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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Tiger 786

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# -3
23 दिसम्बर 2001, रविवार, 17:30; “सुप्रीम”

ऐलेक्स बहुत मुश्किल से क्रिस्टी का रूम नंबर पता कर पाया था । यहां तक कि उसे क्रिस्टी का रुम नंबर जानने के लिए एक वेटर को पटा कर उसे 20 डॉलर भी देने पड़े थे। अंततः वह रुम नंबर 221 के आगे खड़ा था । उसने पहले अपने हाथ में पकड़ी ’ वर्ल्ड फेमस बैंक रॉबरी ’ को ठीक ढंग से पकड़ा और फिर अपने आप को देखते हुए, अपनी टाई की नॉट सही की व गले को ठीक ढंग से खखार कर साफ किया ।
अब उसके बाएं हाथ की तर्जनी उंगली डोरबेल के बटन पर थी । एक बार बटन दबाकर उसने जल्दी से हाथ हटा लिया कि कहीं ऐसा ना हो, कि कई बार बेल बजाने पर खोलने वाला गुस्से में ना बाहर निकले। कुछ देर के इंतजार के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला, तो उसने डरते- डरते पुनः बेल बजाई। तभी अंदर से कहीं सिटकनी खुलने की आवाज आयी, और सिर में टावेल लपेटे हुए क्रिस्टी ने दरवाजा खोला । सिर पर लिपटा टावेल और गले के आसपास भीगा कपड़ा इस बात का द्योतक था, कि वह नहा रही थी ।

उसके चेहरे पर भी कहीं-कहीं पर पानी की बूंदे ओस की मानिंद चिपकी हुई थीं । ऐलेक्स मंत्रमुग्ध सा अप्रतिम सुंदरता की उस प्रतिमा को निहार रहा था । वह शायद यह भी भूल गया, कि वह यहां आया किसलिए है? उधर जब क्रिस्टी के दो बार पूछने पर भी ऐलेक्स सपनों की दुनिया से बाहर नहीं आया, तो क्रिस्टी ने अपने सीधे हाथ से दरवाजा छोड़कर, जोर से ऐलेक्स की आंखों के सामने चुटकी बजाते हुए बोली-

“ऐ मिस्टर! ...... मैं तुमसे ही कह रही हूं। बार-बार घंटी क्यों बजा रहे थे? क्या काम है आपको ? ..... “ एका एक ऐलेक्स ऐसे हड़बड़ा गया, जैसे वह सोते से जागा हो ।

“हैलो ! मेरा नाम ’ऐलेक्जेंडर ओता नोव’ है।“ ऐलेक्स ने अपनी भूरी-भूरी आंखों से क्रिस्टी को निहारते हुए, अपना बांया हाथ आगे बढ़ा कर कहा - “आप प्यार से मुझे ऐलेक्स कह सकती हैं।“

“हैलो ! ..... “ क्रिस्टी ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ा दिया - “मुझे क्रिस्टी कहते हैं, पर मैंने आपको पहचाना नहीं ।“ ऐलेक्स ने धीरे से क्रिस्टी का हाथ उठा कर चूमा और फिर इस तरह शाइस्तगी से उसे छोड़ा, मानों वह हाथ ना हो कर कांच का कोई शोपीस हो। क्रिस्टी की सवालिया निगाहें पुनः ऐलेक्स पर थीं । ऐलेक्स ने धीरे से अपने दाहिने हाथ में पकड़ी वह किताब, जिसे अब तक वह छिपाने का प्रयास कर रहा था, क्रिस्टी की तरफ बढ़ा दी ।

“यह किताब आप डेक पर ही भूल गयीं थीं, मैं यही आपको वापस करने आया हूं।“ ऐलेक्स ने अपने स्वर को बहुत नम्र बनाते हुए जवाब दिया ।

“ओ ऽऽऽऽऽ! थैंक्यू-थैंक्यू।“ क्रिस्टी ने आभार प्रकट करते हुए किताब को धीरे से ले लिया । उसकी निगाह फिर ऐलेक्स पर पड़ी, मानो वह पूछना चाहती हो, कि क्या अब मैं दरवाजा बंद कर सकती हूं। पर ऐलेक्स की तरफ से कोई जवाब ना पाकर वह धीरे से पीछे हटी । ऐलेक्स को ऐसा लगा कि यदि वह तुरंत कुछ ना बोला, तो क्रिस्टी दरवाजा बंद कर लेगी ।

“मुझे आपका रूम नंबर पता करने के लिए 20 डॉलर खर्च करने पड़े।“ ऐलेक्स हड़बड़ा कर बोला । फिर तुरंत चुप हो गया । उसे लगा कि वह जल्दबा जी में गलत बोल गया ।

“20 डॉलर!“ क्रिस्टी ने हंसकर किताब का पिछला पेज ऐलेक्स के चेहरे के आगे कर दिया -

“आपने ज्यादा दे दिया मिस्टर। यह किताब तो मात्र 15 डॉलर की है। हां लेकिन अब आप किताब मेरे पास लेकर आए ही हैं, तो फिर मैं आपके 20 डॉलर आपको जरूर दूंगी ।“ यह कहकर जैसे ही क्रिस्टी अंदर जाने के लिए पलटी , ऐलेक्स ने उसे टोक दिया –

“इक्सक्यूज मी ! मैंने आपसे पैसे तो नहीं मांगे।“ क्रिस्टी पुनः पलटते हुए बोली -

“अच्छा ! मैंने तो समझा, आप शायद इसीलिए रुके हुए हैं।“

“नहीं ...... वो ....मैं तो ......। क्या आप आज रात का डिनर मेरे साथ ले सकती हैं?“ ऐलेक्स ने एकाएक घबराहट छोड़ पूर्ण आत्मविश्वास से क्रिस्टी की आंखों में झांकते हुए कहा ।

“व्हाट!“ क्रिस्टी एका एक ऐलेक्स के टॉपिक चेंज कर देने से बौखला उठी ।

“क्या आप आज रात का डिनर मेरे साथ ले सकती हैं?“ ऐलेक्स ने किसी घिसे-पिटे टेप रिकॉर्डर की तरह रिप्ले हो कर, फिर से वही डायलॉग दोहराया । इस बार क्रिस्टी के चेहरे पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान उभरी । वह धीरे से अपना चेहरा ऐलेक्स के चेहरे के सामने लाकर बोली –


