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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Wo manavaakriti kya thi? Kon tha wo? Jo itna saktisaali hai ki ek bhaari cheej ko apne kandhe per uthaye itna teej or itni door tak bina thake bhaag sake? Or sabse badi baat itna bhaagne ke baad bhi jump le kar ship ki reling per chadh jaaye, or 40 _50 meter ki hight se chalti ship se chalaang laga kar paani me kood jay iske peeche jaroor koi rahasya hai sir, mind blowing writing ✍️ mann jeet liya guruji :claps: :claps: :claps: kya must Update tha👌🏻👌🏻
Saare ke saare rahasya ek ek karke khulenge mitra, Thank you very much for your amazing review and superb support :hug:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Wo manavaakriti kya thi? Kon tha wo? Jo itna saktisaali hai ki ek bhaari cheej ko apne kandhe per uthaye itna teej or itni door tak bina thake bhaag sake? Or sabse badi baat itna bhaagne ke baad bhi jump le kar ship ki reling per chadh jaaye, or 40 _50 meter ki hight se chalti ship se chalaang laga kar paani me kood jay iske peeche jaroor koi rahasya hai sir, mind blowing writing ✍️ mann jeet liya guruji :claps: :claps: :claps: kya must Update tha👌🏻👌🏻

Albert such bol raha hai sir, mujhe bhi yahi lag raha hai ki wo aadmi joi or hai, or is cigarette me bhi koi na koi raaj chupa hai, khair dekhte hai aage kya naya kaarnama hota hai is ship per, kyu ki ye jis jagah hai wo kuch rahasyamai hai😊
Awesome 👌🏻
Lagta to aisa hai hai, dekhte hai aage kya nikalta hai, 😊 cigarette ek clue bhi ho sakta hai mitra, aage pata chalega, Thanks for your wonderful review and support dil_he_dil_main :hug:
 

Sanju@

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इस कहानी में भौतिक विज्ञान के पेचीदा सूत्र, रासायन विज्ञान की
रासायनिक पहेलि यां, विचित्र जीव-जन्तुओं का अनूठा संसार, वनष्पति विज्ञान के अनोखे पेड़-पौधे, पृथ्वी व ब्रह्मांड का भौगोलिक दर्शन, अतीत के मानव का इतिहास, जीवन दायिनी धरा का भूगर्भ विज्ञान, विशिष्ट ग्रहों से निकलने वाली ऊर्जा को ग्रहण करने वाला रत्न विज्ञान, अनोखी गणितीय उलझनें, भविष्य को बताने वाला ज्योतिष विज्ञान, अनन्त ब्रह्मांड की आकाश गंगाओं का नक्षत्र विज्ञान, जटिल मानव विज्ञान, अविश्वसनीय व रहस्यमयी परा विज्ञान, अंकशास्त्र का अद्भुत अंक विज्ञान, ईश्वरीय शक्ति का एहसास दिलाने वाला तंत्र-मंत्र विज्ञान व सागर की अथाह लहरों व उसमें छिपे रहस्यों को बताने वाला सागर विज्ञान को एक ही माला में पिरोने का प्रयास किया है।


यह कहा नी विश्व के उन महत्वपूर्ण अनसुलझे रहस्यों को ध्यान में रखकर बनाई गयी है, जिनका रहस्य आज भी मानव मस्तिष्क से परे है। अपने तर्क को शक्ति प्रदान कर, उन सभी अनसुलझे रहस्यों की कड़ियों को, एक घटना क्रम देते हुए सुलझा ने का प्रयास किया है।

इसका हर पात्र आपके दिल-ओ-दिमाग पर छा जायेगा।
...........................................

नो टः
यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। इसका किसी व्यक्ति या घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है। इस कहानी का उद्देश्य किसी धर्म या संप्रदाय की भावनाओं को आहत पहुंचाने का भी नहीं है। यदि किसी स्थान या घटना की जानकारी दी गयी है तो
वह मात्र कौतूहल वर्धक व मनोरंजक बनाने के लिए की गयी है।


ब्रह्माण्ड में स्थित अरबों आकाश गंगाओं में तैरते असंख्य ग्रहों में से एक ग्रह है पृथ्वी। पृथ्वी-जीवन से परिपूर्ण और रहस्यों से भरपूर। पृथ्वी की सबसे श्रेष्ठतम रचना है -मानव। मानव जिसके पास है एक अति विकसित मस्तिष्क।

