शर्मा जी , आप तो वाकई कोयले से भरे खदान मे पाए गए बेशकीमती हीरे निकले । जिस तरह से स्टोरी लिखने के दौरान अपने नाॅलेज , अपने शिक्षा , अपनी जानकारी का इस्तेमाल कर रहे है उससे स्पष्ट जाहिर होता है आप वास्तव मे बहुत ही पहुंची हुई आत्मा हो ।
मुझे समझ नही आ रहा है कि मै इस कहानी पर क्या रिव्यू लिखूं ! बस यही जी कर रहा है शिप के साथ हुए हर एक घटनाक्रम के रोमांच को महसूस करता जाऊं ।
गजब का थ्रिल क्रिएट किया है आपने । आप के लेखन तत्व रियलिस्टिक से मैच करता है ।
नो डाऊट , शिप और उसके पैसेंजर्स डेंजर जोन मे है जो आगे चलकर और भी अधिक डेंजर हो सकता है । यहां पर शिप पर हुए पहले की घटनाओं की तो कोई बात ही नही कर रहा है । अभी तो प्रमुख लक्ष्य शिप को सुरक्षित सही मार्ग पर लाना है ।
वैसे मुझे लगता है कैप्टन साहब को अपने सभी पैसेंजर को वास्तविक परिस्थिति से अवगत करा देना चाहिए ।
सुयश साहब को देखकर यह भी समझ आ रहा है कि एक शिप के कैप्टन की तनख्वाह कई कई लाखों मे क्यों होती है !
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग अपडेट डियर ।