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अराका•••••! ये एक रहस्यमय द्वीप है भाई।भाई, ये “अराका” टापू बहुत ही कमाल का है!
पहले तो उस पेड़ के बारे में पढ़ कर लगा कि हैरी पॉटर के Whomping Willow जैसा बदमाश पेड़ है, लेकिन पारिजात वृक्ष से उसकी समानता दिखी। अद्भुत पेड़ है ये! फिर आगे मगरमच्छ ‘मानव’ जलोथा मिला। जो बर्फ़ 800 किलो का वज़न सह कर भी न टूटे, वो तौफ़ीक़ के प्रयास से टूट नहीं सकती थी - लेकिन इस बात का फायदा यह हुआ कि जेनिथ की नज़र में वो हीरो बन गया! हा हा हा हा!!
आप तो बेचारे सुयश के पीछे पड गये हो भैयाहर कदम पर अराका इस टीम की परीक्षा ले रहा है और हर बार शेफाली ही तारणहार बन कर सामने आ रही है। अगर वो पोसाइडन या फिर शलाका की वंशज नहीं है, तो फ़िर कुछ कहना ही बेकार है। सभी को चाहिए कि उस फेल्ड कप्तान सुयश के बजाय शेफ़ाली को अपना नेता (नेत्री) मान लें। सुयश ने अपना जहाज़ डुबो दिया। अपनी ज़िद के चलते असंख्य यात्री मरवा दिए। शिप की कप्तानी से ज़्यादा उनको मिस मार्पल बनने का शौक चढ़ा हुआ था। ऐसे में अब इस किरदार को साइड में कर देना चाहिए।
कितनी पढाई किये हो महाप्रभूउधर अंटार्कटिका का अच्छा विवरण दिया है आपने। जिनको समझ में न आया हो -- अंटार्कटिका पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में है। इसलिए ऋतुओं में 180 अंश का अंतर होता है। जब उत्तरी गोलार्द्ध में ठंडक होती है (जनवरी) तब वहाँ गर्मी पड़ती है। हाँ, लेकिन ये ऐसी गर्मी नहीं होती कि पसीने निकाल दे। वनस्पति के नाम पर काई, छोटी घास या फिर छोटी झाड़ियाँ ही उग पाती हैं। वो भी लगभग क्षणिक।
वो दीवार ही है भाई, ओर ढाल उसी पर लगी है।ऐसे में जेम्स और विल्मर द्वारा सुनहरी ढाल-दीवार-यान का पता लगाना एक और रहस्य है। शायद यहीं से “अटलांटिस” के ऊपर से आवरण हटेगा।
वैसे भाई, इतनी जल्दी 500 मीटर की दूरी की बर्फ़ हटा पाए वो दोनों, कमाल है! इनको बुला लाओ म्हारे देश। थोड़ा त्वरित गति से निर्माण कार्य होने लगेगा! हा हा हा हा!
पड्या तो पाणी निर्मला, जै जल गहरा होय,संजू भाई का कमेंट मस्त लगता है। उन्होंने आखिरी लाइन में जो लिखा है वो प्रभु श्री राम और लंका के बीच वाले समुद्र की बात कही है। लेकिन दरअसल बात के मूल में यह है ही नहीं। जो समुद्र ‘उथला’ हो वो समुद्र नहीं हो सकता। उथला होना समुद्र की प्रकृति नहीं है। समुद्र गहरा होता है और उसमें सदैव लहरें उठती रहती हैं। वरुण देव, जो जल (नदियों, समुद्रों) के देवता हैं, उन्होंने ही यह नियम बनाये हैं।
आज कल बाहर हूँ। पढ़ तो लेता हूँ, लेकिन लिख नहीं पाता। उतना समय नहीं मिल रहा है।
बेहतरीन अपडेट्स![]()
अब सब तो अंदर की बात है, ये सब खोल दिया तो कहानी के सस्पेंस का होगा मित्र??शेफाली, आकरा के देव और उसकी पत्नी, मतलब एक देवी का मनुष्य अवतरण, जो अपनी मां को तिलिस्म से बाहर निकालने के लिए आया है।
लेकिन इतनी बलि क्या आवश्यक थी, या वो बलि न होकर कुछ और था....