यही मस्तिष्क इसे पृथ्वी पर रहने वाले करोड़ों जीवों से श्रेष्ठ बनाता है। इसी विकसित मस्तिष्क के कारण आज वह हर पल विकास के नये आयामों को स्पर्श कर रहा है।
विज्ञान मन्थर गति से धीरे धीरे अपने कदम बढ़ा रहा है। विकास की नयी
आधार शिला तैयार हो रही है।

वह मानव जो कभी पेड़ों और गुफाओं में रहता था, आज अपने अति विकसित मस्तिष्क के कारण अंतरिक्ष में निकलकर, अन्य ग्रहों की तरफ जीवनरूपी पदचिन्हों को तलाश रहा है। प्रक्षेपास्त्र, लेजर व परमाणु बम बनाने वाले हाथ अब मानव क्लोनिंग कर, अंतरिक्ष में स्पेस सिटी बनाने का सपना देख, ईश्वरीय शक्ति को भी चुनौती प्रदान करने लगा है। उसका मानना है कि अब वो पहले से अधिक विकसित है।

परन्तु क्या यह सत्य है? इसका उत्तर तो सिर्फ अतीत की काली चादर में लिपटा कहीं गहराइयों मे दफन है। वह रहस्य, सागर की अथाह गहराइयों में भी हो सकता है, या फिर अंतरिक्ष में फैली करोड़ों आकाश गंगाओं की अनंत गहराइयों में भी।

रहस्य-एक ऐसा शब्द, जिसमें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जगत का सार छिपा हुआ है। आज भी मानव निरंतर रहस्यों की खोज के पीछे भाग रहा है, फिर चाहे वह सपनों का रहस्य हो, या फिर पुनर्जन्म का। यह सभी रहस्य मानव को अपनी ओर आकर्षित करते रहें हैं।

कालचक्र- जिसे हम समयचक्र भी कहते हैं, समय समय पर चेतावनी स्वरूप, विकास की अन्धी दौड़ में भाग रहे मानव को कुछ ऐसे प्रमाण दिखा देता है, जो आज भी मानव मस्तिष्क से परे है। मानव लाख कोशिशों के बाद भी जब उस रहस्य को समझने में ना कामयाब हो जाता है, तो वह उसे परा विज्ञान का नाम देकर अनसुलझे रहस्यों की श्रेणी में ला कर खड़ा कर देता है और उससे दूर हट जाता है।

बारामूडा त्रिकोण इसका जीता जागता उदाहरण है। मिस्र में खड़े विशालकाय पिरामिड, ईस्टर द्वीप की दैत्याकार मूर्तियां, ओल्मेक सभ्यता, इंका सभ्यता, माया सभ्यता, व अटलांटिस द्वीप के मिले कुछ ध्वंशावशेष, नाज्का सभ्यता के रेखा चित्र और ना जाने कितने ऐसे प्रमाण हैं, जो आज भी अतीत के मानव अति विकसित होने की कहानी कह रहें हैं।

अब सवाल यह उठता है कि यदि अतीत का मानव इतना ही विकसित था, तो उसके नष्ट होने का कारण क्या था ? कहीं उसके नष्ट होने का कारण उसका प्रकृति से खिलवाड़, या उसका अतिविकसित होना ही तो नहीं था ? क्या विकास की ही अंतिम सीढ़ी विनाश है? यदि ऐसा ही है, तो क्या हम एक बार पुनः विनाश की ओर अपने कदम बढ़ा रहें हैं? इन सभी सवालों का उत्तर जानने के लिए हमें एक बार फिर से अतीत में जाना पड़ेगा।

लेकिन क्या अतीत में जाना सम्भव है? क्या हम जिस टाइम मशीन की कल्पना इतने वर्षों से कर रहें हैं, वह सम्भव है? यदि नहीं , तो फिर कैसे इन रहस्यों से पर्दा उठ सकता है? आइये विचार करते हैं। लेकिन विचार तो कोरी कल्पना मात्र होगी। तो फिर क्या करें? तो फिर आइये क्यों न इस कहानी को ही पढ़ा जाए, शायद हमारे सवालों का जवाब इस कहानी में ही कहीं मिल जाए ...।



✍️✍️जारी है........
:congrats:start new story
 

Sanju@

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#-1

22 दिसम्बर 2001, शनिवार, 22:00; न्यूयार्क शहर, अमेरिका !!

