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#73.
“पर आप ही तो कहते हैं, कि सामरावासी दिमाग से अत्यन्त चतुर हैं। ऐसे में मैं उन्हे ‘देवी शलाका’ बनकर कैसे बेवकूफ बना पाऊंगी। जबकि मेरे पास तो देवी जैसी कोई शक्ति भी नहीं है। ऐसे में सामरावासी मुझे तुरंत पहचान जायेंगे।" आकृति ने मकोटा को देखते हुए कहा।
“तुम्हारा चेहरा देवी शलाका से बिल्कुल मिलता है और मैंने तुम्हें अपना ‘नीलदंड’ भी दे दिया है। ऐसे में कोई भी तुम्हें पहचान नहीं पायेगा।
वैसे भी मैं सदैव तुम पर अपनी गुप्त शक्तियो से नजर रखे रहूँगा और समय आने पर तुम्हारी सुरक्षा भी करुंगा।" मकोटा ने आकृति को साँत्वना देते हुए कहा।
“ठीक है मैं तैयार हूँ। आप जब कहेंगे मैं सामरा राज्य चली जाऊंगी। वैसे “ऐमू” का कुछ पता चला क्या? वह 2 दिन से गायब है, पता नहीं कहां चला गया।" आकृति ने कहा।
“ऐमू का अभी कुछ नहीं पता। जैसे ही कुछ पता चलेगा, मैं तुम्हें बता दूंगा। अच्छा अब मैं चलता हूँ, किसी चीज की जरुरत हो तो मुझे बता देना।" यह कहकर मकोटा कमरे से बाहर निकल गया।
मकोटा के बाहर निकलते ही आकृति ने कमरे का द्वार बंद करके अपने नीलदंड को वहीं दीवार पर टांग दिया और आराम से आकर अपने बिस्तर पर लेट गयी।
इधर संदूक में छिपे रोजर को मकोटा और आकृति की कोई भी बात समझ में नहीं आयी। वह तो परेशान था कि अब वहां से भागे कैसे? तभी रोजर को आकृति की आवाज सुनाई दी- “अब संदूक से बाहर आ जाओ रोजर, मकोटा यहां से चला गया है।"
रोजर, आकृति की यह बात सुन आश्चर्य से भर गया। एक क्षण के लिये रोजर ने कुछ सोचा और फ़िर
संदूक से निकलकर बाहर आ गया।
अब रोजर की नजर आकृति पर थी।
आकृति ने रोजर को पास रखी एक कुर्सी की ओर बैठने का इशारा किया।
रोजर वहां रखी कुर्सी पर बैठ गया और सवालिया निगाहोंसे आकृति की ओर देखने लगा।
आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहाट के भाव थे। उसने रोजर से अब बोलने का इशारा किया।
रोजर तो जैसे सवालों के बोझ से दबा हुआ था। आकृति का इशारा मिलते ही उसने बोलना शुरु कर दिया।
“आप कौन हो? मकोटा कौन है? मैं इस समय पर किस जगह पर हूँ? और आप मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर ने एक साथ असंख्य सवाल पूछ डाले।
आकृति ने एक गहरी साँस भरी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-
“मेरा नाम आकृति है, मैं इंडिया से हूँ। मैं इस क्षेत्र के पास से, एक बार एक पानी के जहाज से जा रही थी। तभी मेरा जहाज मकोटा ने अपनी शैतानी शक्तियों से डुबो दिया।
सारे लोग मारे गये, केवल मैं और मेरा तोता ऐमू ही इस हादसे में बच पाये। मुझे पकड़कर मकोटा ने इस द्वीप पर कैद कर दिया। बाद में मुझे पता चला कि मेरा चेहरा इस द्वीप की देवी शलाका से मिलता है। इसीलिये मकोटा ने मुझे बचाया था।"