“सुनिए मिस्टर! मैं अजनबियों के साथ डिनर पर नहीं जाती । आप कोई और दरवाजा खटखटाइये।“ यह कहकर वह फिर से दरवाजा बंद करने लगी । यह देखकर ऐलेक्स ने पुनः एक बार उसे रोक दिया ¬-

“एक मिनट रुकिए तो .............। चलिए अच्छा आप डिनर पर नहीं जाना चाहतीं हैं, तो मत जाइये, पर यह तो बता दीजिए, कि हम कल कहां पर मिलें।“

“मैं अजनबियों से ज्यादा बातें करना भी पसंद नहीं करती ।“ इस बार क्रिस्टी ने थोड़ा झुंझला कर गुस्से में कहा-

“अब आप जा सकते हैं, और हां .....यह समझ लीजिए कि आपके 20 डॉलर बेकार चले गए।“ यह कहकर क्रिस्टी ने धडा ऽऽऽक की आवाज के साथ दरवाजा बंद कर दिया । ऐलेक्स दरवाजे पर अकेला रह गया । लेकिन उसके और दरवाजे के बीच एक चीज और रह गयी और वह थी, शैंपू व सेंट की भीनी -भीनी खुशबू। जो कि कुछ देर पहले क्रिस्टी के शरीर से उठ रही थी। ऐलेक्स वहां खड़ा कुछ देर सोचता रहा और फिर जोर-जोर से सांस लेता हुआ बुदबुदाया-

“मेरे 20 डॉलर बेकार नहीं जाएंगे मिस क्रिस्टी । उससे ज्यादा की तो मैं खुशबू ही यहां से लेता जाऊंगा ।“


23 दि सम्बर 2001, रविवार, 19:00; “सुप्रीम” का डिनर हॉल, सुप्रीम की ही तरीके से अत्यंत विशालकाय था । थोड़ी-थोड़ी दूर पर बड़े ही करीने से, कुछ गोल टेबल व उसके इर्द-गिर्द, 4-4 कुर्सियां लगीं हुई थीं। हॉल के एक साइड में, एक बहुत बड़ा अर्धचंद्राकार स्टेज बना था । जिसके चारो ओर कांच के लगे पारदर्शक पत्थरों के पीछे, सैकड़ों रंग की लाइटें लगीं हुईं थीं । स्टेज का फर्श और दीवारें भी, उसमें लगी लाइटिंग के कारण चमक उत्पन्न कर, एक अद्भुत छटा बिखेर रहा था। वह हॉल उस समय किसी छोटे से स्टेडियम की भांति प्रतीत हो रहा था। इसी स्टेज पर डांस ग्रुप को परफॉर्म करना था । स्टेज के एक किनारे पर अनाउंसमेंट के लिए एक लकड़ी का पोडियम लगा था, जिसमें एक माइक फिक्स था। हॉल के एक साइड में एक बड़ा सा बार का उंटर भी बनाथा, जिसके पीछे दुनिया के हर अच्छे ब्रांड की बियर, व्हिसकी व शैम्पेन लगी थी । डिनर हॉल की फर्श व छतों पर लगा शानदार कलर र्पेट, उसकी शोभा में चार चांद लगा रहे थे। कुल मिलाकर वह हॉल सभी सुविधा से युक्त एक 5 सितारा होटल सा नजारा प्रस्तुत कर रहा था । हॉल की लगभग सभी कुर्सियां भरी हुई थीं ।

कुछ लोग डिनर ले रहे थे तो कुछ बियर व व्हिस्की की चुस्कियां ले रहे थे। तभी स्टेज पर सफेद ड्रेस पहने कुछ लोग आकर खड़े हो गए। देखने से ही लग रहा था, कि यह सभी शिप के चालक दल व उसके सहायक हैं। तभी उनमें से एक व्यक्ति ने आगे आकर माइक को संभाल लिया । उसके कंधे पर झलक रहे स्टार व उसके सीने पर लटक रहे असंख्य मेडल, इस बात का सबूत थे कि वही इस शिप का कैप्टन है।

“लेडीज एंड जेंटलमैन! कृपया ध्यान दें। मैं इस शिप का कैप्टन हूं और आज इस शिप के पहले और ऐतिहासिक सफर में आप सभी का स्वागत करता हूं। मैं चाहूंगा, कि यह शिप सफलता के नए कीर्तिमान बनाए।“
कुछ क्षण रुककर कैप्टन ने फिर बोलना शुरू किया-

“सबसे पहले मैं आप लोगों को अपना व अपने सहायक दल से परिचय कराना चाहूंगा। मेरा नाम सुयश है। मैं मूलतः भारत का रहने वाला हूं। मुझे समुद्री यात्राओं का भरपूर अनुभव है। मेरे इतने अनुभव की वजह से ही, मुझे इस शानदार शिप का कैप्टन बनाया गया है। मेरे पीछे खड़े दाहिने से पहले व्यक्ति असिस्टेंट कैप्टन रोजर, इसके बाद सेकेण्ड असिस्टेंट कैप्टेन असलम, फिर सिक्योरिटी इंचार्ज लारा, उसके बगल उनके असिस्टेंट ब्रैंडन, फिर ..........।“

इस तरीके से कैप्टन, सभी का परिचय कराने के बाद पुनः बोला -

“जैसा कि पहले मैं आप लोगों को बता दूं कि मैं नियम और कानून का बहुत पक्का आदमी हूं। मैं चाहता हूं कि आप सभी लोग इस शिप पर एक परिवार की तरीके से रहें। किसी भी यात्री को अगर इस शिप पर, किसी तरीके की परेशानी आती है तो आप 555 नंबर पर सीधे सिक्योरिटी इंचार्ज से बात कर सकते हैं। आप सभी इस शिप पर पूरा इंज्वाय कर सकते हैं। यहां पर आप सभी के रुचियों को ध्यान में रखते हुए, लगभग सभी सुविधाएं रखी गईं हैं। आप इन सभी सुविधाओं का पूरा आनंद उठा सकते हैं। और अब अंत में मैं आपके इस खुशनुमा सफर की मंगल-का मना करता हूं। और अब आपके लिए पेश है फ्रांस का मशहूर ’ड्रीम्स डांस ग्रुप’।“