“हैलो मारथा !“ माइकल ने दरवाजे से प्रवेश करते हुए, अपनी पत्नी मारथा कोसंबोधित किया -


“पैकिंग पूरी हुई कि नहीं ? याद है ना कल ही हमें शिप से सिडनी जाना है।“

मारथा ने पहले एक नजर अपनी सो रही बेटी शैफाली पर डाली और फिर मुंह पर उंगली रखकर, माइकल से धीरे बोलने का इशारा किया -

“श् ऽऽऽऽऽ शैफाली, अभी - अभी सोई है, जरा धीरे बोलिए।“
माइकल, मारथा का इशारा समझ गया। इस बार उसकी आवाज धीमी थी –


“मैं तुमसे पैकिंग के बारे में पूछ रहा था।“

“अधिकतर पैकिंग हो चुकी है, बस शैफाली और ब्रूनो का ही कुछ सामान बचा हुआ है।“ मारथा ने धीमी आवाज में माइकल को जवाब दिया।

उधर ब्रूनो, माइकल की आवाज सुन, पूंछ हिलाता हुआ माइकल के पास
आकर बैठ गया । माइकल ने ब्रूनो के सिर पर हाथ फेरा और फिर मारथा से मुखातिब हुआ-


“ये तो अलबर्ट सर ने ब्रूनो के लिए 'सुप्रीम' पर व्यवस्था करवा दी, नहीं तो उस शिप पर जानवर को ले जाना मना है और ब्रूनो को छोड़कर शैफाली कभी नहीं जाती।“

“जाना भी नहीं चाहिए।“ मारथा ने मुस्कुरा कर ब्रूनो की तरफ देखते हुए कहा -

“शैफाली खुद भी छोटी थी, जब आप ब्रूनो को लाए। देखते ही देखते ये शैफाली से कितना घुल-मिल गया । इसके साथ रहते हुए तो शैफाली को अपने अंधेपन का भी एहसास नहीं होता ।“

ब्रूनो फिर खुशी से पूंछ हिलाने लगा । मानो उसे सब समझ आ गया हो।

“अलबर्ट __________सर, कॉलेज में मेरे प्रो फेसर थे। मैं उनका सबसे फेवरेट स्टूडेंट था ।“

माइकल ने पुनः बोलना शुरू किया - “जैसे ही मुझे पता चला कि वो भी न्यूयार्क से सिडनी जा रहे हैं, तो मैं अपने को रोक न पाया । इसीलिए मैं भी उनके साथ इसी शिप से जाना चाहता हूं।“

“मगर ये सफर 65 दिनों का है।“ मारथा ने थोड़ा चिंतित स्वर में कहा–

“क्या 2 महीने तक हम लोग इस सफर में बोर नहीं हो जाएंगे।“

“अरे, यही तो खास बात होती है शिप की । 2 महीने तक सभी झंझटों से
दूऱ........। कितना मजा आएगा ।“ माइकल ने उत्साहित होकर कहा –

“और ये भी तो सोचो, कि अलबर्ट सर को भी टाइम मिल जाएगा, शैफाली के साथ रहने का । वो जरूर इसकी परेशानियों को दूर करेंगे।“

इससे पहले कि मारथा कुछ और कह पाती । ब्रूनो की “कूं-कूं“ की आवाज ने उनका ध्यान भंग कि या।
ब्रूनो, सो रही शैफाली के पास खड़ा था और शैफाली को बहुत ध्यान से देख रहा था ।
दोनों की ही नजर अब शैफाली पर थी । जो बिस्तर पर सोते हुए कुछ अजीब से करवट बदल रही थी । साथ ही साथ वह कुछ बुदबुदा रही थी । माइकल और मारथा तेजी से शैफाली की ओर भागे। मारथा ने शैफाली को हिलाना शुरू कर दिया । पर वह बिल्कुल बेसुध थी ।

शैफाली अभी भी नींद में बड़बड़ा रही थी । पर अब वो आवाजें, माइकल व मारथा को साफ सुनाई दे रहीं थीं –

“अंधेरा ........ लहरें ......... रोशनी ........ फायर
............ लाम ....... कीड़े ........ द्वीप ..... ।“


मारथा , शैफाली की बड़बड़ाहट सुनकर अब बहुत घबरा गई थी । उसने तेजी से शैफाली को हिलाना शुरू कर दिया। अचानक शैफाली झटके से उठ गई।

“क्या हुआ मॉम? आप मुझे हिला क्यों रहीं हैं?“ शैफाली ने अपनी नीली - नीली आंखें चमकाते हुए कहा ।

