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Apan us jaldi ka wait karega manJald he aayga bhai

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Apan us jaldi ka wait karega manJald he aayga bhai
Ati uttam shuruvatइस कहानी में भौतिक विज्ञान के पेचीदा सूत्र, रासायन विज्ञान की
रासायनिक पहेलि यां, विचित्र जीव-जन्तुओं का अनूठा संसार, वनष्पति विज्ञान के अनोखे पेड़-पौधे, पृथ्वी व ब्रह्मांड का भौगोलिक दर्शन, अतीत के मानव का इतिहास, जीवन दायिनी धरा का भूगर्भ विज्ञान, विशिष्ट ग्रहों से निकलने वाली ऊर्जा को ग्रहण करने वाला रत्न विज्ञान, अनोखी गणितीय उलझनें, भविष्य को बताने वाला ज्योतिष विज्ञान, अनन्त ब्रह्मांड की आकाश गंगाओं का नक्षत्र विज्ञान, जटिल मानव विज्ञान, अविश्वसनीय व रहस्यमयी परा विज्ञान, अंकशास्त्र का अद्भुत अंक विज्ञान, ईश्वरीय शक्ति का एहसास दिलाने वाला तंत्र-मंत्र विज्ञान व सागर की अथाह लहरों व उसमें छिपे रहस्यों को बताने वाला सागर विज्ञान को एक ही माला में पिरोने का प्रयास किया है।
यह कहा नी विश्व के उन महत्वपूर्ण अनसुलझे रहस्यों को ध्यान में रखकर बनाई गयी है, जिनका रहस्य आज भी मानव मस्तिष्क से परे है। अपने तर्क को शक्ति प्रदान कर, उन सभी अनसुलझे रहस्यों की कड़ियों को, एक घटना क्रम देते हुए सुलझा ने का प्रयास किया है।
इसका हर पात्र आपके दिल-ओ-दिमाग पर छा जायेगा।
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नो टः
यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। इसका किसी व्यक्ति या घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है। इस कहानी का उद्देश्य किसी धर्म या संप्रदाय की भावनाओं को आहत पहुंचाने का भी नहीं है। यदि किसी स्थान या घटना की जानकारी दी गयी है तो
वह मात्र कौतूहल वर्धक व मनोरंजक बनाने के लिए की गयी है।
ब्रह्माण्ड में स्थित अरबों आकाश गंगाओं में तैरते असंख्य ग्रहों में से एक ग्रह है पृथ्वी। पृथ्वी-जीवन से परिपूर्ण और रहस्यों से भरपूर। पृथ्वी की सबसे श्रेष्ठतम रचना है -मानव। मानव जिसके पास है एक अति विकसित मस्तिष्क।
यही मस्तिष्क इसे पृथ्वी पर रहने वाले करोड़ों जीवों से श्रेष्ठ बनाता है। इसी विकसित मस्तिष्क के कारण आज वह हर पल विकास के नये आयामों को स्पर्श कर रहा है।
विज्ञान मन्थर गति से धीरे धीरे अपने कदम बढ़ा रहा है। विकास की नयी
आधार शिला तैयार हो रही है।
