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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Avaran

एवरन
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Lets Start Review 139/140

Ek To Itne din baad Review likh Raha hu kaha se shuru karu Samajh nahi Aaraha

Ring of Atlantics

Iss Ring ki bahut Jarurat Thee shaffali ko , bina Ring ko Pehne Kala Moti dharan Karna Shaffali ko pattar ka Statue Bana sakta Thaa Khair Ring Aa gayi Jaldi hi Tilism Mein Entry hone wali.

Alex bhi aagaya sabke pass khair alex ka aana Team ko strong banayega .

Shaffali ki megna smiriti bhi aagayi lekin ye acha hua ki megna ke smiriti ke baad bhi orginial shaffali ka wahi chanchal andaz barkarar hai .

One Question Kya ye part ending Par hai.

Ye Wo megna Ke Pitaji ka bhi Scene ka Yaad Nahi Aaraha Usme Kaha Thaa Ki laden ke Head Mein Amartav bhi Chipa .
Kuch amartav ka abhi pata chalaega kya Tilism mein Jane se purv .


Capusre Varuni ka convo
Story mein aaya naya Modd prathivi sankat Mein Hai ozone layer se .
Aur alien ka Khatra bhi aagaya Gajab Ju ka Talent dekhna chahunga kaise Dhamik aur alien connection bhaitha Te

Ye Alien wala Angle bhi samne aagaya ,ye capsure ka Atlantic dweep Control ka Robot Toh Koi aur chala raha Most likely TamRaj Jaigan Ki Team ka Hoga .

Overall hamesha ki Tarah Shandaar update
waiting for more
 

Dhakad boy

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#141.

जलकवच:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 10:30, मायावन, अराका द्वीप)

सुबह सभी थोड़ा देर से उठे थे। रात को सभी को नींद भी बहुत अच्छी आयी थी।

क्रिस्टी तो देर रात काफी देर तक ऐलेक्स से बात ही करती रही थी, शायद वह बीच के दिनों की पूरी कसर निकाल रही थी।

सभी खा-पीकर तैयार हो गये थे। सुयश का इशारा पाते ही सभी आगे की ओर बढ़ गये।

सामने एक छोटा सा पहाड़ था, जिसे पार करने में इन लोगों को ज्यादा समय नहीं लगा।

अब इन्हें पोसाईडन पर्वत बिल्कुल सामने दिख रहा था, पर पोसाईडन पर्वत और इन लोगों के बीच एक 30 फुट चौड़ी नहर का फासला था।

“कैप्टेन अंकल, इस नहर पर कहीं भी पुल बना नहीं दिख रहा, हम लोग उधर जायेंगे कैसे?” शैफाली ने सुयश से पूछा- “क्या पानी के अंदर उतरना सही रहेगा?”

“हमारा आज तक का इस जंगल का अनुभव बताता है, कि हर पानी में कोई ना कोई परेशानी मौजूद थी, तो पहले हम पानी में उतरने के बारे में नहीं सोचते। हम इस नहर के किनारे-किनारे आगे की ओर बढ़ेंगे।

"हो सकता है कि आगे कहीं इस नहर पर पुल बना हो? क्यों कि जो लोग पोसाईडन पर्वत के उस तरफ रह रहें होगे, वह भी किसी ना किसी प्रकार से उस पार तो जाते ही होंगे। और सबसे बड़ी बात कि जरा पोसाईडन की मूर्ति को ध्यान से देखो, वो हमारे ठीक सामने नहीं है, तो हो सकता है कि मूर्ति के ठीक सामने कोई ना कोई पुल हो?”

सुयश की बात सभी को सही लगी, इसलिये वह नहर के किनारे-किनारे आगे बढ़ने लगे।

लगभग आधा घंटा चलने के बाद उन्हें नहर के ऊपर रखे लकड़ी के 2 मोटे लट्ठे दिखाई दिये।

“लो मिल गया रास्ता।” क्रिस्टी ने उन लट्ठों की ओर देखते हुए कहा- “और कैप्टेन ने सही कहा था, यह रास्ता बिल्कुल पोसाईडन की मूर्ति के सामने है।”

तभी तौफीक की नजर नहर के दूसरी ओर बनी एक सुनहरी झोपड़ी पर पड़ी।

“कैप्टेन नहर के उस पार वह सुनहरी झोपड़ी कैसी है?” तौफीक ने सुयश को झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा।

सभी आश्चर्य से उस विचित्र झोपड़ी को देखने लगे।

“कुछ कह नहीं सकते? हो सकता है कि उसमें कैस्पर ही रहता हो और वहीं से तिलिस्मा का नियंत्रण करता हो?” सुयश ने कहा।

“हैलो...मेरा कैस्पर झोपड़ी में नहीं रहता।” शैफाली ने चिढ़ते हुए कहा।

“अरे वाह! मेरा कैस्पर....।” क्रिस्टी ने हंसकर शैफाली का मजाक उड़ाया- “लगता है अब शैफाली पूरी मैग्ना बनने वाली है?”

शैफाली ने नाक सिकोड़कर क्रिस्टी को चिढ़ाया और सुयश की ओर देखने लगी।

“हमें पहले उस पार चलना चाहिये। उस पार पहुंचने के बाद ही पता चलेगा, कि उस झोपड़ी का क्या रहस्य है?”