“तुम शायद फिर से सपना देख रही थी ।“ माइकल ने व्यग्र स्वर में कहा।

“आप ठीक कह रहे हैं डैड। मैं कुछ देख तो रही थी, पर मुझे कुछ ठीक से याद नहीं आ रहा ।“ शैफाली ने कहा ।

“कोई बात नहीं बेटी, आप सो जाओ“ मारथा ने गहरी सांस लेते हुए कहा -


“परेशान होने की जरूरत नहीं है।“
शैफाली दोबारा से लेट गई। माइकल व मारथा अब शैफाली से दूर हट गए थे।

“ये कैसे संभव है मारथा ?“ माइकल ने दबी आवाज में कहा-

“शैफाली तो जन्म से अंधी है, फिर इसे सपने कैसे आ सकते हैं। हर महीने ये ऐसे ही सपने देखकर बड़बड़ाती है।“

“आप परेशान मत हो माइकल।“ मारथा ने गहरी साँस लेते हुए कहा -

“माना कि जन्म से अंधे व्यक्ति सपने नहीं देख सकते, पर अपनी शैफाली भी कहां नॉर्मल है। देखते नहीं हो वह मात्र 12 साल की उम्र में अंधी होकर भी, अपने सारे काम स्वयं करती है और अजीब-अजीब सी पहेलियां बनाकर हल करती रहती है। शैफाली दूसरों से अलग है, बस।“

माइकल ने भी गहरी सांस छोड़ी और उठते हुए बोला - “चलो अच्छा ! तुम बाकी की पैकिंग करो , मैं भी मार्केट से कुछ जरूरी सामान लेकर आता हूं।“

23 दि सम्बर 2001, रविवार, 14:00; (“सुप्रीम “) न्यूयार्क का बंदरगाह छोड़कर मंथर गति से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था। बंदरगाह को छोड़े हुए उसे लगभग 5 घंटे बीत चुके थे। दिसंबर का ठंडा महीना था और सूर्य भी अपनी चमकती किरणें बिखेरता हुआ, आसमान से सागर की लहरों पर, अठखेलियां करती हुई, अपनी परछाई को देखकर खुश हो रहा था ।
मौसम ठंडा होने के कारण सूर्य की गुनगुनी धूप सभी को बड़ी अच्छी लग रही थी ।

'सुप्रीम' के डेक पर बहुत से यात्रियों का जमावड़ा लगा हुआ था । कोई डेक पर टहलकर, इस गुनगुनी धूप का मजा ले रहा था, तो कोई अपने इस खूबसूरत सफर और इस शानदार शिप के बारे में बातें कर रहा था।

सभी अपने-अपने काम में मशगूल थे। परंतु ऐलेक्स जो कि एक पोल से टेक लगाए हुए खड़ा था, बहुत देर से, दूर स्लीपिंग चेयर पर लेटी हुई एक इटैलियन लड़की को देख रहा था। वह लड़की दुनिया की नजरों से बेखबर, बड़ी बेफिक्री से लेटी हुई, सुनहरी धूप का मजा लेते हुए, एक किताब पढ़ रही थी ।

ऐलेक्स की निगाहें बार-बार कभी उस लड़की पर, तो कभी उसकी किताब पर पड़ रही थी । दोनों की बीच की दूरी बहुत अधिक ना होने के कारण उसे किताब का नाम बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।
किताब का नाम ’वर्ल्ड फेमस बैंक रॉबरी ’ होने के कारण ना जाने, उसे क्यों बड़ा अटपटा सा महसूस हुआ।

उसे उस लड़की की तरफ देखते हुए ना जाने कितना समय बीत चुका था, परंतु उसकी नजर उधर से हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थी। तभी एक आवाज ने उसका ध्यान भंग किया।

“हाय क्रिस्टी !“ एक दूसरी लड़की अपना हाथ हिलाते हुए उस इटैलियन लड़की की तरफ बढ़ी, जिसका नाम यकीनन क्रिस्टी था –

“व्हाट ए सरप्राइज, तुम इस तरह से यहां शिप पर मिलोगी, ये तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था ।“

“ओऽऽऽ हाय लॉरेन!“ क्रिस्टी ने चैंक कर किताब को नजरों के सामने से हटाते हुए, लॉरेन पर नजर डालते हुए, खुशी से जवाब दिया –

