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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Nice mujhe bhi kuchh aisa hi feel hua tha previous update mein Shefali ka sapna aur civilization dono related ho sakte hain .. kya ye possible ho sakta hai ki coin mein jo lady ki image hai wo Shefali ka ho???
Anything can possibly baki dekhte hain aage kya hota hai??
Yes this can happen 👍 anything possible man :approve: shefali or atlantis ka jaroor koi link hai bhai,
thank you so much for your wonderful review :hug:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Nice 👍 ab to mujhe ye padh kar aur jayada surprise hone laga hai ki aap itni sari information Kahan se collect karte ho... Kya wo aakriti koi Atlantis ka vyakti hai ya kuchh aur ya alien 👽 let's se.

Wonderful update.
Yahi to Raaj hai bhaiya :toohappy:Hum apne raaj itni aasani se nahi kholunga, wo Aakriti kya hai? Kon hai? Ye sab to aage hi pata lagega, uski speed, uski takat sab dekhne layak hai man:approve: Thanks for your wonderful review and support bhai :hug:
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing]
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144
Yahi to Raaj hai bhaiya :toohappy:Hum apne raaj itni aasani se nahi kholunga, wo Aakriti kya hai? Kon hai? Ye sab to aage hi pata lagega, uski speed, uski takat sab dekhne layak hai man:approve: Thanks for your wonderful review and support bhai :hug:
Ye to main bhi janta hoon ki aap nahi batayenge aur mujhe kaun sa research karna hai Atlantic ocean par yadi karna hota to boliye main isse jayada bhi information de sakta hoon main... 😂 😂😂😂... Maine to bas aapke information ki tarif ki thi main aapse ye thodi bol raha hoon mujhe bata dijiye yadi mujhe Janna hua to main khud hi pata kar sakta hoon.
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Badhiya update

Ye albart hamesha sandigdh jagahon per paya ja raha ha ab to is per bhi shak hone laga ha ki kuchh chhupa to nahi raha ye or jo bhi chij thi wo udhar se hi pani me kud gaya ab to lag raha ha ki wo insan to nahi lag raha kisi bhari chij ko uthakar pani me kud jana agar normal insan hoga to marne ke chances ha magar fir bhi koi daring banda ho wo kar bhi sakta ha lekin kyon karega isse saf ha ki wo koi or hi ha or jis prakar se in sabko kapda dekhkar lag raha ha ki inhone use kahin dekha ha to ya to bhagne wale ko ye log jante honge ya fir jis chij ko uthakar lekar wo bhag raha tha us chij ko kyonki kya pata wo kapda uska ho or kya pata ship per kidnaping hui ho or mujhe shefali ke kidnap hone ke chances jyada lag rahe han kahin bahri walon ne utha to nahi liya shefali ko
Shefaali bhi ho sakti hai, ya koi or bhi:approve: Abhi kuch bata nahi sakte bandhu, balki kidnap jai ya murder ya kuch or bhi ho sakta hai :declare:Just wait and watch, Thanks for your wonderful review and support @dev61901:thanx:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Nice kya jisne ocean mein chhalaang lagaya wah ship ka hi koi aadmi tha ya phir koi aur sath hi sath wo kapda Lara, Albert aur Suyash ne kisko pahne huye dekha hai yaad to aa hi jayega abhi na sahi thode time ke baad???

Nice and lovely 🌹 update.
Jo paani me kooda wo insaan bhi hoga to koi saamanya insaan nahi hoga, kyu ki uski furti or takat is baat ka saboot hai,:approve: Ab wo kya hai? Or kon hai? Iska jabaab to aage hi milega, kapde ka rahasya bhi abhi nahi khul sakta bhai, Thanks for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Aisa kuchh nhi hai update badiya tha samjh bhi aaya aur achha bhi laga lekin read early morning kiya to short me comment kiya
Its okay 👍
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Ye to main bhi janta hoon ki aap nahi batayenge aur mujhe kaun sa research karna hai Atlantic ocean par yadi karna hota to boliye main isse jayada bhi information de sakta hoon main... 😂 😂😂😂... Maine to bas aapke information ki tarif ki thi main aapse ye thodi bol raha hoon mujhe bata dijiye yadi mujhe Janna hua to main khud hi pata kar sakta hoon.
Pata lagao then, wo aadmi kon tha bhai 😀😀
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing]
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Pata lagao then, wo aadmi kon tha bhai 😀😀
Apun kyon apun ka dimag kharab karega mamu jab kisi ko necessity hoti hai tabhi wo kaam karta hai... Abhi jarurat hai hi nahi???
Story mein pata chal hi jayega aur nahi chala to aapko kuchh gali sunna padega readers logo se ki aapne jawab nahi diya pahle hi bata de raha hoon.

😂😂😂😂 Aur yahan logo ke pass galiyon ki bhandar hai.
 
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# 21 .
2 जनवरी 2002, बुधवार, 14:30; ‘सुप्रीम’

अगले दिन दोपहर तक कोई ऐसी विशेष घटना नहीं घटी, जिसका कि जिक्र किया जा सके।
शिप के सारे यात्री अपने आप में मशगूल थे। कुछ चिंतित दिख रहे थे, तो कुछ अपनी इस नई जिंदगी में आशाओं और उल्लास की नई किरण ढूंढ रहे थे। सभी को अब शिप की वास्तविक स्थिति की जानकारी हो गई थी। उनको पता चल गया था, कि सुप्रीम इस विशाल सागर में रास्ता भटक गया है।

सभी यात्रियों की तरह, असलम भी डेक पर इधर-उधर चहल कदमी कर रहा था। उसके हाथों में एक शक्तिशाली दूरबीन भी थी। जिसे वह बीच-बीच में आंखों से लगा कर, दूर-दूर तक अपनी नजरें दौड़ा रहा था। अचानक उसकी नजरें बहुत दूर एक काले से धब्बे पर पड़ीं। उसे देखते ही असलम खुशी से मन ही मन बुदबुदाया-

“द्वी प!“ असलम तुरंत दूरबीन को और एडजस्ट करके ध्यान से देखने लगा- “द्वीप ही है।“

द्वीप को ध्यान से देखने के बाद, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव आ गये। उसने तुरंत वॉकी टॉकी से, कंट्रोल रुम में मौजूद ड्रेजलर को, शिप को द्वीप की तरफ मोड़ने के लिए बोल दिया। अब वह कैप्टेन सुयश को यह खुशखबरी देने के लिए उसके रुम की ओर चल दिया।

असलम की चाल में तेजी थी और उसके चेहरे पर ना समझ में आने वाले कुछ भाव थे। थोड़ी ही देर में वह सुयश के रुम तक पहुंच गया।

