा की जरुरत को पूरा करते थे। इस द्वीप के हर हिस्से में, लोगो की जरूरत के हिसाब से लाल और काले पत्थरो से विशालकाय भवनो का निर्माण किया गया।

द्वीप पर केंद्र से बाहर की ओर तीन विशालकाय 'आउटर रिग' बनाए गए। एक रिंग से दूसरी रिंग की दूरी 9 किलोमीटर थी। यह 9 किलोमीटर के छेत्र में समुंद्र का पानी भरा गया। पहले और दूसरी रिंग को 10 भाग में विभजीत कर उन्हें 10 राज्य का रूप दिया गया, जिनमे द्वीप की 10 जातियो को जगह दी गई। तीसरी और आखरी रिंग में बाकी की बची दो जातियो ‘सामरा’ और ‘सीनोर’ को योधाओ के रूप में अटलांटिस की सुरक्षा के लिए बसाया गया।

बाद में मुझे क्लिटो के महल को केंद्र मानकर एक सीधी रेखा में 8 चौड़े पुल का निर्माण किया। ये पुल हर एक राज्य से होकर जाते थे। इस पूरी द्वीप के नीचे काँच की ट्यूब में समुंद्र के अंदर रास्तो का जाल बनाया गया।

संपूर्ण राज्य का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि बड़े से बड़ा पानी का जहाज भी सीधे महल तक पहुच सके। अपने उन्नत विज्ञान के कारण अटलान्टिस वासियो की औसत उम्र 800 साल होने लगी और उनहोने पानी में भी सांस लेने का कला सीख ली।

इसिलए उनके राज्य का बहुत सा हिस्सा समुंद्र के अंदर भी बनाया गया। पानी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए काँच के कैप्सूल के समान छोटी-छोटी नाव बनाई गई, जो कि समुन्द्र की लहरो से ऊर्जा प्राप्त कर चलती थी।
क्लिटो ने अलग-अलग जीवो को मिलाकर कुछ नए जीवो की रचना की, जिन्हे ‘जलोथा’ का नाम दिया गया। ये सारे जलोथा आकार और प्रकार में भिन्न-2 प्रकार के थे। ये विचित्र जीव, जल और थल दोनो ही स्थान पर जीवित रह सकते थे।

इस भव्य साम्राज्य की स्थापना कर क्लिटो वहां आराम से रहने लगी। धीरे-धीरे एक-एक कर क्लिटो ने पांच बार जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। क्लिटो के इन 10 बच्चों में एक भी लड़की नहीं थी। समय आने पर क्लिटो ने अपने सबसे बड़े पुत्र 'एटलस' को इस साम्राज्य का राजा बना दिया। धीरे-धीरे बाकी के 9 पुत्रो ने भी अटलांटिस के 9 अलग-अलग राज्यों को संभाल लिया।

बाकी बचे दो राज्य 'समरा' और 'सीनोर' के योद्धाओं को क्लिटो खुद नियंत्रित करती रही। बाद में एटलस के नाम पर ही उस द्वीप का नाम 'अटलांटिस' रखा गया। काले मोती की वजह से अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया कि ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों से पर ग्रहवासियो का भी पृथ्वी पर आना-जाना शुरू हो गया।

एक बार पोसाइडन को किसी बात पर क्लिटो के चरित्र पर शक हो गया। उसने गुस्से में आकर क्लिटो से अपनी तिलिस्मी रिंग छीन ली। क्लिटो ने बिना तिलिस्मी अंगूठी के जैसे ही काले मोती को अपने हाथ में उठाया, वह पत्थर की बन गई। इसके बाद पोसाइडन ने एक कृत्रम द्वीप का निर्माण किया और इस द्वीप का नाम 'अराका' रखा गया। यह द्वीप पर पानी भी तैर सकता था।

