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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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#71.

यह देख अल्बर्ट चीख कर बोला- “यह किसी प्रकार का कोई तिलिस्म है। यहां खतरा भी हो सकता है।" यह सुन सुयश चुपचाप उसी पत्थर पर खड़ा हो गया।

“प्रोफेसर, ये तिलिस्म क्या होता है?" एलेक्स ने अल्बर्ट से पूछा।

“विज्ञान के प्रयोगो को अति आधुनिक तरीके से मैकेनिज्जम के द्वारा एक घटनाक्रम में बदल दिया जाता है, जो एक जादू की तरह दिखाई देने लगता है। इस मैकेनिज्जम को डीकोड करने का एक ही तरीका होता है, अगर किसी ने कोई गलत तरीका अपनाया तो वह तिलिस्म से बाहर नहीं आ सकता।

सरल शब्दो में ये समझ लो कि तुम अगर किसी कमरे में बंद हो गये हो और उस कमरे के दरवाजे पर अगर कोई नंबर वाला ताला लगा है तो तुम बिना सही नंबर को लगाये, ना तो ताला खोल सकते हो और ना ही कमरे से बाहर आ सकते हो।"

अल्बर्ट ने इतने सरल तरीके से समझाया कि एलेक्स तो क्या जॉनी की भी सब समझ में आ गया।

यह सुन तौफीक ने सुयश को कहा- “कैप्टन अगर आप वापस नहीं आ सकते तो एक बार आगे जाने की कोशिश करके देख लीजिये।"

तौफीक की बात सुन सुयश ने अपना दाहिना पैर आगे की ओर बढ़ाया और दूसरे पत्थर पर रख दिया।

तुरंत दूसरे पत्थर का रंग आसमानी हो गया। इसी के साथ शलाका के दूसरे भाई ‘ओरियन’ का खंभा भी आसमानी हो गया और उससे निकली किरण ने दूसरे पेड़ को भी सीधा कर दिया।

अब उस पेड़ पर लगे फूल भी आसमानी रंग के हो गए।

दूसरे पेड़ के सीधे होते ही शलाका की मूर्ति का चेहरा थोड़ा-थोड़ा नजर आने लगा। सुयश ने फ़िर पीछे पलटने की कोशिश की, पर वो फ़िर से पलट नहीं पाया।

अब सुयश ने फैसला कर लिया था कि उसे अब आगे ही बढ़ना है। यह सोच सुयश ने एक साथ सभी
पत्थरो को पार कर लिया। सभी साँस रोके सुयश के हर कदम पर कुछ ना कुछ नया होते देख रहे थे।

शलाका के भाईयों के सभी खंभे अब अलग-अलग रंगो से रोशन हो गये और इसी के साथ हट गये शलाका को घेरे, पेड़ रुपी सभी पर्दे।

अब सातों पेड़ पर भी अलग-अलग रंग के फूल खिल गये थे। परंतु सुयश की निगाह अब सिर्फ और सिर्फ शलाका की मूर्ति पर थी।

6 फुट की शलाका की मूर्ति संगमरमर के सफेद पत्थर से निर्मित थी।

मूर्ति के सिर पर एक सुनहरे रंग का छोटा सा मुकुट था। उसकी आँखो किसी हिरनी के समान लंबी और चमकीली थी। उसके बाल अग्नि के समान हवा में लहरा रहे थे। उसने किसी भारतीय नारी के समान, लंबी सी साड़ी अपने बदन पर लपेट रखी थी। उसने अपने दोनों हाथो को जोड़कर, उसमें एक फुटबाल के आकार का काले रंग का एक मोती पकड़ रखा था।

सभी मन्त्रमुग्ध से सुंदरता की उस देवी को निहार रहे थे।

तभी जैसे अल्बर्ट को कुछ याद आया। उसने अपनी जेब से अटलांटिस वाला सोने का सिक्का निकालकर अपने हाथ में ले लिया। उसमें बनी फोटो को अल्बर्ट ने मूर्ति से मिलाकर देखा।

“बिल्कुल वही है।" अल्बर्ट मन ही मन बड़बड़ाया- “सिक्के पर देवी शलाका की ही फोटो बनी है। इसका मतलब हम इस समय अटलांटिस में ही है।"

उधर सुयश शलाका का सौंदर्य देखने में इतना मग्न हो गया कि उसे आसपास का कुछ याद ही नहीं रह गया।

तभी सुयश को उस मूर्ति की आँखो में कुछ हरकत होती दिखाई दी। पता नहीं कितनी देर तक सुयश उस मूर्ति को देखता रहा और फ़िर उस मूर्ति की ओर बढ़ने लगा।

जैसे ही सुयश के पांव उस गोल चबूतरे पर पड़े, अचानक सारे पेड़ झूमकर देवी शलाका पर फूलो की बारिश करने लगे। सभी साँस रोके सुयश को देख रहे थे।

सुयश शलाका की मूर्ति के बिल्कुल पास पहुंच गया था। सुयश को अब उस मूर्ति से भीनी-भीनी सी खुशबू आती भी प्रतीत हो रही थी।

“रुक जाइये कैप्टन।" अल्बर्ट ने तेज आवाज में कहा।

इस बार सुयश ने बिना अल्बर्ट को देखे हुए अपना दाहिना हाथ उठाया, जो कि इस बात का संकेत था
कि वह होश में है और बाकी सभी लोग को वहीं रुकने का इशारा कर रहा है।

सुयश का संकेत समझ अल्बर्ट शांत हो गया। अब सभी साँस रोके हुए सुयश को देख रहे थे।

पता नहीं इस समय क्यों युगाका की भी साँस रुकी हुई थी।

सुयश ने धीरे से हाथ बढ़ाकर उस मूर्ति को स्पर्श कर लिया। मूर्ति को स्पर्श करने पर उसे ऐसा महसूस हुआ, जैसे वह पत्थर की मूर्ति ना होकर जीवित कोई शरीर हो।

इस अजीब मुलायम से स्पर्श से घबराकर सुयश ने अपना दाहिना हाथ पीछे खींच लिया।

अचानक सातों खम्भो से एक साथ अलग-अलग रंग की किरने निकली और सुयश के शरीर से टकराकर गायब हो गई।

इसी के साथ वहां से हज़ारों किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका के बर्फ़ में दफन, शलाका महल में मौजूद, शलाका के चेहरे पर एक भीनी सी मुस्कान बिखर गयी और वह धीरे से बुदबुदाई-

“मुझे तुम्हारा हज़ारों सालो से इंतजार था। आख़िर तुम आ ही गये ‘आर्यन’। अब तिलिस्मा को टूटने से कोई भी नहीं रोक सकता।"

इधर रोशनी के पड़ते ही सुयश के शरीर को तेज झटका लगा। इस झटके की वजह से सुयश 2 कदम पीछे हो गया।

यह देखकर युगाका के चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये और वह मन ही मन बड़बड़ाया-

“ये जिंदा कैसे बच गया?"