“तुम यहां शिप पर कैसे? अच्छा ये बताओ, कॉलेज से निकलकर तुमने क्या-क्या किया ? इतने साल तक तुम कहां थी ? और .......।“


“बस-बस.....!“ लॉरेन ने क्रिस्टी के मुंह को अपनी हथेली से बंद करते हुए कहा- “अब सारी बातें एक साथ पूछ डालोगी क्या? चलो चलते हैं, कॉफी पीते हैं, फिर आऽऽराऽऽम से एक दूसरे से सारी बातें पूछेंगे।“

“तुम ठीक कहती हो । हमें कहीं बैठकर आराम से बात करनी चाहिए और वैसे भी तुम मुझ से लगभग 3 साल बाद मिल रही हो । मुझे भी तो पता चले इन बीते हुए सालों में तुमने क्या-क्या तीर मारे?“

यह कहकर क्रिस्टी लगभग खींचती हुई सी, लॉरेन को लेकर रेस्टोरेंट की ओर बढ़ गई।

ऐलेक्स, जो कि अब तक दोनों सहेलियों की सारी बातें ध्यान से सुन रहा था,

उसकी निगाहें अब सिर्फ और सिर्फ उस किताब पर थी, जो कि अनजाने में ही शायद वहां पर छूट गई थी । वह धीरे धीरे चलता हुआ, उस स्थान पर पहुंचा, जहां पर वह किताब रखी हुई थी । अब उसने अपनी नजरें हवा में इधर-उधर घुमाई। जब उसे इस बात का विश्वास हो गया, कि इस समय किसी की नजरें उस पर नहीं है, तो उसने धीरे से झुक कर उस किताब को उठा लिया । वहीं पर खड़े-खड़े ऐलेक्स ने उस किताब का पहला पृष्ठ खोला । जिस पर अंग्रेजी में बहुत ही खूबसूरत राइटिंग में

’क्रिस्टीना जोंस’ लिखा था।
ऐलेक्स ने चुपचाप किताब को बंद किया और धीरे-धीरे उस स्थान से दूर चला गया। लेकिन जाते-जाते वह अपने होंठों ही होंठों में बुदबुदाया-

“क्रिस्टी !“




जारी रहेगा...…:writing:
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है शुरूआत अच्छी थी
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Raj_sharma

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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है शुरूआत अच्छी थी
Thanks brother :thanx:
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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# 22 .
एक गैलरी में मुड़ते ही, उन्हें सामने कोई नहीं दिखाई दिया।
लेकिन सीढ़ियों के ऊपर का दरवाजा अभी भी हिल रहा था। जिसका साफ मतलब था, कि जो भी अभी आगे भाग रहा था, वह डेक की ओर गया है।

सुयश व लारा भी तेजी से डेक की तरफ खुलने वाले दरवाजे की ओर भागे। लेकिन जैसे ही वह दरवाजे के पास पहुंचे, इन्हें एक ‘छपाक‘ की तेज सी ध्वनि सुनाई दी। ऐसा लगा जैसे कोई चीज पानी में गिरी हो।
दोनों भागकर डेक पर पहुंचे, तो इन्हें डेक की रेलिंग के पास कोई खड़ा हुआ नजर आया । जो समुद्र में कुछ देख रहा था। लारा ने भागकर उसे पकड़ लिया। वह कोई और नहीं, प्रोफेसर अलबर्ट डिसूजा थे।

“क्या फेंका आपने पानी में?“ सुयश ने अलबर्ट से थोड़ी तेज आवाज में पूछा।

“मैं......मैंने क्या फेंका ? मैं तो उसे रोकने की कोशिश कर रहा था।“ अलबर्ट ने घबराये से स्वर में कहा।

“किसे?......किसे रोकने की कोशिश कर रहे थे?“ लारा ने हांफते हुए, थोडे़ नाराजगी भरे अंदाज में कहा।

“मुझे नहीं पता, कि वह कौन था? मैं तो यहां सिगरेट पीने के लिए आया था। तभी मुझे ‘रुक जाओ‘ की तेज आवाज सुनाई दी। मेरी निगाहें आवाज की दिशा में घूम गयी। तभी मुझे दरवाजे से निकलकर, रेलिंग की तरफ भागता हुआ, एक साया दिखाई दिया। मैं उसे पकड़ने के लिए उसकी तरफ लपका। इसके कारण मेरी सिगरेट भी मेरे हाथ से गिर गई। उसकी रफ्तार बहुत तेज थी। उसने अपने कंधों पर कुछ उठा रखा था। इससे पहले कि मैं उस साये के पास पहुंच पाता, वह साया पानी में कूद गया। मैं अभी उसे देख ही रहा था कि तभी आप लोग आ पहुंचे।“