वह मानव जो कभी पेड़ों और गुफाओं में रहता था, आज अपने अति विकसित मस्तिष्क के कारण अंतरिक्ष में निकलकर, अन्य ग्रहों की तरफ जीवनरूपी पदचिन्हों को तलाश रहा है। प्रक्षेपास्त्र, लेजर व परमाणु बम बनाने वाले हाथ अब मानव क्लोनिंग कर, अंतरिक्ष में स्पेस सिटी बनाने का सपना देख, ईश्वरीय शक्ति को भी चुनौती प्रदान करने लगा है। उसका मानना है कि अब वो पहले से अधिक विकसित है।
परन्तु क्या यह सत्य है? इसका उत्तर तो सिर्फ अतीत की काली चादर में लिपटा कहीं गहराइयों मे दफन है। वह रहस्य, सागर की अथाह गहराइयों में भी हो सकता है, या फिर अंतरिक्ष में फैली करोड़ों आकाश गंगाओं की अनंत गहराइयों में भी।
रहस्य-एक ऐसा शब्द, जिसमें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जगत का सार छिपा हुआ है। आज भी मानव निरंतर रहस्यों की खोज के पीछे भाग रहा है, फिर चाहे वह सपनों का रहस्य हो, या फिर पुनर्जन्म का। यह सभी रहस्य मानव को अपनी ओर आकर्षित करते रहें हैं।
कालचक्र- जिसे हम समयचक्र भी कहते हैं, समय समय पर चेतावनी स्वरूप, विकास की अन्धी दौड़ में भाग रहे मानव को कुछ ऐसे प्रमाण दिखा देता है, जो आज भी मानव मस्तिष्क से परे है। मानव लाख कोशिशों के बाद भी जब उस रहस्य को समझने में ना कामयाब हो जाता है, तो वह उसे परा विज्ञान का नाम देकर अनसुलझे रहस्यों की श्रेणी में ला कर खड़ा कर देता है और उससे दूर हट जाता है।
बारामूडा त्रिकोण इसका जीता जागता उदाहरण है। मिस्र में खड़े विशालकाय पिरामिड, ईस्टर द्वीप की दैत्याकार मूर्तियां, ओल्मेक सभ्यता, इंका सभ्यता, माया सभ्यता, व अटलांटिस द्वीप के मिले कुछ ध्वंशावशेष, नाज्का सभ्यता के रेखा चित्र और ना जाने कितने ऐसे प्रमाण हैं, जो आज भी अतीत के मानव अति विकसित होने की कहानी कह रहें हैं।
अब सवाल यह उठता है कि यदि अतीत का मानव इतना ही विकसित था, तो उसके नष्ट होने का कारण क्या था ? कहीं उसके नष्ट होने का कारण उसका प्रकृति से खिलवाड़, या उसका अतिविकसित होना ही तो नहीं था ? क्या विकास की ही अंतिम सीढ़ी विनाश है? यदि ऐसा ही है, तो क्या हम एक बार पुनः विनाश की ओर अपने कदम बढ़ा रहें हैं? इन सभी सवालों का उत्तर जानने के लिए हमें एक बार फिर से अतीत में जाना पड़ेगा।
लेकिन क्या अतीत में जाना सम्भव है? क्या हम जिस टाइम मशीन की कल्पना इतने वर्षों से कर रहें हैं, वह सम्भव है? यदि नहीं , तो फिर कैसे इन रहस्यों से पर्दा उठ सकता है? आइये विचार करते हैं। लेकिन विचार तो कोरी कल्पना मात्र होगी। तो फिर क्या करें? तो फिर आइये क्यों न इस कहानी को ही पढ़ा जाए, शायद हमारे सवालों का जवाब इस कहानी में ही कहीं मिल जाए ...।
जारी है........
Lagta hai prem kahani ki shuruvat ya kuch or shuru hoga lagta hai is safar me#-1
22 दिसम्बर 2001, शनिवार, 22:00; न्यूयार्क शहर, अमेरिका !!