इधर सुयश के पीछे आते ही पुनः सभी पेड़ देवी शलाका की ओर झुक गये और सब कुछ पहले कि तरह सामान्य हो गया। यह देख ब्रेंडन ने भागकर सुयश को अपनी ओर खींच लिया।

“क्या कर रहे थे कैप्टन?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “ इस द्वीप पर कोई भी चीज सामान्य नहीं है, ऐसे में किसी भी चीज को छूना खतरे से खाली नहीं है।"

“मेरे हिसाब से हमें इस मंदिर से बाहर चलना चाहिए।" एलेक्स ने कहा- “मुझे तो यह मंदिर भी तिलिस्म लग रहा है।"

एलेक्स की बात पर सभी ने सहमित जताई और सभी मंदिर के द्वार की ओर चल दिये। उन सभी को बाहर निकलता देख, युगाका मंदिर की सीढ़ियाँ उतरा और भाग कर एक पेड़ के पीछे छिप गया।

सभी मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर आ गये।

“मैंने देवी शलाका की ऐसी ही एक मूर्ति को अपने सपने में देखा था और ऐमू भी एक डोरी के द्वारा इनके हाथ से बंधा था। फ़िर इस देवी ने ऐमू की डोरी को अपने हाथ से छोड़ दिया था, जिससे ऐमू स्वतंत्र हो गया था।" शैफाली ने कहा।

एक छण के लिये सबकी आँखो में ऐमू का ख़याल आ गया।

“इसका मतलब है कि हमारे जहाज पर घट रही हर रहस्यमयी घटना का जिम्मेदार ये द्वीप ही था।" जेनिथ ने कहा।

“शायद आप लोग सही कह रहे हो।" अल्बर्ट ने यह कहकर अटलांटिस का सिक्का सुयश के हाथों में रख दिया- “यह देखिए कैप्टन, इस सिक्के पर भी देवी शलाका का ही चित्र बना है।"

सुयश ने ध्यान से सिक्के को देखा और फ़िर धीरे से सिर हिलाकर उसे अल्बर्ट को वापस कर दिया।

सुयश की आँखो में तो बस शलाका का सौंदर्य बस गया था। वह बहुत कोशिशों के बाद भी शलाका का चेहरा अपनी आँखो के आगे से हटा नहीं पा रहा था।

“यहां पर मंदिर तो है, पर एक भी इंसान यहां पर नहीं है। यह कैसे संभव हो सकता है? यहां के सारे लोग कहीं चले गये है? या फ़िर जानबूझकर हमसे छिप रहे है।" क्रिस्टी ने कहा।

“लगता है देवी शलाका के सौंदर्य के जादू ने सबको गायब कर दिया यहां से।" एलेक्स ने क्रिस्टी को चिढ़ाते हुए कहा- “जो भी हो पर देवी थी बहुत सुंदर। इतना खूबसूरत चेहरा भुलाए नहीं भूल रहा।"

“अच्छा जी! सुंदरता भुलाए नहीं भूल रही तुम्हे।"

क्रिस्टी ने गुस्से से एलेक्स को देखते हुए कहा- “सिर पर डंडा पड़ते ही सब कुछ भूल जायेगा।"

यह कहकर क्रिस्टी ने अपनी आँखे नचाते हुए एलेक्स के सिर पर धीरे से अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी मार दी। सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

जेनिथ को क्रिस्टी और एलेक्स की जोड़ी बहुत अच्छी लग रही थी। उसने एक नजर तौफीक को प्यार से देखा, पर बोली कुछ नहीं। जेनिथ की आँखो ने ही सबकुछ बोल दिया था। तौफीक की नजरें भी जेनिथ से मिली, पर उसकी आँखो के भाव बिल्कुल सपाट थे।

जेनिथ जानती थी कि तौफीक उससे प्यार तो करता है, पर वह उतना एक्सप्रेसिव नहीं है।
चलते-चलते जेनिथ ने भी धीरे से तौफीक का हाथ पकड़ लिया।

सभी फ़िर से अब आगे की ओर बढ़ गये।


रहस्यमय पिरामिड
(आज से 7 दिन पहले) 1 जनवरी 2002, मंगलवार, 08:15, अटलांटिक महासागर

“रोजर!" सुयश ने रोजर को संबोधित करते हुए कहा- “तुम तुरंत एक पायलेट के साथ इस हैलीकाप्टर से जाओ और देखो, शायद आसपास से जाता हुआ, कोई और शिप दिखाई दे जाए या फ़िर कोई और सुराग मिल जाए। जिससे यह पता चल जाए कि हम इस समय किस जगह पर है? और हां यह वॉकी-टॉकी सेट भी लेते जाओ। इससे मेरे संपर्क में रहना और मुझे सारी सूचना देते रहना।" यह कहते हुए सुयश ने जेम्स हुक से, वॉकी-टॉकी सेट लेकर, रोजर को दे दिया।

रोजर, सुयश से वॉकी-टॉकी सेट लेकर, पायलेट के साथ, हैलीकाप्टर में प्रवेश कर गया।

हैलीकाप्टर में बैठने के साथ, रोजर ने एक नजर वहां खड़े सभी लोगो पर मारी और फ़िर सुयश की तरफ देखते हुए, एक झटके से ‘थम्स-अप’ की शैली में अपना अंगूठा, जोश के साथ झटका देकर उठाया और फ़िर धीरे से पायलेट की ओर देखकर, उसे हैलीकाप्टर को उड़ाने का इशारा किया।

थोड़ी ही देर में, एक गड़गड़ाहट के साथ, हैलीकाप्टर रोजर को लेकर आसमान में था।

रोजर की नजर आसमान में चारो ओर घूम रही थी। दूर-दूर तक अथाह समुंदर के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था।

“सर, मुझे नहीं लगता कि इतने अथाह समुंदर में, हमें ऐसी खतरनाक जगह पर कोई दूसरा जहाज नजर भी आयेगा।" हैलीकाप्टर के पायलेट ने रोजर से कहा।