“वाह-वाह! क्या कहानी बनाई है?“ लारा ने रिवाल्वर को जेब में रखते हुए, अपने दोनों हाथों से ताली बजाई-
“मान गए आपके दिमाग को मिस्टर अलबर्ट। कितने कम समय में कितनी अच्छी कहानी आपने बना डाली।“

“कहानी !...............आपको क्या लगता है कि मैंने आपको मनगढ़ंत कहानी सुनाई है?“ अलबर्ट ने थोड़ा रोष में आते हुए कहा।

“और नहीं तो क्या........?“ लारा ने थोड़ा मुस्कान बिखेरते हुए कहा-
“ये भी तो हो सकता है कि आप ही कुछ लेकर भाग रहे हों और डेक पर पहुंचकर आपने वह चीज पानी में फेंक दी हो, और फिर हम लोगों के देख लेने के बाद अपनी जान बचाने के लिए चुपचाप खड़े हो गए हों और एक शानदार कहानी भी बना कर हमें सुनादी हो।“

“हो सकता था, बिल्कुल हो सकता था । लेकिन मैं आपको साबित कर दूंगा कि आपके आगे भागने वाला मैं नहीं था।“ अलबर्ट ने विश्वास भरे शब्दों में कहा।

“अच्छा ! तो साबित करके दिखाइए ।“ लारा ने बिल्कुल परीक्षक जैसी पैनी निगाहों से अलबर्ट को देखते हुए कहा। सुयश भी तीखी निगाहों से एकटक अलबर्ट को घूरे जा रहा था।

“अच्छा तो यह बताइए भागने वाले ने अपने कंधे पर क्या उठा रखा था ?“ अलबर्ट ने लारा की तरफ देखते हुए कहा।

“अब भला यह हम कैसे बता सकते हैं?“ लारा का जवाब बिलकुल साधारण था- “कि भागने वाले ने अपने कंधे पर क्या उठा रखा था?“

“फिर भी कुछ तो अंदाजा होगा। चलिए अच्छा छोड़िए, अब यह बताइए कि जो चीज उसने अपने कंधे पर उठा रखी थी, वह कितनी भारी रही होगी ? आप उसके पीछे पीछे भाग रहे थे, शायद उससे आपको कुछ अंदाजा हुआ हो या फिर उस चीज का पानी में गिरने पर उसकी आवाज से कुछ अंदाजा हुआ हो।“ इतना कहकर अलबर्ट लारा की ओर देखने लगा।

“मेरे ख्याल से जो चीज भागने वाले ने अपने कंधे पर उठा रखी थी वह जरूर भारी थी। क्यों कि एक तो उसकी चाल देखकर ऐसा एहसास हो रहा था और दूसरा शिप के चलने से समुद्र की लहरें कटती हैं, जिससे आवाज उत्पन्न होती है और उस आवाज के बावजूद भी, उस चीज के पानी में गिरने की आवाज सुनाई दी, जिससे यह साबित होता है कि वह चीज काफी भारी थी।“

“अच्छा अब ये बताइये कि आपने उस साये का कितनी दूर तक पीछा किया ?“ अलबर्ट ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।

“यही कोई लगभग 500 से 600 मीटर तक तो पीछा किया ही था।“ लारा ने पुनः ना समझने वाले अंदाज में जवाब दिया।

“अब ये बताइए कि आपको मेरी उम्र कितनी दिख रही है?“ अलबर्ट ने मुस्कुराते हुए लारा से पुनः सवाल किया। इस बार सुयश के चेहरे पर भी एक हल्की सी मुस्कान आ चुकी थी । शायद अब वह अलबर्ट के प्रश्नों का उत्तर समझने लगा था।

“क्या बकवास है?“ लारा ने एका एक झुंझलाते हुए शब्दों में कहा- “भागने वाले का आपकी उम्र से क्या संबंध हो सकता है?“

“संबंध है।“ इस बार काफी देर से चुप सुयश बोल उठा- “इसलिए तुम अलबर्ट के सवालों का जवाब दो लारा“ लारा ने आश्चर्य से सुयश की ओर देखा और फिर धीरे से बोल उठा-

