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Thank you very much for your valuable review and support bhaiBahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

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Thank you very much bhaiShandar update bro
Thanks bhaiAwesome update
वो इस लिए गुरू जी कि उस समय वो आईडिया था ही नहींजब मैने ये कहा तब तुम नहीं माने।![]()
Thanks brotherAwesome update![]()
Nice and lovely update brother, ye update bhi kai events se bhara hua hai pahle Casper ka 19000 years baad Magna ki yaad aana aur ab penguin dwara Magna ka naam likhna aur Shefali ka jheel ke andar jana ye Magna, Casper aur Shefali aapas mein kisi tarah jude huye lag rahe hain, khair wo samay hi batayega abhi ye ek point hai ki Shefali ko jheel ke andar kya pata chalna hai.#123.
श्वेत महल: (8 दिन पहले.....05 जनवरी 2002, शनिवार, 14:10, निर्माणशाला, अराका द्वीप)
कैस्पर अराका द्वीप के गर्भ में स्थित अपनी निर्माणशाला के एक कमरे में बैठा हुआ था।
चारो ओर स्क्रीन ही स्क्रीन लगीं थीं, जिन पर मायावन के अलग-अलग जगहों के दृश्य दिख रहे थे।
पता नहीं क्यों आज कैस्पर को बहुत बेचैनी हो रही थी?
“अराका के निर्माण के बाद मैग्ना बिना बताए पता नहीं कहां गायब हो गयी ? लगभग 19000 वर्षों से मैग्ना का कोई अता-पता नहीं है। पता नहीं अब वह जीवित भी है या नहीं? माँ भी मैग्ना के बारे में कुछ नहीं बता रहीं हैं? पता नहीं क्यों आज मैग्ना की बहुत याद आ रही है? क्यों ना कुछ दिनों के लिये श्वेत महल चला जाऊं, वही एक ऐसी जगह है, जहां मैंने मैग्ना के साथ आखिरी बार वक्त बिताया था।
..... हां यही ठीक रहेगा ....पर.... पर ऐसे में अगर कोई मायावन को पार कर गया तो?.....नहीं...नहीं.... हजारों वर्षों में जब आज तक कोई मायावन को पार नहीं कर पाया तो इन कुछ दिनों में क्या पार कर पायेगा? और वैसे भी मेरा कृत्रिम
स्वरुप तिलिस्मा के हर प्रकार के निर्माण में सक्षम है...और...और मैं कुछ दिनों में तो लौट ही आऊंगा? हां यही ठीक रहेगा।”
यह सोचकर कैस्पर ने निर्माणशाला का पूर्ण अधिकार अपने कृत्रिम रोबोट के हाथों में थमाया और एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब में बैठकर निर्माणशाला के गुप्त द्वार से बाहर निकल गया।
कैप्सूल की स्पीड बिल्कुल गोली के समान थी।
लगभग 1 घंटे के तेज सफर के बाद कैस्पर को समुद्र के अंदर एक मूंगे की बहुत बड़ी दीवार दिखाई दी।
यह देख कैस्पर ने काँच की ट्यूब में लगा एक नीले रंग का बटन दबा दिया। बटन के दबाते ही काँच के कैप्सूल से निकलकर कुछ तरंगें मूंगे की दीवार की ओर बढ़ीं।
जैसे ही वह तरंगें मूंगे की दीवार से टकरायीं वह मूंगे की दीवार किसी दरवाजे की भांति एक ओर सरक गयी।
अब कैस्पर के सामने एक विशालकाय मत्स्यलोक था, जिसकी रचना माया ने ही की थी।
चूंकि कैस्पर हजारों वर्षों के बाद यहां आया था, इसलिये मत्स्यलोक की आधुनिकता देखकर वह स्वयं हैरान रह गया।
चारो ओर विशालकाय आधुनिक इमारतें और पानी के अंदर बिजली की तेजी से तैरते आधुनिक जलयान वहां की अतिविकसित सभ्यता की कहानी कह रहे थे।
यह देख कैस्पर ने अपनी काँच की ट्यूब में लगे एक और बटन को दबा दिया, जिससे कैस्पर का वह ट्यूबनुमा जलयान अदृश्य हो गया।
कैस्पर धीरे-धीरे चारो ओर देखता हुआ मत्स्यलोक को पार कर गया।
मत्स्यलोक के आगे पानी में एक विशाल पर्वत दिखाई दिया। जिसके चारो ओर विचित्र जलीय पौधे लगे हुए थे।
कैस्पर ने पर्वत के पास पहुंचकर पुनः एक बटन दबाया। बटन के दबाते ही पर्वत में एक जगह पर एक गुप्त रास्ता दिखाई देने लगा।
कैस्पर ने अपने जलयान को उस गुप्त रास्ते के अंदर कर लिया।
