Iron Man
Try and fail. But never give up trying
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Shaandar mysterious adventurous update# 16
1 जनवरी 2002, मंगलवार, 05:30;
सुयश आँख बंदकर कुर्सी पर बैठा था। मगर वह अभी भी बहुत तेजी से कुछ सोच रहा था।कुछ देर सोचते रहने के पश्चात, सुयश ने अपनी आँखें खोलीं। सुयश की नजर रोजर पर पड़ी। रोजर, असलम के साथ शिप के चालक दल को गाइड करने में लगा दिखायी दिया।
लेकिन इससे पहले कि शिप के चालक दल के सदस्य, शिप को स्टार्ट कर, सही रुट पर ला पाते। एक अजीब सी आवाज ने, फिर से सभी को आश्चर्य में डाल दिया।
“झर ....ऽऽ झर.....ऽऽ झर.....ऽऽ झर.....ऽऽ।“
“यह आवाज कैसी है?“ सुयश का व्याकुल स्वर कंट्रोल रूम में गूंज उठा।
सभी के कान अब सिर्फ और सिर्फ उस आवाज को सुनने में लगे थे। धीरे-धीरे वह आवाज तेज होती जा रही थी। एकाएक सुयश सहित सभी के दिमाग में एक स्वर गूंज उठा-“खतरा ऽऽऽऽ।“
“रोजर! तुरंत शिप के आसपास की लाइट्स को ऑन करो । क्विक.....।“ सुयश ने घबराकर कहा।
वह विचित्र आवाज धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी और अब उसने तेज होते- होते भयानक रूप ले लिया था। इससे पहले कि यह लोग कुछ और समझ पाते।
शिप को एक तेज झटका लगा और वह बिना स्टार्ट किए ही चल पड़ा। रोजर ने झपट कर तुरंत शिप के बाहर की सारी सर्च लाइट ऑन कर दी।
“कैप्टन! कोई अंजाना खतरा हमारे शिप की ओर तेजी से मंडरा रहा है।“ असलम ने अपनी जुबान को अपने सूख चुके होठों पर फिराते हुए, डरे स्वर में कहा -
“हमारा शिप बिना स्टार्ट किए ही किसी दिशा में जा रहा है।“
अब सभी की निगाहें किसी अंजानी आशंका से, शिप के विंड स्क्रीन पर चिपक गईं। शिप की सर्च लाइट का दायरा सीमित होने के कारण, वह सभी शिप के ज्यादा आगे देख पाने में असमर्थ थे। शिप मंथर गति से आगे बढ़ रहा था और वह आवाज लगातार अभी भी तेज हो रही थी। अचानक शिप की सर्च लाइट ने, इन सभी को जो नजारा दिखाया, उसको देखते ही सभी के हाथ-पैर एका एक फूलते से नजर आए।
“भंवर...............।“ सुयश एका -एक चीख उठा। उन्हें कुछ दूरी पर, एक विशालकाय भंवर बनती नजर आयी। जो अपना दायरा लगातार बढ़ाती जा रही थी।
उसी भंवर के तीव्र बहाव के कारण, समुंदर का पानी भी तेजी से भंवर की ओर खिं च रहा था और उसी के साथ खिंच रहा था ‘सुप्रीम’ भी। इतनी विशालकाय भंवर को देख, एक पल के लिए सभी की सांसे रुक सी गईं। उधर शिप लगातार भंवर की ओर बढ़ रहा था। सभी लोगों के मौत के इस सम्मोहन को सुयश की आवाज ने तोड़ा-
“जल्दी करो........ शिप को स्टार्ट करो..... वरना यह अंजानी मौत हमें निगल जायेगी।“ सुयश के इतना कहते ही, संज्ञा शून्य हो चुके सभी व्यक्ति, अचानक हरकत में आ गए।
रोजर व असलम तेजी से शिप के कंट्रोल्स से छेड़-छाड़ करके उसे स्टार्ट करने की कोशिश करने लगे। अब सभी की निगाहें उस विशालकाय भंवर पर थीं, जो तेजी से शिप के बीच का दायरा कम करने में लगी हुई थी।