“पर कोशिश करके देखने में क्या परेशानी है?" रोजर ने वॉकी-टॉकी सेट को हाथ में नचाते हुए जवाब दिया- “तुम हैलीकाप्टर को आसमान में थोड़ा और ऊंचा लो। मैं ऊंचाई से दूरबीन से देखने की कोशिश करता हू । शायद कुछ नजर आ ही जाए।"

“ठीक है सर।" यह कहकर पायलेट ने हैलीकाप्टर को थोड़ा और ऊंचे कर लिया।

लगभग 15 मिनट तक रोजर समुंदर में चारो ओर देखता रहा, पर उसे लहरो के सिवा कुछ भी नजर ना आया।

“थोड़ा और देखते है उसके बाद वापस चलते है।" यह कहकर रोजर ने पायलेट को बांयी तरफ हैलीकाप्टर को मोड़ने का इशारा किया।

10 मिनट और बीत गये, फ़िर भी कुछ नजर नहीं आया।

यह देखकर रोजर ने वॉकी-टॉकी सेट को ऑन करते हुए कहा- “हैलो-हैलो कैप्टन! क्या आप मेरी आवाज सुन रहे है? ओवर।"

“यस रोजर सर! हमें आपकी आवाज सुनाई दे रही है। ओवर!" दूसरी तरफ से असलम की आवाज सुनाई दी। असलम की आवाज सुन रोजर थोड़ा सोच में पड़ गया।

तभी रोजर को सुयश की आवाज सुनाई दी- “यस रोजर! बताओ, क्या कहना चाहते हो तुम? ओवर!" अब शायद सुयश ने वॉकी-टॉकी सेट असलम से ले लिया था।

रोजर ने सुयश कीआवाज पहचान ली। वह बोला- “कैप्टन हम लोग इस समय शिप से काफ़ी दूर आ चुके है। पर अभी दूर-दूर तक कुछ नजर नहीं आ रहा है। लगता है कि हम वास्तव में भटक गए है।"

पायलेट का भी पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ वॉकी-टॉकी सेट पर था।

रोजर का बोलना जारी रहा- “अब हम लोग और आगे बढ़ रहे है सर। हर तरफ सिर्फ समुद्र की लहरें ही नजर आ रही है। नीला समुद्र...... पानी ही पानी।"



जारी रहेगा_______✍️
Shaandar jabardast Romanchak Update 👌👌👌
 
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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#72.

तभी दूर कहीं समुंदर में एक काला धब्बा सा दिखाई दिया। रोजर ने धीरे से पायलेट को हैलीकाप्टर को उस दिशा की ओर मोड़ने का इशारा करते हुए कहा- “सर हमें बहुत दूर एक काला धब्बा सा दिखाई दे रहा है। हम लोग अब उस दिशा में बढ़ रहे हैं। शायद वह कोई पानी का जहाज हो।"

पायलेट ने हैलीकाप्टर अब उस दिशा में मोड़ लिया।

थोड़ी देर रुककर रोजर ने फिर कहा- “हम लोग गलत थे सर। वह कोई जहाज नहीं, बल्कि कोई द्वीप है। अब हम लोग धीरे-धीरे उसके और पास जा रहे हैं। यह कोई छोटा सा, परंतु हरा-भरा द्वीप है।

इसके आसपास हल्कि सी धुंध दिखाई दे रही है।.................अब हम द्वीप के और पास पहुंच गए हैं सर। अचानक कुछ गर्मी बढ़ सी गई है। शायद यह द्वीप कुछ ज़्यादा ही गरम है।

क्यों की इस द्वीप से, समुद्र की ठंडी लहरें टकराकर, धुंध के रुप में आस पास फैल रही है, जो कोहरे के रुप में मुझे दूर से ही दिखाई दे रही है।................. यहां एक विचित्र सी पहाड़ी भी है। दूर से देखने पर यह कोई ताज पहने हुए मानव आकृति के समान प्रतीत हो रही है.. ..... ऐसा लग रहा है जैसे कोई योद्धा इस द्वीप की रखवाली कर रहा हो...........!

अब हम इस द्वीप के ऊपर उड़ान भर रहे हैं सर। ....... यहां किसी भी प्रकार के जीवन का कोई निशान नहीं है। हर तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। द्वीप के बीच में, एक साफ पानी की झील भी दिख रही है। देखने में यह द्वीप काफ़ी सुंदर लग रहा है सर।

ऊंचाई से देखने पर यह द्वीप एक त्रिभुज की आकृति के लिए हुए दिखाई दे रहा है। पर यह क्या सर?....ओऽऽऽ नोऽऽऽ ...... यह कैसे संभव है?....."

तभी द्वीप के चारो तरफ फैली धुंध धीरे-धीरे हैलीकाप्टर को घेरने लगी और आसमान में एक गहरे लाल रंग के बादलों की टुकड़ी उड़कर उस धुंध में समाहित हो गयी।

उस धुंध का अक्स पानी में पड़कर एक अजीब सा रंग उत्पन्न कर रहा था।

यह देख रोजर की आवाज अत्यन्त विस्मय से भर गई। इतना विचित्र नजारा देख रोजर की आँखो में खौफ साफ नजर आने लगा।

“क्या हुआ रोजर? क्या दिख रहा है तुम्हें?" वॉकी-टॉकी पर सुयश की घबरायी आवाज आयी।

“मैं समझ .....नहीं पा ......रहा हूं सर की मैं......आपको कैसे बताऊं? .......... मैं इस समय .....बड़ा अजीब सा ....महसूस कर रहा हु। ऐसा लगता है जैसे धुंध.......बड़ी तेजी से बढ़ गई है।

आसमान का रंग........समझ में ....नहीं आ ....रहा है।......पानी भी......जैसा दिखना चाहिए....... वैसा नहीं दिख रहा है....और ये क्या?......ये....ये .....यहां ये..... मुझे क्या दिख रहा है.....सर ऐसा लग रहा है .....जैसे कि हम.......।"

अभी रोजर इतना ही बोल पाया था कि तभी द्वीप से निकली एक रहस्मयी तरंग ने हैलीकाप्टर के मैकेनिजम को खराब कर दिया।

“खट् ....खट्..... खटाक।" और इसी के साथ रोजर का संपर्क सुयश से टूट गया।

“सर, हैलीकाप्टर के सारे कण्ट्रोलस एकाएक खराब हो गये हैं। शायद इस क्षेत्र में भी विद्युत चुम्बकीय तरंगे हैं।" पायलेट ने चीख कर रोजर को खतरे से आगाह किया।