Besabari se intezaar kar rahe hai next update ka Raj_sharma bhai....Agla update raat ko aayega dosto![]()
#59.
मगरमच्छ मानव (7 जनवरी 2002, सोमवार, 14:30, अराका द्वीप, अटलांटिक महासागर)
चलते चलते सभी को 2 घंटे बीत चुके थे। पर अभी तक इन लोगों को ना तो कोई जंगली जानवर मिला था और ना ही मनुष्य के किसी प्रकार के पद-चिन्ह:।
चलते-चलते सभी को पेडों के एक झुरमुट के बीच एक छोटी सी झील दिखाई दी।
झील के चारो तरफ कुछ दूरी पर फलो के बहुत सारे पेड़ दिखाई दे रहे थे। झील का पानी काफ़ी साफ लग रहा था।
“क्यों ना हम अपनी खाली हो चुकी बोतलों में यहां से पानी भर ले?" क्रिस्टी ने झील को देखते हुए कहा।
“क्रिस्टी बिलकुल सही कह रही है, वैसे भी 2 घंटे से चलते-चलते सबका दम भी निकल गया है, थोड़ी देर रुक कर आराम भी कर लेना चाहिए।" सुयश ने सभी को देखते हुए कहा।
सुयश के इतना कहते ही कुछ लोग झील के किनारे की मिट्टी के पास बैठ गये और कुछ झील की तरफ आगे बढ़ गये।
“वाह! कितना साफ पानी है।" जेनिथ ने झील कि ओर देखते हुए कहा- “मेरा तो नहाने का मन करने लगा।"
यह कहकर जेनिथ झील के पानी कि ओर बढ़ गयी।
“ठहरो!" अल्बर्ट कि आवाज ने जेनिथ को रोक लिया - “यह झील इतनी शानदार है, पर इसके आस- पास किसी पशु-पक्षी के कदमो के निशान मौजूद नहीं है।"
अब सबका ध्यान झील के पास कि मिट्टी पर गया। मिट्टी हर जगह से बिलकुल बराबर लग रही थी।
“बात तो आपकी सही है प्रोफेसर ।" सुयश ने भी मिट्टी पर नजर मारते हुए कहा- “द्वीप पर इतना बड़ा जंगल है, तो इस जंगल में तो बहुत सारे जंगली जानवर भी होंगे और जानवर पानी पीने तो झील के किनारे अवश्य आते होंगे। ऐसे में उनके कदमो के निशान तो मिट्टी पर होने चाहिए थे।"
“ऐसा कैसे हो सकता है कैप्टन?" असलम ने भी सुयश कि हां में हां मिलाते हुए कहा।
“ऐसा एक ही शर्त में हो सकता है।" शैफाली ने अपना ज्ञान का परिचय देते हुए कहा- “जबकि इस झील के आसपास खतरा हो।"
खतरा शब्द सुनते ही सबकी निगाह अपने आसपास घूमने लगी। पर आसपास कुछ ना पाकर जेनिथ ने अपने जूते उधर झील के किनारे पर उतारे और अपनी जींस को तह कर थोड़ा ऊपर कर लीया। इसके बाद वह झील के पानी कि तरफ बढ़ गयी।
अब जेनिथ के पैर पंजो तक पानी के अंदर थे।
जेनिथ ने एक बार फ़िर से अपने आसपास नजर मारी और फ़िर पानी को अपनी अंजुली में भरकर धीरे-धीरे पीने लगी।
“पानी का स्वाद काफ़ी मीठा है।" जेनिथ ने सभी की ओर देखते हुए कहा- “आप लोग भी पी सकते हो।"
सभी लोग जो अभी तक झील से थोड़ा दूर खड़े थे, झील की तरफ आने लगे।
अभी जेनिथ ने बामुस्किल 2 अंजुली ही पानी पिया था, कि अचानक उसे झील के बीच से पानी में कुछ बुलबुले उठते दिखाई दिये। जेनिथ सहित सभी आश्चर्य से उन बुलबुलो को देखने लगे।
देखते ही देखते एक अजीब सा मगरमच्छ मानव झील से बाहर निकलने लगा। सभी हतप्रभ होकर उस विचित्र जीव को देखने लगे।
अचानक सुयश जोर से चीखा- “जेनिथ जल्दी झील से बाहर आओ।“
सुयश कि आवाज सुन जेनिथ जैसे सपनों से जागी हो, उसने तुरंत झील से बाहर निकलने कि कोशिश की।
परंतु तभी आश्चर्यजनक तरीके से झील का पानी बर्फ़ में बदल गया। इसी के साथ जेनिथ के पैर भी पंजो तक बर्फ़ में फंस गये।
“आह!" जेनिथ के मुंह से कराह निकल गयी- “मेरे पैर बर्फ़ में बुरी तरह से फंस गये है, कोई मेरी मदद करो?"