इतना कहकर आकृति एक क्षण के लिये रुकी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-
“जिस द्वीप पर तुम खड़े हो, इसका नाम अराका है। यह द्वीप अटलांटिस का अवशेष है। इस द्वीप पर दो प्रजातियां रहती हैं। एक का नाम सामरा है और दूसरे का सीनोर।
तुम इस समय सीनोर राज्य में खड़े हो। मकोटा इस द्वीप का एक खतरनाक मान्त्रिक है, जो अंधेरे के देवता ‘जैगन’ की पूजा करता है।
इस द्वीप की देवी का नाम शलाका है, जो पिछले 5000 वर्ष से पता नहीं कहां गायब है? शलाका की सारी शक्तियां एक काला मोती में है जो कि इसी द्वीप पर मौजूद ‘तिलिस्मा’ में है। मकोटा मेरी सहायता से वह काला मोती प्राप्त करना चाहता है।" इतना कहकर आकृति खामोश हो गयी।
“तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर के शब्दो में उलझन के भाव नजर आये।
“मकोटा ने मुझे काफ़ी शक्तियाँ दे रक्खी है, जिस्में से कुछ का इस्तेमाल में कभी-कभी अपने लिये भी कर लेती हूं। उनमें से ही एक शक्ति का इस्तेमाल करने पर मुझे तुम हैलीकाप्टर में दिखाई दिये। मेरी ही शक्तियो से तुम उस दुर्घटना से बच पाये हो।" आकृति ने कहा।
“आसमान में वह धुंध और द्वीप के ऊपर वह दीवार कैसी थी?" रोजर ने पूछा।
“वह धुंध और अदृश्य दीवार, इस द्वीप की सुरक्षा के लिये है। उस अदृश्य दीवार की वजह से किसी को भी सामरा और सीनोर द्वीप आसमान से दिखाई नहीं देते। यहां तक कि कोई बाहरी व्यक्ती जमीन के रास्ते से सामरा और सीनोर राज्य में दाख़िल भी नहीं हो सकता।" आकृति ने समझाया।
“सीनोर द्वीप पर वह पिरामिड कैसा है? और वह शेर से इंसान में बदल जाने वाला मानव कौन था? उसने मेरे पायलेट की लाश उस पिरामिड के बाहर क्यों रखी?" रोजर ने एक बार फ़िर प्रश्नो की बौछार कर दी।
“वह पिरामिड अंधेरे के देवता ‘जैगन’ का पूजास्थल है। वहां जैगन मृत इंसानो पर कोई प्रयोग करता है। जिसका पता मुझे नहीं है। इसीलिये मकोटा हर इंसान की लाश को पिरामिड के बाहर रखवा देता है, जिसे बाद में जैगन अपने सेवक ‘गोंजालो’ के द्वारा पिरामिड के अंदर मंगवा लेता है और वह शेर बना इंसान सीनोर का राजकुमार ‘लुफासा’ है, जिसके पास किसी भी जानवर में बदल जाने की शक्ति है।“आकृति ने कहा।
“अब आखरी प्रश्न। तुम्हारे पास इतनी शक्तियां है, फ़िर तुमने मुझे क्यों बचाया? मुझसे तुम्हारा क्या काम हो सकता है?" रोजर ने आिखरी सवाल किया।
“हूं..... ये सवाल सही पूछा तुमने।" आकृति ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “दरअसल बात ये है कि मेरे पास जितनी भी शक्तियां हैं, वो सब मकोटा की दी हुई हैं। मैं उन शक्तियो का प्रयोग तो कर सकती हूं, पर इस स्थान से मकोटा की इच्छा के बिना कहीं जा नहीं सकती।