“अब तो हममें से कई लोगों के पास शक्तियां हैं, इस नहर को तो हम आसानी से पार कर लेंगे।” ऐलेक्स ने कहा।

“अच्छा जी! तो चलो पहले तुम ही पार करके दिखाओ, जरा हम भी तो देखें, तुम्हारी वशीन्द्रिय शक्तियां किस प्रकार काम करती हैं?” क्रिस्टी ने ऐलेक्स का मजाक उड़ाते हुए कहा।

वैसे क्रिस्टी को अपने अनुभव के आधार पर पता था, कि इस नहर में भी कोई मायाजाल छिपा होगा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के चैलेंज को स्वीकार कर लिया और एक लकड़ी के लट्ठे पर अपना बांया पैर रखा।

ऐलेक्स के लट्ठे पर पैर रखते ही, लट्ठे का दूसरा सिरा हवा में उठना शुरु हो गया।

यह देख ऐलेक्स ने अपना पैर लट्ठे से हटा लिया। ऐलेक्स के पैर हटाते लट्ठा अपने यथा स्थान आ गया।

यह देख क्रिस्टी ने मुस्कुराते हुए बच्चों की तरह तुतला कर ऐलेक्स का मजाक उड़ाया- “क्या हुआ छोते बच्चे...तुम्हारी छक्तियां काम नहीं कल लहीं क्या?”

ऐलेक्स ने घूरकर क्रिस्टी को देखा और फिर प्यार से क्रिस्टी की चोटी खींच ली।

इस बार ऐलेक्स ने दूसरे लट्ठे पर अपना पैर रखा। उस लट्ठे पर भी वही क्रिया हुई, जो कि पहले लट्ठे पर हुई थी।

“लगता है ये भी किसी प्रकार का मायाजाल है?” जेनिथ ने कहा।

“छोता बाबू औल कोछिछ कलेगा?” क्रिस्टी ने फिर ऐलेक्स को चिढ़ाया।

ऐलेक्स ने इस बार क्रिस्टी पर ध्यान नहीं दिया। इस बार ऐलेक्स ने अपनी त्वचा को लचीला आकार दिया और दौड़कर नहर के पास आकर दूसरी ओर कूदने की कोशिश की।

पर इस कोशिश में ऐलेक्स का शरीर किसी अदृश्य दीवार से टकराया और वह जमीन पर गिर पड़ा। उसे बहुत तेज चोट लगी थी।

अगर वशीन्द्रिय शक्ति ने समय पर ऐलेक्स का शरीर वज्र का नहीं बनाया होता, तो ऐलेक्स की कुछ हड्डियां तो जरुर टूट जानीं थीं।

“लगता है छोता बाबू...तूत-फूत गया।” क्रिस्टी अभी भी ऐलेक्स से मजा ले रही थी।

“ठीक है मैं हार गया...मेरी शक्ति भी काम नहीं कर रही। चलो अब तुम ही पार करके दिखा दो इसे। अगर तुमने इसे पार कर दिया तो तुम जो मांगोगी, मैं तुम्हें दूंगा।” ऐलेक्स ने क्रिस्टी को चैलेंज देते हुए कहा।

“ठीक है...पर अपना वादा भूलना नहीं ऐलेक्स।” क्रिस्टी यह कहकर उस लट्ठे के पास आ गयी।

उसने एक बार लट्ठे को हिलाकर उसकी मजबूती का जायजा लिया और फिर उछलकर क्रिस्टी ने अपना बांया पैर एक लट्ठे पर रखा।

क्रिस्टी के पैर रखते ही हर बार की तरह, उस लट्ठे का दूसरा सिरा तेजी से हवा में उठा। तभी क्रस्टी फिर हवा में उछली और इस बार उसने अपना दाहिना पैर दूसरे लट्ठे पर रखकर, अपना पहला पैर पहले लट्ठे से हटा लिया।


क्रिस्टी का पैर पहले लट्ठे से हटते ही पहला लट्ठा अपनी पुरानी स्थिति में आ गया। लेकिन तब तक दूसरा लट्ठा हवा में उठने लगा।

क्रिस्टी एक बार फिर उछली। अब उसने अपना बांया पैर फिर से पहले लट्ठे पर रख, दूसरे लट्ठे से पैर हटा लिया।

इस तरह से क्रिस्टी हर बार अपना एक पैर एक लट्ठे पर रखती और जैसे ही वह उठता उछलकर दूसरा पैर दूसरे लट्ठे पर रख देती। क्रिस्टी ऐसे ही उछल-उछल कर आगे बढ़ती जा रही थी।

ऐलेक्स आँखें फाड़े उस ‘जिमनास्टिक गर्ल’ को देख रहा था।
कुछ ही पलों में क्रिस्टी ने आसानी से उस नहर को पार कर लिया।

अब वह दूसरी ओर पहुंचकर ऐलेक्स को देखकर चिल्ला कर बोली- “अपना वादा याद रखना छोता बाबू।”

क्रिस्टी का यह अभूतपूर्व प्रदर्शन देख सभी ताली बजाने लगे। इन तालियों में एक ताली ऐलेक्स की भी थी।

अब ऐलेक्स के चेहरे पर मुस्कुराहट भी थी और क्रिस्टी के लिये प्यार भी था।

“आज क्रिस्टी ने यह साबित कर दिया कि शक्तियां होने से कुछ नहीं होता, दिमाग और शारीरिक शक्तियां ही बहुत हैं तिलिस्मा को तोड़ने के लिये।” सुयश ने क्रिस्टी की तारीफ करते हुए कहा।

“वो तो ठीक है कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने कहा- “पर अब हम लोग कैसे उस पार जायेंगे? अब ये सोचना है।”

“देखो क्रिस्टी की तरह फूर्ति हममें से किसी के भी पास नहीं है, इसलिये हमें कोई दूसरा तरीका सोचना पड़ेगा।” सुयश ने कहा- “यहां ना तो आसपास कोई बाँस का पेड़ है और ना ही किसी प्रकार की रस्सी।
इसलिये हम कूदकर और हवा में झूलकर नहीं जा सकते। अब अगर क्रिस्टी दूसरी ओर से लकड़ी के लट्ठे को किसी चीज से दबाकर रखे और उसे उस ओर से उठने ना दे, तो शायद काम बन सकता है।”

