बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया# 19 .
“हम लोग सूर्यवंशी राजपूत हैं। इस लिए सूर्य हमारे आराध्य देव हैं। मेरे दादा जी भारत में रहते थे। यह निशान उनके हाथ पर बना था। जो मुझे बहुत अच्छा लगता था। एक बार जब दादा जी अमेरिका आये थे, तो मैंने उनका यह निशान कॉपी करके, एक टैटू वाले से अपनी पीठ पर बनवा लिया था।“
सुयश शायद अपने दादा जी को याद कर, कुछ देर के लिए वर्तमान परिस्थिति को एक क्षण के लिए भूल गया था। पर जैसे ही उसे रोजर की याद आयी वो फिर दुखों से भर गया। तभी सुयश की नजर सामने लगी घड़ी पर गयी। इस समय सुबह का 10:00 बज रहा था।
पूरी रात परेशानियों के बीच बीती थी। वैसे तो आज न्यू ईयर का पहला दिन था। फिर भी किसी के चेहरे पर खुशी नहीं थी। सुयश को बहुत थकान लग रही थी, मानसिक भी और शारीरिक भी। अब वह धीरे-धीरे अपने केबिन की ओर बढ़ गया।
उसके जाते ही बाकी लोग भी अपने केबिन की ओर बढ़ गये।
2 जनवरी 2002, बुधवार, 01:30;
शिप को चलते हुए पूरा दिन बीत चुका था, पर किसी भी तरह की अभी कोई मुसीबत नहीं आई थी। शिप में यात्रा कर रहे यात्रियों के बीच, अजीब सी अफवाहों का बाजार गर्म था।
सभी यात्री अलग-अलग तरह की अटकलें लगा रहे थे। किसी को भी शिप की वास्तविक स्थिति के बारे में नहीं पता था। पर शिप में यदि कोई सबसे ज्यादा परेशान था, तो वह था सुयश।
रात का लगभग 1:30 बज रहा था। परंतु उसकी आंखों में नींद का नामो निशान नहीं था। वह शिप पर लगातार हो रही, विचित्र घटनाओं में उलझा हुआ था- पहले शिप पर अपराधी के बारे में पता चलना, न्यू ईयर की रात लॉरेन का संदिग्ध परिस्थितियों में मर्डर हो जाना, शिप का बारामूडा त्रिकोण जैसे खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश करना, शिप के ऊपर से नीली रोशनी बिखेरते रहस्यमय यान का निकलना, सभी इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों सहित कम्पास का खराब हो जाना, शिप का भंवर में फंस जाना और रोजर का हेलीकॉप्टर दुर्घटना ग्रस्त हो जाना।
यह सभी घटनाएं एक-एक करके सुयश के दिमाग में घूम रही थीं। लेकिन इन सब विचारों से बड़ा, एक विचार सुयश के दिमाग में और घूम रहा था और वह यह था कि क्या शिप सभी खतरों से बचकर, वापस अपनी सभ्यता में पहुंच पाएगा?
अभी वह इन सभी बातों में उलझा ही था, कि एकाएक फोन की घंटी, किसी हॉरर फिल्म के म्यूजिक की तरह से बज उठी।
“ट्रिंग.....ट्रिंग....ट्रिंग...“ सुयश की नजरें तुरंत सामने लगी घड़ी की ओर गईं। इस समय रात का 1:50 हुए थे।
“इतने समय किसका फोन हो सकता है?“ यह विचार दिमाग में आते ही, सुयश एक झटके से बेड से उतरकर, फोन उठा लिया।
“हैलो कैप्टन!“ उधर से ब्रैंडन की आवाज सुनाई दी- “क्या आप कुछ देर के लिए शैफाली के रूम में आ सकते हैं?“
“क्या हुआ?“ सुयश ने घबरा कर कहा- “कोई परेशानी है क्या ?“
“कुछ खास नहीं कैप्टेन!“ ब्रैंडन ने शान्त आवाज में कहा- “पर मिस्टर माइकल आपको कुछ दिखाना चाहते हैं। आप आ जाइये। आपके आने पर, सब पता चल जायेगा।“
यह कहकर ब्रैंडन ने फोन काट दिया। ब्रैंडन ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था, जिससे कोई परेशानी होती पर ना जाने क्यों सुयश को ऐसा लग रहा था, कि कुछ गड़बड़ जरुर है। सुयश तुरंत स्लीपिंग सूट में ही, पैरों में स्लीपर डालकर तेजी से शैफाली के रूम की ओर भागा।