मुझे ये मकोटा के द्वारा पता चल गया है कि तुम्हारे जहाज ‘सुप्रीम’ में कुछ ऐसे लोग हैं, जो कि इस द्वीप पर मौजूद तिलिस्मा को तोड़ पाने में सक्षम हैं, पर वह इस द्वीप पर आना नहीं चाहते। तो तुम्हे उन्हें भटकाकर इस द्वीप पर लाना पड़ेगा।"
“ये कैसे संभव है? अभी तुम्हीं ने कहा कि सामरा और सीनोर राज्य एक अदृश्य दीवार से घिरा है, जिसके आरपार जाना इंसानों के बस की बात नहीं, तो मैं भला इस दीवार को जमीन के रास्ते से कैसे पार कर पाऊंगा? और फ़िर सुप्रीम तक कैसे पहुंचुंगा?" रोजर ने अपनी परेशानी को आकृति के सामने रखा।
“वो तुम मेरे ऊपर छोड़ दो।" आकृति ने कहा- “मैं मकोटा की शक्तियो से तुम्हें एक ‘ऊर्जा-मानव’ में बदल दुंगी। ऐसी स्थिति में तुम कुछ बोल नहीं पाओगे पर तुममें द्वीप से बाहर जाकर पानी पर दौड़ने की शक्तियां आ जायेंगी।
ऐसे में तुम सुप्रीम तक आसानी से पहुंच जाओगे। तुम्हें सुयश को देखकर द्वीप की दिशा की ओर इशारा करना है। ऐसा करने पर सुयश सुप्रीम को इस द्वीप की दिशा में मोड़ देगा और पास आने पर हम उसे इस द्वीप पर लेते आयेंगे।"
“तुम कैप्टन सुयश को कैसे जानती हो?" रोजर के शब्द उलझन से भरे थे।
यह प्रश्न सुन आकृति के चेहरे पर एक रहस्य भरी मुस्कान आ गयी, पर उसने कहा कुछ नहीं।
रोजर समझ गया कि आकृति उसे बताना नहीं चाहती इसिलये उसने ज़्यादा जोर नहीं दिया। रोजर समझ गया कि इस द्वीप को जितना साधारण वो समझ रहा था, उतना साधारण ये द्वीप है नहीं।
रोजर को सोचते देख आकृति ने फ़िर कहा- “देखो रोजर, यहां पर मैं भी कैदी हूं और तुम भी। यहां तक कि इस क्षेत्र से ‘सुप्रीम’ भी अब बाहर नहीं निकल सकता और हम सभी के बचने का एक ही तरीका है कि यह तिलिस्मा टूट जाये।
तिलिस्मा के टूटते ही हम सभी आजाद हो जायेंगे। यहां तक कि बारामूडा त्रिकोण का क्षेत्र भी हमेशा-हमेशा के लिये मुक्त हो जायेगा। तो अब ज़्यादा सोचो नहीं, बस हां कर दो।"
यह सुन रोजर ने हां में सिर हिला दिया।
“ठीक है फ़िर तुम अभी आराम करो, समय आने पर मैं तुम्हें बता दुंगी।" यह कहकर आकृति रोजर को एक दूसरे कमरे में ले गयी और आराम करने को बोल वहां से चली गयी।
इस समय रोजर काफ़ी थकान महसूस कर रहा था इसिलये वह बेड पर लेट कर सो गया।
चैपटर-6 आदमखोर पेड़ (8 जनवरी 2002, मंगलवार, 16:30, मायावन, अराका)
चलते-चलते काफ़ी समय बीत गया था। सभी एक साथ चल रहे थे। जंगल में कोई रास्ता ना बना होने के कारण सभी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी से, झाड़ियो को हटाते हुए आगे बढ़ रहे थे।
“पता नहीं ये द्वीप इतना विचित्र क्यों है? और पूरी पृथ्वी पर ऐसे पेड़ और जानवर क्यों नहीं पाये जाते?" अल्बर्ट ने कहा।
“मुझे लगता है कि इन विचित्रताओँ के पीछे कोई ना कोई कारण तो जरूर है?" तौफीक ने कहा- “पता नहीं क्यों मुझे ये सारी चीजे नेचुरल नहीं लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने यह सब कुछ बनाकर यहां रख दिया हो?"