हैलीकाप्टर अब किसी परकटी चिड़िया की तरह हवा में लहराने लगा। रोजर समझ गया कि अब हैलीकाप्टर को दुर्घटना होने से कोई नहीं बचा सकता।

रोजर की नजर अब द्वीप में फैले जंगल पर गयी।

घने जंगल के आगे कुछ दूरी पर रोजर को एक रेगिस्तान जैसा क्षेत्र नजर आया।

“उस तरफ ..... हैलीकाप्टर को कैसे भी उस रेगिस्तान में लैन्ड कराने की कोशिश करो।"

रोजर ने पायलेट को द्वीप के रेतीले हिस्से की तरफ इशारा करते हुए कहा- “अगर हमारा हैलीकाप्टर उधर गिरा तो जिंदा बचने की संभावनाएं ज़्यादा है।"

“मैं कोशिश कर रहा हुं सर।" पायलेट ने चीख कर कहा और हैलीकाप्टर को तेजी से नीचे करने लगा।

तभी एक धुंध ने हैलीकाप्टर के पंखे को अपने घेरे में ले लिया और पंखा नाचते-नाचते रुक गया। हैलीकाप्टर सीधे नीचे गिरने लगा। पायलेट और रोजर दोनों के ही पास अपने को बचाने के लिये बिल्कुल भी समय नहीं था।

रोजर की निगाहे अब सिर्फ और सिर्फ जमीन की ओर थी जो कि धीरे-धीरे उसके पास आती जा रही थी। तभी हैलीकाप्टर द्वीप के ऊपर मौजूद किसी अदृस्य दीवार से टकराया।

हैलीकाप्टर से बहुत तेज़ चिंगारी निकली और इससे पहले कि रोजर कुछ समझ पाता, हैलीकाप्टर घने पेडों से टकराता हुआ जमीन पर आ गया।

रोजर सीट सहित हैलीकाप्टर से निकलकर दूर जा गिरा। आवाज इतनी भयानक थी कि थोड़ी देर तक तो रोजर को कुछ समझ ही नहीं आया कि वह कहां गिरा?

लगभग 5 मिनट के बाद रोजर थोड़ा चैतन्य हो गया।

रोजर ने सबसे पहले उठकर अपने शरीर को चेक किया, पर ईश्वर की कृपा से रोजर को छोटी-मोटी खरौंच के सिवा ज़्यादा चोट नहीं आई थी। अब रोजर की निगाह अपने आसपास गयी।

“ये क्या? हैलीकाप्टर तो रेगिस्तान के क्षेत्र में गिरा था, पर यहां तो रेत का कहीं नामोनिशान तक नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है?" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी उसे द्वीप की अद्रस्य दीवार का ख्याल आया।

“वह अदृस्य दीवार कैसी थी? शायद उसी दीवार की वजह से यहां रेगिस्तान नजर आ रहा था।" रोजर ने आसमान की ओर देखते हुए, अपने मन में कहा।

तभी उसे हैलीकाप्टर का ख्याल आया। रोजर ने अपनी नजर इधर-उधर दौड़ाई। रोजर को कुछ दूरी पर हैलीकाप्टर के अवशेष पड़े दिखायी दिये, जिनसे धुंआ निकल रहा था।

उसे तुरंत पायलेट का ख्याल आया और यह ख्याल आते ही रोजर ने हैलीकाप्टर की ओर दौड़ लगा दी।

हैलीकाप्टर पेडों के एक झुरमुट के बीच गिरा पड़ा था।

रोजर अभी हैलीकाप्टर से थोड़ा दूर ही था कि तभी उसे हैलीकाप्टर के पीछे किसी जानवर की पूंछ दिखायी दी। यह देख रोजर तुरंत रुक कर एक पेड़ की ओट में हो गया।

अब रोजर की निगाहें हैलीकाप्टर की ओर थी।

तभी उसे एक बड़ा सा शेर दिखाई दिया, जो अब हैलीकाप्टर के अंदर की ओर जा रहा था।

रोजर के पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे वह शेर से लड़ सकता। इसिलये वह चुपचाप पेड़ के पीछे खड़ा शेर को देख रहा था।

थोड़ी देर बाद शेर पायलेट को मुंह में पकड़ कर बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया।

पायलेट का शरीर हवा में झूल रहा था। रोजर समझ गया कि पायलेट अब जीवित नहीं है।

शेर पायलेट के शरीर को मुंह में दबाए एक दिशा की ओर चल दिया।
शेर को पायलेट की लाश ले जाते देख रोजर को काफ़ी आश्चर्य हुआ इसिलये रोजर दबे पांव शेर के पीछे-पीछे चल दिया।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को पेडों के झुरमुट के पीछे एक इमारत दिखाई दी। जंगल में इमारत देख कर रोजर को हैरानी हुई।

शेर उस इमारत की तरफ ही जा रहा था। थोड़ी ही देर में ऊंचे-ऊंचे पेड़ पीछे छूट गये।

अब वह इमारत बिल्कुल साफ नजर आने लगी थी।

वह पिरामिड थे और वह भी एक नहीं बल्की 4, वह पिरामिड भी किसी धातु के बने नजर आ रहे थे।

“ये जंगल में पिरामिड कहां से आ गये? और ये शेर....ये शेर उन पिरामिड की तरफ क्यों जा रहा है?" रोजर मन ही मन बुदबुदाया।

शेर अब पिरामिड की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा था। रोजर के ये सब कुछ बहुत रहस्यमयी लग रहा था।

कुछ ही देर में शेर पिरामिड के दरवाजे तक पहुंच गया। शेर ने पायलेट की लाश वहीं दरवाजे पर रख दी।

इसके बाद शेर ने एक जोर की दहाड़ मारी, फ़िर पलट कर सीढ़ियों से उतरा और एक दिशा की ओर चल दिया।

रोजर कुछ देर तक सोचता रहा कि वह शेर के पीछे जाए या फ़िर पिरामिड के रहस्य को देखे।

पिरामिड तो अपनी जगह से हिलना नहीं था, इसिलये रोजर ने शेर के पीछे जाने का फैसला कर लिया।

तब तक शेर कुछ आगे तक जा चुका था। रोजर पेड़ के ओट लेते हुए शेर का पीछा करने लगा।

चलते-चलते जंगल का क्षेत्र खत्म होने लगा और पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो गया। मौसम में भी अब ठंडक का अहसास होने लगा था।