इतना कहकर कैप्टन सुयश, माइक छोड़कर स्टेज से उतर गया और उसके साथ स्टेज से सारे चालक दल के लोग भी चले गये। इसी के साथ पूरे हाल की लाइट धीमी कर दी गई। हॉल में बिल्कुल सन्नाटा छा गया । तभी स्टेज पर दूर कहीं से एक रोशनी, गोले के रूप में पड़ी । इस रोशनी के गोले में तेज चमक मारती हुई, गुलाबी पोशाक पहने जेनिथ दिखा ई दी । इस तरीके से रोशनी का गोला थोड़ा स्टेज पर आगे बढ़ा ।

उस छोटे गोले के पीछे एक और रोशनी का बड़ा गोला उभरा । जिसमें लॉरेन सहित बाकी डांसर्स आते दिखाई दिए। धीरे-धीरे हल्की म्यूजिक पर डांस शुरू हुआ। सभी मंत्रमुग्ध से इस शानदार डांस का आनंद उठा रहे थे।

“मजा आ गया यार! फ्रांस की मशहूर डांसर जेनिथ, इस शिप पर। अब हमारा सिडनी तक का सफर बहुत अच्छा रहेगा ।“ जैक ने जॉनी के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा ।

“कहां ! ...... कहां है जे..नि ..थ?“ जॉनी ने पैग उठाते हुए, लड़खड़ाती जुबान में पूछा ।

“अरे! वो देख सामने स्टेज पर।“ जैक ने स्टेज की ओर मुंह घुमाते हुए कहा ।

“यार! मु..झे तो पता ... ही ...नहीं ..था कि शि ..प पर जेनिथ भी है।“ जॉनी पूरी तरह से नशे की तरंग में था ।

“मुझे ही कहां पता था, वो तो कैप्टन ने इसके बारे में जब अनाउंसमेंट किया, तब मुझे पता चला ।“ जैक ने जेनिथ को देखते हुए कहा ।

“क्या क......हा ऽऽऽऽ कैप्टन ने इस ... के बा ऽऽऽ रे में भी अना ...उंस किया ऽऽऽ था ।“ जॉनी ने झूमते हुए कहा - “मैं तो समझा ऽऽऽ कैप्ट...न खाली बकवा ऽऽ स कर रहा था ।“

“अबे पीना छोड़। डांस देख डांस।“ जैक ने जॉनी की खोपड़ी अपने हाथों से पकड़कर जबरदस्ती स्टेज की ओर घुमा दी ।

“हा ऽऽऽऽय यार क्या ऽऽऽ नाचती है?“ जॉनी ने अपना चेहरा घुमाते हुए कहा - “और इ .....सकी सफेद ... ड्रेस .... कितनी शा ऽऽऽनदार है।“

“सफेद ड्रेस! जैक ने आश्चर्य से जॉनी की ओर देखा - “पर जेनिथ तो गुलाबी ड्रेस पहने है।“

“फिर ये कौन ना ऽऽऽच रहा ऽऽऽ है।“ इस बार जॉनी के स्वर में उलझन के भाव थे। जैक ने जॉनी की तरफ देखा और उसकी निगाहों का पीछा करते हुए जब उस दिशा में देखा, जिधर जॉनी देख रहा था, तो अपनी खोपड़ी पीट ली -

“अरे गधे! तू जिसे जेनिथ समझ रहा है, वह वेटर है और वह आर्डर सप्लाई कर रहा है। कितनी बार कहा, कम पिया कर। पर मेरी मानता ही नहीं ।“

“वह वेटर है! मैं तो उ...से ही जे....नि ... थ समझ रहा ऽऽऽ था ऽऽऽ।“ जॉनी ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा - “पर एक बा ऽऽत सम ..झ में नहीं आ ऽऽई, यह वेट ..र नाऽऽच क्यों ... रहा ऽऽ है?“

“अरे! वो नहीं नाच रहा है। नशे के अधिक हो जाने से तेरी खोपड़ी झूम रही है।“ जैक ने झुंझला कर कहा । और एक बार फिर उसकी खोपड़ी पकड़कर स्टेज की ओर घुमा दी ।



जारी रहेगा........:writing:
Nice update
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Badhiya update bhai

Shefali ke sapne ne bomb fod diya captain or sab per ki jis island per robert gayab hua ha usi island ka sapna shefali dekh rahi ha or usne to wahan ke logon ko bhi dekh liya ha sapne ke madhyam se shayd or wo island atlantis hi ha ye confirm ho gaya ha or jis tarah se wo log shefali ke madhyam se connect kar rahe han lagta ha ki wo shefali ko udhar bula rahe han ya fir in sabko warning de rahe han lekin ye bruno ausa behaviour kyun kar raha tha jab shefali sapne ke bare me bata rahi thi or jab usne batana band kiya to wo normal ho gaya jaise kuchh pal ke liye usne koi bhoot dekh liya ha captain ko doubt ha bruno ke behaviour per or wo pata laga kar rahega ki akhir kya raj ha iska dekhte han ki age kya hota ha
Bilkul bhai lag to aisa hi raha hai, or aage ke updates me hi pata chal payega ki sacchai kya hai? Thank you very much for your wonderful review and support dev61901 :hug:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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sunoanuj

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बहुत ही उम्दा अपडेट है! लगता है टाइम ट्रैवल शुरू हो गया ! सब के सब अटलांटिस की सभ्यता के समय में चले गए हैं !

बहुत ही ग़ज़ब लिख रहे हैं आप Raj_sharma Ji
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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बहुत ही उम्दा अपडेट है! लगता है टाइम ट्रैवल शुरू हो गया ! सब के सब अटलांटिस की सभ्यता के समय में चले गए हैं !