“ऐसी चीजे तो सिर्फ ईश्वर ही बना सकता है, मनुष्यो के तो बस में नहीं है ऐसी चीज़ो को बना पाना।" जेनिथ ने कहा।
“ईश्वर क्या है? क्या कोई बतायेगा?" अल्बर्ट ने एक बिलकुल विचित्र प्रश्न कर दिया।
किसी की भी समझ में नहीं आया कि अल्बर्ट क्या कहना चाह रहा है। इसिलये सभी चुप रहे।
अल्बर्ट ने सबको शांत देख स्वयं से ही ईश्वर की परिभाषा बताना शुरु कर दिया-
“ईश्वर वो है, जिसने हमको बनाया, यानी कि अगर हममें इतना ज्ञान आ जाये कि हम किसी जीव का निर्माण करने लगे, तो लोग हमारी भी तुलना ईश्वर से करने लगेंगे।
पर मुझे ये लगता है कि इस द्वीप की चीजे ईश्वर ने नहीं, बल्की हमारी ही तरह के किसी मनुष्य ने अपने ज्ञान और विज्ञान से की है। क्यों की ईश्वर द्वारा निर्मित हर वस्तु और जीव, कुछ सिद्धांतो पर काम करते है, पर यहां की हर वस्तु और जीव ईश्वर के सिद्धांतो से अलग दिख रही है। जैसे कि पेडों का स्वयं हरकत करना, उनका इंसान की भावनाएं समझ जाना, जीव के अंदर पानी को बर्फ में बदल देने की ताकत आदि।"
मगर इससे पहले कि कोई अल्बर्ट से कुछ पूछ पाता कि तभी वातावरण में एक आवाज गूंजी-
“दोस्त मिल गया.... दोस्त मिल गया....ऐमू का दोस्त मिल गया।"
ऐमू की आवाज सुन सभी की दृष्टि आसमान की ओर गयी। ऐमू सुयश के सिर के ऊपर हवा में गोल-गोल उड़ रहा था।
“यह ऐमू इस द्वीप पर कैसे आ गया?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “यह तो शिप के डूबने के काफ़ी पहले ही गायब हो गया था।"
ऐमू अब सुयश के हाथ पर आकर बैठ गया- “अब ऐमू को छोड़ के मत जाना दोस्त। तुम बार-बार ऐमू को छोड़ के चले जाते हो।"
ब्रेंडन ऐमू को देख गुस्से से भर उठा- “मैं आज इस ऐमू के बच्चे को मारकर सारा किस्सा ही ख़त्म कर
देता हूँ। इसी के बताए रास्ते पर चलने की वजह से हमारा शिप डूब गया। यही है सारे मुसीबत की जड़।"
पर इससे पहले कि ब्रेंडन कुछ कर पाता, सुयश ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।
अब सुयश की निगाहें पुनः ऐमू पर थी।
“तुम मुझे बार-बार दोस्त क्यों कहते हो?" सुयश ने ऐमू को देखते हुए पूछा।
“क्यों कि मैं ऐमू और तुम ऐमू के दोस्त।" ऐमू ने सुयश को देखते हुए भोलेपन से कहा।
“अच्छा ठीक है, तुम दोस्त ही हो।" सुयश ने मस्कुराते हुए कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आये?"
“आकी ने बोला, आरू के पास जाओ। मैं आ गया।" ऐमू ने कहा।
ऐमू की बात सुन सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।
“कौन ‘आरू’? कौन ‘आकी’?" सुयश ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा।
“आरू की आकी। तुम आरू। मैं आरू का दोस्त ।" ऐमू ने इस बार सुयश की आँखो में झांकते हुए कहा।
“पर मैं तो सुयश हूँ।" सुयश ने कहा- “मैं आकी को नहीं जानता।“
“तुम सब जानते .... तुम ऐमू के दोस्त।" यह कहकर ऐमू फ़िर से हवा में अपने पंख फड़फड़ाकर उड़ने लगा।
अब सुयश की नजर अपने आसपास खड़े सभी लोग पर गयी।
“मुझे लगता है कि ये ऐमू किसी गलतफहमी में है। यह मुझे अपना मालिक समझ रहा है।" सुयश ने इस बार अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा।
“आप सही कह रहे हो कैप्टन।" अल्बर्ट ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।"
“पर जो भी है कैप्टन अंकल, मुझे लगता है कि यह ऐमू आगे चलकर हमारे बहुत काम आने वाला है।" शैफाली ने कहा।
जारी रहेगा________![]()
तो ये शलाका नहीं आकृति थी जो सुयश का इन्तज़ार कर रही थी#73.