यह देख सुयश और तौफीक तेजी से जेनिथ की तरफ भागा ।
जेनिथ अपने पैर को बर्फ़ से निकालने कि भरसक कोशिश करने लगी, पर वह रत्ती भर भी कामयाब नहीं हो पाई।
तौफीक अपने हाथ में चाकू निकालकर बर्फ़ को काटने की कोशिश करने लगा। पर तौफीक जितनी बर्फ़ काटता उतनी ही बर्फ़ वापस उस स्थान पर जम जाती।
उधर वह मगरमच्छ-मानव अब पूरा का पूरा जमी हुई झील से बाहर निकल आया।
भारी-भरकम पूंछ वाला वह मगरमच्छ-मानव आश्चर्यजनक तरीके से अपने दो पैरों पर चल रहा था।
कद में 9 फुट ऊंचे उस मगरमच्छ मानव का वजन कम से कम 800 किलोग्राम तो जरूर रहा होगा।
इतना भयानक राक्षस देख वहां खड़े कई लोगो के मुंह से चीख निकल गयी।
मगरमच्छ मानव कि लाल-लाल आँखे अब जेनिथ की ओर थी।
उसके मुंह से गुर्राने जैसी अजीब सी आवाज निकल रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मगरमच्छ मानव अपने शिकार को देखकर बहुत खुश हो गया हो।
धीरे-धीरे वह अब जेनिथ की तरफ बढ़ने लगा।
“कैपटेन, जल्दी जेनिथ को बर्फ़ से निकालो।" अल्बर्ट दूर से चिल्लाया- “वह मगरमच्छ मानव आप लोगो की ओर आ रहा है।"
तौफीक ने मगरमच्छ मानव पर एक नजर मारी और फ़िर तेजी से बर्फ़ तोड़ने की कोशिश करने लगा।
पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बर्फ़ मायावी हो, क्यों की तौफीक के इतनी कोशिश करने के बाद भी वह बर्फ़ जरा सा भी कम नही हो रही थी।
सुयश भी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी का उपयोग कर बर्फ़ को खुरचने की असफल कोशिश कर रहा था।
जेनिथ कि निगाह कभी मगरमच्छ मानव पर तो कभी बेतहाशा बर्फ़ तोड़ने कि कोशिश करते तौफीक पर पड़ रही थी।
जेनिथ अभी भी भयभीत नही थी, पर तौफीक के कट चुके हाथो से रिसते खून को देख कर उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव थे।
उधर किनारे पर खड़े लोगो ने आसपास पड़े पत्थर और लकड़ियो को मगरमच्छ मानव पर मारना शुरु कर दीया।
वह लोग अपने मुंह से तेज आवाज़ें निकालकर व शोर मचाकर मगरमच्छ-मानव का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित करने लगे। पर मगरमच्छ-मानव का ध्यान केवल और केवल जेनिथ पर था।
“तौफीक भागो यहां से।" जेनिथ ने पीड़ा भरे स्वर में तौफीक को वहां से जाने के लिये बोला- “मेरा बचना अब नामुमकिन है, पर तुम तो अपनी जान बचाओ। कैपटेन आप भी जाइए यहां से।"
मगरमच्छ मानव अब कुछ ही दूरी पर रह गया था।
तौफीक ने एक नजर जेनिथ को देखा पर कुछ बोला नही। वह पुनः बर्फ़ को तोड़ने कि कोशिश करने लगा।
उधर सुयश को जब जेनिथ को बचाने के लिए, कोई उपाय ना दिखा तो वह अपने हाथो में लकड़ी लेकर जेनिथ व मगरमच्छ मानव के बीच खड़ा हो गया। ऐसा लगा कि जैसे वह मगरमच्छ मानव से दो-दो हाथ