सुयश की बात सुन क्रिस्टी ने अपने चारो ओर नजरें दौड़ाईं, पर उसे लट्ठे पर रखने के लिये कुछ ना मिला। यह देख क्रिस्टी ने उस लट्ठे को अपने हाथों से दबा कर देखा।

क्रिस्टी को लट्ठे को दबाते देख सुयश ने फिर एक बार अपना पैर लट्ठे पर रखकर देखा, पर क्रिस्टी की शक्ति, लट्ठे के आगे कुछ नहीं थी।

लट्ठा क्रिस्टी सहित हवा में ऊपर की ओर उठा। यह देख क्रिस्टी ने लट्ठे से अपना हाथ हटा लिया।

“कैप्टेन... इसे किसी भी चीज से दबाकर नहीं रखा जा सकता, यह बहुत ज्यादा शक्ति लगा कर ऊपर उठ रहा है।“ क्रिस्टी ने कहा।

“कैप्टेन... क्यों ना अब हम पानी के रास्ते ही उधर जाने के बारे में सोचें?” तौफीक ने सुयश को सुझाव देते हुए कहा।

तौफीक का आइडिया सुयश को सही लगा, उसने हां में सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति दे दी।

अब तौफीक एक कम ढलान वाली जगह से उतरकर पानी की ओर बढ़ गया।

तौफीक ने एक बार सबको देखा और फिर अपना बांया पैर पानी में डाल दिया।

तौफीक के पैर डालते ही पानी तौफीक के शरीर से 3 फुट दूर हो गया।

“अरे, यह पानी तो अपने आप मेरे शरीर से दूर जा रहा है। इस तरह तो आसानी से यह नहर पार हो जायेगी” यह कह तौफीक ने अपना दूसरा कदम भी आगे बढ़ा दिया।

पानी अभी भी तौफीक के शरीर से 3 फुट की दूरी पर था। तौफीक ने यह देख उत्साह से 2 और कदम आगे बढ़ दिये।

पर जैसे ही तौफीक की दूरी किनारे से 3 फुट से ज्यादा हुई, पानी ने किनारे की ओर को फिर कवर कर लिया। अब तौफीक से पानी एक 3 फुट के दायरे में दूर था।

तभी चलता हुआ तौफीक रुक गया। अब उसके इस 3 फुट के दायरे में, पानी ऊपर की ओर उठने लगा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, तौफीक एक 3 फुट के जलकवच में बंद हो गया।

वह जलकवच पारदर्शी था, उसके पार की आवाजें भी तौफीक को सुनाई दे रहीं थीं, पर तौफीक अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी उस जलकवच से बाहर नहीं आ पा रहा था।

“तौफीक!” क्रिस्टी ने चीखकर कहा- “क्या तुम उस जलकवच के अंदर साँस ले पा रहे हो?”

क्रिस्टी की बात सुन तौफीक ने अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को ऊपर उठाकर हां में इशारा किया।

“यह मायाजाल तो कुछ ज्यादा ही खतरनाक दिख रहा है।” सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “अब ये भी पता चल गया कि हम पानी और हवा के माध्यम से आगे नहीं जा सकते। हमें इस लकड़ी के लट्ठे से ही होकर आगे जाना पड़ेगा।

“कैप्टेन!” जेनिथ ने कहा- “अभी तक हम लोगों ने इस लट्ठे पर अपना एक पैर रखा था, अगर हम एक ही लट्ठे पर अपने दोनों पैर रखें, तो क्या होगा?”

“यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा और उछलकर एक लट्ठे
पर अपने दोनों पैर रख दिये।

इस बार लट्ठे के दोनों किनारे तेजी से हवा में उठे और इससे पहले कि सुयश कुछ समझता, वह आसमान में ऊपर की ओर जाने लगे।

यह देख सुयश उस लट्ठे से पानी में कूद गया। सुयश तौफीक से 5 फुट की दूरी पर पानी में गिरा।

चूंकि नहर ज्यादा गहरी नहीं थी, इसलिये सुयश का पूरा शरीर दर्द से लहरा उठा, ईश्वर की दया से उसे कोई फ्रैक्चर नहीं हुआ।

सुयश के 5 फुट दूर गिरते ही तौफीक और सुयश दोनों एक ही जलकवच में आ गये, पर यह जलकवच अब 11 फुट बड़ा हो गया था।

यह देख जैसे ही तौफीक, सुयश की ओर बढ़ा, जलकवच का आकार, उन दोनों के पास आते ही छोटा होने लगा।

यह देख सुयश सोच में पड़ गया और उसने तौफीक से दोबारा दूर जाने को कहा।

तौफीक के देर जाते ही फिर जलकवच का दायरा बड़ा हो गया।

उधर जेनिथ उस नहर को पार ना कर पाते देख क्रिस्टी से बोल उठी-
“क्रिस्टी हम इस नहर को पार नहीं कर पा रहे हैं, इसलिये तुम भी अब इसी ओर आ जाओ, हम सब एक साथ बैठकर कुछ सोचते हैं।”

क्रिस्टी को जेनिथ की बात सही लगी, इसलिये वह वापसी के लिये दोबारा से उस लट्ठे की ओर चल दी।

पर जैसे ही क्रिस्टी उन लट्ठों के पास पहुंची, दोनों लट्ठों के बीच एक सुराख हो गया और उसमें से एक गाढ़े भूरे रंग का चिकना द्रव निकलकर पूरे लट्ठे पर फैल गया।

यानि अब क्रिस्टी भी वापस नहीं आ सकती थी। अगर वह इन लट्ठों से होकर वापस आने की कोशिश करती, तो इस बार वह भी फिसलकर नहर में गिर जाती।

यह देख शैफाली ढलान से उतरकर नहर के पानी के पास आ गयी। उसने अपनी शक्ति से अपना बुलबुले वाला कवच बनाया और पानी में उतरकर सुयश की ओर बढ़ गयी।

शैफाली को पूरा विश्वास था कि उसके बुलबुले पर नहर के जलकवच का कोई प्रभाव नहीं होगा, पर उसका सोचना गलत था।

जैसे ही उसकी दूरी नहर के किनारे से 3 फुट हुई, उसके बुलबुले को भी जलकवच ने पूरा घेर लिया।

अब शैफाली भी आगे नहीं बढ़ पा रही थी। यह देख शैफाली ने अपना बुलबुला गायब कर दिया।

अब इस किनारे पर सिर्फ जेनिथ और ऐलेक्स बचे थे। यह देख जेनिथ ने नक्षत्रा को पुकारा- “नक्षत्रा, क्या तुम्हारे पास इस जलकवच से बचने का कोई उपाय है?”