पोसाइडन ने उस द्वीप पर एक विशालकाय मानव आकृति वाले, पर्वत जैसे तिलिस्म की रचना की और क्लिटो को काला मोती सहित उस तिलिस्म में डाल दिया। इस प्रकार क्लिटो तिलिस्म में युगो-युगों तक के लिए कैद हो गई। बाद में मुझे पोसाइडन ने गुस्से में, अपनी तिलिस्मी रिंग भी उसी पहाड़ पर कहीं फेंक दी। जब क्लिटो के बेटे एटलस को यह बात पता चली तो वह पोसाइडन के इस कृत्य पर बहुत गुस्सा हुआ।

उसने अटलांटिस के 10 महायोद्धाओं को तिलिस्म तोड़कर काला मोती लाने को भेजा। मगर सारे महायोद्धा तिलिस्म तक पहुंचने के पहले ही 'अराका' के 'मायावन' मैं मारे गए।


जारी रहेगा_________✍️
 
Last edited:

Raj_sharma

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बहुत ही डरावना लिखा है, लेकिन शेफाली ठीक है और ब्रूनो ने फिर साबित किया कि ऐसे ही नहीं कुत्ते को सबसे वफादार जानवर कहा जाता,
अब बचें हुए सब यात्री एक नए सफर के लिए द्वीप पर पहुंच तो गए लेकिन अब आगे उन्हें क्या क्या सहना है ये और रोचक रहेगा पढ़ने में

Ye kya bhai,🤔 Supreme to doob gaya? Ab aage ka safar kaise tay hoga? Ta umar dweep per thodi rahenge? Waise hua bohot bura😞 2700 ke aaspas aadmi mare gaye, isi liye suyash ji waha se door le jana chahte the jahaaj ko👍 chalo jo hai so hai, ab kiya bhi kya ja sakta hai.? Ab to ye dekhna hai ki dweep per kya hota hai? Kya waha per sab bach jayenge ya ye dweep sabki bali lega, awesome update bhai ji👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻✍️✍️✍️

Nice update....

मैं इनको कम नहीं बल्कि हिंदी के सर्वोत्कृष्ट लेखकों में से मानता हूं। एक तरह से साहित्यिक श्रेणी की लेखनशैली है इनकी
लेकिन जो सत्य है मेरा, वहीं तो कहूंगा मैं :D

भाई आप बेशक जितना चाहें उतना लंबा ब्रेक लें।
कहानी लिखने का कुछ नहीं मिलता। आप अपनी जीविका देखें, जीवन देखें, संबंध देखें, अंत में अगर कुछ समय मिले, तो कहानी लिखें।
कम से कम मुझसे बात करने के लिए आपको कहानी की ज़रूरत नहीं। मैसेज लिख दें, बस 😊

जलेबी की तरह बिल्कुल सीधी सी कहानी हैं
और औरत की तरह सब कुछ समझ आ गया 😂😂😂😂😂😂

इस घटना के बाद अब तो गिनती के लोग बचें हैं ! सुप्रीम भी गया और समुंद्र सब कुछ निगल गया है !
सुयश के लिए ये रहस्य भी सुलझाना है की दीप सुरक्षित जगह है या इस पर भी कोई छुपी हुई मौत का समान है ?

बहुत ही शानदार लिख रहे हो आप भाई !

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻💐💐💐💐

Badhiya update Bhai
To kahani ka pahla bhag katam huva or dher sare prashn taiyar huye hai
Ab intezar rahega agle bhag ka jisme ek ek kar ke sabhi prashno ke uttar milenge


Awesome update

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Ek nayi duniya ke safar me le kar chal pade he aap hum sabko.........

Bada hi maja aane wala he............

Keep rocking Bro

Ye naya naya character ka kya chakkar hai!!?? Story sidhe Ocean se WASHINGTON DC City pahuch gaya aur ye matter toh five hi hota hai ye aapne sound aur light kahan se add kar diya!!??

Khair super update tha Vega aur Venus name ki 2 naye characters ki entry huyi.