कैस्पर के अंदर प्रवेश करते ही गुप्त द्वार स्वतः बंद हो गया।
गुप्त द्वार के बंद होते ही उस खोखले पर्वत में चारो ओर रोशनी फैल गयी और इस रोशनी में चमक उठा, वहां मौजूद माया महल।
माया महल को देखते ही कैस्पर की आँखों के सामने मैग्ना का चेहरा नाच उठा।
हजारों वर्ष पहले मैग्ना के साथ अपनी माँ माया के लिये जल पर तैरने वाले इसी महल का निर्माण तो दोनों ने किया था, पर पोसाईडन
की इच्छा के अनुसार उन्हें यह महल समुद्र की लहरों से हटाना पड़ा।
पोसाईडन नहीं चाहता था कि समुद्र में उससे श्रेष्ठ महल किसी दूसरे के पास हो। इसलिये कैस्पर ने चुपके से इस महल को तोड़ने की जगह मत्स्यलोक के इस भाग में छिपा दिया था, जहां पर किसी की भी नजर उस महल पर ना पड़े और मैग्ना के लिये बादलों पर एक दूसरे श्वेत महल का निर्माण किया था।
पूरा माया महल एक अदृश्य ऊर्जा के ग्लोब में बंद था, जिससे समुद्र का पानी महल के अंदर नहीं आ रहा था।
कैस्पर अपने जलयान से उतरा और माया महल में प्रवेश कर गया।
हजारों वर्षों के बाद भी महल में कोई भी बदलाव नहीं आया था। सब कुछ पहले की ही तरह था, बस पूरे महल में कोई भी इंसान नहीं था।
कैस्पर महल के कई कमरों से होता हुआ, एक ऐसे कमरे में पहुंचा जहां एक 10 फुट का समुद्री घोड़ा खड़ा था। वह घोड़ा जीवित होकर भी किसी स्टेचू की तरह खड़ा था।
“चलो ‘जीको’ आज हजारों साल बाद मैं तुम्हें बाहर की सैर करा लाता हूं।” यह कहकर कैस्पर उस घोड़े पर सवार हो गया।
कैस्पर के सवार होते ही वह समुद्री घोड़ा बिजली की तेजी से पर्वत से बाहर निकल गया और समुद्र की सतह की ओर चल दिया।
कुछ ही देर में जीको समुद्री की सतह पर पहुंच गया।
समुद्र की सतह पर पहुंचते ही जीको एक सफेद रंग के उड़ने वाले घोड़े में परिवर्तित हो गया और कैस्पर को लेकर आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ चला।
आसमान में ऊंचाई पर हवा काफी तेज थी। चारो ओर सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओं में घूम रहे थे।
काफी देर तक उड़ते रहने के बाद जीको कैस्पर को लेकर श्वेत महल के पास पहुंच गया।
पर श्वेत महल का नजारा देख कैस्पर हैरान रह गया। श्वेत महल के बाहर कई आसमान में उड़ने वाले काँच के पारदर्शी यान खड़े थे।
उस यान से उतरकर कई बच्चे खड़े उस श्वेत महल को निहार रहे थे।
उन बच्चों के पास एक स्त्री और पुरुष भी खड़े थे, जो कि किसी गाइड की तरह से बच्चों को उस श्वेत महल के बारे में बता रहे थे।
“यह मेरा महल टूरिस्ट प्लेस कब से बन गया?” कैस्पर ने आश्चर्य से उस भीड़ को देखते हुए सोचा- “और सबसे बड़ी बात कि पृथ्वी वासियों के पास इतने आधुनिक यान कैसे आ गये?
कैस्पर ने जीको को वहीं बादलों में भीड़ से कुछ दूरी पर रोक दिया और स्वयं चलता हुआ उस गाइड सरीखे स्त्री -पुरुष की ओर बढ़ा।
“हैलो... मेरा नाम कैस्पर है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप लोग कौन हैं? और यहां मेरे महल के बाहर क्या कर रहे हैं?” कैस्पर ने पुरुष की ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा।
वह स्त्री-पुरुष कैस्पर को देखकर आश्चर्य से भर उठे।
पुरुष ने बच्चों को पीछे करते हुए कहा- “तुम्हारा महल?....ये तुम्हारा महल कब से बन गया?...यह तो नक्षत्रलोक की संस्कृति का हिस्सा है। और तुम हो कौन? और आसमान में इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचे?”
“यही सवाल तो मुझे तुमसे करना चाहिये....और यह नक्षत्रलोक क्या है? और तुम लोगों ने मेरे महल पर कब्जा कब किया?” कैस्पर के शब्दों में अब गंभीरता आ गयी।
“एक मिनट रुकिये।” स्त्री ने बीच में आते हुए कहा- “मेरा नाम वारुणी है और मेरे साथी का नाम विक्रम है। मुझे लगता है कि अगर आप सही व्यक्ति हैं, तो शायद हम दुश्मन नहीं हैं। हमें कहीं बैठकर आपस में
बात करना चाहिये?”