“मैं सिर्फ समय रोक सकता हूं, जिससे नहर का पानी का बहाव तो रुक जायेगा, परंतु मैं विश्वास के साथ नहीं कह सकता कि मैं जलकवच को बनने से रोक पाऊंगा।” नक्षत्रा ने कहा।

यह सुन जेनिथ ने कुछ सोचा और फिर बोल उठी- “कोई बात नहीं ...हम एक कोशिश तो करके देख ही सकते हैं...हो सकता है नहर के जल का प्रवाह रुकने से वह कवच बने ही नहीं?”

जेनिथ ने यह सोचकर ऐलेक्स को वहीं रुकने को कहा और स्वयं नहर के पानी की ओर बढ़ चली।
जेनिथ ने पानी के पास पहुंचते ही नक्षत्रा से कहकर समय को रुकवा दिया और स्वयं पानी में उतर गई।

जेनिथ के ऐसा करते ही पानी का प्रवाह तो रुक गया, पर जैसे ही उसने पानी में कदम रखा, पानी उससे भी 3 फुट दूर हटा।

जेनिथ इसके बाद भी आगे बढ़ती गई और कुछ ही पलों में वह भी जलकवच में फंस गई थी।

जलकवच पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।

अब सिर्फ ऐलेक्स और क्रिस्टी ही पानी से बाहर थे। जेनिथ ने स्वयं को भी फंसते देख समय को रिलीज कर दिया।

शैफाली बहुत देर से सभी की गतिविधियां देख रही थी, उसका दिमाग बहुत तेजी से चल रहा था।
अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया और वह अपने मन में ही कोई कैलकुलेशन करने लगी।

कैलकुलेशन के सॉल्यूशन पर पहुंचते ही उसके चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।

“सब लोग मेरी बात ध्यान से सुनो, मैंने इस नहर से बचने का एक उपाय निकाल लिया है।” शैफाली ने तेज आवाज में कहा।

शैफाली की आवाज सुन सभी ध्यान से शैफाली की ओर देखने लगे।

“जिंदगी में कभी-कभी हम किसी पहेली को बहुत बड़ा मान लेते हैं, और उसका जवाब ढूंढने के लिये बहुत ज्यादा दिमाग का इस्तेमाल करते हैं, जबकि उस पहेली का जवाब बहुत ही साधारण होता है। अब सब लोग जरा इस नहर को देखिये, इसमें जो भी प्रवेश करता है, नहर का पानी उससे 3 फुट दूर चला जाता है, पर जैसे ही उसकी दूरी किनारे से 3 फुट से ज्यादा हो जाती है, तो पानी एक जलकवच बना कर उसे अपने घेरे में ले लेता है। यानि अगर हम पानी को किनारे से दूर होने ही ना दें, तो हम आसानी से इस नहर को पार कर सकते हैं और ऐसा तभी हो सकता है, जब सभी लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लें और आखिरी इंसान की दूरी किनारे से बस 2 फुट की ही हो, तो हम सभी को जलकवच नहीं घेर पायेगा।

"इस हिसाब से देखें तो हम कुल 6 लोग हैं, यानि की अगर हम अपने एक दूसरे के हाथ पकड़ें तो 2 लोगों के बीच 6 फुट की दूरी हो जायेगी। और किनारे की दूरियां मिला कर कुल दूरी 34 फुट की हो जायेगी।
इस तरह से हम यह नहर आसानी से पार कर लेंगे। “

शैफाली का प्लान बहुत अच्छा था। तुरंत सबने उसके हिसाब से काम करना शुरु कर दिया।

ऐलेक्स सबसे पहले नहर में उतरा और किनारे से 2 फुट की दूरी रखकर जेनिथ की ओर अपने पैर बढ़ाये। जैसे ही वह जेनिथ के पास पहुंचा, जेनिथ का जलकवच गायब हो गया।

अब जेनिथ ने हाथ आगे बढ़ाकर शैफाली का हाथ थाम लिया। अब शैफाली का भी जलकवच गायब हो गया। इसी प्रकार शैफाली ने सुयश का और सुयश ने तौफीक का हाथ थाम लिया।

अब तौफीक का हाथ नहर के दूसरी ओर से मात्र 4 फुट दूर ही बचा था, पर क्रिस्टी ने दूसरी ओर से पानी में उतरकर वह दूरी भी खत्म कर दी।

अब सभी ने एकता की शक्ति दिखाकर एक मानव पुल का निर्माण कर दिया था।

अब क्रिस्टी सबसे पहले नहर से निकली और फिर एक दूसरे का हाथ थामें सभी नहर के दूसरी ओर पहुंच गये।

नहर पार करने के बाद सभी ने राहत की साँस ली।

“इस जलकवच के तिलिस्म ने हमें यह समझा दिया कि महाशक्तियां भी जहां पर फेल हो जातीं हैं, उस समय मानव मस्तिष्क के द्वारा ही जीता जा सकता है।” सुयश ने कहा- “और यह अभ्यास ये भी बताता है कि बिना एक दूसरे का साथ दिये हम तिलिस्मा नहीं पार कर पायेंगे।”

यह कहकर सुयश ने अपना हाथ फैलाकर अपनी मुठ्ठी को आगे बढ़ाया, जिस पर एक-एक करके सभी अपना हाथ रखते चले गये।