“कैप्टेन-कैप्टेन!“ असलम खुशी के मारे तेजी से, बिना दरवाजे पर नॉक कि ये ही सुयश के रुम में घुस गया। उसकी तेज आवाज सुन, सुयश जो कि बहुत गहरी नींद में सो रहा था, हड़बड़ा कर उठकर बैठ गया।

“क्या हुआ? क्या फिर कोई मुसीबत आ गई?“ सुयश ने डरते हुए कहा।

“नहीं कैप्टेन! इस बार एक अच्छी खबर है।“ असलम ने खुशी भरे लहजे में कहा- “हमें कुछ दूरी पर एक द्वीप दिखाई दे रहा है।“

“द्वीप!“ सुयश ने आश्चर्य से कहा।

“यस कैप्टेन द्वीप!“ असलम ने कहा- “आप जल्दी चलिए। वैसे मैंने सुप्रीम के चालक दल को शिप को उधर मोड़ने के लिए बोल दिया है।“

सुयश ने पैरों में स्लीपर डाला और असलम के साथ, लगभग भागते हुए, शिप के डेक पर पहुंच गया। यह वही डेक था, जहां पर हेलीपैड था। इसलिए यहां पर कोई यात्री नहीं था। तब तक शिप को द्वीप की ओर मोड़ा जा चुका था। अब वह द्वीप, बहुत ज्यादा दूरी पर नहीं था।

असलम ने धीरे से दूरबीन, सुयश के हाथों में दे दी। सुयश ने दूरबीन को अपनी आँखों पर चढ़ा लिया। अब वह बहुत ध्यान से उस द्वीप को देख रहा था।

तभी ब्रैंडन भी सुयश को ढूंढता हुआ वहां आ पहुंचा। अब ब्रैडन की भी निगाह द्वीप की ओर थी। काफी हरा -भरा द्वीप था। मौसम कुछ ज्यादा ठंडा होने की वजह से, दिन के समय में भी, हल्की-हल्की सी धुंध द्वीप के चारो ओर फैली हुई थी। कुछ अजीब सी पहाड़ियां भी दिखाई दे रहीं थीं। जिसके कारण द्वीप का ये हिस्सा, एक अजीब सा नजारा प्रस्तुत कर रहा था।

अब तक ब्रैंडन भी दूसरी दूरबीन प्राप्त कर चुका था। और वह भी बड़े ध्यान से द्वीप की ओर देख रहा था।

“कैप्टन!“ ब्रैंडन ने द्वीप की ओर देखते हुए सुयश से पूछा- “आपको इस द्वीप को देखकर क्या महसूस हो रहा है?“

“मुझे ये वही द्वीप लग रहा है ब्रैंडन।“ सुयश के आवाज में बर्फ की सी ठण्डक थी- “जिसका जिक्र रोजर व शैफाली ने किया था।“

“इक्जैक्टली ! यही बात तो मैं भी आपसे कहना चाहता था कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने अपनी सहमति जताई-

“और आप जरा इस द्वीप के आस-पास का क्षेत्र तो देखिए। एक अजीब सी निस्तब्धता छाई है। एक विचित्र से डरावनेपन का अहसास हो रहा है।“

“तुम बिल्कुल सही कह रहे हो ब्रैंडन।“ सुयश ने अपनी आँखों के आगे से दूरबीन हटाते हुए कहा-

“मैंने भी जब से ये द्वीप देखा है, तब से बार-बार मुझे रोजर व शैफाली की कही बातें याद आ रहीं हैं।“ असलम को शैफाली के सपनों के बारे में कुछ नहीं पता था। पर उसने सुयश को बीच में टोकना सही नहीं समझा।

“कैप्टेन!“ ब्रैंडन ने कहा- “अगर शैफाली की यह बात सही निकली है तो क्या बाकी बातें भी सही होंगी।“

“कुछ कह नहीं सकता ब्रैंडन?“ सुयश का दिमाग इस समय बहुत तेजी से चल रहा था-
“पर ये बात तो श्योर है कि इस द्वीप पर कुछ ना कुछ खतरा जरुर है।“

तब तक शिप, द्वीप के काफी पास आ गया था। शिप को पास आया देख अब असलम से ना रहा गया। वह बोल उठा-
“कैप्टेन! अब हमें क्या करना है? क्या इस द्वीप पर जाना है या...............?“

असलम ने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी। असलम की बात सुनकर, सुयश जैसे सपनों से बाहर आया। उसने एक नजर ब्रैंडन और असलम पर डाली और फिर बोल उठा-

“नहीं असलम। पिछली सारी बातें गौर करने के बाद, मैंने यह सोच लिया है कि हमें इस द्वीप पर नहीं जाना है। क्यों तुम्हारा क्या ख्याल है ब्रैंडन?“

“मैं भी आपसे सहमत हूं कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने सुयश की बात का सर्मथन देते हुए कहा।

“तो फिर ठीक है।“ सुयश ने असलम की ओर घूमते हुए कहा- “शिप को दूसरी दिशा में मोड़कर, आगे बढ़ाने का आदेश दे दो।“

“पर कैप्टन!“ असलम ने थोड़ा अनमने भाव से कहा- “इस द्वीप की बात पूरे शिप पर फैल गयी होगी। बहुत से लोगों ने तो इस द्वीप को देख भी लिया होगा और वह खुश होकर इसकी जमीन को छूने के लिए बेकरार भी होंगे। ऐसे में हम उन्हें क्या समझाएंगे?“

“कुछ भी कहो ? पर उन्हें समझाओ।“ सुयश ने थोड़ा बेचैन हो कर कहा- “पर ..... पर ..... शिप को इस मनहूस द्वीप से दूर ले चलो।“

यह कहकर सुयश ने, एक बार फिर गहरी निगाहों से उस रहस्यमई द्वीप को देखा और फिर डेक से हटकर, नीचे अपने केबिन की ओर चल दिया। ब्रैंडन भी सुयश को जाता देख वहां से चला गया।

असलम अब डेक पर अकेला खड़ा था। पर उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नहीं थे। शायद वह सुयश के इस फैसले से नाराज था।

चैपटर-7 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 00:30; रात के लगभग 12:30 हो रहे थे।

जहां एक ओर सारे यात्री, अपने-अपने कमरों में सो रहे थे। वहीं सुयश, लारा के साथ पूरे शिप का चक्कर लगा रहा था। दिन में सोने की वजह से, सुयश कुछ फ्रेश नजर आ रहा था। इसलिए आज उसने लारा के साथ, कुछ देर गश्त लगाने का निर्णय लिया था।

“तुम्हें क्या लगता है लारा ?“ सुयश ने लारा की ओर देखते हुए कहा- “इन अजीब सी घटनाओं के पीछे क्या कारण हो सकता है?“