बहुत ही ग़ज़ब लिख रहे हैं आप Raj_sharma Ji
Aage aage dekhte jaao bhaiya, aapke rongte khade ho jayenge romanch se, thrilling or fantasy ka mila jula misran aayega saamne, aap to bas saath bane raho har update me :hug: Thanks for your valuable review
 

Ajju Landwalia

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# 20 .
“पर इस सिक्के पर तो एक लड़की योद्धा का चित्र बना है।“ लारा ने अलबर्ट से सवाल किया- “आप तो किताब के कवर पेज पर देवता पोसाइडन की फोटो की बात कर रहे थे।“

“हां ! थोड़ी सी चीजें अलग जरुर हैं, पर उस किताब के कवर पेज से बहुत ज्यादा चीजें मैच हो रहीं हैं।“ अलबर्ट ने कहा-

“जैसे 6 घोड़े का रथ, त्रिशूल और डॉल्फिन की फोटो। पर मैं अब 100 प्रतिशत श्योर हूं कि यह सिक्का अटलांटिस का ही है।“

तभी सुयश ने इधर-उधर नजर मारते हुए माइकल से पूछा-
“शैफाली कहां है? कहीं दिखा ई नहीं दे रही है?“

“वह अभी भी सो रही है।“ माइकल ने जवाब दिया- “देर रात हो जाने के कारण, हमने उसे उठाया नहीं था।“

“क्या हम शैफाली के सोने की जगह देख सकते हैं? ब्रैंडन ने माइकल से पूछा- “शायद हमें वहां कोई सुराग मिल जाये? जिससे इस सिक्के के बारे में कुछ पता चल सके।“ सुयश को भी ब्रैंडन की बात सही लगी।

“हां -हां ! क्यों नहीं ?“ माइकल बोलते हुए खड़ा हो गया।

माइकल सहित सभी अब शैफाली के रुम में आ गये। ब्रूनो भी सबके पीछे-पीछे रुम में आ गया। शैफाली गहरी नींद में थी। माइकल ने धीरे से सभी को खाली पड़े, दूसरे तकिये की ओर इशारा किया। सुयश समझ गया कि इसी तकिये पर सिक्का मिला था। सभी की नजरें अब रुम में चारो तरफ, किसी सुराग की तलाश में घूम रही थीं। पर रुम में उन्हें कोई ऐसी चीज नजर नहीं आयी, जिसका सिक्के से कोई ताल्लुक हो। तभी सुयश की नजर शैफाली पर पड़ी जो कि अब बेचैनी से सोते हुए करवट बदल रही थी।

“लगता है ये फिर से सपने देख रही है।“ मारथा ने बेचैन स्वर में माइकल की ओर देखते हुए कहा।

“सपने!“ सुयश के स्वर में आश्चर्य के भाव थे- “पर शैफाली तो बचपन से अंधी है ना। फिर उसे सपने कैसे आ सकते हैं?“

“शैफाली को सपने आते हैं कैप्टेन।“ माइकल ने कहा- “जब ये छोटी थी, तब भी सोते-सोते घबरा जाती थी। फिर 4 साल की उम्र से इसने अपने सपनों के बारे में हमें बताना शुरु कर दिया था। अब सपने इसको कैसे आते हैं? इसके बारे में तो हममें से कोई भी नहीं जानता। एक बात है यह सपने में ऐसी चीजें देखती है, जिसके बारे में इसने पहले कभी ना सुना हो।“

तभी शैफाली ने जोर से अपनी मुठ्ठी बंद कर ली। उसके चेहरे पर पसीने की बूंदें चमचमाने लगीं । अब वह जोर से कसमसा रही थी। मारथा से यह देख रहा ना गया। उसने शैफाली को जोर-जोर से हिलाना शुरु कर दिया-

“शैफाली..... शैफाली....।“ पर शैफाली अभी भी गहरी नींद में थी। सभी ध्यान से शैफाली की ओर देख रहे थे। मारथा के जोर-जोर से हिलाने के कारण अब शैफाली जाग गयी। “

मॉम....मॉम....!“ शैफाली ने जागते ही जोर से मारथा को पकड़ लिया।

“शांत हो जाओ!..... शांत हो जाओ शैफाली। मम्मा यहीं पर है।“ मारथा ने शैफाली के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- “तुम सिर्फ सपना देख रही थी।“ शैफाली अब धीरे-धीरे नार्मल हो रही थी। तभी उसने वातावरण में कुछ सूंघने की कोशिश की।

“कैप्टेन अंकल आप!“ शैफाली के शब्दों में आश्चर्य नजर आया- “आप इस समय हमारे रुम में क्या कर रहे हैं? और आपके साथ 2 लोग और भी हैं। कोई परेशानी हुई है क्या ?“

“नहीं बेटा ! कुछ खास बात नहीं है।“ सुयश ने शैफाली को तारीफ भरी नजरों से देखते हुए कहा- “हम लोग वैसे ही बस आपके पापा से मिलने आये थे।“

“और आप ग्रैण्ड अंकल?“ शैफाली ने सूंघते हुए अलबर्ट की ओर चेहरा घुमाया- “आप भी शायद पापा से मिलने ही आये होंगे।“

“हां बेटा !“ अलबर्ट ने भी झूठ बोलते हुए कहा- “रात में नींद नहीं आ रही थी। इसलिए मैं भी घूमता हुआ इधर आ गया। हमारी छोड़ो ! तुम बताओ, क्या तुम्हें फिर से सपने आये थे?“ अलबर्ट ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा।

“सपने!“ शैफाली ने अचानक दिमाग पर जोर डालते हुए कहा- “हां ग्रैंड अंकल। मैं फिर से सपना देख रही थी। मैने सपने में एक खूबसूरत हरा-भरा त्रिभुज की आकृति वाला द्वीप देखा, जिसके चारो तरफ धुंध फैली हुई थी। क्राऊन पहने एक अजीब सी मानव आकृति लिए हुए पहाड़ी, पत्थरों पर बनी विचित्र सी आकृतियां, एक सुंदर झील, .........।“

कहते-कहते शैफाली एक क्षण के लिए रुकी, मानों वह सपने को पूरी तरह से याद कर रही हो।

उधर सुयश, ब्रैंडन और लारा के चेहरे पर शैफाली की बातें सुनकर पसीना छलक आया था, क्यों कि शैफाली ठीक उसी द्वीप के बारे में बता रही थी। जिसको आज सुबह ही रोजर ने देखा था। तभी अचानक उसके पास बैठा ब्रूनो, अपने कान खड़े करके उठ कर बैठ गया। उसकी नजरें अब अपने सपनों के बारे में बता रही शैफाली पर थी। एका एक वह धीरे से उठा और कूं-कूं करते हुए शैफाली से दूर हट गया। पर उसकी सहमी-सहमी सी निगाहें अभी भी शैफाली पर थीं।