Welcome back
New journey start ho Gayi AUR कुछ नए पात्रों के साथ एक अलग शुरुवात की गई है awesome जानकारियां di गई है,

कहानी के इस भाग में तो सहेलियों की बात ही चल लगी है कि कौन किसका प्रेमी है, किसका मर्डर हो गया है, कौन डांस करता है हसी मज़ाक तो चला, लेकिन ये मर्डर वाला सीन कुछ समझ नहीं आया अचानक से एज कौन सा हिस्सा खुल गया और फिर उसके बाद सीन ऐसा लग रहा कि कुछ भाई मिस्टरीयस होने वाला है आगे के पार्ट में देखते हैं क्या होता है


Badhiya update bhai

Ek dum naye sire se shuruat ki ha bilkul jaise kahani hi nayi lag rshi ha naye characters ke sath waise jaisa iska intro ha waise hi lagta ha pehle part se jyada dhamaal hone wala ha isme

Ab bat kar lete han ki us dwip ki jis per pluto kaid ha to kahin jis dwip ke chakkar me pahle part me itna kand ho gaya ye kahin wahi dwip to nahi kyonki ye bhi same wahi wibe de raha ha jo ki wo dwip de raha tha

Kher jaise ki ab atlantis ka asli itihas khola jayega to or maja ayega


Jald hi agle update ki pratiksha hogi

Jaise maine pehle kaha tha Bilkul Web Series ki tarh shuru hua ye chapter New character ke sath Atlantic ke kahani ke sath
.
Esa lagta hai ho na ho Supreme ke Adbhut safar ki shuruvat ka isse bahut kuch lena dena hone wala hai
.
Very Amazing starting Raj_sharma bhai

जहाज के लगभग सभी पैसेंजर को मार कर , जहाज को समंदर मे डुबोकर अब यह किस युग , किस सभ्यता मे ले जा रहे हैं हम मासूम रीडर्स को !
पहले आप जहाज के पैसेंजर को जिंदा कीजिए , जहाज को समंदर से बिल्कुल सुरक्षित उसी रूप मे बाहर निकालिए , फिर हम आप के इस सभ्यता की कहानी सुनेंगे । :D
वैसे इस बार आपने एक नवयुवक और उसके गर्लफ्रेंड के माध्यम से अटलांटिस के रहस्य बताने का मन बनाया है जिससे बहुत कम लोग भिज्ञ होंगे । लेकिन इस ट्विस्ट के साथ कि इसमे भारतीय पौराणिक काल का जिक्र होगा , साइंस की बात होगी और ग्रीक कल्चर का भी समावेश होगा ।
यह वास्तव मे बहुत ही कठिन टास्क होगा । इतने सारे विषयों को एक सूत्र मे पिरोना सहज कार्य तो हरगिज नही ।
खैर देखते हैं आगे आगे क्या होता है !

खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।आउटस्टैंडिंग अपडेट ।

Maine toh pehle hi bol diya tha yahan... ke jahaj dubne wala hai...yeh Raj sir ek din Titanic dekh lete hai agle din Jumanji ke script daal de yahan :kekdog:

Ab dekhte hoon kya jawab aata hai 👀

Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

अप्रतिम अप्रतिम अविस्मरणीय
कहानी को आगे बढाने का पहला कदम ही धमाकेदार हैं भाई मजा आ गया
तो आगे कहानी क्या क्या रहस्य उजागर करेगी ये समझ जाओं दोस्तों
कहानी के क्रमवार रहस्य बहुत ही जबरदस्त
और ये लायब्ररी में मिली प्राचीन किताब क्या रहस्य उजागर करेगी ये देखते हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और रहस्यमयी अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Intzar rahega 😊
DesiPriyaRai


Update posted friends :declare:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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nice update
Thanks brother :thanx:Sath bane rahiye
 

Rekha rani

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Interesting update
#55.
लेकीन इससे पहले कि लाइब्रेरियन कुछ और कह पाता। वेगा ने अपने पर्स से निकलकर एक कार्ड लाइब्रेरियन के सामने लहराया।

कार्ड देखकर लाइब्रेरियन खुश होते हुए बोला- “सोरी सर, आप केबिन में किताब पढ़ सकते हैं।"