तभी रोजर को एक पहाड़ से झरना गिरता हुआ दिखाई दिया। शेर उस झरने के पास जाकर रूक गया।

शेर ने रूकने के बाद एक नजर चारो ओर मारी और फ़िर ना जाने क्या किया, कि शेर का शरीर धीरे-धीरे इंसान में बदल गया।

अब शेर की जगह एक लंबा-चौड़ा इंसान खड़ा दिखाई देने लगा। रोजर यह देख कर पूरी तरह से घबरा गया। रोजर का दिल अब बहुत तेज ‘धक-धक’ करने लगा।

रोजर के देखते ही देखते, वह इंसान झरने के अंदर प्रवेश कर गया। शायद झरने के अंदर कोई रास्ता था।

रोजर काफ़ी देर तक वहां खड़ा कुछ सोचता रहा। बहुत देर सोचने के बाद अब रोजर ने झरने के अंदर जाने का निर्णय कर लिया।

रोजर ने एक नजर चारो ओर मारी और धीरे-धीरे चलता हुआ झरने तक पहुंच गया। झरने के दूसरी तरफ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

रोजर ने अपना एक हाथ झरने के अंदर डाला, उसे महसूस हुआ कि झरने के अंदर कोई रास्ता छिपा है। यह सोच रोजर झरने के अंदर प्रवेश कर गया।

झरने के दूसरी तरफ एक गुफा थी। गुफा प्रकाशमान थी। रोशनी गुफा में कहां से आ रही थी, यह पता
नहीं चल पा रहा था।

रोजर सधे कदमों से गुफा के अंदर की ओर चल दिया। गुफा अंदर से काफ़ी चौड़ी थी।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को गुफा में सामने की ओर 3 रास्ते दिखायी दिये।

रोजर को समझ नहीं आया कि वह सिंह मानव किस दिशा में गया था। अतः वह अंदाजे से बीच वाले रास्ते की ओर चल दिया। बीच वाला रास्ता आगे जाकर संकरा हो गया।

5 मिनट तक उस रास्ते पर चलने के बाद रोजर को पहाड़ में एक दरवाजा बना दिखाई दिया।

रोजर ने सतर्कता के साथ उस दरवाजे के अंदर कदम रखा। वह रास्ता एक विशालकाय कमरे में खुल रहा था।

यह कमरा अत्यन्त विशालकाय और खूबसूरत था। दीवार पर सुनहरी धातु की परत चढ़ी थी और उस परत पर भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्न सजे थे। कमरे के बीच में एक सुनहरी धातु का शानदार पलंग रखा था। एक नजर में यह किसी रानी का शयनकक्ष नजर आ रहा था।

रोजर ये सब देखकर हत्तप्रभ रह गया।

तभी रोजर को किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। आहट सुनते ही रोजर एक बड़े से लकड़ी के संदूक में छिप गया। संदूक में एक छोटा सा सुराख था, जिससे रोजर को बाहर का सब कुछ दिखाई दे रहा था।

कमरे में आने वाले 2 लोग थे। पहली एक खूबसूरत सी लड़की थी, जिसने रानियों की वेशभूषा धारण कर रखी थी। उसके हाथ में जादूगरों की तरह एक लकड़ी का दंड था। उस दंड के ऊपरी कोने पर एक नीले रंग का कोई रत्न लगा था।

दूसरा इंसान ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसके सिर पर एक भी बाल नहीं था। उसने भी अपने हाथ में एक सर्प के समान मुड़ी हुई, लंबी सी छड़ी ले रखी थी।

“तुम्हें अब सामरा राज्य में जाने की तैयारी शुरू करनी चाहिए ‘आकृति’, मेरी ज्योतिषी गणना के अनुसार ‘तिलिस्मा’ को टूटने में अब ज्यादा दिन शेष नहीं हैं। तब तक तुम्हें सामरा वासियौ को अपने अधिकार में लेना ही होगा।" मकोटा ने कहा।




जारी
रहेगा_______✍️
Wonderful up
#73.

“पर आप ही तो कहते हैं, कि सामरावासी दिमाग से अत्यन्त चतुर हैं। ऐसे में मैं उन्हे ‘देवी शलाका’ बनकर कैसे बेवकूफ बना पाऊंगी। जबकि मेरे पास तो देवी जैसी कोई शक्ति भी नहीं है। ऐसे में सामरावासी मुझे तुरंत पहचान जायेंगे।" आकृति ने मकोटा को देखते हुए कहा।

“तुम्हारा चेहरा देवी शलाका से बिल्कुल मिलता है और मैंने तुम्हें अपना ‘नीलदंड’ भी दे दिया है। ऐसे में कोई भी तुम्हें पहचान नहीं पायेगा।

वैसे भी मैं सदैव तुम पर अपनी गुप्त शक्तियो से नजर रखे रहूँगा और समय आने पर तुम्हारी सुरक्षा भी करुंगा।" मकोटा ने आकृति को साँत्वना देते हुए कहा।

“ठीक है मैं तैयार हूँ। आप जब कहेंगे मैं सामरा राज्य चली जाऊंगी। वैसे “ऐमू” का कुछ पता चला क्या? वह 2 दिन से गायब है, पता नहीं कहां चला गया।" आकृति ने कहा।

“ऐमू का अभी कुछ नहीं पता। जैसे ही कुछ पता चलेगा, मैं तुम्हें बता दूंगा। अच्छा अब मैं चलता हूँ, किसी चीज की जरुरत हो तो मुझे बता देना।" यह कहकर मकोटा कमरे से बाहर निकल गया।

मकोटा के बाहर निकलते ही आकृति ने कमरे का द्वार बंद करके अपने नीलदंड को वहीं दीवार पर टांग दिया और आराम से आकर अपने बिस्तर पर लेट गयी।

इधर संदूक में छिपे रोजर को मकोटा और आकृति की कोई भी बात समझ में नहीं आयी। वह तो परेशान था कि अब वहां से भागे कैसे? तभी रोजर को आकृति की आवाज सुनाई दी- “अब संदूक से बाहर आ जाओ रोजर, मकोटा यहां से चला गया है।"

रोजर, आकृति की यह बात सुन आश्चर्य से भर गया। एक क्षण के लिये रोजर ने कुछ सोचा और फ़िर
संदूक से निकलकर बाहर आ गया।

अब रोजर की नजर आकृति पर थी।
आकृति ने रोजर को पास रखी एक कुर्सी की ओर बैठने का इशारा किया।