चूंकि शैफाली का ध्यान अपने सपनों पर और बाकी सभी का ध्यान शैफाली पर था। इसलिए किसी ने ब्रूनो की हरकतों पर ध्यान नहीं दिया। मगर ब्रैडन की निगाह से यह घटना बच नहीं सकी । ब्रैंडन को ब्रूनो की यह हरकत बड़ी अजीब सी लगी। अब वह कभी शैफाली की ओर देखता तो कभी डरे सहमे ब्रूनो की ओर। उधर शैफाली लगातार बोले जा रही थी-

“मैंने देखा एक सुनहरा मानव, जो हमें किसी दिशा में जाने के लिए इशारा कर रहा था और एक बड़ी पूंछ वाला पहाड़ी तोता .......और एक आवाज......।“ कहते-कहते शैफाली एका एक रुक सी गई।

“कैसी आवाज?“ सुयश ने शैफाली से पूछा।

“ऐसा लग रहा था, जैसे कोई कह रहा हो ‘वेलकम टू अटलांटिस‘।“ शैफाली ने कहा। अटलांटिस शब्द सुनते ही अब सभी का दिमाग सांय-सांय करने लगा।

“और.... और.... क्या देखा तुमने?“ सुयश ने जोर देते हुए कहा।

“और......।“ कहते-कहते एका एक शैफाली ने अपना सिर पकड़ लिया।

“क्या बात है बेटा ? क्या हुआ?“ मारथा ने शैफाली को झकझोरते हुए कहा।

“पता नहीं क्यों ? अचानक मेरा सिर बहुत तेजी से दर्द हो ने लगा है। और बहुत भारी-भारी सा महसूस होने लगा है।“

“कोई बात नहीं बेटा। अब तुम सोचना बंद करो और वापस बेड पर आराम कर लो। मम्मा अब आपके पास हैं इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है।“

माइकल ने अपनी उंगलियों से शैफाली के बालों में कंघी करते हुए कहा। उधर जैसे ही शैफाली ने सपनों के बारे में सोचना बंद किया, ब्रूनो जो कि दूर बैठा हुआ था, धीरे धीरे चलता हुआ शैफाली के पास आ गया। शैफाली वापस बेड पर लेट गयी।

माइकल यह देखकर धीरे से बेड से उठा और रुम से निकलते हुए सबको बाहर आने का इशारा किया। मारथा को शैफाली के पास छोड़, सभी लोग बाहर के रुम में आ गये। सभी सोफे पर बैठ गये, पर किसी के मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहा था। अजीब सा सस्पेंस भरा सन्नाटा छाया था। लंबे खिंच रहे सन्नाटे को तोड़ा ब्रैंडन की आवाज ने-

“कैप्टेन! मुझे लग रहा है, कि शैफाली एक नॉर्मल बच्ची नहीं है। इसके पास कुछ ना कुछ पॉवर जरुर है। शायद भविष्य देखने की पॉवर या फिर कुछ अलग.... जो हम समझ नहीं पा रहे हैं।“

“कह तो तुम ठीक रहे हो ब्रैंडन।“ सुयश ने भी ब्रैंडन की हां में हां मिलायी- “पर सवाल अभी शैफाली की पावर्स के बारे में बात करने का नहीं है। सवाल यह है कि वह रहस्यमयी द्वीप क्या है? जिसने रोजर की जान ले ली और यह अटलांटिस का सिक्का यहां कहां से आया ?“

“क्या मिस्टर रोजर अब नहीं रहे?“ अलबर्ट ने आश्चर्य से पूछा।

“जी हां प्रोफेसर! कल रोजर का हेलीकॉप्टर एक ऐसे ही रहस्यमयी द्वीप के पास दुर्घटना ग्रस्त हो गया जिसमें रोजर की मौत हो गयी।“ सुयश ने अलबर्ट से कहा।

“ओह! भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।“ अलबर्ट ने दुख प्रकट किया।

“जरुर उस द्वीप पर कुछ ना कुछ खतरनाक है।“ लारा ने कहा- “तभी वह शैफाली को भी सपने में नजर आ रहा है।“

“पर यह अटलांटिस का सिक्का यहां पर कैसे आया और कौन है वह जो शैफाली को सपने के माध्यम से बुला रहा है?“ सुयश ने कहा।

“कैप्टेन! मेरे पास एक थ्योरी है।“ अलबर्ट ने गहरी सांस लेते हुए कहा- “मैं ये तो नहीं कह सकता कि ये थ्योरी बिल्कुल सही है पर सभी घटनाओं को एक क्रम देने के बाद मुझे ये थ्योरी काफी हद तक सही दिशा में जाती लग रही है। अगर आप इजाजत दें तो मैं बोलूं।“

“जी प्रोफेसर बताइये!“ सुयश ने इजाजत देते हुए कहा।

“अटलांटिस एक प्राचीन द्वीप था। कहते हैं कि वह यहीं कहीं अटलांटिक महासागर में ही था। किताबों में लिखा है कि अटलांटिस द्वीप का विज्ञान बहुत उन्नत था। अटलांटिस द्वीप पर दूसरे ग्रहों के लोगों का भी आना जाना था। फिर अचानक एक विशालकाय ज्वालामुखी के फटने की वजह से, वह पूरी सभ्यता, अटलांटिक महासागर में कहीं खो गयी। अब ये एक अजीब इत्तफाक है कि जिस जगह का वर्णन किताबों में किया गया है, उसी जगह पर बारामूडा त्रिकोण का यह क्षेत्र आता है। अब आप लोग अपने दिमाग से यह बताइये कि क्या वजह हो सकती है, इस क्षेत्र में जहाजों के गायब होने की ?“

“आपकी थ्योरी मुझे भी काफी स्ट्रांग लग रही है प्रोफेसर।“ सुयश को अलबर्ट की बातों में दम दिखाई दिया- “इसका मतलब कि वह द्वीप अटलांटिस का अवशेष हो सकता है और वहां बचे हुए लोग नहीं चाहते कि कोई उनकी सभ्यता के बारे में जाने।“