“हैलो मारथा !“ माइकल ने दरवाजे से प्रवेश करते हुए, अपनी पत्नी मारथा कोसंबोधित किया -
“पैकिंग पूरी हुई कि नहीं ? याद है ना कल ही हमें शिप से सिडनी जाना है।“
मारथा ने पहले एक नजर अपनी सो रही बेटी शैफाली पर डाली और फिर मुंह पर उंगली रखकर, माइकल से धीरे बोलने का इशारा किया -
“श् ऽऽऽऽऽ शैफाली, अभी - अभी सोई है, जरा धीरे बोलिए।“
माइकल, मारथा का इशारा समझ गया। इस बार उसकी आवाज धीमी थी –
“मैं तुमसे पैकिंग के बारे में पूछ रहा था।“
“अधिकतर पैकिंग हो चुकी है, बस शैफाली और ब्रूनो का ही कुछ सामान बचा हुआ है।“ मारथा ने धीमी आवाज में माइकल को जवाब दिया।
उधर ब्रूनो, माइकल की आवाज सुन, पूंछ हिलाता हुआ माइकल के पास
आकर बैठ गया । माइकल ने ब्रूनो के सिर पर हाथ फेरा और फिर मारथा से मुखातिब हुआ-
“ये तो अलबर्ट सर ने ब्रूनो के लिए 'सुप्रीम' पर व्यवस्था करवा दी, नहीं तो उस शिप पर जानवर को ले जाना मना है और ब्रूनो को छोड़कर शैफाली कभी नहीं जाती।“
“जाना भी नहीं चाहिए।“ मारथा ने मुस्कुरा कर ब्रूनो की तरफ देखते हुए कहा -
“शैफाली खुद भी छोटी थी, जब आप ब्रूनो को लाए। देखते ही देखते ये शैफाली से कितना घुल-मिल गया । इसके साथ रहते हुए तो शैफाली को अपने अंधेपन का भी एहसास नहीं होता ।“
ब्रूनो फिर खुशी से पूंछ हिलाने लगा । मानो उसे सब समझ आ गया हो।
“अलबर्ट __________सर, कॉलेज में मेरे प्रो फेसर थे। मैं उनका सबसे फेवरेट स्टूडेंट था ।“
माइकल ने पुनः बोलना शुरू किया - “जैसे ही मुझे पता चला कि वो भी न्यूयार्क से सिडनी जा रहे हैं, तो मैं अपने को रोक न पाया । इसीलिए मैं भी उनके साथ इसी शिप से जाना चाहता हूं।“
“मगर ये सफर 65 दिनों का है।“ मारथा ने थोड़ा चिंतित स्वर में कहा–
“क्या 2 महीने तक हम लोग इस सफर में बोर नहीं हो जाएंगे।“
“अरे, यही तो खास बात होती है शिप की । 2 महीने तक सभी झंझटों से
दूऱ........। कितना मजा आएगा ।“ माइकल ने उत्साहित होकर कहा –
“और ये भी तो सोचो, कि अलबर्ट सर को भी टाइम मिल जाएगा, शैफाली के साथ रहने का । वो जरूर इसकी परेशानियों को दूर करेंगे।“
इससे पहले कि मारथा कुछ और कह पाती । ब्रूनो की “कूं-कूं“ की आवाज ने उनका ध्यान भंग कि या।
ब्रूनो, सो रही शैफाली के पास खड़ा था और शैफाली को बहुत ध्यान से देख रहा था ।
दोनों की ही नजर अब शैफाली पर थी । जो बिस्तर पर सोते हुए कुछ अजीब से करवट बदल रही थी । साथ ही साथ वह कुछ बुदबुदा रही थी । माइकल और मारथा तेजी से शैफाली की ओर भागे। मारथा ने शैफाली को हिलाना शुरू कर दिया । पर वह बिल्कुल बेसुध थी ।
शैफाली अभी भी नींद में बड़बड़ा रही थी । पर अब वो आवाजें, माइकल व मारथा को साफ सुनाई दे रहीं थीं –
“अंधेरा ........ लहरें ......... रोशनी ........ फायर
............ लाम ....... कीड़े ........ द्वीप ..... ।“