“पर आप ही तो कहते हैं, कि सामरावासी दिमाग से अत्यन्त चतुर हैं। ऐसे में मैं उन्हे ‘देवी शलाका’ बनकर कैसे बेवकूफ बना पाऊंगी। जबकि मेरे पास तो देवी जैसी कोई शक्ति भी नहीं है। ऐसे में सामरावासी मुझे तुरंत पहचान जायेंगे।" आकृति ने मकोटा को देखते हुए कहा।
“तुम्हारा चेहरा देवी शलाका से बिल्कुल मिलता है और मैंने तुम्हें अपना ‘नीलदंड’ भी दे दिया है। ऐसे में कोई भी तुम्हें पहचान नहीं पायेगा।
वैसे भी मैं सदैव तुम पर अपनी गुप्त शक्तियो से नजर रखे रहूँगा और समय आने पर तुम्हारी सुरक्षा भी करुंगा।" मकोटा ने आकृति को साँत्वना देते हुए कहा।
“ठीक है मैं तैयार हूँ। आप जब कहेंगे मैं सामरा राज्य चली जाऊंगी। वैसे “ऐमू” का कुछ पता चला क्या? वह 2 दिन से गायब है, पता नहीं कहां चला गया।" आकृति ने कहा।
“ऐमू का अभी कुछ नहीं पता। जैसे ही कुछ पता चलेगा, मैं तुम्हें बता दूंगा। अच्छा अब मैं चलता हूँ, किसी चीज की जरुरत हो तो मुझे बता देना।" यह कहकर मकोटा कमरे से बाहर निकल गया।
मकोटा के बाहर निकलते ही आकृति ने कमरे का द्वार बंद करके अपने नीलदंड को वहीं दीवार पर टांग दिया और आराम से आकर अपने बिस्तर पर लेट गयी।
इधर संदूक में छिपे रोजर को मकोटा और आकृति की कोई भी बात समझ में नहीं आयी। वह तो परेशान था कि अब वहां से भागे कैसे? तभी रोजर को आकृति की आवाज सुनाई दी- “अब संदूक से बाहर आ जाओ रोजर, मकोटा यहां से चला गया है।"
रोजर, आकृति की यह बात सुन आश्चर्य से भर गया। एक क्षण के लिये रोजर ने कुछ सोचा और फ़िर
संदूक से निकलकर बाहर आ गया।
अब रोजर की नजर आकृति पर थी।
आकृति ने रोजर को पास रखी एक कुर्सी की ओर बैठने का इशारा किया।
रोजर वहां रखी कुर्सी पर बैठ गया और सवालिया निगाहोंसे आकृति की ओर देखने लगा।
आकृति के चेहरे पर मुस्कुराहाट के भाव थे। उसने रोजर से अब बोलने का इशारा किया।
रोजर तो जैसे सवालों के बोझ से दबा हुआ था। आकृति का इशारा मिलते ही उसने बोलना शुरु कर दिया।
“आप कौन हो? मकोटा कौन है? मैं इस समय पर किस जगह पर हूँ? और आप मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर ने एक साथ असंख्य सवाल पूछ डाले।
आकृति ने एक गहरी साँस भरी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-
“मेरा नाम आकृति है, मैं इंडिया से हूँ। मैं इस क्षेत्र के पास से, एक बार एक पानी के जहाज से जा रही थी। तभी मेरा जहाज मकोटा ने अपनी शैतानी शक्तियों से डुबो दिया।
सारे लोग मारे गये, केवल मैं और मेरा तोता ऐमू ही इस हादसे में बच पाये। मुझे पकड़कर मकोटा ने इस द्वीप पर कैद कर दिया। बाद में मुझे पता चला कि मेरा चेहरा इस द्वीप की देवी शलाका से मिलता है। इसीलिये मकोटा ने मुझे बचाया था।"
इतना कहकर आकृति एक क्षण के लिये रुकी और फ़िर बोलना शुरु कर दिया-