करना चाहता हो।
वैसे तो दोनो के शरीर के अनुपात के हिसाब से यह कोई मुकाबला नही था, पर वह इंसान ही क्या जो मुसीबतो से इतनी आसानी से हार मान ले।
मगरमच्छ मानव अब सुयश के काफ़ी पास आ गया था। सुयश ने अपना एक पैर पीछे कर बिल्कुल आक्रमण करने के अंदाज में अपनी पोज़िशन ले ली। अब वह पूरी तरह से उस जानवर से लड़ने के लिये तैयार था।
तभी अचानक शांत खड़ी शैफाली के शरीर में हरकत हुई और वह एक अंदाज से चलती हुई झील की ओर बढ़ी।
झील के किनारे पर पहुंचकर शैफाली रुक गयी। अब उसका चेहरा मगरमच्छ मानव की तरफ था।
मगरमच्छ मानव कि दूरी अब सुयश से केवल एक कदम ही बची थी।
मगरमच्छ-मानव ने एक तेज हुंकार भरी और अपना दाहिना हाथ सुयश को मारने के लिये हवा में उठा लिया।
सभी के दिल की धड़कन तेज हो गई। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था।
तभी शैफाली के मुंह से एक तेज आवाज निकली- “जलोथाऽऽऽऽ"
मगरमच्छ मानव यह आवाज सुन शैफाली कि तरफ देखने लगा।
शैफाली को देख अचानक मगरमच्छ मानव के चेहरे पर भय के भाव नजर आने लगे।
शैफाली ने अब एक कदम मगरमच्छ मानव कि ओर बढ़ा दिया। मगरमच्छ मानव भय से एक कदम पीछे हो गया।
शैफाली के एक कदम और आगे बढ़ाते ही मगरमच्छ मानव एक कदम और पीछे हो गया।
शैफाली का आगे बढ़ना और मगरमच्छ मानव का पीछे जाना जारी रहा। थोड़ी देर में ही वह मगरमच्छ-मानव वापस उसी स्थान पर पानी में समा गया, जहां से वह निकला था।
किसी को कुछ समझ में तो नही आया पर मगरमच्छ मानव को वापस पानी में घुसता देख सबने राहत कि साँस ली।
सुयश वापस जेनिथ कि ओर पलटा। जेनिथ का पैर अभी भी बर्फ़ में फंसा हुआ था। अब सभी लोग जेनिथ के पास पहुंच गये।
ब्रेंनडन ने लाइटर जलाकर बर्फ़ को पिघलाने कि कोशिश की, पर बर्फ़ फिर भी ना पिघली।
“यह तो कोई मायावी बर्फ़ लग रही है, जो ना कट रही है और ना ही पिघल रही है।" अल्बर्ट ने बर्फ़ को देखते हुए कहा।
तभी शैफाली भी जेनिथ के पास आ गयी। शैफाली ने जेनिथ को कराहते देख उसके पैर को अपने हाथो से पकड़ लिया।
जेनिथ को शैफाली के हाथ काफ़ी गर्म से महसूस हुए।
बर्फ़ कि ठंडक ने जेनिथ के मस्तिष्क को भी स्थिर करना शुरु कर दिया था, पर शैफाली के गर्म हाथो से जेनिथ को बहुत ही बेहतर महसूस हुआ।
शैफाली के हाथो कि गरमी धीरे-धीरे बढ़ने लगी और इसी के साथ पिघलने लगी जेनिथ के पैर के आसपास कि बर्फ़ भी।
कुछ ही छण में जेनिथ के आसपास कि सारी बर्फ़ पिघल गयी और जेनिथ का पैर पानी से बाहर आ गया।
जेनिथ के पैर को बाहर आते देख तौफीक ने जेनिथ को गोद में उठाया और उस मनहुस झील से बाहर आ गया।