मारथा , शैफाली की बड़बड़ाहट सुनकर अब बहुत घबरा गई थी । उसने तेजी से शैफाली को हिलाना शुरू कर दिया। अचानक शैफाली झटके से उठ गई।
“क्या हुआ मॉम? आप मुझे हिला क्यों रहीं हैं?“ शैफाली ने अपनी नीली - नीली आंखें चमकाते हुए कहा ।
“तुम शायद फिर से सपना देख रही थी ।“ माइकल ने व्यग्र स्वर में कहा।
“आप ठीक कह रहे हैं डैड। मैं कुछ देख तो रही थी, पर मुझे कुछ ठीक से याद नहीं आ रहा ।“ शैफाली ने कहा ।
“कोई बात नहीं बेटी, आप सो जाओ“ मारथा ने गहरी सांस लेते हुए कहा -
“परेशान होने की जरूरत नहीं है।“
शैफाली दोबारा से लेट गई। माइकल व मारथा अब शैफाली से दूर हट गए थे।
“ये कैसे संभव है मारथा ?“ माइकल ने दबी आवाज में कहा-
“शैफाली तो जन्म से अंधी है, फिर इसे सपने कैसे आ सकते हैं। हर महीने ये ऐसे ही सपने देखकर बड़बड़ाती है।“
“आप परेशान मत हो माइकल।“ मारथा ने गहरी साँस लेते हुए कहा -
“माना कि जन्म से अंधे व्यक्ति सपने नहीं देख सकते, पर अपनी शैफाली भी कहां नॉर्मल है। देखते नहीं हो वह मात्र 12 साल की उम्र में अंधी होकर भी, अपने सारे काम स्वयं करती है और अजीब-अजीब सी पहेलियां बनाकर हल करती रहती है। शैफाली दूसरों से अलग है, बस।“
माइकल ने भी गहरी सांस छोड़ी और उठते हुए बोला - “चलो अच्छा ! तुम बाकी की पैकिंग करो , मैं भी मार्केट से कुछ जरूरी सामान लेकर आता हूं।“
23 दि सम्बर 2001, रविवार, 14:00; (“सुप्रीम “) न्यूयार्क का बंदरगाह छोड़कर मंथर गति से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था। बंदरगाह को छोड़े हुए उसे लगभग 5 घंटे बीत चुके थे। दिसंबर का ठंडा महीना था और सूर्य भी अपनी चमकती किरणें बिखेरता हुआ, आसमान से सागर की लहरों पर, अठखेलियां करती हुई, अपनी परछाई को देखकर खुश हो रहा था ।
मौसम ठंडा होने के कारण सूर्य की गुनगुनी धूप सभी को बड़ी अच्छी लग रही थी ।
'सुप्रीम' के डेक पर बहुत से यात्रियों का जमावड़ा लगा हुआ था । कोई डेक पर टहलकर, इस गुनगुनी धूप का मजा ले रहा था, तो कोई अपने इस खूबसूरत सफर और इस शानदार शिप के बारे में बातें कर रहा था।
सभी अपने-अपने काम में मशगूल थे। परंतु ऐलेक्स जो कि एक पोल से टेक लगाए हुए खड़ा था, बहुत देर से, दूर स्लीपिंग चेयर पर लेटी हुई एक इटैलियन लड़की को देख रहा था। वह लड़की दुनिया की नजरों से बेखबर, बड़ी बेफिक्री से लेटी हुई, सुनहरी धूप का मजा लेते हुए, एक किताब पढ़ रही थी ।
ऐलेक्स की निगाहें बार-बार कभी उस लड़की पर, तो कभी उसकी किताब पर पड़ रही थी । दोनों की बीच की दूरी बहुत अधिक ना होने के कारण उसे किताब का नाम बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।
किताब का नाम ’वर्ल्ड फेमस बैंक रॉबरी ’ होने के कारण ना जाने, उसे क्यों बड़ा अटपटा सा महसूस हुआ।
उसे उस लड़की की तरफ देखते हुए ना जाने कितना समय बीत चुका था, परंतु उसकी नजर उधर से हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थी। तभी एक आवाज ने उसका ध्यान भंग किया।