कैस्पर को वारुणी की बात सही लगी इसलिये उसने हां में सिर हिलाते हुए कहा- “ठीक है, मुझे तुम्हारी बात मंजूर है, चलो इस महल में ही बैठकर बात करते हैं।”
“पर हम इस महल में प्रवेश नहीं कर सकते... इसके आसपास अदृश्य किरणों का घेरा है।” विक्रम ने कहा- “हम इस अदृश्य घेरे को पार नहीं कर सकते।”
“यह महल तो तुम्हारी संस्कृति का हिस्सा है तो तुम इसमें प्रवेश क्यों नहीं कर सकते?” कैस्पर ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अच्छा अब सब लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लीजिये और आप में से कोई एक मेरा हाथ पकड़ ले... मैं आप लोगों को महल के अंदर लेकर चलता हूं।”
यह सुन वारुणि कैस्पर का हाथ पकड़ने के लिये आगे बढ़ी। तभी विक्रम हंसते हुए बीच में आ गया- “अरे-अरे...तुम कहां उसका हाथ पकड़ने चल दी। तुम मेरा हाथ पकड़ो..कैस्पर का हाथ मैं पकड़ लेता हूं।”
विक्रम और वारुणी की शैतानी भरी हरकत देख कैस्पर को एक बार फिर मैग्ना की याद आ गयी।
मगर तुरंत ही कैस्पर ने अपनी भावनाओं पर कंट्रोल किया और विक्रम का हाथ पकड़, उन सभी को अदृश्य दीवार के पार लेकर, महल के अंदर की ओर बढ़ गया।
चैपटर-7
मैग्ना शक्ति: (13 जनवरी 2002, रविवार, 14:25, मायावन, अराका द्वीप)
खूनी बारिश को पार करने के बाद सभी बर्फीली घाटी के पास पहुंच गये थे।
जहां तक मशरुम के पेड़ उगे थे, वहां तक पथरीली जमीन थी। उसके आगे से बर्फ की घाटी शुरु हो गयी थी।
एक ऐसी भी जगह थी जो पथरीली जमीन और बर्फ की घाटी को 2 बराबर भागों में बांट रही थी।
“बहुत ही विचित्र धरती है यहां की। लगता है कि जैसे हम किसी फिल्म स्टूडियो में घूम रहे हों, जहां हर थोड़ी दूर पर एक कृत्रिम वातावरण बनाया गया हो।” जेनिथ ने बर्फ की घाटियों की ओर देखते हुए कहा।
“सही कह रही हो जेनिथ दीदी, यहां पर हर चीज कृत्रिम लग रही है।” शैफाली ने कहा- “और हर वातावरण में एक मुसीबत होती है, जो हमें मारने की कोशिश करती है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई नहीं
चाहता कि हम इस द्वीप में आगे बढ़ें?”
“नहीं शैफाली।” क्रिस्टी ने शैफाली को टोकते हुए कहा- “जिसने इस द्वीप की रचना की, वह अवश्य ही बहुत सी विचित्र शक्तियों का मालिक होगा, अगर वह हमें आगे बढ़ने नहीं देना चाहता तो हर मुसीबत का कोई समाधान नहीं रखता, मुझे तो ऐसा लग रहा है कोई हमारी शक्तियों का आकलन कर रहा है और आगे इन सबसे भी ज्यादा बड़ी मुसीबतें हमें मिलने वाली हैं।”
सभी धीरे-धीरे चलते हुए बर्फ की घाटी में प्रवेश कर गये।
“तुम ऐसा किस आधार पर कह रही हो क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी की बातें सुन उससे सवाल किया।
“कैप्टेन, अगर आप इस द्वीप की शुरु से सारी घटनाओं को क्रमबद्ध करेंगे, तो पूरी घटनाएं आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेंगी।”
क्रिस्टी ने अपने तर्कों के द्वारा समझाना शुरु कर दिया-
“जिस प्रकार वीडियो गेम में हर स्टेज को पार करने के बाद अगली स्टेज और कठिन हो जाती है, ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी इस द्वीप पर ऐसा ही हो रहा है। जैसे पहले जब हम इस द्वीप पर आये तो एक जादुई वृक्ष से मिले, जो हमें फल नहीं दे रहा था, फिर जेनिथ का बर्फ में फंस जाना और वह मगरमच्छ
मानव दिखाई दिया, फिर ड्रेजलर पर अजगर का आक्रमण, फिर नयनतारा पेड़ से शैफाली की आँखें आना, फिर शलाका मंदिर का मिलना। यहां तक कि किसी भी घटना में हमें किसी भयानक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ा। इसका मतलब वह इस जंगल की पहली स्टेज रही होगी।
इसके बाद लगातार, ब्रूनो, असलम, ऐलेक्स, जॉनी और ब्रैंडन को हमें खोना पड़ा। शायद वह इस जंगल की दूसरी स्टेज रही होगी। पर अगर पिछली कुछ घटनाओं पर हम निगाह डालें तो वहां पर हमें बहुत बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ा जैसे आग की मुसीबत, फिर एक के बाद एक लगातार 2 विशाल जानवर स्पाइनोसोरस और टेरासोर का सामना करना पड़ा।
फिर सैंडमैन का हमला, फिर अत्यन्त मुश्किल मैग्नार्क द्वार.....तो अगर हम इन सारी घटनाओं को देखें तो हम पर आ रही मुसीबतें खतरनाक और खतरनाक होती जा रहीं हैं। मैं इन्हीं कैलकुलेशन के आधार पर कह रही हूं कि आगे कोई और बड़ी मुसीबत हमारा इंतजार कर रही है।”
क्रिस्टी के तर्क काफी सटीक से लग रहे थे।
लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, तभी एक पास के बर्फ के पहाड़ से कोई काले रंग की चीज बर्फ पर फिसलकर उधर आती हुई दिखाई दी।
उसे देखकर तौफीक ने सबका ध्यान उस तरफ कराते हुए कहा- “लो आ रही है कोई नयी मुसीबत? दोस्तों तैयार हो जाओ, उसका सामना करने के लिये।”