“सिंपल सी बात है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “हम लोग इस समय बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमई व खतरनाक क्षेत्र से गुजर रहे हैं। यह क्षेत्र विश्व के अनसुलझे रहस्यों में से एक है, तो फिर यहां इस तरह की घटनाएं होना लाजिमी है। बल्कि अगर यह कहा जाए, कि यदि हम लोग इस खतरनाक क्षेत्र से निकलने में कामयाब हो जाएं, तो हम इस क्षेत्र में इतना अंदर जा कर निकलने वाले, विश्व के पहले व्यक्ति होंगे।“

“नहीं...... नहीं....! पहले नहीं।“ सुयश ने लारा की बात काटते हुए कहा- “दूसरे व्यक्ति होंगे। क्यों कि इसके पहले भी एक व्यक्ति, इस खतरनाक क्षेत्र से जीवित बच निकलने में सफल रहा था।“

“पहला व्यक्ति कौन था ?“ लारा ने उत्सुक स्वर में सुयश की ओर देखते हुए कहा।

“आज से लगभग 16 साल पहले, ‘ब्लैक थंडर‘ नाम का, एक पुर्तगाली पानी का जहाज हम लोगों की तरह भटक कर, इस रहस्यमई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था। बाहरी दुनिया से उसका संपर्क कट जाने के बाद, उस जहाज का क्या हुआ? यह कोई ना जान पाया। उसके खोने के लगभग 3 महीने के बाद, एक दूसरे जहाज के यात्रियों को लकड़ी के तख्ते पर तैरता हुआ, एक व्यक्ति मिला। उसे जहाज पर खींच लिया गया। iलेकिन वह व्यक्ति मानसिक रूप से पूर्ण विक्षिप्त था।
बाद में उसके बारे में पता चला, कि उस व्यक्ति का नाम विलियम डिकोस्टा था। और वह उसी जहाज का यात्री था, जो बारामूडा त्रिकोण के इन रहस्यमय अंधेरों में खो गया था।
लेकिन कोई भी उससे यह नहीं पता लगवा सका कि वह बीते हुए 3 महीने तक कहां था ? और उसने क्या-क्या देखा ? कुछ साल बाद उसके मरने का न्यूज भी आया था। लेकिन मरने से पहले तक उसकी यादाश्त नहीं लौटी थी।
इसलिए इस क्षेत्र का राज कभी खुल नहीं पाया।“ कहते-कहते सुयश शांत हो गया।

“आपको तो इस क्षेत्र की काफी जानकारी लगती है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की प्रशंसा करते हुए कहा।

“नहीं ! ऐसी कोई बात नहीं है। मैं भी इस क्षेत्र में बहुत अधिक समय से नहीं चल रहा हूं।“ सुयश ने कहा-

“लेकिन मुझे ऐसे रहस्यमय क्षेत्रों के बारे में जानना बहुत अच्छा लगता है। मैं जब छोटा था, तभी से मुझे यह सुपर नेचुरल रहस्य बहुत अच्छे लगते थे। मैं हमेशा ही ऐसी किताबें पढ़ा करता था, जो मानव मस्तिष्क से परे, रहस्य की दुनिया की जानकारी देते हों।
जैसे इस बारामूडा त्रिकोण की जानकारी, मुझे सन 1964 में प्रकाशित ‘आरगोशी ‘ नामक पत्रिका से प्राप्त हुई। जिसे मैंने बाद में पढ़ा था ।
उसके लेखक ‘विंसेंट एच गेडिड्स‘ थे। उन्होंने उस पुस्तक में विस्तार से, बारामूडा त्रिकोण के बारे में जानकारी दी है।
उसके बाद इस रहस्यमय त्रिकोण के बारे में लेखक ‘इवान टीसेण्डरसन‘ ने भी काफी कुछ लिखा। उन्होंने इस प्रकार के क्षेत्रों को ‘वाइल वोर्टइसिज‘ का नाम दिया।
फिर सन् 1973 में इनसाइक्लो पीडिया ‘ब्रिटानिका ‘ ने भी बारामूडा त्रिकोण के बारे में काफी कुछ लिखा।
उसके बाद 1973 में ही ‘जॉन वेलेस स्पेंसर’ की पुस्तक ‘लिंबो ऑफ द लास्ट‘, 1974 में ‘चाल्र्स बर्लिट्ज‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल‘ और 1975 में ‘लॉरेंश डीकुस्शे‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल मिस्ट्री साल्वड‘ नामक पुस्तक, प्रकाश में आई।“

“इन सभी पुस्तकों ने दुनिया भर के लोगों में, बारामूडा त्रिकोण के बारे में उत्सुकता जगा दी। लेकिन कोई भी किताब इस रहस्य को सुलझाने में असमर्थ रही। सभी लेखकों के अपने-अपने तथ्य थे, जो उनके हिसाब से तो सही थे। पर दूसरों से थोड़ा अलग थे।“ सुयश ने थोड़ा रुक कर फिर बोलना शुरू किया-


“मुझे स्वयं इस क्षेत्र के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता रहती थी। पर मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मुझे जिंदगी में कभी इस क्षेत्र में भटकना पड़ेगा।“

“अब तो यह स्थिति आ गई है सर।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “कि मारे डर के, कोई भी यात्री ढंग से सो भी नहीं पा रहा है। सभी के दिमाग में, एक ही सवाल कौंध रहा है, कि क्या वह बच कर अपनी सभ्यता तक वापस जा सकेंगे?
वैसे हम यात्रियों के बारे में क्या कहें, हमारे तो चालक दल व कर्मचारी भी ऐसा ही सोच.. ..... .............।“

कहते कहते लारा एकाएक चुप सा हो गया और एक तरफ देखने लगा। सुयश भी उसकी आंखों का पीछा करते हुए, उस तरफ देखने लगा, जिस तरफ लारा देख रहा था। पर उसे सामने कुछ दिखाई नहीं दिया।

“क्या बात है लारा ? तुम बोलते-बोलते एका एक चुप क्यों हो गये?“ सुयश ने धीरे से लारा से पूछा।

“श्ऽऽऽऽऽ......।“ लारा ने अपने होठों पर उंगली रखते हुए, सुयश को चुप रहने को कहा। और धीरे-धीरे एक दिशा की ओर, दबे पांव चल पड़ा। सुयश की समझ में तो कुछ नहीं आया, पर वह भी धीरे-धीरे लारा के पीछे चल पड़ा। तभी गैलरी के दूसरे किनारे पर, एक मानवाकृति जैसी परछाई दिखाई दी।

“कौ न है वहां ? रुक जाओ!“ लारा ने चिल्लाते हुए तेजी से रिवाल्वर निकाल ली-
“रुक जाओ, वरना गोली मार दूंगा।“