लेकिन उसका मन किसी अंजानी आशंका के कारण तेजी से धड़क रहा था। कई गैलरियों को पार करते हुए सुयश कुछ ही देर में शैफाली के रुम के पास पहुंच गया। शैफाली के रूम के दरवाजा खुला हुआ था। सुयश ने तेजी से अंदर प्रवेश किया। अंदर माइकल, मारथा, अलबर्ट, ब्रैंडन व लारा एक तरफ रखे सोफे पर बैठे दिखाई दिये। ब्रूनो उनके पास शांत भाव से जमीन पर बैठा था। सुयश को अंदर आते देख सभी उठकर खड़े होने लगे, पर सुयश ने सबको बैठे रहने का इशारा किया। सुयश भी एक खाली पड़े सोफे पर बैठ गया।
“क्या बात है ब्रैंडन?“ सुयश ने ब्रैंडन को देखते हुए कहा- “इतनी रात को आप सब यहां क्या कर रहे हैं?“
“कैप्टेन हमें भी मिस्टर माइकल ने 555 पर फोन करके बुलाया है।“ ब्रैंडन ने माइकल की तरफ इशारा करते हुए कहा-
“पर अभी हमें भी इन्होंने कुछ नहीं बताया है। हमारे आने पर इन्होंने आपको बुलाने के लिए कहा। शायद यह आपके सामने ही कुछ बताना चाहते हैं।“
यह सुन अब सुयश की निगाहें माइकल पर गयीं। माइकल जो अब तक खामोश बैठा था, सुयश को अपनी तरफ देखते हुए देख बोल उठा-
“कैप्टेन! थोड़ी देर पहले, मैं और मारथा इसी रुम में बैठकर आपस में बातें कर रहे थे। शैफाली दूसरे रुम में सो रही थी। तभी हमें शैफाली के रुम से किसी खटके की आवाज आयी। मैं और मारथा लगभग भागते हुए शैफाली के रुम में पहुंचे। वहां पहुंचकर हमने देखा, कि शैफाली के रुम के खिड़की, हवा के चलने की वजह से हिल रही थी। हमें लगा, कि शायद इसी की आवाज हमें आयी होगी। मैंने खिड़की को बंदकर एक नजर शैफाली पर डाली। तभी मुझे शैफाली के सिर के पास तकिये पर रखी, चमकती हुई कोई चीज दिखाई दी। मैंने आगे बढ़कर उस चीज को उठा लिया। वह चीज सोने का एक प्राचीन सिक्का थी।“
“सोने का प्राचीन सिक्का !“ सुयश के मुंह से आश्चर्य भरे स्वर निकले। ब्रैंडन व लारा भी आश्चर्य से माइकल को देख रहे थे।
“जी हाँ ! सोने का प्राचीन सिक्का।“ कहते हुए माइकल ने जेब से, एक सोने का सिक्का निकालकर टेबल पर रख दिया।
सुयश ने उस सिक्के को हाथ में उठा लिया। वह सिक्का शुद्ध सोने का बना था। उस सिक्के के एक साइड में 6 घोड़े, एक रथ को खींच रहे थे। रथ का पिछले हिस्से में एक योद्वा लड़की सवार थी। जिसके हाथ में त्रिशूल था। लड़की के बाल हवा में लहरा रहे थे। सिक्के के दूसरी साइड पर एक खूबसूरत सी डॉल्फिन मछली बनी थी और उस मछली के नीचे, किसी ना समझ में आने वाली भाषा में कुछ लिखा था। जब सुयश ने उस सिक्के को पूरी तरह से देख लिया, तो उसे लारा की तरफ बढ़ा दिया। अब लारा व ब्रैंडन उस सिक्के को देखने लगे।
“तकिये से सिक्का उठाने के बाद मैंने अलबर्ट सर को फोन किया।“ माइकल ने पुनः बोलते हुए कहा- “अलबर्ट सर ने सिक्का देखने के बाद आपको बुलाने के लिए कहा।“
इतना कहने के बाद माइकल ने अपनी बात समाप्त कर दी।
“क्या आपने किसी को भी शैफाली के कमरे में आते-जाते देखा ?“ सुयश ने माइकल को सम्बोधित करते हुए कहा- “या फिर आपकी अनुपस्थिति में कोई आया हो ?“