रोजर वहां रखी कुर्सी पर बैठ गया और सवालिया निगाहोंसे आकृति की ओर देखने लगा।

आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहाट के भाव थे। उसने रोजर से अब बोलने का इशारा किया।

रोजर तो जैसे सवालों के बोझ से दबा हुआ था। आकृति का इशारा मिलते ही उसने बोलना शुरु कर दिया।

“आप कौन हो? मकोटा कौन है? मैं इस समय पर किस जगह पर हूँ? और आप मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर ने एक साथ असंख्य सवाल पूछ डाले।

आकृति ने एक गहरी साँस भरी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-

“मेरा नाम आकृति है, मैं इंडिया से हूँ। मैं इस क्षेत्र के पास से, एक बार एक पानी के जहाज से जा रही थी। तभी मेरा जहाज मकोटा ने अपनी शैतानी शक्तियों से डुबो दिया।

सारे लोग मारे गये, केवल मैं और मेरा तोता ऐमू ही इस हादसे में बच पाये। मुझे पकड़कर मकोटा ने इस द्वीप पर कैद कर दिया। बाद में मुझे पता चला कि मेरा चेहरा इस द्वीप की देवी शलाका से मिलता है। इसीलिये मकोटा ने मुझे बचाया था।"

इतना कहकर आकृति एक क्षण के लिये रुकी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-

“जिस द्वीप पर तुम खड़े हो, इसका नाम अराका है। यह द्वीप अटलांटिस का अवशेष है। इस द्वीप पर दो प्रजातियां रहती हैं। एक का नाम सामरा है और दूसरे का सीनोर।

तुम इस समय सीनोर राज्य में खड़े हो। मकोटा इस द्वीप का एक खतरनाक मान्त्रिक है, जो अंधेरे के देवता ‘जैगन’ की पूजा करता है।

इस द्वीप की देवी का नाम शलाका है, जो पिछले 5000 वर्ष से पता नहीं कहां गायब है? शलाका की सारी शक्तियां एक काला मोती में है जो कि इसी द्वीप पर मौजूद ‘तिलिस्मा’ में है। मकोटा मेरी सहायता से वह काला मोती प्राप्त करना चाहता है।" इतना कहकर आकृति खामोश हो गयी।

“तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर के शब्दो में उलझन के भाव नजर आये।

“मकोटा ने मुझे काफ़ी शक्तियाँ दे रक्खी है, जिस्में से कुछ का इस्तेमाल में कभी-कभी अपने लिये भी कर लेती हूं। उनमें से ही एक शक्ति का इस्तेमाल करने पर मुझे तुम हैलीकाप्टर में दिखाई दिये। मेरी ही शक्तियो से तुम उस दुर्घटना से बच पाये हो।" आकृति ने कहा।

“आसमान में वह धुंध और द्वीप के ऊपर वह दीवार कैसी थी?" रोजर ने पूछा।

“वह धुंध और अदृश्य दीवार, इस द्वीप की सुरक्षा के लिये है। उस अदृश्य दीवार की वजह से किसी को भी सामरा और सीनोर द्वीप आसमान से दिखाई नहीं देते। यहां तक कि कोई बाहरी व्यक्ती जमीन के रास्ते से सामरा और सीनोर राज्य में दाख़िल भी नहीं हो सकता।" आकृति ने समझाया।

“सीनोर द्वीप पर वह पिरामिड कैसा है? और वह शेर से इंसान में बदल जाने वाला मानव कौन था? उसने मेरे पायलेट की लाश उस पिरामिड के बाहर क्यों रखी?" रोजर ने एक बार फ़िर प्रश्नो की बौछार कर दी।

“वह पिरामिड अंधेरे के देवता ‘जैगन’ का पूजास्थल है। वहां जैगन मृत इंसानो पर कोई प्रयोग करता है। जिसका पता मुझे नहीं है। इसीलिये मकोटा हर इंसान की लाश को पिरामिड के बाहर रखवा देता है, जिसे बाद में जैगन अपने सेवक ‘गोंजालो’ के द्वारा पिरामिड के अंदर मंगवा लेता है और वह शेर बना इंसान सीनोर का राजकुमार ‘लुफासा’ है, जिसके पास किसी भी जानवर में बदल जाने की शक्ति है।“आकृति ने कहा।

“अब आखरी प्रश्न। तुम्हारे पास इतनी शक्तियां है, फ़िर तुमने मुझे क्यों बचाया? मुझसे तुम्हारा क्या काम हो सकता है?" रोजर ने आिखरी सवाल किया।

“हूं..... ये सवाल सही पूछा तुमने।" आकृति ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “दरअसल बात ये है कि मेरे पास जितनी भी शक्तियां हैं, वो सब मकोटा की दी हुई हैं। मैं उन शक्तियो का प्रयोग तो कर सकती हूं, पर इस स्थान से मकोटा की इच्छा के बिना कहीं जा नहीं सकती।

मुझे ये मकोटा के द्वारा पता चल गया है कि तुम्हारे जहाज ‘सुप्रीम’ में कुछ ऐसे लोग हैं, जो कि इस द्वीप पर मौजूद तिलिस्मा को तोड़ पाने में सक्षम हैं, पर वह इस द्वीप पर आना नहीं चाहते। तो तुम्हे उन्हें भटकाकर इस द्वीप पर लाना पड़ेगा।"

“ये कैसे संभव है? अभी तुम्हीं ने कहा कि सामरा और सीनोर राज्य एक अदृश्य दीवार से घिरा है, जिसके आरपार जाना इंसानों के बस की बात नहीं, तो मैं भला इस दीवार को जमीन के रास्ते से कैसे पार कर पाऊंगा? और फ़िर सुप्रीम तक कैसे पहुंचुंगा?" रोजर ने अपनी परेशानी को आकृति के सामने रखा।

“वो तुम मेरे ऊपर छोड़ दो।" आकृति ने कहा- “मैं मकोटा की शक्तियो से तुम्हें एक ‘ऊर्जा-मानव’ में बदल दुंगी। ऐसी स्थिति में तुम कुछ बोल नहीं पाओगे पर तुममें द्वीप से बाहर जाकर पानी पर दौड़ने की शक्तियां आ जायेंगी।

ऐसे में तुम सुप्रीम तक आसानी से पहुंच जाओगे। तुम्हें सुयश को देखकर द्वीप की दिशा की ओर इशारा करना है। ऐसा करने पर सुयश सुप्रीम को इस द्वीप की दिशा में मोड़ देगा और पास आने पर हम उसे इस द्वीप पर लेते आयेंगे।"