यह कहकर लाइब्रेरियन ने एक केबिन खोल दिया। वेगा, वीनस को लेकर उस केबिन में आ गया।

केबिन में एक कांच की गोल टेबल रखी थी और उसकी चारो तरफ चार कुरसियां लगी थी. वेगा और वीनस एक-एक कुरसि लेकर आमने-सामने बैठ गये।

“वाह! मुझे तो पता ही नहीं था कि मैं एक वी.आई.पी. के साथ चल रही हूं।'' वीनस ने शोखी से अपनी आंखों को गोल-गोल नचते हुए कहा।

वेगा ने मुस्कुराकर वीनस को देखा, पर बोला कुछ नहीं। अब वेगा की निगाहें उस किताब पर थी। वेगा ने उस किताब पर धीरे से हाथ मारा।
किताब से थोड़ी सी धूल निकल इधर-उधर बिखर गयी।

“ये तो ऐसा लग रहा है कि इस किताब को किसी ने सालों से खोला ही ना हो।” वीनस ने किताब को देखते हुए कहा- “अरे! इस पर लिखी भाषा भी अजीब सी है... मैं तो यह पढ़ भी नहीं पा रही हूं।"

"यह 'एरकान' भाषा है।" वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा- "यह अमेरिका की सबसे प्राचीन भाषा में से एक है।"

“तो फिर तुम भाषा यह कैसे पढ़ सकते हो?” वीनस ने अपनी आँख को सिकोड़ते हुए पूछा।

“मेरे बाबा ने मुझे यह भाषा सिखाई है।” वेगा ने कहा।

"वैसे इस किताब का नाम क्या है?" विनस ने किताब की ओर देखा हुआ पूछा।

“इस किताब का नाम है-'अटलांटिस का इतिहास' और इसके लेखक का नाम है 'कलाट'. इस किताब को सन् 1508 में लिखा गया था।"

“बाप रे! यह तो लगभग 500 वर्ष पुरानी किताब है।'' वीनस ने अश्चर्य से कहा- "फिर तो में भी सुनूंगी, इस किताब की कहानी।"

“हां-हां! क्यो नहीं? इसीलिये तो केबिन लिया है मैने, जिस से हमारी आवाज लाइब्रेरी में ना गूंजे। '' वेगा ने वीनस को देखते हुए कहा।

वीनस ने हां में सिर हिलाया और उत्सुकता से वेगा की ओर देखने लगी। वीनस को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वेगा ने किताब का पहला पन्ना खोला और जोर-जोर से कहानी पढ़ने लगा-

“अटलांटिस जैसे देवताओं की धरती कही जाती थी।” अटलांटिस एक ऐसा द्वीप जिसे 'पृथ्वी का स्वर्ग' कहा गया था। अटलांटिस द्वीप का आकार छेत्रफल की दृष्टि से, आज के एशिया के कुल छेत्रफल से भी बड़ा था. इतना बड़ा महाद्वीप जहां का विज्ञान, आज विज्ञान से भी बहुत जयादा उन्नत था। अचानक एक दिन वह पूरा का पूरा द्वीप समुद्र में समा गया गया। किस कारण से पूरी सभयता समुद्र में समा गई? यह आज भी रहस्य बना हुआ है। किसी को पूरी तरह से अटलांटिस की जानकारी नहीं है। तो आइए आज हम जानते हैं अटलांटिस के इतिहास के बारे में।“

इतना कहकर वेगा ने एक नजर वीनस पर मारी और किताब का पन्ना पलट कर फिर से पढ़ना शुरू कर दिया-

“लगभग 20,000 वर्ष पहले समुद्र के देवता 'पॉसाइडन' ने धरती पर स्वर्ग बनाने की कल्पना की। इसके लिए एक विशाल द्वीप और कुछ बुद्धिमान इंसानो की आवश्यकता थी। इसके लिए 'पोसाइडन' ने सबसे बड़े द्वीप की खोज शुरू की।

तलाश करते- करते 'पोसाइडन' को एक बहुत बड़ा द्वीप मिला। जो समुद्र के बीच चारो तरफ से पहाड़ियो से घिरा हुआ था। उस द्वीप पर उस समय 12 अलग-अलग राज्य हुआ करते थे। जहां पर अलग-अलग तरह की 12 जातियाँ भी रहती थी।