तौफीक की बात सुन सभी का ध्यान अब उस बर्फ पर फिसल रही काली चीज पर था।
सभी पूरी तरह से सतर्क नजर आने लगे। कुछ ही देर में वह काली चीज इन सभी के सामने आकर खड़ी हो गयी।
वह एक काले रंग का 10 इंच ऊंचा एक पेंग्विन था, जो अब टुकुर-टुकुर उन्हें निहार रहा था।
“दोस्तों ये ‘लिटिल ब्लू पेंग्विन’ है, ये संसार का सबसे छोटा पेंग्विन होता है।” सुयश ने पेंग्विन को देखते हुए कहा- “वैसे यह खतरनाक नहीं होता, पर इस द्वीप का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये सभी लोग सावधान रहना।”
अब वह छोटा पेंग्विन शैफाली को ध्यान से देखने लगा।
फिर वह पेंग्विन अपनी चोंच से बर्फ पर कुछ लकीरें सी खींचने लगा। सभी हैरानी से उस पेंग्विन की यह हरकत ध्यान से देख रहे थे। बर्फ पर लकीरें खींचने के बाद वह पेंग्विन उन लकीरों से दूर हट गया।
जैसे ही सभी की नजरें उन लकीरों पर पड़ी, सभी आश्चर्यचकित हो उठे, क्यों कि उस पेंग्विन ने बर्फ पर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर से MAGNA लिखा था।
अब शैफाली गौर से उस पेंग्विन को देखने लगी।
शैफाली को अपनी ओर देखता पाकर वह पेंग्विन एक दिशा की ओर चल दिया।
“लगता है यह पेंग्विन शैफाली को कहीं ले जाना चाहता है, जहां पर मैग्ना का कोई रहस्य छिपा है।” जेनिथ ने पेंग्विन की हरकतों को ध्यान से देखने के बाद कहा।
जेनिथ की बात सुन शैफाली धीरे-धीरे उस पेंग्विन के पीछे चल दी।
पेंग्विन ठुमकता हुआ आगे-आगे चल रहा था, बीच-बीच में वह पलटकर देख लेता था कि शैफाली उसके पीछे आ रही है कि नहीं? बाकी के सारे लोग शैफाली के पीछे थे।
सभी के दिल में उत्सुकता थी कि आखिर यह पेंग्विन उन्हें ले कहां जाना चाहता है?
पेंग्विन कुछ आगे जाकर एक बर्फ के गड्ढे के पास रुक गया। उसने एक बार फिर पलटकर शैफाली को देखा और उस गड्ढे में कूद गया।
शैफाली ने उस गड्ढे के पास पहुंचकर उसमें झांककर देखा, पर नीचे अंधेरा होने के कारण उसे कुछ नजर नहीं आया।
तभी शैफाली के आसपास की बर्फ पर दरारें नजर आने लगीं।
यह देख सुयश ने चीखकर शैफाली को आगाह किया- “शैफाली तुरंत हटो वहां से..तुम एक जमी हुई झील के ऊपर हो, और वहां की बर्फ टूटने वाली है।”
लेकिन इससे पहले कि शैफाली अपना कुछ भी बचाव कर पाती या फिर वहां से हट पाती, शैफाली के पैरों के नीचे की बर्फ टूटकर झील में गिर गयी और उसी के साथ शैफाली भी झील में समा गई।
यह देख सभी के मुंह से चीख निकल गई।
सभी भाग कर उस बड़े बन चुके गड्ढे में झांकने लगे।
“शैफालीऽऽऽऽ...शैफालीऽऽऽऽऽऽ” सुयश ने जोर की आवाज लगा कर शैफाली को पुकारा।
उधर शैफाली को झील में गिरकर बिल्कुल भी ठंडा महसूस नहीं हो रहा था।
यहां तक कि उसे पानी में साँस लेने में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी।
पेंग्विन अब कहीं नजर नहीं आ रहा था।
तभी शैफाली को उस झील की तली में एक डॉल्फिन तैरती हुई
दिखाई दी।
“झील के पानी में डॉल्फिन कहां से आ गयी? जरुर इस झील में कोई ना कोई रहस्य छिपा है? मुझे इसका पता लगाना ही होगा।” शैफाली ने अपने मन में दृढ़ निश्चय किया ।
पर जैसे ही वह झील के अंदर डुबकी
लगा ने चली, उसे सुयश की महीन सी आवाज सुनाई दी, जो ऊपर से आ रही थी।
कुछ सोच वह झील की सतह पर आ गई।
शैफाली को सुरक्षित देख सभी की जान में जान आयी।
“कैप्टेन अंकल... आप लोग परेशान मत होइये, मैं झील के पानी में बिल्कुल सुरक्षित हूं, पर मुझे झील के अंदर कोई रहस्य छिपा हुआ लग रहा है, तो आप लोग मेरा थोड़ी देर तक इंतजार करें। मैं अभी झील का
रहस्य पता लगा कर आती हूं।” शैफाली ने कहा।
“पर शैफाली झील का पानी तो बहुत ठंडा होगा, तुम इतने ठंडे पानी में ज्यादा देर तक साँस नहीं ले पाओगी।” तौफीक ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा।
“आप चिंता ना करें, मुझे पानी में साँस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही। बस आप लोग थोड़ी देर तक मेरा इंतजार करें।” इतना कहकर शैफाली ने झील के पानी में डुबकी लगायी और झील की तली की ओर
चल दी, जिधर उसने अभी डॉल्फिन को तैरते हुए देखा था।
थोड़ी ही देर में शैफाली को डॉल्फिन फिर से नजर आ गयी, जो कि तैर कर एक दिशा की ओर जा रही थी।
शैफाली ने उस डॉल्फिन का पीछा करना शुरु कर दिया।
झील की तली में पहाड़ी कंदराओं के समान बहुत सी गुफाएं बनी हुईं थीं।
जारी रहेगा______![]()
Do dushman dost kya baat hai ye Araka dweep ke liye accha bhi hai isse Samra aur Sinor dono rajya shayad ek sath aa sakte hain jo Makota aur Lufasa ki wajah se ek dusre ke dushman bane huye hain ya phir pahle se dono rajya ke bich dushmani chali aa rahi hai.#124.