“तुम कैप्टन सुयश को कैसे जानती हो?" रोजर के शब्द उलझन से भरे थे।

यह प्रश्न सुन आकृति के चेहरे पर एक रहस्य भरी मुस्कान आ गयी, पर उसने कहा कुछ नहीं।

रोजर समझ गया कि आकृति उसे बताना नहीं चाहती इसिलये उसने ज़्यादा जोर नहीं दिया। रोजर समझ गया कि इस द्वीप को जितना साधारण वो समझ रहा था, उतना साधारण ये द्वीप है नहीं।

रोजर को सोचते देख आकृति ने फ़िर कहा- “देखो रोजर, यहां पर मैं भी कैदी हूं और तुम भी। यहां तक कि इस क्षेत्र से ‘सुप्रीम’ भी अब बाहर नहीं निकल सकता और हम सभी के बचने का एक ही तरीका है कि यह तिलिस्मा टूट जाये।

तिलिस्मा के टूटते ही हम सभी आजाद हो जायेंगे। यहां तक कि बारामूडा त्रिकोण का क्षेत्र भी हमेशा-हमेशा के लिये मुक्त हो जायेगा। तो अब ज़्यादा सोचो नहीं, बस हां कर दो।"

यह सुन रोजर ने हां में सिर हिला दिया।

“ठीक है फ़िर तुम अभी आराम करो, समय आने पर मैं तुम्हें बता दुंगी।" यह कहकर आकृति रोजर को एक दूसरे कमरे में ले गयी और आराम करने को बोल वहां से चली गयी।

इस समय रोजर काफ़ी थकान महसूस कर रहा था इसिलये वह बेड पर लेट कर सो गया।

चैपटर-6 आदमखोर पेड़
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 16:30, मायावन, अराका)

चलते-चलते काफ़ी समय बीत गया था। सभी एक साथ चल रहे थे। जंगल में कोई रास्ता ना बना होने के कारण सभी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी से, झाड़ियो को हटाते हुए आगे बढ़ रहे थे।

“पता नहीं ये द्वीप इतना विचित्र क्यों है? और पूरी पृथ्वी पर ऐसे पेड़ और जानवर क्यों नहीं पाये जाते?" अल्बर्ट ने कहा।

“मुझे लगता है कि इन विचित्रताओँ के पीछे कोई ना कोई कारण तो जरूर है?" तौफीक ने कहा- “पता नहीं क्यों मुझे ये सारी चीजे नेचुरल नहीं लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने यह सब कुछ बनाकर यहां रख दिया हो?"

“ऐसी चीजे तो सिर्फ ईश्वर ही बना सकता है, मनुष्यो के तो बस में नहीं है ऐसी चीज़ो को बना पाना।" जेनिथ ने कहा।

“ईश्वर क्या है? क्या कोई बतायेगा?" अल्बर्ट ने एक बिलकुल विचित्र प्रश्न कर दिया।

किसी की भी समझ में नहीं आया कि अल्बर्ट क्या कहना चाह रहा है। इसिलये सभी चुप रहे।

अल्बर्ट ने सबको शांत देख स्वयं से ही ईश्वर की परिभाषा बताना शुरु कर दिया-

“ईश्वर वो है, जिसने हमको बनाया, यानी कि अगर हममें इतना ज्ञान आ जाये कि हम किसी जीव का निर्माण करने लगे, तो लोग हमारी भी तुलना ईश्वर से करने लगेंगे।

पर मुझे ये लगता है कि इस द्वीप की चीजे ईश्वर ने नहीं, बल्की हमारी ही तरह के किसी मनुष्य ने अपने ज्ञान और विज्ञान से की है। क्यों की ईश्वर द्वारा निर्मित हर वस्तु और जीव, कुछ सिद्धांतो पर काम करते है, पर यहां की हर वस्तु और जीव ईश्वर के सिद्धांतो से अलग दिख रही है। जैसे कि पेडों का स्वयं हरकत करना, उनका इंसान की भावनाएं समझ जाना, जीव के अंदर पानी को बर्फ में बदल देने की ताकत आदि।"

मगर इससे पहले कि कोई अल्बर्ट से कुछ पूछ पाता कि तभी वातावरण में एक आवाज गूंजी-

“दोस्त मिल गया.... दोस्त मिल गया....ऐमू का दोस्त मिल गया।"

ऐमू की आवाज सुन सभी की दृष्टि आसमान की ओर गयी। ऐमू सुयश के सिर के ऊपर हवा में गोल-गोल उड़ रहा था।

“यह ऐमू इस द्वीप पर कैसे आ गया?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “यह तो शिप के डूबने के काफ़ी पहले ही गायब हो गया था।"

ऐमू अब सुयश के हाथ पर आकर बैठ गया- “अब ऐमू को छोड़ के मत जाना दोस्त। तुम बार-बार ऐमू को छोड़ के चले जाते हो।"

ब्रेंडन ऐमू को देख गुस्से से भर उठा- “मैं आज इस ऐमू के बच्चे को मारकर सारा किस्सा ही ख़त्म कर
देता हूँ। इसी के बताए रास्ते पर चलने की वजह से हमारा शिप डूब गया। यही है सारे मुसीबत की जड़।"

पर इससे पहले कि ब्रेंडन कुछ कर पाता, सुयश ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।

अब सुयश की निगाहें पुनः ऐमू पर थी।

“तुम मुझे बार-बार दोस्त क्यों कहते हो?" सुयश ने ऐमू को देखते हुए पूछा।

“क्यों कि मैं ऐमू और तुम ऐमू के दोस्त।" ऐमू ने सुयश को देखते हुए भोलेपन से कहा।

“अच्छा ठीक है, तुम दोस्त ही हो।" सुयश ने मस्कुराते हुए कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आये?"