सभी राज्य आपस में हमेशा वर्चस्व की लड़ाई करते रहते थे। इस द्वीप पर ‘पोसाइडन’ को एक खूबसूरत लड़की दिखी। जिसका नाम 'क्लिटो' था जो की अपने पिता 'अवनार' और मां ‘लुसिपी’ के साथ रहती थी। 'क्लिटो' का सौंदर्य बिल्कुल देवियों की तरह था। ‘पोसाइडन’, 'क्लिटो' को देखकर उस पर मोहित हो गया।

‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' से शादी कर ली और उसे इन 12 राज्य की देवी घोषत कर दइया. ‘पोसाइडन’ ने 'क्लिटो' को उस द्वीप के निर्माण के लिए एक फुटबॉल के आकार का काला मोती दिया। काला मोती में ब्रह्मांड की अपार शक्तियाँ समाई थी। वह ब्रह्मांड के सप्त तत्वों 'अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, ध्वनि और प्रकाश' पर भी नियंत्रण कर सकता था।

अतः काला मोती सप्त तत्वों की मदद से ब्रह्मांड के हर एक नक्षत्र और निर्जीव वास्तुओं का निर्माण कर सकने में सक्षम, था। लेकिन उस काले मोती को सिर्फ वही कंट्रोल कर सकता था, जिसके पास 'पोसाइडन' दी गई 'तिलिस्मी अंगूठी' हो। 'पोसाइडन' की यह तिलिस्मी अंगूठी 'ब्रह्मकण' से निर्मित थी और ब्रह्मकण ने ही ब्रह्माण्ड के सभी सजीव जीवों की रचना की थी। इसी ब्रह्म-कण को 'ईश्वरीय कण' के नाम से भी जाना जाता है।

पोसाइडन ने काले मोती को कंट्रोल करने के लिए, अपनी ये तिलिस्मी रिंग भी 'क्लिटो' को दे दी।पोसाइडन की दी हुई यही तिलिस्मी रिंग बाद में रिंग आफ अटलैंटिस के नाम से नाम से फेमस हुई। क्लिटो ने तिलिस्मी अंगूठी की सहायता से काले मोती को नियंतत्रित कर, उस द्वीप पर एक विशालाकाय और भव्य सभ्यता की रचना की।

क्लिटो ने इस सभयता का आकार भी तिलिस्मी अंगूठी के समान ही गोल बनाया। पूरे द्वीप को पांच भाग में विभक्त किया गया। पूर्व, पछिम, उत्तर, दक्षिण और केन्द्र। केंद्र का भाग क्लिटो के महल के रूप में विकसित हुआ। जहाँ पर पोसाइडन के एक भव्य मंदिर का निर्माण किया।

कहते है कि यह मंदिर इतना विशालकाय था कि उसकी दीवार बदलो के भी ऊपर तक चला गया थी, क्लिटो ने अटलान्टिस के पांच भागो में एक-एक विशालकाय पिरामिड की रचना भी की। ये पिरामिड उस समय द्वीप की सभी ऊर्जा की जरुरत को पूरा करते थे। इस द्वीप के हर हिस्से में, लोगो की जरूरत के हिसाब से लाल और काले पत्थरो से विशालकाय भवनो का निर्माण किया गया।

द्वीप पर केंद्र से बाहर की ओर तीन विशालकाय 'आउटर रिग' बनाए गए। एक रिंग से दूसरी रिंग की दूरी 9 किलोमीटर थी। यह 9 किलोमीटर के छेत्र में समुंद्र का पानी भरा गया। पहले और दूसरी रिंग को 10 भाग में विभजीत कर उन्हें 10 राज्य का रूप दिया गया, जिनमे द्वीप की 10 जातियो को जगह दी गई। तीसरी और आखरी रिंग में बाकी की बची दो जातियो ‘सामरा’ और ‘सीनोर’ को योधाओ के रूप में अटलांटिस की सुरक्षा के लिए बसाया गया।