“नहीं !“ माइकल ने नकारात्मक अंदाज में सिर हिलाते हुए कहा- “कल की घटना के बाद से हम डरे हुए थे। इसलिए ना तो हम कहीं गये थे और ना ही कल से यहां कोई आया था। हमने तो खाना भी रुम में ही मंगा लिया था। वैसे भी कैप्टेन, ब्रूनो के रहते किसी का हमारे कमरे में चोरी-छिपे आना तो पॉसिबल भी नहीं है।“
सुयश की नजर ब्रूनो पर पड़ी। सुयश का चेहरा अपनी तरफ देख, ब्रूनो ने भी फॉर्मेलिटी के अंदाज में पूंछ को 2 बार दांये-बांये कर दिया। अब सुयश अलबर्ट की तरफ मुड़कर बोला-
“प्रोफेसर! आपका क्या कहना है, इस सिक्के के बारे में? क्या आप बता सकते हैं कि यह सिक्का किस देश का है?“
“कैप्टेन! जब मैंने सिक्का देखा तो मुझे भी समझ में नहीं आया, कि इस पर लिखा क्या है?“ अलबर्ट ने सुयश की ओर देखते हुए कहा-
“लेकिन मैं इतना जानता हूं कि ये किसी प्राचीन काल की सभ्यता का सिक्का है। और आज के समय में इसकी कीमत बहुत ज्यादा हो सकती है। इसीलिए ये सिक्का देखने के बाद मैंने माइकल से आपको बुलाने के लिए कहा।“
“प्राचीन काल का सिक्का !“ ब्रैंडन के मुंह से आश्चर्य भरे स्वर में निकला-
“पर ये इतना पुराना सिक्का यहां पर आया कैसे?“
“इस अटलांटिक महासागर में हम लोगों के साथ, जो भी हो जाए वो कम ही है।“ सुयश ने कुछ सोचते हुए गम्भीर शब्दों में कहा।
“अटलांटिक महासागर!“ अचानक अलबर्ट आश्चर्य से भर उठा- “एक मिनट के लिए जरा मुझे वो सिक्का दोबारा दिखाइये।“
सुयश ने टेबल पर रखा सिक्का अलबर्ट की ओर बढ़ा दिया। सभी अब अलबर्ट की ओर देख रहे थे। अलबर्ट ध्यान से सिक्के के दोनों साइड देखता रहा और कुछ देर के बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ी-
“कैप्टेन मुझे यह सिक्का ‘अटलांटिस‘ सभ्यता का लग रहा है।“
“अटलांटिस!“ माइकल को छोड़कर सभी के मुंह से आश्चर्य भरे स्वर निकले। “आप यह बात कैसे कह सकते हैं?“ सुयश ने अलबर्ट की ओर देखते हुए पूछा- “कि ये सिक्का ‘अटलांटिस‘ का है।“
“कैप्टेन जब आपने अटलांटिक महासागर बोला तो अचानक से मुझे अपने ऑफिस की लाइब्रेरी में रखी एक किताब याद आ गयी। जिसका नाम ‘अटलांटिस- एक रहस्यमयी संसार‘ था। वह किताब सन् 1882 में ‘इग्नाटस डोनैली‘ ने लिखी थी, जिन्हें अमेरिकी सरकार ने ‘अटलांटिस‘ पर शोध करने के लिए रखा था। उन्हीं के द्वारा ‘अटलांटोलॉजी‘ नामक विषय की शुरुआत हुई। उसी किताब के कवर पेज पर, कुछ इसी तरह से समुद्र के देवता ‘पोसाइडन‘ की तस्वीर बनी थी।“
“एक मिनट रुकिये अलबर्ट सर।“ माइकल ने अलबर्ट को बीच में ही टोकते हुए कहा- “ये अटलांटिस क्या है? मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता। इसलिए मुझे आप लोगों की बातें समझ नहीं आ रहीं हैं।“
“अटलाटिस एक प्राचीन द्वीप की कहानी है।“ अलबर्ट ने माइकल को बताते हुए कहा- “जिसका जिक्र ग्रीक दार्शनिक ‘प्लेटो ‘ ने आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व किया था। कहते हैं कि अटलांटिस का विज्ञान आज से भी ज्यादा उन्नत था। उनकी धरती पर एलियंस का भी आना जाना था। पर वह द्वीप, एक दिन एक विशालकाय ज्वालामुखी के फटने की वजह से समुद्र में डूब गया। तबसे वैज्ञानिक आज भी उस दुनिया की खोज कर रहें हैं।“
“ओहऽऽऽ!“ माइकल ने एक लम्बी साँस भरी।
जारी रहेगा…....
हेलिकॉप्टर से दिखा व्दीप कही प्राचीन अटलांटीस तो नहीं है
खैर देखते हैं आगे