“जिस द्वीप पर तुम खड़े हो, इसका नाम अराका है। यह द्वीप अटलांटिस का अवशेष है। इस द्वीप पर दो प्रजातियां रहती हैं। एक का नाम सामरा है और दूसरे का सीनोर।
तुम इस समय सीनोर राज्य में खड़े हो। मकोटा इस द्वीप का एक खतरनाक मान्त्रिक है, जो अंधेरे के देवता ‘जैगन’ की पूजा करता है।
इस द्वीप की देवी का नाम शलाका है, जो पिछले 5000 वर्ष से पता नहीं कहां गायब है? शलाका की सारी शक्तियां एक काला मोती में है जो कि इसी द्वीप पर मौजूद ‘तिलिस्मा’ में है। मकोटा मेरी सहायता से वह काला मोती प्राप्त करना चाहता है।" इतना कहकर आकृति खामोश हो गयी।
“तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?" रोजर के शब्दो में उलझन के भाव नजर आये।
“मकोटा ने मुझे काफ़ी शक्तियाँ दे रक्खी है, जिस्में से कुछ का इस्तेमाल में कभी-कभी अपने लिये भी कर लेती हूं। उनमें से ही एक शक्ति का इस्तेमाल करने पर मुझे तुम हैलीकाप्टर में दिखाई दिये। मेरी ही शक्तियो से तुम उस दुर्घटना से बच पाये हो।" आकृति ने कहा।
“आसमान में वह धुंध और द्वीप के ऊपर वह दीवार कैसी थी?" रोजर ने पूछा।
“वह धुंध और अदृश्य दीवार, इस द्वीप की सुरक्षा के लिये है। उस अदृश्य दीवार की वजह से किसी को भी सामरा और सीनोर द्वीप आसमान से दिखाई नहीं देते। यहां तक कि कोई बाहरी व्यक्ती जमीन के रास्ते से सामरा और सीनोर राज्य में दाख़िल भी नहीं हो सकता।" आकृति ने समझाया।
“सीनोर द्वीप पर वह पिरामिड कैसा है? और वह शेर से इंसान में बदल जाने वाला मानव कौन था? उसने मेरे पायलेट की लाश उस पिरामिड के बाहर क्यों रखी?" रोजर ने एक बार फ़िर प्रश्नो की बौछार कर दी।
“वह पिरामिड अंधेरे के देवता ‘जैगन’ का पूजास्थल है। वहां जैगन मृत इंसानो पर कोई प्रयोग करता है। जिसका पता मुझे नहीं है। इसीलिये मकोटा हर इंसान की लाश को पिरामिड के बाहर रखवा देता है, जिसे बाद में जैगन अपने सेवक ‘गोंजालो’ के द्वारा पिरामिड के अंदर मंगवा लेता है और वह शेर बना इंसान सीनोर का राजकुमार ‘लुफासा’ है, जिसके पास किसी भी जानवर में बदल जाने की शक्ति है।“आकृति ने कहा।
“अब आखरी प्रश्न। तुम्हारे पास इतनी शक्तियां है, फ़िर तुमने मुझे क्यों बचाया? मुझसे तुम्हारा क्या काम हो सकता है?" रोजर ने आिखरी सवाल किया।
“हूं..... ये सवाल सही पूछा तुमने।" आकृति ने रोजर की तारीफ करते हुए कहा- “दरअसल बात ये है कि मेरे पास जितनी भी शक्तियां हैं, वो सब मकोटा की दी हुई हैं। मैं उन शक्तियो का प्रयोग तो कर सकती हूं, पर इस स्थान से मकोटा की इच्छा के बिना कहीं जा नहीं सकती।
मुझे ये मकोटा के द्वारा पता चल गया है कि तुम्हारे जहाज ‘सुप्रीम’ में कुछ ऐसे लोग हैं, जो कि इस द्वीप पर मौजूद तिलिस्मा को तोड़ पाने में सक्षम हैं, पर वह इस द्वीप पर आना नहीं चाहते। तो तुम्हे उन्हें भटकाकर इस द्वीप पर लाना पड़ेगा।"