एकता की शक्ति ने आज सभी को बचा लिया था।

अब सभी की नजर उस सुनहरी झोपड़ी की ओर थी, जो कि शायद इस मायावन का आखिरी द्वार था, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होना था।

सभी झोपड़ी की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा_______✍️
Bhut hi badhiya update Bhai
Sabhi ne ekta dikhakar is pull ko par kar liya or is samsya ko par kar aage bad gaye
Dhekte hai ab us sunhari jhopdi me kya milta hai
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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Bhut hi badhiya update Bhai
Sabhi ne ekta dikhakar is pull ko par kar liya or is samsya ko par kar aage bad gaye
Dhekte hai ab us sunhari jhopdi me kya milta hai
Jaisa ki maine pahle bhi bataya tha, wo sunahri Jhopdi tilisma ke pahle dwaar tak pahuchne ka raasta hai mitra, maine iska hints diya tha pahle ek update me☺️ Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 

ak143

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#141.

जलकवच:
(15 जनवरी 2002, मंगलवार, 10:30, मायावन, अराका द्वीप)

सुबह सभी थोड़ा देर से उठे थे। रात को सभी को नींद भी बहुत अच्छी आयी थी।

क्रिस्टी तो देर रात काफी देर तक ऐलेक्स से बात ही करती रही थी, शायद वह बीच के दिनों की पूरी कसर निकाल रही थी।

सभी खा-पीकर तैयार हो गये थे। सुयश का इशारा पाते ही सभी आगे की ओर बढ़ गये।

सामने एक छोटा सा पहाड़ था, जिसे पार करने में इन लोगों को ज्यादा समय नहीं लगा।

अब इन्हें पोसाईडन पर्वत बिल्कुल सामने दिख रहा था, पर पोसाईडन पर्वत और इन लोगों के बीच एक 30 फुट चौड़ी नहर का फासला था।

“कैप्टेन अंकल, इस नहर पर कहीं भी पुल बना नहीं दिख रहा, हम लोग उधर जायेंगे कैसे?” शैफाली ने सुयश से पूछा- “क्या पानी के अंदर उतरना सही रहेगा?”

“हमारा आज तक का इस जंगल का अनुभव बताता है, कि हर पानी में कोई ना कोई परेशानी मौजूद थी, तो पहले हम पानी में उतरने के बारे में नहीं सोचते। हम इस नहर के किनारे-किनारे आगे की ओर बढ़ेंगे।

"हो सकता है कि आगे कहीं इस नहर पर पुल बना हो? क्यों कि जो लोग पोसाईडन पर्वत के उस तरफ रह रहें होगे, वह भी किसी ना किसी प्रकार से उस पार तो जाते ही होंगे। और सबसे बड़ी बात कि जरा पोसाईडन की मूर्ति को ध्यान से देखो, वो हमारे ठीक सामने नहीं है, तो हो सकता है कि मूर्ति के ठीक सामने कोई ना कोई पुल हो?”

सुयश की बात सभी को सही लगी, इसलिये वह नहर के किनारे-किनारे आगे बढ़ने लगे।

लगभग आधा घंटा चलने के बाद उन्हें नहर के ऊपर रखे लकड़ी के 2 मोटे लट्ठे दिखाई दिये।

“लो मिल गया रास्ता।” क्रिस्टी ने उन लट्ठों की ओर देखते हुए कहा- “और कैप्टेन ने सही कहा था, यह रास्ता बिल्कुल पोसाईडन की मूर्ति के सामने है।”

तभी तौफीक की नजर नहर के दूसरी ओर बनी एक सुनहरी झोपड़ी पर पड़ी।

“कैप्टेन नहर के उस पार वह सुनहरी झोपड़ी कैसी है?” तौफीक ने सुयश को झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा।

सभी आश्चर्य से उस विचित्र झोपड़ी को देखने लगे।

“कुछ कह नहीं सकते? हो सकता है कि उसमें कैस्पर ही रहता हो और वहीं से तिलिस्मा का नियंत्रण करता हो?” सुयश ने कहा।

“हैलो...मेरा कैस्पर झोपड़ी में नहीं रहता।” शैफाली ने चिढ़ते हुए कहा।

“अरे वाह! मेरा कैस्पर....।” क्रिस्टी ने हंसकर शैफाली का मजाक उड़ाया- “लगता है अब शैफाली पूरी मैग्ना बनने वाली है?”

शैफाली ने नाक सिकोड़कर क्रिस्टी को चिढ़ाया और सुयश की ओर देखने लगी।

“हमें पहले उस पार चलना चाहिये। उस पार पहुंचने के बाद ही पता चलेगा, कि उस झोपड़ी का क्या रहस्य है?”

“अब तो हममें से कई लोगों के पास शक्तियां हैं, इस नहर को तो हम आसानी से पार कर लेंगे।” ऐलेक्स ने कहा।

“अच्छा जी! तो चलो पहले तुम ही पार करके दिखाओ, जरा हम भी तो देखें, तुम्हारी वशीन्द्रिय शक्तियां किस प्रकार काम करती हैं?” क्रिस्टी ने ऐलेक्स का मजाक उड़ाते हुए कहा।

वैसे क्रिस्टी को अपने अनुभव के आधार पर पता था, कि इस नहर में भी कोई मायाजाल छिपा होगा।

ऐलेक्स ने क्रिस्टी के चैलेंज को स्वीकार कर लिया और एक लकड़ी के लट्ठे पर अपना बांया पैर रखा।

ऐलेक्स के लट्ठे पर पैर रखते ही, लट्ठे का दूसरा सिरा हवा में उठना शुरु हो गया।

यह देख ऐलेक्स ने अपना पैर लट्ठे से हटा लिया। ऐलेक्स के पैर हटाते लट्ठा अपने यथा स्थान आ गया।

यह देख क्रिस्टी ने मुस्कुराते हुए बच्चों की तरह तुतला कर ऐलेक्स का मजाक उड़ाया- “क्या हुआ छोते बच्चे...तुम्हारी छक्तियां काम नहीं कल लहीं क्या?”