उसकी आवाज सुनते ही वह परछाई, जो कंधे पर कोई चीज उठाए थी, तेजी से एक दिशा की ओर भागी। उसको भागते देख लारा व सुयश तेजी से उस साये के पीछे भागे।

“मैं कहता हूं रुक जा ओ।“ लारा के दहाड़ते हुए शब्दों से पूरी गैलरी थर्रा सी गयी -
“वरना मैं गोली चला दूंगा।“
लारा की दूसरी धमकी से भी साये की गति में कोई अंतर नहीं आया। वह आकृति अभी भी निरंतर भागती जा रही थी। गैलरी के हर मोड़ पर उन्हें सिर्फ एहसास हो रहा था कि कोई अभी तेजी से यहां से निकला है। उस आकृति की स्पीड इतनी तेज थी कि उन्हें गोली चलाने का भी समय नहीं मिल पा रहा था।






जारी… रहेगा....……✍️
Wo manavaakriti kya thi? Kon tha wo? Jo itna saktisaali hai ki ek bhaari cheej ko apne kandhe per uthaye itna teej or itni door tak bina thake bhaag sake? Or sabse badi baat itna bhaagne ke baad bhi jump le kar ship ki reling per chadh jaaye, or 40 _50 meter ki hight se chalti ship se chalaang laga kar paani me kood jay iske peeche jaroor koi rahasya hai sir, mind blowing writing ✍️ mann jeet liya guruji :claps: :claps: :claps: kya must Update tha👌🏻👌🏻
 
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2 जनवरी 2002, बुधवार, 14:30; ‘सुप्रीम’

अगले दिन दोपहर तक कोई ऐसी विशेष घटना नहीं घटी, जिसका कि जिक्र किया जा सके।
शिप के सारे यात्री अपने आप में मशगूल थे। कुछ चिंतित दिख रहे थे, तो कुछ अपनी इस नई जिंदगी में आशाओं और उल्लास की नई किरण ढूंढ रहे थे। सभी को अब शिप की वास्तविक स्थिति की जानकारी हो गई थी। उनको पता चल गया था, कि सुप्रीम इस विशाल सागर में रास्ता भटक गया है।

सभी यात्रियों की तरह, असलम भी डेक पर इधर-उधर चहल कदमी कर रहा था। उसके हाथों में एक शक्तिशाली दूरबीन भी थी। जिसे वह बीच-बीच में आंखों से लगा कर, दूर-दूर तक अपनी नजरें दौड़ा रहा था। अचानक उसकी नजरें बहुत दूर एक काले से धब्बे पर पड़ीं। उसे देखते ही असलम खुशी से मन ही मन बुदबुदाया-

“द्वी प!“ असलम तुरंत दूरबीन को और एडजस्ट करके ध्यान से देखने लगा- “द्वीप ही है।“

द्वीप को ध्यान से देखने के बाद, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव आ गये। उसने तुरंत वॉकी टॉकी से, कंट्रोल रुम में मौजूद ड्रेजलर को, शिप को द्वीप की तरफ मोड़ने के लिए बोल दिया। अब वह कैप्टेन सुयश को यह खुशखबरी देने के लिए उसके रुम की ओर चल दिया।

असलम की चाल में तेजी थी और उसके चेहरे पर ना समझ में आने वाले कुछ भाव थे। थोड़ी ही देर में वह सुयश के रुम तक पहुंच गया।

“कैप्टेन-कैप्टेन!“ असलम खुशी के मारे तेजी से, बिना दरवाजे पर नॉक कि ये ही सुयश के रुम में घुस गया। उसकी तेज आवाज सुन, सुयश जो कि बहुत गहरी नींद में सो रहा था, हड़बड़ा कर उठकर बैठ गया।

“क्या हुआ? क्या फिर कोई मुसीबत आ गई?“ सुयश ने डरते हुए कहा।

“नहीं कैप्टेन! इस बार एक अच्छी खबर है।“ असलम ने खुशी भरे लहजे में कहा- “हमें कुछ दूरी पर एक द्वीप दिखाई दे रहा है।“

“द्वीप!“ सुयश ने आश्चर्य से कहा।

“यस कैप्टेन द्वीप!“ असलम ने कहा- “आप जल्दी चलिए। वैसे मैंने सुप्रीम के चालक दल को शिप को उधर मोड़ने के लिए बोल दिया है।“

सुयश ने पैरों में स्लीपर डाला और असलम के साथ, लगभग भागते हुए, शिप के डेक पर पहुंच गया। यह वही डेक था, जहां पर हेलीपैड था। इसलिए यहां पर कोई यात्री नहीं था। तब तक शिप को द्वीप की ओर मोड़ा जा चुका था। अब वह द्वीप, बहुत ज्यादा दूरी पर नहीं था।

असलम ने धीरे से दूरबीन, सुयश के हाथों में दे दी। सुयश ने दूरबीन को अपनी आँखों पर चढ़ा लिया। अब वह बहुत ध्यान से उस द्वीप को देख रहा था।

तभी ब्रैंडन भी सुयश को ढूंढता हुआ वहां आ पहुंचा। अब ब्रैडन की भी निगाह द्वीप की ओर थी। काफी हरा -भरा द्वीप था। मौसम कुछ ज्यादा ठंडा होने की वजह से, दिन के समय में भी, हल्की-हल्की सी धुंध द्वीप के चारो ओर फैली हुई थी। कुछ अजीब सी पहाड़ियां भी दिखाई दे रहीं थीं। जिसके कारण द्वीप का ये हिस्सा, एक अजीब सा नजारा प्रस्तुत कर रहा था।

अब तक ब्रैंडन भी दूसरी दूरबीन प्राप्त कर चुका था। और वह भी बड़े ध्यान से द्वीप की ओर देख रहा था।

“कैप्टन!“ ब्रैंडन ने द्वीप की ओर देखते हुए सुयश से पूछा- “आपको इस द्वीप को देखकर क्या महसूस हो रहा है?“

“मुझे ये वही द्वीप लग रहा है ब्रैंडन।“ सुयश के आवाज में बर्फ की सी ठण्डक थी- “जिसका जिक्र रोजर व शैफाली ने किया था।“

“इक्जैक्टली ! यही बात तो मैं भी आपसे कहना चाहता था कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने अपनी सहमति जताई-

“और आप जरा इस द्वीप के आस-पास का क्षेत्र तो देखिए। एक अजीब सी निस्तब्धता छाई है। एक विचित्र से डरावनेपन का अहसास हो रहा है।“

“तुम बिल्कुल सही कह रहे हो ब्रैंडन।“ सुयश ने अपनी आँखों के आगे से दूरबीन हटाते हुए कहा-