“ये कैसे संभव है? अभी तुम्हीं ने कहा कि सामरा और सीनोर राज्य एक अदृश्य दीवार से घिरा है, जिसके आरपार जाना इंसानों के बस की बात नहीं, तो मैं भला इस दीवार को जमीन के रास्ते से कैसे पार कर पाऊंगा? और फ़िर सुप्रीम तक कैसे पहुंचुंगा?" रोजर ने अपनी परेशानी को आकृति के सामने रखा।
“वो तुम मेरे ऊपर छोड़ दो।" आकृति ने कहा- “मैं मकोटा की शक्तियो से तुम्हें एक ‘ऊर्जा-मानव’ में बदल दुंगी। ऐसी स्थिति में तुम कुछ बोल नहीं पाओगे पर तुममें द्वीप से बाहर जाकर पानी पर दौड़ने की शक्तियां आ जायेंगी।
ऐसे में तुम सुप्रीम तक आसानी से पहुंच जाओगे। तुम्हें सुयश को देखकर द्वीप की दिशा की ओर इशारा करना है। ऐसा करने पर सुयश सुप्रीम को इस द्वीप की दिशा में मोड़ देगा और पास आने पर हम उसे इस द्वीप पर लेते आयेंगे।"
“तुम कैप्टन सुयश को कैसे जानती हो?" रोजर के शब्द उलझन से भरे थे।
यह प्रश्न सुन आकृति के चेहरे पर एक रहस्य भरी मुस्कान आ गयी, पर उसने कहा कुछ नहीं।
रोजर समझ गया कि आकृति उसे बताना नहीं चाहती इसिलये उसने ज़्यादा जोर नहीं दिया। रोजर समझ गया कि इस द्वीप को जितना साधारण वो समझ रहा था, उतना साधारण ये द्वीप है नहीं।
रोजर को सोचते देख आकृति ने फ़िर कहा- “देखो रोजर, यहां पर मैं भी कैदी हूं और तुम भी। यहां तक कि इस क्षेत्र से ‘सुप्रीम’ भी अब बाहर नहीं निकल सकता और हम सभी के बचने का एक ही तरीका है कि यह तिलिस्मा टूट जाये।
तिलिस्मा के टूटते ही हम सभी आजाद हो जायेंगे। यहां तक कि बारामूडा त्रिकोण का क्षेत्र भी हमेशा-हमेशा के लिये मुक्त हो जायेगा। तो अब ज़्यादा सोचो नहीं, बस हां कर दो।"
यह सुन रोजर ने हां में सिर हिला दिया।
“ठीक है फ़िर तुम अभी आराम करो, समय आने पर मैं तुम्हें बता दुंगी।" यह कहकर आकृति रोजर को एक दूसरे कमरे में ले गयी और आराम करने को बोल वहां से चली गयी।
इस समय रोजर काफ़ी थकान महसूस कर रहा था इसिलये वह बेड पर लेट कर सो गया।
चैपटर-6 आदमखोर पेड़ (8 जनवरी 2002, मंगलवार, 16:30, मायावन, अराका)
चलते-चलते काफ़ी समय बीत गया था। सभी एक साथ चल रहे थे। जंगल में कोई रास्ता ना बना होने के कारण सभी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी से, झाड़ियो को हटाते हुए आगे बढ़ रहे थे।
“पता नहीं ये द्वीप इतना विचित्र क्यों है? और पूरी पृथ्वी पर ऐसे पेड़ और जानवर क्यों नहीं पाये जाते?" अल्बर्ट ने कहा।
“मुझे लगता है कि इन विचित्रताओँ के पीछे कोई ना कोई कारण तो जरूर है?" तौफीक ने कहा- “पता नहीं क्यों मुझे ये सारी चीजे नेचुरल नहीं लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने यह सब कुछ बनाकर यहां रख दिया हो?"