“हाय क्रिस्टी !“ एक दूसरी लड़की अपना हाथ हिलाते हुए उस इटैलियन लड़की की तरफ बढ़ी, जिसका नाम यकीनन क्रिस्टी था –
“व्हाट ए सरप्राइज, तुम इस तरह से यहां शिप पर मिलोगी, ये तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था ।“
“ओऽऽऽ हाय लॉरेन!“ क्रिस्टी ने चैंक कर किताब को नजरों के सामने से हटाते हुए, लॉरेन पर नजर डालते हुए, खुशी से जवाब दिया –
“तुम यहां शिप पर कैसे? अच्छा ये बताओ, कॉलेज से निकलकर तुमने क्या-क्या किया ? इतने साल तक तुम कहां थी ? और .......।“
“बस-बस.....!“ लॉरेन ने क्रिस्टी के मुंह को अपनी हथेली से बंद करते हुए कहा- “अब सारी बातें एक साथ पूछ डालोगी क्या? चलो चलते हैं, कॉफी पीते हैं, फिर आऽऽराऽऽम से एक दूसरे से सारी बातें पूछेंगे।“
“तुम ठीक कहती हो । हमें कहीं बैठकर आराम से बात करनी चाहिए और वैसे भी तुम मुझ से लगभग 3 साल बाद मिल रही हो । मुझे भी तो पता चले इन बीते हुए सालों में तुमने क्या-क्या तीर मारे?“
यह कहकर क्रिस्टी लगभग खींचती हुई सी, लॉरेन को लेकर रेस्टोरेंट की ओर बढ़ गई।
ऐलेक्स, जो कि अब तक दोनों सहेलियों की सारी बातें ध्यान से सुन रहा था,
उसकी निगाहें अब सिर्फ और सिर्फ उस किताब पर थी, जो कि अनजाने में ही शायद वहां पर छूट गई थी । वह धीरे धीरे चलता हुआ, उस स्थान पर पहुंचा, जहां पर वह किताब रखी हुई थी । अब उसने अपनी नजरें हवा में इधर-उधर घुमाई। जब उसे इस बात का विश्वास हो गया, कि इस समय किसी की नजरें उस पर नहीं है, तो उसने धीरे से झुक कर उस किताब को उठा लिया । वहीं पर खड़े-खड़े ऐलेक्स ने उस किताब का पहला पृष्ठ खोला । जिस पर अंग्रेजी में बहुत ही खूबसूरत राइटिंग में
’क्रिस्टीना जोंस’ लिखा था।
ऐलेक्स ने चुपचाप किताब को बंद किया और धीरे-धीरे उस स्थान से दूर चला गया। लेकिन जाते-जाते वह अपने होंठों ही होंठों में बुदबुदाया-
“क्रिस्टी !“
जारी रहेगा...…![]()
Dehati nahi Rekha rani ji BIHARIश्रीमानजी अपडेट पढ़ लिया था लेकिन इंटरनेशन लेवल का है और हम ठहरे देहाती अपर से निकल गया
रिव्यू क्या देती
Bahut khoob# -2.
23 दिसम्बर 2001, रविवार 14:15; “सुप्रीम” “
अरे यार! हम इतनी देर से आपस में बातें कर रहें हैं।“ क्रिस्टी ने हल्के से अपने माथे पर चपत लगाते हुए कहा – “पर मैंने तुमसे अभी तक यह नहीं पूछा, कि तुम्हारे ब्वॉयफ्रेंड का क्या हुआ? जो कॉलेज में तुमको चुपके-चुपके लेटर लिखा करता था ।“
“छोड़ो यार!“ लॉरेन ने थोड़ा दुखी स्वर में कहा - “तुमने भी क्या याद दिला दिया ?“
“क्या हुआ? वो तुझे छोड़कर भाग गया क्या ?“ क्रिस्टी ने मजाकिया अंदाज में बोला ।
“भाग कर कहां जाएगा ?“ लॉरेन ने गहरी साँस भरते हुए जवाब दिया - “है तो अभी भी मेरे साथ, और वो भी इसी शिप पर।“
“इसी शिप पर!“ क्रिस्टी ने हवा में हाथ नचाते हुए शायराना अंदाज में कहा - “अरे वाह! और ये तू सबसे बाद में बता रही है। अच्छा छोड़! ये बता, तू उससे मुझे कब मिलवा रही है।“