झील के किनारे पर कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पत्थर मौजूद था, तौफीक ने जेनिथ को उस पत्थर पर बैठा दिया और उसके पैर के तलवो को अपनी हथेली से रगड़ने लगा।
इस समय जेनिथ की आँखो में तौफीक के लिए प्यार ही प्यार दिख रहा था।
एलेक्स झील के पास से जेनिथ के जूते उठा लाया था ।
“बाप रे! हम लोग इस द्वीप को जितना खतरनाक समझते थे, ये तो उससे भी कहि ज्यादा खतरनाक है।" असलम ने कहा।
“ऐसा लग रहा है, जैसे हम किसी पौराणिक दुनिया या फिर उस समयकाल में आ गये है, जब पृथ्वी पर मायावी संसार हुआ करता था।" क्रिस्टी ने कहा।
“पहले चमत्कारी पेड़ का मिलना और फिर इस ‘जलोथा’ का मिलना तो इसी तरफ इशारा करता है।" अल्बर्ट ने कहा।
“जलोथा से याद आया।" सुयश ने शैफाली कि ओर नजर डालते हुए कहा- “क्या तुमने यह शब्द भी अपने सपने में सुना था शैफाली?"
जारी रहेगा_________![]()
Bilkul kashyap bhaiya, aapke intzaar ko hum saarthak kar denge, aue ek jabardast sansani wala update aapko dengeBesabari se intezaar kar rahe hai next update ka Raj_sharma bhai....
Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Kitna darwana magarmachch manav tha vo Jalotha............ (Na jaane kyu mujhe Anup Jalota ka koi rishtedar laga wo)
Lekin hairani ki baat ye he ki Shaifali ke dwara lalkarne par vo wapis usi jheel me chala gaya...........
Shaifali hi vo chaabi he jo is dweep ke sabhi rahasay khol sakti he.......
Taufiq to Jainith ke pyar me pad gaya re baba...........
Keep rocking Bro
Pichle adhyaay (jahaaj) wale me jitne bhi swaal khade hue the? Unka jabaab bhi to dena hai mitraDusre addhyay ke sabhi update itihas ke panne khol rahe hai.
Atlantis ka adhura itihas padhne me kafi dilchasp hoga.
Dekhte hai araka dweep aur kon konsi Maya dikhata hai.
Shifali ke pas aur konsi shaktiya hai wo bhi aage dekhne mil jayegi shayad.
Khubsurat update![]()
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया#59.
मगरमच्छ मानव (7 जनवरी 2002, सोमवार, 14:30, अराका द्वीप, अटलांटिक महासागर)
चलते चलते सभी को 2 घंटे बीत चुके थे। पर अभी तक इन लोगों को ना तो कोई जंगली जानवर मिला था और ना ही मनुष्य के किसी प्रकार के पद-चिन्ह:।
चलते-चलते सभी को पेडों के एक झुरमुट के बीच एक छोटी सी झील दिखाई दी।
झील के चारो तरफ कुछ दूरी पर फलो के बहुत सारे पेड़ दिखाई दे रहे थे। झील का पानी काफ़ी साफ लग रहा था।
“क्यों ना हम अपनी खाली हो चुकी बोतलों में यहां से पानी भर ले?" क्रिस्टी ने झील को देखते हुए कहा।