ऐलेक्स ने घूरकर क्रिस्टी को देखा और फिर प्यार से क्रिस्टी की चोटी खींच ली।

इस बार ऐलेक्स ने दूसरे लट्ठे पर अपना पैर रखा। उस लट्ठे पर भी वही क्रिया हुई, जो कि पहले लट्ठे पर हुई थी।

“लगता है ये भी किसी प्रकार का मायाजाल है?” जेनिथ ने कहा।

“छोता बाबू औल कोछिछ कलेगा?” क्रिस्टी ने फिर ऐलेक्स को चिढ़ाया।

ऐलेक्स ने इस बार क्रिस्टी पर ध्यान नहीं दिया। इस बार ऐलेक्स ने अपनी त्वचा को लचीला आकार दिया और दौड़कर नहर के पास आकर दूसरी ओर कूदने की कोशिश की।

पर इस कोशिश में ऐलेक्स का शरीर किसी अदृश्य दीवार से टकराया और वह जमीन पर गिर पड़ा। उसे बहुत तेज चोट लगी थी।

अगर वशीन्द्रिय शक्ति ने समय पर ऐलेक्स का शरीर वज्र का नहीं बनाया होता, तो ऐलेक्स की कुछ हड्डियां तो जरुर टूट जानीं थीं।

“लगता है छोता बाबू...तूत-फूत गया।” क्रिस्टी अभी भी ऐलेक्स से मजा ले रही थी।

“ठीक है मैं हार गया...मेरी शक्ति भी काम नहीं कर रही। चलो अब तुम ही पार करके दिखा दो इसे। अगर तुमने इसे पार कर दिया तो तुम जो मांगोगी, मैं तुम्हें दूंगा।” ऐलेक्स ने क्रिस्टी को चैलेंज देते हुए कहा।

“ठीक है...पर अपना वादा भूलना नहीं ऐलेक्स।” क्रिस्टी यह कहकर उस लट्ठे के पास आ गयी।

उसने एक बार लट्ठे को हिलाकर उसकी मजबूती का जायजा लिया और फिर उछलकर क्रिस्टी ने अपना बांया पैर एक लट्ठे पर रखा।

क्रिस्टी के पैर रखते ही हर बार की तरह, उस लट्ठे का दूसरा सिरा तेजी से हवा में उठा। तभी क्रस्टी फिर हवा में उछली और इस बार उसने अपना दाहिना पैर दूसरे लट्ठे पर रखकर, अपना पहला पैर पहले लट्ठे से हटा लिया।


क्रिस्टी का पैर पहले लट्ठे से हटते ही पहला लट्ठा अपनी पुरानी स्थिति में आ गया। लेकिन तब तक दूसरा लट्ठा हवा में उठने लगा।

क्रिस्टी एक बार फिर उछली। अब उसने अपना बांया पैर फिर से पहले लट्ठे पर रख, दूसरे लट्ठे से पैर हटा लिया।

इस तरह से क्रिस्टी हर बार अपना एक पैर एक लट्ठे पर रखती और जैसे ही वह उठता उछलकर दूसरा पैर दूसरे लट्ठे पर रख देती। क्रिस्टी ऐसे ही उछल-उछल कर आगे बढ़ती जा रही थी।

ऐलेक्स आँखें फाड़े उस ‘जिमनास्टिक गर्ल’ को देख रहा था।
कुछ ही पलों में क्रिस्टी ने आसानी से उस नहर को पार कर लिया।

अब वह दूसरी ओर पहुंचकर ऐलेक्स को देखकर चिल्ला कर बोली- “अपना वादा याद रखना छोता बाबू।”

क्रिस्टी का यह अभूतपूर्व प्रदर्शन देख सभी ताली बजाने लगे। इन तालियों में एक ताली ऐलेक्स की भी थी।

अब ऐलेक्स के चेहरे पर मुस्कुराहट भी थी और क्रिस्टी के लिये प्यार भी था।

“आज क्रिस्टी ने यह साबित कर दिया कि शक्तियां होने से कुछ नहीं होता, दिमाग और शारीरिक शक्तियां ही बहुत हैं तिलिस्मा को तोड़ने के लिये।” सुयश ने क्रिस्टी की तारीफ करते हुए कहा।

“वो तो ठीक है कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने कहा- “पर अब हम लोग कैसे उस पार जायेंगे? अब ये सोचना है।”

“देखो क्रिस्टी की तरह फूर्ति हममें से किसी के भी पास नहीं है, इसलिये हमें कोई दूसरा तरीका सोचना पड़ेगा।” सुयश ने कहा- “यहां ना तो आसपास कोई बाँस का पेड़ है और ना ही किसी प्रकार की रस्सी।
इसलिये हम कूदकर और हवा में झूलकर नहीं जा सकते। अब अगर क्रिस्टी दूसरी ओर से लकड़ी के लट्ठे को किसी चीज से दबाकर रखे और उसे उस ओर से उठने ना दे, तो शायद काम बन सकता है।”

सुयश की बात सुन क्रिस्टी ने अपने चारो ओर नजरें दौड़ाईं, पर उसे लट्ठे पर रखने के लिये कुछ ना मिला। यह देख क्रिस्टी ने उस लट्ठे को अपने हाथों से दबा कर देखा।

क्रिस्टी को लट्ठे को दबाते देख सुयश ने फिर एक बार अपना पैर लट्ठे पर रखकर देखा, पर क्रिस्टी की शक्ति, लट्ठे के आगे कुछ नहीं थी।

लट्ठा क्रिस्टी सहित हवा में ऊपर की ओर उठा। यह देख क्रिस्टी ने लट्ठे से अपना हाथ हटा लिया।

