Bhout jyda hot updateUpdate 02
"गोलू जा बड़े पापा को बुला ले खाना लगा देती हु" मां ने मुझे आवाज दी...
में बड़े पापा के कमरे की तरफ में जा रहा था की मुझे उनके कमरे से आवाज आई... वो किसी से बात कर रहे थे...
"अरे यार कुसुम नही आयेगी मेरे साथ..." "अरे भाई पूछ तो सही पहले ही हार मान लिया.." "हा कोसिस करता हु.."
में दरवाजे पे खड़ा खड़ा ही बोला "बड़े पापा वो मां बुला रही है खाने को" में जाने लगा..."अरे गोलू रुक तो"...
में वापस कमरे में आया...और उन्होंने मुझे एक वीडियो गेम की सी डी पकड़ा दी जिसे देख में बड़ा खुश हो गया...और भाग के मां के पास गया और उनको देखा के बोला "मां मां देखो बड़े पापा क्या लाई है" मां ने मुझे देख हल्का सा सुस्करा दी...
और फिर उपर से आ रहे बड़े पापा को एक टक देखती रही...दोनो की नजरे मिल गई थी...मां उन्हें कैसे अपनी आखों ही आखो से सुक्रिया कर रहीं थी...बड़े पापा शर्म से लाल हुए टेबल पे बैठ गई....
दादाजी – बेटा विक्रम बड़े चमक रहे हो...नहा के पूरी थकान भाग गई होगी...
बड़े पापा ने हा में सर हिला दिया...और मां खाना देने लगी...मां बड़े पापा को बड़े प्यार से परोस रही थी...की दादाजी मां की और देख के बोले...
"बहु खाना तो बड़ा खास बना है आज.." "देखा बापूजी भईया के लिए कैसे खास खाना बनाया जा रहा है" पापा ने मां को छेड़ते हुए कहा..."तो आप भी जेठ जी जितना काम करोगे और महीने में तीन चार बार ही आओ घर तो आप के लिए भी बना दूंगी..." मां ने पापा को गुस्से से देखती हुए कहा...और फिर जोर से हसी निकल गई सब की...."मां गुलाब जामुन दोना" "अरे बेटा कितना खाएगा बस कर" मां ने प्यार से कहा...
"बहु तुम ने मेरे घर को स्वर्ग बना दिया है.. तुम्हारे जैसी बहू पाके मेरे तो भाग खुल गई... अब बस जल्द से जल्द हमे खुसखबरी चाइए पूरा एक साल हो गया बहु.." दादाजी ने अचानक ही माहोल को शांत कर दिया अपनी बात से...सब के मुंह पे छुपी छा गई...
"विक्रम बेटा डॉक्टर से जांच रिपोर्ट करवा रहा हैं क्या आया रिपोर्ट में.. " दादाजी की बात बड़े पापा के मुंह में खाना अटक गया और वो खु खु करने लगे...की मां ने उन्हें पानी दिया...
सब खाना खा के कमरे ने जाने लगे...बड़े पापा तो पूरा खाना खाई बिना ही चले गई... अब मां आखिर में खाना खाने लगी...और दादाजी वही बैठ मां की खूबसूरत सुंदरता को अपनी आखों से जी भर के निहार रह थे...
"बहु क्या बात है अभी तक कैसे नही हो रहा क्या वो भी आलोक की तरह अब तुम्हे पेट से नही कर पाएगा" दादाजी ने अपनी बात रख दी...
"बापूजी रिपोर्ट मेने देखी है उन्हे तो कोई कमी नही लेकिन अभी तक वो हमारे बीच ऐसा कुछ हुआ ही नहीं हे...आप उन्हें इतना कुछ बोलिए मत वो बड़ी मुस्किल से तो तैयार हुए थे.. में कोशिश कर रही हूं..." मां खाते हुए बोली....
"क्या नालायक से इतना काम भी नहीं हो रहा... तुम्हारे जैसी खुबसूरत अप्सरा के साथ एक कमरे में सोता हे फिर भी अपना लिंग तुम्हारी योनि में प्रवेश नहीं कर रहा...बहु माफ करना मुंह से निकल गया..."
मां मंद मंद मुस्करा रही थी..."बहु बस मुझे जल्द से जल्द एक पोता या पोती अपनी गोद में खिलाने है.."
"बापूजी बस आप का आशीर्वाद दीजिए...में आप को नाराज नहीं करूंगी" मां ने खाने की प्लेट उठा के कहा..."बहू तुम पे तो में अपनी ओलाद से ज्यादा यकीन करता हु... तू ही तो मेरे मुझ बुड्ढे की हर बात को अपना फर्ज मानती है...मेरी प्यारी बेटी..." ऐसा करते हुए दादाजी ने मां को पीछे से आकर अपनी बाहों में भर लिया...और मां के गले को चूमते हुए...मां के स्तनों को मसलने लगे..."आह मेरी बहु आज भी वही कसाव आह...मेरा बीज ही डाल देता बहु अगर ये बुड्ढे में दम होता..."
मां – आह बापूजी क्या कर रहे हो... कोई देख लेगा...