“क्रिस्टी बिलकुल सही कह रही है, वैसे भी 2 घंटे से चलते-चलते सबका दम भी निकल गया है, थोड़ी देर रुक कर आराम भी कर लेना चाहिए।" सुयश ने सभी को देखते हुए कहा।
सुयश के इतना कहते ही कुछ लोग झील के किनारे की मिट्टी के पास बैठ गये और कुछ झील की तरफ आगे बढ़ गये।
“वाह! कितना साफ पानी है।" जेनिथ ने झील कि ओर देखते हुए कहा- “मेरा तो नहाने का मन करने लगा।"
यह कहकर जेनिथ झील के पानी कि ओर बढ़ गयी।
“ठहरो!" अल्बर्ट कि आवाज ने जेनिथ को रोक लिया - “यह झील इतनी शानदार है, पर इसके आस- पास किसी पशु-पक्षी के कदमो के निशान मौजूद नहीं है।"
अब सबका ध्यान झील के पास कि मिट्टी पर गया। मिट्टी हर जगह से बिलकुल बराबर लग रही थी।
“बात तो आपकी सही है प्रोफेसर ।" सुयश ने भी मिट्टी पर नजर मारते हुए कहा- “द्वीप पर इतना बड़ा जंगल है, तो इस जंगल में तो बहुत सारे जंगली जानवर भी होंगे और जानवर पानी पीने तो झील के किनारे अवश्य आते होंगे। ऐसे में उनके कदमो के निशान तो मिट्टी पर होने चाहिए थे।"
“ऐसा कैसे हो सकता है कैप्टन?" असलम ने भी सुयश कि हां में हां मिलाते हुए कहा।
“ऐसा एक ही शर्त में हो सकता है।" शैफाली ने अपना ज्ञान का परिचय देते हुए कहा- “जबकि इस झील के आसपास खतरा हो।"
खतरा शब्द सुनते ही सबकी निगाह अपने आसपास घूमने लगी। पर आसपास कुछ ना पाकर जेनिथ ने अपने जूते उधर झील के किनारे पर उतारे और अपनी जींस को तह कर थोड़ा ऊपर कर लीया। इसके बाद वह झील के पानी कि तरफ बढ़ गयी।
अब जेनिथ के पैर पंजो तक पानी के अंदर थे।
जेनिथ ने एक बार फ़िर से अपने आसपास नजर मारी और फ़िर पानी को अपनी अंजुली में भरकर धीरे-धीरे पीने लगी।
“पानी का स्वाद काफ़ी मीठा है।" जेनिथ ने सभी की ओर देखते हुए कहा- “आप लोग भी पी सकते हो।"
सभी लोग जो अभी तक झील से थोड़ा दूर खड़े थे, झील की तरफ आने लगे।
अभी जेनिथ ने बामुस्किल 2 अंजुली ही पानी पिया था, कि अचानक उसे झील के बीच से पानी में कुछ बुलबुले उठते दिखाई दिये। जेनिथ सहित सभी आश्चर्य से उन बुलबुलो को देखने लगे।
देखते ही देखते एक अजीब सा मगरमच्छ मानव झील से बाहर निकलने लगा। सभी हतप्रभ होकर उस विचित्र जीव को देखने लगे।
अचानक सुयश जोर से चीखा- “जेनिथ जल्दी झील से बाहर आओ।“
सुयश कि आवाज सुन जेनिथ जैसे सपनों से जागी हो, उसने तुरंत झील से बाहर निकलने कि कोशिश की।
परंतु तभी आश्चर्यजनक तरीके से झील का पानी बर्फ़ में बदल गया। इसी के साथ जेनिथ के पैर भी पंजो तक बर्फ़ में फंस गये।
“आह!" जेनिथ के मुंह से कराह निकल गयी- “मेरे पैर बर्फ़ में बुरी तरह से फंस गये है, कोई मेरी मदद करो?"