“बिल्कुल ठीक कैप्टेन। अब हम सही लाइन पर बढ़ रहे हैं।“ अलबर्ट के शब्दों में अब खुशी के भाव थे।

“ओह! तभी हमें इस क्षेत्र में उड़नतश्तरी दिखायी दी थी।“ लारा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

“पर यह सिक्का और शैफाली के सपने?“ माइकल जो कि इतनी देर से सभी की बात सुन रहा था, बोल उठा।

“इस बारे में अभी कुछ ज्यादा कह नहीं सकते मिस्टर माइकल।“ सुयश ने गहरी साँस लेते हुए कहा- “लेकिन जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि जल्द ही हमें शैफाली के माध्यम से कुछ और रहस्यों का पता चलेगा। तब तक के लिए सभी लोग अपने आँख और कान खुले रखें और जैसे ही किसी को कुछ और नयी चीजें पता चलें, तुरंत मुझे बताएं।“ यह कहकर सुयश सोफे से खड़ा हो गया।

“कैप्टेन, इस सिक्के का क्या करना है?“ माइकल ने कैप्टेन को खड़े होते देख पूछ लिया। “फिलहाल ये सिक्का प्रोफेसर के पास रहेगा। हो सकता है कि इन्हें इसमें कुछ और खास बात नजर आ जाये। जब हम अपनी सभ्यता में पहुंचेंगे तो यह सिक्का अमेरिकन सरकार को दे देंगे।“ यह कहकर सुयश ने सिक्का माइकल के हाथ से ले अलबर्ट के हवाले कर दिया।

उधर सुयश को खड़े होते देख, ब्रैंडन और लारा भी अपने स्थान से खड़े हो गये थे। कुछ ही देर में तीनों कमरे से बाहर निकल गये।




जारी रहेगा.....…...✍️

Behad shandar update he Raj_sharma Bhai,

To Shaifali ko sapne me vahi island dikh raha he jiske baare me subah roger ne bataya tha.............

Bruno jis tarah se sapne sunate huye shaifali ko dekhkar ghabra gaya tha.............jarur koi paranormal ya extra tertial cheez shaifali ke ass pass thi........

Ho na ho, shaifali hi vahi kunji he jiske dwara Atlantis civilization ka pata lagaya ja sakta he............

Keep posting Bro
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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# 21 .
2 जनवरी 2002, बुधवार, 14:30; ‘सुप्रीम’

अगले दिन दोपहर तक कोई ऐसी विशेष घटना नहीं घटी, जिसका कि जिक्र किया जा सके।
शिप के सारे यात्री अपने आप में मशगूल थे। कुछ चिंतित दिख रहे थे, तो कुछ अपनी इस नई जिंदगी में आशाओं और उल्लास की नई किरण ढूंढ रहे थे। सभी को अब शिप की वास्तविक स्थिति की जानकारी हो गई थी। उनको पता चल गया था, कि सुप्रीम इस विशाल सागर में रास्ता भटक गया है।

सभी यात्रियों की तरह, असलम भी डेक पर इधर-उधर चहल कदमी कर रहा था। उसके हाथों में एक शक्तिशाली दूरबीन भी थी। जिसे वह बीच-बीच में आंखों से लगा कर, दूर-दूर तक अपनी नजरें दौड़ा रहा था। अचानक उसकी नजरें बहुत दूर एक काले से धब्बे पर पड़ीं। उसे देखते ही असलम खुशी से मन ही मन बुदबुदाया-

“द्वी प!“ असलम तुरंत दूरबीन को और एडजस्ट करके ध्यान से देखने लगा- “द्वीप ही है।“

द्वीप को ध्यान से देखने के बाद, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव आ गये। उसने तुरंत वॉकी टॉकी से, कंट्रोल रुम में मौजूद ड्रेजलर को, शिप को द्वीप की तरफ मोड़ने के लिए बोल दिया। अब वह कैप्टेन सुयश को यह खुशखबरी देने के लिए उसके रुम की ओर चल दिया।

असलम की चाल में तेजी थी और उसके चेहरे पर ना समझ में आने वाले कुछ भाव थे। थोड़ी ही देर में वह सुयश के रुम तक पहुंच गया।

“कैप्टेन-कैप्टेन!“ असलम खुशी के मारे तेजी से, बिना दरवाजे पर नॉक कि ये ही सुयश के रुम में घुस गया। उसकी तेज आवाज सुन, सुयश जो कि बहुत गहरी नींद में सो रहा था, हड़बड़ा कर उठकर बैठ गया।

“क्या हुआ? क्या फिर कोई मुसीबत आ गई?“ सुयश ने डरते हुए कहा।

“नहीं कैप्टेन! इस बार एक अच्छी खबर है।“ असलम ने खुशी भरे लहजे में कहा- “हमें कुछ दूरी पर एक द्वीप दिखाई दे रहा है।“

“द्वीप!“ सुयश ने आश्चर्य से कहा।

“यस कैप्टेन द्वीप!“ असलम ने कहा- “आप जल्दी चलिए। वैसे मैंने सुप्रीम के चालक दल को शिप को उधर मोड़ने के लिए बोल दिया है।“

सुयश ने पैरों में स्लीपर डाला और असलम के साथ, लगभग भागते हुए, शिप के डेक पर पहुंच गया। यह वही डेक था, जहां पर हेलीपैड था। इसलिए यहां पर कोई यात्री नहीं था। तब तक शिप को द्वीप की ओर मोड़ा जा चुका था। अब वह द्वीप, बहुत ज्यादा दूरी पर नहीं था।

असलम ने धीरे से दूरबीन, सुयश के हाथों में दे दी। सुयश ने दूरबीन को अपनी आँखों पर चढ़ा लिया। अब वह बहुत ध्यान से उस द्वीप को देख रहा था।

तभी ब्रैंडन भी सुयश को ढूंढता हुआ वहां आ पहुंचा। अब ब्रैडन की भी निगाह द्वीप की ओर थी। काफी हरा -भरा द्वीप था। मौसम कुछ ज्यादा ठंडा होने की वजह से, दिन के समय में भी, हल्की-हल्की सी धुंध द्वीप के चारो ओर फैली हुई थी। कुछ अजीब सी पहाड़ियां भी दिखाई दे रहीं थीं। जिसके कारण द्वीप का ये हिस्सा, एक अजीब सा नजारा प्रस्तुत कर रहा था।