“क्या खाक मिलवा रही हूं! लॉरेन की आवाज में अभी भी दुख भरा था - “उसने इस शिप पर, मुझसे तक से तो मिलने से मना कर रखा है, फिर तुझे उससे कैसे मिलवाऊं?“
“ये क्या बात हुई?“ क्रिस्टी ने चहककर कहा- “अरे वो तेरा ब्वॉयफ्रेंड है, या कोई जासूस! जो वह तुझसे भी नहीं मिलना चाहता।“
“वह कह रहा था कि उसके कुछ दुश्मन भी इसी शिप पर हैं, जो कहीं मुझे उससे मिलते देखकर मेरे पीछे ना पड़ जाएं। लॉरेन ने कहा-
“इसलिए उसने शिप पर मुझसे मिलने से मना कर रखा है।“
“अच्छा मिलवाना छोड़ो । उसकी कोई फोटो तो मुझे दिखा सकती हो। आखिर मैं भी तो देखूं, कौन है वह सूरमा जो मेरी सहेली के रातों की नींद उड़ाए है।“ क्रिस्टी ने लॉरेन के चेहरे के पास, हवा में हाथ हिलाते हुए कुछ मजा किया अंदाज में कहा ।
“हां फोटो तो दिखा सकती हूं।“ लॉरेन ने स्वीकृति से सिर हिलाते हुए कहा - “मगर एक शर्त है, तुम और किसी से कुछ नहीं बताओगी ।“
“अरे यार! मेरा इस शिप पर और कोई जानने वाला है ही नहीं । फिर भला मैं किसे बताऊंगी । लेकिन अगर तू नहीं मानती है, तोले..... मैं प्रॉमिस करती हूं।“ क्रिस्टी ने बाकायदा चुटकी से गला पकड़ते हुए प्रॉमिस करने वाले अंदाज में कहा – “कि किसी से भी नहीं बताऊंगी ।“
“फिर ठीक है। मैं तुम्हें कल उसकी फोटो जरूर दिखाऊंगी ।“ लॉरेन ने हामी भरते हुए कहा ।
“अच्छा ये बता कि तेरे उन दोनों शौक का क्या हुआ?“ क्रिस्टी ने एक के बाद तुरंत दूसरे सवाल का गोला दागा - “आज भी नयी-नयी भाषाएं सीख रही है या नहीं?“
“मैं जिंदगी में सब कुछ भूल जाऊं, पर अपने शौक को नहीं भूलती ।“ लॉरेन ने पूर्ण आत्मविश्वास भरे लहजे में कहा- “भाषाएं तो मैं आज भी सीख रही हूं। बल्कि यह कहा जाए, कि अब मुझे कुछ भाषाओं, जैसे फ्रेंच, उर्दू आदि में तो महारत हासिल हो गई है। बाकी रही बात दूसरा शौक डांस करने की । तो मैं आज भी वह कर रही हूं। बल्कि उसी की वजह से तो मैं आज इस शिप पर हूं।“
“मैं कुछ समझी नहीं !“ क्रिस्टी ने ना समझने वाले भाव से लॉरेन की तरफ देखते हुए कहा । “
दरअसल कालेज से निकलने के बाद मैंने अपने इस शौक को प्रोफेशन बनाने के लिए सोचा ।“ लॉरेन ने अपनी बात को आगे बढ़ाया - “और फ्रांस की सबसे फेमस ’ड्रीम्स डांस ग्रुप’ में अपना बायो डाटा भेजा । यहां पर मेरी किस्मत अच्छी रही, क्यों कि उस डांस ग्रुप की, एक मुख्य डांसर की, एक एक्सीडेंट में मौत हो जाने से उस समय वहां पर एक जगह भी खाली थी । उन्हों ने मेरा बायो डाटा देखा और मुझे डांस टेस्ट के लिए बुलवा लिया । जिसमें मेरे अच्छे परफॉर्मेंस के कारण मुझे चुन लिया गया। उसी डांस ग्रुप को इस शिप पर डांस प्रोग्राम के लिए रखा गया है। इसलिए मैं उस ग्रुप के साथ आज यहां पर हूं।“