तभी शैफाली को एक ऐसी गुफा दिखाई दी, जिसका द्वार एक सुनहरी धातु का बना था और देखने से ही मानव निर्मित प्रतीत हो रहा था।
डॉल्फिन उस दरवाजे के पास जाकर पता नहीं कहां गायब हो गयी।
“यह झील के अंदर मानव निर्मित गुफा कैसी है? शायद डॉल्फिन इसी को दिखाने के लिये मुझे यहां तक लायी है। इसके अंदर चलकर देखती हूं। शायद इस द्वीप के किसी राज का पता चल जाये?”
यह सोच शैफाली गुफा के द्वार में प्रविष्ठ हो गई।
गुफा के अंदर एक बहुत विशालकाय स्थान था। जो पूरी तरह से रोशनी से नहाया था। वहां पर एक 20 फुट ऊंचा बड़ा सा सफेद रंग का सीप रखा था।
शैफाली ने कहानियों में भी कभी इतने बड़े सीप के बारे में सुन नहीं रखा था, इसलिये वह इतना बड़ा सीप देखकर आश्चर्य से भर गई।
सीप के बाहर एक सफेद रंग का बटन लगा हुआ था। कुछ सोचने के बाद शैफाली ने उस सफेद बटन को दबा दिया।
बटन के दबाते ही सीप किसी संदूक की तरह खुल गया।
उस सीप के अंदर 10 फुट का एक गोल परंतु पारदर्शी मोती रखा था।
शैफाली को उस मोती के अंदर कुछ चलता हुआ सा प्रतीत हुआ। इसलिये शैफाली, मोती से आँख सटाकर अंदर की ओर देखने लगी।
पर शैफाली ने जैसे ही अपना चेहरा उस मोती से सटाया, वह उस मोती के अंदर प्रवेश कर गई।
मोती कें अंदर बिल्कुल भी पानी नहीं था।
मोती के अंदर एक समुद्री हरे रंग की रबर की ड्रेस हवा में तैर रही थी। यह वही ड्रेस थी, जिसे सपने में शैफाली ने मैग्ना को पहने हुए देखा था।
शैफाली ने उत्सुकता वश उस ड्रेस को हाथ लगाया।
शैफाली के हाथ लगाते ही वह ड्रेस आश्चर्यजनक तरीके से शैफाली के शरीर पर स्वतः धारण हो गई।
वह ड्रेस शैफाली के शरीर पर बिल्कुल फिट लग रही थी। शैफाली उस ड्रेस को देखकर खुश हो गयी, पर जैसे ही वह मोती से निकलने चली, वह निकल नहीं पायी।
“अरे... ये क्या हो गया? मैं मोती में प्रवेश तो आसानी से कर गई थी फिर मैं इस से निकल क्यों नहीं पा रही हूं? कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं इस ड्रेस के साथ इस मोती से बाहर नहीं जा सकती?”