अब तक ब्रैंडन भी दूसरी दूरबीन प्राप्त कर चुका था। और वह भी बड़े ध्यान से द्वीप की ओर देख रहा था।

“कैप्टन!“ ब्रैंडन ने द्वीप की ओर देखते हुए सुयश से पूछा- “आपको इस द्वीप को देखकर क्या महसूस हो रहा है?“

“मुझे ये वही द्वीप लग रहा है ब्रैंडन।“ सुयश के आवाज में बर्फ की सी ठण्डक थी- “जिसका जिक्र रोजर व शैफाली ने किया था।“

“इक्जैक्टली ! यही बात तो मैं भी आपसे कहना चाहता था कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने अपनी सहमति जताई-

“और आप जरा इस द्वीप के आस-पास का क्षेत्र तो देखिए। एक अजीब सी निस्तब्धता छाई है। एक विचित्र से डरावनेपन का अहसास हो रहा है।“

“तुम बिल्कुल सही कह रहे हो ब्रैंडन।“ सुयश ने अपनी आँखों के आगे से दूरबीन हटाते हुए कहा-

“मैंने भी जब से ये द्वीप देखा है, तब से बार-बार मुझे रोजर व शैफाली की कही बातें याद आ रहीं हैं।“ असलम को शैफाली के सपनों के बारे में कुछ नहीं पता था। पर उसने सुयश को बीच में टोकना सही नहीं समझा।

“कैप्टेन!“ ब्रैंडन ने कहा- “अगर शैफाली की यह बात सही निकली है तो क्या बाकी बातें भी सही होंगी।“

“कुछ कह नहीं सकता ब्रैंडन?“ सुयश का दिमाग इस समय बहुत तेजी से चल रहा था-
“पर ये बात तो श्योर है कि इस द्वीप पर कुछ ना कुछ खतरा जरुर है।“

तब तक शिप, द्वीप के काफी पास आ गया था। शिप को पास आया देख अब असलम से ना रहा गया। वह बोल उठा-
“कैप्टेन! अब हमें क्या करना है? क्या इस द्वीप पर जाना है या...............?“

असलम ने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी। असलम की बात सुनकर, सुयश जैसे सपनों से बाहर आया। उसने एक नजर ब्रैंडन और असलम पर डाली और फिर बोल उठा-

“नहीं असलम। पिछली सारी बातें गौर करने के बाद, मैंने यह सोच लिया है कि हमें इस द्वीप पर नहीं जाना है। क्यों तुम्हारा क्या ख्याल है ब्रैंडन?“

“मैं भी आपसे सहमत हूं कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने सुयश की बात का सर्मथन देते हुए कहा।

“तो फिर ठीक है।“ सुयश ने असलम की ओर घूमते हुए कहा- “शिप को दूसरी दिशा में मोड़कर, आगे बढ़ाने का आदेश दे दो।“

“पर कैप्टन!“ असलम ने थोड़ा अनमने भाव से कहा- “इस द्वीप की बात पूरे शिप पर फैल गयी होगी। बहुत से लोगों ने तो इस द्वीप को देख भी लिया होगा और वह खुश होकर इसकी जमीन को छूने के लिए बेकरार भी होंगे। ऐसे में हम उन्हें क्या समझाएंगे?“

“कुछ भी कहो ? पर उन्हें समझाओ।“ सुयश ने थोड़ा बेचैन हो कर कहा- “पर ..... पर ..... शिप को इस मनहूस द्वीप से दूर ले चलो।“

यह कहकर सुयश ने, एक बार फिर गहरी निगाहों से उस रहस्यमई द्वीप को देखा और फिर डेक से हटकर, नीचे अपने केबिन की ओर चल दिया। ब्रैंडन भी सुयश को जाता देख वहां से चला गया।

असलम अब डेक पर अकेला खड़ा था। पर उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नहीं थे। शायद वह सुयश के इस फैसले से नाराज था।

चैपटर-7 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 00:30; रात के लगभग 12:30 हो रहे थे।

जहां एक ओर सारे यात्री, अपने-अपने कमरों में सो रहे थे। वहीं सुयश, लारा के साथ पूरे शिप का चक्कर लगा रहा था। दिन में सोने की वजह से, सुयश कुछ फ्रेश नजर आ रहा था। इसलिए आज उसने लारा के साथ, कुछ देर गश्त लगाने का निर्णय लिया था।

“तुम्हें क्या लगता है लारा ?“ सुयश ने लारा की ओर देखते हुए कहा- “इन अजीब सी घटनाओं के पीछे क्या कारण हो सकता है?“

“सिंपल सी बात है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “हम लोग इस समय बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमई व खतरनाक क्षेत्र से गुजर रहे हैं। यह क्षेत्र विश्व के अनसुलझे रहस्यों में से एक है, तो फिर यहां इस तरह की घटनाएं होना लाजिमी है। बल्कि अगर यह कहा जाए, कि यदि हम लोग इस खतरनाक क्षेत्र से निकलने में कामयाब हो जाएं, तो हम इस क्षेत्र में इतना अंदर जा कर निकलने वाले, विश्व के पहले व्यक्ति होंगे।“

“नहीं...... नहीं....! पहले नहीं।“ सुयश ने लारा की बात काटते हुए कहा- “दूसरे व्यक्ति होंगे। क्यों कि इसके पहले भी एक व्यक्ति, इस खतरनाक क्षेत्र से जीवित बच निकलने में सफल रहा था।“

“पहला व्यक्ति कौन था ?“ लारा ने उत्सुक स्वर में सुयश की ओर देखते हुए कहा।

“आज से लगभग 16 साल पहले, ‘ब्लैक थंडर‘ नाम का, एक पुर्तगाली पानी का जहाज हम लोगों की तरह भटक कर, इस रहस्यमई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था। बाहरी दुनिया से उसका संपर्क कट जाने के बाद, उस जहाज का क्या हुआ? यह कोई ना जान पाया। उसके खोने के लगभग 3 महीने के बाद, एक दूसरे जहाज के यात्रियों को लकड़ी के तख्ते पर तैरता हुआ, एक व्यक्ति मिला। उसे जहाज पर खींच लिया गया। iलेकिन वह व्यक्ति मानसिक रूप से पूर्ण विक्षिप्त था।
बाद में उसके बारे में पता चला, कि उस व्यक्ति का नाम विलियम डिकोस्टा था। और वह उसी जहाज का यात्री था, जो बारामूडा त्रिकोण के इन रहस्यमय अंधेरों में खो गया था।
लेकिन कोई भी उससे यह नहीं पता लगवा सका कि वह बीते हुए 3 महीने तक कहां था ? और उसने क्या-क्या देखा ? कुछ साल बाद उसके मरने का न्यूज भी आया था। लेकिन मरने से पहले तक उसकी यादाश्त नहीं लौटी थी।
इसलिए इस क्षेत्र का राज कभी खुल नहीं पाया।“ कहते-कहते सुयश शांत हो गया।