“लगभग 60 वर्ष।“

अलबर्ट ने अब आगे बढ़कर लारा के सीने पर हाथ रख कर कहा-
“क्या बात है मिस्टर लारा ! आपके दिल की धड़कन तो बहुत तेज चल रही है?“

“अजीब मूर्ख आदमी हैं आप! अरे मैं इतनी दूर से उस साये के पीछे दौड़ रहा था, तो धड़कन तो तेज चलेगी ही।“ लारा ने एक बार फिर गुस्से में आते हुए कहा।

“वैसे आपकी उम्र क्या होगी ?“ अलबर्ट ने बदस्तूर मुस्कुराते हुए एक बार फिर लारा से पूछा।

एक क्षण के लिए तो लारा के मन में आया कि इस बुड्ढे की दाढ़ी पकड़कर उसे पानी में फेंक दे। पर सुयश पर नजर पड़ते ही उसने अपने गुस्से पर काबू किया।

“तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। तुम्हारी उम्र कितनी है?“ अलबर्ट अब ‘आप‘ से ‘तुम‘ पर आते हुए बोला।

“30 वर्ष!“ लारा ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।

“अच्छा अब एक आखिरी सवाल और मिस्टर लारा।“ कहते हुए अलबर्ट ने लारा का हाथ अपने सीने पर रखा- “क्या तुम्हें मेरे दिल की धड़कन भी तेज लग रही है?“

“नहीं ।“ लारा ने जवाब दिया।


“तो अब यह बताइए जनाब कि आपके कहे अनुसार आपके आगे-आगे कोई चीज कंधे पर लेकर मैं भाग रहा था। जबकि मेरी उम्र आपके कहे अनुसार 60 वर्ष है, जो कि आपकी उम्र से दुगनी है। तो फिर यदि मैं कोई भारी वस्तु लेकर आपके आगे-आगे भागूंगा, तो फिर मेरी सांस नहीं फूलेगी क्या ? जबकि आप खाली हाथ थे और मेरे कंधे पर भारी वजन था।
कहने का मतलब यह है कि जब आप भागकर मेरे पास पहुंचे तो आपको मेरी धड़कन सामान्य दिखी या नहीं ? यदि सामान्य दिखी तो यह साबित होता है कि आपके आगे-आगे मैं नहीं भाग रहा था।"


लारा अलबर्ट के तर्कों को सुनकर शांत हो गया। अब उसे यह विश्वास हो गया कि आगे भागने वाला शख्स अलबर्ट नहीं कोई और था।

“और हाँ ! एक बात और है, यहीं कहीं मेरी सिगरेट भी गिरी थी, जब मैं उसे पकड़ने भागा था।“

कहकर अलबर्ट इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगा। कुछ दूरी पर उसे जलती हुई सिगरेट मिल गई जो कि अब लगभग खत्म होने वाली थी। अलबर्ट ने आगे बढ़कर उस जलती हुई सिगरेट को उठा लिया।

“यह सिगरेट आप देख रहे हैं। यदि यह सिगरेट मैंने आपके आने के कुछ देर पहले जलाई होती, तो अभी तक यह आधी ही पहुंची होती, ना कि खत्म हो जाती। और यदि मैंने अपने कंधे पर भारी वस्तु रखी होती तो जाहिर सी बात है कि मैंने उसे दोनों हाथों से पकड़ा होता तो फिर बीच में सिगरेट जलाने का प्रश्न ही नहीं उठता। बस.... इतना ही काफी है या और कुछ बताऊं अपने बारे में?“ अलबर्ट ने लारा की तरफ देखते हुए थोड़े तल्ख स्वर में कहा।

पर इससे पहले कि लारा कुछ और बोल पाता, सुयश आगे बढ़ कर बोल उठा-
“नहीं-नहीं प्रोफेसर अलबर्ट! अब आगे आपको और कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है। हम यह मान चुके हैं कि आगे भागने वाला व्यक्ति कोई और था। वैसे अब आप गुस्सा छोड़कर, आगे भागने वाले के बारे में कुछ और बताइए। आई मीन वह कैसा था ? क्या आपने उसका चेहरा देखा ? उसकी लंबाई कितनी थी ? उसने क्या पहन रखा था ? उसके कंधे पर क्या चीज हो सकती है? वगैरह-वगैरह।“