यह देख सुयश और तौफीक तेजी से जेनिथ की तरफ भागा ।
जेनिथ अपने पैर को बर्फ़ से निकालने कि भरसक कोशिश करने लगी, पर वह रत्ती भर भी कामयाब नहीं हो पाई।
तौफीक अपने हाथ में चाकू निकालकर बर्फ़ को काटने की कोशिश करने लगा। पर तौफीक जितनी बर्फ़ काटता उतनी ही बर्फ़ वापस उस स्थान पर जम जाती।
उधर वह मगरमच्छ-मानव अब पूरा का पूरा जमी हुई झील से बाहर निकल आया।
भारी-भरकम पूंछ वाला वह मगरमच्छ-मानव आश्चर्यजनक तरीके से अपने दो पैरों पर चल रहा था।
कद में 9 फुट ऊंचे उस मगरमच्छ मानव का वजन कम से कम 800 किलोग्राम तो जरूर रहा होगा।
इतना भयानक राक्षस देख वहां खड़े कई लोगो के मुंह से चीख निकल गयी।
मगरमच्छ मानव कि लाल-लाल आँखे अब जेनिथ की ओर थी।
उसके मुंह से गुर्राने जैसी अजीब सी आवाज निकल रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मगरमच्छ मानव अपने शिकार को देखकर बहुत खुश हो गया हो।
धीरे-धीरे वह अब जेनिथ की तरफ बढ़ने लगा।
“कैपटेन, जल्दी जेनिथ को बर्फ़ से निकालो।" अल्बर्ट दूर से चिल्लाया- “वह मगरमच्छ मानव आप लोगो की ओर आ रहा है।"
तौफीक ने मगरमच्छ मानव पर एक नजर मारी और फ़िर तेजी से बर्फ़ तोड़ने की कोशिश करने लगा।
पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बर्फ़ मायावी हो, क्यों की तौफीक के इतनी कोशिश करने के बाद भी वह बर्फ़ जरा सा भी कम नही हो रही थी।
सुयश भी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी का उपयोग कर बर्फ़ को खुरचने की असफल कोशिश कर रहा था।
जेनिथ कि निगाह कभी मगरमच्छ मानव पर तो कभी बेतहाशा बर्फ़ तोड़ने कि कोशिश करते तौफीक पर पड़ रही थी।
जेनिथ अभी भी भयभीत नही थी, पर तौफीक के कट चुके हाथो से रिसते खून को देख कर उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव थे।
उधर किनारे पर खड़े लोगो ने आसपास पड़े पत्थर और लकड़ियो को मगरमच्छ मानव पर मारना शुरु कर दीया।
वह लोग अपने मुंह से तेज आवाज़ें निकालकर व शोर मचाकर मगरमच्छ-मानव का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित करने लगे। पर मगरमच्छ-मानव का ध्यान केवल और केवल जेनिथ पर था।
“तौफीक भागो यहां से।" जेनिथ ने पीड़ा भरे स्वर में तौफीक को वहां से जाने के लिये बोला- “मेरा बचना अब नामुमकिन है, पर तुम तो अपनी जान बचाओ। कैपटेन आप भी जाइए यहां से।"
मगरमच्छ मानव अब कुछ ही दूरी पर रह गया था।
तौफीक ने एक नजर जेनिथ को देखा पर कुछ बोला नही। वह पुनः बर्फ़ को तोड़ने कि कोशिश करने लगा।
उधर सुयश को जब जेनिथ को बचाने के लिए, कोई उपाय ना दिखा तो वह अपने हाथो में लकड़ी लेकर जेनिथ व मगरमच्छ मानव के बीच खड़ा हो गया। ऐसा लगा कि जैसे वह मगरमच्छ मानव से दो-दो हाथ
करना चाहता हो।
वैसे तो दोनो के शरीर के अनुपात के हिसाब से यह कोई मुकाबला नही था, पर वह इंसान ही क्या जो मुसीबतो से इतनी आसानी से हार मान ले।
मगरमच्छ मानव अब सुयश के काफ़ी पास आ गया था। सुयश ने अपना एक पैर पीछे कर बिल्कुल आक्रमण करने के अंदाज में अपनी पोज़िशन ले ली। अब वह पूरी तरह से उस जानवर से लड़ने के लिये तैयार था।