“मैंने भी जब से ये द्वीप देखा है, तब से बार-बार मुझे रोजर व शैफाली की कही बातें याद आ रहीं हैं।“ असलम को शैफाली के सपनों के बारे में कुछ नहीं पता था। पर उसने सुयश को बीच में टोकना सही नहीं समझा।

“कैप्टेन!“ ब्रैंडन ने कहा- “अगर शैफाली की यह बात सही निकली है तो क्या बाकी बातें भी सही होंगी।“

“कुछ कह नहीं सकता ब्रैंडन?“ सुयश का दिमाग इस समय बहुत तेजी से चल रहा था-
“पर ये बात तो श्योर है कि इस द्वीप पर कुछ ना कुछ खतरा जरुर है।“

तब तक शिप, द्वीप के काफी पास आ गया था। शिप को पास आया देख अब असलम से ना रहा गया। वह बोल उठा-
“कैप्टेन! अब हमें क्या करना है? क्या इस द्वीप पर जाना है या...............?“

असलम ने जान बूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी। असलम की बात सुनकर, सुयश जैसे सपनों से बाहर आया। उसने एक नजर ब्रैंडन और असलम पर डाली और फिर बोल उठा-

“नहीं असलम। पिछली सारी बातें गौर करने के बाद, मैंने यह सोच लिया है कि हमें इस द्वीप पर नहीं जाना है। क्यों तुम्हारा क्या ख्याल है ब्रैंडन?“

“मैं भी आपसे सहमत हूं कैप्टेन।“ ब्रैंडन ने सुयश की बात का सर्मथन देते हुए कहा।

“तो फिर ठीक है।“ सुयश ने असलम की ओर घूमते हुए कहा- “शिप को दूसरी दिशा में मोड़कर, आगे बढ़ाने का आदेश दे दो।“

“पर कैप्टन!“ असलम ने थोड़ा अनमने भाव से कहा- “इस द्वीप की बात पूरे शिप पर फैल गयी होगी। बहुत से लोगों ने तो इस द्वीप को देख भी लिया होगा और वह खुश होकर इसकी जमीन को छूने के लिए बेकरार भी होंगे। ऐसे में हम उन्हें क्या समझाएंगे?“

“कुछ भी कहो ? पर उन्हें समझाओ।“ सुयश ने थोड़ा बेचैन हो कर कहा- “पर ..... पर ..... शिप को इस मनहूस द्वीप से दूर ले चलो।“

यह कहकर सुयश ने, एक बार फिर गहरी निगाहों से उस रहस्यमई द्वीप को देखा और फिर डेक से हटकर, नीचे अपने केबिन की ओर चल दिया। ब्रैंडन भी सुयश को जाता देख वहां से चला गया।

असलम अब डेक पर अकेला खड़ा था। पर उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नहीं थे। शायद वह सुयश के इस फैसले से नाराज था।

चैपटर-7 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 00:30; रात के लगभग 12:30 हो रहे थे।

जहां एक ओर सारे यात्री, अपने-अपने कमरों में सो रहे थे। वहीं सुयश, लारा के साथ पूरे शिप का चक्कर लगा रहा था। दिन में सोने की वजह से, सुयश कुछ फ्रेश नजर आ रहा था। इसलिए आज उसने लारा के साथ, कुछ देर गश्त लगाने का निर्णय लिया था।

“तुम्हें क्या लगता है लारा ?“ सुयश ने लारा की ओर देखते हुए कहा- “इन अजीब सी घटनाओं के पीछे क्या कारण हो सकता है?“

“सिंपल सी बात है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “हम लोग इस समय बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमई व खतरनाक क्षेत्र से गुजर रहे हैं। यह क्षेत्र विश्व के अनसुलझे रहस्यों में से एक है, तो फिर यहां इस तरह की घटनाएं होना लाजिमी है। बल्कि अगर यह कहा जाए, कि यदि हम लोग इस खतरनाक क्षेत्र से निकलने में कामयाब हो जाएं, तो हम इस क्षेत्र में इतना अंदर जा कर निकलने वाले, विश्व के पहले व्यक्ति होंगे।“

“नहीं...... नहीं....! पहले नहीं।“ सुयश ने लारा की बात काटते हुए कहा- “दूसरे व्यक्ति होंगे। क्यों कि इसके पहले भी एक व्यक्ति, इस खतरनाक क्षेत्र से जीवित बच निकलने में सफल रहा था।“

“पहला व्यक्ति कौन था ?“ लारा ने उत्सुक स्वर में सुयश की ओर देखते हुए कहा।

“आज से लगभग 16 साल पहले, ‘ब्लैक थंडर‘ नाम का, एक पुर्तगाली पानी का जहाज हम लोगों की तरह भटक कर, इस रहस्यमई क्षेत्र में प्रवेश कर गया था। बाहरी दुनिया से उसका संपर्क कट जाने के बाद, उस जहाज का क्या हुआ? यह कोई ना जान पाया। उसके खोने के लगभग 3 महीने के बाद, एक दूसरे जहाज के यात्रियों को लकड़ी के तख्ते पर तैरता हुआ, एक व्यक्ति मिला। उसे जहाज पर खींच लिया गया। iलेकिन वह व्यक्ति मानसिक रूप से पूर्ण विक्षिप्त था।
बाद में उसके बारे में पता चला, कि उस व्यक्ति का नाम विलियम डिकोस्टा था। और वह उसी जहाज का यात्री था, जो बारामूडा त्रिकोण के इन रहस्यमय अंधेरों में खो गया था।
लेकिन कोई भी उससे यह नहीं पता लगवा सका कि वह बीते हुए 3 महीने तक कहां था ? और उसने क्या-क्या देखा ? कुछ साल बाद उसके मरने का न्यूज भी आया था। लेकिन मरने से पहले तक उसकी यादाश्त नहीं लौटी थी।
इसलिए इस क्षेत्र का राज कभी खुल नहीं पाया।“ कहते-कहते सुयश शांत हो गया।

“आपको तो इस क्षेत्र की काफी जानकारी लगती है कैप्टन।“ लारा ने सुयश की प्रशंसा करते हुए कहा।

“नहीं ! ऐसी कोई बात नहीं है। मैं भी इस क्षेत्र में बहुत अधिक समय से नहीं चल रहा हूं।“ सुयश ने कहा-