“आपको तो इस क्षेत्र की काफी जानकारी लगती है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की प्रशंसा करते हुए कहा।

“नहीं ! ऐसी कोई बात नहीं है। मैं भी इस क्षेत्र में बहुत अधिक समय से नहीं चल रहा हूं।“ सुयश ने कहा-

“लेकिन मुझे ऐसे रहस्यमय क्षेत्रों के बारे में जानना बहुत अच्छा लगता है। मैं जब छोटा था, तभी से मुझे यह सुपर नेचुरल रहस्य बहुत अच्छे लगते थे। मैं हमेशा ही ऐसी किताबें पढ़ा करता था, जो मानव मस्तिष्क से परे, रहस्य की दुनिया की जानकारी देते हों।
जैसे इस बारामूडा त्रिकोण की जानकारी, मुझे सन 1964 में प्रकाशित ‘आरगोशी ‘ नामक पत्रिका से प्राप्त हुई। जिसे मैंने बाद में पढ़ा था ।
उसके लेखक ‘विंसेंट एच गेडिड्स‘ थे। उन्होंने उस पुस्तक में विस्तार से, बारामूडा त्रिकोण के बारे में जानकारी दी है।
उसके बाद इस रहस्यमय त्रिकोण के बारे में लेखक ‘इवान टीसेण्डरसन‘ ने भी काफी कुछ लिखा। उन्होंने इस प्रकार के क्षेत्रों को ‘वाइल वोर्टइसिज‘ का नाम दिया।
फिर सन् 1973 में इनसाइक्लो पीडिया ‘ब्रिटानिका ‘ ने भी बारामूडा त्रिकोण के बारे में काफी कुछ लिखा।
उसके बाद 1973 में ही ‘जॉन वेलेस स्पेंसर’ की पुस्तक ‘लिंबो ऑफ द लास्ट‘, 1974 में ‘चाल्र्स बर्लिट्ज‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल‘ और 1975 में ‘लॉरेंश डीकुस्शे‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल मिस्ट्री साल्वड‘ नामक पुस्तक, प्रकाश में आई।“

“इन सभी पुस्तकों ने दुनिया भर के लोगों में, बारामूडा त्रिकोण के बारे में उत्सुकता जगा दी। लेकिन कोई भी किताब इस रहस्य को सुलझाने में असमर्थ रही। सभी लेखकों के अपने-अपने तथ्य थे, जो उनके हिसाब से तो सही थे। पर दूसरों से थोड़ा अलग थे।“ सुयश ने थोड़ा रुक कर फिर बोलना शुरू किया-

“मुझे स्वयं इस क्षेत्र के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता रहती थी। पर मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मुझे जिंदगी में कभी इस क्षेत्र में भटकना पड़ेगा।“

“अब तो यह स्थिति आ गई है सर।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “कि मारे डर के, कोई भी यात्री ढंग से सो भी नहीं पा रहा है। सभी के दिमाग में, एक ही सवाल कौंध रहा है, कि क्या वह बच कर अपनी सभ्यता तक वापस जा सकेंगे?
वैसे हम यात्रियों के बारे में क्या कहें, हमारे तो चालक दल व कर्मचारी भी ऐसा ही सोच.. ..... .............।“

कहते कहते लारा एकाएक चुप सा हो गया और एक तरफ देखने लगा। सुयश भी उसकी आंखों का पीछा करते हुए, उस तरफ देखने लगा, जिस तरफ लारा देख रहा था। पर उसे सामने कुछ दिखाई नहीं दिया।

“क्या बात है लारा ? तुम बोलते-बोलते एका एक चुप क्यों हो गये?“ सुयश ने धीरे से लारा से पूछा।

“श्ऽऽऽऽऽ......।“ लारा ने अपने होठों पर उंगली रखते हुए, सुयश को चुप रहने को कहा। और धीरे-धीरे एक दिशा की ओर, दबे पांव चल पड़ा। सुयश की समझ में तो कुछ नहीं आया, पर वह भी धीरे-धीरे लारा के पीछे चल पड़ा। तभी गैलरी के दूसरे किनारे पर, एक मानवाकृति जैसी परछाई दिखाई दी।

“कौ न है वहां ? रुक जाओ!“ लारा ने चिल्लाते हुए तेजी से रिवाल्वर निकाल ली-
“रुक जाओ, वरना गोली मार दूंगा।“

उसकी आवाज सुनते ही वह परछाई, जो कंधे पर कोई चीज उठाए थी, तेजी से एक दिशा की ओर भागी। उसको भागते देख लारा व सुयश तेजी से उस साये के पीछे भागे।

“मैं कहता हूं रुक जा ओ।“ लारा के दहाड़ते हुए शब्दों से पूरी गैलरी थर्रा सी गयी -
“वरना मैं गोली चला दूंगा।“
लारा की दूसरी धमकी से भी साये की गति में कोई अंतर नहीं आया। वह आकृति अभी भी निरंतर भागती जा रही थी। गैलरी के हर मोड़ पर उन्हें सिर्फ एहसास हो रहा था कि कोई अभी तेजी से यहां से निकला है। उस आकृति की स्पीड इतनी तेज थी कि उन्हें गोली चलाने का भी समय नहीं मिल पा रहा था।






जारी… रहेगा....……✍️
 

Raj_sharma

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Keep posting Bro
Lagta to kuch aisa hi hai bhai, shefali extra ordinary hai, Waise qgla update bhi post kar diya hai, 👍 Thanks for your wonderful review and support bhai :hug:
 
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