तभी ‘घर्र-घर्र‘ की तेज आवाज करते हुए, शिप का इंजन स्टार्ट हो गया। इंजन को स्टार्ट हो ते देख, सुयश चीख उठा-
“मोड़ो ऽऽऽऽऽ...जल्दी से शिप को मोड़ कर, भंवर से दूर जाने की कोशिश करो। ......वरना हम इसमें फंस जाएंगे.......और फंसने के बाद, इतनी बड़ी भंवर से हमारा बचकर निकल पाना असंभव होगा।“ भंवर की धाराएं, किसी शिकारी की तरह तेजी से शिप की ओर बढ़ रहीं थीं।
“कैप्टन!“ रोजर ने चिल्ला कर कहा-
“बिना स्पीड में लाए, इतने बड़े शिप को मोड़ना असंभव है और भंवर भी अब हमसे ज्यादा दूर नहीं है। जल्दी बताइए कैप्टेन अब हम क्या करें?“
लेकिन इससे पहले कि सुयश, रोजर को कोई जवाब दे पाता, जहाज को एक और तेज झटका लगा और वह भंवर की बाहरी कक्षा में प्रवेश कर गया। अब सुप्रीम, भंवर की धाराओं के हिसाब से धीरे-धीरे घूमना शुरू हो गया था। लहरों का शोर अब अपने चरमोत्कर्ष पर था। यह भयावह शोर सुनकर, शिप के अधिकांश यात्री भी जाग चुके थे और इस शोर का मतलब निकालने की चेष्टा कर रहे थे।
रोजर, असलम के साथ, बार-बार शिप को उस भयानक भंवर से निकालने की कोशिश कर रहा था। लेकिन शिप के स्पीड में ना होने के कारण, भंवर धाराएं उसे पुनः अंदर की ओर धकेल रही थीं। इस भयानक स्थिति में शिप, लहरों से अठखेलियां कर रहा था।
“रोजर! शिप को पहले भंवर से निकालने की कोशिश मत करो।“ सुयश इस भयानक परिस्थिति में भी तेजी से अपने दिमाग का इस्तेमाल कर रहा था-
“क्यों कि भंवर से निकलने के चक्कर में, शिप स्पीड नहीं पकड़ पा रहा है। और जब तक शिप स्पीड में नहीं आएगा , तब तक वह इस विशालकाय भंवर से निकल भी नहीं पाएगा। पहले धाराओं के मोड़ के हिसाब से, शिप को मोड़ते हुए, शिप की स्पीड बढ़ाने की कोशिश करो और जब शिप फुल स्पीड में आ जाए तो उसे एक झटके से भंवर से बाहर निकालने की कोशिश करो।“
“लेकिन सर, अगर हमने इस तरीके से शिप की स्पीड को बढ़ाने की कोशिश की तो हम भंवर के और अंदर चले जाएंगे और वहां पर भंवर का खिंचाव केंद्र की ओर, और ज्यादा होगा। फिर शायद यह भी हो जाए कि हम....... उससे निकल ही ना पाएं।“ असलम में मरी-मरी आवाज में कहा।
“मैं जैसा कहता हूं वैसा करो। समय बहुत कम है। इसलिए अपना दिमाग मत लगाओ“ सुयश ने बिल्कुल दहाड़ते हुए स्वर में कहा। तुरंत रोजर व असलम सुप्रीम को भंवर की धाराओं के मोड़ के हिसाब से मोड़ने में जुट गए।
कुछ भंवर के केंद्र की वजह से और कुछ धाराओं के अनुकूल चलते रहने के कारण, शिप की स्पीड लगातार बढ़ती जा रही थी। आखिरकार शिप फुल स्पीड में आ ही गया। लेकिन तब तक वह भंवर के केंद्र के काफी नजदी क पहुंच चुका था।
ए.सी . वाले कमरे में होने के बावजूद भी सभी के चेहरे पसीने से भीग गए थे।
ड्रेजलर जो कि शिप का ‘हेल्मसमैन‘ था और शिप को स्टेयरिंग व्हील के द्वारा चलाता था। उसकी नजरें सुयश के अगले आदेश का इंतजार कर रहीं थीं। सुयश की नजरें सिर्फ और सिर्फ शिप के स्पीडो मीटर पर थीं। जैसे ही स्पीडो मीटर ने फुल का इंडीकेशन दिया, सुयश ने चीख कर कहा-