“लेकिन मुझे ऐसे रहस्यमय क्षेत्रों के बारे में जानना बहुत अच्छा लगता है। मैं जब छोटा था, तभी से मुझे यह सुपर नेचुरल रहस्य बहुत अच्छे लगते थे। मैं हमेशा ही ऐसी किताबें पढ़ा करता था, जो मानव मस्तिष्क से परे, रहस्य की दुनिया की जानकारी देते हों।
जैसे इस बारामूडा त्रिकोण की जानकारी, मुझे सन 1964 में प्रकाशित ‘आरगोशी ‘ नामक पत्रिका से प्राप्त हुई। जिसे मैंने बाद में पढ़ा था ।
उसके लेखक ‘विंसेंट एच गेडिड्स‘ थे। उन्होंने उस पुस्तक में विस्तार से, बारामूडा त्रिकोण के बारे में जानकारी दी है।
उसके बाद इस रहस्यमय त्रिकोण के बारे में लेखक ‘इवान टीसेण्डरसन‘ ने भी काफी कुछ लिखा। उन्होंने इस प्रकार के क्षेत्रों को ‘वाइल वोर्टइसिज‘ का नाम दिया।
फिर सन् 1973 में इनसाइक्लो पीडिया ‘ब्रिटानिका ‘ ने भी बारामूडा त्रिकोण के बारे में काफी कुछ लिखा।
उसके बाद 1973 में ही ‘जॉन वेलेस स्पेंसर’ की पुस्तक ‘लिंबो ऑफ द लास्ट‘, 1974 में ‘चाल्र्स बर्लिट्ज‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल‘ और 1975 में ‘लॉरेंश डीकुस्शे‘ की पुस्तक ‘द बारामूडा ट्रांइगिल मिस्ट्री साल्वड‘ नामक पुस्तक, प्रकाश में आई।“

“इन सभी पुस्तकों ने दुनिया भर के लोगों में, बारामूडा त्रिकोण के बारे में उत्सुकता जगा दी। लेकिन कोई भी किताब इस रहस्य को सुलझाने में असमर्थ रही। सभी लेखकों के अपने-अपने तथ्य थे, जो उनके हिसाब से तो सही थे। पर दूसरों से थोड़ा अलग थे।“ सुयश ने थोड़ा रुक कर फिर बोलना शुरू किया-


“मुझे स्वयं इस क्षेत्र के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता रहती थी। पर मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मुझे जिंदगी में कभी इस क्षेत्र में भटकना पड़ेगा।“

“अब तो यह स्थिति आ गई है सर।“ लारा ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “कि मारे डर के, कोई भी यात्री ढंग से सो भी नहीं पा रहा है। सभी के दिमाग में, एक ही सवाल कौंध रहा है, कि क्या वह बच कर अपनी सभ्यता तक वापस जा सकेंगे?
वैसे हम यात्रियों के बारे में क्या कहें, हमारे तो चालक दल व कर्मचारी भी ऐसा ही सोच.. ..... .............।“

कहते कहते लारा एकाएक चुप सा हो गया और एक तरफ देखने लगा। सुयश भी उसकी आंखों का पीछा करते हुए, उस तरफ देखने लगा, जिस तरफ लारा देख रहा था। पर उसे सामने कुछ दिखाई नहीं दिया।

“क्या बात है लारा ? तुम बोलते-बोलते एका एक चुप क्यों हो गये?“ सुयश ने धीरे से लारा से पूछा।

“श्ऽऽऽऽऽ......।“ लारा ने अपने होठों पर उंगली रखते हुए, सुयश को चुप रहने को कहा। और धीरे-धीरे एक दिशा की ओर, दबे पांव चल पड़ा। सुयश की समझ में तो कुछ नहीं आया, पर वह भी धीरे-धीरे लारा के पीछे चल पड़ा। तभी गैलरी के दूसरे किनारे पर, एक मानवाकृति जैसी परछाई दिखाई दी।

“कौ न है वहां ? रुक जाओ!“ लारा ने चिल्लाते हुए तेजी से रिवाल्वर निकाल ली-
“रुक जाओ, वरना गोली मार दूंगा।“

उसकी आवाज सुनते ही वह परछाई, जो कंधे पर कोई चीज उठाए थी, तेजी से एक दिशा की ओर भागी। उसको भागते देख लारा व सुयश तेजी से उस साये के पीछे भागे।

“मैं कहता हूं रुक जा ओ।“ लारा के दहाड़ते हुए शब्दों से पूरी गैलरी थर्रा सी गयी -
“वरना मैं गोली चला दूंगा।“
लारा की दूसरी धमकी से भी साये की गति में कोई अंतर नहीं आया। वह आकृति अभी भी निरंतर भागती जा रही थी। गैलरी के हर मोड़ पर उन्हें सिर्फ एहसास हो रहा था कि कोई अभी तेजी से यहां से निकला है। उस आकृति की स्पीड इतनी तेज थी कि उन्हें गोली चलाने का भी समय नहीं मिल पा रहा था।






जारी… रहेगा....……✍️
Wo manavaakriti kya thi? Kon tha wo? Jo itna saktisaali hai ki ek bhaari cheej ko apne kandhe per uthaye itna teej or itni door tak bina thake bhaag sake? Or sabse badi baat itna bhaagne ke baad bhi jump le kar ship ki reling per chadh jaaye, or 40 _50 meter ki hight se chalti ship se chalaang laga kar paani me kood jay iske peeche jaroor koi rahasya hai sir, mind blowing writing ✍️ mann jeet liya guruji :claps: :claps: :claps: kya must Update tha👌🏻👌🏻
# 22 .
एक गैलरी में मुड़ते ही, उन्हें सामने कोई नहीं दिखाई दिया।
लेकिन सीढ़ियों के ऊपर का दरवाजा अभी भी हिल रहा था। जिसका साफ मतलब था, कि जो भी अभी आगे भाग रहा था, वह डेक की ओर गया है।

सुयश व लारा भी तेजी से डेक की तरफ खुलने वाले दरवाजे की ओर भागे। लेकिन जैसे ही वह दरवाजे के पास पहुंचे, इन्हें एक ‘छपाक‘ की तेज सी ध्वनि सुनाई दी। ऐसा लगा जैसे कोई चीज पानी में गिरी हो।
दोनों भागकर डेक पर पहुंचे, तो इन्हें डेक की रेलिंग के पास कोई खड़ा हुआ नजर आया । जो समुद्र में कुछ देख रहा था। लारा ने भागकर उसे पकड़ लिया। वह कोई और नहीं, प्रोफेसर अलबर्ट डिसूजा थे।

“क्या फेंका आपने पानी में?“ सुयश ने अलबर्ट से थोड़ी तेज आवाज में पूछा।

“मैं......मैंने क्या फेंका ? मैं तो उसे रोकने की कोशिश कर रहा था।“ अलबर्ट ने घबराये से स्वर में कहा।

“किसे?......किसे रोकने की कोशिश कर रहे थे?“ लारा ने हांफते हुए, थोडे़ नाराजगी भरे अंदाज में कहा।