“एक मिनट! ड्रीम्स डांस ग्रुप .......।“ क्रिस्टी ने अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से, अपनी दांई कनपटी पर धीरे-धीरे चोट करते हुए, सोचने वाले अंदाज में कहा - “ कहीं ये जेनिथ वाला डांस ग्रुप तो नहीं ?“
“हाँ ! ..... बिल्कुल ठीक। मैं उसी ग्रुप में इस समय परफॉर्म कर रही हूं और जेनिथ तो इस समय मेरी सबसे खास दोस्त है। यहां तक कि मैं और वो इस समय शिप में एक ही रूम में रुके हुए हैं।“
“अच्छा छोड़ो मेरी बातों को।“ लॉरेन ने कुछ सेकेण्ड रुककर फिर बोलना शुरू किया - “ये बताओ तुम मेरे बारे में ही पूछती रहोगी या फिर कुछ अपने बारे में भी बताओगी । तुम सुनाओ तुम आजकल क्या कर रही हो ? तुम्हें भी तो जिमनास्टिक का बहुत शौक था । कॉलेज वाले सारे दोस्त तुम्हें “रबर की गुड़िया “ कहा करते थे।“
“कहां यार!“ क्रिस्टी ने निराशा भरे स्वर में कहा - “कॉलेज से निकलने के बाद तो डैड ने मुझे ’कंप्यूटर सॉफ्टवेयर’ के बिजनेस में फंसा दिया और उसमें मैं ऐसा फंसी, कि मुझे अपना शौक पूरा करने का टाइम ही नहीं मिला और जब से डैड एक्सपायर हो गए, तब से तो मेरे पास समय और भी ना बचा ।“
“सॉरी यार! मुझे नहीं पता था कि तेरे डैड ........। लेकिन यह बता कि तेरे डैड तो अभी अच्छे भले थे, फिर वह कैसे एक्सपायर हो गए?“ लॉरेन ने क्रिस्टी के दुख में दुखी होते हुए कहा ।
“दरअसल उनकी मौत स्वाभाविक नहीं थी ।“ कहते-कहते एकाएक क्रिस्टी का चेहरा लावे की तरह धधकने लगा - “बल्कि उनका मर्डर हुआ था ।“
“मर्डर!“ लॉरेन के शब्दों में आश्चर्य था ।
“अरे छोड़ो यार!“ क्रिस्टी ने सामान्य होते हुए, मुस्कुराने की एक असफल कोशिश करते हुए कहा- “किसी और टॉपिक पर बात करते हैं।“
“ना बाबा ना ।“ लॉरेन ने घड़ी पर निगाह डालते हुए, कुर्सी से उठते हुए कहा- “समय बहुत हो रहा है। आपस में बातें करते-करते समय का तो पता ही नहीं चला । शाम को हम लोगों का इस शिप पर पहला शो है। अभी शो के लिए हमें काफी तैयारियां भी करनी है। जेनिथ भी मेरी राह देख रही होगी, मुझे अब चलना चाहिए।“ यह कहते हुए उसने पास में रखे, उस कॉफी के बिल पर साइन कर अपना रुम नंo डाल दिया, जो कुछ देर पहले उसके इशारे पर वेटर वहां रख गया था । और फिर क्रिस्टी को “बाय “ करती हुई, रेस्टोरेंट के दरवाजे से बाहर निकल गयी । क्रिस्टी उसे अंत तक देखती रही, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गयी । फिर धीरे से वह भी उठकर दरवाजे की तरफ चल दी ।
अगर वह पीछे पलट कर देखती, तो उसे वह दो आंखें जरूर दिखाई दे जातीं, जो बहुत देर से खूनी नजरों से, लगातार उन पर और उनकी बातों पर नजर रखे थीं । उसके जाने के बाद धीरे से वह साया भी उठा और रेस्टोरेंट के बाहर निकल गया ।
जारी रहेगा…....![]()
Dhanyawad bhaiBhut shandaar update....... bas 1 गुजारिश hai aam thode simple rakho.... taki aasani se yaad rahe
Ab kya kare bhai, jyadatar character bahar ke hai to naam bhi unke hi hai, khir aage kosis karungaNaam