यह सोच शैफाली ने अपनी ड्रेस उतारने की कोशिश की, पर वह ड्रेस तो मानों उसके शरीर से चिपक गयी थी।
शैफाली के बहुत प्रयत्नों के बाद भी वह ड्रेस उसके शरीर से नहीं उतरी।
शैफाली ने मोती में चारो ओर देखा, पर वहां कोई भी ऐसी चीज नहीं थी, जो शैफाली को वहां से निकलने में मदद कर सके।
जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, शैफाली की उलझन बढ़ती जा रही थी, यह तो भला हो कि मोती के अंदर भी उसे साँस लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।
तभी शैफाली को बाहर फिर डॉल्फिन तैरती हुई नजर आयी।
शैफाली ने अपने मुंह से सीटी बजाकर डॉल्फिन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
सीटी की आवाज सुन डॉल्फिन उस मोती के पास आ गयी। शैफाली ने इशारे से डॉल्फिन को समझाने की कोशिश की।
पता नहीं डॉल्फिन को क्या समझ आया? कि वह पहले थोड़ा पीछे हटी और फिर तेजी से आगे बढ़कर एक जोरदार टक्कर उस मोती को मार दी।
डॉल्फिन की टक्कर से मोती सीप से निकलकर नीचे गिर गया और पानी में लुढ़कता हुआ एक चट्टान से जाकर टकरा गया।
मोती के लुढ़कने से शैफाली का शरीर अनियंत्रित होकर उस मोती में गोल-गोल नाचने लगा।
तभी अंजाने में ही शैफाली का हाथ उस ड्रेस की बेल्ट पर बने एक डॉल्फिन की आकृति वाले बक्कल से छू गया।
डॉल्फिन की आकृति को छूते ही शैफाली की ड्रेस से एक तेज गोलाकार अल्ट्रा-सोनिक तरंगें निकलीं और उन तरंगों के प्रभाव से वह मोती टूटकर बिखर गया।
मोती के टूटते ही शैफाली स्वतंत्र हो गई। उसने एक बार बेल्ट पर बनी डॉल्फिन की आकृति को देखा और तैरकर झील की सतह की ओर चल दी।
उधर जब काफी देर तक शैफाली उस झील से बाहर नहीं आयी, तो सुयश उस झील में उतरने का प्रयास करने लगा।
तभी पानी की सतह पर शैफाली का चेहरा दिखाई दिया।
सभी शैफाली को देखकर खुश हो गये। सुयश ने आगे बढ़कर शैफाली का हाथ पकड़ उसे झील से बाहर
खींच लिया।
“अरे...यह इतनी सुंदर ड्रेस तुम्हें कहां से मिल गयी?” जेनिथ ने खुश होते हुए पूछा।
शैफाली ने शुरु से अंत तक सारी कहानी सभी को सुना दी।
“अब तो यह साफ हो गया कि शैफाली का इस द्वीप से कोई ना कोई रिश्ता तो जरुर है?” सुयश ने कहा- “शायद यह द्वीप ही शैफाली के सपनों का कारण भी है। अब या तो मैग्ना शैफाली की कोई पहचान की थी, या फिर......।” कहते-कहते सुयश ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
“या.....?” क्रिस्टी ने ना समझने वाले अंदाज में ‘या ’शब्द पर जोर देते हुए सुयश से पूछा।
“या फिर शैफाली ही मैग्ना थी?” सुयश ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा।
“अब तो मुझे भी लगने लगा है कि शैफाली ही मैग्ना थी और इसका इस द्वीप से कुछ गहरा नाता था।” तौफीक ने कहा।
“चाहे जो भी हो, पर मुझे ये ड्रेस बहुत पसंद आयी।” जेनिथ ने कहा- “एक हम लोग हैं जो पिछले 7 दिनों से एक ही कपड़े पहन कर जंगल में घूम रहे हैं। यह जंगल बनाने वाले ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट बनाया...अरे एक शॉपिंग मॉल भी खोल देता, तो उसका क्या जाता?”
जेनिथ की बात सुनकर सभी जोर से हंस दिये और पुनः आगे की ओर बढ़ गये।
उल्का पिंड : (13 जनवरी 2002, रविवार, 15:30, वाशिंगटन डी.सी., अमेरिका)
धरा कल ही होश में आ गयी थी, लेकिन वेगा के बारे में जानने के लिये वह एक दिन का बहाना करके वेगा के घर ही रुक गयी थी।
वेगा ने धरा और मयूर को एक कमरा दे दिया था। धरा और मयूर इस समय उस कमरे में अकेले थे।
“यह वेगा तो बहुत ही साधारण इंसान है, यह हमारी धरा शक्ति को नहीं चुरा सकता, शायद इसे किसी ने वह घड़ी भेंट स्वरुप दी है और वेगा को भी इस घड़ी की शक्तियों के बारे में कुछ भी नहीं पता है?” धरा ने खिड़की के बाहर की ओर देखते हुए कहा।
“तुम सही कह रही हो धरा, वैसे भी वेगा एक अच्छा इंसान है, देखा नहीं कल उसने बिना हमें जाने हुए कैसे हमारी मदद की थी और आज भी वह अंजान व्यक्तियों को अपने घर में रखे है।” मयूर ने कहा।
“तो फिर क्या करें? क्या धरा शक्ति के कण को हम वेगा के ही पास छोड़ दें?” धरा के शब्दों में उलझन के भाव थे।
“हम एक काम करते हैं, आज भर हम वेगा के साथ रहकर उसके बारे में जानने की कुछ और कोशिश करते हैं। अगर हमें लगा कि वेगा उस धरा शक्ति के कण को संभाल सकने वाला उचित व्यक्ति है, तो हम धरा शक्ति के उस कण को वेगा के पास ही छोड़ देंगे। लेकिन अगर हमें लगा कि वेगा उस शक्ति का सही अधिकारी नहीं है, तो हम अपनी शक्ति अपने साथ वापस लेते चलेंगे।” मयूर ने कहा।
“ठीक है, फिर आज मैं उससे अपने तरीके से कुछ उगलवाने की कोशिश करती हूं। जरा देखें तो यह इंसान अंदर से है कैसा?” धरा ने मयूर के प्लान पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा।
तभी वेगा ने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। वेगा की आवाज सुन दोनों चुप हो गये।
वेगा ने कमरे में प्रवेश करते हुए धरा से पूछा- “अब तबियत कैसी है आपकी?”
“पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही हूं।” धरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- “वैसे आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपने हमारी काफी मदद की।”
“कोई बात नहीं....मैं तो वैसे भी इतने बड़े फ्लैट में अकेला ही रहता हूं।” वेगा ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा।
“आपके परिवार वाले यहां नहीं रहते हैं क्या?” धरा ने अपनापन दिखाते हुए पूछा।
“नहीं मेरे परिवार वाले यहां से हजारों किलोमीटर दूर रहते हैं।” वेगा ने कहा।
“और इतने बड़े शहर में कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या आपकी?” धरा ने वेगा से थोड़ा मस्ती करते हुए पूछा।
यह सुन वेगा के चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान उभर आयी- “मेरे कॉलेज की एक लड़की है। जिसका नाम वीनस है। मैं तो उससे प्यार करता हूं, पर वह मुझे सिर्फ दोस्त ही समझती है...मुझे लगता है कि शायद वह भी मुझे मन ही मन पसंद करती है, पर उसने कभी ऐसा बोला नहीं?”
“अरे वाह! फिर तो तुम्हें धरा की ट्रेनिंग की जरुरत है। यह तुम्हारी सेटिंग जरुर करवा देगी। यह इन सब चीजों में निपुण है।” मयूर ने हंसते हुए कहा।
“क्या सच में आप मेरा यह काम बनवा सकती हैं?” वेगा धरा के सामने किसी बच्चे की तरह से बैठकर बोला।
उसका यह तरीका देख धरा को जोर से हंसी आ गयी- “ठीक है...ठीक है वेगा...मैं तुम्हारा ये काम कर दूंगी। आखिर तुमने मेरी जान बचाई है... पर इसके लिये तुम्हें वीनस को यहां बुलाना पड़ेगा।“
तभी दरवाजे की घंटी बज उठी। वेगा उठकर दरवाजे की ओर बढ़ा।
वेगा ने आई होल से बाहर की ओर झांक कर देखा।
दरवाजे पर वीनस खड़ी थी। वीनस को देख वेगा दरवाजा खोलने के बजाय भागता हुआ धरा के पास पहुंच गया।
“दरवाजे पर वीनस है।” वेगा ने फुसफुसा कर कहा।
“अरे वाह! लगता है ईश्वर भी तुम्हारी सेटिंग जल्दी कराना चाहता है।” धरा बेड से खड़ी होती हुई बोली-
“चलो मैं भी अपने कॉलेज की थोड़ी सी यादें ताजा कर लूं। अच्छा मयूर जी अब आप चुपचाप इस कमरे
में ही रहिये। जब तक मैं ना कहूं, आप बाहर मत आइयेगा।” यह कह धरा ने मयूर को आँख मारी और वेगा के साथ बाहर ड्रांइग रुम में आ गयी।
तब तक वीनस 2 बार घंटी और बजा चुकी थी। धरा ने जल्दी से वेगा के कान में कुछ फुसफुसा कर कहा और स्वयं वेगा के बेडरुम में चली गयी।
वेगा ने धरा को अपने कमरे में जाते देख दरवाजा खोल दिया और वीनस को देखकर जानबूझकर घबराने की एक्टिंग की।
वीनस से वेगा की घबराहट छिपी ना रह सकी।
“इतनी देर क्यों लगाई दरवाजा खोलने में।” वीनस ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।
“तुम भी तो बिना बताए आ गयी। अगर बता कर आती तो मैं दरवाजे पर खड़ा हो कर तुम्हारा इंतजार करता।” वेगा ने डरे-डरे स्वर में कहा।
तभी वीनस ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “ये तुम लेडीज परफ्यूम कब से लगाने लगे?”
“वो मेरी एक बहुत पुरानी दोस्त आयी है। उसी ने लगाया था यह परफ्यूम।” वेगा ने घबराते हुए कहा।
तभी वेगा के बेडरुम से धरा निकलकर बाहर आ गयी। उसकी आँखें ऐसे लग रहीं थीं कि जैसे वह सो रही थी।
“यह कौन है वेगा?” धरा ने वीनस की ओर देखते हुए पूछा।
“इसकी छोड़ो।” वीनस ने गुस्सा होते हुए कहा- “पहले मुझे बताओ कि ये तुम्हारी कौन सी दोस्त है?.. तुमने आज तक मुझे इसके बारे में बताया क्यों नहीं?...और ये तुम्हारे बेडरुम में क्या कर रही थी?”