“कैप्टेन... इसे किसी भी चीज से दबाकर नहीं रखा जा सकता, यह बहुत ज्यादा शक्ति लगा कर ऊपर उठ रहा है।“ क्रिस्टी ने कहा।

“कैप्टेन... क्यों ना अब हम पानी के रास्ते ही उधर जाने के बारे में सोचें?” तौफीक ने सुयश को सुझाव देते हुए कहा।

तौफीक का आइडिया सुयश को सही लगा, उसने हां में सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति दे दी।

अब तौफीक एक कम ढलान वाली जगह से उतरकर पानी की ओर बढ़ गया।

तौफीक ने एक बार सबको देखा और फिर अपना बांया पैर पानी में डाल दिया।

तौफीक के पैर डालते ही पानी तौफीक के शरीर से 3 फुट दूर हो गया।

“अरे, यह पानी तो अपने आप मेरे शरीर से दूर जा रहा है। इस तरह तो आसानी से यह नहर पार हो जायेगी” यह कह तौफीक ने अपना दूसरा कदम भी आगे बढ़ा दिया।

पानी अभी भी तौफीक के शरीर से 3 फुट की दूरी पर था। तौफीक ने यह देख उत्साह से 2 और कदम आगे बढ़ दिये।

पर जैसे ही तौफीक की दूरी किनारे से 3 फुट से ज्यादा हुई, पानी ने किनारे की ओर को फिर कवर कर लिया। अब तौफीक से पानी एक 3 फुट के दायरे में दूर था।

तभी चलता हुआ तौफीक रुक गया। अब उसके इस 3 फुट के दायरे में, पानी ऊपर की ओर उठने लगा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, तौफीक एक 3 फुट के जलकवच में बंद हो गया।

वह जलकवच पारदर्शी था, उसके पार की आवाजें भी तौफीक को सुनाई दे रहीं थीं, पर तौफीक अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी उस जलकवच से बाहर नहीं आ पा रहा था।

“तौफीक!” क्रिस्टी ने चीखकर कहा- “क्या तुम उस जलकवच के अंदर साँस ले पा रहे हो?”

क्रिस्टी की बात सुन तौफीक ने अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को ऊपर उठाकर हां में इशारा किया।

“यह मायाजाल तो कुछ ज्यादा ही खतरनाक दिख रहा है।” सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “अब ये भी पता चल गया कि हम पानी और हवा के माध्यम से आगे नहीं जा सकते। हमें इस लकड़ी के लट्ठे से ही होकर आगे जाना पड़ेगा।

“कैप्टेन!” जेनिथ ने कहा- “अभी तक हम लोगों ने इस लट्ठे पर अपना एक पैर रखा था, अगर हम एक ही लट्ठे पर अपने दोनों पैर रखें, तो क्या होगा?”

“यह भी करके देख लेते हैं।” सुयश ने कहा और उछलकर एक लट्ठे
पर अपने दोनों पैर रख दिये।

इस बार लट्ठे के दोनों किनारे तेजी से हवा में उठे और इससे पहले कि सुयश कुछ समझता, वह आसमान में ऊपर की ओर जाने लगे।

यह देख सुयश उस लट्ठे से पानी में कूद गया। सुयश तौफीक से 5 फुट की दूरी पर पानी में गिरा।

चूंकि नहर ज्यादा गहरी नहीं थी, इसलिये सुयश का पूरा शरीर दर्द से लहरा उठा, ईश्वर की दया से उसे कोई फ्रैक्चर नहीं हुआ।

सुयश के 5 फुट दूर गिरते ही तौफीक और सुयश दोनों एक ही जलकवच में आ गये, पर यह जलकवच अब 11 फुट बड़ा हो गया था।

यह देख जैसे ही तौफीक, सुयश की ओर बढ़ा, जलकवच का आकार, उन दोनों के पास आते ही छोटा होने लगा।

यह देख सुयश सोच में पड़ गया और उसने तौफीक से दोबारा दूर जाने को कहा।

तौफीक के देर जाते ही फिर जलकवच का दायरा बड़ा हो गया।

उधर जेनिथ उस नहर को पार ना कर पाते देख क्रिस्टी से बोल उठी-
“क्रिस्टी हम इस नहर को पार नहीं कर पा रहे हैं, इसलिये तुम भी अब इसी ओर आ जाओ, हम सब एक साथ बैठकर कुछ सोचते हैं।”

क्रिस्टी को जेनिथ की बात सही लगी, इसलिये वह वापसी के लिये दोबारा से उस लट्ठे की ओर चल दी।

पर जैसे ही क्रिस्टी उन लट्ठों के पास पहुंची, दोनों लट्ठों के बीच एक सुराख हो गया और उसमें से एक गाढ़े भूरे रंग का चिकना द्रव निकलकर पूरे लट्ठे पर फैल गया।

यानि अब क्रिस्टी भी वापस नहीं आ सकती थी। अगर वह इन लट्ठों से होकर वापस आने की कोशिश करती, तो इस बार वह भी फिसलकर नहर में गिर जाती।

यह देख शैफाली ढलान से उतरकर नहर के पानी के पास आ गयी। उसने अपनी शक्ति से अपना बुलबुले वाला कवच बनाया और पानी में उतरकर सुयश की ओर बढ़ गयी।

शैफाली को पूरा विश्वास था कि उसके बुलबुले पर नहर के जलकवच का कोई प्रभाव नहीं होगा, पर उसका सोचना गलत था।

जैसे ही उसकी दूरी नहर के किनारे से 3 फुट हुई, उसके बुलबुले को भी जलकवच ने पूरा घेर लिया।

अब शैफाली भी आगे नहीं बढ़ पा रही थी। यह देख शैफाली ने अपना बुलबुला गायब कर दिया।

अब इस किनारे पर सिर्फ जेनिथ और ऐलेक्स बचे थे। यह देख जेनिथ ने नक्षत्रा को पुकारा- “नक्षत्रा, क्या तुम्हारे पास इस जलकवच से बचने का कोई उपाय है?”