“मैंने उसे ज्यादा तो नहीं देखा। पर उसकी लंबाई सामान्य थी। उसने अपने कपड़ों के ऊपर, कुछ कंबल जैसा ओढ़ रखा था। जिसके कारण उसकी नीचे की ड्रेस के बारे में ज्यादा आईडिया नहीं मिल पाया। उसने कंधे पर कोई लंबी सी चीज रोल करके रखी थी। और कुछ भी हो पर उसके अंदर गजब की फुर्ती थी। क्यों कि वह भागता हुआ आया और एक छलांग में ही उस भारी सी चीज के साथ, उधर की रेलिंग पर चढ़ गया और बिना पीछे मुड़े इतनी ऊंचाई से, चलते शिप से कूद गया। मेरी समझ से तो वह कोई पागल ही रहा होगा जो सुसाइड करना चाह रहा होगा। क्यों कि इतनी ऊंचाई से चलते शिप से बीच समुद्र में कूदने पर, उसके बचने की तो 1 परसेंट भी संभावना व्यक्त नहीं की जा सकती ।“

सुयश धीरे-धीरे चलता हुआ उस स्थान पर पहुंच गया, जिधर कि अलबर्ट ने अभी इशारा किया था। सुयश कुछ देर तक वहां खड़ा नीचे अंधेरे समुद्र को घूरता रहा, फिर कुछ ना समझ में आने पर वहां से पलटने लगा। तभी उसकी नजर पास की रेलिंग में फंसे एक कपड़े के टुकड़े पर पड़ी जो हवा के चलने के कारण ‘फट्-फट्‘ की आवाज करता हुआ लहरा कर रेलिंग से टकरा रहा था। सुयश ने धीरे से उस कपड़े के टुकड़े को रेलिंग से निकाल लिया।

“यह कपड़ा शायद पानी में कूदने वाले का है। जो जल्दबाजी में यहां की रेलिंग में फंसकर फट गया होगा।“ सुयश ने अलबर्ट व लारा के चेहरे के आगे, वह कपड़ा लहराते हुए कहा। उस कपड़े को देख लारा आश्चर्य से भर उठा।

“क्या बात है लारा ? तुम इस कपड़े को देखकर आश्चर्य में क्यों पड़ गए?“ सुयश ने लारा के चेहरे के बदलते हुए भाव को देख पूछ लिया।

“जाने क्यों ऐसा लगता है, जैसे ये कपड़ा मैंने किसी को पहने हुए देखा है? पर याद नहीं आ रहा कि आखिर इसे पहने हुए देखा किसे है।“ लारा ने जवाब दिया।

“इसी बात का तो एहसास मुझे भी हो रहा है।“ सुयश ने ध्यान से उस कपड़े को देखते हुए कहा-
“वैसे मिस्टर अलबर्ट, क्या आपको भी ऐसा ही महसूस हो रहा है?“

“जी हां ! मुझे भी यह कपड़ा पहचाना हुआ लग रहा है। पर याद नहीं आ रहा कि इसे देखा कहां है?“
अलबर्ट ने भी कपड़े पर निगाह डालते हुए, दिमाग पर जोर डाला। काफी देर याद करने के बाद भी किसी को कुछ याद नहीं आया।

“आइए अब मैं आपको आपके कमरे तक छोड़ दूं मिस्टर अलबर्ट।“ सुयश ने वह कपड़ा जेब के हवाले करते हुए कहा- “
और हां अब आप यह सिगरेट का खाली टोटा भी फेंक दीजिए, जिसे आप काफी देर से पकड़े हुए हैं।“

सुयश के शब्दों को सुनकर अलबर्ट में मुस्कुराते हुए उस सिगरेट के टोटे को हवा में उछाल दिया। हवा में उछला हुआ सिगरेट का टुकड़ा, हवा में तैरता हुआ धीरे-धीरे सागर की लहरों की ओर बढ़ रहा था और उस पर लिखा हुआ “ट्रेंच“ नाम का ‘लोगो ‘ रात के अंधेरे में भी तेजी से चमक रहा था। तीनों ही तेजी से अलबर्ट के रूम की ओर बढ़ गए।



जारी
रहेगा……….✍️

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

Lara ko aakhirkar Prof Albert ne samjha hi diya, ki bahgne vale vyakti vo nahi the............

Lekin jis tarah ka description Prof ne bataya he ki us person ke kandhe par koi cheez to jo lambe roll ke rup me thi............

Mujhe lagta he ye aadmi kahi shaifali ko hi utha kar naa le gaya ho...............

Keep rocking Bro
 
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