“मैं तो हमेशा ही वेगा के रुम में सोती हूं....क्यूं वेगू डार्लिंग...बताओ ना इसे मेरे बारे में।” धरा ने फुल एक्टिंग करते हुए वेगा के कंधे पर सहारा लेते हुए कहा।
“वेगू डार्लिंग!” अब वीनस का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया- “मुझे सच-सच बताओ वेगा...कौन है ये? नहीं तो मैं तुम्हारा सिर फोड़ दूंगी।”
“ये मेरी गर्लफ्रेंड है...इसका नाम धरा है।” वेगा ने मन ही मन हंसते हुए अपनी एक्टिंग को जारी रखते हुए कहा।
“तो मैं तुम्हारी कौन हूं?” वीनस ने चीख कर कहा।
“तुम तो मेरी दोस्त हो ना....तुमने तो इससे ज्यादा कभी मुझे कुछ बताया ही नहीं।” वेगा ने कहा।
“मैं तुम्हारी दोस्त नहीं दुश्मन थी वेगा....पर मुझे कब तुमसे प्यार हो गया, मुझे पता ही नहीं चला....पर अब मैं ये नाटक और ज्यादा नहीं चला सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच-सच बता दूंगी क्यों कि मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं वेगा... मुझे लगा कि तुम मेरी फीलिंग्स को समझते होगे, पर तुम...तुमने मेरा दिल दुखाया है।” यह कहकर वीनस रोने लगी।
वेगा को समझ नहीं आया कि वीनस क्या कह रही है, पर इससे ज्यादा अब उसमें नाटक करने की हिम्मत नहीं थी इसलिये वह बोल पड़ा-
“सॉरी वीनस...मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी ज्यादा हर्ट हो जाओगी। दरअसल हम लोग नाटक कर रहे थे। यह धरा है, ये मेरी बड़ी बहन की तरह है। ये नाटक में सिर्फ मेरा साथ दे रही थी। मैं सिर्फ तुमसे ही प्यार करता हूं पगली।”
वेगा के बड़ी बहन वाले शब्दों को सुन धरा भी एक पल के लिये वेगा के चेहरे को देखने लगी।
पता नहीं ऐसा क्या था वेगा के उन शब्दों में कि धरा की आँखों में आँसू की एक बूंद आ गयी, पर धरा ने अपना चेहरा पीछे करके तुरंत उसे पोंछ लिया।
वेगा ने वीनस को सहारा देकर एक कुर्सी पर बैठा दिया।
तभी मयूर भी दूसरे कमरे से निकलकर वहां आ गया।
वीनस ने एक पल के लिये सभी को देखा और फिर बोलना शुरु कर दिया-
“वेगा मैं तुम्हारे बारे में सबकुछ जानती हूं.....कि तुम सामरा राज्य के युवराज हो और तुम्हारे भाई युगाका ने जानबूझकर तुम्हें यहां रखा हुआ है। वो नहीं चाहते कि तुम्हारे दुश्मन सीनोर राज्य वाले तुम्हारे बारे में कुछ भी जानें और तुम पर हमला करें।”
वेगा ध्यान से वीनस की बात सुन रहा था।
“तुम यह सब कैसे जानती हो वीनस?” वेगा ने वीनस से पूछा।
“क्यों कि मैं तुम्हारे दुश्मन देश सीनोर की राजकुमारी हूं।”
वीनस के यह शब्द सुन वेगा ने अपना चेहरा वीनस की ओर से घुमा लिया।
वीनस बिना रुके बोले जा रही थी- “सीनोर राज्य के मांत्रिक मकोटा को जैसे ही तुम्हारे बारे में पता चला, उसने मेरे भाई लुफासा से कह के मुझे तुम्हारे कॉलेज में रखवाया।
मेरा काम तुम्हारे हर पल की रिपोर्ट
अपने भाई तक पहुंचाना था। मेरा भाई लुफासा इच्छाधारी शक्तियों का स्वामी है।
वो किसी भी जानवर का रुप धारण कर सकता है। उसने ही पहले बाज, टुंड्रा हंस, बुल शार्क, ईल मछली, सर्प और फिर बैल बनकर तुम पर आक्रमण किये थे। मकोटा ने मेरे भाई से तुम्हारी सिर्फ रिपोर्ट ही मंगवाई थी।
उसने तुम्हें मारने का आदेश नहीं दिया था। पर लुफासा ने मेरी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार की भाषा पढ़ ली। इसलिये वह तुम्हें जान से मार देना चाहता था। मैं आज तुम्हें सबकुछ बताने के लिये ही यहां आयीथी।”
इतना कहकर वीनस चुप हो गयी और वेगा को देखने लगी। वह जानना चाहती थी कि वेगा अब उसके बारे में क्या सोच रहा है।
“मैं तुमसे हमेशा प्यार करता था और करता रहूंगा वीनस..दुनिया की कोई शक्ति मुझे तुमसे अलग नहीं कर सकती। तुमने अच्छा किया कि मुझे सबकुछ बता दिया। वैसे अगर नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं
पड़ता क्यों कि....मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पहले से ही पता था।”
“क्या ऽऽऽऽ?” इस बार हैरान होने की बारी वीनस की थी- “तुम्हें सबकुछ पहले से ही पता था, फिर भी तुमने मुझे मारने की कोशिश नहीं की?”
“मुझे पता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो, इसलिये मैंने तुम्हारी भावनाओं को सम्मान दिया।” वेगा के चेहरे पर मुस्कुराहट थी- “क्यों धरा दीदी....मैंने सही किया ना?” इस बार वेगा ने धरा की ओर मुड़ते हुए कहा।
“बिल्कुल सही किया...मेरा भाई कभी गलत नहीं कर सकता।” धरा ने वेगा के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
“पर मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि तुम मेरे बारे में जाने कैसे?” वीनस की आँखों में अभी भी आश्चर्य के भाव थे।
जारी रहेगा________![]()
reread nahi kiya thaaKya matlab abhi tak kiya hi nahi tha kya?![]()
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