बाद में मुझे क्लिटो के महल को केंद्र मानकर एक सीधी रेखा में 8 चौड़े पुल का निर्माण किया। ये पुल हर एक राज्य से होकर जाते थे। इस पूरी द्वीप के नीचे काँच की ट्यूब में समुंद्र के अंदर रास्तो का जाल बनाया गया।

संपूर्ण राज्य का निर्माण इस प्रकार किया गया था कि बड़े से बड़ा पानी का जहाज भी सीधे महल तक पहुच सके। अपने उन्नत विज्ञान के कारण अटलान्टिस वासियो की औसत उम्र 800 साल होने लगी और उनहोने पानी में भी सांस लेने का कला सीख ली।

इसिलए उनके राज्य का बहुत सा हिस्सा समुंद्र के अंदर भी बनाया गया। पानी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए काँच के कैप्सूल के समान छोटी-छोटी नाव बनाई गई, जो कि समुन्द्र की लहरो से ऊर्जा प्राप्त कर चलती थी।
क्लिटो ने अलग-अलग जीवो को मिलाकर कुछ नए जीवो की रचना की, जिन्हे ‘जलोथा’ का नाम दिया गया। ये सारे जलोथा आकार और प्रकार में भिन्न-2 प्रकार के थे। ये विचित्र जीव, जल और थल दोनो ही स्थान पर जीवित रह सकते थे।

इस भव्य साम्राज्य की स्थापना कर क्लिटो वहां आराम से रहने लगी। धीरे-धीरे एक-एक कर क्लिटो ने पांच बार जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया। क्लिटो के इन 10 बच्चों में एक भी लड़की नहीं थी। समय आने पर क्लिटो ने अपने सबसे बड़े पुत्र 'एटलस' को इस साम्राज्य का राजा बना दिया। धीरे-धीरे बाकी के 9 पुत्रो ने भी अटलांटिस के 9 अलग-अलग राज्यों को संभाल लिया।

बाकी बचे दो राज्य 'समरा' और 'सीनोर' के योद्धाओं को क्लिटो खुद नियंत्रित करती रही। बाद में एटलस के नाम पर ही उस द्वीप का नाम 'अटलांटिस' रखा गया। काले मोती की वजह से अटलांटिस का विज्ञान इतना उन्नत हो गया कि ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों से पर ग्रहवासियो का भी पृथ्वी पर आना-जाना शुरू हो गया।

एक बार पोसाइडन को किसी बात पर क्लिटो के चरित्र पर शक हो गया। उसने गुस्से में आकर क्लिटो से अपनी तिलिस्मी रिंग छीन ली। क्लिटो ने बिना तिलिस्मी अंगूठी के जैसे ही काले मोती को अपने हाथ में उठाया, वह पत्थर की बन गई। इसके बाद पोसाइडन ने एक कृत्रम द्वीप का निर्माण किया और इस द्वीप का नाम 'अराका' रखा गया। यह द्वीप पर पानी भी तैर सकता था।

पोसाइडन ने उस द्वीप पर एक विशालकाय मानव आकृति वाले, पर्वत जैसे तिलिस्म की रचना की और क्लिटो को काला मोती सहित उस तिलिस्म में डाल दिया। इस प्रकार क्लिटो तिलिस्म में युगो-युगों तक के लिए कैद हो गई। बाद में मुझे पोसाइडन ने गुस्से में, अपनी तिलिस्मी रिंग भी उसी पहाड़ पर कहीं फेंक दी। जब क्लिटो के बेटे एटलस को यह बात पता चली तो वह पोसाइडन के इस कृत्य पर बहुत गुस्सा हुआ।

उसने अटलांटिस के 10 महायोद्धाओं को तिलिस्म तोड़कर काला मोती लाने को भेजा। मगर सारे महायोद्धा तिलिस्म तक पहुंचने के पहले ही 'अराका' के 'मायावन' मैं मारे गए।


जारी रहेगा_________✍️[/SI
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