“मुझे नहीं पता, कि वह कौन था? मैं तो यहां सिगरेट पीने के लिए आया था। तभी मुझे ‘रुक जाओ‘ की तेज आवाज सुनाई दी। मेरी निगाहें आवाज की दिशा में घूम गयी। तभी मुझे दरवाजे से निकलकर, रेलिंग की तरफ भागता हुआ, एक साया दिखाई दिया। मैं उसे पकड़ने के लिए उसकी तरफ लपका। इसके कारण मेरी सिगरेट भी मेरे हाथ से गिर गई। उसकी रफ्तार बहुत तेज थी। उसने अपने कंधों पर कुछ उठा रखा था। इससे पहले कि मैं उस साये के पास पहुंच पाता, वह साया पानी में कूद गया। मैं अभी उसे देख ही रहा था कि तभी आप लोग आ पहुंचे।“

“वाह-वाह! क्या कहानी बनाई है?“ लारा ने रिवाल्वर को जेब में रखते हुए, अपने दोनों हाथों से ताली बजाई-
“मान गए आपके दिमाग को मिस्टर अलबर्ट। कितने कम समय में कितनी अच्छी कहानी आपने बना डाली।“

“कहानी !...............आपको क्या लगता है कि मैंने आपको मनगढ़ंत कहानी सुनाई है?“ अलबर्ट ने थोड़ा रोष में आते हुए कहा।

“और नहीं तो क्या........?“ लारा ने थोड़ा मुस्कान बिखेरते हुए कहा-
“ये भी तो हो सकता है कि आप ही कुछ लेकर भाग रहे हों और डेक पर पहुंचकर आपने वह चीज पानी में फेंक दी हो, और फिर हम लोगों के देख लेने के बाद अपनी जान बचाने के लिए चुपचाप खड़े हो गए हों और एक शानदार कहानी भी बना कर हमें सुनादी हो।“

“हो सकता था, बिल्कुल हो सकता था । लेकिन मैं आपको साबित कर दूंगा कि आपके आगे भागने वाला मैं नहीं था।“ अलबर्ट ने विश्वास भरे शब्दों में कहा।

“अच्छा ! तो साबित करके दिखाइए ।“ लारा ने बिल्कुल परीक्षक जैसी पैनी निगाहों से अलबर्ट को देखते हुए कहा। सुयश भी तीखी निगाहों से एकटक अलबर्ट को घूरे जा रहा था।

“अच्छा तो यह बताइए भागने वाले ने अपने कंधे पर क्या उठा रखा था ?“ अलबर्ट ने लारा की तरफ देखते हुए कहा।

“अब भला यह हम कैसे बता सकते हैं?“ लारा का जवाब बिलकुल साधारण था- “कि भागने वाले ने अपने कंधे पर क्या उठा रखा था?“

“फिर भी कुछ तो अंदाजा होगा। चलिए अच्छा छोड़िए, अब यह बताइए कि जो चीज उसने अपने कंधे पर उठा रखी थी, वह कितनी भारी रही होगी ? आप उसके पीछे पीछे भाग रहे थे, शायद उससे आपको कुछ अंदाजा हुआ हो या फिर उस चीज का पानी में गिरने पर उसकी आवाज से कुछ अंदाजा हुआ हो।“ इतना कहकर अलबर्ट लारा की ओर देखने लगा।

“मेरे ख्याल से जो चीज भागने वाले ने अपने कंधे पर उठा रखी थी वह जरूर भारी थी। क्यों कि एक तो उसकी चाल देखकर ऐसा एहसास हो रहा था और दूसरा शिप के चलने से समुद्र की लहरें कटती हैं, जिससे आवाज उत्पन्न होती है और उस आवाज के बावजूद भी, उस चीज के पानी में गिरने की आवाज सुनाई दी, जिससे यह साबित होता है कि वह चीज काफी भारी थी।“

“अच्छा अब ये बताइये कि आपने उस साये का कितनी दूर तक पीछा किया ?“ अलबर्ट ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।

“यही कोई लगभग 500 से 600 मीटर तक तो पीछा किया ही था।“ लारा ने पुनः ना समझने वाले अंदाज में जवाब दिया।

“अब ये बताइए कि आपको मेरी उम्र कितनी दिख रही है?“ अलबर्ट ने मुस्कुराते हुए लारा से पुनः सवाल किया। इस बार सुयश के चेहरे पर भी एक हल्की सी मुस्कान आ चुकी थी । शायद अब वह अलबर्ट के प्रश्नों का उत्तर समझने लगा था।

“क्या बकवास है?“ लारा ने एका एक झुंझलाते हुए शब्दों में कहा- “भागने वाले का आपकी उम्र से क्या संबंध हो सकता है?“

“संबंध है।“ इस बार काफी देर से चुप सुयश बोल उठा- “इसलिए तुम अलबर्ट के सवालों का जवाब दो लारा“ लारा ने आश्चर्य से सुयश की ओर देखा और फिर धीरे से बोल उठा-

“लगभग 60 वर्ष।“

अलबर्ट ने अब आगे बढ़कर लारा के सीने पर हाथ रख कर कहा-
“क्या बात है मिस्टर लारा ! आपके दिल की धड़कन तो बहुत तेज चल रही है?“

“अजीब मूर्ख आदमी हैं आप! अरे मैं इतनी दूर से उस साये के पीछे दौड़ रहा था, तो धड़कन तो तेज चलेगी ही।“ लारा ने एक बार फिर गुस्से में आते हुए कहा।

“वैसे आपकी उम्र क्या होगी ?“ अलबर्ट ने बदस्तूर मुस्कुराते हुए एक बार फिर लारा से पूछा।

एक क्षण के लिए तो लारा के मन में आया कि इस बुड्ढे की दाढ़ी पकड़कर उसे पानी में फेंक दे। पर सुयश पर नजर पड़ते ही उसने अपने गुस्से पर काबू किया।

“तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। तुम्हारी उम्र कितनी है?“ अलबर्ट अब ‘आप‘ से ‘तुम‘ पर आते हुए बोला।

“30 वर्ष!“ लारा ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।

“अच्छा अब एक आखिरी सवाल और मिस्टर लारा।“ कहते हुए अलबर्ट ने लारा का हाथ अपने सीने पर रखा- “क्या तुम्हें मेरे दिल की धड़कन भी तेज लग रही है?“

“नहीं ।“ लारा ने जवाब दिया।


“तो अब यह बताइए जनाब कि आपके कहे अनुसार आपके आगे-आगे कोई चीज कंधे पर लेकर मैं भाग रहा था। जबकि मेरी उम्र आपके कहे अनुसार 60 वर्ष है, जो कि आपकी उम्र से दुगनी है। तो फिर यदि मैं कोई भारी वस्तु लेकर आपके आगे-आगे भागूंगा, तो फिर मेरी सांस नहीं फूलेगी क्या ? जबकि आप खाली हाथ थे और मेरे कंधे पर भारी वजन था।
कहने का मतलब यह है कि जब आप भागकर मेरे पास पहुंचे तो आपको मेरी धड़कन सामान्य दिखी या नहीं ? यदि सामान्य दिखी तो यह साबित होता है कि आपके आगे-आगे मैं नहीं भाग रहा था।"