“आकी ने बोला, आरू के पास जाओ। मैं आ गया।" ऐमू ने कहा।

ऐमू की बात सुन सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कौन ‘आरू’? कौन ‘आकी’?" सुयश ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा।

“आरू की आकी। तुम आरू। मैं आरू का दोस्त ।" ऐमू ने इस बार सुयश की आँखो में झांकते हुए कहा।

“पर मैं तो सुयश हूँ।" सुयश ने कहा- “मैं आकी को नहीं जानता।“

“तुम सब जानते .... तुम ऐमू के दोस्त।" यह कहकर ऐमू फ़िर से हवा में अपने पंख फड़फड़ाकर उड़ने लगा।

अब सुयश की नजर अपने आसपास खड़े सभी लोग पर गयी।

“मुझे लगता है कि ये ऐमू किसी गलतफहमी में है। यह मुझे अपना मालिक समझ रहा है।" सुयश ने इस बार अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा।

“आप सही कह रहे हो कैप्टन।" अल्बर्ट ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।"

“पर जो भी है कैप्टन अंकल, मुझे लगता है कि यह ऐमू आगे चलकर हमारे बहुत काम आने वाला है।" शैफाली ने कहा।




जारी
रहेगा________✍️
Wow wonderful brother , dhire dhire sab chije crystal clear ho rahi hai.
Emu phir se story mein aaya hai wonderful. Emu, Aakriti ka hai wonderful.
Roger dekhna dilchasp hoga isne aur kya kya kiya hai??
Mayavi log wonderful.
Dekhte hain Aakriti kya karti hai,
Aakriti ka face Shalaka se milna koi coincidence hai ya phir koi wajah ye bhi ek sawal hai.

Nice and lovely 🌹 update brother.
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bro,

Sare updates aaj ki raat ko post kar do bhai...............

Roj subah dimag me ek nayi uljhan lekar uthne se to achcha he

Aaj ki raat ko hi sare updates padhkar.............chain se so jaunga

Keep rocking Bro
Kaas aisa kar paata, Saare update to abhi likhe bhi nahi hai:D
Mujhe khud isko jaldi khatam karna hai, per possible nahi hai:nope: Kyu ki iska plot bohot bado hai, or kahani pata nahi kitni badi hone waali hai :roll:Per Ye pakka samajh lo, ki tumko ek aisi kahani padhne ko milegi jo aaj tak yaha kisi ne na likhi ho:declare:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

Raj_sharma

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पंडित जी , आप अच्छी तरह जानते है कि लोगों के नाम के मामले मे मेरी मेमोरी थोड़ी कमजोर है , सीधे सादे सरल नाम याद नही कर पाता और आप ने तो यहां बहुत ही सारे जटिल नामों का जमावड़ा कर रखा है और सबसे बड़ी मुश्किल तो यह कि इन जटिल नामों का हर अपडेट मे इजाफ़ा हो रहा है । :banghead:
Ab kya kare sarkaar, jab kuch anokha likhna hi hai to kuch alag to sochna hi padta hai:D Per ye kahani aapko saalo tak yaad rahegi, ye waada raha:approve:
खैर , एक बात तो बिल्कुल सत्य है , जानवर अगर पालतू है तो अपने मालिक के बिल्कुल वफादार होते हैं ।
हमारा यह तोता ' ऐमू ' न केवल वफादार है वरन अपने मालिक के हर सीख , हर आदेश का पालन करने वाला भी है । इस तोते ने कम से कम एक पहेली तो अवश्य ही हल कर दी । तोते की मालकिन आकृति मैडम और आपके सुपरस्टार सुयश साहब एक समय मे लव बर्ड्स रह चुके है । ऐमू का बार-बार सुयश साहब के इर्द-गिर्द मंडराना अवश्य ही आकृति मैडम के निर्देश से हुआ है ।
Bilkul sahi disha me ja rahe ho mitra, aapki isi ada ke to hum kaayal hain:D, aaku yani Aakruti and Aaru yani Aaryan :approve: Ab emu itna samajhdaar aur wafadaar kaise hai? Iska pata bhi chal jayega, kyu ki kaafi kuch baaki hai samajhna:shhhh:
लेकिन एक ट्विस्ट यह भी है कि आप के सुयश साहब शलाका मैडम के वैरी भी है । इस का मतलब सुयश साहब अवश्य ही पांच हजार साल पूर्व इस अभूतपूर्व नगरी मे अवतरित हो चुके है । शायद उस दौरान वह आर्यन के नाम से अवतार लिए होंगे ।
पर आखिर इन्होने सम्राज्य की साम्राज्ञी शलाका के साथ ऐसा क्या अन्याय कर दिया था कि रानी साहिबा पांच हजार वर्ष से इनकी राह देख रही है !
Shalaka suyash se nahi Aaryan se judi hai bhai ji, ab main ye kyu batau ki ye dono ek hi hain:shhhh:
Yaha avtarit huye hain ya kahi aur iska pata hum jald hi aapko batayenge:roll:
वैसे पंडित जी , आप ने इस नालायक सुयश का नाम पहले आकृति और उसके बाद शलाका से जोड़कर इसे आखिर मे हीरो बना ही दिया । :D
Aur nahi to kya? Batao sab hamare suyash ke peeche pade the:D
खैर इस तिलिस्म नगरी के वास्तविक विलेन की पहचान भी इस अपडेट मे हुई । अंधेरा कायम रहे , मतलब अंधेरे का देवता जैगन इस नगरी का गब्बर सिंह है । और जब गब्बर सिंह है तो सांबा और कालिया जैसे सिपहसलार भी अवश्य ही होंगे जिनमे एक मकोटा साहब का साक्षात दर्शन हमने इस अपडेट मे किया भी ।
:approve:Bilkul hain sir, 2 sipah saalar bhi hai, ek to aapne bata bhi diya Rajkumar Makota, doosra ek maantrik bhi hai:declare:
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
हमेशा की तरह बेहतरीन और शानदार ।
Thank you very much for your amazing review and superb support bhai ji :hug::bow:
 

Raj_sharma

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रहस्यमयी अपडेट है भाई मजा आ गया
Thank you very much for your valuable review bhai :thanx:
Next update is also posted :declare:
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय रहस्यमयी अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और रहस्यमयी अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thank you very much for your valuable review and support bhai, :hug:Agla update kal ya parso milega:approve:
 

Raj_sharma

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Wonderful up

Wow wonderful brother , dhire dhire sab chije crystal clear ho rahi hai.
Emu phir se story mein aaya hai wonderful. Emu, Aakriti ka hai wonderful.
Roger dekhna dilchasp hoga isne aur kya kya kiya hai??
Mayavi log wonderful.
Dekhte hain Aakriti kya karti hai,
Aakriti ka face Shalaka se milna koi coincidence hai ya phir koi wajah ye bhi ek sawal hai.

Nice and lovely 🌹 update brother.
Aakruti ka face shalaka se milna ek coincidence bhi ho sakta hai mitra :approve: Baaki aap jo soch rahe hai, uski bhi sambhavna hai :D Roger abhi filhal bach gaya hai, aur uske maadhyam se tumhaare kai sawaalo ke jabaab mil jayenge:declare: Thanks for your valuable review and superb support bhai :hug:
 
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