“मैं सिर्फ समय रोक सकता हूं, जिससे नहर का पानी का बहाव तो रुक जायेगा, परंतु मैं विश्वास के साथ नहीं कह सकता कि मैं जलकवच को बनने से रोक पाऊंगा।” नक्षत्रा ने कहा।

यह सुन जेनिथ ने कुछ सोचा और फिर बोल उठी- “कोई बात नहीं ...हम एक कोशिश तो करके देख ही सकते हैं...हो सकता है नहर के जल का प्रवाह रुकने से वह कवच बने ही नहीं?”

जेनिथ ने यह सोचकर ऐलेक्स को वहीं रुकने को कहा और स्वयं नहर के पानी की ओर बढ़ चली।
जेनिथ ने पानी के पास पहुंचते ही नक्षत्रा से कहकर समय को रुकवा दिया और स्वयं पानी में उतर गई।

जेनिथ के ऐसा करते ही पानी का प्रवाह तो रुक गया, पर जैसे ही उसने पानी में कदम रखा, पानी उससे भी 3 फुट दूर हटा।

जेनिथ इसके बाद भी आगे बढ़ती गई और कुछ ही पलों में वह भी जलकवच में फंस गई थी।

जलकवच पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था।

अब सिर्फ ऐलेक्स और क्रिस्टी ही पानी से बाहर थे। जेनिथ ने स्वयं को भी फंसते देख समय को रिलीज कर दिया।

शैफाली बहुत देर से सभी की गतिविधियां देख रही थी, उसका दिमाग बहुत तेजी से चल रहा था।
अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया और वह अपने मन में ही कोई कैलकुलेशन करने लगी।

कैलकुलेशन के सॉल्यूशन पर पहुंचते ही उसके चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।

“सब लोग मेरी बात ध्यान से सुनो, मैंने इस नहर से बचने का एक उपाय निकाल लिया है।” शैफाली ने तेज आवाज में कहा।

शैफाली की आवाज सुन सभी ध्यान से शैफाली की ओर देखने लगे।

“जिंदगी में कभी-कभी हम किसी पहेली को बहुत बड़ा मान लेते हैं, और उसका जवाब ढूंढने के लिये बहुत ज्यादा दिमाग का इस्तेमाल करते हैं, जबकि उस पहेली का जवाब बहुत ही साधारण होता है। अब सब लोग जरा इस नहर को देखिये, इसमें जो भी प्रवेश करता है, नहर का पानी उससे 3 फुट दूर चला जाता है, पर जैसे ही उसकी दूरी किनारे से 3 फुट से ज्यादा हो जाती है, तो पानी एक जलकवच बना कर उसे अपने घेरे में ले लेता है। यानि अगर हम पानी को किनारे से दूर होने ही ना दें, तो हम आसानी से इस नहर को पार कर सकते हैं और ऐसा तभी हो सकता है, जब सभी लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ लें और आखिरी इंसान की दूरी किनारे से बस 2 फुट की ही हो, तो हम सभी को जलकवच नहीं घेर पायेगा।

"इस हिसाब से देखें तो हम कुल 6 लोग हैं, यानि की अगर हम अपने एक दूसरे के हाथ पकड़ें तो 2 लोगों के बीच 6 फुट की दूरी हो जायेगी। और किनारे की दूरियां मिला कर कुल दूरी 34 फुट की हो जायेगी।
इस तरह से हम यह नहर आसानी से पार कर लेंगे। “

शैफाली का प्लान बहुत अच्छा था। तुरंत सबने उसके हिसाब से काम करना शुरु कर दिया।

ऐलेक्स सबसे पहले नहर में उतरा और किनारे से 2 फुट की दूरी रखकर जेनिथ की ओर अपने पैर बढ़ाये। जैसे ही वह जेनिथ के पास पहुंचा, जेनिथ का जलकवच गायब हो गया।

अब जेनिथ ने हाथ आगे बढ़ाकर शैफाली का हाथ थाम लिया। अब शैफाली का भी जलकवच गायब हो गया। इसी प्रकार शैफाली ने सुयश का और सुयश ने तौफीक का हाथ थाम लिया।

अब तौफीक का हाथ नहर के दूसरी ओर से मात्र 4 फुट दूर ही बचा था, पर क्रिस्टी ने दूसरी ओर से पानी में उतरकर वह दूरी भी खत्म कर दी।

अब सभी ने एकता की शक्ति दिखाकर एक मानव पुल का निर्माण कर दिया था।

अब क्रिस्टी सबसे पहले नहर से निकली और फिर एक दूसरे का हाथ थामें सभी नहर के दूसरी ओर पहुंच गये।

नहर पार करने के बाद सभी ने राहत की साँस ली।

“इस जलकवच के तिलिस्म ने हमें यह समझा दिया कि महाशक्तियां भी जहां पर फेल हो जातीं हैं, उस समय मानव मस्तिष्क के द्वारा ही जीता जा सकता है।” सुयश ने कहा- “और यह अभ्यास ये भी बताता है कि बिना एक दूसरे का साथ दिये हम तिलिस्मा नहीं पार कर पायेंगे।”

यह कहकर सुयश ने अपना हाथ फैलाकर अपनी मुठ्ठी को आगे बढ़ाया, जिस पर एक-एक करके सभी अपना हाथ रखते चले गये।

एकता की शक्ति ने आज सभी को बचा लिया था।

अब सभी की नजर उस सुनहरी झोपड़ी की ओर थी, जो कि शायद इस मायावन का आखिरी द्वार था, इसके बाद तिलिस्मा शुरु होना था।

सभी झोपड़ी की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा_______✍️
Nice update❤👌
 
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