“टर्न!“ सुयश के ऐसा कहते ही ड्रेजलर ने पूरी ताकत से स्टेयरिंग व्हील घुमाया। फुल स्पीड से चल रहे शिप को एक जोरदार झटका लगा और वह चौथी कक्षा की भंवर धाराओं पर एका एक ऐसे चढ़ गया, मानों वह लहरों पर से छलांग लगा कर उड़ जाना चाहता हो। शिप की स्पीड फुल होने की वजह से, एकदम से मोड़ते ही , वह लहरों से टकरा कर, हवा में उछल सा गया। एक क्षण के लिए सबकी सांसें रुक सी गईं। शिप पूरा का पूरा हवा में था और फिर एक छपाक की आवाज करते हुए दोबारा पानी में गिर गया।
पानी में गिरते ही शिप को इतना जोरदार झटका लगा कि कइयों के मुंह से चीख निकल गई। कई लोग अपने स्थान से गिर पड़े। यहां तक कि ड्रेजलर का हाथ भी स्टेयरिंग व्हील से छूट गया। लेकिन फिर तुरंत ही ड्रेजलर ने अपनी बॉडी को नियंत्रित कर, दोबारा से शिप का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया।
उधर पूरे शिप पर चीख-पुकार का बाजार गर्म हो गया था। किसी यात्री की समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है? इधर सुयश का चेहरा अब किसी चट्टान की तरीके से सख्त हो गया। उसकी निगाहें लगातार, विंडस्क्रीन पर उछल-उछल कर गिर रही लहरों पर पड़ रही थी।
शिप अब भंवर से थोड़ा सा निकलने में कामयाब हो गया था। मगर मुसीबत अभी खत्म नहीं हुई थी। सभी की आंखें फिर से सुयश के चेहरे की ओर थीं। और सुयश की नजरें भंवर की धाराओं की ओर थीं।
एकाएक ही सुयश ने फिर टर्न का इशारा किया। ड्रेजलर ने दोबारा शिप के स्टेयरिंग व्हील को पूरी ताकत से मोड़ा। शिप एक बार फिर तेजी से भंवर धारा पर चढ़ा। लहरों ने सुप्रीम को पुनः ऊपर उछाल दिया। किस्मत ने एक बार फिर उनका साथ दिया और सुप्रीम की सागर की सतह पर सेफ लैडिंग हुई। इसी तरह 1 और कोशिश करने के बाद सुप्रीम, भंवर के तिलस् चक्रव्यूह से बचकर बाहर निकलने में सफल हो गया।
ड्रेजलर लगातार शिप को भंवर से दूर भगाए जा रहा था। मानो उसे डर हो कि शिप फिर से कहीं, भंवर में ना फंस जाए। तिलस्मी भंवर से काफी आगे निकलने के बाद, जब ड्रेजलर को यह महसूस हो गया कि अब वह मौत से दूर हैं, तो उसने ‘सुप्रीम’ को रोक दिया।
ड्रेजलर की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थी। वह अपनी सीट से उठा और कंट्रोलरुम के फर्श पर ही जमीन पर लेट गया। वह अपनी सांसें नियंत्रित करने की कोशिश करने लगा। सुयश ने भी अपने माथे पर बह आया पसीना पोंछा और तुरंत जेम्स हुक को शिप पर हुई टूट-फूट को चेक करने के लिए भेज दिया।
एक सहायता दल को छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर, शिप के यात्रियों की मरहम पट्टी करने के लिए भेज दिया गया। क्यों कि शिप के बार-बार उछलने के कारण, यात्रियों को काफी चोटें भी आ गई थीं। सुयश ने एक बार पुनः माइक पर एनाउंस करके, सभी यात्रियों को शिप की स्थिति से अवगत करा दिया और उन्हें यह भी बता दिया कि अब वह सभी खतरे से बाहर हैं।
कंट्रोल रूम में अब सभी के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी और होती भी क्यों ना ? आखिर उन्होंने मौत पर विजय जो पाई थी।
जारी रहेगा....…..