(मैं अपने विचार कहानी को पढ़ते हुए लिखता हूँ - इसलिए शायद अजीब से लगें मेरे कमैंट्स)
#147
बड़ी ही सुन्दर कहानी लिखी है आपने बाल हनुका की!
पवन-पुत्र का आशीर्वाद, जिसने माया की शादी के दिन ही गणेश भगवान का दिया हुआ श्राप समाप्त कर दिया।
संकट मोचन इसीलिए कहते हैं हनुमान भगवान को।
#148
वैसे तो आपने हमारी सुविधा के लिए तिलिस्मा का ब्योरा सामने रख दिया, लेकिन रोमांच और प्रत्याशा की दृष्टि से यह बता देना थोड़ा जल्दी हो गया।
वैसे आपकी लेखनी ऐसी है कि यह दोनों बातें बनी रहेंगी - यह हमको पता है।
इस बीच जैंगो और तमराज इत्यादि की बात नहीं उठी। जो कि थोड़ा अखर रही है। ख़ैर…
द्रव्य नहीं - द्रव। पहले भी बता चुका हूँ! हा हा हा!
ये केश्वर वो AI है, जो sentient हो गया है। हा हा हा हा!

इसकी तो मईया करनी ही पड़ेगी।
जैसे AI प्रदत्त data से सीखता है, वैसे ही केश्वर ने सुयश और उसके दल बल की काबिलियत का सही आँकलन कर लिया है।
मतलब अब उनको हर बार कुछ न कुछ नया करना पड़ेगा - क्योंकि केश्वर के पास उनके हर दाँव का काट होगा।
भौतिकी से सम्बंधित प्रश्न : समय को उसके सातवें भाग के बराबर गति सीमित करने के लिए हमको प्रकाश के 98.97 प्रतिशत गति पर चलना पड़ता है।
ये इस टापू पर कैसे संभव हो रहा है?
जो मैं जानता हूँ, उसके हिसाब से नीलकमल की यह पहेली Josephus problem के समान है।
#149
लेकिन इस पहेली को उस तरीके से नहीं तोड़ा गया।
कोई बात नहीं - हर बार हमारी सोच सही हो, यह आवश्यक नहीं।
हम्म्म… तो उस पानी जैसे द्रव में सभी को अपने worst nightmares या guilts दिखाई देते हैं।
ये केश्वर तो बेहद बदमाश है - bad AI!
भ्रम का काट विश्वास होता है -- क्या बात है! वाह! साधु!

“
गलत कहा, मैं कमाल का नहीं, क्रिस्टी का हूं।” ऐलेक्स ने मासूमियत से जवाब दिया। ---- हा हा हा हा हा!




#150
एंड्रोवर्स या एंड्रोमेडा?
फिर से गलत बात -- फिर से कई और पात्र जोड़े जा रहे हैं कहानी में। बड़ी मुश्किल से तो कुछ नाम याद थे, अब ये और!
ऐसे में कोई ढंग का रिव्यू लिखे भी तो कैसे?
ख़ैर -- ये ओरस अपना नक्षत्रा ही है। काम की यही बात है।
“उस हरे ग्रह पर किस प्रकार के खतरे हैं” -- चिंता न करो एलान्का भाई। इस हरे या नीले ग्रह पर चूतियों का ही खतरा है।
लगता है Rene और Orena नाम की दो और “लड़ाकी” हिरोइनें आने वाली हैं।






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मुझे लग रहा है कि ये बाणकेतु विद्युम्ना से छल कर रहा है।
न भी कर रहा हो, लेकिन केवल रूप सौंदर्य से रीझ कर किसी से विवाह निवेदन करना मूर्खता का काम है।
विद्युम्ना जैसी बुद्धिमती योगिनी से ऐसी आशा नहीं थी। आशा है कि कहानी में अनावश्यक मरोड़ें न आयें।
निजी जीवन में अनेकों परिवर्तनों के कारण हम कहानी से कोई डेढ़ महीने पीछे चल रहे हैं। लेकिन कभी न कभी संग हो लेंगे।
अपना ख़्याल रखें। मिलते हैं जल्दी ही।