लारा अलबर्ट के तर्कों को सुनकर शांत हो गया। अब उसे यह विश्वास हो गया कि आगे भागने वाला शख्स अलबर्ट नहीं कोई और था।

“और हाँ ! एक बात और है, यहीं कहीं मेरी सिगरेट भी गिरी थी, जब मैं उसे पकड़ने भागा था।“

कहकर अलबर्ट इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगा। कुछ दूरी पर उसे जलती हुई सिगरेट मिल गई जो कि अब लगभग खत्म होने वाली थी। अलबर्ट ने आगे बढ़कर उस जलती हुई सिगरेट को उठा लिया।

“यह सिगरेट आप देख रहे हैं। यदि यह सिगरेट मैंने आपके आने के कुछ देर पहले जलाई होती, तो अभी तक यह आधी ही पहुंची होती, ना कि खत्म हो जाती। और यदि मैंने अपने कंधे पर भारी वस्तु रखी होती तो जाहिर सी बात है कि मैंने उसे दोनों हाथों से पकड़ा होता तो फिर बीच में सिगरेट जलाने का प्रश्न ही नहीं उठता। बस.... इतना ही काफी है या और कुछ बताऊं अपने बारे में?“ अलबर्ट ने लारा की तरफ देखते हुए थोड़े तल्ख स्वर में कहा।

पर इससे पहले कि लारा कुछ और बोल पाता, सुयश आगे बढ़ कर बोल उठा-
“नहीं-नहीं प्रोफेसर अलबर्ट! अब आगे आपको और कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है। हम यह मान चुके हैं कि आगे भागने वाला व्यक्ति कोई और था। वैसे अब आप गुस्सा छोड़कर, आगे भागने वाले के बारे में कुछ और बताइए। आई मीन वह कैसा था ? क्या आपने उसका चेहरा देखा ? उसकी लंबाई कितनी थी ? उसने क्या पहन रखा था ? उसके कंधे पर क्या चीज हो सकती है? वगैरह-वगैरह।“

“मैंने उसे ज्यादा तो नहीं देखा। पर उसकी लंबाई सामान्य थी। उसने अपने कपड़ों के ऊपर, कुछ कंबल जैसा ओढ़ रखा था। जिसके कारण उसकी नीचे की ड्रेस के बारे में ज्यादा आईडिया नहीं मिल पाया। उसने कंधे पर कोई लंबी सी चीज रोल करके रखी थी। और कुछ भी हो पर उसके अंदर गजब की फुर्ती थी। क्यों कि वह भागता हुआ आया और एक छलांग में ही उस भारी सी चीज के साथ, उधर की रेलिंग पर चढ़ गया और बिना पीछे मुड़े इतनी ऊंचाई से, चलते शिप से कूद गया। मेरी समझ से तो वह कोई पागल ही रहा होगा जो सुसाइड करना चाह रहा होगा। क्यों कि इतनी ऊंचाई से चलते शिप से बीच समुद्र में कूदने पर, उसके बचने की तो 1 परसेंट भी संभावना व्यक्त नहीं की जा सकती ।“

सुयश धीरे-धीरे चलता हुआ उस स्थान पर पहुंच गया, जिधर कि अलबर्ट ने अभी इशारा किया था। सुयश कुछ देर तक वहां खड़ा नीचे अंधेरे समुद्र को घूरता रहा, फिर कुछ ना समझ में आने पर वहां से पलटने लगा। तभी उसकी नजर पास की रेलिंग में फंसे एक कपड़े के टुकड़े पर पड़ी जो हवा के चलने के कारण ‘फट्-फट्‘ की आवाज करता हुआ लहरा कर रेलिंग से टकरा रहा था। सुयश ने धीरे से उस कपड़े के टुकड़े को रेलिंग से निकाल लिया।

“यह कपड़ा शायद पानी में कूदने वाले का है। जो जल्दबाजी में यहां की रेलिंग में फंसकर फट गया होगा।“ सुयश ने अलबर्ट व लारा के चेहरे के आगे, वह कपड़ा लहराते हुए कहा। उस कपड़े को देख लारा आश्चर्य से भर उठा।

“क्या बात है लारा ? तुम इस कपड़े को देखकर आश्चर्य में क्यों पड़ गए?“ सुयश ने लारा के चेहरे के बदलते हुए भाव को देख पूछ लिया।

“जाने क्यों ऐसा लगता है, जैसे ये कपड़ा मैंने किसी को पहने हुए देखा है? पर याद नहीं आ रहा कि आखिर इसे पहने हुए देखा किसे है।“ लारा ने जवाब दिया।

“इसी बात का तो एहसास मुझे भी हो रहा है।“ सुयश ने ध्यान से उस कपड़े को देखते हुए कहा-
“वैसे मिस्टर अलबर्ट, क्या आपको भी ऐसा ही महसूस हो रहा है?“

“जी हां ! मुझे भी यह कपड़ा पहचाना हुआ लग रहा है। पर याद नहीं आ रहा कि इसे देखा कहां है?“
अलबर्ट ने भी कपड़े पर निगाह डालते हुए, दिमाग पर जोर डाला। काफी देर याद करने के बाद भी किसी को कुछ याद नहीं आया।

“आइए अब मैं आपको आपके कमरे तक छोड़ दूं मिस्टर अलबर्ट।“ सुयश ने वह कपड़ा जेब के हवाले करते हुए कहा- “
और हां अब आप यह सिगरेट का खाली टोटा भी फेंक दीजिए, जिसे आप काफी देर से पकड़े हुए हैं।“

सुयश के शब्दों को सुनकर अलबर्ट में मुस्कुराते हुए उस सिगरेट के टोटे को हवा में उछाल दिया। हवा में उछला हुआ सिगरेट का टुकड़ा, हवा में तैरता हुआ धीरे-धीरे सागर की लहरों की ओर बढ़ रहा था और उस पर लिखा हुआ “ट्रेंच“ नाम का ‘लोगो ‘ रात के अंधेरे में भी तेजी से चमक रहा था। तीनों ही तेजी से अलबर्ट के रूम की ओर बढ़ गए।



जारी
रहेगा……….✍️
Albert such bol raha hai sir, mujhe bhi yahi lag raha hai ki wo aadmi joi or hai, or is cigarette me bhi koi na koi raaj chupa hai, khair dekhte hai aage kya naya kaarnama hota hai is ship per, kyu ki ye jis jagah hai wo kuch rahasyamai hai😊
Awesome 👌🏻
 
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