“ऐसी चीजे तो सिर्फ ईश्वर ही बना सकता है, मनुष्यो के तो बस में नहीं है ऐसी चीज़ो को बना पाना।" जेनिथ ने कहा।
“ईश्वर क्या है? क्या कोई बतायेगा?" अल्बर्ट ने एक बिलकुल विचित्र प्रश्न कर दिया।
किसी की भी समझ में नहीं आया कि अल्बर्ट क्या कहना चाह रहा है। इसिलये सभी चुप रहे।
अल्बर्ट ने सबको शांत देख स्वयं से ही ईश्वर की परिभाषा बताना शुरु कर दिया-
“ईश्वर वो है, जिसने हमको बनाया, यानी कि अगर हममें इतना ज्ञान आ जाये कि हम किसी जीव का निर्माण करने लगे, तो लोग हमारी भी तुलना ईश्वर से करने लगेंगे।
पर मुझे ये लगता है कि इस द्वीप की चीजे ईश्वर ने नहीं, बल्की हमारी ही तरह के किसी मनुष्य ने अपने ज्ञान और विज्ञान से की है। क्यों की ईश्वर द्वारा निर्मित हर वस्तु और जीव, कुछ सिद्धांतो पर काम करते है, पर यहां की हर वस्तु और जीव ईश्वर के सिद्धांतो से अलग दिख रही है। जैसे कि पेडों का स्वयं हरकत करना, उनका इंसान की भावनाएं समझ जाना, जीव के अंदर पानी को बर्फ में बदल देने की ताकत आदि।"
मगर इससे पहले कि कोई अल्बर्ट से कुछ पूछ पाता कि तभी वातावरण में एक आवाज गूंजी-
“दोस्त मिल गया.... दोस्त मिल गया....ऐमू का दोस्त मिल गया।"
ऐमू की आवाज सुन सभी की दृष्टि आसमान की ओर गयी। ऐमू सुयश के सिर के ऊपर हवा में गोल-गोल उड़ रहा था।
“यह ऐमू इस द्वीप पर कैसे आ गया?" असलम ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “यह तो शिप के डूबने के काफ़ी पहले ही गायब हो गया था।"
ऐमू अब सुयश के हाथ पर आकर बैठ गया- “अब ऐमू को छोड़ के मत जाना दोस्त। तुम बार-बार ऐमू को छोड़ के चले जाते हो।"
ब्रेंडन ऐमू को देख गुस्से से भर उठा- “मैं आज इस ऐमू के बच्चे को मारकर सारा किस्सा ही ख़त्म कर
देता हूँ। इसी के बताए रास्ते पर चलने की वजह से हमारा शिप डूब गया। यही है सारे मुसीबत की जड़।"
पर इससे पहले कि ब्रेंडन कुछ कर पाता, सुयश ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया।
अब सुयश की निगाहें पुनः ऐमू पर थी।
“तुम मुझे बार-बार दोस्त क्यों कहते हो?" सुयश ने ऐमू को देखते हुए पूछा।
“क्यों कि मैं ऐमू और तुम ऐमू के दोस्त।" ऐमू ने सुयश को देखते हुए भोलेपन से कहा।
“अच्छा ठीक है, तुम दोस्त ही हो।" सुयश ने मस्कुराते हुए कहा- “पर तुम इस द्वीप पर कैसे आये?"
“आकी ने बोला, आरू के पास जाओ। मैं आ गया।" ऐमू ने कहा।
ऐमू की बात सुन सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।
“कौन ‘आरू’? कौन ‘आकी’?" सुयश ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा।
“आरू की आकी। तुम आरू। मैं आरू का दोस्त ।" ऐमू ने इस बार सुयश की आँखो में झांकते हुए कहा।
“पर मैं तो सुयश हूँ।" सुयश ने कहा- “मैं आकी को नहीं जानता।“
“तुम सब जानते .... तुम ऐमू के दोस्त।" यह कहकर ऐमू फ़िर से हवा में अपने पंख फड़फड़ाकर उड़ने लगा।
अब सुयश की नजर अपने आसपास खड़े सभी लोग पर गयी।
“मुझे लगता है कि ये ऐमू किसी गलतफहमी में है। यह मुझे अपना मालिक समझ रहा है।" सुयश ने इस बार अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा।
“आप सही कह रहे हो कैप्टन।" अल्बर्ट ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।"
“पर जो भी है कैप्टन अंकल, मुझे लगता है कि यह ऐमू आगे चलकर हमारे बहुत काम आने वाला है।" शैफाली ने कहा।
जारी रहेगा________![]()