तभी अचानक शांत खड़ी शैफाली के शरीर में हरकत हुई और वह एक अंदाज से चलती हुई झील की ओर बढ़ी।
झील के किनारे पर पहुंचकर शैफाली रुक गयी। अब उसका चेहरा मगरमच्छ मानव की तरफ था।
मगरमच्छ मानव कि दूरी अब सुयश से केवल एक कदम ही बची थी।
मगरमच्छ-मानव ने एक तेज हुंकार भरी और अपना दाहिना हाथ सुयश को मारने के लिये हवा में उठा लिया।
सभी के दिल की धड़कन तेज हो गई। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था।
तभी शैफाली के मुंह से एक तेज आवाज निकली- “जलोथाऽऽऽऽ"
मगरमच्छ मानव यह आवाज सुन शैफाली कि तरफ देखने लगा।
शैफाली को देख अचानक मगरमच्छ मानव के चेहरे पर भय के भाव नजर आने लगे।
शैफाली ने अब एक कदम मगरमच्छ मानव कि ओर बढ़ा दिया। मगरमच्छ मानव भय से एक कदम पीछे हो गया।
शैफाली के एक कदम और आगे बढ़ाते ही मगरमच्छ मानव एक कदम और पीछे हो गया।
शैफाली का आगे बढ़ना और मगरमच्छ मानव का पीछे जाना जारी रहा। थोड़ी देर में ही वह मगरमच्छ-मानव वापस उसी स्थान पर पानी में समा गया, जहां से वह निकला था।
किसी को कुछ समझ में तो नही आया पर मगरमच्छ मानव को वापस पानी में घुसता देख सबने राहत कि साँस ली।
सुयश वापस जेनिथ कि ओर पलटा। जेनिथ का पैर अभी भी बर्फ़ में फंसा हुआ था। अब सभी लोग जेनिथ के पास पहुंच गये।
ब्रेंनडन ने लाइटर जलाकर बर्फ़ को पिघलाने कि कोशिश की, पर बर्फ़ फिर भी ना पिघली।
“यह तो कोई मायावी बर्फ़ लग रही है, जो ना कट रही है और ना ही पिघल रही है।" अल्बर्ट ने बर्फ़ को देखते हुए कहा।
तभी शैफाली भी जेनिथ के पास आ गयी। शैफाली ने जेनिथ को कराहते देख उसके पैर को अपने हाथो से पकड़ लिया।
जेनिथ को शैफाली के हाथ काफ़ी गर्म से महसूस हुए।
बर्फ़ कि ठंडक ने जेनिथ के मस्तिष्क को भी स्थिर करना शुरु कर दिया था, पर शैफाली के गर्म हाथो से जेनिथ को बहुत ही बेहतर महसूस हुआ।
शैफाली के हाथो कि गरमी धीरे-धीरे बढ़ने लगी और इसी के साथ पिघलने लगी जेनिथ के पैर के आसपास कि बर्फ़ भी।
कुछ ही छण में जेनिथ के आसपास कि सारी बर्फ़ पिघल गयी और जेनिथ का पैर पानी से बाहर आ गया।
जेनिथ के पैर को बाहर आते देख तौफीक ने जेनिथ को गोद में उठाया और उस मनहुस झील से बाहर आ गया।
झील के किनारे पर कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पत्थर मौजूद था, तौफीक ने जेनिथ को उस पत्थर पर बैठा दिया और उसके पैर के तलवो को अपनी हथेली से रगड़ने लगा।
इस समय जेनिथ की आँखो में तौफीक के लिए प्यार ही प्यार दिख रहा था।
एलेक्स झील के पास से जेनिथ के जूते उठा लाया था ।
“बाप रे! हम लोग इस द्वीप को जितना खतरनाक समझते थे, ये तो उससे भी कहि ज्यादा खतरनाक है।" असलम ने कहा।
“ऐसा लग रहा है, जैसे हम किसी पौराणिक दुनिया या फिर उस समयकाल में आ गये है, जब पृथ्वी पर मायावी संसार हुआ करता था।" क्रिस्टी ने कहा।
“पहले चमत्कारी पेड़ का मिलना और फिर इस ‘जलोथा’ का मिलना तो इसी तरफ इशारा करता है।" अल्बर्ट ने कहा।
“जलोथा से याद आया।" सुयश ने शैफाली कि ओर नजर डालते हुए कहा- “क्या तुमने यह शब्द भी अपने सपने में सुना था शैफाली?"
जारी रहेगा_________![]()